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Fantasy ब्रह्माराक्षस

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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अध्याय चौदह

उन पांचो असुरों को मारने के बाद मे उन पांचो लड़कियों के तरफ बढ़ने लगा जो कि इस वक़्त पूरी तरह नंगी थी लेकिन उन पांचो में कुछ तो अलग था

और वो ये था कि जब वो असुर उन्हें खींचकर यहां ला रहे थे तब वो पांचो चीख रही थी चिल्ला रही थी लेकिन उस वक़्त किसी के भी चेहरे पर डर नहीं था तो वही अब मे जिसका पूरा चेहरा खुन से सना के जिसके हाथ में एक खुन से भीगी हुई तलवार है जिससे लगातार खून टपके जा रहा है लेकिन अभी भी उनके चेहरे पर कोई भी डर नहीं था और ना वो वहाँ से भागने का प्रयास कर रहे थे

जब मे उनके पास पहुंचा तो वो पांचो भी ल़डकियों ने अपने हाथों से अपने स्तन और चुत को छिपाने की नाकाम कोशिश कर रहे थे तो वही उन्हें इस रूप में देख कर मेरे मन में फिर से कामवासना का तूफान उठ रहा था

जिसे काबु करने के लिए मेंने सबसे पहले उन पांचो को अपने जादू से कपड़े पहनाए और फिर तुरंत उसी जगह पर बैठकर अपने अंदर के तूफान को मे शांत करने लगा था

और जब मे ध्यान से बाहर निकला तब वो पांचो लड़किया वहाँ नहीं थी शायद वो चली गई थी इसीलिए मे भी उस जगह को छोड़ कर दौड़ते हुए होटल के कमरे में पहुच गया लेकिन मुझे ऐसा लगता रहा था कि मेरी गति पहले से भी ज्यादा बढ़ गई है

अभी मे इस सब के बारे में सोच रहा था कि तभी मुझे ऐसा लगा कि जैसे मुझे चक्कर आ रहे हैं और मेरी आंखे भी भारी होने लगी थी जिस वजह से मे कब जाकर बेड पे प्रिया के बगल में सो गया पता भी नहीं चला

और जब सुबह प्रिया की आंख खुली तो उसका सिर शराब के नशे की वजह से भारी हो रहा था उसको रात का कुछ भी याद नहीं था वो अपने आप को होटल के रूम में में देखती है और बगल में मुझको सोया हुआ पाती है जिससे उसके चेहरे पर शर्म और खुशी के मिले-जुले भाव आने लगे

प्रिया :- वाह शादी से पहले ही एक दूसरे के बाहों में रात गुजर गई और बगल में अपने होने वाले पति के साथ देखो तो कितना मासूम लग रहा है सोते हुए अभी तो मेरे मुँह से सब निकल रहा है पर जब निकलने का सही समय होता है तब कुछ बोल ही नहीं पाती बस एक बार इससे कह पाउ की मे तुमसे प्यार करती हू भद्रा

अभी वो ये सब बोल रही थी कि तभी वो देखती है की मेरी नींद टूट रही है और ये देखकर वो शांत हो जाती है

प्रिया : गुड मॉर्निंग भद्रा

उसके बोलने से मे उसके तरफ देखता तो हूं पर कुछ बोलता नहीं और वहां से फ्रेश होने चला जाता हू

प्रिया :- अरे इसको क्या हुआ. मेरी बात का जवाब नहीं दिया

जैसे ही वो उठी उसे कुछ गडबड सी लगी और जब उसने थोड़ा जोर देकर सोचा तो उसे पता चला कि उसके शरीर से उसके ब्रा और पैंटी गायब है जिसके बारे में केवल जानकर ही उसके मन में ना जाने कल रात को लेकर कैसे कैसे विचार आने लगे उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई थी

जिसके बाद मेरे फ्रेश होकर आने से पहले

कुछ ही देर मे हम दोनों फ्रेश होके रूम के सोफ़े पर बैठे हुए थे प्रिया मुझसे हर बार बात करने के लिए प्रयास कर रही थी लेकिन मे उसके किसी भी सवाल का जवाब नहीं दे रहा था

अभी वो और कुछ बोलती की तभी दरवाजे पर दस्तक हुई और जब प्रिया ने दरवाजा खोल कर देखा तो रवि और केशव थे

प्रिया :- अच्छा हुआ तुम दोनों आ गए जरा देखों तो इसको क्या हुआ. ऐसा मुँह बनाकर क्यो बैठा हुआ है सुबह से ना बात कर रहा है

केशव :- तुझे कल रात का कुछ याद नहीं. के तूने क्या किया था क्या कहा था

प्रिया :- नहीं क्या कियाथा मैंने और ऐसा क्या कहा था जिससे यह ऐसे मुह फुलाकर बैठा है

