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Fantasy ब्रह्माराक्षस

park

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228
अध्याय अट्ठावनं

इस वक़्त मे अपने माता पिता और शिबू के साथ महागुरु के सभाकक्ष मे मौजूद था जहाँ पर हमारे साथ साथ सारे गुरु और प्रिया भी मौजूद थे जिन सब के चेहरे पर प्रश्नात्मक भाव साफ दिखाई दे रहे थे

वो सब अभी भी मेरे अस्तित्व को लेकर हैरान थे जो देखकर पिताश्री ने सबको मेरी जन्म का रहस्य बता दिया की कैसे सबसे पहले सप्तऋषियों अपने ज्ञान और सप्तस्त्र की शक्तियों के मदद से माता पिता को इंसानी यौनि मै वापस लाने का प्रयास किया था


जिसमे वो असफल हुए लेकिन उस वक़्त वो शक्ति माँ और बाबा के शरीर मे समा गयी थी और जब मेरे जन्म का वक़्त आया तो वो सप्तस्त्र की ऊर्जा उन दोनों मेसे मेरे शरीर में समा गयी

जिसके बाद शत्रुओ से मेरी रक्षा के लिए पिताश्री ने ही मुझे धरती लोक मे इस आश्रम मे भेजा था जैसे जैसे पिताश्री ये सब बता रहे थे वैसे वैसे ही हर किसी के चेहरे के भाव बदल रहे थे और जब पिताश्री ने सब बोलना रोका

तो अचानक मेरे दिमाग मे वही सारे चित्र आने लगे जो मेने उस वक़्त देखे थे जब मे अस्त्रों की शक्ति को काबू कर रहा था और फिर अचानक से मेरे दिमाग मे तेज दर्द होने लगा

ऐसा दर्द जिसे सहन करने की मे जितनी कोशिश करता वो उतना ही ज्यादा बढ़ता और बार बार मेरे आँखों के समान वही चित्र आते जो अस्त्रों को काबू करते वक़्त दिख रहे थे और वो चित्र कुछ और नही


बल्कि जो वेदस्त ग्रह पर जो कुछ हुआ था वही दिख रहा था और साथ मे और भी कुछ अलग अलग ग्रहों के चित्र थे जहाँ की हालत भी बिल्कुल ऐसी ही थी या इसे भी बत्तर हालत थी और ये सब देखकर मेरे दिल और दिमाग दोनों ने भी काम करना बंद कर दिया था

जिसके बाद मेने जैसे तैसे करके अपने दिल और दिमाग दोनों को काबू किया जिससे अब मुझे राहत महसूस होने लगी जिसके बाद जैसे ही मे ठीक हुआ वैसे ही सब चिंता के मारे मेरे पास आने लगे

जिसके बाद जब में सबको इसके बारे में बताया तो वहा 3 लोगों को छोड़के सारे लोगों के चेहरों पर प्रश्नात्मक भाव थे तो वही उन तीनों के चेहरों पर हैरानी साफ साफ दिखाई दे रही थी जो कोई और नही


बल्कि महागुरु पिताश्री और शिबू थे जिनके चेहरों को देखकर ही लग रहा था कि यहाँ जो कुछ भी हो रहा है और जो कुछ मेने देखा उसके बारे में जरूर वो कुछ न कुछ जानते है जो देख कर मे उन तीनों के सामने जा कर खड़ा हो गया

मे :- आप तीनों के चेहरे पर आये भावों को देखकर मुझे ये तो पता चल गया कि आप सभी मेरे इन सपनों के बारे में जानते है लेकिन शायद आप ये बताना नहीं चाहते

पिताजी :- नही भद्रा ऐसी बात नहीं है बल्कि आज नही तो कल तुम्हे सारी सच्चाई पता चलने ही वाली है बस हम इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं की ये सब इतने जल्दी होने वाला है

माँ:- ये आप किस बारे में बात कर रहे स्वामी

महागुरु :- महासुरों के बारे में महारानी जी जो स्वप्न भद्रा को आ रहे है वो स्वप्न नही सच्चाई है अभी ये सब उसे दिख रहा है मतलब दूर किसी ग्रह पर ये सब घटित हो चुका है

प्रिया:- लेकिन इस सब से उन महासुरों का और भद्रा का क्या संबंध है

शिबू :- महासूर ही वो जीव है जो ये सब कर रहे है और इस सब से भद्रा का ये संबंध है कि उन सब को बचाने की जो शक्ति है वो भद्रा के पास है सप्तस्रों की शक्ति और सप्तस्त्र भद्रा को उसकी जिम्मेदारियों से उसके कर्मों से उस अवगत करा रहे है

मै:- लेकिन मुझे पता कैसे चलेगा कि मुझे कब और कैसे उन्हे बचाना है

महागुरु:- इसका जवाब भी तुम्हे सप्तस्त्र ही देंगे सब उनपर छोड़कर तुम आगे आने वाले युद्ध के लिए खुदको सज्ज करलो

मै:- जैसा आप कह महागुरु लेकिन अभी तक मुझे ये बात समझ नही आयी की आप कह रहे थे की आपको उम्मीद नहीं थी कि ये सब इतनी जल्दी होगा इसका अर्थ क्या है

पिताजी :- सालों पहले जब सप्तऋषियों ने महासुरों को कैद किया था तब आकाश गंगा के सारे ग्रह और तारे एक समान रेषा मे थे और उसी पल ही इस बात की भविष्य वाणी हो गयी थी कि भविष्य मे जब फिर से ठीक वैसा ही संजोग होगा तब महासुरों का प्रकोप फिर से एक बार इस संसार पर छायेगा तब उसे रोकने के लिए फिरसे सप्तस्रों के मालिक जन्म लेंगे और उसी वक़्त उन महासुरों का सर्वरूप से विनाश हो पायेगा

महागुरु :- लेकिन वैसा संजोग बनने के लिए अभी करीबन 2000 वर्ष बाकी है तो वो अब कैसे जन्म ले सकते है

शिबू :- ले सकते है बिल्कुल ले सकते है भक्ति की शक्ति से हम सब अंजान नही है

शांति:- लेकिन असुरों मे ऐसा कों है जिसकी भक्ति में इतनी शक्ति है कि जो ये सब कर पाए

शिबू :- आप भूल रहे हैं शांति जी की इस संसार में एक असुर ऐसा है जो संजीवनी और मृत संजीवनी दोनों का ज्ञानी है उसकी भक्ति इतनी प्रबल है की जिसके आगे देवता भी अपने सर झुकाते है

प्रिया :- कौन है वो असुर

पिताजी :- महान असुर कुल गुरु देव आदिदेव के परम भक्त आचार्य शुक्राचार्य

जब पिताजी ने ये कहा तो सब हैरान हो गए क्योंकि सब को लग रहा था कि उन्होंने सन्यास ले लिया है लेकिन अचानक ये बात सुनकर सब दंग रह गए और इससे अब सबको इस बात का अंदाजा हो गया था कि आगे चलकर ये युद्ध कितना घातक हो सकता हैं

मे :- पिताजी मे इतना समझ गया कि ये युद्ध हम सब के महाविध्वंशक युद्ध साबित होगा लेकिन मे ये समझ नहीं पा रहा हूँ की क्या मे तैयार हूँ क्योंकि अस्त्रों की शक्तियों को जागृत करके मुझे 1 दिन भी नही हुआ है

महागुरु :- भद्रा मे तुम्हारी मनोस्थिति समझ सकता हूँ लेकिन तुम इस बात को भी नही झुठला सकते की जब तुम्हारे पास किसी भी अस्त्र की शक्ति नही थी और न ही तुम्हे अपने अस्तित्व का ज्ञान था तब तुमने केवल अपने बुद्धि के बल से पूरे शैतान लोक को अकेले युद्ध मे हरा दिया था और जब तुम्हारे पास केवल एक अस्त्र की शक्ति थी तब तुमने मायासुर समेत सभी महासुरों के प्रतिबिंब पर भारी पड़े थे

शिबू:- याद रखना भद्रा जब तक तुम खुदको काबिल नही समझते तब तक कोई अन्य भी तुम्हे काबिल नहीं समझेगा

मै:- जी मे समझ गया

महागुरु :- ठीक है आज की बातों पर यही रोक देते है रात बहुत हो गयी है बाकी बाते और योजनाएं हम कल सुबह कर लेंगे अभी आप सबको आराम की जरूरत है

महागुरु की बात सुनकर सब कुछ पल के लिए चिंता मुक्त हो कर अपने अपने कक्ष में चले गए थे तो वही मां बाबा और बाकी ब्रामहारक्षसों के लिए भी आश्रम में ही आरामदायक कमरों की व्यवस्था कर दी थी तो वही मे उन सब चित्रों के बारे में सोचकर परेशान हो रहा था तो वही मेरी ये परेशानी से भरा चेहरा वहा मौजूद चार आँखों से छुप न सका

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आज के लिए इतना ही

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Nice and superb update.....
 

kas1709

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अध्याय अट्ठावनं

इस वक़्त मे अपने माता पिता और शिबू के साथ महागुरु के सभाकक्ष मे मौजूद था जहाँ पर हमारे साथ साथ सारे गुरु और प्रिया भी मौजूद थे जिन सब के चेहरे पर प्रश्नात्मक भाव साफ दिखाई दे रहे थे

वो सब अभी भी मेरे अस्तित्व को लेकर हैरान थे जो देखकर पिताश्री ने सबको मेरी जन्म का रहस्य बता दिया की कैसे सबसे पहले सप्तऋषियों अपने ज्ञान और सप्तस्त्र की शक्तियों के मदद से माता पिता को इंसानी यौनि मै वापस लाने का प्रयास किया था


