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Fantasy ब्रह्माराक्षस

Tri2010

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अध्याय तीसरा

तो ऐसे ही समय गुजरता गया और जल्द ही वो बालक 5 साल का हो गया और तभी से राघवेन्द्र ने उस बालक को सब कुछ सिखाना शुरू किया छोटी छोटी जादुई कला से लेकर बड़े से बड़े मायावी हमले तक सब उसे सीखा दिया था तो वही जब भी आश्रम में बाकी गुरुओं मे से कोई भी आता (यहा गुरु का अर्थ अस्त्र धारक से है) तो वो सभी भी भद्रा को अलग अलग कला सीखते जिन मंत्रों से वो अपने अस्त्रों को इस्तेमाल करते वही मंत्र उन्होंने भद्रा को भी सीखा दिए थे जिससे अब वो तीनों ही आश्रमों मे गुरुओं के बाद सबसे शक्तिशाली योद्धा था

१/१/२०२४

आज उस हादसे के बाद 22 वर्षो का समय गुजर चुका था संसार में बहुत से बदलाव भी आए थे जैसे कि अभी आश्रम पहले से भी ज्यादा गुप्त और सख्त हो गए थे जब से आश्रम में सबको ब्रह्माराक्षसों पर हुए हमले के बारे में जानकारी प्राप्त हुई थी तब से सब लोग गंभीर हो गए थे यहा तक कि सारे गुरु भी बिना अति आवश्यक कार्य के आश्रम के तरफ देखते भी नहीं थे तो वही भद्रा के 15 साल पूरे होते ही राघवेन्द्र ने उससे वचन ले लिया कि जब तक प्राणों का संकट ना वो कोई मायावी विद्या इस्तेमाल नहीं करेगा और वहीं भद्रा राघवेन्द्र के कहने पर खुदका सर भी काट सकता है तो वह इस वचन के लिए कैसे मना कर पाता

जब भद्रा 21 बरस का हुआ तो राघवेन्द्र ने उसे शहर जाके वहां के तौर तरीकों को सीखने के लिए बोल दिया अभी बचपन से ही मायावी शक्तियों का अध्ययन करने से भद्रा का दिमाग इतना तेजी से विकास कर रहा था कि वह एक बार जो देख ले पढ़ ले या सिर्फ सुन भी ले तुरंत ही उसके दीमाग मे किसी तस्वीर की तरह छ्प जाता इसीलिए शहर आने के बाद वो शहर की रंगत मे रंग गया था पढाई की चिंता तो उसे थी ही नहीं क्यूँकी कॉलेज मे जो भी पढ़ाते उसने वो सब पहले ही ग्रंथों में पढ़ लिया था सिर्फ भाषा का अन्तर था बस टेक्नोलॉजी उसके लिए नयी थी जिसे भी उसने एक साल मे इस प्रकार सीख लिया था जैसे बचपन से ही सीखते आ रहा हो

वही शहर में रहते हुए उसके तीन दोस्त भी बने और उन्हीं के साथ वो पूरा दिन रहता है

1) केशव = ये भद्रा के ही क्लास में है और उसका सबसे पहला दोस्त यही है इसे दूसरों से पंगा लेने की आदत है har वक़्त किसी ना किसी से लड़ते रहता है

2) रवि = ये केशव के बचपन का दोस्त है लेकिन ये डरपोक किस्म का है इसे बस कोई घूर के देख ले तो ये डर जाए

3) प्रिया = ये शहर के बड़े व्यापारी की इकलौती बेटी है लेकिन बहुत सुलझी हुई है शहर के अंदर ही इसके पिता के 2 होटल्स है जिन मे से एक ये संभालती है और ये दिल ही दिल में भद्रा की दीवानी भी है बस इसने उसे बताया नहीं है ये बात केवल रवि और केशव को पता है

अब से कहानी भद्रा की जुबानी

आज भद्रा का 22 वा जन्मदिन था जिसके लिए उसके दोस्तों ने कुछ खास इन्तेजाम किए थे जिससे भद्रा अनजान था

आज सुबह जब मेरी नींद खुली तो मुझे खुदको अपना जन्मदिन याद नहीं था लेकिन हाँ नए साल के शुरू होने का उत्साह जरूर था जिसके बाद सबसे पहले मेंने अपनी दिनचर्या अनुसार ध्यान लगाकर अपने दिल दिमाग को शुद्ध करके शांत किया और फिर नहाने चला गया आज मुझे मेरे शरीर में कुछ बदलाव महसूस हुए थे जिनपर मेने ध्यान नहीं दिया क्यूंकि मुझे लगा था कि ये सब मेरे अन्दर की शक्तियों के वजह से हो रहा था

और जब मे घर से बाहर निकला तो मेरे घर के बाहर मेरे तीनों दोस्त मौजूद थे जिनको देख कर मे दंग रह गया क्यूंकि आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ था कि वो मेरे घर पर आए

में :- क्या बात है आज तुम तीनों की नींद जल्दी खुल गई मुझे लगा था कि आज भी मुझे तुम्हें लेने तुम्हारे घर आना होगा

