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Fantasy ब्रह्माराक्षस

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अध्याय अठारह

इस वक्त मे उसी गोदाम में मौजूद था और मेरे सामने वो पांचो असुर भी थे जिन मेसे एक तो मेरे सामने खड़ा था और बाकी चारों अपने अपने सिंहासन पर बैठे हुए थे अभी मे और वो असुर बात ही कर रहे थे कि

तभी हमारे उपर एक सिंहासन तैयार होने लगा जो बाकी पांचो असुरों के सिंहासन से ज्यादा विशाल और भव्य था जिसे देख कर वो असुर मेरे तरफ देखते हुए बोला

असुर :- चलो अच्छा है कि तुम्हारे अंदर हिम्मत तो है लेकिन सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा अगर तुम्हें पूरी तरह से हमारी शक्तियां चाहिए तो हम पांचो को हराकर उस सिंघासन पर बैठना होगा

इतना बोलकर उसने हवा में उड़ रहे उस भव्य सिंघासन की तरफ इशारा किया जिसे देखकर मेरी पकड़ तलवार पर कस गई

मे (उन पांचो को घूरते हुए) :- अकेले आओगे या सूअर की तरह झुंड में

मेरी बात सुनकर उस असुर के चेहरे पर मुस्कान आ गई जिसके बाद वो भी जाकर अपने असुर भाइयों के साथ सिंहासन पर बैठ गया और उसने सबसे कोने में बैठे हुए असुर की तरफ इशारा किया

जिससे वो असुर अपने जगह से उठ कर मेरे पास आने लगा और जैसे ही वो मेरे नजदीक पहुचा तो वैसे ही उसके हाथ में एक तलवार आ गई और जैसे ही उसके हाथों में तलवार आयी उसके चलने की स्पीड भी बढ़ गयी और

जैसे ही वो मेरे पास पहुचा उसने अपने तलवार से मुझपर तेजी से वार किया पर वो वार मुझ तक नहीं पहुंच पाता उससे पहले ही मे अपनी जगह से छलांग मार कर बाजू हो गया जिससे उसकी तलवार सीधे जमीन से टकरा गई

लेकिन उसका वार इतना जोरदार था कि जिस जगह पर उसकी तलवार टकराई थी उस जगह पे पूरी तबाही मच गई थी वहां की जमीन पूरी तरह से तबाह हो गई थी जिसके बाद उसने तुरंत दूसरा वार मुझ पर करने का प्रयास किया

लेकिन पिछले वार की वजह से ही उसकी तलवार जमीन मे फस गई थी इसी बात का फायदा उठाकर मेने अपने तलवार से उसकी गर्दन पर वार किया लेकिन उसकी चमड़ी इतनी सख्त थी कि मेरी तलवार उसके खाल से टकरा कर फिसल गई

जैसे कि मेंने किसी चिकने लोहे के टुकड़े पर वार किया है मे उस पर और वार कर पाता उससे पहले ही उसने एक घुसा मेरा सीने पर मारा जिससे मे 5 कदम दूर जाकर गिर गया और इससे पहले कि मे उठ पाता उससे पहले ही असुर ने अपनी तलवार से मुझ पर फिर से वार किया


लेकिन इस बार मेंने भी अपनी तलवार से उस पर वार किया और जब हम दोनों की तलवारें टकरायी तो वहाँ एक ऐसी तरंग निर्माण हुई जिससे हम दोनों के ही हाथ काँप उठे जिससे उस असुर का ध्यान कुछ पल के लिए मेरे से हट गया

कि तभी मेंने एक लात सीधा उसके पेट पर दे मारी जिससे वो भी मेरे तरह 5 कदम दूर जाकर गिर गया और जब वो गिर रहा था कि तभी मेरा ध्यान उसके गले में पहने हुए मोती पर गया जो कि मंद मंद चमक रहा था उसे देखते ही मेरे दिमाग की बत्ती जल उठी

में :- (मन में) अब याद आया महागुरु ने मुझे बताया था कि किसी भी मायावी असुर की शक्तियों का घर उसका शरीर ना हो कर उसकी जीव मनी होती है और उन्हें तबाह कर दिया मतलब उन असुरों को पूरी तरह से कमजोर कर दिया

बस फिर क्या जैसे ही वो असुर उठा मेंने फिर से एक लात दे मारी जिससे वो और दूर जाके गिरा और इसी बीच मेंने अपने इन्द्रियों को पूरी तरह से जागृत करके उस पूरी जगह को देख लिया था

जिससे मुझे बाकी असुरों के जरिए जीव मनी उनके शरीर के किस हिस्से में है ये पता चल गया था और जब मे ये सब देख ही रहा था कि तभी वो असुर मेरे पास आ गया और उसने मुझ पर अपनी तलवार से वार किया लेकिन मेरे इन्द्रियों के वजह से मे बच गया था

और इससे पहले कि वो मुझ पर फिर से वार कर पाता उससे पहले ही मेने अपनी तलवार से उसके गर्दन पर बंधे उस मोती पर वार किया जिससे वो मोती टूट गई और एक तेज रोशनी उस मोती मेसे निकल कर उस सिंघासन मे समा गई

और जैसे ही वो मोती टूटी वैसे ही उस असुर की चीख पूरे वातावरण में गूँज उठीं और इस से पहले वो असुर वहां से भाग कर निकल पाता उससे पहले ही मेने छलांग लगाई और सीधा उसके पैर पर अपने घुटने से वार किया जिससे उसका पैर टूट गया मे चाहता तो उसे मार भी सकता था

लेकिन मुझे असुरों की योजना के बारे में जानकारी हासिल करनी थी जिसके लिए इन्हें जिंदा रहना जरूरी था इसीलिए मेंने इस असुर टांग तोड़ कर उसे अपने जादू से बाँध दिया

मेने अभीं उसे बाँधा ही था कि तभी एक और असुर तेजी से दौड़ता हुआ मेरे पास आने लगा इसकी जीव मनी भी पहले वाले की तरह ही गले में थी इसीलिए इसको आते देखते ही मेने अपने जादू से बीच मे ही एक छोटी चट्टान बना दी

जिससे वो असुर अपना संतुलन खो कर जमीन पर गिर गया और उसके गिरते ही मेंने उसकी मनी को भी तोड़ दिया और उसके मनी के टूटने पर भी वैसा ही हुआ था एक तेज रोशनी मनी से निकल कर सिंघासन मे समा गई थी और फिर मेने इस असुर को भी अपना बंदी बना दिया

ऐसा होते ही बाकी तीनों मेसे 2 असुर दौड़ते हुए मेरे तरफ आने लगे उन दोनों के भी जीव मनी उनके सिर के बीचो बीच थे और जैसे ही वो दोनों मेरे पास पहुंचे वैसे ही मेंने दाएं वाले असुर पर वार किया


लेकिन इससे पहले कि मेरा वार उस तक पहुंच पाता उससे पहले ही बाएँ और के असुर ने मेरे उस वार को बीच में ही रोक दिया और उसी वक़्त दाएँ वाले असुर ने मुझ पर अपने घूसे से वार किया जिससे मे दूर जाकर गिर गया था

और अभी मे उठता उससे पहले ही दोनों ने एक साथ मिलकर मुझ पर वार किया जिससे मैं बच ना सका और सीधा जाके उस गोदाम के दीवार से टकरा गया जिससे मुझे चोटें भी आयी पर मे ने खुद को संभाल लिया था

और इस बार जैसे ही उन्होंने मुझपर वार करने का प्रयास किया तो मे भी तैयार था उनका घुसा मुझको छू भी पाता उससे पहले ही में वहां से हट गया और उनका घुसा दीवार से जा टकराया और इसी बात का फायदा उठाकर

मेंने अपने मन को शांत किया और खुद के दर्द को भुलाकर इनसे निपटने का तरीका सोचने लगा कि तभी मुझे एक तरीका सूझा और अगले ही पल में उस तरीके को इस्तेमाल करते हुए अपनी तलवार से बाएं वाले असुर की तरफ दौड़ पड़ा

और जैसे ही मे उस पर वार करता की पिछले बार की तरह ही दाएं असुर ने उसे रोकने के लिए अपनी तलवार को आगे किया कि तभी मेंने अपने योजना अनुसार अपने वार को तुरंत ही और पहले से भी ज्यादा तेजी से दाएं असुर के जीव मनी के तरफ मोड़ दिया

और इससे पहले वो उस वार से बच पाता मेरी तलवार ने उसके जीव मनी के टुकड़े कर दिए थे और इस वजह से जब उसकी मनी से रोशनी निकली उसके प्रकाश तो दूसरा असुर भी कुछ समय के लिए अंधा हो गया और ठीक उसी वक्त मेंने दूसरे असुर का जीव मनी को भी नष्ट कर दिया

और उन दोनों को भी मेंने बाँध दिया और अब सिर्फ वो एक असुर ही बचा था और उसका जीव मनी उसके हाथ में पहने हुए कड़े मे थी और जब मेंने चारों असुरों को कैद कर के बाजू किया था कि

तभी वो आखिरी असुर भी अपने सिंघासन से उठ गया और फिर उसने मेरे आंखों में देखते हुए अपने जीव मनी लगे हुए कड़े को निकाल कर अपने सिंहासन पर रख दिया जैसे कह रहा हो कि हिम्मत है तो लेके दिखा

इसके बाद वो निहत्था ही मेरे तरफ आने लगा जिसे देखकर मेंने भी अपनी तलवार को ग़ायब कर दिया और उसके तरफ बढ़ने लगा और जैसे ही हम दोनों एक दूसरे के पास पहुंचे तो मेंने तुरंत ही उसपर अपने घुसे से वार किया

