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Bhot hi paara updateअध्याय सतरा
इस वक़्त उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद करके रखा गया था आज उसी गुफा में एक बार फिर से शांति छायी हुई थी लेकिन ये शांति ज्यादा देर तक टिक नहीं सकीं क्यूँकी उस शांति को चीरते हुए किसी के हंसने की आवाज सुनाई देने लगी थी और यह आवाज़ किसी और की नहीं ब्लकि दमयन्ती के हंसने की थी
दमयन्ती :- शुभारंभ हो गया है उन सभी के अंत का मेरे बेटे की शक्तियां जागृत हो रही है और जब उसे याद आएगा तो वो क्षण उन सबके लिए इतना दर्दनाक होगा कि वो सब दया की भीख मांगेंगे लेकिन वो किसी पर दया नहीं करेगा अब शुरूवात है हमारे प्रतिशोध की हमारे शत्रुओं के अंत की
उसके इतना बोलते ही उसके साथ साथ उस गुफा में कैद हर एक कैद खाने से हसने की आवाज सुनाई देने लगी तो वही दूसरी तरफ मेंने प्रिया को अपने जीवन के वो सभी राज बता दिए थे जिनसे उसका जीवन पूरी तरह से बदल जाने वाली थी जिसे प्रिया और उसके परिवार ने भी अपना लिए थे
और जब हम दोनों कमरे में अकेले थे तब मेंने उसे अपने शांति के बारे में भी बता दिया था और इस बात को जान कर वो ज्यादा खुश नहीं थी लेकिन जब उसने शांति के दृष्टिकोण से देखा तो उसने हम दोनों के रिश्ते को भी अपना लिया था ऐसे ही कब रात हो गई हमे भी पता नहीं चला अभीं प्रिया दवाइयों के वजह से सोई हुई थी उसके सोने के बाद मेंने सबको घर भेज दिया आराम करने
और सबके जाने के बाद मे उसके बगल में बैठ कर उसे ही देख रहा था सोते हुए वो कितनी खूबसूरत दिख रही थी कि क्या ही बोलू उसके बारे में ऐसा लग रहा था कि पूरी दुनिया की मासूमियत उसके ही चेहरे पर आ गई थी और इसी खूबसूरती मे मैं कहीं खो गया था
और कब मेरे होंठ उसके गालों पर जा लगे मुझे भी पता नहीं चला और इस चुंबन के बाद जब मेंने उसकी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर एक मंद मुस्कान छा गई है शायद नींद में भी हमारे बारे में ही सोच रही थी ऐसे ही कुछ पल उसे घूरते हुए कब मुझे भी आंख लग गई मुझे भी पता नहीं चला
जैसे ही मेरी आँख लगी वैसे ही मेरे कानों में किसी के हसने की आवाज सुनाई देने लगी जिससे तुरंत ही मेरी आँख खुल गई और जब मेंने आसपास का वातावरण देखा तो मे हैरान रह गया
क्यूँकी इस वक्त मे उसी गोदाम में था जहां कल रात मैंने उन असुरों को मारा था और अभी मे ये सब सोच रहा था कि तभी वो हंसने की आवाज मुझे फिर से सुनायी देने लगी और जब मेंने उस आवाज का पीछा किया तो वो आवाज उस जगह से आ रही थी जहां पर वो पांच सिंघासन थे
और जब मे उन सिंघासन के नजदीक पहुंचा तो कल के जैसे ही मेरी सासें अटकने लगी ऐसा लगने लगा कि कोई महाशक्ति मेरे आसपास है और जब मेंने आसपास देखा तब मेरा ध्यान उन पांचो सिंघासनों पर गया जिनके ठीक उपर इस वक्त काले रंग के 5 गोले बनने लगे थे
और धीरे-धीरे उन पांचो गोलों ने अपने ऊर्जा तरंगो को बढ़ाना शुरू कर दिया और इससे पहले मे फिर से उन्हें अपने समा लेता उससे पहले ही वो पांचो गोले एक-एक करके फट गए और उस मेसे 5 महाकाय असुरों की परछाई निकलने लगी और देखते ही देखते वो परछाई सची के 5 महाकाय असुरों मे बदल गई
जिन्हें देख कर मुझे बहुत डर भी लग रहा था तो साथ ही मे उनके किसी भी गलत मनसूबे को साकार नहीं होने देने वाला था लेकिन अब सवाल ये उठता है कि मे यहां पर पहुचा कैसे मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी उन मेसे एक असुर ने बोलना शुरू किया
असुर 1 :- तो तुम वो मनुष्य हो जिसने हम पांचों की एकजुट शक्ति को अपने अंदर समा लिया है
में :- तुम क्या बोल रहे हो वो मे नही जानता
असुर 1 :- तुमने कल रात को हम पांचों की शक्तियों को अपने अंदर समाया था हमे वो वापस चाहिए वो असुरों की महान शक्ति है उसे तुम्हारे जैसे आम मनुष्य के पास नहीं रहना चाहिए
मे :- ठीक है ले लो अपनी शक्तियां लेकिन उससे पहले मुझे ये वचन दो की ईन शक्तियों का प्रयोग तुम किसी भी प्रकार के दुष्कर्म के लिए नहीं करोगे
