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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

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Lovely Anand

Love is life
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आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
भाग 126 (मध्यांतर)
भाग 127 भाग 128 भाग 129 भाग 130 भाग 131 भाग 132
भाग 133 भाग 134 भाग 135 भाग 136 भाग 137 भाग 138
भाग 139 भाग 140 भाग141 भाग 142 भाग 143
 
Last edited:

Lovely Anand

Love is life
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भाग 136
“क्या है इसमें” सोनी ने कौतूहल वश पूछा और उसके हाथों से वह पैकेट छीनने का प्रयास करने लगी

“तुम्हारी खुशियों का पिटारा” विकास अब भी उसे वह पैकेट नहीं दे रहा था। सोनी अपने हाथ बढ़ाकर उसे पैकेट को पकड़ने का प्रयास करती और विकास उसकी अधीरता को और बढ़ा जाता। बीच-बीच में वह उसे चूमने की कोशिश करता पर सोनी का सारा ध्यान उसे पैकेट पर अटका था।

आखीरकार सोनी ने वह पैकेट विकास के हाथों से छीन लिया…

सोनी के गुस्से से विकास की तरफ देखा…

ये क्या है?

अब आगे..

सोनी ने जीवन में पहली बार सीडी देखी थी। वो उस सीडी को हाथ में लेकर उसे समझने का प्रयास करने लगी.. अपने काम की चीज ना समझ कर उसने गुस्से से बोला

“हट ..यह क्या चीज है?”

विकास ने सोनी को अपने आगोश में ले लिया और उसके होठों को चूमते हुए बोला इंतजार करो बिस्तर पर बताऊंगा।

सोनी के मन में कौतूहल अब भी था परंतु उसने इंतजार करना ही उचित समझा। दोनों पति-पत्नी ने साथ में खाना खाया। खाना खाते समय विकास ने सोनी को भी आज वाइन ऑफर की जिसे सोनी ने पीया तो नहीं पर अपने होठों से उसे चख अवश्य लिया…उसे उसका स्वाद तो पसंद नहीं आया पर उसके असर के बारे में वह बखूबी जानती थी।

कुछ ही देर बाद विकास और सोनी अपने प्रेम अखाड़े में पूरी तैयारी के साथ उतर चुके थे। अब एक दूसरे के कपड़े उतारने में देर नहीं होती थी। विकास सोनी को अपनी बाहों में लिए चूम चाट रहा था सोनी की नंगी चूचियां विकास के सीने से रगड़ खा रही थी। दरअसल विकास स्वयं अपने सीने से उसकी चूचियों को मसल रहा था।

सोनी का दिमाग अब भी उस सीडी पर अटका हुआ था उसने विकास के होठों को चूमते हुए बोला

“अरे अब बताइए ना आप उसे समय क्या लाए थे… ?”

विकास ने और देर ना कि वह सीडी पहले ही सीडी प्लेयर में लगा चुका था आखिरकार उसने रिमोट का बटन दबा दिया और टीवी पर फिल्म दिखाई पड़ने लगी..

टीवी पर दो युवा आकर अंग्रेजी में कुछ बातें कर रहे थे सोनी बेहद ध्यान से उनकी बातें समझने का प्रयास कर रही थी पर अब भी उसे फिल्मों की अंग्रेजी समझने में कष्ट होता था…

“यह कौन सी पिक्चर है? “

सोनी ने अपना ध्यान टीवी पर लगाए लगाए विकास से पूछा?

विकास ने अपनी हथेलियां से सोनी की चूची मीसते हुए कहा

“मेरी जान बस देखते जाओ”

कुछ ही देर में उस फिल्म का सार सोनी को समझ में आने लगा । दो-तीन मिनट बाद ही वह दोनों युवा पूरी तरह नग्न हो चुके थे और एक दूसरे को चूम चाट रहे थे। सोनी ने एक झलक विकास की तरफ देखा और फिर पूछा


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“यही ब्लू फिल्म है क्या?”

“अरे तुम्हें कैसे पता? तुमने कब देखा” विकास को अचानक सोनी पर शक हुआ उसे यह कतई यकीन नहीं था कि सोनी ब्लू फिल्मों के बारे में जानती होगी और उसने पहले कभी इसे देखा होगा।

सोनी ने मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखा और बोला

“ मैं कहां देखूंगी? बनारस में मिलती है क्या? पर हां अपनी सहेलियों से इसके बारे में सुना जरूर था”

सोनी के एक ही उत्तर ने विकास के सारे प्रश्नों का उत्तर दे दिया बनारस में उस समय ऐसे ब्लू फिल्मों की सीडी की उपलब्धता नहीं थी और यदि थी भी तो वह सामान्य जनमानस की पहुंच से बहुत दूर थी।

सोनी उस युवक के लंड पर अपनी नज़रें गड़ाए हुए थी। जो निश्चित ही विकास के लंड से कम से कम डेढ़ गुना होगा। जब लंड के आकार का ध्यान आया तो एक बार फिर सोनी के दिमाग में सरयू सिंह का मजबूत लंड घूम गया जो निश्चित है इस फिल्म स्टार के लंड से काफी बड़ा और सुदृढ़ था।


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सोनी टकटकी लगाकर उसे लंड को देख रही थी जिसे उस फिल्म की नायिका अब अपने होठों से चूम रही थी और कुछ ही देर में हुआ लंड उसके गले तक अंदर धंसता चला गया। लड़के ने उसे लड़की के बाल पकड़ रखे थे और अपने लंड को उसके मुंह में जबरदस्ती घुसारहा था। लड़की के गले से गला चोक होने की आवाज निकल रही थी। अचानक वह लंड उसके मुंह से पूरी तरह बाहर आ गया। लंड लार से डूबा हुआ था और वह लार उसके लंड से नीचे टपक रही थी।

सोनी मन ही मन सोचने लगी…क्या कोई लंड को इतना अंदर तक मुंह में ले सकता है?

सोनी गर्म होने लगी थी. आत्मविश्वास से लबरेज सोनी मानती थी कि दुनिया में कोई भी चीज नामुमकिन नहीं। विकास उसके बालों को सहला रहा था उसके मन में भी शायद मुखमैथुन की चाहत थी और वह भी टीवी की तरफ लगातार देख रहा था। उसने शायद सोनी से यह मांग पहले भी रखी हुई थी पर शायद वह सफल नहीं हो पाया था। आज आखिरकार सोनी ने उसे खुश करने का फैसला किया और कुछ ही देर में वह बिस्तर पर नीचे सरकती चली गई और आखिरकार विकास का लंड अपने मुंह में भरने की कोशिश की और कामयाब भी रही।


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कारण स्पष्ट था विकास को भगवान ने शायद पैसे रुतबे में कमी ना की थी पर न जाने क्यों उसका हथियार छोटा ही रखा था। यद्यपि वह अपने हथियार और कामुक कार्यकलापों से सोनी को चरम सुख देकर स्खलित करने में लगातार कामयाब रहा था।