लेकिन उसने बड़ी ही तेजी से मेरे हाथ को हवा मे ही पकड़ लिया और फिर उसने मुझ पर अपने घुसे से वार किया जिससे मे बड़ी तेजी से नीचे झुक कर बच गया और फिर हम दोनों ऐसे ही कुछ देर तक एक दूसरे को मारते रहे ना वो हार रहा था ना मे हार मानने को तैयार था

मे जितने भी तेजी से उसपर वार करता वो उतने ही तेजी से उस वार को रोक देता ऐसे ही कुछ देर हमारा मुकाबला बराबरी पर चलता रहा की तभी मुझे उसकी गति कम होते महसूस और उसी एक पल में मेंने अपने पूरी ताकत को एक किया और उसके सीने पर एक जोरदार घुसा जड़ दिया

जिससे वो जाकर सीधा वहाँ के दीवारों से टकरा गया और कुछ पलों के लिए बेहोश हो गया और इसी बीच मेने बिना वक़्त गंवाए उस असुर के कड़े को अपने कब्जे में ले लिया और फिर उसी असुर के आँखों में देखते हुए मेंने उस कड़े मे लगे जीव मनी को तोड़ दिया जिससे वो आखिरी असुर भी अपने साथियो की तरह अधमरा हो गया

और अब बचा था केवल वो सिंहासन

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आज के लिए इतना ही

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अध्याय उन्नीस

अभी उस गोदाम में मेंने उन सभी असुरों को हराकर जादू से बाँध दिया था और अब मेरे सामने केवल एक ही चुनौती थी और वो थी सिंहासन जो कि हवा में उड़ रहा था और अब मे उसके नजदीक पहुंच कर एक छलांग लगाई

लेकिन जितनी ऊंची मे छलांग लगाई थी वो सिंहासन उतना ही अधिक उपर चला जाता था ऐसे ही कुछ देर मे छलांग मारता रहा लेकिन हर बार एक ही नतीज़ा आता था फिर मेंने उस सिंहासन तक जाने का विचार को त्याग कर उसे मेरे तरफ खीचने की तरकीब ढूँढने लगा

और फिर कुछ देर सोचने के बाद मेंने अपने जादू से उस सिंहासन को अपनी तरफ खीचने का प्रयास किया लेकिन मे जितनी ज्यादा शक्ति से उस सिंघासन को अपने तरफ खीचने का प्रयास करता तो उस सिंघासन से और अधिक ज्यादा शक्तिशाली शक्ति मेरे उस वार को नाकाम कर देती

और मुझे दूर ढकेल देती और ये देख कर वो असुर हंस रहे थे और उनकी हंसी किसी तीर की तरह मेरे कानो मे चुभ रही थी और जब वो हसी को सहन करना मेरे बस के बाहर हो गया तो मेंने अपनी तलवार को लेकर सीधा उन असुरों के गले पर रख दी

मे :- (गुस्से में) हँसना बंद करो नहीं तो सब अपनी जान से जाओगे

असुर 1 :- तुम चाहे कुछ भी कर लो लेकिन उस सिंघासन पर नहीं बैठ पाओगे उस पर केवल वही बैठ सकता है जो कि उस सिंहासन के लायक हो एक असली राजा असली सम्राट ही उस सिंघासन पर बैठ सकता है

उसकी बात सुनकर मे फिर से उस सिंघासन के पास आ गया और उधर बैठ कर ध्यान लगाने लगा और सबसे पहले मेंने अपने दिमाग को शांत किया और फिर जब मेरा दिमाग शांत हुआ तो मे इस सिंहासन पर बैठने के बारे में सोचने लगा


कि तभी उस असुर की बात मेरे दिमाग में घूमने लगी " एक असली राजा असली सम्राट ही उस सिंघासन पर बैठ सकता है " और ये विचार आते ही मेरे दिमाग में एक असली राजा क्या गुण होने चाहिए उनके बारे में सोचने लगा कि तभी मुझे मेरे गलती का एहसास हुआ

क्यूँकी जितना मेंने महागुरु से सीखा था उसके हिसाब से एक सच्चा राजा वही होता है जो सिंघासन के प्रति उसकी जिम्मेदारी के प्रति खुदको समर्पित कर दे ना कि बल या छल से उसे पाने की कोशिश करे और ये बात मेरे दिमाग में आते ही

मेंने ये तरीका भी इस्तेमाल करने का सोचा क्यूंकि अब तक मे इतना तो समझ ही गया था कि जब तक मे ये चुनौती पार नहीं कर लेता तब तक मे इस सपने से निकल नहीं सकता तो बस फिर क्या मे अपना ध्यान तोड़ कर खड़ा हो गया और फिर तन और मन से खुदको उस सिंघासन के प्रति समर्पित करने लगा

और मेरे ऐसा करते ही मेरे आखें बंद होने लगी और फिर मुझे लगने लगा कि मे हवा में उड़ रहा हूँ और जब मेने आखें खोल कर देखा तो मे सच्ची मे हवा में उड़ रहा था और फिर मे वैसे ही उड़ते हुए उस सिंहासन पर बैठ गया

और जैसे ही मे उस पर बैठा तो मुझे ऐसे लगने लगा कि मेरे शरीर में में झटके लग रहे हैं और जब ये झटके खत्म हुए तो ऐसा लगने लगा कि जैसे कि उस सिंहासन से कुछ अजीबोगरीब ऊर्जा मेरे शरीर में में समा रही है मे अभीं इन सब बातों मे उलझा हुआ था कि तभी

मेरे कानों में एक आवाज़ गूंजने लगी लेकिन वो आवाज अजीब थी जैसे कोई दर्द से तड़प रहा हो और वो उस दर्द से छुटकारा पाने के लिए किसी को बुला रहा हो जिसका नाम कुमार है और जो आवाज मुझे सुनाई दे रही है वो किसी एक की नहीं बल्कि कम से कम सौ लोगों की आवाज है

मे इनमें उलझा हुआ था कि तभी मुझे मेरे आखों के सामने वही पांचो असुर दिखाई दिए जिनको अभी मेंने हराया था लेकिन वो मेरी क़ैद से आजाद हो गए थे और इससे पहले मे कुछ बोलता फिर से वो पहले वाला असुर मेरे सामने आया

असुर 1 :- मे जानता हूं कि आप क्या सोच रहे हैं लेकिन यकीन मानिये की हम आपके साथ हैं और अभी जो भी हुआ वो केवल एक चुनौती थी जिससे आप अपनी शक्तियों के बारे में जान पाए तो शायद अब आपको अपने अस्तित्व अपने घर के बारे में सब याद आ गया है तो अब आप हमे माफ़ करेंगे और हमारी मदद करेंगे हम सबको उन दुष्टों के चंगुल से निकाल कर

असुर ये सब मुझसे बोल तो रहा था लेकिन मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था वो किसके बारे में बात कर रहा है क्या बात कर रहा है कुछ भी नहीं

में :- क्या बोल रहे हो तुम मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है क्या ये तुम असुरों की कोई चाल है मुझे सच बताओ की तुम उस दिन सम्भोग शक्ति प्रक्रिया से तुम असुरों का क्या मकसद था

असुर :- आपको अभी तक कुछ याद नहीं आया ये बहुत अजीब है उस दिन जब आपने उन असुरों को रोकने के लिए हमारे शक्तियों को अपने अंदर समाया तब हम पांचों को पता चला कि आप कोण है आप हो

अभी वो बात ही कर रहा था कि तभी उन पांचो के शरीर जलने लगे जिसे देखकर मे दंग रह गया था

असुर 1 :- ये सही नहीं हुआ हमे जाना होगा नहीं तो बहुत बुरा होगा आप को अपने अस्तित्व के बारे में जानना होगा नहीं तो सब मारे जाएंगे

इतना बोलकर वो पांचो गायब हो गए और मेरे भी नींद टूट गई और जब मेरी नींद खुली तो देखा अभी तक सुबह नहीं हुई थी ऐसा लग रहा था कि समय रुक गया था लेकिन अभी मे इन सब के बारे में सोच पाता कि

उससे पहले ही मेरा सिर बहुत दर्द करने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे दिमाग में कोई युद्ध चल रहा है जैसे कुछ है जो मेरे दिमाग पर काबु करना चाह रहा है लेकिन कोई चीज है जो उसे ये सब करने से रोक रही है लेकिन इस सबके बीच मेरी हालत खराब हो रही थी मेरा सिर फटे जा रहा था और जब ये दर्द मेरे सहन शक्ति से ज्यादा ही बढ़ने लगा

तब मेरी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा और कब मे सो गया मुझे पता भी नहीं चला या ऐसा भी कह सकते हो कि मे वही प्रिया के पास बैठे हुए बेहोश हो गया

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आज के लिए इतना ही

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अध्याय बीसवा

जब सुबह प्रिया की नींद खुली तो उसने मुझे अपने पैरों के पास सोते हुए देखा जिसे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई फिर वो धीरे से मेरे तरफ झुकी और उसने अपने हाथ से मेरा सर सहलाने लगी और अभी वो मेरा सर सहला रही थी कि तभी वहां शांति भी आ गई और ये दृश्य देखकर उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई तो वही शांति को वहाँ देख कर प्रिया थोड़ा असहज हो गई जो शांति ने भी देख और समझ लिया था जब से मेंने प्रिया को मेरे और शांति के बारे में बताया तभी से वो शांति से आंखे चुरा रही थी जो शांति भी अच्छे से महसूस कर पा रही थी इसीलिए वो धीरे-धीरे चलते हुए प्रिया के पास पहुची और