केशव :- अच्छा है कि तुम्हें याद तो है कि आज क्या है

में :- इसमे क्या है ये तो सब को पता है कि आज नए साल का पहला दिन है

मेरी बात सुन कर उन तीनों ने भी अपना सर पीट लिया

में :- क्या हुआ अपना सर क्यु पीट रहे हो

रवि :- कुछ नहीं आओ तुम गाड़ी में बैठो

इतना बोलकर उन तीनों ने मुझे पकड़ कर गाड़ी में बिठा दिया और फिर प्रिया गाड़ी चलाने लगी हम तीनों को भी गाड़ी चलाना नहीं आती थी अभी मे गाड़ी में बैठ कर हमेशा की तरह गाने सुन रहा था कि तभी मेने ध्यान दिया कि हमारी गाड़ी कॉलेज से अलग रास्ते पर जा रही थी

में :- ये क्या कॉलेज का रास्ता तो पीछे रह गया

केशव :- हाँ आज हम कॉलेज नहीं जा रहे हैं आज कुछ अलग सोचा है

में :- अच्छा क्या सोचा है तुमने

रवि :- वो हम नहीं बतायेंगे तुम इंतजार करो

में :- ठीक है मत बताओ

ये बोलकर मे फिर से गाने सुनने लगा तो वही जब हम पहुचें तो मेने देखा कि ये प्रिया का ही होटल था जिसे वो उसके फ्री टाइम में संभालती थी अभी मे कुछ बोलता की तभी उन तीनों ने मेरे आखों के उपर पट्टी बाँध दी और फिर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अंदर ले गए और जब हम अंदर पहुचें तो वहां जाने के बाद उन्होंने मेरे आखों की पट्टी खोली और जब मेने अपनी आखें खोली तो वहाँ पर पूरा होटल सजाया हुआ था और सामने प्रिया केशव और रवि तीनों के भी माता पिता मौजूद थे जिन्हें देख कर मेंने सबसे पहले उन सबके पैर छुए फिर उन सबके सामने खड़ा हो कर

में :- नए साल की आप सबको बहुत बहुत बधाई

मेरी बात सुनकर वो सभी दंग रह गए जिसके बाद केशव ने आकर मेरे सर पे मारते हुए कहा

केशव :- पागल आज तेरा जन्म दिन भी है

केशव की बात सुनकर सभी हसने लगे जिसके बाद सभी ने मिलकर मेरा जन्म दिन मनाया जिसके बाद सबने मुझे बहुत से तोहफे भी दिए सभी बड़े मुझे बहुत मानते थे

जिसके बाद हम सबने मिलकर खाना शुरू किया अभी हम खाना खाते की तभी मुझे याद आया कि शांति ने भी मुझे आज अपने घर पर बुलाया था ये याद आते ही मे वहाँ से निकलने वाला था कि तभी वहां प्रिया के पिता आ गए ये ज्यादा तर देश से बाहर ही रहते थे इनका नाम शान था

शान :- कहा चले birthday boy बिना हमसे मिले ही चल दिये

में :- नहीं ऐसा नहीं है सर वो मुझे नहीं पता था कि आप आने वाले हो

शान :- अरे कैसे नहीं आता जिसके वजह से मुझे लाखों का नुकसान हुआ उससे कैसे ना मिलता

प्रिया :- (अचानक से) पिताजी

में :- लाखों का नुकसान कैसे मे समझा नहीं

शान :- अरे तुम्हारे जन्मदिन की पार्टी के लिए इसने नए साल की जो भी बुकिंग थी वो सब को मना कर दिया जिससे हमें सबको उनके पैसे रिटर्न करने पड़े

उनकी बात सुनकर मे दंग रह गया था बोलना तो मे चाहता था लेकिन वो हक्क नहीं था प्रिया मेरे लिए एक खास दोस्त लेकिन उसे इस नादानी के लिए उसके माता पिता के सामने परायों के सामने बोलने का अधिकार नहीं था

में :- माफ़ करना सर लेकिन अब ये आपका मेरे ऊपर उधार रहा जिसे मे जल्द ही चुका दूंगा

जिसके बाद मे उन सबके साथ ही बैठ गया क्यूँकी प्रिया के पिता अभीं आए थे और उनके आते ही तुरंत निकल जाना अच्छा नहीं लगता

रानी (प्रिया की माँ) :- (शान से) आप इतनी जल्दी कैसे आप तो किसी मीटिंग में जाने वाले थे

शान :- हाँ इस शहर के सबसे बड़े बिजनेस मैन शैलेश सिंघानिया से मिलने जाना था लेकिन उनके पास हम जैसे छोटे बिजनेस मैन को मिलने का समय कहा है

जैसे ही उन्होंने अपनी बात पूरी की वैसे ही मेरे दिमाग की घंटी बज उठी क्यूंकि वो जिस शैलेश की बात कर रहे थे वो कोई और नहीं बल्कि गुरु नंदी थे अब मुझे मेरा उधार चुकाने का तरीका मिल गया था फिर मे वहाँ से निकल गया शांति से मिलने