असुर 1 :- ये हमारी शक्तियां है और हमारी मर्जी की हम कैसे इसका इस्तेमाल करते हैं
में :- पता था कि बोलकर कोई भी फायदा नहीं होगा (असुरों से) बाद में बोलना मत मेंने मौका नहीं दिया
इतना बोलकर मेंने अपनी आंखों को बंद करके अपनी तलवार का आह्वान किया जिससे अगले ही पल मेरे हाथों में मेरी तलवार आ गई थी जिसे देखकर वो हसने लगा
असुर :- चलो अच्छा है कि तुम्हारे अंदर हिम्मत तो है लेकिन सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा अगर तुम्हें पूरी तरह से हमारी शक्तियां चाहिए तो हम पांचो को हराकर उस सिंघासन पर बैठना होगा
इतना बोलकर उसने हवा में उड़ रहे एक सिंघासन की तरफ इशारा किया जिसे देखकर मेरी पकड़ तलवार पर कस गई
मे (उन पांचो को घूरते हुए) :- अकेले आओगे या सूअर की तरह झुंड में
तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद कर के रखा था उसी गुफा में आज फिर से वो तीनों असुर सेनापति मौजूद थे और वो तीनों अपने जादुई चाबुक से लगातार वहाँ क़ैद सभी कैदियों पर वार कर रहे थे
तो वही दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ये सब देखकर गुस्से मे चिल्ला रहे थे उन पर भी चाबुक बरसाए जा रहे थे लेकिन उन्हें शायद सबसे ज्यादा पीड़ा उन बेकसूर लोगों की चीखें सुनकर हो रही थी अभीं उन सबकी चीखें वहाँ के वातावरण में गूँज रही थी कि
तभी वहां पर कुछ और आवाज भी आने लगी जैसे कोई भोंपू बजा रहा हो जिसकी आवाज सुनकर उन तीनों के ही चेहरे का रंग उड़ गया और उन्होंने तुरंत ही सभी चाबुक को रोक दिया और अपनी आखें बंद कर दी
और जैसे ही उन्होंने आखें बंद की तो उस जगह पर एक काली गेंद उड़ते हुए आकर मायासुर के हाथों में आ गई और जैसे ही उन तीनों ने आखें खोली तो उस गेंद से कुछ शब्द हवा मे उड़ते हुए एक संदेश तैयार करने लगे
संदेश :- ये सब तमाशा छोडो हमे सप्तअस्त्रों के धारकों की जानकारी मिल गई है सब कुछ इस गेंद मे तुम्हें मिल जाएगा अब जल्दी से युद्ध की तैयारी करो इससे पहले पुण्य पक्ष फिर एक बार उन्हें किसी दूसरी जगह पर छुपा दे
जैसे ही वो शब्द गायब हुए वैसे ही उस गेंद से एक रोशनी निकल कर मायासुर के दिमाग में घुस गई जिसके बाद उस पूरे जगह पर मायासुर की हंसी ही गूँज रही थी जैसे उसे कोई ख़ज़ाना मिल गया हो
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आज के लिए इतना ही
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Nice update....अध्याय सतरा
इस वक़्त उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद करके रखा गया था आज उसी गुफा में एक बार फिर से शांति छायी हुई थी लेकिन ये शांति ज्यादा देर तक टिक नहीं सकीं क्यूँकी उस शांति को चीरते हुए किसी के हंसने की आवाज सुनाई देने लगी थी और यह आवाज़ किसी और की नहीं ब्लकि दमयन्ती के हंसने की थी
दमयन्ती :- शुभारंभ हो गया है उन सभी के अंत का मेरे बेटे की शक्तियां जागृत हो रही है और जब उसे याद आएगा तो वो क्षण उन सबके लिए इतना दर्दनाक होगा कि वो सब दया की भीख मांगेंगे लेकिन वो किसी पर दया नहीं करेगा अब शुरूवात है हमारे प्रतिशोध की हमारे शत्रुओं के अंत की
उसके इतना बोलते ही उसके साथ साथ उस गुफा में कैद हर एक कैद खाने से हसने की आवाज सुनाई देने लगी तो वही दूसरी तरफ मेंने प्रिया को अपने जीवन के वो सभी राज बता दिए थे जिनसे उसका जीवन पूरी तरह से बदल जाने वाली थी जिसे प्रिया और उसके परिवार ने भी अपना लिए थे
और जब हम दोनों कमरे में अकेले थे तब मेंने उसे अपने शांति के बारे में भी बता दिया था और इस बात को जान कर वो ज्यादा खुश नहीं थी लेकिन जब उसने शांति के दृष्टिकोण से देखा तो उसने हम दोनों के रिश्ते को भी अपना लिया था ऐसे ही कब रात हो गई हमे भी पता नहीं चला अभीं प्रिया दवाइयों के वजह से सोई हुई थी उसके सोने के बाद मेंने सबको घर भेज दिया आराम करने
और सबके जाने के बाद मे उसके बगल में बैठ कर उसे ही देख रहा था सोते हुए वो कितनी खूबसूरत दिख रही थी कि क्या ही बोलू उसके बारे में ऐसा लग रहा था कि पूरी दुनिया की मासूमियत उसके ही चेहरे पर आ गई थी और इसी खूबसूरती मे मैं कहीं खो गया था