जिसमे वो असफल हुए लेकिन उस वक़्त वो शक्ति माँ और बाबा के शरीर मे समा गयी थी और जब मेरे जन्म का वक़्त आया तो वो सप्तस्त्र की ऊर्जा उन दोनों मेसे मेरे शरीर में समा गयी

जिसके बाद शत्रुओ से मेरी रक्षा के लिए पिताश्री ने ही मुझे धरती लोक मे इस आश्रम मे भेजा था जैसे जैसे पिताश्री ये सब बता रहे थे वैसे वैसे ही हर किसी के चेहरे के भाव बदल रहे थे और जब पिताश्री ने सब बोलना रोका

तो अचानक मेरे दिमाग मे वही सारे चित्र आने लगे जो मेने उस वक़्त देखे थे जब मे अस्त्रों की शक्ति को काबू कर रहा था और फिर अचानक से मेरे दिमाग मे तेज दर्द होने लगा

ऐसा दर्द जिसे सहन करने की मे जितनी कोशिश करता वो उतना ही ज्यादा बढ़ता और बार बार मेरे आँखों के समान वही चित्र आते जो अस्त्रों को काबू करते वक़्त दिख रहे थे और वो चित्र कुछ और नही


बल्कि जो वेदस्त ग्रह पर जो कुछ हुआ था वही दिख रहा था और साथ मे और भी कुछ अलग अलग ग्रहों के चित्र थे जहाँ की हालत भी बिल्कुल ऐसी ही थी या इसे भी बत्तर हालत थी और ये सब देखकर मेरे दिल और दिमाग दोनों ने भी काम करना बंद कर दिया था

जिसके बाद मेने जैसे तैसे करके अपने दिल और दिमाग दोनों को काबू किया जिससे अब मुझे राहत महसूस होने लगी जिसके बाद जैसे ही मे ठीक हुआ वैसे ही सब चिंता के मारे मेरे पास आने लगे

जिसके बाद जब में सबको इसके बारे में बताया तो वहा 3 लोगों को छोड़के सारे लोगों के चेहरों पर प्रश्नात्मक भाव थे तो वही उन तीनों के चेहरों पर हैरानी साफ साफ दिखाई दे रही थी जो कोई और नही


बल्कि महागुरु पिताश्री और शिबू थे जिनके चेहरों को देखकर ही लग रहा था कि यहाँ जो कुछ भी हो रहा है और जो कुछ मेने देखा उसके बारे में जरूर वो कुछ न कुछ जानते है जो देख कर मे उन तीनों के सामने जा कर खड़ा हो गया

मे :- आप तीनों के चेहरे पर आये भावों को देखकर मुझे ये तो पता चल गया कि आप सभी मेरे इन सपनों के बारे में जानते है लेकिन शायद आप ये बताना नहीं चाहते

पिताजी :- नही भद्रा ऐसी बात नहीं है बल्कि आज नही तो कल तुम्हे सारी सच्चाई पता चलने ही वाली है बस हम इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं की ये सब इतने जल्दी होने वाला है

माँ:- ये आप किस बारे में बात कर रहे स्वामी

महागुरु :- महासुरों के बारे में महारानी जी जो स्वप्न भद्रा को आ रहे है वो स्वप्न नही सच्चाई है अभी ये सब उसे दिख रहा है मतलब दूर किसी ग्रह पर ये सब घटित हो चुका है

प्रिया:- लेकिन इस सब से उन महासुरों का और भद्रा का क्या संबंध है

शिबू :- महासूर ही वो जीव है जो ये सब कर रहे है और इस सब से भद्रा का ये संबंध है कि उन सब को बचाने की जो शक्ति है वो भद्रा के पास है सप्तस्रों की शक्ति और सप्तस्त्र भद्रा को उसकी जिम्मेदारियों से उसके कर्मों से उस अवगत करा रहे है

मै:- लेकिन मुझे पता कैसे चलेगा कि मुझे कब और कैसे उन्हे बचाना है

महागुरु:- इसका जवाब भी तुम्हे सप्तस्त्र ही देंगे सब उनपर छोड़कर तुम आगे आने वाले युद्ध के लिए खुदको सज्ज करलो

मै:- जैसा आप कह महागुरु लेकिन अभी तक मुझे ये बात समझ नही आयी की आप कह रहे थे की आपको उम्मीद नहीं थी कि ये सब इतनी जल्दी होगा इसका अर्थ क्या है

पिताजी :- सालों पहले जब सप्तऋषियों ने महासुरों को कैद किया था तब आकाश गंगा के सारे ग्रह और तारे एक समान रेषा मे थे और उसी पल ही इस बात की भविष्य वाणी हो गयी थी कि भविष्य मे जब फिर से ठीक वैसा ही संजोग होगा तब महासुरों का प्रकोप फिर से एक बार इस संसार पर छायेगा तब उसे रोकने के लिए फिरसे सप्तस्रों के मालिक जन्म लेंगे और उसी वक़्त उन महासुरों का सर्वरूप से विनाश हो पायेगा

महागुरु :- लेकिन वैसा संजोग बनने के लिए अभी करीबन 2000 वर्ष बाकी है तो वो अब कैसे जन्म ले सकते है

शिबू :- ले सकते है बिल्कुल ले सकते है भक्ति की शक्ति से हम सब अंजान नही है

शांति:- लेकिन असुरों मे ऐसा कों है जिसकी भक्ति में इतनी शक्ति है कि जो ये सब कर पाए

शिबू :- आप भूल रहे हैं शांति जी की इस संसार में एक असुर ऐसा है जो संजीवनी और मृत संजीवनी दोनों का ज्ञानी है उसकी भक्ति इतनी प्रबल है की जिसके आगे देवता भी अपने सर झुकाते है

प्रिया :- कौन है वो असुर

पिताजी :- महान असुर कुल गुरु देव आदिदेव के परम भक्त आचार्य शुक्राचार्य

जब पिताजी ने ये कहा तो सब हैरान हो गए क्योंकि सब को लग रहा था कि उन्होंने सन्यास ले लिया है लेकिन अचानक ये बात सुनकर सब दंग रह गए और इससे अब सबको इस बात का अंदाजा हो गया था कि आगे चलकर ये युद्ध कितना घातक हो सकता हैं

मे :- पिताजी मे इतना समझ गया कि ये युद्ध हम सब के महाविध्वंशक युद्ध साबित होगा लेकिन मे ये समझ नहीं पा रहा हूँ की क्या मे तैयार हूँ क्योंकि अस्त्रों की शक्तियों को जागृत करके मुझे 1 दिन भी नही हुआ है

महागुरु :- भद्रा मे तुम्हारी मनोस्थिति समझ सकता हूँ लेकिन तुम इस बात को भी नही झुठला सकते की जब तुम्हारे पास किसी भी अस्त्र की शक्ति नही थी और न ही तुम्हे अपने अस्तित्व का ज्ञान था तब तुमने केवल अपने बुद्धि के बल से पूरे शैतान लोक को अकेले युद्ध मे हरा दिया था और जब तुम्हारे पास केवल एक अस्त्र की शक्ति थी तब तुमने मायासुर समेत सभी महासुरों के प्रतिबिंब पर भारी पड़े थे

शिबू:- याद रखना भद्रा जब तक तुम खुदको काबिल नही समझते तब तक कोई अन्य भी तुम्हे काबिल नहीं समझेगा

मै:- जी मे समझ गया

महागुरु :- ठीक है आज की बातों पर यही रोक देते है रात बहुत हो गयी है बाकी बाते और योजनाएं हम कल सुबह कर लेंगे अभी आप सबको आराम की जरूरत है

महागुरु की बात सुनकर सब कुछ पल के लिए चिंता मुक्त हो कर अपने अपने कक्ष में चले गए थे तो वही मां बाबा और बाकी ब्रामहारक्षसों के लिए भी आश्रम में ही आरामदायक कमरों की व्यवस्था कर दी थी तो वही मे उन सब चित्रों के बारे में सोचकर परेशान हो रहा था तो वही मेरी ये परेशानी से भरा चेहरा वहा मौजूद चार आँखों से छुप न सका

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आज के लिए इतना ही

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Nice update....
 

dhparikh

Well-Known Member
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228
अध्याय अट्ठावनं

इस वक़्त मे अपने माता पिता और शिबू के साथ महागुरु के सभाकक्ष मे मौजूद था जहाँ पर हमारे साथ साथ सारे गुरु और प्रिया भी मौजूद थे जिन सब के चेहरे पर प्रश्नात्मक भाव साफ दिखाई दे रहे थे

वो सब अभी भी मेरे अस्तित्व को लेकर हैरान थे जो देखकर पिताश्री ने सबको मेरी जन्म का रहस्य बता दिया की कैसे सबसे पहले सप्तऋषियों अपने ज्ञान और सप्तस्त्र की शक्तियों के मदद से माता पिता को इंसानी यौनि मै वापस लाने का प्रयास किया था


जिसमे वो असफल हुए लेकिन उस वक़्त वो शक्ति माँ और बाबा के शरीर मे समा गयी थी और जब मेरे जन्म का वक़्त आया तो वो सप्तस्त्र की ऊर्जा उन दोनों मेसे मेरे शरीर में समा गयी

जिसके बाद शत्रुओ से मेरी रक्षा के लिए पिताश्री ने ही मुझे धरती लोक मे इस आश्रम मे भेजा था जैसे जैसे पिताश्री ये सब बता रहे थे वैसे वैसे ही हर किसी के चेहरे के भाव बदल रहे थे और जब पिताश्री ने सब बोलना रोका

तो अचानक मेरे दिमाग मे वही सारे चित्र आने लगे जो मेने उस वक़्त देखे थे जब मे अस्त्रों की शक्ति को काबू कर रहा था और फिर अचानक से मेरे दिमाग मे तेज दर्द होने लगा