शांति :- तो भद्रा ने तुम्हें हमारे बारे में बता दिया है ना

प्रिया :- हाँ सब बता दिया मुझे लेकिन आपको अजीब नहीं लगा कि आप अपने बेटे के उम्र वाले लड़के को जिसे बचपन मे आपने अपनी गोद मे खिलाया था उसी के साथ (इतना बोलकर वो रुक गयी)

शांति :- हाँ अजीब तो लगा और मेंने खुद को रोकने की कोशिश भी की लेकिन तुम खुदको मेरे जगह पर रख कर देखो तो तुम्हें मेरे हालत के बारे में समझ आएगा

प्रिया :- मे आपकी हालत समझ सकती हूँ और शायद मे ही ज्यादा ध्यान दे रही थी मुझे आपके और भद्रा संबंधों से कोई दिक्कत नहीं है बस मुझे मेरे हिस्से का प्यार मिलना चाहिए

शांति :- तुम चिंता मत करो समाज और सबके नजर में तुम ही भद्रा की पत्नी बनोगी मे केवल भद्रा के प्यार में खुश हूँ लेकिन हम दोनों को भी इस बात का खयाल रखना है कि हमारे वजह से भद्रा को कोई परेशानी न हो हमे उसकी ताकत बनना है ना कि कमजोरी

प्रिया :- जी मे समझ गयी

अभी वो दोनों बात ही कर रहे थे कि मेरी नींद भी खुल गई और फिर मे कुछ देर शांति और प्रिया से बात करके में फ्रेश होने चला गया

तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में इस वक़्त दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर दोनों भी अपने क़ैद खाने मे चिंता मे बैठे हुए थे कि तभी उनके बगल के कमरे से अचानक एक चीख की आवाज सुनाई दी जिसे सुनकर दोनों अपने उस कैद खाने के तरफ बढ़े

त्रिलोकेश्वर :- क्या हुआ मित्र सब ठीक तो है ना

त्रिलोकेश्वर की आवाज सुनकर उस कैदखाने से भी एक बहुत ही भयानक और दर्दभरी आवाज आने लगी लेकिन उसमे कुछ अलग था उस आवाज में दर्द के साथ ही खुशी भी झलक रही थी

आवाज :- हाँ सब कुछ ठीक हैं तुम्हारे पुत्र ने मेरे पांचो अंश को हरा दिया है और उनके जीव मनी को भी नष्ट कर दिया है इसका मतलब समझ रहे हो ना तुम वो जहां भी है वहाँ उसे असुरों से निपटने और हराने की शिक्षा दी जाती है लेकिन

जी बिलकुल सही समझे ये वही असुर है जिसे मेंने उस गोदाम में हराया था वहाँ उसने अपने पाँच अंश भेजे थे मेरे परीक्षा के लिए तो वही जब दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ने अपने पुत्र के शक्ति और ग्यान के बारे में सुना तो उन दोनों को उस पर गर्व हुआ और उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई तो वही जब उन्होंने उस असुर के मुह से "लेकिन" सुना तो उनके चेहरे पर फिर से चिंता के भाव आ गए थे

दमयन्ती :- लेकिन क्या जल्दी बताओ मेरा बेटा ठीक तो है ना

असुर :- हाँ साम्राज्ञी कुमार बिल्कुल ठीक है लेकिन मेरे पांचो अंशों के जीव मनी को अपने अंदर समाने के बाद भी मेरे शक्तिशाली सिंघासन पर बैठने के बाद भी उसे अपने अस्तित्व की झलक तक नहीं दिखी उसे कुछ भी याद नहीं आया

दमयन्ती :- ऐसा कैसे हो सकता है इतनी बड़ी तामसिक शक्ति को अपने अंदर समाने के बाद भी उसके अंदर का राक्षस उसका ब्रह्माराक्षस का रूप बाहर क्यूँ नहीं आया

असुर :- यही तो मुझे समझ नहीं आ रहा है

त्रिलोकेश्वर :- क्यु नहीं हो सकता बिल्कुल हो सकता है अगर उसके पास उस तामसिक शक्ति से भी ज्यादा शक्तिशाली सात्विक शक्ति हो जिसने तुम्हारे शक्तियों के असर रोक दिया हो

असुर :- ऐसी कौनसी शक्ति है किसी देवता की शक्ति तक मेरे शक्तियों को नहीं रोक सकती

त्रिलोकेश्वर :- बिल्कुल लेकिन सप्त अस्त्रों की शक्ति तो रोक सकती है ना

असुर :- मतलब तुम कहना चाहते हो कि तुम्हारा पुत्र अस्त्र धारक हैं

त्रिलोकेश्वर :- क्या पता समय के गर्भ में क्या छुपा हो

जहां त्रिलोकेश्वर की बात सुनकर वो खुद और असुर दोनों गहरी सोच मे डूब चुके थे तो वही दमयन्ती ये बात जानकर जोरों से हंसने लगी थी जिसकी हसी सुन कर वो दोनों भी हैरान हो गए

दमयन्ती (हस्ते हुए) :- अब मजा आएगा जब वो असुर अस्त्रों की खोज में अपने काल के पास पहुंचेंगे और तब मेरा पुत्र अपने माता पिता के उपर किए हुए हर एक अत्याचार का बदला लेगा

उसकी बात सुनकर दमयन्ती के साथ त्रिलोकेश्वर और वो असुर भी हसने लगे

तो वही जब फ्रेश हो कर प्रिया के रूम में आया तो वहां सभी लोग मौजूद थे वहाँ प्रिया के माता पिता के साथ ही केशव और रवि और साथ ही शांति गुरु नंदी (शैलेश सिंघानिया) और साथ ही मे गुरु सिँह (दिग्विजय सिंघ) भी मौजूद थे

में :- (शांति से) प्रिया को घर कब ले जा सकते हैं

शांति :- वो अब बिल्कुल ठीक है उसे अभी घर ले जा सकते हो

शांति की बात सुनकर सभी ख़ुश हो गए तो वही रवि को मस्ती सूझ रही थी

रवि :- (केशव से) भाई केशव हम प्रिया को घर तो ले कर जाएंगे लेकिन किसके घर उसके माता पिता के या भद्रा के

उसकी बात सुनकर प्रिया शर्माने लगी जिसे देखकर सब हंसने लगे तो वही गुरु सिँह कुछ चिंता मे थे

में :- क्या हुआ गुरु सिँह आप चिंता मे लग रहे हो

गुरु नंदी :- हाँ दिग्विजय तुमने भी जब मुझे फोन किया तो बहुत चिंता मे लग रहे थे

गुरु सिँह :- बात ही ऐसी है लेकिन यहा नहीं शांति तुम्हारे कैबिन मे चलों

उसके बाद हम चारों शांति के कैबिन मे चले गए

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अध्याय इक्कीस

अभी हम चारो भी शांति के कैबिन मे पहुंच चुके थे जहां पर हम सभी चिंता मे थे कि गुरु सिँह अब क्या खबर सुनाने वाले हैं लेकिन वो अपने ही सोच मे गुम थे और जब हमने उन्हें पुकारा तब वो होश में आए

गुरु नंदी :- तो बोलिए गुरु सिँह ऐसी क्या बात है जो आपको इतने गंभीर रूप से सोचने पर मजबूर कर दिया

गुरु सिँह :- बात ही ऐसी है नंदी कल सुबह भद्रा ने मुझे बताया कि उसका असुरों के साथ मुकाबला हुआ जहां उसने पाँच असुरों के साथ युद्ध किया

जैसे ही उन्होंने ये कहा कि तभी शांति ने उनकी बात को बीच में ही काट दिया

शांति :- क्या भद्रा इतनी बड़ी बात तुमने हम सभी से छुपाई कहीं तुम्हें चोट तो नहीं आयी है ना या कहीं असुरों ने कोई maya

में :- ( बीच मे रोकते हुए) मुझे कुछ नहीं हुआ है और वैसे भी अभी मुझ से ज्यादा अहम बात वो है जो गुरु सिँह को चिंता मे घेरे जा रही है और हमे उस पर ध्यान देने की जरूरत है

गुरु सिँह :- मे तुम्हारे जज्बातों को समझता हूं शांति लेकिन भद्रा सही कह रहा हैं ये बात उससे भी अधिक अहम है जब भद्रा ने उसके युद्ध के बारे में बताया या मेंने कुछ ऐसे गुनाहों के बारे में पता लगाया जो इंसानों के लिए असंभव से लगते हैं और मुझे पता चला कि असुर धरती पर नए नहीं है ब्लकि पिछले 5 सालों से वो धरती पर ही है

जब गुरु सिँह ने ये बात बताई तो हमे इस बात पर यकीन नहीं हुआ क्यूंकि महागुरु ने पूरे धरती पर ऐसा एक कवच लगाया था जिससे कोई भी असुर धरती पर आते ही उन्हें तुरंत पता चल जाता

लेकिन असुर इतने लंबे समय तक धरती पर है और किसी को पता भी नहीं चला ये सची मे बहुत ही हैरानी की बात थी

मे :- अगर वो इतने लंबे समय से यहां पर है तो महागुरु को पता क्यु नहीं चला और उनका मकसद क्या था

गुरु सिँह :- मालूम नहीं इस विषय पर मेंने उनसे भी बात की है और वो भी उतने ही हैरान हैं जितना हम और वो इस बारे में सब पता लगा रहे हैं और जल्द ही उन्हें सब पता भी चल जाएगा

मे :- तब तक हमे क्या करना है

गुरु सिँह :- जो करना है हम करेंगे तुम अभीं असुरों से मुकाबले के लिए तैयार नहीं हो

मे :- मे पूरी तरह से तैयार हूं और चाहे कुछ भी हो जाए में उन असुरों को ऐसे आराम से जीने नहीं दूँगा