रवि :- मैं बताता हूं. कल तुमने नशे में बहुत सारी बातें की थीं

प्रिया :- हाँ तो कि होंगी तो उसमे क्या हुआ

केशव :- तूने कल वो सब भी बता दिया था जो पिछले 1 साल से राज़ थे वो सब तुमने नशे में बोल दिया

प्रिया :- (हैरानी से) क्या मैंने वो सब भी उगल दिया

रवि :- हाँ सब बोल दिया हमने रोकने की कोशिश की लेकिन तुमनें हमे ही जान से मारने की धमकी दी थी

प्रिया :- ये मेरे से क्या हो गया वैसे एक तरह से देखा जाए तो ये जो भी हुआ वो अच्छा ही हुआ जो मे होश में ना बोल पायी वो सब मेंने नशे में बोल दिया

में :- प्रिया तुम पागल हो गई हो क्या हम दोनों के बीच ऐसा कुछ नहीं होने वाला

प्रिया :- क्यूँ नहीं हो सकता है देखों भद्रा मे तुमसे बहुत प्यार करती हूं जब मेंने तुम्हें पहली नजर में देखा तभी मेंने अपना दिल दे दिया था अब ये तुम्हारे उपर है कि उसे अपनाओ या तोड़ दो

मैं :- देखो तुम होश में आ जाओ ऐसा कुछ नहीं होने वाला और मुझे और भी काम है इसीलिए मे जा रहा हू

इतना बोलकर मे वहाँ से निकल गया तो वही निकलने के बाद प्रिया केशव और रवि तीनों बार बार मुझे कॉल कर रहे थे लेकिन मेरे दिमाग में अभी कुछ और ही चल रहा था

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आज के लिए इतना ही

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Great writing ✍️ and awesome 👌 update bhai. Per un asuro ka kya hua jo bhadra ke sareer me ghuse the
 
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Raj_sharma

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अध्याय सोलहवां

जब हम दोनों हॉस्पिटल में पहुंचे तो वहां हॉस्पिटल के पैसेज मे ही प्रिया के माता पिता और केशव रवि मिल गए जिनके साथ पुलिस भी मौजूद थीं और उन्होंने जैसे ही मुझे देखा तो पुलिस अफसर मेरे पास आकर मुझे गिरफ्तार करने लगा लेकिन गुरु सिंह ने उसे रोक दिया और सभी पुलिस को वापस भेज दिया

मे :- केशव से) ये सब क्या हो रहा है मे जान सकता हूं

शान :- इसमे जानना क्या है तुम्हारे वजह से मेरी बेटी इस हालात में है ना जाने क्या किया है तुमने उसके साथ

मे :- रवि से) क्या तुम दोनों ने इन्हें कुछ भी नहीं बताया

केशव :- इन्होने हमे बोलने ही नहीं दिया जब मेने इन्हें कॉल किया तो इन्होंने आधी बात सुन कर ही कॉल कट कर दिया था और जब यहां आए तो पुलिस साथ लेके आए जिन्हें देख कर हम डर गए थे

मे :- ठीक हैं (शान से) देखिए सर प्रिया ने ऐसा क्यू किया इसका जवाब मे देता हूं कल रात को शराब के नशे में उसने अपने प्यार का इजहार किया और आज सुबह जब वो पूरे होश में थी तब मेने उसके प्यार को ठुकरा दिया और फिर बिना उससे बात किए मे वहाँ से निकल गया उसके बाद क्या हुआ ये मुझे भी नहीं पता

अभी हम बात कर रहे थे कि तभी emergency ward का दरवाजा खुला और शांति बाहर आयीं जिसे देखकर मे तुरंत उनके पास पहुंच गया

मे :- शांति अब प्रिया की हालत कैसी है वो ठीक तो है ना

शांति :- हाँ वो ठीक है लेकिन वो बार बार तुम्हारा ही नाम लिए जा रही है और होश में आते ही रोने लगी

शान :- क्या हम उससे मिल सकते हैं

शांति :- अभी नहीं पहले हम उसे नॉर्मल वार्ड में शिफ्ट करेंगे उसके बाद

फिर कुछ देर इंतजार करने के बाद शांति ने हमे प्रिया से मिलने की अनुमति दे दी और शांति की बात सुन कर हम सभी तुरंत अंदर पहुच गए जहां प्रिया बेड पर लेटी थी और एकटक छत को देखे जा रही थी जो देख कर शान तुरंत उसके पास पहुंच गए

शान :- तुम ठीक तो हो ना बेटा ये करने से पहले अपने माँ और पापा के बारे में भी नहीं सोचा कि उनपर क्या बितेगी ये सब जान कर

प्रिया :- सॉरी पापा लेकिन लेकिन मे भद्रा से बहुत प्यार करती हूँ और उसी से शादी करना चाहती हूं लेकीन जब उसने मेरा प्यार ठुकरा दिया तब मुझे बहुत बुरा लगा और कुछ समझ नहीं आया