(यहा मे एक बात साफ़ कर देता हूं बचपन से ही मे और शांति दोस्तों के तरह ही एक दूसरे से मिलते थे जिससे में और वो एक दूसरे के साथ काफी खुल गए थे तो वही बाकियों को मेंने हमेशा अपने गुरुओं के रूप में ही देखा है इसीलिए उनसे मेरा व्यावहार गुरु शिष्य जैसा ही है लेकिन वो सभी मुझे अपने परिवार समान ही मानते हैं)

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आज के लिए इतना ही

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Amazing update
 

Tri2010

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अध्याय चौथा

अभी मे शांति के घर पहुंच गया था जब मे वहाँ पहुचा तो मुझे देखते ही गार्ड ने बाहर का गेट खोल दिया मे हर हफ्ते एक दिन इनसे मिलने तो जरूर आता था इसीलिए यहा के गार्ड्स मुझे शांति का रिश्तेदार ही समझते थे जब मे वहा पहुचा तो उनका घर खाली था इस वक़्त दुपहर के 2 बज रहे थे मतलब अभीं हॉस्पिटल से आने मे उन्हें आधा घंटा बाकी था तभी मेरे दिमाग में खयाल आया और मे उनके कमरे में जाके छुप गया और उनके आने का इंतजार करने लगा

तो वही होटल मे सभी लोग अपने घर चले गए थे अभी केवल वहां प्रिया अपने माता पिता के साथ थीं जोकि अपने पिता के व्यावहार से काफी गुस्सा थी

प्रिया :- आपको क्या जरूरत थी उसे बताने की उसे ये पार्टी आदि चीजे पसंद नहीं है और आपने उसे बता दिया कि उसके पार्टी के लिए मेने अपने ही पिता का लाखों का नुकसान कराया है

शान :- तो क्या हुआ ये तो बस एक इम्तिहान था उसका

प्रिया :- इम्तिहान कैसा इम्तिहान

शान :- अगर मेरी बेटी किसी लड़के से प्यार करने लगेगी तो मे उसे प्यार करने से रोक तो नहीं सकता लेकिन उस लड़के का इम्तिहान तो ले सकता हूं ना

उनकी बात सुनकर जहा प्रिया डर गई थी तो वही उसकी माँ रानी दंग हो गई थी कि प्रिया मुझसे प्यार करती है

प्रिया :- आपको कैसे पता चला

शान :- भले ही मे काम के सिलसिले में ज्यादातर बाहर रहता हूं लेकिन ऐसा नहीं है कि मे अपने परिवार की सुरक्षा को इग्नोर कर दूंगा

रानी :- आपने मुझे क्यु नहीं बताया फिर

शान :- क्युकी अब प्रिया बड़ी हो गई है और अगर मे तुम्हें बता देता तो तुम इसे सवाल पूछ पूछ कर ही परेशान कर देती और मुझे अपनी बेटी के उपर पूरा भरोसा है कि वो कुछ भी गलत नहीं करेगी

रानी :- तो ये इम्तिहान क्यु लिया आपने

शान :- क्युकी मे एक पिता भी हूँ खुदको जितना भी समझा लू चिंता तो होती ही है

प्रिया (शर्माते हुए) :- तो रिजल्ट क्या निकला वो पास या फैल

प्रिया को ऐसे बोलते देख वो दोनों हंसने लगे जिससे वो और ज्यादा शर्माने लगी

शान :- रिजल्ट मे अभीं समय है पहले देखने तो दो की जो उधार चुकाने की बात कर रहा था वो कैसे चुकाता है

प्रिया :- अगर ऐसा है तो आप चिंता मत करो भद्रा ने कहा है मतलब समझो वो हो गया

शान :- इतना भरोसा है तो उससे इजहार क्यु नहीं किया अब तक

प्रिया :- डर लगता है

शान :- कैसा डर

प्रिया :- एक बार एक लड़की ने उसे पूरे कॉलेज के सामने i love you कहा था तब उसे उस लड़की को मना कर दिया था और जब उस लड़की ने उसे जबरदस्ती किस करने के लिए कोशिश की तो उसने उसे थप्पड़ मारा था फिर अब तक उसने उस लड़की से बात नहीं की है मे थप्पड़ सहन कर लूँगी लेकिन उसकी नाराजगी सहन नहीं कर सकती

प्रिया कि बात सुनकर उसके माता पिता दंग रह गए थे

तो वही शांति के घर मे अभी कमरे मे बेड के पीछे छुपा हुआ था जहां से मेरी नजर पूरे कमरे में जा सकती थी लेकिन मुझे कोई किसी भी कोने से नहीं देख सकता था मेरे दिमाग में पूरी योजना तैयार थी जैसे ही वो आती मे उनपर झपट पड़ता और उन्हें डराता जैसे ज्यादातर मूवीज मे दिखाते