इतना बोलकर मे वहाँ से निकल गया और इस सब के बीच हम मेसे किसी ने भी इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि कोई है जो हमारी बातें चोरी छुपे सुन रहा हैं

तो वही दूसरी तरफ उसी गोदाम में इस वक़्त वही पांचों लड़किया मौजूद थी जिनकी बलि असुर चढ़ाने वाले थे सम्भोग शक्ति प्रक्रिया के दौरान उन्हें देख कर ऐसा लग रहा था कि वो पांचो कुछ ढूँढ रहे हैं लेकिन जब उन्हें कुछ भी नहीं मिला तो वो उस गोदाम के बीच में इकट्ठे हो गए

लडकी 1 :- आखिर उन असुरों ने उस हार को कहा छुपा कर रखा है

लड़की 2 :- पता नहीं शायद वो लड़का उसे अपने साथ लेकर चला गया होगा

लड़की 3 :- नहीं वो मायावी हार है वो केवल किसी ऐसे को ही दिख सकता है जिसे उसकी सबसे ज्यादा जरूरत है और उसके पास उस हार के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है और मुझे कहीं से भी नहीं लगता कि उस लड़के को हार के शक्तियों की ज़रूरत है

अभी वो सब बात कर ही रहे थे कि तभी उन्हें गोदाम के बाहर से कोई आवाज सुनाई देने लगी जो कि किसी और कि नहीं ब्लकि मेरे ही जीप की थी मे हॉस्पिटल से निकल कर सीधा इसी गोदाम में आया था

क्यूँकी मुझे लग रहा था कि असुरों के बारे में कुछ ना कुछ सबूत मुझे इसी गोदाम से मिलेगा और अभी मे गोदाम में जा ही रहा था कि तभी मुझे ऐसा लगा जैसे कोई मेरा पीछा कर रहा हो और जब मेंने पीछे मुड़कर देखा तो कोई नहीं था

लेकिन मे अभीं भी यही महसूस कर रहा था कि कोई मेरा पीछा कर रहा है इसीलिए आगे जाकर मे एक दीवार के पीछे chup गया जहां से मुझे कोई देख नहीं सकता था और जैसे ही मुझे किसी के आने की आहट सुनायी दी वैसे ही मे सावधान हो गया

और कुछ ही देर में मुझे किसी की परछाई भी दिखाई दी और जैसे ही वो मेरे पास पहुंचा मे उसपर झपट प़डा और जैसे ही मेने उसे पकड़ा तो मुझे महसूस हुआ कि वो कोई लड़की है

इसीलिए मेने तुरंत उसे अपने तरफ घुमा दिया जिससे मुझे उसका चेहरा दिखाई दिया जिसे देखकर मे हैरान हो गया क्यूँकी वो कोई और नहीं बल्कि प्रिया थी

में :- प्रिया तुम यहाँ क्या कर रही हो

प्रिया :- मे तो बस यहां से गुजर रही थी और तुम्हारी जीप दिखी इसीलिए यहाँ आयीं

में :- कम से कम झूठ तो ढंग से बोलो और अब सच बताओ की तुम यहाँ क्या कर रही हो

प्रिया :- मेंने तुम्हारी सारी बातें सुन ली थी जो भी तुमने कहीं जो भी उन तीनों ने कहा और मुझे अब डर लगने लगा है कि कहीं मे तुम्हे खो ना दु इसीलिए तुम्हारी मदद के लिए मे यहां आयी हु

में :- मेंने तुम्हें हॉस्पिटल में भी बताया था कि मे इस युद्ध में कभी भी किसी भी हालत में पीछे नहीं हटुंगा और मे अभीं भी कह रहा हूं कि चाहे तो तुम अपनी जिंदगी जी सकती हो तुम्हें मुझसे भी ज्यादा अच्छे लड़के मिल जाएंगे

प्रिया :- भले ही मुझे तुमसे अच्छे लड़के मिल जाएंगे लेकिन मुझे तो तुमसे प्यार है मे तो यहां इसलिए आयीं थीं कि मे तुम्हारी मदद कर सकू

में :- ठीक है चलो

इतना बोलकर मे गोदाम के अंदर चल पड़ा और प्रिया मेरे पीछे पिछे आने लगी और जब हम गोदाम के अंदर के पहुंचे तो वहां पर वो पांचो सिंघासन तो थे लेकिन जो हवा में उड़ने वाला सिंघासन ग़ायब था

जिसे देखकर मुझे यकीन हो गया कि इस जगह से कुछ ना कुछ सबूत जरूर मिलेगा इसीलिए मे तुरंत ही गोदाम की छानबीन मे जुट गया तो वही प्रिया केवल उस गोदाम का चक्कर लगा रही थी लेकिन मे गलत था यहां से मुझे कोई सबूत नहीं मिला था लेकिन मे रूका नहीं ढूँढता रहा और फिर जब मेने पूरे गोदाम की जाँच कर ली लेकिन कुछ ना मिला तब मे भी प्रिया के पास पहुंच गया

प्रिया :- क्या हुआ जो तुम ढूँढ रहे थे वो मिल गया तुम्हें

में :- नहीं मुझे लगा था कि यहां से असुरों के बारे में उनकी योजना के बारे में जानकारी मिल सकती है लेकिन यहां कुछ भी नहीं है

प्रिया :- ओह कोई नहीं मे तुम्हें जानती हु तुम जरूर कोई ना कोई रास्ता ढूँढ लोगे लेकिन फिलहाल चलो हम दोनों मिलकर आज के इस दिन को यादगार मनाते हैं और पार्टी करते हैं

में :- अच्छा और आज ऐसा क्या है

प्रिया :- तुमने आज मेरे प्यार को स्वीकार लिया है जिसके लिए मे 2 सालों से इंतजार कर रही थी तो इससे ज्यादा खास दिन कौनसा हो सकता है तो हम चलें पार्टी करने

में :- मेंने मना किया तो क्या तुम ये पार्टी की जिद्द छोड़ दोगी

प्रिया :- नहीं बल्कि मे तुम्हें खींचकर लेके जाऊँगी

इतना बोलकर वो मुझे सची मे खींचते हुए लेके जाने लगी

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आज के लिए इतना ही

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अध्याय बाइस

जब मे और प्रिया उस गोदाम से बाहर निकले तो वो पांचो लड़किया भी फिर से गोदाम में आ गई

लड़की 1 :- ये वही लड़का है ना जिसने उन असुरों को मारा था

लड़की :- हाँ लेकिन ये यहां पर क्या कर रहा है कहीं इसे हार के बारे में पता तो नहीं चला

लड़की 1 :- मुझे नहीं लगता कि ऐसा कुछ हुआ है अगर वो हार को ढूंढते आता तो उसके आंखों में हमे वो लालच दिख जाता लेकिन इसकी आखों मे तो केवल चिंता और परेशानी ही नजर आ रही थी

लड़की 3 :- तो अब हम क्या करें

लड़की 1 :- अपना हार ढूंढो उसके बिना हमारी शक्तियां जागृत नहीं होंगी और अगर उन लोगों ने हमे पहले ढूँढ लिया तो वो जरूर हमे मार देंगे और उसके बाद वो हमारे शक्तियों के मदद से एक ऐसा प्रहार करेंगे जिससे ये पूरा ग्रह खत्म हो सकता है

उस लड़की की ये बात सुनकर वो पांचो लड़किया पूरे गोदाम में फैल गई और उनका वो हार ढूँढने लगी लेकिन उनके हाथ भी कुछ नहीं लगा जिससे उनके चेहरे पर डर और चिंता साफ़ साफ़ देखी जा सकती थी

तो वही दूसरी तरफ एक राज महल जैसी जगह पर इस वक़्त एक महाकाय असुर अपने सिंघासन पर बैठा हुआ था जैसे कोई राजा हो और उसके सामने उसी के जैसे और भी महाकाय असुर विराजमान थे और अभी वो सभी बात ही कर रहे थे कि एक वहां एक और असुर आ गया जिसने योद्धा जैसे कवच पहना हुआ था और जैसे ही वो उस कमरे में आया वैसे ही सबकी नजर उस पर टिक गई

योद्धा :- महाराज धरती से दूत खबर लेके आ गया है

राजा :- क्या खबर है क्या हमारे पुत्र अपने कार्यों में सफल हो गए

योद्धा :- नहीं महाराज खबर है कि जब वो अपने संभोग शक्ति प्रक्रिया को अंजाम दे रहे थे तभी किसी ने उन्हें (इतना बोलकर वो योद्धा शांत हो गया)

राजा (गुस्से मे) :- बताओ उन्हें क्या

योद्धा (डरते हुए) :- वो मारे गए उनका शव हमारे दूत अभी तक ढूँढ रहे हैं

राजा :- क्या कह रहे हो तुम क्या उन चारों ने हमारे पुत्र को

योद्धा :- नहीं महाराज वो चारों भी मारे गए राजगुरु ने कहा है कि उन्हें पांचो कुमारों की ऊर्जा शक्ति महसूस नहीं हो रही है

राजा :- (घबराकर) क्या उन चारो के राज्यों में संदेश भिजवा दिया है

योद्धा :- जी महाराज राजगुरु ने ये कार्य पहले ही कर दिया था

राजा :- मतलब अभी महासंग्राम होना तय है उन पांचो मायावी बहनों का पता चला

योद्धा :- नहीं महाराज उनकी ऊर्जा शक्ति राजगुरु को महसूस तो हो रही है लेकिन जब तक उनके पास उनका हार ना हो उन्हें कोई ढूँढ नहीं सकता ऐसा राजगुरु ने कहा है

अभी वो दोनों बात ही कर रहे थे कि तभी वहाँ की पूरी जमीन हिलने लगी जैसे कोई भूकंप आ गया हो