परंतु सोनी का क्या उसने जब से मर्सिडीज़ गाड़ी देखी थी रह रहकर उसे उसे पर बैठने और उसका आनंद लेने की कसक सी उठती थी… विकाश ने सोनी को अपनी तरफ खींचा एक बार फिर सोनी और विकास का संभोग प्रारंभ हो गया।

कुछ ही देर में सोनी घोड़ी बन गई और और उसका घुड़सवार उस पर सवारी कर अपनी कमर हिलाने लगा सोनी की आंखें अब भी टीवी पर चल रही फिल्म पर थी। जहां लगभग यही दृश्य चल रहा था। सोनी की निगाहें नायिका की बुर में धंसते और बाहर निकलते लंड पर टिकी हुई थी जो पल भर के लिए बाहर आता और फिर वापस उसी रफ्तार से उस गहरी गुफा में गायब हो जाता। वह अपनी कल्पना में सरयू सिंह के लंड को अपनी बुर के अंदर धंसते हुए महसूस कर रही थी और यह अंदाज लगा रही थी कि वह उसकी गहरी चूत में कितना अंदर जा सकता है। परंतु इस अनुभव को सिर्फ सोचकर प्राप्त करना बेहद कठिन था..

विकास लगातार मेहनत कर रहा था और सोनी अपने दिमाग में उस काल्पनिक लैंड से चुद रही थी जिसने उसकी नींद हराम कर रखी थी। आखिरकार सोनी अपना स्खलन पूर्ण करने में कामयाब रही। इसका श्रेय जितना विकास को था शायद उतना ही सरयू सिंह के उसे दिव्य और अनोखे लंड को भी।

दोनों निहाल होकर बिस्तर पर लेट गए वीर्य सोनी की जांघों से बहता हुआ बिस्तर पर आ रहा था। परंतु सोनी अपने ख्वाबों में डूबी हुई अपनी आंखें बंद की हुई थी।

विकास उसे प्यार से चूम रहा था आखिर में विकास ने उसे चूमते हुए कहा

“कैसा लगा मजा आया ना? “

सोनी क्या कहती सच में इस फिल्म ने उसे सेक्स का एक नया आयाम दे दिया था । जैसे ही फिल्म खत्म हुई दूसरी फिल्म शुरू हो गई इससे पहले की विकास रिमोट से उसे बंद कर पाता सोनी ने उसका हांथ पकड़ लिया।

दूसरी फिल्म का नायक एक नीग्रो था और वह पूरी तरह नग्न अपने सोफे पर बैठा अपने लंड को हिला रहा था।

उस नीग्रो के लैंड को देखकर सोनी की आंखें फटी की फटी रह गई… उसने अपनी आंखें टीवी से नहीं हटाई पर विकास से कहा

“रुक जाओ 5 मिनट… यह क्या है? विकास सोनी की उत्सुकता समझ रहा था उसने फिल्म बंद न की और सोनी को समझाते हुए बोला

“ यह नीग्रो प्रजाति के लोग हैं अमेरिका में भी पाए जाते इनका हथियार जरूरत से ज्यादा बड़ा होता है और ये इसके लिए ही प्रसिद्ध है। “

सोनी की आंखें लगातार टीवी पर टिकी हुई थी वह विकास की बातें सुन तो रही थी पर अब जब दृश्य आंखों के सामने थे किसी व्याख्या की जरूरत नहीं थी।

नीग्रो के लंड का आकार लगभग सरयू सिंह के जैसा ही था। सोनी खुश थी और उस लंड को देख रही थी। विकास सोनी को अपने आगोश में लेकर उसे प्यार करना चाहता परंतु सोनी को शायद इसमें कम आनंद आ रहा था और फिल्म में ज्यादा

जिस उत्सुकता से सोनी फिल्म में उसे नीग्रो के लैंड को देख रही थी विकास आश्चर्यचकित था उसने सोनी को छेड़ते हुए कहा

“अरे मेरी चुलबुली सोनी उतना बड़ा लंड देखकर तुम्हें डर नहीं लगता?”

“डर क्यों लगेगा कौन सा टीवी से निकल कर बाहर आ जाएगा” विकास और सोने दोनों हंसने लगे…

सोनी का ध्यान हटते देख विकास ने तुरंत ही टीवी बंद कर दिया और अपनी सोनी को वापस चूमने चाटने लगा सोनी भी उसके आगोश में आकर नींद की आगोश में जाने लगी अब उसके दिमाग में सरयू सिंह के लंड के साथ-साथ उसे नीग्रो का दिव्य लैंड भी घूमने लगा…

सोनी की कामुकता एक नए रूप में जागृत हो रही थी….

कामुकता मनुष्य में स्वाभाविक रूप से होती है परंतु जब जब कामुकता को जागृत करने के लिए ब्लू फिल्म और अन्य अप्राकृतिक गतिविधियों का सहारा लिया जाता है तो इनका स्पष्ट असर तो दिखाई पड़ता है परंतु यह निरंतर कायम नहीं रह सकता।

मुखमैथुन भी अब दोनों के बीच आम को चला था कभी-कभी तो दोनों मुख मैथुन में ही स्खलित हो जाते और संभोग की नौबत भी नहीं आती ।शायद विकास के अंडकोषों में इतना दम ना था कि वह सोनी को लगातार दो बार चोद सकता। सोनी का क्या था उसे तो सिर्फ अपनी जांघें फैलानी थी और एक के बाद एक चुदाने का आनंद लेना था।

धीरे-धीरे विकास और सोनी अपने सेक्स लाइफ का बेहतरीन समय एक दूसरे के साथ आनंद लेते हुए व्यतीत करने लगे। ब्लू फिल्में भी उनके बेडरूम का हिस्सा बन चुकी थी।

विकास हमेशा यह बात नोट करता था कि जब जब वह नीग्रो का लंड देखती थी उसे और कुछ न सूझता था और कुछ पलों के लिए उसकी वासना एकाग्रचित हो जाती और सोनी की सारी गतिविधियां रुक जाती थी।

जब वह नीग्रो अपना लैंड किसी को भी लकड़ी की चूत में डालकर हिला रहा होता सोनी के बदन में एक गजब सी गंनगानाहट स होती उसकी शरीर और हाथों के रोए खड़े हो जाते। आखिरकार विकास में सोनी को अपनी बाहों में लिए हुए एक बार पूछ ही लिया

“ तुम्हें इस नीग्रो का लंड अच्छा लगता है क्या? “

“ आप ऐसा क्यों पूछ रहे है? पर क्या सच में वह इतना बड़ा होता होगा?

“ हा तो क्या वह झूठ थोड़े दिखाएगा?”

“ हो सकता है कैमरे का कमांल हो”

“हो सकता है ..पर फिर भी इतना बड़ा तो होगा ही”

विकास ने अपनी हथेली फैला कर दिखाया…

“सोनी ने अपनी पलके बंद करते हुए कहा दुनिया में कैसे-कैसे लोग हैं पता नहीं उस लड़की का क्या होता होगा “

विकास न जाने अपने मन में क्या-क्या सोचने लगा। क्या सोनी के दिमाग में किसी पर पुरुष वो भी नीग्रो से चुदवाने की इच्छा है…क्या सोनी यह सोच सकती है…. हे भगवान क्या सोनी सचमुच ऐसी है..

