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Fantasy ब्रह्माराक्षस

dhparikh

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अध्याय छत्तीस

कुछ ही देर में प्रिया को होश आ गया लेकिन जब वो होश में आयी तो उसकी आँखों में मुझे एक अलग ही प्रिया दिखाई दे रही थी और जब प्रिया ने मुझे देखा तो वो तुरंत मेरे गले लग गयी

लेकिन इस बार मुझे उस स्पर्श का अनुभव नही हो रहा था जो अक्सर मुझे प्रिया के छूने से होता था मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे वो प्रिया न होकर कोई बहरूपिया हो और ये अहसास होते ही मैने उसे खुद से दूर किया

मै:- कौन हो तुम और मेरी प्रिया कहा है

प्रिया:- ये क्या बोल रहे हो तुम भद्रा मे ही तुम्हारी प्रिया हूँ

मै:- नही मुझे तुम मेसे प्रिया का एहसास नही हो रहा है बस तुम्हारा शरीर चेहरा और आवाज पहले जैसा है लेकिन तुम्हारी आत्मा तुम्हारा मन सब बदला बदला लग रहा है

प्रिया:- उसके पीछे का कारण मे बताती हूँ

इसके बाद प्रिया ने मुझे उसके साथ जो भी हुआ वो सब बताया जिस पर मुझे यकीन तो नही हो रहा था लेकिन जब मैने कुमार के बारे में सोचा तो ना चाहते हुए भी मुझे विश्वास करने लगा

क्योंकि मुझे भी तो कुमार के रूप में मेरे शक्तियों का प्रतिरूप मे दिख रहा था और अभी मे इस सब के बारे में सोच रहा था कि तभी प्रिया मेरे उपर कूद पड़ी और मुझे बेड पर लिटा कर मेरे उपर चढ़ गयी और मेरे होठों से अपने होंठ जोड़ दिये

और हमारे बीच फिर से रुका हुआ खेल शुरू हो गया और अभी हम दोनों ही पीछे हटने के मूड मे नही थे हम दोनों भी एक अलग ही दुनिया में चले गए थे और अभी हम उस दुनिया की गहराई में जा रहे थे

की तभी प्रिया के शरीर पर फिर से वो गुलाबी आग लग गयी लेकिन इस बार प्रिया को उससे कोई फरक नहीं पड़ रहा था और न मुझे उल्टा मे जितनी देर उस आग के संपर्क में था उतना ही मेरे अंदर की कामग्नि बढ़ती जा रही थी

और ऐसे ही एक दूसरे के होठों को चूसते हुए हम उसमे इतना डूब गए थे की हमे पता भी नही चला की हमे ऐसे एक दूसरे को किस करते कितना समय हो गया वो तो जब हमारी साँसे फूलने लगी तब हम दोनों ने बेमन से अपनी किस तोड़ दी

और साँसे लेने लगे तो वही जब प्रिया साँसे ले रही थी तो उसके चुचे जो उपर नीचे होते जा रहे थे जिन्हे देख कर ऐसा लग रहा था की जैसे मुझे न्यौता दे रहे हो की आओ और मसलो हमे और इस न्योते को मे ठुकरा नही पाया

और मैने प्रिया को मेरे उपर से हटा कर बेड पर लिटा दिया और फिर मे खुद उसके उपर आ गया और अपने दोनों हाथों में उसके दोनों चुचे पकड़ कर उन्हे कपड़ों के उपर से ही मसलने लगा तो वही इस अचानक से हुए इस हमले से दंग रह गई लेकिन जल्द ही वो आनंद के समुद्र में महसूस करने लगी

प्रिया :- अहहाहा भद्रा ऐसे ही मसलो इन्हे ऐसे ही

और फिर मैने उसका योग सूट भी उतार दिया अभी वो मेरे सामने केवल अपनी ब्रा और पैन्टी मे थी तो वही उसका ये रूप देखकर मेरे अंदर की आग और भड़क उठी और फिर मैने एक ही झटके में अपने भी कपड़े उतार दिये

