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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

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Lovely Anand

Love is life
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आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
भाग 126 (मध्यांतर)
भाग 127 भाग 128 भाग 129 भाग 130 भाग 131 भाग 132
भाग 133 भाग 134 भाग 135 भाग 136 भाग 137 भाग 138
भाग 139 भाग 140 भाग141 भाग 142 भाग 143 भाग 144 भाग 145 भाग 146
 
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himale

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सुगना और सोनू का विस्तृत विवरण हमे भी नही मिला है
 

Lovely Anand

Love is life
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भाग 146

(प्रिय पाठको,


सलेमपुर में सुगना और सोनू के मिलन की विस्तृत दास्तान जो की एक स्पेशल एपिसोड है तैयार हो रहा है उसे पहले की ही भांति उन्हीं पाठकों को भेजा जाएगा जो कहानी से अपना लगातार जुड़ाव दिखाएं रखते हैं यद्यपि यह एपिसोड सिर्फ और सिर्फ सोनू और सुगना के कामुक मिलन को इंगित करता है इसका कहानी को आगे बढ़ाने में कोई विशेष उपयोग नहीं है। )

सोनू और सुगना का यह मिलन उनके बीच की लगभग सभी दूरियां मिटा गया था वासना की आग में सोनू और सुगना के बीच मर्यादा की सारी लकीरें लांघ दी थी सुगना जिस गरिमा और मर्यादा के साथ अब तक सोनू के साथ बर्ताव करती आई थी उसमें परिवर्तन आ चुका था सोनू अब सुगना पर भारी पड़ रहा था।

अब बनारस आने की तैयारी हो रही थी।

सोनू अपने कपड़े पहन चुका था यद्यपि वह बेहद थका हुआ था परंतु फिर भी आज वह एक जिम्मेदार व्यक्ति की तरह व्यवहार कर रहा था सुगना अब भी अपने पलंग पर नंगी लेटी हुई थी चेहरे पर गहरी शांति और तृप्ति के भाव लिए अपनी बंद पलकों के साथ बेहद गहरी नींद में थी। सोनू उसे उठाना तो नहीं चाह रहा था परंतु बनारस पहुंचना जरूरी था ज्यादा देर होने पर इसका कारण बता पाना कठिन था। आखिरकार सोनू ने सुगना के माथे को चुनते हुए बोला

“दीदी उठ ना ता बहुत देर हो जाए लाली 10 सवाल करी”

सुगना के कानों तक पहुंचे शब्द उसके दिमाग तक पहुंचे या नहीं पर लाली शब्द ने उसके दिमाग को जागृत कर दिया। शायद सुगना को पता था की सोनू को अपनी जांघों के बीच खींचकर उसने जो किया था कहीं ना कहीं उसके मन में लाली के प्रति अपराध बोध आ रहा था।

सुगना ने अपनी आंखें खोल दी और सोनू की गर्दन में अपनी गोरी बाहें डालते हुए उसे अपनी और खींच लिया सोनू और सुगना के अधर एक दूसरे की मिठास महसूस करने लगे तभी सुगना ने कहा…

“लाली अब तोहरा से हमारा बारे में बात ना कर ले”

सोनू अभी सुगना की छेड़छाड़ में नहीं उलझना चाह रहा था वह समय की अहमियत समझ रहा था पर आज सुगना बिंदास थी।

“दीदी चल लेट हो जाए तो जवाब देती ना बनी”

आखिर सुगना खड़ी हुई उसे अपने नंगेपन का एहसास हुआ. उसने सोनू को पलटने का इशारा किया …

सोनू ने पलटते हुए कहा

“अब भी कुछ बाकी बा का….”

“जवन कुछ भइल ओकरा के भूल जो आज भी तेज छोट बाड़े छोट जैसन रहु”


आज से तुम जो कुछ हुआ उसे भूल जाओ तुम छोटे हो और छोटे जैसे ही रहो।

सुगना अपने कपड़े पहने लगी नियति को भी यह बात समझ नहीं आ रही थी कि अब सुगना के पास छुपाने को कुछ भी ना था फिर भी न जाने क्यों उसने सोनू को पलटने का निर्देश दिया था।

सुगना ने महसूस किया कि उसके बदन पर गिरा सोनू का वीर्य अब सूख चुका था और त्वचा में आ रहा खिंचाव इसका एहसास बखूबी दिला रहा था सुगना ने स्नान करने की सोची..

“अरे रुक पहले नहा ली देख ई का कर देले बाड़े..”

सोनू पलट गया उसकी निगाहों ने सुगना की तर्जनी को फॉलो किया और सुगना की भरी हुई चूंची पर पड़े वीर्य के सूखने से पड़े चक्कते को देखा और अपने हाथों से उसे हटाने की कोशिश की…

“दीदी इ त प्यार के निशानी हो कुछ देर रहे दे बनारस में जाकर धो लीहे।

सुगना ने सोनू के गाल पर हल्की सी चपत लगाई और “कहा ते बहुत बदमाश बाड़े..”

सुगना ने भी अपने कपड़े पहन लिए और उठ खड़ी हुई। उसने सोनू के साथ आज अपने कामुक मिलन के गवाह अपने गुलाबी रंग के लहंगा और चोली को वापस उस बक्से में रखा जिसमें उसने अपने पुराने दो लहंगे रखे थे। यह संदूक सुगना के कामुक मिलन की यादों को संजोए रखने में एक अहम भूमिका निभा रहा था। सुगना के यह तीनों मिलन अनोखे थे अनूठे थे पर यह विधि का विधान ही था की रतन से उसका मिलन अधूरा था।

अब कमरे से बाहर निकालने की बारी थी। आज जिस तरह सोनू ने उसे कस कर चोदा था इसका असर उसकी चाल पर भी दिखाई पड़ रहा था सुगना अपने कदम संभाल संभाल कर रख रही थी। सुगना आगे आगे सोनू पीछे पीछे.. सुगना की चाल सोनू की मर्दानगी की मिसाल पेश कर रही थी सोनू के चेहरे पर विजई मुस्कान थी। आज आखिरकार उसने सुगना को हरा दिया था।

सुगना और सोनू मुख्य द्वार की तरफ बढ़ रहे थे तभी सुगना ने कहा ..

“सोनू बाहर से तो ताला लगा होगा”

“नहीं दीदी मैंने खोल दिया था”

“पर कब ?”

“काम होने के बाद आप जब सो रही थीं”

सुगना समझ चुकी थी काम शब्द उन दोनों की काम क्रीड़ा की तरफ इंगित कर रहा था उसने अपनी गर्दन झुका ली घर से बाहर आते ही लाली के माता-पिता एक बार फिर दरवाजे पर उनका इंतजार कर रहे थे सुगन की चाल में आई लचक को लाली की मां ने ताड़ लिया और बोला..

“अरे सुगना का भइल एसे काहे चलत बा?”

सुगना सचेत हुई उसने यथासंभव अपनी चाल को नियंत्रित किया और मुस्कुराते हुए बोली..

बहुत दिन बाद घर आई रहनी हां तो अपन कमरा ठीक-ठाक करे लगनी हा…वो ही से से थोडा थकावट हो गइल बा।

लाली की मां परखी जरूर थी पर इतनी भी नहीं कि वह सोनू और सुगना के बीच बन चुके इस अनूठे संबंध के बारे में सोच भी पाती। सुगना का चरित्र सुगना को छोड़ बाकी सब की निगाहों में अब भी उतना ही प्रभावशाली था।

सुगना द्वारा लाई गई मिठाई उसे ही खिलाकर लाली के माता-पिता ने सोनू और सुगना को विदा किया और कुछ ही देर बाद गांव की तंग सड़कों से निकलकर सोनू की कर बाजार में आ गई इस बार मिठाई की दुकान पर सोनू और सुगना एक साथ उतरे सुगना ने तरह-तरह की मिठाइयां पैक करवाई और वापस बनारस की तरह निकल पड़े। कार बनारस की तरफ सरपट दौड़ने लगी सोनू और सुगना दोनों आज की कामुक यादों में खोए हुए थे। सुगना मन ही मन सोच रही थी आखिर क्या है उसके गुदाद्वार के छेद में जिसने सरयू सिंह के साथ-साथ अब सोनू को भी पागल कर दिया था।

इसका प्रयोग कामवासना के लिए? सुगना मर्दों की इस अनूठी इच्छा को अब भी समझ ना पा रही थी पर उसे इस बात का बखूबी अहसास था की चरम सुख के अंतिम पलों में उसने सुगना सोनू की उंगलियों के अनूठे स्पर्श का आनंद अवश्य लिया था।

दीदी अपन वादा याद बा नू…सोनू ने सुगना की तरफ देखते हुए बोला..

सुगना को अपना वादा बखूबी याद था परंतु सुगना चतुर थी..

