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Awesome updateअध्याय चवालीस (महा युद्ध भाग 2)
मायासुर का आदेश पाते ही ज्वालासुर ने उन दोनों पर अपनी सबसे खतरनाक अग्नि वार से हमला किया जो उन दोनों को हानि पहुंचा पाता उससे पहले ही उन दोनों के सामने एक पत्थर की मजबूत दीवार आ गयी
जिससे टकरा कर ज्वालासुर का वार भी विफल हो गया और ये देख कर सारे महासूर दंग रह गए और उनसे भी ज्यादा दंग थे महागुरु वो दीवार देखकर केवल एक ही शब्द बोल पाए
महागुरु :- पृथ्वी अस्त्र
महागुरु के मुह से ये शब्द सुनते ही प्रिया भी दंग रह गयी तो वही जब वो दीवार हटी तो ज्वालासुर के आग के वजह से वहाँ पर हर तरफ धुआ फैल गया था और जब वो धुआ हल्का हल्का हटने लगा
तो वहा सबको उस धुए के बीच मे किसी की परछाई दिखने लगी जिसे देखकर महागुरु के चेहरे पर हल्की मुस्कान और हैरानी दिखने लगी थी तो वही जब प्रिया ने उस परछाई को ध्यान से देखा तो वहा पर मे खड़ा था बिल्कुल शांत और एकाग्र
तो वही मुझे देखकर महागुरु ने प्रिया को अपने पास बुलाया
महागुरु:- प्रिया मेरे हाथ से जब कालस्त्र उन असुरों ने छिना था तभी मेरे द्वारा लगाए सारे कवच अपने आप हट गए थे और अब तुम्हे इस फैक्टरी के चारों तरफ अपना कवच बनाना होगा जिससे ये असुर आज अपनी मौत से भाग न पाए मे तुम्हे मंत्र बताता हूँ तुम महारानी वृंदा के अनुभव और शक्तियों का इस्तेमाल करो
महागुरु की बात सुनकर प्रिया ने केवल हा मे सर हिलाया और उसके बाद उन दोनों ने मिलकर फैक्टरी के चारों तरफ कवच लगा दिया जो बिल्कुल महागुरु के कवच जैसा ही था
लेकिन महागुरु की बात सुनकर प्रिया हैरान हो गयी थी क्योंकि महागुरु ने ही कुछ समय पहले मुझे और प्रिया इस सब के लिए कमजोर बताया था हम अभी तक इस सब के लिए तैयार नहीं है ऐसा कहा था और अब वो खुद मुझे अकेले महासुरों की मौत बता रहे थे
तो वही जब महासुरों ने और मायासुर ने मुझे देखा तो उन्हे लगा की मे भी महागुरु aur baki गुरुओं जैसा अस्त्र धारक हूँ और जब उन्हे मेरे अंदर से पृथ्वी अस्त्र की ऊर्जा को महसूस किया तो
सबसे पहले महादंश मुझ से लड़ने आगे बढ़ने लगा तो वही जब मेनें उसे अपने तरफ आता देखा तो मेने अपने दोनों हाथ अपने जेब में डाल कर वैसे ही शांति और एकाग्र से खड़ा रहा
और जैसे ही महादंश ने मुझे अपने घुसे से मारना चाहा तो वैसे ही मे अपनी जगह पर ही खड़े होकर बाजू मे झुक गया जिससे उसका वार बेकार चला गया जिसे देखकर सारे महासूर हैरान थे
तो वही अपना वार बेकार जाते देख वो और गुस्से मे आ गया था और वो मुझपर और भी ज्यादा गुस्से मे और तेजी से वार करने लगा लेकिन मे वैसे ही अपने जगह पर खड़ा हो कर उसके वार से बच रहा था जैसे की मानो मे उसके साथ कोई खेल खेल रहा हूँ
जिस वजह वो और भी गुस्से मे आ गया और उसने गुस्से मे अभी अंधाधुंद हो कर वार करने लगा लेकिन जितना तेज उसका वार होता उससे ज्यादा तेज मेरा बचाव होता
लेकिन मे अभी बाजू मे हट कर उसके वारों से बचाव कर रहा था कि तभी उसका एक घुसा मेरे सीने से टकरया और जैसे ही उसका हाथ मुझे लगा तो मुझे तो कुछ महसूस नही हुआ क्योंकि पृथ्वी अस्त्र से पूरी तरह जुड़ने के बाद से मेरा शरीर वज्र जैसा मजबूत हो गया था
जिससे टकरा कर महादंश के ही हाथ में दर्द होने लगा था और तभी मैने अपने दोनों हाथ अपने जेब से निकाल लिए और फिर मैंने महादंश पर अपने घूसों से वार करना शुरू किया जिससे वो बच न सका और फिर में बिना रुके तेजी से उसपर वार करने लगा
सबको देखने से ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे अचानक दस हाथ आ गए है इतने तेज मेरे वार महादंश पर हो रहे थे और जिसे गिनना तो दूर जब तक उस मेरा एक वार महसूस होता उससे पहले ही मेरे और 2 वार उस लग चुके होते और
जब मेरा घूसों से मन भर गया था तब मैने महादंश पर अपना आखिरी वार किया जो उसके सीने पर होने वाला था और फिर मैने अपने घुसे को पूरी ताकत से उसके सीने पर वार किया जिससे मेरा वो वार उसके सीने से आर पार हो गया था
और ऐसा करने के तुरंत बाद मैने महादंश के शरीर को बाकी महासुरों की तरफ फ़ेक दिया और खुद फिर से अपनी जगह आकर खड़ा हो गया जैसे कुछ हुआ ही नही हो
तो वही ये सब इतनी तेज हो रहा था कि जो देखकर महासूर और मायासुर क्या बल्कि महागुरु और प्रिया भी दंग थी की एक पल पहले मे और महादंश एक दूसरे से लड़ रहे थे
और अगले ही पल महादंश महासुरों के चरणों में खून से लथपथ पड़ा हुआ था और मे महागुरु और प्रिया के सामने खड़ा हो कर महासुरों के अगले वार का इंतज़ार कर रहा था
तो वही जब सभी महासुरों ने अपने साथी का ये हाल देखा तो सभी दंग रह गए भले ही वो प्रतिबिंब हो लेकिन फिर भी उनका ये हाल करना हर किसी के बस मे नही था और जब सभी महासुरों ने ये देखा तो वो सारे इसके पीछे का कारण भी समझ गए
विशंतक :- एक मामूली अस्त्र धारक ने महादंश का प्रतिबिंब का ये हाल कैसे किया
क्रोधसूर :- क्योंकि वो बालक आम धारक न हो कर एक महाधारक है
बलासुर :- महाधारक लेकिन क्या ये संभव है इस युग मे
ज्वालासुर:- हा सही कहा वो बालक इस सदी का पहला महाधारक है और अभी हम इसके लिए तैयार नहीं है
जब सारे महासूर ऐसे खुसुर फुसुर कर रहे थे तब मे उन्हे ही घूर रहा था तो वही सभी महासुरों को यूद्ध छोड़कर बाते करते देख कर मायासुर का क्रोध बढ़ते जा रहा था
मायासुर:- तुम सब क्या खुसुर फुसुर कर रहे हो मारो उसे जाकर खतम करो
क्रोधसूर :- मायासुर मेरी बात सुनो ये कोई आम धारक नही है अगर अपनी जान प्यारी है तो निकलो यहाँ से हमारे पास पहले ही अग्नि, जल और सबसे महत्वपूर्ण कालास्त्र आ गए हैं अभी के लिए ये बहुत है
