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Fantasy ब्रह्माराक्षस

VAJRADHIKARI

Hello dosto
1,484
18,156
144
अध्याय पचास

अब तक आपने देखा की कैसे दोनों ही पक्षों में युद्ध की तैयारियां जोरों से चल रही थी जहाँ अभी तक तो अच्छाई का पक्ष कमजोर था लेकिन उनके हौसले बुलंद थे

जहाँ सारे गुरु निष्क्रिय अस्त्रों को फिर से जाग्रुत करने के लिए जमीन आसमान एक कर रहे थे अस्त्रों के इतिहास से जुड़ी हुई सारी किताबे ग्रंथों को खंगाल रहे थे

तो वही महागुरु उन सबसे अलग वो अलग अलग अस्त्रों को आव्हान कर रहे थे जो की सप्त अस्त्र जितने तो नही लेकिन वो सभी दिव्यस्त्र थे महागुरु को देखके ऐसा लगता कि उन्होंने उम्मीद ही त्याग दी थी सप्त अस्त्रों की

जहाँ अच्छाई के सब हिम्मत और एकाग्रता से युद्ध की तैयारियां कर रहे थे तो वही बुराई के पक्ष मे आपस मे मन मुटाव दिखाये दे रहे थे और इसे पीछे का कारण था मायासुर का गायब होना जी सही सुना

जब युद्ध सबके सर पे आ गया था ठीक उसी वक्त अचानक मायासुर कही गायब हो गया था और वो भी बिना बताये जिससे बुराई के पक्ष मे आपसी युद्ध के बादल मंडराने लगे थे

जिसे कामिनी और मोहिनी ने बड़े मुश्किलों से फिलहाल के लिए टाल दिया था और फिर शुरू हुआ महासंग्राम कलयुग का अच्छाई और बुराई के बीच का आमने सामने का महायुद्ध

बुराई का पक्ष अपने योजना के मुताबिक पाताल लोक से धरती लोक के तरफ निकल चुके थे लेकिन अच्छाई का पक्ष भी उसके लिए तैयार था वो सारे असुर धरती लोक पर आके आतंक मचाये

उससे पहले महागुरु ने सारे अच्छाई के योद्धाओं को योजना मुताबिक अटल लोक की सीमा पर तैनात कर दिया था और जैसे ही बुराई के पक्ष ने अटल लोक पार किया

वैसे ही योजना के मुताबिक सारे धनुर्धर और मायावी भालों के धारकों ने उन पर दूर से ही हमला कर दिया जिससे असुर सैनिक मरने लगे लेकिन जो भूत प्रेत पिसाच थे उन्हे कुछ भी नही हो रहा था सारे तिर और भाले उनके आर पार निकल जा रहे थे

जिसका फायदा उठा कर भूतों की सेना हवा मे उड़ते हुए आगे बढ़ने लगी जिससे अब उनका सामना पंचतत्व धारकों से होने वाला था और जैसे ही वो उनके पास पहुंचे

तो तुरंत ही अग्नि तत्व और आकाश तत्व धारक ने उन पर हमला बोल दिया तो वही नीचे से अग्नि प्रहार और आकाश से विद्युत प्रहार के एकसाथ हुए हमले से वो सारे भूतों का नाश होने लगा

जो देखकर प्रेत और पिसाच भी भूतों की सहायता के लिए पहुँच गए और वो दूर से पंचतत्व धारकों पर वार करने लगे जिसके कारण अब पंचतत्व सेना भी घायल होने लगी थी

जिसका फायदा उठा कर वो सभी युद्ध मैदान के मध्य आकर आसमान में ही उड़ते हुए युद्ध करने लगे जो देख कर महागुरु गुरु नंदी और सिंह सब हैरान रह गए थे क्योंकि उन्हे नही लगा था कि असुरों का साथ देने भूत प्रेत और पिसाच सेना भी आयेगी

तो वही पंचतत्व सैनिक भी दौड़ते हुए युद्ध मैदान मे आ गए और उनके साथ गुरु अग्नि जल और वानर गुरु भी आ गए थे और अभी कोई कुछ कर पाता उससे पहले ही पिसचों ने अपनी शक्तियों से वार करना आरंभ कर दिया और उनकी देखा देखी मे भूत और प्रेत भी हमला करने लगे

जिससे अच्छाई के पक्ष मे भारी तबाही मचने लगी वो सारे इस वक़्त आसमान में रहकर यहाँ से वहाँ उड़ते हुए वार कर रहे थे जिस वजह से नीचे से उनपर मायावी वार करना मुश्किल हो रहा था और