और अब मे सिर्फ कच्छे मे था तो वही प्रिया भी मेरी बॉडी देख उसे सहलाने लगी जो की पृथ्वी अस्त्र से जुड़ने के बाद और भी मजबूत हो गयी थी तो वही मेरे शरीर को सहलाते हुए प्रिया अपने नाखूनों को मेरे छाती मे चुभाने लगी

जिससे होने वाला हल्का दर्द महसूस करके मेरा खुद पर से काबू हट गया और फिर मैने अपने एक हाथ मे ही प्रिया के दोनों हाथों को पकड़ लिया और उन्हे उसके सर के उपर रख दिया और दूसरे हाथ से उसके चुचियों को मसलने लगा

और अपने होठों को उसके होठों से जोड़ दिया और अपने लंड को कपड़ों के उपर से ही उसके चूत पर घिसने लगा जिससे प्रिया दंग रह गयी और इस तीन तर्फे हमले से उसकी चीख निकलने वाली थी लेकिन मैने पहले ही उसके होठों को अपने होठों मे लॉक कर दिया था

जिससे उसकी चीख उसके मुह मे ही दब गयी और फिर मैने अपने कमर को तेज हिलाना शुरू कर दिया जिससे प्रिया तो मानो पागल हो गयी थी जिसके बाद मैने उसके हाथों को छोड़ कर उसके दोनों चुचियों को एक साथ मसलने लगा

तो वही इस तीन तर्फे हमले को प्रिया सहन नहीं कर पायी और उसका एक हाथ मेरे सर को सहला रहा था तो वही दूसरा हाथ मेरे पीठ पर चल रहा था जिसके बाद मुझे मेरे लंड पर कुछ गर्माहट महसूस हुई और जब मैने प्रिया के तरफ देखा तो वो अपनी आँखे बंद किये बेड पर लैटि हुई थी

और उसने अपने शरीर को भी ढीला छोड़ दिया था जिसके बाद मेने उसके होठों को आज़ाद कर दिया और फिर मैने धीरे धीरे नीचे आ गया और उसकी ब्रा को भी उसके शरीर से अलग कर दिया

और जब मेरी नज़र उसके नंगी चुचियों पर गयी तो उन्हे देख कर मे अपने होश खोने लगा और मैने तुरंत ही उसके एक चुचे को मुह मे भर लिया और चूसने लगा तो वही दूसरे को अपने एक हाथ मे भर के मसलने लगा

तो वही इस बार प्रिया ने अपना एक हाथ मेरे सर के पीछे रख दिया और अपने हाथ से मेरे सर पर दबाव बढ़ाने लगी जिससे मे और भी जोश मे आ गया और फिर मैने दूसरे चुचे को भी अपने मुह मे भर लिया

अब हालत ऐसी थी कि मेरे मुह में प्रिया के दोनों चुचे एक साथ थे और प्रिया धीरे धीरे मेरे सर पे दबाव भी बढ़ाये जा रही थी कि तभी मे उसके चुचे छोड़ कर धीरे धीरे नीचे आने लगा और उसके पेट को और नाभी को चूमने चुटने लगा

और बीच बीच में उसके कमर को काट भी लेता और फिर ऐसे ही नीचे आते आते मे उसके चूत तक पहुँच गया और उसके पैन्टी के उपर से ही उसकी चूत को मुह मे भर लिया और अब तक के इस खेल मे उसकी पैन्टी पूरी भीग गयी थी

और जब मेरा मन भर गया तो मैने उसकी पैन्टी को साइड से अपने दातों मे फँसा कर उसे उतारने लगा जब मे उसे उतार रहा था तो मेरे होंठ और नाक उसके कमर से लेकर तलवों तक घिस रहे थे जिससे प्रिया अलग ही दुनिया में चली गई थी


जिसके बाद मैने उसके दोनों ही टांगों को पकड़ कर फैला दिये और बिना देर किये मैने उसकी चूत को जो की अब पूरी तरह नंगी मेरे सामने थी उसे अपने मुह मे भर लिया और चूसने लगा

