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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

Lovely Anand

Love is life
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आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
Smart-Select-20210324-171448-Chrome
भाग 126 (मध्यांतर)
 
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Lovely Anand

Love is life
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Pathak to bahut hai bhai
aap ki story itne mast hai ke kya kahu.................?

bus ZHAAKKAASSSSSS
Pathak to hm bhi hai bhai,
Aur bhi bhut log hai jo silent reader ke rup me hai
सर

आप भी जानते है कि अधिकतर पाठक कोई प्रतिक्रिया नही देते है,

फिर भी आपकी स्टोरी के बहुत से प्रशंसक है, इसलिए कहानी को लिखना जारी रखेंगे तो हमे अच्छा लगेगा।
मैं भी पढ़ती हूं सर। कहानी को चालू रखिए
Update please

Super story
इतने पाठकों की प्रतिक्रियाओं का मुझे भी इंतजार है अपडेट तैयार किया जा रहा है।

नए पाठकों को भी प्रतिक्रिया देने के लिए धन्यवाद।
यही आपकी चन्द लाइने ये सब बकचोदी लिखने को प्रेरित करती है।

बाकी समय हो तो तो मेरी कहानी
एक सफ़ेदपोश की मौत। पढियेगा जो एक मर्डर मिस्ट्री है।
 
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Rekha rani

Well-Known Member
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Aapki kahani bahut hi utejak hai, padhkar bahut hi aanand aaya hai, forum ki behtrin kahaniyo me se hai jisko padkr alag hi lagta hai, aapne har scene ko vastvikta se jod kr rkha hai jo ke sach ke bahut kareeb hai, bas ek do ko chhod kr, aise hi aapki kahani ko aage badhate rhe aur complete avshay kre adhuri chhodne ka mat sochiye please waiting for next update
 

Lovely Anand

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Aapki kahani bahut hi utejak hai, padhkar bahut hi aanand aaya hai, forum ki behtrin kahaniyo me se hai jisko padkr alag hi lagta hai, aapne har scene ko vastvikta se jod kr rkha hai jo ke sach ke bahut kareeb hai, bas ek do ko chhod kr, aise hi aapki kahani ko aage badhate rhe aur complete avshay kre adhuri chhodne ka mat sochiye please waiting for next update
Dhanyavaad. आपकी पहली प्रतिक्रिया के लिए।

यू ही चंद लाइने सच्ची झूठी लिखकर लिखने वाले से अपने जुड़ाव का एहसास कराते रहे ताकि लेखनी को ऊर्जा और लेखक को साहस मिलता रहे।
पाठकों की प्रतिक्रियाएं आती रहेंगी तो निश्चय ही है कहानी आगे बढ़ती रहेगी।
 
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Lovely Anand

Love is life
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लाली आज सुबह से ही बेहद प्रसन्न थी आज राजेश उसके लिए एक अनोखा उपहार लाने वाला था उसे उपहार क्या है उसे इसकी जानकारी तो नहीं थी परंतु राजेश के उत्साह को देखकर लगता था निश्चय ही वह उपहार महत्वपूर्ण होगा।

वह राजेश के साथ दो-तीन दिनों पहले बितायी गई रात को याद करने लगी जब उसे अपनी बाहों में लिए राजेश ने सोनू की बात छेड़ दी.

"तुम्हें सोनू की याद नहीं आती है?"

"क्यों नहीं आती, जब भी आता है दीदी दीदी की रहता है"

"तो उसे हर छुट्टी के दिन बुला क्यों नहीं लेती. घर का खाना पीना मिल जाएगा तो उसका भी मन चंगा हो जाएगा।"

"आप ही जाकर बोलिएगा मुझे तो शर्म आती है"

राजेश ने लाली की चूचियां सहलाते हुए कहा

"भाई से कैसी शर्म"

"और जो उसने पिछली बार जो करतूत की थी उसका क्या?"

" यह तो आप ही बता सकती हो कि उसने ऐसा क्यों किया होगा"

लाली की आंखों के सामने उस दिन का सारा घटनाक्रम घूम गया सच सोनू को इस कार्य के लिए उत्तेजित करने का श्रेय लाली को ही था जिसमें सोनू जैसे किशोर की आंखों के सामने अपने कामुक बदन को परोस दिया था। और उसे अपनी पेंटी में वीर्य भरने को प्रेरित कर दिया था।

राजेश और लाली एक दूसरे सटते चले जा रहे थे राजेश का लंड लाली की नाभि में चुभने लगा था।

अपने लंड पर ध्यान जाते ही राजेश ने लाली को एक बार फिर छेड़ा..

"सोनू का देखी थी क्या…"

"क्या?" लाली ने अपने चेहरे को राजेश से दूर करते हुए पूछा।

राजेश ने प्रत्युत्तर में लाली के चेहरे को वापस अपने समीप खींच लिया और अपने लंड का दबाव बढ़ाते हुए धीरे से बोला...

"ये "

लाली शर्म से सिमट गई और बोली

"छी"

अब तक उसकी कोमल चुचियाँ राजेश के हाथों में आ चुकी थीं। धीरे-धीरे राजेश लाली के ऊपर आ रहा और था और लाली की जाँघे फैल रही थीं।

बिस्तर पर हलचल बढ़ रही थी। राजेश अपने मन में सुगना की मदमस्त जवानी को याद करते हुए लाली को चोद रहा था उधर राजेश की बातों से उत्तेजित हो चुकी लाली अपने छोटे भाई सोनू को याद कर रही थी।

वासना उफान पर थी और लाली की जाघें तन रही थी वह अपनी भावनाओं पर काबू न रख पायी और स्खलित होते हुए बुदबुदाने लगी..