ये सब देख कर प्रिया और शांति भी दंग हो गयी थी अभी वो दोनों इसके बारे में सोच रहे थे की तभी प्रिया के मन में महारानी वृंदा की आवाज आने लगी

महारानी वृंदा :- प्रिया इन जीवों के लिए तुम्हे मेरी गुलाबी अग्नि का इस्तेमाल करना होगा जिससे ये जीव बच नही पाएंगे

प्रिया:- ठीक है (चिल्लाके) सारे धनुर्धर और भाले धारक हमला करने के लिए तैयार हो जाओ

अचानक प्रिया को आदेश देते देख सारे हैरान हो गए थे तो वही शांति तुरंत प्रिया के पास पहुँच गयी

शांति :- प्रिया ये क्या कर रही हो हमारे तिर और भाले उन सबके आर पार जा रहे हैं और ऐसे मे हम हमारे ही शिपहियों पर वार कर देंगे

प्रिया :- ऐसा कुछ नहीं होगा मुझ पर विश्वास रखिये मेरे पास एक योजना है

प्रिया का इतना आत्मविश्वास देख कर शांति को भी उसपर विश्वास करना पड़ा और फिर उसने शिपहियों की तरफ देखकर इशारा किया और उसके इशारा करते ही सारे सिपाहियों ने अपनी अपनी जगह ले ली और हमले के लिए तैयार हो गए

और जैसे ही प्रिया ने इशारा किया वैसे ही सबने उन भूत प्रेत पिसाच पर एक साथ हमला कर दिया जो देख वो सब हँसने लगे लेकिन जैसे ही वो तिर और भाले उनके पास पहुंचे वैसे ही उन सबके उपर प्रिया ने अपने जादू से गुलाबी आग लगा दी

और जैसे ही वो गुलाबी आग उन जीवों को लगी वैसे ही वो सारे दर्द से तड़पते हुए नीचे गिरने लगे और नीचे गिरते ही पंचतत्व सेना ने उन्हे खतम कर दिया

और अभी सब इस टुकड़ी के अंत का जश्न मना रहे थे की तभी महागुरु का दिमाग काम करने लगा और उन्हे असुरों की चाल समझ आ गयी

महागुरु :- (गुरु वानर से) तुम सब पंचतत्व सेना लेकर यहाँ आये हो तो मैदान के सीमा की सुरक्षा कौन कर रहा है

महागुरु की बात सुनकर सभी सोच मे पड़ गए लेकिन तब तक देर हो चुकी थी असुर सेना युद्ध के मैदान में आ गयी थी जिसे देखकर महागुरु ne तुरंत अपना दाया हाथ आगे किया

जिससे उनके हाथ मे एक धनुष आ गया जिसके बाद उन्होने उस धनुष को आसमान के तरफ कर दिया और उसकी प्रत्यंचा खिचने लगे और जैसे जैसे वो प्रत्यंचा खींच रहे थे वैसे ही उस धनुष पर एक तिर प्रकट होने लगा

और जैसे ही वो तिर पूरी तरह से प्रकट हो गया वैसे ही उसे महागुरु ने आसमान मे छोड़ दिया और जैसे ही वो तिर आसमान मे पहुंचा वैसे ही वो फट गया और आसमान में एक धमाका हो गया जो की इशारा था प्रिया और शांति के लिए की शत्रु घेरा तोड़ कर मैदान मे आ गया है

जो इशारा पाते ही प्रिया और शांति दोनों अपनी टुकड़ी के साथ मैदान के तरफ चल पड़े तो वही दूसरी तरफ करीबन 5000 नरभेड़ियों की सेना सबसे बच कर धरती लोक पर पहुँच गए थे

लेकिन जब वो धरती लोक मे पहुंचे तो उन्हे बहुत बड़ा धक्का लगा क्योंकि उनके सामने इस वक़्त 500 इंसानी योध्दा हाथों मे तलवारे लिए खड़े थे और उन्हे देखकर सारे नरभेड़ियों ने एक साथ उनपर हमला कर दिया

और धरती लोक पर आम इंसानों के आबादी से दूर एक और युद्ध आरंभ हो गया उन नरभेड़ियों और तलवारबाज योध्दाओं के बीच

