• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

Lovely Anand

Love is life
1,319
6,460
144
आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
Smart-Select-20210324-171448-Chrome
भाग 126 (मध्यांतर)
 
Last edited:

Lovely Anand

Love is life
1,319
6,460
144
अचानक राजेश ने लाली की नाइटी को ऊपर खींचना शुरू कर दिया जो धीरे-धीरे उसकी जांघों तक आ गयी। उत्तेजना बस लाली ने राजेश को मना नहीं किया परंतु नाइटी के अपनी जांघों के जोड़ पर आते ही उसे अपनी नंगी बुर का एहसास हुआ और उसने राजेश के हाथ वहीं पर रोक दिए।

कुछ देर यथास्थिति कायम रही पर राजेश कहां मानने वाला था वह तो आज टीवी दिखा दिखा कर अपनी प्यारी बीवी लाली को खूब चोदना चाहता था परंतु सोनू की अकस्मात उपस्थिति ने उसके अरमानों पर पानी डाल दिया था। राजेश ने लाली का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया और लाली अपने हाथों से उसे हल्का-हल्का सहलाने लगी।

वर्तमान स्थिति में लाली का यह स्पर्श भी राजेश के लिए काफी था। उधर सोनू अपने बगल में सोई हुई अपनी ख्वाबों की मलिका के बारे में सोच सोच कर उत्तेजित हुए चले जा रहा था। टीवी पर थिरक रही नायिका उसे अपनी लाली दीदी ही दिखाई पड़ रही थी


अब आगे….

अपने तने हुए लंड को व्यवस्थित करने के लिए सोनू ने अपना दाहिना हाथ लिहाफ के अंदर किया और अपने लंड की तरफ ले गया पर इसी दौरान उसकी हथेलियों का पिछला भाग लाली की नग्न जांघों से छू गया सोनू को जैसे करंट सा लगा।

उसे यकीन ही नहीं हुआ कि उसने नारी शरीर का वह अनोखा भाग अपनी हथेलियों के पिछले भाग से छू लिया है। उसने अपने लंड को व्यवस्थित किया और वापस अपनी हथेलियां ऊपर करते समय एक बार फिर लाली की जांघों को छूने की कोशिश की। वह यह तसल्ली करना चाहता था कि क्या उसने सच लाली की नंगी जांघों को छुआ है या नाइटी के ऊपर से।

इस बार सोनू ने अपनी हथेलियों की दिशा मोड़ दी थी सोनू की हथेलियां एक बार फिर लाली की जांघों पर सट रही थी जब तक कि सोनू अपने हाथ हटा पाता लाली ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी जांघों से सटाये रखा।

लाली ने सोनू की चोरी पकड़ ली थी परंतु अब वह खुद उहाफोह में थी कि वह उसका हाथ हटाए या उसी जगह रखें रहे? लाली मन ही मन दुविधा में थी और उसी दुविधा में कुछ सेकेंड तक सोनू की हथेलियां लाली की नंगी जांघों से छू रहीं थी। धीरे-धीरे लाली का हाथ सोनू के हाथ से हट गया पर सोनू की हथेलियों ने लाली की जांघों को ना छोड़ा।

सोनू की सांसें तेज चल रही थीं। उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि लाली दीदी ने उसका हाथ क्यों पकड़ा और अब उन्होंने उसका हाथ क्यों छोड़ दिया था। जबकि वह अपने हाथ अभी भी उनकी जांघों से सटाये हुए था। सोनू ने अपनी हथेलियां थोड़ी ऊपर की परंतु उसने लाली की जांघों को न छोड़ा। 5कुछ ही देर में सोनू ने हिम्मत जुटाई और लाली की नंगी जांघों पर अपने हाथ फिराने लगा।

उधर लाली उत्तेजना में कॉप रही थी। उसने अकस्मात ही सोनू का हाथ अपनी जांघ पर महसूस कर न सिर्फ उसे पकड़ लिया था अपितु उसे उसी अवस्था में कुछ देर रखे रहा था। अब वह यह जान चुकी थी कि सोनू उसकी नंगी जांघों को सहलाना चाह रहा है उसने अपने हाथ हटा लिए परंतु सोनू की हथेलियों का स्पर्श उसे अब भी प्राप्त हो रहा था। लाली अपनी उत्तेजना को कायम रखते हुए सोनू के स्पर्श का आनंद लेने लगी ।

तभी लाली को अपनी दूसरी जांघ पर राजेश की हथेलियों का स्पर्श प्राप्त हुआ। राजेश अपने लंड को सहलाने से उत्तेजित हो चुका था और वह लाली की मखमली जाँघों और उसके बीच छुपी हुई बूर को अपनी उंगलियों से सहलाना चाह रहा था। लाली मन ही मन इस उत्तेजक घड़ी का आनंद लेने लगी परंतु उसे पता था यह ज्यादा देर नहीं चल पाएगा। सोनू भी धीरे-धीरे व्यग्र हो रहा था उसकी हथेलियां उसके वस्ति प्रदेश की तरफ बढ़ रहीं थीं। हर कुछ पलों के बाद सोनू की हथेलियां अपने लक्ष्य के बिल्कुल करीब थीं।

जीजा और साले के बीच लक्ष्य तक पहुंचने की होड़ सी लग गई थी। कमरे में पूरी तरह शांति थी सिर्फ टीवी की आवाज ही कमरे में गूंज रही थी। सभी की आंखें टीवी पर लगी हुई थीं और हाथ अपने-अपने हरकतों में व्यस्त थे। लाली अपने हाथ से राजेश का लंड सहला रही थी परंतु सोनू का लंड छुने की उसकी हिम्मत नहीं थी। वह खुद से अपनी व्यग्रता और इच्छा को सोनू पर हावी नहीं करना चाहती थी। धीरे धीरे राजेश और सोनू की हथेलियों उसकी मखमली बुर की तरफ बढ़ रहीं थीं।

अचानक लाली में राजेश का हाथ पकड़ कर उसे वापस अपनी जांघों पर रख दिया। जो अब ठीक उसकी बुर के ऊपर पहुंचने वाला था। राजेश लाली के इस व्यवहार से हतप्रभ था। आज पहली बार लाली ने उसे अपनी बुर छूने से रोक दिया था। उसने अपनी गर्दन घुमाई और लाली की तरफ देखा। परंतु लाली ने बड़े प्यार से अपनी आंखें बंद कर उसे प्यार से शांत कर दिया। राजेश को यह बात समझ में ना आयी परंतु वह अपने लंड को सहलाये जाने का आनंद लेने लगा जिसमें लाली में अपनी हथेलियों की गति बढ़ाकर नई ऊर्जा डाल दी थी।

सोनू की उंगलियां तेजी से लाली की बुर की तरफ बढ़ रही थीं। उस सुनहरी गुफा तक पहुंचने से पहले वह लाली की बुर के मखमली और मुलायम बालों से खेलने लगा। सोनू बेहद आनंदित हो रहा था। यह पहला अवसर था जब उसने किसी लड़की या युवती की बुर को इतने करीब से छुआ था। वह वासना में डूबा हुआ अपनी लाली दीदी की बुर के बिल्कुल समीप आ चुका था।

लाली से कोई प्रतिरोध न मिलने से उसका उत्साह बढ़ गया और अंततः उसकी उंगलियों में लाली की बुर् के होठों पर आए मदन रस को छू लिया। उस चिपचिपे द्रव्य को अपनी उंगलियों पर महसूस कर सोनू खुशी से पागल हो गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह आगे क्या करें। यह उसका पहला अनुभव था वह चाह रहा था कि अपनी उंगलियों को बाहर खींचे और जाकर अपनी इस खुशी का आनंद एकांत में उठाए उसने अपने हाथ बाहर खींचने की कोशिश की।