मायासुर जो पहले ही महादंश का हाल देखकर डरने लगा था तो वही क्रोधसूर की बात सुनकर वो भी वहा से भागने लगा था लेकिन जैसे ही उन्होंने भागने की कोशीश की वैसे ही वो सभी प्रिया द्वारे बनाये कवच से टकरा गए
और जैसे ही वो जमीन पर गिरने वाले थे में तुरंत जाकर उन मेसे बलासुर को पकड़ कर अपने जगह पर ले आया और अभी कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही बलासुर के दोनों हाथ उसके शरीर से खिच कर अलग कर दिये
जिससे उसकी चीख वहा के पूरे वातावरण मे फैल गयी और जब उसके हाथों से मेरा मन नही भरा तो मेने उसका सिर पकड़ कर उसके धड़ से उखाड़ दिया जिससे उन महासुरों की तो जैसे साँस ही अटक गई थी
और फिर मेने क्रोधासुर को घूरते हुए अपना हाथ उपर उठाया और उसके हाथ मे पकड़े हुए कालास्त्र की तरफ इशारा किया जो देखकर क्रोधासुर ने कालास्त्र को और मजबूती से पकड़ लिया
अगर मे चाहता तो एक पल मे उनसे अस्त्र छिन लेता लेकिन उनके आँखों में मेरे प्रति जो खौफ दिख रहा था वो देखकर मुझे संतुष्टि प्राप्त हो रही थी और अभी मे किसी दूसरे महासूर के तरफ बढ़ता
उससे पहले ही मेरे कानों मे महागुरु के करहने की आवाज आने लगी जिससे मेरा ध्यान उन महासुरों से हट गया और इसी का फायदा उठा कर मायासुर ने फिर से एक बार अपनी माया से सारे महासुरों को गायब कर दिया
लेकिन मैने इस सब को दुर्लक्ष करके महागुरु के तरफ बढ़ा जो अभी दर्द से तड़प रहे थे जिनको ऐसी हालत में देखकर मेरा गुस्सा बहुत बढ़ गया था
और मे महासुरों के तरफ बढ़ता उससे पहले महागुरु ने मुझे अपने पास आने का इशारा किया और जब मे उनके पास पहुँचा तो उन्होंने मुझे भी अस्त्रों के उसी नियम से अवगत कराया जो उन्होंने महासुरों को बताया था
महागुरु :- भद्रा भले ही कालास्त्र ने मुझे अपने धारक के रूप में स्वीकार न किया हो लेकिन फिर भी हम जुड़ चुके है और जब तक मे न मर जाऊ या मुझसे काबिल धारक अस्त्र को न मिल जाए तब तक कोई भी इसे इस्तेमाल नही कर पायेगा और किसीने जबरदस्ती की तो वो अस्त्र अपनी सारी शक्तियाँ खो कर आम अस्त्र बन जायेगा इसीलिए तुम्हारा सबसे पहला उद्देश्य अस्त्र को अपने अधीन लेना होगा उसके लिए भले ही असुरों को जिंदा छोड़ना पड़े क्योंकि अगर मे मर गया तो कालास्त्र असुरों का हो जायेगा इसीलिए अपने दिमाक को शांत रखना जिस एकाग्र बुद्धि और शांत मन से तुमने असुरों से आज यूद्ध किया है उसी तरह आगे भी लढना
इतना बोलने के साथ ही महागुरु बेहोश हो गए जो देखकर मैने प्रिया को जल्द ही आश्रम जाने को कहा पहले तो वो तैयार नही थी लेकिन मौके की नजाकत को समझते हुए वो महागुरु को वहा से ले गयी
तो वही जब मेरा ध्यान हटा तो सारे महासूर और मायासुर फैक्टरी के अंदर जाकर छुप गए तो वही उनके पीछे पीछे मे भी फैक्टरी मे घुस गया
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आज के लिए इतना ही
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Nice update....अध्याय चवालीस (महा युद्ध भाग 2)
मायासुर का आदेश पाते ही ज्वालासुर ने उन दोनों पर अपनी सबसे खतरनाक अग्नि वार से हमला किया जो उन दोनों को हानि पहुंचा पाता उससे पहले ही उन दोनों के सामने एक पत्थर की मजबूत दीवार आ गयी
जिससे टकरा कर ज्वालासुर का वार भी विफल हो गया और ये देख कर सारे महासूर दंग रह गए और उनसे भी ज्यादा दंग थे महागुरु वो दीवार देखकर केवल एक ही शब्द बोल पाए
महागुरु :- पृथ्वी अस्त्र
महागुरु के मुह से ये शब्द सुनते ही प्रिया भी दंग रह गयी तो वही जब वो दीवार हटी तो ज्वालासुर के आग के वजह से वहाँ पर हर तरफ धुआ फैल गया था और जब वो धुआ हल्का हल्का हटने लगा
तो वहा सबको उस धुए के बीच मे किसी की परछाई दिखने लगी जिसे देखकर महागुरु के चेहरे पर हल्की मुस्कान और हैरानी दिखने लगी थी तो वही जब प्रिया ने उस परछाई को ध्यान से देखा तो वहा पर मे खड़ा था बिल्कुल शांत और एकाग्र
तो वही मुझे देखकर महागुरु ने प्रिया को अपने पास बुलाया
महागुरु:- प्रिया मेरे हाथ से जब कालस्त्र उन असुरों ने छिना था तभी मेरे द्वारा लगाए सारे कवच अपने आप हट गए थे और अब तुम्हे इस फैक्टरी के चारों तरफ अपना कवच बनाना होगा जिससे ये असुर आज अपनी मौत से भाग न पाए मे तुम्हे मंत्र बताता हूँ तुम महारानी वृंदा के अनुभव और शक्तियों का इस्तेमाल करो
महागुरु की बात सुनकर प्रिया ने केवल हा मे सर हिलाया और उसके बाद उन दोनों ने मिलकर फैक्टरी के चारों तरफ कवच लगा दिया जो बिल्कुल महागुरु के कवच जैसा ही था
लेकिन महागुरु की बात सुनकर प्रिया हैरान हो गयी थी क्योंकि महागुरु ने ही कुछ समय पहले मुझे और प्रिया इस सब के लिए कमजोर बताया था हम अभी तक इस सब के लिए तैयार नहीं है ऐसा कहा था और अब वो खुद मुझे अकेले महासुरों की मौत बता रहे थे
तो वही जब महासुरों ने और मायासुर ने मुझे देखा तो उन्हे लगा की मे भी महागुरु aur baki गुरुओं जैसा अस्त्र धारक हूँ और जब उन्हे मेरे अंदर से पृथ्वी अस्त्र की ऊर्जा को महसूस किया तो
सबसे पहले महादंश मुझ से लड़ने आगे बढ़ने लगा तो वही जब मेनें उसे अपने तरफ आता देखा तो मेने अपने दोनों हाथ अपने जेब में डाल कर वैसे ही शांति और एकाग्र से खड़ा रहा
और जैसे ही महादंश ने मुझे अपने घुसे से मारना चाहा तो वैसे ही मे अपनी जगह पर ही खड़े होकर बाजू मे झुक गया जिससे उसका वार बेकार चला गया जिसे देखकर सारे महासूर हैरान थे
