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Fantasy ब्रह्माराक्षस

VAJRADHIKARI

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अध्याय चौथा

अभी मे शांति के घर पहुंच गया था जब मे वहाँ पहुचा तो मुझे देखते ही गार्ड ने बाहर का गेट खोल दिया मे हर हफ्ते एक दिन इनसे मिलने तो जरूर आता था इसीलिए यहा के गार्ड्स मुझे शांति का रिश्तेदार ही समझते थे जब मे वहा पहुचा तो उनका घर खाली था इस वक़्त दुपहर के 2 बज रहे थे मतलब अभीं हॉस्पिटल से आने मे उन्हें आधा घंटा बाकी था तभी मेरे दिमाग में खयाल आया और मे उनके कमरे में जाके छुप गया और उनके आने का इंतजार करने लगा

तो वही होटल मे सभी लोग अपने घर चले गए थे अभी केवल वहां प्रिया अपने माता पिता के साथ थीं जोकि अपने पिता के व्यावहार से काफी गुस्सा थी

प्रिया :- आपको क्या जरूरत थी उसे बताने की उसे ये पार्टी आदि चीजे पसंद नहीं है और आपने उसे बता दिया कि उसके पार्टी के लिए मेने अपने ही पिता का लाखों का नुकसान कराया है

शान :- तो क्या हुआ ये तो बस एक इम्तिहान था उसका

प्रिया :- इम्तिहान कैसा इम्तिहान

शान :- अगर मेरी बेटी किसी लड़के से प्यार करने लगेगी तो मे उसे प्यार करने से रोक तो नहीं सकता लेकिन उस लड़के का इम्तिहान तो ले सकता हूं ना

उनकी बात सुनकर जहा प्रिया डर गई थी तो वही उसकी माँ रानी दंग हो गई थी कि प्रिया मुझसे प्यार करती है

प्रिया :- आपको कैसे पता चला

शान :- भले ही मे काम के सिलसिले में ज्यादातर बाहर रहता हूं लेकिन ऐसा नहीं है कि मे अपने परिवार की सुरक्षा को इग्नोर कर दूंगा

रानी :- आपने मुझे क्यु नहीं बताया फिर

शान :- क्युकी अब प्रिया बड़ी हो गई है और अगर मे तुम्हें बता देता तो तुम इसे सवाल पूछ पूछ कर ही परेशान कर देती और मुझे अपनी बेटी के उपर पूरा भरोसा है कि वो कुछ भी गलत नहीं करेगी

रानी :- तो ये इम्तिहान क्यु लिया आपने

शान :- क्युकी मे एक पिता भी हूँ खुदको जितना भी समझा लू चिंता तो होती ही है

प्रिया (शर्माते हुए) :- तो रिजल्ट क्या निकला वो पास या फैल

प्रिया को ऐसे बोलते देख वो दोनों हंसने लगे जिससे वो और ज्यादा शर्माने लगी

शान :- रिजल्ट मे अभीं समय है पहले देखने तो दो की जो उधार चुकाने की बात कर रहा था वो कैसे चुकाता है

प्रिया :- अगर ऐसा है तो आप चिंता मत करो भद्रा ने कहा है मतलब समझो वो हो गया

शान :- इतना भरोसा है तो उससे इजहार क्यु नहीं किया अब तक

प्रिया :- डर लगता है

शान :- कैसा डर

प्रिया :- एक बार एक लड़की ने उसे पूरे कॉलेज के सामने i love you कहा था तब उसे उस लड़की को मना कर दिया था और जब उस लड़की ने उसे जबरदस्ती किस करने के लिए कोशिश की तो उसने उसे थप्पड़ मारा था फिर अब तक उसने उस लड़की से बात नहीं की है मे थप्पड़ सहन कर लूँगी लेकिन उसकी नाराजगी सहन नहीं कर सकती

प्रिया कि बात सुनकर उसके माता पिता दंग रह गए थे

तो वही शांति के घर मे अभी कमरे मे बेड के पीछे छुपा हुआ था जहां से मेरी नजर पूरे कमरे में जा सकती थी लेकिन मुझे कोई किसी भी कोने से नहीं देख सकता था मेरे दिमाग में पूरी योजना तैयार थी जैसे ही वो आती मे उनपर झपट पड़ता और उन्हें डराता जैसे ज्यादातर मूवीज मे दिखाते

और मे अपनी इस तरकीब के साथ तैयार था और मे इस तरकीब का इस्तेमाल करने के लिए उत्साहित था कि तभी मुझे उनके गाडी की आवाज सुनाई दी गई जिससे मे खुदको संभालते हुए छुप गया और जैसे ही वो अन्दर आयी तो मे सही मौके का इंतजार करने लगा

अभी उन्होंने सलवार कमीज पहनी हुई थी जिसमें उनकी पीठ मेरे तरफ थी जिससे वो मुझे देख नहीं पाते रही थी लेकिन मे उन्हें जरूर देख पा रहा था

इस वक़्त उनकी पीठ मेरे तरफ थी अभी मे उन्हें डराने के लिए आगे बढ़ता की तभी मुझे जोर का झटका लगा क्यूँकी मे अभी आगे जाता की तभी शांती ने जो कमीज पहनीं थी वो उसने नीचे से पकड़ ली जो देख कर मेरे पैर जहा थे वही ठहर गए और मे आगे जो दिखने वाला था उसके बारे में सोचकर ही डर और उत्साह ऐसे मिली हुई भावनाओं का शिकार बन रहा था

