- 1,484
- 18,157
- 144
Last edited:
Nice update broअध्याय अड़तीस
जहाँ एक तरफ अस्त्र और असुरों मे जंग का आगाज़ हो गया था तो वही दूसरी तरफ मे अपने ही सपनों की दुनिया में खोया हुआ था मे इस वक्त नग्न अवस्था मे प्रिया की चुचियों को तकिया बना कर सोया हुआ था
की तभी मेरे दिमाग मे जोर जोर से किसी के चीखे सुनाई देने लगी ऐसा लग रहा था कि कोई मुझे मदद के लिए बुला रहा है ऐसी आवाजे तो पहले भी मुझे आती थी लेकिन आज की ये आवाजे कुछ अलग थी
पहले जो आवाजे आती थी वो आवाजे अनजान लोगों की थी लेकिन आज की आवाजे सुन कर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी जान पहचान वाले की आवाज हो वो आवाजे मुझे भद्रा कहकर ही बुला रहे थे
तो वही जो आवाजे पहले सुनाई देती थी वो मुझे कुमार कहकर बुलाते थे और न जाने क्यों पर मुझे ऐसा लग रहा था की कोई शक्ति है जो उन आवाजों को मुझ तक आने से रोक रही थी वो आवाजे बहुत दबी हुई महसूस हो रही थी
जिन्हे अभी मे ठीक से सुनने का प्रयास कर रहा था कि तभी मुझे मेरे आँखों के सामने एक बहुत भयानक और विचित्र चेहरा दिखा जैसे की की भूत हो जिसे देख के ही मेरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गए और साथ ही मेरी नींद भी खुल गई
जब मेरी नींद खुली तो मुझे मेरे शरीर पर वजन महसूस होने लगा और जब मैने देखा तो शांति मेरे उपर चढ़ी हुई थी और सो रही थी जिसे देख कर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी और जब मैने समय देखा तो रात हो गयी थी
जिसे देख कर मैने अपना सर पकड़ लिया क्योंकि कुमार ने मुझे रात को ही तालाब के पास बुलाया था शक्तियों पर काबू पाने के लिए फिर मे धीरे से उठ गया जिससे कि प्रिया और शांति की नींद न टूटे और प्रिया को उसके कपड़े पहना दिये और फिर अपने कपड़े पहनकर तालाब के पास चल पड़ा
तो वही दूसरी तरफ चाइना मे इस वक़्त शैलेश और दिलावर दोनों उन असुरों से लढने के बाद सतर्क हो गए थे लेकिन इस से पहले की वो आगे बढ़ते की तभी उनके पैरों के नीचे की जमींन अचानक से कांपने लगी
और इससे पहले की वो दोनों कुछ सोच या समझ पाते उससे पहले ही वहा पर एक धमाकेदार विस्फोट हो गया जिससे वो दोनों दो अलग अलग दिशा मे गिर गए और अभी वो खड़ा होने का प्रयास कर रहे थे की तभी दोनों को उपर दो आग के गोले आकर फट गए
जिससे अब दोनों की ही हालत पतली हो गयी थी पहले ही केशासूर और गजासूर को मारने के लिए उन्होंने अपने अस्त्रों को जागृत किया था जिससे वो पहले ही कमजोर महसूस कर रहे थे और अभी जो उन पर हुए लगातार हमलों से दोनों को बहुत गंभीर चोंटे आई थी
जिससे अभी वो बहुत कमजोर हो गए थे और अभी वो एक दूसरे के पास पहुंचे ही थे की तभी वहा पर आ गया असुर सेनापति मायासुर जिसे देख कर उन दोनों की आँखों मे डर और आश्चर्य के भाव साफ दिख रहे थे
फिर भी मायासुर को देखकर वो दोनों लढाई के लिए तैयार हो गए और अभी दिलावर अपने जल अस्त्र को जगाकर उसके तरफ तेजी से बढ़ रहा था की तभी मायासुर ne अपना बाया हाथ अपने दिल पर रखा और आँखे बंद करके एक लंबी साँस ली और फिर लगभग चीखते हुए वो बोला
मायासुर :- असुर हो असुर देव शक्ति दीजिये
उसके इतने बोलते ही उसके चारों तरफ काले रंग की आग आ गयी जो दिलावर के हर एक जल प्रहार को बाफ बना रहा था जिसे देख कर वो दोनों हैरान हो गए थे ऐसा होते हुए वो अपने पूरी जिंदगी पहली बार देख रहे थे