यही वह अवसर था जब लाली ने एक बार फिर उसकी कलाई पकड़ ली सोनू एक पल के लिए डर गया परंतु लाली ने उसका हाथ उसी अवस्था में कुछ देर तक पकड़े रहा। सोनू की खुशी का ठिकाना ना रहा। उसकी तर्जनी ने लाली के बुर् के दोनों होठों के बीच अपनी जगह बनानी शुरू कर दी। ऐसा लग रहा था जैसे सोनू लाली के मक्खन भरे मुंह में अपनी उंगलियां घुमा रहा हो। जैसे-जैसे सोनू की उंगलियां लाली के बुर के अंदर जाने लगी बुर की मखमली दीवारों में अपना प्रतिरोध दिखाना शुरू किया। मदन रस की फिसलन बुर की दीवारों के प्रतिरोध को कम कर रही थी परंतु सोनू की उंगलियों को उनका सुखद स्पर्श बेहद उत्तेजक लग रहा था। उसने अपनी उंगलियों को वापस निकाला और उंगलियों पर लगे मदन रस को दूसरी उंगलियों पर रगड़ कर उसकी चिकनाहट को महसूस किया।

अचानक उसे स्त्रियों की भग्नासा का ध्यान आया परंतु सोनू जैसे नौसिखिया के लिए लाली का भग्नासा खोज पाना इतना आसान न था वह अपनी उंगलियों को लाली की बुर के होठों पर इधर घुमाने लगा। उंगलियों का स्पर्श अपनी भग्नासा पर पढ़ते ही लाली ने अपनी हथेली से उसके हाथ को दबा दिया। लाली के इशारे से सोनू ने वह खूबसूरत जगह खोज ली। जब जब उसकी उंगलियां भगनासे से छूतीं लाली उसके हाथों को पकड़ लेती । कुछ ही देर में लाली की बुर की दोस्ती सोनू की उंगलियों से हो गयी। दोनों ही एक दूसरे का मर्म समझने लगे।

सोनू की उंगलियां लाली की बुर में जाते समय प्रेम रस चुराती और उसके भगनासा पर अर्पित कर देतीं। लाली अपनी दोनों जाँघे सिकोड़ रही थी और प्रेम रस को बाहर की तरफ धक्का देकर निकालने का प्रयास कर रही थी।

उधर वह राजेश के लंड को सहलाए जा रही थी। अब भी उसे सोनू के लंड को छूने की हिम्मत न थी परंतु वह इस उत्तेजना का आनंद ले रहे थी। जितनी उत्तेजना वह सोनू के स्पर्श से प्राप्त कर रही थी वह अपने पति राजेश के लंड को उसी तत्परता से सह लाए जा रही थी। राजेश भी अब पूरी तरह उत्तेजित हो चुका था।

लाली ने अचानक अपने दोनों पैर ऊपर की तरफ मोड़े और सोनू की उंगलियां छटक कर बाहर आ गयीं। सोनू के लिए शायद यह एक इशारा था और उसकी उंगलियों को लाली की बुर से बिछड़ने का इशारा मिल चुका था। सोनू का लंड खुद भी अब वीर्य स्खलन के लिए तैयार था।

अचानक ही सोनू बिस्तर से उठा और बोला

" मैं जा रहा हूं सोने मुझे नींद आ रही है "

राजेश ने कहा

"ठीक है सोनू आराम कर लो रात को फिर टीवी देखा जाएगा "

लाली की भी इच्छा यही थी वह राजेश से चुदना चाहती थी। उसने भी सोनू को न रोका और सोनू हॉल की तरफ बढ़ गया। परंतु जाते जाते उसने अपनी उंगलियां अपनी नाक की तरफ ले गया जिस पर लाली की बुर का प्रेम रस लिपटा हुआ था। वह अपनी अधीरता न छूपा पाया और इसे लाली ने बखूबी देख लिया वह सोनू की इस हरकत से बेहद उत्तेजित हो गयी। अपने ही भाई को अपनी बुर का रस सूंघते देख लाली सिहर गई।

राजेश बिस्तर से उठा और अपने कमरे का दरवाजा ताकत लगाकर बंद कर दिया उसे दरवाजा बंद करने की प्रैक्टिस थी अन्यथा उसे बंद करना लाली के बस का न था। दरवाजा बंद होने की स्पष्ट आहट से सोनू जान चुका कि आगे कमरे में क्या होने वाला है। वह दरवाजे के पास खड़ा होकर अंदर के दृश्यों की कल्पना करने लगा और अपने कानों को दरवाजे से सटाकर सुनने का प्रयास करने लगा।

राजू और रीमा सो चुके थे। कमरे में ठंड अब कम हो चुकी थी कई लोगों की उपस्थिति से कमरा वैसे भी कुछ गर्म हो चुका था और ऊपर से लाली और राजेश दोनों ही बेहद उत्तेजित थे। एक ही झटके में राजेश ने लिहाफ हटाया और लाली की नंगी जांघों को देखकर उस पर टूट पड़ा। बाहर खड़ा सोनू अंदर के दृश्य तो नहीं देख पा रहा था परंतु उसे उसका एहसास बखूबी था।

लाली की जाँघों और बुर के आसपास इतना ढेर सारा चिपचिपा पन देखकर राजेश से रहा न गया और उसने बोला

"अरे आज तक पूरा गर्म बाड़ू सोनू के देख कर गरमाइल बाडू का?"

राजेश ने लाली को छेड़ते हुए कहा।

"आप आइए अपना काम कीजिए" लाली ने अपनी दोनों जाँघे फैला दीं।

"अच्छा एक बात तो बताओ उस समय तुमने मेरा हाथ क्यों रोका था?"

लाली मुस्कुराई और बोली

"एक ही ट्रैक पर दो रेलगाड़ी गाड़ी कैसे चलती?"

राजेश यह बात सुनकर उतावला हो गया। जो लाली ने कहा था वह उसकी सोच से परे था। वह लाली को बेतहाशा चूमने लगा और बोला

"बताओ ना किसका हाथ था?"

"आपके साले का" जब तक लाली यह बात बोलती राजेश का लंड लाली की गर्म और चिपचिपी बुर में प्रवेश कर चुका था। और लाली अपनी आंखें बंद की संभोग का आनंद लेने लगी।

जैसे-जैसे राजेश का आवेग बढ़ता गया टीवी की आवाज पर बिस्तर की धमाचौकडी की आवाज भारी होती गयी जो सोनू के सतर्क कानों को बखूबी सुनाई पड़ रही थी। उस पर से लाली की कामुक आहे सोनू को और भी स्पष्ट सुनाई पड़ रही थीं।

जाने सोनू और लाली में कोई टेलीपैथी थी या कुछ और परंतु सोनू को लाली बेहद करीब नजर आ रही थी। वह अपने ख्यालों में हैं उसे चूम रहा था और अपनी हथेलियों से अपने लंड को लगातार आगे पीछे किये जा रहा था। अचानक लाइट चली गई और टीवी एकाएक बंद हो गया। कमरे में अचानक पूरी शांति हो गई परंतु राजेश और लाली अपनी चुदाई में पूरी तरह मस्त थे उन्हें सोनू का ध्यान ना आया।

कमरे में चल रही और जांघों के टकराने की थाप स्पष्ट सुनाई पड़ रही थी। सोनू से अब और न देखा गया उसकी हथेलियों की गति अचानक बढ़ गई और वीर्य की धारा फूट पड़ी।

स्खलित होते समय उसके कानों ने अचानक ही लाली की आवाज सुनी। सोनू ….आ…...ईई आह…. हां बाबू ऐसे हीं…….…...आ आ आ ए ….……….आईईईई "

सोनू ने जो सुना वह खुद पर यकीन न कर पाया। पर उसने अपनी हथेलियों से अपने लंड को मसलना जारी रखा वह वीर्य की अंतिम बूंद को भी अपनी वाली दीदी को समर्पित करता रहा जो उसकी लाली दीदी तक तो न पहुंच पायीं परंतु उसके दरवाजे पर गिरकर एक अनुपम कलाकृति बनाती रहीं।

सोनू थके हुए कदमों से हॉल में पड़ी चौकी पर जाकर लेट गया। अब वह कमरे के अंदर चल रही धमाचौकड़ी को और सुनना नहीं चाहता था। उसकी उत्तेजना चरम को प्राप्त हो चुकी थी वह कम से कम कुछ घंटों के लिए अपनी सांसो को नियंत्रित करते हुए बिस्तर पर लेट कर इस सुखद अहसास को आत्मसात कर रहा था।

उधर लाली की कामुक कराहें थम गई थीं। परंतु राजेश उसे अभी भी चोदे जा रहा था। लाली ने उसे उत्तेजित करते हुए कहा

"आप खुश हो ना?