विकास अब तक जितना सोनी को जानता था उससे सोनी का यह रूप बिल्कुल अलग था..

विकास ने मुस्कुराते हुए कहा

“ देखनहीं रही थी कितना मजा ले रही थी”

सोनी ने फिर अपनी आंखें खोली और बोली

“पर इतना अंदर जाता कैसे होगा”

“अरे तुम्हें याद है जब पहली बार तुम्हारी मुनिया ने इस छोटू को लिया था तुम कैसे चीख पड़ी थी “ विकास सोनी की बुर को शुरुआत में मुनिया कहां करता था।

सोनी अपनी गर्दन झुका कर मुस्कुराने लगी

“पर अब कितनी आसानी से इसे घोंट लेती हो । वैसे ही यह कुदरत ने जांघों के बीच जादुई गुफा बनाई है जिससे एक बच्चा बाहर आ जाता है तो फिर यह नीग्रो की क्या बिसात न जाने वह अपने अंदर क्या-क्या लील सकती है “

धीरे धीरे विकास यह बात नोटिस कर रहा था कि जब-जब वह और सोनी एक दूसरे के आलिंगन में संभोग सुख ले रहे होते या ले चुके होते कभी ना कभी एक बार उस नीग्रो और उसके जादुई लंड का जिक्र जरूर होता।

सोनी उन बातों में पूरी तरह न सिर्फ शरीक होती बल्कि विकास को और भी बातें करने को उत्साहित करती…

कुछ महीनो में ही विकास और सोनी की सेक्स लाइफ मैं ब्लू फिल्मों का योगदान कम होता गया और अब विकास सोनी के मन में वासना जगाए रखने के लिए अन्य उपायों के बारे में सोचने लगा..

नियति सोनी और सुगना को और उनकी कामुकता को देख रही थी और उनकी तुलना कर रही थी। एक ओर सोनी जहां वासना को जागृत करने के लिए तरह-तरह के उपाय खोजती दूसरी तरफ सुगना स्वाभाविक रूप से अब तक कामुकता का आनंद ले रही थी।

अब जब सुगना का जिक्र आ ही गया है तो लिए आपको फिर बनारस लिए चलते हैं जहां सोनी के विवाह के बाद गहमागहमी खत्म हो चुकी थी और सुगना का घर वापस सामान्य स्थिति में आ चुका था।

सोनू और लाली ने कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन दे दिया था और अब एक महीने पश्चात उनका विवाह तय हो गया था। ऐसा लग ही नहीं रहा था जैसे कोई नई चीज होने जा रही हो सब कुछ सामान्य जैसा ही था । सुगना के परिवार ने यह पहले ही तय कर लिया था कि विवाह मे ज्यादा टीम टॉम नहीं किया जाएगा।

सोनू और लाली रिश्ते में अवश्य बधने जा रहे थे परंतु उन दोनों में जितनी आत्मीयता पहले थी अब उससे और बढ़ने की कोई उम्मीद नहीं थी। लाली वैसे भी पूरी तरह से सोनू के लिए समर्पित थी और यह तो सोनू के ऊपर था कि वह उसे कितना आसक्त होता।

सोनू के लाली से विवाह का मुख्य कारण थी सुगना। सोनू के जीवन में जो भूचाल सुगना ने लाया था उसे अब सुगना को ही संभालना था। अन्यथा सोनू जैसे काबिल और हर तरीके से सक्षम युवा के लिए न जाने कितनी कमसिन और अति खूबसूरत लड़कियां लाइन लगाए खड़ी होती परंतु सोनू अपनी बड़ी बहन सुगना की बात नहीं टाल पाया। कारण स्पष्ट था सोनू को सिर्फ और सिर्फ सुगना चाहिए थी वह भी किसी कीमत पर। वह लाली और उसके परिवार को अपना तो पहले ही मान चुका था अब सुगना के कहने पर उसे कानूनी दर्जा देने को तैयार हो गया। उसे सुगना पर पूरा विश्वास था कि वह हमेशा उसका भला ही चाहेगी और उसकी खुशियों का ख्याल रखती रहेगी।

कुछ ही दिनों के जौनपुर प्रवास में उसने सोनू की जिंदगी में इतने रंग भर दिए थे कि उसे यह दुनिया बेहद खूबसूरत स्त्री लगने लगी थी। सोनू को सुगना हर रूप में प्यारी थी बड़ी बहन के रूप में भी, एक सखा रूप में भी , प्रेमिका के रूप में भी और वात्सल्य से ओतप्रोत एक मां के रूप में भी।

ऐसा प्रतीत होता था जैसे सोनू ने स्त्री को जिस जिस रूप में देखा था या अनुभव किया था सुगना हर रूप में आदर्श थी। जब वह सुगना के आसपास रहता उसके शरीर में एक अजब सी ताजगी रहती और सुगना के करीब आने की ललक। उसके पास आकर जैसे वह भूल जाता।

सोनू को भी यह बात बखूबी मालूम थी कि सुगना के पति रतन के अब वापस गृहस्थ जीवन में आने की कोई उम्मीद नहीं थी और आने वाला समय सुगना को भी अकेले ही व्यतीत करना था। निश्चित ही उसे सोनू की आवश्यकता थी और सोनू उसे पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाने को तैयार था अपितु यह कहा जाए कि वह निभा रहा था।

सोनू सुगना और लाली यह तीनो एक त्रिभुज की भांति एक दूसरे से जुड़े हुए थे और अब किसी को किसी से कोई शिकायत नहीं थी पर सोनू और सुगना का कामुक रिश्ता लाली के संज्ञान में नहीं था और शायद इसकी जरूरत भी नहीं थी।

सुगना के साथ दीपावली की रात उस वांछित या अवांछित संभोग ने इन तीनों के बीच समीकरण कुछ समय के लिए गड़बड़ा दिया था और पूरे परिवार में तनाव का माहौल हो गया था। परंतु धीरे-धीरे अब सब कुछ सामान्य हो चला था अपितु और भी बेहतर स्थिति आ चुका था। सभी खुश थे और सबकी मनोकामनाएं पूर्ण हो चुकी थी या पूरी होने वालीं थी। परंतु एक बात सोनू को कमी हमेशा खलती थी वह थी लाली से संभोग के दौरान सुगना के बारे में होने वाली बातचीत।

सुगना के प्रति सोनू में उत्तेजना जागृत करने में लाली की भी अहम भूमिका थी परंतु जब से उसने सुगना को उस दीपावली की काली रात सोनू को उत्साहित कर सुगना को मुसीबत में डाला था उसे उसका अफसोस था। वह उसे क्षमा भी मांग चुकी थी और अब उसका नाम कामुक गतिविधियों के दौरान लेने से बचती थी। सोनू के उकसाने के बावजूद वह बेहद चतुराई से बच निकलती।