राजा :- वही हुआ जिसका डर था (योद्धा से) जाओ जाकर जल्दी से राजगुरु को शाही महल में मिलने बुलाओ

राजा का हुकुम मिलते ही वो योद्धा निकल प़डा उनके राजगुरु के पास

तो वही दूसरी तरफ उस गोदाम की छान बिन करने मे सुबह से दुपहर हो गई थी और वो मुझे लेके एक मॉल में आयी थी आज के दिन को वो सच्ची मे बहुत गंभीरता से ले रही थी आज अगर कोई भी उसे देखता तो वो कह नहीं सकता था कि कुछ घंटे पहले ये हॉस्पिटल में भर्ती थीं और जिंदगी और मौत से लड़ रही थी

इस वक़्त में और प्रिया दोनों मॉल में थे और प्रिया बस मुझे एक दुकान से दूसरे दुकान लेके जा रही थी कि तभी जैसे उसे उसके पसंद की चीज मिल गई और वो तुरंत दौड़ते हुए उस दुकान में पहुच गई और उसने वहाँ से एक काली ड्रेस खरीदी और फिर मुझे मेन्स शॉप मे भेज कर खुद किसी दूसरे दुकान में पहुच गई

तो वही मेंने मेरे लिए भी एक दो कपड़े खरीदे और फिर उसका इंतजार करने लगा और जब वो आयीं तब उसके हाथ में बहुत से बैग्स थे जिन्हें उसने मेरे हाथों मे पकड़ा दिए और फिर हमने उसी मॉल से खाना खाया और फिर प्रिया मुझे फिर से खींचते हुए मॉल में ही बने हुए थिएटर में लेके चली गई

जहां हम दोनों मूवी मे बिजी हो गए या शायद मे ही हुआ था क्यूँकी प्रिया तो बिल्कुल किसी पागल दीवानी की तरह हरकते कर रही थी कभी मेरे बालों को सहलाती तो कभी होंठ कभी अपने हाथ के जरिए मेरे शरीर को महसूस करती और जब इससे भी उसका मन नहीं भरा तो उसने अपना हाथ मेरे मेरे जांघों पर रख कर सहलाना शुरू कर दिया

जिससे मे बेकाबू हो रहा था और हो भी क्यु ना जब से मेंने शांति के साथ पहली बार सेक्स किया था तब से ही मुझे फिर से वही सब करने का मन कर रहा था लेकिन तब से अब तक इतना सब हो गया था कि ना उस वक़्त मुझे सही लगा और ना ही कोई मौका मिला था और जब आज प्रिया मेरे अंगों से खेल रही थी तो मेरा खुद पर काबु रखना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था

और इस सब मे मेरा लंड भी अब पूरा कड़क हो गया था और जैसे ही प्रिया का हाथ उससे टकराया उसकी सारी मस्ती जैसे गायब हो गई और उसने तुरंत अपना हाथ खींच लिया और जब मेंने उसके मुह के तरफ देखा तो उसके चेहरे का रंग पूरा उड़ चुका था उसके चेहरे को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे उसने कोई भूत देख लिया हो

उसके चेहरे को देखकर मुझसे हसी रुके नहीं रुक रही थी तभी मेरे दिमाग में एक शरारत आयीं और मे अपने एक हाथ से उसे अपने से चिपका लिया और धीरे धीरे अपनी गरम सासें उसके गर्दन और कानों पर छोड़ने लगा जिससे अभी उसका चेहरा देखने लायक हो गया था ऐसा लग रहा था कि जैसे उसे कोई नशा चढ़ रहा हो

तो वही पता नहीं मुझे क्या हो गया था लेकिन अभी ये सब करने मे मुझे भी मजा आ रहा था फिर मैंने थोड़ी देर बाद अपना हाथ उसकी जांघों पे रखा जिससे उसे एक झटका सा लगा जिसके बाद वो अब मुझे केवल मुझे अपनी नशीली आँखों से देख रही थी और जैसे ही मेंने उसकी और देखा तो उसने अपना चेहरा घुमा लिया और नीचे देखने

लगी जिसे मैंने इसे उसकी रजामंदी समज के उसकी जांघों पे हाथ घुमाने लगा जिससे वो तेजी से सासें लेने लगी और उसके तेजी से सास लेने वजह से मेरी नज़र उसके टॉप में कैद चूचो पे गई जो कि दुपट्टे के पीछे छिपी हुई थी जिसके बाद मेंने जिस हाथ से उसे अपने पास खींचा था वही हाथ उसके चूचो पे ऐसे रखा कि किसी को दिखे ना

तो वही मेरे हाथ रखते ही जैसे वो होश में आ गई और मेरा हाथ अपने चुचों पर महसूस कर के वो सहम गई और मेरा हाथ हटाने लगी लेकिन अब इस खेल में मुझे मजा आ रहा था इसीलिए मैंने उसे रोक दिया और उसके चुचों को अपने हाथ में भरकर उन्हें हल्के से दबाने लगा

और अभी हमारा खेल शुरु ही हुआ था कि तभी थिएटर की लाइट चालू हो गई हमे पता ही नहीं चला कि इस खेल को खेलते हुए कब पूरी पिक्चर खत्म हो गई तो पिक्चर खत्म होने के बाद हम दोनों सीधा मेरे घर आ गए पूरे रास्ते भर हम दोनों एक दूसरे को छेड़ रहे थे

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आज के लिए इतना ही

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अध्याय तेईस

जब हम दोनों मेरे घर पहुंचे तो आज मुझे प्रिया के चेहरे पर अलग ही चमक दिख रही थी आज वो जितनी खुश थी उतनी तो वो अपने जन्मदिन पर भी नहीं थी आज वो किसी बचे की तरह व्यवहार कर रही थी जिसे अपना मनपसंद गिफ्ट मिला हो

तो वही उसे हँसता देखकर मेरे दिल को भी एक अजीब सी खुशी मिल रही थी आज मुझे एहसास हो रहा था कि प्रेम किसे कहते हैं और अभी मे उसके चेहरे की मुस्कुराहट मे खोया हुआ था कि तभी मुझे अपने हाथ पर अचानक कुछ चुभन महसूस हुई जिससे मे होश में आ गया

और जब मेंने प्रिया की और देखा तो वो मेरे सामने सिर झुका कर शर्मा रही थी शायद उसने मुझे खुद को घूरते हुए देख लिया था कि तभी मेरा ध्यान उसके हाथ पर गया जहा उसके हाथ में एक पिन पकडी हुई थी शायद उसी ने वो पिन चुभाई थी और अभी मे कुछ बोलता उससे पहले ही प्रिया बोलने लगी

प्रिया :- अगर घूरने से मन भर गया हो तो जाओ फ्रेश हो जाओ में खाना मंगवाया है

प्रिया की बात सुनकर मैं बिना कुछ कहे फ्रेश होने चला गया और जब मे जा रहा था तो प्रिया के हंसने की आवाज मुझे सुनाई दे रही थी शायद मेरी हालत पर ही हंस रही थी और जब मे फ्रेश होकर आया तो दंग रह गया

सामने का नजारा ही कुछ ऐसा था प्रिया बिल्कुल किसी परी के तरह दिख रही थी इतनी ख़ूबसूरत की उसे देख कर मेरा मुँह खुला ही रह गया उसने इस वक़्त एक काली जाँघों तक आती वन पीस ड्रेस जो उसके गोरे बदन से एकदम कस के चिपकी हुई थी

जिसमें से उसके शरीर का हर एक उभार में अच्छी तरह से देख पा रहा था तो वही उसके खुले काले बाल जो सिर्फ कंधो तक थे। हल्का मेकअप, होठों पर वो हल्की गुलाबी लिपस्टिक, कानों में लंबी स्टाइलिश बाली, हर जगह से वो सौंदर्य की प्रतिमा लग रही थी

खाना खाना आ आ गया गया गया गया था था और जब मेरी नजर खाने पर पडी पडी तो मेने अपना सिर पीट लिया क्यूँकी प्रिया ने खाने के साथ बियर की भी 2 बोतल मंगाई थी और और फिर उसके बाद प्रिया भी फ्रेश हो कर आ गई जिसके बाद हम दोनों ने खाना खाया और फिर बीयर पीने लगे और जब हमारी बीयर खत्म करके हुई तो हम दोनों मेरे बेड पर जाके बैठ गए

में :- मुझे मुझे लगा नहीं था कि तुम इतना पीती हो

प्रिया :- मे हर दिन नहीं पीती सिर्फ किसी खास दिन

में :- अच्छा और आज क्या खास है

प्रिया :- आज मुझे मेरा मेरा पहला प्यार मिल गया है और आज मे पूरी तरह तुम्हरी बन जाना चाहती हूं

में :- प्रिया ये कुछ जल्दी नहीं होगा मतलब

अभी मे कुछ बोलता की उसने मुझे बेड पर धक्का देके लिटाया और फिर मेरे उपर आके बैठ गयी ऊपर आके बैठ गई और फिर मेरे कानों के नज़दीक आके बोलने लगी

प्रिया :- क्या तुम मुझे नहीं चाहते हो मेरे से प्यार नहीं करते हो

इतना बोलकर वो मुझसे दूर हो गई लेकिन अभी भी मेरे उपर ही बैठी हुई थी वही आज पहली बार प्रिया को मेरे इतने करीब देख कर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था या ऐसा भी कह सकते हैं कि मे उसकी सुंदरता इतने पास से देख के ही मंत्रमुग्ध हो गया था

