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Beautiful updateअध्याय अट्ठाइस
तो वही धरती पर उसी गोदाम में अभी प्रिया बस एक जगह पर बैठ कर रोते जा रही थी कि तभी
वहां शांति पहुंच गई और उसी के साथ और भी पांच ज़न थे जो कोई और नहीं बाकी के अस्त्र धारक थे केवल गुरु अग्नि यानी साहिल को छोड़कर वो क्यु ये हम बाद में जानेंगे जब प्रिया ने शांति को देखा तो वो तुरंत ही उसके गले लग कर रोते जा रही थी
और रोते हुए उसने सब कुछ बता दिया तो वही वो पांचो बहने बहुत डरी हुई थी और उसके पीछे 2 कारण थे पहला तो कि वो जानती थी कि वहां वो शैतान भद्रा के साथ क्या करेंगे और दूसरा कारण था कि उस गोदाम में फैली हुई ऊर्जा तरंगो का दबाव जो 6 अस्त्र धारकों के वहां मौजूद होने के वजह से निर्माण हुआ था (ऊर्जा तरंग मतलब Power aura)
तो वही जहा सब प्रिया को शांत करने के लिए प्रयास कर रहे थे तो वही उन मेसे एक अस्त्र धारक उन पांचो बहनों के तरफ बढ़ने लगा उसने पूरे साधु जैसे कपड़े पहने हुए थे और उसकी आखें अभी गुस्से में लाल हो चुकी थी
ये वहीं शख्स है जो पिछले अध्याय के अंत में था ये कोई और नहीं बल्कि मायावी महागुरु आचार्य राघवेंद्र थे इनके लिए भद्रा अपना पुत्र मानते हैं जब वो उन पांचो बहनों के पास पहुंचे तो उन्होंने सबसे पहले तो भद्रा के बंधन से उनको आजाद कराया
और फिर जो पहली लड़की थी (सोना) उसे उन्होंने खड़ा किया और उसे ध्यान से देखने लगे तो वही जब सोना ने उन्हें ऐसे घूरते देखा तो वो सहम गई क्यूँकी महागुरु की आंखे गुस्से मे बिल्कुल खून की तरह लाल हो गई थी और उनके शरीर से निकलते ऊर्जा तरंग इतने शक्तिशाली थे कि सोना को सास लेना भी मुश्किल हो रहा था
महागुरु (गुर्राते हुई आवाज मे) :- ये सब कोण है और ये मेरे बेटे को कहा लेके गए हैं
ये सवाल पूछते वक़्त महागुरु का इशारा उन योद्धाओं की लाशों पर था तो वही महागुरु की आवाज सुनकर सोना ही क्या ब्लकि प्रिया और बाकी सारे गुरु भी डर गए थे सारे गुरुओं के चेहरे पर डर तब बढ़ गया जब उन्होंने महागुरु को भद्रा को अपना पुत्र बोलकर संबोधित किया
वो सब जानते थे कि जब महागुरु को गुस्सा आता है यानी कि उनके अंदर का काल अस्त्र उनपर काबु पा सकता है और ऐसे में क्या होगा यह बात वो सब जानते थे और जो नहीं जानते थे वो बहुत भाग्यशाली थे
सोना :- (डरते हुए) मे नही जानती कि वो उस लड़के को लेकर कहा गए हैं
प्रिया :- ये झूठ बोल रही है इसी के कारण वो सारे शैतान यहां आए थे
महागुरु (सोना के तरफ गुस्से में घूरते हुए) :- सच सच बताओ
सोना :- वो उसे शैतानी दुनिया में लेके गए हैं लेकिन वहाँ पर कोई जा नहीं सकता
दिग्विजय :- वहाँ कोई क्यूँ नहीं जा सकता है
अभी कोई कुछ बोलता की तभी महागुरु बोलने लगे
महागुरु :- शैतानी दुनिया 6 ग्रहों से मिलकर बनी हुई दुनिया जो धरती से कई प्रकाश वर्ष दूर आकाश गंगा के अंतिम छोर पर स्थित है इसीलिए वहां जाना सब के लिए मुमकिन नहीं है लेकिन अगर काल अस्त्र की शक्ति चाहे तो वहां जाने के लिए दरवाजा खोला जा सकता है
सोना :- (हैरानी और डर के साथ) काल अस्त्र क्या आप सप्त ऋषि को जानते हो क्या हम उनसे मिल सकते हैं
दिग्विजय :- तुम्हारा उनसे क्या काम है और तुम उनके बारे में कैसे जानती हो
सोना :- हम उनसे अपने परिवार के प्राण माँगना चाहते हैं जिन शैतानों ने उस योद्धा का अपहरण किया है उन्हीं ने हमारे परिवार को कैद किया है हम जानते हैं कि सप्त ऋषि उन्हें छुड़ा सकते हैं इसीलिए हम उनसे सहायता माँगना चाहते हैं
महागुरु :- ठीक हैं तुम्हारी गुजारिश कबूल हो गई है अब तुम यही रुको और हमे हमारा काम करने दो
इतना बोलकर महागुरु ने अपनी आखें बंद कर दी और देखते ही देखते उनके हाथ में काल अस्त्र आ गया और काल अस्त्र के आते ही वानर अस्त्र, सिँह अस्त्र, नंदी अस्त्र, जल अस्त्र भी अपने अपने धारक के पास आ गए
तो वही शांति का धरती अस्त्र अभीं तक वहाँ नहीं आया था और वो आ पाता उससे पहले ही काल अस्त्र से एक तेज रोशनी निकली और देखते ही देखते वहाँ शैतानी दुनिया का द्वार तैयार हो गया