तो वही अपना वार बेकार जाते देख वो और गुस्से मे आ गया था और वो मुझपर और भी ज्यादा गुस्से मे और तेजी से वार करने लगा लेकिन मे वैसे ही अपने जगह पर खड़ा हो कर उसके वार से बच रहा था जैसे की मानो मे उसके साथ कोई खेल खेल रहा हूँ
जिस वजह वो और भी गुस्से मे आ गया और उसने गुस्से मे अभी अंधाधुंद हो कर वार करने लगा लेकिन जितना तेज उसका वार होता उससे ज्यादा तेज मेरा बचाव होता
लेकिन मे अभी बाजू मे हट कर उसके वारों से बचाव कर रहा था कि तभी उसका एक घुसा मेरे सीने से टकरया और जैसे ही उसका हाथ मुझे लगा तो मुझे तो कुछ महसूस नही हुआ क्योंकि पृथ्वी अस्त्र से पूरी तरह जुड़ने के बाद से मेरा शरीर वज्र जैसा मजबूत हो गया था
जिससे टकरा कर महादंश के ही हाथ में दर्द होने लगा था और तभी मैने अपने दोनों हाथ अपने जेब से निकाल लिए और फिर मैंने महादंश पर अपने घूसों से वार करना शुरू किया जिससे वो बच न सका और फिर में बिना रुके तेजी से उसपर वार करने लगा
सबको देखने से ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे अचानक दस हाथ आ गए है इतने तेज मेरे वार महादंश पर हो रहे थे और जिसे गिनना तो दूर जब तक उस मेरा एक वार महसूस होता उससे पहले ही मेरे और 2 वार उस लग चुके होते और
जब मेरा घूसों से मन भर गया था तब मैने महादंश पर अपना आखिरी वार किया जो उसके सीने पर होने वाला था और फिर मैने अपने घुसे को पूरी ताकत से उसके सीने पर वार किया जिससे मेरा वो वार उसके सीने से आर पार हो गया था
और ऐसा करने के तुरंत बाद मैने महादंश के शरीर को बाकी महासुरों की तरफ फ़ेक दिया और खुद फिर से अपनी जगह आकर खड़ा हो गया जैसे कुछ हुआ ही नही हो
तो वही ये सब इतनी तेज हो रहा था कि जो देखकर महासूर और मायासुर क्या बल्कि महागुरु और प्रिया भी दंग थी की एक पल पहले मे और महादंश एक दूसरे से लड़ रहे थे
और अगले ही पल महादंश महासुरों के चरणों में खून से लथपथ पड़ा हुआ था और मे महागुरु और प्रिया के सामने खड़ा हो कर महासुरों के अगले वार का इंतज़ार कर रहा था
तो वही जब सभी महासुरों ने अपने साथी का ये हाल देखा तो सभी दंग रह गए भले ही वो प्रतिबिंब हो लेकिन फिर भी उनका ये हाल करना हर किसी के बस मे नही था और जब सभी महासुरों ने ये देखा तो वो सारे इसके पीछे का कारण भी समझ गए
विशंतक :- एक मामूली अस्त्र धारक ने महादंश का प्रतिबिंब का ये हाल कैसे किया
क्रोधसूर :- क्योंकि वो बालक आम धारक न हो कर एक महाधारक है
बलासुर :- महाधारक लेकिन क्या ये संभव है इस युग मे
ज्वालासुर:- हा सही कहा वो बालक इस सदी का पहला महाधारक है और अभी हम इसके लिए तैयार नहीं है
जब सारे महासूर ऐसे खुसुर फुसुर कर रहे थे तब मे उन्हे ही घूर रहा था तो वही सभी महासुरों को यूद्ध छोड़कर बाते करते देख कर मायासुर का क्रोध बढ़ते जा रहा था
मायासुर:- तुम सब क्या खुसुर फुसुर कर रहे हो मारो उसे जाकर खतम करो
क्रोधसूर :- मायासुर मेरी बात सुनो ये कोई आम धारक नही है अगर अपनी जान प्यारी है तो निकलो यहाँ से हमारे पास पहले ही अग्नि, जल और सबसे महत्वपूर्ण कालास्त्र आ गए हैं अभी के लिए ये बहुत है
मायासुर जो पहले ही महादंश का हाल देखकर डरने लगा था तो वही क्रोधसूर की बात सुनकर वो भी वहा से भागने लगा था लेकिन जैसे ही उन्होंने भागने की कोशीश की वैसे ही वो सभी प्रिया द्वारे बनाये कवच से टकरा गए
और जैसे ही वो जमीन पर गिरने वाले थे में तुरंत जाकर उन मेसे बलासुर को पकड़ कर अपने जगह पर ले आया और अभी कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही बलासुर के दोनों हाथ उसके शरीर से खिच कर अलग कर दिये
जिससे उसकी चीख वहा के पूरे वातावरण मे फैल गयी और जब उसके हाथों से मेरा मन नही भरा तो मेने उसका सिर पकड़ कर उसके धड़ से उखाड़ दिया जिससे उन महासुरों की तो जैसे साँस ही अटक गई थी
और फिर मेने क्रोधासुर को घूरते हुए अपना हाथ उपर उठाया और उसके हाथ मे पकड़े हुए कालास्त्र की तरफ इशारा किया जो देखकर क्रोधासुर ने कालास्त्र को और मजबूती से पकड़ लिया
अगर मे चाहता तो एक पल मे उनसे अस्त्र छिन लेता लेकिन उनके आँखों में मेरे प्रति जो खौफ दिख रहा था वो देखकर मुझे संतुष्टि प्राप्त हो रही थी और अभी मे किसी दूसरे महासूर के तरफ बढ़ता
उससे पहले ही मेरे कानों मे महागुरु के करहने की आवाज आने लगी जिससे मेरा ध्यान उन महासुरों से हट गया और इसी का फायदा उठा कर मायासुर ने फिर से एक बार अपनी माया से सारे महासुरों को गायब कर दिया
लेकिन मैने इस सब को दुर्लक्ष करके महागुरु के तरफ बढ़ा जो अभी दर्द से तड़प रहे थे जिनको ऐसी हालत में देखकर मेरा गुस्सा बहुत बढ़ गया था
और मे महासुरों के तरफ बढ़ता उससे पहले महागुरु ने मुझे अपने पास आने का इशारा किया और जब मे उनके पास पहुँचा तो उन्होंने मुझे भी अस्त्रों के उसी नियम से अवगत कराया जो उन्होंने महासुरों को बताया था
महागुरु :- भद्रा भले ही कालास्त्र ने मुझे अपने धारक के रूप में स्वीकार न किया हो लेकिन फिर भी हम जुड़ चुके है और जब तक मे न मर जाऊ या मुझसे काबिल धारक अस्त्र को न मिल जाए तब तक कोई भी इसे इस्तेमाल नही कर पायेगा और किसीने जबरदस्ती की तो वो अस्त्र अपनी सारी शक्तियाँ खो कर आम अस्त्र बन जायेगा इसीलिए तुम्हारा सबसे पहला उद्देश्य अस्त्र को अपने अधीन लेना होगा उसके लिए भले ही असुरों को जिंदा छोड़ना पड़े क्योंकि अगर मे मर गया तो कालास्त्र असुरों का हो जायेगा इसीलिए अपने दिमाक को शांत रखना जिस एकाग्र बुद्धि और शांत मन से तुमने असुरों से आज यूद्ध किया है उसी तरह आगे भी लढना
इतना बोलने के साथ ही महागुरु बेहोश हो गए जो देखकर मैने प्रिया को जल्द ही आश्रम जाने को कहा पहले तो वो तैयार नही थी लेकिन मौके की नजाकत को समझते हुए वो महागुरु को वहा से ले गयी