"क्यों किस बात पर?"

अपनी मुनिया ( राजेश कभी-कभी लाली की बुर को मुनिया कहता था) को अपने साले से साझा कर...

राजेश को लाली की यह बात आग में घी जैसी प्रतीत हुयी। वह स्वयं भी उन्ही खयालों में डूबा हुआ था और लाली कि इस बात से उससे रहा न गया और उसने अपने लंड को लाली की बुर में पूरी गहराई तक डाल कर इस स्खलित होने लगा।

उत्तेजना का ज्वार जब शांत हुआ तब एक बार फिर राजेश ने पूछा।

"सोनू के भी छुवले रहलु हा"

"अब एक ही दिन में सब कुछ लुटा दी?"

राजेश ने लाली को आगोश में ले लिया और उसके होंठों को चूमते हुए बोला

"वह तुम्हारा भाई है तुम ही जानो उसका ख्याल कैसे रखोगे मुझे कुछ नहीं कहना है"

"और यदि उसने भी अपनी मलाई मेरे ऊपर गिरा दी तब तो मेरी मुनिया और चूँची आपके लिए पवित्र ना रहेगी और आपके होठों का स्पर्श उसे कैसे मिलेगा"

जब तुम और तुम्हारी मुनिया उसे अपना लेंगी तो फिर मैं भी अपना लूंगा आखिर तब वह अपने परिवार का ही हिस्सा हो जाएगा।

लाली ने राजेश की बात सुन तो ली परंतु उसने कोई प्रतिक्रिया ना दी। वह अपनी आंखें बंद कर राजेश को अपने नींद में होने का एहसास दिला रही थी राजेश भी पूरी तरह थक चुका था वह उसे आगोश में ले कर सो गया। परंतु राजेश ने लाली को सोनू के वीर्य को अपनाने के लिए अपनी रजामंदी दे दी थी।

लाली की अंतरात्मा मुस्कुरा रही थी। वह सोनू को अपनाने का मन बना चुकी थी…

आइए बहुत दिन हो गया सुगना के पति रतन का हालचाल ले लेते हैं आखिर इस कहानी में उसकी भूमिका भी अहम होगी।

सुगना के साथ होली मनाने के पश्चात रतन मुंबई पहुंच चुका था। हालांकि सुगना ने रतन को अब भी अपने शरीर पर हाथ लगाने नहीं दिया था परंतु फिर भी वह उससे बातें करने लगी थी। जितना प्यार वह सूरज से करता था सुगना उतनी ही आत्मीयता से उससे बातें करती थी ।

मुंबई पहुंचने के बाद रतन का मन नहीं लग रहा था अपनी पत्नी सुगना और उसके बच्चे सूरज का चेहरा उसके जेहन में बस गया था। कभी-कभी उसके मन में आता कि वह सब कुछ छोड़ कर वापस अपने गांव चला जाए परंतु यह इतना आसान नहीं था मुंबई में उसने अपनी गृहस्थी जमा ली थी।

बबीता से उसके संबंध धीरे-धीरे खराब हो रहे थे उसकी बड़ी बेटी मिंकी उसे बहुत प्यारी थी उसे ऐसा लगता था जैसे वह उसके और बबीता के प्रेम की निशानी थी परंतु छोटी बेटी चिंकी का जन्म अनायास ही हो गया था रतन और बबीता ने यह निर्धारित किया था कि वह परिवार नियोजन के साधनों का समुचित उपयोग करेंगे। वह दोनों ही दूसरी संतान के पक्षधर नहीं थे परंतु रतन के सावधानी बरतने के बावजूद बबीता गर्भवती हो गई अब राजेश को यकीन हो चला था कि निश्चय ही उसकी छोटी बेटी चिंकी बबीता और उसके मैनेजर के संबंधों की देन है। वह स्वाभाविक रूप से चिंकी को अपना पाने में असमर्थ था।

दो-तीन महीनों बाद दीपावली आने वाली थी इसी बीच सुगना का जन्मदिन आ रहा था रतन ने सुगना के लिए सुंदर साड़ियां लहंगा और चुन्नी तथा सूरज के लिए कपड़े और ढेर सारे खिलौने खरीदें और बड़े अरमानों के साथ उन्हें गत्ते के डिब्बे में बंद करने लगा। वह दीपावली से पहले सुगना को प्रभावित करना चाहता था उसने मन ही मन मुंबई छोड़ने का मन बना लिया था उसने सुगना को एक प्रेम पत्र भी लिखा जिसका मजमून इस प्रकार था।

मेरी प्यारी सुगना,

मैंने जो गलतियां की है वह क्षमा करने योग्य नहीं है फिर भी मैं तुमसे किए गए व्यवहार के प्रति दिल से क्षमा मांगता हूं तुम मेरी ब्याहता पत्नी हो यह बात समाज और गांव के सभी लोग जानते हैं मुझे यह भी पता है कि मुझसे नाराज होकर और अपने एकांकी जीवन को खुशहाल बनाने के लिए तुमने किसी अपरिचित से संभोग कर सूरज को जन्म दिया है मुझे इस बात से कोई आपत्ति नहीं है मैं सूरज को सहर्ष अपनाने के लिए तैयार हूं वैसे भी उसकी कोमल छवि मेरे दिलो दिमाग में बस गई है पिछले कुछ ही दिनों में वह मेरे बेहद करीब आ गया और मुझे अक्सर उसकी याद आती है।

मुझे पूरा विश्वास है की तुम मुझे माफ कर दोगी मैं तुम्हें पत्नी धर्म निभाने के लिए कभी नहीं कहूंगा पर तुम मुझे अपना दोस्त और साथी तो मान ही सकती हो।

मैंने मुंबई छोड़ने का मन बना लिया है बबीता से मेरे रिश्ते अब खात्मे की कगार पर है मैं उसे हमेशा के लिए छोड़कर गांव वापस आना चाहता हूं यदि तुम मुझे माफ कर दोगी तो निश्चय ही आने वाली दीपावली के बाद का जीवन हम साथ साथ बिताएंगे।

तुम्हारे उत्तर की प्रतीक्षा में।

रतन ने खत को लिफाफे में भरा और सुगना तथा सूरज के लिए लाई गई सामग्रियों के साथ उसको भी पार्सल कर दिया वह बेहद खुश था उसने आखिरकार अपने दिल की बात सुगना तक पहुंचा दी थी वह खुशी खुशी और उम्मीदें लिए सुगना के जवाब की प्रतीक्षा करने लगा।

उधर लाली के घर में शाम को चुकी थी।

दोपहर में लाली को कसकर चोदने के बाद राजेश उठ चुका था। उधर अपनी दीदी की बुर को सहला कर सोनू भी अद्भुत आनंद को प्राप्त कर चुका था । तृप्ति का अहसास तीनों युवा दिलों में था सब ने अपनी अपनी आकांक्षाएं कुछ हद तक पूरी कर ली थी। शाम को लाली ने अपने पति राजेश और प्यारे भाई सोनू को पकोड़े खिलाए और घुल मिलकर बातें करने लगी। उन तीनों के ऐसे व्यवहार से ऐसा लग ही नहीं रहा था जैसे दोपहर में उनके बीच की दूरियां अचानक ही घट गई थीं। सिर्फ सोनू अब भी अपनी आंखें झुकाये हुए था वह अभी भी शर्मा रहा था जबकि लाली उससे खुलकर बात कर रही थी लाली ने सोनू को छेड़ते हुए कहा..

