• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy ब्रह्माराक्षस

sunoanuj

Well-Known Member
4,337
11,261
159
Bhaut hi behtarin updates…
 

dhparikh

Well-Known Member
12,523
14,532
228
अध्याय पांचवां

अभी मे जागते हुए सपने देख रहा था कि तभी शांति अपनी गांड हिलाते हुए बाथरुम के तरफ चल पडी तो वही उनके गांड की थिरक देख कर मे खुद को रोक नहीं पाया और अपने हाथों से अपने हथियार को मसल ने लगा और लंड मसलते हुए कब उनकी ब्रा उठाकर सूंघने लगा और मूठ मारने लगा

मेरा काबु अब खुद पर था ही नहीं मे क्या कर रहा था ये मुझे भी पता नहीं चल रहा था परंतु मुझे परम आनंद जरूर मिल रहा था और मे अभीं उसी आनंद मे खोया हुआ था कि तभी मुझे कुछ आवाजें सुनायी देने लगी जिससे मे होश में आ गया और तुरंत ही उनकी ब्रा को वही जमीन पर फेंक कर अपनी हालत सुधारने लगा

लेकिन तब तक देर हो चुकी थी अब हम दोनों की नजर आपस मे मिली शांति पूरी ऊपर से नीचे तक नंगी थी उनके गोरे मोटे मोटे स्तन पाणि की बूँदों से सजे हवा मे झूल रहे थे उनके गुप्तांग के पास काले काले हल्के बाल नजर आ रहे थे

जिन्हे देखकर मेरा मुह खुला का खुला रह गया तो वही मुझे अचानक से अपने सामने देख कर शांति हड़बड़ा गई और तेजी से अपनी ब्रा, पैंटी और कपड़े एक साथ हाथों में पकड़ वो जल्दीबाज़ी में मुड़ी कि तभी उसका पेर फ़िसल गया।

उसके ही बदन से गिरा पानी नीचे फेल चुका था। और, उसी पर जल्दीबाजी के चक्कर में उसने अपना पैर रख दिया जिससे वो स्लिप हो गयीं और ज़ोर की आवाज़ के साथ वो फर्श पर गिरी।

उन्हे गिरते हुए देख कर मेने आव देखा ना ताव और तेज़ गति में उनकी ओर आया और फिर पीठ पर एक हाथ रख उसे सहारा देते हुए उनको उठाया

जिससे अब मेरी नजरो के सामने पूरा भीगा दूधिया बदन नंगा सामने रखा हुआ था जिसे मे चाहकर भी इग्नोर नहीं कर पाए और उन्हें एक बार उपर से नीचे तक देखने लगा लेकिन फिर जल्द ही मेने अपनी सोच को दुत्कारा और शांति को सहारा देने लगा

में :- शांति तुम ठीक हो ना

जब शांति मेरा हाथ थाम कर उठी तब उसने हदबड़ी में अपने गुप्तांग और दूध को छुपाया कुछ कहने या नज़र मिलाने की उसकी हिम्मत तक हम दोनों की नहीं हो रही थी

में उनकी हालत देखकर यह जान गया था की शांति इस वक्त क्या महसूस कर रही थी इसलिए मेंने अपना दूसरा हाथ शांति की जांघ के नीचे ले गया।

मेरे ऐसे करते ही शांति की सांसें ही जैसे अटक गईं वो अभी कुछ सोचती कुछ करती या कुछ बोलती की उससे पहले ही उनका बदन हवा में उठ गया फिर मेंने शांति को गोद में ले लिया और बेड की ओर चल दिया जिसके बाद मेने शांति को बिस्तर पर लिटाते हुए कहा,

में :- मुझे माफ़ करना शांति मे बस तुम्हें डराना चाहता था लेकिन गलती से ये सब हो गया

शांति (शरमाते हुए) :- ये सब बस एक हादसा था भद्रा तुम जाओ और मेरे कपड़े ले आओ बस और इस बात के लिए खुद को दोष देना बंद करो