"सोनू बाबू...हां एसे ही …..हा और जोर से"

राजेश लाली के मुंह से यह उद्गार सुन राजेश बेचैन हो गया और पूरी गति से उसे चोदने लगा अंत में उसने लाली का साथ देते हुए खुला

" दीदी अब ठीक बानू"

लाली को अब जाकर हकीकत का एहसास हुआ उसने अपने दोनों हाथ से अपने चेहरे को ढक लिया परंतु अपनी जांघें फैला कर स्खलन का आनंद लेने लगी।

राजेश अपनी बीवी का यह रूप देख कर पूरी तरह उत्तेजित हो गया और उसकी बुर की मखमली गहराइयों को अपने वीर्य से सिंचित करने लगा।

वासना का उफान थमते ही राजेश ने लाली को चुमते हुए बोला

"एक बार सोनू को अपना लो वह भी अब तरस रहा होगा।"

लाली ने अपनी कजरारी आंखें तरेरते हुए बोला "ठीक है जब आप रहेंगे तभी" पर अपना वाक्य पूरा करते-करते शर्म को न छुपा पायी।

"अरे मेरी जान तब तो आनंद ही आ जाएगा…"

रीमा के रोने की आवाज सुनकर लाली और राजेश का प्रेम आलाप संपन्न हुआ।

और आज कुकर की सीटी बजने से लाली अपनी मीठी यादों से बाहर आयी और उसके होठों पर मुस्कुराहट दौड़ गई।

समय तेजी से बीत रहा था। राजेश के आने का वक्त हो रहा था लाली ने स्नान किया और अपने कमरे में आकर सजने संवरने लगी।

अपने नंगे जिस्म को शीशे में देखकर एक बार लाली फिर कामुक हो उठी वह कभी अपनी चुचियाँ आगे कर कभी नितंबों को पीछे कर खुद की खूबसूरती को निहारने लगी।

अलमारी से ब्रा और पेंटी निकालते समय उसे वही पेंटी दिखाई पड़ गई जिस पर उसके भाई सोनू ने अपना वीर्य भरा था। लाली के होठों पर मुस्कान आ गई।

क्या सच में वह सोनू को अपनाएगी।

क्या अपने नंगे जिस्म को को सोनू को छूने देगी क्या वह सोनू के साथ एक ही बिस्तर पर नग्न होकर…..आह…..और …… उसके आगे आप वह सोच भी नहीं पा रही थी। उसकी नंगी जांघों के बीच उस अद्भुत गुफा पर मदन रस झांकने लगा।

उसने ब्रा और पेंटी पहनने का निर्णय त्याग दिया वैसे भी राजेश के आने के पश्चात सबसे पहले उन्हें ही लाली का साथ छोड़ना था वह बेसब्री से राजेश का इंतजार करने लगी वह मन ही मन संभोग के लिए आतुर हो उठी थी।

तभी…

दरवाजे पर ठक ठक की आवाज हुयी। लाली बेहद खुश हो गई उसकी उसकी मखमली बुर में गीलापन अब भी कायम था। राजेश के आने की आहट से वह मुस्कुराती हुई अपनी फ्रंट ओपन नाइटी को लपेट कर दरवाजा खोलने लगी…

दरवाजे पर सोनू खड़ा था… …..

वह उसे देखकर अवाक रह गई।

"अरे सोनू बाबू अंदर आ जा"

सोनू ने घर की दहलीज पार की और तुरंत ही अपनी लाली दीदी के चरण छुए. चरण छूने के पश्चात जैसे-जैसे सोनू उठता गया लाली के खूबसूरत पैर गदराई जांघें आकर्षक कमर और भरी-भरी चूचियां उसकी निगाहों में अपने अस्तित्व का एहसास करातीं गई। लाली स्वयं भी उत्तेजित थी।

हमेशा की तरह लाली और सोनू एक दूसरे के गले लग गए। यह पहला अवसर था जब लाली कि लगभग नंगी चुचियों ने सोनू का स्वागत किया और उसके उभरे हुए निप्पलों के सोनू के सीने में चुभ कर अपने अस्तित्व का एहसास दिलाया।

सोनू ने लाली को अपनी बाहों में भर लिया आज का यह आलिंगन निश्चय ही अलग था। आज सोनू के हाथ लाली की पीठ पर घूम रहे थे। जब तक सोनू अपने हाथों को लाली की कमर तक ले जाता बाहर रिक्शा आने की आहट हुई।

लाली ने रिक्शे की आवाज को पहचान कर यह महसूस कर लिया कि वह रिक्शा उसके ही दरवाजे पर आकर रुका था। उसने ना चाहते हुए भी खुद को सोनू से अलग किया सोनू को लाली का यह व्यवहार थोड़ा अटपटा लगा। उसे उसके अरमानों पर थोड़ी चोट लगी। परंतु वह इशारा पाकर अलग हो गया। उसके लंड में भरपूर तनाव आ चुका था आज लाली दीदी का यह आलिंगन उसके जीवन का सबसे कामुक आलिंगन था परंतु लाली के इस तरह हटने से सोनू थोड़ा दुखी हो गया था।

लाली से अलग होने के पश्चात उसने अपने तने हुए लंड को अपने पैंट में सीधा किया परंतु वह अपनी इस क्रिया को लाली की नजरों से न बचा पाया लाली मुस्कुराते हुए दरवाजे के बाहर आ गई।

रिक्शे पर राजेश एक बड़ा सा कार्टून लिए नीचे उतर रहा था।

हॉल में खड़ा सोनू दरवाजे पर खड़ी लाली को देख रहा था बाहर से आ रही रोशनी लाली के पैरों के बीच से छन छन कर बाहर आ रही थी जिसकी वजह से लाली का पूरा बदन और उसके उभार स्पष्ट दिखाई पड़ रहे थे एक एक्सरे फिल्म की तरह। नाइटी और शरीर एक दूसरे से पूरी तरह अलग हो चुके थे। कायनात ने लाली के कामुक बदन को सोनू की आंखों के सामने परोस दिया था। सोनू अपनी उत्तेजना में खोया हुआ था तभी लाली ने पीछे मुड़कर कहा

"सोनू बाबू अपना जीजा जी के मदद करो"

