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Fantasy ब्रह्माराक्षस

Tri2010

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अध्याय उनतालीस

जहाँ एक तरफ भद्रा ने अपने पृथ्वी अस्त्र पर काबू करना सिख गया था तो वही दूसरी तरफ शहर में एक सुनसान से इलाके मे स्थित एक बंगलो मे इस वक़्त दिग्विजय और गौरव दोनों मौजूद थे जहाँ दिग्विजय के चेहरे पर आम भाव थे तो वही गौरव उस घर को देखकर दंग हो गया था

गौरव :- दिग्विजय क्या ये तुम्हारा घर है

दिग्विजय :- नही ये मेरा घर नही बल्कि RAW का सैफटी हाउस है जिसे बड़ी मुश्किलों से मुझे हमारे मिशन के लिए मिला है

गौरव:- और यहाँ पर ऐसा क्या है जिसके लिए तुम्हे इतनी मन्नते करने पड़ी

दिग्विजय:- इस वजह से

इतना बोलकर उसने वहा पर दीवार मे लगे शीशे पर अपना दाया हाथ रख दिया और फिर देखते ही देखते उनके सामने की दीवार दो हिस्सों मे बटकर खिसकने लगी

गौरव:- (अपने दोनों हाथ अपने सर पे रख कर) ओह तेरी अली बाबा की गुफा

दिग्विजय:- नही RAW का अंतर्यामी जासूस 007

गौरव:- मतलब

दिग्विजय (अंदर जाते हुए) :- यहाँ वो है जिससे ताकतवर कोई हथियार नही जो पूरी दुनिया के लिए गलत और सबसे बड़ा जुल्म है उसे यहाँ पर जुल्म को होने से पहले ही रोकने के लिए इस्तेमाल किया

गौरव :- और ऐसा क्या है वो

दिग्विजय:- पूरे शहर में लगे हुए हर हर एक CCTV का acess है यहाँ पर चाहे वो किसी ऑफिस मे लगा हो या किसी के घर में हर कैमरा हम चेक कर सकते है

गौरव:- ये तो बहुत ही उत्तम है लेकिन हमारे पास इतना समय नही है

दिग्विजय:- पता है इसीलिए यहाँ पर इस वक़्त केवल हम दोनों ही है मै इस कंप्यूटर के अंदर सिंह अस्त्र की शक्ति भी मिला दूँगा और फिर सिँह अस्त्र हमे केवल उन जगहों के बारे में बताएगी जहाँ पर तमसिक ऊर्जा का प्रभाव ज्यादा हो

गौरव :- क्या सच्ची ऐसा हो सकता हैं

दिग्विजय :- हा बिल्कुल क्यों नही ये तकनीक महागुरु ने मुझे सिखाई थी ऐसे ही विषम परिस्थितियों के लिए

गौरव :- सही है तो चलो शुरू हो जाओ

उसके बाद दिग्विजय ने वहा के सभी मशीन को शुरू किया और फिर एक एक करके सभी CCTV की लाइव फुटेज भी शुरू कर दी और फिर अपने सिँह अस्त्र को जागृत किया

जिससे उसकी आँखे धीरे सिँह जैसी हो गयी और उनसे एक पीले रंग की रोशनी भी निकलने लगी जो जाके सीधा उन कंपूटरस पर गिरी और उसके बाद अपने आप ही वहा स्क्रीन पर चित्र लगातार बदलने लगे

और ऐसे ही कुछ देर होने के बाद वहा स्क्रीन पर एक खाली पड़े फैक्टरी का वीडियो चलने लगा ये केवल फैक्टरी के बाहर के तरफ का ही था जिस कारण अंदर क्या हो रहा है कितने असुर है उनकी लोकेशन क्या है ये कुछ भी पता नही चल रहा था

गौरव:- इस फैक्टरी के अंदर का हम कुछ भी नही देख सकते क्या

दिग्विजय:- लगता है असुरों ने कोई सुरक्षा कवच लगाया होगा

गौरव :- ठीक है तो मै महागुरु को बताता हूँ फिर हम सभी एक साथ योजना बनाके चलेंगे

अभी वो दोनों बाते कर रहे थे की तभी उनके दिमाग मे महागुरु की आवाज आने लगी जो उन्हे तुरंत कालविजय आश्रम बुला रहे थे जिसके बाद वो दोनों तुरंत आश्रम के लिए निकल गए

तो वही दूसरी तरफ इन दोनों के जैसे ही महागुरु ने एक शिष्य को बोलकर शांति को भी बुलाया था जिससे शांति के साथ साथ प्रिया की नींद भी खुल गई थी

जब उसने अपने सामने शांति के तरफ गया तो वो तुरंत ही चद्दर से अपना शरीर ढकने लगी जो देख कर शांति हसने लगी और जब प्रिया को एहसास हुआ की उसके कपड़े पहले से ही उसके शरीर पर है तो उसने चैन की सांस ली

और फिर वो भी शांति के साथ महागुरु के कुटिया जाने लगी तो वही जब मे तालाब से वापस आ रहा था तभी मुझे महागुरु के कुटिया से किसी के चिल्लाने की आवाज आने लगी जिसे सुनकर मै अंदर झांकने का प्रयास करने लगा

और ये मौका दिया कुटिया के पीछे बने एक छोटे से रोशनी दान ने जब मे रोशनी दान से अंदर झांकने लगा तो अंदर का नजारा देखकर मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी

क्योंकि मेरे सामने मेरे लिए जो मेरे मित्र मेरे बड़े भाई समान थे वही गुरु नंदी पूरी तरह से घायल और थके हुए लग रहे थे ये देखकर मे वही छुपकर अंदर की सारी बाते सुनने का प्रयास किया इस वक़्त अंदर शैलेश के साथ महागुरु दिग्विजय और गौरव भी थे

महागुरु:- मैने तुम दोनों को केवल नज़र रखने और उनका ठिकाना पता लगाने भेजा था तुम तो जाके यूद्ध की घोषणा कर आ गए और की तो की लेकिन साथ मे जल अस्त्र को भी शत्रु के कैद में छोड़ कर आ गए