जिसमे तलवारबाज योध्दा इतने तेजी और कुशलता से युद्ध कर रहे थे की उन नरभेड़ियों को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था इससे पहले की वो कुछ कर पाते उससे पहले ही तलवारबाजों ने बाजी मार ली थी

और फिर वो सभी पुनः इधर उधर फैल गए और फिर से धरती लोक के द्वार की सुरक्षा करने लगे तो वही दूसरी तरफ अब से कुछ समय पहले गुरु शुक्राचार्य के कुटिया मे उनके साथ मायासुर भी मौजूद था

मायासुर:- गुरुदेव वहा युद्ध आरंभ होने वाला है और आपने ऐसे अचानक मुझे ऐसे क्यों बुला लिया

गुरू :- मायासुर हमारा कोई भी कार्य निरर्थक नही होता हर एक कार्य करने पीछे एक अर्थ होता है

मायासुर:- ये मुझे ज्ञात है गुरुवर मे बस ये जानना चाहता था कि ऐसी क्या बात है जो आपने मुझे ऐसे यहाँ बुलाया

गुरु :- तुमने जिस ढोंगी को मेरे पद पर बिठाया था वो मेरे हाथों मारा गया है

मायासुर :- ये उसका खुशनसीब है की उसकी मृत्यु साक्षात आपके हाथों हुई हैं लेकिन यह कष्ट आपने क्यों उठाया आपके इस शिष्य को इशारा कर देते वही काफी था

गुरु:- मैने तुम्हे यहाँ उसके मृत्यु पर विचार विमर्श करने नही बुलाया है बल्कि ये बताने बुलाया है कि अब इंतज़ार की घड़ियाँ पूर्ण हुई हमारा कार्य पूर्ण हुआ

मायासुर :- (हैरान और खुशी से) मतलब वो वो

गुरु :- हाँ सारे महासूर अपने पूर्ण शक्तियों के साथ पुनर्जन्म ले चुके है और इस ब्रम्हान्ड के सबसे ज्यादा खतरनाक 7 लोकों के अंदर 7 अलग अलग रूपों मे जनम ले चुके है अब भी हम और 15 दिन इंतज़ार करना है जिसके बाद सारे महासूर अपनी पूरी ऊर्जा को पा लेंगे और तब हमारा मकसद पुरा होगा तीनों लोकों मे हमारा ही राज होगा

मायासुर:- सही कहा गुरुदेव अब चलिए आज आप ये भी देख लीजिये कि मेरी सेना कैसे उन सप्तऋषियों को खतम कर रही हैं

इतना बोलके मायासुर ने अपना हाथ उपर उठाया जिससे वहा एक सफेद गोला बन गया जिसमे युद्ध होते हुए दिख रहा था तो वही युद्ध का नजारा देख कर शुक्राचार्य और मायासुर दोनों दंग रह गए

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Moderator
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304
अध्याय पचास

अब तक आपने देखा की कैसे दोनों ही पक्षों में युद्ध की तैयारियां जोरों से चल रही थी जहाँ अभी तक तो अच्छाई का पक्ष कमजोर था लेकिन उनके हौसले बुलंद थे

जहाँ सारे गुरु निष्क्रिय अस्त्रों को फिर से जाग्रुत करने के लिए जमीन आसमान एक कर रहे थे अस्त्रों के इतिहास से जुड़ी हुई सारी किताबे ग्रंथों को खंगाल रहे थे

तो वही महागुरु उन सबसे अलग वो अलग अलग अस्त्रों को आव्हान कर रहे थे जो की सप्त अस्त्र जितने तो नही लेकिन वो सभी दिव्यस्त्र थे महागुरु को देखके ऐसा लगता कि उन्होंने उम्मीद ही त्याग दी थी सप्त अस्त्रों की


जहाँ अच्छाई के सब हिम्मत और एकाग्रता से युद्ध की तैयारियां कर रहे थे तो वही बुराई के पक्ष मे आपस मे मन मुटाव दिखाये दे रहे थे और इसे पीछे का कारण था मायासुर का गायब होना जी सही सुना

जब युद्ध सबके सर पे आ गया था ठीक उसी वक्त अचानक मायासुर कही गायब हो गया था और वो भी बिना बताये जिससे बुराई के पक्ष मे आपसी युद्ध के बादल मंडराने लगे थे


जिसे कामिनी और मोहिनी ने बड़े मुश्किलों से फिलहाल के लिए टाल दिया था और फिर शुरू हुआ महासंग्राम कलयुग का अच्छाई और बुराई के बीच का आमने सामने का महायुद्ध