ऐसा दर्द जिसे सहन करने की मे जितनी कोशिश करता वो उतना ही ज्यादा बढ़ता और बार बार मेरे आँखों के समान वही चित्र आते जो अस्त्रों को काबू करते वक़्त दिख रहे थे और वो चित्र कुछ और नही


बल्कि जो वेदस्त ग्रह पर जो कुछ हुआ था वही दिख रहा था और साथ मे और भी कुछ अलग अलग ग्रहों के चित्र थे जहाँ की हालत भी बिल्कुल ऐसी ही थी या इसे भी बत्तर हालत थी और ये सब देखकर मेरे दिल और दिमाग दोनों ने भी काम करना बंद कर दिया था

जिसके बाद मेने जैसे तैसे करके अपने दिल और दिमाग दोनों को काबू किया जिससे अब मुझे राहत महसूस होने लगी जिसके बाद जैसे ही मे ठीक हुआ वैसे ही सब चिंता के मारे मेरे पास आने लगे

जिसके बाद जब में सबको इसके बारे में बताया तो वहा 3 लोगों को छोड़के सारे लोगों के चेहरों पर प्रश्नात्मक भाव थे तो वही उन तीनों के चेहरों पर हैरानी साफ साफ दिखाई दे रही थी जो कोई और नही


बल्कि महागुरु पिताश्री और शिबू थे जिनके चेहरों को देखकर ही लग रहा था कि यहाँ जो कुछ भी हो रहा है और जो कुछ मेने देखा उसके बारे में जरूर वो कुछ न कुछ जानते है जो देख कर मे उन तीनों के सामने जा कर खड़ा हो गया

मे :- आप तीनों के चेहरे पर आये भावों को देखकर मुझे ये तो पता चल गया कि आप सभी मेरे इन सपनों के बारे में जानते है लेकिन शायद आप ये बताना नहीं चाहते

पिताजी :- नही भद्रा ऐसी बात नहीं है बल्कि आज नही तो कल तुम्हे सारी सच्चाई पता चलने ही वाली है बस हम इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं की ये सब इतने जल्दी होने वाला है

माँ:- ये आप किस बारे में बात कर रहे स्वामी

महागुरु :- महासुरों के बारे में महारानी जी जो स्वप्न भद्रा को आ रहे है वो स्वप्न नही सच्चाई है अभी ये सब उसे दिख रहा है मतलब दूर किसी ग्रह पर ये सब घटित हो चुका है

प्रिया:- लेकिन इस सब से उन महासुरों का और भद्रा का क्या संबंध है

शिबू :- महासूर ही वो जीव है जो ये सब कर रहे है और इस सब से भद्रा का ये संबंध है कि उन सब को बचाने की जो शक्ति है वो भद्रा के पास है सप्तस्रों की शक्ति और सप्तस्त्र भद्रा को उसकी जिम्मेदारियों से उसके कर्मों से उस अवगत करा रहे है

मै:- लेकिन मुझे पता कैसे चलेगा कि मुझे कब और कैसे उन्हे बचाना है

महागुरु:- इसका जवाब भी तुम्हे सप्तस्त्र ही देंगे सब उनपर छोड़कर तुम आगे आने वाले युद्ध के लिए खुदको सज्ज करलो

मै:- जैसा आप कह महागुरु लेकिन अभी तक मुझे ये बात समझ नही आयी की आप कह रहे थे की आपको उम्मीद नहीं थी कि ये सब इतनी जल्दी होगा इसका अर्थ क्या है

पिताजी :- सालों पहले जब सप्तऋषियों ने महासुरों को कैद किया था तब आकाश गंगा के सारे ग्रह और तारे एक समान रेषा मे थे और उसी पल ही इस बात की भविष्य वाणी हो गयी थी कि भविष्य मे जब फिर से ठीक वैसा ही संजोग होगा तब महासुरों का प्रकोप फिर से एक बार इस संसार पर छायेगा तब उसे रोकने के लिए फिरसे सप्तस्रों के मालिक जन्म लेंगे और उसी वक़्त उन महासुरों का सर्वरूप से विनाश हो पायेगा

महागुरु :- लेकिन वैसा संजोग बनने के लिए अभी करीबन 2000 वर्ष बाकी है तो वो अब कैसे जन्म ले सकते है

शिबू :- ले सकते है बिल्कुल ले सकते है भक्ति की शक्ति से हम सब अंजान नही है

शांति:- लेकिन असुरों मे ऐसा कों है जिसकी भक्ति में इतनी शक्ति है कि जो ये सब कर पाए

शिबू :- आप भूल रहे हैं शांति जी की इस संसार में एक असुर ऐसा है जो संजीवनी और मृत संजीवनी दोनों का ज्ञानी है उसकी भक्ति इतनी प्रबल है की जिसके आगे देवता भी अपने सर झुकाते है

प्रिया :- कौन है वो असुर

पिताजी :- महान असुर कुल गुरु देव आदिदेव के परम भक्त आचार्य शुक्राचार्य

जब पिताजी ने ये कहा तो सब हैरान हो गए क्योंकि सब को लग रहा था कि उन्होंने सन्यास ले लिया है लेकिन अचानक ये बात सुनकर सब दंग रह गए और इससे अब सबको इस बात का अंदाजा हो गया था कि आगे चलकर ये युद्ध कितना घातक हो सकता हैं

मे :- पिताजी मे इतना समझ गया कि ये युद्ध हम सब के महाविध्वंशक युद्ध साबित होगा लेकिन मे ये समझ नहीं पा रहा हूँ की क्या मे तैयार हूँ क्योंकि अस्त्रों की शक्तियों को जागृत करके मुझे 1 दिन भी नही हुआ है

महागुरु :- भद्रा मे तुम्हारी मनोस्थिति समझ सकता हूँ लेकिन तुम इस बात को भी नही झुठला सकते की जब तुम्हारे पास किसी भी अस्त्र की शक्ति नही थी और न ही तुम्हे अपने अस्तित्व का ज्ञान था तब तुमने केवल अपने बुद्धि के बल से पूरे शैतान लोक को अकेले युद्ध मे हरा दिया था और जब तुम्हारे पास केवल एक अस्त्र की शक्ति थी तब तुमने मायासुर समेत सभी महासुरों के प्रतिबिंब पर भारी पड़े थे

शिबू:- याद रखना भद्रा जब तक तुम खुदको काबिल नही समझते तब तक कोई अन्य भी तुम्हे काबिल नहीं समझेगा

मै:- जी मे समझ गया

महागुरु :- ठीक है आज की बातों पर यही रोक देते है रात बहुत हो गयी है बाकी बाते और योजनाएं हम कल सुबह कर लेंगे अभी आप सबको आराम की जरूरत है

महागुरु की बात सुनकर सब कुछ पल के लिए चिंता मुक्त हो कर अपने अपने कक्ष में चले गए थे तो वही मां बाबा और बाकी ब्रामहारक्षसों के लिए भी आश्रम में ही आरामदायक कमरों की व्यवस्था कर दी थी तो वही मे उन सब चित्रों के बारे में सोचकर परेशान हो रहा था तो वही मेरी ये परेशानी से भरा चेहरा वहा मौजूद चार आँखों से छुप न सका

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आज के लिए इतना ही

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Nice update....
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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304
अध्याय अट्ठावनं

इस वक़्त मे अपने माता पिता और शिबू के साथ महागुरु के सभाकक्ष मे मौजूद था जहाँ पर हमारे साथ साथ सारे गुरु और प्रिया भी मौजूद थे जिन सब के चेहरे पर प्रश्नात्मक भाव साफ दिखाई दे रहे थे

वो सब अभी भी मेरे अस्तित्व को लेकर हैरान थे जो देखकर पिताश्री ने सबको मेरी जन्म का रहस्य बता दिया की कैसे सबसे पहले सप्तऋषियों अपने ज्ञान और सप्तस्त्र की शक्तियों के मदद से माता पिता को इंसानी यौनि मै वापस लाने का प्रयास किया था


जिसमे वो असफल हुए लेकिन उस वक़्त वो शक्ति माँ और बाबा के शरीर मे समा गयी थी और जब मेरे जन्म का वक़्त आया तो वो सप्तस्त्र की ऊर्जा उन दोनों मेसे मेरे शरीर में समा गयी

जिसके बाद शत्रुओ से मेरी रक्षा के लिए पिताश्री ने ही मुझे धरती लोक मे इस आश्रम मे भेजा था जैसे जैसे पिताश्री ये सब बता रहे थे वैसे वैसे ही हर किसी के चेहरे के भाव बदल रहे थे और जब पिताश्री ने सब बोलना रोका

तो अचानक मेरे दिमाग मे वही सारे चित्र आने लगे जो मेने उस वक़्त देखे थे जब मे अस्त्रों की शक्ति को काबू कर रहा था और फिर अचानक से मेरे दिमाग मे तेज दर्द होने लगा

ऐसा दर्द जिसे सहन करने की मे जितनी कोशिश करता वो उतना ही ज्यादा बढ़ता और बार बार मेरे आँखों के समान वही चित्र आते जो अस्त्रों को काबू करते वक़्त दिख रहे थे और वो चित्र कुछ और नही


बल्कि जो वेदस्त ग्रह पर जो कुछ हुआ था वही दिख रहा था और साथ मे और भी कुछ अलग अलग ग्रहों के चित्र थे जहाँ की हालत भी बिल्कुल ऐसी ही थी या इसे भी बत्तर हालत थी और ये सब देखकर मेरे दिल और दिमाग दोनों ने भी काम करना बंद कर दिया था

जिसके बाद मेने जैसे तैसे करके अपने दिल और दिमाग दोनों को काबू किया जिससे अब मुझे राहत महसूस होने लगी जिसके बाद जैसे ही मे ठीक हुआ वैसे ही सब चिंता के मारे मेरे पास आने लगे