उसने अपनी मादक आंखों से सोनू की तरफ देखा और आंखों आंखें डालते हुए बोला

“ हां याद बा लेकिन कब ई हम ही बताइब..ये जनम में की अगला जनम में” सुगना ने अपनी बात समाप्त करते-करते अपना चेहरा वापस सड़क की तरफ कर लिया था । उसने देखा कि सोनू की गाड़ी एक गाड़ी के बिल्कुल करीब आ रही थी वह जोर से चिल्लाई..

“ओ सामने देख गाड़ी…”


सोनू सचेत हुआ उसने तुरंत ही अपनी गाड़ी को दाहिनी तरफ मोडा और सामने वाली गाड़ी से टकराने से बच गया परंतु यह पूर्ण लापरवाही की श्रेणी में गिना जा सकता था। सुगना ने सोनू को हिदायत देते हुए कहा

“ गाड़ी चलाते समय यह सब बकबक मत किया कर जतना मिलल बा उतना में खुश रहल कर।”

“ठीक बा दीदी हमार सब खुशी तोहरे से बा तू जैसन चहबू ऊहे होई..”

अचानक सुगना को सोनू के दाग का ध्यान आया जो अब तक सोनू द्वारा गले में डाले गए गमछे की वजह से बचा हुआ था। सुगना ने अपने हाथ बढ़ाए और सोनू के गले से गमछा खींच लिया। जैसा की सुगना को अनुमान था

सोनू की गर्दन पर दाग आ चुका था और यह अब तक पहले की तुलना में कतई ज्यादा था…

“अरे तोर ई दाग तो अबकी बार बहुत ज्यादा बा..”

“छोड़ ना दीदी ठीक हो जाई”

“ना सोनू, कुछ बात जरूर बा आज तोरा का हो गइल रहे..? अतना टाइम कभी ना लगता रहे ..

“काहे में..” सोनू भली-भांति जानता था कि सुगना उसके स्खलन के बारे में बात कर रही है परंतु फिर भी उसने उसे छेड़ने और उसका ध्यान दाग से भटकने की कोशिश की।

परंतु सोनू को यह बात भली बात जानता था कि आज उसने सुगना पर जो विजय प्राप्त की थी वह उसकी मर्दानगी के साथ-साथ शिलाजीत का भी असर था सोनू ने अपनी बड़ी बहन की कामुकता पर विजय पाने के लिए शिलाजीत का सहारा लिया था और शायद यही वजह रही होगी जिससे विधाता ने उसके दाग को और भी उभार दिया था।

बाहर हाल जो होना था हो चुका था सोनू की गर्दन का दाग आज उफान पर था..

कुछ ही घंटों बाद सोनू और सुगना बनारस आ चुके थे सुगना गांव के बाजार से खरीदी गई मिठाइयां अपने और लाली के बच्चों में बांट रही थी हर दिल अजीज सुगना ने अपनी मां और कजरी दोनों की पसंद की मिठाई भी लाई और सरयू सिंह के लिए पसंदीदा मालपुआ भी।

सरयू सिंह का भाग्य अब बदल चुका था सुगना का मालपुआ उन्होंने स्वेच्छा से छोड़ दिया था और सुगना ने अब अपना मालपुआ सरयू सिंह की प्लेट से उठाकर हमेशा के लिए सोनू की प्लेट में डाल दिया था जिसे सोनू पूरे चाव से चूम चाट रहा था और उसका रस भी पी रहा था।

लाली के लिए सुगना ने उसकी मां द्वारा दिया गया पैकेट दे दिया…लाली भी खुश हो गई वैसे भी वह सोनू के आ जाने से खुश हो गई थी पर इन्हीं खुशियों के बीच देर होने का कारण तो पूछना ही था आखिरकार सरयू सिंह ने सोनू से पूछा

“इतना देर क्यों हो गया कोनो दिक्कत तो ना हुआ”

प्रश्न पूछा सोनू से गया था पर जवाब सुगना ने दिया एक बार जो झूठ सुगना ने लाली की मां से बोला था अब उसने अपने अपने गुमनाम पिता को चिपका दिया था।

नियत भी एक पुत्री को अपने पिता से अपने काम संबंधों को छुपाने के लिए झूठ बोलते देख रही थी।

सुगना की बात पर विश्वास न करना सरयू सिंह के लिए संभव न था कुछ ही देर में घर का माहौल सामान्य हो गया सुगना बेहद संभल संभल कर सबसे बात कर रही थी उसकी चाल में थकावट थी पर इस थकावट को उसने सफर के नाम डाल दिया था परंतु सब कुछ इतना आसान न था सोनू की गर्दन का दाग उसके किए गए अनाचार की गवाही दे रहा था आखिरकार लाली ने पूछ ही दिया

अरे यह गर्दन में दाग फिर उभर गया है ये क्या हो गया है ? डाक्टर से दिखा लो“


वह दाग बरबस ही सबका ध्यान खींच रहा था सोनू ने शायद इसका उत्तर पहले ही सोच रखा था

“अरे गांव में कुछ ना कुछ लागले रहेला मकड़ी छुआ गइल होई …अब शायद भूख लागल बा खाना बनल बाकी ना?”

घर का मुखिया सोनू भूखा हो तो किसी और बात पर चर्चा करना बेमानी था। लाली और सुगना झटपट रसोई में चली गई परंतु सुगना को पता था वह अभी रसोई में काम करने लायक न थी उसने लाली से कहा

“ सोनू के खाना खिला दे हम थोड़ा नहा लेते बानी “

लाली की नजरों में सुगना की इज्जत पहले की तुलना में काफी बढ़ गई थी दोनों सहेलियां अब नंद भाभी बन चुकी थी पर सुगना का कद और व्यक्तित्व लाली पर भारी था सोनू और लाली का विवाह कर कर उसने लाली की नजरों में और भी सम्मानित हो गई थी।

इससे पहले की सोनू के गर्दन पर और भी विचार विमर्श हो सोनू ने सोचा अपने दोस्तों से मिलने चले जाना ही उचित होगा।

पर इश्क और मुश्क छुपाए नहीं छुपाते सोनू का दाग आज चरम पर था। किसी प्रकार शाम बीत गई सोनू बचत बचाता आखिर में लाली के साथ बिस्तर पर था

सोनू लाली की तरफ पीट कर कर सोया हुआ था और आज सुगना के साथ बिताएं गए वक्त के बारे में सोच रहा था नतीजा स्पष्ट था उसका लंड पूरी तरह तन गया था वह लूंगी के नीचे से उसे बार-बार सहला रहा था तभी लाली ने अपने हाथ उसके लंड पर रख दिए।

अरे वह आज तो छोटे राजा पहले से ही तैयार बैठे हैं..

लाली आज मूड में थी…उसने देर न की और सोनू के लंड पर झुक गई । उसने लंड को बाहर निकाल लियाजै से ही उसने सोनू के लैंड को चूमने की कोशिश की इत्र की भीनी भीनी खुशबू उसके नथुनों में आने लगी जैसे-जैसे वह खुशबू सुनती गई उसके नथुनों में से हवा का प्रवाह और तेज होता गया। जैसे वह उस खुशबू को पहचानने की कोशिश कर रही हो अचानक उसने सोनू से पूछ लिया …अरे

“अरे यह इत्र तुमने क्यों लगाया है…”

सोनू की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था ।

लाली ने उसके लंड को पकड़ कर सोनू का ध्यान खींचा और

“बोला बताओ ना इत्र क्यों लगाया है? यह कहां मिला?

प्रश्न पर प्रश्न….. उत्तर देना कठिन था सोनू ने अपने मजबूत हाथों से लाली को अपनी तरफ खींचा और उसे चूमते हुए उसकी चूचियों से खेलने लगा पर लाली बार-बार अपने प्रश्न पर आ जाती।

लाली को बखूबी पता था कि इत्र सुगना के पास था जिसकी खुशबू अनूठी थी और इसका प्रयोग सुगना विशेष अवसर पर ही करती थी…

सोनू फंस चुका था लाली को संतुष्ट करना जरूरी था अन्यथा उन दोनों के बीच खटास आने की संभावना थी।

उसने कहा अरे यह इत्र दीदी के बक्से में था वह अपना बक्सा ठीक कर रही थी तभी यह दिखाई पड़ गया मैंने इसको देखने के लिए लिया यह मेरे हाथों में लग गया।

“अरे वाह इत्र हाथों में लगा और खुशबू नीचे से आ रही है?”

लाली ने सोनू के लंड को नीचे की तरफ खींचकर उसके सुपारे को उजागर कर दिया जो सुगना की याद में फुल कर कुप्पा हुआ चमक रहा था।

अब से कुछ घंटे पहले जो सुगना की मढ़मस्त बुर में हलचल मचाकर आया था अब लाली के होठों के स्पर्श को महसूस कर रहा था। तभी लाली ने सुपाड़े को अपने मुंह में भर लिया। कुछ पल चुभलाने के बाद और सोनू की तरफ देखती हुई बोली…

“सोनू ई खाली हमार ह नु एकर कोनो साझेदारी नईखे नू?”