और कब मेरे होंठ उसके गालों पर जा लगे मुझे भी पता नहीं चला और इस चुंबन के बाद जब मेंने उसकी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर एक मंद मुस्कान छा गई है शायद नींद में भी हमारे बारे में ही सोच रही थी ऐसे ही कुछ पल उसे घूरते हुए कब मुझे भी आंख लग गई मुझे भी पता नहीं चला
जैसे ही मेरी आँख लगी वैसे ही मेरे कानों में किसी के हसने की आवाज सुनाई देने लगी जिससे तुरंत ही मेरी आँख खुल गई और जब मेंने आसपास का वातावरण देखा तो मे हैरान रह गया
क्यूँकी इस वक्त मे उसी गोदाम में था जहां कल रात मैंने उन असुरों को मारा था और अभी मे ये सब सोच रहा था कि तभी वो हंसने की आवाज मुझे फिर से सुनायी देने लगी और जब मेंने उस आवाज का पीछा किया तो वो आवाज उस जगह से आ रही थी जहां पर वो पांच सिंघासन थे
और जब मे उन सिंघासन के नजदीक पहुंचा तो कल के जैसे ही मेरी सासें अटकने लगी ऐसा लगने लगा कि कोई महाशक्ति मेरे आसपास है और जब मेंने आसपास देखा तब मेरा ध्यान उन पांचो सिंघासनों पर गया जिनके ठीक उपर इस वक्त काले रंग के 5 गोले बनने लगे थे
और धीरे-धीरे उन पांचो गोलों ने अपने ऊर्जा तरंगो को बढ़ाना शुरू कर दिया और इससे पहले मे फिर से उन्हें अपने समा लेता उससे पहले ही वो पांचो गोले एक-एक करके फट गए और उस मेसे 5 महाकाय असुरों की परछाई निकलने लगी और देखते ही देखते वो परछाई सची के 5 महाकाय असुरों मे बदल गई
जिन्हें देख कर मुझे बहुत डर भी लग रहा था तो साथ ही मे उनके किसी भी गलत मनसूबे को साकार नहीं होने देने वाला था लेकिन अब सवाल ये उठता है कि मे यहां पर पहुचा कैसे मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी उन मेसे एक असुर ने बोलना शुरू किया
असुर 1 :- तो तुम वो मनुष्य हो जिसने हम पांचों की एकजुट शक्ति को अपने अंदर समा लिया है
में :- तुम क्या बोल रहे हो वो मे नही जानता
असुर 1 :- तुमने कल रात को हम पांचों की शक्तियों को अपने अंदर समाया था हमे वो वापस चाहिए वो असुरों की महान शक्ति है उसे तुम्हारे जैसे आम मनुष्य के पास नहीं रहना चाहिए
मे :- ठीक है ले लो अपनी शक्तियां लेकिन उससे पहले मुझे ये वचन दो की ईन शक्तियों का प्रयोग तुम किसी भी प्रकार के दुष्कर्म के लिए नहीं करोगे
असुर 1 :- ये हमारी शक्तियां है और हमारी मर्जी की हम कैसे इसका इस्तेमाल करते हैं
में :- पता था कि बोलकर कोई भी फायदा नहीं होगा (असुरों से) बाद में बोलना मत मेंने मौका नहीं दिया
इतना बोलकर मेंने अपनी आंखों को बंद करके अपनी तलवार का आह्वान किया जिससे अगले ही पल मेरे हाथों में मेरी तलवार आ गई थी जिसे देखकर वो हसने लगा
असुर :- चलो अच्छा है कि तुम्हारे अंदर हिम्मत तो है लेकिन सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा अगर तुम्हें पूरी तरह से हमारी शक्तियां चाहिए तो हम पांचो को हराकर उस सिंघासन पर बैठना होगा
इतना बोलकर उसने हवा में उड़ रहे एक सिंघासन की तरफ इशारा किया जिसे देखकर मेरी पकड़ तलवार पर कस गई
मे (उन पांचो को घूरते हुए) :- अकेले आओगे या सूअर की तरह झुंड में
तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद कर के रखा था उसी गुफा में आज फिर से वो तीनों असुर सेनापति मौजूद थे और वो तीनों अपने जादुई चाबुक से लगातार वहाँ क़ैद सभी कैदियों पर वार कर रहे थे
तो वही दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ये सब देखकर गुस्से मे चिल्ला रहे थे उन पर भी चाबुक बरसाए जा रहे थे लेकिन उन्हें शायद सबसे ज्यादा पीड़ा उन बेकसूर लोगों की चीखें सुनकर हो रही थी अभीं उन सबकी चीखें वहाँ के वातावरण में गूँज रही थी कि
तभी वहां पर कुछ और आवाज भी आने लगी जैसे कोई भोंपू बजा रहा हो जिसकी आवाज सुनकर उन तीनों के ही चेहरे का रंग उड़ गया और उन्होंने तुरंत ही सभी चाबुक को रोक दिया और अपनी आखें बंद कर दी
