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Fantasy ब्रह्माराक्षस

park

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अध्याय उनहत्तर

वहाँ की जमीन हिलने लगी और उस जमीन से एक कालि रोशनी निकलने लगी और जब वो रोशनी हटी तो ये वही मैदान था जो चित्र मे दिखा था

जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी

और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी अभी मे उस मैदान को देख रहा था की तभी वो पत्र फिर से मेरे आँखों के सामने आ गया

संदेश :- ये मैदान देख रहे हो कुमार ये मायावी मैदान है इसके दूसरे तरफ तुम्हे तुम्हारा अगला पत्र मिलेगा और साथ मे ही वो शक्ति भी लेकिन ये मैदान को पर करते वक़्त तुम्हे तुम्हें दो बातों का ख्याल रखना होगा

पहला, जब तुम सफेद खाने के ऊपर से गुजरो, तो तुम्हें अपना वजन हल्का रखना है, वरना तुम उस सफेद खाने के अंदर खींचे जाओगे,

और दूसरा की जब काले खाने के ऊपर से गुजरो, तो अपना वजन बढ़ाकर काले खाने पर से गुजरना वरना ये भी तुम्हें अपने अंदर खिच लेगी

अपने आप को हल्का करने के लिए तुम्हें अपनी इंद्रियों को काबू कर अपने पैरों के सारे वजन को अपने शरीर के उपरी भाग में डालना होगा और वजन बढ़ाने के लिए अपने रक्त प्रवाह को 1000 गुना तक बढ़ाना होगा


जिसमें तुम्हारे शरीर के हर हिस्से में भार पड़े, ये भी तुम अपनी इच्छा शक्ति से ही कर पाओगे अपने दिमाग को पूरी तरह शांत रखना, और हां सबसे महत्वपूर्ण पूर्ण बात, जब तुम उन दोनों खानों को पार कर रहे होंगे तो याद रखना की वो दोनों अपनी जगह बदलेंगे

इतना पड़ने के बाद में तैयार हो गया आगे बढ़ने के लिए और जैसे ही मे उस मैदान के तरफ दौड़ लगाई तो मुझे अपने सामने एक काला खाना दिख रहा था इसीलिए मैने अपने शरीर के भार को बढ़ा दिया

और जैसे ही मैने उसके उपर कदम रखा वैसे ही उस काले खाने ने अपनी जगह बदल दी और इससे पहले की मे समझ पाता उससे पहले ही वहाँ पर सफेद खाना आ गया और मे सीधा उसके अंदर खींचता चला गया

और जब मे उसके अंदर पूरी तरह से समा गया और जब मैने अपने आस पास देखा तो मे फिर से उसी बक्शे के पास मे था अब मुझे समझ आ गया था कि ये मैदान कैसे काम करता है

अब मे वही पर शांति से खड़ा हो कर उन खानों को जगह बदलते देख रहा था और उनकी ताल को समझने की कोशिश कर रहा था और कुछ ही देर मे मैं उनके जगह बदलने के बारे मे जान गया था


अब मे तैयार था और अब मे अपनी पूरी गति से उस मैदान मे दौड़ते जा रहा था और आवश्यकता अनुसार अपने शरीर के भार को कम ज्यादा करता लेकिन शायद मेरे अंदर के अति आत्मविश्वास आ गया था

इसीलिए अब मेरा ध्यान उन खानो के बदले बक्शे पर था और वो कहावत याद है न सबको *नज़र हटी दुर्घटना घटी* यही मेरे साथ हुआ और मे पहुँच गया शुरवात पर मे अभी फिर से आगे बढ़ने से पहले पूरी तरह से तैयार होना चाहता था

क्योंकि मेरे पास समय सीमित ही था और अगर इसी पड़ाव पर सारा समय निकल गया तो वहा वो महासुरों का आतंक पूरे संसार का विनाश कर देगा इसीलिए मैने अपने दिमाग पूरी तरह से शांत किया

और अपनी शिक्षा के बारे में सोचने लगा और अपनी शिक्षा के बारे में सोचते ही गुरु वानर की सिख मेरे दिमाग मे आने लगी

गुरु वानर :- कुमार मेरी बात को हमेशा याद रखना की मनुष्य या तो दिमाग से सोचता है या फिर हृदय से जिसके कारण हर परिस्थिति मे उसके फैसले लेने की क्षमता अलग अलग होती हैं

या तो वो दिल की सुनता है या दिमाग की कभी कबार वो दोनों के बीच उलझ जाता हैं ऐसा नही है कि इसमें मनुष्य को सफलता नही मिलती सफलता तो मिलती है परंतु उस सफलता की एक सीमा होती है,

जिसे तुम विज्ञान या अपने बुद्धि का जादू कहते हो लेकिन वही अगर तुम मस्तिष्क और हृदय को एक कर के सोचो तो तुम हर एक सीमाओं को तोड़ दोगे और हर विज्ञान या जादू से आगे बढ़ जाओगे

.तुम्हारी सीमा तुम खुद तय करोगे. जिस तरह तुमने आज ध्यान लगाकर अपने इंद्रियों को काबू किया है उसी तरह दिमाग और हृदय को जोड़कर अभ्यास करना परिणाम वो आएगा जो तुमने सोचा भी नहीं होगा

उनकी ये बात याद आते ही मे तुरंत ध्यान लगाने लगा और अपने दिल और दिमाग की सारी सीमाओं को तोड़ कर उन्हे एक कर दिया और जब मेने अपनी आँखे खोली तो मुझे अपने सामने की हर चीज धीमी लगने लगी

जहाँ पहले उन खानों को जगह बदलने के लिए जहाँ पल भर का समय भी बहुत था तो वही पल अब मेरे लिए इतना धीमे हो गया था कि मे चलते हुए उस चुनौती को पर कर दिया था

और उस पार जाते ही मैने अपना ध्यान तोड़ दिया और अगले बक्शे तक पहुँच गया था जिसमे एक पत्र और वो अमृत शक्ति थी और जैसे ही मेने उस शक्ति को छुआ वो तुरंत मेरे अंदर समा गयी और साथ मे ही वो संदेश भी उजागर हो गया

संदेश :- अति उत्तम कुमार आज तुमने उस अस्त्र के तरफ और 2 कदम आगे बढ़ा दिये है साथ मे ही तुमने अमृत शक्ति भी पा ली है जिससे तुम इस संसार के सभी विषों से सामना करने योग्य हो गए हो न सिर्फ सामना करने योग्य बल्कि तुम इस दुनिया के सारे विषों का प्रयोग भी कर पाओगे और उनका असर भी खतम कर पाओगे ये बात गो गया इनाम के बारे मे अब कुछ बात मंज़िल के बारे में भी जान लो तुम्हारे मंजिल तक पहुँचने मे अभी केवल 4 पड़ाव शेष है और तुम्हे तुम्हारे अगले 2 पड़ाव यहाँ मिलेंगे

संदेश मे ये पढ़ते ही वो संदेश गायब हो गया और वहाँ पर कुछ चित्र दिखने लगे जो सभी एक जंगल के थे वो जंगल इस सर्प द्वीप के जंगल से भी ज्यादा घना था

वहाँ के ज्यादातर पेड़ बहुत लंबे और घने थे जिसके कारण वहाँ पर सूरज की रोशनी भी न के बराबर थी जिससे वहाँ पर जो पद पौधे छोटे थे वो ज्यादा जी नही सकते थे