जिसके बाद जब में सबको इसके बारे में बताया तो वहा 3 लोगों को छोड़के सारे लोगों के चेहरों पर प्रश्नात्मक भाव थे तो वही उन तीनों के चेहरों पर हैरानी साफ साफ दिखाई दे रही थी जो कोई और नही


बल्कि महागुरु पिताश्री और शिबू थे जिनके चेहरों को देखकर ही लग रहा था कि यहाँ जो कुछ भी हो रहा है और जो कुछ मेने देखा उसके बारे में जरूर वो कुछ न कुछ जानते है जो देख कर मे उन तीनों के सामने जा कर खड़ा हो गया

मे :- आप तीनों के चेहरे पर आये भावों को देखकर मुझे ये तो पता चल गया कि आप सभी मेरे इन सपनों के बारे में जानते है लेकिन शायद आप ये बताना नहीं चाहते

पिताजी :- नही भद्रा ऐसी बात नहीं है बल्कि आज नही तो कल तुम्हे सारी सच्चाई पता चलने ही वाली है बस हम इस बात पर यकीन नहीं कर पा रहे हैं की ये सब इतने जल्दी होने वाला है

माँ:- ये आप किस बारे में बात कर रहे स्वामी

महागुरु :- महासुरों के बारे में महारानी जी जो स्वप्न भद्रा को आ रहे है वो स्वप्न नही सच्चाई है अभी ये सब उसे दिख रहा है मतलब दूर किसी ग्रह पर ये सब घटित हो चुका है

प्रिया:- लेकिन इस सब से उन महासुरों का और भद्रा का क्या संबंध है

शिबू :- महासूर ही वो जीव है जो ये सब कर रहे है और इस सब से भद्रा का ये संबंध है कि उन सब को बचाने की जो शक्ति है वो भद्रा के पास है सप्तस्रों की शक्ति और सप्तस्त्र भद्रा को उसकी जिम्मेदारियों से उसके कर्मों से उस अवगत करा रहे है

मै:- लेकिन मुझे पता कैसे चलेगा कि मुझे कब और कैसे उन्हे बचाना है

महागुरु:- इसका जवाब भी तुम्हे सप्तस्त्र ही देंगे सब उनपर छोड़कर तुम आगे आने वाले युद्ध के लिए खुदको सज्ज करलो

मै:- जैसा आप कह महागुरु लेकिन अभी तक मुझे ये बात समझ नही आयी की आप कह रहे थे की आपको उम्मीद नहीं थी कि ये सब इतनी जल्दी होगा इसका अर्थ क्या है

पिताजी :- सालों पहले जब सप्तऋषियों ने महासुरों को कैद किया था तब आकाश गंगा के सारे ग्रह और तारे एक समान रेषा मे थे और उसी पल ही इस बात की भविष्य वाणी हो गयी थी कि भविष्य मे जब फिर से ठीक वैसा ही संजोग होगा तब महासुरों का प्रकोप फिर से एक बार इस संसार पर छायेगा तब उसे रोकने के लिए फिरसे सप्तस्रों के मालिक जन्म लेंगे और उसी वक़्त उन महासुरों का सर्वरूप से विनाश हो पायेगा

महागुरु :- लेकिन वैसा संजोग बनने के लिए अभी करीबन 2000 वर्ष बाकी है तो वो अब कैसे जन्म ले सकते है

शिबू :- ले सकते है बिल्कुल ले सकते है भक्ति की शक्ति से हम सब अंजान नही है

शांति:- लेकिन असुरों मे ऐसा कों है जिसकी भक्ति में इतनी शक्ति है कि जो ये सब कर पाए

शिबू :- आप भूल रहे हैं शांति जी की इस संसार में एक असुर ऐसा है जो संजीवनी और मृत संजीवनी दोनों का ज्ञानी है उसकी भक्ति इतनी प्रबल है की जिसके आगे देवता भी अपने सर झुकाते है

प्रिया :- कौन है वो असुर

पिताजी :- महान असुर कुल गुरु देव आदिदेव के परम भक्त आचार्य शुक्राचार्य

जब पिताजी ने ये कहा तो सब हैरान हो गए क्योंकि सब को लग रहा था कि उन्होंने सन्यास ले लिया है लेकिन अचानक ये बात सुनकर सब दंग रह गए और इससे अब सबको इस बात का अंदाजा हो गया था कि आगे चलकर ये युद्ध कितना घातक हो सकता हैं

मे :- पिताजी मे इतना समझ गया कि ये युद्ध हम सब के महाविध्वंशक युद्ध साबित होगा लेकिन मे ये समझ नहीं पा रहा हूँ की क्या मे तैयार हूँ क्योंकि अस्त्रों की शक्तियों को जागृत करके मुझे 1 दिन भी नही हुआ है

महागुरु :- भद्रा मे तुम्हारी मनोस्थिति समझ सकता हूँ लेकिन तुम इस बात को भी नही झुठला सकते की जब तुम्हारे पास किसी भी अस्त्र की शक्ति नही थी और न ही तुम्हे अपने अस्तित्व का ज्ञान था तब तुमने केवल अपने बुद्धि के बल से पूरे शैतान लोक को अकेले युद्ध मे हरा दिया था और जब तुम्हारे पास केवल एक अस्त्र की शक्ति थी तब तुमने मायासुर समेत सभी महासुरों के प्रतिबिंब पर भारी पड़े थे

शिबू:- याद रखना भद्रा जब तक तुम खुदको काबिल नही समझते तब तक कोई अन्य भी तुम्हे काबिल नहीं समझेगा

मै:- जी मे समझ गया

महागुरु :- ठीक है आज की बातों पर यही रोक देते है रात बहुत हो गयी है बाकी बाते और योजनाएं हम कल सुबह कर लेंगे अभी आप सबको आराम की जरूरत है

महागुरु की बात सुनकर सब कुछ पल के लिए चिंता मुक्त हो कर अपने अपने कक्ष में चले गए थे तो वही मां बाबा और बाकी ब्रामहारक्षसों के लिए भी आश्रम में ही आरामदायक कमरों की व्यवस्था कर दी थी तो वही मे उन सब चित्रों के बारे में सोचकर परेशान हो रहा था तो वही मेरी ये परेशानी से भरा चेहरा वहा मौजूद चार आँखों से छुप न सका

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आज के लिए इतना ही

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Awesome update and mind blowing writing ✍️ vajradhikari brother 👏
Bhadra ko mahaguru jo keh rahe hai wo bilkul sahi baat hai, uske pas 7 astro ki takat hai, or sath me sachai ka rasta bhi to use koi nahi hara payega. 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻
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VAJRADHIKARI

Hello dosto
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अध्याय उनसठ

मे उन सब चित्रों के बारे में सोचकर परेशान हो रहा था तो वही मेरी ये परेशानी से भरा चेहरा वहा मौजूद चार आँखों से छुप न सका जो किसी और की नही बल्कि प्रिया और शांति की ही थी

जब उन दोनों ने मुझे ऐसे परेशान देखा तो वो दोनों भी चिंतित हो गयी और दोनों मुझे इस परेशानी से निकालने के लिए रास्ता ढूँढने लगे और जल्द ही प्रिया के चेहरे पर एक रहस्यमयी परंतु शैतानी मुस्कान आ गयी

जैसे कि उसे कोई तरकीब मिल गयी थी और फिर उसने शांति के कान मे भी ये तरकीब बता दी जिससे तो मानो शांति को झटका ही लग गया वो प्रिया को देखकर डरते हुए ना मे सर हिलाने लगी

शांति :- नही प्रिया मे ये नही कर पाऊँगी मुझे शर्म आयेगी

प्रिया :- अरे मेरी बन्नो हमे ये करना ही होगा नही तो भद्रा आने वाले युद्ध मे अपनी पूरी शक्ति का इस्तेमाल नही कर पायेगा देखा नही आज वो कितना परेशान था

शांति :- लेकिन

प्रिया :- लेकिन वेकिन कुछ नहीं हमे ये करना ही होगा भद्रा के लिए और तुम मना नही कर सकती तुम्हे भद्रा की कसम

शांति लाख बार मना करती रही लेकिन प्रिया ने उसकी एक ना सुनी और और जब उसने शांति को मेरी कसम दे दी तो सब वही खतम हो गया अब शांति मना नही कर सकती थी और न ही कुछ बोल सकती थी

जिससे अब शांति ने भी प्रिया के सामने हार मान ली थी क्योंकि वो जानती थी कि जबसे प्रिया ने पूरी तरीके से महारानी वृंदा को अपनाया था तबसे ही वो और भी ज्यादा जिद्दी हो गयी थी

जहाँ एक तरफ ये दोनों अपनी योजना बनाकर उसपर अमल भी करने लगी थी तो वही दूसरी तरफ मे आश्रम में यहाँ से वहा टहल रहा था और ऐसे ही टहलते मे अपने कुटिया के पास पहुँच गया

और जैसे ही मे अंदर घुसा तो मे दंग रह गया क्योंकि मेरा कमरा इस वक़्त पूरी तरह से सजाया गया था जैसे कि किसी की सुहागरात हो अंदर कमरे मे शांति और प्रिया दोनों मौजूद थे

मे :- प्रिया शांति ये सब क्या है

जब उन दोनों ने मुझे देखा तो उन दोनों के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी जिसके बाद प्रिया तुरंत मेरे पास आ गयी

प्रिया :- (मोहक स्वर मे) आ गए आप आइये स्वामी हम दोनों आपका ही इंतज़ार कर रहे थे की कब आप आये और हमारे इस कामग्नि se तड़पते शरीर को भोगकर इसकी कामग्नि को शांत करे