और जैसे ही उन्होंने आखें बंद की तो उस जगह पर एक काली गेंद उड़ते हुए आकर मायासुर के हाथों में आ गई और जैसे ही उन तीनों ने आखें खोली तो उस गेंद से कुछ शब्द हवा मे उड़ते हुए एक संदेश तैयार करने लगे
संदेश :- ये सब तमाशा छोडो हमे सप्तअस्त्रों के धारकों की जानकारी मिल गई है सब कुछ इस गेंद मे तुम्हें मिल जाएगा अब जल्दी से युद्ध की तैयारी करो इससे पहले पुण्य पक्ष फिर एक बार उन्हें किसी दूसरी जगह पर छुपा दे
जैसे ही वो शब्द गायब हुए वैसे ही उस गेंद से एक रोशनी निकल कर मायासुर के दिमाग में घुस गई जिसके बाद उस पूरे जगह पर मायासुर की हंसी ही गूँज रही थी जैसे उसे कोई ख़ज़ाना मिल गया हो
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आज के लिए इतना ही
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Bahot bariya update tha bhai maja aa gaya. Next update ka intajaar rahegaa bhaiअध्याय सतरा
इस वक़्त उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद करके रखा गया था आज उसी गुफा में एक बार फिर से शांति छायी हुई थी लेकिन ये शांति ज्यादा देर तक टिक नहीं सकीं क्यूँकी उस शांति को चीरते हुए किसी के हंसने की आवाज सुनाई देने लगी थी और यह आवाज़ किसी और की नहीं ब्लकि दमयन्ती के हंसने की थी
दमयन्ती :- शुभारंभ हो गया है उन सभी के अंत का मेरे बेटे की शक्तियां जागृत हो रही है और जब उसे याद आएगा तो वो क्षण उन सबके लिए इतना दर्दनाक होगा कि वो सब दया की भीख मांगेंगे लेकिन वो किसी पर दया नहीं करेगा अब शुरूवात है हमारे प्रतिशोध की हमारे शत्रुओं के अंत की
उसके इतना बोलते ही उसके साथ साथ उस गुफा में कैद हर एक कैद खाने से हसने की आवाज सुनाई देने लगी तो वही दूसरी तरफ मेंने प्रिया को अपने जीवन के वो सभी राज बता दिए थे जिनसे उसका जीवन पूरी तरह से बदल जाने वाली थी जिसे प्रिया और उसके परिवार ने भी अपना लिए थे
और जब हम दोनों कमरे में अकेले थे तब मेंने उसे अपने शांति के बारे में भी बता दिया था और इस बात को जान कर वो ज्यादा खुश नहीं थी लेकिन जब उसने शांति के दृष्टिकोण से देखा तो उसने हम दोनों के रिश्ते को भी अपना लिया था ऐसे ही कब रात हो गई हमे भी पता नहीं चला अभीं प्रिया दवाइयों के वजह से सोई हुई थी उसके सोने के बाद मेंने सबको घर भेज दिया आराम करने
और सबके जाने के बाद मे उसके बगल में बैठ कर उसे ही देख रहा था सोते हुए वो कितनी खूबसूरत दिख रही थी कि क्या ही बोलू उसके बारे में ऐसा लग रहा था कि पूरी दुनिया की मासूमियत उसके ही चेहरे पर आ गई थी और इसी खूबसूरती मे मैं कहीं खो गया था
और कब मेरे होंठ उसके गालों पर जा लगे मुझे भी पता नहीं चला और इस चुंबन के बाद जब मेंने उसकी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर एक मंद मुस्कान छा गई है शायद नींद में भी हमारे बारे में ही सोच रही थी ऐसे ही कुछ पल उसे घूरते हुए कब मुझे भी आंख लग गई मुझे भी पता नहीं चला
जैसे ही मेरी आँख लगी वैसे ही मेरे कानों में किसी के हसने की आवाज सुनाई देने लगी जिससे तुरंत ही मेरी आँख खुल गई और जब मेंने आसपास का वातावरण देखा तो मे हैरान रह गया
क्यूँकी इस वक्त मे उसी गोदाम में था जहां कल रात मैंने उन असुरों को मारा था और अभी मे ये सब सोच रहा था कि तभी वो हंसने की आवाज मुझे फिर से सुनायी देने लगी और जब मेंने उस आवाज का पीछा किया तो वो आवाज उस जगह से आ रही थी जहां पर वो पांच सिंघासन थे
और जब मे उन सिंघासन के नजदीक पहुंचा तो कल के जैसे ही मेरी सासें अटकने लगी ऐसा लगने लगा कि कोई महाशक्ति मेरे आसपास है और जब मेंने आसपास देखा तब मेरा ध्यान उन पांचो सिंघासनों पर गया जिनके ठीक उपर इस वक्त काले रंग के 5 गोले बनने लगे थे
और धीरे-धीरे उन पांचो गोलों ने अपने ऊर्जा तरंगो को बढ़ाना शुरू कर दिया और इससे पहले मे फिर से उन्हें अपने समा लेता उससे पहले ही वो पांचो गोले एक-एक करके फट गए और उस मेसे 5 महाकाय असुरों की परछाई निकलने लगी और देखते ही देखते वो परछाई सची के 5 महाकाय असुरों मे बदल गई