में :- वो मैं ले आऊंगा. पर पहले मुझे बताओ की तुम्हें कहीं लगी तो नहीं

शांति (शरमाते हुए) : मैं ठीक हूं ना! तुम जाओ और जाते हुए कपडे पास कर देना

उनकी बात सुनकर मुझे भी उनकी हालत का बोध गया और फिर मेंने उनके कपड़े उन्हें पास किए और फिर मे उनके घर से बाहर निकल गया और अपने घर आ गया मेरे दिमाग में बार बार वही सब आ रहा था

मेंने कई पुस्तकों मे किशोर अवस्था के बारे में पढ़ा था लेकिन आज मुझे वो सब एक झटके में याद आ गया था मे समझ पा रहा था कि जो भावनाएँ मेरे मन मे आ रही है उनमे मेरी गलती नहीं है लेकिन फिर भी मे शांति के बारे में ऐसे सोचने के लिए खुद को दुत्कार रहा था

इसी सब के बारे में सोचते हुए कब मेरी आँख लग गई मुझे ही पता नहीं चला

तो वही शांति के घर में

मेरे जाने के बाद शांति ने तुरंत उसके कपड़े पहन लिए और फिर मुझे ढूंढते हुए वो बाहर आ गई जहा मुझे ना देखकर वो चिंतित हो गई और फिर मुझे ढूँढने के लिए वो घर के बाहर आ गई

धरती अस्त्र के कारण फिसलने के बाद भी उन्हें कोई चोट या दर्द नहीं हुआ था और जब वह बाहर आयी तो गार्ड ने उसे मेरे जाने के बारे में बताया जिससे वो मुझे कॉल लगाने लगी लेकिन आज जो भी हुआ था उससे मे उनका कॉल नहीं उठा पा रहा था जिससे वो और चिंता मे आ गई

जिससे वो तुरंत मुझे मिलने के लिए मेरे घर के लिए निकलने लगी कि तभी आज के हादसे के बाद उनकी भी हिम्मत नहीं हो रही थी मेरे से मिलने की इस लिए उन्होने इस बात को कल पर छोड़ दिया और अपने घर में जाकर आज के बारे में ही सोचने लगी लेकिन उनके चेहरे पर गुस्सा या दुख के जगह एक शर्म से भरी हुई मुस्कान आ गई और वो वैसे ही मुस्कराते हुए अपने काम मे लग गई

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Nice update....
 

big king

Active Member
621
1,091
123
अध्याय पांचवां

अभी मे जागते हुए सपने देख रहा था कि तभी शांति अपनी गांड हिलाते हुए बाथरुम के तरफ चल पडी तो वही उनके गांड की थिरक देख कर मे खुद को रोक नहीं पाया और अपने हाथों से अपने हथियार को मसल ने लगा और लंड मसलते हुए कब उनकी ब्रा उठाकर सूंघने लगा और मूठ मारने लगा

मेरा काबु अब खुद पर था ही नहीं मे क्या कर रहा था ये मुझे भी पता नहीं चल रहा था परंतु मुझे परम आनंद जरूर मिल रहा था और मे अभीं उसी आनंद मे खोया हुआ था कि तभी मुझे कुछ आवाजें सुनायी देने लगी जिससे मे होश में आ गया और तुरंत ही उनकी ब्रा को वही जमीन पर फेंक कर अपनी हालत सुधारने लगा

लेकिन तब तक देर हो चुकी थी अब हम दोनों की नजर आपस मे मिली शांति पूरी ऊपर से नीचे तक नंगी थी उनके गोरे मोटे मोटे स्तन पाणि की बूँदों से सजे हवा मे झूल रहे थे उनके गुप्तांग के पास काले काले हल्के बाल नजर आ रहे थे

जिन्हे देखकर मेरा मुह खुला का खुला रह गया तो वही मुझे अचानक से अपने सामने देख कर शांति हड़बड़ा गई और तेजी से अपनी ब्रा, पैंटी और कपड़े एक साथ हाथों में पकड़ वो जल्दीबाज़ी में मुड़ी कि तभी उसका पेर फ़िसल गया।

उसके ही बदन से गिरा पानी नीचे फेल चुका था। और, उसी पर जल्दीबाजी के चक्कर में उसने अपना पैर रख दिया जिससे वो स्लिप हो गयीं और ज़ोर की आवाज़ के साथ वो फर्श पर गिरी।

