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Shayari Kavita-sayri

Raj_sharma

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तेरे हुस्न पे कुर्बान हो जाऊ,
तेरी बांहों में बेजान हो जाऊ,
ऐसी नजाकत है तेरी सूरत की,
की मै तो तेरा गुलाम हो जाऊ.
🥰🥰
 

Raj_sharma

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जब रूबरू आ ही गया, इक फूल सा चेहरा,
इक कली पे माना, शबाब आया था,
सर्द हवा के झोकों ने, झंझकोर के रख दिया,
फूलों की बस्ती में, एक सैलाब आया था,
अब क्या कहै उस दीदार की प्यासी चकोरी को,
के अपने चांद पर, प्यार उसे बेहिसाब आया था‌‌ ।। (राज)❣️


:writing:
 
Last edited:

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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जब रूबरू आ ही गया, इक फूल सा चेहरा,
इक कली पे माना, शबाब आया था,
सर्द हवा के झोकों ने, झंझकोर के रख दिया,
फूलों की बस्ती में, एक सैलाब आया था,
अब क्या कहै उस दीदार की प्यासी चकोरी को,
के अपने चांद पर, प्यार उसे बेहिसाब आया था‌‌ ।। (राज) उर्फ के़ के़

:writing:
Wah! Wah! kya bat hai... :applause:
 

Raj_sharma

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Raj_sharma

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अभी तो मैंने नापी है, मुट्ठी भर जमीन,
अभी तो नापना, आसमान बाकि है,
अभी तो लांघा है, समंदर मैंने,
अभी तो बाज की उडान बाकी हैं।।❣️
 
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Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
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अभी तो मैंने नापी है, मुट्ठी भर जमीन,
अभी तो नापना, आसमान बाकि है,
अभी तो लांघा है, समंदर मैंने,
अभी तो बाज की उडान बाकी हैं।।
🙏🙏
Bahut hi satik or gahrai vyakt karti hai aapki yah sayri bhai jabarjast superb
 

komaalrani

Well-Known Member
19,804
45,998
259
इस वास्ते दामन चाक किया शायद ये जुनूँ काम आ जाए
दीवाना समझ कर ही उन के होंटों पे मेरा नाम आ जाए

मैं ख़ुश हूँ अगर गुलशन के लिए कुछ लहू काम आ जाए
लेकिन मुझ को डर है इस गुल-चीं पे न इल्ज़ाम आ जाए

ऐ काश हमारी क़िस्मत में ऐसी भी कोई शाम आ जाए
इक चाँद फलक पर निकला हो इक चाँद सर-ए-शाम आ जाए

मय-ख़ाना सलामत रह जाए इस की तो किसी को फ़िक्र नहीं
मय-ख़्वार हैं बस इस ख़्वाहिश में साक़ी पे कुछ इल्ज़ाम आ जाए

पीने का सलीका कुछ भी नहीं इस पर है ये ख़्वाहिश है रिंदों की
जिस जाम पे हक़ है साकी का हाथों में वही जाम आ जाए

इस वास्ते ख़ाक-ए-परवाना पर शमा बहाती है आँसू
मुमकिन है वफ़ा के क़िस्से में उस का भी कहीं नाम आ जाए

अफ़्साना मुकम्मल है लेकिन अफ़्साने का उनवाँ कुछ भी नहीं
ऐ मौत बस इतनी मोहलत दे उन का कोई पैग़ाम आ जाए
 

komaalrani

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किसी सूरत भी नींद आती नहीं मैं कैसे सो जाऊँ
कोई शय दिल को बहलाती नहीं मैं कैसे सो जाऊँ

अकेला पा के मुझ को याद उन की आ तो जाती जै
मगर फिर लौट कर जाती नहीं मैं कैसे सो जाऊँ

जो ख़्वाबों में मेरे आ कर तसल्ली मुझ को देती थी
वो-सूरत अब नज़र आती नहीं मैं कैसे सो जाऊँ

तुम्हीं तो हो शब-ए-ग़म में जो मेरा साथ देते हो
सितारों तुम को नींद आती नहीं मैं कैसे सो जाऊँ
 

Raj_sharma

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Bahut hi satik or gahrai vyakt karti hai aapki yah sayri bhai jabarjast superb
आपका हार्दिक अभिनंदन🙏🙏
एवं धन्यवाद
 
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Raj_sharma

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ववा
किसी सूरत भी नींद आती नहीं मैं कैसे सो जाऊँ
कोई शय दिल को बहलाती नहीं मैं कैसे सो जाऊँ

अकेला पा के मुझ को याद उन की आ तो जाती जै
मगर फिर लौट कर जाती नहीं मैं कैसे सो जाऊँ

जो ख़्वाबों में मेरे आ कर तसल्ली मुझ को देती थी
वो-सूरत अब नज़र आती नहीं मैं कैसे सो जाऊँ

तुम्हीं तो हो शब-ए-ग़म में जो मेरा साथ देते हो
सितारों तुम को नींद आती नहीं मैं कैसे सो जाऊँ
वाह वाह क्या खूब कहा हैं कि तुम ही हो मेरे शब ए गम़़़़़़़़़़़👌👌👌 अती सुन्दर
 
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Raj_sharma

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इस वास्ते दामन चाक किया शायद ये जुनूँ काम आ जाए
दीवाना समझ कर ही उन के होंटों पे मेरा नाम आ जाए

मैं ख़ुश हूँ अगर गुलशन के लिए कुछ लहू काम आ जाए
लेकिन मुझ को डर है इस गुल-चीं पे न इल्ज़ाम आ जाए

ऐ काश हमारी क़िस्मत में ऐसी भी कोई शाम आ जाए
इक चाँद फलक पर निकला हो इक चाँद सर-ए-शाम आ जाए

मय-ख़ाना सलामत रह जाए इस की तो किसी को फ़िक्र नहीं
मय-ख़्वार हैं बस इस ख़्वाहिश में साक़ी पे कुछ इल्ज़ाम आ जाए

पीने का सलीका कुछ भी नहीं इस पर है ये ख़्वाहिश है रिंदों की
जिस जाम पे हक़ है साकी का हाथों में वही जाम आ जाए

इस वास्ते ख़ाक-ए-परवाना पर शमा बहाती है आँसू
मुमकिन है वफ़ा के क़िस्से में उस का भी कहीं नाम आ जाए

अफ़्साना मुकम्मल है लेकिन अफ़्साने का उनवाँ कुछ भी नहीं
ऐ मौत बस इतनी मोहलत दे उन का कोई पैग़ाम आ जाए
बोहोत खूब👌👌👌👌 :applause:
:applause:
 
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