सोनू अपनी कामुक सोच (जो लाली के नितंबों का आकार नाप रही थी) से निकला और दरवाजे पर खड़ी लाली से सटते हुए बाहर आ गया।

सोनू को देख कर राजेश आश्चर्यचकित था। सोनू भाग कर राजेश के पास पहुंचा उसके चरण छूने की कोशिश की परंतु राजेश ने उसके कंधे पकड़ लिए और अपने आलिंगन में ले लिया यह आलिंगन सोनू को राजेश के दोस्त होने का एहसास दिला रहा था।

"इसमें क्या है जीजा जी"

"पहले उठाओ तो, घर चल कर दिखाते हैं"

राजेश और सोनू उस बड़े से डिब्बे को उठाए हुए कमरे की तरफ आ रहे थे लाली के मन में कौतूहल कायम था वह खुशी से उछल रही थी। इस गहमा गहमी को सुनकर लाली का पुत्र राजू और पुत्री रीमा भी हाल में आकर उस अनजानी चीज का इंतजार कर रहे थे।

कार्टून के डिब्बे का आकार लाली के आश्चर्य को कायम किये हुए था।

कार्टून के डिब्बे को चौकी पर रखकर राजेश उसे खोलने लगा उसके व्यग्र हाथों ने पैकिंग टेप को उसी प्रकार चीरते हुए अलग कर दिया जैसे वह कभी कभी संभोग के लिए आतुर होकर लाली के वस्त्र हटाया करता था।

डिब्बे के अंदर टीवी देख कर लाली खुशी से उछलने लगी उसने आनन-फानन में राजेश को गले से लगा लिया एक पल के लिए वह या भूल गयी थी कि सोनू उसी हाल में उसके पीछे ही खड़ा है।

एक साथ आई खुशियां इंसान को बेसुध कर देती हैं उसे आसपास का एहसास कुछ समय के लिए खत्म हो जाता है यही हाल लाली का था वह राजेश से पूरी तरह लिपट गई। यह आलिंगन पति पत्नी के कामुक आलिंगन की भांति था। परंतु राजेश सोनू को देख रहा था उसने लाली को खुद से अलग न किया अपितु उसे आलिंगन में लिए हुए उसकी पीठ सहलाने लगा। जाने राजेश ने अपने मन में इतनी हिम्मत कहां से लाई, उसके हाथ लाली के नितंबों तक पहुंचे और उसने सोनू के सामने ही लाली के नितंबों को अपनी हथेलियों से दबा दिया। लाली को अब जाकर एहसास हुआ और वह राजेश से अलग हो गई। परंतु लाली और राजेश की यह कामुक क्रिया सोनू के मन पर एक अमिट छाप छोड़ गयी।

सिर्फ एक नाइटी का आवरण लिए लाली की गदराई जवानी सोनू की आंखों के सामने घूम रही थी। राजेश द्वारा उसके नितंबों को इस प्रकार दबाना सोनू को उत्तेजक और कामुक लगा उसके लंड में एक बार फिर तनाव आ गया।

"अच्छा हटो पहले टीवी निकाल लेने तो दो" राजेश ने लाली को अलग करते हुए कहा।

टीवी कार्टून से बाहर आ चुका था। लाली को अब अपनी नग्नता का एहसास हो रहा था वह अब राजेश और सोनू की उपस्थिति में बिना ब्रा और पेंटी के नहीं रहना चाह रही थी। वह अपने कमरे में जाकर पहनने के लिए ब्रा और पेंटी निकालने लगी तभी राजेश ने आवाज दी एक गिलास पानी तो पिलाओ।

लाली उल्टे पैर वापस आ गई और राजेश के लिए पानी निकालने लगी। पानी पीकर राजेश टीवी लगाने के लिए अंदर कमरे में आ गया और पीछे पीछे सोनू भी कुछ ही देर में टीवी लगाने की प्रक्रिया चालू हो गई। लाली को ब्रा और पैंटी पहने का कोई मौका ही नहीं प्राप्त हो रहा था।

यह टीवी एक ब्लैक एंड व्हाइट टीवी था जिसका एंटीना छत पर लगाया जाना था राजेश ने टीवी का एंटीना लिया और लोहे की सीढ़ियां चढ़ता हुआ छत पर जा पहुंचा। उसने छत पर निकली हुई सरियों की मदद से उस एंटीने को बांधा और तार नीचे गिराया जिसे सोनू ने खिड़की के अंदर लेते हुए टीवी के पास ला दिया।

राजेश छत से नीचे आया और उसने टीवी का तार जोड़ कर उसे ऑन किया दोनों ही बच्चे बिस्तर पर बैठे टीवी को जादू का पिटारा समझ कर देख रहे थे। टीवी ऑन होते ही स्क्रीन पर काले और सफेद बिंदुआने लगे राजेश खुश हो गया और सोनू से कहा

"मैं ऊपर जा रहा हूं जब स्क्रीन पर कुछ आएगा तो बताना"

राजेश के ऊपर जाने के बाद लाली सोनू के बगल में खड़े होकर टीवी को बड़े ध्यान से देख रही थी। जब तक राजेश टीवी की ट्यूनिंग करता लाली थाली में सिंदूर और दीया लेकर आ गई और टीवी पर स्वास्तिक का निशान बनाने लगी। इस दौरान लाली झुकी हुई थी और उसके उभरे हुए नितम्ब सोनू की आंखों के ठीक सामने थे। वह उसके नितंबों की गोलाईयों में खो गया। लाली ने आज सोनू को बेहद उत्तेजित कर दिया था। एक पल के लिए सोनू के मन में आया कि वह लाली के नितंबों को उसी प्रकार अपनी हथेलियों से मसल दे जिस प्रकार राजेश ने अब से कुछ देर पहले मसला था।

जैसे ही लाली ने टीवी को दिया दिखाना शुरू किया टीवी पर फिल्म आने लगी यह एक संयोग ही था की स्क्रीन पर एकदंत विनायक की फोटो आ रही थी।

