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Fantasy ब्रह्माराक्षस

VAJRADHIKARI

Hello dosto
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अध्याय छियालीस

कुमार की बाते सुनकर मेरा भी मन घबराने लगा था और ये भी सच था कि जब मेरा खुद पर भरोषा नहीं था तब भी कुमार ने मुझे विश्वास दिलाया था इसीलिए आज मुझे भी उसपर भरोशा करना होगा और यही सोचकर मैने अपना शरीर कुमार के हवाले कर दिया

तो वही दूसरी तरफ कालविजय आश्रम में जैसे ही महागुरु द्वारा लगाया हुआ कवच हटा तो वही सभी को इस का पता चल गया था जिसके बाद सभी गुरु तुरंत महागुरु के कुटिया के तरफ चल पड़े

लेकिन उन्हे वहा कोई नहीं मिला जिससे सभी चिंतित हो गए और अभी वो कुछ करते उससे पहले ही वहा प्रिया महागुरु को लेकर पहुँच गयी और जब सभी ने महागुरु की हालत देखी तो सभी डर गए और तुरंत उनके पास पहुँच गए

जहाँ सबसे पहले शांति ने महागुरु को एक कमरे मे ले जाकर उनका इलाज करने लगी तो वही महागुरु को देखकर न सिर्फ अस्त्र धारकों के मन में बल्कि पूरे आश्रम के वतावरण मे डर का माहौल बन गया था

और हो भी क्यों न महागुरु अब तक पूरे आश्रम के सबसे ज्यादा ताकतवर जादूगर और योध्दा थे और उनकी ऐसी हालत का होना और आश्रम के उपर से कवच का हटना इसका अर्थ साफ था की अब पाप और पुण्य का युद्ध ज्यादा दूर नही है

जिसके बारे मे सोचकर सभी अस्त्र धारक चिंता मे आ गए थे तो वही प्रिया ने भी फैक्टरी मे हुई सारी बातें बता दी जिसके बाद जहाँ सभी भद्रा की कामयाबी से खुश थे

तो वही कालस्त्र के खोने का डर भी उनके मन मे था तो वही शांति भद्रा के लिए चींता कर रही थी और बाकी सभी उस समझाने की कोशिश कर रहे थे की तभी प्रिया को उसके द्वारा बनाया हुआ कवच टूटने का अंदेशा हो गया

जिससे अब वो भी चिंता करने लगी थी और जब सबने ये सुना तो अब सबको चिंता होने लगी और फिर सारे अस्त्र धारक उस फैक्टरी के तरफ जाने लगे

तो वही उस पर्वत पर अभी कुमार ने पूरी तरह से भद्रा के शरीर पर काबू कर लिया था और अभी वो आसमान मे चाँद को देख रहा था लेकिन अचंभे की बात ये थी की कुमार के आँखों में आँसू थे

कुमार:- मुझे माफ करना माँ मे जानता हूँ कि आप उन असुरों की कैद में कितना तड़प रही हो आप और पिताजी वहा हर पल तिल तिल मर रहे हो मुझसे उम्मीद लगाए बैठे हो लेकिन मे आपको बचाने नही आ पा रहा हूँ उसके पीछे भी मेरी कमजोरी है अगर मैने अभी आपको छुड़ा दिया तो असुरों के साथ ब्रम्हराक्षस भी सचेत हो जायेंगे और ऐसा हुआ तो वो मेरे उन तक पहुँचने से पहले ही हर तरह तबाही मचा देंगे जिसके लिए अभी तीनों लोकों मे कोई तैयार नहीं है और मे जानता हूँ कि आप अपने भलाई के लिए तीनों लोकों के निर्दोष जीवों के प्राण संकट में आ जाए ऐसा नहीं चाहोगे

इतना बोलके उसने अपनी आँखों को बंद किया और उनमे आये ही आँसुओं को पोंछ कर साफ कर दिया और जब उसने अपनी आँखे खोली तो उन आँखों में आँसू नही तो एक विश्वास था एक बेटे का क्रोध था बदला लेने की अटल भावना थी

कुमार (जोश में) :-लेकिन अब आपको ज्यादा इंतज़ार नही करना होगा मे आपको वचन देता हूँ कि आज से 30 दिनों के अंदर मे आपका पुत्र आपको और हमारी पूरी प्रजा को उन दुष्ट पापियों के चंगुल से छुडाऊंगा ये प्रतिज्ञा है मेरी

इतना बोलते हुए उसके आँखों से एक बूंद निकल के जमीन पर गिर गई और फिर कुमार ने उन दोनों श्रपित कवचों को अपने दोनों हाथों मे पकड़ लिए और उन्हे अपनी पूरी ताकत से दबाने लगा और साथ मे ही अपनी आँखे बंद करके कुछ मंत्र भी बोलने लगा

और वो जैसे मंत्र बोले जा रहा था और जैसे जैसे वो मंत्र बोले जा रहा था वैसे ही उन श्रपित कवचों मे हल्की हल्की दरार पड़ने लगी थी और साथ मे ही कुमार के आँख और नाक से खून भी निकलने लगा था

तो वही उन श्रापित कवचों को पूरी ताकत से दबाने की वजह से उसके हाथ भी जल रहे थे उस इस वक़्त इतनी पीड़ा हो रही थी कि वो इतने दर्द के मारे मर ही जायेगा

और अभी उसने उन श्रपित कवचों पर दबाव बढ़ाया था कि तभी उन श्रपित कवचों से सफेद रोशनी निकलने लगी और देखते ही देखते एक जोरदार धमाके के साथ वो कवच टूट गए और उस मेसे दोनों ही गुरु जमीन पर गिरे हुए थे

और उन दोनों के उपर ही उन दोनों के अस्त्र एक शक्ति पुंज के रूप मे घूम रहे थे तो वही उस धमाके के कारण कुमार की भी हालत बुरी हो गयी थी उसे बहुत सारी चोटे भी आई थी उसका चेहरा खून से सन गया था

और इस वक्त वो अपने घुटनों पर आ गया था उसकी हालत देखकर लग रहा था कि वो कभी भी बेहोश हो सकता हैं और अभी वो खुद की हालत संभाल रहा था कि तभी उसे वहा पर किसी के आने की आवाज आने लगी जिसे सुनकर वो सतर्क हो गया

और जब उसने अपने सामने उड़ते शक्तिपुंजों को देखा तो वो उन्हे सुरक्षित करने के लिए आगे बढ़ कर उन्हे अपने कब्जे में लेने लगा की तभी उन शक्तिपुंजों मेसे एक ऊर्जा निकल कर सीधा उसे लगी जिससे वो अपनी जगह से उड़ थोड़ी दूरी पर जो पेड़ था उससे टकरा गया और फिर बेहोश हो गया