क्या सुन्दरता थी. वो हसीन चेहरा, पूरी इत्मीनान से तराशा गया वो बदन, वो नैन जो एक झलक में किसी की जान ले ले ऐसी सुंदर लड़की इस वक़्त मेरे ऊपर बैठी हुई थी पर ये बात भी सच थी कि वो इस वक्त पूरे होश में नहीं थी

और अगर इस वक़्त में उसके साथ कुछ भी करता तो गलत ही होता चाहे वो मेरे होने वाली बीवी ही क्यु ना हो मे अभी ये सोच ही रहा था कि तभी वो नीचे झुकी और फिर एक बार मेरे चेहरे के पास अपना चेहरा लाई उसकी गरम गरम सासे मेरे चेहरे पर पड़ रही थी

जो मुझे कुछ गलत करने पर मजबूर करती जा रही थी अब मेरे ऊपर तो पहले से ही कामोत्तेजना का बवंडर मंडरा रहा था और ऊपर से बीयर का नशा आखिर कब तक ही रोक पाता मे खुदको उसने बड़े ही प्यार से मेरे गाल पर अपना एक अंगूठा फिराया और मेरे चेहरे को निहारने लगी,

लड़की :- मे हमेशा ये सीन अपने सपने मे देखती थी जिसमें हम दोनों सारे बंधनों को तोड़ कर एक हो जाएंगे

और अगले ही पल उसने झुकते हुए मेरे होंठ अपने गुलाबी होठों में भर लिए

दोनों के होंठ आपस में मिलते ही एक जोरदार झटका दोनों के ही शरीर को लगा

ये एहसास इतना अद्भुत था कि किसी को भी इसकी लत लग जाए लेकिन अब मेरे उपर भी बीयर और कामवासना का नशा पूरा चढ़ गया था मे चाह कर के भी खुदको रोक नहीं पाया और जी भर के प्रिया के के होंठ चूमने लगा

मे नहीं चाहता था कि मे कभी भी इस फीलिंग को भूल जाऊँ और इसलिए मे जी भर के प्रिया के होंठ चूसने लगा जब दोनों के होंठ एक दूसरे से अलग हुए तो दोनों की सासें फुल रही थी जिस वजह से प्रिया के स्तन भी उपर नीचे हो रहे थे

ये दृश्य देखकर मेरी नजर प्रिया पर ही टिकी हुई थी इस वक़्त तक हम दोनों भी बीयर और कामवासना के नशे मे पूरी तरह से डूब गए थे अब हमे ना किसी और चीज की समझ थी ना ही हम कुछ और समझना चाहते थे

वहीं जब प्रिया ने मुझे उसके स्तनों को घूरते देखा तो उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपने स्तनों पर रख दिया और फिर मेरे कानों में गरम सास छोड़ते हुए बोली

प्रिया (कामुक आवाज में) :- ये तुम्हारें ही है सिर्फ देखो मत ब्लकि मसलों इन्हें

जब उसने ऐसा कहा तो मेंने भी बिना समय गवाए और बिना हिचकिचाटे हुए प्रिया के स्तनों को ड्रेस के ऊपर से ही ज़ोर से भींचते हुए उन्हें निचोड़ना शुरू कर दिया जिससे प्रिया के शरीर को एक झटका सा लगा

अब वो लंबी लंबी सिस्किया लेने लगी फिर मेंने उसे पकड़ते हुए अपने ऊपर से हटा के उसे मेरे बगल में लिटाया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया और ऐसा होते ही प्रिया के चेहरे के भाव ही बदल गए जहा उसके चेहरे पर कामवासना के भाव थे वही अब उसके चेहरे पर शर्माहट साफ़ देखी जा सकती थी साथ ही साथ उसका जोश भी उतना ही चढ़ा हुआ था

ये उसके लिए किसी सपने से बढ़कर नहीं था तो वही वही मेरा भी ये दूसरा मौका ही था इसीलिए मुझे भी इसमे बिल्कुल वैसा ही मजा आ रहा था कि मानो ये मेरा भी पहली बार ही है फिर में धीरे धीरे प्रिया के चेहरे की तरफ झुकने लगा और नीचे झुकते हुए उसके गोरे कंधों को चूमना शुरू कर दिया

और धीरे-धीरे ऊपर जाते हुए मे उसकी गर्दन को अपनी चुम्मियों से गीला करने लगा जिसके बाद मेने अपने हाथों का इस्तमाल करते हुए पल भर में ही प्रिया के उस काली ड्रेस को उसके शरीर से दूर कर दिया और अब प्रिया मेरे सामने केवल एक पैंटी मे थी जो कि उसके ड्रेस से बिल्कुल काली थी

वो ड्रेस ही ऐसा था कि जिसमें ब्रा ना पहननी पड़े जिस वजह से उसकी गोरी नर्म चूचियों के दर्शन मुझे हो गए और फिर अगले ही पल उसने अपना मुंह खोल एक चूचा मुंह में भर लिया प्रिया सिस्की लेते हुए अपने हाथों को मेरे सर के पीछे लपेट ली और मेरे बालो में अपनी उंगलियां फेरते हुए मुझे अपनी ओर खींचते हुए अपने स्तनों पर मेरा सर रख दबाव बढ़ाने लगी

जेसे कहना चाह रही हो कि चूसो इन्हें जी भर के चूसो और मेंने भी उसके मन की बात सुन ली थी और फिर मेने ठीक वही किया मे उन नर्म नर्म चुचियों को जी भर के चूस रहा था , उन्हें निचोड़ रहा था , दबा रहा था और निपल्स के साथ खेल रहा था जो मेरे मन में आये कर रहा था

जो प्रिया को दर्द और मजे की नयी ऊंचाई पर पहुंचा रहा था क्यूंकि कभी मे उन्हें काटता तो कभी उनपे जीभ फिरता, कभी मुँह में भरता तो कभी दातो तले दबा के उसे खीचता जिससे अब प्रिया पूरी तरह मदहोश हो गई थी मेरा हर प्रहार पर प्रिया सिहर के रह जाती थी

तो वही वो मेरे गरदन को ऐसी चूस रही थी मानो जैसे खा ही जाएगी अब हमारा हाल ऐसा हो गया था था कि हम दोनों कब पूरी तरह से नग्न हो गए हमे भी पता नहीं चला और जब मेने प्रिया की योनि के दर्शन किए तो पल भर के लिए तो मे बस देखता ही रहा क्या अध्भुत दृश्य था वो

चिकनी पतली सी गोरी चूत मुझे उकसा रही थी जैसे कह रही थी कि आओ और चूसो इसे तबाह कर दो इसे इतनी पतली गुलाबी चूत और उससे आ रही सुगंध मुझे हर पल मदहोश करती जा रही थी प्रिया भी मुझे इतनी नशीली आँखों से देख रही थी जो मुझको बेकाबू कर रहा था

फिर मे अपना चेहरा प्रिया के चुत के पास ले गया और पहले उसमे से आ रही खुशबु को एक बार ज़ोर से सूंघा और उसे अपने दिलोदिमाग मे बसा लिया और फिर अपना मुँह खोल प्रिया की चूत को अपने मुँह में भर लिया

मेरे ऐसा करते ही प्रिया की आंखें फटी रह गईं और उसने अपनी टांगें जोर से मेरे सर पर इरद गिर्द कस ली उसके चेहरे से ही लग रहा था कि ऐसा एहसास प्रिया को आज तक नहीं हुआ था वो तो बस अलग ही दुनिया में जा चुकी थी

जिसका सबूत था कि कुछ ही मिनट की चुत चुसाई के बाद उसकी चूत रस छोड़ने लगी और फिर प्रिया का शरीर भी अकड़ने लगा लेकिन मे रुका नहीं जिससे जल्द ही उसका शरीर झटके खाते हुए झड़ने लगा

जिसके बाद मेने अपना लंड उसकी चूत के दरवाजे पर सेट करते हुए मेंने एक ज़ोरदार धक्का मारा जिससे मेरे लंड का टोपा झट से चूत में प्रवेश कर गया तो वही ऐसे एकदम धक्का मारने से प्रिया की हालत खराब हो गई दर्द के मारे बेचारी प्रिया की जोरदार चीख निकलने वाली थी

लेकिन इसके पहले कि वो ज़ोर से चिल्लाती है, मेने उसके मुँह पर हाथ रख उसकी आवाज़ को रोक दिया और वैसे ही कुछ देर रुक गया फिर कुछ देर बाद मेंने फिर दो धक्के मारे जिससे अब मेरा लंड उसकी चूत की गहराई में जा चुका था

तो वही हल्के हल्के आसु प्रिया की कोमल पलकों को भिगोने लगे थे जिसे देखकर मे फ़िर एक बार रुक गया और कुछ देर यू ही बिना हिले डुले मे अपना लंड उसकी योनि के अंदर ही रखा रहा और जब प्रिया शांत हुई तो

मेने हौले हौले ही अपने लिंग को आगे पीछे करना शुरू कर दिया प्रिया की चूत अंदर से इतनी गर्म थी कि ऐसा लग रहा था मानो मेरा लंड उसी वक़्त जल जाएगा किसी भट्टी से कम नहीं थी तो वही चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड बड़ी ही मुश्किल से अंदर बाहर हो रहा था

चुत के अंदर की दीवारे मेरे लंड को कस कर पकड़ रही थी और अपने तपमान से मेरे लंड को किसी गरम लोहे की रॉड में बदल रही थी अब पूरे कमरे में चुड़ाई की आवाज कमरे में फेल हो गई

और इस अदभुत चुदाई के बाद अब मुझसे और काबु करना मुश्किल हो रहा था और अगले ही पल मेंने अपना लंड बाहर निकाला अपने वीर्य की एक तेज़ पिचकारी छोरी, जो सीधी प्रिया की नंगी चुचियो, उसकी छाती, और उसके पैर पर जाके गिरी जिसके बाद मे और प्रिया वैसे ही एक