और जैसे ही प्रिया को अपनी नंगी चूत पर मेरी गरम और खुरदरी जीभ का एहसास हुआ तो फिर उसके सर पर तो मानो जैसे भूत ही चढ़ गया था वो ऐसे तड़प रही थी वो बार बार अपना सर कभी दाएँ तो कभी बाये मार रही थी तो वही उसकी चूत से इतना पानी निकल रहा था कि उसकी चूत का पुरा हिस्सा गिला हो गया था

और फिर जब उसका होने वाला था तो वो अपने दोनों हाथों से मेरे सर को चूत पर दबाने लगी और जैसे ही उसका निकलने वाला था कि तभी मैने अपना सर उसके चूत से हटा दिया और ऐसे करते ही वो मुझे ऐसे घूरने लगी की अभी मुझे मार ही देगी

लेकिन वो कुछ बोलती या करती उससे पहले ही मैने उसके होंठों को अपने कब्ज़े मे ले लिया और फिर मे अपने दोनों हाथों को नीचे ले जाते हुए मेने अपना कच्छा भी उतार दिया और अब मे भी पुरा नँगा हो गया था

और मैने प्रिया होंठो को मजबूती से अपने होठों मे कैद कर दिया और वो कुछ समझ पाती उससे पहले ही मैने अपना लंड उसकी चूत पर सेट किया और एक तेज धक्का मारा तो वही उसकी चूत का हिस्सा गिला होने से मेरा आधा लंड उसकी चूत की दीवारों को चिरता हुआ अंदर घुस गया

जिससे प्रिया की चीख निकलने वाली थी लेकिन उसके होंठ पहले से ही मेरे होंठों के कैद में थे जिससे उसकी आवाज उसके मुह में ही दब गयी और तभी मेने एक और झटका मारा जिससे अब मेरा पुरा लंड उसके चूत मे चला गया था

लेकिन न इस बार वो चिल्लाई और न ही तड़प रही थी और जब मैने उसके आँखों में देखा तो उसकी आँखे आधी बंद थी जैसे वो अभी इस पल का मजा ले रही हो जो देखकर अब मैने भी धक्के मारना शुरू किया और उसके होंठों को भी छोड़ दिया

और जैसे उस होंठ आज़ाद हुए तो वो जोर जोर से सास लेने के साथ सिसकरिया भी ले रही थी तो वही जब मे उसके चूत मे धक्के मार रहा था तो उसकी चूत की गर्मी इतनी बढ़ गयी थी कि मुझे ऐसा लग रहा था कि आज मेरे लंड का जलना तय है

अभी मे इसके बारे में सोच रहा था कि तभी फिर से एक बार प्रिया के शरीर को उस गुलाबी आग ने घेर लिया लेकिन इस बार उस आग ने न केवल प्रिया को बल्कि मुझे भी अपने चपेट में ले लिया

लेकिन उस आग से मुझे पीड़ा नही हो रही थी बल्कि और भी ज्यादा जोश चढ़ रहा था जिसके वजह से अब मेरे धक्कों की गति भी बढ़ गयी थी और जैसे मेरी गति बढ़ती जा रही थी वैसे ही प्रिया की चीखे और उसकी चूत की गर्मी भी बढ़ती जा रही थी

जिसके सामने मे ज्यादा देर टिक न सका और मेरा सर लावा प्रिया की चूत के अंदर ही निकल गया तो वही मेरा लावा अपने चूत मे महसूस करके प्रिया का भी खुद पर से काबू छुट गया और उसका भी कामरस उसके चूत से निकलने लगा

और प्रिया का कामरस निकलते ही जो आग हम दोनों के शरीर को लगी थी वो हम दोनों के ही शरीर में समा गयी और इस सब के वजह से मे और प्रिया बहुत थक गए थे इसीलिए हम वैसे ही एक दूसरे के बाहों में नंगे ही सो गए

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आज के लिए इतना ही

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Nice update...
 