"का सोनू बाबू मन नईखे लागत का?"

"नहीं दीदी आप लोगों के यहां अच्छा नहीं लगेगा तो फिर कहां लगेगा?" सोनू ने अपना जवाब सटीक तरीके से दे दिया था.

राजेश ने कहा

"भाई मुझे तो अब ड्यूटी पर जाना पड़ेगा तुम दोनों एक दूसरे का ख्याल रखो" राजेश ने एक बार फिर सोनू को दोस्त जैसा संबोधित किया था।

"अरे आज ड्यूटी छोड़ दीजिए ना इतना अच्छा टीवी लाए हैं रात में एक साथ देखा जाएगा. क्यों बाबू सोनू अपने जीजा जी को रोको ना।"

सोनू ने भी लाली की हां में हां मिलाई परंतु राजेश को ड्यूटी पर जाना जरूरी था वैसे भी वह दोपहर में वह अपनी काम पिपासा शांत कर चुका था। उसके मन में रह रहकर यह भी ख्याल आ रहा था की आज रात लाली और सोनू एक साथ रहेंगे हो सकता है लाली अपने हुस्न के जादू से सोनू को अपने और करीब ले आए।

राजेश ने कहा

"सोनू आज तो नहीं पर कल मैं जरूर छुट्टी लूंगा और तुम्हारे साथ रहूंगा"

राजेश ड्यूटी पर जाने की तैयारी करने लगा उसने निकलते वक्त लाली को चुमते हुए कहा

"सोनू को भी अंदर ही सुला लेना"

"लाली में भी अपनी आंखें तरेरते हुए और चेहरे पर मुस्कुराहट लिए हुए कहा

" कहां ?अपने ऊपर" लाली ने राजेश के पास पहुंच कर धीरे से कहा..

राजेश मुस्कुराने लगा उसमें लाली को अपने आलिंगन में कसकर दबोचा और उसके नितंबों को पकड़ते हुए बोला

" नहीं ..नहीं... वह तो मेरे सामने ही.."

कुछ देर बाद राजेश चला गया. लाली और सोनू के लिए यह रात अलग थी. सोनू ने अपने मन में ढेर सारे सपने सजों लिए थे उसकी प्रेमिका और उसके ख्वाबों की मलिका लाली दीदी आज रात उसके साथ गुजारने वाली थी वह भी एक ही बिस्तर। पर क्या वह अपनी लाली दीदी की जांघों के बीच एक बार फिर अपनी हथेलियों को ले जा पाएगा? क्या वह उस अद्भुत द्वार को देख पाएगा ? वह मन ही मन उसे चूमने और चाटने की कल्पनाएं करने लगा जिसका सीधा असर उसके लंड पर हो रहा था।

लाली ने सोनू की पसंद का खाना बनाया और अब अपने बच्चों के साथ मिलकर खाना खाया। सोनू वास्तव में उसे अब अपने परिवार का ही हिस्सा लगने लगा था। दोनों बच्चे भी उससे घुल मिल गए थे वह बार-बार उसे मामा मामा कहते और उसकी गोद में खेलते।

सोनू दोनों बच्चों को लेकर बिस्तर पर आ गया और उनके साथ खेलने लगा। लाली का बेटा राजू कभी सोनू के ऊपर कूदता कभी उसे पटकने का प्रयास करता उस मासूम के छोटे हाँथ सोनु जैसे बलिष्ठ युवा को आसानी से गिरा देते वह बेहद खुश होता और उसकी खुशियां ही सोनू की खुशियां थीं।

लाली सोनू का यह रूप देखकर बेहद खुश थी। कुछ ही देर में लाली दूध का गिलास हुए हुए कमरे में प्रवेश की । सोनू को एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे उसकी प्रेमिका नववधू के रूप में दूध का गिलास लेकर संभोग के लिए प्रस्तुत है सोनू का दिल बल्लियों उछलने लगा। उसने गटागट दूध पी लिया परंतु अपनी लाली दीदी की कलाई पकड़ने की उसकी हिम्मत ना हुई।

इधर सोनू अपने मन में ढेर सारे अरमान पाले हुए था उधर लाली को आज की रात से कोई उम्मीद न थी वह राजेश की अनुपस्थिति में अपना अगला कदम बढ़ाने की इच्छुक न थी। उसने अपनी रसोई का कार्य निपटाया और वापस आकर रीमा को अपनी चुचियां पकड़ा दीं। रीमा लाली की एक चूची से दूध पीती रही तथा दूसरी से खेलती रही सोनू यह दृश्य देखता रहा और तरसता रहा काश वह रीमा की जगह होता।

रीमा को दूध पिलाते पिलाते लाली खुद भी निद्रा देवी की आगोश में चली गई सोनू अपने अरमान लिए अकेला बिस्तर पर लेटा टीवी देख कर दादी की कल्पनाओं का आनंद ले रहा था परंतु असली आनंद उसे तभी प्राप्त हुआ जब उसकी रूखी हथेलियों ने तने हुए कोमल लंड को अपने हाथों में लेकर उसका वीर्य स्खलन कराया। एक सपनों भरी रात अचानक खत्म हो गई थी पर सोनू ना उम्मीद नहीं था उसे लाली दीदी पर और अपनी तकदीर पर भरोसा था उसने अगले दिन लाली को खुश करने की ठान ली थी.

 

Napster

Well-Known Member
3,941
10,827
143
एक बहुत ही सुंदर मनमोहक और अद्भुत अपडेट है भाई मजा आ गया
क्या लाली सोनू और राजेश थ्रिसम का आनंद उठाने वाले है
अगला अपडेट बहुत ही गरमागरम कामुक और चुदाईदार होने वाला है
जल्दी से दिजिएगा
 

pprsprs0

Well-Known Member
4,101
6,126
159
अचानक राजेश ने लाली की नाइटी को ऊपर खींचना शुरू कर दिया जो धीरे-धीरे उसकी जांघों तक आ गयी। उत्तेजना बस लाली ने राजेश को मना नहीं किया परंतु नाइटी के अपनी जांघों के जोड़ पर आते ही उसे अपनी नंगी बुर का एहसास हुआ और उसने राजेश के हाथ वहीं पर रोक दिए।

कुछ देर यथास्थिति कायम रही पर राजेश कहां मानने वाला था वह तो आज टीवी दिखा दिखा कर अपनी प्यारी बीवी लाली को खूब चोदना चाहता था परंतु सोनू की अकस्मात उपस्थिति ने उसके अरमानों पर पानी डाल दिया था। राजेश ने लाली का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया और लाली अपने हाथों से उसे हल्का-हल्का सहलाने लगी।

वर्तमान स्थिति में लाली का यह स्पर्श भी राजेश के लिए काफी था। उधर सोनू अपने बगल में सोई हुई अपनी ख्वाबों की मलिका के बारे में सोच सोच कर उत्तेजित हुए चले जा रहा था। टीवी पर थिरक रही नायिका उसे अपनी लाली दीदी ही दिखाई पड़ रही थी


अब आगे….