लाली ने अपने मन में न जाने क्या-क्या सोचा यह तो वही जाने पर सोनू घबरा गया था वह अपने और सुगना के संबंधों को अब उजागर कर पाने की स्थिति में नहीं था.. उसने लाली को अपनी तरफ खींचा और उसकी साड़ी को जांघों से ऊपर करते हुए अपने तने हुए लंड को उसकी

चिर परिचित बुर के मुहाने पर रखकर लाली की आंखों में आंखें डालते हुए बोला

ई हमार पहलकी ह और आखरी भी यही रही “ सोनू ने जो कहा उसका अर्ध वही जाने पर लाली की पनियाई बुर ने उसके दिमाग को शांत कर दिया।धीरे-धीरे लंड लाली की बुर में उतरता गया और लाली के होंठ सोनू के होठों से मिलते चले गए।


सोनू के साथ संभोग के सुख ने लाली को कुछ पलों के लिए रोक लिया परंतु सुगना के इत्र की अनोखी खुशबू वह भी सोनू के लंड पर….इस अनोखे संयोग से लाली के मन में शक का कीड़ा अवश्य आ गया था।

उधर सोनी और विकास अपनी दक्षिण अफ्रीका यात्रा पूरी कर वापस अमेरिका की फ्लाइट में बैठ चुके थे। सोनी ने अल्बर्ट के साथ जो अनोखा संभोग किया था उसने उसके दिलों दिमाग में सेक्स की परिभाषा ही बदल दी थी। उसे मजबूत और तगड़े लंड की अहमियत शायद अब पता चली थी। वह बार-बार यही सोचती की क्या मैंने सही किया ? क्या यह उचित था ? पर जब-जब वह विकास की आतुरता को याद करती द उसे अपने निर्णय पर पछतावा कम होता आखिरकार इसमें विकास की पूर्ण और सक्रिय सहमति शामिल थी।

विकास तृप्त था वह सोनी के हाथों को अपने हाथों में लेकर सहला रहा था और उसकी तरफ बड़े प्यार से देख रहा था उसने कहा..

“यहां की बात यही भूल जाना उचित है यदि तुम कहोगी तो इस बारे में हम आगे कभी बात नहीं करेंगे”

सोनी ने मुस्कुरा कर जवाब दिया “जैसा आप चाहें”

कुछ ही दिनों में विकास और सोने के बीच सब कुछ पहले की भांति सामान्य हो गया.। अल्बर्ट को भूल पाना अब सोनी के लिए संभव न था और न हीं विकास के लिए बिस्तर पर दोनों एक दूसरे से उसके बारे में बात नहीं करते पर उनके अंतर्मन में कहीं न कहीं अल्बर्ट घूमता रहता।


वो कामुक दृश्य ….वह सोनी की गोरी बुर में उसे काले लंड का आना-जाना वह, सोनी का प्रेम भरे दर्द से आंखें बाहर निकलना…वो सोनी की कोमल गोरे हाथों में उस मजबूत लंड का फिसलना …एक एक दृश्य विकास और सोनी को रोमांचित कर जाते।

अल्बर्ट द्वारा दी गई क्रीम काम कर गई थी। सोनी की बुर भी अब विकास के लंड को आत्मीयता से पनाह दे रही थी और उसका कसाव विकास को इस स्खलित करने में कामयाब था ।

सोनी अब अब एक गदराई माल थी। पूर्णतया उन्नत यौवन के साथ भारी-भारी चूचियां गदराई जांघें भरे भरे नितम्ब और चमकती त्वचा …सोनी को देखकर ऐसा लगता था जैसे जिस पुरुष ने इस नवयौवना को नहीं भोगा उसका जीवन निश्चित ही अपूर्ण था।

सपने अवचेतन मन में चल रही भावनाओं की अभिव्यक्ति होते हैं। सोनी के सपने धीरे-धीरे भयावह हो चले थे…उसे सपने में कभी अल्बर्ट सा मोटा लंड दिखाई पड़ता तो कभी सरयू सिंह का मर्दाना शरीर…धोती कुर्ता पहने पुरुषार्थ से भरे सरयू सिंह को जब सोनी अपना लहंगा उठाते देखती …उसकी बुर पनिया जाती…जैसे ही सरयू सिंह उसकी जांघों को फैलाकर उसके गुलाबी छेद को अपनी आंखों से निहारते सोनी शर्म से पानी पानी हो जाती…इसके आगे जो होता वह सोने की नींद तोड़ने के लिए काफी होता और वह अचकचा कर उठ जाती..

अक्सर सपना टूटते समय उसके मुख पर सरयू चाचा का मान होता…विकास भी सोनी के सपने में सरयू चाचा के योगदान से अनजान था और यह बात बताने लायक भी कतई नहीं थी यह निश्चित ही सोनी की विकृत मानसिकता का प्रतीक होती।

विकास और सोनी की शादी को 1 वर्ष से अधिक बीत चुका था। यद्यपि विकास का परिवार आधुनिक विचारों का था परंतु उसकी मां अपने पोते के लिए बेचैन थी। सोनी ने 1 वर्ष का समय मांगा था और अब धीरे-धीरे विकास अपना वीर्य सोनी के गर्भ में डालकर उसे जीवंत करने की कोशिश में लगातार लगा हुआ था।

सुगना और सोनी अपनी अपनी जगह पर आनंद में थी और उनकी तीसरी बहन मोनी भी आश्रम के अनोखे कूपन में रतन से मुख मैथुन का आनंद ले रही थी परंतु जब कभी रतन अपने तने हुए लंड को उसकी जादूई बुर से छूवाता मनी कुए का लाल बटन दबा देता और रतन को बरबस अपनी कामुक गतिविधि रोकनी पड़ती। रतन मुनि को एक तरफा प्यार दे रहा था मुनि को तो शायद यह ज्ञात भी नहीं था कि उसे अनोखा मुखमैथुन देने वाला व्यक्ति उसका जीजा रतन था।

विद्यानंद का यह आश्रम तेजी से प्रगति कर रहा था और भीड़ लगातार बढ़ रही थी मोनी जैसी कई सारी कुंवारी लड़कियां इन कूपों में आती और किशोर और पुरुषों की वासना को कुछ हद तक शांत करने का प्रयास करतीं।

इसी दौरान कई सारी किशोरियों अपनी वासना पर काबू न रख पाती और कूपे में लड़कों द्वारा संभोग की पहल करने पर खुद को नहीं रोक पाती और अपना कोमार्य खो बैठती।

कौमार्य परीक्षण के दौरान ऐसी लड़कियों को इस अनूठे कृत्य से बाहर कर दिया जाता। निश्चित ही कुंवारी लड़कियों को मिल रहा है यह विशेष काम सुख अधूरा था पर आश्रम में उन्हें काफी इज्जत की निगाह से देखा जाता था और उनके रहन-सहन का विशेष ख्याल रखा जाता था। मोनी अब तक इस आश्रम में कुंवारी लड़कियों के बीचअपनी जगह बनाई हुई थी। ऐसी भरी और मदमस्त जवानी लिए अब तक कुंवारे रहना एक एक अनोखी बात थी। नियति उसके कौमार्य भंग के लिए व्यूह रचना में लगी हुई थी…

शेष अगले भाग में…
 
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yenjvoy

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भाग 145


आई अब आपको वापस साउथ अफ्रीका लिए चलते हैं जहां सोनी को पुरस्कार मिलने वाला था..

ऐसा अद्भुत दृश्य मैंने सिर्फ फिल्मों में ही देखा था और कल यह मेरी आंखों के सामने घटित होने वाला था। सोनीभी एक अद्भुत आनंद में डूबने वाली थी वह उसके लिए आनंद होता या कष्ट यह समय की बात थी। पर मेरी वहां उपस्थिति ही काफी थी मेरी सोनीको कोई कष्ट पहुंचाया यह असंभव था।


अब आगे..

