• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy ब्रह्माराक्षस

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Moderator
38,973
74,790
304
नमस्कार मंडली

मैं आपका अपना VAJRADHIKARI आप सबको प्रणाम करता हू

मेरी दो कहानिया इस फोरम के उपर सफलता पूर्वक समाप्त हो गई है और उन दोनों को भी आप सब ने बहुत प्यार दिया और मेरी प्राथना है कि इस कहानी को भी आपका वैसा ही प्रेम और साथ मिले

इस कहानी का शीर्षक है ब्रह्माराक्षस इससे आप को अंदाजा आ गया होगा कि कहानी किस दिशा मे रहेगी तो जल्द ही मिलेंगे इस कहानी के किरदारों के साथ तब तक के लिए मेरा प्रणाम


~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Congratulations for the story bro.
:congrats:
 
  • Like
Reactions: VAJRADHIKARI

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Moderator
38,973
74,790
304
सबका स्वागत है ब्रह्माराक्षस के किरदारों के परिचय और कहानी मैं उल्लेखित विश्व के विश्व निर्माण के बारे में जानकारी के इस अध्याय मैं

तो सबसे पहले हम इस विश्व से मिल लेते है उसे जान लेते है

इस कहानी का विश्व हमारे असल विश्व से अधिक भिन्न नहीं है केवल कुछ बदलाव किए है

इस विश्वास बहुत जीवों का निवास है जिनमे 2 संघों का निर्माण किया है एक संघ है अच्छाई का तो दूसरा संघ है बुराई का ईन दोनों पक्षों मे हर पल युद्ध होता रहता था जिससे यहा की धरती रक्त रंजीत हो जाया करती थी दोनों ही पक्षों को इस वजह से बहुत ज्यादा हानि और नर संहार का सामना करना पड़ रहा था इसी के चलते ईन दोनों पक्षों के उच्च स्तरीय अधिकारियों ने यह फैसला किया कि उन मेसे कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे पक्ष के सीमा का उल्लंघन नहीं करेगी जिसके बाद हर तरफ सुख और शांति का वातावरण फैल गया

लेकिन ये ज्यादा समय ना चला जैसे जैसे समय बढ़ रहा था वैसे ही दोनो पक्षों के शक्ति शाली लोगों मे अहंकार का जन्म होने लगा और उसी के चलते जहा बुराई का पक्ष अपने समाज का विस्तार करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा था तो वही अच्छाई का पक्ष अपने ही जलन के चलते अपने ही साथियो का विनाश करने के लिए आतुर था

और इसी जलन के वजह से इस कहानी की शुरूवात हुई कहानी पर जाने से पहले हम इस विश्व की रचना के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेते हैं

इस विश्व मे तीन पक्ष है पहला है अच्छाई इस पक्ष में वही लोग है जो कि अपने सभी दुष्कर्मों को सभी मोह माया को छोड़ कर खुद को संसार की भलाई और रक्षा के लिए समर्पित कर देते हैं

तो दूसरा पर है प्राणी पक्ष इस पक्ष में आम मानव या ऐसे जीव जो अभी भी सत्कर्म और दुष्कर्म के बीच फंसे हुए हैं जो कि ना पूर्णतः सत्य के मार्ग पर है और ना ही बुराई के मार्ग पर

वही तीसरा पक्ष पर है बुराई का जिसमें वो जीव है जो पाप और दुष्कर्म को ही अपने जीवन का सार समझ कर जीते है इनका उद्देश्य एक ही है कि इनके अलावा इस संसार मे कोई भी शक्ति ना हो

जब संसार मे अच्छाई और बुराई के पक्ष में महा संग्राम हो रहा था था तभी आसमान से एक बहुत बड़ा शक्ति पुंज धरती पर आके गिरा जिसे पाने के लिए बुराई के पक्ष ने हर सम्भव प्रयास किया परंतु उस पुंज ने खुद को अच्छाई के पक्ष के अधीन कर दिया जिसके बाद महा संग्राम मे बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाये जाने लगा जिसके बाद वो पुंज सात अस्त्रों मे बदल गया जिनमें महा चमत्कारिक शक्तियों का वास था जिन्हें सप्त शक्ति कहा जाता है और यही कारण है कि बुराई पक्ष इसे पाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा था

लेकिन उन अस्त्रों ने अच्छाई के पक्ष में से सात योद्धाओं को अपने धारक के रूप मे चुन लिया था और उन सात योद्धाओं के संघ को सप्तऋषि के नाम से जाना जाता है