तो वही जब मेरा ध्यान हटा तो सारे महासूर और मायासुर फैक्टरी के अंदर जाकर छुप गए तो वही उनके पीछे पीछे मे भी फैक्टरी मे घुस गया
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आज के लिए इतना ही
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Nice update broअध्याय पैन्तालिस
(अस्त्रों के धारक के दो प्रकार होते है पहला आम धारक जो अपने ज्ञान और तपस्या से अस्त्रों की कुछ प्रतिशत शक्तियों का इस्तेमाल कर सकते है जैसे महागुरु और उनके साथी और दूसरा प्रकार है महाधारक जिसे खुद अस्त्र चुनता है अपने धारक के रूप मे जैसे भद्रा )
जब मेरा ध्यान हटा तो सारे महासूर और मायासुर फैक्टरी के अंदर जाकर छुप गए तो वही उनके पीछे पीछे मे भी फैक्टरी मे घुस गया और जब मे फैक्टरी में घुसा तो मेरा सर ही चकरा गया क्योंकि बाहर से खंडहर दिखने वाली फैक्टरी अंदर से किसी आलीशान महल के जैसे लग रही थी
अभी मे उसकी आलीशान चीजे देखने में व्यस्त था कि तभी किसी ने मेरे पीठ पर वार करने के प्रयास किया लेकिन वो वार मुझे चोटिल न कर पाया लेकिन उस के वजह से मेरा संतुलन बिगड़ गया था
लेकिन उसे भी मैने जल्दी संभाल लिया था और जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा पर कोई नहीं था और जब मैने आस पास देखने का प्रयास किया तो वहा पूरे फैक्टरी में मेरे अलावा कोई नहीं था जो देखके मे दंग हो गया था
लेकिन जल्द ही मेरे समझ में आ गया की यह कुछ भी सच नही है ये सब मायासुर की माया है जो मुझे छल से मारने के लिए रची थी और इसका पता चलते ही मे सतर्क हो गया
लेकिन तभी एक बार फिर से मेरे पीठ पर किसी ने वार किया जिसे देखने देखने के लिए मे जैसे ही पीछे मुड़ वैसे ही फिर से मेरे पीठ पर वार हुआ जिससे मे जमीन पर गिर गया और जैसे ही मे जमीन पर गिरा वैसे ही मेरे उपर चारों तरफ से अग्नि प्रहार होने लगा
जिससे अब मुझे भी पीड़ा होने लगी थी और मेरे शरीर भी जलने लगा था लेकिन तभी मेरे शरीर के चारों तरफ प्रिया की गुलाबी आग का कवच आ गया जिस वजह से मे उस आग से बच गया
और अभी वो कवच हटा ही था कि तभी मेरे दिमाग मे महागुरु की कही हुई बात आ गयी जिसके बाद मैने महागुरु की बात मानते हुए सबसे पहले खुदके दिमाग को शांत और एकाग्र किया और उस आग का स्त्रोत ढूँढने लगा
और जल्द ही वो मुझे मिल भी गया भले ही आग का हमला चारो तरफ से हो रहा था लेकिन इसका स्त्रोत मतलब ज्वालासुर मेरे से कुछ दूरी पर ही खड़ा था
और उसकी लोकेशन मिलते ही मैने सबसे पहले पृथ्वी अस्त्र के मदद से जहाँ पर ज्वालासुर खड़ा था वहा की जमीन को हवा मे उठा दिया जिससे ज्वालासुर का ध्यान बट गया और उसका अग्नि प्रहार भी खतम हो गया
और ऐसा होते ही मैने बिना एक भी पल गवाए तुरंत ही दौड़ते हुए ज्वालासुर के सामने पहुँच गया और तुरंत ही मैने एक घुसा हवा मे मार दिया जो की जाकर सीधा ज्वालासुर के पेट मे लगा जिससे वो जाके दूर गिर गया
और अपने अदृश्य होने का फायदा उठा कर मुझ से दूर हो गया तो वही मायासुर की माया को समझने के बाद मैने अपने आँखों को बंद कर के मेरे बाकी इंद्रियों को सक्रिय किया जिससे अब मे कुछ देख नही सकता था
लेकिन मेरे आसपास होने वाली हर एक गतिविधियों पर मेरी नज़र थी और फिर मैने अपनी दोनों तलवारे भी बुला ली जिन्हे देख कर मायासुर हैरान रह गया ऐसा मानो जैसे कि उस किसी ने 440 वोल्ट का करंट मार दिया हो
तो वही जब मै अपनी आँखे बंद किये खड़ा था तो बलासुर इसे मुझे मारने का मौका समझ कर मेरे पास बढ़ने लगा था वो भले ही अदृश्य था लेकिन फिर भी उसके चलते वक़्त आसपास की हवा मे होता बदलाव मे साफ साफ महसूस कर पा रहा था
और इससे पहले की वो मुझ पर फिर से एक बार वार करता मैने अपनी तलवार घुमा दी जिसके कारण उसका हाथ उसके शरीर से अलग हो गया
और जब उसे इस बात का एहसास हुआ तो वो दर्द के मारे अपना गला फाड़ के चिल्लाने लगा और तभी उसकी आवाज सुनकर मैने उसकी लोकेशन का पता लगा लिया और फिर तुरंत अपनी दूसरी तलवार से उसका गला काट दिया
और बलासुर का काम भी खतम हो गया तो वही अपने साथी का कटा सिर देखकर तो उसका क्रोध उसके चरम पर पहुँच गया और वो मुझ पर फिर से एक बार अग्नि प्रहार करने का प्रयास कर रहा था जो देखकर क्रोधासुर उसे रोक रहा था लेकिन कहते है न विनाशकाले विपरीत बुद्धि
वही हाल ज्वालासुर का था जैसे ही उसने अग्नि प्रहार आरंभ किया वैसे उसके अग्नि का ताप मुझे महसूस हो गया और मे तुरंत वहा पहुँच गया और फिर अपनी तलवार से एक ही वार मे ज्वालासुर को दो टुकड़ो मे बाट दिया
और पुन्हा अपनी जगह आकर वैसे ही शांति से खड़ा हो गया और अभी मे वैसे शांत हो कर क्रोधासुर और मायासुर को ढूंढ रहा था लेकिन दोनो भी बड़े शातिर थे बिना किसी हलचल के वो दोनों शांत खड़े थे
जहाँ मायासुर मेरी तलवारे और उसकी धार देखकर सोच मे पड़ गया था तो वही क्रोधासुर बस मुझे ही घूरे जा रहा था मेरे अगले चाल का अंदाजा लगा रहा था तो वही अब मेरा धीरज जवाब देने लगा था
और फिर मैरे दिमाग मे एक तरकीब आई जिसके अनुसार मैने अपनी दोनों तलवारों को एक दूसरे पर घिसने लगा था और जैसे जैसे मे तलवारे घिस रहा था वैसे वैसे ही आसमां मे बिजलियाँ चमक रही थी
और ये नजारा देख कर जहाँ क्रोधासुर को कुछ समझ नही आ रहा था तो वही मायासुर मेरे अगले वार को समझ गया था और वो तुरंत जमीन पर लेट गया और उसके लेटते ही मुझे हवा में हल्का बदलाव महसूस होने लगा जो महसूस करते ही