सोनू के कहने से पहले ही राजू ने चिल्लाया पापा आ गया सोनू ने भी लाली के नितंबों से अपना ध्यान हटाया और जोर से बोलो

"जीजा जी आ गया"

राजेश ने ऊपर से ही पूछा

"एकदम साफ है कि अभी भी बिंदी बिंदी आ रहा है"

"नहीं जीजा जी एकदम साफ है आप नीचे आ जाइए"

यह एक संयोग ही था कि राजेश ने एक ही बार में टीवी एंटीना की दिशा बिल्कुल सही कर दी थी वह भागता हुआ कमरे में आया और टीवी स्क्रीन पर चल रहे गणेश वंदना को सुनकर अभीभूत होने लगा।

एक पल के लिए उसके मन में यह गुमान आया जैसे उसने ही उस टीवी का आविष्कार किया था। घर में उपस्थित सभी सदस्यों का ध्यान टीवी की तरफ ही था परंतु सोनू का ध्यान रह-रहकर लाली की तरफ ही जा रहा था। सोनू अपने हॉस्टल में कई बार टीवी देख चुका था वह साक्षात अपनी नायिका लाली दीदी और उसकी कामुकता का आनंद ले रहा था।

टीवी पर फिल्म एक फूल दो माली शुरू हो चुकी शुरू हो चुकी थी।

राजेश ने कहा खाना यहीं बिस्तर पर खा लेते हैं।

ठीक है मैं लेकर आती हूं।

लाली का ध्यान अब भी टीवी पर ही लगा था वह अपनी नग्नता भूल कर रसोई से जाकर खाना और बर्तन लाने लगी सोनू भी उसकी मदद करने रसोई में आ गया इधर राजेश बिस्तर पर चादर बिछा कर खाने का इंतजार करने लगा। लाली बिना ब्रा और पेंटी पहने कमरे में इधर से उधर आ जा रही थी और सोनू का ध्यान बार बार उसकी चुचियों और नितंबों पर जा रहा था कभी रोशनी से उसकी जाँघे स्पष्ट दिखाई पड़ती परंतु लाली अपने ही उन्माद में खोई हुई थी।

खानपान खत्म होते ही लाली लाली ने बर्तन वापस पहुंचाया और वापस कमरे में आ गई।

कमरे में रोशनी कम थी। खिड़कियों को भी राजेश ने बंद करा दिया था शायद उसे अंधेरे में टीवी देखना ज्यादा आनंददायक लग रहा था।

राजेश और सोनू दोनों दीवाल पर अपनी पीठ टिकाए बिस्तर पर बैठकर टीवी देख रहे थे दोनों बच्चे भी कौतूहल बस टीवी पर चल रहे फिल्म को देखकर कभी अचंभित होते हैं कभी उन्हें वह सब बेमानी लगता। रीमा तो बिल्कुल छोटी थी वह सब की खुशियों में शामिल हो रही थी पर शायद उसे इस टीवी की अहमियत बहुत ज्यादा समझ में नहीं आ रही थी।

लाली के कमरे का बिस्तर पीछे और साइड से दीवार से सटा हुआ था सबसे कोने में राजू की जगह थी उसके पश्चात रीमा फिर लाली और आखिरी में राजेश सोया करता था परंतु आज टीवी देखते समय राजेश लाली की जगह पर लेटा हुआ था और राजेश की जगह पर सोनू अपनी पीठ दीवार में सटाए टीवी देख रहा था।

लाली की आने के पश्चात सोनू अकस्मात ही उठ खड़ा हुआ और लाली से कहा

"दीदी आ जाइए बहुत अच्छी पिक्चर है।"

"तू कहां जा रहा है उधर खिसक"

"मैं बाथरूम से आता हूं"

"ठीक है" लाली बिस्तर पर आ चुकी थी वह स्वाभाविक रूप से सरकती हुई राजेश के बिल्कुल करीब आ चुकी थी. जब तक सोनू बाथरूम से लौटकर आता उसने राजेश के गालों पर चुंबन देकर अपनी खुशी और धन्यवाद दोनों ही प्रदान कर दिए थे. जब तक कि उसकी हथेलियां राजेश के लंड को सहला पातीं सोनू कमरे में दाखिल हो चुका था। लाली ने उसके लिए जगह बनाते हुए कहा...

"आजा सोनू"

मौसम थोड़ा सर्द था शुरुआती ठंड पड़ रही थी बिस्तर पर पड़ा हुआ पतला लिहाफ राजेश ने बच्चों को ओढादिया था और एक दूसरा लिहाफ खुद के और लाली के शरीर पर डाल लिया था। लाली ने लिहाफ खींचकर अपनी तरफ किया और उसे सोनू के पैरों पर भी डाल दिया।

कुछ ही देर में सोनू लाली के परिवार का अंग हो चुका था। लाली का पूरा परिवार उस बिस्तर पर बड़ी आसानी से समा जाता था और आज उस पर सोनू के लिए भी जगह बन गई थी। राजेश और सोनू अपनी पीठ दीवाल से सटाये टीवी देख रहे थे। लाली ने भी अपनी पीठ दीवाल से सटा ली थी परंतु उसने तकिया का सहारा लिया हुआ था।

टीवी पर चल रही फिल्म एक फूल दो माली धीरे-धीरे अपनी कहानी पकड़ रही थी जैसे जैसे किरदारों के बीच नजदीकियां बढ़ रही थी वैसे वैसे लाली का मन एकाग्र होता गया । वह मन मैन ही मन खुद को उस नायिका से जोड़ रही थी जिसके अगल बगल दो युवक लेटे हुए थे तथा उसके कामुक और भरे हुए शरीर का आनंद लेना चाहते थे।

लाली एक बार फिर उत्तेजना के आगोश में आ रही थी। लाली ही क्या राजेश और सोनू की स्थिति भी कमोवेश वही थी कमरे में अंधेरा होने की वजह से और टीवी पर ध्यान लगाए रहने की वजह से राजेश और सोनू दोनों को कभी-कभी एक दूसरे की उपस्थिति का एहसास नहीं हो रहा था।