तो वही शैतानी दुनिया में इस वक़्त मेरे सामने थे 50 मायावी योद्धा जो कि मेरे तरफ ही बढ़ रहे थे तो वही दूसरी तरफ थे वो 5 जादूगर जो मुझपर आग के गोले बरसाने के लिए तैयार ही खड़े थे और बीच में मे बस सबका निरीक्षण कर रहा था और तभी मुझे इस जाल से निकलने की युक्ति मिल गई और मेंने अपने हांथों मे तलवार लिए उन 50 योद्धाओं की तरफ बढ़ने लगा
और जैसे ही मे उनके पास पहुंचा वैसे ही मेंने बिना रुके अपनी तलवार चलानी शुरू कर दी वैसे तो उन योद्धाओं का कवच बहुत ही मजबूत था लेकिन मेरे इस तलवार से उनके कवच भी सब्जी की तरह कट रहे थे ये वही तलवार थी जो मुझे उस गोदाम में ना जाने कैसे मिल गई थी
और अभी मे बस बिना रुके अपनी तलवार से उन योद्धाओं को काटे जा रहा था और ऐसे ही देखते ही देखते वहाँ पर मौजूद सभी मायावी योद्धा मरे पड़े हुए थे लेकिन बड़ी अजीब बात थी कि इतने सारे योद्धाओं को जब मे मार रहा था
तब जो जादूगर मुझे मारने को बेताब थे वो अपनी जगह से हिले भी नहीं थे जो देखकर मे हैरान था लेकिन इस बात पर ध्यान ना देते हुए में सीधा उन जादूगर के तरफ दौड़ प़डा लेकिन इससे पहले कि मे उन जादूगर के पास पहुंच पाता उससे पहले ही आसमान से योद्धाओं की बारिश होने लगी
और जैसे ही वो योद्धा जमीन पर आते वैसे ही उन्होंने मुझ पर वार करना शुरू कर दिया लेकिन मे भी उनका हर एक वार रोक रहा था और साथ में ही मे उन योद्धाओं को मारते भी जा रहा था कि
तभी एक योद्धा ने मुझ पर पीछे से वार किया जिससे मेरी पीठ से खून निकलने लगा और अब मेरा क्रोध भी बढ़ते जा रहा था कि तभी मुझे मेरे दिमाग में एक आवाज सुनायी देने लगी
आवाज :- अपनी दोनों तलवारों को याद करो (ये और कोई नहीं ब्लकि असुर ही थे जो क़ैद खाने से मुझसे बात कर रहे थे)
जब मेंने वो आवाज सुनी तो ऐसा लगा कि ये भी इन शैतानों की ही कोई चाल है लेकिन पता नहीं क्यू पर उस आवाज में मुझे विश्वास और प्रेम दोनों महसूस हो रहे थे और यही कारण है कि मे उस आवाज पर भरोसा कर रहा था
और जैसे ही उस आवाज पर मेरा भरोसा पक्का हुआ वैसे ही मुझे मेरे दिमाग में एक मंत्र सुनायी देने लगा जिसे में मन मे पढ़ने का प्रयास कर रहा था कि तभी फिर से एक बार उन योद्धाओं ने मेरे पीठ पर वार किया
जिससे मेरा ध्यान उस मंत्र से हट गया और इस बार मेने फिर से पहले की तरह सबको काटना शुरू कर दिया और जब वो सभी योद्धा खत्म हो गए थे तभी मेरी नज़र उन जादूगर की तरफ गया जिनके जादुई छड़ी से एक रोशनी निकल कर आसमान में जा रही थी
और ये देखते ही मेरे दिमाग की भी बत्ती जल गई और मुझे समझ आया कि इतने सारे योद्धा कहा से आ रहे हैं और ये बात पता चलते ही में तेजी से उन जादूगर के पास जाता उससे पहले ही मेरे दिमाग में फिर से वही अनजानी आवाज सुनायी देने लगी
असुर :- हमारे पास उनसे लड़ने के लिए अभी बहुत समय है सबसे पहले जो मे बोल रहा हूं वैसे ही करो
ये सुनने के बाद मेरी आखें अपने आप ही बंद हो गई और मेरे आंखों के सामने फिर से वो मंत्र दिखने लगा था और जैसे जैसे मे वो पढ़ रहा था वैसे ही मेरे जख्म भी भर रहे थे और जब तक मे मंत्र पढ़ रहा था
तब तक सारे योद्धाओं ने मुझे घेर लिया था और जैसे ही मेने अपनी आंखें खोली वैसे ही वो सभी एकसाथ मेरे उपर कुद पड़े लेकिन इस बार मे तैयार था अब मेरे दोनों ही हाथों में तलवारें आ गई थी और मेरे दिमाग में उन दोनों तलवारों को एक साथ कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है
उसकी पूरी जानकारी अपने आप ही आ रही थी और उसी के इस्तेमाल से मेंने उन सभी योद्धाओं को बड़ी स्फूर्ति से मार गिराया और अब फिर से उस मैदान पर में और वो पांचो जादूगर ही बचे हुए थे और इससे पहले कि वो जादूगर और योद्धा बुलाते
उससे पहले ही मेने दोनों तलवारों को एक दूसरे से जोड़ दिया बिल्कुल X की तरह और ऐसा करते ही आसमान से एक भयानक बिजली आकर सीधा उन पांचो पर पड़ी और फिर देखते ही देखते वो पांचों राख में बदल गये
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आज के लिए इतना ही