और मे अपनी इस तरकीब के साथ तैयार था और मे इस तरकीब का इस्तेमाल करने के लिए उत्साहित था कि तभी मुझे उनके गाडी की आवाज सुनाई दी गई जिससे मे खुदको संभालते हुए छुप गया और जैसे ही वो अन्दर आयी तो मे सही मौके का इंतजार करने लगा

अभी उन्होंने सलवार कमीज पहनी हुई थी जिसमें उनकी पीठ मेरे तरफ थी जिससे वो मुझे देख नहीं पाते रही थी लेकिन मे उन्हें जरूर देख पा रहा था

इस वक़्त उनकी पीठ मेरे तरफ थी अभी मे उन्हें डराने के लिए आगे बढ़ता की तभी मुझे जोर का झटका लगा क्यूँकी मे अभी आगे जाता की तभी शांती ने जो कमीज पहनीं थी वो उसने नीचे से पकड़ ली जो देख कर मेरे पैर जहा थे वही ठहर गए और मे आगे जो दिखने वाला था उसके बारे में सोचकर ही डर और उत्साह ऐसे मिली हुई भावनाओं का शिकार बन रहा था

डर के मारे मे कमरे से बाहर नहीं निकल सकता था अगर उन्होंने देख लिया तो मेरे बारे में क्या सोचेंगी इस बात का डर था तो अगर मे यहा रुका रहा तो ना जाने क्या क्या देखने को मिल सकता है ये सोच कर मेरे शरीर में उत्साह दौड़ रहा था कि तभी वो हुआ जिसके बारे में अभी मैं सोच रहा था

अभी मे सोच ही रहा था कि तभी शांति ने अपनी कमीज उतार दी ये मेरे जीवन का पहला मौका था जब मे किसी स्त्री को ऐसे देख रहा था और वो भी उन्हें जिन्हें मे बचपन से ही अपनी एक सच्चे दोस्त के रूप में देखते आ रहा था मेरे मन आत्मग्लानि भी हो रही थी कि

ये सब गलत है आश्रम में सिखाये गए संस्कार बार बार मेरे आखें बंद कर रहे थे तो वही मेरी उभरती जवानी और मेरे अन्दर की कामोत्तेजना मेरे नजर को बार बार उनकी नंगी पीठ पर टिका रही थी जहा पर अभी सिर्फ उनके ब्रा की डोरी ही थी जो जल्द ही निकल गई जिसे देख कर मेरा खुद पर काबु रखना मुश्किल हो रहा था

ये सब कम था कि तभी शांति ने अपनी सलवार भी उतार दी और फिर तुरंत ही अपनी पँटी भी उतार दी अब तो जैसे मेरे उपर बिजली गिरने लगी थी मे ये कभी सोच भी नहीं सकता था कि शांति ऐसे जन्मजात नंगी होगी और मे छुपकर उनकी गांड देखकर उत्तेजित हो कर अलग अलग सपने देख रहा होऊँगा

अभी मे जागते हुए सपने देख रहा था कि तभी शांति अपनी गांड हिलाते हुए बाथरुम के तरफ चल पडी तो वही उनके गांड की थिरक देख कर मे खुद को रोक नहीं पाया और अपने हाथों से अपने हथियार को मसल ने लगा और लंड मसलते हुए कब उनकी ब्रा उठाकर सूंघने लगा और मूठ मारने लगा

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आज के लिए इतना ही

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Wonderful update
 

Tri2010

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अध्याय पांचवां

अभी मे जागते हुए सपने देख रहा था कि तभी शांति अपनी गांड हिलाते हुए बाथरुम के तरफ चल पडी तो वही उनके गांड की थिरक देख कर मे खुद को रोक नहीं पाया और अपने हाथों से अपने हथियार को मसल ने लगा और लंड मसलते हुए कब उनकी ब्रा उठाकर सूंघने लगा और मूठ मारने लगा

मेरा काबु अब खुद पर था ही नहीं मे क्या कर रहा था ये मुझे भी पता नहीं चल रहा था परंतु मुझे परम आनंद जरूर मिल रहा था और मे अभीं उसी आनंद मे खोया हुआ था कि तभी मुझे कुछ आवाजें सुनायी देने लगी जिससे मे होश में आ गया और तुरंत ही उनकी ब्रा को वही जमीन पर फेंक कर अपनी हालत सुधारने लगा

लेकिन तब तक देर हो चुकी थी अब हम दोनों की नजर आपस मे मिली शांति पूरी ऊपर से नीचे तक नंगी थी उनके गोरे मोटे मोटे स्तन पाणि की बूँदों से सजे हवा मे झूल रहे थे उनके गुप्तांग के पास काले काले हल्के बाल नजर आ रहे थे

जिन्हे देखकर मेरा मुह खुला का खुला रह गया तो वही मुझे अचानक से अपने सामने देख कर शांति हड़बड़ा गई और तेजी से अपनी ब्रा, पैंटी और कपड़े एक साथ हाथों में पकड़ वो जल्दीबाज़ी में मुड़ी कि तभी उसका पेर फ़िसल गया।