मे :- तुम सची मे पागल हो क्या इतनी सी बात को लेकर इतना बड़ा कदम कोई उठाता है क्या

प्रिया :- मेंने सोचा था कि पहले मे तुम्हारें मन में भी मेरे लिए प्यार जगा दूंगी उसके बाद सब तुम्हें बताऊंगी लेकिन कल शराब के नशे में मेने साब बता दिया और तुम्हे सब पता चल गया और अब जब तुम्हें पता चल ही गया तो अच्छा ही हुआ मैं तुम्हें पिछले 1 साल से प्यार करती हूं ये कैसे हुआ क्यों हुआ कब हुआ पता नहीं बस तुमसे प्यार हो गया और मैंने अपने मॉम डैड को भी बता दिया है और वो भी खुश है चाहे तो पूछ सकते हो तुम

मे :- क्या तुम पागल हो तुम मेरे बारे में कुछ भी नहीं जानती हो मैं कौन हूं. मेरा अतीत क्या है. कुछ भी नहीं.

प्रिया :- मुझे कुछ नहीं पता. मुझे तुम्हारे अतीत से मतलब नहीं मुझे तो हमारे भविष्य से मतलब है तुम कौन हो ये मुझे नहीं जानना तुम जो हो मुझे उससे मतलब है और इस 1 साल में मुझे इतना तो पता है तुम कभी मुझे धोखा नहीं दोगे और कभी छोडकर नहीं जाओगे

शांति :- भद्रा ये तुमसे सच्चा प्यार करती है तो तुम्हें इसे अपना लेना चाहिए

मे :- शांति तुम ऐसे बोल रही हो तुम्हें तो पता है कि हमारा काम कैसा है और क्या उस वजह से किसी लड़की की जिंदगी खराब नहीं कर सकता

गुरू सिँह :- भद्रा हम सब दोहरी जिंदगी जी रहे हैं और तुम्हें भी अपनी जिंदगी जीने का अधिकार है एक काम करो अपनी आखें बंद करो और बस ये सोचो क्या तुम प्रिया से प्यार करते हो अगर हाँ तो उसे सब सच बता दो अगर नहीं तो तुम बिना कुछ बोले यहा से चले जाओ बाकी सब हम पर छोड़ दो

गुरु सिँह की बात सुनकर जहा मे अपनी आखें बंद कर के सोचने लगा तो वही बाकी सब हम तीनों की बातें सुनकर हैरान रह गए थे तो वही प्रिया के दीमाग मे बस 1 ही चीज चल रही थी और वो थी मेरा जवाब

मे :- आखें खोल कर) ठीक है प्रिया मे तुम्हारे प्रेम के आगे हार मानता हूँ लेकिन तुम्हें पहले मेरे बारे में सब जान लेना चाहिए

उसके बाद मेंने प्रिया के साथ सबको अपनी असलियत बतायी आश्रम के बारे में सप्तअस्त्रों के बारे में असुरों के बारे में और सबसे महत्वपूर्ण मेरे जिम्मेदारियों मेरे कर्तव्यों के बारे में उनके खतरों के बारे में भी यह सब सुनकर सब के पैरों तले से मानो जमीन ही खिसक गई थी सबके चेहरे देख कर ही लग रहा था कि सब कितने हैरान हैं

मे :- प्रिया मेंने अपने जीवन की पूरी किताब तुम्हारे सामने खोल दी है अब तुम्हें फैसला करना है कि तुम इस किताब का हिस्सा बनना चाहती हो या इस किताब को बाहर फेंकना चाहती हो लेकिन इतनी बात जान लेना कि अगर भविष्य में पाप पुण्य का कोई भी युद्ध होता है तो पापियों के संहार के लिए सबसे आगे मे ही रहूँगा और अगर हम हारने वाले होंगे तो भी प्राणों का बलिदान करने वाले लोगों मे भी मे सबसे पहले रहूंगा तो अब तुम्हें तुम्हें तय करना है

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आज के लिए इतना ही

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Bohot badhiya update. ATI uttam likhai. Or bohot badhiya tana bana Buna hai aapne sabdo ka.
 