डर के मारे मे कमरे से बाहर नहीं निकल सकता था अगर उन्होंने देख लिया तो मेरे बारे में क्या सोचेंगी इस बात का डर था तो अगर मे यहा रुका रहा तो ना जाने क्या क्या देखने को मिल सकता है ये सोच कर मेरे शरीर में उत्साह दौड़ रहा था कि तभी वो हुआ जिसके बारे में अभी मैं सोच रहा था

अभी मे सोच ही रहा था कि तभी शांति ने अपनी कमीज उतार दी ये मेरे जीवन का पहला मौका था जब मे किसी स्त्री को ऐसे देख रहा था और वो भी उन्हें जिन्हें मे बचपन से ही अपनी एक सच्चे दोस्त के रूप में देखते आ रहा था मेरे मन आत्मग्लानि भी हो रही थी कि

ये सब गलत है आश्रम में सिखाये गए संस्कार बार बार मेरे आखें बंद कर रहे थे तो वही मेरी उभरती जवानी और मेरे अन्दर की कामोत्तेजना मेरे नजर को बार बार उनकी नंगी पीठ पर टिका रही थी जहा पर अभी सिर्फ उनके ब्रा की डोरी ही थी जो जल्द ही निकल गई जिसे देख कर मेरा खुद पर काबु रखना मुश्किल हो रहा था

ये सब कम था कि तभी शांति ने अपनी सलवार भी उतार दी और फिर तुरंत ही अपनी पँटी भी उतार दी अब तो जैसे मेरे उपर बिजली गिरने लगी थी मे ये कभी सोच भी नहीं सकता था कि शांति ऐसे जन्मजात नंगी होगी और मे छुपकर उनकी गांड देखकर उत्तेजित हो कर अलग अलग सपने देख रहा होऊँगा

अभी मे जागते हुए सपने देख रहा था कि तभी शांति अपनी गांड हिलाते हुए बाथरुम के तरफ चल पडी तो वही उनके गांड की थिरक देख कर मे खुद को रोक नहीं पाया और अपने हाथों से अपने हथियार को मसल ने लगा और लंड मसलते हुए कब उनकी ब्रा उठाकर सूंघने लगा और मूठ मारने लगा

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आज के लिए इतना ही

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VAJRADHIKARI

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अध्याय पांचवां

अभी मे जागते हुए सपने देख रहा था कि तभी शांति अपनी गांड हिलाते हुए बाथरुम के तरफ चल पडी तो वही उनके गांड की थिरक देख कर मे खुद को रोक नहीं पाया और अपने हाथों से अपने हथियार को मसल ने लगा और लंड मसलते हुए कब उनकी ब्रा उठाकर सूंघने लगा और मूठ मारने लगा

मेरा काबु अब खुद पर था ही नहीं मे क्या कर रहा था ये मुझे भी पता नहीं चल रहा था परंतु मुझे परम आनंद जरूर मिल रहा था और मे अभीं उसी आनंद मे खोया हुआ था कि तभी मुझे कुछ आवाजें सुनायी देने लगी जिससे मे होश में आ गया और तुरंत ही उनकी ब्रा को वही जमीन पर फेंक कर अपनी हालत सुधारने लगा

लेकिन तब तक देर हो चुकी थी अब हम दोनों की नजर आपस मे मिली शांति पूरी ऊपर से नीचे तक नंगी थी उनके गोरे मोटे मोटे स्तन पाणि की बूँदों से सजे हवा मे झूल रहे थे उनके गुप्तांग के पास काले काले हल्के बाल नजर आ रहे थे

जिन्हे देखकर मेरा मुह खुला का खुला रह गया तो वही मुझे अचानक से अपने सामने देख कर शांति हड़बड़ा गई और तेजी से अपनी ब्रा, पैंटी और कपड़े एक साथ हाथों में पकड़ वो जल्दीबाज़ी में मुड़ी कि तभी उसका पेर फ़िसल गया।

उसके ही बदन से गिरा पानी नीचे फेल चुका था। और, उसी पर जल्दीबाजी के चक्कर में उसने अपना पैर रख दिया जिससे वो स्लिप हो गयीं और ज़ोर की आवाज़ के साथ वो फर्श पर गिरी।

उन्हे गिरते हुए देख कर मेने आव देखा ना ताव और तेज़ गति में उनकी ओर आया और फिर पीठ पर एक हाथ रख उसे सहारा देते हुए उनको उठाया

जिससे अब मेरी नजरो के सामने पूरा भीगा दूधिया बदन नंगा सामने रखा हुआ था जिसे मे चाहकर भी इग्नोर नहीं कर पाए और उन्हें एक बार उपर से नीचे तक देखने लगा लेकिन फिर जल्द ही मेने अपनी सोच को दुत्कारा और शांति को सहारा देने लगा

में :- शांति तुम ठीक हो ना

जब शांति मेरा हाथ थाम कर उठी तब उसने हदबड़ी में अपने गुप्तांग और दूध को छुपाया कुछ कहने या नज़र मिलाने की उसकी हिम्मत तक हम दोनों की नहीं हो रही थी

में उनकी हालत देखकर यह जान गया था की शांति इस वक्त क्या महसूस कर रही थी इसलिए मेंने अपना दूसरा हाथ शांति की जांघ के नीचे ले गया।