उन्हे गिरते हुए देख कर मेने आव देखा ना ताव और तेज़ गति में उनकी ओर आया और फिर पीठ पर एक हाथ रख उसे सहारा देते हुए उनको उठाया

जिससे अब मेरी नजरो के सामने पूरा भीगा दूधिया बदन नंगा सामने रखा हुआ था जिसे मे चाहकर भी इग्नोर नहीं कर पाए और उन्हें एक बार उपर से नीचे तक देखने लगा लेकिन फिर जल्द ही मेने अपनी सोच को दुत्कारा और शांति को सहारा देने लगा

में :- शांति तुम ठीक हो ना

जब शांति मेरा हाथ थाम कर उठी तब उसने हदबड़ी में अपने गुप्तांग और दूध को छुपाया कुछ कहने या नज़र मिलाने की उसकी हिम्मत तक हम दोनों की नहीं हो रही थी

में उनकी हालत देखकर यह जान गया था की शांति इस वक्त क्या महसूस कर रही थी इसलिए मेंने अपना दूसरा हाथ शांति की जांघ के नीचे ले गया।

मेरे ऐसे करते ही शांति की सांसें ही जैसे अटक गईं वो अभी कुछ सोचती कुछ करती या कुछ बोलती की उससे पहले ही उनका बदन हवा में उठ गया फिर मेंने शांति को गोद में ले लिया और बेड की ओर चल दिया जिसके बाद मेने शांति को बिस्तर पर लिटाते हुए कहा,

में :- मुझे माफ़ करना शांति मे बस तुम्हें डराना चाहता था लेकिन गलती से ये सब हो गया

शांति (शरमाते हुए) :- ये सब बस एक हादसा था भद्रा तुम जाओ और मेरे कपड़े ले आओ बस और इस बात के लिए खुद को दोष देना बंद करो

में :- वो मैं ले आऊंगा. पर पहले मुझे बताओ की तुम्हें कहीं लगी तो नहीं

शांति (शरमाते हुए) : मैं ठीक हूं ना! तुम जाओ और जाते हुए कपडे पास कर देना

उनकी बात सुनकर मुझे भी उनकी हालत का बोध गया और फिर मेंने उनके कपड़े उन्हें पास किए और फिर मे उनके घर से बाहर निकल गया और अपने घर आ गया मेरे दिमाग में बार बार वही सब आ रहा था

मेंने कई पुस्तकों मे किशोर अवस्था के बारे में पढ़ा था लेकिन आज मुझे वो सब एक झटके में याद आ गया था मे समझ पा रहा था कि जो भावनाएँ मेरे मन मे आ रही है उनमे मेरी गलती नहीं है लेकिन फिर भी मे शांति के बारे में ऐसे सोचने के लिए खुद को दुत्कार रहा था

इसी सब के बारे में सोचते हुए कब मेरी आँख लग गई मुझे ही पता नहीं चला

तो वही शांति के घर में

मेरे जाने के बाद शांति ने तुरंत उसके कपड़े पहन लिए और फिर मुझे ढूंढते हुए वो बाहर आ गई जहा मुझे ना देखकर वो चिंतित हो गई और फिर मुझे ढूँढने के लिए वो घर के बाहर आ गई

धरती अस्त्र के कारण फिसलने के बाद भी उन्हें कोई चोट या दर्द नहीं हुआ था और जब वह बाहर आयी तो गार्ड ने उसे मेरे जाने के बारे में बताया जिससे वो मुझे कॉल लगाने लगी लेकिन आज जो भी हुआ था उससे मे उनका कॉल नहीं उठा पा रहा था जिससे वो और चिंता मे आ गई

जिससे वो तुरंत मुझे मिलने के लिए मेरे घर के लिए निकलने लगी कि तभी आज के हादसे के बाद उनकी भी हिम्मत नहीं हो रही थी मेरे से मिलने की इस लिए उन्होने इस बात को कल पर छोड़ दिया और अपने घर में जाकर आज के बारे में ही सोचने लगी लेकिन उनके चेहरे पर गुस्सा या दुख के जगह एक शर्म से भरी हुई मुस्कान आ गई और वो वैसे ही मुस्कराते हुए अपने काम मे लग गई

