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Fantasy ब्रह्माराक्षस

park

Well-Known Member
13,390
16,030
228
अध्याय सत्तर

जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था

क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे मे जैसे ही उस जंगल के पास पहुंचा


तो वहाँ पहुँचते ही मुझे उस मायावी चक्रव्युव की ऊर्जा महसूस होने लगी जिसके महसूस होते ही मैने तुरंत अपने इंद्रियों को और एकोलोकेशन को जागृत करने का प्रयास किया

लेकिन मे उसमे असमर्थ था पता नही किसने इस चक्रव्युव का निर्माण किया है मे अपनी शाक्तियों का इस्तेमाल नही कर पा रहा था

जब भी मे उन्हे इस्तेमाल करने का प्रयास करता मेरे शरीर मे एक सनसनी सी दौड़ जाती मे अभी फिर से एक बार मे अपनी शक्तियों को जागृत करने का प्रयास करता की


तभी मेरे दिमाग मे सप्तऋषियों ने जो परीक्षा ली थी उसके दृश्य दिखाई देने लगे जहाँ मे बार बार अपने निष्क्रिय हुए अस्त्रों को जगृत करने का प्रयास करता और विफल होता वो याद मे आते ही

मैने प्रयास करना रोक दिया और जो शक्ति मेरे पास अभी जगृत अवस्था मे थी उसका इस्तेमाल करने लगा यानी मेरा आत्मविश्वास, खुद पर भरोसा, मेरी हिम्मत और सबसे ज्यादा मेरी बुद्धि

अब यही 4 शक्तियां थी जो इस परिस्थिति मे भी मेरे साथ थी और इन्ही के भरोसे मैने अपने कदम जंगल के तरफ बढ़ा दिये

जिसके बाद मे जैसे ही जंगल रूपी उस चक्रव्युव के भीतर प्रवेश किया वैसे ही मेरे कानों मे बहुत ही भयानक और कर्कश आवाज आने लगी

आवाज:- भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो क्या तुम्हे अपनी जिंदगी पसंद नहीं है भाग जाओ यहाँ से

ऐसे ही अजीबोगरीब आवाजे मेरे कानों मे गूंजने लगी थी जो उसी जंगल की किसी कोने से आ रही थी लेकिन उस जंगल मे आवाज किस दिशा से आ रही हैं

ये पता लगाना न मुमकिन है इसी लिए मे उस आवाज को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ते जा रहा था और जब मे उस आवाज पर ध्यान देना बंद कर दिया तो मुझे ऐसे लगने लगा की मानो कोई मेरा पीछा कर रहा है


लेकिन जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा कोई भी नहीं था जिस कारण मे उसे अपने मन का वहम मानकर आगे बढ़ने लगा लेकिन फिर से मुझे वैसा ही एहसास होने लगा और इससे पहले की पीछे मुड़ता वो गायब हो जाता

जिसके बाद मे आगे बढ़ने लगा तो फिर से मुझे वो आवाजे आने लगी लेकिन अब ये आवाज मेरे नज़दिक से आ रही थी जिससे अब मुझे धीरे धीरे डर लगने लगा था

और उपर से मुझे अब मेरे पीछे से कदमों की आवाजे भी सुनाई देने लगी थी और इससे पहले की मे पीछे मुड़ता वो आवाजे बंद हो जाती और पीछे मुझे कोई दिखाई नही देता


और जब मे आगे बढ़ता तभी वो कदमों की आवाज मुझे वापस सुनाई देती और वो हर पल और नज़दिक बढ़ते जाती और इस बार जब मे पीछे मुड़के देखने की कोशिश करता की

तभी मेरा संतुलन बिगड़ गया और मे नीचे जमीन पर गिर गया फिर मे खड़ा हुआ और फिर एक बार आगे की तरफ बढ़ने लगा की तभी मुझे फिर से वही चेतावनी से भरी वो कर्कश आवाज सुनाई देती और पीछे से कदमों की आवाज आती

लेकिन मे सबको दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा जिससे वो आवाजे मेरे और करीब से आने लगती लेकिन मे उन सभी आवाजों को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा मे जितना आगे बढ़ता उतने ही पास से आवाज आती


लेकिन मे सब भूल कर आगे चलता रहा और ऐसे ही कुछ देर आगे चलता रहा जिससे अब वो आवाज मेरे इतने नजदीक आ गयी थी कि मे उस आवाज से वतावरण मे होने वाली कंपन भी महसूस कर पा रहा था

लेकिन फिर भी मैने ध्यान नही दिया तो वो और जोर से मुझे धमकाने लगा

आवाज:- भाग जाओ बालक भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो और अपनी मा को नीपुति:..

अभी मे कुछ बोलता की तभी मेरे चेहरे पर एक रहस्यमयी शैतानी मुस्कान आ गयी थी जिसे देखकर उस आवाज के शब्द बीच मे ही रूक गए और इसी वक्त का इंतज़ार में कर रहा था

और उसके शब्द रुकते ही मे तुरंत आवाज की दिशा मे मुड़ गया और मेरे मुड़ते ही वहा पर एक जोरदार चीख गूंज उठी वो चीख किसी और की नही

बल्कि उसी शक्स की थी जो अब तक अंधेरे मे कायर की तरह छुप कर अपनी कर्कश आवाज मे मुझे धमका रहा था हुआ यू की जब मे आगे बढ़ रहा था और ये नमुना मुझे धमका रहा था कि


तभी मुझे एहसास हो गया था कि यहाँ कोई है लेकिन जब धमकाने के साथ कदमों की आवाज भी आने लगी थी तब मे समझ नही पा रहा था

की ये सच्ची मे यहाँ कोई है या केवल ये मेरा वहम है और इसीलिए मैने जमीन पर गिरने का नाटक किया और गिरने के बहाने मैने वहाँ पर पड़ा हुआ एक नुकीला पत्थर उठा लिया