तो वही दूसरे चित्र में मुझे कुछ साफ साफ नही दिख रहा था हर तरफ अंधेरा था जितना दिख रहा था मे उसे ध्यान से देखने का प्रयास कर रहा था की तभी उस अंधेरे मे मुझे 4 आँखे दिखने लगी जो बिल्कुल लाल थी इतनी भयानक आँखे मैने आज से पहले कभी नही देखी थी

(शायद भद्रा ने जब कुमार रूप धारण किया था तब उसे आयना देखना चाहिए था तो वो ऐसा न सोचता)

तो वही अगले चित्र मे मुझे कुछ काले रंग के पेड़ दिखा रहे थे जो टूटे हुए थे ऐसा लग रहा था की मानो उन्हे पहले तोडा गया हो और फिर जलाया गया हो जिसके बाद वो सभी चित्र गायब हो गए

इन सभी चित्रों को देखकर मे इतना तो समझ गया था कि ये जंगल भी प्रकृति का चमत्कार नही है बल्कि किसी मायावी का चमत्कार है इसीलिए उसे ढूँढना और भी मुश्किल था मे अभी उस जंगल के बारे मे सोच रहा था

कि तभी मेरे दिमाग मे वो चित्र पुन्हा आने लगे और जब मैने उन चित्रों को ध्यान से देखा तब समझ आया की ये सिर्फ माया नही बल्कि ये एक चकरव्युव है जो किसी शक्तिशाली जादूगर के द्वारा ही निर्मित किया जा सकता हैं

और उसके मायावी शक्ति ऊर्जा का भी सर्वाधिक मात्रा में उपयोग होता है और अब मुझे केवल उस शक्ति ऊर्जा के प्रवाह को ढूँढना था की वो कहाँ से आ रहा है और ये तरकीब के सूझते ही

मे तुरंत ध्यान में बैठ गया और उस स्थर की मायावी ऊर्जा शक्ति को ढूँढने लगा जिसके लिए मैने अपने पृथ्वी अस्त्र की शक्ति को कार्यरत किया और ध्यान मे बैठने के कुछ ही देर बाद मुझे वो जगह मिल भी गयी


जो की धरती के ही एक ऐसे इलाके मे थी कि जहाँ जंगलों के अलावा कुछ और था भी नही वो पुरा इलाका जंगलों से भरा हुआ था और जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला

तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे

~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आज के लिए इतना ही

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Nice and superb update....
 

parkas

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303
अध्याय अडसठ

जिसके बाद में वही पर खड़ा हो कर इस दृश्य के बारे में सोचने लगा की तभी मेरे दिमाग की बत्ती जली की इतने सारे सांप पृथ्वी लोक पर एक ही जगह पर एक साथ मिल सकते है और वो है ब्राज़ील मे स्थित सर्प द्वीप (snake island)

सर्प द्वीप (Snake Island) ब्राजील के तट से कुछ ही दूरी पर है. यहां हर कदम पर सांप ही सांप मिलेंगे. दुनिया के सबसे ज़हरीले सांप अगर कहीं हैं, तो वो यहीं हैं.

यह पृथ्वी पर एकमात्र ऐसी जगह है जहां आपको गोल्डन लैंसहेड (Golden lancehead) सांप मिल सकता है. सांप की यह प्रजाति इतनी घातक है कि इस द्वीप को लोगों की पहुंच से दूर कर दिया गया है

और यही कारण है की मे वहाँ जाने से पहले इतना सोच रहा था वहाँ पर मौजूद ऐसे सर्प जो विलुप्त होने के कगार पे है और अगर वहाँ मैने गलती से भी किसी जादू का या शक्ति का इस्तेमाल नही कर सकता

और अगर मैने ऐसा किया तो वहाँ मौजूद अलौकिक सर्प जिनकी प्रजाति विलुप्त होने के नजदीक है उन्हे नुकसान हो सकता हैं जबकि वो सभी सर्पों की कोई गलती भी नही है


जो मे नही चाहता था इसीलिए मुझे वहाँ बेहद सावधान रहना होगा और गुरु काल ने भी मुझे चेतवानी दी थी की अगर अस्त्र को पाने की राह में किसी बेगुनाह को मेरे कारण हानि पहुंची तो वो अजेय अस्त्र मुझे कभी भी नही मिलेगा (update 63)

और मे ऐसा नही चाहता था लेकिन अब मे पीछे हट भी नही सकता था और न इसके अलावा कोई रास्ता बचा था इसीलिए मेंने अपने सभी इंद्रियों को तेज किया और पहुँच गया सर्प द्वीप पर

जहाँ पहुँचते ही मेरे सामने एक घना जंगल था जिस जंगल मे मुझे कुछ भी दिखाई नही दे रहा था लेकिन मेरे इंद्रियों के कारण मे जंगल मे मौजूद हर सर्प को महसूस कर सकता था जंगल इतना घना था कि वहाँ सूरज की रोशन भी न आ पाए


मे उस जंगल के अंधेरे को देखकर ये तो जान गया था कि अंदर अंधेरे मे मेरी आँखे मेरा साथ नही देंगी बल्कि मेरे लिए मुश्किल बढ़ा देगी मुझे हर कदम अपने इंद्रियों को बल पर ही रखना था

और न सिर्फ अपने इंद्रियों के बल पर बल्कि मुझे अपने अंदर के एकोलकेशन पर भी भरोसा करना होगा एकोलोकाशन एक ऐसी प्रक्रिया जिसमें जानवर, अंधेरे में ध्वनि तरंगें उत्पन्न करके अपना रास्ता ढूंढते हैं

जो किसी वस्तु से परावर्तित होने पर गूंजती हैं बिल्कुल किसी चमगादड़ के तरह क्योंकि वे ज्यादातर रात के अंधेरे में शिकार करते हैं, जब रोशनी की स्थिति, निश्चित रूप से, बहुत अंधेरा होती है,

चमगादड़ शिकार के सटीक स्थानों को इंगित करने के लिए इकोलोकेशन पर भरोसा करते हैं और अब मुझे भी इसी तरह आगे बढ़ना था मेरी इंद्रियों को तो मेने पहले ही तेज कर दिया था

लेकिन अब मैने अपने माया से अपने चारों तरफ लगातार एक हल्की ध्वनि का निर्माण करना शुरू कर दिया था बिल्कुल किसी चमगादड़ के तरह और फिर में अपने आँखों पर भी एक पट्टी बाँध दी थी जिससे मे अपने एकोलोकेशन विद्या पर ध्यान दें सकु

और फिर मे धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा था जिससे अब मुझे मेरी आँखे बंद होने के बाद भी पेड़ पौधे पत्थर और सांप सब कहाँ है कैसे चल रहे है मेरे पास आ रहे है या दूर जा रहे हैं सब कुछ पता चल रहा था

सब कुछ मे महसूस कर पा रहे यहाँ तक मे हवा को भी अब महसूस कर पा रहा था ऐसे ही मे आगे चलते जा रहा था मुझे ही पता नही था मे कहाँ जा रहा हूँ के सिर्फ अपने इंद्रियों पर भरोसा रखे चले जा रहा था

और फिर ऐसे ही चलते हुए मे कुछ दूरी पर आ गया था और अब मुझे कुछ भी महसूस नही हो रहा न ही मुझे न ही कोई पेड़ न ही कोई सांप केवल वहाँ अब मुझे सूरज की तपिश और एक अजीब सी मधुर आवाज आ रही थी