तो वही उसके बेहोश होते ही वो दोनों अस्त्र भी अपने अस्त्र रूप में आकर किसी आम अस्त्र के तरह वही धरती पर गिर गए अभी ये सब हुआ ही था कि तभी वहा सारे अस्त्र धारक भी पहुँच गए थे

हुआ यू की जब ये सभी फैक्टरी के पास पहुंचे तो फैक्टरी का हाल देखकर प्रिया और शांति का बुरा हाल हो गया था तो वही बाकी गुरुओं ने जब असुरों का हाल देखा तो सब हैरान हो गए थे

और अभी वो सभी फैक्टरी के पास पहुँचते इससे पहले ही उन्हे सामने वाले पहाड़ से एक बड़े धमाके की आवाज आयी जिसे सुनकर उनके साथ साथ बाकी जो पुलिस और अग्निशमन के अधिकारी थे उनका ध्यान भी उस धमाके पर गया

लेकिन इससे पहले की वो आगे बढ़ते दिग्विजय ने अपने पद का फायदा उठा कर उन सबको वही रोक दिया और खुद बाकी गुरुओं के साथ पहाड़ की तरफ चल पड़े और जब वो वहा पहुँचे

तो वहा का हाल देख कर सब दंग रह गए तो वही भद्रा को बेहोश देखकर प्रिया और शांति तुरंत ही उसके पास पहुँच तो वही बाकी लोगों ने दिलावर और साहिल (गुरु जल और गुरु अग्नि) को अपने साथ लिया

और फिर उन सबने वहा जमीन पर निष्क्रिय पड़े अस्त्रों को भी अपने कब्जे मे ले लिया और इससे पहले की कोई और वहा पहुँचे वो सभी दूसरे रास्ते से पहाड़ी से निकल कर कालविजय आश्रम की तरफ चल पड़े

तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरे गुफा में आज एक अलग ही वातावरण था इस वक्त सभी मायूस थे लेकिन उनके मायूसी का कारण उनकी कैद नही बल्कि उनके महारानी दमयंती की बिगड़ी हालत थी

हुआ यू की जब कुमार ने भद्रा के शरीर पर कब्ज़ा करते ही दमयंती को अहसास हो ने लगा था और जब कुमार की आँख से आँसू निकल कर जमीन पर गिरा तो उस वक्त दमयंती के मन को ऐसा लगा की उसका पुत्र उसे बुला रहा है

जिस वजह से वो कुमार को आवाज देने लगी और उसकी यही हाल देखकर वहा त्रिलोकेश्वर और बाकी सब मायूस हो गए परंतु उन्हे ये पता नही था कि अब उनकी ये मायूसी उनकी खुशियों मे बदलने वाली है

अभी वो सब अपने महारानी की हालत देखकर उनके इष्ट से प्राथना कर रहे थे की तभी वहा मायासुर चीखते हुए आ गया जिसे देखकर वहा सब हैरान हो गए थे क्योंकि मायासुर इस वक़्त पुरा खून से नहाया हुआ था और क्रोध के वजह से उसकी आँखे पूरी लाल रंग की हो गयी थी

तो वही जब वो चीखते हुए आया तो सबको लगा की आज वो त्रिलोकेश्वर और दमयंती को जिंदा नही छोड़ेगा लेकिन तभी मायासुर उनके कमरे मे जाने के बजाए सीधा मित्र के कमरे मे घुस गया (जिसका नाम शिबू था)

और जैसे ही वो शिबू के कमरे में पहुँचा तो तुरंत उसने शिबू को लात मारकर जमीन पर गिरा दिया जो देखकर सब दंग रह गए थे और इससे पहले शिबू फिर से खड़ा हो पाता की मायासुर ने फिर से एक लात उसके पेट में जड़ दी और फिर बिना रुके वो शिबू को मारते जा रहा था

तो वही शिबू जमीन पर पड़े बस दर्द से कराह रहा था ऐसा नहीं था कि वो मायासुर का सामना नही कर सकता था वो बेशक कर सकता था लेकिन वो जानता था कि ये कैद मायासुर के ही माया से बनी है और यहाँ जो मायासुर चाहे वही होगा इसीलिए वो शांत था

और जब शिबू को मारकर थक गया तब उसने शिबू को उठाकर कैदखाने की दीवार से चिपका दिया और एक हाथ से उसका गला पकड़ उसे हवा मे उठाने लगा जिससे अब शिबू का भी दम घुटने लगा था

मायासुर:- मुर्ख तुझे क्या लगा तु मेरे खिलाफ असुरों के खिलाफ हथियार उठा लेगा और हमारे खिलाफ जंग का ऐलान कर देगा और मे बस तमाशा देखूंगा

शिबू:- ये क्या बोल रहे हो तुम पागल हो गए हो क्या पिछले 20 से भी अधिक वर्षों से मे यहाँ तुम्हारे कैद में हूँ

मायासुर:- अच्छा तुम यह कैद में थे लेकिन तुम्हारा वो साथी उसका क्या जिसकी तुम मदद कर रहे हो असुरों को मारने मे

शिबू:- ऐसा कुछ नहीं है मायासुर मेरा किसी भी साथी को जिंदा छोड़ा भी है क्या तुमने सबको तो मार दिया अब कोन बचा है

मायासुर:- अच्छा तो वो बच्चा कौन है जो तुम्हारी दोनों मायावी तलवारों का इस्तेमाल कर रहा है जिन्हे तुम्हारे अलावा कोई छु भी नही सकता अब बोलो क्या तुमने नही दी अपनी तलवारे उस बालक को

जब मायासुर ने ये कहा तो उस कैद खाने मे मौजूद हर एक जन दंग रह गए यहाँ तक की त्रिलोकेश्वर और दमयंती भी शिबू भी कुछ समझ नही पा रहा था

क्योंकि जिन तलवारों की बात मायासुर कर रहा था वो शिबू ने केवल भद्रा को दी थी और उनके हिसाब से भद्रा मर गया था लेकिन जब शिबू ने कुछ समय पहले दमयंती का हाल और फिर मायासुर की बात को जब एक दूसरे से जोड़ा तो उसे सब समझ में आ गया

और उसके दिमाग में पूरी बात साफ हो गयी और फिर जब उसने गौर से मायासुर का हाल देखा तो वो देखकर शिबू जोरों से हँसने लगा तो वही शिबू को हँसता देखकर मायासुर का क्रोध और भी बढ़ गया

और वो फिर से शिबू को मारने लगा लेकिन इस बार शिबू दर्द से कराहने बदले हँसे जा रहा था और जब मायासुर थक गया तो उसने शिबू को उठाकर दीवार पर दे मारा और खुद अपने साथियों के साथ वहा से चला गया

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आज के लिए इतना ही

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Sectional Moderator
Supreme
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304
अध्याय छियालीस