उसके ही बदन से गिरा पानी नीचे फेल चुका था। और, उसी पर जल्दीबाजी के चक्कर में उसने अपना पैर रख दिया जिससे वो स्लिप हो गयीं और ज़ोर की आवाज़ के साथ वो फर्श पर गिरी।

उन्हे गिरते हुए देख कर मेने आव देखा ना ताव और तेज़ गति में उनकी ओर आया और फिर पीठ पर एक हाथ रख उसे सहारा देते हुए उनको उठाया

जिससे अब मेरी नजरो के सामने पूरा भीगा दूधिया बदन नंगा सामने रखा हुआ था जिसे मे चाहकर भी इग्नोर नहीं कर पाए और उन्हें एक बार उपर से नीचे तक देखने लगा लेकिन फिर जल्द ही मेने अपनी सोच को दुत्कारा और शांति को सहारा देने लगा

में :- शांति तुम ठीक हो ना

जब शांति मेरा हाथ थाम कर उठी तब उसने हदबड़ी में अपने गुप्तांग और दूध को छुपाया कुछ कहने या नज़र मिलाने की उसकी हिम्मत तक हम दोनों की नहीं हो रही थी

में उनकी हालत देखकर यह जान गया था की शांति इस वक्त क्या महसूस कर रही थी इसलिए मेंने अपना दूसरा हाथ शांति की जांघ के नीचे ले गया।

मेरे ऐसे करते ही शांति की सांसें ही जैसे अटक गईं वो अभी कुछ सोचती कुछ करती या कुछ बोलती की उससे पहले ही उनका बदन हवा में उठ गया फिर मेंने शांति को गोद में ले लिया और बेड की ओर चल दिया जिसके बाद मेने शांति को बिस्तर पर लिटाते हुए कहा,

में :- मुझे माफ़ करना शांति मे बस तुम्हें डराना चाहता था लेकिन गलती से ये सब हो गया

शांति (शरमाते हुए) :- ये सब बस एक हादसा था भद्रा तुम जाओ और मेरे कपड़े ले आओ बस और इस बात के लिए खुद को दोष देना बंद करो

में :- वो मैं ले आऊंगा. पर पहले मुझे बताओ की तुम्हें कहीं लगी तो नहीं

शांति (शरमाते हुए) : मैं ठीक हूं ना! तुम जाओ और जाते हुए कपडे पास कर देना

उनकी बात सुनकर मुझे भी उनकी हालत का बोध गया और फिर मेंने उनके कपड़े उन्हें पास किए और फिर मे उनके घर से बाहर निकल गया और अपने घर आ गया मेरे दिमाग में बार बार वही सब आ रहा था

मेंने कई पुस्तकों मे किशोर अवस्था के बारे में पढ़ा था लेकिन आज मुझे वो सब एक झटके में याद आ गया था मे समझ पा रहा था कि जो भावनाएँ मेरे मन मे आ रही है उनमे मेरी गलती नहीं है लेकिन फिर भी मे शांति के बारे में ऐसे सोचने के लिए खुद को दुत्कार रहा था

इसी सब के बारे में सोचते हुए कब मेरी आँख लग गई मुझे ही पता नहीं चला

तो वही शांति के घर में

मेरे जाने के बाद शांति ने तुरंत उसके कपड़े पहन लिए और फिर मुझे ढूंढते हुए वो बाहर आ गई जहा मुझे ना देखकर वो चिंतित हो गई और फिर मुझे ढूँढने के लिए वो घर के बाहर आ गई

धरती अस्त्र के कारण फिसलने के बाद भी उन्हें कोई चोट या दर्द नहीं हुआ था और जब वह बाहर आयी तो गार्ड ने उसे मेरे जाने के बारे में बताया जिससे वो मुझे कॉल लगाने लगी लेकिन आज जो भी हुआ था उससे मे उनका कॉल नहीं उठा पा रहा था जिससे वो और चिंता मे आ गई

जिससे वो तुरंत मुझे मिलने के लिए मेरे घर के लिए निकलने लगी कि तभी आज के हादसे के बाद उनकी भी हिम्मत नहीं हो रही थी मेरे से मिलने की इस लिए उन्होने इस बात को कल पर छोड़ दिया और अपने घर में जाकर आज के बारे में ही सोचने लगी लेकिन उनके चेहरे पर गुस्सा या दुख के जगह एक शर्म से भरी हुई मुस्कान आ गई और वो वैसे ही मुस्कराते हुए अपने काम मे लग गई

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आज के लिए इतना ही

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Awesome update
 

Tri2010

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अध्याय छह

इस वक़्त एक अंधेरी गुफा के बाहर एक के बाद एक 3 मायावी द्वार खुल गए उन तीनों द्वार से 3 लोग बाहर आए जिनमें 1 पुरुष था तो 2 स्त्रिया जब उन तीनों ने एक दूसरे को देखा तो वो दोनों स्त्रिया तुरंत उस पुरुष के सामने झुक गई