जो महसूस करते ही मैने अपनी आँखे खोली तो मे सर्प द्वीप पर न होके किसी और ही जगह पर था जहाँ मेरे सामने पहले की तरह ही एक बक्शा था जो मेरे सामने हवा मे उड़ रहा था


जिसे मेने तुरंत अपने पास खींच लिया और जब मैने उसे खोला तो उसमे से एक संदेश पत्र निकला जो मेरे सामने आकर हवा मे उड़ने लगा

संदेश :- शब्बाश कुमार तुमने सर्प द्वीप को पर कर के एक महा शक्ति को पा लिया है जो है अमृत शक्ति ये वो अमृत नही है जिससे देवता अमर हुए थे ये एक ऐसा अमृत है जिससे तुम्हे इस पूरे संसार के सभी विष से बचने की शक्ति मिल जायेगी और इस शक्ति को पाने के लिए तुम्हे इस एक चुनौती को पार करना होगा

उस संदेश मे इतना पढ़ते ही वहाँ की जमीन हिलने लगी और उस जमीन से एक कालि रोशनी निकलने लगी और जब वो रोशनी हटी तो ये वही मैदान था जो चित्र मे दिखा था

जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी

और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी अभी मे उस मैदान को देख रहा था की तभी वो पत्र फिर से मेरे आँखों के सामने आ गया

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आज के लिए इतना ही

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Bahut hi badhiya update diya hai VAJRADHIKARI bhai....
Nice and beautiful update....
 
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parkas

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वहाँ की जमीन हिलने लगी और उस जमीन से एक कालि रोशनी निकलने लगी और जब वो रोशनी हटी तो ये वही मैदान था जो चित्र मे दिखा था

जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी

और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी अभी मे उस मैदान को देख रहा था की तभी वो पत्र फिर से मेरे आँखों के सामने आ गया

संदेश :- ये मैदान देख रहे हो कुमार ये मायावी मैदान है इसके दूसरे तरफ तुम्हे तुम्हारा अगला पत्र मिलेगा और साथ मे ही वो शक्ति भी लेकिन ये मैदान को पर करते वक़्त तुम्हे तुम्हें दो बातों का ख्याल रखना होगा

पहला, जब तुम सफेद खाने के ऊपर से गुजरो, तो तुम्हें अपना वजन हल्का रखना है, वरना तुम उस सफेद खाने के अंदर खींचे जाओगे,

और दूसरा की जब काले खाने के ऊपर से गुजरो, तो अपना वजन बढ़ाकर काले खाने पर से गुजरना वरना ये भी तुम्हें अपने अंदर खिच लेगी

अपने आप को हल्का करने के लिए तुम्हें अपनी इंद्रियों को काबू कर अपने पैरों के सारे वजन को अपने शरीर के उपरी भाग में डालना होगा और वजन बढ़ाने के लिए अपने रक्त प्रवाह को 1000 गुना तक बढ़ाना होगा


जिसमें तुम्हारे शरीर के हर हिस्से में भार पड़े, ये भी तुम अपनी इच्छा शक्ति से ही कर पाओगे अपने दिमाग को पूरी तरह शांत रखना, और हां सबसे महत्वपूर्ण पूर्ण बात, जब तुम उन दोनों खानों को पार कर रहे होंगे तो याद रखना की वो दोनों अपनी जगह बदलेंगे

इतना पड़ने के बाद में तैयार हो गया आगे बढ़ने के लिए और जैसे ही मे उस मैदान के तरफ दौड़ लगाई तो मुझे अपने सामने एक काला खाना दिख रहा था इसीलिए मैने अपने शरीर के भार को बढ़ा दिया

और जैसे ही मैने उसके उपर कदम रखा वैसे ही उस काले खाने ने अपनी जगह बदल दी और इससे पहले की मे समझ पाता उससे पहले ही वहाँ पर सफेद खाना आ गया और मे सीधा उसके अंदर खींचता चला गया

और जब मे उसके अंदर पूरी तरह से समा गया और जब मैने अपने आस पास देखा तो मे फिर से उसी बक्शे के पास मे था अब मुझे समझ आ गया था कि ये मैदान कैसे काम करता है

अब मे वही पर शांति से खड़ा हो कर उन खानों को जगह बदलते देख रहा था और उनकी ताल को समझने की कोशिश कर रहा था और कुछ ही देर मे मैं उनके जगह बदलने के बारे मे जान गया था


अब मे तैयार था और अब मे अपनी पूरी गति से उस मैदान मे दौड़ते जा रहा था और आवश्यकता अनुसार अपने शरीर के भार को कम ज्यादा करता लेकिन शायद मेरे अंदर के अति आत्मविश्वास आ गया था

इसीलिए अब मेरा ध्यान उन खानो के बदले बक्शे पर था और वो कहावत याद है न सबको *नज़र हटी दुर्घटना घटी* यही मेरे साथ हुआ और मे पहुँच गया शुरवात पर मे अभी फिर से आगे बढ़ने से पहले पूरी तरह से तैयार होना चाहता था

क्योंकि मेरे पास समय सीमित ही था और अगर इसी पड़ाव पर सारा समय निकल गया तो वहा वो महासुरों का आतंक पूरे संसार का विनाश कर देगा इसीलिए मैने अपने दिमाग पूरी तरह से शांत किया

और अपनी शिक्षा के बारे में सोचने लगा और अपनी शिक्षा के बारे में सोचते ही गुरु वानर की सिख मेरे दिमाग मे आने लगी

गुरु वानर :- कुमार मेरी बात को हमेशा याद रखना की मनुष्य या तो दिमाग से सोचता है या फिर हृदय से जिसके कारण हर परिस्थिति मे उसके फैसले लेने की क्षमता अलग अलग होती हैं

या तो वो दिल की सुनता है या दिमाग की कभी कबार वो दोनों के बीच उलझ जाता हैं ऐसा नही है कि इसमें मनुष्य को सफलता नही मिलती सफलता तो मिलती है परंतु उस सफलता की एक सीमा होती है,

जिसे तुम विज्ञान या अपने बुद्धि का जादू कहते हो लेकिन वही अगर तुम मस्तिष्क और हृदय को एक कर के सोचो तो तुम हर एक सीमाओं को तोड़ दोगे और हर विज्ञान या जादू से आगे बढ़ जाओगे

.तुम्हारी सीमा तुम खुद तय करोगे. जिस तरह तुमने आज ध्यान लगाकर अपने इंद्रियों को काबू किया है उसी तरह दिमाग और हृदय को जोड़कर अभ्यास करना परिणाम वो आएगा जो तुमने सोचा भी नहीं होगा

उनकी ये बात याद आते ही मे तुरंत ध्यान लगाने लगा और अपने दिल और दिमाग की सारी सीमाओं को तोड़ कर उन्हे एक कर दिया और जब मेने अपनी आँखे खोली तो मुझे अपने सामने की हर चीज धीमी लगने लगी

जहाँ पहले उन खानों को जगह बदलने के लिए जहाँ पल भर का समय भी बहुत था तो वही पल अब मेरे लिए इतना धीमे हो गया था कि मे चलते हुए उस चुनौती को पर कर दिया था

और उस पार जाते ही मैने अपना ध्यान तोड़ दिया और अगले बक्शे तक पहुँच गया था जिसमे एक पत्र और वो अमृत शक्ति थी और जैसे ही मेने उस शक्ति को छुआ वो तुरंत मेरे अंदर समा गयी और साथ मे ही वो संदेश भी उजागर हो गया