अचानक राजेश ने लाली की नाइटी को ऊपर खींचना शुरू कर दिया जो धीरे-धीरे उसकी जांघों तक आ गयी। उत्तेजना बस लाली ने राजेश को मना नहीं किया परंतु नाइटी के अपनी जांघों के जोड़ पर आते ही उसे अपनी नंगी बुर का एहसास हुआ और उसने राजेश के हाथ वहीं पर रोक दिए।

कुछ देर यथास्थिति कायम रही पर राजेश कहां मानने वाला था वह तो आज टीवी दिखा दिखा कर अपनी प्यारी बीवी लाली को खूब चोदना चाहता था परंतु सोनू की अकस्मात उपस्थिति ने उसके अरमानों पर पानी डाल दिया था। राजेश ने लाली का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया और लाली अपने हाथों से उसे हल्का-हल्का सहलाने लगी।

वर्तमान स्थिति में लाली का यह स्पर्श भी राजेश के लिए काफी था। उधर सोनू अपने बगल में सोई हुई अपनी ख्वाबों की मलिका के बारे में सोच सोच कर उत्तेजित हुए चले जा रहा था। टीवी पर थिरक रही नायिका उसे अपनी वाली दीदी ही दिखाई पड़ रही थी

 

pprsprs0

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लाली आज सुबह से ही बेहद प्रसन्न थी आज राजेश उसके लिए एक अनोखा उपहार लाने वाला था उसे उपहार क्या है उसे इसकी जानकारी तो नहीं थी परंतु राजेश के उत्साह को देखकर लगता था निश्चय ही वह उपहार महत्वपूर्ण होगा।

वह राजेश के साथ दो-तीन दिनों पहले बितायी गई रात को याद करने लगी जब उसे अपनी बाहों में लिए राजेश ने सोनू की बात छेड़ दी.

"तुम्हें सोनू की याद नहीं आती है?"

"क्यों नहीं आती, जब भी आता है दीदी दीदी की रहता है"

"तो उसे हर छुट्टी के दिन बुला क्यों नहीं लेती. घर का खाना पीना मिल जाएगा तो उसका भी मन चंगा हो जाएगा।"

"आप ही जाकर बोलिएगा मुझे तो शर्म आती है"

राजेश ने लाली की चूचियां सहलाते हुए कहा

"भाई से कैसी शर्म"

"और जो उसने पिछली बार जो करतूत की थी उसका क्या?"

" यह तो आप ही बता सकती हो कि उसने ऐसा क्यों किया होगा"

लाली की आंखों के सामने उस दिन का सारा घटनाक्रम घूम गया सच सोनू को इस कार्य के लिए उत्तेजित करने का श्रेय लाली को ही था जिसमें सोनू जैसे किशोर की आंखों के सामने अपने कामुक बदन को परोस दिया था। और उसे अपनी पेंटी में वीर्य भरने को प्रेरित कर दिया था।

राजेश और लाली एक दूसरे सटते चले जा रहे थे राजेश का लंड लाली की नाभि में चुभने लगा था।

अपने लंड पर ध्यान जाते ही राजेश ने लाली को एक बार फिर छेड़ा..

"सोनू का देखी थी क्या…"

"क्या?" लाली ने अपने चेहरे को राजेश से दूर करते हुए पूछा।

राजेश ने प्रत्युत्तर में लाली के चेहरे को वापस अपने समीप खींच लिया और अपने लंड का दबाव बढ़ाते हुए धीरे से बोला...

"ये "

लाली शर्म से सिमट गई और बोली

"छी"

अब तक उसकी कोमल चुचियाँ राजेश के हाथों में आ चुकी थीं। धीरे-धीरे राजेश लाली के ऊपर आ रहा और था और लाली की जाँघे फैल रही थीं।

बिस्तर पर हलचल बढ़ रही थी। राजेश अपने मन में सुगना की मदमस्त जवानी को याद करते हुए लाली को चोद रहा था उधर राजेश की बातों से उत्तेजित हो चुकी लाली अपने छोटे भाई सोनू को याद कर रही थी।

वासना उफान पर थी और लाली की जाघें तन रही थी वह अपनी भावनाओं पर काबू न रख पायी और स्खलित होते हुए बुदबुदाने लगी..

"सोनू बाबू...हां एसे ही …..हा और जोर से"

राजेश लाली के मुंह से यह उद्गार सुन राजेश बेचैन हो गया और पूरी गति से उसे चोदने लगा अंत में उसने लाली का साथ देते हुए खुला

" दीदी अब ठीक बानू"

लाली को अब जाकर हकीकत का एहसास हुआ उसने अपने दोनों हाथ से अपने चेहरे को ढक लिया परंतु अपनी जांघें फैला कर स्खलन का आनंद लेने लगी।

राजेश अपनी बीवी का यह रूप देख कर पूरी तरह उत्तेजित हो गया और उसकी बुर की मखमली गहराइयों को अपने वीर्य से सिंचित करने लगा।

वासना का उफान थमते ही राजेश ने लाली को चुमते हुए बोला

"एक बार सोनू को अपना लो वह भी अब तरस रहा होगा।"

लाली ने अपनी कजरारी आंखें तरेरते हुए बोला "ठीक है जब आप रहेंगे तभी" पर अपना वाक्य पूरा करते-करते शर्म को न छुपा पायी।

"अरे मेरी जान तब तो आनंद ही आ जाएगा…"

रीमा के रोने की आवाज सुनकर लाली और राजेश का प्रेम आलाप संपन्न हुआ।

और आज कुकर की सीटी बजने से लाली अपनी मीठी यादों से बाहर आयी और उसके होठों पर मुस्कुराहट दौड़ गई।

समय तेजी से बीत रहा था। राजेश के आने का वक्त हो रहा था लाली ने स्नान किया और अपने कमरे में आकर सजने संवरने लगी।