(मैं सोनी)

मैं पूरी तरह थकी हुई थी। इस अद्भुत और उत्तेजक संभोग से मेरी थकान और भी ज्यादा हो गई. विकास ने मसाज के लिए जो बातें कही थी वह अविश्वसनीय थी पर उनकी कल्पनाएं एक अलग ही प्रकार की होती थी उत्तेजना से भरी हुई। मैंने अपनी रजामंदी दे दी। जब वह मेरे साथ थे मुझे अपनी चिंता नहीं थी वह मेरे सब कुछ थे। इस काया को इस रूप में पहुंचाने वाले और मुझ में उत्तेजना को जागृत करने वाले। वह सच में मेरे कामदेव थे और मैं उनकी रति। उनकी हथेलियां मेरी पीठ सहला रही थी लंड बुर के सानिध्य में सो रहा था मैं भी अपने स्तनों को उनके सीने से सटाए निद्रा देवी की आगोश में चली गई।

होटल के एक खूबसूरत कमरे में एक सुंदर सी लड़की चादर ओढ़ कर लेटी हुई थी उसके स्तनों का ऊपरी भाग दिखाई पड़ रहा था ऐसा लग रहा था जैसे वह पूरी तरह नग्न थी चादर उसने स्वयं की नग्नता छुपाने के लिए ओढ़ रखी थी। मैं उस युवती को पहचानती अवश्य थी पर उसका नाम मुझे याद नहीं आ रहा था। मैं परेशान हो रही थी।

तभी एक पुरुष बाथरूम से निकलकर बिस्तर पर जा रहा था उसकी कद काठी भी जानी पहचानी लग रही थी पर मैं चाह कर भी उन दोनों को पहचान नहीं पा रही थी मेरे मन में अजब सी कशिश थी मेरे लाख प्रयास करने के बावजूद मैं मैं उन्हें नहीं पहचान पा रही थी कुछ ही देर में वह दोनों एक दूसरे के आलिंगन में आ गए और संभोग सुख लेने लगे उस अद्भुत दृश्य से मैं स्वयं उत्तेजित हो रही थी परंतु उन्हें पहचानने के लिए बेचैन थी पुरुष का चेहरा मुझे दिखाई नहीं पड़ रहा था पर वो दोनों पूरी उत्तेजना के साथ संभोग कर रहे थे।


मेरी बेचैनी बढ़ती जा रही थी. पुरुष का वीर्य स्खलन प्रारंभ हो चुका था अपने वीर्य से उस स्त्री को भिगोते हुए वह बह मेरा नाम …..पुकार रहा था. तभी मुझे उसका चेहरा दिखाई दे गया मैं चीख पड़ी "सरयू चाचा"

" क्या हुआ सोनी?" विकास उठ चुके थे। मैं बिस्तर पर उठ कर बैठ चुकी थी मेरे नग्न स्तन चादर से बाहर आ चुके थे मैं हांफ रही थी.

"कुछ नहीं मैंने एक सपना देखा"

"मेरी प्यारी सोनी के सपने सपने नहीं सच होते हैं" वह मुझे आलिंगन में लेकर चुमने लगे हम दोनों बिस्तर पर फिर लेट चुके थे।

"पर तुमने कौन सा सपना देखा अल्बर्ट का" शायद विकास सरयू सिंह का नाम सुन नहीं पाया था। और अल्बर्ट ही उसके दिमाग में घूम रहा था।

मैं अपनी छोटी-छोटी मुठ्ठीयों से उनके सीने पर मारने लगी वह मुझे चिढ़ा रहे थे. मैं अल्बर्ट के नाम से सिहर गयी थी.


हम दोनों एक बार फिर सोने की कोशिश करने लगे । मेरे दिमाग में अभी भी स्वप्न की बातें चल रही थी सरयू चाचा किसके साथ संभोग कर रहे थे मैं यह लाख जतन करने के बाद भी नहीं जान पाई… पर उन्होंने मेरा नाम क्यों लिया? सपनों की एक अलग विडंबना है आप चाह कर भी वह दृश्य दोबारा नहीं देख सकते।

सुबह में देर से उठी.. विकास जैसे मेरे उठने का है इंतजार कर रहे थे मुझे आलिंगन में लेते हुए उन्होंने मेरे माथे को चूम लिया और मुझे आज दिन भर की गतिविधियों के बारे में बताने लगे.. जैसे-जैसे वह अपनी प्लानिंग बताते गए मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा और आखिर में मैंने यही कहा यदि आपकी यही इच्छा है तो यही सही..

"मैं विकास"


हमने आज के बॉडी मसाज लिए विशेष तैयारी की हुई थी। सोनी नहा कर अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी उसने सुर्ख लाल रंग की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी. ये पैन्टी विशेष प्रकार की थी। इसके दोनो तरफ पतली रेशम की रस्सियां थी जिन्हें खींचने पर आसानी से दो अलग अलग भागों में हो जाती। इसे हटाने के लिए खींचकर बाहर निकालने की जरूरत नहीं थी। यही हाल ब्रा का था.

यह ब्रा और पेंटी मैंने कल ही विशेषकर इस अवसर के लिए खरीदी थी. सोनीने आज वही जालीदार टॉप पहनी हुई थी जिसे पहनकर कर उसने अल्बर्ट का वीर्य दोहन किया था.

हम दोनों ही हमारे नए मेहमान का इंतजार कर रहे थे जो सोनीकी और मेरी कल्पना को साकार करने वाला था. दरवाजे पर आहट हुई और मसाज करने वाला व्यक्ति अंदर आ गया।


वो अल्बर्ट था. सोनीऔर मैं आश्चर्यचकित थे. उसने एक सुंदर टी-शर्ट और जींस पहन रखी थी. मैने उसे ध्यान से देखा उसका चेहरा तो आकर्षक नहीं था परंतु शरीर काबिले तारीफ था. वह अंदर आया और मुझे अभिवादन किया.

मैंने उसे सोफे पर बैठने के लिए कहा। सोनीअभी भी बिस्तर पर तकिया लगा कर लेटी हुई थी. अल्बर्ट को देखने के पश्चात सोनीथोड़ी घबराई हुई लग रही थी. उसे सब कुछ एक सपने की भांति लग रहा था।


मैं आज पहली बार उसे एक बिल्कुल अपरिचित मर्द के हाथों सौंपने जा रहा था। हमारे लिए एक ही बात अच्छी हुई थी कि इस अद्भुत मसाज के लिए अल्बर्ट ही आया था जिसके साथ का आनंद सोनी कुछ हद तक कल ही उठा चुकी थी।

मेरे लिए भी उत्तेजना की घड़ी थी और उसके लिए भी. हालांकि इस मसाज में छुपी हुई कामुकता को किस हद तक ले जाना है यह सोनीको ही निर्धारित करना था.


पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मैं कमरे से सटे दूसरे कमरे में आ गया और अल्बर्ट बाथरूम में नहाने चला गया. यह कमरा होटल का वी आई पी सूइट था जिसमें एक बेडरूम और उसके साथ लगा हुआ एक ड्राइंग रूम था. ड्राइंग रूम और बैडरूम आपस में कनेक्टेड थे. मैं ड्राइंग रूम में आकर बैठ गया मुझे वहां से बेडरूम के दृश्य दिखाई पड़ रहे थे.

कुछ ही देर में अल्बर्ट एक सफेद तौलिया लपेटे हुए कमरे में आ गया. सोनीउसे देखकर सिहर उठी. अल्बर्ट ने अपना शरीर इस कदर सुंदर और आकर्षक बनाया था जिसे देखकर मुझे जलन हो रही थी. इतना सुंदर और बलिष्ठ शरीर सच में हर मर्द की चाहत होती है पर एक ही बात की कमी थी वह उसके चेहरे की खूबसूरती और रंग. मैं इस मामले में उससे कोसों आगे था.

धीरे-धीरे वो सोनीके पास आ गया सोनीने अपनी आंखें बंद कर ली और वह पेट के बल लेट गयी. होटल में मसाज के लिए पहले से ही एक सुगंधित तेल का सुंदर जार रखा हुआ था. अल्बर्ट ने वह जार उठाया और सोनीके बिस्तर पर आ गया. सोनीकी जालीदार टॉप को उसने अपने हाथों से खींचा जो आसानी से बाहर आ गया. मेरी प्यारी सोनीअब सिर्फ लाल ब्रा और पेंटी में पेट के बल बिस्तर पर लेटी हुई थी. उसके बाल लाल रंग के सुंदर तकिए पर फैले हुए थे. और उसका चेहरा मेरी तरफ था परंतु उसकी आंखें बंद थीं. इतना मोहक दृश्य मैं कई दिनों बाद में देख रहा था.

अल्बर्ट ने जार से मसाज आयल निकाला और सोनीकी पीठ पर गिराने लगा कुछ ही देर में उसके हाथ सोनीकी नग्न पीठ पर घूम रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे सोनी के गोरे पीठ पर कोई बड़ा काला साया घूम रहा हो. धीरे-धीरे उसके हाथ सोनीकी कमर से पीठ तक तक मसाज कर रहे थे. ऊपर जाते समय उसकी उंगलियां ब्रा से टकराती. उसने अभी तक ब्रा नहीं खोली थी.

वह अपने हाथों को उठाता और सोनीके कंधों की मालिश करता. ऊपर से नीचे आने के क्रम में ब्रा बार-बार अवरोध उत्पन्न कर रही थी. पर अल्बर्ट ने कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई. वह सोनीकी गर्दन पर भी मसाज करने लगा. मसाज का आनंद स्त्री या पुरुष दोनों को ही आनंद देता है खासकर तब जब मसाज करने वाला विपरीत लिंगी हो.