VAJRADHIKARI

Hello dosto
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Bahut jabardast kamukta se bharpur updates… mitr ab story ko bhi thodi gati do Bhadra ke maa baap ko jaldi se is qaid se nikalne ka intezaam karo or usko uski shaktiyon se milao …. 👏🏻👏🏻👏🏻
Are 56 bhog aaram se khaya jata hai jisse har prakar ke padatth ka sahi se aur barabar luft utha paye yaha bhi waisa hi hai
 
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VAJRADHIKARI

Hello dosto
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अध्याय सैंतीस

जहाँ एक तरफ भद्रा और प्रिया अपने कामवासना के खेल में व्यस्त थे तो वही दूसरी तरफ उन दोनों से कोसों दूर कही किसी अंधेरे कमरे में इस वक्त उनके शत्रु उनपर हमला करने के लिए तैयारी कर रहे थे

इस वक्त उस कमरे मे मायासुर, मोहिनी , कामिनी और उनके साथ कुछ और असुर भी थे तो वही उन सबके बीच मे एक छोटा चौकोणी बक्सा था जिस पर कुछ आँखे भी बनी हुई थी ये वही श्रपित कवच है

जिसमे मायासुर ने गुरु अग्नि को कैद कर के रखा है और ठीक ऐसे ही और 6 श्रपित कवच उस मायासुर के पास थे वो अपने श्रपित कवचों को देखकर लगातार हस्ते जा रहा था

मायासुर (हस्ते हुए) :- शब्बास मेरे योध्दाओं शब्बाश आज न जाने कितने लाखों वर्षों के बाद हम असुरों ने अस्त्रों पर विजय प्राप्त की है बस अब बाकी 6 अस्त्र धारकों को भी इसी तरह से कैद करना है हमे फिर हम सबका नाम असुरों के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जायेगा

मायासुर की बात सुनकर वहा मौजूद सारे असुर जोरों से हसने लगे और अभी अपने जीत के सपने देखने लगे की तभी वहा रखे एक कवच मे आग लग गयी और जैसे ही सभी असुरों की नज़र उस पर गयी

वैसे ही वहा एक सन्नाटा सा छा गया सबके चेहरों पर डर भी साफ साफ दिखाई दे रहा था लेकिन जब बहुत समय होने के बाद भी कुछ नही हुआ तो मायासुर के हसने की आवाज उस सन्नाटे को चिरते हुए उस पूरे कमरे मे गूंज उठी

और उसके हंसी की आवाज गूंजते ही उस कवच मे लगी आग भी शांत हो गयी जिसे देखकर मायासुर ने उस कवच को उठा कर बोलने लगा

मायासुर :- अंग्नि अस्त्र धारक क्या हुआ आग शांत पड़ गयी क्या तुम्हारे अंदर की या फिर तुम कही मर तो नही गए अरे अभी मत मरना क्योंकि अभी तुम मर गए तो मे बाकी 6 अस्त्रों तक कैसे पहुँचूँगा वो जब तुम्हे ढूढते हुए सभी लोग यहाँ आयेंगे तब हम उन्हे यहाँ इस महान श्रपित कवच मे कैद कर देंगे तो वही उनके कैद होते ही आश्रम के आसपास मे छुपे हुए सारे असुर तुम्हारे उन तीनों आश्रमों की धजिया उड़ा देंगे और फिर तुम्हारे इस दुनिया पर हमारा राज होगा

इतना बोलकर मायासुर फिर से हसने लगा और उसके साथ उसकी पूरी टोली भी हँसने लगी तो वही दूसरी तरफ चाइना मे गुरु नंदी और गुरु जल पहुँच गए थे वो दोनों ही अपने हेलिकॉप्टर मे बैठके आये थे

क्योंकि अगर वो पब्लिक ट्रांसपोर्ट से आते तो जरूर ये बात हर तरफ फैल जाती क्योंकि एक मशहूर व्यापारी तो एक मशहूर तैराक है और हो सकता हैं की असुर सावधान हो जाए और फिर उन्हे ढूँढना और भी मुश्किल हो जाए