मैने अपनी दोनों तलवारों को पहले की तरह X की तरह रखा और जैसे ही मैने वो मंत्र पढ़ा वैसे ही आसमान से भयानक बिजली आकर मेरी तलवरों पर गिरी जिससे प्रिया का लगाया हुआ कवच और मायासुर की माया सब नष्ट हो गयी
और कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही मैने वो भयानक बिजली उस फैक्टरी के चारों तरफ मौड दिया जिससे क्रोधासुर का प्रतिबिंब भी उसके साथियों जैसे खतम हो गया उस फैक्टरी मे ही छुपी ही सारे छोटे मोटे असुर भी जलकर राख मे बदल गए
तो वही मोहिनी और कामिनी वो दोनों मुझ से बहुत दूर खड़ी थी जिस वजह से वो दोनों मरी नही लेकिन दोनों भी बुरी तरह जख्मी हो गयी थी जिस वजह से उनके पास जो कवच थे जिसमे अग्नि और नंदी अस्त्र धारकों को कैद किया हुआ था वो उनके हाथ से छूट गए
तो वही मायासुर जमीन पर लेटने के वजह से मरा तो नही था लेकिन उसकी भी हालत खराब हो गयी थी और अभी मे उसके तरफ बढ़ता उससे पहले ही वो फैक्टरी दहने लगी
और मुझे कुछ दूरी से पुलिस और अग्निशमन दल के गाड़ियों की आवाज भी आने लगी जो शायद बेमौसम बिजली गिरने की तहकीकात करने आये थे
जो सुनकर मैने सबसे पहले अस्त्रों की सुरक्षा करना सही समझा इसीलिए मैने सबसे पहले क्रोधासुर की लाश से कालस्त्र लिया और फिर थोड़ा ढूँढने के बाद मुझे नंदी और जल अस्त्र भी मिले जो अपने धारकों के साथ कैद थे
जिसके बाद में वो सब ले कर फैक्टरी के सामने वाले पर्वत पर पहुँच गया मुझे महागुरु की चिंता तो हो रही थी लेकिन साथ मे ही मे इतने सारे इंसानो को असुरों के पास नही छोड़ सकता था और खुलकर सामने भी नही जा सकता था
इसीलिए छुपकर मे ध्यान रख रहा था असुरों की लाशे तो पहले बिजली वाले वार से राख हो गयी थी तो वही जो असुर अभी भी जिंदा थे उन्हे कोई भी आम आदमी देख ही नहीं सकता था
अभी मे उस तरफ जहाँ मायासुर और उसके साथी बेहोश पड़े हुए थे वहाँ गौर से देख रहा था कि तभी मेरे हाथ मे पकडा हुआ कालस्त्र चमकने लगा था लेकिन इस वक्त मेरा पुरा ध्यान उन असुरों पर ही था
जिससे वो चमक मुझे दिखाई नही दे रही थी और अभी मे मायासुर पर नजर बनाये रखा था कि तभी मुझे वहा से कोई जादुई द्वार के मदद से जाते हुए दिखा इसका मतलब की मायासुर और उसके साथी अपनी दुम दबाकर भाग निकले है
और जब मैने अपने हाथ मे पकड़े हुए अस्त्र की तरफ देखा तो वो चमकना बंद हो गया था लेकिन फिर भी मुझे कुछ गड़बड़ महसूस हो रही थी जिसे मैने अपना भ्रम मानकर इग्नोर कर दिया
लेकिन अभी भी एक बड़ा सवाल था और वो था की बाकी दो अस्त्र धारकों को श्रपित कवच से कैसे बाहर निकाले जिसके बारे में सोचकर मे निराश हो गया था क्योंकि जितना भी सोच लूँ कोई रास्ता नही मिल रहा था कि तभी मेरे मन में कुमार की आवाज आई
कुमार:- निराश मत हो भद्रा इस श्रपित कवच को तोड़ने का एक रास्ता है लेकिन उसके लिए तुम्हे कुछ समय के लिए अपने शरीर को मेरे हवाले करना होगा जिससे मे उस विद्या का इस्तेमाल कर पाउ
मे :- ऐसी कोनसी विद्या है मुझे बताओ मे कर लूंगा
कुमार :- नही भद्रा न मे बता पाऊंगा न तुम कर पाओगे इसका एक ही रास्ता है मुझे कुछ पल के लिए अपना शरीर सौंप दो
भद्रा:- कोशीश तो करो मे सब कुछ कर सकता हूँ
कुमार:- भद्रा समझो हमारे पास समय नही है श्रपित कवच हर पल उनकी सात्विक ऊर्जा खिच रहा है और वो ये तब तक करेगा जब तक धारक अपने स्वेच्छा से अस्त्र का त्याग न कर दे या फिर वो मर न जाए और तुम जानते हो की धारक कभी भी अपने अस्त्र का त्याग कर के पाप के सामने झुकेंगे नही और सबसे बड़ी बात का तुम्हारा मुझपर विश्वास नहीं है
कुमार की बाते सुनकर मेरा भी मन घबराने लगा था और ये भी सच था कि जब मेरा खुद पर भरोषा नहीं था तब भी कुमार ने मुझे विश्वास दिलाया था इसीलिए आज मुझे भी उसपर भरोशा करना होगा और यही सोचकर मैने अपना शरीर कुमार के हवाले कर दिया
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आज के लिए इतना ही
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Adhbhut aditya ek dum solid update hai … maza aa gaya mitr … har updates agle update ke intezar ko taklifon ko or bhi jayada badha detaअध्याय पैन्तालिस
(अस्त्रों के धारक के दो प्रकार होते है पहला आम धारक जो अपने ज्ञान और तपस्या से अस्त्रों की कुछ प्रतिशत शक्तियों का इस्तेमाल कर सकते है जैसे महागुरु और उनके साथी और दूसरा प्रकार है महाधारक जिसे खुद अस्त्र चुनता है अपने धारक के रूप मे जैसे भद्रा )
जब मेरा ध्यान हटा तो सारे महासूर और मायासुर फैक्टरी के अंदर जाकर छुप गए तो वही उनके पीछे पीछे मे भी फैक्टरी मे घुस गया और जब मे फैक्टरी में घुसा तो मेरा सर ही चकरा गया क्योंकि बाहर से खंडहर दिखने वाली फैक्टरी अंदर से किसी आलीशान महल के जैसे लग रही थी
अभी मे उसकी आलीशान चीजे देखने में व्यस्त था कि तभी किसी ने मेरे पीठ पर वार करने के प्रयास किया लेकिन वो वार मुझे चोटिल न कर पाया लेकिन उस के वजह से मेरा संतुलन बिगड़ गया था
लेकिन उसे भी मैने जल्दी संभाल लिया था और जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा पर कोई नहीं था और जब मैने आस पास देखने का प्रयास किया तो वहा पूरे फैक्टरी में मेरे अलावा कोई नहीं था जो देखके मे दंग हो गया था
लेकिन जल्द ही मेरे समझ में आ गया की यह कुछ भी सच नही है ये सब मायासुर की माया है जो मुझे छल से मारने के लिए रची थी और इसका पता चलते ही मे सतर्क हो गया
लेकिन तभी एक बार फिर से मेरे पीठ पर किसी ने वार किया जिसे देखने देखने के लिए मे जैसे ही पीछे मुड़ वैसे ही फिर से मेरे पीठ पर वार हुआ जिससे मे जमीन पर गिर गया और जैसे ही मे जमीन पर गिरा वैसे ही मेरे उपर चारों तरफ से अग्नि प्रहार होने लगा