और जैसे ही मुझे उसकी ध्वनि से होने वाली कंपन महसूस होने लगी तभी मैने ऐसी गंभीर हालत में मुस्कुराने लगा और ये देखकर वो दंग हो गया और उसके बोल बीच मे ही रुक गए और बस यही वो समय था जब मे जान गया था


कि ये सब माया नही सच था और ये साबित होते ही मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था

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आज के लिए इतना ही

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Nice and superb update....
 

kas1709

Well-Known Member
12,039
13,043
213
अध्याय सत्तर

जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था

क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे मे जैसे ही उस जंगल के पास पहुंचा


तो वहाँ पहुँचते ही मुझे उस मायावी चक्रव्युव की ऊर्जा महसूस होने लगी जिसके महसूस होते ही मैने तुरंत अपने इंद्रियों को और एकोलोकेशन को जागृत करने का प्रयास किया

लेकिन मे उसमे असमर्थ था पता नही किसने इस चक्रव्युव का निर्माण किया है मे अपनी शाक्तियों का इस्तेमाल नही कर पा रहा था

जब भी मे उन्हे इस्तेमाल करने का प्रयास करता मेरे शरीर मे एक सनसनी सी दौड़ जाती मे अभी फिर से एक बार मे अपनी शक्तियों को जागृत करने का प्रयास करता की


तभी मेरे दिमाग मे सप्तऋषियों ने जो परीक्षा ली थी उसके दृश्य दिखाई देने लगे जहाँ मे बार बार अपने निष्क्रिय हुए अस्त्रों को जगृत करने का प्रयास करता और विफल होता वो याद मे आते ही

मैने प्रयास करना रोक दिया और जो शक्ति मेरे पास अभी जगृत अवस्था मे थी उसका इस्तेमाल करने लगा यानी मेरा आत्मविश्वास, खुद पर भरोसा, मेरी हिम्मत और सबसे ज्यादा मेरी बुद्धि

अब यही 4 शक्तियां थी जो इस परिस्थिति मे भी मेरे साथ थी और इन्ही के भरोसे मैने अपने कदम जंगल के तरफ बढ़ा दिये

जिसके बाद मे जैसे ही जंगल रूपी उस चक्रव्युव के भीतर प्रवेश किया वैसे ही मेरे कानों मे बहुत ही भयानक और कर्कश आवाज आने लगी

आवाज:- भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो क्या तुम्हे अपनी जिंदगी पसंद नहीं है भाग जाओ यहाँ से

ऐसे ही अजीबोगरीब आवाजे मेरे कानों मे गूंजने लगी थी जो उसी जंगल की किसी कोने से आ रही थी लेकिन उस जंगल मे आवाज किस दिशा से आ रही हैं

ये पता लगाना न मुमकिन है इसी लिए मे उस आवाज को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ते जा रहा था और जब मे उस आवाज पर ध्यान देना बंद कर दिया तो मुझे ऐसे लगने लगा की मानो कोई मेरा पीछा कर रहा है


लेकिन जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा कोई भी नहीं था जिस कारण मे उसे अपने मन का वहम मानकर आगे बढ़ने लगा लेकिन फिर से मुझे वैसा ही एहसास होने लगा और इससे पहले की पीछे मुड़ता वो गायब हो जाता

जिसके बाद मे आगे बढ़ने लगा तो फिर से मुझे वो आवाजे आने लगी लेकिन अब ये आवाज मेरे नज़दिक से आ रही थी जिससे अब मुझे धीरे धीरे डर लगने लगा था

और उपर से मुझे अब मेरे पीछे से कदमों की आवाजे भी सुनाई देने लगी थी और इससे पहले की मे पीछे मुड़ता वो आवाजे बंद हो जाती और पीछे मुझे कोई दिखाई नही देता


और जब मे आगे बढ़ता तभी वो कदमों की आवाज मुझे वापस सुनाई देती और वो हर पल और नज़दिक बढ़ते जाती और इस बार जब मे पीछे मुड़के देखने की कोशिश करता की

तभी मेरा संतुलन बिगड़ गया और मे नीचे जमीन पर गिर गया फिर मे खड़ा हुआ और फिर एक बार आगे की तरफ बढ़ने लगा की तभी मुझे फिर से वही चेतावनी से भरी वो कर्कश आवाज सुनाई देती और पीछे से कदमों की आवाज आती

लेकिन मे सबको दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा जिससे वो आवाजे मेरे और करीब से आने लगती लेकिन मे उन सभी आवाजों को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा मे जितना आगे बढ़ता उतने ही पास से आवाज आती


लेकिन मे सब भूल कर आगे चलता रहा और ऐसे ही कुछ देर आगे चलता रहा जिससे अब वो आवाज मेरे इतने नजदीक आ गयी थी कि मे उस आवाज से वतावरण मे होने वाली कंपन भी महसूस कर पा रहा था

लेकिन फिर भी मैने ध्यान नही दिया तो वो और जोर से मुझे धमकाने लगा

आवाज:- भाग जाओ बालक भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो और अपनी मा को नीपुति:..

अभी मे कुछ बोलता की तभी मेरे चेहरे पर एक रहस्यमयी शैतानी मुस्कान आ गयी थी जिसे देखकर उस आवाज के शब्द बीच मे ही रूक गए और इसी वक्त का इंतज़ार में कर रहा था

और उसके शब्द रुकते ही मे तुरंत आवाज की दिशा मे मुड़ गया और मेरे मुड़ते ही वहा पर एक जोरदार चीख गूंज उठी वो चीख किसी और की नही

बल्कि उसी शक्स की थी जो अब तक अंधेरे मे कायर की तरह छुप कर अपनी कर्कश आवाज मे मुझे धमका रहा था हुआ यू की जब मे आगे बढ़ रहा था और ये नमुना मुझे धमका रहा था कि


तभी मुझे एहसास हो गया था कि यहाँ कोई है लेकिन जब धमकाने के साथ कदमों की आवाज भी आने लगी थी तब मे समझ नही पा रहा था