दोनों (एक साथ) :- असुर सेनापति मायासुर की जय हो

मायासुर :- उठ जाओ मोहिनी और कामिनी

जैसे ही उस मायासुर ने दोनों को उठने के लिए कहा वैसे ही उन तीनों के रूप बदल गए और फिर उसी आसुरी रूप में उस गुफा के अंदर चल दिये और जैसे ही वो अंदर जाने लगे तो उस अंधेरी गुफा में हल्का सा प्रकाश फैलने लगा और जैसे ही वो गुफा के अंतिम छोर पर पहुंचे तो

उन तीनों ने अपने हाथ आगे किए जिससे उन तीनों के हाथ में एक एक चाभी आ गई और जैसे ही woh चाबियां उनके हाथ मे प्रकट हुए तो वैसे ही वहां एक और मायावी द्वार खुल गया

जिसमें से वो तीनों पहुच गए किसी कैदखाने जैसी जगह पर जहा पर हर एक कमरे से केवल और केवल लोगों की दर्द से निकलती चीखें ही सुनायी दे रही थी और उन सब कमरों के आखिर में एक कमरा और था जिसमें से चीखें तो नही लेकिन 2 लोगों के रोने की आवाज सुनाई दे रही थी

जब वो तीनों उस कमरे के पास पहुंचे तो वो रोने की आवाज बंद हो गई और जैसे ही वो उस कमरे के सामने आए वैसे ही उस कमरे में उजाला फैल गया उस कमरे में कोई और नहीं बल्कि त्रिलोकेश्वर और दमयन्ती थे जिन्हें असुरों ने सालों पहले क़ैद किया था

वो दोनों अपने राक्षसी रूप में ही मौजूद थे दोनों को बाँध के रखा था दोनों के शरीर पर कई सारे घाव लगे हुए थे उन्हें देखने से ही लग रहा था कि उन्हें किसीने बहुत पीटा है उन्हीं के बगल में चाबुक भी जमीन पर पड़े हुए थे

मायासुर :- कैसे हो त्रिलोकेश्वर हमारी मेहमान नवाजी पसंद तो आ रही है ना

उसकी बात सुनकर दोनों भी सिर्फ उसे ग़ुस्से से घूरे जा रहे थे जो देखकर वो तीनों असुर ज़ोरों से हंसने लगे

मायासूर :- वैसे मानना पड़ेगा इतने सालों से पीड़ा सहते हुए आ रहे हो लेकिन अभी तक तुमनें तुम्हारें पुत्र को कहा छुपाया है अभी तक हमे पता लगने नहीं दिया बहुत अच्छे पिता हो तुम लेकिन पति उतने भी अच्छे नहीं हो इतने सालो से अपनी पत्नी को पीटते हुए देख रहे हों लेकिन अभी तक तुमनें उसका दर्द मिटाने के लिए कुछ भी नहीं किया

त्रिलोकेश्वर :- अगर ऐसी बात है तो मेरे हाथ खोलकर मुझे बाहर निकाल फ़िर मे तूझे दिखाता हूँ कि मैं क्या हूँ

मायासुर :- अच्छी बात है लेकिन उसके लिए अभी समय नहीं है वैसे अगर तुम अपने पुत्र के बारे में बता दो फ़िर असुर राज़ से माफ़ी की भीख मांगो तो हो सकता है कि वो तुम्हे इस पीड़ा से मुक्ति दे दे

दमयन्ती :- तुम किस पीड़ा की बात कर रहे हों अरे तुम जो हमे मार रहे हो वो हमे पीड़ा नहीं दे रही है बल्कि तुम्हारें प्रति हमारे अंदर की क्रोधाग्नि को और भड़का रही है जिसका इस्तेमाल तुम तीनों की चिता जलाने के लिए किया जाएगा हाँ अगर तुम हमे छोड़ दो और माफी की भीख माँगों तो हो सकता है कि हम तुम्हारे अंत को कम दर्दनाक बनाए

मायासुर :- तुम्हरी ये हिम्मत की तुम हमसे ऐसे बात करो अब तुम्हारा अंत निश्चित है लेकिन उससे पहले तुम्हें इतनी पीड़ा दूँगा की तुम खुद मौत की भीख माँगों

इतना बोलकर वो वहाँ से निकलने लगा और तुरंत ही जो चाबुक जमीन पर गिरे हुए थे वो हवा में उड़ने लगे और उन मेसे बिजली की तरंग निकलने लगी और फिर उन दोनों के उपर लगातार उस चाबुक से वार होने लगा लेकिन वो दर्द से तड़पने के बदले हसने लगे और जोर से चिल्लाने लगे

दोनों :- (चिल्लाकर ) बदला लिया जाएगा हर जुल्म का हर घाव का तुम्हारी पूरी असुर प्रजाति मौत की भीख मांगेगी लेकिन उन्हें मिलेगा तो सिर्फ दर्द बेशुमार दर्द

तो वही मे ये सब सपने के माध्यम से देख पा रहा था लेकिन सब कुछ धुंधला था ना मुझे कुछ समझ आ रहा था और नाही मुझे कुछ साफ़ दिख रहा था परंतु जब उन दोनों पर चाबुक बरसने लगे तो ऐसा लगा कि वो चाबुक मुझ पर बरस रहे हैं जिससे मे एक चीख के साथ उठ गया