शैलेश:- उन्होंने अचानक हमला किया था इसीलिए हमे उनसे बचने का या भागने का मौका नही मिला

अभी वो लोग बाते कर रहे थे की तभी कुटिया मे शांति और प्रिया आती हैं और अपने सामने का नजारा देख कर दोनों चौंक गए थे जहाँ प्रिया महागुरु का गुस्सा और शैलेश की हालत देख डर गयी थी


तो वही अपने सामने का हाल देखकर समझ गयी थी कि हालत उनके हाथों से निकल गए है और उसने प्रिया को अपने साथ यहाँ लाके गलती कर दी है तो वही प्रिया को वहा देखकर महागुरु ने अपने क्रोध पर काबू किया

महागुरु:- प्रिया यहाँ जो भी चल रहा है उसके लिए तुम और भद्रा तैयार नहीं हो अभी इसीलिए फिलहाल तुम यहाँ से बाहर जाओ और याद रखना भद्रा को इस सब के बारे में पता न चले

कुछ देर पहले ही महागुरु का गुस्सा देखकर प्रिया वैसे ही डर गयी थी और फिर महागुरु की बात सुनने के बाद उसके दिलो दिमाग मे मेरा चेहरा घूमने लगा उसे वो शैतानी दुनिया का युद्ध चलने लगा जिसमे मे लगभग मर ही गया था इसीलिए उसने बिना कुछ कहे वहा से जाने लगी लेकिन मे अभी तक उस रोशन दान के पास ही खड़ा हो कर सब सुन रहा था

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आज के लिए इतना ही

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Lovely update and amazing story
 

park

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अध्याय उनतालीस

जहाँ एक तरफ भद्रा ने अपने पृथ्वी अस्त्र पर काबू करना सिख गया था तो वही दूसरी तरफ शहर में एक सुनसान से इलाके मे स्थित एक बंगलो मे इस वक़्त दिग्विजय और गौरव दोनों मौजूद थे जहाँ दिग्विजय के चेहरे पर आम भाव थे तो वही गौरव उस घर को देखकर दंग हो गया था

गौरव :- दिग्विजय क्या ये तुम्हारा घर है

दिग्विजय :- नही ये मेरा घर नही बल्कि RAW का सैफटी हाउस है जिसे बड़ी मुश्किलों से मुझे हमारे मिशन के लिए मिला है

गौरव:- और यहाँ पर ऐसा क्या है जिसके लिए तुम्हे इतनी मन्नते करने पड़ी

दिग्विजय:- इस वजह से

इतना बोलकर उसने वहा पर दीवार मे लगे शीशे पर अपना दाया हाथ रख दिया और फिर देखते ही देखते उनके सामने की दीवार दो हिस्सों मे बटकर खिसकने लगी

गौरव:- (अपने दोनों हाथ अपने सर पे रख कर) ओह तेरी अली बाबा की गुफा

दिग्विजय:- नही RAW का अंतर्यामी जासूस 007

गौरव:- मतलब

दिग्विजय (अंदर जाते हुए) :- यहाँ वो है जिससे ताकतवर कोई हथियार नही जो पूरी दुनिया के लिए गलत और सबसे बड़ा जुल्म है उसे यहाँ पर जुल्म को होने से पहले ही रोकने के लिए इस्तेमाल किया

गौरव :- और ऐसा क्या है वो

दिग्विजय:- पूरे शहर में लगे हुए हर हर एक CCTV का acess है यहाँ पर चाहे वो किसी ऑफिस मे लगा हो या किसी के घर में हर कैमरा हम चेक कर सकते है

गौरव:- ये तो बहुत ही उत्तम है लेकिन हमारे पास इतना समय नही है

दिग्विजय:- पता है इसीलिए यहाँ पर इस वक़्त केवल हम दोनों ही है मै इस कंप्यूटर के अंदर सिंह अस्त्र की शक्ति भी मिला दूँगा और फिर सिँह अस्त्र हमे केवल उन जगहों के बारे में बताएगी जहाँ पर तमसिक ऊर्जा का प्रभाव ज्यादा हो

गौरव :- क्या सच्ची ऐसा हो सकता हैं

दिग्विजय :- हा बिल्कुल क्यों नही ये तकनीक महागुरु ने मुझे सिखाई थी ऐसे ही विषम परिस्थितियों के लिए

गौरव :- सही है तो चलो शुरू हो जाओ

उसके बाद दिग्विजय ने वहा के सभी मशीन को शुरू किया और फिर एक एक करके सभी CCTV की लाइव फुटेज भी शुरू कर दी और फिर अपने सिँह अस्त्र को जागृत किया

जिससे उसकी आँखे धीरे सिँह जैसी हो गयी और उनसे एक पीले रंग की रोशनी भी निकलने लगी जो जाके सीधा उन कंपूटरस पर गिरी और उसके बाद अपने आप ही वहा स्क्रीन पर चित्र लगातार बदलने लगे

और ऐसे ही कुछ देर होने के बाद वहा स्क्रीन पर एक खाली पड़े फैक्टरी का वीडियो चलने लगा ये केवल फैक्टरी के बाहर के तरफ का ही था जिस कारण अंदर क्या हो रहा है कितने असुर है उनकी लोकेशन क्या है ये कुछ भी पता नही चल रहा था

गौरव:- इस फैक्टरी के अंदर का हम कुछ भी नही देख सकते क्या

दिग्विजय:- लगता है असुरों ने कोई सुरक्षा कवच लगाया होगा

गौरव :- ठीक है तो मै महागुरु को बताता हूँ फिर हम सभी एक साथ योजना बनाके चलेंगे

अभी वो दोनों बाते कर रहे थे की तभी उनके दिमाग मे महागुरु की आवाज आने लगी जो उन्हे तुरंत कालविजय आश्रम बुला रहे थे जिसके बाद वो दोनों तुरंत आश्रम के लिए निकल गए

तो वही दूसरी तरफ इन दोनों के जैसे ही महागुरु ने एक शिष्य को बोलकर शांति को भी बुलाया था जिससे शांति के साथ साथ प्रिया की नींद भी खुल गई थी