लाली और सोनू के विवाह के दिन अब करीब आ चुके थे। सुगना एक बार फिर बाजारों की खाक छानने लगी। लाली के लिए खूबसूरत लाल जोड़े की तलाश में न जाने कितनी वह कितनी दुकानें देखी और आखिरकार वह अपनी पसंद का लाल जोड़ा अपनी सहेली और अब होने वाली भाभी के लिए खरीद लाई।

उसने सोनू के लिए भी बेहद खूबसूरत शेरवानी खरीदी शेरवानी खरीदते समय उसकी आंखें नम थी। यदि ईश्वर ने दीपावली की वह काली रात उसके जीवन में न लाई होती तो निश्चित ही वह सोनू की शादी बेहद धूमधाम से करती पर उस काली रात ने उसके जीवन में ऐसा मोड ला दिया था जिससे वह सोनू की शादी धूमधाम से तो नहीं कर पाई पर पूरे परिवार की खुशियां कायम रखने में कामयाब रही थी।

पर अब उन बातों को भूल जाना ही बेहतर था। जब सोनू खुश था तो सुगना भी खुश थी। जब कभी सुगना सोनू के चेहरे पर मिलन का उत्साह और उससे बिछड़ते वक़्त आंखों में नमी देखती उसे नियति और अपने निर्णय पर अफसोस नहीं होता।

विवाह से कुछ दिन पूर्व सोनू सुगना के घर आया हुआ था। वह लाली के लिए एक सुंदर सा लहंगा और चोली खरीद कर लाया हुआ था। यह लहंगा और चोली आधुनिक युग के विवाह में आजकल पहना जा रहा था पर उसका रंग सुर्ख लाल नहीं था। सोनू जब यह जोड़ा खरीद तो रहा था लाली के लिए, पर उसके दिलों दिमाग में कोई और नहीं सिर्फ सुगना घूम रही थी। काश वह सुहाग का जोड़ा सुगना के लिए खरीद पाता….

लाली और सुगना दोनों सोनू द्वारा लाए गए लहंगे को देखकर खुश हो गए तभी सुगना ने कहा..

“अरे कितना सुंदर बा.. पर देख लाली सोनू आजे से बदल गइल “

“काहे का भइल?” सोनू ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा

“अपना बीवी खाती ले आईले और हमारा खातीर ? सुगना ने मुस्कुराते हुए शिकायती लहजे में कहा..

“तू बतावले ना रहलू तहरा का चाही …चल शाम के खरीद देब”

“ए सुगना तोरा ढेर पसंद बा त तेही ले ले …तोरा में ई गुलाबी रंग ठीक भी लागी..” सुगना को यह बात रास नहीं आ रही थी क्योंकि सोनू यह अपनी पसंद से अपनी होने वाली पत्नी लाली के लिए लाया था और इस तरह उसकी पसंद पर बीच में डाका डालना सुगना को कतई गवारा न था। उसने बात बदलते हुए कहा..

“अरे लाली खातिर त सुहाग की जोड़ा हम भी खरीद ले आइल बानी”

सोनू सुगना की तरफ देखने लगा और पूछा

“उ कैसन बा?”

“ए लाली तनी लेके आव और सोनू के दिखाओ त”

लाली झटपट अपने कमरे में गई और सुगना द्वारा खरीदा गया लाल जोड़ा ले आई।

सचमुच सुगना की पसंद बेहतरीन थी जितनी खूबसूरत सुगना थी उसके द्वारा खरीदा गया लाल जोड़ा उतना ही खूबसूरत था।

“अरे ई तो बहुत ही सुंदर बा कहां मिलल”

सोनू ने सुगना की तारीफ करते हुए कहा..

सोनू और लाली दोनों सुगना द्वारा ले गए सुहाग के जोड़े को ज्यादा पसंद कर रहे थे। आखिरकार सोनू ने अपना फैसला सुना दिया..

“लाली दीदी तू ई वाला ही पहनी ह”

सुगना ने सोनू के सर पर फिर एक बार मीठी सी चपत लगाई और बोला

“ते मनबे ना अभियो दीदी बोलत बाड़े”

सोनू बुरी तरह झेंप गया और अगले ही पल बोला

“ए लाली एक गिलास पानी पिलाईए ना” सोनू ने हिम्मत जुटाकर और हिंदी भाषा का प्रयोग कर लाली को आज नाम से संबोधित किया था और उम्र का अंतर मिटाने का प्रयास किया था पर फिर भी “ पिलाइए “ शब्द का प्रयोग कर अब भी उम्र के अन्तर को मिटा पाने में नाकामयाब रहा था।

“हां अब ठीक बा” सुगना ने आगे बढ़कर सोनू के माथे को चूम लिया।

सोनू ने देखा लाली किचन की तरफ जा चुकी है उसने देर ना की सुगना की भरी-भरी चूचियां जो सुगना के झुकने से उसकी निगाहों के सामने आ चुकी थी उसने बिना देर किए सुगना की चूचियों को अपने हाथों में ले लिया।

सुगना ने सोनू का माथा चूमने के बाद तुरंत ही अपने अधर नीचे किये और सोनू के होठों को चूम लिया और उठते हुए बोली…

“ तोर पसंद हमेशा अच्छा रहेला” अब तक लाली आ चुकी थी और उसने सुगना की बात सुन ली थी वह मन ही मन और भी प्रसन्न हो गई थी। उसे शायद यह भ्रम हो गया था कि यह बात सुगना ने उसके लिए कही है।

ग्लास का पानी खत्म कर सोनू ने लाली और सुगना से गुलाबी रंग के लहंगे को दिखाते हुए पूछा..

“अब इ का होई…”

लाली के चट से जवाब दिया..

“ये अब सुगना दीदी पहनेंगी..” लाली ने वह लहंगा अपने हाथों से उठा लिया और उसे सुगना की कमर से लगा कर सोनू को दिखाते हुए पूछा.

“ अच्छा लग रहा है ना?”

सोनू क्या बोलता …उस लहंगे में सुगना की कल्पना कर उसका लंड अब खड़ा हो चुका था।

“अच्छा है…दीदी में वैसे भी सब कुछ अच्छा लगता है”

सुगना मुस्कुरा उठी…और उसकी मुनिया भी..सोनू को अपना कर उसने गलत नहीं किया था।

सुगना सोनू की पसंद का लहंगा उसके विवाह में पहनने वाली थी…सोनू बहुत खुश था…और अब अपने विवाह का इंतजार बेसब्री से कर रहा था…

नियति मुस्कुरा रही थी…और मिलन के ताने बाने बुन रही थी।

शेष अगले भाग में..