अपने तने हुए लंड को व्यवस्थित करने के लिए सोनू ने अपना दाहिना हाथ लिहाफ के अंदर किया और अपने लंड की तरफ ले गया पर इसी दौरान उसकी हथेलियों का पिछला भाग लाली की नग्न जांघों से छू गया सोनू को जैसे करंट सा लगा।

उसे यकीन ही नहीं हुआ कि उसने नारी शरीर का वह अनोखा भाग अपनी हथेलियों के पिछले भाग से छू लिया है। उसने अपने लंड को व्यवस्थित किया और वापस अपनी हथेलियां ऊपर करते समय एक बार फिर लाली की जांघों को छूने की कोशिश की। वह यह तसल्ली करना चाहता था कि क्या उसने सच लाली की नंगी जांघों को छुआ है या नाइटी के ऊपर से।

इस बार सोनू ने अपनी हथेलियों की दिशा मोड़ दी थी सोनू की हथेलियां एक बार फिर लाली की जांघों पर सट रही थी जब तक कि सोनू अपने हाथ हटा पाता लाली ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे अपनी जांघों से सटाये रखा।

लाली ने सोनू की चोरी पकड़ ली थी परंतु अब वह खुद उहाफोह में थी कि वह उसका हाथ हटाए या उसी जगह रखें रहे? लाली मन ही मन दुविधा में थी और उसी दुविधा में कुछ सेकेंड तक सोनू की हथेलियां लाली की नंगी जांघों से छू रहीं थी। धीरे-धीरे लाली का हाथ सोनू के हाथ से हट गया पर सोनू की हथेलियों ने लाली की जांघों को ना छोड़ा।

सोनू की सांसें तेज चल रही थीं। उसे यह समझ नहीं आ रहा था कि लाली दीदी ने उसका हाथ क्यों पकड़ा और अब उन्होंने उसका हाथ क्यों छोड़ दिया था। जबकि वह अपने हाथ अभी भी उनकी जांघों से सटाये हुए था। सोनू ने अपनी हथेलियां थोड़ी ऊपर की परंतु उसने लाली की जांघों को न छोड़ा। 5कुछ ही देर में सोनू ने हिम्मत जुटाई और लाली की नंगी जांघों पर अपने हाथ फिराने लगा।

उधर लाली उत्तेजना में कॉप रही थी। उसने अकस्मात ही सोनू का हाथ अपनी जांघ पर महसूस कर न सिर्फ उसे पकड़ लिया था अपितु उसे उसी अवस्था में कुछ देर रखे रहा था। अब वह यह जान चुकी थी कि सोनू उसकी नंगी जांघों को सहलाना चाह रहा है उसने अपने हाथ हटा लिए परंतु सोनू की हथेलियों का स्पर्श उसे अब भी प्राप्त हो रहा था। लाली अपनी उत्तेजना को कायम रखते हुए सोनू के स्पर्श का आनंद लेने लगी ।

तभी लाली को अपनी दूसरी जांघ पर राजेश की हथेलियों का स्पर्श प्राप्त हुआ। राजेश अपने लंड को सहलाने से उत्तेजित हो चुका था और वह लाली की मखमली जाँघों और उसके बीच छुपी हुई बूर को अपनी उंगलियों से सहलाना चाह रहा था। लाली मन ही मन इस उत्तेजक घड़ी का आनंद लेने लगी परंतु उसे पता था यह ज्यादा देर नहीं चल पाएगा। सोनू भी धीरे-धीरे व्यग्र हो रहा था उसकी हथेलियां उसके वस्ति प्रदेश की तरफ बढ़ रहीं थीं। हर कुछ पलों के बाद सोनू की हथेलियां अपने लक्ष्य के बिल्कुल करीब थीं।

जीजा और साले के बीच लक्ष्य तक पहुंचने की होड़ सी लग गई थी। कमरे में पूरी तरह शांति थी सिर्फ टीवी की आवाज ही कमरे में गूंज रही थी। सभी की आंखें टीवी पर लगी हुई थीं और हाथ अपने-अपने हरकतों में व्यस्त थे। लाली अपने हाथ से राजेश का लंड सहला रही थी परंतु सोनू का लंड छुने की उसकी हिम्मत नहीं थी। वह खुद से अपनी व्यग्रता और इच्छा को सोनू पर हावी नहीं करना चाहती थी। धीरे धीरे राजेश और सोनू की हथेलियों उसकी मखमली बुर की तरफ बढ़ रहीं थीं।

अचानक लाली में राजेश का हाथ पकड़ कर उसे वापस अपनी जांघों पर रख दिया। जो अब ठीक उसकी बुर के ऊपर पहुंचने वाला था। राजेश लाली के इस व्यवहार से हतप्रभ था। आज पहली बार लाली ने उसे अपनी बुर छूने से रोक दिया था। उसने अपनी गर्दन घुमाई और लाली की तरफ देखा। परंतु लाली ने बड़े प्यार से अपनी आंखें बंद कर उसे प्यार से शांत कर दिया। राजेश को यह बात समझ में ना आयी परंतु वह अपने लंड को सहलाये जाने का आनंद लेने लगा जिसमें लाली में अपनी हथेलियों की गति बढ़ाकर नई ऊर्जा डाल दी थी।

सोनू की उंगलियां तेजी से लाली की बुर की तरफ बढ़ रही थीं। उस सुनहरी गुफा तक पहुंचने से पहले वह लाली की बुर के मखमली और मुलायम बालों से खेलने लगा। सोनू बेहद आनंदित हो रहा था। यह पहला अवसर था जब उसने किसी लड़की या युवती की बुर को इतने करीब से छुआ था। वह वासना में डूबा हुआ अपनी लाली दीदी की बुर के बिल्कुल समीप आ चुका था।

लाली से कोई प्रतिरोध न मिलने से उसका उत्साह बढ़ गया और अंततः उसकी उंगलियों में लाली की बुर् के होठों पर आए मदन रस को छू लिया। उस चिपचिपे द्रव्य को अपनी उंगलियों पर महसूस कर सोनू खुशी से पागल हो गया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अब वह आगे क्या करें। यह उसका पहला अनुभव था वह चाह रहा था कि अपनी उंगलियों को बाहर खींचे और जाकर अपनी इस खुशी का आनंद एकांत में उठाए उसने अपने हाथ बाहर खींचने की कोशिश की।

यही वह अवसर था जब लाली ने एक बार फिर उसकी कलाई पकड़ ली सोनू एक पल के लिए डर गया परंतु लाली ने उसका हाथ उसी अवस्था में कुछ देर तक पकड़े रहा। सोनू की खुशी का ठिकाना ना रहा। उसकी तर्जनी ने लाली के बुर् के दोनों होठों के बीच अपनी जगह बनानी शुरू कर दी। ऐसा लग रहा था जैसे सोनू लाली के मक्खन भरे मुंह में अपनी उंगलियां घुमा रहा हो। जैसे-जैसे सोनू की उंगलियां लाली के बुर के अंदर जाने लगी बुर की मखमली दीवारों में अपना प्रतिरोध दिखाना शुरू किया। मदन रस की फिसलन बुर की दीवारों के प्रतिरोध को कम कर रही थी परंतु सोनू की उंगलियों को उनका सुखद स्पर्श बेहद उत्तेजक लग रहा था। उसने अपनी उंगलियों को वापस निकाला और उंगलियों पर लगे मदन रस को दूसरी उंगलियों पर रगड़ कर उसकी चिकनाहट को महसूस किया।