और अभी वो इस बात को हज़म कर पाते उससे पहले ही उस काले आग से एक लाल रोशनी निकली जो सीधा जाके दिलावर से टकरा गयी और देखते ही देखते दिलावर उस शक्ति मे कैद हो गया
ये देखकर शैलेश को कुछ भी सुझा नही और उसने अपनी आँखे बंद करके कालास्त्र का आव्हान करने लगा तो वही मायासुर के काले आग से ठीक वैसी ही एक और लाल रोशनी निकली जिसके निशाने पर इस बार शैलेश ही था
और जैसे ही वो रोशनी शैलेश तक पहुँचने वाली थी कि तभी शैलेश के चारों तरफ एक सफेद ऊर्जा फैल गयी और जैसे ही वो सफेद रोशनी हटी तो शैलेश अपनी जगह से गायब हो गया था
तो वही अपने शिकार को गायब होता देख मायासुर ने उस लाल रोशनी यानी श्रपित कवच को वापस काले आग मे डाल दिया लेकिन वो एक अस्त्र को अपने हाथ से जाते देख कर वो आग बबूला हो गया और वो दिलावर को ले कर वहा से चला गया
तो वही दूसरी तरफ मे तालाब के पास पहुँच गया था और जैसे ही मे तालाब के पास पहुँचा तो वहा पर पहुँचते ही मेरे दिमाग मे कुमार की आवाज आने लगी
कुमार :- अच्छा हुआ तुम आ गये नही तो मुझे लगा था कि तुम्हारी नींद सुबह से नही खुलेगी
भद्रा:- हा अब ताने मारने की जरूरत नहीं है चलो मुझे ताकतों को काबू करना सिखाओ
कुमार:- ठीक है तुम अपने दिमाग के सारे खयाल निकाल दो और सुबह तुम जिस तरह अपने ऊर्जा स्त्रोत तक पहुंचे थे बिल्कुल अभी भी वैसे ही करो
उसके बाद मे कुमार जैसे जैसे बता रहा था ठीक वैसे ही करते जा रहा था अभी मे फिर से एक बार उसी जगह पहुँच गया था जहाँ पर पृथ्वी अस्त्र था और मेरे उस जगह पहुँचते ही पृथ्वी अस्त्र फिर से मेरे चारों तरफ घेरा बनाने लगा
लेकिन तभी कुमार ने मुझे उस घेरे को फिर से उसी मनी के अंदर भेजने को कहा और जब मैने ये कर दिया तो उसके बाद कुमार ने मुझे एक मंत्र बताया जिसका मे जैसे जैसे जाप करते जा रहा था वैसे वैसे ही वो मोती मेरे पास आते जा रही थी
और फिर धीरे धीरे वो मोती मेरे अंदर समा गयी और उसके मेरे अंदर समाते ही मेरे शरीर मे इतना तेज दर्द होने लगा की मै अपनी ध्यान अवस्था भी स्थिर नही रख पा रहा था लेकिन फिर भी में हार नही मान रहा था
कुमार जैसे जैसे मंत्र बोले जा रहा था मे उसे दोहरा रहा था तो वही कुमार की आवाज सुन कर लग रहा था कि जैसे मुझ से ज्यादा दर्द और पीड़ा उसे हो रही है मे आँखे खोल कर देखना चाहता था
लेकिन कुमार ने हि मुझे कहा था कि कुछ भी हो जाए लेकिन मे अपनी आँखे न खोलू और न ही मंत्रों का जाप रोकू ऐसे ही न जाने कितने घंटों तक दर्द सहने और मंत्रों का जाप करते रहने के बाद आखिर कार मुझे होने वाली पीड़ा रुक गई और धीरे धीरे मेरा सारा पुराना दर्द भी गायब हो गया
और अभी मुझे उस मनी रूपी अस्त्र की ताकत अपने अंदर महसूस हो रही थी मुझे ऐसा लग रहा था की मेरे शरीर की सारी नशे खिचती जा रही हैं और धीरे धीरे मेरे शरीर का भार बढ़ता महसूस हुआ
और अभी कुमार की आवाज भी बंद हो गयी थी जिस वजह से मैने अपनी आँखे खोली तो सामने का नजारा देख कर दंग रह गया था क्योंकि मेरे सामने वही मोती था
लेकिन अब उसका आकार पहले से भी अधिक बढ़ गया था न सिर्फ आकार बल्कि उसका ताप उसका तेज उससे निकलती ऊर्जा सब पहले से भी अधिक हो गया था और जब मेरा ध्यान एक कोने में रखे हुए आसान पर गया