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अध्याय सतरा

इस वक़्त उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद करके रखा गया था आज उसी गुफा में एक बार फिर से शांति छायी हुई थी लेकिन ये शांति ज्यादा देर तक टिक नहीं सकीं क्यूँकी उस शांति को चीरते हुए किसी के हंसने की आवाज सुनाई देने लगी थी और यह आवाज़ किसी और की नहीं ब्लकि दमयन्ती के हंसने की थी

दमयन्ती :- शुभारंभ हो गया है उन सभी के अंत का मेरे बेटे की शक्तियां जागृत हो रही है और जब उसे याद आएगा तो वो क्षण उन सबके लिए इतना दर्दनाक होगा कि वो सब दया की भीख मांगेंगे लेकिन वो किसी पर दया नहीं करेगा अब शुरूवात है हमारे प्रतिशोध की हमारे शत्रुओं के अंत की

उसके इतना बोलते ही उसके साथ साथ उस गुफा में कैद हर एक कैद खाने से हसने की आवाज सुनाई देने लगी तो वही दूसरी तरफ मेंने प्रिया को अपने जीवन के वो सभी राज बता दिए थे जिनसे उसका जीवन पूरी तरह से बदल जाने वाली थी जिसे प्रिया और उसके परिवार ने भी अपना लिए थे

और जब हम दोनों कमरे में अकेले थे तब मेंने उसे अपने शांति के बारे में भी बता दिया था और इस बात को जान कर वो ज्यादा खुश नहीं थी लेकिन जब उसने शांति के दृष्टिकोण से देखा तो उसने हम दोनों के रिश्ते को भी अपना लिया था ऐसे ही कब रात हो गई हमे भी पता नहीं चला अभीं प्रिया दवाइयों के वजह से सोई हुई थी उसके सोने के बाद मेंने सबको घर भेज दिया आराम करने

और सबके जाने के बाद मे उसके बगल में बैठ कर उसे ही देख रहा था सोते हुए वो कितनी खूबसूरत दिख रही थी कि क्या ही बोलू उसके बारे में ऐसा लग रहा था कि पूरी दुनिया की मासूमियत उसके ही चेहरे पर आ गई थी और इसी खूबसूरती मे मैं कहीं खो गया था

और कब मेरे होंठ उसके गालों पर जा लगे मुझे भी पता नहीं चला और इस चुंबन के बाद जब मेंने उसकी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर एक मंद मुस्कान छा गई है शायद नींद में भी हमारे बारे में ही सोच रही थी ऐसे ही कुछ पल उसे घूरते हुए कब मुझे भी आंख लग गई मुझे भी पता नहीं चला

जैसे ही मेरी आँख लगी वैसे ही मेरे कानों में किसी के हसने की आवाज सुनाई देने लगी जिससे तुरंत ही मेरी आँख खुल गई और जब मेंने आसपास का वातावरण देखा तो मे हैरान रह गया

क्यूँकी इस वक्त मे उसी गोदाम में था जहां कल रात मैंने उन असुरों को मारा था और अभी मे ये सब सोच रहा था कि तभी वो हंसने की आवाज मुझे फिर से सुनायी देने लगी और जब मेंने उस आवाज का पीछा किया तो वो आवाज उस जगह से आ रही थी जहां पर वो पांच सिंघासन थे

और जब मे उन सिंघासन के नजदीक पहुंचा तो कल के जैसे ही मेरी सासें अटकने लगी ऐसा लगने लगा कि कोई महाशक्ति मेरे आसपास है और जब मेंने आसपास देखा तब मेरा ध्यान उन पांचो सिंघासनों पर गया जिनके ठीक उपर इस वक्त काले रंग के 5 गोले बनने लगे थे

और धीरे-धीरे उन पांचो गोलों ने अपने ऊर्जा तरंगो को बढ़ाना शुरू कर दिया और इससे पहले मे फिर से उन्हें अपने समा लेता उससे पहले ही वो पांचो गोले एक-एक करके फट गए और उस मेसे 5 महाकाय असुरों की परछाई निकलने लगी और देखते ही देखते वो परछाई सची के 5 महाकाय असुरों मे बदल गई

जिन्हें देख कर मुझे बहुत डर भी लग रहा था तो साथ ही मे उनके किसी भी गलत मनसूबे को साकार नहीं होने देने वाला था लेकिन अब सवाल ये उठता है कि मे यहां पर पहुचा कैसे मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी उन मेसे एक असुर ने बोलना शुरू किया

असुर 1 :- तो तुम वो मनुष्य हो जिसने हम पांचों की एकजुट शक्ति को अपने अंदर समा लिया है

में :- तुम क्या बोल रहे हो वो मे नही जानता

असुर 1 :- तुमने कल रात को हम पांचों की शक्तियों को अपने अंदर समाया था हमे वो वापस चाहिए वो असुरों की महान शक्ति है उसे तुम्हारे जैसे आम मनुष्य के पास नहीं रहना चाहिए

मे :- ठीक है ले लो अपनी शक्तियां लेकिन उससे पहले मुझे ये वचन दो की ईन शक्तियों का प्रयोग तुम किसी भी प्रकार के दुष्कर्म के लिए नहीं करोगे

असुर 1 :- ये हमारी शक्तियां है और हमारी मर्जी की हम कैसे इसका इस्तेमाल करते हैं

में :- पता था कि बोलकर कोई भी फायदा नहीं होगा (असुरों से) बाद में बोलना मत मेंने मौका नहीं दिया