संदेश :- अति उत्तम कुमार आज तुमने उस अस्त्र के तरफ और 2 कदम आगे बढ़ा दिये है साथ मे ही तुमने अमृत शक्ति भी पा ली है जिससे तुम इस संसार के सभी विषों से सामना करने योग्य हो गए हो न सिर्फ सामना करने योग्य बल्कि तुम इस दुनिया के सारे विषों का प्रयोग भी कर पाओगे और उनका असर भी खतम कर पाओगे ये बात गो गया इनाम के बारे मे अब कुछ बात मंज़िल के बारे में भी जान लो तुम्हारे मंजिल तक पहुँचने मे अभी केवल 4 पड़ाव शेष है और तुम्हे तुम्हारे अगले 2 पड़ाव यहाँ मिलेंगे

संदेश मे ये पढ़ते ही वो संदेश गायब हो गया और वहाँ पर कुछ चित्र दिखने लगे जो सभी एक जंगल के थे वो जंगल इस सर्प द्वीप के जंगल से भी ज्यादा घना था

वहाँ के ज्यादातर पेड़ बहुत लंबे और घने थे जिसके कारण वहाँ पर सूरज की रोशनी भी न के बराबर थी जिससे वहाँ पर जो पद पौधे छोटे थे वो ज्यादा जी नही सकते थे


तो वही दूसरे चित्र में मुझे कुछ साफ साफ नही दिख रहा था हर तरफ अंधेरा था जितना दिख रहा था मे उसे ध्यान से देखने का प्रयास कर रहा था की तभी उस अंधेरे मे मुझे 4 आँखे दिखने लगी जो बिल्कुल लाल थी इतनी भयानक आँखे मैने आज से पहले कभी नही देखी थी

(शायद भद्रा ने जब कुमार रूप धारण किया था तब उसे आयना देखना चाहिए था तो वो ऐसा न सोचता)

तो वही अगले चित्र मे मुझे कुछ काले रंग के पेड़ दिखा रहे थे जो टूटे हुए थे ऐसा लग रहा था की मानो उन्हे पहले तोडा गया हो और फिर जलाया गया हो जिसके बाद वो सभी चित्र गायब हो गए

इन सभी चित्रों को देखकर मे इतना तो समझ गया था कि ये जंगल भी प्रकृति का चमत्कार नही है बल्कि किसी मायावी का चमत्कार है इसीलिए उसे ढूँढना और भी मुश्किल था मे अभी उस जंगल के बारे मे सोच रहा था

कि तभी मेरे दिमाग मे वो चित्र पुन्हा आने लगे और जब मैने उन चित्रों को ध्यान से देखा तब समझ आया की ये सिर्फ माया नही बल्कि ये एक चकरव्युव है जो किसी शक्तिशाली जादूगर के द्वारा ही निर्मित किया जा सकता हैं

और उसके मायावी शक्ति ऊर्जा का भी सर्वाधिक मात्रा में उपयोग होता है और अब मुझे केवल उस शक्ति ऊर्जा के प्रवाह को ढूँढना था की वो कहाँ से आ रहा है और ये तरकीब के सूझते ही

मे तुरंत ध्यान में बैठ गया और उस स्थर की मायावी ऊर्जा शक्ति को ढूँढने लगा जिसके लिए मैने अपने पृथ्वी अस्त्र की शक्ति को कार्यरत किया और ध्यान मे बैठने के कुछ ही देर बाद मुझे वो जगह मिल भी गयी


जो की धरती के ही एक ऐसे इलाके मे थी कि जहाँ जंगलों के अलावा कुछ और था भी नही वो पुरा इलाका जंगलों से भरा हुआ था और जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला

तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे

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वहाँ की जमीन हिलने लगी और उस जमीन से एक कालि रोशनी निकलने लगी और जब वो रोशनी हटी तो ये वही मैदान था जो चित्र मे दिखा था

जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी

और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी अभी मे उस मैदान को देख रहा था की तभी वो पत्र फिर से मेरे आँखों के सामने आ गया

संदेश :- ये मैदान देख रहे हो कुमार ये मायावी मैदान है इसके दूसरे तरफ तुम्हे तुम्हारा अगला पत्र मिलेगा और साथ मे ही वो शक्ति भी लेकिन ये मैदान को पर करते वक़्त तुम्हे तुम्हें दो बातों का ख्याल रखना होगा

पहला, जब तुम सफेद खाने के ऊपर से गुजरो, तो तुम्हें अपना वजन हल्का रखना है, वरना तुम उस सफेद खाने के अंदर खींचे जाओगे,

और दूसरा की जब काले खाने के ऊपर से गुजरो, तो अपना वजन बढ़ाकर काले खाने पर से गुजरना वरना ये भी तुम्हें अपने अंदर खिच लेगी

अपने आप को हल्का करने के लिए तुम्हें अपनी इंद्रियों को काबू कर अपने पैरों के सारे वजन को अपने शरीर के उपरी भाग में डालना होगा और वजन बढ़ाने के लिए अपने रक्त प्रवाह को 1000 गुना तक बढ़ाना होगा


जिसमें तुम्हारे शरीर के हर हिस्से में भार पड़े, ये भी तुम अपनी इच्छा शक्ति से ही कर पाओगे अपने दिमाग को पूरी तरह शांत रखना, और हां सबसे महत्वपूर्ण पूर्ण बात, जब तुम उन दोनों खानों को पार कर रहे होंगे तो याद रखना की वो दोनों अपनी जगह बदलेंगे

इतना पड़ने के बाद में तैयार हो गया आगे बढ़ने के लिए और जैसे ही मे उस मैदान के तरफ दौड़ लगाई तो मुझे अपने सामने एक काला खाना दिख रहा था इसीलिए मैने अपने शरीर के भार को बढ़ा दिया

और जैसे ही मैने उसके उपर कदम रखा वैसे ही उस काले खाने ने अपनी जगह बदल दी और इससे पहले की मे समझ पाता उससे पहले ही वहाँ पर सफेद खाना आ गया और मे सीधा उसके अंदर खींचता चला गया

और जब मे उसके अंदर पूरी तरह से समा गया और जब मैने अपने आस पास देखा तो मे फिर से उसी बक्शे के पास मे था अब मुझे समझ आ गया था कि ये मैदान कैसे काम करता है

अब मे वही पर शांति से खड़ा हो कर उन खानों को जगह बदलते देख रहा था और उनकी ताल को समझने की कोशिश कर रहा था और कुछ ही देर मे मैं उनके जगह बदलने के बारे मे जान गया था


अब मे तैयार था और अब मे अपनी पूरी गति से उस मैदान मे दौड़ते जा रहा था और आवश्यकता अनुसार अपने शरीर के भार को कम ज्यादा करता लेकिन शायद मेरे अंदर के अति आत्मविश्वास आ गया था

इसीलिए अब मेरा ध्यान उन खानो के बदले बक्शे पर था और वो कहावत याद है न सबको *नज़र हटी दुर्घटना घटी* यही मेरे साथ हुआ और मे पहुँच गया शुरवात पर मे अभी फिर से आगे बढ़ने से पहले पूरी तरह से तैयार होना चाहता था