दूसरे के बाहों में सो गए

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आज के लिए इतना ही

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Good
 

sunoanuj

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अध्याय चौबीस

जहाँ एक तरफ मेरे जीवन में एक के बाद एक घटनाएं घटती जा रही थी तो वही दूसरी तरफ धरती लोक से दूर किसी और ग्रह पर जहा पे भयानक जीवों का वास था जहां पर हर पल किसी ना किसी के चीखने चिल्लाने की आवाज सुनाई देती थी

लेकिन आज उस जगह पर बिल्कुल सन्नाटा छाया हुआ था और फिर उसी सन्नाटे को चीरते हुए एक दहाड़ पूरे ग्रह मे फैल गई जिसे सुनकर ही किसी की भी डर के मारे बुरा हाल हो जाए वो आवाज उसी ग्रह के मध्य में स्थित एक बड़े महल से आ रही थी

चलिए हम भी देखते हैं क्या हो रहा है वहाँ इस वक़्त उस महल मे 4 महाकाय शैतान मौजूद थे जो कि बड़े ग़ुस्से मे दिख रहे थे उन चारों के शरीर की रचना एक दूसरे से बिल्कुल भिन्न थी

उस मे से एक शैतान की ऊंचाई कम से कम 15 फीट की थी तो वही उसके हाथ में एक बड़ी लंबी और चौड़ी तलवार थी और उसके आखें बिल्कुल नीले रंग की थी

तो वही दूसरा शैतान जिसकी ऊंचाई 10 फीट के आसपास होगी और उसकी आखें आम लोगों के तरह थी लेकिन उसके सर पे सिंग लगे हुए थे और उसके हाथ में एक छड़ी थी जिसके मुह पर सांप का मुह बना हुआ था


तो तीसरे और चौथे शैतान बिल्कुल एक जैसे थे जैसे कि मानो जुड़वा हो दोनों की ऊंचाई 12 से 13 के बीच होगी और दोनों ही आधे मानव तो आधे घोड़े की तरह थे

वो सभी इस वक़्त बड़े ही गुस्से में लग रहे थे सबकी आखों मे जहा क्रोध के अंगार थे तो वही दुख का समुद्र आसुओं के रूप में बहते हुए भी दिख रहा था लेकिन जो 15 फीट का असुर था

जिसे हम असुर 1 कहेंगे उसकी आखें नीली और लाल रंग के मिश्रित रंग की हो गई थी और हर बढ़ते समय के साथ ही उसकी आखें लाल होती जा रही थी तो वही उसकी पकड़ भी उसके तलवार पर कसती जा रही थी

और उसे देख कर बाकी तीनों असुर डरे हुए लग रहे थे अभी कोई कुछ करता या बोलता की तभी वहाँ दो और शैतान आ गए उन मेसे एक तो वही है जिसे हम ने पहले भी देखा था (अध्याय बाइस मे)

और उसके साथ जो दूसरा शैतान था वो कोई बुढ़ा था जिसके हाथ में एक किताब थी तो दूसरे हाथ में एक छड़ी थी जिसके मुह पर एक पत्थर लगा हुआ था अभीं इन्हें हम उनके क्रम से बुलाएंगे जब सबने उन दोनों को देखा तो सभी उस बूढे शैतान (राजगुरु) के आगे झुक गए

राजगुरु :- खड़े हो जाओ मेरे शिष्यों मुझे पता है आप सभी बेहद गुस्से मे है कि किसीने आप सबके पुत्रों को मौत के घाट उतार दिया है लेकिन यह समय शोक मनाने का नहीं बल्कि अपने उस गुस्से को इस्तेमाल कर पूरे पृथ्वी लोक को तबाह करने का है और इसके लिए मे तुम्हें कुछ देने आया हूं

इतना बोलते ही राजगुरु ने अपनी छड़ी के निचले हिस्से को जोर से जमीन पर दे मारा जिससे वहाँ पर पांच शैतान और आ गए जिन्हें देख कर शैतान 1 बड़े गुस्से मे गरज उठा गुस्सा तो सबको आया था लेकिन कोई राजगुरु के खिलाफ नहीं जाना चाहता था

शैतान 1 (गुस्से में) :- गुरुवर हम भले ही दुःख मे है लेकिन अभी भी हमारे बाजुओं में इतनी ताकत है कि अपने बेटे की हत्या का बदला हम खुद ले सकते हैं उसके लिए हमे किसी मायावी योद्धा की जरूरत नहीं है आप केवल आज्ञा दे तो मे अकेला ही पूरे पृथ्वी को गेंद की तरह उछाल के ऐसे पटक दूँगा की उस ग्रह के छोटे छोटे टुकड़े पूरे अंतरिक्ष में घूमते रहे

शैतान 2 :- जी गुरुवर हमारा दुःख और क्रोध तभी शांत होगा जब हम हमारे पुत्रों के हत्यारे के खून से अपनी प्यास बुझायेंगे और इसके लिए हमे किसी भी तरह के मदद की जरूरत नहीं है

राजगुरु :- मुझे तुम्हारे ताकत पर कोई शक नहीं है लेकिन तुम अपने बुद्धी का इस्तेमाल करो हम ये नहीं जानते कि उन पांचो को मारने वाला कोण है कहा है कैसा दिखता है या फिर वो अकेला है या पूरी सेना है उसके साथ ये सब पता करने के लिए ही ये पांचो धरती पर जाएंगे और इनका पहला कार्य ये होगा कि ये उन पांचो बहनों को ढूंढे और उन्हें खत्म कर दे और ये करते वक़्त जब वो हत्यारा सामने आयेगा तब ये पांचो अपनी शक्तियों से उसे यहा ले आयेंगे और फिर उन पांचो लड़कियों के साथ उस हत्यारे को भी हम सभी अपने हाथों से मारेंगे

इतना बोलकर राजगुरु जोरों से हंसने लगा और उसके साथ बाकी पांचो शैतान भी हंसने लगे और तभी राजगुरु ने फिर एक बार अपनी छड़ी को जमीन पर मारा

और ऐसा करते ही वो पांचो योद्धाओं के सामने एक एक दरवाजा खुला जो उन्हें सीधा लेके गया उसी गोदाम के तरफ जहां पर मेंने उन पांचो असुरों रूपी शैतानों को मार गिराया था

तो वही दूसरी तरफ उस अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद कर के रखा था वहाँ आज त्रिलोकेश्वर बड़े गुस्से में था और इसकी वजह थी कि उसे अब तक अपने पुत्र को कैसे उसका अस्तित्व याद दिलाए ये पता नहीं चला था

तो वही वो तीनों असुर अभी अपनी योजना तैयार कर रहे थे कि कैसे वो अस्त्र धारकों पर हमला करके उन्हें मार गिराए और इसके पीछे वजह साफ़ थी कि वो जिनसे लड़ने की योजना बना रहे थे वो कोई मामूली नहीं बल्कि अस्त्र धारक हैं

जिनके पास महाशक्ति और ग्यान का समुद्र है उनसे वो सीधा युद्ध करने का प्रयास तो क्या विचार भी नहीं कर सकते थे इसीलिए वो एक ऐसी योजना बना रहे थे जिससे अस्त्र धारक कुछ समझ ही नहीं पाए कि आखिर हो क्या रहा है

तो वही धरती लोक पर अभी मे और प्रिया एक दूसरे के बाहों में सो रहे थे कि तभी प्रिया की आंख खुलने लगी और जब वो उठी तो उसकी नजर सबसे पहले तो मेरे चेहरे पर गई जिसे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई

और जब उसकी नजर मेरी नग्न अवस्था पर पड़ी तो उसे होश आया और जब उसने खुदको नग्न अवस्था में पाया तो उसका शर्म के मारे बुरा हाल हो गया और धीरे धीरे उसे रात का पूरा दृश्य उसके आखों के सामने आने लगा

जिसे याद करते ही प्रिया के आंखे शर्म और खुशी से नीचे झुक गयी जिसके बाद वो उठीं और अपना काला ड्रेस उठाकर पहन लिया और बाथरुम जाने लगी और जब वो नहा रही थी तो उसे अपने चुत के पास सूखा हुआ खून दिखने लगा

जो उसे फिर एक बार कल की हसीन रात के सपनों में घुमाने लगी कि तभी उसे एक जोर का झटका लगा और उसका दिमाग काम करने लगा कि कल उसकी सील टूटी थी

लेकिन फिर भी उसे जरा भी दर्द नहीं हो रहा था ये सोचकर वो हैरान हो रही थी कि तभी उसने सोचा कि शायद मेंने अपने जादू से उसके दर्द को ठीक किया होगा लेकिन सच क्या है ये तो भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है

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आज के लिए इतना ही

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VAJRADHIKARI

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अध्याय अड़तीस

जहाँ एक तरफ अस्त्र और असुरों मे जंग का आगाज़ हो गया था तो वही दूसरी तरफ मे अपने ही सपनों की दुनिया में खोया हुआ था मे इस वक्त नग्न अवस्था मे प्रिया की चुचियों को तकिया बना कर सोया हुआ था

की तभी मेरे दिमाग मे जोर जोर से किसी के चीखे सुनाई देने लगी ऐसा लग रहा था कि कोई मुझे मदद के लिए बुला रहा है ऐसी आवाजे तो पहले भी मुझे आती थी लेकिन आज की ये आवाजे कुछ अलग थी

पहले जो आवाजे आती थी वो आवाजे अनजान लोगों की थी लेकिन आज की आवाजे सुन कर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी जान पहचान वाले की आवाज हो वो आवाजे मुझे भद्रा कहकर ही बुला रहे थे