कुमार की बाते सुनकर मेरा भी मन घबराने लगा था और ये भी सच था कि जब मेरा खुद पर भरोषा नहीं था तब भी कुमार ने मुझे विश्वास दिलाया था इसीलिए आज मुझे भी उसपर भरोशा करना होगा और यही सोचकर मैने अपना शरीर कुमार के हवाले कर दिया

तो वही दूसरी तरफ कालविजय आश्रम में जैसे ही महागुरु द्वारा लगाया हुआ कवच हटा तो वही सभी को इस का पता चल गया था जिसके बाद सभी गुरु तुरंत महागुरु के कुटिया के तरफ चल पड़े

लेकिन उन्हे वहा कोई नहीं मिला जिससे सभी चिंतित हो गए और अभी वो कुछ करते उससे पहले ही वहा प्रिया महागुरु को लेकर पहुँच गयी और जब सभी ने महागुरु की हालत देखी तो सभी डर गए और तुरंत उनके पास पहुँच गए

जहाँ सबसे पहले शांति ने महागुरु को एक कमरे मे ले जाकर उनका इलाज करने लगी तो वही महागुरु को देखकर न सिर्फ अस्त्र धारकों के मन में बल्कि पूरे आश्रम के वतावरण मे डर का माहौल बन गया था

और हो भी क्यों न महागुरु अब तक पूरे आश्रम के सबसे ज्यादा ताकतवर जादूगर और योध्दा थे और उनकी ऐसी हालत का होना और आश्रम के उपर से कवच का हटना इसका अर्थ साफ था की अब पाप और पुण्य का युद्ध ज्यादा दूर नही है

जिसके बारे मे सोचकर सभी अस्त्र धारक चिंता मे आ गए थे तो वही प्रिया ने भी फैक्टरी मे हुई सारी बातें बता दी जिसके बाद जहाँ सभी भद्रा की कामयाबी से खुश थे

तो वही कालस्त्र के खोने का डर भी उनके मन मे था तो वही शांति भद्रा के लिए चींता कर रही थी और बाकी सभी उस समझाने की कोशिश कर रहे थे की तभी प्रिया को उसके द्वारा बनाया हुआ कवच टूटने का अंदेशा हो गया

जिससे अब वो भी चिंता करने लगी थी और जब सबने ये सुना तो अब सबको चिंता होने लगी और फिर सारे अस्त्र धारक उस फैक्टरी के तरफ जाने लगे

तो वही उस पर्वत पर अभी कुमार ने पूरी तरह से भद्रा के शरीर पर काबू कर लिया था और अभी वो आसमान मे चाँद को देख रहा था लेकिन अचंभे की बात ये थी की कुमार के आँखों में आँसू थे

कुमार:- मुझे माफ करना माँ मे जानता हूँ कि आप उन असुरों की कैद में कितना तड़प रही हो आप और पिताजी वहा हर पल तिल तिल मर रहे हो मुझसे उम्मीद लगाए बैठे हो लेकिन मे आपको बचाने नही आ पा रहा हूँ उसके पीछे भी मेरी कमजोरी है अगर मैने अभी आपको छुड़ा दिया तो असुरों के साथ ब्रम्हराक्षस भी सचेत हो जायेंगे और ऐसा हुआ तो वो मेरे उन तक पहुँचने से पहले ही हर तरह तबाही मचा देंगे जिसके लिए अभी तीनों लोकों मे कोई तैयार नहीं है और मे जानता हूँ कि आप अपने भलाई के लिए तीनों लोकों के निर्दोष जीवों के प्राण संकट में आ जाए ऐसा नहीं चाहोगे

इतना बोलके उसने अपनी आँखों को बंद किया और उनमे आये ही आँसुओं को पोंछ कर साफ कर दिया और जब उसने अपनी आँखे खोली तो उन आँखों में आँसू नही तो एक विश्वास था एक बेटे का क्रोध था बदला लेने की अटल भावना थी

कुमार (जोश में) :-लेकिन अब आपको ज्यादा इंतज़ार नही करना होगा मे आपको वचन देता हूँ कि आज से 30 दिनों के अंदर मे आपका पुत्र आपको और हमारी पूरी प्रजा को उन दुष्ट पापियों के चंगुल से छुडाऊंगा ये प्रतिज्ञा है मेरी

इतना बोलते हुए उसके आँखों से एक बूंद निकल के जमीन पर गिर गई और फिर कुमार ने उन दोनों श्रपित कवचों को अपने दोनों हाथों मे पकड़ लिए और उन्हे अपनी पूरी ताकत से दबाने लगा और साथ मे ही अपनी आँखे बंद करके कुछ मंत्र भी बोलने लगा

और वो जैसे मंत्र बोले जा रहा था और जैसे जैसे वो मंत्र बोले जा रहा था वैसे ही उन श्रपित कवचों मे हल्की हल्की दरार पड़ने लगी थी और साथ मे ही कुमार के आँख और नाक से खून भी निकलने लगा था

तो वही उन श्रापित कवचों को पूरी ताकत से दबाने की वजह से उसके हाथ भी जल रहे थे उस इस वक़्त इतनी पीड़ा हो रही थी कि वो इतने दर्द के मारे मर ही जायेगा

और अभी उसने उन श्रपित कवचों पर दबाव बढ़ाया था कि तभी उन श्रपित कवचों से सफेद रोशनी निकलने लगी और देखते ही देखते एक जोरदार धमाके के साथ वो कवच टूट गए और उस मेसे दोनों ही गुरु जमीन पर गिरे हुए थे

और उन दोनों के उपर ही उन दोनों के अस्त्र एक शक्ति पुंज के रूप मे घूम रहे थे तो वही उस धमाके के कारण कुमार की भी हालत बुरी हो गयी थी उसे बहुत सारी चोटे भी आई थी उसका चेहरा खून से सन गया था

और इस वक्त वो अपने घुटनों पर आ गया था उसकी हालत देखकर लग रहा था कि वो कभी भी बेहोश हो सकता हैं और अभी वो खुद की हालत संभाल रहा था कि तभी उसे वहा पर किसी के आने की आवाज आने लगी जिसे सुनकर वो सतर्क हो गया

और जब उसने अपने सामने उड़ते शक्तिपुंजों को देखा तो वो उन्हे सुरक्षित करने के लिए आगे बढ़ कर उन्हे अपने कब्जे में लेने लगा की तभी उन शक्तिपुंजों मेसे एक ऊर्जा निकल कर सीधा उसे लगी जिससे वो अपनी जगह से उड़ थोड़ी दूरी पर जो पेड़ था उससे टकरा गया और फिर बेहोश हो गया

तो वही उसके बेहोश होते ही वो दोनों अस्त्र भी अपने अस्त्र रूप में आकर किसी आम अस्त्र के तरह वही धरती पर गिर गए अभी ये सब हुआ ही था कि तभी वहा सारे अस्त्र धारक भी पहुँच गए थे