क्योंकि मेरे पास समय सीमित ही था और अगर इसी पड़ाव पर सारा समय निकल गया तो वहा वो महासुरों का आतंक पूरे संसार का विनाश कर देगा इसीलिए मैने अपने दिमाग पूरी तरह से शांत किया

और अपनी शिक्षा के बारे में सोचने लगा और अपनी शिक्षा के बारे में सोचते ही गुरु वानर की सिख मेरे दिमाग मे आने लगी

गुरु वानर :- कुमार मेरी बात को हमेशा याद रखना की मनुष्य या तो दिमाग से सोचता है या फिर हृदय से जिसके कारण हर परिस्थिति मे उसके फैसले लेने की क्षमता अलग अलग होती हैं

या तो वो दिल की सुनता है या दिमाग की कभी कबार वो दोनों के बीच उलझ जाता हैं ऐसा नही है कि इसमें मनुष्य को सफलता नही मिलती सफलता तो मिलती है परंतु उस सफलता की एक सीमा होती है,

जिसे तुम विज्ञान या अपने बुद्धि का जादू कहते हो लेकिन वही अगर तुम मस्तिष्क और हृदय को एक कर के सोचो तो तुम हर एक सीमाओं को तोड़ दोगे और हर विज्ञान या जादू से आगे बढ़ जाओगे

.तुम्हारी सीमा तुम खुद तय करोगे. जिस तरह तुमने आज ध्यान लगाकर अपने इंद्रियों को काबू किया है उसी तरह दिमाग और हृदय को जोड़कर अभ्यास करना परिणाम वो आएगा जो तुमने सोचा भी नहीं होगा

उनकी ये बात याद आते ही मे तुरंत ध्यान लगाने लगा और अपने दिल और दिमाग की सारी सीमाओं को तोड़ कर उन्हे एक कर दिया और जब मेने अपनी आँखे खोली तो मुझे अपने सामने की हर चीज धीमी लगने लगी

जहाँ पहले उन खानों को जगह बदलने के लिए जहाँ पल भर का समय भी बहुत था तो वही पल अब मेरे लिए इतना धीमे हो गया था कि मे चलते हुए उस चुनौती को पर कर दिया था

और उस पार जाते ही मैने अपना ध्यान तोड़ दिया और अगले बक्शे तक पहुँच गया था जिसमे एक पत्र और वो अमृत शक्ति थी और जैसे ही मेने उस शक्ति को छुआ वो तुरंत मेरे अंदर समा गयी और साथ मे ही वो संदेश भी उजागर हो गया

संदेश :- अति उत्तम कुमार आज तुमने उस अस्त्र के तरफ और 2 कदम आगे बढ़ा दिये है साथ मे ही तुमने अमृत शक्ति भी पा ली है जिससे तुम इस संसार के सभी विषों से सामना करने योग्य हो गए हो न सिर्फ सामना करने योग्य बल्कि तुम इस दुनिया के सारे विषों का प्रयोग भी कर पाओगे और उनका असर भी खतम कर पाओगे ये बात गो गया इनाम के बारे मे अब कुछ बात मंज़िल के बारे में भी जान लो तुम्हारे मंजिल तक पहुँचने मे अभी केवल 4 पड़ाव शेष है और तुम्हे तुम्हारे अगले 2 पड़ाव यहाँ मिलेंगे

संदेश मे ये पढ़ते ही वो संदेश गायब हो गया और वहाँ पर कुछ चित्र दिखने लगे जो सभी एक जंगल के थे वो जंगल इस सर्प द्वीप के जंगल से भी ज्यादा घना था

वहाँ के ज्यादातर पेड़ बहुत लंबे और घने थे जिसके कारण वहाँ पर सूरज की रोशनी भी न के बराबर थी जिससे वहाँ पर जो पद पौधे छोटे थे वो ज्यादा जी नही सकते थे


तो वही दूसरे चित्र में मुझे कुछ साफ साफ नही दिख रहा था हर तरफ अंधेरा था जितना दिख रहा था मे उसे ध्यान से देखने का प्रयास कर रहा था की तभी उस अंधेरे मे मुझे 4 आँखे दिखने लगी जो बिल्कुल लाल थी इतनी भयानक आँखे मैने आज से पहले कभी नही देखी थी

(शायद भद्रा ने जब कुमार रूप धारण किया था तब उसे आयना देखना चाहिए था तो वो ऐसा न सोचता)

तो वही अगले चित्र मे मुझे कुछ काले रंग के पेड़ दिखा रहे थे जो टूटे हुए थे ऐसा लग रहा था की मानो उन्हे पहले तोडा गया हो और फिर जलाया गया हो जिसके बाद वो सभी चित्र गायब हो गए

इन सभी चित्रों को देखकर मे इतना तो समझ गया था कि ये जंगल भी प्रकृति का चमत्कार नही है बल्कि किसी मायावी का चमत्कार है इसीलिए उसे ढूँढना और भी मुश्किल था मे अभी उस जंगल के बारे मे सोच रहा था

कि तभी मेरे दिमाग मे वो चित्र पुन्हा आने लगे और जब मैने उन चित्रों को ध्यान से देखा तब समझ आया की ये सिर्फ माया नही बल्कि ये एक चकरव्युव है जो किसी शक्तिशाली जादूगर के द्वारा ही निर्मित किया जा सकता हैं

और उसके मायावी शक्ति ऊर्जा का भी सर्वाधिक मात्रा में उपयोग होता है और अब मुझे केवल उस शक्ति ऊर्जा के प्रवाह को ढूँढना था की वो कहाँ से आ रहा है और ये तरकीब के सूझते ही

मे तुरंत ध्यान में बैठ गया और उस स्थर की मायावी ऊर्जा शक्ति को ढूँढने लगा जिसके लिए मैने अपने पृथ्वी अस्त्र की शक्ति को कार्यरत किया और ध्यान मे बैठने के कुछ ही देर बाद मुझे वो जगह मिल भी गयी


जो की धरती के ही एक ऐसे इलाके मे थी कि जहाँ जंगलों के अलावा कुछ और था भी नही वो पुरा इलाका जंगलों से भरा हुआ था और जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला

तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे

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आज के लिए इतना ही

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dhparikh

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अध्याय उनहत्तर

वहाँ की जमीन हिलने लगी और उस जमीन से एक कालि रोशनी निकलने लगी और जब वो रोशनी हटी तो ये वही मैदान था जो चित्र मे दिखा था

जिसकी जमीन बिल्कुल बुद्धि बल के जैसी थी एक खाना सफेद और एक खाना काले रंग का था और जो सफेद खाने थे वो काले खाने से उपर उठी हुई थी

और सभी खानों के चारों तरफ एक नीली रोशनी निकल रही थी अभी मे उस मैदान को देख रहा था की तभी वो पत्र फिर से मेरे आँखों के सामने आ गया

संदेश :- ये मैदान देख रहे हो कुमार ये मायावी मैदान है इसके दूसरे तरफ तुम्हे तुम्हारा अगला पत्र मिलेगा और साथ मे ही वो शक्ति भी लेकिन ये मैदान को पर करते वक़्त तुम्हे तुम्हें दो बातों का ख्याल रखना होगा

पहला, जब तुम सफेद खाने के ऊपर से गुजरो, तो तुम्हें अपना वजन हल्का रखना है, वरना तुम उस सफेद खाने के अंदर खींचे जाओगे,