इतना बोलकर मेंने अपनी आंखों को बंद करके अपनी तलवार का आह्वान किया जिससे अगले ही पल मेरे हाथों में मेरी तलवार आ गई थी जिसे देखकर वो हसने लगा

असुर :- चलो अच्छा है कि तुम्हारे अंदर हिम्मत तो है लेकिन सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा अगर तुम्हें पूरी तरह से हमारी शक्तियां चाहिए तो हम पांचो को हराकर उस सिंघासन पर बैठना होगा

इतना बोलकर उसने हवा में उड़ रहे एक सिंघासन की तरफ इशारा किया जिसे देखकर मेरी पकड़ तलवार पर कस गई

मे (उन पांचो को घूरते हुए) :- अकेले आओगे या सूअर की तरह झुंड में

तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद कर के रखा था उसी गुफा में आज फिर से वो तीनों असुर सेनापति मौजूद थे और वो तीनों अपने जादुई चाबुक से लगातार वहाँ क़ैद सभी कैदियों पर वार कर रहे थे

तो वही दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ये सब देखकर गुस्से मे चिल्ला रहे थे उन पर भी चाबुक बरसाए जा रहे थे लेकिन उन्हें शायद सबसे ज्यादा पीड़ा उन बेकसूर लोगों की चीखें सुनकर हो रही थी अभीं उन सबकी चीखें वहाँ के वातावरण में गूँज रही थी कि

तभी वहां पर कुछ और आवाज भी आने लगी जैसे कोई भोंपू बजा रहा हो जिसकी आवाज सुनकर उन तीनों के ही चेहरे का रंग उड़ गया और उन्होंने तुरंत ही सभी चाबुक को रोक दिया और अपनी आखें बंद कर दी

और जैसे ही उन्होंने आखें बंद की तो उस जगह पर एक काली गेंद उड़ते हुए आकर मायासुर के हाथों में आ गई और जैसे ही उन तीनों ने आखें खोली तो उस गेंद से कुछ शब्द हवा मे उड़ते हुए एक संदेश तैयार करने लगे

संदेश :- ये सब तमाशा छोडो हमे सप्तअस्त्रों के धारकों की जानकारी मिल गई है सब कुछ इस गेंद मे तुम्हें मिल जाएगा अब जल्दी से युद्ध की तैयारी करो इससे पहले पुण्य पक्ष फिर एक बार उन्हें किसी दूसरी जगह पर छुपा दे

जैसे ही वो शब्द गायब हुए वैसे ही उस गेंद से एक रोशनी निकल कर मायासुर के दिमाग में घुस गई जिसके बाद उस पूरे जगह पर मायासुर की हंसी ही गूँज रही थी जैसे उसे कोई ख़ज़ाना मिल गया हो

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इस वक़्त उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद करके रखा गया था आज उसी गुफा में एक बार फिर से शांति छायी हुई थी लेकिन ये शांति ज्यादा देर तक टिक नहीं सकीं क्यूँकी उस शांति को चीरते हुए किसी के हंसने की आवाज सुनाई देने लगी थी और यह आवाज़ किसी और की नहीं ब्लकि दमयन्ती के हंसने की थी

दमयन्ती :- शुभारंभ हो गया है उन सभी के अंत का मेरे बेटे की शक्तियां जागृत हो रही है और जब उसे याद आएगा तो वो क्षण उन सबके लिए इतना दर्दनाक होगा कि वो सब दया की भीख मांगेंगे लेकिन वो किसी पर दया नहीं करेगा अब शुरूवात है हमारे प्रतिशोध की हमारे शत्रुओं के अंत की

उसके इतना बोलते ही उसके साथ साथ उस गुफा में कैद हर एक कैद खाने से हसने की आवाज सुनाई देने लगी तो वही दूसरी तरफ मेंने प्रिया को अपने जीवन के वो सभी राज बता दिए थे जिनसे उसका जीवन पूरी तरह से बदल जाने वाली थी जिसे प्रिया और उसके परिवार ने भी अपना लिए थे

और जब हम दोनों कमरे में अकेले थे तब मेंने उसे अपने शांति के बारे में भी बता दिया था और इस बात को जान कर वो ज्यादा खुश नहीं थी लेकिन जब उसने शांति के दृष्टिकोण से देखा तो उसने हम दोनों के रिश्ते को भी अपना लिया था ऐसे ही कब रात हो गई हमे भी पता नहीं चला अभीं प्रिया दवाइयों के वजह से सोई हुई थी उसके सोने के बाद मेंने सबको घर भेज दिया आराम करने


और सबके जाने के बाद मे उसके बगल में बैठ कर उसे ही देख रहा था सोते हुए वो कितनी खूबसूरत दिख रही थी कि क्या ही बोलू उसके बारे में ऐसा लग रहा था कि पूरी दुनिया की मासूमियत उसके ही चेहरे पर आ गई थी और इसी खूबसूरती मे मैं कहीं खो गया था