मेरे ऐसे करते ही शांति की सांसें ही जैसे अटक गईं वो अभी कुछ सोचती कुछ करती या कुछ बोलती की उससे पहले ही उनका बदन हवा में उठ गया फिर मेंने शांति को गोद में ले लिया और बेड की ओर चल दिया जिसके बाद मेने शांति को बिस्तर पर लिटाते हुए कहा,

में :- मुझे माफ़ करना शांति मे बस तुम्हें डराना चाहता था लेकिन गलती से ये सब हो गया

शांति (शरमाते हुए) :- ये सब बस एक हादसा था भद्रा तुम जाओ और मेरे कपड़े ले आओ बस और इस बात के लिए खुद को दोष देना बंद करो

में :- वो मैं ले आऊंगा. पर पहले मुझे बताओ की तुम्हें कहीं लगी तो नहीं

शांति (शरमाते हुए) : मैं ठीक हूं ना! तुम जाओ और जाते हुए कपडे पास कर देना

उनकी बात सुनकर मुझे भी उनकी हालत का बोध गया और फिर मेंने उनके कपड़े उन्हें पास किए और फिर मे उनके घर से बाहर निकल गया और अपने घर आ गया मेरे दिमाग में बार बार वही सब आ रहा था

मेंने कई पुस्तकों मे किशोर अवस्था के बारे में पढ़ा था लेकिन आज मुझे वो सब एक झटके में याद आ गया था मे समझ पा रहा था कि जो भावनाएँ मेरे मन मे आ रही है उनमे मेरी गलती नहीं है लेकिन फिर भी मे शांति के बारे में ऐसे सोचने के लिए खुद को दुत्कार रहा था

इसी सब के बारे में सोचते हुए कब मेरी आँख लग गई मुझे ही पता नहीं चला

तो वही शांति के घर में

मेरे जाने के बाद शांति ने तुरंत उसके कपड़े पहन लिए और फिर मुझे ढूंढते हुए वो बाहर आ गई जहा मुझे ना देखकर वो चिंतित हो गई और फिर मुझे ढूँढने के लिए वो घर के बाहर आ गई

धरती अस्त्र के कारण फिसलने के बाद भी उन्हें कोई चोट या दर्द नहीं हुआ था और जब वह बाहर आयी तो गार्ड ने उसे मेरे जाने के बारे में बताया जिससे वो मुझे कॉल लगाने लगी लेकिन आज जो भी हुआ था उससे मे उनका कॉल नहीं उठा पा रहा था जिससे वो और चिंता मे आ गई

जिससे वो तुरंत मुझे मिलने के लिए मेरे घर के लिए निकलने लगी कि तभी आज के हादसे के बाद उनकी भी हिम्मत नहीं हो रही थी मेरे से मिलने की इस लिए उन्होने इस बात को कल पर छोड़ दिया और अपने घर में जाकर आज के बारे में ही सोचने लगी लेकिन उनके चेहरे पर गुस्सा या दुख के जगह एक शर्म से भरी हुई मुस्कान आ गई और वो वैसे ही मुस्कराते हुए अपने काम मे लग गई

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आज के लिए इतना ही

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parkas

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अध्याय चौथा

अभी मे शांति के घर पहुंच गया था जब मे वहाँ पहुचा तो मुझे देखते ही गार्ड ने बाहर का गेट खोल दिया मे हर हफ्ते एक दिन इनसे मिलने तो जरूर आता था इसीलिए यहा के गार्ड्स मुझे शांति का रिश्तेदार ही समझते थे जब मे वहा पहुचा तो उनका घर खाली था इस वक़्त दुपहर के 2 बज रहे थे मतलब अभीं हॉस्पिटल से आने मे उन्हें आधा घंटा बाकी था तभी मेरे दिमाग में खयाल आया और मे उनके कमरे में जाके छुप गया और उनके आने का इंतजार करने लगा

तो वही होटल मे सभी लोग अपने घर चले गए थे अभी केवल वहां प्रिया अपने माता पिता के साथ थीं जोकि अपने पिता के व्यावहार से काफी गुस्सा थी

प्रिया :- आपको क्या जरूरत थी उसे बताने की उसे ये पार्टी आदि चीजे पसंद नहीं है और आपने उसे बता दिया कि उसके पार्टी के लिए मेने अपने ही पिता का लाखों का नुकसान कराया है

शान :- तो क्या हुआ ये तो बस एक इम्तिहान था उसका

प्रिया :- इम्तिहान कैसा इम्तिहान

शान :- अगर मेरी बेटी किसी लड़के से प्यार करने लगेगी तो मे उसे प्यार करने से रोक तो नहीं सकता लेकिन उस लड़के का इम्तिहान तो ले सकता हूं ना

उनकी बात सुनकर जहा प्रिया डर गई थी तो वही उसकी माँ रानी दंग हो गई थी कि प्रिया मुझसे प्यार करती है

प्रिया :- आपको कैसे पता चला

शान :- भले ही मे काम के सिलसिले में ज्यादातर बाहर रहता हूं लेकिन ऐसा नहीं है कि मे अपने परिवार की सुरक्षा को इग्नोर कर दूंगा

रानी :- आपने मुझे क्यु नहीं बताया फिर

शान :- क्युकी अब प्रिया बड़ी हो गई है और अगर मे तुम्हें बता देता तो तुम इसे सवाल पूछ पूछ कर ही परेशान कर देती और मुझे अपनी बेटी के उपर पूरा भरोसा है कि वो कुछ भी गलत नहीं करेगी