की ये सच्ची मे यहाँ कोई है या केवल ये मेरा वहम है और इसीलिए मैने जमीन पर गिरने का नाटक किया और गिरने के बहाने मैने वहाँ पर पड़ा हुआ एक नुकीला पत्थर उठा लिया

और जैसे ही मुझे उसकी ध्वनि से होने वाली कंपन महसूस होने लगी तभी मैने ऐसी गंभीर हालत में मुस्कुराने लगा और ये देखकर वो दंग हो गया और उसके बोल बीच मे ही रुक गए और बस यही वो समय था जब मे जान गया था


कि ये सब माया नही सच था और ये साबित होते ही मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था

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आज के लिए इतना ही

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Nice update...
 

dhparikh

Well-Known Member
12,604
14,608
228
अध्याय सत्तर

जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था

क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे मे जैसे ही उस जंगल के पास पहुंचा


तो वहाँ पहुँचते ही मुझे उस मायावी चक्रव्युव की ऊर्जा महसूस होने लगी जिसके महसूस होते ही मैने तुरंत अपने इंद्रियों को और एकोलोकेशन को जागृत करने का प्रयास किया

लेकिन मे उसमे असमर्थ था पता नही किसने इस चक्रव्युव का निर्माण किया है मे अपनी शाक्तियों का इस्तेमाल नही कर पा रहा था

जब भी मे उन्हे इस्तेमाल करने का प्रयास करता मेरे शरीर मे एक सनसनी सी दौड़ जाती मे अभी फिर से एक बार मे अपनी शक्तियों को जागृत करने का प्रयास करता की


तभी मेरे दिमाग मे सप्तऋषियों ने जो परीक्षा ली थी उसके दृश्य दिखाई देने लगे जहाँ मे बार बार अपने निष्क्रिय हुए अस्त्रों को जगृत करने का प्रयास करता और विफल होता वो याद मे आते ही

मैने प्रयास करना रोक दिया और जो शक्ति मेरे पास अभी जगृत अवस्था मे थी उसका इस्तेमाल करने लगा यानी मेरा आत्मविश्वास, खुद पर भरोसा, मेरी हिम्मत और सबसे ज्यादा मेरी बुद्धि

अब यही 4 शक्तियां थी जो इस परिस्थिति मे भी मेरे साथ थी और इन्ही के भरोसे मैने अपने कदम जंगल के तरफ बढ़ा दिये

जिसके बाद मे जैसे ही जंगल रूपी उस चक्रव्युव के भीतर प्रवेश किया वैसे ही मेरे कानों मे बहुत ही भयानक और कर्कश आवाज आने लगी

आवाज:- भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो क्या तुम्हे अपनी जिंदगी पसंद नहीं है भाग जाओ यहाँ से

ऐसे ही अजीबोगरीब आवाजे मेरे कानों मे गूंजने लगी थी जो उसी जंगल की किसी कोने से आ रही थी लेकिन उस जंगल मे आवाज किस दिशा से आ रही हैं

ये पता लगाना न मुमकिन है इसी लिए मे उस आवाज को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ते जा रहा था और जब मे उस आवाज पर ध्यान देना बंद कर दिया तो मुझे ऐसे लगने लगा की मानो कोई मेरा पीछा कर रहा है


लेकिन जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा कोई भी नहीं था जिस कारण मे उसे अपने मन का वहम मानकर आगे बढ़ने लगा लेकिन फिर से मुझे वैसा ही एहसास होने लगा और इससे पहले की पीछे मुड़ता वो गायब हो जाता

जिसके बाद मे आगे बढ़ने लगा तो फिर से मुझे वो आवाजे आने लगी लेकिन अब ये आवाज मेरे नज़दिक से आ रही थी जिससे अब मुझे धीरे धीरे डर लगने लगा था

और उपर से मुझे अब मेरे पीछे से कदमों की आवाजे भी सुनाई देने लगी थी और इससे पहले की मे पीछे मुड़ता वो आवाजे बंद हो जाती और पीछे मुझे कोई दिखाई नही देता


और जब मे आगे बढ़ता तभी वो कदमों की आवाज मुझे वापस सुनाई देती और वो हर पल और नज़दिक बढ़ते जाती और इस बार जब मे पीछे मुड़के देखने की कोशिश करता की

तभी मेरा संतुलन बिगड़ गया और मे नीचे जमीन पर गिर गया फिर मे खड़ा हुआ और फिर एक बार आगे की तरफ बढ़ने लगा की तभी मुझे फिर से वही चेतावनी से भरी वो कर्कश आवाज सुनाई देती और पीछे से कदमों की आवाज आती

लेकिन मे सबको दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा जिससे वो आवाजे मेरे और करीब से आने लगती लेकिन मे उन सभी आवाजों को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा मे जितना आगे बढ़ता उतने ही पास से आवाज आती


लेकिन मे सब भूल कर आगे चलता रहा और ऐसे ही कुछ देर आगे चलता रहा जिससे अब वो आवाज मेरे इतने नजदीक आ गयी थी कि मे उस आवाज से वतावरण मे होने वाली कंपन भी महसूस कर पा रहा था

लेकिन फिर भी मैने ध्यान नही दिया तो वो और जोर से मुझे धमकाने लगा

आवाज:- भाग जाओ बालक भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो और अपनी मा को नीपुति:..