हुआ यू की जब ये सभी फैक्टरी के पास पहुंचे तो फैक्टरी का हाल देखकर प्रिया और शांति का बुरा हाल हो गया था तो वही बाकी गुरुओं ने जब असुरों का हाल देखा तो सब हैरान हो गए थे

और अभी वो सभी फैक्टरी के पास पहुँचते इससे पहले ही उन्हे सामने वाले पहाड़ से एक बड़े धमाके की आवाज आयी जिसे सुनकर उनके साथ साथ बाकी जो पुलिस और अग्निशमन के अधिकारी थे उनका ध्यान भी उस धमाके पर गया


लेकिन इससे पहले की वो आगे बढ़ते दिग्विजय ने अपने पद का फायदा उठा कर उन सबको वही रोक दिया और खुद बाकी गुरुओं के साथ पहाड़ की तरफ चल पड़े और जब वो वहा पहुँचे

तो वहा का हाल देख कर सब दंग रह गए तो वही भद्रा को बेहोश देखकर प्रिया और शांति तुरंत ही उसके पास पहुँच तो वही बाकी लोगों ने दिलावर और साहिल (गुरु जल और गुरु अग्नि) को अपने साथ लिया

और फिर उन सबने वहा जमीन पर निष्क्रिय पड़े अस्त्रों को भी अपने कब्जे मे ले लिया और इससे पहले की कोई और वहा पहुँचे वो सभी दूसरे रास्ते से पहाड़ी से निकल कर कालविजय आश्रम की तरफ चल पड़े

तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरे गुफा में आज एक अलग ही वातावरण था इस वक्त सभी मायूस थे लेकिन उनके मायूसी का कारण उनकी कैद नही बल्कि उनके महारानी दमयंती की बिगड़ी हालत थी

हुआ यू की जब कुमार ने भद्रा के शरीर पर कब्ज़ा करते ही दमयंती को अहसास हो ने लगा था और जब कुमार की आँख से आँसू निकल कर जमीन पर गिरा तो उस वक्त दमयंती के मन को ऐसा लगा की उसका पुत्र उसे बुला रहा है

जिस वजह से वो कुमार को आवाज देने लगी और उसकी यही हाल देखकर वहा त्रिलोकेश्वर और बाकी सब मायूस हो गए परंतु उन्हे ये पता नही था कि अब उनकी ये मायूसी उनकी खुशियों मे बदलने वाली है

अभी वो सब अपने महारानी की हालत देखकर उनके इष्ट से प्राथना कर रहे थे की तभी वहा मायासुर चीखते हुए आ गया जिसे देखकर वहा सब हैरान हो गए थे क्योंकि मायासुर इस वक़्त पुरा खून से नहाया हुआ था और क्रोध के वजह से उसकी आँखे पूरी लाल रंग की हो गयी थी

तो वही जब वो चीखते हुए आया तो सबको लगा की आज वो त्रिलोकेश्वर और दमयंती को जिंदा नही छोड़ेगा लेकिन तभी मायासुर उनके कमरे मे जाने के बजाए सीधा मित्र के कमरे मे घुस गया (जिसका नाम शिबू था)

और जैसे ही वो शिबू के कमरे में पहुँचा तो तुरंत उसने शिबू को लात मारकर जमीन पर गिरा दिया जो देखकर सब दंग रह गए थे और इससे पहले शिबू फिर से खड़ा हो पाता की मायासुर ने फिर से एक लात उसके पेट में जड़ दी और फिर बिना रुके वो शिबू को मारते जा रहा था

तो वही शिबू जमीन पर पड़े बस दर्द से कराह रहा था ऐसा नहीं था कि वो मायासुर का सामना नही कर सकता था वो बेशक कर सकता था लेकिन वो जानता था कि ये कैद मायासुर के ही माया से बनी है और यहाँ जो मायासुर चाहे वही होगा इसीलिए वो शांत था

और जब शिबू को मारकर थक गया तब उसने शिबू को उठाकर कैदखाने की दीवार से चिपका दिया और एक हाथ से उसका गला पकड़ उसे हवा मे उठाने लगा जिससे अब शिबू का भी दम घुटने लगा था

मायासुर:- मुर्ख तुझे क्या लगा तु मेरे खिलाफ असुरों के खिलाफ हथियार उठा लेगा और हमारे खिलाफ जंग का ऐलान कर देगा और मे बस तमाशा देखूंगा

शिबू:- ये क्या बोल रहे हो तुम पागल हो गए हो क्या पिछले 20 से भी अधिक वर्षों से मे यहाँ तुम्हारे कैद में हूँ

मायासुर:- अच्छा तुम यह कैद में थे लेकिन तुम्हारा वो साथी उसका क्या जिसकी तुम मदद कर रहे हो असुरों को मारने मे

शिबू:- ऐसा कुछ नहीं है मायासुर मेरा किसी भी साथी को जिंदा छोड़ा भी है क्या तुमने सबको तो मार दिया अब कोन बचा है

मायासुर:- अच्छा तो वो बच्चा कौन है जो तुम्हारी दोनों मायावी तलवारों का इस्तेमाल कर रहा है जिन्हे तुम्हारे अलावा कोई छु भी नही सकता अब बोलो क्या तुमने नही दी अपनी तलवारे उस बालक को

जब मायासुर ने ये कहा तो उस कैद खाने मे मौजूद हर एक जन दंग रह गए यहाँ तक की त्रिलोकेश्वर और दमयंती भी शिबू भी कुछ समझ नही पा रहा था

क्योंकि जिन तलवारों की बात मायासुर कर रहा था वो शिबू ने केवल भद्रा को दी थी और उनके हिसाब से भद्रा मर गया था लेकिन जब शिबू ने कुछ समय पहले दमयंती का हाल और फिर मायासुर की बात को जब एक दूसरे से जोड़ा तो उसे सब समझ में आ गया

और उसके दिमाग में पूरी बात साफ हो गयी और फिर जब उसने गौर से मायासुर का हाल देखा तो वो देखकर शिबू जोरों से हँसने लगा तो वही शिबू को हँसता देखकर मायासुर का क्रोध और भी बढ़ गया

और वो फिर से शिबू को मारने लगा लेकिन इस बार शिबू दर्द से कराहने बदले हँसे जा रहा था और जब मायासुर थक गया तो उसने शिबू को उठाकर दीवार पर दे मारा और खुद अपने साथियों के साथ वहा से चला गया