अपने नंगे जिस्म को शीशे में देखकर एक बार लाली फिर कामुक हो उठी वह कभी अपनी चुचियाँ आगे कर कभी नितंबों को पीछे कर खुद की खूबसूरती को निहारने लगी।

अलमारी से ब्रा और पेंटी निकालते समय उसे वही पेंटी दिखाई पड़ गई जिस पर उसके भाई सोनू ने अपना वीर्य भरा था। लाली के होठों पर मुस्कान आ गई।

क्या सच में वह सोनू को अपनाएगी।

क्या अपने नंगे जिस्म को को सोनू को छूने देगी क्या वह सोनू के साथ एक ही बिस्तर पर नग्न होकर…..आह…..और …… उसके आगे आप वह सोच भी नहीं पा रही थी। उसकी नंगी जांघों के बीच उस अद्भुत गुफा पर मदन रस झांकने लगा।

उसने ब्रा और पेंटी पहनने का निर्णय त्याग दिया वैसे भी राजेश के आने के पश्चात सबसे पहले उन्हें ही लाली का साथ छोड़ना था वह बेसब्री से राजेश का इंतजार करने लगी वह मन ही मन संभोग के लिए आतुर हो उठी थी।

तभी…

दरवाजे पर ठक ठक की आवाज हुयी। लाली बेहद खुश हो गई उसकी उसकी मखमली बुर में गीलापन अब भी कायम था। राजेश के आने की आहट से वह मुस्कुराती हुई अपनी फ्रंट ओपन नाइटी को लपेट कर दरवाजा खोलने लगी…

दरवाजे पर सोनू खड़ा था… …..

वह उसे देखकर अवाक रह गई।

"अरे सोनू बाबू अंदर आ जा"

सोनू ने घर की दहलीज पार की और तुरंत ही अपनी लाली दीदी के चरण छुए. चरण छूने के पश्चात जैसे-जैसे सोनू उठता गया लाली के खूबसूरत पैर गदराई जांघें आकर्षक कमर और भरी-भरी चूचियां उसकी निगाहों में अपने अस्तित्व का एहसास करातीं गई। लाली स्वयं भी उत्तेजित थी।

हमेशा की तरह लाली और सोनू एक दूसरे के गले लग गए। यह पहला अवसर था जब लाली कि लगभग नंगी चुचियों ने सोनू का स्वागत किया और उसके उभरे हुए निप्पलों के सोनू के सीने में चुभ कर अपने अस्तित्व का एहसास दिलाया।

सोनू ने लाली को अपनी बाहों में भर लिया आज का यह आलिंगन निश्चय ही अलग था। आज सोनू के हाथ लाली की पीठ पर घूम रहे थे। जब तक सोनू अपने हाथों को लाली की कमर तक ले जाता बाहर रिक्शा आने की आहट हुई।

लाली ने रिक्शे की आवाज को पहचान कर यह महसूस कर लिया कि वह रिक्शा उसके ही दरवाजे पर आकर रुका था। उसने ना चाहते हुए भी खुद को सोनू से अलग किया सोनू को लाली का यह व्यवहार थोड़ा अटपटा लगा। उसे उसके अरमानों पर थोड़ी चोट लगी। परंतु वह इशारा पाकर अलग हो गया। उसके लंड में भरपूर तनाव आ चुका था आज लाली दीदी का यह आलिंगन उसके जीवन का सबसे कामुक आलिंगन था परंतु लाली के इस तरह हटने से सोनू थोड़ा दुखी हो गया था।

लाली से अलग होने के पश्चात उसने अपने तने हुए लंड को अपने पैंट में सीधा किया परंतु वह अपनी इस क्रिया को लाली की नजरों से न बचा पाया लाली मुस्कुराते हुए दरवाजे के बाहर आ गई।

रिक्शे पर राजेश एक बड़ा सा कार्टून लिए नीचे उतर रहा था।

हॉल में खड़ा सोनू दरवाजे पर खड़ी लाली को देख रहा था बाहर से आ रही रोशनी लाली के पैरों के बीच से छन छन कर बाहर आ रही थी जिसकी वजह से लाली का पूरा बदन और उसके उभार स्पष्ट दिखाई पड़ रहे थे एक एक्सरे फिल्म की तरह। नाइटी और शरीर एक दूसरे से पूरी तरह अलग हो चुके थे। कायनात ने लाली के कामुक बदन को सोनू की आंखों के सामने परोस दिया था। सोनू अपनी उत्तेजना में खोया हुआ था तभी लाली ने पीछे मुड़कर कहा

"सोनू बाबू अपना जीजा जी के मदद करो"

सोनू अपनी कामुक सोच (जो लाली के नितंबों का आकार नाप रही थी) से निकला और दरवाजे पर खड़ी लाली से सटते हुए बाहर आ गया।

सोनू को देख कर राजेश आश्चर्यचकित था। सोनू भाग कर राजेश के पास पहुंचा उसके चरण छूने की कोशिश की परंतु राजेश ने उसके कंधे पकड़ लिए और अपने आलिंगन में ले लिया यह आलिंगन सोनू को राजेश के दोस्त होने का एहसास दिला रहा था।

"इसमें क्या है जीजा जी"

"पहले उठाओ तो, घर चल कर दिखाते हैं"

राजेश और सोनू उस बड़े से डिब्बे को उठाए हुए कमरे की तरफ आ रहे थे लाली के मन में कौतूहल कायम था वह खुशी से उछल रही थी। इस गहमा गहमी को सुनकर लाली का पुत्र राजू और पुत्री रीमा भी हाल में आकर उस अनजानी चीज का इंतजार कर रहे थे।

कार्टून के डिब्बे का आकार लाली के आश्चर्य को कायम किये हुए था।

कार्टून के डिब्बे को चौकी पर रखकर राजेश उसे खोलने लगा उसके व्यग्र हाथों ने पैकिंग टेप को उसी प्रकार चीरते हुए अलग कर दिया जैसे वह कभी कभी संभोग के लिए आतुर होकर लाली के वस्त्र हटाया करता था।