जिसे देख कर मे एक बार फिर से हैरान रह गया क्योंकि वो आसान नहीं बल्कि वो सिंहासन था वही सिंहासन जिसको मैने उ पाचों महासुरों को मारकर हासिल किया था (अध्याय अठरा और उन्नीस मे)
उस सिंहासन को मे अपने ऊर्जा स्त्रोत मे देखकर हैरान था और जब मे उसके पास जाने लगा की तभी फिर से उस जगह पर कुमार की आवाज आने लगी जो मुझे उस सिंहासन के पास जाने से रोक रहा था
कुमार:- अभी तुम्हे उस सिंहासन को छूना भी नहीं है
मै :- क्यों
कुमार:- अगर तुमने उसे छुआ भी तो तुम्हारे अपनों के साथ साथ तुम्हारे शत्रु भी तुम्हारे अस्तित्व के बारे में जान जायेंगे और अभी जितने कम लोग तुम्हारे बारे में जानेंगे उतना तुम्हारे लिए अपने अस्तित्व तक पहुंचना आसान होगा
फिर मैने इस बारे में ज्यादा बात करना ठीक नही समझा और अब मुझे थकान भी महसूस होने लगी थी जिस कारण मैने भी अपना ध्यान तोड़ दिया और
जब मैने आँख खोली तो अभी भी रात ही ही रखी थी मुझे लग रहा था कि जैसे सुबह हो गयी होगी खैर उसके बाद मे तालाब मे ही नहाकर वापस आश्रम की और चल पड़ा मे अभी बहुत ही ज्यादा उत्साहित था अपनी ताकतों का इस्तेमाल करने के लिए
जिसका सुवर्ण मौका भी नियति जल्द ही मुझे देने वाली थी
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Bahut hi shaandar update diya hai VAJRADHIKARI bhai....अध्याय अड़तीस
जहाँ एक तरफ अस्त्र और असुरों मे जंग का आगाज़ हो गया था तो वही दूसरी तरफ मे अपने ही सपनों की दुनिया में खोया हुआ था मे इस वक्त नग्न अवस्था मे प्रिया की चुचियों को तकिया बना कर सोया हुआ था
की तभी मेरे दिमाग मे जोर जोर से किसी के चीखे सुनाई देने लगी ऐसा लग रहा था कि कोई मुझे मदद के लिए बुला रहा है ऐसी आवाजे तो पहले भी मुझे आती थी लेकिन आज की ये आवाजे कुछ अलग थी
पहले जो आवाजे आती थी वो आवाजे अनजान लोगों की थी लेकिन आज की आवाजे सुन कर ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी जान पहचान वाले की आवाज हो वो आवाजे मुझे भद्रा कहकर ही बुला रहे थे
तो वही जो आवाजे पहले सुनाई देती थी वो मुझे कुमार कहकर बुलाते थे और न जाने क्यों पर मुझे ऐसा लग रहा था की कोई शक्ति है जो उन आवाजों को मुझ तक आने से रोक रही थी वो आवाजे बहुत दबी हुई महसूस हो रही थी
जिन्हे अभी मे ठीक से सुनने का प्रयास कर रहा था कि तभी मुझे मेरे आँखों के सामने एक बहुत भयानक और विचित्र चेहरा दिखा जैसे की की भूत हो जिसे देख के ही मेरे शरीर के रोंगटे खड़े हो गए और साथ ही मेरी नींद भी खुल गई
जब मेरी नींद खुली तो मुझे मेरे शरीर पर वजन महसूस होने लगा और जब मैने देखा तो शांति मेरे उपर चढ़ी हुई थी और सो रही थी जिसे देख कर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी और जब मैने समय देखा तो रात हो गयी थी
जिसे देख कर मैने अपना सर पकड़ लिया क्योंकि कुमार ने मुझे रात को ही तालाब के पास बुलाया था शक्तियों पर काबू पाने के लिए फिर मे धीरे से उठ गया जिससे कि प्रिया और शांति की नींद न टूटे और प्रिया को उसके कपड़े पहना दिये और फिर अपने कपड़े पहनकर तालाब के पास चल पड़ा
तो वही दूसरी तरफ चाइना मे इस वक़्त शैलेश और दिलावर दोनों उन असुरों से लढने के बाद सतर्क हो गए थे लेकिन इस से पहले की वो आगे बढ़ते की तभी उनके पैरों के नीचे की जमींन अचानक से कांपने लगी
