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Bahut hi badhiya update diya hai VAJRADHIKARI bhai....अध्याय पंद्रह
इस वक्त मे RAW के headquarters के बाहर खड़ा था और सोच रहा था कि अंदर जाऊँ या नहीं ऐसा इसलिए क्यूँकी मे यहां आया था रात मे हुए कांड के बारे में गुरु सिंह से बात करने उनकी राय लेने
लेकिन अब मेरे मन और दिमाग में इसी बात को लेकर युद्ध चालू हो गया था जहां मेरा मन कह रहा था कि
ये बात अपने तक ही सीमित रखी जाए अगर ये मेंने गुरु सिंह को बता दिया कि धरती पर असुरों का आगमन हो गया है तो वो इस बात को लेकर बहुत परेशान हो जाएंगे
तो वही मेरा दिमाग कह रहा था कि इस बात को अगर छुपाया और भविष्य में असुरों ने अगर अचानक हमला किया तो अनर्थ हो जाएगा और अगर मेंने अभीं बता दिया तो भविष्य के युद्ध के लिए सभी तैयार रहेंगे
यही सब सोचते हुए मे सीधा headquarter के अंदर जाने लगा मे बिना रुके बिना किसी की बात सुने अंदर चलें जा रहा था वहाँ के बाकी के अफसर और गार्ड मुझे रोक रहे थे
लेकिन मे बस चलते जा रहा था और सीधा गुरु सिंह के कैबिन मे जाके रुका जहां वो एक फाइल पढ़ रहे थे और मुझे अचानक अपने सामने देख कर वो चकित हो गए
कि तभी मुझे बाहर निकालने के लिए 2 गार्ड भी आ गए जिन्हें गुरू सिंह ने भेज दिया और मेरे पास आ गए
गुरु सिंह :- क्या बात है भद्रा तुम अचानक यहां कैसे
मैं :- बात ही ऐसी है गुरु सिँह
गुरु सिँह :- तुम्हें कितनी बार कहा है कि इस नाम से मत बुलाओ
में :- इस सब के लिए समय नहीं है सर असुरों ने धरती पर अपने कदम रख दिए हैं
दिग्विजय :- ये तुम क्या बोल रहे हो असुर धरती पर ये असंभव है अगर वो धरती पर आते तो सब से पहले महागुरु को इसकी खबर लग जाती और वो हमे बता देते
में :- इस सब के बारे में मुझे पता नहीं है लेकिन रात में मेंने खुद अपने आँखों से उन्हें देखा है और उनसे युद्ध भी किया है
दिग्विजय :- क्या कब कैसे कहा मुझे सब बताओ
इसके बाद मेंने उन्हें कल रात की सारी बाते बतायी शिवाय इस बात के कि वो काली ऊर्जा मेरे अंदर समा गई थी मे जैसे जैसे सब बातें बोल रहा था वैसे ही गुरु सिँह के चेहरे के भाव भी बदल रहे थे
दिग्विजय :- इतना सब हो गया और तुम मुझे अब बता रहे हो तुमने रात में ही मुझे कॉल क्यु नहीं किया
में :- कैसे करता मे खुद हैरान था मुझे ही नहीं समझ रहा था कि क्या करू
दिग्विजय :- ठीक है तुम चिंता मत करो मे बाकी गुरुओं से बात करता हूँ लेकिन तब तक तुम इस सब से दूर ही रहना
में :- अगर मेरे आखों के सामने कोई गलत काम होगा तो ना मे उससे दूर रह पाउंगा और नाही खुद को रोक सकूँगा
दिग्विजय :- लेकिन कुछ भी करने से पहले मुझे कॉल कर देना ठीक है
में :- ठीक है
अभी हम दोनों कुछ और बात कर पाते कि तभी मेरे फोन पर फिर एक बार केशव का कॉल आया जिसे देख कर मे गुस्सा हो गया था और उसी गुस्से में मेंने कॉल उठाया
में :- गुस्से में) तुम्हें समझ नहीं आता क्या अगर कोई इंसान कॉल नहीं उठा रहा है मतलब वो दूसरे काम में बिजी हो सकता है
केशव :- मुझे पता है तू अभी गुस्से में है लेकिन मे जो बोल रहा हू उसे ठंडे दिमाग सुनना तेरे वहां से चले जाने के बाद प्रिया बहुत उदास हो गई थी और इसीलिए वो तेरे से बात करना चाहती थी तेरे से माफ़ी मांगना चाहती थी लेकिन तुम फोन ही नहीं उठा रहे थे जिससे वो रोने लगी और उसने आत्महत्या करने की कोशिश की है
में :- चिल्लाकर) क्या
केशव की बात सुनकर मेरे पैरों तले जमीन ही खिसक गई मे सोच भी नहीं सकता था कि प्रिया इतना बड़ा कदम उठा लेगी तो वही मुझे ऐसे चिल्लाते dekh kar गुरु सिँह भी हैरान हो गए थे
केशव :- हाँ उसने अपने हाथों की नस काट ली थी हम उसे लेके हॉस्पिटल में आए हैं प्रिया के माता पिता भी यही है तू भी जल्दी से आ जा
में :- कौनसा हॉस्पिटल है वो
केशव :- ये स्वास्थ विकास हॉस्पिटल
केशव ने जैसे ही हॉस्पिटल का नाम बताया वैसे ही मेरे दिल को थोड़ा आराम मिला क्यूँकी ये हॉस्पिटल शांति का ही था और इस वक़्त वो अधिकतर हॉस्पिटल में ही रहती थी
इसीलिए मेने केशव का कॉल कट करके तुरंत शांति को कॉल करके उसे सारे हालत बता दिए और मे भी हॉस्पिटल के लिए निकल गया तो वही मुझे इतने टेंशन मे देख कर गुरु सिंह भी मेरे साथ चल पड़े
तो मेंने रास्ते में उन्हें सारी बातें बता दी प्रिया का अपने प्यार का इजहार करने से लेके उसके आत्महत्या तक सब बता दिया
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आज के लिए इतना ही
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