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Nice and superb update....अध्याय अट्ठाइस
तो वही धरती पर उसी गोदाम में अभी प्रिया बस एक जगह पर बैठ कर रोते जा रही थी कि तभी
वहां शांति पहुंच गई और उसी के साथ और भी पांच ज़न थे जो कोई और नहीं बाकी के अस्त्र धारक थे केवल गुरु अग्नि यानी साहिल को छोड़कर वो क्यु ये हम बाद में जानेंगे जब प्रिया ने शांति को देखा तो वो तुरंत ही उसके गले लग कर रोते जा रही थी
और रोते हुए उसने सब कुछ बता दिया तो वही वो पांचो बहने बहुत डरी हुई थी और उसके पीछे 2 कारण थे पहला तो कि वो जानती थी कि वहां वो शैतान भद्रा के साथ क्या करेंगे और दूसरा कारण था कि उस गोदाम में फैली हुई ऊर्जा तरंगो का दबाव जो 6 अस्त्र धारकों के वहां मौजूद होने के वजह से निर्माण हुआ था (ऊर्जा तरंग मतलब Power aura)
तो वही जहा सब प्रिया को शांत करने के लिए प्रयास कर रहे थे तो वही उन मेसे एक अस्त्र धारक उन पांचो बहनों के तरफ बढ़ने लगा उसने पूरे साधु जैसे कपड़े पहने हुए थे और उसकी आखें अभी गुस्से में लाल हो चुकी थी
ये वहीं शख्स है जो पिछले अध्याय के अंत में था ये कोई और नहीं बल्कि मायावी महागुरु आचार्य राघवेंद्र थे इनके लिए भद्रा अपना पुत्र मानते हैं जब वो उन पांचो बहनों के पास पहुंचे तो उन्होंने सबसे पहले तो भद्रा के बंधन से उनको आजाद कराया
और फिर जो पहली लड़की थी (सोना) उसे उन्होंने खड़ा किया और उसे ध्यान से देखने लगे तो वही जब सोना ने उन्हें ऐसे घूरते देखा तो वो सहम गई क्यूँकी महागुरु की आंखे गुस्से मे बिल्कुल खून की तरह लाल हो गई थी और उनके शरीर से निकलते ऊर्जा तरंग इतने शक्तिशाली थे कि सोना को सास लेना भी मुश्किल हो रहा था
महागुरु (गुर्राते हुई आवाज मे) :- ये सब कोण है और ये मेरे बेटे को कहा लेके गए हैं
ये सवाल पूछते वक़्त महागुरु का इशारा उन योद्धाओं की लाशों पर था तो वही महागुरु की आवाज सुनकर सोना ही क्या ब्लकि प्रिया और बाकी सारे गुरु भी डर गए थे सारे गुरुओं के चेहरे पर डर तब बढ़ गया जब उन्होंने महागुरु को भद्रा को अपना पुत्र बोलकर संबोधित किया
वो सब जानते थे कि जब महागुरु को गुस्सा आता है यानी कि उनके अंदर का काल अस्त्र उनपर काबु पा सकता है और ऐसे में क्या होगा यह बात वो सब जानते थे और जो नहीं जानते थे वो बहुत भाग्यशाली थे
सोना :- (डरते हुए) मे नही जानती कि वो उस लड़के को लेकर कहा गए हैं
प्रिया :- ये झूठ बोल रही है इसी के कारण वो सारे शैतान यहां आए थे
महागुरु (सोना के तरफ गुस्से में घूरते हुए) :- सच सच बताओ
सोना :- वो उसे शैतानी दुनिया में लेके गए हैं लेकिन वहाँ पर कोई जा नहीं सकता
दिग्विजय :- वहाँ कोई क्यूँ नहीं जा सकता है
अभी कोई कुछ बोलता की तभी महागुरु बोलने लगे
महागुरु :- शैतानी दुनिया 6 ग्रहों से मिलकर बनी हुई दुनिया जो धरती से कई प्रकाश वर्ष दूर आकाश गंगा के अंतिम छोर पर स्थित है इसीलिए वहां जाना सब के लिए मुमकिन नहीं है लेकिन अगर काल अस्त्र की शक्ति चाहे तो वहां जाने के लिए दरवाजा खोला जा सकता है
सोना :- (हैरानी और डर के साथ) काल अस्त्र क्या आप सप्त ऋषि को जानते हो क्या हम उनसे मिल सकते हैं
दिग्विजय :- तुम्हारा उनसे क्या काम है और तुम उनके बारे में कैसे जानती हो
सोना :- हम उनसे अपने परिवार के प्राण माँगना चाहते हैं जिन शैतानों ने उस योद्धा का अपहरण किया है उन्हीं ने हमारे परिवार को कैद किया है हम जानते हैं कि सप्त ऋषि उन्हें छुड़ा सकते हैं इसीलिए हम उनसे सहायता माँगना चाहते हैं
महागुरु :- ठीक हैं तुम्हारी गुजारिश कबूल हो गई है अब तुम यही रुको और हमे हमारा काम करने दो
इतना बोलकर महागुरु ने अपनी आखें बंद कर दी और देखते ही देखते उनके हाथ में काल अस्त्र आ गया और काल अस्त्र के आते ही वानर अस्त्र, सिँह अस्त्र, नंदी अस्त्र, जल अस्त्र भी अपने अपने धारक के पास आ गए
तो वही शांति का धरती अस्त्र अभीं तक वहाँ नहीं आया था और वो आ पाता उससे पहले ही काल अस्त्र से एक तेज रोशनी निकली और देखते ही देखते वहाँ शैतानी दुनिया का द्वार तैयार हो गया