सोनी भी अल्बर्ट के कठोर हाथों से मसाज पाकर आनंदित थी. मैं उसके चेहरे पर तनाव मुक्त खुशी देख रहा था. अल्बर्ट उसकी कमर से लेकर गर्दन तक मालिश कर रहा था. अचानक अल्बर्ट में सोनीके ब्रा की डोरियां खोल दी. ब्रा का ऊपरी भाग अब अलग हो गया था. जैसे ही अल्बर्ट अपने हाथ कमर से कंधों की तरफ ले गया ब्रा का ऊपरी भाग भी कंधों पर आ गया. अब सोनीकी पूरी पीठ नंगी थी. अल्बर्ट की हथेलियाँ अब आसानी से सोनीकी नंगी पीठ पर फिसल रहीं थी. वह अपने दोनों अंगूठे रीड की हड्डी के ऊपर रखकर नीचे से ऊपर ले जाता उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पेट को सहलाते हुए जब सीने पर पहुंचती तो सोनीके उभारों से टकरातीं।

पेट के बल लेट होने की वजह से उसके उभार सीने के दोनों तरफ आ गए थे. वैसे भी पिछले कुछ महीनों में सोनीके स्तनों में आशातीत वृद्धि हुई थी. अल्बर्ट ने अपने हाथों के कमाल से सोनीको खुश कर दिया था. मुझ में तो अब उत्तेजना भी आ चुकी थी.

कुछ देर यूं ही मसाज करने के बाद अब सोनीके कोमल जांघों की बारी थी। अल्बर्ट ने पैर की उंगलियों से लेकर उसकी जांघों को तेल से भिगो दिया। वह सोनीके पैरों के पास बैठ गया था तथा अपने कठोर और बड़ी-बड़ी हथेलियों से सोनीके पैरों और जांघों की मालिश कर रहा था। वह अपने हाथ सोनीके नितंबों तक ले जाता और वही से वापस नीचे की तरफ आ जाता। कुछ ही देर में उसने सोनी की पेंटी के नीचे से नितंबों को छूना शुरु कर दिया। उसके दोनों अंगूठे नितंबों के बीच की गहराई में रहते और हथेलियां नितंबों पर रहती उसकी उंगलियां पैन्टी से बाहर आकर कमर को छूतीं और वहीं से वापस लौट जातीं। नितंबों को छूते समय अल्बर्ट के चेहरे पर चमक आ जाती।

सोनीके चेहरे पर अब कुछ उत्तेजना भी दिखाई पड़ रही थी। उसका तनावमुक्त चेहरा अब उत्तेजना से भर रहा था। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे कोई बहुत बड़ा आदमी किसी कोमल युवती की मालिश कर रहा हो। सोनीपूर्णतयः वयस्क और युवा थी पर अल्बर्ट निश्चय ही कद काठी में उससे काफी बड़ा था।


मेरी नजरें एक पल के लिए सोनीसे हटी मैंने अपने खड़े हो चुके लंड को बाहर निकाला और सोफे पर पड़े कुशन से उसे ढक लिया। दोबारा निगाह पड़ते ही मैंने देखा सोनी की पैन्टी का ऊपरी भाग बिस्तर पर आ गया था।

सोनी अब ऊपर से पूरी तरह नंगी हो चुकी थी. अल्बर्ट की बड़ी-बड़ी हथेलियां सोनीके पैरों से शुरू होती और सोनीकी पीठ तक एक ही झटके में आ जाती. वापस आते समय वह सोनीके दोनों नितंबों के बीच की गहराइयों को छूता हुआ पैरों के नीचे तक आ जाता. कभी-कभी सोनी चिहुंक जाती पर उसने कोई प्रतिरोध नहीं दिखाया। मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे दोनों नितंबों के बीच से गुजरते हुए वह सोनी की गांड को भी जरूर छू रहा होगा.

सोनी के चेहरे पर आश्चर्यजनक भाव आ रहे थे मिलन की घड़ी धीरे-धीरे करीब आ रही थी. कुछ ही देर में उसने सोनी को सीधा होने का इशारा किया सोनीके सीधे होते ही सोनी ने अपनी ब्रा से अपने स्तनों को ढकने की कोशिश की पर इस हड़बड़ी में वह अपनी बुर को ढकना भूल गई.


अल्बर्ट के सामने सोनी की नग्न बुरअपने होठों पर मुस्कान लिए खड़ी थी. बुर के होठों पर लार की बूंदे दिखाई पड़ने लगी. इससे उसकी चमक और भी बढ़ गई थी. मैंने अल्बर्ट की आंखों में एक गजब का भाव देखा ऐसी उत्तेजना और हवस मैंने आज तक नहीं देखी थी.

उसने सोनी के पैरों की मालिश एक बार पुनः शुरू कर दी इस बार जब वह जांघों के जोड़ तक पहुंचा पर उसने सोनी की बुरको नहीं छुआ. उसने अपनी उंगलियों से सोनीके कमर को सह लाते हुए स्तनों के करीब पहुंच गया और वही से वापस हो गया. उसने यह प्रक्रिया कई बार जारी रखी. सोनी शायद इस बात का इंतजार कर रही थी कि वह उसके यौन अंगों को जरूर छुएगा पर वह संयमित तरीके से व्यवहार कर रहा था.

पर कुछ ही देर में वह सोनी के दोनों पैरों को आपस में सटाकर सोनी के घुटनों के ऊपर आ गया. वह अपना वजन अपने घुटनो पर रोके हुए था जो कि बिस्तर पर थे। उसने अपने नितंबों को भी ऊपर उठा कर रखा था. उसके नितंब सोनीके घुटनों से टकरा जरूर रहे थे परंतु उसका वजन सोनी पर नहीं था.

अब उसके हाथ सोनीकी जांघों से शुरू होकर ऊपर की तरफ जाते उसके कंधों की मालिश करते और हाथों को दबाते हुए वापस उंगलियों पर खत्म होते. कुछ देर यही प्रक्रिया करने के बाद अचानक उसने सोनी के दोनों स्तनों को छू लिया.


सोनीकी आंखें एक पल के लिए खुली अब वह हल्की डरी हुई महसूस हो रही थी. उसने सोनीके दोनों स्तनों को अपनी बड़ी-बड़ी हथेलियों में ले लिया और उन्हें सहलाने लगा. उसकी बड़ी-बड़ी हथेलियों में सोनी के बड़े स्तन भी छोटे लग रहे थे.

बीच-बीच में वह सोनीकी नाभि और उसके नीचे के भाग को सहलाता पर सोनीकी बुरको उसने अभी तक स्पर्श नहीं किया था.

सोनीकी बुरके दोनों होठों को छोड़कर उसने सोनीके पूरे शरीर को तेल से ढक दिया था. उसकी मसाज से सोनीके शरीर में एक अद्भुत निखार आ गया था. सिर्फ उसकी बुर अभी खुले होठों से लार टपकाते हुए अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रही थी.


अंततः अल्बर्ट ने उसका इंतजार भी खत्म कर दिया. वह सोनी के पैरों से उठकर सोनीके सिर की तरफ आ गया वह सोनीके सिर के एक तरफ वज्रासन में बैठ गया.

सामने झुकते हुए वह सोनीकी बुर के ठीक समीप आ गया. जब तक सोनीकुछ समझ पाती उसकी उसकी बड़ी सी लाल जीभ सोनी की बुरके होठों को छू रही थी. मैं अल्बर्ट की इतनी बड़ी जीभ देखकर एक बार को डर गया. मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे कोई बहुत बड़ा सा डाबरमैन कुत्ता अपनी जीभ निकाला हुआ हो.

उसकी बड़ी सी जीभ सोनी की सुंदर बुर को पहले तो सिर्फ छू रही थी पर धीरे-धीरे उसने सोने की बुर को पूरा ढक लिया।

सोनीने अपने पैर पहले तो सिकोड़ लिए थे पर कुछ ही देर में उसकी जांघें फैल गईं। सोनीके चेहरे पर उत्तेजना साफ दिखाई पड़ रही थी पर उसने अपनी आंखें बंद कर रखी थी और चादर को अपनी मुट्ठियों से पकड़ने की कोशिश कर रही थी। अल्बर्ट की जीभ अब बुरके दोनों होठों को अलग कर उसके मुख में प्रविष्ट हो रही थी. मुझे ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसकी जीभ उसकी बुरके काफी अंदर तक जा रही थी.

(मैं सोनी)

अभी तक मैंने मसाज के दौरान अल्बर्ट को सिर्फ एक बार देखा था. उसकी कद काठी देखकर मैं निश्चित ही डर गई थी. आज उसकी कद काठी भयावह लग रही थी. विकास मेरे बगल के कमरे में थे मुझे डर तो था परंतु यह भी पता था कि सारी स्थिति हमारे ही नियंत्रण में थी. यदि मैं चाहती तो यह मसाज आगे बढ़ता नहीं तो वहीं पर रुक जाता. मुझे यहां के नियम पता चल गए थे.