जिन्हें देख कर मुझे बहुत डर भी लग रहा था तो साथ ही मे उनके किसी भी गलत मनसूबे को साकार नहीं होने देने वाला था लेकिन अब सवाल ये उठता है कि मे यहां पर पहुचा कैसे मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी उन मेसे एक असुर ने बोलना शुरू किया
असुर 1 :- तो तुम वो मनुष्य हो जिसने हम पांचों की एकजुट शक्ति को अपने अंदर समा लिया है
में :- तुम क्या बोल रहे हो वो मे नही जानता
असुर 1 :- तुमने कल रात को हम पांचों की शक्तियों को अपने अंदर समाया था हमे वो वापस चाहिए वो असुरों की महान शक्ति है उसे तुम्हारे जैसे आम मनुष्य के पास नहीं रहना चाहिए
मे :- ठीक है ले लो अपनी शक्तियां लेकिन उससे पहले मुझे ये वचन दो की ईन शक्तियों का प्रयोग तुम किसी भी प्रकार के दुष्कर्म के लिए नहीं करोगे
असुर 1 :- ये हमारी शक्तियां है और हमारी मर्जी की हम कैसे इसका इस्तेमाल करते हैं
में :- पता था कि बोलकर कोई भी फायदा नहीं होगा (असुरों से) बाद में बोलना मत मेंने मौका नहीं दिया
इतना बोलकर मेंने अपनी आंखों को बंद करके अपनी तलवार का आह्वान किया जिससे अगले ही पल मेरे हाथों में मेरी तलवार आ गई थी जिसे देखकर वो हसने लगा
असुर :- चलो अच्छा है कि तुम्हारे अंदर हिम्मत तो है लेकिन सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा अगर तुम्हें पूरी तरह से हमारी शक्तियां चाहिए तो हम पांचो को हराकर उस सिंघासन पर बैठना होगा
इतना बोलकर उसने हवा में उड़ रहे एक सिंघासन की तरफ इशारा किया जिसे देखकर मेरी पकड़ तलवार पर कस गई
मे (उन पांचो को घूरते हुए) :- अकेले आओगे या सूअर की तरह झुंड में
तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद कर के रखा था उसी गुफा में आज फिर से वो तीनों असुर सेनापति मौजूद थे और वो तीनों अपने जादुई चाबुक से लगातार वहाँ क़ैद सभी कैदियों पर वार कर रहे थे
तो वही दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ये सब देखकर गुस्से मे चिल्ला रहे थे उन पर भी चाबुक बरसाए जा रहे थे लेकिन उन्हें शायद सबसे ज्यादा पीड़ा उन बेकसूर लोगों की चीखें सुनकर हो रही थी अभीं उन सबकी चीखें वहाँ के वातावरण में गूँज रही थी कि
तभी वहां पर कुछ और आवाज भी आने लगी जैसे कोई भोंपू बजा रहा हो जिसकी आवाज सुनकर उन तीनों के ही चेहरे का रंग उड़ गया और उन्होंने तुरंत ही सभी चाबुक को रोक दिया और अपनी आखें बंद कर दी
और जैसे ही उन्होंने आखें बंद की तो उस जगह पर एक काली गेंद उड़ते हुए आकर मायासुर के हाथों में आ गई और जैसे ही उन तीनों ने आखें खोली तो उस गेंद से कुछ शब्द हवा मे उड़ते हुए एक संदेश तैयार करने लगे
संदेश :- ये सब तमाशा छोडो हमे सप्तअस्त्रों के धारकों की जानकारी मिल गई है सब कुछ इस गेंद मे तुम्हें मिल जाएगा अब जल्दी से युद्ध की तैयारी करो इससे पहले पुण्य पक्ष फिर एक बार उन्हें किसी दूसरी जगह पर छुपा दे
जैसे ही वो शब्द गायब हुए वैसे ही उस गेंद से एक रोशनी निकल कर मायासुर के दिमाग में घुस गई जिसके बाद उस पूरे जगह पर मायासुर की हंसी ही गूँज रही थी जैसे उसे कोई ख़ज़ाना मिल गया हो
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आज के लिए इतना ही
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Nice update....अध्याय सतरा
इस वक़्त उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद करके रखा गया था आज उसी गुफा में एक बार फिर से शांति छायी हुई थी लेकिन ये शांति ज्यादा देर तक टिक नहीं सकीं क्यूँकी उस शांति को चीरते हुए किसी के हंसने की आवाज सुनाई देने लगी थी और यह आवाज़ किसी और की नहीं ब्लकि दमयन्ती के हंसने की थी
दमयन्ती :- शुभारंभ हो गया है उन सभी के अंत का मेरे बेटे की शक्तियां जागृत हो रही है और जब उसे याद आएगा तो वो क्षण उन सबके लिए इतना दर्दनाक होगा कि वो सब दया की भीख मांगेंगे लेकिन वो किसी पर दया नहीं करेगा अब शुरूवात है हमारे प्रतिशोध की हमारे शत्रुओं के अंत की