मे :- ये क्या है प्रिया तुम्हे पता है ना की इस वक़्त मेरे दिमाग मे कितनी सारी बाते चल रही है और ऐसे में ये सब नही प्रिया पहले सारी परेशानिया खतम होने दो फिर हम तीनों बाहर जायेंगे और जैसा तुम बोलोगी वैसा ही करेंगे ये मेरा वचन है

प्रिया :- नही हम अभी करेंगे

मै :- समझा करो प्रिया अभी जो माहौल है उसमे ये सब सही नही है अभी परेशानियों की तलवार हमारे सर पे लटक रही है और तुम्हे

मेरी बात सुनकर प्रिया ने एक बार मुझे घूर के देखा और फिर से शांति के पास चली गई जिसके बाद मे बेड पर जाके लेट गया

तो वही प्रिया और शांति बेड के सामने वाले सोफे पर जाके बैठ गयी जब वो मेरे सामने बैठे थे तब मुझे उनके हुस्न का दीदार होने लगा जिसपे अभी तक मेरा ध्यान ही नही गया था

जहाँ एक तरफ प्रिया ने हमेशा की तरह टाइट जींस और टॉप पहना हुआ था जिसमे उसके शरीर का हर उभार साफ साफ दिख रहा था तो वही शांति ने भी सारी पहनी हुई थी जिसके ब्लाउज से उसकी चुचिया साफ दिख रही थी

उन दोनों का ये अवतार देखकर मेरा लंड भी अब अपने पूरे उफान पर था अब मुझे अपने फैसले पर पछतावा होने लगा था तो वही प्रिया ने जब मेरे कपड़ों के उपर से मेरे खड़े लंड के उभर को देखा

जिससे उसकी आँखों में एक नटखट चमक आ गयी. जिसके बाद उसने शांति को अपने बाहों में ले लिया

प्रिया (शांति को आँख मारते हुए) :- शांति डार्लिंग चल ऐसा करते हैं कि हम अपना काम शुरू करते हैं, मे भी तो देखु की ये कितनी देर ऐसे ही खुद पर काबू रख सकता हैं

प्रिया की बात सुनकर जहाँ पर शांति हैरानी और शर्म के मारे प्रिया को घूरे जा रही थी तो वही मेरे मन मे एक अजीब सा उत्साह एक अजीब भावना ने उफान लेना शुरू किया था

जिससे मेरे लंड भी कपड़ो के अंदर ही बार बार झटके मारे जा रहा था शायद वो मुझे मेरे फैसले के कारण गालियाँ दे रहा था लेकिन अब बात मेरे सम्मान पर आ गयी थी

अगर मे अभी उन दोनों के बीच में कूद पड़ता तो मेरे उतावले पण पर वो दोनों जरूर मुझे हर वक़्त चिढ़ाते जिस कारण अब मे भी अपने जिद्द पर अड़ गया था और सोने का प्रयास करने लगा

तो वही अब तक दोनों एक दूसरे की बाँहों में थी और लिपटकर चूमाचाटी कर रही थी. धीरे धीरे उन्हों ने एक दूसरे के कपड़ों को भी उनके शरीर से अलग कर दिया था सबसे पहले प्रिया ने तुरंत ही अपना टॉप और जीन्स निकाल डाले और अब सिर्फ़ सफ़ेद रंग की ब्रा और पेन्टी ही उनके शरीर पर रही गई थी

जिसके बाद प्रिया अब शांति की साड़ी और ब्लाउज़ बड़े प्यार से उतारने लगी थी जिससे अब शांति भी मेरे सामने काली ब्रा और पैंटी पहने थी और उनके गोरे रंग पर वह काले अंतवस्त्र गजब ढा रहे थे

तो वही उन्हे देखकर मे बेड पर लेटा तड़प रहा था मे अपनी पूरी कोशिश करता की उन पर ध्यान न दूँ लेकिन उनकी हरकते देखकर मे हर पल हैरान हो रहा था शांति की भी शर्म जैसे अब धीरे धीरे मिट रही थी

वो दोनों अब वहीं पलंग के सामने पड़े सोफ़े पर बैठ कर एक दूसरे से लिपटकर चुम्मा चाटी करने लगी. एक दूसरे के चुंबन लेना, अपने हाथों से अपनी जोड़ीदार का शरीर सहलाना और ब्रा के ऊपर से ही चुचियों का मर्दन करना इत्यादि काम क्रीड़ा उन दोनो के बीच शुरू हो गई थी

और ये कम था जो वो अभी एक दूसरे की जांघों के बीच हाथ डालकर वे एक दूसरे की बुर को पेन्टी पर से ही रगडने लगे अब मेरा खुद के उपर से काबू हटने लगा था

लेकिन मेरी जिद्द और मेरा अहंकार था जो बार बार मुझे रोक रहा था लेकिन इस सब की सज़ा मेरे बिचारे लंड को मिल रही थी तो वही कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे के शरीर से अच्छे से खेलने के बाद उन्होंने अपना चुंबन तोड़ दिया

उनकी आँखे देखकर ही मुझे पता पड़ गया था कि वो दोनो अब वो दोनों पूरी तरह से मस्ती मे डूब चुके है जिसके बाद उन दोनों ने अपने शरीर पर बचे हुए अंतवस्त्र भी निकाल दिये जिससे अब वो दोनों भी पूरी नग्न अवस्था मे मेरे सामने थे

लेकिन प्रिया के लिए मुझे इतना तड़पाना भी काफी नही था इसीलिए तो वो शांति को लेकर सीधा मेरे बगल मे लेट गयी और उसके बाद वो दोनों अब वहीं मेरे दोनों तरफ आकर बैठे गयी एक तरफ प्रिया और दूसरी तरफ शांति बैठी थी

जिसके बाद प्रिया ने शांति को कुछ इशारा किया जिसके बाद प्रिया ने धीरे धीरे से मेरे कानों के निचले हिस्से को अपने लबों मे भरकर चूसना शुरू किया जिसके साथ ही शांति ने कपड़ो के उपर से ही मेरे लंड को मसलना आरंभ किया

इस दो तरफा हमले से अब मेरा भी खुदके उपर से काबू हट गया और मैने तुरंत प्रिया को अपने बाहों में भर लिया और उसके अधरों को अपने अधरों मे भरकर चूसने लगा

तो वही मुझे हरकत मे आते देख शांति ने मेरे कपड़े भी उतारना शुरू कर दिये जिससे मे भी कुछ ही पलों नग्न हो गया और जब मे नग्न हो गया तो शांति अब मेरे पैरों के पास आ गयी और मेरे लंड को अपने मुह में भर के चूसने लगी

वही शांति के इस हमले से अब मे भी पूरे जोश मे आकर शांति को चूमने लगा और मेरे हाथ अब प्रिया चुचियों पर पहुँच गए थे और मे उन्हे बेदर्दी से मसलने लगा जिससे प्रिया की चीख निकलने लगी

लेकिन उसकी चीखे मेरे मुह मै ही दब गयी तो वही बाद में मैने प्रिया को बेड पर लिटा दिया और शांति को उसके उपर कुछ इस तरह बिठाया की जिससे शांति की चूत प्रिया के होठों के पास थी जिसके बाद प्रिया ने तुरंत ही शांति की चूत को चूमना और चूसना शुरू किया

और शांति ने प्रिया के चुचियों के साथ खेलना आरंभ किया जिससे वो दोनों फिर से एक बार जोश मे आ गए थे और इसी बात का फायदा उठा कर मेने भी इतने वक़्त से जो इन्होंने मुझे तड़पाया था उसका बदला लेने के लिए तैयार हो गया

और जब शांति और प्रिया दोनो भी झड़ने के करीब थी कि तभी मेरे अपना पुरा लंड एक ही झटके में प्रिया की चूत में घुसा दिया जिससे प्रिया की चीख निकलने वाली थी लेकिन शांति की चूत उसके मुह पर होने से वो चीख नही पायी लेकिन उसने शांति की चूत को जोरों से काट लिया

जिससे शांति उसके मुह पर उतर कर साइड मे लेट कर अपनी चूत सहलाने लगी थी जो देखकर मैने प्रिया को शांति के उपर लिटा दिया और फिर पूरे जोर से धक्के लगाने लगा वही मेरे धक्कों के कारण प्रिया लगातार आगे पीछे हो रही थी जिससे अब दोनों की चुचियाँ एक दूसरे से रगड़ने लगी थी

जिस कारण प्रिया अलग ही दुनिया में पहुँच गयी थी तो वही शांति भी अब बेहद चुदासी हो चुकी थी, उसने प्रिया का चहेरा पकड़ा और उसके होठों को जानवरों की तरह चूसने लगी जिससे प्रिया की आहे शांति के मुह के अंदर अंदर ही दम घोट रही थी

की तभी मैने अपना लंड प्रिया की चूत से निकाल कर शांति की चूत मे डाल दिया और धक्के मारने लगा और अपने हाथ की दो उंगलियों को मैने प्रिया की चूत मे घुसा कर आगे पीछे करने लगा जिससे अब दोनों को ही एक साथ चुदाई का आनंद मिल रहा था

अब वहाँ के पूरे वातावरण में चुदाई की खुशबू महक रही थी जो की हम तीनों के कामरस और पसीने की महक के मिश्रण से बनी थी तो वही उस वातावरण में फैली खुशबू हम तीनों के अंदर जाके हमारी कामग्नि को भड़काने का काम करने लगी थी

तो वही इतने समय तड़पने की बाद संभोग का ऐसा आनंद जिसके बारे में सोचते ही मुझे आनंद और वासना की एक नई परिभाषा समझ में आने लगी तो वही इस असीम सुख से प्रिया और शांति दोनों की भी आंखे बंद होते चली गई

और फिर कुछ देर ऐसे ही इस तरह के संभोग का आनंद उठाने के बाद मुझे मेरे अंदर से कुछ उबलता हुआ महसूस होने लगा। मे अब अपने चरमसुख की तरफ आगे बढ़ रहा था