विकास ने मुझे स्पष्ट रूप से बताया था कि जब तक आप मसाज करने वाले व्यक्ति का लिंग नहीं पकड़ेंगे वह आपसे संभोग नहीं करेगा। आप संभोग की इच्छा होने पर उसका लिंग पकड़ सकते हैं और सहला सकते हैं यही उस मसाज करने वाले के लिए आप की सहमति और इशारा होगा.

अल्बर्ट जिस प्रकार अपनी जीभ से मेरी योनि को उत्तेजित कर रहा था मैं इस आनंद को पहली बार अनुभव कर रही थी. एक नितांत अपरिचित और लगभग दैत्याकार पुरुष से संभोग की परिकल्पना मात्र से मैं डरी हुई भी थी और उत्तेजित भी. मेरी उत्तेजना अब उफान पर थी. मैंने अपनी आंखें खोली और अपने दाहिनी तरफ एक बड़े से काले लंड को देखकर मेरी सांसे तेजी से चलने लगी. मैं अब अपनी खुली आंखों से उस विशालकाय लंड को देख रही थी कल यह मेरे हांथो में था पर आज वह एकदम काला और चमकदार लग रहा था.

वह निश्चय ही मेरे कोहनी से लेकर कलाई जितना लंबा था. उसकी मोटाई भी लगभग मेरी कलाई जितनी रही होगी. लिंग का अगला भाग भाग कुछ लालिमा लिए हुए था. और आकार में भी थोड़ा बड़ा लग रहा था वह चमक रहा था.

मैंने अचानक विकास की तरफ देखा वह स्वयं इस अद्भुत लंड को देख रहे थे।

मैं उस अद्भुत लिंग को देखकर घबरायी जरूर थी. परंतु धीरे-धीरे मैं उसे देखकर सहज हो रही थी आखिर इसका वीर्यपात कल मैं अपने हांथों से कर चुकी थी. मुझे पता था उसके साथ संभोग करना निश्चय ही एक अलग अनुभव होगा जिसमें दर्द होने की पूरी संभावना थी पर आज विकास मेरे करीब थे मैं उनपर भगवान से ज्यादा विश्वास करती थी. आखिरकार मैंने अपना मन बना लिया...


अचानक अल्बर्ट ने मेरी दाहिनी हथेली को अपने हाथों में पकड़ कर अपने लंड के पास लाया और उसे अपने लंड पर रख दिया. एक बार मैं फिर से सिहर उठी. उसने अपनी हथेलियों से मेरी हथेलियों को अपने लंड पर आगे पीछे किया. मैंने भी उस दिव्य लंड को महसूस करने के लिए उसका साथ दिया. मेरे गोरे गोरे हाथों में वह कला लैंड बेहद खूबसूरत लग रहा था। एक दो बार ऐसा करने के पश्चात उसने अपना हाथ हटा लिया परंतु मैंने लिंग पर अपना हाथ आगे पीछे करना जारी रखा.

मुझे अद्भुत आनंद आ रहा था. जब मैं लिंग के सुपाडे को अपने हाथों से छूती तो मुझे ऐसा प्रतीत होता है जैसे मैंने एक बड़े से नींबू को अपनी हथेलियों में ले लिया हो. अपनी हथेलियों को पीछे करते समय मैं उसके अंडकोषों तक पहुंचती और फिर से एक बार अपनी हथेलियों को आगे की तरफ ले कर चली जाती. अल्बर्ट ने एक बार फिर मेरी बुरके होठों को अपनी जीभ से फैला रहा था. जैसे जैसे मैं उसके लिंग को सहलाती उसी रिदम में वह अपनी जीभ से मेरी बुरके होठों को सहलाता.

उसके लिंग का उछलना मैं महसूस कर रही थी. मेरा हाथ उस लंड की उछाल के साथ खेल रहा था. एक अजब सी ताकत थी स्टीफन के लंड में. कुछ देर यही क्रम जारी रहा. मेरी निगाहें विकास से टकराई वह यह दृश्य देखकर वो मुस्कुरा रहे थे. मैं उन्हें मुस्कुराते हुए देख शर्मा गई उन्होंने मुझे फ्लाइंग किस दिया जैसे वह मुझे आगे बढ़ने का इशारा कर रहे थे.

कुछ ही देर में अल्बर्ट ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बिस्तर के नीचे आ गया. यह ठीक वही अवस्था थी जिसमें विकास मुझे हमेशा उठाया करते थे. वह मुझे अपनी गोद में लिए हुए विकास के पास आ गया. उसका लंड मेरे नितंबों पर गड़ रहा था। अल्बर्ट बेहद ताकतवर था ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे उसने बिना किसी प्रयास के ही मुझे आसानी से अपनी गोद में ले लिया था.

विकास के पास पहुंचने के बाद उसने कहा..

"शी इस रेडी" उसकी आवाज में एक अजब भारीपन था. अब विकास उसके साथ साथ खड़े हो गए और आगे बढ़कर मुझे चुम लिया और बोले

"सोनी बेस्ट ऑफ लक"

"आप भी आइए" मैंने अपने बचाव में आग्रह किया पर शायद मैं अपनी राजा मंडी दे दी थी


स्टीफन एक बार फिर मुझे लेकर बिस्तर की तरफ आ चुका था. उसने मुझे बिस्तर पर उसी प्रकार रख दिया. विकास भी तब तक नंगे होकर बिस्तर पर आ गये. उन्होंने मुझे चूमना शुरू कर दिया. वह चाहते थे कि मैं पूर्ण उत्तेजना में ही स्टीफन के लंड को अपनी बुरमें प्रवेश कराउ ताकि उत्तेजित अवस्था में यदि कुछ दर्द होता भी है तो मैं उसे आसानी से सहन कर सकूं.

विकास मुझे लगातार चूम रहे थे. कुछ देर चूमने के पश्चात विकास ने अपने लंड को अपनी प्यारी बुरके मुंह में प्रवेश करा दिया हम दोनों संभोग सुख का आनंद लेने लगे. मेरी बुरमें उत्तेजना महसूस करते ही विकास मुझसे अलग हो गए और एक बार फिर मेरे होठों को चूम लिया. अल्बर्ट यह सब देख रहा था वह मेरे पैरों को सहला रहा था. कुछ देर बाद विकास ने अल्बर्ट को इशारा किया वह अपने हाथों में अपना लंड लिए मेरे बिल्कुल समीप आ चुका था. जैसे ही उसने अपने लिंग का सुपाड़ा मेरी बुर पर रखा मेरी आंखें बड़ी हो गई उसके थोड़ा सा ही प्रवेश कराने पर मुझे हल्की पीड़ा का अनुभव हुआ मैं कराह उठी..

“थोड़ा धीरे से…….दुखाता..” विकास ने मेरा दर्द समझ लिया और मुझे चुमते हुए मेरी बुरके पास चले गए.

(मैं विकास)


सोनीका चिहुकना देख कर एक बार के लिए मुझे अपने निर्णय पर पछतावा हो रहा था कहीं ऐसा ना हो की अल्बर्ट के लंड से सोनी की बुर घायल हो जाए. पर उत्तेजना में हम दोनों ही थे. सोनी की बुर से मेरा लंड अभी संभोग कर निकला ही था. मैं अपने होठों से बुर को तसल्ली देना चाह रहा था ताकि सोनी की बुर का गीलापन और बढ़ा सकूं. मैं उसकी बुरको चूम ही रहा था कि तभी स्टीफन ने अपना लंड एक बार फिर बुर में प्रवेश कराने की कोशिश की वह शायद अब ज्यादा अधीर हो गया था।

मैं सोनीकी बुर को अपनी जीभ से सहलाए जा रहा था। अल्बर्ट आश्चर्य चकित था पर वह इसका आनंद ले रहा था। वह सोनी की जांघों को सहलाये जा रहा था। एक बार फिर अल्बर्ट का लंड सोनी की गुलाबी बुर के मुंह के अंदर था। मुझे ऐसा लग रहा था अब वह अंदर जाने वाला था। मैं एक बार फिर सोनी के होठों को चूमने लगा। अल्बर्ट ने मौके का फायदा उठाते हुए अपना लंड सोनीकी बुरके अंदर घुसेड़ दिया।


सोनी बहुत जोर से चीख उठी उसके होंठ मेरे होंठों के अंदर थे। इसलिए आवाज बाहर नहीं आ पाई पर सोनी की आंखें बाहर निकलने को हो गयी। मैं समझ रहा था कि सोनीको जरूर ही कष्ट की अनुभूति हुई थी। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया उसने उसी अवस्था में अपने आप को रोक लिया उसका लंड लगभग 4 -5 इंच अंदर आ चुका था। और कम से कम उतना ही बाहर था। मुझे पता था सोनी उसे अपने अंदर पूरा नहीं ले पाएगी।