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आज के लिए इतना ही

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Bohot badhiya update vajra bhaiya 👌🏻 mayasur samajh gaya ki wo talwar sibu ki hai👍wahi dusri or bhadra ne mahaguru ko bhi bachaya or kumar ke sath se jal or agni astra ko bhi bacha liya👍 awesome update 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻💥💥💥💥💥💥💥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥💥
 

parkas

Well-Known Member
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कुमार की बाते सुनकर मेरा भी मन घबराने लगा था और ये भी सच था कि जब मेरा खुद पर भरोषा नहीं था तब भी कुमार ने मुझे विश्वास दिलाया था इसीलिए आज मुझे भी उसपर भरोशा करना होगा और यही सोचकर मैने अपना शरीर कुमार के हवाले कर दिया

तो वही दूसरी तरफ कालविजय आश्रम में जैसे ही महागुरु द्वारा लगाया हुआ कवच हटा तो वही सभी को इस का पता चल गया था जिसके बाद सभी गुरु तुरंत महागुरु के कुटिया के तरफ चल पड़े

लेकिन उन्हे वहा कोई नहीं मिला जिससे सभी चिंतित हो गए और अभी वो कुछ करते उससे पहले ही वहा प्रिया महागुरु को लेकर पहुँच गयी और जब सभी ने महागुरु की हालत देखी तो सभी डर गए और तुरंत उनके पास पहुँच गए

जहाँ सबसे पहले शांति ने महागुरु को एक कमरे मे ले जाकर उनका इलाज करने लगी तो वही महागुरु को देखकर न सिर्फ अस्त्र धारकों के मन में बल्कि पूरे आश्रम के वतावरण मे डर का माहौल बन गया था

और हो भी क्यों न महागुरु अब तक पूरे आश्रम के सबसे ज्यादा ताकतवर जादूगर और योध्दा थे और उनकी ऐसी हालत का होना और आश्रम के उपर से कवच का हटना इसका अर्थ साफ था की अब पाप और पुण्य का युद्ध ज्यादा दूर नही है

जिसके बारे मे सोचकर सभी अस्त्र धारक चिंता मे आ गए थे तो वही प्रिया ने भी फैक्टरी मे हुई सारी बातें बता दी जिसके बाद जहाँ सभी भद्रा की कामयाबी से खुश थे

तो वही कालस्त्र के खोने का डर भी उनके मन मे था तो वही शांति भद्रा के लिए चींता कर रही थी और बाकी सभी उस समझाने की कोशिश कर रहे थे की तभी प्रिया को उसके द्वारा बनाया हुआ कवच टूटने का अंदेशा हो गया

जिससे अब वो भी चिंता करने लगी थी और जब सबने ये सुना तो अब सबको चिंता होने लगी और फिर सारे अस्त्र धारक उस फैक्टरी के तरफ जाने लगे

तो वही उस पर्वत पर अभी कुमार ने पूरी तरह से भद्रा के शरीर पर काबू कर लिया था और अभी वो आसमान मे चाँद को देख रहा था लेकिन अचंभे की बात ये थी की कुमार के आँखों में आँसू थे

कुमार:- मुझे माफ करना माँ मे जानता हूँ कि आप उन असुरों की कैद में कितना तड़प रही हो आप और पिताजी वहा हर पल तिल तिल मर रहे हो मुझसे उम्मीद लगाए बैठे हो लेकिन मे आपको बचाने नही आ पा रहा हूँ उसके पीछे भी मेरी कमजोरी है अगर मैने अभी आपको छुड़ा दिया तो असुरों के साथ ब्रम्हराक्षस भी सचेत हो जायेंगे और ऐसा हुआ तो वो मेरे उन तक पहुँचने से पहले ही हर तरह तबाही मचा देंगे जिसके लिए अभी तीनों लोकों मे कोई तैयार नहीं है और मे जानता हूँ कि आप अपने भलाई के लिए तीनों लोकों के निर्दोष जीवों के प्राण संकट में आ जाए ऐसा नहीं चाहोगे

इतना बोलके उसने अपनी आँखों को बंद किया और उनमे आये ही आँसुओं को पोंछ कर साफ कर दिया और जब उसने अपनी आँखे खोली तो उन आँखों में आँसू नही तो एक विश्वास था एक बेटे का क्रोध था बदला लेने की अटल भावना थी

कुमार (जोश में) :-लेकिन अब आपको ज्यादा इंतज़ार नही करना होगा मे आपको वचन देता हूँ कि आज से 30 दिनों के अंदर मे आपका पुत्र आपको और हमारी पूरी प्रजा को उन दुष्ट पापियों के चंगुल से छुडाऊंगा ये प्रतिज्ञा है मेरी

इतना बोलते हुए उसके आँखों से एक बूंद निकल के जमीन पर गिर गई और फिर कुमार ने उन दोनों श्रपित कवचों को अपने दोनों हाथों मे पकड़ लिए और उन्हे अपनी पूरी ताकत से दबाने लगा और साथ मे ही अपनी आँखे बंद करके कुछ मंत्र भी बोलने लगा

और वो जैसे मंत्र बोले जा रहा था और जैसे जैसे वो मंत्र बोले जा रहा था वैसे ही उन श्रपित कवचों मे हल्की हल्की दरार पड़ने लगी थी और साथ मे ही कुमार के आँख और नाक से खून भी निकलने लगा था

तो वही उन श्रापित कवचों को पूरी ताकत से दबाने की वजह से उसके हाथ भी जल रहे थे उस इस वक़्त इतनी पीड़ा हो रही थी कि वो इतने दर्द के मारे मर ही जायेगा

और अभी उसने उन श्रपित कवचों पर दबाव बढ़ाया था कि तभी उन श्रपित कवचों से सफेद रोशनी निकलने लगी और देखते ही देखते एक जोरदार धमाके के साथ वो कवच टूट गए और उस मेसे दोनों ही गुरु जमीन पर गिरे हुए थे

और उन दोनों के उपर ही उन दोनों के अस्त्र एक शक्ति पुंज के रूप मे घूम रहे थे तो वही उस धमाके के कारण कुमार की भी हालत बुरी हो गयी थी उसे बहुत सारी चोटे भी आई थी उसका चेहरा खून से सन गया था

और इस वक्त वो अपने घुटनों पर आ गया था उसकी हालत देखकर लग रहा था कि वो कभी भी बेहोश हो सकता हैं और अभी वो खुद की हालत संभाल रहा था कि तभी उसे वहा पर किसी के आने की आवाज आने लगी जिसे सुनकर वो सतर्क हो गया

और जब उसने अपने सामने उड़ते शक्तिपुंजों को देखा तो वो उन्हे सुरक्षित करने के लिए आगे बढ़ कर उन्हे अपने कब्जे में लेने लगा की तभी उन शक्तिपुंजों मेसे एक ऊर्जा निकल कर सीधा उसे लगी जिससे वो अपनी जगह से उड़ थोड़ी दूरी पर जो पेड़ था उससे टकरा गया और फिर बेहोश हो गया