उसके इतना बोलते ही उसके साथ साथ उस गुफा में कैद हर एक कैद खाने से हसने की आवाज सुनाई देने लगी तो वही दूसरी तरफ मेंने प्रिया को अपने जीवन के वो सभी राज बता दिए थे जिनसे उसका जीवन पूरी तरह से बदल जाने वाली थी जिसे प्रिया और उसके परिवार ने भी अपना लिए थे
और जब हम दोनों कमरे में अकेले थे तब मेंने उसे अपने शांति के बारे में भी बता दिया था और इस बात को जान कर वो ज्यादा खुश नहीं थी लेकिन जब उसने शांति के दृष्टिकोण से देखा तो उसने हम दोनों के रिश्ते को भी अपना लिया था ऐसे ही कब रात हो गई हमे भी पता नहीं चला अभीं प्रिया दवाइयों के वजह से सोई हुई थी उसके सोने के बाद मेंने सबको घर भेज दिया आराम करने
और सबके जाने के बाद मे उसके बगल में बैठ कर उसे ही देख रहा था सोते हुए वो कितनी खूबसूरत दिख रही थी कि क्या ही बोलू उसके बारे में ऐसा लग रहा था कि पूरी दुनिया की मासूमियत उसके ही चेहरे पर आ गई थी और इसी खूबसूरती मे मैं कहीं खो गया था
और कब मेरे होंठ उसके गालों पर जा लगे मुझे भी पता नहीं चला और इस चुंबन के बाद जब मेंने उसकी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर एक मंद मुस्कान छा गई है शायद नींद में भी हमारे बारे में ही सोच रही थी ऐसे ही कुछ पल उसे घूरते हुए कब मुझे भी आंख लग गई मुझे भी पता नहीं चला
जैसे ही मेरी आँख लगी वैसे ही मेरे कानों में किसी के हसने की आवाज सुनाई देने लगी जिससे तुरंत ही मेरी आँख खुल गई और जब मेंने आसपास का वातावरण देखा तो मे हैरान रह गया
क्यूँकी इस वक्त मे उसी गोदाम में था जहां कल रात मैंने उन असुरों को मारा था और अभी मे ये सब सोच रहा था कि तभी वो हंसने की आवाज मुझे फिर से सुनायी देने लगी और जब मेंने उस आवाज का पीछा किया तो वो आवाज उस जगह से आ रही थी जहां पर वो पांच सिंघासन थे
और जब मे उन सिंघासन के नजदीक पहुंचा तो कल के जैसे ही मेरी सासें अटकने लगी ऐसा लगने लगा कि कोई महाशक्ति मेरे आसपास है और जब मेंने आसपास देखा तब मेरा ध्यान उन पांचो सिंघासनों पर गया जिनके ठीक उपर इस वक्त काले रंग के 5 गोले बनने लगे थे
और धीरे-धीरे उन पांचो गोलों ने अपने ऊर्जा तरंगो को बढ़ाना शुरू कर दिया और इससे पहले मे फिर से उन्हें अपने समा लेता उससे पहले ही वो पांचो गोले एक-एक करके फट गए और उस मेसे 5 महाकाय असुरों की परछाई निकलने लगी और देखते ही देखते वो परछाई सची के 5 महाकाय असुरों मे बदल गई
जिन्हें देख कर मुझे बहुत डर भी लग रहा था तो साथ ही मे उनके किसी भी गलत मनसूबे को साकार नहीं होने देने वाला था लेकिन अब सवाल ये उठता है कि मे यहां पर पहुचा कैसे मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी उन मेसे एक असुर ने बोलना शुरू किया
असुर 1 :- तो तुम वो मनुष्य हो जिसने हम पांचों की एकजुट शक्ति को अपने अंदर समा लिया है
में :- तुम क्या बोल रहे हो वो मे नही जानता
असुर 1 :- तुमने कल रात को हम पांचों की शक्तियों को अपने अंदर समाया था हमे वो वापस चाहिए वो असुरों की महान शक्ति है उसे तुम्हारे जैसे आम मनुष्य के पास नहीं रहना चाहिए
मे :- ठीक है ले लो अपनी शक्तियां लेकिन उससे पहले मुझे ये वचन दो की ईन शक्तियों का प्रयोग तुम किसी भी प्रकार के दुष्कर्म के लिए नहीं करोगे
असुर 1 :- ये हमारी शक्तियां है और हमारी मर्जी की हम कैसे इसका इस्तेमाल करते हैं
में :- पता था कि बोलकर कोई भी फायदा नहीं होगा (असुरों से) बाद में बोलना मत मेंने मौका नहीं दिया
इतना बोलकर मेंने अपनी आंखों को बंद करके अपनी तलवार का आह्वान किया जिससे अगले ही पल मेरे हाथों में मेरी तलवार आ गई थी जिसे देखकर वो हसने लगा
असुर :- चलो अच्छा है कि तुम्हारे अंदर हिम्मत तो है लेकिन सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा अगर तुम्हें पूरी तरह से हमारी शक्तियां चाहिए तो हम पांचो को हराकर उस सिंघासन पर बैठना होगा
इतना बोलकर उसने हवा में उड़ रहे एक सिंघासन की तरफ इशारा किया जिसे देखकर मेरी पकड़ तलवार पर कस गई
मे (उन पांचो को घूरते हुए) :- अकेले आओगे या सूअर की तरह झुंड में
तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद कर के रखा था उसी गुफा में आज फिर से वो तीनों असुर सेनापति मौजूद थे और वो तीनों अपने जादुई चाबुक से लगातार वहाँ क़ैद सभी कैदियों पर वार कर रहे थे
तो वही दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ये सब देखकर गुस्से मे चिल्ला रहे थे उन पर भी चाबुक बरसाए जा रहे थे लेकिन उन्हें शायद सबसे ज्यादा पीड़ा उन बेकसूर लोगों की चीखें सुनकर हो रही थी अभीं उन सबकी चीखें वहाँ के वातावरण में गूँज रही थी कि
तभी वहां पर कुछ और आवाज भी आने लगी जैसे कोई भोंपू बजा रहा हो जिसकी आवाज सुनकर उन तीनों के ही चेहरे का रंग उड़ गया और उन्होंने तुरंत ही सभी चाबुक को रोक दिया और अपनी आखें बंद कर दी
और जैसे ही उन्होंने आखें बंद की तो उस जगह पर एक काली गेंद उड़ते हुए आकर मायासुर के हाथों में आ गई और जैसे ही उन तीनों ने आखें खोली तो उस गेंद से कुछ शब्द हवा मे उड़ते हुए एक संदेश तैयार करने लगे
संदेश :- ये सब तमाशा छोडो हमे सप्तअस्त्रों के धारकों की जानकारी मिल गई है सब कुछ इस गेंद मे तुम्हें मिल जाएगा अब जल्दी से युद्ध की तैयारी करो इससे पहले पुण्य पक्ष फिर एक बार उन्हें किसी दूसरी जगह पर छुपा दे
जैसे ही वो शब्द गायब हुए वैसे ही उस गेंद से एक रोशनी निकल कर मायासुर के दिमाग में घुस गई जिसके बाद उस पूरे जगह पर मायासुर की हंसी ही गूँज रही थी जैसे उसे कोई ख़ज़ाना मिल गया हो
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आज के लिए इतना ही
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Bahut hi shaandar update diya hai VAJRADHIKARI bhai....अध्याय सतरा
इस वक़्त उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद करके रखा गया था आज उसी गुफा में एक बार फिर से शांति छायी हुई थी लेकिन ये शांति ज्यादा देर तक टिक नहीं सकीं क्यूँकी उस शांति को चीरते हुए किसी के हंसने की आवाज सुनाई देने लगी थी और यह आवाज़ किसी और की नहीं ब्लकि दमयन्ती के हंसने की थी
दमयन्ती :- शुभारंभ हो गया है उन सभी के अंत का मेरे बेटे की शक्तियां जागृत हो रही है और जब उसे याद आएगा तो वो क्षण उन सबके लिए इतना दर्दनाक होगा कि वो सब दया की भीख मांगेंगे लेकिन वो किसी पर दया नहीं करेगा अब शुरूवात है हमारे प्रतिशोध की हमारे शत्रुओं के अंत की
उसके इतना बोलते ही उसके साथ साथ उस गुफा में कैद हर एक कैद खाने से हसने की आवाज सुनाई देने लगी तो वही दूसरी तरफ मेंने प्रिया को अपने जीवन के वो सभी राज बता दिए थे जिनसे उसका जीवन पूरी तरह से बदल जाने वाली थी जिसे प्रिया और उसके परिवार ने भी अपना लिए थे
और जब हम दोनों कमरे में अकेले थे तब मेंने उसे अपने शांति के बारे में भी बता दिया था और इस बात को जान कर वो ज्यादा खुश नहीं थी लेकिन जब उसने शांति के दृष्टिकोण से देखा तो उसने हम दोनों के रिश्ते को भी अपना लिया था ऐसे ही कब रात हो गई हमे भी पता नहीं चला अभीं प्रिया दवाइयों के वजह से सोई हुई थी उसके सोने के बाद मेंने सबको घर भेज दिया आराम करने
और सबके जाने के बाद मे उसके बगल में बैठ कर उसे ही देख रहा था सोते हुए वो कितनी खूबसूरत दिख रही थी कि क्या ही बोलू उसके बारे में ऐसा लग रहा था कि पूरी दुनिया की मासूमियत उसके ही चेहरे पर आ गई थी और इसी खूबसूरती मे मैं कहीं खो गया था
और कब मेरे होंठ उसके गालों पर जा लगे मुझे भी पता नहीं चला और इस चुंबन के बाद जब मेंने उसकी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर एक मंद मुस्कान छा गई है शायद नींद में भी हमारे बारे में ही सोच रही थी ऐसे ही कुछ पल उसे घूरते हुए कब मुझे भी आंख लग गई मुझे भी पता नहीं चला
जैसे ही मेरी आँख लगी वैसे ही मेरे कानों में किसी के हसने की आवाज सुनाई देने लगी जिससे तुरंत ही मेरी आँख खुल गई और जब मेंने आसपास का वातावरण देखा तो मे हैरान रह गया