और दूसरा की जब काले खाने के ऊपर से गुजरो, तो अपना वजन बढ़ाकर काले खाने पर से गुजरना वरना ये भी तुम्हें अपने अंदर खिच लेगी

अपने आप को हल्का करने के लिए तुम्हें अपनी इंद्रियों को काबू कर अपने पैरों के सारे वजन को अपने शरीर के उपरी भाग में डालना होगा और वजन बढ़ाने के लिए अपने रक्त प्रवाह को 1000 गुना तक बढ़ाना होगा


जिसमें तुम्हारे शरीर के हर हिस्से में भार पड़े, ये भी तुम अपनी इच्छा शक्ति से ही कर पाओगे अपने दिमाग को पूरी तरह शांत रखना, और हां सबसे महत्वपूर्ण पूर्ण बात, जब तुम उन दोनों खानों को पार कर रहे होंगे तो याद रखना की वो दोनों अपनी जगह बदलेंगे

इतना पड़ने के बाद में तैयार हो गया आगे बढ़ने के लिए और जैसे ही मे उस मैदान के तरफ दौड़ लगाई तो मुझे अपने सामने एक काला खाना दिख रहा था इसीलिए मैने अपने शरीर के भार को बढ़ा दिया

और जैसे ही मैने उसके उपर कदम रखा वैसे ही उस काले खाने ने अपनी जगह बदल दी और इससे पहले की मे समझ पाता उससे पहले ही वहाँ पर सफेद खाना आ गया और मे सीधा उसके अंदर खींचता चला गया

और जब मे उसके अंदर पूरी तरह से समा गया और जब मैने अपने आस पास देखा तो मे फिर से उसी बक्शे के पास मे था अब मुझे समझ आ गया था कि ये मैदान कैसे काम करता है

अब मे वही पर शांति से खड़ा हो कर उन खानों को जगह बदलते देख रहा था और उनकी ताल को समझने की कोशिश कर रहा था और कुछ ही देर मे मैं उनके जगह बदलने के बारे मे जान गया था


अब मे तैयार था और अब मे अपनी पूरी गति से उस मैदान मे दौड़ते जा रहा था और आवश्यकता अनुसार अपने शरीर के भार को कम ज्यादा करता लेकिन शायद मेरे अंदर के अति आत्मविश्वास आ गया था

इसीलिए अब मेरा ध्यान उन खानो के बदले बक्शे पर था और वो कहावत याद है न सबको *नज़र हटी दुर्घटना घटी* यही मेरे साथ हुआ और मे पहुँच गया शुरवात पर मे अभी फिर से आगे बढ़ने से पहले पूरी तरह से तैयार होना चाहता था

क्योंकि मेरे पास समय सीमित ही था और अगर इसी पड़ाव पर सारा समय निकल गया तो वहा वो महासुरों का आतंक पूरे संसार का विनाश कर देगा इसीलिए मैने अपने दिमाग पूरी तरह से शांत किया

और अपनी शिक्षा के बारे में सोचने लगा और अपनी शिक्षा के बारे में सोचते ही गुरु वानर की सिख मेरे दिमाग मे आने लगी

गुरु वानर :- कुमार मेरी बात को हमेशा याद रखना की मनुष्य या तो दिमाग से सोचता है या फिर हृदय से जिसके कारण हर परिस्थिति मे उसके फैसले लेने की क्षमता अलग अलग होती हैं

या तो वो दिल की सुनता है या दिमाग की कभी कबार वो दोनों के बीच उलझ जाता हैं ऐसा नही है कि इसमें मनुष्य को सफलता नही मिलती सफलता तो मिलती है परंतु उस सफलता की एक सीमा होती है,

जिसे तुम विज्ञान या अपने बुद्धि का जादू कहते हो लेकिन वही अगर तुम मस्तिष्क और हृदय को एक कर के सोचो तो तुम हर एक सीमाओं को तोड़ दोगे और हर विज्ञान या जादू से आगे बढ़ जाओगे

.तुम्हारी सीमा तुम खुद तय करोगे. जिस तरह तुमने आज ध्यान लगाकर अपने इंद्रियों को काबू किया है उसी तरह दिमाग और हृदय को जोड़कर अभ्यास करना परिणाम वो आएगा जो तुमने सोचा भी नहीं होगा

उनकी ये बात याद आते ही मे तुरंत ध्यान लगाने लगा और अपने दिल और दिमाग की सारी सीमाओं को तोड़ कर उन्हे एक कर दिया और जब मेने अपनी आँखे खोली तो मुझे अपने सामने की हर चीज धीमी लगने लगी

जहाँ पहले उन खानों को जगह बदलने के लिए जहाँ पल भर का समय भी बहुत था तो वही पल अब मेरे लिए इतना धीमे हो गया था कि मे चलते हुए उस चुनौती को पर कर दिया था

और उस पार जाते ही मैने अपना ध्यान तोड़ दिया और अगले बक्शे तक पहुँच गया था जिसमे एक पत्र और वो अमृत शक्ति थी और जैसे ही मेने उस शक्ति को छुआ वो तुरंत मेरे अंदर समा गयी और साथ मे ही वो संदेश भी उजागर हो गया

संदेश :- अति उत्तम कुमार आज तुमने उस अस्त्र के तरफ और 2 कदम आगे बढ़ा दिये है साथ मे ही तुमने अमृत शक्ति भी पा ली है जिससे तुम इस संसार के सभी विषों से सामना करने योग्य हो गए हो न सिर्फ सामना करने योग्य बल्कि तुम इस दुनिया के सारे विषों का प्रयोग भी कर पाओगे और उनका असर भी खतम कर पाओगे ये बात गो गया इनाम के बारे मे अब कुछ बात मंज़िल के बारे में भी जान लो तुम्हारे मंजिल तक पहुँचने मे अभी केवल 4 पड़ाव शेष है और तुम्हे तुम्हारे अगले 2 पड़ाव यहाँ मिलेंगे

संदेश मे ये पढ़ते ही वो संदेश गायब हो गया और वहाँ पर कुछ चित्र दिखने लगे जो सभी एक जंगल के थे वो जंगल इस सर्प द्वीप के जंगल से भी ज्यादा घना था

वहाँ के ज्यादातर पेड़ बहुत लंबे और घने थे जिसके कारण वहाँ पर सूरज की रोशनी भी न के बराबर थी जिससे वहाँ पर जो पद पौधे छोटे थे वो ज्यादा जी नही सकते थे


तो वही दूसरे चित्र में मुझे कुछ साफ साफ नही दिख रहा था हर तरफ अंधेरा था जितना दिख रहा था मे उसे ध्यान से देखने का प्रयास कर रहा था की तभी उस अंधेरे मे मुझे 4 आँखे दिखने लगी जो बिल्कुल लाल थी इतनी भयानक आँखे मैने आज से पहले कभी नही देखी थी

(शायद भद्रा ने जब कुमार रूप धारण किया था तब उसे आयना देखना चाहिए था तो वो ऐसा न सोचता)

तो वही अगले चित्र मे मुझे कुछ काले रंग के पेड़ दिखा रहे थे जो टूटे हुए थे ऐसा लग रहा था की मानो उन्हे पहले तोडा गया हो और फिर जलाया गया हो जिसके बाद वो सभी चित्र गायब हो गए

इन सभी चित्रों को देखकर मे इतना तो समझ गया था कि ये जंगल भी प्रकृति का चमत्कार नही है बल्कि किसी मायावी का चमत्कार है इसीलिए उसे ढूँढना और भी मुश्किल था मे अभी उस जंगल के बारे मे सोच रहा था

