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Fantasy ब्रह्माराक्षस

Yasasvi3

😈Devil queen 👑
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अध्याय सतरा

इस वक़्त उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद करके रखा गया था आज उसी गुफा में एक बार फिर से शांति छायी हुई थी लेकिन ये शांति ज्यादा देर तक टिक नहीं सकीं क्यूँकी उस शांति को चीरते हुए किसी के हंसने की आवाज सुनाई देने लगी थी और यह आवाज़ किसी और की नहीं ब्लकि दमयन्ती के हंसने की थी

दमयन्ती :- शुभारंभ हो गया है उन सभी के अंत का मेरे बेटे की शक्तियां जागृत हो रही है और जब उसे याद आएगा तो वो क्षण उन सबके लिए इतना दर्दनाक होगा कि वो सब दया की भीख मांगेंगे लेकिन वो किसी पर दया नहीं करेगा अब शुरूवात है हमारे प्रतिशोध की हमारे शत्रुओं के अंत की

उसके इतना बोलते ही उसके साथ साथ उस गुफा में कैद हर एक कैद खाने से हसने की आवाज सुनाई देने लगी तो वही दूसरी तरफ मेंने प्रिया को अपने जीवन के वो सभी राज बता दिए थे जिनसे उसका जीवन पूरी तरह से बदल जाने वाली थी जिसे प्रिया और उसके परिवार ने भी अपना लिए थे

और जब हम दोनों कमरे में अकेले थे तब मेंने उसे अपने शांति के बारे में भी बता दिया था और इस बात को जान कर वो ज्यादा खुश नहीं थी लेकिन जब उसने शांति के दृष्टिकोण से देखा तो उसने हम दोनों के रिश्ते को भी अपना लिया था ऐसे ही कब रात हो गई हमे भी पता नहीं चला अभीं प्रिया दवाइयों के वजह से सोई हुई थी उसके सोने के बाद मेंने सबको घर भेज दिया आराम करने


और सबके जाने के बाद मे उसके बगल में बैठ कर उसे ही देख रहा था सोते हुए वो कितनी खूबसूरत दिख रही थी कि क्या ही बोलू उसके बारे में ऐसा लग रहा था कि पूरी दुनिया की मासूमियत उसके ही चेहरे पर आ गई थी और इसी खूबसूरती मे मैं कहीं खो गया था

और कब मेरे होंठ उसके गालों पर जा लगे मुझे भी पता नहीं चला और इस चुंबन के बाद जब मेंने उसकी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर एक मंद मुस्कान छा गई है शायद नींद में भी हमारे बारे में ही सोच रही थी ऐसे ही कुछ पल उसे घूरते हुए कब मुझे भी आंख लग गई मुझे भी पता नहीं चला

जैसे ही मेरी आँख लगी वैसे ही मेरे कानों में किसी के हसने की आवाज सुनाई देने लगी जिससे तुरंत ही मेरी आँख खुल गई और जब मेंने आसपास का वातावरण देखा तो मे हैरान रह गया

क्यूँकी इस वक्त मे उसी गोदाम में था जहां कल रात मैंने उन असुरों को मारा था और अभी मे ये सब सोच रहा था कि तभी वो हंसने की आवाज मुझे फिर से सुनायी देने लगी और जब मेंने उस आवाज का पीछा किया तो वो आवाज उस जगह से आ रही थी जहां पर वो पांच सिंघासन थे

और जब मे उन सिंघासन के नजदीक पहुंचा तो कल के जैसे ही मेरी सासें अटकने लगी ऐसा लगने लगा कि कोई महाशक्ति मेरे आसपास है और जब मेंने आसपास देखा तब मेरा ध्यान उन पांचो सिंघासनों पर गया जिनके ठीक उपर इस वक्त काले रंग के 5 गोले बनने लगे थे

और धीरे-धीरे उन पांचो गोलों ने अपने ऊर्जा तरंगो को बढ़ाना शुरू कर दिया और इससे पहले मे फिर से उन्हें अपने समा लेता उससे पहले ही वो पांचो गोले एक-एक करके फट गए और उस मेसे 5 महाकाय असुरों की परछाई निकलने लगी और देखते ही देखते वो परछाई सची के 5 महाकाय असुरों मे बदल गई


जिन्हें देख कर मुझे बहुत डर भी लग रहा था तो साथ ही मे उनके किसी भी गलत मनसूबे को साकार नहीं होने देने वाला था लेकिन अब सवाल ये उठता है कि मे यहां पर पहुचा कैसे मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी उन मेसे एक असुर ने बोलना शुरू किया

असुर 1 :- तो तुम वो मनुष्य हो जिसने हम पांचों की एकजुट शक्ति को अपने अंदर समा लिया है

में :- तुम क्या बोल रहे हो वो मे नही जानता

असुर 1 :- तुमने कल रात को हम पांचों की शक्तियों को अपने अंदर समाया था हमे वो वापस चाहिए वो असुरों की महान शक्ति है उसे तुम्हारे जैसे आम मनुष्य के पास नहीं रहना चाहिए

मे :- ठीक है ले लो अपनी शक्तियां लेकिन उससे पहले मुझे ये वचन दो की ईन शक्तियों का प्रयोग तुम किसी भी प्रकार के दुष्कर्म के लिए नहीं करोगे

असुर 1 :- ये हमारी शक्तियां है और हमारी मर्जी की हम कैसे इसका इस्तेमाल करते हैं

में :- पता था कि बोलकर कोई भी फायदा नहीं होगा (असुरों से) बाद में बोलना मत मेंने मौका नहीं दिया

इतना बोलकर मेंने अपनी आंखों को बंद करके अपनी तलवार का आह्वान किया जिससे अगले ही पल मेरे हाथों में मेरी तलवार आ गई थी जिसे देखकर वो हसने लगा

असुर :- चलो अच्छा है कि तुम्हारे अंदर हिम्मत तो है लेकिन सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा अगर तुम्हें पूरी तरह से हमारी शक्तियां चाहिए तो हम पांचो को हराकर उस सिंघासन पर बैठना होगा

इतना बोलकर उसने हवा में उड़ रहे एक सिंघासन की तरफ इशारा किया जिसे देखकर मेरी पकड़ तलवार पर कस गई

मे (उन पांचो को घूरते हुए) :- अकेले आओगे या सूअर की तरह झुंड में

तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद कर के रखा था उसी गुफा में आज फिर से वो तीनों असुर सेनापति मौजूद थे और वो तीनों अपने जादुई चाबुक से लगातार वहाँ क़ैद सभी कैदियों पर वार कर रहे थे