और इससे पहले की वो दोनों कुछ सोच या समझ पाते उससे पहले ही वहा पर एक धमाकेदार विस्फोट हो गया जिससे वो दोनों दो अलग अलग दिशा मे गिर गए और अभी वो खड़ा होने का प्रयास कर रहे थे की तभी दोनों को उपर दो आग के गोले आकर फट गए
जिससे अब दोनों की ही हालत पतली हो गयी थी पहले ही केशासूर और गजासूर को मारने के लिए उन्होंने अपने अस्त्रों को जागृत किया था जिससे वो पहले ही कमजोर महसूस कर रहे थे और अभी जो उन पर हुए लगातार हमलों से दोनों को बहुत गंभीर चोंटे आई थी
जिससे अभी वो बहुत कमजोर हो गए थे और अभी वो एक दूसरे के पास पहुंचे ही थे की तभी वहा पर आ गया असुर सेनापति मायासुर जिसे देख कर उन दोनों की आँखों मे डर और आश्चर्य के भाव साफ दिख रहे थे
फिर भी मायासुर को देखकर वो दोनों लढाई के लिए तैयार हो गए और अभी दिलावर अपने जल अस्त्र को जगाकर उसके तरफ तेजी से बढ़ रहा था की तभी मायासुर ne अपना बाया हाथ अपने दिल पर रखा और आँखे बंद करके एक लंबी साँस ली और फिर लगभग चीखते हुए वो बोला
मायासुर :- असुर हो असुर देव शक्ति दीजिये
उसके इतने बोलते ही उसके चारों तरफ काले रंग की आग आ गयी जो दिलावर के हर एक जल प्रहार को बाफ बना रहा था जिसे देख कर वो दोनों हैरान हो गए थे ऐसा होते हुए वो अपने पूरी जिंदगी पहली बार देख रहे थे
और अभी वो इस बात को हज़म कर पाते उससे पहले ही उस काले आग से एक लाल रोशनी निकली जो सीधा जाके दिलावर से टकरा गयी और देखते ही देखते दिलावर उस शक्ति मे कैद हो गया
ये देखकर शैलेश को कुछ भी सुझा नही और उसने अपनी आँखे बंद करके कालास्त्र का आव्हान करने लगा तो वही मायासुर के काले आग से ठीक वैसी ही एक और लाल रोशनी निकली जिसके निशाने पर इस बार शैलेश ही था
और जैसे ही वो रोशनी शैलेश तक पहुँचने वाली थी कि तभी शैलेश के चारों तरफ एक सफेद ऊर्जा फैल गयी और जैसे ही वो सफेद रोशनी हटी तो शैलेश अपनी जगह से गायब हो गया था
तो वही अपने शिकार को गायब होता देख मायासुर ने उस लाल रोशनी यानी श्रपित कवच को वापस काले आग मे डाल दिया लेकिन वो एक अस्त्र को अपने हाथ से जाते देख कर वो आग बबूला हो गया और वो दिलावर को ले कर वहा से चला गया
तो वही दूसरी तरफ मे तालाब के पास पहुँच गया था और जैसे ही मे तालाब के पास पहुँचा तो वहा पर पहुँचते ही मेरे दिमाग मे कुमार की आवाज आने लगी
कुमार :- अच्छा हुआ तुम आ गये नही तो मुझे लगा था कि तुम्हारी नींद सुबह से नही खुलेगी
भद्रा:- हा अब ताने मारने की जरूरत नहीं है चलो मुझे ताकतों को काबू करना सिखाओ
कुमार:- ठीक है तुम अपने दिमाग के सारे खयाल निकाल दो और सुबह तुम जिस तरह अपने ऊर्जा स्त्रोत तक पहुंचे थे बिल्कुल अभी भी वैसे ही करो
उसके बाद मे कुमार जैसे जैसे बता रहा था ठीक वैसे ही करते जा रहा था अभी मे फिर से एक बार उसी जगह पहुँच गया था जहाँ पर पृथ्वी अस्त्र था और मेरे उस जगह पहुँचते ही पृथ्वी अस्त्र फिर से मेरे चारों तरफ घेरा बनाने लगा
लेकिन तभी कुमार ने मुझे उस घेरे को फिर से उसी मनी के अंदर भेजने को कहा और जब मैने ये कर दिया तो उसके बाद कुमार ने मुझे एक मंत्र बताया जिसका मे जैसे जैसे जाप करते जा रहा था वैसे वैसे ही वो मोती मेरे पास आते जा रही थी
और फिर धीरे धीरे वो मोती मेरे अंदर समा गयी और उसके मेरे अंदर समाते ही मेरे शरीर मे इतना तेज दर्द होने लगा की मै अपनी ध्यान अवस्था भी स्थिर नही रख पा रहा था लेकिन फिर भी में हार नही मान रहा था