अचानक उसे स्त्रियों की भग्नासा का ध्यान आया परंतु सोनू जैसे नौसिखिया के लिए लाली का भग्नासा खोज पाना इतना आसान न था वह अपनी उंगलियों को लाली की बुर के होठों पर इधर घुमाने लगा। उंगलियों का स्पर्श अपनी भग्नासा पर पढ़ते ही लाली ने अपनी हथेली से उसके हाथ को दबा दिया। लाली के इशारे से सोनू ने वह खूबसूरत जगह खोज ली। जब जब उसकी उंगलियां भगनासे से छूतीं लाली उसके हाथों को पकड़ लेती । कुछ ही देर में लाली की बुर की दोस्ती सोनू की उंगलियों से हो गयी। दोनों ही एक दूसरे का मर्म समझने लगे।

सोनू की उंगलियां लाली की बुर में जाते समय प्रेम रस चुराती और उसके भगनासा पर अर्पित कर देतीं। लाली अपनी दोनों जाँघे सिकोड़ रही थी और प्रेम रस को बाहर की तरफ धक्का देकर निकालने का प्रयास कर रही थी।

उधर वह राजेश के लंड को सहलाए जा रही थी। अब भी उसे सोनू के लंड को छूने की हिम्मत न थी परंतु वह इस उत्तेजना का आनंद ले रहे थी। जितनी उत्तेजना वह सोनू के स्पर्श से प्राप्त कर रही थी वह अपने पति राजेश के लंड को उसी तत्परता से सह लाए जा रही थी। राजेश भी अब पूरी तरह उत्तेजित हो चुका था।

लाली ने अचानक अपने दोनों पैर ऊपर की तरफ मोड़े और सोनू की उंगलियां छटक कर बाहर आ गयीं। सोनू के लिए शायद यह एक इशारा था और उसकी उंगलियों को लाली की बुर से बिछड़ने का इशारा मिल चुका था। सोनू का लंड खुद भी अब वीर्य स्खलन के लिए तैयार था।

अचानक ही सोनू बिस्तर से उठा और बोला

" मैं जा रहा हूं सोने मुझे नींद आ रही है "

राजेश ने कहा

"ठीक है सोनू आराम कर लो रात को फिर टीवी देखा जाएगा "

लाली की भी इच्छा यही थी वह राजेश से चुदना चाहती थी। उसने भी सोनू को न रोका और सोनू हॉल की तरफ बढ़ गया। परंतु जाते जाते उसने अपनी उंगलियां अपनी नाक की तरफ ले गया जिस पर लाली की बुर का प्रेम रस लिपटा हुआ था। वह अपनी अधीरता न छूपा पाया और इसे लाली ने बखूबी देख लिया वह सोनू की इस हरकत से बेहद उत्तेजित हो गयी। अपने ही भाई को अपनी बुर का रस सूंघते देख लाली सिहर गई।

राजेश बिस्तर से उठा और अपने कमरे का दरवाजा ताकत लगाकर बंद कर दिया उसे दरवाजा बंद करने की प्रैक्टिस थी अन्यथा उसे बंद करना लाली के बस का न था। दरवाजा बंद होने की स्पष्ट आहट से सोनू जान चुका कि आगे कमरे में क्या होने वाला है। वह दरवाजे के पास खड़ा होकर अंदर के दृश्यों की कल्पना करने लगा और अपने कानों को दरवाजे से सटाकर सुनने का प्रयास करने लगा।

राजू और रीमा सो चुके थे। कमरे में ठंड अब कम हो चुकी थी कई लोगों की उपस्थिति से कमरा वैसे भी कुछ गर्म हो चुका था और ऊपर से लाली और राजेश दोनों ही बेहद उत्तेजित थे। एक ही झटके में राजेश ने लिहाफ हटाया और लाली की नंगी जांघों को देखकर उस पर टूट पड़ा। बाहर खड़ा सोनू अंदर के दृश्य तो नहीं देख पा रहा था परंतु उसे उसका एहसास बखूबी था।

लाली की जाँघों और बुर के आसपास इतना ढेर सारा चिपचिपा पन देखकर राजेश से रहा न गया और उसने बोला

"अरे आज तक पूरा गर्म बाड़ू सोनू के देख कर गरमाइल बाडू का?"

राजेश ने लाली को छेड़ते हुए कहा।

"आप आइए अपना काम कीजिए" लाली ने अपनी दोनों जाँघे फैला दीं।

"अच्छा एक बात तो बताओ उस समय तुमने मेरा हाथ क्यों रोका था?"

लाली मुस्कुराई और बोली

"एक ही ट्रैक पर दो रेलगाड़ी गाड़ी कैसे चलती?"

राजेश यह बात सुनकर उतावला हो गया। जो लाली ने कहा था वह उसकी सोच से परे था। वह लाली को बेतहाशा चूमने लगा और बोला

"बताओ ना किसका हाथ था?"

"आपके साले का" जब तक लाली यह बात बोलती राजेश का लंड लाली की गर्म और चिपचिपी बुर में प्रवेश कर चुका था। और लाली अपनी आंखें बंद की संभोग का आनंद लेने लगी।

जैसे-जैसे राजेश का आवेग बढ़ता गया टीवी की आवाज पर बिस्तर की धमाचौकडी की आवाज भारी होती गयी जो सोनू के सतर्क कानों को बखूबी सुनाई पड़ रही थी। उस पर से लाली की कामुक आहे सोनू को और भी स्पष्ट सुनाई पड़ रही थीं।

जाने सोनू और लाली में कोई टेलीपैथी थी या कुछ और परंतु सोनू को लाली बेहद करीब नजर आ रही थी। वह अपने ख्यालों में हैं उसे चूम रहा था और अपनी हथेलियों से अपने लंड को लगातार आगे पीछे किये जा रहा था। अचानक लाइट चली गई और टीवी एकाएक बंद हो गया। कमरे में अचानक पूरी शांति हो गई परंतु राजेश और लाली अपनी चुदाई में पूरी तरह मस्त थे उन्हें सोनू का ध्यान ना आया।

कमरे में चल रही और जांघों के टकराने की थाप स्पष्ट सुनाई पड़ रही थी। सोनू से अब और न देखा गया उसकी हथेलियों की गति अचानक बढ़ गई और वीर्य की धारा फूट पड़ी।

स्खलित होते समय उसके कानों ने अचानक ही लाली की आवाज सुनी। सोनू ….आ…...ईई आह…. हां बाबू ऐसे हीं…….…...आ आ आ ए ….……….आईईईई "

सोनू ने जो सुना वह खुद पर यकीन न कर पाया। पर उसने अपनी हथेलियों से अपने लंड को मसलना जारी रखा वह वीर्य की अंतिम बूंद को भी अपनी वाली दीदी को समर्पित करता रहा जो उसकी लाली दीदी तक तो न पहुंच पायीं परंतु उसके दरवाजे पर गिरकर एक अनुपम कलाकृति बनाती रहीं।

सोनू थके हुए कदमों से हॉल में पड़ी चौकी पर जाकर लेट गया। अब वह कमरे के अंदर चल रही धमाचौकड़ी को और सुनना नहीं चाहता था। उसकी उत्तेजना चरम को प्राप्त हो चुकी थी वह कम से कम कुछ घंटों के लिए अपनी सांसो को नियंत्रित करते हुए बिस्तर पर लेट कर इस सुखद अहसास को आत्मसात कर रहा था।

उधर लाली की कामुक कराहें थम गई थीं। परंतु राजेश उसे अभी भी चोदे जा रहा था। लाली ने उसे उत्तेजित करते हुए कहा

"आप खुश हो ना?

"क्यों किस बात पर?"

अपनी मुनिया ( राजेश कभी-कभी लाली की बुर को मुनिया कहता था) को अपने साले से साझा कर...