 

Raj k m

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Nice update par niyati ko saguna ki shadi sonu se karni chahi ye sonu ke upper dhabba to nahi ayega
 
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Lovely Anand

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Nice update par niyati ko saguna ki shadi sonu se karni chahi ye sonu ke upper dhabba to nahi ayega
Kahani ko dhyaan se padhiyega thabi twist samajh me aayega ..sonu सुगना se विवाह kaise kar skata hai?
 
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chodumahan

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भाग 136
“क्या है इसमें” सोनी ने कौतूहल वश पूछा और उसके हाथों से वह पैकेट छीनने का प्रयास करने लगी

“तुम्हारी खुशियों का पिटारा” विकास अब भी उसे वह पैकेट नहीं दे रहा था। सोनी अपने हाथ बढ़ाकर उसे पैकेट को पकड़ने का प्रयास करती और विकास उसकी अधीरता को और बढ़ा जाता। बीच-बीच में वह उसे चूमने की कोशिश करता पर सोनी का सारा ध्यान उसे पैकेट पर अटका था।

आखीरकार सोनी ने वह पैकेट विकास के हाथों से छीन लिया…

सोनी के गुस्से से विकास की तरफ देखा…


ये क्या है?

अब आगे..

सोनी ने जीवन में पहली बार सीडी देखी थी। वो उस सीडी को हाथ में लेकर उसे समझने का प्रयास करने लगी.. अपने काम की चीज ना समझ कर उसने गुस्से से बोला

“हट ..यह क्या चीज है?”

विकास ने सोनी को अपने आगोश में ले लिया और उसके होठों को चूमते हुए बोला इंतजार करो बिस्तर पर बताऊंगा।

सोनी के मन में कौतूहल अब भी था परंतु उसने इंतजार करना ही उचित समझा। दोनों पति-पत्नी ने साथ में खाना खाया। खाना खाते समय विकास ने सोनी को भी आज वाइन ऑफर की जिसे सोनी ने पीया तो नहीं पर अपने होठों से उसे चख अवश्य लिया…उसे उसका स्वाद तो पसंद नहीं आया पर उसके असर के बारे में वह बखूबी जानती थी।

कुछ ही देर बाद विकास और सोनी अपने प्रेम अखाड़े में पूरी तैयारी के साथ उतर चुके थे। अब एक दूसरे के कपड़े उतारने में देर नहीं होती थी। विकास सोनी को अपनी बाहों में लिए चूम चाट रहा था सोनी की नंगी चूचियां विकास के सीने से रगड़ खा रही थी। दरअसल विकास स्वयं अपने सीने से उसकी चूचियों को मसल रहा था।

सोनी का दिमाग अब भी उस सीडी पर अटका हुआ था उसने विकास के होठों को चूमते हुए बोला

“अरे अब बताइए ना आप उसे समय क्या लाए थे… ?”

विकास ने और देर ना कि वह सीडी पहले ही सीडी प्लेयर में लगा चुका था आखिरकार उसने रिमोट का बटन दबा दिया और टीवी पर फिल्म दिखाई पड़ने लगी..


टीवी पर दो युवा आकर अंग्रेजी में कुछ बातें कर रहे थे सोनी बेहद ध्यान से उनकी बातें समझने का प्रयास कर रही थी पर अब भी उसे फिल्मों की अंग्रेजी समझने में कष्ट होता था…

“यह कौन सी पिक्चर है? “

सोनी ने अपना ध्यान टीवी पर लगाए लगाए विकास से पूछा?

विकास ने अपनी हथेलियां से सोनी की चूची मीसते हुए कहा

“मेरी जान बस देखते जाओ”

कुछ ही देर में उस फिल्म का सार सोनी को समझ में आने लगा । दो-तीन मिनट बाद ही वह दोनों युवा पूरी तरह नग्न हो चुके थे और एक दूसरे को चूम चाट रहे थे। सोनी ने एक झलक विकास की तरफ देखा और फिर पूछा


Screenshot-20250511-160748-Firefox

“यही ब्लू फिल्म है क्या?”

“अरे तुम्हें कैसे पता? तुमने कब देखा” विकास को अचानक सोनी पर शक हुआ उसे यह कतई यकीन नहीं था कि सोनी ब्लू फिल्मों के बारे में जानती होगी और उसने पहले कभी इसे देखा होगा।

सोनी ने मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखा और बोला

“ मैं कहां देखूंगी? बनारस में मिलती है क्या? पर हां अपनी सहेलियों से इसके बारे में सुना जरूर था”

सोनी के एक ही उत्तर ने विकास के सारे प्रश्नों का उत्तर दे दिया बनारस में उस समय ऐसे ब्लू फिल्मों की सीडी की उपलब्धता नहीं थी और यदि थी भी तो वह सामान्य जनमानस की पहुंच से बहुत दूर थी।


सोनी उस युवक के लंड पर अपनी नज़रें गड़ाए हुए थी। जो निश्चित ही विकास के लंड से कम से कम डेढ़ गुना होगा। जब लंड के आकार का ध्यान आया तो एक बार फिर सोनी के दिमाग में सरयू सिंह का मजबूत लंड घूम गया जो निश्चित है इस फिल्म स्टार के लंड से काफी बड़ा और सुदृढ़ था।

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सोनी टकटकी लगाकर उसे लंड को देख रही थी जिसे उस फिल्म की नायिका अब अपने होठों से चूम रही थी और कुछ ही देर में हुआ लंड उसके गले तक अंदर धंसता चला गया। लड़के ने उसे लड़की के बाल पकड़ रखे थे और अपने लंड को उसके मुंह में जबरदस्ती घुसारहा था। लड़की के गले से गला चोक होने की आवाज निकल रही थी। अचानक वह लंड उसके मुंह से पूरी तरह बाहर आ गया। लंड लार से डूबा हुआ था और वह लार उसके लंड से नीचे टपक रही थी।

सोनी मन ही मन सोचने लगी…क्या कोई लंड को इतना अंदर तक मुंह में ले सकता है?


सोनी गर्म होने लगी थी. आत्मविश्वास से लबरेज सोनी मानती थी कि दुनिया में कोई भी चीज नामुमकिन नहीं। विकास उसके बालों को सहला रहा था उसके मन में भी शायद मुखमैथुन की चाहत थी और वह भी टीवी की तरफ लगातार देख रहा था। उसने शायद सोनी से यह मांग पहले भी रखी हुई थी पर शायद वह सफल नहीं हो पाया था। आज आखिरकार सोनी ने उसे खुश करने का फैसला किया और कुछ ही देर में वह बिस्तर पर नीचे सरकती चली गई और आखिरकार विकास का लंड अपने मुंह में भरने की कोशिश की और कामयाब भी रही।

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कारण स्पष्ट था विकास को भगवान ने शायद पैसे रुतबे में कमी ना की थी पर न जाने क्यों उसका हथियार छोटा ही रखा था। यद्यपि वह अपने हथियार और कामुक कार्यकलापों से सोनी को चरम सुख देकर स्खलित करने में लगातार कामयाब रहा था।