जब उसने अपने सामने शांति के तरफ गया तो वो तुरंत ही चद्दर से अपना शरीर ढकने लगी जो देख कर शांति हसने लगी और जब प्रिया को एहसास हुआ की उसके कपड़े पहले से ही उसके शरीर पर है तो उसने चैन की सांस ली

और फिर वो भी शांति के साथ महागुरु के कुटिया जाने लगी तो वही जब मे तालाब से वापस आ रहा था तभी मुझे महागुरु के कुटिया से किसी के चिल्लाने की आवाज आने लगी जिसे सुनकर मै अंदर झांकने का प्रयास करने लगा

और ये मौका दिया कुटिया के पीछे बने एक छोटे से रोशनी दान ने जब मे रोशनी दान से अंदर झांकने लगा तो अंदर का नजारा देखकर मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी

क्योंकि मेरे सामने मेरे लिए जो मेरे मित्र मेरे बड़े भाई समान थे वही गुरु नंदी पूरी तरह से घायल और थके हुए लग रहे थे ये देखकर मे वही छुपकर अंदर की सारी बाते सुनने का प्रयास किया इस वक़्त अंदर शैलेश के साथ महागुरु दिग्विजय और गौरव भी थे

महागुरु:- मैने तुम दोनों को केवल नज़र रखने और उनका ठिकाना पता लगाने भेजा था तुम तो जाके यूद्ध की घोषणा कर आ गए और की तो की लेकिन साथ मे जल अस्त्र को भी शत्रु के कैद में छोड़ कर आ गए

शैलेश:- उन्होंने अचानक हमला किया था इसीलिए हमे उनसे बचने का या भागने का मौका नही मिला

अभी वो लोग बाते कर रहे थे की तभी कुटिया मे शांति और प्रिया आती हैं और अपने सामने का नजारा देख कर दोनों चौंक गए थे जहाँ प्रिया महागुरु का गुस्सा और शैलेश की हालत देख डर गयी थी


तो वही अपने सामने का हाल देखकर समझ गयी थी कि हालत उनके हाथों से निकल गए है और उसने प्रिया को अपने साथ यहाँ लाके गलती कर दी है तो वही प्रिया को वहा देखकर महागुरु ने अपने क्रोध पर काबू किया

महागुरु:- प्रिया यहाँ जो भी चल रहा है उसके लिए तुम और भद्रा तैयार नहीं हो अभी इसीलिए फिलहाल तुम यहाँ से बाहर जाओ और याद रखना भद्रा को इस सब के बारे में पता न चले

कुछ देर पहले ही महागुरु का गुस्सा देखकर प्रिया वैसे ही डर गयी थी और फिर महागुरु की बात सुनने के बाद उसके दिलो दिमाग मे मेरा चेहरा घूमने लगा उसे वो शैतानी दुनिया का युद्ध चलने लगा जिसमे मे लगभग मर ही गया था इसीलिए उसने बिना कुछ कहे वहा से जाने लगी लेकिन मे अभी तक उस रोशन दान के पास ही खड़ा हो कर सब सुन रहा था

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आज के लिए इतना ही

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Nice and superb update....
 
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kas1709

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जहाँ एक तरफ भद्रा ने अपने पृथ्वी अस्त्र पर काबू करना सिख गया था तो वही दूसरी तरफ शहर में एक सुनसान से इलाके मे स्थित एक बंगलो मे इस वक़्त दिग्विजय और गौरव दोनों मौजूद थे जहाँ दिग्विजय के चेहरे पर आम भाव थे तो वही गौरव उस घर को देखकर दंग हो गया था

गौरव :- दिग्विजय क्या ये तुम्हारा घर है

दिग्विजय :- नही ये मेरा घर नही बल्कि RAW का सैफटी हाउस है जिसे बड़ी मुश्किलों से मुझे हमारे मिशन के लिए मिला है

गौरव:- और यहाँ पर ऐसा क्या है जिसके लिए तुम्हे इतनी मन्नते करने पड़ी

दिग्विजय:- इस वजह से

इतना बोलकर उसने वहा पर दीवार मे लगे शीशे पर अपना दाया हाथ रख दिया और फिर देखते ही देखते उनके सामने की दीवार दो हिस्सों मे बटकर खिसकने लगी

गौरव:- (अपने दोनों हाथ अपने सर पे रख कर) ओह तेरी अली बाबा की गुफा

दिग्विजय:- नही RAW का अंतर्यामी जासूस 007

गौरव:- मतलब

दिग्विजय (अंदर जाते हुए) :- यहाँ वो है जिससे ताकतवर कोई हथियार नही जो पूरी दुनिया के लिए गलत और सबसे बड़ा जुल्म है उसे यहाँ पर जुल्म को होने से पहले ही रोकने के लिए इस्तेमाल किया

गौरव :- और ऐसा क्या है वो

दिग्विजय:- पूरे शहर में लगे हुए हर हर एक CCTV का acess है यहाँ पर चाहे वो किसी ऑफिस मे लगा हो या किसी के घर में हर कैमरा हम चेक कर सकते है

गौरव:- ये तो बहुत ही उत्तम है लेकिन हमारे पास इतना समय नही है

दिग्विजय:- पता है इसीलिए यहाँ पर इस वक़्त केवल हम दोनों ही है मै इस कंप्यूटर के अंदर सिंह अस्त्र की शक्ति भी मिला दूँगा और फिर सिँह अस्त्र हमे केवल उन जगहों के बारे में बताएगी जहाँ पर तमसिक ऊर्जा का प्रभाव ज्यादा हो

गौरव :- क्या सच्ची ऐसा हो सकता हैं

दिग्विजय :- हा बिल्कुल क्यों नही ये तकनीक महागुरु ने मुझे सिखाई थी ऐसे ही विषम परिस्थितियों के लिए

गौरव :- सही है तो चलो शुरू हो जाओ

उसके बाद दिग्विजय ने वहा के सभी मशीन को शुरू किया और फिर एक एक करके सभी CCTV की लाइव फुटेज भी शुरू कर दी और फिर अपने सिँह अस्त्र को जागृत किया

जिससे उसकी आँखे धीरे सिँह जैसी हो गयी और उनसे एक पीले रंग की रोशनी भी निकलने लगी जो जाके सीधा उन कंपूटरस पर गिरी और उसके बाद अपने आप ही वहा स्क्रीन पर चित्र लगातार बदलने लगे