इसीलिए वो दोनों गुरु अग्नि के आश्रम के पास न उतार के वहा कुछ दूरी पर शैलेश (गुरु नंदी) की प्रोपर्टी थी वहा पर अपना हेलिकॉप्टर उतारा और फिर वहा से दोनों पैदल ही छुपते हुए अग्नि आश्रम के रस्ते चल पड़े

जंगली रास्ता होने के कारण किसी के देखने की शक्यता तो न के बराबर थी लेकिन फिर भी उन्होंने अपने चेहरे को मास्क 😷 के पीछे छुपाया हुआ था और जैसे ही वो अग्नि अस्त्र के नजदीक पहुँचने लगे वैसे ही उन्हे अपने आस पास की तमसिक ऊर्जा महसूस होने लगी थी जिससे वो दोनों तुरंत ही सतर्क हो गए थे

दिलावर:- (गुरु जल) तो शैलेश क्या करना है आगे कुछ सोचा है

शैलेश :- सोचना क्या है असुरों को ढूँढना है उन्हे उनकी नानी याद दिलानी है और गुरु अग्नि को छुड़ा कर वापस ले जाना है

दिलावर :- हा लेकिन कुछ रननीति भी तो बनानी होगी न हमला करने से पहले

शैलेश:- (ठंडी सास छोड़ते हुए) हा बात तो सही कह रहे हो तुम रननीति तो बना लेनी चाहिए थी

ये बोलते ही शैलेश अचानक रुक गया और उसे रुका देख कर दिलावर भी रुक गया

शैलेश:- खैर रनानिति बनानेे का समय गया अब यूद्ध की बारी है

ये बोलते हुए शैलेश ने अपना दाया हात उठाकर अपने कंधे के समांतर करने लगा लेकिन कुछ दूरी पर जाते ही उसका हाथ रुक गया ऐसा लगने लगा जैसे वहा किसी ने कोई अदृश्य कवच लगाया हो

इस बात का एहसास होते ही दिलावर ने भी शैलेश की तरह धीरे अपना हाथ कंधे से समांतर करते हुए उस कवच को महसूस करने लगा और जैसे ही उसने उस कवच को हाथ लगाया वैसे ही उसे कुछ महसूस होने लगा जिसे महसूस करके उसने तुरंत ही अपना हाथ हटा दिया और दो कदम पीछे हट गया

शैलेश :- क्या पता चला कवच के बारे में

दिलावर :- ये सतर्कता कवच है अगर हमने इसके अंदर कदम रखा तो इसे बनाने वाले को तुरंत पता चल जायेगा और फिर वो सतर्क हो जायेगा

शैलेश :- तो इसे हम कैसे तोड़ेंगे

दिलावर:- इसे बनाने वाले को बिना पता चले तोड़ना असंभव है लेकिन अगर ये बाहर के जगह अंदर से तोडा गया तो असुरों को केवल इसके टूटने की खबर होगी पर ये कहाँ से तोडा गया है किसने तोडा है इसकी खबर नही होगी

शैलेश :- और हम इसे अंदर से कैसे तोड़ेंगे

दिलावर:- इसमें जल अस्त्र हमारी मदद करेगा सामने देखो

जब शैलेश ने सामने देखा तो वहा पर एक नदी थी जिसे देखकर शैलेश के आँखों में चमक आ गयी तो वही दिलावर ने अपनी आँखे बंद कर ली और ध्यान लगाने लगा और देखते ही देखते उसके हाथ मे पहनी हुई अंगूठी जो नीले रंग की थी वो चमकने लगी

और उसके चमकते ही वहा नदी के पानी मे हलचल होने लगी और धीरे धीरे उस पानी में लहरे उठने लगी और कुछ ही देर मे एक बहुत बड़ी लहर आ गयी और उस लहर ने एक हाथ का रूप लिया और फिर वो हाथ एक घुसा बनाकर तेजी से कवच के मध्य भाग की तरफ जाने लगा