तो वही दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ये सब देखकर गुस्से मे चिल्ला रहे थे उन पर भी चाबुक बरसाए जा रहे थे लेकिन उन्हें शायद सबसे ज्यादा पीड़ा उन बेकसूर लोगों की चीखें सुनकर हो रही थी अभीं उन सबकी चीखें वहाँ के वातावरण में गूँज रही थी कि

तभी वहां पर कुछ और आवाज भी आने लगी जैसे कोई भोंपू बजा रहा हो जिसकी आवाज सुनकर उन तीनों के ही चेहरे का रंग उड़ गया और उन्होंने तुरंत ही सभी चाबुक को रोक दिया और अपनी आखें बंद कर दी

और जैसे ही उन्होंने आखें बंद की तो उस जगह पर एक काली गेंद उड़ते हुए आकर मायासुर के हाथों में आ गई और जैसे ही उन तीनों ने आखें खोली तो उस गेंद से कुछ शब्द हवा मे उड़ते हुए एक संदेश तैयार करने लगे

संदेश :- ये सब तमाशा छोडो हमे सप्तअस्त्रों के धारकों की जानकारी मिल गई है सब कुछ इस गेंद मे तुम्हें मिल जाएगा अब जल्दी से युद्ध की तैयारी करो इससे पहले पुण्य पक्ष फिर एक बार उन्हें किसी दूसरी जगह पर छुपा दे

जैसे ही वो शब्द गायब हुए वैसे ही उस गेंद से एक रोशनी निकल कर मायासुर के दिमाग में घुस गई जिसके बाद उस पूरे जगह पर मायासुर की हंसी ही गूँज रही थी जैसे उसे कोई ख़ज़ाना मिल गया हो

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आज के लिए इतना ही

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Bhot hi paara update
 

kas1709

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अध्याय सतरा

इस वक़्त उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद करके रखा गया था आज उसी गुफा में एक बार फिर से शांति छायी हुई थी लेकिन ये शांति ज्यादा देर तक टिक नहीं सकीं क्यूँकी उस शांति को चीरते हुए किसी के हंसने की आवाज सुनाई देने लगी थी और यह आवाज़ किसी और की नहीं ब्लकि दमयन्ती के हंसने की थी

दमयन्ती :- शुभारंभ हो गया है उन सभी के अंत का मेरे बेटे की शक्तियां जागृत हो रही है और जब उसे याद आएगा तो वो क्षण उन सबके लिए इतना दर्दनाक होगा कि वो सब दया की भीख मांगेंगे लेकिन वो किसी पर दया नहीं करेगा अब शुरूवात है हमारे प्रतिशोध की हमारे शत्रुओं के अंत की

उसके इतना बोलते ही उसके साथ साथ उस गुफा में कैद हर एक कैद खाने से हसने की आवाज सुनाई देने लगी तो वही दूसरी तरफ मेंने प्रिया को अपने जीवन के वो सभी राज बता दिए थे जिनसे उसका जीवन पूरी तरह से बदल जाने वाली थी जिसे प्रिया और उसके परिवार ने भी अपना लिए थे

और जब हम दोनों कमरे में अकेले थे तब मेंने उसे अपने शांति के बारे में भी बता दिया था और इस बात को जान कर वो ज्यादा खुश नहीं थी लेकिन जब उसने शांति के दृष्टिकोण से देखा तो उसने हम दोनों के रिश्ते को भी अपना लिया था ऐसे ही कब रात हो गई हमे भी पता नहीं चला अभीं प्रिया दवाइयों के वजह से सोई हुई थी उसके सोने के बाद मेंने सबको घर भेज दिया आराम करने


और सबके जाने के बाद मे उसके बगल में बैठ कर उसे ही देख रहा था सोते हुए वो कितनी खूबसूरत दिख रही थी कि क्या ही बोलू उसके बारे में ऐसा लग रहा था कि पूरी दुनिया की मासूमियत उसके ही चेहरे पर आ गई थी और इसी खूबसूरती मे मैं कहीं खो गया था

और कब मेरे होंठ उसके गालों पर जा लगे मुझे भी पता नहीं चला और इस चुंबन के बाद जब मेंने उसकी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर एक मंद मुस्कान छा गई है शायद नींद में भी हमारे बारे में ही सोच रही थी ऐसे ही कुछ पल उसे घूरते हुए कब मुझे भी आंख लग गई मुझे भी पता नहीं चला

जैसे ही मेरी आँख लगी वैसे ही मेरे कानों में किसी के हसने की आवाज सुनाई देने लगी जिससे तुरंत ही मेरी आँख खुल गई और जब मेंने आसपास का वातावरण देखा तो मे हैरान रह गया

क्यूँकी इस वक्त मे उसी गोदाम में था जहां कल रात मैंने उन असुरों को मारा था और अभी मे ये सब सोच रहा था कि तभी वो हंसने की आवाज मुझे फिर से सुनायी देने लगी और जब मेंने उस आवाज का पीछा किया तो वो आवाज उस जगह से आ रही थी जहां पर वो पांच सिंघासन थे

और जब मे उन सिंघासन के नजदीक पहुंचा तो कल के जैसे ही मेरी सासें अटकने लगी ऐसा लगने लगा कि कोई महाशक्ति मेरे आसपास है और जब मेंने आसपास देखा तब मेरा ध्यान उन पांचो सिंघासनों पर गया जिनके ठीक उपर इस वक्त काले रंग के 5 गोले बनने लगे थे

और धीरे-धीरे उन पांचो गोलों ने अपने ऊर्जा तरंगो को बढ़ाना शुरू कर दिया और इससे पहले मे फिर से उन्हें अपने समा लेता उससे पहले ही वो पांचो गोले एक-एक करके फट गए और उस मेसे 5 महाकाय असुरों की परछाई निकलने लगी और देखते ही देखते वो परछाई सची के 5 महाकाय असुरों मे बदल गई


जिन्हें देख कर मुझे बहुत डर भी लग रहा था तो साथ ही मे उनके किसी भी गलत मनसूबे को साकार नहीं होने देने वाला था लेकिन अब सवाल ये उठता है कि मे यहां पर पहुचा कैसे मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी उन मेसे एक असुर ने बोलना शुरू किया

असुर 1 :- तो तुम वो मनुष्य हो जिसने हम पांचों की एकजुट शक्ति को अपने अंदर समा लिया है

में :- तुम क्या बोल रहे हो वो मे नही जानता

असुर 1 :- तुमने कल रात को हम पांचों की शक्तियों को अपने अंदर समाया था हमे वो वापस चाहिए वो असुरों की महान शक्ति है उसे तुम्हारे जैसे आम मनुष्य के पास नहीं रहना चाहिए