और ऐसे ही कुछ देर होने के बाद वहा स्क्रीन पर एक खाली पड़े फैक्टरी का वीडियो चलने लगा ये केवल फैक्टरी के बाहर के तरफ का ही था जिस कारण अंदर क्या हो रहा है कितने असुर है उनकी लोकेशन क्या है ये कुछ भी पता नही चल रहा था

गौरव:- इस फैक्टरी के अंदर का हम कुछ भी नही देख सकते क्या

दिग्विजय:- लगता है असुरों ने कोई सुरक्षा कवच लगाया होगा

गौरव :- ठीक है तो मै महागुरु को बताता हूँ फिर हम सभी एक साथ योजना बनाके चलेंगे

अभी वो दोनों बाते कर रहे थे की तभी उनके दिमाग मे महागुरु की आवाज आने लगी जो उन्हे तुरंत कालविजय आश्रम बुला रहे थे जिसके बाद वो दोनों तुरंत आश्रम के लिए निकल गए

तो वही दूसरी तरफ इन दोनों के जैसे ही महागुरु ने एक शिष्य को बोलकर शांति को भी बुलाया था जिससे शांति के साथ साथ प्रिया की नींद भी खुल गई थी

जब उसने अपने सामने शांति के तरफ गया तो वो तुरंत ही चद्दर से अपना शरीर ढकने लगी जो देख कर शांति हसने लगी और जब प्रिया को एहसास हुआ की उसके कपड़े पहले से ही उसके शरीर पर है तो उसने चैन की सांस ली

और फिर वो भी शांति के साथ महागुरु के कुटिया जाने लगी तो वही जब मे तालाब से वापस आ रहा था तभी मुझे महागुरु के कुटिया से किसी के चिल्लाने की आवाज आने लगी जिसे सुनकर मै अंदर झांकने का प्रयास करने लगा

और ये मौका दिया कुटिया के पीछे बने एक छोटे से रोशनी दान ने जब मे रोशनी दान से अंदर झांकने लगा तो अंदर का नजारा देखकर मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी

क्योंकि मेरे सामने मेरे लिए जो मेरे मित्र मेरे बड़े भाई समान थे वही गुरु नंदी पूरी तरह से घायल और थके हुए लग रहे थे ये देखकर मे वही छुपकर अंदर की सारी बाते सुनने का प्रयास किया इस वक़्त अंदर शैलेश के साथ महागुरु दिग्विजय और गौरव भी थे

महागुरु:- मैने तुम दोनों को केवल नज़र रखने और उनका ठिकाना पता लगाने भेजा था तुम तो जाके यूद्ध की घोषणा कर आ गए और की तो की लेकिन साथ मे जल अस्त्र को भी शत्रु के कैद में छोड़ कर आ गए

शैलेश:- उन्होंने अचानक हमला किया था इसीलिए हमे उनसे बचने का या भागने का मौका नही मिला

अभी वो लोग बाते कर रहे थे की तभी कुटिया मे शांति और प्रिया आती हैं और अपने सामने का नजारा देख कर दोनों चौंक गए थे जहाँ प्रिया महागुरु का गुस्सा और शैलेश की हालत देख डर गयी थी


तो वही अपने सामने का हाल देखकर समझ गयी थी कि हालत उनके हाथों से निकल गए है और उसने प्रिया को अपने साथ यहाँ लाके गलती कर दी है तो वही प्रिया को वहा देखकर महागुरु ने अपने क्रोध पर काबू किया

महागुरु:- प्रिया यहाँ जो भी चल रहा है उसके लिए तुम और भद्रा तैयार नहीं हो अभी इसीलिए फिलहाल तुम यहाँ से बाहर जाओ और याद रखना भद्रा को इस सब के बारे में पता न चले

कुछ देर पहले ही महागुरु का गुस्सा देखकर प्रिया वैसे ही डर गयी थी और फिर महागुरु की बात सुनने के बाद उसके दिलो दिमाग मे मेरा चेहरा घूमने लगा उसे वो शैतानी दुनिया का युद्ध चलने लगा जिसमे मे लगभग मर ही गया था इसीलिए उसने बिना कुछ कहे वहा से जाने लगी लेकिन मे अभी तक उस रोशन दान के पास ही खड़ा हो कर सब सुन रहा था

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dhparikh

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अध्याय उनतालीस

जहाँ एक तरफ भद्रा ने अपने पृथ्वी अस्त्र पर काबू करना सिख गया था तो वही दूसरी तरफ शहर में एक सुनसान से इलाके मे स्थित एक बंगलो मे इस वक़्त दिग्विजय और गौरव दोनों मौजूद थे जहाँ दिग्विजय के चेहरे पर आम भाव थे तो वही गौरव उस घर को देखकर दंग हो गया था

गौरव :- दिग्विजय क्या ये तुम्हारा घर है

दिग्विजय :- नही ये मेरा घर नही बल्कि RAW का सैफटी हाउस है जिसे बड़ी मुश्किलों से मुझे हमारे मिशन के लिए मिला है

गौरव:- और यहाँ पर ऐसा क्या है जिसके लिए तुम्हे इतनी मन्नते करने पड़ी

दिग्विजय:- इस वजह से

इतना बोलकर उसने वहा पर दीवार मे लगे शीशे पर अपना दाया हाथ रख दिया और फिर देखते ही देखते उनके सामने की दीवार दो हिस्सों मे बटकर खिसकने लगी

गौरव:- (अपने दोनों हाथ अपने सर पे रख कर) ओह तेरी अली बाबा की गुफा

दिग्विजय:- नही RAW का अंतर्यामी जासूस 007

गौरव:- मतलब

दिग्विजय (अंदर जाते हुए) :- यहाँ वो है जिससे ताकतवर कोई हथियार नही जो पूरी दुनिया के लिए गलत और सबसे बड़ा जुल्म है उसे यहाँ पर जुल्म को होने से पहले ही रोकने के लिए इस्तेमाल किया