जिससे अब मुझे भी पीड़ा होने लगी थी और मेरे शरीर भी जलने लगा था लेकिन तभी मेरे शरीर के चारों तरफ प्रिया की गुलाबी आग का कवच आ गया जिस वजह से मे उस आग से बच गया
और अभी वो कवच हटा ही था कि तभी मेरे दिमाग मे महागुरु की कही हुई बात आ गयी जिसके बाद मैने महागुरु की बात मानते हुए सबसे पहले खुदके दिमाग को शांत और एकाग्र किया और उस आग का स्त्रोत ढूँढने लगा
और जल्द ही वो मुझे मिल भी गया भले ही आग का हमला चारो तरफ से हो रहा था लेकिन इसका स्त्रोत मतलब ज्वालासुर मेरे से कुछ दूरी पर ही खड़ा था
और उसकी लोकेशन मिलते ही मैने सबसे पहले पृथ्वी अस्त्र के मदद से जहाँ पर ज्वालासुर खड़ा था वहा की जमीन को हवा मे उठा दिया जिससे ज्वालासुर का ध्यान बट गया और उसका अग्नि प्रहार भी खतम हो गया
और ऐसा होते ही मैने बिना एक भी पल गवाए तुरंत ही दौड़ते हुए ज्वालासुर के सामने पहुँच गया और तुरंत ही मैने एक घुसा हवा मे मार दिया जो की जाकर सीधा ज्वालासुर के पेट मे लगा जिससे वो जाके दूर गिर गया
और अपने अदृश्य होने का फायदा उठा कर मुझ से दूर हो गया तो वही मायासुर की माया को समझने के बाद मैने अपने आँखों को बंद कर के मेरे बाकी इंद्रियों को सक्रिय किया जिससे अब मे कुछ देख नही सकता था
लेकिन मेरे आसपास होने वाली हर एक गतिविधियों पर मेरी नज़र थी और फिर मैने अपनी दोनों तलवारे भी बुला ली जिन्हे देख कर मायासुर हैरान रह गया ऐसा मानो जैसे कि उस किसी ने 440 वोल्ट का करंट मार दिया हो
तो वही जब मै अपनी आँखे बंद किये खड़ा था तो बलासुर इसे मुझे मारने का मौका समझ कर मेरे पास बढ़ने लगा था वो भले ही अदृश्य था लेकिन फिर भी उसके चलते वक़्त आसपास की हवा मे होता बदलाव मे साफ साफ महसूस कर पा रहा था
और इससे पहले की वो मुझ पर फिर से एक बार वार करता मैने अपनी तलवार घुमा दी जिसके कारण उसका हाथ उसके शरीर से अलग हो गया
और जब उसे इस बात का एहसास हुआ तो वो दर्द के मारे अपना गला फाड़ के चिल्लाने लगा और तभी उसकी आवाज सुनकर मैने उसकी लोकेशन का पता लगा लिया और फिर तुरंत अपनी दूसरी तलवार से उसका गला काट दिया
और बलासुर का काम भी खतम हो गया तो वही अपने साथी का कटा सिर देखकर तो उसका क्रोध उसके चरम पर पहुँच गया और वो मुझ पर फिर से एक बार अग्नि प्रहार करने का प्रयास कर रहा था जो देखकर क्रोधासुर उसे रोक रहा था लेकिन कहते है न विनाशकाले विपरीत बुद्धि
वही हाल ज्वालासुर का था जैसे ही उसने अग्नि प्रहार आरंभ किया वैसे उसके अग्नि का ताप मुझे महसूस हो गया और मे तुरंत वहा पहुँच गया और फिर अपनी तलवार से एक ही वार मे ज्वालासुर को दो टुकड़ो मे बाट दिया
और पुन्हा अपनी जगह आकर वैसे ही शांति से खड़ा हो गया और अभी मे वैसे शांत हो कर क्रोधासुर और मायासुर को ढूंढ रहा था लेकिन दोनो भी बड़े शातिर थे बिना किसी हलचल के वो दोनों शांत खड़े थे
जहाँ मायासुर मेरी तलवारे और उसकी धार देखकर सोच मे पड़ गया था तो वही क्रोधासुर बस मुझे ही घूरे जा रहा था मेरे अगले चाल का अंदाजा लगा रहा था तो वही अब मेरा धीरज जवाब देने लगा था
और फिर मैरे दिमाग मे एक तरकीब आई जिसके अनुसार मैने अपनी दोनों तलवारों को एक दूसरे पर घिसने लगा था और जैसे जैसे मे तलवारे घिस रहा था वैसे वैसे ही आसमां मे बिजलियाँ चमक रही थी
और ये नजारा देख कर जहाँ क्रोधासुर को कुछ समझ नही आ रहा था तो वही मायासुर मेरे अगले वार को समझ गया था और वो तुरंत जमीन पर लेट गया और उसके लेटते ही मुझे हवा में हल्का बदलाव महसूस होने लगा जो महसूस करते ही
मैने अपनी दोनों तलवारों को पहले की तरह X की तरह रखा और जैसे ही मैने वो मंत्र पढ़ा वैसे ही आसमान से भयानक बिजली आकर मेरी तलवरों पर गिरी जिससे प्रिया का लगाया हुआ कवच और मायासुर की माया सब नष्ट हो गयी
और कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही मैने वो भयानक बिजली उस फैक्टरी के चारों तरफ मौड दिया जिससे क्रोधासुर का प्रतिबिंब भी उसके साथियों जैसे खतम हो गया उस फैक्टरी मे ही छुपी ही सारे छोटे मोटे असुर भी जलकर राख मे बदल गए
तो वही मोहिनी और कामिनी वो दोनों मुझ से बहुत दूर खड़ी थी जिस वजह से वो दोनों मरी नही लेकिन दोनों भी बुरी तरह जख्मी हो गयी थी जिस वजह से उनके पास जो कवच थे जिसमे अग्नि और नंदी अस्त्र धारकों को कैद किया हुआ था वो उनके हाथ से छूट गए
तो वही मायासुर जमीन पर लेटने के वजह से मरा तो नही था लेकिन उसकी भी हालत खराब हो गयी थी और अभी मे उसके तरफ बढ़ता उससे पहले ही वो फैक्टरी दहने लगी
और मुझे कुछ दूरी से पुलिस और अग्निशमन दल के गाड़ियों की आवाज भी आने लगी जो शायद बेमौसम बिजली गिरने की तहकीकात करने आये थे
जो सुनकर मैने सबसे पहले अस्त्रों की सुरक्षा करना सही समझा इसीलिए मैने सबसे पहले क्रोधासुर की लाश से कालस्त्र लिया और फिर थोड़ा ढूँढने के बाद मुझे नंदी और जल अस्त्र भी मिले जो अपने धारकों के साथ कैद थे
जिसके बाद में वो सब ले कर फैक्टरी के सामने वाले पर्वत पर पहुँच गया मुझे महागुरु की चिंता तो हो रही थी लेकिन साथ मे ही मे इतने सारे इंसानो को असुरों के पास नही छोड़ सकता था और खुलकर सामने भी नही जा सकता था
इसीलिए छुपकर मे ध्यान रख रहा था असुरों की लाशे तो पहले बिजली वाले वार से राख हो गयी थी तो वही जो असुर अभी भी जिंदा थे उन्हे कोई भी आम आदमी देख ही नहीं सकता था
अभी मे उस तरफ जहाँ मायासुर और उसके साथी बेहोश पड़े हुए थे वहाँ गौर से देख रहा था कि तभी मेरे हाथ मे पकडा हुआ कालस्त्र चमकने लगा था लेकिन इस वक्त मेरा पुरा ध्यान उन असुरों पर ही था