और कब मेरे होंठ उसके गालों पर जा लगे मुझे भी पता नहीं चला और इस चुंबन के बाद जब मेंने उसकी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर एक मंद मुस्कान छा गई है शायद नींद में भी हमारे बारे में ही सोच रही थी ऐसे ही कुछ पल उसे घूरते हुए कब मुझे भी आंख लग गई मुझे भी पता नहीं चला

जैसे ही मेरी आँख लगी वैसे ही मेरे कानों में किसी के हसने की आवाज सुनाई देने लगी जिससे तुरंत ही मेरी आँख खुल गई और जब मेंने आसपास का वातावरण देखा तो मे हैरान रह गया

क्यूँकी इस वक्त मे उसी गोदाम में था जहां कल रात मैंने उन असुरों को मारा था और अभी मे ये सब सोच रहा था कि तभी वो हंसने की आवाज मुझे फिर से सुनायी देने लगी और जब मेंने उस आवाज का पीछा किया तो वो आवाज उस जगह से आ रही थी जहां पर वो पांच सिंघासन थे

और जब मे उन सिंघासन के नजदीक पहुंचा तो कल के जैसे ही मेरी सासें अटकने लगी ऐसा लगने लगा कि कोई महाशक्ति मेरे आसपास है और जब मेंने आसपास देखा तब मेरा ध्यान उन पांचो सिंघासनों पर गया जिनके ठीक उपर इस वक्त काले रंग के 5 गोले बनने लगे थे

और धीरे-धीरे उन पांचो गोलों ने अपने ऊर्जा तरंगो को बढ़ाना शुरू कर दिया और इससे पहले मे फिर से उन्हें अपने समा लेता उससे पहले ही वो पांचो गोले एक-एक करके फट गए और उस मेसे 5 महाकाय असुरों की परछाई निकलने लगी और देखते ही देखते वो परछाई सची के 5 महाकाय असुरों मे बदल गई


जिन्हें देख कर मुझे बहुत डर भी लग रहा था तो साथ ही मे उनके किसी भी गलत मनसूबे को साकार नहीं होने देने वाला था लेकिन अब सवाल ये उठता है कि मे यहां पर पहुचा कैसे मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी उन मेसे एक असुर ने बोलना शुरू किया

असुर 1 :- तो तुम वो मनुष्य हो जिसने हम पांचों की एकजुट शक्ति को अपने अंदर समा लिया है

में :- तुम क्या बोल रहे हो वो मे नही जानता

असुर 1 :- तुमने कल रात को हम पांचों की शक्तियों को अपने अंदर समाया था हमे वो वापस चाहिए वो असुरों की महान शक्ति है उसे तुम्हारे जैसे आम मनुष्य के पास नहीं रहना चाहिए

मे :- ठीक है ले लो अपनी शक्तियां लेकिन उससे पहले मुझे ये वचन दो की ईन शक्तियों का प्रयोग तुम किसी भी प्रकार के दुष्कर्म के लिए नहीं करोगे

असुर 1 :- ये हमारी शक्तियां है और हमारी मर्जी की हम कैसे इसका इस्तेमाल करते हैं

में :- पता था कि बोलकर कोई भी फायदा नहीं होगा (असुरों से) बाद में बोलना मत मेंने मौका नहीं दिया

इतना बोलकर मेंने अपनी आंखों को बंद करके अपनी तलवार का आह्वान किया जिससे अगले ही पल मेरे हाथों में मेरी तलवार आ गई थी जिसे देखकर वो हसने लगा

असुर :- चलो अच्छा है कि तुम्हारे अंदर हिम्मत तो है लेकिन सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा अगर तुम्हें पूरी तरह से हमारी शक्तियां चाहिए तो हम पांचो को हराकर उस सिंघासन पर बैठना होगा

इतना बोलकर उसने हवा में उड़ रहे एक सिंघासन की तरफ इशारा किया जिसे देखकर मेरी पकड़ तलवार पर कस गई

मे (उन पांचो को घूरते हुए) :- अकेले आओगे या सूअर की तरह झुंड में

तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद कर के रखा था उसी गुफा में आज फिर से वो तीनों असुर सेनापति मौजूद थे और वो तीनों अपने जादुई चाबुक से लगातार वहाँ क़ैद सभी कैदियों पर वार कर रहे थे

तो वही दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ये सब देखकर गुस्से मे चिल्ला रहे थे उन पर भी चाबुक बरसाए जा रहे थे लेकिन उन्हें शायद सबसे ज्यादा पीड़ा उन बेकसूर लोगों की चीखें सुनकर हो रही थी अभीं उन सबकी चीखें वहाँ के वातावरण में गूँज रही थी कि