बुराई का पक्ष अपने योजना के मुताबिक पाताल लोक से धरती लोक के तरफ निकल चुके थे लेकिन अच्छाई का पक्ष भी उसके लिए तैयार था वो सारे असुर धरती लोक पर आके आतंक मचाये

उससे पहले महागुरु ने सारे अच्छाई के योद्धाओं को योजना मुताबिक अटल लोक की सीमा पर तैनात कर दिया था और जैसे ही बुराई के पक्ष ने अटल लोक पार किया

वैसे ही योजना के मुताबिक सारे धनुर्धर और मायावी भालों के धारकों ने उन पर दूर से ही हमला कर दिया जिससे असुर सैनिक मरने लगे लेकिन जो भूत प्रेत पिसाच थे उन्हे कुछ भी नही हो रहा था सारे तिर और भाले उनके आर पार निकल जा रहे थे

जिसका फायदा उठा कर भूतों की सेना हवा मे उड़ते हुए आगे बढ़ने लगी जिससे अब उनका सामना पंचतत्व धारकों से होने वाला था और जैसे ही वो उनके पास पहुंचे

तो तुरंत ही अग्नि तत्व और आकाश तत्व धारक ने उन पर हमला बोल दिया तो वही नीचे से अग्नि प्रहार और आकाश से विद्युत प्रहार के एकसाथ हुए हमले से वो सारे भूतों का नाश होने लगा

जो देखकर प्रेत और पिसाच भी भूतों की सहायता के लिए पहुँच गए और वो दूर से पंचतत्व धारकों पर वार करने लगे जिसके कारण अब पंचतत्व सेना भी घायल होने लगी थी

जिसका फायदा उठा कर वो सभी युद्ध मैदान के मध्य आकर आसमान में ही उड़ते हुए युद्ध करने लगे जो देख कर महागुरु गुरु नंदी और सिंह सब हैरान रह गए थे क्योंकि उन्हे नही लगा था कि असुरों का साथ देने भूत प्रेत और पिसाच सेना भी आयेगी


तो वही पंचतत्व सैनिक भी दौड़ते हुए युद्ध मैदान मे आ गए और उनके साथ गुरु अग्नि जल और वानर गुरु भी आ गए थे और अभी कोई कुछ कर पाता उससे पहले ही पिसचों ने अपनी शक्तियों से वार करना आरंभ कर दिया और उनकी देखा देखी मे भूत और प्रेत भी हमला करने लगे

जिससे अच्छाई के पक्ष मे भारी तबाही मचने लगी वो सारे इस वक़्त आसमान में रहकर यहाँ से वहाँ उड़ते हुए वार कर रहे थे जिस वजह से नीचे से उनपर मायावी वार करना मुश्किल हो रहा था और

ये सब देख कर प्रिया और शांति भी दंग हो गयी थी अभी वो दोनों इसके बारे में सोच रहे थे की तभी प्रिया के मन में महारानी वृंदा की आवाज आने लगी

महारानी वृंदा :- प्रिया इन जीवों के लिए तुम्हे मेरी गुलाबी अग्नि का इस्तेमाल करना होगा जिससे ये जीव बच नही पाएंगे

प्रिया:- ठीक है (चिल्लाके) सारे धनुर्धर और भाले धारक हमला करने के लिए तैयार हो जाओ

अचानक प्रिया को आदेश देते देख सारे हैरान हो गए थे तो वही शांति तुरंत प्रिया के पास पहुँच गयी

शांति :- प्रिया ये क्या कर रही हो हमारे तिर और भाले उन सबके आर पार जा रहे हैं और ऐसे मे हम हमारे ही शिपहियों पर वार कर देंगे

प्रिया :- ऐसा कुछ नहीं होगा मुझ पर विश्वास रखिये मेरे पास एक योजना है

प्रिया का इतना आत्मविश्वास देख कर शांति को भी उसपर विश्वास करना पड़ा और फिर उसने शिपहियों की तरफ देखकर इशारा किया और उसके इशारा करते ही सारे सिपाहियों ने अपनी अपनी जगह ले ली और हमले के लिए तैयार हो गए

और जैसे ही प्रिया ने इशारा किया वैसे ही सबने उन भूत प्रेत पिसाच पर एक साथ हमला कर दिया जो देख वो सब हँसने लगे लेकिन जैसे ही वो तिर और भाले उनके पास पहुंचे वैसे ही उन सबके उपर प्रिया ने अपने जादू से गुलाबी आग लगा दी