डिब्बे के अंदर टीवी देख कर लाली खुशी से उछलने लगी उसने आनन-फानन में राजेश को गले से लगा लिया एक पल के लिए वह या भूल गयी थी कि सोनू उसी हाल में उसके पीछे ही खड़ा है।

एक साथ आई खुशियां इंसान को बेसुध कर देती हैं उसे आसपास का एहसास कुछ समय के लिए खत्म हो जाता है यही हाल लाली का था वह राजेश से पूरी तरह लिपट गई। यह आलिंगन पति पत्नी के कामुक आलिंगन की भांति था। परंतु राजेश सोनू को देख रहा था उसने लाली को खुद से अलग न किया अपितु उसे आलिंगन में लिए हुए उसकी पीठ सहलाने लगा। जाने राजेश ने अपने मन में इतनी हिम्मत कहां से लाई, उसके हाथ लाली के नितंबों तक पहुंचे और उसने सोनू के सामने ही लाली के नितंबों को अपनी हथेलियों से दबा दिया। लाली को अब जाकर एहसास हुआ और वह राजेश से अलग हो गई। परंतु लाली और राजेश की यह कामुक क्रिया सोनू के मन पर एक अमिट छाप छोड़ गयी।

सिर्फ एक नाइटी का आवरण लिए लाली की गदराई जवानी सोनू की आंखों के सामने घूम रही थी। राजेश द्वारा उसके नितंबों को इस प्रकार दबाना सोनू को उत्तेजक और कामुक लगा उसके लंड में एक बार फिर तनाव आ गया।

"अच्छा हटो पहले टीवी निकाल लेने तो दो" राजेश ने लाली को अलग करते हुए कहा।

टीवी कार्टून से बाहर आ चुका था। लाली को अब अपनी नग्नता का एहसास हो रहा था वह अब राजेश और सोनू की उपस्थिति में बिना ब्रा और पेंटी के नहीं रहना चाह रही थी। वह अपने कमरे में जाकर पहनने के लिए ब्रा और पेंटी निकालने लगी तभी राजेश ने आवाज दी एक गिलास पानी तो पिलाओ।

लाली उल्टे पैर वापस आ गई और राजेश के लिए पानी निकालने लगी। पानी पीकर राजेश टीवी लगाने के लिए अंदर कमरे में आ गया और पीछे पीछे सोनू भी कुछ ही देर में टीवी लगाने की प्रक्रिया चालू हो गई। लाली को ब्रा और पैंटी पहने का कोई मौका ही नहीं प्राप्त हो रहा था।

यह टीवी एक ब्लैक एंड व्हाइट टीवी था जिसका एंटीना छत पर लगाया जाना था राजेश ने टीवी का एंटीना लिया और लोहे की सीढ़ियां चढ़ता हुआ छत पर जा पहुंचा। उसने छत पर निकली हुई सरियों की मदद से उस एंटीने को बांधा और तार नीचे गिराया जिसे सोनू ने खिड़की के अंदर लेते हुए टीवी के पास ला दिया।

राजेश छत से नीचे आया और उसने टीवी का तार जोड़ कर उसे ऑन किया दोनों ही बच्चे बिस्तर पर बैठे टीवी को जादू का पिटारा समझ कर देख रहे थे। टीवी ऑन होते ही स्क्रीन पर काले और सफेद बिंदुआने लगे राजेश खुश हो गया और सोनू से कहा

"मैं ऊपर जा रहा हूं जब स्क्रीन पर कुछ आएगा तो बताना"

राजेश के ऊपर जाने के बाद लाली सोनू के बगल में खड़े होकर टीवी को बड़े ध्यान से देख रही थी। जब तक राजेश टीवी की ट्यूनिंग करता लाली थाली में सिंदूर और दीया लेकर आ गई और टीवी पर स्वास्तिक का निशान बनाने लगी। इस दौरान लाली झुकी हुई थी और उसके उभरे हुए नितम्ब सोनू की आंखों के ठीक सामने थे। वह उसके नितंबों की गोलाईयों में खो गया। लाली ने आज सोनू को बेहद उत्तेजित कर दिया था। एक पल के लिए सोनू के मन में आया कि वह लाली के नितंबों को उसी प्रकार अपनी हथेलियों से मसल दे जिस प्रकार राजेश ने अब से कुछ देर पहले मसला था।

जैसे ही लाली ने टीवी को दिया दिखाना शुरू किया टीवी पर फिल्म आने लगी यह एक संयोग ही था की स्क्रीन पर एकदंत विनायक की फोटो आ रही थी।

सोनू के कहने से पहले ही राजू ने चिल्लाया पापा आ गया सोनू ने भी लाली के नितंबों से अपना ध्यान हटाया और जोर से बोलो

"जीजा जी आ गया"

राजेश ने ऊपर से ही पूछा

"एकदम साफ है कि अभी भी बिंदी बिंदी आ रहा है"

"नहीं जीजा जी एकदम साफ है आप नीचे आ जाइए"

यह एक संयोग ही था कि राजेश ने एक ही बार में टीवी एंटीना की दिशा बिल्कुल सही कर दी थी वह भागता हुआ कमरे में आया और टीवी स्क्रीन पर चल रहे गणेश वंदना को सुनकर अभीभूत होने लगा।

एक पल के लिए उसके मन में यह गुमान आया जैसे उसने ही उस टीवी का आविष्कार किया था। घर में उपस्थित सभी सदस्यों का ध्यान टीवी की तरफ ही था परंतु सोनू का ध्यान रह-रहकर लाली की तरफ ही जा रहा था। सोनू अपने हॉस्टल में कई बार टीवी देख चुका था वह साक्षात अपनी नायिका लाली दीदी और उसकी कामुकता का आनंद ले रहा था।