मे :- ठीक है ले लो अपनी शक्तियां लेकिन उससे पहले मुझे ये वचन दो की ईन शक्तियों का प्रयोग तुम किसी भी प्रकार के दुष्कर्म के लिए नहीं करोगे

असुर 1 :- ये हमारी शक्तियां है और हमारी मर्जी की हम कैसे इसका इस्तेमाल करते हैं

में :- पता था कि बोलकर कोई भी फायदा नहीं होगा (असुरों से) बाद में बोलना मत मेंने मौका नहीं दिया

इतना बोलकर मेंने अपनी आंखों को बंद करके अपनी तलवार का आह्वान किया जिससे अगले ही पल मेरे हाथों में मेरी तलवार आ गई थी जिसे देखकर वो हसने लगा

असुर :- चलो अच्छा है कि तुम्हारे अंदर हिम्मत तो है लेकिन सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा अगर तुम्हें पूरी तरह से हमारी शक्तियां चाहिए तो हम पांचो को हराकर उस सिंघासन पर बैठना होगा

इतना बोलकर उसने हवा में उड़ रहे एक सिंघासन की तरफ इशारा किया जिसे देखकर मेरी पकड़ तलवार पर कस गई

मे (उन पांचो को घूरते हुए) :- अकेले आओगे या सूअर की तरह झुंड में

तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद कर के रखा था उसी गुफा में आज फिर से वो तीनों असुर सेनापति मौजूद थे और वो तीनों अपने जादुई चाबुक से लगातार वहाँ क़ैद सभी कैदियों पर वार कर रहे थे

तो वही दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ये सब देखकर गुस्से मे चिल्ला रहे थे उन पर भी चाबुक बरसाए जा रहे थे लेकिन उन्हें शायद सबसे ज्यादा पीड़ा उन बेकसूर लोगों की चीखें सुनकर हो रही थी अभीं उन सबकी चीखें वहाँ के वातावरण में गूँज रही थी कि

तभी वहां पर कुछ और आवाज भी आने लगी जैसे कोई भोंपू बजा रहा हो जिसकी आवाज सुनकर उन तीनों के ही चेहरे का रंग उड़ गया और उन्होंने तुरंत ही सभी चाबुक को रोक दिया और अपनी आखें बंद कर दी

और जैसे ही उन्होंने आखें बंद की तो उस जगह पर एक काली गेंद उड़ते हुए आकर मायासुर के हाथों में आ गई और जैसे ही उन तीनों ने आखें खोली तो उस गेंद से कुछ शब्द हवा मे उड़ते हुए एक संदेश तैयार करने लगे

संदेश :- ये सब तमाशा छोडो हमे सप्तअस्त्रों के धारकों की जानकारी मिल गई है सब कुछ इस गेंद मे तुम्हें मिल जाएगा अब जल्दी से युद्ध की तैयारी करो इससे पहले पुण्य पक्ष फिर एक बार उन्हें किसी दूसरी जगह पर छुपा दे

जैसे ही वो शब्द गायब हुए वैसे ही उस गेंद से एक रोशनी निकल कर मायासुर के दिमाग में घुस गई जिसके बाद उस पूरे जगह पर मायासुर की हंसी ही गूँज रही थी जैसे उसे कोई ख़ज़ाना मिल गया हो

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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इस वक़्त उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद करके रखा गया था आज उसी गुफा में एक बार फिर से शांति छायी हुई थी लेकिन ये शांति ज्यादा देर तक टिक नहीं सकीं क्यूँकी उस शांति को चीरते हुए किसी के हंसने की आवाज सुनाई देने लगी थी और यह आवाज़ किसी और की नहीं ब्लकि दमयन्ती के हंसने की थी

दमयन्ती :- शुभारंभ हो गया है उन सभी के अंत का मेरे बेटे की शक्तियां जागृत हो रही है और जब उसे याद आएगा तो वो क्षण उन सबके लिए इतना दर्दनाक होगा कि वो सब दया की भीख मांगेंगे लेकिन वो किसी पर दया नहीं करेगा अब शुरूवात है हमारे प्रतिशोध की हमारे शत्रुओं के अंत की

उसके इतना बोलते ही उसके साथ साथ उस गुफा में कैद हर एक कैद खाने से हसने की आवाज सुनाई देने लगी तो वही दूसरी तरफ मेंने प्रिया को अपने जीवन के वो सभी राज बता दिए थे जिनसे उसका जीवन पूरी तरह से बदल जाने वाली थी जिसे प्रिया और उसके परिवार ने भी अपना लिए थे

और जब हम दोनों कमरे में अकेले थे तब मेंने उसे अपने शांति के बारे में भी बता दिया था और इस बात को जान कर वो ज्यादा खुश नहीं थी लेकिन जब उसने शांति के दृष्टिकोण से देखा तो उसने हम दोनों के रिश्ते को भी अपना लिया था ऐसे ही कब रात हो गई हमे भी पता नहीं चला अभीं प्रिया दवाइयों के वजह से सोई हुई थी उसके सोने के बाद मेंने सबको घर भेज दिया आराम करने

और सबके जाने के बाद मे उसके बगल में बैठ कर उसे ही देख रहा था सोते हुए वो कितनी खूबसूरत दिख रही थी कि क्या ही बोलू उसके बारे में ऐसा लग रहा था कि पूरी दुनिया की मासूमियत उसके ही चेहरे पर आ गई थी और इसी खूबसूरती मे मैं कहीं खो गया था

और कब मेरे होंठ उसके गालों पर जा लगे मुझे भी पता नहीं चला और इस चुंबन के बाद जब मेंने उसकी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर एक मंद मुस्कान छा गई है शायद नींद में भी हमारे बारे में ही सोच रही थी ऐसे ही कुछ पल उसे घूरते हुए कब मुझे भी आंख लग गई मुझे भी पता नहीं चला

जैसे ही मेरी आँख लगी वैसे ही मेरे कानों में किसी के हसने की आवाज सुनाई देने लगी जिससे तुरंत ही मेरी आँख खुल गई और जब मेंने आसपास का वातावरण देखा तो मे हैरान रह गया

क्यूँकी इस वक्त मे उसी गोदाम में था जहां कल रात मैंने उन असुरों को मारा था और अभी मे ये सब सोच रहा था कि तभी वो हंसने की आवाज मुझे फिर से सुनायी देने लगी और जब मेंने उस आवाज का पीछा किया तो वो आवाज उस जगह से आ रही थी जहां पर वो पांच सिंघासन थे