और जैसे ही वो गुलाबी आग उन जीवों को लगी वैसे ही वो सारे दर्द से तड़पते हुए नीचे गिरने लगे और नीचे गिरते ही पंचतत्व सेना ने उन्हे खतम कर दिया

और अभी सब इस टुकड़ी के अंत का जश्न मना रहे थे की तभी महागुरु का दिमाग काम करने लगा और उन्हे असुरों की चाल समझ आ गयी

महागुरु :- (गुरु वानर से) तुम सब पंचतत्व सेना लेकर यहाँ आये हो तो मैदान के सीमा की सुरक्षा कौन कर रहा है

महागुरु की बात सुनकर सभी सोच मे पड़ गए लेकिन तब तक देर हो चुकी थी असुर सेना युद्ध के मैदान में आ गयी थी जिसे देखकर महागुरु ne तुरंत अपना दाया हाथ आगे किया


जिससे उनके हाथ मे एक धनुष आ गया जिसके बाद उन्होने उस धनुष को आसमान के तरफ कर दिया और उसकी प्रत्यंचा खिचने लगे और जैसे जैसे वो प्रत्यंचा खींच रहे थे वैसे ही उस धनुष पर एक तिर प्रकट होने लगा

और जैसे ही वो तिर पूरी तरह से प्रकट हो गया वैसे ही उसे महागुरु ने आसमान मे छोड़ दिया और जैसे ही वो तिर आसमान मे पहुंचा वैसे ही वो फट गया और आसमान में एक धमाका हो गया जो की इशारा था प्रिया और शांति के लिए की शत्रु घेरा तोड़ कर मैदान मे आ गया है

जो इशारा पाते ही प्रिया और शांति दोनों अपनी टुकड़ी के साथ मैदान के तरफ चल पड़े तो वही दूसरी तरफ करीबन 5000 नरभेड़ियों की सेना सबसे बच कर धरती लोक पर पहुँच गए थे


लेकिन जब वो धरती लोक मे पहुंचे तो उन्हे बहुत बड़ा धक्का लगा क्योंकि उनके सामने इस वक़्त 500 इंसानी योध्दा हाथों मे तलवारे लिए खड़े थे और उन्हे देखकर सारे नरभेड़ियों ने एक साथ उनपर हमला कर दिया

और धरती लोक पर आम इंसानों के आबादी से दूर एक और युद्ध आरंभ हो गया उन नरभेड़ियों और तलवारबाज योध्दाओं के बीच

जिसमे तलवारबाज योध्दा इतने तेजी और कुशलता से युद्ध कर रहे थे की उन नरभेड़ियों को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था इससे पहले की वो कुछ कर पाते उससे पहले ही तलवारबाजों ने बाजी मार ली थी

और फिर वो सभी पुनः इधर उधर फैल गए और फिर से धरती लोक के द्वार की सुरक्षा करने लगे तो वही दूसरी तरफ अब से कुछ समय पहले गुरु शुक्राचार्य के कुटिया मे उनके साथ मायासुर भी मौजूद था

मायासुर:- गुरुदेव वहा युद्ध आरंभ होने वाला है और आपने ऐसे अचानक मुझे ऐसे क्यों बुला लिया

गुरू :- मायासुर हमारा कोई भी कार्य निरर्थक नही होता हर एक कार्य करने पीछे एक अर्थ होता है

मायासुर:- ये मुझे ज्ञात है गुरुवर मे बस ये जानना चाहता था कि ऐसी क्या बात है जो आपने मुझे ऐसे यहाँ बुलाया

गुरु :- तुमने जिस ढोंगी को मेरे पद पर बिठाया था वो मेरे हाथों मारा गया है

मायासुर :- ये उसका खुशनसीब है की उसकी मृत्यु साक्षात आपके हाथों हुई हैं लेकिन यह कष्ट आपने क्यों उठाया आपके इस शिष्य को इशारा कर देते वही काफी था

गुरु:- मैने तुम्हे यहाँ उसके मृत्यु पर विचार विमर्श करने नही बुलाया है बल्कि ये बताने बुलाया है कि अब इंतज़ार की घड़ियाँ पूर्ण हुई हमारा कार्य पूर्ण हुआ