जैसे ही मेरी आँख खुली तो मेंने देखा कि मे अपने ही कमरे में था और पूरी तरह से पसीने से भिगा हुआ था और मेरी सासें भी फुल चुकी थी ऐसा लग रहा था कि कोई महा शक्तियों से भरा ऊर्जा स्त्रोत ने मेरा गला दबा कर रखा हो

अभी मे इस सब के बारे में सोच ही रहा था कि तभी मेरे घर के दरवाजे पर दस्तक होने लगी लेकिन मे अपने ख़यालों मे इतना गुम था कि मुझे कुछ सुनायीं ही नहीं दे रहा था और जब मेरे तरफ से कोई जवाब नहीं मिला तो बाहर वाले व्यक्ती ने तुरंत दरवाज़ा तोड़ दिया

ये व्यक्ती कोई और नहीं बल्कि जिस घर में मैं रहता हूं उसके मालिक है दिल के बड़े नेक है और शहर में अकेले ही है ये और इनका परिवार एक दिन साथ घूमने जा रहे थे तभी एक हादसे का शिकार हो गए और ये भी मारे जाते लेकिन इनको कुछ साधुओं ने बचा लिया और इनके उपचार के लिए इन्हें काल दृष्टि आश्रम ले गए और तबसे ही ये आश्रम के लिए वफादार है भले ही इन्हें आश्रम की असलियत नहीं पता लेकिन फिर भी यह आश्रम के द्वारा दिये गये हर आदेश का पालन करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं इनका नाम सत्येंद्र है

सत्येन्द्र :- क्या हुआ भद्रा तुम ऐसे चिल्लाए क्यु

में :- कुछ नहीं काका बस बुरा सपना था

सत्येन्द्र :- थोड़ा कम सोचा करो तो ऐसे सपने नहीं आयेंगे तुम फ्रेश हो जाओ मे नाश्ता लेके आता हूं

इतना बोलकर वो चले गए और उनके जाते ही मेंने तुरंत अपने आप को काबु किया और ध्यान लगाकर खुद को बड़ी मुश्किल से काबु किया और फिर नहाने चला गया और अभी फिलहाल कॉलेज मे कुछ खास नहीं था तो मे चल दिया काका के घर और वहां नाश्ता कर ने के बाद मे चल प़डा अपना उधार चुकाने

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आज के लिए इतना ही

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Nice update
 

Yasasvi3

😈Devil queen 👑
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अध्याय उन्नीस

अभी उस गोदाम में मेंने उन सभी असुरों को हराकर जादू से बाँध दिया था और अब मेरे सामने केवल एक ही चुनौती थी और वो थी सिंहासन जो कि हवा में उड़ रहा था और अब मे उसके नजदीक पहुंच कर एक छलांग लगाई

लेकिन जितनी ऊंची मे छलांग लगाई थी वो सिंहासन उतना ही अधिक उपर चला जाता था ऐसे ही कुछ देर मे छलांग मारता रहा लेकिन हर बार एक ही नतीज़ा आता था फिर मेंने उस सिंहासन तक जाने का विचार को त्याग कर उसे मेरे तरफ खीचने की तरकीब ढूँढने लगा

और फिर कुछ देर सोचने के बाद मेंने अपने जादू से उस सिंहासन को अपनी तरफ खीचने का प्रयास किया लेकिन मे जितनी ज्यादा शक्ति से उस सिंघासन को अपने तरफ खीचने का प्रयास करता तो उस सिंघासन से और अधिक ज्यादा शक्तिशाली शक्ति मेरे उस वार को नाकाम कर देती

और मुझे दूर ढकेल देती और ये देख कर वो असुर हंस रहे थे और उनकी हंसी किसी तीर की तरह मेरे कानो मे चुभ रही थी और जब वो हसी को सहन करना मेरे बस के बाहर हो गया तो मेंने अपनी तलवार को लेकर सीधा उन असुरों के गले पर रख दी

मे :- (गुस्से में) हँसना बंद करो नहीं तो सब अपनी जान से जाओगे

असुर 1 :- तुम चाहे कुछ भी कर लो लेकिन उस सिंघासन पर नहीं बैठ पाओगे उस पर केवल वही बैठ सकता है जो कि उस सिंहासन के लायक हो एक असली राजा असली सम्राट ही उस सिंघासन पर बैठ सकता है

उसकी बात सुनकर मे फिर से उस सिंघासन के पास आ गया और उधर बैठ कर ध्यान लगाने लगा और सबसे पहले मेंने अपने दिमाग को शांत किया और फिर जब मेरा दिमाग शांत हुआ तो मे इस सिंहासन पर बैठने के बारे में सोचने लगा


कि तभी उस असुर की बात मेरे दिमाग में घूमने लगी " एक असली राजा असली सम्राट ही उस सिंघासन पर बैठ सकता है " और ये विचार आते ही मेरे दिमाग में एक असली राजा क्या गुण होने चाहिए उनके बारे में सोचने लगा कि तभी मुझे मेरे गलती का एहसास हुआ