रानी :- तो ये इम्तिहान क्यु लिया आपने

शान :- क्युकी मे एक पिता भी हूँ खुदको जितना भी समझा लू चिंता तो होती ही है

प्रिया (शर्माते हुए) :- तो रिजल्ट क्या निकला वो पास या फैल

प्रिया को ऐसे बोलते देख वो दोनों हंसने लगे जिससे वो और ज्यादा शर्माने लगी

शान :- रिजल्ट मे अभीं समय है पहले देखने तो दो की जो उधार चुकाने की बात कर रहा था वो कैसे चुकाता है

प्रिया :- अगर ऐसा है तो आप चिंता मत करो भद्रा ने कहा है मतलब समझो वो हो गया

शान :- इतना भरोसा है तो उससे इजहार क्यु नहीं किया अब तक

प्रिया :- डर लगता है

शान :- कैसा डर

प्रिया :- एक बार एक लड़की ने उसे पूरे कॉलेज के सामने i love you कहा था तब उसे उस लड़की को मना कर दिया था और जब उस लड़की ने उसे जबरदस्ती किस करने के लिए कोशिश की तो उसने उसे थप्पड़ मारा था फिर अब तक उसने उस लड़की से बात नहीं की है मे थप्पड़ सहन कर लूँगी लेकिन उसकी नाराजगी सहन नहीं कर सकती

प्रिया कि बात सुनकर उसके माता पिता दंग रह गए थे

तो वही शांति के घर मे अभी कमरे मे बेड के पीछे छुपा हुआ था जहां से मेरी नजर पूरे कमरे में जा सकती थी लेकिन मुझे कोई किसी भी कोने से नहीं देख सकता था मेरे दिमाग में पूरी योजना तैयार थी जैसे ही वो आती मे उनपर झपट पड़ता और उन्हें डराता जैसे ज्यादातर मूवीज मे दिखाते

और मे अपनी इस तरकीब के साथ तैयार था और मे इस तरकीब का इस्तेमाल करने के लिए उत्साहित था कि तभी मुझे उनके गाडी की आवाज सुनाई दी गई जिससे मे खुदको संभालते हुए छुप गया और जैसे ही वो अन्दर आयी तो मे सही मौके का इंतजार करने लगा

अभी उन्होंने सलवार कमीज पहनी हुई थी जिसमें उनकी पीठ मेरे तरफ थी जिससे वो मुझे देख नहीं पाते रही थी लेकिन मे उन्हें जरूर देख पा रहा था

इस वक़्त उनकी पीठ मेरे तरफ थी अभी मे उन्हें डराने के लिए आगे बढ़ता की तभी मुझे जोर का झटका लगा क्यूँकी मे अभी आगे जाता की तभी शांती ने जो कमीज पहनीं थी वो उसने नीचे से पकड़ ली जो देख कर मेरे पैर जहा थे वही ठहर गए और मे आगे जो दिखने वाला था उसके बारे में सोचकर ही डर और उत्साह ऐसे मिली हुई भावनाओं का शिकार बन रहा था

डर के मारे मे कमरे से बाहर नहीं निकल सकता था अगर उन्होंने देख लिया तो मेरे बारे में क्या सोचेंगी इस बात का डर था तो अगर मे यहा रुका रहा तो ना जाने क्या क्या देखने को मिल सकता है ये सोच कर मेरे शरीर में उत्साह दौड़ रहा था कि तभी वो हुआ जिसके बारे में अभी मैं सोच रहा था

अभी मे सोच ही रहा था कि तभी शांति ने अपनी कमीज उतार दी ये मेरे जीवन का पहला मौका था जब मे किसी स्त्री को ऐसे देख रहा था और वो भी उन्हें जिन्हें मे बचपन से ही अपनी एक सच्चे दोस्त के रूप में देखते आ रहा था मेरे मन आत्मग्लानि भी हो रही थी कि

ये सब गलत है आश्रम में सिखाये गए संस्कार बार बार मेरे आखें बंद कर रहे थे तो वही मेरी उभरती जवानी और मेरे अन्दर की कामोत्तेजना मेरे नजर को बार बार उनकी नंगी पीठ पर टिका रही थी जहा पर अभी सिर्फ उनके ब्रा की डोरी ही थी जो जल्द ही निकल गई जिसे देख कर मेरा खुद पर काबु रखना मुश्किल हो रहा था

ये सब कम था कि तभी शांति ने अपनी सलवार भी उतार दी और फिर तुरंत ही अपनी पँटी भी उतार दी अब तो जैसे मेरे उपर बिजली गिरने लगी थी मे ये कभी सोच भी नहीं सकता था कि शांति ऐसे जन्मजात नंगी होगी और मे छुपकर उनकी गांड देखकर उत्तेजित हो कर अलग अलग सपने देख रहा होऊँगा

अभी मे जागते हुए सपने देख रहा था कि तभी शांति अपनी गांड हिलाते हुए बाथरुम के तरफ चल पडी तो वही उनके गांड की थिरक देख कर मे खुद को रोक नहीं पाया और अपने हाथों से अपने हथियार को मसल ने लगा और लंड मसलते हुए कब उनकी ब्रा उठाकर सूंघने लगा और मूठ मारने लगा