राजेश को लाली की यह बात आग में घी जैसी प्रतीत हुयी। वह स्वयं भी उन्ही खयालों में डूबा हुआ था और लाली कि इस बात से उससे रहा न गया और उसने अपने लंड को लाली की बुर में पूरी गहराई तक डाल कर इस स्खलित होने लगा।

उत्तेजना का ज्वार जब शांत हुआ तब एक बार फिर राजेश ने पूछा।

"सोनू के भी छुवले रहलु हा"

"अब एक ही दिन में सब कुछ लुटा दी?"

राजेश ने लाली को आगोश में ले लिया और उसके होंठों को चूमते हुए बोला

"वह तुम्हारा भाई है तुम ही जानो उसका ख्याल कैसे रखोगे मुझे कुछ नहीं कहना है"

"और यदि उसने भी अपनी मलाई मेरे ऊपर गिरा दी तब तो मेरी मुनिया और चूँची आपके लिए पवित्र ना रहेगी और आपके होठों का स्पर्श उसे कैसे मिलेगा"

जब तुम और तुम्हारी मुनिया उसे अपना लेंगी तो फिर मैं भी अपना लूंगा आखिर तब वह अपने परिवार का ही हिस्सा हो जाएगा।

लाली ने राजेश की बात सुन तो ली परंतु उसने कोई प्रतिक्रिया ना दी। वह अपनी आंखें बंद कर राजेश को अपने नींद में होने का एहसास दिला रही थी राजेश भी पूरी तरह थक चुका था वह उसे आगोश में ले कर सो गया। परंतु राजेश ने लाली को सोनू के वीर्य को अपनाने के लिए अपनी रजामंदी दे दी थी।

लाली की अंतरात्मा मुस्कुरा रही थी। वह सोनू को अपनाने का मन बना चुकी थी…

आइए बहुत दिन हो गया सुगना के पति रतन का हालचाल ले लेते हैं आखिर इस कहानी में उसकी भूमिका भी अहम होगी।

सुगना के साथ होली मनाने के पश्चात रतन मुंबई पहुंच चुका था। हालांकि सुगना ने रतन को अब भी अपने शरीर पर हाथ लगाने नहीं दिया था परंतु फिर भी वह उससे बातें करने लगी थी। जितना प्यार वह सूरज से करता था सुगना उतनी ही आत्मीयता से उससे बातें करती थी ।

मुंबई पहुंचने के बाद रतन का मन नहीं लग रहा था अपनी पत्नी सुगना और उसके बच्चे सूरज का चेहरा उसके जेहन में बस गया था। कभी-कभी उसके मन में आता कि वह सब कुछ छोड़ कर वापस अपने गांव चला जाए परंतु यह इतना आसान नहीं था मुंबई में उसने अपनी गृहस्थी जमा ली थी।

बबीता से उसके संबंध धीरे-धीरे खराब हो रहे थे उसकी बड़ी बेटी मिंकी उसे बहुत प्यारी थी उसे ऐसा लगता था जैसे वह उसके और बबीता के प्रेम की निशानी थी परंतु छोटी बेटी चिंकी का जन्म अनायास ही हो गया था रतन और बबीता ने यह निर्धारित किया था कि वह परिवार नियोजन के साधनों का समुचित उपयोग करेंगे। वह दोनों ही दूसरी संतान के पक्षधर नहीं थे परंतु रतन के सावधानी बरतने के बावजूद बबीता गर्भवती हो गई अब राजेश को यकीन हो चला था कि निश्चय ही उसकी छोटी बेटी चिंकी बबीता और उसके मैनेजर के संबंधों की देन है। वह स्वाभाविक रूप से चिंकी को अपना पाने में असमर्थ था।

दो-तीन महीनों बाद दीपावली आने वाली थी इसी बीच सुगना का जन्मदिन आ रहा था रतन ने सुगना के लिए सुंदर साड़ियां लहंगा और चुन्नी तथा सूरज के लिए कपड़े और ढेर सारे खिलौने खरीदें और बड़े अरमानों के साथ उन्हें गत्ते के डिब्बे में बंद करने लगा। वह दीपावली से पहले सुगना को प्रभावित करना चाहता था उसने मन ही मन मुंबई छोड़ने का मन बना लिया था उसने सुगना को एक प्रेम पत्र भी लिखा जिसका मजमून इस प्रकार था।

मेरी प्यारी सुगना,

मैंने जो गलतियां की है वह क्षमा करने योग्य नहीं है फिर भी मैं तुमसे किए गए व्यवहार के प्रति दिल से क्षमा मांगता हूं तुम मेरी ब्याहता पत्नी हो यह बात समाज और गांव के सभी लोग जानते हैं मुझे यह भी पता है कि मुझसे नाराज होकर और अपने एकांकी जीवन को खुशहाल बनाने के लिए तुमने किसी अपरिचित से संभोग कर सूरज को जन्म दिया है मुझे इस बात से कोई आपत्ति नहीं है मैं सूरज को सहर्ष अपनाने के लिए तैयार हूं वैसे भी उसकी कोमल छवि मेरे दिलो दिमाग में बस गई है पिछले कुछ ही दिनों में वह मेरे बेहद करीब आ गया और मुझे अक्सर उसकी याद आती है।

मुझे पूरा विश्वास है की तुम मुझे माफ कर दोगी मैं तुम्हें पत्नी धर्म निभाने के लिए कभी नहीं कहूंगा पर तुम मुझे अपना दोस्त और साथी तो मान ही सकती हो।

मैंने मुंबई छोड़ने का मन बना लिया है बबीता से मेरे रिश्ते अब खात्मे की कगार पर है मैं उसे हमेशा के लिए छोड़कर गांव वापस आना चाहता हूं यदि तुम मुझे माफ कर दोगी तो निश्चय ही आने वाली दीपावली के बाद का जीवन हम साथ साथ बिताएंगे।

तुम्हारे उत्तर की प्रतीक्षा में।

रतन ने खत को लिफाफे में भरा और सुगना तथा सूरज के लिए लाई गई सामग्रियों के साथ उसको भी पार्सल कर दिया वह बेहद खुश था उसने आखिरकार अपने दिल की बात सुगना तक पहुंचा दी थी वह खुशी खुशी और उम्मीदें लिए सुगना के जवाब की प्रतीक्षा करने लगा।

उधर लाली के घर में शाम को चुकी थी।

दोपहर में लाली को कसकर चोदने के बाद राजेश उठ चुका था। उधर अपनी दीदी की बुर को सहला कर सोनू भी अद्भुत आनंद को प्राप्त कर चुका था । तृप्ति का अहसास तीनों युवा दिलों में था सब ने अपनी अपनी आकांक्षाएं कुछ हद तक पूरी कर ली थी। शाम को लाली ने अपने पति राजेश और प्यारे भाई सोनू को पकोड़े खिलाए और घुल मिलकर बातें करने लगी। उन तीनों के ऐसे व्यवहार से ऐसा लग ही नहीं रहा था जैसे दोपहर में उनके बीच की दूरियां अचानक ही घट गई थीं। सिर्फ सोनू अब भी अपनी आंखें झुकाये हुए था वह अभी भी शर्मा रहा था जबकि लाली उससे खुलकर बात कर रही थी लाली ने सोनू को छेड़ते हुए कहा..

"का सोनू बाबू मन नईखे लागत का?"

"नहीं दीदी आप लोगों के यहां अच्छा नहीं लगेगा तो फिर कहां लगेगा?" सोनू ने अपना जवाब सटीक तरीके से दे दिया था.