परंतु सोनी का क्या उसने जब से मर्सिडीज़ गाड़ी देखी थी रह रहकर उसे उसे पर बैठने और उसका आनंद लेने की कसक सी उठती थी… विकाश ने सोनी को अपनी तरफ खींचा एक बार फिर सोनी और विकास का संभोग प्रारंभ हो गया।

कुछ ही देर में सोनी घोड़ी बन गई और और उसका घुड़सवार उस पर सवारी कर अपनी कमर हिलाने लगा सोनी की आंखें अब भी टीवी पर चल रही फिल्म पर थी। जहां लगभग यही दृश्य चल रहा था। सोनी की निगाहें नायिका की बुर में धंसते और बाहर निकलते लंड पर टिकी हुई थी जो पल भर के लिए बाहर आता और फिर वापस उसी रफ्तार से उस गहरी गुफा में गायब हो जाता। वह अपनी कल्पना में सरयू सिंह के लंड को अपनी बुर के अंदर धंसते हुए महसूस कर रही थी और यह अंदाज लगा रही थी कि वह उसकी गहरी चूत में कितना अंदर जा सकता है। परंतु इस अनुभव को सिर्फ सोचकर प्राप्त करना बेहद कठिन था..

विकास लगातार मेहनत कर रहा था और सोनी अपने दिमाग में उस काल्पनिक लैंड से चुद रही थी जिसने उसकी नींद हराम कर रखी थी। आखिरकार सोनी अपना स्खलन पूर्ण करने में कामयाब रही। इसका श्रेय जितना विकास को था शायद उतना ही सरयू सिंह के उसे दिव्य और अनोखे लंड को भी।

दोनों निहाल होकर बिस्तर पर लेट गए वीर्य सोनी की जांघों से बहता हुआ बिस्तर पर आ रहा था। परंतु सोनी अपने ख्वाबों में डूबी हुई अपनी आंखें बंद की हुई थी।

विकास उसे प्यार से चूम रहा था आखिर में विकास ने उसे चूमते हुए कहा

“कैसा लगा मजा आया ना? “


सोनी क्या कहती सच में इस फिल्म ने उसे सेक्स का एक नया आयाम दे दिया था । जैसे ही फिल्म खत्म हुई दूसरी फिल्म शुरू हो गई इससे पहले की विकास रिमोट से उसे बंद कर पाता सोनी ने उसका हांथ पकड़ लिया।

दूसरी फिल्म का नायक एक नीग्रो था और वह पूरी तरह नग्न अपने सोफे पर बैठा अपने लंड को हिला रहा था।


उस नीग्रो के लैंड को देखकर सोनी की आंखें फटी की फटी रह गई… उसने अपनी आंखें टीवी से नहीं हटाई पर विकास से कहा

“रुक जाओ 5 मिनट… यह क्या है? विकास सोनी की उत्सुकता समझ रहा था उसने फिल्म बंद न की और सोनी को समझाते हुए बोला

“ यह नीग्रो प्रजाति के लोग हैं अमेरिका में भी पाए जाते इनका हथियार जरूरत से ज्यादा बड़ा होता है और ये इसके लिए ही प्रसिद्ध है। “


सोनी की आंखें लगातार टीवी पर टिकी हुई थी वह विकास की बातें सुन तो रही थी पर अब जब दृश्य आंखों के सामने थे किसी व्याख्या की जरूरत नहीं थी।

नीग्रो के लंड का आकार लगभग सरयू सिंह के जैसा ही था। सोनी खुश थी और उस लंड को देख रही थी। विकास सोनी को अपने आगोश में लेकर उसे प्यार करना चाहता परंतु सोनी को शायद इसमें कम आनंद आ रहा था और फिल्म में ज्यादा

जिस उत्सुकता से सोनी फिल्म में उसे नीग्रो के लैंड को देख रही थी विकास आश्चर्यचकित था उसने सोनी को छेड़ते हुए कहा

“अरे मेरी चुलबुली सोनी उतना बड़ा लंड देखकर तुम्हें डर नहीं लगता?”

“डर क्यों लगेगा कौन सा टीवी से निकल कर बाहर आ जाएगा” विकास और सोने दोनों हंसने लगे…

सोनी का ध्यान हटते देख विकास ने तुरंत ही टीवी बंद कर दिया और अपनी सोनी को वापस चूमने चाटने लगा सोनी भी उसके आगोश में आकर नींद की आगोश में जाने लगी अब उसके दिमाग में सरयू सिंह के लंड के साथ-साथ उसे नीग्रो का दिव्य लैंड भी घूमने लगा…


सोनी की कामुकता एक नए रूप में जागृत हो रही थी….

कामुकता मनुष्य में स्वाभाविक रूप से होती है परंतु जब जब कामुकता को जागृत करने के लिए ब्लू फिल्म और अन्य अप्राकृतिक गतिविधियों का सहारा लिया जाता है तो इनका स्पष्ट असर तो दिखाई पड़ता है परंतु यह निरंतर कायम नहीं रह सकता।


मुखमैथुन भी अब दोनों के बीच आम को चला था कभी-कभी तो दोनों मुख मैथुन में ही स्खलित हो जाते और संभोग की नौबत भी नहीं आती ।शायद विकास के अंडकोषों में इतना दम ना था कि वह सोनी को लगातार दो बार चोद सकता। सोनी का क्या था उसे तो सिर्फ अपनी जांघें फैलानी थी और एक के बाद एक चुदाने का आनंद लेना था।

धीरे-धीरे विकास और सोनी अपने सेक्स लाइफ का बेहतरीन समय एक दूसरे के साथ आनंद लेते हुए व्यतीत करने लगे। ब्लू फिल्में भी उनके बेडरूम का हिस्सा बन चुकी थी।

विकास हमेशा यह बात नोट करता था कि जब जब वह नीग्रो का लंड देखती थी उसे और कुछ न सूझता था और कुछ पलों के लिए उसकी वासना एकाग्रचित हो जाती और सोनी की सारी गतिविधियां रुक जाती थी।

जब वह नीग्रो अपना लैंड किसी को भी लकड़ी की चूत में डालकर हिला रहा होता सोनी के बदन में एक गजब सी गंनगानाहट स होती उसकी शरीर और हाथों के रोए खड़े हो जाते। आखिरकार विकास में सोनी को अपनी बाहों में लिए हुए एक बार पूछ ही लिया

“ तुम्हें इस नीग्रो का लंड अच्छा लगता है क्या? “

“ आप ऐसा क्यों पूछ रहे है? पर क्या सच में वह इतना बड़ा होता होगा?

“ हा तो क्या वह झूठ थोड़े दिखाएगा?”

“ हो सकता है कैमरे का कमांल हो”

“हो सकता है ..पर फिर भी इतना बड़ा तो होगा ही”


विकास ने अपनी हथेली फैला कर दिखाया…

“सोनी ने अपनी पलके बंद करते हुए कहा दुनिया में कैसे-कैसे लोग हैं पता नहीं उस लड़की का क्या होता होगा “

विकास न जाने अपने मन में क्या-क्या सोचने लगा। क्या सोनी के दिमाग में किसी पर पुरुष वो भी नीग्रो से चुदवाने की इच्छा है…क्या सोनी यह सोच सकती है…. हे भगवान क्या सोनी सचमुच ऐसी है..