तो वही उसके बेहोश होते ही वो दोनों अस्त्र भी अपने अस्त्र रूप में आकर किसी आम अस्त्र के तरह वही धरती पर गिर गए अभी ये सब हुआ ही था कि तभी वहा सारे अस्त्र धारक भी पहुँच गए थे

हुआ यू की जब ये सभी फैक्टरी के पास पहुंचे तो फैक्टरी का हाल देखकर प्रिया और शांति का बुरा हाल हो गया था तो वही बाकी गुरुओं ने जब असुरों का हाल देखा तो सब हैरान हो गए थे

और अभी वो सभी फैक्टरी के पास पहुँचते इससे पहले ही उन्हे सामने वाले पहाड़ से एक बड़े धमाके की आवाज आयी जिसे सुनकर उनके साथ साथ बाकी जो पुलिस और अग्निशमन के अधिकारी थे उनका ध्यान भी उस धमाके पर गया


लेकिन इससे पहले की वो आगे बढ़ते दिग्विजय ने अपने पद का फायदा उठा कर उन सबको वही रोक दिया और खुद बाकी गुरुओं के साथ पहाड़ की तरफ चल पड़े और जब वो वहा पहुँचे

तो वहा का हाल देख कर सब दंग रह गए तो वही भद्रा को बेहोश देखकर प्रिया और शांति तुरंत ही उसके पास पहुँच तो वही बाकी लोगों ने दिलावर और साहिल (गुरु जल और गुरु अग्नि) को अपने साथ लिया

और फिर उन सबने वहा जमीन पर निष्क्रिय पड़े अस्त्रों को भी अपने कब्जे मे ले लिया और इससे पहले की कोई और वहा पहुँचे वो सभी दूसरे रास्ते से पहाड़ी से निकल कर कालविजय आश्रम की तरफ चल पड़े

तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरे गुफा में आज एक अलग ही वातावरण था इस वक्त सभी मायूस थे लेकिन उनके मायूसी का कारण उनकी कैद नही बल्कि उनके महारानी दमयंती की बिगड़ी हालत थी

हुआ यू की जब कुमार ने भद्रा के शरीर पर कब्ज़ा करते ही दमयंती को अहसास हो ने लगा था और जब कुमार की आँख से आँसू निकल कर जमीन पर गिरा तो उस वक्त दमयंती के मन को ऐसा लगा की उसका पुत्र उसे बुला रहा है

जिस वजह से वो कुमार को आवाज देने लगी और उसकी यही हाल देखकर वहा त्रिलोकेश्वर और बाकी सब मायूस हो गए परंतु उन्हे ये पता नही था कि अब उनकी ये मायूसी उनकी खुशियों मे बदलने वाली है

अभी वो सब अपने महारानी की हालत देखकर उनके इष्ट से प्राथना कर रहे थे की तभी वहा मायासुर चीखते हुए आ गया जिसे देखकर वहा सब हैरान हो गए थे क्योंकि मायासुर इस वक़्त पुरा खून से नहाया हुआ था और क्रोध के वजह से उसकी आँखे पूरी लाल रंग की हो गयी थी

तो वही जब वो चीखते हुए आया तो सबको लगा की आज वो त्रिलोकेश्वर और दमयंती को जिंदा नही छोड़ेगा लेकिन तभी मायासुर उनके कमरे मे जाने के बजाए सीधा मित्र के कमरे मे घुस गया (जिसका नाम शिबू था)

और जैसे ही वो शिबू के कमरे में पहुँचा तो तुरंत उसने शिबू को लात मारकर जमीन पर गिरा दिया जो देखकर सब दंग रह गए थे और इससे पहले शिबू फिर से खड़ा हो पाता की मायासुर ने फिर से एक लात उसके पेट में जड़ दी और फिर बिना रुके वो शिबू को मारते जा रहा था

तो वही शिबू जमीन पर पड़े बस दर्द से कराह रहा था ऐसा नहीं था कि वो मायासुर का सामना नही कर सकता था वो बेशक कर सकता था लेकिन वो जानता था कि ये कैद मायासुर के ही माया से बनी है और यहाँ जो मायासुर चाहे वही होगा इसीलिए वो शांत था

और जब शिबू को मारकर थक गया तब उसने शिबू को उठाकर कैदखाने की दीवार से चिपका दिया और एक हाथ से उसका गला पकड़ उसे हवा मे उठाने लगा जिससे अब शिबू का भी दम घुटने लगा था

मायासुर:- मुर्ख तुझे क्या लगा तु मेरे खिलाफ असुरों के खिलाफ हथियार उठा लेगा और हमारे खिलाफ जंग का ऐलान कर देगा और मे बस तमाशा देखूंगा

शिबू:- ये क्या बोल रहे हो तुम पागल हो गए हो क्या पिछले 20 से भी अधिक वर्षों से मे यहाँ तुम्हारे कैद में हूँ

मायासुर:- अच्छा तुम यह कैद में थे लेकिन तुम्हारा वो साथी उसका क्या जिसकी तुम मदद कर रहे हो असुरों को मारने मे

शिबू:- ऐसा कुछ नहीं है मायासुर मेरा किसी भी साथी को जिंदा छोड़ा भी है क्या तुमने सबको तो मार दिया अब कोन बचा है

मायासुर:- अच्छा तो वो बच्चा कौन है जो तुम्हारी दोनों मायावी तलवारों का इस्तेमाल कर रहा है जिन्हे तुम्हारे अलावा कोई छु भी नही सकता अब बोलो क्या तुमने नही दी अपनी तलवारे उस बालक को

जब मायासुर ने ये कहा तो उस कैद खाने मे मौजूद हर एक जन दंग रह गए यहाँ तक की त्रिलोकेश्वर और दमयंती भी शिबू भी कुछ समझ नही पा रहा था

क्योंकि जिन तलवारों की बात मायासुर कर रहा था वो शिबू ने केवल भद्रा को दी थी और उनके हिसाब से भद्रा मर गया था लेकिन जब शिबू ने कुछ समय पहले दमयंती का हाल और फिर मायासुर की बात को जब एक दूसरे से जोड़ा तो उसे सब समझ में आ गया

और उसके दिमाग में पूरी बात साफ हो गयी और फिर जब उसने गौर से मायासुर का हाल देखा तो वो देखकर शिबू जोरों से हँसने लगा तो वही शिबू को हँसता देखकर मायासुर का क्रोध और भी बढ़ गया

और वो फिर से शिबू को मारने लगा लेकिन इस बार शिबू दर्द से कराहने बदले हँसे जा रहा था और जब मायासुर थक गया तो उसने शिबू को उठाकर दीवार पर दे मारा और खुद अपने साथियों के साथ वहा से चला गया

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आज के लिए इतना ही

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Bahut hi badhiya update diya hai VAJRADHIKARI bhai....
Nice and beautiful update....
 