और जैसे ही वो घुसा कवच से टकराया तो उस कवच के तो टुकड़े हो गए और उसके टुकड़े होते ही वहा मायासुर को भी इस बारे में पता चल गया और उसने तुरंत ही अपने 2 असुरों को भेज दिया इस बात का पता लगाने और खुद भी छुपते छुपाते उन के पीछे जाने लगा

तो वही कवच के टूटते ही दिलावर और शैलेश दोनों आगे बढ़ने लगे और कुछ देर चलने के बाद ही वो दोनों आश्रम के परिसर में पहुँच गए जहाँ का हाल देखकर वो दोनों दंग रह गए क्योंकि पुरा आश्रम खून में सना हुआ था और हर तरफ लाशों के ढेर पड़े हुए थे जिन्हे देखकर दोनों के ही आँखों में क्रोध और डर दोनों के मिश्रित भाव साफ दिखाई दे रहे थे

दिलावर :- इतनी तबाही कैसे मच गयी और वो असुर आश्रम के भीतर घुस कैसे गए

शैलेश:- वो तो साहिल के मिलने के बाद ही पता चलेगा

दिलावर (शैलेश को धक्का देते हुए) :- शैलेश बचो

जब शैलेश और दिलावर बाते कर रहे थे की तभी दिलावर ने एक चट्टान को शैलेश की तरफ आते देखा जिसे देखते ही दिलावर ने शैलेश को धक्का देकर खुद भी बाजू हट गया और वो चट्टान का वार असफल हो गया अभी वो दोनों इस वार को देख कर सतर्क हो गये थे की तभी उनके सामने मायासुर् द्वारा भेजे गए असुर आ गए जिन्हे देखकर वो दोनों दंग रह गए क्योंकि एक की शक्कल घोड़े जैसी थी तो वही दूसरे असुर के सर पर हाथी के दाँतों जैसा कुछ लगा हुआ था जिन्हे देख कर दिलावर हैरान हो गया था

दिलावर:- केशासुर और गजासूर

केशासुर (घोड़े की शक्कल वाला) :- वाह अपनी मौत को पहचान गए तुम क्या बात है

गजासूर:- चलो अच्छी बात है इन्हे पता तो होगा कि इन्हे मारने वाला कोन था

शैलेश :- अरे नही रे हम अपनी मौत को कैसे पेहचानेंगे वो तो अभी तक हमारे सामने आई ही नहीं है लेकिन हा हमने हमारे शिकार को जरूर पहचान लिया है

केशासुर:- अच्छा तो अपने शिकार को पकड़ कर तो दिखा

इतना बोलके वो तुरंत भागता हुआ उन दोनों के पास पहुँच गया और और उन दोनों को एक एक घुसा जड़ के वापस अपने जगह पर आ गया तो वही ये सब इतने तेज हुआ की उन दोनों को घुसे से हुए दर्द के सिवा कुछ और महसूस भी नही हुआ

शैलेश :- ये तो बड़ा तेज है इससे कैसे मुकाबला करेंगे हम

दिलावर:- इसकी गति वानर अस्त्र के समान है और मैने गौरव (वानर अस्त्र धारक) के साथ बहुत बार युद्धाभ्यास किया है जिससे इसके गति का तोड़ मेरे पास है तुम सिर्फ उस गजासूर को संभालो याद रखना उसके पास सहस्त्र असुरों की ताकत है

शैलेश:- तुमने अभी नंदी अस्त्र की ताकत देखी ही कहा है

जब वो दोनों ये सब बोल रहे थे तब तक वो दोनों असुरों ने अपने अपने हाथों में आग के गोलों का निर्माण कर दिया था और उन्हे उन दोनों के उपर छोड़ दिया था

लेकिन तब तक वो दोनों उठ खड़े हो गए थे और अपने तरफ आग के गोलों को आता देख दिलावर ने तुरंत एक पानी की दीवार खड़ी कर दी थी जिससे टकराकर वो दोनों आग के गोले नष्ट हो गए