कुमार जैसे जैसे मंत्र बोले जा रहा था मे उसे दोहरा रहा था तो वही कुमार की आवाज सुन कर लग रहा था कि जैसे मुझ से ज्यादा दर्द और पीड़ा उसे हो रही है मे आँखे खोल कर देखना चाहता था
लेकिन कुमार ने हि मुझे कहा था कि कुछ भी हो जाए लेकिन मे अपनी आँखे न खोलू और न ही मंत्रों का जाप रोकू ऐसे ही न जाने कितने घंटों तक दर्द सहने और मंत्रों का जाप करते रहने के बाद आखिर कार मुझे होने वाली पीड़ा रुक गई और धीरे धीरे मेरा सारा पुराना दर्द भी गायब हो गया
और अभी मुझे उस मनी रूपी अस्त्र की ताकत अपने अंदर महसूस हो रही थी मुझे ऐसा लग रहा था की मेरे शरीर की सारी नशे खिचती जा रही हैं और धीरे धीरे मेरे शरीर का भार बढ़ता महसूस हुआ
और अभी कुमार की आवाज भी बंद हो गयी थी जिस वजह से मैने अपनी आँखे खोली तो सामने का नजारा देख कर दंग रह गया था क्योंकि मेरे सामने वही मोती था
लेकिन अब उसका आकार पहले से भी अधिक बढ़ गया था न सिर्फ आकार बल्कि उसका ताप उसका तेज उससे निकलती ऊर्जा सब पहले से भी अधिक हो गया था और जब मेरा ध्यान एक कोने में रखे हुए आसान पर गया
जिसे देख कर मे एक बार फिर से हैरान रह गया क्योंकि वो आसान नहीं बल्कि वो सिंहासन था वही सिंहासन जिसको मैने उ पाचों महासुरों को मारकर हासिल किया था (अध्याय अठरा और उन्नीस मे)
उस सिंहासन को मे अपने ऊर्जा स्त्रोत मे देखकर हैरान था और जब मे उसके पास जाने लगा की तभी फिर से उस जगह पर कुमार की आवाज आने लगी जो मुझे उस सिंहासन के पास जाने से रोक रहा था
कुमार:- अभी तुम्हे उस सिंहासन को छूना भी नहीं है
मै :- क्यों
कुमार:- अगर तुमने उसे छुआ भी तो तुम्हारे अपनों के साथ साथ तुम्हारे शत्रु भी तुम्हारे अस्तित्व के बारे में जान जायेंगे और अभी जितने कम लोग तुम्हारे बारे में जानेंगे उतना तुम्हारे लिए अपने अस्तित्व तक पहुंचना आसान होगा
फिर मैने इस बारे में ज्यादा बात करना ठीक नही समझा और अब मुझे थकान भी महसूस होने लगी थी जिस कारण मैने भी अपना ध्यान तोड़ दिया और
जब मैने आँख खोली तो अभी भी रात ही ही रखी थी मुझे लग रहा था कि जैसे सुबह हो गयी होगी खैर उसके बाद मे तालाब मे ही नहाकर वापस आश्रम की और चल पड़ा मे अभी बहुत ही ज्यादा उत्साहित था अपनी ताकतों का इस्तेमाल करने के लिए
जिसका सुवर्ण मौका भी नियति जल्द ही मुझे देने वाली थी
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Bahut hi badhiya update diya hai VAJRADHIKARI bhai....अध्याय उनतालीस
जहाँ एक तरफ भद्रा ने अपने पृथ्वी अस्त्र पर काबू करना सिख गया था तो वही दूसरी तरफ शहर में एक सुनसान से इलाके मे स्थित एक बंगलो मे इस वक़्त दिग्विजय और गौरव दोनों मौजूद थे जहाँ दिग्विजय के चेहरे पर आम भाव थे तो वही गौरव उस घर को देखकर दंग हो गया था
गौरव :- दिग्विजय क्या ये तुम्हारा घर है
दिग्विजय :- नही ये मेरा घर नही बल्कि RAW का सैफटी हाउस है जिसे बड़ी मुश्किलों से मुझे हमारे मिशन के लिए मिला है
गौरव:- और यहाँ पर ऐसा क्या है जिसके लिए तुम्हे इतनी मन्नते करने पड़ी
दिग्विजय:- इस वजह से
इतना बोलकर उसने वहा पर दीवार मे लगे शीशे पर अपना दाया हाथ रख दिया और फिर देखते ही देखते उनके सामने की दीवार दो हिस्सों मे बटकर खिसकने लगी
गौरव:- (अपने दोनों हाथ अपने सर पे रख कर) ओह तेरी अली बाबा की गुफा
दिग्विजय:- नही RAW का अंतर्यामी जासूस 007
गौरव:- मतलब
