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Surprise updateअध्याय उन्नीस
अभी उस गोदाम में मेंने उन सभी असुरों को हराकर जादू से बाँध दिया था और अब मेरे सामने केवल एक ही चुनौती थी और वो थी सिंहासन जो कि हवा में उड़ रहा था और अब मे उसके नजदीक पहुंच कर एक छलांग लगाई
लेकिन जितनी ऊंची मे छलांग लगाई थी वो सिंहासन उतना ही अधिक उपर चला जाता था ऐसे ही कुछ देर मे छलांग मारता रहा लेकिन हर बार एक ही नतीज़ा आता था फिर मेंने उस सिंहासन तक जाने का विचार को त्याग कर उसे मेरे तरफ खीचने की तरकीब ढूँढने लगा
और फिर कुछ देर सोचने के बाद मेंने अपने जादू से उस सिंहासन को अपनी तरफ खीचने का प्रयास किया लेकिन मे जितनी ज्यादा शक्ति से उस सिंघासन को अपने तरफ खीचने का प्रयास करता तो उस सिंघासन से और अधिक ज्यादा शक्तिशाली शक्ति मेरे उस वार को नाकाम कर देती
और मुझे दूर ढकेल देती और ये देख कर वो असुर हंस रहे थे और उनकी हंसी किसी तीर की तरह मेरे कानो मे चुभ रही थी और जब वो हसी को सहन करना मेरे बस के बाहर हो गया तो मेंने अपनी तलवार को लेकर सीधा उन असुरों के गले पर रख दी
मे :- (गुस्से में) हँसना बंद करो नहीं तो सब अपनी जान से जाओगे
असुर 1 :- तुम चाहे कुछ भी कर लो लेकिन उस सिंघासन पर नहीं बैठ पाओगे उस पर केवल वही बैठ सकता है जो कि उस सिंहासन के लायक हो एक असली राजा असली सम्राट ही उस सिंघासन पर बैठ सकता है
उसकी बात सुनकर मे फिर से उस सिंघासन के पास आ गया और उधर बैठ कर ध्यान लगाने लगा और सबसे पहले मेंने अपने दिमाग को शांत किया और फिर जब मेरा दिमाग शांत हुआ तो मे इस सिंहासन पर बैठने के बारे में सोचने लगा
कि तभी उस असुर की बात मेरे दिमाग में घूमने लगी " एक असली राजा असली सम्राट ही उस सिंघासन पर बैठ सकता है " और ये विचार आते ही मेरे दिमाग में एक असली राजा क्या गुण होने चाहिए उनके बारे में सोचने लगा कि तभी मुझे मेरे गलती का एहसास हुआ
क्यूँकी जितना मेंने महागुरु से सीखा था उसके हिसाब से एक सच्चा राजा वही होता है जो सिंघासन के प्रति उसकी जिम्मेदारी के प्रति खुदको समर्पित कर दे ना कि बल या छल से उसे पाने की कोशिश करे और ये बात मेरे दिमाग में आते ही
मेंने ये तरीका भी इस्तेमाल करने का सोचा क्यूंकि अब तक मे इतना तो समझ ही गया था कि जब तक मे ये चुनौती पार नहीं कर लेता तब तक मे इस सपने से निकल नहीं सकता तो बस फिर क्या मे अपना ध्यान तोड़ कर खड़ा हो गया और फिर तन और मन से खुदको उस सिंघासन के प्रति समर्पित करने लगा
और मेरे ऐसा करते ही मेरे आखें बंद होने लगी और फिर मुझे लगने लगा कि मे हवा में उड़ रहा हूँ और जब मेने आखें खोल कर देखा तो मे सच्ची मे हवा में उड़ रहा था और फिर मे वैसे ही उड़ते हुए उस सिंहासन पर बैठ गया
और जैसे ही मे उस पर बैठा तो मुझे ऐसे लगने लगा कि मेरे शरीर में में झटके लग रहे हैं और जब ये झटके खत्म हुए तो ऐसा लगने लगा कि जैसे कि उस सिंहासन से कुछ अजीबोगरीब ऊर्जा मेरे शरीर में में समा रही है मे अभीं इन सब बातों मे उलझा हुआ था कि तभी
मेरे कानों में एक आवाज़ गूंजने लगी लेकिन वो आवाज अजीब थी जैसे कोई दर्द से तड़प रहा हो और वो उस दर्द से छुटकारा पाने के लिए किसी को बुला रहा हो जिसका नाम कुमार है और जो आवाज मुझे सुनाई दे रही है वो किसी एक की नहीं बल्कि कम से कम सौ लोगों की आवाज है
मे इनमें उलझा हुआ था कि तभी मुझे मेरे आखों के सामने वही पांचो असुर दिखाई दिए जिनको अभी मेंने हराया था लेकिन वो मेरी क़ैद से आजाद हो गए थे और इससे पहले मे कुछ बोलता फिर से वो पहले वाला असुर मेरे सामने आया
असुर 1 :- मे जानता हूं कि आप क्या सोच रहे हैं लेकिन यकीन मानिये की हम आपके साथ हैं और अभी जो भी हुआ वो केवल एक चुनौती थी जिससे आप अपनी शक्तियों के बारे में जान पाए तो शायद अब आपको अपने अस्तित्व अपने घर के बारे में सब याद आ गया है तो अब आप हमे माफ़ करेंगे और हमारी मदद करेंगे हम सबको उन दुष्टों के चंगुल से निकाल कर
असुर ये सब मुझसे बोल तो रहा था लेकिन मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था वो किसके बारे में बात कर रहा है क्या बात कर रहा है कुछ भी नहीं