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आज के लिए इतना ही

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Bahut hi shaandar update diya hai VAJRADHIKARI bhai....
Nice and lovely update.....
 

nb836868

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अध्याय दूसरा

१/१/२००२

आज अच्छाई के पक्ष के लिए बड़ा ही खास दिन था आज के ही दिन उनके आश्रमों की स्थापना हुई थी जिस वजह से आज सातों अस्त्र धारक एकसाथ एक जगह पर मौजूद थे काल विजय आश्रम के मध्य में इस समारोह की सारी व्यवस्था की गयी थी और जब सभी अस्त्र धारक एक साथ एक जगह पर आए तो आकाश आतिशबाजी होने लगी और फिर इस समारोह का आरम्भ हो गया जिसमें हर कोई अपनी अपनी कला का प्रदर्शन करने के लिए उत्साहित थे और अभी समारोह के आरंभ के पूर्व सभी लोग काल विजय आश्रम. के पास मे बने एक नदी पर जाकर अपने पूर्वजों को नमन करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करने वाले थे यही इस समारोह का पहला पड़ाव था

अभी सब उस नदी के पास पहुंचे ही थे कि तभी उन्हें वहां किसी बच्चे के रोने की आवाज सुनाई देने लगी जिसे सुन कर वह सभी बहुत ज्यादा चकित हो गए थे क्यूंकि आश्रम का ये इलाक़ा बेहद मजबूत सुरक्षा कवच से घिरा हुआ था जिसको भेदन करना किसी के लिए भी मुमकिन नहीं था

जब सभी उस आवाज की दिशा में पहुचे तो उन्हें वहां एक बालक दिखाई दिया जो कि जमीन पर गिरा हुआ था और वो सूरज के उष्म तापमान के कारण के कारण रो रहा था उसके शरीर को देख कर ही लग रहा था कि वह अभी कुछ घंटों पहले ही जन्मा है

उस बालक को देखते ही गुरु राघवेंद्र ने अपने दो शिष्यों को उस बालक को ले आने का आदेश दिया लेकिन इससे पहले कि वो दो सेवक उस बालक तक पहुचते उससे पहले ही उस जगह पर एक नर-भक्षी वाघ आ गया जिसे देख शांति तुरंत ही आगे बढ़ी और उन दोनों सेवकों के आगे खाड़ी हो गई और फिर अपनी आखें बंद कर के उस शेर के साथ संपर्क बनाने लगी

शांति :- तुम कोण हो और आश्रम के इस हिस्से में कैसे आए

शांति इस वक़्त वाघ की भाषा बोल रही थी जो वहां मौजूद कोई भी समझ नहीं पा रहा था शिवाय उस वाघ के

वाघ :- मे टहल रहा था तब मुझे इस दिशा से किसी बच्चे के रोने की आवाज आने लगी इसीलिए मे इस दिशा में आया

शांति :- बालक के बारे मे सोचने के लिए धन्यवाद वाघ जी परंतु अब यहा से हम सम्भाल लेंगे

वाघ :- ठीक है आपका शक्ति स्त्रोत मे महसूस कर पा रहा हूं इसीलिए मे आप पर भरोसा कर रहा हूं

इतना बोलकर वो वाघ वहां से चला गया जिसके बाद शांति ने उस बालक को गोद में उठाया और जब उसने बालक के चेहरे पर नजर डाली तो जैसे शांति पत्थर की मूर्त बन गई वो सिर्फ एक टक उस बालक के और देखने लगी जैसे कि उसे बाकी सबसे कोई लेना देना नहीं था उसकी नीली आखें मासूम सा चेहरा शांति को किसी और ही दुनिया में ले जा रहा था तो वही जैसे ही शांति उस बालक को उठाया बालक का रोना बंद हो गया

जब सब ने शांति को ऐसे मूर्ति बना देखा तो सब शांति को आवाज देने लगे लेकिन शांति तो किसी और ही दुनिया मे गुण थी ये देख कर दिग्विजय शांति के पास पहुंचा और हल्के से उसके कंधे को पकड़कर हिलाने लगा जिससे शांति होश में आ गई और फिर वो उस बच्चे को लेके राघवेन्द्र के पास पहुंच गई

शांति :- वो वाघ इस बच्चे के रोने की आवाज सुनकर ही यहां आया था

राघवेन्द्र :- ठीक है परंतु तुम्हें क्या हुआ था कितने आवाज दिए तुम्हें

शांति :- माफ़ करना गुरुजी मे इस बालक के सुंदरता मे खो गई थी

राघवेन्द्र :- कोई बात नहीं

इतना बोलकर राघवेन्द्र ने बालक को गोद में लिया और उसके माथे पर हाथ रख कर उसके बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रयास करने लगे लेकिन जैसे ही वो उस बालक के मस्तिष्क तक पहुंच सकते उससे पहले ही उन्हें एक झटका लगा जिससे उनका हाथ उस बालक के माथे से हट गया ये देख कर राघवेन्द्र चकित हो गए थे उन्हें ये तो पता चल गया था कि वे किसी आम इंसान का पुत्र नहीं है लेकिन ये किसका पुत्र है और आश्रम के इस हिस्से में कैसे आया ये अभी तक पहेली थी किसे सुलझाने के लिए राघवेन्द्र ने फिर से एक बार उस बालक के सर पर हाथ रखकर उसके अस्तित्व तक पहुंचने का प्रयास किया जिसके लिए इस बार उन्होंने अपने अस्त्र की शक्ति को भी जागृत किया था लेकिन फिर भी उनके हाथ निराशा ही आयी परंतु इस बार उन्होंने कुछ अलग महसूस किया उन्हें लगा जैसे अस्त्र की शक्ति उस बालक के तरफ आकर्षित हो रही है और इस बात का एहसास होते ही उन्होंने अपने अस्त्र की शक्तियों को सुप्त कर दिया