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
Jabardast update tha bhai maja aaya. Next update ka intajaar rahegaa bhai 👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👍
 

VAJRADHIKARI

Hello dosto
1,484
18,156
144
अध्याय छह

इस वक़्त एक अंधेरी गुफा के बाहर एक के बाद एक 3 मायावी द्वार खुल गए उन तीनों द्वार से 3 लोग बाहर आए जिनमें 1 पुरुष था तो 2 स्त्रिया जब उन तीनों ने एक दूसरे को देखा तो वो दोनों स्त्रिया तुरंत उस पुरुष के सामने झुक गई

दोनों (एक साथ) :- असुर सेनापति मायासुर की जय हो

मायासुर :- उठ जाओ मोहिनी और कामिनी

जैसे ही उस मायासुर ने दोनों को उठने के लिए कहा वैसे ही उन तीनों के रूप बदल गए और फिर उसी आसुरी रूप में उस गुफा के अंदर चल दिये और जैसे ही वो अंदर जाने लगे तो उस अंधेरी गुफा में हल्का सा प्रकाश फैलने लगा और जैसे ही वो गुफा के अंतिम छोर पर पहुंचे तो

उन तीनों ने अपने हाथ आगे किए जिससे उन तीनों के हाथ में एक एक चाभी आ गई और जैसे ही woh चाबियां उनके हाथ मे प्रकट हुए तो वैसे ही वहां एक और मायावी द्वार खुल गया

जिसमें से वो तीनों पहुच गए किसी कैदखाने जैसी जगह पर जहा पर हर एक कमरे से केवल और केवल लोगों की दर्द से निकलती चीखें ही सुनायी दे रही थी और उन सब कमरों के आखिर में एक कमरा और था जिसमें से चीखें तो नही लेकिन 2 लोगों के रोने की आवाज सुनाई दे रही थी

जब वो तीनों उस कमरे के पास पहुंचे तो वो रोने की आवाज बंद हो गई और जैसे ही वो उस कमरे के सामने आए वैसे ही उस कमरे में उजाला फैल गया उस कमरे में कोई और नहीं बल्कि त्रिलोकेश्वर और दमयन्ती थे जिन्हें असुरों ने सालों पहले क़ैद किया था

वो दोनों अपने राक्षसी रूप में ही मौजूद थे दोनों को बाँध के रखा था दोनों के शरीर पर कई सारे घाव लगे हुए थे उन्हें देखने से ही लग रहा था कि उन्हें किसीने बहुत पीटा है उन्हीं के बगल में चाबुक भी जमीन पर पड़े हुए थे

मायासुर :- कैसे हो त्रिलोकेश्वर हमारी मेहमान नवाजी पसंद तो आ रही है ना

उसकी बात सुनकर दोनों भी सिर्फ उसे ग़ुस्से से घूरे जा रहे थे जो देखकर वो तीनों असुर ज़ोरों से हंसने लगे

मायासूर :- वैसे मानना पड़ेगा इतने सालों से पीड़ा सहते हुए आ रहे हो लेकिन अभी तक तुमनें तुम्हारें पुत्र को कहा छुपाया है अभी तक हमे पता लगने नहीं दिया बहुत अच्छे पिता हो तुम लेकिन पति उतने भी अच्छे नहीं हो इतने सालो से अपनी पत्नी को पीटते हुए देख रहे हों लेकिन अभी तक तुमनें उसका दर्द मिटाने के लिए कुछ भी नहीं किया

त्रिलोकेश्वर :- अगर ऐसी बात है तो मेरे हाथ खोलकर मुझे बाहर निकाल फ़िर मे तूझे दिखाता हूँ कि मैं क्या हूँ

मायासुर :- अच्छी बात है लेकिन उसके लिए अभी समय नहीं है वैसे अगर तुम अपने पुत्र के बारे में बता दो फ़िर असुर राज़ से माफ़ी की भीख मांगो तो हो सकता है कि वो तुम्हे इस पीड़ा से मुक्ति दे दे