और जब मे उन सिंघासन के नजदीक पहुंचा तो कल के जैसे ही मेरी सासें अटकने लगी ऐसा लगने लगा कि कोई महाशक्ति मेरे आसपास है और जब मेंने आसपास देखा तब मेरा ध्यान उन पांचो सिंघासनों पर गया जिनके ठीक उपर इस वक्त काले रंग के 5 गोले बनने लगे थे

और धीरे-धीरे उन पांचो गोलों ने अपने ऊर्जा तरंगो को बढ़ाना शुरू कर दिया और इससे पहले मे फिर से उन्हें अपने समा लेता उससे पहले ही वो पांचो गोले एक-एक करके फट गए और उस मेसे 5 महाकाय असुरों की परछाई निकलने लगी और देखते ही देखते वो परछाई सची के 5 महाकाय असुरों मे बदल गई

जिन्हें देख कर मुझे बहुत डर भी लग रहा था तो साथ ही मे उनके किसी भी गलत मनसूबे को साकार नहीं होने देने वाला था लेकिन अब सवाल ये उठता है कि मे यहां पर पहुचा कैसे मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी उन मेसे एक असुर ने बोलना शुरू किया

असुर 1 :- तो तुम वो मनुष्य हो जिसने हम पांचों की एकजुट शक्ति को अपने अंदर समा लिया है

में :- तुम क्या बोल रहे हो वो मे नही जानता

असुर 1 :- तुमने कल रात को हम पांचों की शक्तियों को अपने अंदर समाया था हमे वो वापस चाहिए वो असुरों की महान शक्ति है उसे तुम्हारे जैसे आम मनुष्य के पास नहीं रहना चाहिए

मे :- ठीक है ले लो अपनी शक्तियां लेकिन उससे पहले मुझे ये वचन दो की ईन शक्तियों का प्रयोग तुम किसी भी प्रकार के दुष्कर्म के लिए नहीं करोगे

असुर 1 :- ये हमारी शक्तियां है और हमारी मर्जी की हम कैसे इसका इस्तेमाल करते हैं

में :- पता था कि बोलकर कोई भी फायदा नहीं होगा (असुरों से) बाद में बोलना मत मेंने मौका नहीं दिया

इतना बोलकर मेंने अपनी आंखों को बंद करके अपनी तलवार का आह्वान किया जिससे अगले ही पल मेरे हाथों में मेरी तलवार आ गई थी जिसे देखकर वो हसने लगा

असुर :- चलो अच्छा है कि तुम्हारे अंदर हिम्मत तो है लेकिन सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा अगर तुम्हें पूरी तरह से हमारी शक्तियां चाहिए तो हम पांचो को हराकर उस सिंघासन पर बैठना होगा

इतना बोलकर उसने हवा में उड़ रहे एक सिंघासन की तरफ इशारा किया जिसे देखकर मेरी पकड़ तलवार पर कस गई

मे (उन पांचो को घूरते हुए) :- अकेले आओगे या सूअर की तरह झुंड में

तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद कर के रखा था उसी गुफा में आज फिर से वो तीनों असुर सेनापति मौजूद थे और वो तीनों अपने जादुई चाबुक से लगातार वहाँ क़ैद सभी कैदियों पर वार कर रहे थे

तो वही दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ये सब देखकर गुस्से मे चिल्ला रहे थे उन पर भी चाबुक बरसाए जा रहे थे लेकिन उन्हें शायद सबसे ज्यादा पीड़ा उन बेकसूर लोगों की चीखें सुनकर हो रही थी अभीं उन सबकी चीखें वहाँ के वातावरण में गूँज रही थी कि

तभी वहां पर कुछ और आवाज भी आने लगी जैसे कोई भोंपू बजा रहा हो जिसकी आवाज सुनकर उन तीनों के ही चेहरे का रंग उड़ गया और उन्होंने तुरंत ही सभी चाबुक को रोक दिया और अपनी आखें बंद कर दी

और जैसे ही उन्होंने आखें बंद की तो उस जगह पर एक काली गेंद उड़ते हुए आकर मायासुर के हाथों में आ गई और जैसे ही उन तीनों ने आखें खोली तो उस गेंद से कुछ शब्द हवा मे उड़ते हुए एक संदेश तैयार करने लगे

संदेश :- ये सब तमाशा छोडो हमे सप्तअस्त्रों के धारकों की जानकारी मिल गई है सब कुछ इस गेंद मे तुम्हें मिल जाएगा अब जल्दी से युद्ध की तैयारी करो इससे पहले पुण्य पक्ष फिर एक बार उन्हें किसी दूसरी जगह पर छुपा दे

जैसे ही वो शब्द गायब हुए वैसे ही उस गेंद से एक रोशनी निकल कर मायासुर के दिमाग में घुस गई जिसके बाद उस पूरे जगह पर मायासुर की हंसी ही गूँज रही थी जैसे उसे कोई ख़ज़ाना मिल गया हो

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Bahot bariya update tha bhai maja aa gaya. Next update ka intajaar rahegaa bhai👍👍👍👍👍👍👌👌👌👌👌👌👌👌
 

dhparikh

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इस वक़्त उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद करके रखा गया था आज उसी गुफा में एक बार फिर से शांति छायी हुई थी लेकिन ये शांति ज्यादा देर तक टिक नहीं सकीं क्यूँकी उस शांति को चीरते हुए किसी के हंसने की आवाज सुनाई देने लगी थी और यह आवाज़ किसी और की नहीं ब्लकि दमयन्ती के हंसने की थी

दमयन्ती :- शुभारंभ हो गया है उन सभी के अंत का मेरे बेटे की शक्तियां जागृत हो रही है और जब उसे याद आएगा तो वो क्षण उन सबके लिए इतना दर्दनाक होगा कि वो सब दया की भीख मांगेंगे लेकिन वो किसी पर दया नहीं करेगा अब शुरूवात है हमारे प्रतिशोध की हमारे शत्रुओं के अंत की

उसके इतना बोलते ही उसके साथ साथ उस गुफा में कैद हर एक कैद खाने से हसने की आवाज सुनाई देने लगी तो वही दूसरी तरफ मेंने प्रिया को अपने जीवन के वो सभी राज बता दिए थे जिनसे उसका जीवन पूरी तरह से बदल जाने वाली थी जिसे प्रिया और उसके परिवार ने भी अपना लिए थे