तो वही शैतानी दुनिया में इस वक़्त मेरे सामने थे 50 मायावी योद्धा जो कि मेरे तरफ ही बढ़ रहे थे तो वही दूसरी तरफ थे वो 5 जादूगर जो मुझपर आग के गोले बरसाने के लिए तैयार ही खड़े थे और बीच में मे बस सबका निरीक्षण कर रहा था और तभी मुझे इस जाल से निकलने की युक्ति मिल गई और मेंने अपने हांथों मे तलवार लिए उन 50 योद्धाओं की तरफ बढ़ने लगा
और जैसे ही मे उनके पास पहुंचा वैसे ही मेंने बिना रुके अपनी तलवार चलानी शुरू कर दी वैसे तो उन योद्धाओं का कवच बहुत ही मजबूत था लेकिन मेरे इस तलवार से उनके कवच भी सब्जी की तरह कट रहे थे ये वही तलवार थी जो मुझे उस गोदाम में ना जाने कैसे मिल गई थी
और अभी मे बस बिना रुके अपनी तलवार से उन योद्धाओं को काटे जा रहा था और ऐसे ही देखते ही देखते वहाँ पर मौजूद सभी मायावी योद्धा मरे पड़े हुए थे लेकिन बड़ी अजीब बात थी कि इतने सारे योद्धाओं को जब मे मार रहा था
तब जो जादूगर मुझे मारने को बेताब थे वो अपनी जगह से हिले भी नहीं थे जो देखकर मे हैरान था लेकिन इस बात पर ध्यान ना देते हुए में सीधा उन जादूगर के तरफ दौड़ प़डा लेकिन इससे पहले कि मे उन जादूगर के पास पहुंच पाता उससे पहले ही आसमान से योद्धाओं की बारिश होने लगी
और जैसे ही वो योद्धा जमीन पर आते वैसे ही उन्होंने मुझ पर वार करना शुरू कर दिया लेकिन मे भी उनका हर एक वार रोक रहा था और साथ में ही मे उन योद्धाओं को मारते भी जा रहा था कि
तभी एक योद्धा ने मुझ पर पीछे से वार किया जिससे मेरी पीठ से खून निकलने लगा और अब मेरा क्रोध भी बढ़ते जा रहा था कि तभी मुझे मेरे दिमाग में एक आवाज सुनायी देने लगी
आवाज :- अपनी दोनों तलवारों को याद करो (ये और कोई नहीं ब्लकि असुर ही थे जो क़ैद खाने से मुझसे बात कर रहे थे)
जब मेंने वो आवाज सुनी तो ऐसा लगा कि ये भी इन शैतानों की ही कोई चाल है लेकिन पता नहीं क्यू पर उस आवाज में मुझे विश्वास और प्रेम दोनों महसूस हो रहे थे और यही कारण है कि मे उस आवाज पर भरोसा कर रहा था
और जैसे ही उस आवाज पर मेरा भरोसा पक्का हुआ वैसे ही मुझे मेरे दिमाग में एक मंत्र सुनायी देने लगा जिसे में मन मे पढ़ने का प्रयास कर रहा था कि तभी फिर से एक बार उन योद्धाओं ने मेरे पीठ पर वार किया
जिससे मेरा ध्यान उस मंत्र से हट गया और इस बार मेने फिर से पहले की तरह सबको काटना शुरू कर दिया और जब वो सभी योद्धा खत्म हो गए थे तभी मेरी नज़र उन जादूगर की तरफ गया जिनके जादुई छड़ी से एक रोशनी निकल कर आसमान में जा रही थी
और ये देखते ही मेरे दिमाग की भी बत्ती जल गई और मुझे समझ आया कि इतने सारे योद्धा कहा से आ रहे हैं और ये बात पता चलते ही में तेजी से उन जादूगर के पास जाता उससे पहले ही मेरे दिमाग में फिर से वही अनजानी आवाज सुनायी देने लगी
असुर :- हमारे पास उनसे लड़ने के लिए अभी बहुत समय है सबसे पहले जो मे बोल रहा हूं वैसे ही करो
ये सुनने के बाद मेरी आखें अपने आप ही बंद हो गई और मेरे आंखों के सामने फिर से वो मंत्र दिखने लगा था और जैसे जैसे मे वो पढ़ रहा था वैसे ही मेरे जख्म भी भर रहे थे और जब तक मे मंत्र पढ़ रहा था
तब तक सारे योद्धाओं ने मुझे घेर लिया था और जैसे ही मेने अपनी आंखें खोली वैसे ही वो सभी एकसाथ मेरे उपर कुद पड़े लेकिन इस बार मे तैयार था अब मेरे दोनों ही हाथों में तलवारें आ गई थी और मेरे दिमाग में उन दोनों तलवारों को एक साथ कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है
उसकी पूरी जानकारी अपने आप ही आ रही थी और उसी के इस्तेमाल से मेंने उन सभी योद्धाओं को बड़ी स्फूर्ति से मार गिराया और अब फिर से उस मैदान पर में और वो पांचो जादूगर ही बचे हुए थे और इससे पहले कि वो जादूगर और योद्धा बुलाते
उससे पहले ही मेने दोनों तलवारों को एक दूसरे से जोड़ दिया बिल्कुल X की तरह और ऐसा करते ही आसमान से एक भयानक बिजली आकर सीधा उन पांचो पर पड़ी और फिर देखते ही देखते वो पांचों राख में बदल गये
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आज के लिए इतना ही