दमयन्ती :- तुम किस पीड़ा की बात कर रहे हों अरे तुम जो हमे मार रहे हो वो हमे पीड़ा नहीं दे रही है बल्कि तुम्हारें प्रति हमारे अंदर की क्रोधाग्नि को और भड़का रही है जिसका इस्तेमाल तुम तीनों की चिता जलाने के लिए किया जाएगा हाँ अगर तुम हमे छोड़ दो और माफी की भीख माँगों तो हो सकता है कि हम तुम्हारे अंत को कम दर्दनाक बनाए

मायासुर :- तुम्हरी ये हिम्मत की तुम हमसे ऐसे बात करो अब तुम्हारा अंत निश्चित है लेकिन उससे पहले तुम्हें इतनी पीड़ा दूँगा की तुम खुद मौत की भीख माँगों

इतना बोलकर वो वहाँ से निकलने लगा और तुरंत ही जो चाबुक जमीन पर गिरे हुए थे वो हवा में उड़ने लगे और उन मेसे बिजली की तरंग निकलने लगी और फिर उन दोनों के उपर लगातार उस चाबुक से वार होने लगा लेकिन वो दर्द से तड़पने के बदले हसने लगे और जोर से चिल्लाने लगे

दोनों :- (चिल्लाकर ) बदला लिया जाएगा हर जुल्म का हर घाव का तुम्हारी पूरी असुर प्रजाति मौत की भीख मांगेगी लेकिन उन्हें मिलेगा तो सिर्फ दर्द बेशुमार दर्द

तो वही मे ये सब सपने के माध्यम से देख पा रहा था लेकिन सब कुछ धुंधला था ना मुझे कुछ समझ आ रहा था और नाही मुझे कुछ साफ़ दिख रहा था परंतु जब उन दोनों पर चाबुक बरसने लगे तो ऐसा लगा कि वो चाबुक मुझ पर बरस रहे हैं जिससे मे एक चीख के साथ उठ गया

जैसे ही मेरी आँख खुली तो मेंने देखा कि मे अपने ही कमरे में था और पूरी तरह से पसीने से भिगा हुआ था और मेरी सासें भी फुल चुकी थी ऐसा लग रहा था कि कोई महा शक्तियों से भरा ऊर्जा स्त्रोत ने मेरा गला दबा कर रखा हो

अभी मे इस सब के बारे में सोच ही रहा था कि तभी मेरे घर के दरवाजे पर दस्तक होने लगी लेकिन मे अपने ख़यालों मे इतना गुम था कि मुझे कुछ सुनायीं ही नहीं दे रहा था और जब मेरे तरफ से कोई जवाब नहीं मिला तो बाहर वाले व्यक्ती ने तुरंत दरवाज़ा तोड़ दिया

ये व्यक्ती कोई और नहीं बल्कि जिस घर में मैं रहता हूं उसके मालिक है दिल के बड़े नेक है और शहर में अकेले ही है ये और इनका परिवार एक दिन साथ घूमने जा रहे थे तभी एक हादसे का शिकार हो गए और ये भी मारे जाते लेकिन इनको कुछ साधुओं ने बचा लिया और इनके उपचार के लिए इन्हें काल दृष्टि आश्रम ले गए और तबसे ही ये आश्रम के लिए वफादार है भले ही इन्हें आश्रम की असलियत नहीं पता लेकिन फिर भी यह आश्रम के द्वारा दिये गये हर आदेश का पालन करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं इनका नाम सत्येंद्र है

सत्येन्द्र :- क्या हुआ भद्रा तुम ऐसे चिल्लाए क्यु

में :- कुछ नहीं काका बस बुरा सपना था

सत्येन्द्र :- थोड़ा कम सोचा करो तो ऐसे सपने नहीं आयेंगे तुम फ्रेश हो जाओ मे नाश्ता लेके आता हूं

इतना बोलकर वो चले गए और उनके जाते ही मेंने तुरंत अपने आप को काबु किया और ध्यान लगाकर खुद को बड़ी मुश्किल से काबु किया और फिर नहाने चला गया और अभी फिलहाल कॉलेज मे कुछ खास नहीं था तो मे चल दिया काका के घर और वहां नाश्ता कर ने के बाद मे चल प़डा अपना उधार चुकाने

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
 
Top