क्यूँकी जितना मेंने महागुरु से सीखा था उसके हिसाब से एक सच्चा राजा वही होता है जो सिंघासन के प्रति उसकी जिम्मेदारी के प्रति खुदको समर्पित कर दे ना कि बल या छल से उसे पाने की कोशिश करे और ये बात मेरे दिमाग में आते ही

मेंने ये तरीका भी इस्तेमाल करने का सोचा क्यूंकि अब तक मे इतना तो समझ ही गया था कि जब तक मे ये चुनौती पार नहीं कर लेता तब तक मे इस सपने से निकल नहीं सकता तो बस फिर क्या मे अपना ध्यान तोड़ कर खड़ा हो गया और फिर तन और मन से खुदको उस सिंघासन के प्रति समर्पित करने लगा

और मेरे ऐसा करते ही मेरे आखें बंद होने लगी और फिर मुझे लगने लगा कि मे हवा में उड़ रहा हूँ और जब मेने आखें खोल कर देखा तो मे सच्ची मे हवा में उड़ रहा था और फिर मे वैसे ही उड़ते हुए उस सिंहासन पर बैठ गया

और जैसे ही मे उस पर बैठा तो मुझे ऐसे लगने लगा कि मेरे शरीर में में झटके लग रहे हैं और जब ये झटके खत्म हुए तो ऐसा लगने लगा कि जैसे कि उस सिंहासन से कुछ अजीबोगरीब ऊर्जा मेरे शरीर में में समा रही है मे अभीं इन सब बातों मे उलझा हुआ था कि तभी

मेरे कानों में एक आवाज़ गूंजने लगी लेकिन वो आवाज अजीब थी जैसे कोई दर्द से तड़प रहा हो और वो उस दर्द से छुटकारा पाने के लिए किसी को बुला रहा हो जिसका नाम कुमार है और जो आवाज मुझे सुनाई दे रही है वो किसी एक की नहीं बल्कि कम से कम सौ लोगों की आवाज है

मे इनमें उलझा हुआ था कि तभी मुझे मेरे आखों के सामने वही पांचो असुर दिखाई दिए जिनको अभी मेंने हराया था लेकिन वो मेरी क़ैद से आजाद हो गए थे और इससे पहले मे कुछ बोलता फिर से वो पहले वाला असुर मेरे सामने आया

असुर 1 :- मे जानता हूं कि आप क्या सोच रहे हैं लेकिन यकीन मानिये की हम आपके साथ हैं और अभी जो भी हुआ वो केवल एक चुनौती थी जिससे आप अपनी शक्तियों के बारे में जान पाए तो शायद अब आपको अपने अस्तित्व अपने घर के बारे में सब याद आ गया है तो अब आप हमे माफ़ करेंगे और हमारी मदद करेंगे हम सबको उन दुष्टों के चंगुल से निकाल कर

असुर ये सब मुझसे बोल तो रहा था लेकिन मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था वो किसके बारे में बात कर रहा है क्या बात कर रहा है कुछ भी नहीं

में :- क्या बोल रहे हो तुम मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है क्या ये तुम असुरों की कोई चाल है मुझे सच बताओ की तुम उस दिन सम्भोग शक्ति प्रक्रिया से तुम असुरों का क्या मकसद था

असुर :- आपको अभी तक कुछ याद नहीं आया ये बहुत अजीब है उस दिन जब आपने उन असुरों को रोकने के लिए हमारे शक्तियों को अपने अंदर समाया तब हम पांचों को पता चला कि आप कोण है आप हो

अभी वो बात ही कर रहा था कि तभी उन पांचो के शरीर जलने लगे जिसे देखकर मे दंग रह गया था

असुर 1 :- ये सही नहीं हुआ हमे जाना होगा नहीं तो बहुत बुरा होगा आप को अपने अस्तित्व के बारे में जानना होगा नहीं तो सब मारे जाएंगे

इतना बोलकर वो पांचो गायब हो गए और मेरे भी नींद टूट गई और जब मेरी नींद खुली तो देखा अभी तक सुबह नहीं हुई थी ऐसा लग रहा था कि समय रुक गया था लेकिन अभी मे इन सब के बारे में सोच पाता कि

उससे पहले ही मेरा सिर बहुत दर्द करने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे दिमाग में कोई युद्ध चल रहा है जैसे कुछ है जो मेरे दिमाग पर काबु करना चाह रहा है लेकिन कोई चीज है जो उसे ये सब करने से रोक रही है लेकिन इस सबके बीच मेरी हालत खराब हो रही थी मेरा सिर फटे जा रहा था और जब ये दर्द मेरे सहन शक्ति से ज्यादा ही बढ़ने लगा

तब मेरी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा और कब मे सो गया मुझे पता भी नहीं चला या ऐसा भी कह सकते हो कि मे वही प्रिया के पास बैठे हुए बेहोश हो गया

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आज के लिए इतना ही

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Very nice update
 
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