मायासुर :- (हैरान और खुशी से) मतलब वो वो

गुरु :- हाँ सारे महासूर अपने पूर्ण शक्तियों के साथ पुनर्जन्म ले चुके है और इस ब्रम्हान्ड के सबसे ज्यादा खतरनाक 7 लोकों के अंदर 7 अलग अलग रूपों मे जनम ले चुके है अब भी हम और 15 दिन इंतज़ार करना है जिसके बाद सारे महासूर अपनी पूरी ऊर्जा को पा लेंगे और तब हमारा मकसद पुरा होगा तीनों लोकों मे हमारा ही राज होगा

मायासुर:- सही कहा गुरुदेव अब चलिए आज आप ये भी देख लीजिये कि मेरी सेना कैसे उन सप्तऋषियों को खतम कर रही हैं

इतना बोलके मायासुर ने अपना हाथ उपर उठाया जिससे वहा एक सफेद गोला बन गया जिसमे युद्ध होते हुए दिख रहा था तो वही युद्ध का नजारा देख कर शुक्राचार्य और मायासुर दोनों दंग रह गए

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आज के लिए इतना ही

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Bohot achhe vajradhikari bhaiya :claps: :claps: Yufh aarambh ho chuka hai. Asur sena ke band baja di hai maha guru kibsena ne. Abhi to bhadra ka yuddh me aana baki hai. Lekin baki astro ka dharak kon banega?? Ye sochne wali baat hai.
Awesome update and superb writing ✍️
👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥
🔥🔥🔥🔥
 

sunoanuj

Well-Known Member
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Bahut hi behtarin VAJRADHIKARI bro ek dum jabardast youdh ka nazara pesh kiya hai… bus ab next updates ki utsukta or bhi jayada ho gayi hai… 👏🏻👏🏻👏🏻😀😀
 

park

Well-Known Member
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अध्याय पचास

अब तक आपने देखा की कैसे दोनों ही पक्षों में युद्ध की तैयारियां जोरों से चल रही थी जहाँ अभी तक तो अच्छाई का पक्ष कमजोर था लेकिन उनके हौसले बुलंद थे

जहाँ सारे गुरु निष्क्रिय अस्त्रों को फिर से जाग्रुत करने के लिए जमीन आसमान एक कर रहे थे अस्त्रों के इतिहास से जुड़ी हुई सारी किताबे ग्रंथों को खंगाल रहे थे

तो वही महागुरु उन सबसे अलग वो अलग अलग अस्त्रों को आव्हान कर रहे थे जो की सप्त अस्त्र जितने तो नही लेकिन वो सभी दिव्यस्त्र थे महागुरु को देखके ऐसा लगता कि उन्होंने उम्मीद ही त्याग दी थी सप्त अस्त्रों की


जहाँ अच्छाई के सब हिम्मत और एकाग्रता से युद्ध की तैयारियां कर रहे थे तो वही बुराई के पक्ष मे आपस मे मन मुटाव दिखाये दे रहे थे और इसे पीछे का कारण था मायासुर का गायब होना जी सही सुना

जब युद्ध सबके सर पे आ गया था ठीक उसी वक्त अचानक मायासुर कही गायब हो गया था और वो भी बिना बताये जिससे बुराई के पक्ष मे आपसी युद्ध के बादल मंडराने लगे थे


जिसे कामिनी और मोहिनी ने बड़े मुश्किलों से फिलहाल के लिए टाल दिया था और फिर शुरू हुआ महासंग्राम कलयुग का अच्छाई और बुराई के बीच का आमने सामने का महायुद्ध

बुराई का पक्ष अपने योजना के मुताबिक पाताल लोक से धरती लोक के तरफ निकल चुके थे लेकिन अच्छाई का पक्ष भी उसके लिए तैयार था वो सारे असुर धरती लोक पर आके आतंक मचाये

उससे पहले महागुरु ने सारे अच्छाई के योद्धाओं को योजना मुताबिक अटल लोक की सीमा पर तैनात कर दिया था और जैसे ही बुराई के पक्ष ने अटल लोक पार किया

वैसे ही योजना के मुताबिक सारे धनुर्धर और मायावी भालों के धारकों ने उन पर दूर से ही हमला कर दिया जिससे असुर सैनिक मरने लगे लेकिन जो भूत प्रेत पिसाच थे उन्हे कुछ भी नही हो रहा था सारे तिर और भाले उनके आर पार निकल जा रहे थे