Mahakaal

The Destroyer
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अध्याय छियालीस

कुमार की बाते सुनकर मेरा भी मन घबराने लगा था और ये भी सच था कि जब मेरा खुद पर भरोषा नहीं था तब भी कुमार ने मुझे विश्वास दिलाया था इसीलिए आज मुझे भी उसपर भरोशा करना होगा और यही सोचकर मैने अपना शरीर कुमार के हवाले कर दिया

तो वही दूसरी तरफ कालविजय आश्रम में जैसे ही महागुरु द्वारा लगाया हुआ कवच हटा तो वही सभी को इस का पता चल गया था जिसके बाद सभी गुरु तुरंत महागुरु के कुटिया के तरफ चल पड़े

लेकिन उन्हे वहा कोई नहीं मिला जिससे सभी चिंतित हो गए और अभी वो कुछ करते उससे पहले ही वहा प्रिया महागुरु को लेकर पहुँच गयी और जब सभी ने महागुरु की हालत देखी तो सभी डर गए और तुरंत उनके पास पहुँच गए

जहाँ सबसे पहले शांति ने महागुरु को एक कमरे मे ले जाकर उनका इलाज करने लगी तो वही महागुरु को देखकर न सिर्फ अस्त्र धारकों के मन में बल्कि पूरे आश्रम के वतावरण मे डर का माहौल बन गया था

और हो भी क्यों न महागुरु अब तक पूरे आश्रम के सबसे ज्यादा ताकतवर जादूगर और योध्दा थे और उनकी ऐसी हालत का होना और आश्रम के उपर से कवच का हटना इसका अर्थ साफ था की अब पाप और पुण्य का युद्ध ज्यादा दूर नही है

जिसके बारे मे सोचकर सभी अस्त्र धारक चिंता मे आ गए थे तो वही प्रिया ने भी फैक्टरी मे हुई सारी बातें बता दी जिसके बाद जहाँ सभी भद्रा की कामयाबी से खुश थे

तो वही कालस्त्र के खोने का डर भी उनके मन मे था तो वही शांति भद्रा के लिए चींता कर रही थी और बाकी सभी उस समझाने की कोशिश कर रहे थे की तभी प्रिया को उसके द्वारा बनाया हुआ कवच टूटने का अंदेशा हो गया

जिससे अब वो भी चिंता करने लगी थी और जब सबने ये सुना तो अब सबको चिंता होने लगी और फिर सारे अस्त्र धारक उस फैक्टरी के तरफ जाने लगे

तो वही उस पर्वत पर अभी कुमार ने पूरी तरह से भद्रा के शरीर पर काबू कर लिया था और अभी वो आसमान मे चाँद को देख रहा था लेकिन अचंभे की बात ये थी की कुमार के आँखों में आँसू थे

कुमार:- मुझे माफ करना माँ मे जानता हूँ कि आप उन असुरों की कैद में कितना तड़प रही हो आप और पिताजी वहा हर पल तिल तिल मर रहे हो मुझसे उम्मीद लगाए बैठे हो लेकिन मे आपको बचाने नही आ पा रहा हूँ उसके पीछे भी मेरी कमजोरी है अगर मैने अभी आपको छुड़ा दिया तो असुरों के साथ ब्रम्हराक्षस भी सचेत हो जायेंगे और ऐसा हुआ तो वो मेरे उन तक पहुँचने से पहले ही हर तरह तबाही मचा देंगे जिसके लिए अभी तीनों लोकों मे कोई तैयार नहीं है और मे जानता हूँ कि आप अपने भलाई के लिए तीनों लोकों के निर्दोष जीवों के प्राण संकट में आ जाए ऐसा नहीं चाहोगे

इतना बोलके उसने अपनी आँखों को बंद किया और उनमे आये ही आँसुओं को पोंछ कर साफ कर दिया और जब उसने अपनी आँखे खोली तो उन आँखों में आँसू नही तो एक विश्वास था एक बेटे का क्रोध था बदला लेने की अटल भावना थी

कुमार (जोश में) :-लेकिन अब आपको ज्यादा इंतज़ार नही करना होगा मे आपको वचन देता हूँ कि आज से 30 दिनों के अंदर मे आपका पुत्र आपको और हमारी पूरी प्रजा को उन दुष्ट पापियों के चंगुल से छुडाऊंगा ये प्रतिज्ञा है मेरी

इतना बोलते हुए उसके आँखों से एक बूंद निकल के जमीन पर गिर गई और फिर कुमार ने उन दोनों श्रपित कवचों को अपने दोनों हाथों मे पकड़ लिए और उन्हे अपनी पूरी ताकत से दबाने लगा और साथ मे ही अपनी आँखे बंद करके कुछ मंत्र भी बोलने लगा

और वो जैसे मंत्र बोले जा रहा था और जैसे जैसे वो मंत्र बोले जा रहा था वैसे ही उन श्रपित कवचों मे हल्की हल्की दरार पड़ने लगी थी और साथ मे ही कुमार के आँख और नाक से खून भी निकलने लगा था

तो वही उन श्रापित कवचों को पूरी ताकत से दबाने की वजह से उसके हाथ भी जल रहे थे उस इस वक़्त इतनी पीड़ा हो रही थी कि वो इतने दर्द के मारे मर ही जायेगा

और अभी उसने उन श्रपित कवचों पर दबाव बढ़ाया था कि तभी उन श्रपित कवचों से सफेद रोशनी निकलने लगी और देखते ही देखते एक जोरदार धमाके के साथ वो कवच टूट गए और उस मेसे दोनों ही गुरु जमीन पर गिरे हुए थे

और उन दोनों के उपर ही उन दोनों के अस्त्र एक शक्ति पुंज के रूप मे घूम रहे थे तो वही उस धमाके के कारण कुमार की भी हालत बुरी हो गयी थी उसे बहुत सारी चोटे भी आई थी उसका चेहरा खून से सन गया था

और इस वक्त वो अपने घुटनों पर आ गया था उसकी हालत देखकर लग रहा था कि वो कभी भी बेहोश हो सकता हैं और अभी वो खुद की हालत संभाल रहा था कि तभी उसे वहा पर किसी के आने की आवाज आने लगी जिसे सुनकर वो सतर्क हो गया

और जब उसने अपने सामने उड़ते शक्तिपुंजों को देखा तो वो उन्हे सुरक्षित करने के लिए आगे बढ़ कर उन्हे अपने कब्जे में लेने लगा की तभी उन शक्तिपुंजों मेसे एक ऊर्जा निकल कर सीधा उसे लगी जिससे वो अपनी जगह से उड़ थोड़ी दूरी पर जो पेड़ था उससे टकरा गया और फिर बेहोश हो गया