तभी वहां पर कुछ और आवाज भी आने लगी जैसे कोई भोंपू बजा रहा हो जिसकी आवाज सुनकर उन तीनों के ही चेहरे का रंग उड़ गया और उन्होंने तुरंत ही सभी चाबुक को रोक दिया और अपनी आखें बंद कर दी

और जैसे ही उन्होंने आखें बंद की तो उस जगह पर एक काली गेंद उड़ते हुए आकर मायासुर के हाथों में आ गई और जैसे ही उन तीनों ने आखें खोली तो उस गेंद से कुछ शब्द हवा मे उड़ते हुए एक संदेश तैयार करने लगे

संदेश :- ये सब तमाशा छोडो हमे सप्तअस्त्रों के धारकों की जानकारी मिल गई है सब कुछ इस गेंद मे तुम्हें मिल जाएगा अब जल्दी से युद्ध की तैयारी करो इससे पहले पुण्य पक्ष फिर एक बार उन्हें किसी दूसरी जगह पर छुपा दे

जैसे ही वो शब्द गायब हुए वैसे ही उस गेंद से एक रोशनी निकल कर मायासुर के दिमाग में घुस गई जिसके बाद उस पूरे जगह पर मायासुर की हंसी ही गूँज रही थी जैसे उसे कोई ख़ज़ाना मिल गया हो

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Great 👍 update with awesome writing ✍️
 

park

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अध्याय सतरा

इस वक़्त उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद करके रखा गया था आज उसी गुफा में एक बार फिर से शांति छायी हुई थी लेकिन ये शांति ज्यादा देर तक टिक नहीं सकीं क्यूँकी उस शांति को चीरते हुए किसी के हंसने की आवाज सुनाई देने लगी थी और यह आवाज़ किसी और की नहीं ब्लकि दमयन्ती के हंसने की थी

दमयन्ती :- शुभारंभ हो गया है उन सभी के अंत का मेरे बेटे की शक्तियां जागृत हो रही है और जब उसे याद आएगा तो वो क्षण उन सबके लिए इतना दर्दनाक होगा कि वो सब दया की भीख मांगेंगे लेकिन वो किसी पर दया नहीं करेगा अब शुरूवात है हमारे प्रतिशोध की हमारे शत्रुओं के अंत की

उसके इतना बोलते ही उसके साथ साथ उस गुफा में कैद हर एक कैद खाने से हसने की आवाज सुनाई देने लगी तो वही दूसरी तरफ मेंने प्रिया को अपने जीवन के वो सभी राज बता दिए थे जिनसे उसका जीवन पूरी तरह से बदल जाने वाली थी जिसे प्रिया और उसके परिवार ने भी अपना लिए थे

और जब हम दोनों कमरे में अकेले थे तब मेंने उसे अपने शांति के बारे में भी बता दिया था और इस बात को जान कर वो ज्यादा खुश नहीं थी लेकिन जब उसने शांति के दृष्टिकोण से देखा तो उसने हम दोनों के रिश्ते को भी अपना लिया था ऐसे ही कब रात हो गई हमे भी पता नहीं चला अभीं प्रिया दवाइयों के वजह से सोई हुई थी उसके सोने के बाद मेंने सबको घर भेज दिया आराम करने


और सबके जाने के बाद मे उसके बगल में बैठ कर उसे ही देख रहा था सोते हुए वो कितनी खूबसूरत दिख रही थी कि क्या ही बोलू उसके बारे में ऐसा लग रहा था कि पूरी दुनिया की मासूमियत उसके ही चेहरे पर आ गई थी और इसी खूबसूरती मे मैं कहीं खो गया था

और कब मेरे होंठ उसके गालों पर जा लगे मुझे भी पता नहीं चला और इस चुंबन के बाद जब मेंने उसकी तरफ देखा तो उसके चेहरे पर एक मंद मुस्कान छा गई है शायद नींद में भी हमारे बारे में ही सोच रही थी ऐसे ही कुछ पल उसे घूरते हुए कब मुझे भी आंख लग गई मुझे भी पता नहीं चला

जैसे ही मेरी आँख लगी वैसे ही मेरे कानों में किसी के हसने की आवाज सुनाई देने लगी जिससे तुरंत ही मेरी आँख खुल गई और जब मेंने आसपास का वातावरण देखा तो मे हैरान रह गया

क्यूँकी इस वक्त मे उसी गोदाम में था जहां कल रात मैंने उन असुरों को मारा था और अभी मे ये सब सोच रहा था कि तभी वो हंसने की आवाज मुझे फिर से सुनायी देने लगी और जब मेंने उस आवाज का पीछा किया तो वो आवाज उस जगह से आ रही थी जहां पर वो पांच सिंघासन थे

और जब मे उन सिंघासन के नजदीक पहुंचा तो कल के जैसे ही मेरी सासें अटकने लगी ऐसा लगने लगा कि कोई महाशक्ति मेरे आसपास है और जब मेंने आसपास देखा तब मेरा ध्यान उन पांचो सिंघासनों पर गया जिनके ठीक उपर इस वक्त काले रंग के 5 गोले बनने लगे थे