कि तभी मेरे दिमाग मे वो चित्र पुन्हा आने लगे और जब मैने उन चित्रों को ध्यान से देखा तब समझ आया की ये सिर्फ माया नही बल्कि ये एक चकरव्युव है जो किसी शक्तिशाली जादूगर के द्वारा ही निर्मित किया जा सकता हैं

और उसके मायावी शक्ति ऊर्जा का भी सर्वाधिक मात्रा में उपयोग होता है और अब मुझे केवल उस शक्ति ऊर्जा के प्रवाह को ढूँढना था की वो कहाँ से आ रहा है और ये तरकीब के सूझते ही

मे तुरंत ध्यान में बैठ गया और उस स्थर की मायावी ऊर्जा शक्ति को ढूँढने लगा जिसके लिए मैने अपने पृथ्वी अस्त्र की शक्ति को कार्यरत किया और ध्यान मे बैठने के कुछ ही देर बाद मुझे वो जगह मिल भी गयी


जो की धरती के ही एक ऐसे इलाके मे थी कि जहाँ जंगलों के अलावा कुछ और था भी नही वो पुरा इलाका जंगलों से भरा हुआ था और जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला

तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे

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आज के लिए इतना ही

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VAJRADHIKARI

Hello dosto
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अध्याय सत्तर

जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था

क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे मे जैसे ही उस जंगल के पास पहुंचा

तो वहाँ पहुँचते ही मुझे उस मायावी चक्रव्युव की ऊर्जा महसूस होने लगी जिसके महसूस होते ही मैने तुरंत अपने इंद्रियों को और एकोलोकेशन को जागृत करने का प्रयास किया

लेकिन मे उसमे असमर्थ था पता नही किसने इस चक्रव्युव का निर्माण किया है मे अपनी शाक्तियों का इस्तेमाल नही कर पा रहा था

जब भी मे उन्हे इस्तेमाल करने का प्रयास करता मेरे शरीर मे एक सनसनी सी दौड़ जाती मे अभी फिर से एक बार मे अपनी शक्तियों को जागृत करने का प्रयास करता की

तभी मेरे दिमाग मे सप्तऋषियों ने जो परीक्षा ली थी उसके दृश्य दिखाई देने लगे जहाँ मे बार बार अपने निष्क्रिय हुए अस्त्रों को जगृत करने का प्रयास करता और विफल होता वो याद मे आते ही

मैने प्रयास करना रोक दिया और जो शक्ति मेरे पास अभी जगृत अवस्था मे थी उसका इस्तेमाल करने लगा यानी मेरा आत्मविश्वास, खुद पर भरोसा, मेरी हिम्मत और सबसे ज्यादा मेरी बुद्धि

अब यही 4 शक्तियां थी जो इस परिस्थिति मे भी मेरे साथ थी और इन्ही के भरोसे मैने अपने कदम जंगल के तरफ बढ़ा दिये

जिसके बाद मे जैसे ही जंगल रूपी उस चक्रव्युव के भीतर प्रवेश किया वैसे ही मेरे कानों मे बहुत ही भयानक और कर्कश आवाज आने लगी

आवाज:- भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो क्या तुम्हे अपनी जिंदगी पसंद नहीं है भाग जाओ यहाँ से

ऐसे ही अजीबोगरीब आवाजे मेरे कानों मे गूंजने लगी थी जो उसी जंगल की किसी कोने से आ रही थी लेकिन उस जंगल मे आवाज किस दिशा से आ रही हैं

ये पता लगाना न मुमकिन है इसी लिए मे उस आवाज को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ते जा रहा था और जब मे उस आवाज पर ध्यान देना बंद कर दिया तो मुझे ऐसे लगने लगा की मानो कोई मेरा पीछा कर रहा है

लेकिन जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा कोई भी नहीं था जिस कारण मे उसे अपने मन का वहम मानकर आगे बढ़ने लगा लेकिन फिर से मुझे वैसा ही एहसास होने लगा और इससे पहले की पीछे मुड़ता वो गायब हो जाता

जिसके बाद मे आगे बढ़ने लगा तो फिर से मुझे वो आवाजे आने लगी लेकिन अब ये आवाज मेरे नज़दिक से आ रही थी जिससे अब मुझे धीरे धीरे डर लगने लगा था

और उपर से मुझे अब मेरे पीछे से कदमों की आवाजे भी सुनाई देने लगी थी और इससे पहले की मे पीछे मुड़ता वो आवाजे बंद हो जाती और पीछे मुझे कोई दिखाई नही देता

और जब मे आगे बढ़ता तभी वो कदमों की आवाज मुझे वापस सुनाई देती और वो हर पल और नज़दिक बढ़ते जाती और इस बार जब मे पीछे मुड़के देखने की कोशिश करता की

तभी मेरा संतुलन बिगड़ गया और मे नीचे जमीन पर गिर गया फिर मे खड़ा हुआ और फिर एक बार आगे की तरफ बढ़ने लगा की तभी मुझे फिर से वही चेतावनी से भरी वो कर्कश आवाज सुनाई देती और पीछे से कदमों की आवाज आती

लेकिन मे सबको दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा जिससे वो आवाजे मेरे और करीब से आने लगती लेकिन मे उन सभी आवाजों को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा मे जितना आगे बढ़ता उतने ही पास से आवाज आती

लेकिन मे सब भूल कर आगे चलता रहा और ऐसे ही कुछ देर आगे चलता रहा जिससे अब वो आवाज मेरे इतने नजदीक आ गयी थी कि मे उस आवाज से वतावरण मे होने वाली कंपन भी महसूस कर पा रहा था

लेकिन फिर भी मैने ध्यान नही दिया तो वो और जोर से मुझे धमकाने लगा

आवाज:- भाग जाओ बालक भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो और अपनी मा को नीपुति:..

अभी मे कुछ बोलता की तभी मेरे चेहरे पर एक रहस्यमयी शैतानी मुस्कान आ गयी थी जिसे देखकर उस आवाज के शब्द बीच मे ही रूक गए और इसी वक्त का इंतज़ार में कर रहा था

और उसके शब्द रुकते ही मे तुरंत आवाज की दिशा मे मुड़ गया और मेरे मुड़ते ही वहा पर एक जोरदार चीख गूंज उठी वो चीख किसी और की नही

बल्कि उसी शक्स की थी जो अब तक अंधेरे मे कायर की तरह छुप कर अपनी कर्कश आवाज मे मुझे धमका रहा था हुआ यू की जब मे आगे बढ़ रहा था और ये नमुना मुझे धमका रहा था कि

तभी मुझे एहसास हो गया था कि यहाँ कोई है लेकिन जब धमकाने के साथ कदमों की आवाज भी आने लगी थी तब मे समझ नही पा रहा था

की ये सच्ची मे यहाँ कोई है या केवल ये मेरा वहम है और इसीलिए मैने जमीन पर गिरने का नाटक किया और गिरने के बहाने मैने वहाँ पर पड़ा हुआ एक नुकीला पत्थर उठा लिया

और जैसे ही मुझे उसकी ध्वनि से होने वाली कंपन महसूस होने लगी तभी मैने ऐसी गंभीर हालत में मुस्कुराने लगा और ये देखकर वो दंग हो गया और उसके बोल बीच मे ही रुक गए और बस यही वो समय था जब मे जान गया था