गौरव :- कुछ पता चला गुरुदेव आपको इस बालक के बारे में

राघवेन्द्र :- हाँ इस बालक के माता पिता को कुछ लोगों ने मार डाला और फिर इस बच्चे को मरने के लिए नदी मे छोड़ दिया जिस वजह से ये नदी के बहाव के साथ आश्रम की और आ गया (झूठी कहानी)

जब राघवेन्द्र ने ये कहानी सुनायी तो सब बालक को सहानुभूति के साथ देखने लगे तो वही राघवेन्द्र बच्चे के बारे में सबको बताना ठीक नहीं समझ रहे थे इसीलिए उन्होंने सबसे कह दिया कि " यह बालक आश्रम में ही रहेगा और वो खुद इस बालक को शिक्षा देंगे" राघवेन्द्र के इस फैसले पर कोई कुछ नहीं बोला क्यूंकि सब जानते थे कि राघवेन्द्र जो भी करते हैं वो सबके और आश्रम के हित में ही करते हैं

इसके बाद सबने कार्यक्रम को फिर से आरंभ किया और पूरे कार्यक्रम के दौरान शांति उस बालक को अपने साथ लेकर ही घूम रही थी जैसे कि उसे किसी और से कोई लेना-देना नहीं हो तो वही बाकी अस्त्र धारक उसकी ऐसी हालत देख कर मंद मंद मुस्करा रहे थे ऐसे ही आज का दिन गुजर गया जिसके बाद कुछ दिन शांति ही उस बच्चे का ध्यान रख रही लेकिन अब उसे शहर भी तो जाना था वहां पर उसका खुद का हॉस्पिटल था जिसकी जिम्मेदारी उस पर ही थी

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आज के लिए इतना ही

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Behtareen update
 

parkas

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अध्याय पांचवां

अभी मे जागते हुए सपने देख रहा था कि तभी शांति अपनी गांड हिलाते हुए बाथरुम के तरफ चल पडी तो वही उनके गांड की थिरक देख कर मे खुद को रोक नहीं पाया और अपने हाथों से अपने हथियार को मसल ने लगा और लंड मसलते हुए कब उनकी ब्रा उठाकर सूंघने लगा और मूठ मारने लगा

मेरा काबु अब खुद पर था ही नहीं मे क्या कर रहा था ये मुझे भी पता नहीं चल रहा था परंतु मुझे परम आनंद जरूर मिल रहा था और मे अभीं उसी आनंद मे खोया हुआ था कि तभी मुझे कुछ आवाजें सुनायी देने लगी जिससे मे होश में आ गया और तुरंत ही उनकी ब्रा को वही जमीन पर फेंक कर अपनी हालत सुधारने लगा

लेकिन तब तक देर हो चुकी थी अब हम दोनों की नजर आपस मे मिली शांति पूरी ऊपर से नीचे तक नंगी थी उनके गोरे मोटे मोटे स्तन पाणि की बूँदों से सजे हवा मे झूल रहे थे उनके गुप्तांग के पास काले काले हल्के बाल नजर आ रहे थे

जिन्हे देखकर मेरा मुह खुला का खुला रह गया तो वही मुझे अचानक से अपने सामने देख कर शांति हड़बड़ा गई और तेजी से अपनी ब्रा, पैंटी और कपड़े एक साथ हाथों में पकड़ वो जल्दीबाज़ी में मुड़ी कि तभी उसका पेर फ़िसल गया।

उसके ही बदन से गिरा पानी नीचे फेल चुका था। और, उसी पर जल्दीबाजी के चक्कर में उसने अपना पैर रख दिया जिससे वो स्लिप हो गयीं और ज़ोर की आवाज़ के साथ वो फर्श पर गिरी।

उन्हे गिरते हुए देख कर मेने आव देखा ना ताव और तेज़ गति में उनकी ओर आया और फिर पीठ पर एक हाथ रख उसे सहारा देते हुए उनको उठाया

जिससे अब मेरी नजरो के सामने पूरा भीगा दूधिया बदन नंगा सामने रखा हुआ था जिसे मे चाहकर भी इग्नोर नहीं कर पाए और उन्हें एक बार उपर से नीचे तक देखने लगा लेकिन फिर जल्द ही मेने अपनी सोच को दुत्कारा और शांति को सहारा देने लगा

में :- शांति तुम ठीक हो ना

जब शांति मेरा हाथ थाम कर उठी तब उसने हदबड़ी में अपने गुप्तांग और दूध को छुपाया कुछ कहने या नज़र मिलाने की उसकी हिम्मत तक हम दोनों की नहीं हो रही थी

में उनकी हालत देखकर यह जान गया था की शांति इस वक्त क्या महसूस कर रही थी इसलिए मेंने अपना दूसरा हाथ शांति की जांघ के नीचे ले गया।