अभी मे कुछ बोलता की तभी मेरे चेहरे पर एक रहस्यमयी शैतानी मुस्कान आ गयी थी जिसे देखकर उस आवाज के शब्द बीच मे ही रूक गए और इसी वक्त का इंतज़ार में कर रहा था

और उसके शब्द रुकते ही मे तुरंत आवाज की दिशा मे मुड़ गया और मेरे मुड़ते ही वहा पर एक जोरदार चीख गूंज उठी वो चीख किसी और की नही

बल्कि उसी शक्स की थी जो अब तक अंधेरे मे कायर की तरह छुप कर अपनी कर्कश आवाज मे मुझे धमका रहा था हुआ यू की जब मे आगे बढ़ रहा था और ये नमुना मुझे धमका रहा था कि


तभी मुझे एहसास हो गया था कि यहाँ कोई है लेकिन जब धमकाने के साथ कदमों की आवाज भी आने लगी थी तब मे समझ नही पा रहा था

की ये सच्ची मे यहाँ कोई है या केवल ये मेरा वहम है और इसीलिए मैने जमीन पर गिरने का नाटक किया और गिरने के बहाने मैने वहाँ पर पड़ा हुआ एक नुकीला पत्थर उठा लिया

और जैसे ही मुझे उसकी ध्वनि से होने वाली कंपन महसूस होने लगी तभी मैने ऐसी गंभीर हालत में मुस्कुराने लगा और ये देखकर वो दंग हो गया और उसके बोल बीच मे ही रुक गए और बस यही वो समय था जब मे जान गया था


कि ये सब माया नही सच था और ये साबित होते ही मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था

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आज के लिए इतना ही

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Nice update....
 

parkas

Well-Known Member
32,027
68,864
303
अध्याय सत्तर

जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था

क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे मे जैसे ही उस जंगल के पास पहुंचा


तो वहाँ पहुँचते ही मुझे उस मायावी चक्रव्युव की ऊर्जा महसूस होने लगी जिसके महसूस होते ही मैने तुरंत अपने इंद्रियों को और एकोलोकेशन को जागृत करने का प्रयास किया

लेकिन मे उसमे असमर्थ था पता नही किसने इस चक्रव्युव का निर्माण किया है मे अपनी शाक्तियों का इस्तेमाल नही कर पा रहा था

जब भी मे उन्हे इस्तेमाल करने का प्रयास करता मेरे शरीर मे एक सनसनी सी दौड़ जाती मे अभी फिर से एक बार मे अपनी शक्तियों को जागृत करने का प्रयास करता की


तभी मेरे दिमाग मे सप्तऋषियों ने जो परीक्षा ली थी उसके दृश्य दिखाई देने लगे जहाँ मे बार बार अपने निष्क्रिय हुए अस्त्रों को जगृत करने का प्रयास करता और विफल होता वो याद मे आते ही

मैने प्रयास करना रोक दिया और जो शक्ति मेरे पास अभी जगृत अवस्था मे थी उसका इस्तेमाल करने लगा यानी मेरा आत्मविश्वास, खुद पर भरोसा, मेरी हिम्मत और सबसे ज्यादा मेरी बुद्धि

अब यही 4 शक्तियां थी जो इस परिस्थिति मे भी मेरे साथ थी और इन्ही के भरोसे मैने अपने कदम जंगल के तरफ बढ़ा दिये

जिसके बाद मे जैसे ही जंगल रूपी उस चक्रव्युव के भीतर प्रवेश किया वैसे ही मेरे कानों मे बहुत ही भयानक और कर्कश आवाज आने लगी

आवाज:- भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो क्या तुम्हे अपनी जिंदगी पसंद नहीं है भाग जाओ यहाँ से

ऐसे ही अजीबोगरीब आवाजे मेरे कानों मे गूंजने लगी थी जो उसी जंगल की किसी कोने से आ रही थी लेकिन उस जंगल मे आवाज किस दिशा से आ रही हैं

ये पता लगाना न मुमकिन है इसी लिए मे उस आवाज को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ते जा रहा था और जब मे उस आवाज पर ध्यान देना बंद कर दिया तो मुझे ऐसे लगने लगा की मानो कोई मेरा पीछा कर रहा है


लेकिन जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा कोई भी नहीं था जिस कारण मे उसे अपने मन का वहम मानकर आगे बढ़ने लगा लेकिन फिर से मुझे वैसा ही एहसास होने लगा और इससे पहले की पीछे मुड़ता वो गायब हो जाता

जिसके बाद मे आगे बढ़ने लगा तो फिर से मुझे वो आवाजे आने लगी लेकिन अब ये आवाज मेरे नज़दिक से आ रही थी जिससे अब मुझे धीरे धीरे डर लगने लगा था

और उपर से मुझे अब मेरे पीछे से कदमों की आवाजे भी सुनाई देने लगी थी और इससे पहले की मे पीछे मुड़ता वो आवाजे बंद हो जाती और पीछे मुझे कोई दिखाई नही देता


और जब मे आगे बढ़ता तभी वो कदमों की आवाज मुझे वापस सुनाई देती और वो हर पल और नज़दिक बढ़ते जाती और इस बार जब मे पीछे मुड़के देखने की कोशिश करता की

तभी मेरा संतुलन बिगड़ गया और मे नीचे जमीन पर गिर गया फिर मे खड़ा हुआ और फिर एक बार आगे की तरफ बढ़ने लगा की तभी मुझे फिर से वही चेतावनी से भरी वो कर्कश आवाज सुनाई देती और पीछे से कदमों की आवाज आती

लेकिन मे सबको दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा जिससे वो आवाजे मेरे और करीब से आने लगती लेकिन मे उन सभी आवाजों को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा मे जितना आगे बढ़ता उतने ही पास से आवाज आती


लेकिन मे सब भूल कर आगे चलता रहा और ऐसे ही कुछ देर आगे चलता रहा जिससे अब वो आवाज मेरे इतने नजदीक आ गयी थी कि मे उस आवाज से वतावरण मे होने वाली कंपन भी महसूस कर पा रहा था

लेकिन फिर भी मैने ध्यान नही दिया तो वो और जोर से मुझे धमकाने लगा

आवाज:- भाग जाओ बालक भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो और अपनी मा को नीपुति:..