तो वही इस किस्से के बाद अच्छाई के पक्ष में कुछ साधु अपने ही साथियों से ईर्ष्या करने लगे जिसका फायदा बुराई का पक्ष लेने लगा इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन सप्तऋषि ने सभी सप्त अस्त्रों को छुपा दिया जब तक उनकी जरूरत ना ना हो और उसी के साथ ही अच्छाई के पक्ष को तीन आश्रमों मे विभाजित कर दिया जहा सबको उनके कर्मों के अनुसार स्थान दिया जाता

सबसे पहले आता है कालदृष्टि आश्रम यह सबसे निचले स्तर पर कार्यरत हैं इनका कार्य इतना ही है कि वह इस इस संसार में ग्यान का प्रसार करे

फिर आता है काल दिशा आश्रम जो कि मध्यम स्तर पर कार्यरत हैं इनका कार्य ये है कि यह अपने संपूर्ण जीवन काल में अपनी संस्कृति अपनी परंपरा और अच्छाई की सुरक्षा करे किसी भी कीमत पर

और सबसे आखिर और उच्च स्तरीय आश्रम है काल विजय आश्रम ये आश्रम इस संसार मे अच्छाई के रक्षण के साथ ही बुराई का विनाश हो ये सुनिश्चित करता है

हर आश्रम की देख रेख और सुरक्षा की जिम्मेदारी सप्तऋषि की थी इसीलिए उन्होंने हर आश्रम में 2-2 ऋषि के संघ मे रहने का निश्चय किया और जो सातवा ऋषि बचा जो कि बाकी 6 ऋषि मे सबसे ज्यादा शक्ति शाली के साथ ही ज्ञानी भी थे उन्हें मायावी महागुरु का सम्मान देके उन्हें तीनों आश्रम और सातों अस्त्रों के सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई

इस कहानी में हर दिन अपडेट देना थोड़ा मुश्किल होगा इसीलिए 1 दिन के गैप से अपडेट आएँगे

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Awesome 👌 update. Pahli najar me story rahasyamai or dilchasp lag Rahi hai.
Dekhte hai aage kya hota hai.
 
  • Like
Reactions: VAJRADHIKARI

VAJRADHIKARI

Hello dosto
1,484
18,156
144
अध्याय सोलहवां

जब हम दोनों हॉस्पिटल में पहुंचे तो वहां हॉस्पिटल के पैसेज मे ही प्रिया के माता पिता और केशव रवि मिल गए जिनके साथ पुलिस भी मौजूद थीं और उन्होंने जैसे ही मुझे देखा तो पुलिस अफसर मेरे पास आकर मुझे गिरफ्तार करने लगा लेकिन गुरु सिंह ने उसे रोक दिया और सभी पुलिस को वापस भेज दिया

मे :- केशव से) ये सब क्या हो रहा है मे जान सकता हूं

शान :- इसमे जानना क्या है तुम्हारे वजह से मेरी बेटी इस हालात में है ना जाने क्या किया है तुमने उसके साथ

मे :- रवि से) क्या तुम दोनों ने इन्हें कुछ भी नहीं बताया

केशव :- इन्होने हमे बोलने ही नहीं दिया जब मेने इन्हें कॉल किया तो इन्होंने आधी बात सुन कर ही कॉल कट कर दिया था और जब यहां आए तो पुलिस साथ लेके आए जिन्हें देख कर हम डर गए थे

मे :- ठीक हैं (शान से) देखिए सर प्रिया ने ऐसा क्यू किया इसका जवाब मे देता हूं कल रात को शराब के नशे में उसने अपने प्यार का इजहार किया और आज सुबह जब वो पूरे होश में थी तब मेने उसके प्यार को ठुकरा दिया और फिर बिना उससे बात किए मे वहाँ से निकल गया उसके बाद क्या हुआ ये मुझे भी नहीं पता

अभी हम बात कर रहे थे कि तभी emergency ward का दरवाजा खुला और शांति बाहर आयीं जिसे देखकर मे तुरंत उनके पास पहुंच गया

मे :- शांति अब प्रिया की हालत कैसी है वो ठीक तो है ना

शांति :- हाँ वो ठीक है लेकिन वो बार बार तुम्हारा ही नाम लिए जा रही है और होश में आते ही रोने लगी

शान :- क्या हम उससे मिल सकते हैं

शांति :- अभी नहीं पहले हम उसे नॉर्मल वार्ड में शिफ्ट करेंगे उसके बाद

फिर कुछ देर इंतजार करने के बाद शांति ने हमे प्रिया से मिलने की अनुमति दे दी और शांति की बात सुन कर हम सभी तुरंत अंदर पहुच गए जहां प्रिया बेड पर लेटी थी और एकटक छत को देखे जा रही थी जो देख कर शान तुरंत उसके पास पहुंच गए