दिग्विजय (अंदर जाते हुए) :- यहाँ वो है जिससे ताकतवर कोई हथियार नही जो पूरी दुनिया के लिए गलत और सबसे बड़ा जुल्म है उसे यहाँ पर जुल्म को होने से पहले ही रोकने के लिए इस्तेमाल किया
गौरव :- और ऐसा क्या है वो
दिग्विजय:- पूरे शहर में लगे हुए हर हर एक CCTV का acess है यहाँ पर चाहे वो किसी ऑफिस मे लगा हो या किसी के घर में हर कैमरा हम चेक कर सकते है
गौरव:- ये तो बहुत ही उत्तम है लेकिन हमारे पास इतना समय नही है
दिग्विजय:- पता है इसीलिए यहाँ पर इस वक़्त केवल हम दोनों ही है मै इस कंप्यूटर के अंदर सिंह अस्त्र की शक्ति भी मिला दूँगा और फिर सिँह अस्त्र हमे केवल उन जगहों के बारे में बताएगी जहाँ पर तमसिक ऊर्जा का प्रभाव ज्यादा हो
गौरव :- क्या सच्ची ऐसा हो सकता हैं
दिग्विजय :- हा बिल्कुल क्यों नही ये तकनीक महागुरु ने मुझे सिखाई थी ऐसे ही विषम परिस्थितियों के लिए
गौरव :- सही है तो चलो शुरू हो जाओ
उसके बाद दिग्विजय ने वहा के सभी मशीन को शुरू किया और फिर एक एक करके सभी CCTV की लाइव फुटेज भी शुरू कर दी और फिर अपने सिँह अस्त्र को जागृत किया
जिससे उसकी आँखे धीरे सिँह जैसी हो गयी और उनसे एक पीले रंग की रोशनी भी निकलने लगी जो जाके सीधा उन कंपूटरस पर गिरी और उसके बाद अपने आप ही वहा स्क्रीन पर चित्र लगातार बदलने लगे
और ऐसे ही कुछ देर होने के बाद वहा स्क्रीन पर एक खाली पड़े फैक्टरी का वीडियो चलने लगा ये केवल फैक्टरी के बाहर के तरफ का ही था जिस कारण अंदर क्या हो रहा है कितने असुर है उनकी लोकेशन क्या है ये कुछ भी पता नही चल रहा था
गौरव:- इस फैक्टरी के अंदर का हम कुछ भी नही देख सकते क्या
दिग्विजय:- लगता है असुरों ने कोई सुरक्षा कवच लगाया होगा
गौरव :- ठीक है तो मै महागुरु को बताता हूँ फिर हम सभी एक साथ योजना बनाके चलेंगे
अभी वो दोनों बाते कर रहे थे की तभी उनके दिमाग मे महागुरु की आवाज आने लगी जो उन्हे तुरंत कालविजय आश्रम बुला रहे थे जिसके बाद वो दोनों तुरंत आश्रम के लिए निकल गए
तो वही दूसरी तरफ इन दोनों के जैसे ही महागुरु ने एक शिष्य को बोलकर शांति को भी बुलाया था जिससे शांति के साथ साथ प्रिया की नींद भी खुल गई थी
जब उसने अपने सामने शांति के तरफ गया तो वो तुरंत ही चद्दर से अपना शरीर ढकने लगी जो देख कर शांति हसने लगी और जब प्रिया को एहसास हुआ की उसके कपड़े पहले से ही उसके शरीर पर है तो उसने चैन की सांस ली
और फिर वो भी शांति के साथ महागुरु के कुटिया जाने लगी तो वही जब मे तालाब से वापस आ रहा था तभी मुझे महागुरु के कुटिया से किसी के चिल्लाने की आवाज आने लगी जिसे सुनकर मै अंदर झांकने का प्रयास करने लगा
और ये मौका दिया कुटिया के पीछे बने एक छोटे से रोशनी दान ने जब मे रोशनी दान से अंदर झांकने लगा तो अंदर का नजारा देखकर मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी
क्योंकि मेरे सामने मेरे लिए जो मेरे मित्र मेरे बड़े भाई समान थे वही गुरु नंदी पूरी तरह से घायल और थके हुए लग रहे थे ये देखकर मे वही छुपकर अंदर की सारी बाते सुनने का प्रयास किया इस वक़्त अंदर शैलेश के साथ महागुरु दिग्विजय और गौरव भी थे
महागुरु:- मैने तुम दोनों को केवल नज़र रखने और उनका ठिकाना पता लगाने भेजा था तुम तो जाके यूद्ध की घोषणा कर आ गए और की तो की लेकिन साथ मे जल अस्त्र को भी शत्रु के कैद में छोड़ कर आ गए