गौरव :- और ऐसा क्या है वो

दिग्विजय:- पूरे शहर में लगे हुए हर हर एक CCTV का acess है यहाँ पर चाहे वो किसी ऑफिस मे लगा हो या किसी के घर में हर कैमरा हम चेक कर सकते है

गौरव:- ये तो बहुत ही उत्तम है लेकिन हमारे पास इतना समय नही है

दिग्विजय:- पता है इसीलिए यहाँ पर इस वक़्त केवल हम दोनों ही है मै इस कंप्यूटर के अंदर सिंह अस्त्र की शक्ति भी मिला दूँगा और फिर सिँह अस्त्र हमे केवल उन जगहों के बारे में बताएगी जहाँ पर तमसिक ऊर्जा का प्रभाव ज्यादा हो

गौरव :- क्या सच्ची ऐसा हो सकता हैं

दिग्विजय :- हा बिल्कुल क्यों नही ये तकनीक महागुरु ने मुझे सिखाई थी ऐसे ही विषम परिस्थितियों के लिए

गौरव :- सही है तो चलो शुरू हो जाओ

उसके बाद दिग्विजय ने वहा के सभी मशीन को शुरू किया और फिर एक एक करके सभी CCTV की लाइव फुटेज भी शुरू कर दी और फिर अपने सिँह अस्त्र को जागृत किया

जिससे उसकी आँखे धीरे सिँह जैसी हो गयी और उनसे एक पीले रंग की रोशनी भी निकलने लगी जो जाके सीधा उन कंपूटरस पर गिरी और उसके बाद अपने आप ही वहा स्क्रीन पर चित्र लगातार बदलने लगे

और ऐसे ही कुछ देर होने के बाद वहा स्क्रीन पर एक खाली पड़े फैक्टरी का वीडियो चलने लगा ये केवल फैक्टरी के बाहर के तरफ का ही था जिस कारण अंदर क्या हो रहा है कितने असुर है उनकी लोकेशन क्या है ये कुछ भी पता नही चल रहा था

गौरव:- इस फैक्टरी के अंदर का हम कुछ भी नही देख सकते क्या

दिग्विजय:- लगता है असुरों ने कोई सुरक्षा कवच लगाया होगा

गौरव :- ठीक है तो मै महागुरु को बताता हूँ फिर हम सभी एक साथ योजना बनाके चलेंगे

अभी वो दोनों बाते कर रहे थे की तभी उनके दिमाग मे महागुरु की आवाज आने लगी जो उन्हे तुरंत कालविजय आश्रम बुला रहे थे जिसके बाद वो दोनों तुरंत आश्रम के लिए निकल गए

तो वही दूसरी तरफ इन दोनों के जैसे ही महागुरु ने एक शिष्य को बोलकर शांति को भी बुलाया था जिससे शांति के साथ साथ प्रिया की नींद भी खुल गई थी

जब उसने अपने सामने शांति के तरफ गया तो वो तुरंत ही चद्दर से अपना शरीर ढकने लगी जो देख कर शांति हसने लगी और जब प्रिया को एहसास हुआ की उसके कपड़े पहले से ही उसके शरीर पर है तो उसने चैन की सांस ली

और फिर वो भी शांति के साथ महागुरु के कुटिया जाने लगी तो वही जब मे तालाब से वापस आ रहा था तभी मुझे महागुरु के कुटिया से किसी के चिल्लाने की आवाज आने लगी जिसे सुनकर मै अंदर झांकने का प्रयास करने लगा

और ये मौका दिया कुटिया के पीछे बने एक छोटे से रोशनी दान ने जब मे रोशनी दान से अंदर झांकने लगा तो अंदर का नजारा देखकर मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी

क्योंकि मेरे सामने मेरे लिए जो मेरे मित्र मेरे बड़े भाई समान थे वही गुरु नंदी पूरी तरह से घायल और थके हुए लग रहे थे ये देखकर मे वही छुपकर अंदर की सारी बाते सुनने का प्रयास किया इस वक़्त अंदर शैलेश के साथ महागुरु दिग्विजय और गौरव भी थे

महागुरु:- मैने तुम दोनों को केवल नज़र रखने और उनका ठिकाना पता लगाने भेजा था तुम तो जाके यूद्ध की घोषणा कर आ गए और की तो की लेकिन साथ मे जल अस्त्र को भी शत्रु के कैद में छोड़ कर आ गए

शैलेश:- उन्होंने अचानक हमला किया था इसीलिए हमे उनसे बचने का या भागने का मौका नही मिला

अभी वो लोग बाते कर रहे थे की तभी कुटिया मे शांति और प्रिया आती हैं और अपने सामने का नजारा देख कर दोनों चौंक गए थे जहाँ प्रिया महागुरु का गुस्सा और शैलेश की हालत देख डर गयी थी


तो वही अपने सामने का हाल देखकर समझ गयी थी कि हालत उनके हाथों से निकल गए है और उसने प्रिया को अपने साथ यहाँ लाके गलती कर दी है तो वही प्रिया को वहा देखकर महागुरु ने अपने क्रोध पर काबू किया

महागुरु:- प्रिया यहाँ जो भी चल रहा है उसके लिए तुम और भद्रा तैयार नहीं हो अभी इसीलिए फिलहाल तुम यहाँ से बाहर जाओ और याद रखना भद्रा को इस सब के बारे में पता न चले

कुछ देर पहले ही महागुरु का गुस्सा देखकर प्रिया वैसे ही डर गयी थी और फिर महागुरु की बात सुनने के बाद उसके दिलो दिमाग मे मेरा चेहरा घूमने लगा उसे वो शैतानी दुनिया का युद्ध चलने लगा जिसमे मे लगभग मर ही गया था इसीलिए उसने बिना कुछ कहे वहा से जाने लगी लेकिन मे अभी तक उस रोशन दान के पास ही खड़ा हो कर सब सुन रहा था

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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VAJRADHIKARI

Hello dosto
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अध्याय चालीस (युद्ध का आगाज)