जिससे अब मेरे धक्कों की गति तेज हो गयी थी मे कभी प्रिया की चूत मे अपना लंड डालता तो कभी शांति की चूत मे जिसे अब उस पूरे कमरे मे उनकी चीखे और सिसकरियाँ गूंज रही थी

लेकिन मे रुका नही बल्कि किसी मशीन की तरह प्रिया और शांति की चूत को चोदते जा रहा था ऐसे ही 30 मिनिट की चुदाई के बाद जब मेरा निकलने वाला था तब मैने अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाने लगा

जिससे मेरी पूरी पिचकारी उन दोनों के गांड पर खाली हो गयी तो वही इस 30 मिनिट के चुदाई मे वो दोनों भी 2 बार झड़ चुकी थी

जिसके बाद उस पूरी रात में एक बार प्रिया की तो एक बार शांति की चुदाई की जिसके बाद हम
तीनो नंगे ही एक दूसरे के बाहों मे सो गये

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आज के लिए इतना ही

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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अध्याय उनसठ

मे उन सब चित्रों के बारे में सोचकर परेशान हो रहा था तो वही मेरी ये परेशानी से भरा चेहरा वहा मौजूद चार आँखों से छुप न सका जो किसी और की नही बल्कि प्रिया और शांति की ही थी

जब उन दोनों ने मुझे ऐसे परेशान देखा तो वो दोनों भी चिंतित हो गयी और दोनों मुझे इस परेशानी से निकालने के लिए रास्ता ढूँढने लगे और जल्द ही प्रिया के चेहरे पर एक रहस्यमयी परंतु शैतानी मुस्कान आ गयी

जैसे कि उसे कोई तरकीब मिल गयी थी और फिर उसने शांति के कान मे भी ये तरकीब बता दी जिससे तो मानो शांति को झटका ही लग गया वो प्रिया को देखकर डरते हुए ना मे सर हिलाने लगी

शांति :- नही प्रिया मे ये नही कर पाऊँगी मुझे शर्म आयेगी

प्रिया :- अरे मेरी बन्नो हमे ये करना ही होगा नही तो भद्रा आने वाले युद्ध मे अपनी पूरी शक्ति का इस्तेमाल नही कर पायेगा देखा नही आज वो कितना परेशान था

शांति :- लेकिन

प्रिया :- लेकिन वेकिन कुछ नहीं हमे ये करना ही होगा भद्रा के लिए और तुम मना नही कर सकती तुम्हे भद्रा की कसम

शांति लाख बार मना करती रही लेकिन प्रिया ने उसकी एक ना सुनी और और जब उसने शांति को मेरी कसम दे दी तो सब वही खतम हो गया अब शांति मना नही कर सकती थी और न ही कुछ बोल सकती थी


जिससे अब शांति ने भी प्रिया के सामने हार मान ली थी क्योंकि वो जानती थी कि जबसे प्रिया ने पूरी तरीके से महारानी वृंदा को अपनाया था तबसे ही वो और भी ज्यादा जिद्दी हो गयी थी

जहाँ एक तरफ ये दोनों अपनी योजना बनाकर उसपर अमल भी करने लगी थी तो वही दूसरी तरफ मे आश्रम में यहाँ से वहा टहल रहा था और ऐसे ही टहलते मे अपने कुटिया के पास पहुँच गया

और जैसे ही मे अंदर घुसा तो मे दंग रह गया क्योंकि मेरा कमरा इस वक़्त पूरी तरह से सजाया गया था जैसे कि किसी की सुहागरात हो अंदर कमरे मे शांति और प्रिया दोनों मौजूद थे

मे :- प्रिया शांति ये सब क्या है


जब उन दोनों ने मुझे देखा तो उन दोनों के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी जिसके बाद प्रिया तुरंत मेरे पास आ गयी

प्रिया :- (मोहक स्वर मे) आ गए आप आइये स्वामी हम दोनों आपका ही इंतज़ार कर रहे थे की कब आप आये और हमारे इस कामग्नि se तड़पते शरीर को भोगकर इसकी कामग्नि को शांत करे

मे :- ये क्या है प्रिया तुम्हे पता है ना की इस वक़्त मेरे दिमाग मे कितनी सारी बाते चल रही है और ऐसे में ये सब नही प्रिया पहले सारी परेशानिया खतम होने दो फिर हम तीनों बाहर जायेंगे और जैसा तुम बोलोगी वैसा ही करेंगे ये मेरा वचन है

प्रिया :- नही हम अभी करेंगे

मै :- समझा करो प्रिया अभी जो माहौल है उसमे ये सब सही नही है अभी परेशानियों की तलवार हमारे सर पे लटक रही है और तुम्हे

मेरी बात सुनकर प्रिया ने एक बार मुझे घूर के देखा और फिर से शांति के पास चली गई जिसके बाद मे बेड पर जाके लेट गया

तो वही प्रिया और शांति बेड के सामने वाले सोफे पर जाके बैठ गयी जब वो मेरे सामने बैठे थे तब मुझे उनके हुस्न का दीदार होने लगा जिसपे अभी तक मेरा ध्यान ही नही गया था

जहाँ एक तरफ प्रिया ने हमेशा की तरह टाइट जींस और टॉप पहना हुआ था जिसमे उसके शरीर का हर उभार साफ साफ दिख रहा था तो वही शांति ने भी सारी पहनी हुई थी जिसके ब्लाउज से उसकी चुचिया साफ दिख रही थी

उन दोनों का ये अवतार देखकर मेरा लंड भी अब अपने पूरे उफान पर था अब मुझे अपने फैसले पर पछतावा होने लगा था तो वही प्रिया ने जब मेरे कपड़ों के उपर से मेरे खड़े लंड के उभर को देखा

जिससे उसकी आँखों में एक नटखट चमक आ गयी. जिसके बाद उसने शांति को अपने बाहों में ले लिया

प्रिया (शांति को आँख मारते हुए) :- शांति डार्लिंग चल ऐसा करते हैं कि हम अपना काम शुरू करते हैं, मे भी तो देखु की ये कितनी देर ऐसे ही खुद पर काबू रख सकता हैं

प्रिया की बात सुनकर जहाँ पर शांति हैरानी और शर्म के मारे प्रिया को घूरे जा रही थी तो वही मेरे मन मे एक अजीब सा उत्साह एक अजीब भावना ने उफान लेना शुरू किया था

जिससे मेरे लंड भी कपड़ो के अंदर ही बार बार झटके मारे जा रहा था शायद वो मुझे मेरे फैसले के कारण गालियाँ दे रहा था लेकिन अब बात मेरे सम्मान पर आ गयी थी

अगर मे अभी उन दोनों के बीच में कूद पड़ता तो मेरे उतावले पण पर वो दोनों जरूर मुझे हर वक़्त चिढ़ाते जिस कारण अब मे भी अपने जिद्द पर अड़ गया था और सोने का प्रयास करने लगा


तो वही अब तक दोनों एक दूसरे की बाँहों में थी और लिपटकर चूमाचाटी कर रही थी. धीरे धीरे उन्हों ने एक दूसरे के कपड़ों को भी उनके शरीर से अलग कर दिया था सबसे पहले प्रिया ने तुरंत ही अपना टॉप और जीन्स निकाल डाले और अब सिर्फ़ सफ़ेद रंग की ब्रा और पेन्टी ही उनके शरीर पर रही गई थी

जिसके बाद प्रिया अब शांति की साड़ी और ब्लाउज़ बड़े प्यार से उतारने लगी थी जिससे अब शांति भी मेरे सामने काली ब्रा और पैंटी पहने थी और उनके गोरे रंग पर वह काले अंतवस्त्र गजब ढा रहे थे

तो वही उन्हे देखकर मे बेड पर लेटा तड़प रहा था मे अपनी पूरी कोशिश करता की उन पर ध्यान न दूँ लेकिन उनकी हरकते देखकर मे हर पल हैरान हो रहा था शांति की भी शर्म जैसे अब धीरे धीरे मिट रही थी


वो दोनों अब वहीं पलंग के सामने पड़े सोफ़े पर बैठ कर एक दूसरे से लिपटकर चुम्मा चाटी करने लगी. एक दूसरे के चुंबन लेना, अपने हाथों से अपनी जोड़ीदार का शरीर सहलाना और ब्रा के ऊपर से ही चुचियों का मर्दन करना इत्यादि काम क्रीड़ा उन दोनो के बीच शुरू हो गई थी

और ये कम था जो वो अभी एक दूसरे की जांघों के बीच हाथ डालकर वे एक दूसरे की बुर को पेन्टी पर से ही रगडने लगे अब मेरा खुद के उपर से काबू हटने लगा था

लेकिन मेरी जिद्द और मेरा अहंकार था जो बार बार मुझे रोक रहा था लेकिन इस सब की सज़ा मेरे बिचारे लंड को मिल रही थी तो वही कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे के शरीर से अच्छे से खेलने के बाद उन्होंने अपना चुंबन तोड़ दिया

उनकी आँखे देखकर ही मुझे पता पड़ गया था कि वो दोनो अब वो दोनों पूरी तरह से मस्ती मे डूब चुके है जिसके बाद उन दोनों ने अपने शरीर पर बचे हुए अंतवस्त्र भी निकाल दिये जिससे अब वो दोनों भी पूरी नग्न अवस्था मे मेरे सामने थे


लेकिन प्रिया के लिए मुझे इतना तड़पाना भी काफी नही था इसीलिए तो वो शांति को लेकर सीधा मेरे बगल मे लेट गयी और उसके बाद वो दोनों अब वहीं मेरे दोनों तरफ आकर बैठे गयी एक तरफ प्रिया और दूसरी तरफ शांति बैठी थी