अभी मे कुछ बोलता की तभी मेरे चेहरे पर एक रहस्यमयी शैतानी मुस्कान आ गयी थी जिसे देखकर उस आवाज के शब्द बीच मे ही रूक गए और इसी वक्त का इंतज़ार में कर रहा था

और उसके शब्द रुकते ही मे तुरंत आवाज की दिशा मे मुड़ गया और मेरे मुड़ते ही वहा पर एक जोरदार चीख गूंज उठी वो चीख किसी और की नही

बल्कि उसी शक्स की थी जो अब तक अंधेरे मे कायर की तरह छुप कर अपनी कर्कश आवाज मे मुझे धमका रहा था हुआ यू की जब मे आगे बढ़ रहा था और ये नमुना मुझे धमका रहा था कि


तभी मुझे एहसास हो गया था कि यहाँ कोई है लेकिन जब धमकाने के साथ कदमों की आवाज भी आने लगी थी तब मे समझ नही पा रहा था

की ये सच्ची मे यहाँ कोई है या केवल ये मेरा वहम है और इसीलिए मैने जमीन पर गिरने का नाटक किया और गिरने के बहाने मैने वहाँ पर पड़ा हुआ एक नुकीला पत्थर उठा लिया

और जैसे ही मुझे उसकी ध्वनि से होने वाली कंपन महसूस होने लगी तभी मैने ऐसी गंभीर हालत में मुस्कुराने लगा और ये देखकर वो दंग हो गया और उसके बोल बीच मे ही रुक गए और बस यही वो समय था जब मे जान गया था


कि ये सब माया नही सच था और ये साबित होते ही मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था

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आज के लिए इतना ही

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Bahut hi shaandar update diya hai VAJRADHIKARI bhai....
Nice and lovely update....
 

Rohit1988

Well-Known Member
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7,301
158
अध्याय सत्तर

जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था

क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे मे जैसे ही उस जंगल के पास पहुंचा


तो वहाँ पहुँचते ही मुझे उस मायावी चक्रव्युव की ऊर्जा महसूस होने लगी जिसके महसूस होते ही मैने तुरंत अपने इंद्रियों को और एकोलोकेशन को जागृत करने का प्रयास किया

लेकिन मे उसमे असमर्थ था पता नही किसने इस चक्रव्युव का निर्माण किया है मे अपनी शाक्तियों का इस्तेमाल नही कर पा रहा था

जब भी मे उन्हे इस्तेमाल करने का प्रयास करता मेरे शरीर मे एक सनसनी सी दौड़ जाती मे अभी फिर से एक बार मे अपनी शक्तियों को जागृत करने का प्रयास करता की


तभी मेरे दिमाग मे सप्तऋषियों ने जो परीक्षा ली थी उसके दृश्य दिखाई देने लगे जहाँ मे बार बार अपने निष्क्रिय हुए अस्त्रों को जगृत करने का प्रयास करता और विफल होता वो याद मे आते ही

मैने प्रयास करना रोक दिया और जो शक्ति मेरे पास अभी जगृत अवस्था मे थी उसका इस्तेमाल करने लगा यानी मेरा आत्मविश्वास, खुद पर भरोसा, मेरी हिम्मत और सबसे ज्यादा मेरी बुद्धि

अब यही 4 शक्तियां थी जो इस परिस्थिति मे भी मेरे साथ थी और इन्ही के भरोसे मैने अपने कदम जंगल के तरफ बढ़ा दिये

जिसके बाद मे जैसे ही जंगल रूपी उस चक्रव्युव के भीतर प्रवेश किया वैसे ही मेरे कानों मे बहुत ही भयानक और कर्कश आवाज आने लगी

आवाज:- भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो क्या तुम्हे अपनी जिंदगी पसंद नहीं है भाग जाओ यहाँ से

ऐसे ही अजीबोगरीब आवाजे मेरे कानों मे गूंजने लगी थी जो उसी जंगल की किसी कोने से आ रही थी लेकिन उस जंगल मे आवाज किस दिशा से आ रही हैं

ये पता लगाना न मुमकिन है इसी लिए मे उस आवाज को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ते जा रहा था और जब मे उस आवाज पर ध्यान देना बंद कर दिया तो मुझे ऐसे लगने लगा की मानो कोई मेरा पीछा कर रहा है


लेकिन जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा कोई भी नहीं था जिस कारण मे उसे अपने मन का वहम मानकर आगे बढ़ने लगा लेकिन फिर से मुझे वैसा ही एहसास होने लगा और इससे पहले की पीछे मुड़ता वो गायब हो जाता

जिसके बाद मे आगे बढ़ने लगा तो फिर से मुझे वो आवाजे आने लगी लेकिन अब ये आवाज मेरे नज़दिक से आ रही थी जिससे अब मुझे धीरे धीरे डर लगने लगा था

और उपर से मुझे अब मेरे पीछे से कदमों की आवाजे भी सुनाई देने लगी थी और इससे पहले की मे पीछे मुड़ता वो आवाजे बंद हो जाती और पीछे मुझे कोई दिखाई नही देता


और जब मे आगे बढ़ता तभी वो कदमों की आवाज मुझे वापस सुनाई देती और वो हर पल और नज़दिक बढ़ते जाती और इस बार जब मे पीछे मुड़के देखने की कोशिश करता की

तभी मेरा संतुलन बिगड़ गया और मे नीचे जमीन पर गिर गया फिर मे खड़ा हुआ और फिर एक बार आगे की तरफ बढ़ने लगा की तभी मुझे फिर से वही चेतावनी से भरी वो कर्कश आवाज सुनाई देती और पीछे से कदमों की आवाज आती

लेकिन मे सबको दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा जिससे वो आवाजे मेरे और करीब से आने लगती लेकिन मे उन सभी आवाजों को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा मे जितना आगे बढ़ता उतने ही पास से आवाज आती


लेकिन मे सब भूल कर आगे चलता रहा और ऐसे ही कुछ देर आगे चलता रहा जिससे अब वो आवाज मेरे इतने नजदीक आ गयी थी कि मे उस आवाज से वतावरण मे होने वाली कंपन भी महसूस कर पा रहा था

लेकिन फिर भी मैने ध्यान नही दिया तो वो और जोर से मुझे धमकाने लगा

आवाज:- भाग जाओ बालक भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो और अपनी मा को नीपुति:..