क्यूँकी इस वक्त मे उसी गोदाम में था जहां कल रात मैंने उन असुरों को मारा था और अभी मे ये सब सोच रहा था कि तभी वो हंसने की आवाज मुझे फिर से सुनायी देने लगी और जब मेंने उस आवाज का पीछा किया तो वो आवाज उस जगह से आ रही थी जहां पर वो पांच सिंघासन थे
और जब मे उन सिंघासन के नजदीक पहुंचा तो कल के जैसे ही मेरी सासें अटकने लगी ऐसा लगने लगा कि कोई महाशक्ति मेरे आसपास है और जब मेंने आसपास देखा तब मेरा ध्यान उन पांचो सिंघासनों पर गया जिनके ठीक उपर इस वक्त काले रंग के 5 गोले बनने लगे थे
और धीरे-धीरे उन पांचो गोलों ने अपने ऊर्जा तरंगो को बढ़ाना शुरू कर दिया और इससे पहले मे फिर से उन्हें अपने समा लेता उससे पहले ही वो पांचो गोले एक-एक करके फट गए और उस मेसे 5 महाकाय असुरों की परछाई निकलने लगी और देखते ही देखते वो परछाई सची के 5 महाकाय असुरों मे बदल गई
जिन्हें देख कर मुझे बहुत डर भी लग रहा था तो साथ ही मे उनके किसी भी गलत मनसूबे को साकार नहीं होने देने वाला था लेकिन अब सवाल ये उठता है कि मे यहां पर पहुचा कैसे मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी उन मेसे एक असुर ने बोलना शुरू किया
असुर 1 :- तो तुम वो मनुष्य हो जिसने हम पांचों की एकजुट शक्ति को अपने अंदर समा लिया है
में :- तुम क्या बोल रहे हो वो मे नही जानता
असुर 1 :- तुमने कल रात को हम पांचों की शक्तियों को अपने अंदर समाया था हमे वो वापस चाहिए वो असुरों की महान शक्ति है उसे तुम्हारे जैसे आम मनुष्य के पास नहीं रहना चाहिए
मे :- ठीक है ले लो अपनी शक्तियां लेकिन उससे पहले मुझे ये वचन दो की ईन शक्तियों का प्रयोग तुम किसी भी प्रकार के दुष्कर्म के लिए नहीं करोगे
असुर 1 :- ये हमारी शक्तियां है और हमारी मर्जी की हम कैसे इसका इस्तेमाल करते हैं
में :- पता था कि बोलकर कोई भी फायदा नहीं होगा (असुरों से) बाद में बोलना मत मेंने मौका नहीं दिया
इतना बोलकर मेंने अपनी आंखों को बंद करके अपनी तलवार का आह्वान किया जिससे अगले ही पल मेरे हाथों में मेरी तलवार आ गई थी जिसे देखकर वो हसने लगा
असुर :- चलो अच्छा है कि तुम्हारे अंदर हिम्मत तो है लेकिन सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा अगर तुम्हें पूरी तरह से हमारी शक्तियां चाहिए तो हम पांचो को हराकर उस सिंघासन पर बैठना होगा
इतना बोलकर उसने हवा में उड़ रहे एक सिंघासन की तरफ इशारा किया जिसे देखकर मेरी पकड़ तलवार पर कस गई
मे (उन पांचो को घूरते हुए) :- अकेले आओगे या सूअर की तरह झुंड में
तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद कर के रखा था उसी गुफा में आज फिर से वो तीनों असुर सेनापति मौजूद थे और वो तीनों अपने जादुई चाबुक से लगातार वहाँ क़ैद सभी कैदियों पर वार कर रहे थे
तो वही दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ये सब देखकर गुस्से मे चिल्ला रहे थे उन पर भी चाबुक बरसाए जा रहे थे लेकिन उन्हें शायद सबसे ज्यादा पीड़ा उन बेकसूर लोगों की चीखें सुनकर हो रही थी अभीं उन सबकी चीखें वहाँ के वातावरण में गूँज रही थी कि
तभी वहां पर कुछ और आवाज भी आने लगी जैसे कोई भोंपू बजा रहा हो जिसकी आवाज सुनकर उन तीनों के ही चेहरे का रंग उड़ गया और उन्होंने तुरंत ही सभी चाबुक को रोक दिया और अपनी आखें बंद कर दी
और जैसे ही उन्होंने आखें बंद की तो उस जगह पर एक काली गेंद उड़ते हुए आकर मायासुर के हाथों में आ गई और जैसे ही उन तीनों ने आखें खोली तो उस गेंद से कुछ शब्द हवा मे उड़ते हुए एक संदेश तैयार करने लगे
संदेश :- ये सब तमाशा छोडो हमे सप्तअस्त्रों के धारकों की जानकारी मिल गई है सब कुछ इस गेंद मे तुम्हें मिल जाएगा अब जल्दी से युद्ध की तैयारी करो इससे पहले पुण्य पक्ष फिर एक बार उन्हें किसी दूसरी जगह पर छुपा दे
जैसे ही वो शब्द गायब हुए वैसे ही उस गेंद से एक रोशनी निकल कर मायासुर के दिमाग में घुस गई जिसके बाद उस पूरे जगह पर मायासुर की हंसी ही गूँज रही थी जैसे उसे कोई ख़ज़ाना मिल गया हो
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आज के लिए इतना ही
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