जिसके बाद प्रिया ने शांति को कुछ इशारा किया जिसके बाद प्रिया ने धीरे धीरे से मेरे कानों के निचले हिस्से को अपने लबों मे भरकर चूसना शुरू किया जिसके साथ ही शांति ने कपड़ो के उपर से ही मेरे लंड को मसलना आरंभ किया


इस दो तरफा हमले से अब मेरा भी खुदके उपर से काबू हट गया और मैने तुरंत प्रिया को अपने बाहों में भर लिया और उसके अधरों को अपने अधरों मे भरकर चूसने लगा

तो वही मुझे हरकत मे आते देख शांति ने मेरे कपड़े भी उतारना शुरू कर दिये जिससे मे भी कुछ ही पलों नग्न हो गया और जब मे नग्न हो गया तो शांति अब मेरे पैरों के पास आ गयी और मेरे लंड को अपने मुह में भर के चूसने लगी

वही शांति के इस हमले से अब मे भी पूरे जोश मे आकर शांति को चूमने लगा और मेरे हाथ अब प्रिया चुचियों पर पहुँच गए थे और मे उन्हे बेदर्दी से मसलने लगा जिससे प्रिया की चीख निकलने लगी


लेकिन उसकी चीखे मेरे मुह मै ही दब गयी तो वही बाद में मैने प्रिया को बेड पर लिटा दिया और शांति को उसके उपर कुछ इस तरह बिठाया की जिससे शांति की चूत प्रिया के होठों के पास थी जिसके बाद प्रिया ने तुरंत ही शांति की चूत को चूमना और चूसना शुरू किया

और शांति ने प्रिया के चुचियों के साथ खेलना आरंभ किया जिससे वो दोनों फिर से एक बार जोश मे आ गए थे और इसी बात का फायदा उठा कर मेने भी इतने वक़्त से जो इन्होंने मुझे तड़पाया था उसका बदला लेने के लिए तैयार हो गया

और जब शांति और प्रिया दोनो भी झड़ने के करीब थी कि तभी मेरे अपना पुरा लंड एक ही झटके में प्रिया की चूत में घुसा दिया जिससे प्रिया की चीख निकलने वाली थी लेकिन शांति की चूत उसके मुह पर होने से वो चीख नही पायी लेकिन उसने शांति की चूत को जोरों से काट लिया


जिससे शांति उसके मुह पर उतर कर साइड मे लेट कर अपनी चूत सहलाने लगी थी जो देखकर मैने प्रिया को शांति के उपर लिटा दिया और फिर पूरे जोर से धक्के लगाने लगा वही मेरे धक्कों के कारण प्रिया लगातार आगे पीछे हो रही थी जिससे अब दोनों की चुचियाँ एक दूसरे से रगड़ने लगी थी

जिस कारण प्रिया अलग ही दुनिया में पहुँच गयी थी तो वही शांति भी अब बेहद चुदासी हो चुकी थी, उसने प्रिया का चहेरा पकड़ा और उसके होठों को जानवरों की तरह चूसने लगी जिससे प्रिया की आहे शांति के मुह के अंदर अंदर ही दम घोट रही थी

की तभी मैने अपना लंड प्रिया की चूत से निकाल कर शांति की चूत मे डाल दिया और धक्के मारने लगा और अपने हाथ की दो उंगलियों को मैने प्रिया की चूत मे घुसा कर आगे पीछे करने लगा जिससे अब दोनों को ही एक साथ चुदाई का आनंद मिल रहा था

अब वहाँ के पूरे वातावरण में चुदाई की खुशबू महक रही थी जो की हम तीनों के कामरस और पसीने की महक के मिश्रण से बनी थी तो वही उस वातावरण में फैली खुशबू हम तीनों के अंदर जाके हमारी कामग्नि को भड़काने का काम करने लगी थी

तो वही इतने समय तड़पने की बाद संभोग का ऐसा आनंद जिसके बारे में सोचते ही मुझे आनंद और वासना की एक नई परिभाषा समझ में आने लगी तो वही इस असीम सुख से प्रिया और शांति दोनों की भी आंखे बंद होते चली गई

और फिर कुछ देर ऐसे ही इस तरह के संभोग का आनंद उठाने के बाद मुझे मेरे अंदर से कुछ उबलता हुआ महसूस होने लगा। मे अब अपने चरमसुख की तरफ आगे बढ़ रहा था

जिससे अब मेरे धक्कों की गति तेज हो गयी थी मे कभी प्रिया की चूत मे अपना लंड डालता तो कभी शांति की चूत मे जिसे अब उस पूरे कमरे मे उनकी चीखे और सिसकरियाँ गूंज रही थी


लेकिन मे रुका नही बल्कि किसी मशीन की तरह प्रिया और शांति की चूत को चोदते जा रहा था ऐसे ही 30 मिनिट की चुदाई के बाद जब मेरा निकलने वाला था तब मैने अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाने लगा

जिससे मेरी पूरी पिचकारी उन दोनों के गांड पर खाली हो गयी तो वही इस 30 मिनिट के चुदाई मे वो दोनों भी 2 बार झड़ चुकी थी

जिसके बाद उस पूरी रात में एक बार प्रिया की तो एक बार शांति की चुदाई की जिसके बाद हम

तीनो नंगे ही एक दूसरे के बाहों मे सो गये

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Bohot hi umda or jabarjust update tha vajradhikari bhai 👌🏻👌🏻👌🏻maja aagaya priya or shani ne hadra ko shanti pahucha di👍 ati kamuk update 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥💥💥💥💥💥💥💥
 

park

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मे उन सब चित्रों के बारे में सोचकर परेशान हो रहा था तो वही मेरी ये परेशानी से भरा चेहरा वहा मौजूद चार आँखों से छुप न सका जो किसी और की नही बल्कि प्रिया और शांति की ही थी

जब उन दोनों ने मुझे ऐसे परेशान देखा तो वो दोनों भी चिंतित हो गयी और दोनों मुझे इस परेशानी से निकालने के लिए रास्ता ढूँढने लगे और जल्द ही प्रिया के चेहरे पर एक रहस्यमयी परंतु शैतानी मुस्कान आ गयी

जैसे कि उसे कोई तरकीब मिल गयी थी और फिर उसने शांति के कान मे भी ये तरकीब बता दी जिससे तो मानो शांति को झटका ही लग गया वो प्रिया को देखकर डरते हुए ना मे सर हिलाने लगी

शांति :- नही प्रिया मे ये नही कर पाऊँगी मुझे शर्म आयेगी

प्रिया :- अरे मेरी बन्नो हमे ये करना ही होगा नही तो भद्रा आने वाले युद्ध मे अपनी पूरी शक्ति का इस्तेमाल नही कर पायेगा देखा नही आज वो कितना परेशान था

शांति :- लेकिन

प्रिया :- लेकिन वेकिन कुछ नहीं हमे ये करना ही होगा भद्रा के लिए और तुम मना नही कर सकती तुम्हे भद्रा की कसम

शांति लाख बार मना करती रही लेकिन प्रिया ने उसकी एक ना सुनी और और जब उसने शांति को मेरी कसम दे दी तो सब वही खतम हो गया अब शांति मना नही कर सकती थी और न ही कुछ बोल सकती थी


जिससे अब शांति ने भी प्रिया के सामने हार मान ली थी क्योंकि वो जानती थी कि जबसे प्रिया ने पूरी तरीके से महारानी वृंदा को अपनाया था तबसे ही वो और भी ज्यादा जिद्दी हो गयी थी

जहाँ एक तरफ ये दोनों अपनी योजना बनाकर उसपर अमल भी करने लगी थी तो वही दूसरी तरफ मे आश्रम में यहाँ से वहा टहल रहा था और ऐसे ही टहलते मे अपने कुटिया के पास पहुँच गया

और जैसे ही मे अंदर घुसा तो मे दंग रह गया क्योंकि मेरा कमरा इस वक़्त पूरी तरह से सजाया गया था जैसे कि किसी की सुहागरात हो अंदर कमरे मे शांति और प्रिया दोनों मौजूद थे

मे :- प्रिया शांति ये सब क्या है


जब उन दोनों ने मुझे देखा तो उन दोनों के चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी जिसके बाद प्रिया तुरंत मेरे पास आ गयी

प्रिया :- (मोहक स्वर मे) आ गए आप आइये स्वामी हम दोनों आपका ही इंतज़ार कर रहे थे की कब आप आये और हमारे इस कामग्नि se तड़पते शरीर को भोगकर इसकी कामग्नि को शांत करे

मे :- ये क्या है प्रिया तुम्हे पता है ना की इस वक़्त मेरे दिमाग मे कितनी सारी बाते चल रही है और ऐसे में ये सब नही प्रिया पहले सारी परेशानिया खतम होने दो फिर हम तीनों बाहर जायेंगे और जैसा तुम बोलोगी वैसा ही करेंगे ये मेरा वचन है

प्रिया :- नही हम अभी करेंगे

मै :- समझा करो प्रिया अभी जो माहौल है उसमे ये सब सही नही है अभी परेशानियों की तलवार हमारे सर पे लटक रही है और तुम्हे

मेरी बात सुनकर प्रिया ने एक बार मुझे घूर के देखा और फिर से शांति के पास चली गई जिसके बाद मे बेड पर जाके लेट गया

तो वही प्रिया और शांति बेड के सामने वाले सोफे पर जाके बैठ गयी जब वो मेरे सामने बैठे थे तब मुझे उनके हुस्न का दीदार होने लगा जिसपे अभी तक मेरा ध्यान ही नही गया था

जहाँ एक तरफ प्रिया ने हमेशा की तरह टाइट जींस और टॉप पहना हुआ था जिसमे उसके शरीर का हर उभार साफ साफ दिख रहा था तो वही शांति ने भी सारी पहनी हुई थी जिसके ब्लाउज से उसकी चुचिया साफ दिख रही थी