जिसका फायदा उठा कर भूतों की सेना हवा मे उड़ते हुए आगे बढ़ने लगी जिससे अब उनका सामना पंचतत्व धारकों से होने वाला था और जैसे ही वो उनके पास पहुंचे

तो तुरंत ही अग्नि तत्व और आकाश तत्व धारक ने उन पर हमला बोल दिया तो वही नीचे से अग्नि प्रहार और आकाश से विद्युत प्रहार के एकसाथ हुए हमले से वो सारे भूतों का नाश होने लगा

जो देखकर प्रेत और पिसाच भी भूतों की सहायता के लिए पहुँच गए और वो दूर से पंचतत्व धारकों पर वार करने लगे जिसके कारण अब पंचतत्व सेना भी घायल होने लगी थी

जिसका फायदा उठा कर वो सभी युद्ध मैदान के मध्य आकर आसमान में ही उड़ते हुए युद्ध करने लगे जो देख कर महागुरु गुरु नंदी और सिंह सब हैरान रह गए थे क्योंकि उन्हे नही लगा था कि असुरों का साथ देने भूत प्रेत और पिसाच सेना भी आयेगी


तो वही पंचतत्व सैनिक भी दौड़ते हुए युद्ध मैदान मे आ गए और उनके साथ गुरु अग्नि जल और वानर गुरु भी आ गए थे और अभी कोई कुछ कर पाता उससे पहले ही पिसचों ने अपनी शक्तियों से वार करना आरंभ कर दिया और उनकी देखा देखी मे भूत और प्रेत भी हमला करने लगे

जिससे अच्छाई के पक्ष मे भारी तबाही मचने लगी वो सारे इस वक़्त आसमान में रहकर यहाँ से वहाँ उड़ते हुए वार कर रहे थे जिस वजह से नीचे से उनपर मायावी वार करना मुश्किल हो रहा था और

ये सब देख कर प्रिया और शांति भी दंग हो गयी थी अभी वो दोनों इसके बारे में सोच रहे थे की तभी प्रिया के मन में महारानी वृंदा की आवाज आने लगी

महारानी वृंदा :- प्रिया इन जीवों के लिए तुम्हे मेरी गुलाबी अग्नि का इस्तेमाल करना होगा जिससे ये जीव बच नही पाएंगे

प्रिया:- ठीक है (चिल्लाके) सारे धनुर्धर और भाले धारक हमला करने के लिए तैयार हो जाओ

अचानक प्रिया को आदेश देते देख सारे हैरान हो गए थे तो वही शांति तुरंत प्रिया के पास पहुँच गयी

शांति :- प्रिया ये क्या कर रही हो हमारे तिर और भाले उन सबके आर पार जा रहे हैं और ऐसे मे हम हमारे ही शिपहियों पर वार कर देंगे

प्रिया :- ऐसा कुछ नहीं होगा मुझ पर विश्वास रखिये मेरे पास एक योजना है

प्रिया का इतना आत्मविश्वास देख कर शांति को भी उसपर विश्वास करना पड़ा और फिर उसने शिपहियों की तरफ देखकर इशारा किया और उसके इशारा करते ही सारे सिपाहियों ने अपनी अपनी जगह ले ली और हमले के लिए तैयार हो गए

और जैसे ही प्रिया ने इशारा किया वैसे ही सबने उन भूत प्रेत पिसाच पर एक साथ हमला कर दिया जो देख वो सब हँसने लगे लेकिन जैसे ही वो तिर और भाले उनके पास पहुंचे वैसे ही उन सबके उपर प्रिया ने अपने जादू से गुलाबी आग लगा दी

और जैसे ही वो गुलाबी आग उन जीवों को लगी वैसे ही वो सारे दर्द से तड़पते हुए नीचे गिरने लगे और नीचे गिरते ही पंचतत्व सेना ने उन्हे खतम कर दिया

और अभी सब इस टुकड़ी के अंत का जश्न मना रहे थे की तभी महागुरु का दिमाग काम करने लगा और उन्हे असुरों की चाल समझ आ गयी

महागुरु :- (गुरु वानर से) तुम सब पंचतत्व सेना लेकर यहाँ आये हो तो मैदान के सीमा की सुरक्षा कौन कर रहा है

महागुरु की बात सुनकर सभी सोच मे पड़ गए लेकिन तब तक देर हो चुकी थी असुर सेना युद्ध के मैदान में आ गयी थी जिसे देखकर महागुरु ne तुरंत अपना दाया हाथ आगे किया