मैंने अल्बर्ट को पहले ही बता दिया था कि सोनीको कष्ट नहीं होना चाहिए। वह उसी अवस्था में रुका रहा सोनीकी आंखें सामान्य होने के पश्चात मैंने अपने होंठ हटाए और उसके स्तनों को सहलाने लगा सोनीने मुझे एक बार फिर कुछ बोलना चाहा। मैंने अल्बर्ट को इशारा किया पर उसने उसे उल्टा ही समझा उसने एक और जोर का झटका दिया। और उसके लिंग का सुपाड़ा सोनीके गर्भाशय से जा टकराया।

उई मां की आवाज से एक बार सोनी फिर चिहुँक उठी। सोनीने अपने होठ आने दांतों से दबा लिए थे। मैंने उसके होठों पर फिर से चुंबन लिया और "स्टॉप" कहकर अल्बर्ट को रुकने का इशारा किया। स्टीफन अपनी गलती समझ चुका था पर उसका लंड सोनी की बुर में गहराई तक उतर चुका था।

इसके आगे लंड का जा पाना नामुमकिन था। सोनी अपने अंदर एक अजब सा खिंचाव महसूस कर रही थी यह उसके चेहरे पर स्पष्ट था।


मैं उसे बेतहाशा चुम रहा था। कुछ ही देर में सोनीका दर्द कम हो गया मैं वापस आकर उसकी बुरको देखा ऐसा लग रहा था जैसे उसकी बुर के अंदर कोई मोटा सा मुसल डाल दिया गया हो। उसकी सुंदर और गोरी बुर में इतना काला लंड देखकर एक बार के लिए मुझे हंसी भी आ गई। एक अद्भुत दृश्य था जितनी सोनी की बुर सुंदर थी यह काला लंड उतना ही विपरीत था। पर लंड की चमक और आकार काबिले तारीफ था।

अल्बर्ट ने अपनी उत्तेजना कायम रखने के लिए सोनीके दोनों स्तनों को अपने हाथों में ले लिया और अपने लिंग को थोड़ा सा पीछे किया। जैसे ही लिंग बाहर आया सोनीके चेहरे पर मुस्कान आई पर स्टीफन में दोबारा अपना लंड अंदर कर सोनी की मुस्कान छीन ली। लंड के इस तरह आगे पीछे होने से उसकी दोस्ती बुर से हो चली थी।


सोनीअब इसका आनंद लेने लगी थी। मैं सोनीके आंखों में आये दर्द के आंशु में अब खुसी के आँसुओं में तब्दील होते देख रहा था। अल्बर्ट अब पूरी तन्मयता से सोनीको चोद रहा था। सोनी की जांघें भी अब ऊपर उठ गई थी और पैर हवा में थे।

सोनी की गोरी बुर के अंदर उसके काले लंड को आते जाते देखकर मैं भी उत्तेजित हो चला था। मैंने अल्बर्ट को हटने का इशारा किया और स्वयं सोनी की जांघों के बीच में आकर सोनी की बुर के अब तक के पसंदीदा लंड को उसकी आगोश में देने लगा पर आज सोनीकी बुर मदहोश थी। वह अपने पति के लंड को छोड़ उस काले और मजबूत लंड की प्रतीक्षा में थी।

मेरा लंड अंदर जाने के बाद उपेक्षित सा महसूस हो रहा था। बुर उसे अपने आगोश में लेते हुए भी वह उत्साह नहीं दिखा रही थी। उसकी आगोश में ढीलापन था। मैं सोनी को देख कर मुस्कुराया वह भी मुझे देख कर मुस्कुरायी। मैंने अपने लिंग को बाहर निकाला और वापस उसे चूमने लगा।


अल्बर्ट ने अब सोनी की कमर को उठाकर अपने ऊपर खींच लिया था वह मेरी प्यारी और खूबसूरत सोनीको अब जी भर कर चोद रहा था। सोनी की सांसे तेज हो गयी बदन तनाव में आ गया। वो स्खलित होने वाली थी। अल्बर्ट ने उसे स्खलित होता हुआ महसूस किया पर अल्बर्ट ने कोई मुरव्वत ना दिखाते हुए लगातार उसकी बुर को अपने लंड से चोदता रहा।

स्खलन पूरा हो जाने के पश्चात मैंने सोनीको उसके लंड से अलग कर दिया। स्खलित हो चुकी बुरसे संभोग करना मेरी आंखों को अच्छा नहीं लग रहा था। स्टीफन पूरी तरह उत्तेजित था उसका लंड अभी भी उछल रहा था।


वह सोनीको और चोदना चाहता था पर मैंने उसे इंतजार करने के लिए कहा। सोनीधीरे धीरे शांत हो रही थी। मैंने उसे अपनी आगोश में लिया हुआ था। उसने मुझे अपने आलिंगन में तेजी से पकड़ा हुआ था वह मुझे चूम रही थी। मैंने अपनी हथेलियों से उसके नितंबों को सहारा दिया हुआ था हम दोनों इसी अवस्था में थे। अलब अपना लंड अपने हाथों से हिला रहा था और दुबारा संभोग की प्रतीक्षा में था। कुछ ही देर में सोनी मेरे ऊपर मासूमियत से तरह लेटी हुई थी। वह अल्बर्ट की अद्भुत चुदाई से थकी हुई लग रही थी.

मसाज सेंटर के नियमानुसार अल्बर्ट को स्खलित किए बिना सोनी की छुट्टी नहीं होनी थी। सोनीको एक बार फिर संभोग के लिए प्रस्तुत होना था। वह इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं थी। वह सादगी से संभोग करने वाली मेरी प्रियतमा थी पर आज हम दोनों ही इस जाल में फस चुके थे। अल्बर्ट अपना लंड हाथ में लिए हुए हिला रहा था। वह सोनीको बहुत कामुक निगाहों से देख रहा था जैसे कोई शिकारी अपने शिकार को देखता है।

सोनी मेरे सीने में अपना मुंह छुपाए हुए थी जैसे मुझसे मदद की गुहार कर रही हो। उसकी दोनों जाँघे मेरे कमर के दोनों तरफ थी। निश्चत ही सोनीकी बुर अल्बर्ट को साफ-साफ दिखाई पड़ रही होगी। मेरा लंड हम दोनों के पेट के बीच में शांत पर उत्तेजित पड़ा हुआ था। सोनी आराम करना चाह रही थी पर अल्बर्ट बार-बार उसके नितंबों को छू रहा था सोनी मेरी तरफ कातर निगाहों से देखती मैं भी मजबूर था। सोनी को घी मसाज सेंटर के नियम बखूबी मालूम थे। देखते ही देखते अल्बर्ट में अपना लंड सोनी की बुर में एक बार फिर से प्रवेश करा दिया।

सोनी मेरे ऊपर थी मैं उसे अपने आगोश में लिए हुआ था ताकि उसे सहारा दे सकूं। इसी अवस्था में अल्बर्ट उसे चोदना शुरू कर चुका था. स्टीफन के मजबूत धक्कों से सोनीबार-बार आगे को आती और मेरे होठों से उसके होंठ टकरा जाते। जैसे ही अल्बर्ट अपना लंड बाहर निकलता सोनी उसके साथ साथ खींचती हुई पीछे की तरफ चली जाती।

अल्बर्ट लगातार उसे चोद रहा था। कुछ ही देर में मैंने सोनी को अलग कर दिया.

सोनी भी अब सामान्य हो रही थी और उत्तेजित भी। वह अब डॉगी स्टाइल में आ चुकी थी। अल्बर्ट को शायद यह स्टाइल ज्यादा ही पसंद थी। उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गई उसने सोनीको अपने दोनों हाथों से दबोच लिया। ठीक उसी प्रकार जैसे कोई बड़ा सा डाबरमैन एक छोटी और मासूम कुत्तिया को संभोग के लिए अपने आगोश में ले लेता है।


अल्बर्ट के दोनों हाथ सोनीके कमर से होते हुए आपस में मिल गए थे वह सोनीको अपनी तरफ खींच रहा था। जैसे-जैसे व उसे अपनी तरफ खींचता उसका लंड सोनी की बुर में धसता चला जा रहा था।