टीवी पर फिल्म एक फूल दो माली शुरू हो चुकी शुरू हो चुकी थी।

राजेश ने कहा खाना यहीं बिस्तर पर खा लेते हैं।

ठीक है मैं लेकर आती हूं।

लाली का ध्यान अब भी टीवी पर ही लगा था वह अपनी नग्नता भूल कर रसोई से जाकर खाना और बर्तन लाने लगी सोनू भी उसकी मदद करने रसोई में आ गया इधर राजेश बिस्तर पर चादर बिछा कर खाने का इंतजार करने लगा। लाली बिना ब्रा और पेंटी पहने कमरे में इधर से उधर आ जा रही थी और सोनू का ध्यान बार बार उसकी चुचियों और नितंबों पर जा रहा था कभी रोशनी से उसकी जाँघे स्पष्ट दिखाई पड़ती परंतु लाली अपने ही उन्माद में खोई हुई थी।

खानपान खत्म होते ही लाली लाली ने बर्तन वापस पहुंचाया और वापस कमरे में आ गई।

कमरे में रोशनी कम थी। खिड़कियों को भी राजेश ने बंद करा दिया था शायद उसे अंधेरे में टीवी देखना ज्यादा आनंददायक लग रहा था।

राजेश और सोनू दोनों दीवाल पर अपनी पीठ टिकाए बिस्तर पर बैठकर टीवी देख रहे थे दोनों बच्चे भी कौतूहल बस टीवी पर चल रहे फिल्म को देखकर कभी अचंभित होते हैं कभी उन्हें वह सब बेमानी लगता। रीमा तो बिल्कुल छोटी थी वह सब की खुशियों में शामिल हो रही थी पर शायद उसे इस टीवी की अहमियत बहुत ज्यादा समझ में नहीं आ रही थी।

लाली के कमरे का बिस्तर पीछे और साइड से दीवार से सटा हुआ था सबसे कोने में राजू की जगह थी उसके पश्चात रीमा फिर लाली और आखिरी में राजेश सोया करता था परंतु आज टीवी देखते समय राजेश लाली की जगह पर लेटा हुआ था और राजेश की जगह पर सोनू अपनी पीठ दीवार में सटाए टीवी देख रहा था।

लाली की आने के पश्चात सोनू अकस्मात ही उठ खड़ा हुआ और लाली से कहा

"दीदी आ जाइए बहुत अच्छी पिक्चर है।"

"तू कहां जा रहा है उधर खिसक"

"मैं बाथरूम से आता हूं"

"ठीक है" लाली बिस्तर पर आ चुकी थी वह स्वाभाविक रूप से सरकती हुई राजेश के बिल्कुल करीब आ चुकी थी. जब तक सोनू बाथरूम से लौटकर आता उसने राजेश के गालों पर चुंबन देकर अपनी खुशी और धन्यवाद दोनों ही प्रदान कर दिए थे. जब तक कि उसकी हथेलियां राजेश के लंड को सहला पातीं सोनू कमरे में दाखिल हो चुका था। लाली ने उसके लिए जगह बनाते हुए कहा...

"आजा सोनू"

मौसम थोड़ा सर्द था शुरुआती ठंड पड़ रही थी बिस्तर पर पड़ा हुआ पतला लिहाफ राजेश ने बच्चों को ओढादिया था और एक दूसरा लिहाफ खुद के और लाली के शरीर पर डाल लिया था। लाली ने लिहाफ खींचकर अपनी तरफ किया और उसे सोनू के पैरों पर भी डाल दिया।

कुछ ही देर में सोनू लाली के परिवार का अंग हो चुका था। लाली का पूरा परिवार उस बिस्तर पर बड़ी आसानी से समा जाता था और आज उस पर सोनू के लिए भी जगह बन गई थी। राजेश और सोनू अपनी पीठ दीवाल से सटाये टीवी देख रहे थे। लाली ने भी अपनी पीठ दीवाल से सटा ली थी परंतु उसने तकिया का सहारा लिया हुआ था।

टीवी पर चल रही फिल्म एक फूल दो माली धीरे-धीरे अपनी कहानी पकड़ रही थी जैसे जैसे किरदारों के बीच नजदीकियां बढ़ रही थी वैसे वैसे लाली का मन एकाग्र होता गया । वह मन मैन ही मन खुद को उस नायिका से जोड़ रही थी जिसके अगल बगल दो युवक लेटे हुए थे तथा उसके कामुक और भरे हुए शरीर का आनंद लेना चाहते थे।

लाली एक बार फिर उत्तेजना के आगोश में आ रही थी। लाली ही क्या राजेश और सोनू की स्थिति भी कमोवेश वही थी कमरे में अंधेरा होने की वजह से और टीवी पर ध्यान लगाए रहने की वजह से राजेश और सोनू दोनों को कभी-कभी एक दूसरे की उपस्थिति का एहसास नहीं हो रहा था।

अचानक राजेश ने लाली की नाइटी को ऊपर खींचना शुरू कर दिया जो धीरे-धीरे उसकी जांघों तक आ गयी। उत्तेजना बस लाली ने राजेश को मना नहीं किया परंतु नाइटी के अपनी जांघों के जोड़ पर आते ही उसे अपनी नंगी बुर का एहसास हुआ और उसने राजेश के हाथ वहीं पर रोक दिए।

कुछ देर यथास्थिति कायम रही पर राजेश कहां मानने वाला था वह तो आज टीवी दिखा दिखा कर अपनी प्यारी बीवी लाली को खूब चोदना चाहता था परंतु सोनू की अकस्मात उपस्थिति ने उसके अरमानों पर पानी डाल दिया था। राजेश ने लाली का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया और लाली अपने हाथों से उसे हल्का-हल्का सहलाने लगी।

वर्तमान स्थिति में लाली का यह स्पर्श भी राजेश के लिए काफी था। उधर सोनू अपने बगल में सोई हुई अपनी ख्वाबों की मलिका के बारे में सोच सोच कर उत्तेजित हुए चले जा रहा था। टीवी पर थिरक रही नायिका उसे अपनी वाली दीदी ही दिखाई पड़ रही थी
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