राजेश ने कहा

"भाई मुझे तो अब ड्यूटी पर जाना पड़ेगा तुम दोनों एक दूसरे का ख्याल रखो" राजेश ने एक बार फिर सोनू को दोस्त जैसा संबोधित किया था।

"अरे आज ड्यूटी छोड़ दीजिए ना इतना अच्छा टीवी लाए हैं रात में एक साथ देखा जाएगा. क्यों बाबू सोनू अपने जीजा जी को रोको ना।"

सोनू ने भी लाली की हां में हां मिलाई परंतु राजेश को ड्यूटी पर जाना जरूरी था वैसे भी वह दोपहर में वह अपनी काम पिपासा शांत कर चुका था। उसके मन में रह रहकर यह भी ख्याल आ रहा था की आज रात लाली और सोनू एक साथ रहेंगे हो सकता है लाली अपने हुस्न के जादू से सोनू को अपने और करीब ले आए।

राजेश ने कहा

"सोनू आज तो नहीं पर कल मैं जरूर छुट्टी लूंगा और तुम्हारे साथ रहूंगा"

राजेश ड्यूटी पर जाने की तैयारी करने लगा उसने निकलते वक्त लाली को चुमते हुए कहा

"सोनू को भी अंदर ही सुला लेना"

"लाली में भी अपनी आंखें तरेरते हुए और चेहरे पर मुस्कुराहट लिए हुए कहा

" कहां ?अपने ऊपर" लाली ने राजेश के पास पहुंच कर धीरे से कहा..

राजेश मुस्कुराने लगा उसमें लाली को अपने आलिंगन में कसकर दबोचा और उसके नितंबों को पकड़ते हुए बोला

" नहीं ..नहीं... वह तो मेरे सामने ही.."

कुछ देर बाद राजेश चला गया. लाली और सोनू के लिए यह रात अलग थी. सोनू ने अपने मन में ढेर सारे सपने सजों लिए थे उसकी प्रेमिका और उसके ख्वाबों की मलिका लाली दीदी आज रात उसके साथ गुजारने वाली थी वह भी एक ही बिस्तर। पर क्या वह अपनी लाली दीदी की जांघों के बीच एक बार फिर अपनी हथेलियों को ले जा पाएगा? क्या वह उस अद्भुत द्वार को देख पाएगा ? वह मन ही मन उसे चूमने और चाटने की कल्पनाएं करने लगा जिसका सीधा असर उसके लंड पर हो रहा था।

लाली ने सोनू की पसंद का खाना बनाया और अब अपने बच्चों के साथ मिलकर खाना खाया। सोनू वास्तव में उसे अब अपने परिवार का ही हिस्सा लगने लगा था। दोनों बच्चे भी उससे घुल मिल गए थे वह बार-बार उसे मामा मामा कहते और उसकी गोद में खेलते।

सोनू दोनों बच्चों को लेकर बिस्तर पर आ गया और उनके साथ खेलने लगा। लाली का बेटा राजू कभी सोनू के ऊपर कूदता कभी उसे पटकने का प्रयास करता उस मासूम के छोटे हाँथ सोनु जैसे बलिष्ठ युवा को आसानी से गिरा देते वह बेहद खुश होता और उसकी खुशियां ही सोनू की खुशियां थीं।

लाली सोनू का यह रूप देखकर बेहद खुश थी। कुछ ही देर में लाली दूध का गिलास हुए हुए कमरे में प्रवेश की । सोनू को एक पल के लिए ऐसा लगा जैसे उसकी प्रेमिका नववधू के रूप में दूध का गिलास लेकर संभोग के लिए प्रस्तुत है सोनू का दिल बल्लियों उछलने लगा। उसने गटागट दूध पी लिया परंतु अपनी लाली दीदी की कलाई पकड़ने की उसकी हिम्मत ना हुई।

इधर सोनू अपने मन में ढेर सारे अरमान पाले हुए था उधर लाली को आज की रात से कोई उम्मीद न थी वह राजेश की अनुपस्थिति में अपना अगला कदम बढ़ाने की इच्छुक न थी। उसने अपनी रसोई का कार्य निपटाया और वापस आकर रीमा को अपनी चुचियां पकड़ा दीं। रीमा लाली की एक चूची से दूध पीती रही तथा दूसरी से खेलती रही सोनू यह दृश्य देखता रहा और तरसता रहा काश वह रीमा की जगह होता।

रीमा को दूध पिलाते पिलाते लाली खुद भी निद्रा देवी की आगोश में चली गई सोनू अपने अरमान लिए अकेला बिस्तर पर लेटा टीवी देख कर दादी की कल्पनाओं का आनंद ले रहा था परंतु असली आनंद उसे तभी प्राप्त हुआ जब उसकी रूखी हथेलियों ने तने हुए कोमल लंड को अपने हाथों में लेकर उसका वीर्य स्खलन कराया। एक सपनों भरी रात अचानक खत्म हो गई थी पर सोनू ना उम्मीद नहीं था उसे लाली दीदी पर और अपनी तकदीर पर भरोसा था उसने अगले दिन लाली को खुश करने की ठान ली थी.
Mast update hai 🔥🔥
 
1,444
3,057
159
शानदार अपडेट है । सोनू ओर लाली आगे बढ़ते जा रहे है । जिस का परिणाम जबरदस्त चुदाई पर जाकर ही खत्म होगा । अगले अपडेट का बेसब्री से इंतजार रहेगा
 

Rekha rani

Well-Known Member
2,139
8,996
159
Bahut hi hot update, majja aa gya padhkr, udhr sugna ki man ki bat samjh nhi aa rhi, ek taraf wo apne babu ki taraf itna payar dikhati hai, aur udhr wo uske hospital me hote huye Rajesh ke sath bat chit me hi garam ho rhi hai, ab wo Ratan ki taraf jhuk rhi hai dekhte hai aage kya kya rang dikhati hai sugna,
 

Lovely Anand

Love is life
1,319
6,460
144
Bahut hi hot update, majja aa gya padhkr, udhr sugna ki man ki bat samjh nhi aa rhi, ek taraf wo apne babu ki taraf itna payar dikhati hai, aur udhr wo uske hospital me hote huye Rajesh ke sath bat chit me hi garam ho rhi hai, ab wo Ratan ki taraf jhuk rhi hai dekhte hai aage kya kya rang dikhati hai sugna,
राजेश हमेशा से ही समझता था की सुगना गांव पर अकेली रहती है और उसका पति साल में सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही घर आता है इसीलिए वह सुगना के करीब आना चाहता था सुगना भी राजेश की खुशमिजाजी और उसकी सहेली के पति होने के कारण उसके साथ कुछ न कुछ समय बिताती थी।
सुगना को जबरदस्त तरीके से चोदने के कारण उसके बाबूजी सरयू सिंह हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे उन्हें कोई विशेष बीमारी न थी। इसी दौरान लाली के घर पर सुगना और राजेश कुछ करीब आ गए।
रतन तो बेचारा अभी सुगना से बातचीत ही करना शुरू किया है । आगे वह सुगना के कितने करीब आ पाता है इसका मुझे भी इंतजार है...

जुड़े रहिये।।
 
314
693
93
राजेश हमेशा से ही समझता था की सुगना गांव पर अकेली रहती है और उसका पति साल में सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही घर आता है इसीलिए वह सुगना के करीब आना चाहता था सुगना भी राजेश की खुशमिजाजी और उसकी सहेली के पति होने के कारण उसके साथ कुछ न कुछ समय बिताती थी।
सुगना को जबरदस्त तरीके से चोदने के कारण उसके बाबूजी सरयू सिंह हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे उन्हें कोई विशेष बीमारी न थी। इसी दौरान लाली के घर पर सुगना और राजेश कुछ करीब आ गए।
रतन तो बेचारा अभी सुगना से बातचीत ही करना शुरू किया है । आगे वह सुगना के कितने करीब आ पाता है इसका मुझे भी इंतजार है...

जुड़े रहिये।।
Agla update bahut hi romanchak hone wala hai
Can't wait
Ek request hai agla update kewal lali aur sonu k bich ho
 
Top