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TomorrowVAJRADHIKARI bhai next update kab tak aayega?
intezaar rahega VAJRADHIKARI bhai....Tomorrow
Congratulations for the story bro.नमस्कार मंडली
मैं आपका अपना VAJRADHIKARI आप सबको प्रणाम करता हू
मेरी दो कहानिया इस फोरम के उपर सफलता पूर्वक समाप्त हो गई है और उन दोनों को भी आप सब ने बहुत प्यार दिया और मेरी प्राथना है कि इस कहानी को भी आपका वैसा ही प्रेम और साथ मिले
इस कहानी का शीर्षक है ब्रह्माराक्षस इससे आप को अंदाजा आ गया होगा कि कहानी किस दिशा मे रहेगी तो जल्द ही मिलेंगे इस कहानी के किरदारों के साथ तब तक के लिए मेरा प्रणाम
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Awesomeसबका स्वागत है ब्रह्माराक्षस के किरदारों के परिचय और कहानी मैं उल्लेखित विश्व के विश्व निर्माण के बारे में जानकारी के इस अध्याय मैं
तो सबसे पहले हम इस विश्व से मिल लेते है उसे जान लेते है
इस कहानी का विश्व हमारे असल विश्व से अधिक भिन्न नहीं है केवल कुछ बदलाव किए है
इस विश्वास बहुत जीवों का निवास है जिनमे 2 संघों का निर्माण किया है एक संघ है अच्छाई का तो दूसरा संघ है बुराई का ईन दोनों पक्षों मे हर पल युद्ध होता रहता था जिससे यहा की धरती रक्त रंजीत हो जाया करती थी दोनों ही पक्षों को इस वजह से बहुत ज्यादा हानि और नर संहार का सामना करना पड़ रहा था इसी के चलते ईन दोनों पक्षों के उच्च स्तरीय अधिकारियों ने यह फैसला किया कि उन मेसे कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे पक्ष के सीमा का उल्लंघन नहीं करेगी जिसके बाद हर तरफ सुख और शांति का वातावरण फैल गया
लेकिन ये ज्यादा समय ना चला जैसे जैसे समय बढ़ रहा था वैसे ही दोनो पक्षों के शक्ति शाली लोगों मे अहंकार का जन्म होने लगा और उसी के चलते जहा बुराई का पक्ष अपने समाज का विस्तार करने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा था तो वही अच्छाई का पक्ष अपने ही जलन के चलते अपने ही साथियो का विनाश करने के लिए आतुर था
और इसी जलन के वजह से इस कहानी की शुरूवात हुई कहानी पर जाने से पहले हम इस विश्व की रचना के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेते हैं
इस विश्व मे तीन पक्ष है पहला है अच्छाई इस पक्ष में वही लोग है जो कि अपने सभी दुष्कर्मों को सभी मोह माया को छोड़ कर खुद को संसार की भलाई और रक्षा के लिए समर्पित कर देते हैं
तो दूसरा पर है प्राणी पक्ष इस पक्ष में आम मानव या ऐसे जीव जो अभी भी सत्कर्म और दुष्कर्म के बीच फंसे हुए हैं जो कि ना पूर्णतः सत्य के मार्ग पर है और ना ही बुराई के मार्ग पर
वही तीसरा पक्ष पर है बुराई का जिसमें वो जीव है जो पाप और दुष्कर्म को ही अपने जीवन का सार समझ कर जीते है इनका उद्देश्य एक ही है कि इनके अलावा इस संसार मे कोई भी शक्ति ना हो
जब संसार मे अच्छाई और बुराई के पक्ष में महा संग्राम हो रहा था था तभी आसमान से एक बहुत बड़ा शक्ति पुंज धरती पर आके गिरा जिसे पाने के लिए बुराई के पक्ष ने हर सम्भव प्रयास किया परंतु उस पुंज ने खुद को अच्छाई के पक्ष के अधीन कर दिया जिसके बाद महा संग्राम मे बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाये जाने लगा जिसके बाद वो पुंज सात अस्त्रों मे बदल गया जिनमें महा चमत्कारिक शक्तियों का वास था जिन्हें सप्त शक्ति कहा जाता है और यही कारण है कि बुराई पक्ष इसे पाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहा था
लेकिन उन अस्त्रों ने अच्छाई के पक्ष में से सात योद्धाओं को अपने धारक के रूप मे चुन लिया था और उन सात योद्धाओं के संघ को सप्तऋषि के नाम से जाना जाता है
तो वही इस किस्से के बाद अच्छाई के पक्ष में कुछ साधु अपने ही साथियों से ईर्ष्या करने लगे जिसका फायदा बुराई का पक्ष लेने लगा इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन सप्तऋषि ने सभी सप्त अस्त्रों को छुपा दिया जब तक उनकी जरूरत ना ना हो और उसी के साथ ही अच्छाई के पक्ष को तीन आश्रमों मे विभाजित कर दिया जहा सबको उनके कर्मों के अनुसार स्थान दिया जाता
सबसे पहले आता है कालदृष्टि आश्रम यह सबसे निचले स्तर पर कार्यरत हैं इनका कार्य इतना ही है कि वह इस इस संसार में ग्यान का प्रसार करे
फिर आता है काल दिशा आश्रम जो कि मध्यम स्तर पर कार्यरत हैं इनका कार्य ये है कि यह अपने संपूर्ण जीवन काल में अपनी संस्कृति अपनी परंपरा और अच्छाई की सुरक्षा करे किसी भी कीमत पर
और सबसे आखिर और उच्च स्तरीय आश्रम है काल विजय आश्रम ये आश्रम इस संसार मे अच्छाई के रक्षण के साथ ही बुराई का विनाश हो ये सुनिश्चित करता है
हर आश्रम की देख रेख और सुरक्षा की जिम्मेदारी सप्तऋषि की थी इसीलिए उन्होंने हर आश्रम में 2-2 ऋषि के संघ मे रहने का निश्चय किया और जो सातवा ऋषि बचा जो कि बाकी 6 ऋषि मे सबसे ज्यादा शक्ति शाली के साथ ही ज्ञानी भी थे उन्हें मायावी महागुरु का सम्मान देके उन्हें तीनों आश्रम और सातों अस्त्रों के सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई
इस कहानी में हर दिन अपडेट देना थोड़ा मुश्किल होगा इसीलिए 1 दिन के गैप से अपडेट आएँगे
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आज के लिए इतना ही
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