कुछ देर पहले ही महागुरु का गुस्सा देखकर प्रिया वैसे ही डर गयी थी और फिर महागुरु की बात सुनने के बाद उसके दिलो दिमाग मे मेरा चेहरा घूमने लगा उसे वो शैतानी दुनिया का युद्ध चलने लगा जिसमे मे लगभग मर ही गया था इसीलिए उसने बिना कुछ कहे वहा से जाने लगी लेकिन मे अभी तक उस रोशन दान के पास ही खड़ा हो कर सब सुन रहा था

महागुरु:- शांति अब तक तुम समझ ही गयी होगी की हालत अब हमारे हाथ से कितने निकल चुके है पहले अग्नि अस्त्र और अब जल अस्त्र दोनों अस्त्र और उसके धारकों को असुरों ने अपने कैद मे ले रखा है

शांति:- क्या दिलावर भी

शैलेश :- हा लेकिन महागुरु वहा मायासुर अकेला नही है उसने अपने साथ हर अस्त्र का तोड़ रखा है अपने साथ वो इस बार पूरी तैयारी के साथ आया है

महागुरु:- हा वो तो हमे पता है कि वो अपने साथ श्रपित कवच को लाया है हम सब को कैद करने के लिए

शैलेश:- हा वो तो है लेकिन मायासुर साथ मे महासुरों को भी ले कर आये है

जैसे ही शैलेश ने ये बात बोली वहा खड़े सब के चेहरों का रंग सफेद पड़ गया था सबके चेहरों पर आश्चर्य के भाव साफ दिखाई दे रहे थे तो वही मे सोच मे पड़ गया था कि ये महासुर आखिर कौन है जिसे सुन कर सबके चेहरों का रंग उड़ गया था

तो वही उसके बाद शैलेश ने वहा पर हुए सभी चीजों के बारे में सबको बताया जिसे सुनकर ही मुझे बहुत क्रोध आ रहा था मेरे आँखों का रंग लाल हो गया था ऐसा लग रहा था कि मानो मेरे सर की नस फट रही थी

जिसके बाद मैने खुदको कैसे तैसे करके शांत किया और अंदर की बाते सुनने लगा वही शैलेश का बोलकर होने के बाद दिग्विजय और गौरव ने जो उनको पता चला था वो बता दिया था उस जगह की लोकेशन भी जहाँ वो फैक्टरी थी

दिग्विजय :- महागुरु मेरी मानो तो हमे अभी के अभी उनपर हमला बोल देना चाहिए

महागुरु :- ज्यादा उतावले मत बनो दिग्विजय ये मत भूलो की अभी हमारी शक्ति आधी हो गयी है अग्नि अस्त्र और जल अस्त्र शत्रु के कैद में है और नंदी अस्त्र इस वक़्त लढाई के हालत में नही है और पृथ्वी अस्त्र अभी अपने नये धारक के वश मे नही है ऐसे हालत मे केवल हम तीन अस्त्र ही ऐसे है जो युद्ध कर सकते है और वो काफी नही हैं

महागुरु की बात सुनकर सभी चिंता मे पड़ गए थे लेकिन अभी कोई और कुछ बोलता की उससे पहले ही शैलेश बेहोशी के कारण बेहोश हो गया था और ये देखकर शांति ने तुरंत ही शैलेश का इलाज शुरू किया

जिसके बाद महागुरु ने सबको अपने अपने कुटिया मे जाकर आराम करने के लिए कहा जो सुनकर सब बेमन से अपनी अपनी कुटिया मे चले गए और शांति अपने साथ शैलेश को भी लेकर गयी इलाज के लिए

जिसके बाद जब मै वहा से जा रहा था कि तभी मैने देखा की महागुरु अपनी अस्त्र की शक्ति से कही पर जा रहे है जो देखकर मे भी उनके पीछे जाने वाला था लेकिन उससे पहले ही वो मायावी द्वार बंद हो गया

जो देखकर मेरा क्रोध और बढ़ गया था जिससे मे उस कमरे के चीजों पर निकालने लगा और अभी मे क्रोध में आकर कुछ करता की तभी मेरे मन में कुमार की आवाज आने लगी

कुमार:- शांत हो जाओ भद्रा तुम्हे अपने क्रोध को काबू करना होगा अगर तुमने ऐसे ही अपने क्रोध को व्यर्थ जाने दिया तो कभी तुम अपना बदला नही ले पाओगे

मै:- तुम मुझे मत सिखाओ की मुझे क्या और कैसे करना है अरे तुम क्या जानो कि अपनों को खोना क्या होता है अपने अपनों को ऐसे तड़पते देखना क्या होता है सब कुछ तुम्हारे सामने हो रहा हो लेकिन फिर भी तुम कुछ न कर पा रहे हो

जब भद्रा ने ये कहा तो ये बात जैसे कुमार के दिल पे लग गयी उसके आँखों के सामने उसकी माँ दमयंती उसके पिता त्रिलोकेश्वर और अन्य प्रजाजन असुरों से प्रताड़ित होते दिखाई दे रहे थे

उनकी दर्द भरी चीखे उसके कानों मे गूंज रही थी भले ही भद्रा और कुमार एक ही थे लेकिन फिर भी किसी कारण वश उन दोनों का दिमाग फिलहाल दो हिस्सों में बटा हुआ था और वो क्या कारण है ये आपको आगे पता चलेगा तो वही भद्रा के मुह से ये सब सुनकर कुमार भी खुद पर काबू नही रख पाया

कुमार (चिल्लाके) :- हा जानता हूँ मे भी क्या होता है वो दर्द जब एक मा बार बार दर्द से तड़पते हुए अपने बेटे को बुला रही हो लेकिन बेटा उसे अनसुना करने के सिवा और कुछ नही कर सकता एक पिता उम्मीद किये बैठे हैं कि उनका पुत्र उनके दुख दर्द हरेगा उन्हे उनकी पीड़ा से आज़ाद करेगा और उनका बेटा उनकी वो उम्मीद केवल टूटते हुए देखता रहता हैं तुम मुझे बोल रहे हो तुम एक दिन मे टूट गए मे पिछले 20 सालों से ये सब सह रहा हूँ सोचो मेरी क्या हालत हो रही होगी