जिससे वो चमक मुझे दिखाई नही दे रही थी और अभी मे मायासुर पर नजर बनाये रखा था कि तभी मुझे वहा से कोई जादुई द्वार के मदद से जाते हुए दिखा इसका मतलब की मायासुर और उसके साथी अपनी दुम दबाकर भाग निकले है
और जब मैने अपने हाथ मे पकड़े हुए अस्त्र की तरफ देखा तो वो चमकना बंद हो गया था लेकिन फिर भी मुझे कुछ गड़बड़ महसूस हो रही थी जिसे मैने अपना भ्रम मानकर इग्नोर कर दिया
लेकिन अभी भी एक बड़ा सवाल था और वो था की बाकी दो अस्त्र धारकों को श्रपित कवच से कैसे बाहर निकाले जिसके बारे में सोचकर मे निराश हो गया था क्योंकि जितना भी सोच लूँ कोई रास्ता नही मिल रहा था कि तभी मेरे मन में कुमार की आवाज आई
कुमार:- निराश मत हो भद्रा इस श्रपित कवच को तोड़ने का एक रास्ता है लेकिन उसके लिए तुम्हे कुछ समय के लिए अपने शरीर को मेरे हवाले करना होगा जिससे मे उस विद्या का इस्तेमाल कर पाउ
मे :- ऐसी कोनसी विद्या है मुझे बताओ मे कर लूंगा
कुमार :- नही भद्रा न मे बता पाऊंगा न तुम कर पाओगे इसका एक ही रास्ता है मुझे कुछ पल के लिए अपना शरीर सौंप दो
भद्रा:- कोशीश तो करो मे सब कुछ कर सकता हूँ
कुमार:- भद्रा समझो हमारे पास समय नही है श्रपित कवच हर पल उनकी सात्विक ऊर्जा खिच रहा है और वो ये तब तक करेगा जब तक धारक अपने स्वेच्छा से अस्त्र का त्याग न कर दे या फिर वो मर न जाए और तुम जानते हो की धारक कभी भी अपने अस्त्र का त्याग कर के पाप के सामने झुकेंगे नही और सबसे बड़ी बात का तुम्हारा मुझपर विश्वास नहीं है
कुमार की बाते सुनकर मेरा भी मन घबराने लगा था और ये भी सच था कि जब मेरा खुद पर भरोषा नहीं था तब भी कुमार ने मुझे विश्वास दिलाया था इसीलिए आज मुझे भी उसपर भरोशा करना होगा और यही सोचकर मैने अपना शरीर कुमार के हवाले कर दिया
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आज के लिए इतना ही
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Awesome update and great writingअध्याय पैन्तालिस
(अस्त्रों के धारक के दो प्रकार होते है पहला आम धारक जो अपने ज्ञान और तपस्या से अस्त्रों की कुछ प्रतिशत शक्तियों का इस्तेमाल कर सकते है जैसे महागुरु और उनके साथी और दूसरा प्रकार है महाधारक जिसे खुद अस्त्र चुनता है अपने धारक के रूप मे जैसे भद्रा )
जब मेरा ध्यान हटा तो सारे महासूर और मायासुर फैक्टरी के अंदर जाकर छुप गए तो वही उनके पीछे पीछे मे भी फैक्टरी मे घुस गया और जब मे फैक्टरी में घुसा तो मेरा सर ही चकरा गया क्योंकि बाहर से खंडहर दिखने वाली फैक्टरी अंदर से किसी आलीशान महल के जैसे लग रही थी
अभी मे उसकी आलीशान चीजे देखने में व्यस्त था कि तभी किसी ने मेरे पीठ पर वार करने के प्रयास किया लेकिन वो वार मुझे चोटिल न कर पाया लेकिन उस के वजह से मेरा संतुलन बिगड़ गया था
लेकिन उसे भी मैने जल्दी संभाल लिया था और जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा पर कोई नहीं था और जब मैने आस पास देखने का प्रयास किया तो वहा पूरे फैक्टरी में मेरे अलावा कोई नहीं था जो देखके मे दंग हो गया था
लेकिन जल्द ही मेरे समझ में आ गया की यह कुछ भी सच नही है ये सब मायासुर की माया है जो मुझे छल से मारने के लिए रची थी और इसका पता चलते ही मे सतर्क हो गया
लेकिन तभी एक बार फिर से मेरे पीठ पर किसी ने वार किया जिसे देखने देखने के लिए मे जैसे ही पीछे मुड़ वैसे ही फिर से मेरे पीठ पर वार हुआ जिससे मे जमीन पर गिर गया और जैसे ही मे जमीन पर गिरा वैसे ही मेरे उपर चारों तरफ से अग्नि प्रहार होने लगा
जिससे अब मुझे भी पीड़ा होने लगी थी और मेरे शरीर भी जलने लगा था लेकिन तभी मेरे शरीर के चारों तरफ प्रिया की गुलाबी आग का कवच आ गया जिस वजह से मे उस आग से बच गया
और अभी वो कवच हटा ही था कि तभी मेरे दिमाग मे महागुरु की कही हुई बात आ गयी जिसके बाद मैने महागुरु की बात मानते हुए सबसे पहले खुदके दिमाग को शांत और एकाग्र किया और उस आग का स्त्रोत ढूँढने लगा
और जल्द ही वो मुझे मिल भी गया भले ही आग का हमला चारो तरफ से हो रहा था लेकिन इसका स्त्रोत मतलब ज्वालासुर मेरे से कुछ दूरी पर ही खड़ा था
और उसकी लोकेशन मिलते ही मैने सबसे पहले पृथ्वी अस्त्र के मदद से जहाँ पर ज्वालासुर खड़ा था वहा की जमीन को हवा मे उठा दिया जिससे ज्वालासुर का ध्यान बट गया और उसका अग्नि प्रहार भी खतम हो गया
और ऐसा होते ही मैने बिना एक भी पल गवाए तुरंत ही दौड़ते हुए ज्वालासुर के सामने पहुँच गया और तुरंत ही मैने एक घुसा हवा मे मार दिया जो की जाकर सीधा ज्वालासुर के पेट मे लगा जिससे वो जाके दूर गिर गया
और अपने अदृश्य होने का फायदा उठा कर मुझ से दूर हो गया तो वही मायासुर की माया को समझने के बाद मैने अपने आँखों को बंद कर के मेरे बाकी इंद्रियों को सक्रिय किया जिससे अब मे कुछ देख नही सकता था
लेकिन मेरे आसपास होने वाली हर एक गतिविधियों पर मेरी नज़र थी और फिर मैने अपनी दोनों तलवारे भी बुला ली जिन्हे देख कर मायासुर हैरान रह गया ऐसा मानो जैसे कि उस किसी ने 440 वोल्ट का करंट मार दिया हो
तो वही जब मै अपनी आँखे बंद किये खड़ा था तो बलासुर इसे मुझे मारने का मौका समझ कर मेरे पास बढ़ने लगा था वो भले ही अदृश्य था लेकिन फिर भी उसके चलते वक़्त आसपास की हवा मे होता बदलाव मे साफ साफ महसूस कर पा रहा था
और इससे पहले की वो मुझ पर फिर से एक बार वार करता मैने अपनी तलवार घुमा दी जिसके कारण उसका हाथ उसके शरीर से अलग हो गया