अभी मे कुछ बोलता की तभी मेरे चेहरे पर एक रहस्यमयी शैतानी मुस्कान आ गयी थी जिसे देखकर उस आवाज के शब्द बीच मे ही रूक गए और इसी वक्त का इंतज़ार में कर रहा था

और उसके शब्द रुकते ही मे तुरंत आवाज की दिशा मे मुड़ गया और मेरे मुड़ते ही वहा पर एक जोरदार चीख गूंज उठी वो चीख किसी और की नही

बल्कि उसी शक्स की थी जो अब तक अंधेरे मे कायर की तरह छुप कर अपनी कर्कश आवाज मे मुझे धमका रहा था हुआ यू की जब मे आगे बढ़ रहा था और ये नमुना मुझे धमका रहा था कि


तभी मुझे एहसास हो गया था कि यहाँ कोई है लेकिन जब धमकाने के साथ कदमों की आवाज भी आने लगी थी तब मे समझ नही पा रहा था

की ये सच्ची मे यहाँ कोई है या केवल ये मेरा वहम है और इसीलिए मैने जमीन पर गिरने का नाटक किया और गिरने के बहाने मैने वहाँ पर पड़ा हुआ एक नुकीला पत्थर उठा लिया

और जैसे ही मुझे उसकी ध्वनि से होने वाली कंपन महसूस होने लगी तभी मैने ऐसी गंभीर हालत में मुस्कुराने लगा और ये देखकर वो दंग हो गया और उसके बोल बीच मे ही रुक गए और बस यही वो समय था जब मे जान गया था


कि ये सब माया नही सच था और ये साबित होते ही मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था

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आज के लिए इतना ही

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Nice update
 

sunoanuj

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अध्याय सत्तर

जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था

क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे मे जैसे ही उस जंगल के पास पहुंचा

तो वहाँ पहुँचते ही मुझे उस मायावी चक्रव्युव की ऊर्जा महसूस होने लगी जिसके महसूस होते ही मैने तुरंत अपने इंद्रियों को और एकोलोकेशन को जागृत करने का प्रयास किया

लेकिन मे उसमे असमर्थ था पता नही किसने इस चक्रव्युव का निर्माण किया है मे अपनी शाक्तियों का इस्तेमाल नही कर पा रहा था

जब भी मे उन्हे इस्तेमाल करने का प्रयास करता मेरे शरीर मे एक सनसनी सी दौड़ जाती मे अभी फिर से एक बार मे अपनी शक्तियों को जागृत करने का प्रयास करता की

तभी मेरे दिमाग मे सप्तऋषियों ने जो परीक्षा ली थी उसके दृश्य दिखाई देने लगे जहाँ मे बार बार अपने निष्क्रिय हुए अस्त्रों को जगृत करने का प्रयास करता और विफल होता वो याद मे आते ही

मैने प्रयास करना रोक दिया और जो शक्ति मेरे पास अभी जगृत अवस्था मे थी उसका इस्तेमाल करने लगा यानी मेरा आत्मविश्वास, खुद पर भरोसा, मेरी हिम्मत और सबसे ज्यादा मेरी बुद्धि

अब यही 4 शक्तियां थी जो इस परिस्थिति मे भी मेरे साथ थी और इन्ही के भरोसे मैने अपने कदम जंगल के तरफ बढ़ा दिये

जिसके बाद मे जैसे ही जंगल रूपी उस चक्रव्युव के भीतर प्रवेश किया वैसे ही मेरे कानों मे बहुत ही भयानक और कर्कश आवाज आने लगी

आवाज:- भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो क्या तुम्हे अपनी जिंदगी पसंद नहीं है भाग जाओ यहाँ से

ऐसे ही अजीबोगरीब आवाजे मेरे कानों मे गूंजने लगी थी जो उसी जंगल की किसी कोने से आ रही थी लेकिन उस जंगल मे आवाज किस दिशा से आ रही हैं

ये पता लगाना न मुमकिन है इसी लिए मे उस आवाज को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ते जा रहा था और जब मे उस आवाज पर ध्यान देना बंद कर दिया तो मुझे ऐसे लगने लगा की मानो कोई मेरा पीछा कर रहा है

लेकिन जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा कोई भी नहीं था जिस कारण मे उसे अपने मन का वहम मानकर आगे बढ़ने लगा लेकिन फिर से मुझे वैसा ही एहसास होने लगा और इससे पहले की पीछे मुड़ता वो गायब हो जाता

जिसके बाद मे आगे बढ़ने लगा तो फिर से मुझे वो आवाजे आने लगी लेकिन अब ये आवाज मेरे नज़दिक से आ रही थी जिससे अब मुझे धीरे धीरे डर लगने लगा था

और उपर से मुझे अब मेरे पीछे से कदमों की आवाजे भी सुनाई देने लगी थी और इससे पहले की मे पीछे मुड़ता वो आवाजे बंद हो जाती और पीछे मुझे कोई दिखाई नही देता

और जब मे आगे बढ़ता तभी वो कदमों की आवाज मुझे वापस सुनाई देती और वो हर पल और नज़दिक बढ़ते जाती और इस बार जब मे पीछे मुड़के देखने की कोशिश करता की

तभी मेरा संतुलन बिगड़ गया और मे नीचे जमीन पर गिर गया फिर मे खड़ा हुआ और फिर एक बार आगे की तरफ बढ़ने लगा की तभी मुझे फिर से वही चेतावनी से भरी वो कर्कश आवाज सुनाई देती और पीछे से कदमों की आवाज आती

लेकिन मे सबको दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा जिससे वो आवाजे मेरे और करीब से आने लगती लेकिन मे उन सभी आवाजों को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा मे जितना आगे बढ़ता उतने ही पास से आवाज आती

लेकिन मे सब भूल कर आगे चलता रहा और ऐसे ही कुछ देर आगे चलता रहा जिससे अब वो आवाज मेरे इतने नजदीक आ गयी थी कि मे उस आवाज से वतावरण मे होने वाली कंपन भी महसूस कर पा रहा था

लेकिन फिर भी मैने ध्यान नही दिया तो वो और जोर से मुझे धमकाने लगा

आवाज:- भाग जाओ बालक भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो और अपनी मा को नीपुति:..