तो उन गोलों के नष्ट होते ही दिलवार ने पानी के बड़े गोले निर्माण करके उस पानी को बर्फ में परावर्तित कर उन असुरों पर छोड़ दिये और जैसे ही वो गोले उन असुरों के पास पहुंचने वाले थे की वैसे ही गजसुर उन दोनों गोलों के सामने आ गया और उसने अकेले ही दोनों बर्फ के गोलों को एक ही घुसे मे तोड़ दिया जिसे देख कर दिलावर के चेहरे पर मुस्कान आ गयीं

शैलेश :- उस असुर ने तुम्हारा वार नष्ट कर दिया और तुम मुस्कुरा रहे हो

दिलावर :- शक्ति चक्र का ज्ञान है ना तुम्हे उसी का इस्तेमाल हमे यहाँ करना है

(शक्ति चक्र एक ऐसा जिसने शक्तियों को उनके ताकत और कमजोरी के हिसाब से रखा है जैसे बल को हराती है गति गति हराती है बुध्दि बस यही है शक्ति चक्र)

जब शैलेश ने शक्ति चक्र का नाम सुना तो उसे भी समझ आ गया और फिर वो तेजी से दौड़ते हुए गजसुर के पास पहुँच गया और गजासूर गजासूर कुछ समझ पाता उससे पहले ही शैलेश ने अपनी गति का इस्तेमाल करते हुए उसके उपर लगातार घूसों की बारिश कर दी और आखिर मे एक जोरदार घुसा उसके पेट मे जड़ दिया जिससे वो 5 कदम दूर जाकर गिरा

तो वही दूसरी तरफ दिलावर केशासुर के तरफ बढ़ने लगा और जब केशासुर ने ये देखा तो वो फिर से अपनी तेजी के इस्तेमाल करते हुए दिलावर पर हमला करने लगा

लेकिन इस बार दिलावर भी तैयार खड़ा था और जैसे ही केशसुर अपने जगह से गायब हुआ वैसे ही दिलवार ने अपने चारों तरफ पानी फैला दिया जिससे आसपास की सारी सकी मिट्टी खिचड बन गयी और वो खिचड केशासुर के पैरों मे चिपकने लगा

जिससे उसे दौड़ने मे तकलीफ हो रही थी और इस वजह से केशासुर जब अपनी गति बढ़ाकर और तेजी से दौड़ने लगा जो देख कर दिलावर के चेहरे पर मुस्कान आ गयी

दिलावर:- मे जानता था केशासुर तुम भले ही वायु से भी तेज हो लेकिन तुम्हारी बुद्धि कछुए से भी धीमी है

इतना बोलकर दिलावर ने फिर से एक बार बर्फ का गोला बना कर केशासुर के तरफ फेक दिया जिससे बचने के लिए केशासुर जैसे ही दौड़ने लगा की तभी उसका पैर खिचड़ के वजह से फिसल गया और वो नीचे गिर गया

और जब वो फिर से उठने का प्रयास कर ने लगा तो फिर से गिर गया वो अभी उठ ही नहीं सकता था और इसी बात का फायदा उठा कर दिलावर ने बर्फ के गोले बनाकर लगातार केशासुर पर वार करने लगा

और जब वो बेहद कमजोर हो गया तब दिलावर ने एक बड़ा बर्फ का गोला बनाया जिसके हर तरफ नुकीले काटे लगे हुए थे और उसका प्रहार होते ही केशासुर वही पर मर गया

तो वही शैलेश से मार खाने के बाद गजासूर फिर से एक बार उठ खड़ा होने का प्रयास कर रहा था कि तभी शैलेश ने नंदी अस्त्र की शक्तियों को जागृत करके इतने जोर से अपने घुसे से वार किया की उसका घुसा गजासूर की खाल को चिरते हुए
आर पार हो गया और गजासूर का खेल भी वही पर खतम हो गया

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आज के लिए इतना ही

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