और धीरे-धीरे उन पांचो गोलों ने अपने ऊर्जा तरंगो को बढ़ाना शुरू कर दिया और इससे पहले मे फिर से उन्हें अपने समा लेता उससे पहले ही वो पांचो गोले एक-एक करके फट गए और उस मेसे 5 महाकाय असुरों की परछाई निकलने लगी और देखते ही देखते वो परछाई सची के 5 महाकाय असुरों मे बदल गई


जिन्हें देख कर मुझे बहुत डर भी लग रहा था तो साथ ही मे उनके किसी भी गलत मनसूबे को साकार नहीं होने देने वाला था लेकिन अब सवाल ये उठता है कि मे यहां पर पहुचा कैसे मे अभी ये सब सोच रहा था कि तभी उन मेसे एक असुर ने बोलना शुरू किया

असुर 1 :- तो तुम वो मनुष्य हो जिसने हम पांचों की एकजुट शक्ति को अपने अंदर समा लिया है

में :- तुम क्या बोल रहे हो वो मे नही जानता

असुर 1 :- तुमने कल रात को हम पांचों की शक्तियों को अपने अंदर समाया था हमे वो वापस चाहिए वो असुरों की महान शक्ति है उसे तुम्हारे जैसे आम मनुष्य के पास नहीं रहना चाहिए

मे :- ठीक है ले लो अपनी शक्तियां लेकिन उससे पहले मुझे ये वचन दो की ईन शक्तियों का प्रयोग तुम किसी भी प्रकार के दुष्कर्म के लिए नहीं करोगे

असुर 1 :- ये हमारी शक्तियां है और हमारी मर्जी की हम कैसे इसका इस्तेमाल करते हैं

में :- पता था कि बोलकर कोई भी फायदा नहीं होगा (असुरों से) बाद में बोलना मत मेंने मौका नहीं दिया

इतना बोलकर मेंने अपनी आंखों को बंद करके अपनी तलवार का आह्वान किया जिससे अगले ही पल मेरे हाथों में मेरी तलवार आ गई थी जिसे देखकर वो हसने लगा

असुर :- चलो अच्छा है कि तुम्हारे अंदर हिम्मत तो है लेकिन सिर्फ इससे काम नहीं चलेगा अगर तुम्हें पूरी तरह से हमारी शक्तियां चाहिए तो हम पांचो को हराकर उस सिंघासन पर बैठना होगा

इतना बोलकर उसने हवा में उड़ रहे एक सिंघासन की तरफ इशारा किया जिसे देखकर मेरी पकड़ तलवार पर कस गई

मे (उन पांचो को घूरते हुए) :- अकेले आओगे या सूअर की तरह झुंड में

तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में जहां दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर को कैद कर के रखा था उसी गुफा में आज फिर से वो तीनों असुर सेनापति मौजूद थे और वो तीनों अपने जादुई चाबुक से लगातार वहाँ क़ैद सभी कैदियों पर वार कर रहे थे

तो वही दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ये सब देखकर गुस्से मे चिल्ला रहे थे उन पर भी चाबुक बरसाए जा रहे थे लेकिन उन्हें शायद सबसे ज्यादा पीड़ा उन बेकसूर लोगों की चीखें सुनकर हो रही थी अभीं उन सबकी चीखें वहाँ के वातावरण में गूँज रही थी कि

तभी वहां पर कुछ और आवाज भी आने लगी जैसे कोई भोंपू बजा रहा हो जिसकी आवाज सुनकर उन तीनों के ही चेहरे का रंग उड़ गया और उन्होंने तुरंत ही सभी चाबुक को रोक दिया और अपनी आखें बंद कर दी

और जैसे ही उन्होंने आखें बंद की तो उस जगह पर एक काली गेंद उड़ते हुए आकर मायासुर के हाथों में आ गई और जैसे ही उन तीनों ने आखें खोली तो उस गेंद से कुछ शब्द हवा मे उड़ते हुए एक संदेश तैयार करने लगे

संदेश :- ये सब तमाशा छोडो हमे सप्तअस्त्रों के धारकों की जानकारी मिल गई है सब कुछ इस गेंद मे तुम्हें मिल जाएगा अब जल्दी से युद्ध की तैयारी करो इससे पहले पुण्य पक्ष फिर एक बार उन्हें किसी दूसरी जगह पर छुपा दे

जैसे ही वो शब्द गायब हुए वैसे ही उस गेंद से एक रोशनी निकल कर मायासुर के दिमाग में घुस गई जिसके बाद उस पूरे जगह पर मायासुर की हंसी ही गूँज रही थी जैसे उसे कोई ख़ज़ाना मिल गया हो

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आज के लिए इतना ही

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Nice and superb update....
 
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