विकास अब तक जितना सोनी को जानता था उससे सोनी का यह रूप बिल्कुल अलग था..

विकास ने मुस्कुराते हुए कहा

“ देखनहीं रही थी कितना मजा ले रही थी”


सोनी ने फिर अपनी आंखें खोली और बोली

“पर इतना अंदर जाता कैसे होगा”

“अरे तुम्हें याद है जब पहली बार तुम्हारी मुनिया ने इस छोटू को लिया था तुम कैसे चीख पड़ी थी “ विकास सोनी की बुर को शुरुआत में मुनिया कहां करता था।

सोनी अपनी गर्दन झुका कर मुस्कुराने लगी

“पर अब कितनी आसानी से इसे घोंट लेती हो । वैसे ही यह कुदरत ने जांघों के बीच जादुई गुफा बनाई है जिससे एक बच्चा बाहर आ जाता है तो फिर यह नीग्रो की क्या बिसात न जाने वह अपने अंदर क्या-क्या लील सकती है “

धीरे धीरे विकास यह बात नोटिस कर रहा था कि जब-जब वह और सोनी एक दूसरे के आलिंगन में संभोग सुख ले रहे होते या ले चुके होते कभी ना कभी एक बार उस नीग्रो और उसके जादुई लंड का जिक्र जरूर होता।


सोनी उन बातों में पूरी तरह न सिर्फ शरीक होती बल्कि विकास को और भी बातें करने को उत्साहित करती…

कुछ महीनो में ही विकास और सोनी की सेक्स लाइफ मैं ब्लू फिल्मों का योगदान कम होता गया और अब विकास सोनी के मन में वासना जगाए रखने के लिए अन्य उपायों के बारे में सोचने लगा..

नियति सोनी और सुगना को और उनकी कामुकता को देख रही थी और उनकी तुलना कर रही थी। एक ओर सोनी जहां वासना को जागृत करने के लिए तरह-तरह के उपाय खोजती दूसरी तरफ सुगना स्वाभाविक रूप से अब तक कामुकता का आनंद ले रही थी।

अब जब सुगना का जिक्र आ ही गया है तो लिए आपको फिर बनारस लिए चलते हैं जहां सोनी के विवाह के बाद गहमागहमी खत्म हो चुकी थी और सुगना का घर वापस सामान्य स्थिति में आ चुका था।


सोनू और लाली ने कोर्ट मैरिज के लिए आवेदन दे दिया था और अब एक महीने पश्चात उनका विवाह तय हो गया था। ऐसा लग ही नहीं रहा था जैसे कोई नई चीज होने जा रही हो सब कुछ सामान्य जैसा ही था । सुगना के परिवार ने यह पहले ही तय कर लिया था कि विवाह मे ज्यादा टीम टॉम नहीं किया जाएगा।

सोनू और लाली रिश्ते में अवश्य बधने जा रहे थे परंतु उन दोनों में जितनी आत्मीयता पहले थी अब उससे और बढ़ने की कोई उम्मीद नहीं थी। लाली वैसे भी पूरी तरह से सोनू के लिए समर्पित थी और यह तो सोनू के ऊपर था कि वह उसे कितना आसक्त होता।

सोनू के लाली से विवाह का मुख्य कारण थी सुगना। सोनू के जीवन में जो भूचाल सुगना ने लाया था उसे अब सुगना को ही संभालना था। अन्यथा सोनू जैसे काबिल और हर तरीके से सक्षम युवा के लिए न जाने कितनी कमसिन और अति खूबसूरत लड़कियां लाइन लगाए खड़ी होती परंतु सोनू अपनी बड़ी बहन सुगना की बात नहीं टाल पाया। कारण स्पष्ट था सोनू को सिर्फ और सिर्फ सुगना चाहिए थी वह भी किसी कीमत पर। वह लाली और उसके परिवार को अपना तो पहले ही मान चुका था अब सुगना के कहने पर उसे कानूनी दर्जा देने को तैयार हो गया। उसे सुगना पर पूरा विश्वास था कि वह हमेशा उसका भला ही चाहेगी और उसकी खुशियों का ख्याल रखती रहेगी।

कुछ ही दिनों के जौनपुर प्रवास में उसने सोनू की जिंदगी में इतने रंग भर दिए थे कि उसे यह दुनिया बेहद खूबसूरत स्त्री लगने लगी थी। सोनू को सुगना हर रूप में प्यारी थी बड़ी बहन के रूप में भी, एक सखा रूप में भी , प्रेमिका के रूप में भी और वात्सल्य से ओतप्रोत एक मां के रूप में भी।


ऐसा प्रतीत होता था जैसे सोनू ने स्त्री को जिस जिस रूप में देखा था या अनुभव किया था सुगना हर रूप में आदर्श थी। जब वह सुगना के आसपास रहता उसके शरीर में एक अजब सी ताजगी रहती और सुगना के करीब आने की ललक। उसके पास आकर जैसे वह भूल जाता।

सोनू को भी यह बात बखूबी मालूम थी कि सुगना के पति रतन के अब वापस गृहस्थ जीवन में आने की कोई उम्मीद नहीं थी और आने वाला समय सुगना को भी अकेले ही व्यतीत करना था। निश्चित ही उसे सोनू की आवश्यकता थी और सोनू उसे पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाने को तैयार था अपितु यह कहा जाए कि वह निभा रहा था।

सोनू सुगना और लाली यह तीनो एक त्रिभुज की भांति एक दूसरे से जुड़े हुए थे और अब किसी को किसी से कोई शिकायत नहीं थी पर सोनू और सुगना का कामुक रिश्ता लाली के संज्ञान में नहीं था और शायद इसकी जरूरत भी नहीं थी।

सुगना के साथ दीपावली की रात उस वांछित या अवांछित संभोग ने इन तीनों के बीच समीकरण कुछ समय के लिए गड़बड़ा दिया था और पूरे परिवार में तनाव का माहौल हो गया था। परंतु धीरे-धीरे अब सब कुछ सामान्य हो चला था अपितु और भी बेहतर स्थिति आ चुका था। सभी खुश थे और सबकी मनोकामनाएं पूर्ण हो चुकी थी या पूरी होने वालीं थी। परंतु एक बात सोनू को कमी हमेशा खलती थी वह थी लाली से संभोग के दौरान सुगना के बारे में होने वाली बातचीत।


सुगना के प्रति सोनू में उत्तेजना जागृत करने में लाली की भी अहम भूमिका थी परंतु जब से उसने सुगना को उस दीपावली की काली रात सोनू को उत्साहित कर सुगना को मुसीबत में डाला था उसे उसका अफसोस था। वह उसे क्षमा भी मांग चुकी थी और अब उसका नाम कामुक गतिविधियों के दौरान लेने से बचती थी। सोनू के उकसाने के बावजूद वह बेहद चतुराई से बच निकलती।