कुमार से ऐसा जवाब सुनकर भद्रा सदमे में चला गया उसने सोचा नहीं था की कुमार क्या सब सह रहा होगा उस वो वक्त याद आया जब वो शैतानी दुनिया मे मरने वाला था और तब उसके दिमाग मे एक स्त्री की आवाज आ रही थी (अध्याय उनतीस) उसे अब अपने साथ साथ कुमार के दर्द की भी चिंता हो रही थी

मे :- देखो कुमार तुम शांत हो जाओ मे ये तो नही जानता की तुम कौन हो और किस बारे में बात कर रहे हो लेकिन हा ये जरूर जानता हूँ कि वो हम दोनों से जुडा हुआ है और सही समय पर वो तुम मुझे बताओगे और उस वक्त मे अपनी जान दे कर भी तुम्हारा साथ दूंगा लेकिन आज तुम्हे मेरा साथ देना होगा मे जानता हूं की महागुरु जरूर उन असुरों से लढ्ने गए है और मेरे मन में बहुत बुरी भावनाएं जनम ले रही हैं जिन्हे तुम भी समझ सकते हो इसीलिए मेरी मदद करो मुझे बताओ कौन है महासुर उनका क्या रिश्ता है अस्त्रों से क्यों सारे गुरु उनके बारे मे सुनकर चौंक गए

कुमार :- सब कुछ तुम्हे बताऊंगा और तुम्हारी मदद भी करूँगा लेकिन उन से लढने से पहले तुम्हे तुम्हारे अस्त्र की शक्तियों को जानना होगा उन्हे कैसे इस्तेमाल करना है ये तुम्हे जानना होगा और उसके लिए तुम्हे खुदको शांत करके ध्यान लगाना होगा

जहाँ एक तरफ कुमार की बात सुनकर भद्रा ने बिल्कुल वैसा ही किया तो वही जहाँ दूसरी तरफ महागुरु उसी फैक्टरी के पास पहुँच गए थे जहाँ पर असुरों ने अपना डेरा बना लिया था

जैसे ही महागुरु वहा पहुंचे उन्होंने उस फैक्टरी के चारों तरफ एक एक प्रबल मायावी कवच लगा दिया था जिससे कोई भी असुर यहाँ से भाग न सके जो एक बार अंदर आये वो यही फस जाए और बाहर से सबको अंदर का कुछ भी न दिखाई दे दिखे तो भी केवल एक बंद पड़ी फैक्टरी

और वो कवच बनते ही महागुरु ने अपने अस्त्र को जाग्रुत कर दिया और फिर उन्होंने अपने शक्तियों से एक आग का गोला तैयार किया और उस गोले को उस फैक्टरी में फेक दिया

जिससे उस फैक्टरी का गेट तबाह हो गया और ऐसा होते ही अंदर छुपे हुए सारे असुर सतर्क हो गए और बाहर की तरफ आने लगे जिसमे मायासुर कामिनी और मोहिनी सबसे आगे थे और उनके पीछे थे बाकी बचे पांच महासूर

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आज के लिए इतना ही

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parkas

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अध्याय चालीस (युद्ध का आगाज)

कुछ देर पहले ही महागुरु का गुस्सा देखकर प्रिया वैसे ही डर गयी थी और फिर महागुरु की बात सुनने के बाद उसके दिलो दिमाग मे मेरा चेहरा घूमने लगा उसे वो शैतानी दुनिया का युद्ध चलने लगा जिसमे मे लगभग मर ही गया था इसीलिए उसने बिना कुछ कहे वहा से जाने लगी लेकिन मे अभी तक उस रोशन दान के पास ही खड़ा हो कर सब सुन रहा था

महागुरु:- शांति अब तक तुम समझ ही गयी होगी की हालत अब हमारे हाथ से कितने निकल चुके है पहले अग्नि अस्त्र और अब जल अस्त्र दोनों अस्त्र और उसके धारकों को असुरों ने अपने कैद मे ले रखा है

शांति:- क्या दिलावर भी

शैलेश :- हा लेकिन महागुरु वहा मायासुर अकेला नही है उसने अपने साथ हर अस्त्र का तोड़ रखा है अपने साथ वो इस बार पूरी तैयारी के साथ आया है

महागुरु:- हा वो तो हमे पता है कि वो अपने साथ श्रपित कवच को लाया है हम सब को कैद करने के लिए

शैलेश:- हा वो तो है लेकिन मायासुर साथ मे महासुरों को भी ले कर आये है

जैसे ही शैलेश ने ये बात बोली वहा खड़े सब के चेहरों का रंग सफेद पड़ गया था सबके चेहरों पर आश्चर्य के भाव साफ दिखाई दे रहे थे तो वही मे सोच मे पड़ गया था कि ये महासुर आखिर कौन है जिसे सुन कर सबके चेहरों का रंग उड़ गया था

तो वही उसके बाद शैलेश ने वहा पर हुए सभी चीजों के बारे में सबको बताया जिसे सुनकर ही मुझे बहुत क्रोध आ रहा था मेरे आँखों का रंग लाल हो गया था ऐसा लग रहा था कि मानो मेरे सर की नस फट रही थी

जिसके बाद मैने खुदको कैसे तैसे करके शांत किया और अंदर की बाते सुनने लगा वही शैलेश का बोलकर होने के बाद दिग्विजय और गौरव ने जो उनको पता चला था वो बता दिया था उस जगह की लोकेशन भी जहाँ वो फैक्टरी थी

दिग्विजय :- महागुरु मेरी मानो तो हमे अभी के अभी उनपर हमला बोल देना चाहिए

महागुरु :- ज्यादा उतावले मत बनो दिग्विजय ये मत भूलो की अभी हमारी शक्ति आधी हो गयी है अग्नि अस्त्र और जल अस्त्र शत्रु के कैद में है और नंदी अस्त्र इस वक़्त लढाई के हालत में नही है और पृथ्वी अस्त्र अभी अपने नये धारक के वश मे नही है ऐसे हालत मे केवल हम तीन अस्त्र ही ऐसे है जो युद्ध कर सकते है और वो काफी नही हैं

महागुरु की बात सुनकर सभी चिंता मे पड़ गए थे लेकिन अभी कोई और कुछ बोलता की उससे पहले ही शैलेश बेहोशी के कारण बेहोश हो गया था और ये देखकर शांति ने तुरंत ही शैलेश का इलाज शुरू किया