उन दोनों का ये अवतार देखकर मेरा लंड भी अब अपने पूरे उफान पर था अब मुझे अपने फैसले पर पछतावा होने लगा था तो वही प्रिया ने जब मेरे कपड़ों के उपर से मेरे खड़े लंड के उभर को देखा

जिससे उसकी आँखों में एक नटखट चमक आ गयी. जिसके बाद उसने शांति को अपने बाहों में ले लिया

प्रिया (शांति को आँख मारते हुए) :- शांति डार्लिंग चल ऐसा करते हैं कि हम अपना काम शुरू करते हैं, मे भी तो देखु की ये कितनी देर ऐसे ही खुद पर काबू रख सकता हैं

प्रिया की बात सुनकर जहाँ पर शांति हैरानी और शर्म के मारे प्रिया को घूरे जा रही थी तो वही मेरे मन मे एक अजीब सा उत्साह एक अजीब भावना ने उफान लेना शुरू किया था

जिससे मेरे लंड भी कपड़ो के अंदर ही बार बार झटके मारे जा रहा था शायद वो मुझे मेरे फैसले के कारण गालियाँ दे रहा था लेकिन अब बात मेरे सम्मान पर आ गयी थी

अगर मे अभी उन दोनों के बीच में कूद पड़ता तो मेरे उतावले पण पर वो दोनों जरूर मुझे हर वक़्त चिढ़ाते जिस कारण अब मे भी अपने जिद्द पर अड़ गया था और सोने का प्रयास करने लगा


तो वही अब तक दोनों एक दूसरे की बाँहों में थी और लिपटकर चूमाचाटी कर रही थी. धीरे धीरे उन्हों ने एक दूसरे के कपड़ों को भी उनके शरीर से अलग कर दिया था सबसे पहले प्रिया ने तुरंत ही अपना टॉप और जीन्स निकाल डाले और अब सिर्फ़ सफ़ेद रंग की ब्रा और पेन्टी ही उनके शरीर पर रही गई थी

जिसके बाद प्रिया अब शांति की साड़ी और ब्लाउज़ बड़े प्यार से उतारने लगी थी जिससे अब शांति भी मेरे सामने काली ब्रा और पैंटी पहने थी और उनके गोरे रंग पर वह काले अंतवस्त्र गजब ढा रहे थे

तो वही उन्हे देखकर मे बेड पर लेटा तड़प रहा था मे अपनी पूरी कोशिश करता की उन पर ध्यान न दूँ लेकिन उनकी हरकते देखकर मे हर पल हैरान हो रहा था शांति की भी शर्म जैसे अब धीरे धीरे मिट रही थी


वो दोनों अब वहीं पलंग के सामने पड़े सोफ़े पर बैठ कर एक दूसरे से लिपटकर चुम्मा चाटी करने लगी. एक दूसरे के चुंबन लेना, अपने हाथों से अपनी जोड़ीदार का शरीर सहलाना और ब्रा के ऊपर से ही चुचियों का मर्दन करना इत्यादि काम क्रीड़ा उन दोनो के बीच शुरू हो गई थी

और ये कम था जो वो अभी एक दूसरे की जांघों के बीच हाथ डालकर वे एक दूसरे की बुर को पेन्टी पर से ही रगडने लगे अब मेरा खुद के उपर से काबू हटने लगा था

लेकिन मेरी जिद्द और मेरा अहंकार था जो बार बार मुझे रोक रहा था लेकिन इस सब की सज़ा मेरे बिचारे लंड को मिल रही थी तो वही कुछ देर ऐसे ही एक दूसरे के शरीर से अच्छे से खेलने के बाद उन्होंने अपना चुंबन तोड़ दिया

उनकी आँखे देखकर ही मुझे पता पड़ गया था कि वो दोनो अब वो दोनों पूरी तरह से मस्ती मे डूब चुके है जिसके बाद उन दोनों ने अपने शरीर पर बचे हुए अंतवस्त्र भी निकाल दिये जिससे अब वो दोनों भी पूरी नग्न अवस्था मे मेरे सामने थे


लेकिन प्रिया के लिए मुझे इतना तड़पाना भी काफी नही था इसीलिए तो वो शांति को लेकर सीधा मेरे बगल मे लेट गयी और उसके बाद वो दोनों अब वहीं मेरे दोनों तरफ आकर बैठे गयी एक तरफ प्रिया और दूसरी तरफ शांति बैठी थी

जिसके बाद प्रिया ने शांति को कुछ इशारा किया जिसके बाद प्रिया ने धीरे धीरे से मेरे कानों के निचले हिस्से को अपने लबों मे भरकर चूसना शुरू किया जिसके साथ ही शांति ने कपड़ो के उपर से ही मेरे लंड को मसलना आरंभ किया


इस दो तरफा हमले से अब मेरा भी खुदके उपर से काबू हट गया और मैने तुरंत प्रिया को अपने बाहों में भर लिया और उसके अधरों को अपने अधरों मे भरकर चूसने लगा

तो वही मुझे हरकत मे आते देख शांति ने मेरे कपड़े भी उतारना शुरू कर दिये जिससे मे भी कुछ ही पलों नग्न हो गया और जब मे नग्न हो गया तो शांति अब मेरे पैरों के पास आ गयी और मेरे लंड को अपने मुह में भर के चूसने लगी

वही शांति के इस हमले से अब मे भी पूरे जोश मे आकर शांति को चूमने लगा और मेरे हाथ अब प्रिया चुचियों पर पहुँच गए थे और मे उन्हे बेदर्दी से मसलने लगा जिससे प्रिया की चीख निकलने लगी


लेकिन उसकी चीखे मेरे मुह मै ही दब गयी तो वही बाद में मैने प्रिया को बेड पर लिटा दिया और शांति को उसके उपर कुछ इस तरह बिठाया की जिससे शांति की चूत प्रिया के होठों के पास थी जिसके बाद प्रिया ने तुरंत ही शांति की चूत को चूमना और चूसना शुरू किया

और शांति ने प्रिया के चुचियों के साथ खेलना आरंभ किया जिससे वो दोनों फिर से एक बार जोश मे आ गए थे और इसी बात का फायदा उठा कर मेने भी इतने वक़्त से जो इन्होंने मुझे तड़पाया था उसका बदला लेने के लिए तैयार हो गया

और जब शांति और प्रिया दोनो भी झड़ने के करीब थी कि तभी मेरे अपना पुरा लंड एक ही झटके में प्रिया की चूत में घुसा दिया जिससे प्रिया की चीख निकलने वाली थी लेकिन शांति की चूत उसके मुह पर होने से वो चीख नही पायी लेकिन उसने शांति की चूत को जोरों से काट लिया


जिससे शांति उसके मुह पर उतर कर साइड मे लेट कर अपनी चूत सहलाने लगी थी जो देखकर मैने प्रिया को शांति के उपर लिटा दिया और फिर पूरे जोर से धक्के लगाने लगा वही मेरे धक्कों के कारण प्रिया लगातार आगे पीछे हो रही थी जिससे अब दोनों की चुचियाँ एक दूसरे से रगड़ने लगी थी

जिस कारण प्रिया अलग ही दुनिया में पहुँच गयी थी तो वही शांति भी अब बेहद चुदासी हो चुकी थी, उसने प्रिया का चहेरा पकड़ा और उसके होठों को जानवरों की तरह चूसने लगी जिससे प्रिया की आहे शांति के मुह के अंदर अंदर ही दम घोट रही थी

की तभी मैने अपना लंड प्रिया की चूत से निकाल कर शांति की चूत मे डाल दिया और धक्के मारने लगा और अपने हाथ की दो उंगलियों को मैने प्रिया की चूत मे घुसा कर आगे पीछे करने लगा जिससे अब दोनों को ही एक साथ चुदाई का आनंद मिल रहा था

अब वहाँ के पूरे वातावरण में चुदाई की खुशबू महक रही थी जो की हम तीनों के कामरस और पसीने की महक के मिश्रण से बनी थी तो वही उस वातावरण में फैली खुशबू हम तीनों के अंदर जाके हमारी कामग्नि को भड़काने का काम करने लगी थी

तो वही इतने समय तड़पने की बाद संभोग का ऐसा आनंद जिसके बारे में सोचते ही मुझे आनंद और वासना की एक नई परिभाषा समझ में आने लगी तो वही इस असीम सुख से प्रिया और शांति दोनों की भी आंखे बंद होते चली गई

और फिर कुछ देर ऐसे ही इस तरह के संभोग का आनंद उठाने के बाद मुझे मेरे अंदर से कुछ उबलता हुआ महसूस होने लगा। मे अब अपने चरमसुख की तरफ आगे बढ़ रहा था

जिससे अब मेरे धक्कों की गति तेज हो गयी थी मे कभी प्रिया की चूत मे अपना लंड डालता तो कभी शांति की चूत मे जिसे अब उस पूरे कमरे मे उनकी चीखे और सिसकरियाँ गूंज रही थी


लेकिन मे रुका नही बल्कि किसी मशीन की तरह प्रिया और शांति की चूत को चोदते जा रहा था ऐसे ही 30 मिनिट की चुदाई के बाद जब मेरा निकलने वाला था तब मैने अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाने लगा

जिससे मेरी पूरी पिचकारी उन दोनों के गांड पर खाली हो गयी तो वही इस 30 मिनिट के चुदाई मे वो दोनों भी 2 बार झड़ चुकी थी

जिसके बाद उस पूरी रात में एक बार प्रिया की तो एक बार शांति की चुदाई की जिसके बाद हम

तीनो नंगे ही एक दूसरे के बाहों मे सो गये

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आज के लिए इतना ही

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Nice and superb update....
 
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