शैलेश:- उन्होंने अचानक हमला किया था इसीलिए हमे उनसे बचने का या भागने का मौका नही मिला
अभी वो लोग बाते कर रहे थे की तभी कुटिया मे शांति और प्रिया आती हैं और अपने सामने का नजारा देख कर दोनों चौंक गए थे जहाँ प्रिया महागुरु का गुस्सा और शैलेश की हालत देख डर गयी थी
तो वही अपने सामने का हाल देखकर समझ गयी थी कि हालत उनके हाथों से निकल गए है और उसने प्रिया को अपने साथ यहाँ लाके गलती कर दी है तो वही प्रिया को वहा देखकर महागुरु ने अपने क्रोध पर काबू किया
महागुरु:- प्रिया यहाँ जो भी चल रहा है उसके लिए तुम और भद्रा तैयार नहीं हो अभी इसीलिए फिलहाल तुम यहाँ से बाहर जाओ और याद रखना भद्रा को इस सब के बारे में पता न चले
कुछ देर पहले ही महागुरु का गुस्सा देखकर प्रिया वैसे ही डर गयी थी और फिर महागुरु की बात सुनने के बाद उसके दिलो दिमाग मे मेरा चेहरा घूमने लगा उसे वो शैतानी दुनिया का युद्ध चलने लगा जिसमे मे लगभग मर ही गया था इसीलिए उसने बिना कुछ कहे वहा से जाने लगी लेकिन मे अभी तक उस रोशन दान के पास ही खड़ा हो कर सब सुन रहा था
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Awesome update and great writingअध्याय उनतालीस
जहाँ एक तरफ भद्रा ने अपने पृथ्वी अस्त्र पर काबू करना सिख गया था तो वही दूसरी तरफ शहर में एक सुनसान से इलाके मे स्थित एक बंगलो मे इस वक़्त दिग्विजय और गौरव दोनों मौजूद थे जहाँ दिग्विजय के चेहरे पर आम भाव थे तो वही गौरव उस घर को देखकर दंग हो गया था
गौरव :- दिग्विजय क्या ये तुम्हारा घर है
दिग्विजय :- नही ये मेरा घर नही बल्कि RAW का सैफटी हाउस है जिसे बड़ी मुश्किलों से मुझे हमारे मिशन के लिए मिला है
गौरव:- और यहाँ पर ऐसा क्या है जिसके लिए तुम्हे इतनी मन्नते करने पड़ी
दिग्विजय:- इस वजह से
इतना बोलकर उसने वहा पर दीवार मे लगे शीशे पर अपना दाया हाथ रख दिया और फिर देखते ही देखते उनके सामने की दीवार दो हिस्सों मे बटकर खिसकने लगी
गौरव:- (अपने दोनों हाथ अपने सर पे रख कर) ओह तेरी अली बाबा की गुफा
दिग्विजय:- नही RAW का अंतर्यामी जासूस 007
गौरव:- मतलब
दिग्विजय (अंदर जाते हुए) :- यहाँ वो है जिससे ताकतवर कोई हथियार नही जो पूरी दुनिया के लिए गलत और सबसे बड़ा जुल्म है उसे यहाँ पर जुल्म को होने से पहले ही रोकने के लिए इस्तेमाल किया
गौरव :- और ऐसा क्या है वो
दिग्विजय:- पूरे शहर में लगे हुए हर हर एक CCTV का acess है यहाँ पर चाहे वो किसी ऑफिस मे लगा हो या किसी के घर में हर कैमरा हम चेक कर सकते है
गौरव:- ये तो बहुत ही उत्तम है लेकिन हमारे पास इतना समय नही है
दिग्विजय:- पता है इसीलिए यहाँ पर इस वक़्त केवल हम दोनों ही है मै इस कंप्यूटर के अंदर सिंह अस्त्र की शक्ति भी मिला दूँगा और फिर सिँह अस्त्र हमे केवल उन जगहों के बारे में बताएगी जहाँ पर तमसिक ऊर्जा का प्रभाव ज्यादा हो
गौरव :- क्या सच्ची ऐसा हो सकता हैं
दिग्विजय :- हा बिल्कुल क्यों नही ये तकनीक महागुरु ने मुझे सिखाई थी ऐसे ही विषम परिस्थितियों के लिए
गौरव :- सही है तो चलो शुरू हो जाओ
उसके बाद दिग्विजय ने वहा के सभी मशीन को शुरू किया और फिर एक एक करके सभी CCTV की लाइव फुटेज भी शुरू कर दी और फिर अपने सिँह अस्त्र को जागृत किया
