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Bahut hi badhiya update diya hai VAJRADHIKARI bhai....अध्याय ग्यारहवां
जब मेरी आंख खुली तो मे हैरान रह गया क्यूंकि इस वक़्त मे उसी अंधेरी गुफा मे मौजूद था जहां आज बहुत शांति छायी हुई थी न किसी के चीखने की आवाज थी और ना ही किसी के रोने की
मुझे खुद की आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था कि जिस जगह को मेंने केवल सपनों में देखा था आज मे उसी जगह पर था लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि मे यहां पर पहुंचा कैसे
मे अभीं इस बारे में ही सोचते हुए आगे बढ़ते हुए जा रहा था कि तभी मेरे कानों में किसी के हंसने की आवाज सुनाई देने लगी और जब मेने उस जगह पर जाकर देखा तो
वहां पर वही दोनों कैदी थे जिन्हें मेने सपने में देखा था उन्हें देख कर मे उनके करीब जाने लगा लेकिन मुझे ऐसा लगा जैसे कि कोई दीवार मुझे आगे जाने से रोक रही थी मे अभीं उस दीवार की गुत्थी मे ही उलझा हुआ था कि
तभी मेरे कानों में फिर से हंसने की आवाज आने लगी और जब मेंने देखा तो ये आवाज़ उसी कैदखाने से आ रही थी और जब मेंने ध्यान से देखा तो मुझे उस कैदखाने मे वो दोनों कैदी दिख रहे थे
और हंसने की आवाज उन्हीं दोनों की थी और जब उन्होंने मुझे देखा तो वो दोनों कैदखाने के दरवाजे के पास आ गए उन मेसे जो स्त्री थी वो मुझे देखकर हसने लगी और बोलने लगी
स्त्री (दमयन्ती) :- आ गया तू अब इन सब को उनकी औकात पता चलेगी उन सबको पता चलेगा कि तुम...
अभी वो स्त्री और कुछ बोलती की तभी उस दूसरे कैदी जो कि एक पुरुष था उसने उसे रोक दिया और वो भी दरवाजे के पास आ गया
पुरुष (त्रिलोकेश्वर) :- (स्त्री से) अभी तक इसे अपने बारे में कुछ भी मालूम नहीं है इसीलिए अभी कुछ भी बोलना बेकार है (मुझ से) अभी तुम जाओ तुम्हारें यहा आने का समय अभी तक नहीं आया है लेकिन इस बात का ध्यान रखना की धरती पर असुरों के कदम पड़ चुके हैं और वो वहाँ पर बुराई का सम्राज्य तैयार करना चाहते हैं और उन्हें सिर्फ तुम रोक सकते हो कुमार
जैसे ही उन्होंने बोलना बंद किया वैसे ही मेरी नींद खुल गई और इस बार ना मे चीखा था ना मेरी सास फुली हुई थी जब मेने उठने का प्रयास किया
तो मेंने देखा कि शांति का एक हाथ मेरे सीने पर था और एक पैर मेरे कमर पर था जिसे मेने जैसे ही हटाने का प्रयास किया तो शांति की नींद खुल गई और जब उसने मुझे जगा हुआ देखा तो वो भी उठ गई और मेरे होंठों को चूम लिया
मे :- क्या हुआ फिर से करना है क्या
शांति :- चुप बेशरम शाम हो गई है उठ जा दोपहर से सोया हुआ है (मेरे सीने पर बॉक्स रख कर) ये तुम्हारे लिए है
इतना बोलकर वो उठीं और बाथरूम मे घूस गई और जब मेने बॉक्स खोल कर देखा तो उसमे एक अंगुठी थी जो सोने की थी और उसके ऊपर एक चांदी रंग का मोती जड़ा हुआ था जिसे मेने अपने हाथ में पहन लिया और फिर में भी अपने कपड़े पहन लिए और शांति आने के बाद नहाकर फ्रेश हो गया
तो वही दूसरी तरफ प्रिया के घर में उसके पिता शान टेंशन मे बैठे हुए थे उन्हें उनकी डील तो मिल गई थी लेकिन वो डील मिलने के बाद जो हुआ उससे परेशान थे चलिए हम भी देखते हैं क्या हुआ था वहां
कुछ समय पहले
शान :- आपका धन्यवाद सिंघानिया जी जो आपने हमारे डील पर मोहर लगा दी
शैलेश :- अरे इस मे धन्यवाद की कोई जरूरत नहीं है आपके साथ सौदा करके हमे भी तो मुनाफा होगा
शान :- आपका मुनाफा कैसे जितना मे समझता हूं कि अगर हम इस डील सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर पाये तो आपको नुकसान होगा
शैलेश :- मे उस मुनाफे की बात नहीं कर रहा हूं आपसे ये डील करके हमारे बेटे का उधार उतर जाएगा
शान :- उधार मे समझा नहीं
शैलेश :- भद्रा मेरे बेटे जैसा है और उसका उधार चुकाने के लिए मे कुछ भी कर सकता हूं
शैलेश की बात सुनकर शान चिंता मे आ गया वो अब तक भद्रा को एक अनाथ लड़का समझता था जिसका इस शहर में कोई नहीं है लेकिन अब शैलेश की बात सुनकर उसे प्रिया के लिए चिंता होने लगी
वो भद्रा के बारे में और जानना चाहता था लेकिन ये जगह और समय उसे सही नहीं लगा इसीलिए वो जल्दी से शैलेश के ऑफिस से निकल कर घर आ गया और जब उसने यही बात घुमा कर अपनी पत्नी और बेटी से पूछी
तो उसे वही जवाब मिला कि भद्रा के माता पिता नहीं है और वो शहर में रेंट पर रहता है अब शान की चिंता और बढ़ गई थी प्रिया के लिए
तो वही मे अभी अभी एक आलीशान पब के बाहर था जहा मुझे रवि ने ही कॉल करके बुलाया था जहां पर हम लोग अक्सर मिलते थे
ये पब की यही खास बात थी कि ये पब के साथ ही होटल भी था और इस के मालिक कोई और नहीं बल्कि सत्येन्द्र काका ही थे जिससे मुझे यहा 24*7 रूम मिल जाता था
जहां पर हम चारो दोस्त मौज मस्ती करते और आज का प्लान प्रिया ने तय किया था अब देखना होगा कि आगे क्या होता है
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आज के लिए इतना ही
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