तो वही उसके बेहोश होते ही वो दोनों अस्त्र भी अपने अस्त्र रूप में आकर किसी आम अस्त्र के तरह वही धरती पर गिर गए अभी ये सब हुआ ही था कि तभी वहा सारे अस्त्र धारक भी पहुँच गए थे

हुआ यू की जब ये सभी फैक्टरी के पास पहुंचे तो फैक्टरी का हाल देखकर प्रिया और शांति का बुरा हाल हो गया था तो वही बाकी गुरुओं ने जब असुरों का हाल देखा तो सब हैरान हो गए थे

और अभी वो सभी फैक्टरी के पास पहुँचते इससे पहले ही उन्हे सामने वाले पहाड़ से एक बड़े धमाके की आवाज आयी जिसे सुनकर उनके साथ साथ बाकी जो पुलिस और अग्निशमन के अधिकारी थे उनका ध्यान भी उस धमाके पर गया


लेकिन इससे पहले की वो आगे बढ़ते दिग्विजय ने अपने पद का फायदा उठा कर उन सबको वही रोक दिया और खुद बाकी गुरुओं के साथ पहाड़ की तरफ चल पड़े और जब वो वहा पहुँचे

तो वहा का हाल देख कर सब दंग रह गए तो वही भद्रा को बेहोश देखकर प्रिया और शांति तुरंत ही उसके पास पहुँच तो वही बाकी लोगों ने दिलावर और साहिल (गुरु जल और गुरु अग्नि) को अपने साथ लिया

और फिर उन सबने वहा जमीन पर निष्क्रिय पड़े अस्त्रों को भी अपने कब्जे मे ले लिया और इससे पहले की कोई और वहा पहुँचे वो सभी दूसरे रास्ते से पहाड़ी से निकल कर कालविजय आश्रम की तरफ चल पड़े

तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरे गुफा में आज एक अलग ही वातावरण था इस वक्त सभी मायूस थे लेकिन उनके मायूसी का कारण उनकी कैद नही बल्कि उनके महारानी दमयंती की बिगड़ी हालत थी

हुआ यू की जब कुमार ने भद्रा के शरीर पर कब्ज़ा करते ही दमयंती को अहसास हो ने लगा था और जब कुमार की आँख से आँसू निकल कर जमीन पर गिरा तो उस वक्त दमयंती के मन को ऐसा लगा की उसका पुत्र उसे बुला रहा है

जिस वजह से वो कुमार को आवाज देने लगी और उसकी यही हाल देखकर वहा त्रिलोकेश्वर और बाकी सब मायूस हो गए परंतु उन्हे ये पता नही था कि अब उनकी ये मायूसी उनकी खुशियों मे बदलने वाली है

अभी वो सब अपने महारानी की हालत देखकर उनके इष्ट से प्राथना कर रहे थे की तभी वहा मायासुर चीखते हुए आ गया जिसे देखकर वहा सब हैरान हो गए थे क्योंकि मायासुर इस वक़्त पुरा खून से नहाया हुआ था और क्रोध के वजह से उसकी आँखे पूरी लाल रंग की हो गयी थी

तो वही जब वो चीखते हुए आया तो सबको लगा की आज वो त्रिलोकेश्वर और दमयंती को जिंदा नही छोड़ेगा लेकिन तभी मायासुर उनके कमरे मे जाने के बजाए सीधा मित्र के कमरे मे घुस गया (जिसका नाम शिबू था)

और जैसे ही वो शिबू के कमरे में पहुँचा तो तुरंत उसने शिबू को लात मारकर जमीन पर गिरा दिया जो देखकर सब दंग रह गए थे और इससे पहले शिबू फिर से खड़ा हो पाता की मायासुर ने फिर से एक लात उसके पेट में जड़ दी और फिर बिना रुके वो शिबू को मारते जा रहा था

तो वही शिबू जमीन पर पड़े बस दर्द से कराह रहा था ऐसा नहीं था कि वो मायासुर का सामना नही कर सकता था वो बेशक कर सकता था लेकिन वो जानता था कि ये कैद मायासुर के ही माया से बनी है और यहाँ जो मायासुर चाहे वही होगा इसीलिए वो शांत था

और जब शिबू को मारकर थक गया तब उसने शिबू को उठाकर कैदखाने की दीवार से चिपका दिया और एक हाथ से उसका गला पकड़ उसे हवा मे उठाने लगा जिससे अब शिबू का भी दम घुटने लगा था

मायासुर:- मुर्ख तुझे क्या लगा तु मेरे खिलाफ असुरों के खिलाफ हथियार उठा लेगा और हमारे खिलाफ जंग का ऐलान कर देगा और मे बस तमाशा देखूंगा

शिबू:- ये क्या बोल रहे हो तुम पागल हो गए हो क्या पिछले 20 से भी अधिक वर्षों से मे यहाँ तुम्हारे कैद में हूँ

मायासुर:- अच्छा तुम यह कैद में थे लेकिन तुम्हारा वो साथी उसका क्या जिसकी तुम मदद कर रहे हो असुरों को मारने मे

शिबू:- ऐसा कुछ नहीं है मायासुर मेरा किसी भी साथी को जिंदा छोड़ा भी है क्या तुमने सबको तो मार दिया अब कोन बचा है

मायासुर:- अच्छा तो वो बच्चा कौन है जो तुम्हारी दोनों मायावी तलवारों का इस्तेमाल कर रहा है जिन्हे तुम्हारे अलावा कोई छु भी नही सकता अब बोलो क्या तुमने नही दी अपनी तलवारे उस बालक को

जब मायासुर ने ये कहा तो उस कैद खाने मे मौजूद हर एक जन दंग रह गए यहाँ तक की त्रिलोकेश्वर और दमयंती भी शिबू भी कुछ समझ नही पा रहा था

क्योंकि जिन तलवारों की बात मायासुर कर रहा था वो शिबू ने केवल भद्रा को दी थी और उनके हिसाब से भद्रा मर गया था लेकिन जब शिबू ने कुछ समय पहले दमयंती का हाल और फिर मायासुर की बात को जब एक दूसरे से जोड़ा तो उसे सब समझ में आ गया

और उसके दिमाग में पूरी बात साफ हो गयी और फिर जब उसने गौर से मायासुर का हाल देखा तो वो देखकर शिबू जोरों से हँसने लगा तो वही शिबू को हँसता देखकर मायासुर का क्रोध और भी बढ़ गया

और वो फिर से शिबू को मारने लगा लेकिन इस बार शिबू दर्द से कराहने बदले हँसे जा रहा था और जब मायासुर थक गया तो उसने शिबू को उठाकर दीवार पर दे मारा और खुद अपने साथियों के साथ वहा से चला गया

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आज के लिए इतना ही

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Fantastic mind-blowing super sandar update
 
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