अभी मे कुछ बोलता की तभी मेरे चेहरे पर एक रहस्यमयी शैतानी मुस्कान आ गयी थी जिसे देखकर उस आवाज के शब्द बीच मे ही रूक गए और इसी वक्त का इंतज़ार में कर रहा था

और उसके शब्द रुकते ही मे तुरंत आवाज की दिशा मे मुड़ गया और मेरे मुड़ते ही वहा पर एक जोरदार चीख गूंज उठी वो चीख किसी और की नही

बल्कि उसी शक्स की थी जो अब तक अंधेरे मे कायर की तरह छुप कर अपनी कर्कश आवाज मे मुझे धमका रहा था हुआ यू की जब मे आगे बढ़ रहा था और ये नमुना मुझे धमका रहा था कि

तभी मुझे एहसास हो गया था कि यहाँ कोई है लेकिन जब धमकाने के साथ कदमों की आवाज भी आने लगी थी तब मे समझ नही पा रहा था

की ये सच्ची मे यहाँ कोई है या केवल ये मेरा वहम है और इसीलिए मैने जमीन पर गिरने का नाटक किया और गिरने के बहाने मैने वहाँ पर पड़ा हुआ एक नुकीला पत्थर उठा लिया

और जैसे ही मुझे उसकी ध्वनि से होने वाली कंपन महसूस होने लगी तभी मैने ऐसी गंभीर हालत में मुस्कुराने लगा और ये देखकर वो दंग हो गया और उसके बोल बीच मे ही रुक गए और बस यही वो समय था जब मे जान गया था

कि ये सब माया नही सच था और ये साबित होते ही मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था

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आज के लिए इतना ही

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Bahut hi adhbhut likh rahe ho mitr … bus Viram itne kharanak mode par dete ho ki next update ki pratiksha karna bahut mushkil ho jata hai…. Bahut hi behtarin updates 👏🏻👏🏻👏🏻
 
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Raj_sharma

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VAJRADHIKARI

Hello dosto
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अध्याय इकहत्तर

मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था

और ऐसा होते ही मुझे कदमों की आवाज मुझसे दूर जाती सुनाई देने लगी इसका मतलब वहाँ पर दो जीव थे ये महसूस होते ही मैने उस जीव को जिसे मैने पकडा था मैने उस तुरंत अपने गिरफ्त मे लिया

जिसके बाद मैने उस नुकीले पत्थर को चाकू की तरह उसके गर्दन पर लगा दिया और उस दूसरे जीव को आवाज देने लगा जिससे वो भी मेरे सामने आ गया

वो दोनों जैसे ही मेरे पास पहुंचे वैसे ही दोनों का शरीर चमकने लगा और जिसे में अपनी गिरफ्त मे पकडा हुआ था वो भी मेरे शरीर से आर पार हो कर निकल गया

जिसके बाद वो दोनों वैसे ही चमकते हुए एक दूसरे मे मिल गए और वहाँ पर एक सुनहरे रंग का बक्शा निर्माण हो गया ये बिल्कुल वैसा ही बक्शा था

जैसा मुझे पडाव पार करने के बाद मिलता और जैसे ही मैने उस बक्शे को खोला तो उसमे रखा हुआ संदेश अपने आप उड़ता हुआ मेरे सामने आ गया

संदेश :- शब्बाश कुमार तुमने इस चक्रव्युव को बड़े ही हिम्मत और निडरता से पार किया लेकिन इतने मे जश्न मनाने मत लगना क्योंकि इस चक्रव्युव का दूसरा हिस्सा अभी शेष है जिसमे तुम्हे अपनी हिम्मत के साथ साथ ही अपने बल का संगम भी दिखाना है याद रखना जितना तुम्हारा खुद पर विश्वास होगा उतने ही तुम शक्तिशाली होगे इसलिए कर खुदपर विश्वास और दिखादो सबको तुम हो कितने खास

इतना बोलते ही वो संदेश गायब हो गया और उसके गायब होते ही उस जंगल की जमीन हिलने लगी थी जैसे मानो की भूकंप आ गया हो

और देखते ही देखते जहाँ खड़ा था वहाँ चारोँ तरफ पत्थर की दीवारे जमीन के नीचे से आने लगी और मे कुछ कर पाता

उससे पहले वो दीवारे एक कमरे के आकार आ गयी और उस 4*4 ke कमरें के अंदर मे फस के रह गया न वहाँ पर कोई खिड़की थी न दरवाजा वहाँ पर रोशनी भी कोई स्त्रोत नही था

ऐसा मानो की मे उसमे कैद होके रह गया था मैने अपने भुजबल से उन दीवारों को भी तोड़ने का प्रयास किया लेकिन जैसा मुझे लगा था की यहाँ पर मेरी आम मानवी शक्ति काम नही आयेगी

मुझे अपनी मायावी शक्तियों की जरूरत थी उनके बिना मे यहाँ से कभी भी नहीं निकल सकता था यही सोचते हुए मै निराश होकर वही बैठ गया अभी मै वहाँ जमीन पर बैठा ही था

की तभी मुझे मेरे दिमाग मे वो दृश्य दिखने लगे जहाँ वो दुष्ट महासुरों ने उन सातों लोकों को अपना गुलाम बना कर रखा था