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Nice update...अध्याय अट्ठाइस
तो वही धरती पर उसी गोदाम में अभी प्रिया बस एक जगह पर बैठ कर रोते जा रही थी कि तभी
वहां शांति पहुंच गई और उसी के साथ और भी पांच ज़न थे जो कोई और नहीं बाकी के अस्त्र धारक थे केवल गुरु अग्नि यानी साहिल को छोड़कर वो क्यु ये हम बाद में जानेंगे जब प्रिया ने शांति को देखा तो वो तुरंत ही उसके गले लग कर रोते जा रही थी
और रोते हुए उसने सब कुछ बता दिया तो वही वो पांचो बहने बहुत डरी हुई थी और उसके पीछे 2 कारण थे पहला तो कि वो जानती थी कि वहां वो शैतान भद्रा के साथ क्या करेंगे और दूसरा कारण था कि उस गोदाम में फैली हुई ऊर्जा तरंगो का दबाव जो 6 अस्त्र धारकों के वहां मौजूद होने के वजह से निर्माण हुआ था (ऊर्जा तरंग मतलब Power aura)
तो वही जहा सब प्रिया को शांत करने के लिए प्रयास कर रहे थे तो वही उन मेसे एक अस्त्र धारक उन पांचो बहनों के तरफ बढ़ने लगा उसने पूरे साधु जैसे कपड़े पहने हुए थे और उसकी आखें अभी गुस्से में लाल हो चुकी थी
ये वहीं शख्स है जो पिछले अध्याय के अंत में था ये कोई और नहीं बल्कि मायावी महागुरु आचार्य राघवेंद्र थे इनके लिए भद्रा अपना पुत्र मानते हैं जब वो उन पांचो बहनों के पास पहुंचे तो उन्होंने सबसे पहले तो भद्रा के बंधन से उनको आजाद कराया
और फिर जो पहली लड़की थी (सोना) उसे उन्होंने खड़ा किया और उसे ध्यान से देखने लगे तो वही जब सोना ने उन्हें ऐसे घूरते देखा तो वो सहम गई क्यूँकी महागुरु की आंखे गुस्से मे बिल्कुल खून की तरह लाल हो गई थी और उनके शरीर से निकलते ऊर्जा तरंग इतने शक्तिशाली थे कि सोना को सास लेना भी मुश्किल हो रहा था
महागुरु (गुर्राते हुई आवाज मे) :- ये सब कोण है और ये मेरे बेटे को कहा लेके गए हैं
ये सवाल पूछते वक़्त महागुरु का इशारा उन योद्धाओं की लाशों पर था तो वही महागुरु की आवाज सुनकर सोना ही क्या ब्लकि प्रिया और बाकी सारे गुरु भी डर गए थे सारे गुरुओं के चेहरे पर डर तब बढ़ गया जब उन्होंने महागुरु को भद्रा को अपना पुत्र बोलकर संबोधित किया
वो सब जानते थे कि जब महागुरु को गुस्सा आता है यानी कि उनके अंदर का काल अस्त्र उनपर काबु पा सकता है और ऐसे में क्या होगा यह बात वो सब जानते थे और जो नहीं जानते थे वो बहुत भाग्यशाली थे
सोना :- (डरते हुए) मे नही जानती कि वो उस लड़के को लेकर कहा गए हैं
प्रिया :- ये झूठ बोल रही है इसी के कारण वो सारे शैतान यहां आए थे
महागुरु (सोना के तरफ गुस्से में घूरते हुए) :- सच सच बताओ
सोना :- वो उसे शैतानी दुनिया में लेके गए हैं लेकिन वहाँ पर कोई जा नहीं सकता
दिग्विजय :- वहाँ कोई क्यूँ नहीं जा सकता है
अभी कोई कुछ बोलता की तभी महागुरु बोलने लगे
महागुरु :- शैतानी दुनिया 6 ग्रहों से मिलकर बनी हुई दुनिया जो धरती से कई प्रकाश वर्ष दूर आकाश गंगा के अंतिम छोर पर स्थित है इसीलिए वहां जाना सब के लिए मुमकिन नहीं है लेकिन अगर काल अस्त्र की शक्ति चाहे तो वहां जाने के लिए दरवाजा खोला जा सकता है
सोना :- (हैरानी और डर के साथ) काल अस्त्र क्या आप सप्त ऋषि को जानते हो क्या हम उनसे मिल सकते हैं
दिग्विजय :- तुम्हारा उनसे क्या काम है और तुम उनके बारे में कैसे जानती हो
सोना :- हम उनसे अपने परिवार के प्राण माँगना चाहते हैं जिन शैतानों ने उस योद्धा का अपहरण किया है उन्हीं ने हमारे परिवार को कैद किया है हम जानते हैं कि सप्त ऋषि उन्हें छुड़ा सकते हैं इसीलिए हम उनसे सहायता माँगना चाहते हैं
महागुरु :- ठीक हैं तुम्हारी गुजारिश कबूल हो गई है अब तुम यही रुको और हमे हमारा काम करने दो
इतना बोलकर महागुरु ने अपनी आखें बंद कर दी और देखते ही देखते उनके हाथ में काल अस्त्र आ गया और काल अस्त्र के आते ही वानर अस्त्र, सिँह अस्त्र, नंदी अस्त्र, जल अस्त्र भी अपने अपने धारक के पास आ गए
तो वही शांति का धरती अस्त्र अभीं तक वहाँ नहीं आया था और वो आ पाता उससे पहले ही काल अस्त्र से एक तेज रोशनी निकली और देखते ही देखते वहाँ शैतानी दुनिया का द्वार तैयार हो गया