और जब हम दोनों कमरे में अकेले थे तब मेंने उसे अपने शांति के बारे में भी बता दिया था और इस बात को जान कर वो ज्यादा खुश नहीं थी लेकिन जब उसने शांति के दृष्टिकोण से देखा तो उसने हम दोनों के रिश्ते को भी अपना लिया था ऐसे ही कब रात हो गई हमे भी पता नहीं चला अभीं प्रिया दवाइयों के वजह से सोई हुई थी उसके सोने के बाद मेंने सबको घर भेज दिया आराम करने


और सबके जाने के बाद मे उसके बगल में बैठ कर उसे ही देख रहा था सोते हुए वो कितनी खूबसूरत दिख रही थी कि क्या ही बोलू उसके बारे में ऐसा लग रहा था कि पूरी दुनिया की मासूमियत उसके ही चेहरे पर आ गई थी और इसी खूबसूरती मे मैं कहीं खो गया था

और कब मेरे होंठ उसके गालों पर जा लगे मुझे भी पता नहीं चला और इस चुंबन के बाद जब मेंने उसकी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर एक मंद मुस्कान छा गई है शायद नींद में भी हमारे बारे में ही सोच रही थी ऐसे ही कुछ पल उसे घूरते हुए कब मुझे भी आंख लग गई मुझे भी पता नहीं चला

जैसे ही मेरी आँख लगी वैसे ही मेरे कानों में किसी के हसने की आवाज सुनाई देने लगी जिससे तुरंत ही मेरी आँख खुल गई और जब मेंने आसपास का वातावरण देखा तो मे हैरान रह गया

क्यूँकी इस वक्त मे उसी गोदाम में था जहां कल रात मैंने उन असुरों को मारा था और अभी मे ये सब सोच रहा था कि तभी वो हंसने की आवाज मुझे फिर से सुनायी देने लगी और जब मेंने उस आवाज का पीछा किया तो वो आवाज उस जगह से आ रही थी जहां पर वो पांच सिंघासन थे

और जब मे उन सिंघासन के नजदीक पहुंचा तो कल के जैसे ही मेरी सासें अटकने लगी ऐसा लगने लगा कि कोई महाशक्ति मेरे आसपास है और जब मेंने आसपास देखा तब मेरा ध्यान उन पांचो सिंघासनों पर गया जिनके ठीक उपर इस वक्त काले रंग के 5 गोले बनने लगे थे

और धीरे-धीरे उन पांचो गोलों ने अपने ऊर्जा तरंगो को बढ़ाना शुरू कर दिया और इससे पहले मे फिर से उन्हें अपने समा लेता उससे पहले ही वो पांचो गोले एक-एक करके फट गए और उस मेसे 5 महाकाय असुरों की परछाई निकलने लगी और देखते ही देखते वो परछाई सची के 5 महाकाय असुरों मे बदल गई


जिन्हें देख कर मुझे बहुत डर भी लग रहा था तो साथ ही मे उनके किसी भी गलत मनसूबे को साकार नहीं होने देने वाला था लेकिन अब सवाल ये उठता है कि मे यहां पर पहुचा कैसे मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी उन मेसे एक असुर ने बोलना शुरू किया

असुर 1 :- तो तुम वो मनुष्य हो जिसने हम पांचों की एकजुट शक्ति को अपने अंदर समा लिया है

में :- तुम क्या बोल रहे हो वो मे नही जानता

असुर 1 :- तुमने कल रात को हम पांचों की शक्तियों को अपने अंदर समाया था हमे वो वापस चाहिए वो असुरों की महान शक्ति है उसे तुम्हारे जैसे आम मनुष्य के पास नहीं रहना चाहिए

मे :- ठीक है ले लो अपनी शक्तियां लेकिन उससे पहले मुझे ये वचन दो की ईन शक्तियों का प्रयोग तुम किसी भी प्रकार के दुष्कर्म के लिए नहीं करोगे

असुर 1 :- ये हमारी शक्तियां है और हमारी मर्जी की हम कैसे इसका इस्तेमाल करते हैं

में :- पता था कि बोलकर कोई भी फायदा नहीं होगा (असुरों से) बाद में बोलना मत मेंने मौका नहीं दिया

इतना बोलकर मेंने अपनी आंखों को बंद करके अपनी तलवार का आह्वान किया जिससे अगले ही पल मेरे हाथों में मेरी तलवार आ गई थी जिसे देखकर वो हसने लगा

असुर :- चलो अच्छा है कि तुम्हारे अंदर हिम्मत तो है लेकिन सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा अगर तुम्हें पूरी तरह से हमारी शक्तियां चाहिए तो हम पांचो को हराकर उस सिंघासन पर बैठना होगा

इतना बोलकर उसने हवा में उड़ रहे एक सिंघासन की तरफ इशारा किया जिसे देखकर मेरी पकड़ तलवार पर कस गई

मे (उन पांचो को घूरते हुए) :- अकेले आओगे या सूअर की तरह झुंड में

तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद कर के रखा था उसी गुफा में आज फिर से वो तीनों असुर सेनापति मौजूद थे और वो तीनों अपने जादुई चाबुक से लगातार वहाँ क़ैद सभी कैदियों पर वार कर रहे थे

तो वही दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ये सब देखकर गुस्से मे चिल्ला रहे थे उन पर भी चाबुक बरसाए जा रहे थे लेकिन उन्हें शायद सबसे ज्यादा पीड़ा उन बेकसूर लोगों की चीखें सुनकर हो रही थी अभीं उन सबकी चीखें वहाँ के वातावरण में गूँज रही थी कि

तभी वहां पर कुछ और आवाज भी आने लगी जैसे कोई भोंपू बजा रहा हो जिसकी आवाज सुनकर उन तीनों के ही चेहरे का रंग उड़ गया और उन्होंने तुरंत ही सभी चाबुक को रोक दिया और अपनी आखें बंद कर दी

और जैसे ही उन्होंने आखें बंद की तो उस जगह पर एक काली गेंद उड़ते हुए आकर मायासुर के हाथों में आ गई और जैसे ही उन तीनों ने आखें खोली तो उस गेंद से कुछ शब्द हवा मे उड़ते हुए एक संदेश तैयार करने लगे

संदेश :- ये सब तमाशा छोडो हमे सप्तअस्त्रों के धारकों की जानकारी मिल गई है सब कुछ इस गेंद मे तुम्हें मिल जाएगा अब जल्दी से युद्ध की तैयारी करो इससे पहले पुण्य पक्ष फिर एक बार उन्हें किसी दूसरी जगह पर छुपा दे

जैसे ही वो शब्द गायब हुए वैसे ही उस गेंद से एक रोशनी निकल कर मायासुर के दिमाग में घुस गई जिसके बाद उस पूरे जगह पर मायासुर की हंसी ही गूँज रही थी जैसे उसे कोई ख़ज़ाना मिल गया हो