जिससे उनके हाथ मे एक धनुष आ गया जिसके बाद उन्होने उस धनुष को आसमान के तरफ कर दिया और उसकी प्रत्यंचा खिचने लगे और जैसे जैसे वो प्रत्यंचा खींच रहे थे वैसे ही उस धनुष पर एक तिर प्रकट होने लगा

और जैसे ही वो तिर पूरी तरह से प्रकट हो गया वैसे ही उसे महागुरु ने आसमान मे छोड़ दिया और जैसे ही वो तिर आसमान मे पहुंचा वैसे ही वो फट गया और आसमान में एक धमाका हो गया जो की इशारा था प्रिया और शांति के लिए की शत्रु घेरा तोड़ कर मैदान मे आ गया है

जो इशारा पाते ही प्रिया और शांति दोनों अपनी टुकड़ी के साथ मैदान के तरफ चल पड़े तो वही दूसरी तरफ करीबन 5000 नरभेड़ियों की सेना सबसे बच कर धरती लोक पर पहुँच गए थे


लेकिन जब वो धरती लोक मे पहुंचे तो उन्हे बहुत बड़ा धक्का लगा क्योंकि उनके सामने इस वक़्त 500 इंसानी योध्दा हाथों मे तलवारे लिए खड़े थे और उन्हे देखकर सारे नरभेड़ियों ने एक साथ उनपर हमला कर दिया

और धरती लोक पर आम इंसानों के आबादी से दूर एक और युद्ध आरंभ हो गया उन नरभेड़ियों और तलवारबाज योध्दाओं के बीच

जिसमे तलवारबाज योध्दा इतने तेजी और कुशलता से युद्ध कर रहे थे की उन नरभेड़ियों को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था इससे पहले की वो कुछ कर पाते उससे पहले ही तलवारबाजों ने बाजी मार ली थी

और फिर वो सभी पुनः इधर उधर फैल गए और फिर से धरती लोक के द्वार की सुरक्षा करने लगे तो वही दूसरी तरफ अब से कुछ समय पहले गुरु शुक्राचार्य के कुटिया मे उनके साथ मायासुर भी मौजूद था

मायासुर:- गुरुदेव वहा युद्ध आरंभ होने वाला है और आपने ऐसे अचानक मुझे ऐसे क्यों बुला लिया

गुरू :- मायासुर हमारा कोई भी कार्य निरर्थक नही होता हर एक कार्य करने पीछे एक अर्थ होता है

मायासुर:- ये मुझे ज्ञात है गुरुवर मे बस ये जानना चाहता था कि ऐसी क्या बात है जो आपने मुझे ऐसे यहाँ बुलाया

गुरु :- तुमने जिस ढोंगी को मेरे पद पर बिठाया था वो मेरे हाथों मारा गया है

मायासुर :- ये उसका खुशनसीब है की उसकी मृत्यु साक्षात आपके हाथों हुई हैं लेकिन यह कष्ट आपने क्यों उठाया आपके इस शिष्य को इशारा कर देते वही काफी था

गुरु:- मैने तुम्हे यहाँ उसके मृत्यु पर विचार विमर्श करने नही बुलाया है बल्कि ये बताने बुलाया है कि अब इंतज़ार की घड़ियाँ पूर्ण हुई हमारा कार्य पूर्ण हुआ

मायासुर :- (हैरान और खुशी से) मतलब वो वो

गुरु :- हाँ सारे महासूर अपने पूर्ण शक्तियों के साथ पुनर्जन्म ले चुके है और इस ब्रम्हान्ड के सबसे ज्यादा खतरनाक 7 लोकों के अंदर 7 अलग अलग रूपों मे जनम ले चुके है अब भी हम और 15 दिन इंतज़ार करना है जिसके बाद सारे महासूर अपनी पूरी ऊर्जा को पा लेंगे और तब हमारा मकसद पुरा होगा तीनों लोकों मे हमारा ही राज होगा

मायासुर:- सही कहा गुरुदेव अब चलिए आज आप ये भी देख लीजिये कि मेरी सेना कैसे उन सप्तऋषियों को खतम कर रही हैं

इतना बोलके मायासुर ने अपना हाथ उपर उठाया जिससे वहा एक सफेद गोला बन गया जिसमे युद्ध होते हुए दिख रहा था तो वही युद्ध का नजारा देख कर शुक्राचार्य और मायासुर दोनों दंग रह गए

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आज के लिए इतना ही

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Nice and superb update....
 
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