तो वही शैतानी दुनिया में इस वक़्त मेरे सामने थे 50 मायावी योद्धा जो कि मेरे तरफ ही बढ़ रहे थे तो वही दूसरी तरफ थे वो 5 जादूगर जो मुझपर आग के गोले बरसाने के लिए तैयार ही खड़े थे और बीच में मे बस सबका निरीक्षण कर रहा था और तभी मुझे इस जाल से निकलने की युक्ति मिल गई और मेंने अपने हांथों मे तलवार लिए उन 50 योद्धाओं की तरफ बढ़ने लगा
और जैसे ही मे उनके पास पहुंचा वैसे ही मेंने बिना रुके अपनी तलवार चलानी शुरू कर दी वैसे तो उन योद्धाओं का कवच बहुत ही मजबूत था लेकिन मेरे इस तलवार से उनके कवच भी सब्जी की तरह कट रहे थे ये वही तलवार थी जो मुझे उस गोदाम में ना जाने कैसे मिल गई थी
और अभी मे बस बिना रुके अपनी तलवार से उन योद्धाओं को काटे जा रहा था और ऐसे ही देखते ही देखते वहाँ पर मौजूद सभी मायावी योद्धा मरे पड़े हुए थे लेकिन बड़ी अजीब बात थी कि इतने सारे योद्धाओं को जब मे मार रहा था
तब जो जादूगर मुझे मारने को बेताब थे वो अपनी जगह से हिले भी नहीं थे जो देखकर मे हैरान था लेकिन इस बात पर ध्यान ना देते हुए में सीधा उन जादूगर के तरफ दौड़ प़डा लेकिन इससे पहले कि मे उन जादूगर के पास पहुंच पाता उससे पहले ही आसमान से योद्धाओं की बारिश होने लगी
और जैसे ही वो योद्धा जमीन पर आते वैसे ही उन्होंने मुझ पर वार करना शुरू कर दिया लेकिन मे भी उनका हर एक वार रोक रहा था और साथ में ही मे उन योद्धाओं को मारते भी जा रहा था कि
तभी एक योद्धा ने मुझ पर पीछे से वार किया जिससे मेरी पीठ से खून निकलने लगा और अब मेरा क्रोध भी बढ़ते जा रहा था कि तभी मुझे मेरे दिमाग में एक आवाज सुनायी देने लगी
आवाज :- अपनी दोनों तलवारों को याद करो (ये और कोई नहीं ब्लकि असुर ही थे जो क़ैद खाने से मुझसे बात कर रहे थे)
जब मेंने वो आवाज सुनी तो ऐसा लगा कि ये भी इन शैतानों की ही कोई चाल है लेकिन पता नहीं क्यू पर उस आवाज में मुझे विश्वास और प्रेम दोनों महसूस हो रहे थे और यही कारण है कि मे उस आवाज पर भरोसा कर रहा था
और जैसे ही उस आवाज पर मेरा भरोसा पक्का हुआ वैसे ही मुझे मेरे दिमाग में एक मंत्र सुनायी देने लगा जिसे में मन मे पढ़ने का प्रयास कर रहा था कि तभी फिर से एक बार उन योद्धाओं ने मेरे पीठ पर वार किया
जिससे मेरा ध्यान उस मंत्र से हट गया और इस बार मेने फिर से पहले की तरह सबको काटना शुरू कर दिया और जब वो सभी योद्धा खत्म हो गए थे तभी मेरी नज़र उन जादूगर की तरफ गया जिनके जादुई छड़ी से एक रोशनी निकल कर आसमान में जा रही थी
और ये देखते ही मेरे दिमाग की भी बत्ती जल गई और मुझे समझ आया कि इतने सारे योद्धा कहा से आ रहे हैं और ये बात पता चलते ही में तेजी से उन जादूगर के पास जाता उससे पहले ही मेरे दिमाग में फिर से वही अनजानी आवाज सुनायी देने लगी
असुर :- हमारे पास उनसे लड़ने के लिए अभी बहुत समय है सबसे पहले जो मे बोल रहा हूं वैसे ही करो
ये सुनने के बाद मेरी आखें अपने आप ही बंद हो गई और मेरे आंखों के सामने फिर से वो मंत्र दिखने लगा था और जैसे जैसे मे वो पढ़ रहा था वैसे ही मेरे जख्म भी भर रहे थे और जब तक मे मंत्र पढ़ रहा था
तब तक सारे योद्धाओं ने मुझे घेर लिया था और जैसे ही मेने अपनी आंखें खोली वैसे ही वो सभी एकसाथ मेरे उपर कुद पड़े लेकिन इस बार मे तैयार था अब मेरे दोनों ही हाथों में तलवारें आ गई थी और मेरे दिमाग में उन दोनों तलवारों को एक साथ कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है
उसकी पूरी जानकारी अपने आप ही आ रही थी और उसी के इस्तेमाल से मेंने उन सभी योद्धाओं को बड़ी स्फूर्ति से मार गिराया और अब फिर से उस मैदान पर में और वो पांचो जादूगर ही बचे हुए थे और इससे पहले कि वो जादूगर और योद्धा बुलाते
उससे पहले ही मेने दोनों तलवारों को एक दूसरे से जोड़ दिया बिल्कुल X की तरह और ऐसा करते ही आसमान से एक भयानक बिजली आकर सीधा उन पांचो पर पड़ी और फिर देखते ही देखते वो पांचों राख में बदल गये
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आज के लिए इतना ही