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Nice update....
 

parkas

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अध्याय सतरा

इस वक़्त उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद करके रखा गया था आज उसी गुफा में एक बार फिर से शांति छायी हुई थी लेकिन ये शांति ज्यादा देर तक टिक नहीं सकीं क्यूँकी उस शांति को चीरते हुए किसी के हंसने की आवाज सुनाई देने लगी थी और यह आवाज़ किसी और की नहीं ब्लकि दमयन्ती के हंसने की थी

दमयन्ती :- शुभारंभ हो गया है उन सभी के अंत का मेरे बेटे की शक्तियां जागृत हो रही है और जब उसे याद आएगा तो वो क्षण उन सबके लिए इतना दर्दनाक होगा कि वो सब दया की भीख मांगेंगे लेकिन वो किसी पर दया नहीं करेगा अब शुरूवात है हमारे प्रतिशोध की हमारे शत्रुओं के अंत की

उसके इतना बोलते ही उसके साथ साथ उस गुफा में कैद हर एक कैद खाने से हसने की आवाज सुनाई देने लगी तो वही दूसरी तरफ मेंने प्रिया को अपने जीवन के वो सभी राज बता दिए थे जिनसे उसका जीवन पूरी तरह से बदल जाने वाली थी जिसे प्रिया और उसके परिवार ने भी अपना लिए थे

और जब हम दोनों कमरे में अकेले थे तब मेंने उसे अपने शांति के बारे में भी बता दिया था और इस बात को जान कर वो ज्यादा खुश नहीं थी लेकिन जब उसने शांति के दृष्टिकोण से देखा तो उसने हम दोनों के रिश्ते को भी अपना लिया था ऐसे ही कब रात हो गई हमे भी पता नहीं चला अभीं प्रिया दवाइयों के वजह से सोई हुई थी उसके सोने के बाद मेंने सबको घर भेज दिया आराम करने


और सबके जाने के बाद मे उसके बगल में बैठ कर उसे ही देख रहा था सोते हुए वो कितनी खूबसूरत दिख रही थी कि क्या ही बोलू उसके बारे में ऐसा लग रहा था कि पूरी दुनिया की मासूमियत उसके ही चेहरे पर आ गई थी और इसी खूबसूरती मे मैं कहीं खो गया था

और कब मेरे होंठ उसके गालों पर जा लगे मुझे भी पता नहीं चला और इस चुंबन के बाद जब मेंने उसकी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर एक मंद मुस्कान छा गई है शायद नींद में भी हमारे बारे में ही सोच रही थी ऐसे ही कुछ पल उसे घूरते हुए कब मुझे भी आंख लग गई मुझे भी पता नहीं चला

जैसे ही मेरी आँख लगी वैसे ही मेरे कानों में किसी के हसने की आवाज सुनाई देने लगी जिससे तुरंत ही मेरी आँख खुल गई और जब मेंने आसपास का वातावरण देखा तो मे हैरान रह गया

क्यूँकी इस वक्त मे उसी गोदाम में था जहां कल रात मैंने उन असुरों को मारा था और अभी मे ये सब सोच रहा था कि तभी वो हंसने की आवाज मुझे फिर से सुनायी देने लगी और जब मेंने उस आवाज का पीछा किया तो वो आवाज उस जगह से आ रही थी जहां पर वो पांच सिंघासन थे

और जब मे उन सिंघासन के नजदीक पहुंचा तो कल के जैसे ही मेरी सासें अटकने लगी ऐसा लगने लगा कि कोई महाशक्ति मेरे आसपास है और जब मेंने आसपास देखा तब मेरा ध्यान उन पांचो सिंघासनों पर गया जिनके ठीक उपर इस वक्त काले रंग के 5 गोले बनने लगे थे

और धीरे-धीरे उन पांचो गोलों ने अपने ऊर्जा तरंगो को बढ़ाना शुरू कर दिया और इससे पहले मे फिर से उन्हें अपने समा लेता उससे पहले ही वो पांचो गोले एक-एक करके फट गए और उस मेसे 5 महाकाय असुरों की परछाई निकलने लगी और देखते ही देखते वो परछाई सची के 5 महाकाय असुरों मे बदल गई


जिन्हें देख कर मुझे बहुत डर भी लग रहा था तो साथ ही मे उनके किसी भी गलत मनसूबे को साकार नहीं होने देने वाला था लेकिन अब सवाल ये उठता है कि मे यहां पर पहुचा कैसे मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी उन मेसे एक असुर ने बोलना शुरू किया

असुर 1 :- तो तुम वो मनुष्य हो जिसने हम पांचों की एकजुट शक्ति को अपने अंदर समा लिया है

में :- तुम क्या बोल रहे हो वो मे नही जानता

असुर 1 :- तुमने कल रात को हम पांचों की शक्तियों को अपने अंदर समाया था हमे वो वापस चाहिए वो असुरों की महान शक्ति है उसे तुम्हारे जैसे आम मनुष्य के पास नहीं रहना चाहिए

मे :- ठीक है ले लो अपनी शक्तियां लेकिन उससे पहले मुझे ये वचन दो की ईन शक्तियों का प्रयोग तुम किसी भी प्रकार के दुष्कर्म के लिए नहीं करोगे

असुर 1 :- ये हमारी शक्तियां है और हमारी मर्जी की हम कैसे इसका इस्तेमाल करते हैं

में :- पता था कि बोलकर कोई भी फायदा नहीं होगा (असुरों से) बाद में बोलना मत मेंने मौका नहीं दिया

इतना बोलकर मेंने अपनी आंखों को बंद करके अपनी तलवार का आह्वान किया जिससे अगले ही पल मेरे हाथों में मेरी तलवार आ गई थी जिसे देखकर वो हसने लगा

असुर :- चलो अच्छा है कि तुम्हारे अंदर हिम्मत तो है लेकिन सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा अगर तुम्हें पूरी तरह से हमारी शक्तियां चाहिए तो हम पांचो को हराकर उस सिंघासन पर बैठना होगा

इतना बोलकर उसने हवा में उड़ रहे एक सिंघासन की तरफ इशारा किया जिसे देखकर मेरी पकड़ तलवार पर कस गई

मे (उन पांचो को घूरते हुए) :- अकेले आओगे या सूअर की तरह झुंड में

तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद कर के रखा था उसी गुफा में आज फिर से वो तीनों असुर सेनापति मौजूद थे और वो तीनों अपने जादुई चाबुक से लगातार वहाँ क़ैद सभी कैदियों पर वार कर रहे थे