तो वही जो आवाजे पहले सुनाई देती थी वो मुझे कुमार कहकर बुलाते थे और न जाने क्यों पर मुझे ऐसा लग रहा था की कोई शक्ति है जो उन आवाजों को मुझ तक आने से रोक रही थी वो आवाजे बहुत दबी हुई महसूस हो रही थी

जिन्हे अभी मे ठीक से सुनने का प्रयास कर रहा था कि तभी मुझे मेरे आँखों के सामने एक बहुत भयानक और विचित्र चेहरा दिखा जैसे की की भूत हो जिसे देख के ही मेरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गए और साथ ही मेरी नींद भी खुल गई

जब मेरी नींद खुली तो मुझे मेरे शरीर पर वजन महसूस होने लगा और जब मैने देखा तो शांति मेरे उपर चढ़ी हुई थी और सो रही थी जिसे देख कर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी और जब मैने समय देखा तो रात हो गयी थी

जिसे देख कर मैने अपना सर पकड़ लिया क्योंकि कुमार ने मुझे रात को ही तालाब के पास बुलाया था शक्तियों पर काबू पाने के लिए फिर मे धीरे से उठ गया जिससे कि प्रिया और शांति की नींद न टूटे और प्रिया को उसके कपड़े पहना दिये और फिर अपने कपड़े पहनकर तालाब के पास चल पड़ा

तो वही दूसरी तरफ चाइना मे इस वक़्त शैलेश और दिलावर दोनों उन असुरों से लढने के बाद सतर्क हो गए थे लेकिन इस से पहले की वो आगे बढ़ते की तभी उनके पैरों के नीचे की जमींन अचानक से कांपने लगी

और इससे पहले की वो दोनों कुछ सोच या समझ पाते उससे पहले ही वहा पर एक धमाकेदार विस्फोट हो गया जिससे वो दोनों दो अलग अलग दिशा मे गिर गए और अभी वो खड़ा होने का प्रयास कर रहे थे की तभी दोनों को उपर दो आग के गोले आकर फट गए

जिससे अब दोनों की ही हालत पतली हो गयी थी पहले ही केशासूर और गजासूर को मारने के लिए उन्होंने अपने अस्त्रों को जागृत किया था जिससे वो पहले ही कमजोर महसूस कर रहे थे और अभी जो उन पर हुए लगातार हमलों से दोनों को बहुत गंभीर चोंटे आई थी

जिससे अभी वो बहुत कमजोर हो गए थे और अभी वो एक दूसरे के पास पहुंचे ही थे की तभी वहा पर आ गया असुर सेनापति मायासुर जिसे देख कर उन दोनों की आँखों मे डर और आश्चर्य के भाव साफ दिख रहे थे

फिर भी मायासुर को देखकर वो दोनों लढाई के लिए तैयार हो गए और अभी दिलावर अपने जल अस्त्र को जगाकर उसके तरफ तेजी से बढ़ रहा था की तभी मायासुर ne अपना बाया हाथ अपने दिल पर रखा और आँखे बंद करके एक लंबी साँस ली और फिर लगभग चीखते हुए वो बोला

मायासुर :- असुर हो असुर देव शक्ति दीजिये

उसके इतने बोलते ही उसके चारों तरफ काले रंग की आग आ गयी जो दिलावर के हर एक जल प्रहार को बाफ बना रहा था जिसे देख कर वो दोनों हैरान हो गए थे ऐसा होते हुए वो अपने पूरी जिंदगी पहली बार देख रहे थे

और अभी वो इस बात को हज़म कर पाते उससे पहले ही उस काले आग से एक लाल रोशनी निकली जो सीधा जाके दिलावर से टकरा गयी और देखते ही देखते दिलावर उस शक्ति मे कैद हो गया

ये देखकर शैलेश को कुछ भी सुझा नही और उसने अपनी आँखे बंद करके कालास्त्र का आव्हान करने लगा तो वही मायासुर के काले आग से ठीक वैसी ही एक और लाल रोशनी निकली जिसके निशाने पर इस बार शैलेश ही था

और जैसे ही वो रोशनी शैलेश तक पहुँचने वाली थी कि तभी शैलेश के चारों तरफ एक सफेद ऊर्जा फैल गयी और जैसे ही वो सफेद रोशनी हटी तो शैलेश अपनी जगह से गायब हो गया था

तो वही अपने शिकार को गायब होता देख मायासुर ने उस लाल रोशनी यानी श्रपित कवच को वापस काले आग मे डाल दिया लेकिन वो एक अस्त्र को अपने हाथ से जाते देख कर वो आग बबूला हो गया और वो दिलावर को ले कर वहा से चला गया

तो वही दूसरी तरफ मे तालाब के पास पहुँच गया था और जैसे ही मे तालाब के पास पहुँचा तो वहा पर पहुँचते ही मेरे दिमाग मे कुमार की आवाज आने लगी

कुमार :- अच्छा हुआ तुम आ गये नही तो मुझे लगा था कि तुम्हारी नींद सुबह से नही खुलेगी

भद्रा:- हा अब ताने मारने की जरूरत नहीं है चलो मुझे ताकतों को काबू करना सिखाओ

कुमार:- ठीक है तुम अपने दिमाग के सारे खयाल निकाल दो और सुबह तुम जिस तरह अपने ऊर्जा स्त्रोत तक पहुंचे थे बिल्कुल अभी भी वैसे ही करो

उसके बाद मे कुमार जैसे जैसे बता रहा था ठीक वैसे ही करते जा रहा था अभी मे फिर से एक बार उसी जगह पहुँच गया था जहाँ पर पृथ्वी अस्त्र था और मेरे उस जगह पहुँचते ही पृथ्वी अस्त्र फिर से मेरे चारों तरफ घेरा बनाने लगा

लेकिन तभी कुमार ने मुझे उस घेरे को फिर से उसी मनी के अंदर भेजने को कहा और जब मैने ये कर दिया तो उसके बाद कुमार ने मुझे एक मंत्र बताया जिसका मे जैसे जैसे जाप करते जा रहा था वैसे वैसे ही वो मोती मेरे पास आते जा रही थी

और फिर धीरे धीरे वो मोती मेरे अंदर समा गयी और उसके मेरे अंदर समाते ही मेरे शरीर मे इतना तेज दर्द होने लगा की मै अपनी ध्यान अवस्था भी स्थिर नही रख पा रहा था लेकिन फिर भी में हार नही मान रहा था

कुमार जैसे जैसे मंत्र बोले जा रहा था मे उसे दोहरा रहा था तो वही कुमार की आवाज सुन कर लग रहा था कि जैसे मुझ से ज्यादा दर्द और पीड़ा उसे हो रही है मे आँखे खोल कर देखना चाहता था

लेकिन कुमार ने हि मुझे कहा था कि कुछ भी हो जाए लेकिन मे अपनी आँखे न खोलू और न ही मंत्रों का जाप रोकू ऐसे ही न जाने कितने घंटों तक दर्द सहने और मंत्रों का जाप करते रहने के बाद आखिर कार मुझे होने वाली पीड़ा रुक गई और धीरे धीरे मेरा सारा पुराना दर्द भी गायब हो गया

और अभी मुझे उस मनी रूपी अस्त्र की ताकत अपने अंदर महसूस हो रही थी मुझे ऐसा लग रहा था की मेरे शरीर की सारी नशे खिचती जा रही हैं और धीरे धीरे मेरे शरीर का भार बढ़ता महसूस हुआ

और अभी कुमार की आवाज भी बंद हो गयी थी जिस वजह से मैने अपनी आँखे खोली तो सामने का नजारा देख कर दंग रह गया था क्योंकि मेरे सामने वही मोती था

लेकिन अब उसका आकार पहले से भी अधिक बढ़ गया था न सिर्फ आकार बल्कि उसका ताप उसका तेज उससे निकलती ऊर्जा सब पहले से भी अधिक हो गया था और जब मेरा ध्यान एक कोने में रखे हुए आसान पर गया

जिसे देख कर मे एक बार फिर से हैरान रह गया क्योंकि वो आसान नहीं बल्कि वो सिंहासन था वही सिंहासन जिसको मैने उ पाचों महासुरों को मारकर हासिल किया था (अध्याय अठरा और उन्नीस मे)

उस सिंहासन को मे अपने ऊर्जा स्त्रोत मे देखकर हैरान था और जब मे उसके पास जाने लगा की तभी फिर से उस जगह पर कुमार की आवाज आने लगी जो मुझे उस सिंहासन के पास जाने से रोक रहा था

कुमार:- अभी तुम्हे उस सिंहासन को छूना भी नहीं है

मै :- क्यों

कुमार:- अगर तुमने उसे छुआ भी तो तुम्हारे अपनों के साथ साथ तुम्हारे शत्रु भी तुम्हारे अस्तित्व के बारे में जान जायेंगे और अभी जितने कम लोग तुम्हारे बारे में जानेंगे उतना तुम्हारे लिए अपने अस्तित्व तक पहुंचना आसान होगा

फिर मैने इस बारे में ज्यादा बात करना ठीक नही समझा और अब मुझे थकान भी महसूस होने लगी थी जिस कारण मैने भी अपना ध्यान तोड़ दिया और

जब मैने आँख खोली तो अभी भी रात ही ही रखी थी मुझे लग रहा था कि जैसे सुबह हो गयी होगी खैर उसके बाद मे तालाब मे ही नहाकर वापस आश्रम की और चल पड़ा मे अभी बहुत ही ज्यादा उत्साहित था अपनी ताकतों का इस्तेमाल करने के लिए

जिसका सुवर्ण मौका भी नियति जल्द ही मुझे देने वाली थी

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आज के लिए इतना ही

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