और जब उसे इस बात का एहसास हुआ तो वो दर्द के मारे अपना गला फाड़ के चिल्लाने लगा और तभी उसकी आवाज सुनकर मैने उसकी लोकेशन का पता लगा लिया और फिर तुरंत अपनी दूसरी तलवार से उसका गला काट दिया
और बलासुर का काम भी खतम हो गया तो वही अपने साथी का कटा सिर देखकर तो उसका क्रोध उसके चरम पर पहुँच गया और वो मुझ पर फिर से एक बार अग्नि प्रहार करने का प्रयास कर रहा था जो देखकर क्रोधासुर उसे रोक रहा था लेकिन कहते है न विनाशकाले विपरीत बुद्धि
वही हाल ज्वालासुर का था जैसे ही उसने अग्नि प्रहार आरंभ किया वैसे उसके अग्नि का ताप मुझे महसूस हो गया और मे तुरंत वहा पहुँच गया और फिर अपनी तलवार से एक ही वार मे ज्वालासुर को दो टुकड़ो मे बाट दिया
और पुन्हा अपनी जगह आकर वैसे ही शांति से खड़ा हो गया और अभी मे वैसे शांत हो कर क्रोधासुर और मायासुर को ढूंढ रहा था लेकिन दोनो भी बड़े शातिर थे बिना किसी हलचल के वो दोनों शांत खड़े थे
जहाँ मायासुर मेरी तलवारे और उसकी धार देखकर सोच मे पड़ गया था तो वही क्रोधासुर बस मुझे ही घूरे जा रहा था मेरे अगले चाल का अंदाजा लगा रहा था तो वही अब मेरा धीरज जवाब देने लगा था
और फिर मैरे दिमाग मे एक तरकीब आई जिसके अनुसार मैने अपनी दोनों तलवारों को एक दूसरे पर घिसने लगा था और जैसे जैसे मे तलवारे घिस रहा था वैसे वैसे ही आसमां मे बिजलियाँ चमक रही थी
और ये नजारा देख कर जहाँ क्रोधासुर को कुछ समझ नही आ रहा था तो वही मायासुर मेरे अगले वार को समझ गया था और वो तुरंत जमीन पर लेट गया और उसके लेटते ही मुझे हवा में हल्का बदलाव महसूस होने लगा जो महसूस करते ही
मैने अपनी दोनों तलवारों को पहले की तरह X की तरह रखा और जैसे ही मैने वो मंत्र पढ़ा वैसे ही आसमान से भयानक बिजली आकर मेरी तलवरों पर गिरी जिससे प्रिया का लगाया हुआ कवच और मायासुर की माया सब नष्ट हो गयी
और कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही मैने वो भयानक बिजली उस फैक्टरी के चारों तरफ मौड दिया जिससे क्रोधासुर का प्रतिबिंब भी उसके साथियों जैसे खतम हो गया उस फैक्टरी मे ही छुपी ही सारे छोटे मोटे असुर भी जलकर राख मे बदल गए
तो वही मोहिनी और कामिनी वो दोनों मुझ से बहुत दूर खड़ी थी जिस वजह से वो दोनों मरी नही लेकिन दोनों भी बुरी तरह जख्मी हो गयी थी जिस वजह से उनके पास जो कवच थे जिसमे अग्नि और नंदी अस्त्र धारकों को कैद किया हुआ था वो उनके हाथ से छूट गए
तो वही मायासुर जमीन पर लेटने के वजह से मरा तो नही था लेकिन उसकी भी हालत खराब हो गयी थी और अभी मे उसके तरफ बढ़ता उससे पहले ही वो फैक्टरी दहने लगी
और मुझे कुछ दूरी से पुलिस और अग्निशमन दल के गाड़ियों की आवाज भी आने लगी जो शायद बेमौसम बिजली गिरने की तहकीकात करने आये थे
जो सुनकर मैने सबसे पहले अस्त्रों की सुरक्षा करना सही समझा इसीलिए मैने सबसे पहले क्रोधासुर की लाश से कालस्त्र लिया और फिर थोड़ा ढूँढने के बाद मुझे नंदी और जल अस्त्र भी मिले जो अपने धारकों के साथ कैद थे
जिसके बाद में वो सब ले कर फैक्टरी के सामने वाले पर्वत पर पहुँच गया मुझे महागुरु की चिंता तो हो रही थी लेकिन साथ मे ही मे इतने सारे इंसानो को असुरों के पास नही छोड़ सकता था और खुलकर सामने भी नही जा सकता था
इसीलिए छुपकर मे ध्यान रख रहा था असुरों की लाशे तो पहले बिजली वाले वार से राख हो गयी थी तो वही जो असुर अभी भी जिंदा थे उन्हे कोई भी आम आदमी देख ही नहीं सकता था
अभी मे उस तरफ जहाँ मायासुर और उसके साथी बेहोश पड़े हुए थे वहाँ गौर से देख रहा था कि तभी मेरे हाथ मे पकडा हुआ कालस्त्र चमकने लगा था लेकिन इस वक्त मेरा पुरा ध्यान उन असुरों पर ही था
जिससे वो चमक मुझे दिखाई नही दे रही थी और अभी मे मायासुर पर नजर बनाये रखा था कि तभी मुझे वहा से कोई जादुई द्वार के मदद से जाते हुए दिखा इसका मतलब की मायासुर और उसके साथी अपनी दुम दबाकर भाग निकले है
और जब मैने अपने हाथ मे पकड़े हुए अस्त्र की तरफ देखा तो वो चमकना बंद हो गया था लेकिन फिर भी मुझे कुछ गड़बड़ महसूस हो रही थी जिसे मैने अपना भ्रम मानकर इग्नोर कर दिया
लेकिन अभी भी एक बड़ा सवाल था और वो था की बाकी दो अस्त्र धारकों को श्रपित कवच से कैसे बाहर निकाले जिसके बारे में सोचकर मे निराश हो गया था क्योंकि जितना भी सोच लूँ कोई रास्ता नही मिल रहा था कि तभी मेरे मन में कुमार की आवाज आई
कुमार:- निराश मत हो भद्रा इस श्रपित कवच को तोड़ने का एक रास्ता है लेकिन उसके लिए तुम्हे कुछ समय के लिए अपने शरीर को मेरे हवाले करना होगा जिससे मे उस विद्या का इस्तेमाल कर पाउ
मे :- ऐसी कोनसी विद्या है मुझे बताओ मे कर लूंगा
कुमार :- नही भद्रा न मे बता पाऊंगा न तुम कर पाओगे इसका एक ही रास्ता है मुझे कुछ पल के लिए अपना शरीर सौंप दो
भद्रा:- कोशीश तो करो मे सब कुछ कर सकता हूँ
कुमार:- भद्रा समझो हमारे पास समय नही है श्रपित कवच हर पल उनकी सात्विक ऊर्जा खिच रहा है और वो ये तब तक करेगा जब तक धारक अपने स्वेच्छा से अस्त्र का त्याग न कर दे या फिर वो मर न जाए और तुम जानते हो की धारक कभी भी अपने अस्त्र का त्याग कर के पाप के सामने झुकेंगे नही और सबसे बड़ी बात का तुम्हारा मुझपर विश्वास नहीं है
कुमार की बाते सुनकर मेरा भी मन घबराने लगा था और ये भी सच था कि जब मेरा खुद पर भरोषा नहीं था तब भी कुमार ने मुझे विश्वास दिलाया था इसीलिए आज मुझे भी उसपर भरोशा करना होगा और यही सोचकर मैने अपना शरीर कुमार के हवाले कर दिया
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आज के लिए इतना ही
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