तो वही दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ये सब देखकर गुस्से मे चिल्ला रहे थे उन पर भी चाबुक बरसाए जा रहे थे लेकिन उन्हें शायद सबसे ज्यादा पीड़ा उन बेकसूर लोगों की चीखें सुनकर हो रही थी अभीं उन सबकी चीखें वहाँ के वातावरण में गूँज रही थी कि

तभी वहां पर कुछ और आवाज भी आने लगी जैसे कोई भोंपू बजा रहा हो जिसकी आवाज सुनकर उन तीनों के ही चेहरे का रंग उड़ गया और उन्होंने तुरंत ही सभी चाबुक को रोक दिया और अपनी आखें बंद कर दी

और जैसे ही उन्होंने आखें बंद की तो उस जगह पर एक काली गेंद उड़ते हुए आकर मायासुर के हाथों में आ गई और जैसे ही उन तीनों ने आखें खोली तो उस गेंद से कुछ शब्द हवा मे उड़ते हुए एक संदेश तैयार करने लगे

संदेश :- ये सब तमाशा छोडो हमे सप्तअस्त्रों के धारकों की जानकारी मिल गई है सब कुछ इस गेंद मे तुम्हें मिल जाएगा अब जल्दी से युद्ध की तैयारी करो इससे पहले पुण्य पक्ष फिर एक बार उन्हें किसी दूसरी जगह पर छुपा दे

जैसे ही वो शब्द गायब हुए वैसे ही उस गेंद से एक रोशनी निकल कर मायासुर के दिमाग में घुस गई जिसके बाद उस पूरे जगह पर मायासुर की हंसी ही गूँज रही थी जैसे उसे कोई ख़ज़ाना मिल गया हो

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आज के लिए इतना ही

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Bahut hi shaandar update diya hai VAJRADHIKARI bhai....
Nice and lovely update.....
 

VAJRADHIKARI

Hello dosto
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Mega update
अध्याय अठारह

इस वक्त मे उसी गोदाम में मौजूद था और मेरे सामने वो पांचो असुर भी थे जिन मेसे एक तो मेरे सामने खड़ा था और बाकी चारों अपने अपने सिंहासन पर बैठे हुए थे अभी मे और वो असुर बात ही कर रहे थे कि

तभी हमारे उपर एक सिंहासन तैयार होने लगा जो बाकी पांचो असुरों के सिंहासन से ज्यादा विशाल और भव्य था जिसे देख कर वो असुर मेरे तरफ देखते हुए बोला

असुर :- चलो अच्छा है कि तुम्हारे अंदर हिम्मत तो है लेकिन सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा अगर तुम्हें पूरी तरह से हमारी शक्तियां चाहिए तो हम पांचो को हराकर उस सिंघासन पर बैठना होगा

इतना बोलकर उसने हवा में उड़ रहे उस भव्य सिंघासन की तरफ इशारा किया जिसे देखकर मेरी पकड़ तलवार पर कस गई

मे (उन पांचो को घूरते हुए) :- अकेले आओगे या सूअर की तरह झुंड में

मेरी बात सुनकर उस असुर के चेहरे पर मुस्कान आ गई जिसके बाद वो भी जाकर अपने असुर भाइयों के साथ सिंहासन पर बैठ गया और उसने सबसे कोने में बैठे हुए असुर की तरफ इशारा किया

जिससे वो असुर अपने जगह से उठ कर मेरे पास आने लगा और जैसे ही वो मेरे नजदीक पहुचा तो वैसे ही उसके हाथ में एक तलवार आ गई और जैसे ही उसके हाथों में तलवार आयी उसके चलने की स्पीड भी बढ़ गयी और

जैसे ही वो मेरे पास पहुचा उसने अपने तलवार से मुझपर तेजी से वार किया पर वो वार मुझ तक नहीं पहुंच पाता उससे पहले ही मे अपनी जगह से छलांग मार कर बाजू हो गया जिससे उसकी तलवार सीधे जमीन से टकरा गई

लेकिन उसका वार इतना जोरदार था कि जिस जगह पर उसकी तलवार टकराई थी उस जगह पे पूरी तबाही मच गई थी वहां की जमीन पूरी तरह से तबाह हो गई थी जिसके बाद उसने तुरंत दूसरा वार मुझ पर करने का प्रयास किया

लेकिन पिछले वार की वजह से ही उसकी तलवार जमीन मे फस गई थी इसी बात का फायदा उठाकर मेने अपने तलवार से उसकी गर्दन पर वार किया लेकिन उसकी चमड़ी इतनी सख्त थी कि मेरी तलवार उसके खाल से टकरा कर फिसल गई

जैसे कि मेंने किसी चिकने लोहे के टुकड़े पर वार किया है मे उस पर और वार कर पाता उससे पहले ही उसने एक घुसा मेरा सीने पर मारा जिससे मे 5 कदम दूर जाकर गिर गया और इससे पहले कि मे उठ पाता उससे पहले ही असुर ने अपनी तलवार से मुझ पर फिर से वार किया

लेकिन इस बार मेंने भी अपनी तलवार से उस पर वार किया और जब हम दोनों की तलवारें टकरायी तो वहाँ एक ऐसी तरंग निर्माण हुई जिससे हम दोनों के ही हाथ काँप उठे जिससे उस असुर का ध्यान कुछ पल के लिए मेरे से हट गया

कि तभी मेंने एक लात सीधा उसके पेट पर दे मारी जिससे वो भी मेरे तरह 5 कदम दूर जाकर गिर गया और जब वो गिर रहा था कि तभी मेरा ध्यान उसके गले में पहने हुए मोती पर गया जो कि मंद मंद चमक रहा था उसे देखते ही मेरे दिमाग की बत्ती जल उठी

में :- (मन में) अब याद आया महागुरु ने मुझे बताया था कि किसी भी मायावी असुर की शक्तियों का घर उसका शरीर ना हो कर उसकी जीव मनी होती है और उन्हें तबाह कर दिया मतलब उन असुरों को पूरी तरह से कमजोर कर दिया

बस फिर क्या जैसे ही वो असुर उठा मेंने फिर से एक लात दे मारी जिससे वो और दूर जाके गिरा और इसी बीच मेंने अपने इन्द्रियों को पूरी तरह से जागृत करके उस पूरी जगह को देख लिया था

जिससे मुझे बाकी असुरों के जरिए जीव मनी उनके शरीर के किस हिस्से में है ये पता चल गया था और जब मे ये सब देख ही रहा था कि तभी वो असुर मेरे पास आ गया और उसने मुझ पर अपनी तलवार से वार किया लेकिन मेरे इन्द्रियों के वजह से मे बच गया था