जिससे उसकी आँखे धीरे सिँह जैसी हो गयी और उनसे एक पीले रंग की रोशनी भी निकलने लगी जो जाके सीधा उन कंपूटरस पर गिरी और उसके बाद अपने आप ही वहा स्क्रीन पर चित्र लगातार बदलने लगे
और ऐसे ही कुछ देर होने के बाद वहा स्क्रीन पर एक खाली पड़े फैक्टरी का वीडियो चलने लगा ये केवल फैक्टरी के बाहर के तरफ का ही था जिस कारण अंदर क्या हो रहा है कितने असुर है उनकी लोकेशन क्या है ये कुछ भी पता नही चल रहा था
गौरव:- इस फैक्टरी के अंदर का हम कुछ भी नही देख सकते क्या
दिग्विजय:- लगता है असुरों ने कोई सुरक्षा कवच लगाया होगा
गौरव :- ठीक है तो मै महागुरु को बताता हूँ फिर हम सभी एक साथ योजना बनाके चलेंगे
अभी वो दोनों बाते कर रहे थे की तभी उनके दिमाग मे महागुरु की आवाज आने लगी जो उन्हे तुरंत कालविजय आश्रम बुला रहे थे जिसके बाद वो दोनों तुरंत आश्रम के लिए निकल गए
तो वही दूसरी तरफ इन दोनों के जैसे ही महागुरु ने एक शिष्य को बोलकर शांति को भी बुलाया था जिससे शांति के साथ साथ प्रिया की नींद भी खुल गई थी
जब उसने अपने सामने शांति के तरफ गया तो वो तुरंत ही चद्दर से अपना शरीर ढकने लगी जो देख कर शांति हसने लगी और जब प्रिया को एहसास हुआ की उसके कपड़े पहले से ही उसके शरीर पर है तो उसने चैन की सांस ली
और फिर वो भी शांति के साथ महागुरु के कुटिया जाने लगी तो वही जब मे तालाब से वापस आ रहा था तभी मुझे महागुरु के कुटिया से किसी के चिल्लाने की आवाज आने लगी जिसे सुनकर मै अंदर झांकने का प्रयास करने लगा
और ये मौका दिया कुटिया के पीछे बने एक छोटे से रोशनी दान ने जब मे रोशनी दान से अंदर झांकने लगा तो अंदर का नजारा देखकर मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी
क्योंकि मेरे सामने मेरे लिए जो मेरे मित्र मेरे बड़े भाई समान थे वही गुरु नंदी पूरी तरह से घायल और थके हुए लग रहे थे ये देखकर मे वही छुपकर अंदर की सारी बाते सुनने का प्रयास किया इस वक़्त अंदर शैलेश के साथ महागुरु दिग्विजय और गौरव भी थे
महागुरु:- मैने तुम दोनों को केवल नज़र रखने और उनका ठिकाना पता लगाने भेजा था तुम तो जाके यूद्ध की घोषणा कर आ गए और की तो की लेकिन साथ मे जल अस्त्र को भी शत्रु के कैद में छोड़ कर आ गए
शैलेश:- उन्होंने अचानक हमला किया था इसीलिए हमे उनसे बचने का या भागने का मौका नही मिला
अभी वो लोग बाते कर रहे थे की तभी कुटिया मे शांति और प्रिया आती हैं और अपने सामने का नजारा देख कर दोनों चौंक गए थे जहाँ प्रिया महागुरु का गुस्सा और शैलेश की हालत देख डर गयी थी
तो वही अपने सामने का हाल देखकर समझ गयी थी कि हालत उनके हाथों से निकल गए है और उसने प्रिया को अपने साथ यहाँ लाके गलती कर दी है तो वही प्रिया को वहा देखकर महागुरु ने अपने क्रोध पर काबू किया
महागुरु:- प्रिया यहाँ जो भी चल रहा है उसके लिए तुम और भद्रा तैयार नहीं हो अभी इसीलिए फिलहाल तुम यहाँ से बाहर जाओ और याद रखना भद्रा को इस सब के बारे में पता न चले
कुछ देर पहले ही महागुरु का गुस्सा देखकर प्रिया वैसे ही डर गयी थी और फिर महागुरु की बात सुनने के बाद उसके दिलो दिमाग मे मेरा चेहरा घूमने लगा उसे वो शैतानी दुनिया का युद्ध चलने लगा जिसमे मे लगभग मर ही गया था इसीलिए उसने बिना कुछ कहे वहा से जाने लगी लेकिन मे अभी तक उस रोशन दान के पास ही खड़ा हो कर सब सुन रहा था
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही
~~~~~~~~~~~~~~~~~~