जिसके बाद महागुरु ने सबको अपने अपने कुटिया मे जाकर आराम करने के लिए कहा जो सुनकर सब बेमन से अपनी अपनी कुटिया मे चले गए और शांति अपने साथ शैलेश को भी लेकर गयी इलाज के लिए

जिसके बाद जब मै वहा से जा रहा था कि तभी मैने देखा की महागुरु अपनी अस्त्र की शक्ति से कही पर जा रहे है जो देखकर मे भी उनके पीछे जाने वाला था लेकिन उससे पहले ही वो मायावी द्वार बंद हो गया

जो देखकर मेरा क्रोध और बढ़ गया था जिससे मे उस कमरे के चीजों पर निकालने लगा और अभी मे क्रोध में आकर कुछ करता की तभी मेरे मन में कुमार की आवाज आने लगी

कुमार:- शांत हो जाओ भद्रा तुम्हे अपने क्रोध को काबू करना होगा अगर तुमने ऐसे ही अपने क्रोध को व्यर्थ जाने दिया तो कभी तुम अपना बदला नही ले पाओगे

मै:- तुम मुझे मत सिखाओ की मुझे क्या और कैसे करना है अरे तुम क्या जानो कि अपनों को खोना क्या होता है अपने अपनों को ऐसे तड़पते देखना क्या होता है सब कुछ तुम्हारे सामने हो रहा हो लेकिन फिर भी तुम कुछ न कर पा रहे हो

जब भद्रा ने ये कहा तो ये बात जैसे कुमार के दिल पे लग गयी उसके आँखों के सामने उसकी माँ दमयंती उसके पिता त्रिलोकेश्वर और अन्य प्रजाजन असुरों से प्रताड़ित होते दिखाई दे रहे थे

उनकी दर्द भरी चीखे उसके कानों मे गूंज रही थी भले ही भद्रा और कुमार एक ही थे लेकिन फिर भी किसी कारण वश उन दोनों का दिमाग फिलहाल दो हिस्सों में बटा हुआ था और वो क्या कारण है ये आपको आगे पता चलेगा तो वही भद्रा के मुह से ये सब सुनकर कुमार भी खुद पर काबू नही रख पाया

कुमार (चिल्लाके) :- हा जानता हूँ मे भी क्या होता है वो दर्द जब एक मा बार बार दर्द से तड़पते हुए अपने बेटे को बुला रही हो लेकिन बेटा उसे अनसुना करने के सिवा और कुछ नही कर सकता एक पिता उम्मीद किये बैठे हैं कि उनका पुत्र उनके दुख दर्द हरेगा उन्हे उनकी पीड़ा से आज़ाद करेगा और उनका बेटा उनकी वो उम्मीद केवल टूटते हुए देखता रहता हैं तुम मुझे बोल रहे हो तुम एक दिन मे टूट गए मे पिछले 20 सालों से ये सब सह रहा हूँ सोचो मेरी क्या हालत हो रही होगी

कुमार से ऐसा जवाब सुनकर भद्रा सदमे में चला गया उसने सोचा नहीं था की कुमार क्या सब सह रहा होगा उस वो वक्त याद आया जब वो शैतानी दुनिया मे मरने वाला था और तब उसके दिमाग मे एक स्त्री की आवाज आ रही थी (अध्याय उनतीस) उसे अब अपने साथ साथ कुमार के दर्द की भी चिंता हो रही थी

मे :- देखो कुमार तुम शांत हो जाओ मे ये तो नही जानता की तुम कौन हो और किस बारे में बात कर रहे हो लेकिन हा ये जरूर जानता हूँ कि वो हम दोनों से जुडा हुआ है और सही समय पर वो तुम मुझे बताओगे और उस वक्त मे अपनी जान दे कर भी तुम्हारा साथ दूंगा लेकिन आज तुम्हे मेरा साथ देना होगा मे जानता हूं की महागुरु जरूर उन असुरों से लढ्ने गए है और मेरे मन में बहुत बुरी भावनाएं जनम ले रही हैं जिन्हे तुम भी समझ सकते हो इसीलिए मेरी मदद करो मुझे बताओ कौन है महासुर उनका क्या रिश्ता है अस्त्रों से क्यों सारे गुरु उनके बारे मे सुनकर चौंक गए

कुमार :- सब कुछ तुम्हे बताऊंगा और तुम्हारी मदद भी करूँगा लेकिन उन से लढने से पहले तुम्हे तुम्हारे अस्त्र की शक्तियों को जानना होगा उन्हे कैसे इस्तेमाल करना है ये तुम्हे जानना होगा और उसके लिए तुम्हे खुदको शांत करके ध्यान लगाना होगा

जहाँ एक तरफ कुमार की बात सुनकर भद्रा ने बिल्कुल वैसा ही किया तो वही जहाँ दूसरी तरफ महागुरु उसी फैक्टरी के पास पहुँच गए थे जहाँ पर असुरों ने अपना डेरा बना लिया था

जैसे ही महागुरु वहा पहुंचे उन्होंने उस फैक्टरी के चारों तरफ एक एक प्रबल मायावी कवच लगा दिया था जिससे कोई भी असुर यहाँ से भाग न सके जो एक बार अंदर आये वो यही फस जाए और बाहर से सबको अंदर का कुछ भी न दिखाई दे दिखे तो भी केवल एक बंद पड़ी फैक्टरी

और वो कवच बनते ही महागुरु ने अपने अस्त्र को जाग्रुत कर दिया और फिर उन्होंने अपने शक्तियों से एक आग का गोला तैयार किया और उस गोले को उस फैक्टरी में फेक दिया

जिससे उस फैक्टरी का गेट तबाह हो गया और ऐसा होते ही अंदर छुपे हुए सारे असुर सतर्क हो गए और बाहर की तरफ आने लगे जिसमे मायासुर कामिनी और मोहिनी सबसे आगे थे और उनके पीछे थे बाकी बचे पांच महासूर

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आज के लिए इतना ही

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Bahut hi badhiya update diya hai VAJRADHIKARI bhai...
Nice and beautiful update....
 
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