और उसके बाद मेरे आँखों के सामने वो दृश्य आने लगे जहाँ वो महासूर अपनी पूरी सेना के साथ धरती के तरफ बढ़ते जा रहे थे और उन्हे रोकने के लिए जो भी आगे बढ़ रहे थे

वो सभी को वो खतम कर देते और फिर मेरे आँखों के सामने मेरे अपनों की लाशे आने लगी जिनको कुचल कर वो सभी धरती लोक पर आक्रमण कर रहे थे

ये सब देखकर मेरा क्रोध अब मेरे काबू से बाहर जा रहा था मे ऐसे ही निराश होकर बैठा रहा तो कही मेरी वो कल्पना सत्य मे परावर्तित न हो जाए मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी मेरे मन मे गुरु काल की सिख आने लगी

गुरु काल :- याद रखना अपने सारे नकारत्मक भावों को अपनी ऊर्जा बनाओ अगर तुम ऐसा कर पाए तो दुनिया की कोई भी शक्ति तुम्हे हरा नहीं पायेगी

ये बात मेरे दिमाग मे आते ही मैने तुरंत अपने क्रोध और निराश को अपनी ताकत बनाने का विचार किया और उसके लिए मे वही ध्यान लगाने लगा और जब मे इस मे सफल हो गया

तो मैने अपनी आँखे खोली जो अभी पूरी लाल हो गयी थी जिसके बाद मै अपने सामने की दीवार के पास गया और अपनी पूरी ताकत को अपनी एक मुट्ठी में इकट्ठा किया

और पूरी ताकत से उस दीवार पर वार किया जिससे उस दीवार के चित्थडे उड़ गए और जैसे ही मे उस कमरे के बाहर निकला वैसे ही उस पूरे जंगल मे प्रकाश फैल गया

और जब वो प्रकाश हटा तो वह जंगल पुरा खाली मैदान बन गया था और वहाँ मेरे सामने हर बार की तरह बक्शा था जो मेरे सामने हवा मे उड़ रहा लेकिन ये बक्शा कुछ अलग था

अब तक मुझे जितने भी बक्शे मिले थे उन सब मे सिर्फ एक संदेश था और सर्प द्वीप पर मिले बक्शे संदेश के साथ एक शक्ति भी थी लेकिन जब मैने ये बक्शा खोला

तो उसमे एक के अलावा 2 संदेश थे और साथ मे एक ऊर्जा शक्ति भी थी अभी मे कुछ करता उससे पहले ही उन दोनों मेसे एक संदेश हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आ गया

संदेश :- उत्तम कुमार अति उत्तम तुमने अब तक सभी पड़ावों मे सफल हो चुके हो जहाँ तुमने सफल होने के साथ कुछ शक्तियाँ भी पा ली है अभी जो शक्ति तुम्हे बक्शे मे दिख रही हैं वो कोई शक्ति न होके वो ज्ञान है पूरे संसार के सभी चक्रव्युव के बारे में ज्ञान अब तुम्हारे अंदर इस ब्रह्मांड के सारे चक्रव्यू के राज समा चुके है अब ऐसा कोई चक्रव्यू नहीं होगा ऐसी कोई गुत्थी नहीं होगी जिसे तुम सुलझा नहीं सकते अगर तुम चाहो तो खुद भी बड़े से बड़े चक्रव्युव की रचना कर अपने दुश्मन को फंसा सकते हो और अब तुम चाहो तो महासुरों को अनियमित काल के लिए इन चक्रव्युव मे फँसा सकते हो

उस संदेश के इतना बोलते ही वहाँ पर मौजूद वो ज्ञान शक्ति मेरे अंदर समा गयी जिसके बाद वो संदेश फिर से बोलने लगा

संदेश :- अगले पड़ाव पर जाने से पहले ये जान लो की उस अजेय शक्ति को पाने के लिए तुम्हारा सामना कुरुमा से होगा जो की इस संसार के सबसे विशाल और सबसे खतरनाक जीव है और वो उस अस्त्र की रक्षा के लिए किसी के भी प्राण ले सकता हैं और वैसे भी तुम उन अस्त्रों से केवल उन महासुरों के अंदर पनप रहे सप्तस्त्रों के अंश को खतम कर पाओगे और वो भी केवल तुम्हे एक ही मौका मिलेगा तो वही तुम अंगीनात चक्रव्युव का निर्माण करके उन महासुरों को अनंतकाल तक कैद कर सकते हो सोचलो या तो तुम अपना और अपने साथियों का खुशहाल जीवन चुनो या फिर अपनी मौत याद रखना की अगर तुम मे गए तो महासुरों को रोकने के लिए कोई नही होगा और फिर वो महासूर हर तरफ तबाही मचा देंगे अगर तुम वापस लौटना चाहो तो लौट सकते हो

मे :- नही में आगे बढूंगा भले ही आज मे उन्हे कैद कर दूंगा लेकिन भविष्य मै कभी न कभी तो वो बच कर निकलेंगे ही उस वक्त उनकी तबाही से धरती को कौन बचाएगा इससे अच्छा की मे आगे बढ़ कर उन महासुरों को खतम कर दु इसीलिए अब मुझे बताइये कि अगला पड़ाव कहाँ होगा

संदेश :- जैसा तुम चाहो अगला पड़ाव तुम्हारा अंतिम पड़ाव होगा याद रखना की एक बार तुम अंदर चले गए तो कभी बाहर नही आ पाओगे बाहर आने के लिए तुम्हे कुरुमा को हराना होगा अगर अभी भी तुम अपने फैसले पर टिके हुए हो तो ये रहा अगले पड़ाव का रास्ता

उसके इतना बोलते ही वो दूसरा संदेश हवा मे उड़ते हुए मेरे सामने आया और और देखते ही देखते उसका आकर बढ़ने लगा और फिर वो संदेश एक मायावी द्वार मे परावर्तित हो गया जिसके बाद मे भी बिना कुछ सोचे समझे उस संदेश रूपी मायावी द्वार मे घुस गया

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आज के लिए इतना ही

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