शान :- तुम ठीक तो हो ना बेटा ये करने से पहले अपने माँ और पापा के बारे में भी नहीं सोचा कि उनपर क्या बितेगी ये सब जान कर

प्रिया :- सॉरी पापा लेकिन लेकिन मे भद्रा से बहुत प्यार करती हूँ और उसी से शादी करना चाहती हूं लेकीन जब उसने मेरा प्यार ठुकरा दिया तब मुझे बहुत बुरा लगा और कुछ समझ नहीं आया

मे :- तुम सची मे पागल हो क्या इतनी सी बात को लेकर इतना बड़ा कदम कोई उठाता है क्या

प्रिया :- मेंने सोचा था कि पहले मे तुम्हारें मन में भी मेरे लिए प्यार जगा दूंगी उसके बाद सब तुम्हें बताऊंगी लेकिन कल शराब के नशे में मेने साब बता दिया और तुम्हे सब पता चल गया और अब जब तुम्हें पता चल ही गया तो अच्छा ही हुआ मैं तुम्हें पिछले 1 साल से प्यार करती हूं ये कैसे हुआ क्यों हुआ कब हुआ पता नहीं बस तुमसे प्यार हो गया और मैंने अपने मॉम डैड को भी बता दिया है और वो भी खुश है चाहे तो पूछ सकते हो तुम

मे :- क्या तुम पागल हो तुम मेरे बारे में कुछ भी नहीं जानती हो मैं कौन हूं. मेरा अतीत क्या है. कुछ भी नहीं.

प्रिया :- मुझे कुछ नहीं पता. मुझे तुम्हारे अतीत से मतलब नहीं मुझे तो हमारे भविष्य से मतलब है तुम कौन हो ये मुझे नहीं जानना तुम जो हो मुझे उससे मतलब है और इस 1 साल में मुझे इतना तो पता है तुम कभी मुझे धोखा नहीं दोगे और कभी छोडकर नहीं जाओगे

शांति :- भद्रा ये तुमसे सच्चा प्यार करती है तो तुम्हें इसे अपना लेना चाहिए

मे :- शांति तुम ऐसे बोल रही हो तुम्हें तो पता है कि हमारा काम कैसा है और क्या उस वजह से किसी लड़की की जिंदगी खराब नहीं कर सकता

गुरू सिँह :- भद्रा हम सब दोहरी जिंदगी जी रहे हैं और तुम्हें भी अपनी जिंदगी जीने का अधिकार है एक काम करो अपनी आखें बंद करो और बस ये सोचो क्या तुम प्रिया से प्यार करते हो अगर हाँ तो उसे सब सच बता दो अगर नहीं तो तुम बिना कुछ बोले यहा से चले जाओ बाकी सब हम पर छोड़ दो

गुरु सिँह की बात सुनकर जहा मे अपनी आखें बंद कर के सोचने लगा तो वही बाकी सब हम तीनों की बातें सुनकर हैरान रह गए थे तो वही प्रिया के दीमाग मे बस 1 ही चीज चल रही थी और वो थी मेरा जवाब

मे :- आखें खोल कर) ठीक है प्रिया मे तुम्हारे प्रेम के आगे हार मानता हूँ लेकिन तुम्हें पहले मेरे बारे में सब जान लेना चाहिए

उसके बाद मेंने प्रिया के साथ सबको अपनी असलियत बतायी आश्रम के बारे में सप्तअस्त्रों के बारे में असुरों के बारे में और सबसे महत्वपूर्ण मेरे जिम्मेदारियों मेरे कर्तव्यों के बारे में उनके खतरों के बारे में भी यह सब सुनकर सब के पैरों तले से मानो जमीन ही खिसक गई थी सबके चेहरे देख कर ही लग रहा था कि सब कितने हैरान हैं

मे :- प्रिया मेंने अपने जीवन की पूरी किताब तुम्हारे सामने खोल दी है अब तुम्हें फैसला करना है कि तुम इस किताब का हिस्सा बनना चाहती हो या इस किताब को बाहर फेंकना चाहती हो लेकिन इतनी बात जान लेना कि अगर भविष्य में पाप पुण्य का कोई भी युद्ध होता है तो पापियों के संहार के लिए सबसे आगे मे ही रहूँगा और अगर हम हारने वाले होंगे तो भी प्राणों का बलिदान करने वाले लोगों मे भी मे सबसे पहले रहूंगा तो अब तुम्हें तुम्हें तय करना है

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
 
Top