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अध्याय अट्ठाइस
तो वही धरती पर उसी गोदाम में अभी प्रिया बस एक जगह पर बैठ कर रोते जा रही थी कि तभी
वहां शांति पहुंच गई और उसी के साथ और भी पांच ज़न थे जो कोई और नहीं बाकी के अस्त्र धारक थे केवल गुरु अग्नि यानी साहिल को छोड़कर वो क्यु ये हम बाद में जानेंगे जब प्रिया ने शांति को देखा तो वो तुरंत ही उसके गले लग कर रोते जा रही थी
और रोते हुए उसने सब कुछ बता दिया तो वही वो पांचो बहने बहुत डरी हुई थी और उसके पीछे 2 कारण थे पहला तो कि वो जानती थी कि वहां वो शैतान भद्रा के साथ क्या करेंगे और दूसरा कारण था कि उस गोदाम में फैली हुई ऊर्जा तरंगो का दबाव जो 6 अस्त्र धारकों के वहां मौजूद होने के वजह से निर्माण हुआ था (ऊर्जा तरंग मतलब Power aura)
तो वही जहा सब प्रिया को शांत करने के लिए प्रयास कर रहे थे तो वही उन मेसे एक अस्त्र धारक उन पांचो बहनों के तरफ बढ़ने लगा उसने पूरे साधु जैसे कपड़े पहने हुए थे और उसकी आखें अभी गुस्से में लाल हो चुकी थी
ये वहीं शख्स है जो पिछले अध्याय के अंत में था ये कोई और नहीं बल्कि मायावी महागुरु आचार्य राघवेंद्र थे इनके लिए भद्रा अपना पुत्र मानते हैं जब वो उन पांचो बहनों के पास पहुंचे तो उन्होंने सबसे पहले तो भद्रा के बंधन से उनको आजाद कराया
और फिर जो पहली लड़की थी (सोना) उसे उन्होंने खड़ा किया और उसे ध्यान से देखने लगे तो वही जब सोना ने उन्हें ऐसे घूरते देखा तो वो सहम गई क्यूँकी महागुरु की आंखे गुस्से मे बिल्कुल खून की तरह लाल हो गई थी और उनके शरीर से निकलते ऊर्जा तरंग इतने शक्तिशाली थे कि सोना को सास लेना भी मुश्किल हो रहा था
महागुरु (गुर्राते हुई आवाज मे) :- ये सब कोण है और ये मेरे बेटे को कहा लेके गए हैं
ये सवाल पूछते वक़्त महागुरु का इशारा उन योद्धाओं की लाशों पर था तो वही महागुरु की आवाज सुनकर सोना ही क्या ब्लकि प्रिया और बाकी सारे गुरु भी डर गए थे सारे गुरुओं के चेहरे पर डर तब बढ़ गया जब उन्होंने महागुरु को भद्रा को अपना पुत्र बोलकर संबोधित किया
वो सब जानते थे कि जब महागुरु को गुस्सा आता है यानी कि उनके अंदर का काल अस्त्र उनपर काबु पा सकता है और ऐसे में क्या होगा यह बात वो सब जानते थे और जो नहीं जानते थे वो बहुत भाग्यशाली थे
सोना :- (डरते हुए) मे नही जानती कि वो उस लड़के को लेकर कहा गए हैं
प्रिया :- ये झूठ बोल रही है इसी के कारण वो सारे शैतान यहां आए थे
महागुरु (सोना के तरफ गुस्से में घूरते हुए) :- सच सच बताओ
सोना :- वो उसे शैतानी दुनिया में लेके गए हैं लेकिन वहाँ पर कोई जा नहीं सकता
दिग्विजय :- वहाँ कोई क्यूँ नहीं जा सकता है
अभी कोई कुछ बोलता की तभी महागुरु बोलने लगे
महागुरु :- शैतानी दुनिया 6 ग्रहों से मिलकर बनी हुई दुनिया जो धरती से कई प्रकाश वर्ष दूर आकाश गंगा के अंतिम छोर पर स्थित है इसीलिए वहां जाना सब के लिए मुमकिन नहीं है लेकिन अगर काल अस्त्र की शक्ति चाहे तो वहां जाने के लिए दरवाजा खोला जा सकता है
सोना :- (हैरानी और डर के साथ) काल अस्त्र क्या आप सप्त ऋषि को जानते हो क्या हम उनसे मिल सकते हैं
दिग्विजय :- तुम्हारा उनसे क्या काम है और तुम उनके बारे में कैसे जानती हो
सोना :- हम उनसे अपने परिवार के प्राण माँगना चाहते हैं जिन शैतानों ने उस योद्धा का अपहरण किया है उन्हीं ने हमारे परिवार को कैद किया है हम जानते हैं कि सप्त ऋषि उन्हें छुड़ा सकते हैं इसीलिए हम उनसे सहायता माँगना चाहते हैं
महागुरु :- ठीक हैं तुम्हारी गुजारिश कबूल हो गई है अब तुम यही रुको और हमे हमारा काम करने दो
इतना बोलकर महागुरु ने अपनी आखें बंद कर दी और देखते ही देखते उनके हाथ में काल अस्त्र आ गया और काल अस्त्र के आते ही वानर अस्त्र, सिँह अस्त्र, नंदी अस्त्र, जल अस्त्र भी अपने अपने धारक के पास आ गए
तो वही शांति का धरती अस्त्र अभीं तक वहाँ नहीं आया था और वो आ पाता उससे पहले ही काल अस्त्र से एक तेज रोशनी निकली और देखते ही देखते वहाँ शैतानी दुनिया का द्वार तैयार हो गया