मेरे ऐसे करते ही शांति की सांसें ही जैसे अटक गईं वो अभी कुछ सोचती कुछ करती या कुछ बोलती की उससे पहले ही उनका बदन हवा में उठ गया फिर मेंने शांति को गोद में ले लिया और बेड की ओर चल दिया जिसके बाद मेने शांति को बिस्तर पर लिटाते हुए कहा,

में :- मुझे माफ़ करना शांति मे बस तुम्हें डराना चाहता था लेकिन गलती से ये सब हो गया

शांति (शरमाते हुए) :- ये सब बस एक हादसा था भद्रा तुम जाओ और मेरे कपड़े ले आओ बस और इस बात के लिए खुद को दोष देना बंद करो

में :- वो मैं ले आऊंगा. पर पहले मुझे बताओ की तुम्हें कहीं लगी तो नहीं

शांति (शरमाते हुए) : मैं ठीक हूं ना! तुम जाओ और जाते हुए कपडे पास कर देना

उनकी बात सुनकर मुझे भी उनकी हालत का बोध गया और फिर मेंने उनके कपड़े उन्हें पास किए और फिर मे उनके घर से बाहर निकल गया और अपने घर आ गया मेरे दिमाग में बार बार वही सब आ रहा था

मेंने कई पुस्तकों मे किशोर अवस्था के बारे में पढ़ा था लेकिन आज मुझे वो सब एक झटके में याद आ गया था मे समझ पा रहा था कि जो भावनाएँ मेरे मन मे आ रही है उनमे मेरी गलती नहीं है लेकिन फिर भी मे शांति के बारे में ऐसे सोचने के लिए खुद को दुत्कार रहा था

इसी सब के बारे में सोचते हुए कब मेरी आँख लग गई मुझे ही पता नहीं चला

तो वही शांति के घर में

मेरे जाने के बाद शांति ने तुरंत उसके कपड़े पहन लिए और फिर मुझे ढूंढते हुए वो बाहर आ गई जहा मुझे ना देखकर वो चिंतित हो गई और फिर मुझे ढूँढने के लिए वो घर के बाहर आ गई

धरती अस्त्र के कारण फिसलने के बाद भी उन्हें कोई चोट या दर्द नहीं हुआ था और जब वह बाहर आयी तो गार्ड ने उसे मेरे जाने के बारे में बताया जिससे वो मुझे कॉल लगाने लगी लेकिन आज जो भी हुआ था उससे मे उनका कॉल नहीं उठा पा रहा था जिससे वो और चिंता मे आ गई

जिससे वो तुरंत मुझे मिलने के लिए मेरे घर के लिए निकलने लगी कि तभी आज के हादसे के बाद उनकी भी हिम्मत नहीं हो रही थी मेरे से मिलने की इस लिए उन्होने इस बात को कल पर छोड़ दिया और अपने घर में जाकर आज के बारे में ही सोचने लगी लेकिन उनके चेहरे पर गुस्सा या दुख के जगह एक शर्म से भरी हुई मुस्कान आ गई और वो वैसे ही मुस्कराते हुए अपने काम मे लग गई

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आज के लिए इतना ही

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Bahut hi badhiya update diya hai VAJRADHIKARI bhai....
Nice and beautiful update.....
 

kas1709

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अध्याय चौथा

अभी मे शांति के घर पहुंच गया था जब मे वहाँ पहुचा तो मुझे देखते ही गार्ड ने बाहर का गेट खोल दिया मे हर हफ्ते एक दिन इनसे मिलने तो जरूर आता था इसीलिए यहा के गार्ड्स मुझे शांति का रिश्तेदार ही समझते थे जब मे वहा पहुचा तो उनका घर खाली था इस वक़्त दुपहर के 2 बज रहे थे मतलब अभीं हॉस्पिटल से आने मे उन्हें आधा घंटा बाकी था तभी मेरे दिमाग में खयाल आया और मे उनके कमरे में जाके छुप गया और उनके आने का इंतजार करने लगा

तो वही होटल मे सभी लोग अपने घर चले गए थे अभी केवल वहां प्रिया अपने माता पिता के साथ थीं जोकि अपने पिता के व्यावहार से काफी गुस्सा थी

प्रिया :- आपको क्या जरूरत थी उसे बताने की उसे ये पार्टी आदि चीजे पसंद नहीं है और आपने उसे बता दिया कि उसके पार्टी के लिए मेने अपने ही पिता का लाखों का नुकसान कराया है

शान :- तो क्या हुआ ये तो बस एक इम्तिहान था उसका

प्रिया :- इम्तिहान कैसा इम्तिहान

शान :- अगर मेरी बेटी किसी लड़के से प्यार करने लगेगी तो मे उसे प्यार करने से रोक तो नहीं सकता लेकिन उस लड़के का इम्तिहान तो ले सकता हूं ना

उनकी बात सुनकर जहा प्रिया डर गई थी तो वही उसकी माँ रानी दंग हो गई थी कि प्रिया मुझसे प्यार करती है

प्रिया :- आपको कैसे पता चला

शान :- भले ही मे काम के सिलसिले में ज्यादातर बाहर रहता हूं लेकिन ऐसा नहीं है कि मे अपने परिवार की सुरक्षा को इग्नोर कर दूंगा

रानी :- आपने मुझे क्यु नहीं बताया फिर

शान :- क्युकी अब प्रिया बड़ी हो गई है और अगर मे तुम्हें बता देता तो तुम इसे सवाल पूछ पूछ कर ही परेशान कर देती और मुझे अपनी बेटी के उपर पूरा भरोसा है कि वो कुछ भी गलत नहीं करेगी