सोनीकी आंखें बाहर निकलने को हो रही थी। मैं यह दृश्य देखकर क्रोधित भी हो रहा था पर वह मेरे नियंत्रण से बाहर था। कुछ ही देर में उसकी रफ्तार बढ़ती गई सोनी हिम्मत करके अपने आप को रोके हुई थी। अल्बर्ट की काली और मोटी हथेलियां सोनीके बड़े स्तनों (जोकि अल्बर्ट के लिए बहुत ही छोटे थे) को मसल रहीं थीं । इस दोहरे प्रहार से सोनी एक बार फिर उत्तेजित हो चली थी सोनी की उत्तेजना में उसका दर्द गायब हो गया था। सोनीके चेहरे पर अब वासना की लालिमा थी। वह एक घायल शेरनी की भांति दिखाई पड़ रही थी। अल्बर्ट का लंड सोनीकी चूत के अंदरूनी भाग तक जाता और वापस आता। इस प्रकार सोनीकी चुदाई देखकर मैं खुद भी डरा हुआ था पर सोनीअब उसका आनंद ले रही थी। उसके चेहरे पर सिर्फ और सिर्फ वासना की भूख दिखाई दे रही थी। वह अपना दर्द भूल चुकी थी। कुछ ही देर में सोनी को मैंने कांपते हुए महसूस किया वह झड़ रही थी।

अल्बर्ट भी अपने लंड को अद्भुत गति से हिलाने लगा और कुछ ही देर में उसने एक जोर का धक्का दियाऔर अपने मजबूत हाथों से सोनी को पलट दिया.. सोनी ने तुरंत अपने आपको व्यवस्थित किया और पीठ के बल आ गयी। शायद वह अल्बर्ट को स्खलित होते हुए देखना चाहती थी। वह अभी अभी स्खलित हुई थी और अभी भी कांप रही थी। अल्बर्ट के वीर्य की धार फूट पड़ी थी।

वह सोनीको भीगो रहा था ऐसा महसूस हो रहा था जैसे 4-5 पुरुषों का वीर्य उसके अंडकोष में आ गया था। उसने सोनी को लगभग नहला दिया था। सोनी की जांघो चूचियों और चेहरे पर इतना वीर्य गिरा था जिसे देखकर मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था। अल्बर्ट ने अपनी काली और मोटी हथेलियों से एक बार फिर सोनीके स्तन सहलाये। अल्बर्ट का दूसरा हाथ उसके लंड को सोनी को बुर पर पटक रहा था सिर वीर्य की अंतिम बूंद को बाहर निकाल रहा था।

अल्बर्ट के चेहरे पर तृप्ति के भाव थे आज सोनी के साथ संभोग कर उसने जीवन का वह आनंद प्राप्त किया था जो इस व्यवसाय से जुड़ने के बाद उसे पहली बार मिला था। आज तक उसने जितनी भी युवतियों को संतुष्ट किया था वह अपने व्यवसाय की मजबूरी बस किया था पर आज जो उसे सोनीसे मिला था उसने उसके मन में भी सोनी के प्रति आदर और सम्मान ला दिया था।


स्खलन के पश्चात सोनी को सिर से पैर तक चूमने के बाद अल्बर्ट ने कहा..

" मैम यू आर मार्बलस यू आर मैग्नीफिसेंट. आई हैव नेवर इंजॉयड सेक्स विथ एनी लेडी लाइक यू. यू आर सो डेलिकेट एंड सेक्सी व्हेनेवर यू कम नेक्स्ट टाइम प्लीज कॉल मी आई विल बी हैप्पी टू सर्व यू विदाउट एनी चार्ज. रियली यू आर ग्रेट एंड ऑलवेज डिजायरेबल."

वह मेरी तरफ मुड़ा और बोला

"सर आई एम सॉरी फॉर द ट्रबल. यू बोथ आर मेड फॉर ईच अदर. आई हैव नेवर सीन सो केयरिंग हसबैंड लाइक यू. बट ट्रस्ट मी सी हैड इंजॉयड एंड इट विल क्रिएट ए लोंग लास्टिंग मेमोरी इन हर लाइफ. प्लीज टेक दिस क्रीम एंड आपलई आन वेजाइना शी विल भी नॉर्मल नेक्स्ट डे. "


जाते-जाते उसने एक बात और भी कहीं "आई हैव स्पेशली टोल्ड मसाज पार्लर इफ यू कम फॉर द मसाज प्लीज सेंड मी टू यू"

मुझे लगता है कल सोनीके साथ गुजारे वक्त ने उसे ऐसा करने पर मजबूर किया होगा उसे कहीं ना कहीं यह उम्मीद होगी कि शायद सोनी मसाज सेंटर की सर्विस लेगी यदि ऐसा होता तो वह सोनी के साथ संभोग कर अपनी दिली इच्छा पूरी कर लेता।

अल्बर्ट अब अपने कपड़े पहनने लगा कुछ ही देर में वह होटल के कमरे से बाहर चला गया मैंने सोनीकी तरफ देखा वह शांत भाव से पड़ी हुई थी मैंने उसे चूम लिया उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आई.

मैं उसकी बुरको देख पाने की हिम्मत नहीं कर पाया उसका मुंह आश्चर्यजनक रूप से खुल गया था. मैंने सोनी की दोनों जाँघे आपस में सटा दी और पास पडी चादर को उसके शरीर पर डाल दिया। मैं सोनी को प्यार करता रहा वह इतनी थकी हुई थी कुछ ही देर में उसे नींद आ गई। मैं भी उसे अपने आगोश में ले कर सो गया। शाम को 7:00 बजे जब हम उठे तो सोनी बाथरूम जाने के लिए बिस्तर से खड़ी हुई। मुझे उसकी सुकुमारी प्यारी बुरके दर्शन हो गए वह मदहोशी में अपने दोनों होंठ फैलाए हुए मुंह बाए हुए थी।


एक पल के लिए मुझे लगा जैसे सोनीकी बुर अपने दांत उखड़वा कर आई हो। मुझे अपनी सोच पर हंसी आ गयी। सोनीकी चाल में एक लचक आ गई थी जिसका कारण मुझे और सोनी दोनों को स्पष्ट था.

शाम को सोनीको चलने में थोड़ा कष्ट हो रहा था पर् हम धीरे धीरे डायनिंग हॉल की तरफ बढ़ रहे थे। उसे यह खराब लग रहा था पर जैसे ही हम लॉबी में आए 2- 3 सुंदर महिलाएं इसी लचक के साथ डायनिंग हॉल की तरफ जाती हुई दिखाई दी. सोनीने कल शाम जो प्रश्न मुझसे किया था उसका स्पस्ट उत्तर उसे मिल चुका था। मैं और सोनीएक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे. मसाज सेंटर का होटल से गहरा संबंध था। मेरे और सोनीके लिए यह एक यादगार अनुभव बन गया था।

अल्बर्ट द्वारा दी गई क्रीम से सोनीकी बुर रात भर में ही स्वस्थ हो गयी और मेरे लंड को उसी उत्साह और आवेश के साथ अपने भीतर पनाह देना शुरू कर दिया। कभी-कभी मुझे लगता जैसे सोनी को सच में जादुई शक्तियां प्राप्त थीं। लंड को उसकी बुरअपने पूर्व रूप में प्राप्त हो चुकी थी और सोनीके चेहरे पर खुशी पहले जैसी ही कायम थी। मैं उसे छेड़ता और वह शर्म से पानी पानी होकर मेरे आगोश में छुप जाती मेरी सोनीअद्भुत थी और उसे जीवन का यह अद्भुत आनंद भी प्राप्त हो चुका था।
Very nice! Soni is expanding her horizons and experiencing new things. Her husband is appreciative of her natural sensuality and hot blooded desires. His willingness to support in her sexual growth and provide safe avenues to feed her big cock obsession is interesting - he is evolving into a willing cuckold husband who loves his wife and enables her to explore her sexual feelings. I am looking forward to her inevitable meeting with saryu Singh. She is suited for his temperament and physical attributes, and it will be a really explosive relationship once it gets going.

Lovely Anand Bhai kya beech me koi special episode hai? If yes, please bhejiye 🙏♥️
 

yenjvoy

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भाग 146

(प्रिय पाठको,


सलेमपुर में सुगना और सोनू के मिलन की विस्तृत दास्तान जो की एक स्पेशल एपिसोड है तैयार हो रहा है उसे पहले की ही भांति उन्हीं पाठकों को भेजा जाएगा जो कहानी से अपना लगातार जुड़ाव दिखाएं रखते हैं यद्यपि यह एपिसोड सिर्फ और सिर्फ सोनू और सुगना के कामुक मिलन को इंगित करता है इसका कहानी को आगे बढ़ाने में कोई विशेष उपयोग नहीं है। )



शेष अगले भाग में…
I'm going to wait to read this one until I get the detailed episode of their love making first.
 

rajeev13

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इस कहानी में अगर सब खुल्लम खुल्ला हो यानी बेशर्मी का पर्दा पूरी तरह से गिर जाएं और मां-बेटे का भी संभोग शामिल हो जाएं, तब ये कहानी vyabhichari को कड़ी टक्कर दे पाएंगी!

वैसे आपकी लेखनी और संवाद की दाद देनी पड़ेगी, बहुत ही शानदार लिखा है, अपन भाषा में पढ़े के मजा ही कुछ अउर होखेला, लेकिन एक गांठ अब भी जैसे इस कहानी में चुभती है!
 
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