और इससे पहले कि वो मुझ पर फिर से वार कर पाता उससे पहले ही मेने अपनी तलवार से उसके गर्दन पर बंधे उस मोती पर वार किया जिससे वो मोती टूट गई और एक तेज रोशनी उस मोती मेसे निकल कर उस सिंघासन मे समा गई

और जैसे ही वो मोती टूटी वैसे ही उस असुर की चीख पूरे वातावरण में गूँज उठीं और इस से पहले वो असुर वहां से भाग कर निकल पाता उससे पहले ही मेने छलांग लगाई और सीधा उसके पैर पर अपने घुटने से वार किया जिससे उसका पैर टूट गया मे चाहता तो उसे मार भी सकता था

लेकिन मुझे असुरों की योजना के बारे में जानकारी हासिल करनी थी जिसके लिए इन्हें जिंदा रहना जरूरी था इसीलिए मेंने इस असुर टांग तोड़ कर उसे अपने जादू से बाँध दिया

मेने अभीं उसे बाँधा ही था कि तभी एक और असुर तेजी से दौड़ता हुआ मेरे पास आने लगा इसकी जीव मनी भी पहले वाले की तरह ही गले में थी इसीलिए इसको आते देखते ही मेने अपने जादू से बीच मे ही एक छोटी चट्टान बना दी

जिससे वो असुर अपना संतुलन खो कर जमीन पर गिर गया और उसके गिरते ही मेंने उसकी मनी को भी तोड़ दिया और उसके मनी के टूटने पर भी वैसा ही हुआ था एक तेज रोशनी मनी से निकल कर सिंघासन मे समा गई थी और फिर मेने इस असुर को भी अपना बंदी बना दिया

ऐसा होते ही बाकी तीनों मेसे 2 असुर दौड़ते हुए मेरे तरफ आने लगे उन दोनों के भी जीव मनी उनके सिर के बीचो बीच थे और जैसे ही वो दोनों मेरे पास पहुंचे वैसे ही मेंने दाएं वाले असुर पर वार किया

लेकिन इससे पहले कि मेरा वार उस तक पहुंच पाता उससे पहले ही बाएँ और के असुर ने मेरे उस वार को बीच में ही रोक दिया और उसी वक़्त दाएँ वाले असुर ने मुझ पर अपने घूसे से वार किया जिससे मे दूर जाकर गिर गया था

और अभी मे उठता उससे पहले ही दोनों ने एक साथ मिलकर मुझ पर वार किया जिससे मैं बच ना सका और सीधा जाके उस गोदाम के दीवार से टकरा गया जिससे मुझे चोटें भी आयी पर मे ने खुद को संभाल लिया था

और इस बार जैसे ही उन्होंने मुझपर वार करने का प्रयास किया तो मे भी तैयार था उनका घुसा मुझको छू भी पाता उससे पहले ही में वहां से हट गया और उनका घुसा दीवार से जा टकराया और इसी बात का फायदा उठाकर

मेंने अपने मन को शांत किया और खुद के दर्द को भुलाकर इनसे निपटने का तरीका सोचने लगा कि तभी मुझे एक तरीका सूझा और अगले ही पल में उस तरीके को इस्तेमाल करते हुए अपनी तलवार से बाएं वाले असुर की तरफ दौड़ पड़ा

और जैसे ही मे उस पर वार करता की पिछले बार की तरह ही दाएं असुर ने उसे रोकने के लिए अपनी तलवार को आगे किया कि तभी मेंने अपने योजना अनुसार अपने वार को तुरंत ही और पहले से भी ज्यादा तेजी से दाएं असुर के जीव मनी के तरफ मोड़ दिया

और इससे पहले वो उस वार से बच पाता मेरी तलवार ने उसके जीव मनी के टुकड़े कर दिए थे और इस वजह से जब उसकी मनी से रोशनी निकली उसके प्रकाश तो दूसरा असुर भी कुछ समय के लिए अंधा हो गया और ठीक उसी वक्त मेंने दूसरे असुर का जीव मनी को भी नष्ट कर दिया

और उन दोनों को भी मेंने बाँध दिया और अब सिर्फ वो एक असुर ही बचा था और उसका जीव मनी उसके हाथ में पहने हुए कड़े मे थी और जब मेंने चारों असुरों को कैद कर के बाजू किया था कि

तभी वो आखिरी असुर भी अपने सिंघासन से उठ गया और फिर उसने मेरे आंखों में देखते हुए अपने जीव मनी लगे हुए कड़े को निकाल कर अपने सिंहासन पर रख दिया जैसे कह रहा हो कि हिम्मत है तो लेके दिखा

इसके बाद वो निहत्था ही मेरे तरफ आने लगा जिसे देखकर मेंने भी अपनी तलवार को ग़ायब कर दिया और उसके तरफ बढ़ने लगा और जैसे ही हम दोनों एक दूसरे के पास पहुंचे तो मेंने तुरंत ही उसपर अपने घुसे से वार किया

लेकिन उसने बड़ी ही तेजी से मेरे हाथ को हवा मे ही पकड़ लिया और फिर उसने मुझ पर अपने घुसे से वार किया जिससे मे बड़ी तेजी से नीचे झुक कर बच गया और फिर हम दोनों ऐसे ही कुछ देर तक एक दूसरे को मारते रहे ना वो हार रहा था ना मे हार मानने को तैयार था

मे जितने भी तेजी से उसपर वार करता वो उतने ही तेजी से उस वार को रोक देता ऐसे ही कुछ देर हमारा मुकाबला बराबरी पर चलता रहा की तभी मुझे उसकी गति कम होते महसूस और उसी एक पल में मेंने अपने पूरी ताकत को एक किया और उसके सीने पर एक जोरदार घुसा जड़ दिया

जिससे वो जाकर सीधा वहाँ के दीवारों से टकरा गया और कुछ पलों के लिए बेहोश हो गया और इसी बीच मेने बिना वक़्त गंवाए उस असुर के कड़े को अपने कब्जे में ले लिया और फिर उसी असुर के आँखों में देखते हुए मेंने उस कड़े मे लगे जीव मनी को तोड़ दिया जिससे वो आखिरी असुर भी अपने साथियो की तरह अधमरा हो गया

और अब बचा था केवल वो सिंहासन

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आज के लिए इतना ही

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Sushilnkt

Well-Known Member
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आज से आगाज कर दिया है आपने

तो इसको कुछ 6000 वर्ड तक लेकर जाए


ये मेरा मत है बाकी तो आपकी लेखनी ही चलेगी
 
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