तो वही शैतानी दुनिया में इस वक़्त मेरे सामने थे 50 मायावी योद्धा जो कि मेरे तरफ ही बढ़ रहे थे तो वही दूसरी तरफ थे वो 5 जादूगर जो मुझपर आग के गोले बरसाने के लिए तैयार ही खड़े थे और बीच में मे बस सबका निरीक्षण कर रहा था और तभी मुझे इस जाल से निकलने की युक्ति मिल गई और मेंने अपने हांथों मे तलवार लिए उन 50 योद्धाओं की तरफ बढ़ने लगा
और जैसे ही मे उनके पास पहुंचा वैसे ही मेंने बिना रुके अपनी तलवार चलानी शुरू कर दी वैसे तो उन योद्धाओं का कवच बहुत ही मजबूत था लेकिन मेरे इस तलवार से उनके कवच भी सब्जी की तरह कट रहे थे ये वही तलवार थी जो मुझे उस गोदाम में ना जाने कैसे मिल गई थी
और अभी मे बस बिना रुके अपनी तलवार से उन योद्धाओं को काटे जा रहा था और ऐसे ही देखते ही देखते वहाँ पर मौजूद सभी मायावी योद्धा मरे पड़े हुए थे लेकिन बड़ी अजीब बात थी कि इतने सारे योद्धाओं को जब मे मार रहा था
तब जो जादूगर मुझे मारने को बेताब थे वो अपनी जगह से हिले भी नहीं थे जो देखकर मे हैरान था लेकिन इस बात पर ध्यान ना देते हुए में सीधा उन जादूगर के तरफ दौड़ प़डा लेकिन इससे पहले कि मे उन जादूगर के पास पहुंच पाता उससे पहले ही आसमान से योद्धाओं की बारिश होने लगी
और जैसे ही वो योद्धा जमीन पर आते वैसे ही उन्होंने मुझ पर वार करना शुरू कर दिया लेकिन मे भी उनका हर एक वार रोक रहा था और साथ में ही मे उन योद्धाओं को मारते भी जा रहा था कि
तभी एक योद्धा ने मुझ पर पीछे से वार किया जिससे मेरी पीठ से खून निकलने लगा और अब मेरा क्रोध भी बढ़ते जा रहा था कि तभी मुझे मेरे दिमाग में एक आवाज सुनायी देने लगी
आवाज :- अपनी दोनों तलवारों को याद करो (ये और कोई नहीं ब्लकि असुर ही थे जो क़ैद खाने से मुझसे बात कर रहे थे)
जब मेंने वो आवाज सुनी तो ऐसा लगा कि ये भी इन शैतानों की ही कोई चाल है लेकिन पता नहीं क्यू पर उस आवाज में मुझे विश्वास और प्रेम दोनों महसूस हो रहे थे और यही कारण है कि मे उस आवाज पर भरोसा कर रहा था
और जैसे ही उस आवाज पर मेरा भरोसा पक्का हुआ वैसे ही मुझे मेरे दिमाग में एक मंत्र सुनायी देने लगा जिसे में मन मे पढ़ने का प्रयास कर रहा था कि तभी फिर से एक बार उन योद्धाओं ने मेरे पीठ पर वार किया
जिससे मेरा ध्यान उस मंत्र से हट गया और इस बार मेने फिर से पहले की तरह सबको काटना शुरू कर दिया और जब वो सभी योद्धा खत्म हो गए थे तभी मेरी नज़र उन जादूगर की तरफ गया जिनके जादुई छड़ी से एक रोशनी निकल कर आसमान में जा रही थी
और ये देखते ही मेरे दिमाग की भी बत्ती जल गई और मुझे समझ आया कि इतने सारे योद्धा कहा से आ रहे हैं और ये बात पता चलते ही में तेजी से उन जादूगर के पास जाता उससे पहले ही मेरे दिमाग में फिर से वही अनजानी आवाज सुनायी देने लगी
असुर :- हमारे पास उनसे लड़ने के लिए अभी बहुत समय है सबसे पहले जो मे बोल रहा हूं वैसे ही करो
ये सुनने के बाद मेरी आखें अपने आप ही बंद हो गई और मेरे आंखों के सामने फिर से वो मंत्र दिखने लगा था और जैसे जैसे मे वो पढ़ रहा था वैसे ही मेरे जख्म भी भर रहे थे और जब तक मे मंत्र पढ़ रहा था
तब तक सारे योद्धाओं ने मुझे घेर लिया था और जैसे ही मेने अपनी आंखें खोली वैसे ही वो सभी एकसाथ मेरे उपर कुद पड़े लेकिन इस बार मे तैयार था अब मेरे दोनों ही हाथों में तलवारें आ गई थी और मेरे दिमाग में उन दोनों तलवारों को एक साथ कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है
उसकी पूरी जानकारी अपने आप ही आ रही थी और उसी के इस्तेमाल से मेंने उन सभी योद्धाओं को बड़ी स्फूर्ति से मार गिराया और अब फिर से उस मैदान पर में और वो पांचो जादूगर ही बचे हुए थे और इससे पहले कि वो जादूगर और योद्धा बुलाते
उससे पहले ही मेने दोनों तलवारों को एक दूसरे से जोड़ दिया बिल्कुल X की तरह और ऐसा करते ही आसमान से एक भयानक बिजली आकर सीधा उन पांचो पर पड़ी और फिर देखते ही देखते वो पांचों राख में बदल गये
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आज के लिए इतना ही
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