लाली और सोनू के विवाह के दिन अब करीब आ चुके थे। सुगना एक बार फिर बाजारों की खाक छानने लगी। लाली के लिए खूबसूरत लाल जोड़े की तलाश में न जाने कितनी वह कितनी दुकानें देखी और आखिरकार वह अपनी पसंद का लाल जोड़ा अपनी सहेली और अब होने वाली भाभी के लिए खरीद लाई।


उसने सोनू के लिए भी बेहद खूबसूरत शेरवानी खरीदी शेरवानी खरीदते समय उसकी आंखें नम थी। यदि ईश्वर ने दीपावली की वह काली रात उसके जीवन में न लाई होती तो निश्चित ही वह सोनू की शादी बेहद धूमधाम से करती पर उस काली रात ने उसके जीवन में ऐसा मोड ला दिया था जिससे वह सोनू की शादी धूमधाम से तो नहीं कर पाई पर पूरे परिवार की खुशियां कायम रखने में कामयाब रही थी।

पर अब उन बातों को भूल जाना ही बेहतर था। जब सोनू खुश था तो सुगना भी खुश थी। जब कभी सुगना सोनू के चेहरे पर मिलन का उत्साह और उससे बिछड़ते वक़्त आंखों में नमी देखती उसे नियति और अपने निर्णय पर अफसोस नहीं होता।

विवाह से कुछ दिन पूर्व सोनू सुगना के घर आया हुआ था। वह लाली के लिए एक सुंदर सा लहंगा और चोली खरीद कर लाया हुआ था। यह लहंगा और चोली आधुनिक युग के विवाह में आजकल पहना जा रहा था पर उसका रंग सुर्ख लाल नहीं था। सोनू जब यह जोड़ा खरीद तो रहा था लाली के लिए, पर उसके दिलों दिमाग में कोई और नहीं सिर्फ सुगना घूम रही थी। काश वह सुहाग का जोड़ा सुगना के लिए खरीद पाता….


लाली और सुगना दोनों सोनू द्वारा लाए गए लहंगे को देखकर खुश हो गए तभी सुगना ने कहा..

“अरे कितना सुंदर बा.. पर देख लाली सोनू आजे से बदल गइल “

“काहे का भइल?” सोनू ने आश्चर्यचकित होते हुए पूछा

“अपना बीवी खाती ले आईले और हमारा खातीर ? सुगना ने मुस्कुराते हुए शिकायती लहजे में कहा..

“तू बतावले ना रहलू तहरा का चाही …चल शाम के खरीद देब”

“ए सुगना तोरा ढेर पसंद बा त तेही ले ले …तोरा में ई गुलाबी रंग ठीक भी लागी..” सुगना को यह बात रास नहीं आ रही थी क्योंकि सोनू यह अपनी पसंद से अपनी होने वाली पत्नी लाली के लिए लाया था और इस तरह उसकी पसंद पर बीच में डाका डालना सुगना को कतई गवारा न था। उसने बात बदलते हुए कहा..

“अरे लाली खातिर त सुहाग की जोड़ा हम भी खरीद ले आइल बानी”

सोनू सुगना की तरफ देखने लगा और पूछा

“उ कैसन बा?”

“ए लाली तनी लेके आव और सोनू के दिखाओ त”

लाली झटपट अपने कमरे में गई और सुगना द्वारा खरीदा गया लाल जोड़ा ले आई।

सचमुच सुगना की पसंद बेहतरीन थी जितनी खूबसूरत सुगना थी उसके द्वारा खरीदा गया लाल जोड़ा उतना ही खूबसूरत था।

“अरे ई तो बहुत ही सुंदर बा कहां मिलल”

सोनू ने सुगना की तारीफ करते हुए कहा..

सोनू और लाली दोनों सुगना द्वारा ले गए सुहाग के जोड़े को ज्यादा पसंद कर रहे थे। आखिरकार सोनू ने अपना फैसला सुना दिया..

“लाली दीदी तू ई वाला ही पहनी ह”

सुगना ने सोनू के सर पर फिर एक बार मीठी सी चपत लगाई और बोला

“ते मनबे ना अभियो दीदी बोलत बाड़े”

सोनू बुरी तरह झेंप गया और अगले ही पल बोला

“ए लाली एक गिलास पानी पिलाईए ना” सोनू ने हिम्मत जुटाकर और हिंदी भाषा का प्रयोग कर लाली को आज नाम से संबोधित किया था और उम्र का अंतर मिटाने का प्रयास किया था पर फिर भी “ पिलाइए “ शब्द का प्रयोग कर अब भी उम्र के अन्तर को मिटा पाने में नाकामयाब रहा था।

“हां अब ठीक बा” सुगना ने आगे बढ़कर सोनू के माथे को चूम लिया।


सोनू ने देखा लाली किचन की तरफ जा चुकी है उसने देर ना की सुगना की भरी-भरी चूचियां जो सुगना के झुकने से उसकी निगाहों के सामने आ चुकी थी उसने बिना देर किए सुगना की चूचियों को अपने हाथों में ले लिया।

सुगना ने सोनू का माथा चूमने के बाद तुरंत ही अपने अधर नीचे किये और सोनू के होठों को चूम लिया और उठते हुए बोली…

“ तोर पसंद हमेशा अच्छा रहेला” अब तक लाली आ चुकी थी और उसने सुगना की बात सुन ली थी वह मन ही मन और भी प्रसन्न हो गई थी। उसे शायद यह भ्रम हो गया था कि यह बात सुगना ने उसके लिए कही है।

ग्लास का पानी खत्म कर सोनू ने लाली और सुगना से गुलाबी रंग के लहंगे को दिखाते हुए पूछा..

“अब इ का होई…”

लाली के चट से जवाब दिया..

“ये अब सुगना दीदी पहनेंगी..” लाली ने वह लहंगा अपने हाथों से उठा लिया और उसे सुगना की कमर से लगा कर सोनू को दिखाते हुए पूछा.

“ अच्छा लग रहा है ना?”

सोनू क्या बोलता …उस लहंगे में सुगना की कल्पना कर उसका लंड अब खड़ा हो चुका था।

“अच्छा है…दीदी में वैसे भी सब कुछ अच्छा लगता है”

सुगना मुस्कुरा उठी…और उसकी मुनिया भी..सोनू को अपना कर उसने गलत नहीं किया था।

सुगना सोनू की पसंद का लहंगा उसके विवाह में पहनने वाली थी…सोनू बहुत खुश था…और अब अपने विवाह का इंतजार बेसब्री से कर रहा था…

नियति मुस्कुरा रही थी…और मिलन के ताने बाने बुन रही थी।

शेष अगले भाग में..
सरयू सिंह की प्रत्याशा ने सोनी को झड़ा दिया...
वरना वो तो विकास के 800 की सवारी करके कल्पनाओं में किसी और को अंगीकार कर रही थी...
 
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