रानी :- तो ये इम्तिहान क्यु लिया आपने

शान :- क्युकी मे एक पिता भी हूँ खुदको जितना भी समझा लू चिंता तो होती ही है

प्रिया (शर्माते हुए) :- तो रिजल्ट क्या निकला वो पास या फैल

प्रिया को ऐसे बोलते देख वो दोनों हंसने लगे जिससे वो और ज्यादा शर्माने लगी

शान :- रिजल्ट मे अभीं समय है पहले देखने तो दो की जो उधार चुकाने की बात कर रहा था वो कैसे चुकाता है

प्रिया :- अगर ऐसा है तो आप चिंता मत करो भद्रा ने कहा है मतलब समझो वो हो गया

शान :- इतना भरोसा है तो उससे इजहार क्यु नहीं किया अब तक

प्रिया :- डर लगता है

शान :- कैसा डर

प्रिया :- एक बार एक लड़की ने उसे पूरे कॉलेज के सामने i love you कहा था तब उसे उस लड़की को मना कर दिया था और जब उस लड़की ने उसे जबरदस्ती किस करने के लिए कोशिश की तो उसने उसे थप्पड़ मारा था फिर अब तक उसने उस लड़की से बात नहीं की है मे थप्पड़ सहन कर लूँगी लेकिन उसकी नाराजगी सहन नहीं कर सकती

प्रिया कि बात सुनकर उसके माता पिता दंग रह गए थे

तो वही शांति के घर मे अभी कमरे मे बेड के पीछे छुपा हुआ था जहां से मेरी नजर पूरे कमरे में जा सकती थी लेकिन मुझे कोई किसी भी कोने से नहीं देख सकता था मेरे दिमाग में पूरी योजना तैयार थी जैसे ही वो आती मे उनपर झपट पड़ता और उन्हें डराता जैसे ज्यादातर मूवीज मे दिखाते

और मे अपनी इस तरकीब के साथ तैयार था और मे इस तरकीब का इस्तेमाल करने के लिए उत्साहित था कि तभी मुझे उनके गाडी की आवाज सुनाई दी गई जिससे मे खुदको संभालते हुए छुप गया और जैसे ही वो अन्दर आयी तो मे सही मौके का इंतजार करने लगा

अभी उन्होंने सलवार कमीज पहनी हुई थी जिसमें उनकी पीठ मेरे तरफ थी जिससे वो मुझे देख नहीं पाते रही थी लेकिन मे उन्हें जरूर देख पा रहा था

इस वक़्त उनकी पीठ मेरे तरफ थी अभी मे उन्हें डराने के लिए आगे बढ़ता की तभी मुझे जोर का झटका लगा क्यूँकी मे अभी आगे जाता की तभी शांती ने जो कमीज पहनीं थी वो उसने नीचे से पकड़ ली जो देख कर मेरे पैर जहा थे वही ठहर गए और मे आगे जो दिखने वाला था उसके बारे में सोचकर ही डर और उत्साह ऐसे मिली हुई भावनाओं का शिकार बन रहा था

डर के मारे मे कमरे से बाहर नहीं निकल सकता था अगर उन्होंने देख लिया तो मेरे बारे में क्या सोचेंगी इस बात का डर था तो अगर मे यहा रुका रहा तो ना जाने क्या क्या देखने को मिल सकता है ये सोच कर मेरे शरीर में उत्साह दौड़ रहा था कि तभी वो हुआ जिसके बारे में अभी मैं सोच रहा था

अभी मे सोच ही रहा था कि तभी शांति ने अपनी कमीज उतार दी ये मेरे जीवन का पहला मौका था जब मे किसी स्त्री को ऐसे देख रहा था और वो भी उन्हें जिन्हें मे बचपन से ही अपनी एक सच्चे दोस्त के रूप में देखते आ रहा था मेरे मन आत्मग्लानि भी हो रही थी कि

ये सब गलत है आश्रम में सिखाये गए संस्कार बार बार मेरे आखें बंद कर रहे थे तो वही मेरी उभरती जवानी और मेरे अन्दर की कामोत्तेजना मेरे नजर को बार बार उनकी नंगी पीठ पर टिका रही थी जहा पर अभी सिर्फ उनके ब्रा की डोरी ही थी जो जल्द ही निकल गई जिसे देख कर मेरा खुद पर काबु रखना मुश्किल हो रहा था

ये सब कम था कि तभी शांति ने अपनी सलवार भी उतार दी और फिर तुरंत ही अपनी पँटी भी उतार दी अब तो जैसे मेरे उपर बिजली गिरने लगी थी मे ये कभी सोच भी नहीं सकता था कि शांति ऐसे जन्मजात नंगी होगी और मे छुपकर उनकी गांड देखकर उत्तेजित हो कर अलग अलग सपने देख रहा होऊँगा

अभी मे जागते हुए सपने देख रहा था कि तभी शांति अपनी गांड हिलाते हुए बाथरुम के तरफ चल पडी तो वही उनके गांड की थिरक देख कर मे खुद को रोक नहीं पाया और अपने हाथों से अपने हथियार को मसल ने लगा और लंड मसलते हुए कब उनकी ब्रा उठाकर सूंघने लगा और मूठ मारने लगा

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आज के लिए इतना ही

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Nice update.....
 
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