कि ये सब माया नही सच था और ये साबित होते ही मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था

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आज के लिए इतना ही

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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जैसे ही मुझे उस जगह का पता चला तो मे बिना समय गंवाये सीधा उड़ते हुए पूरी तेजी से वहाँ चल पड़ा अब मुझे जो भी करना था वो और भी तेजी से करना था

क्योंकि आश्रम से निकलने के बाद से आज का ये सांतवा दिन था मतलब अब मेरे पास केवल 7 दिन और बचे हुए थे मे जैसे ही उस जंगल के पास पहुंचा


तो वहाँ पहुँचते ही मुझे उस मायावी चक्रव्युव की ऊर्जा महसूस होने लगी जिसके महसूस होते ही मैने तुरंत अपने इंद्रियों को और एकोलोकेशन को जागृत करने का प्रयास किया

लेकिन मे उसमे असमर्थ था पता नही किसने इस चक्रव्युव का निर्माण किया है मे अपनी शाक्तियों का इस्तेमाल नही कर पा रहा था

जब भी मे उन्हे इस्तेमाल करने का प्रयास करता मेरे शरीर मे एक सनसनी सी दौड़ जाती मे अभी फिर से एक बार मे अपनी शक्तियों को जागृत करने का प्रयास करता की


तभी मेरे दिमाग मे सप्तऋषियों ने जो परीक्षा ली थी उसके दृश्य दिखाई देने लगे जहाँ मे बार बार अपने निष्क्रिय हुए अस्त्रों को जगृत करने का प्रयास करता और विफल होता वो याद मे आते ही

मैने प्रयास करना रोक दिया और जो शक्ति मेरे पास अभी जगृत अवस्था मे थी उसका इस्तेमाल करने लगा यानी मेरा आत्मविश्वास, खुद पर भरोसा, मेरी हिम्मत और सबसे ज्यादा मेरी बुद्धि

अब यही 4 शक्तियां थी जो इस परिस्थिति मे भी मेरे साथ थी और इन्ही के भरोसे मैने अपने कदम जंगल के तरफ बढ़ा दिये

जिसके बाद मे जैसे ही जंगल रूपी उस चक्रव्युव के भीतर प्रवेश किया वैसे ही मेरे कानों मे बहुत ही भयानक और कर्कश आवाज आने लगी

आवाज:- भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो क्या तुम्हे अपनी जिंदगी पसंद नहीं है भाग जाओ यहाँ से

ऐसे ही अजीबोगरीब आवाजे मेरे कानों मे गूंजने लगी थी जो उसी जंगल की किसी कोने से आ रही थी लेकिन उस जंगल मे आवाज किस दिशा से आ रही हैं

ये पता लगाना न मुमकिन है इसी लिए मे उस आवाज को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ते जा रहा था और जब मे उस आवाज पर ध्यान देना बंद कर दिया तो मुझे ऐसे लगने लगा की मानो कोई मेरा पीछा कर रहा है


लेकिन जब मैने पीछे मुड़ कर देखा तो वहा कोई भी नहीं था जिस कारण मे उसे अपने मन का वहम मानकर आगे बढ़ने लगा लेकिन फिर से मुझे वैसा ही एहसास होने लगा और इससे पहले की पीछे मुड़ता वो गायब हो जाता

जिसके बाद मे आगे बढ़ने लगा तो फिर से मुझे वो आवाजे आने लगी लेकिन अब ये आवाज मेरे नज़दिक से आ रही थी जिससे अब मुझे धीरे धीरे डर लगने लगा था

और उपर से मुझे अब मेरे पीछे से कदमों की आवाजे भी सुनाई देने लगी थी और इससे पहले की मे पीछे मुड़ता वो आवाजे बंद हो जाती और पीछे मुझे कोई दिखाई नही देता


और जब मे आगे बढ़ता तभी वो कदमों की आवाज मुझे वापस सुनाई देती और वो हर पल और नज़दिक बढ़ते जाती और इस बार जब मे पीछे मुड़के देखने की कोशिश करता की

तभी मेरा संतुलन बिगड़ गया और मे नीचे जमीन पर गिर गया फिर मे खड़ा हुआ और फिर एक बार आगे की तरफ बढ़ने लगा की तभी मुझे फिर से वही चेतावनी से भरी वो कर्कश आवाज सुनाई देती और पीछे से कदमों की आवाज आती

लेकिन मे सबको दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा जिससे वो आवाजे मेरे और करीब से आने लगती लेकिन मे उन सभी आवाजों को दुर्लक्ष करते हुए आगे बढ़ने लगा मे जितना आगे बढ़ता उतने ही पास से आवाज आती


लेकिन मे सब भूल कर आगे चलता रहा और ऐसे ही कुछ देर आगे चलता रहा जिससे अब वो आवाज मेरे इतने नजदीक आ गयी थी कि मे उस आवाज से वतावरण मे होने वाली कंपन भी महसूस कर पा रहा था

लेकिन फिर भी मैने ध्यान नही दिया तो वो और जोर से मुझे धमकाने लगा

आवाज:- भाग जाओ बालक भाग जाओ यहाँ से अभी भी समय है क्यों खुदको उस नरभक्षी का भोजन बनाना चाहते हो और अपनी मा को नीपुति:..

अभी मे कुछ बोलता की तभी मेरे चेहरे पर एक रहस्यमयी शैतानी मुस्कान आ गयी थी जिसे देखकर उस आवाज के शब्द बीच मे ही रूक गए और इसी वक्त का इंतज़ार में कर रहा था

और उसके शब्द रुकते ही मे तुरंत आवाज की दिशा मे मुड़ गया और मेरे मुड़ते ही वहा पर एक जोरदार चीख गूंज उठी वो चीख किसी और की नही

बल्कि उसी शक्स की थी जो अब तक अंधेरे मे कायर की तरह छुप कर अपनी कर्कश आवाज मे मुझे धमका रहा था हुआ यू की जब मे आगे बढ़ रहा था और ये नमुना मुझे धमका रहा था कि


तभी मुझे एहसास हो गया था कि यहाँ कोई है लेकिन जब धमकाने के साथ कदमों की आवाज भी आने लगी थी तब मे समझ नही पा रहा था

की ये सच्ची मे यहाँ कोई है या केवल ये मेरा वहम है और इसीलिए मैने जमीन पर गिरने का नाटक किया और गिरने के बहाने मैने वहाँ पर पड़ा हुआ एक नुकीला पत्थर उठा लिया

और जैसे ही मुझे उसकी ध्वनि से होने वाली कंपन महसूस होने लगी तभी मैने ऐसी गंभीर हालत में मुस्कुराने लगा और ये देखकर वो दंग हो गया और उसके बोल बीच मे ही रुक गए और बस यही वो समय था जब मे जान गया था


कि ये सब माया नही सच था और ये साबित होते ही मेने पूरी तेजी से उस पत्थर को उस शक्स के सीने मे घुसा दिया और दूसरे हाथ से उसका गला पकड़ लिया जिससे अब वो पूरी तरह से मेरे कब्ज़े मे था

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आज के लिए इतना ही

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Bohot hi umda story or shandar update vajradhikari bhaiya 💥👌🏻👌🏻👌🏻
Lekin update bohot chhota tha bhai👍
Khair pratikhsha ragegi agley update ki.🔥🔥🔥🔥🔥💥💥💥💥💥💥💥💥
 
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