में :- क्या बोल रहे हो तुम मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है क्या ये तुम असुरों की कोई चाल है मुझे सच बताओ की तुम उस दिन सम्भोग शक्ति प्रक्रिया से तुम असुरों का क्या मकसद था
असुर :- आपको अभी तक कुछ याद नहीं आया ये बहुत अजीब है उस दिन जब आपने उन असुरों को रोकने के लिए हमारे शक्तियों को अपने अंदर समाया तब हम पांचों को पता चला कि आप कोण है आप हो
अभी वो बात ही कर रहा था कि तभी उन पांचो के शरीर जलने लगे जिसे देखकर मे दंग रह गया था
असुर 1 :- ये सही नहीं हुआ हमे जाना होगा नहीं तो बहुत बुरा होगा आप को अपने अस्तित्व के बारे में जानना होगा नहीं तो सब मारे जाएंगे
इतना बोलकर वो पांचो गायब हो गए और मेरे भी नींद टूट गई और जब मेरी नींद खुली तो देखा अभी तक सुबह नहीं हुई थी ऐसा लग रहा था कि समय रुक गया था लेकिन अभी मे इन सब के बारे में सोच पाता कि
उससे पहले ही मेरा सिर बहुत दर्द करने लगा ऐसा लग रहा था कि जैसे मेरे दिमाग में कोई युद्ध चल रहा है जैसे कुछ है जो मेरे दिमाग पर काबु करना चाह रहा है लेकिन कोई चीज है जो उसे ये सब करने से रोक रही है लेकिन इस सबके बीच मेरी हालत खराब हो रही थी मेरा सिर फटे जा रहा था और जब ये दर्द मेरे सहन शक्ति से ज्यादा ही बढ़ने लगा
तब मेरी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा और कब मे सो गया मुझे पता भी नहीं चला या ऐसा भी कह सकते हो कि मे वही प्रिया के पास बैठे हुए बेहोश हो गया
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आज के लिए इतना ही
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Bhai bohot badhiya update tha maza aagaya. Dekhte hai aage kya hoga....अध्याय बीसवा
जब सुबह प्रिया की नींद खुली तो उसने मुझे अपने पैरों के पास सोते हुए देखा जिसे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई फिर वो धीरे से मेरे तरफ झुकी और उसने अपने हाथ से मेरा सर सहलाने लगी और अभी वो मेरा सर सहला रही थी कि तभी वहां शांति भी आ गई और ये दृश्य देखकर उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई तो वही शांति को वहाँ देख कर प्रिया थोड़ा असहज हो गई जो शांति ने भी देख और समझ लिया था जब से मेंने प्रिया को मेरे और शांति के बारे में बताया तभी से वो शांति से आंखे चुरा रही थी जो शांति भी अच्छे से महसूस कर पा रही थी इसीलिए वो धीरे-धीरे चलते हुए प्रिया के पास पहुची और
शांति :- तो भद्रा ने तुम्हें हमारे बारे में बता दिया है ना
प्रिया :- हाँ सब बता दिया मुझे लेकिन आपको अजीब नहीं लगा कि आप अपने बेटे के उम्र वाले लड़के को जिसे बचपन मे आपने अपनी गोद मे खिलाया था उसी के साथ (इतना बोलकर वो रुक गयी)
शांति :- हाँ अजीब तो लगा और मेंने खुद को रोकने की कोशिश भी की लेकिन तुम खुदको मेरे जगह पर रख कर देखो तो तुम्हें मेरे हालत के बारे में समझ आएगा
प्रिया :- मे आपकी हालत समझ सकती हूँ और शायद मे ही ज्यादा ध्यान दे रही थी मुझे आपके और भद्रा संबंधों से कोई दिक्कत नहीं है बस मुझे मेरे हिस्से का प्यार मिलना चाहिए
शांति :- तुम चिंता मत करो समाज और सबके नजर में तुम ही भद्रा की पत्नी बनोगी मे केवल भद्रा के प्यार में खुश हूँ लेकिन हम दोनों को भी इस बात का खयाल रखना है कि हमारे वजह से भद्रा को कोई परेशानी न हो हमे उसकी ताकत बनना है ना कि कमजोरी
प्रिया :- जी मे समझ गयी
अभी वो दोनों बात ही कर रहे थे कि मेरी नींद भी खुल गई और फिर मे कुछ देर शांति और प्रिया से बात करके में फ्रेश होने चला गया
तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में इस वक़्त दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर दोनों भी अपने क़ैद खाने मे चिंता मे बैठे हुए थे कि तभी उनके बगल के कमरे से अचानक एक चीख की आवाज सुनाई दी जिसे सुनकर दोनों अपने उस कैद खाने के तरफ बढ़े
त्रिलोकेश्वर :- क्या हुआ मित्र सब ठीक तो है ना
त्रिलोकेश्वर की आवाज सुनकर उस कैदखाने से भी एक बहुत ही भयानक और दर्दभरी आवाज आने लगी लेकिन उसमे कुछ अलग था उस आवाज में दर्द के साथ ही खुशी भी झलक रही थी
आवाज :- हाँ सब कुछ ठीक हैं तुम्हारे पुत्र ने मेरे पांचो अंश को हरा दिया है और उनके जीव मनी को भी नष्ट कर दिया है इसका मतलब समझ रहे हो ना तुम वो जहां भी है वहाँ उसे असुरों से निपटने और हराने की शिक्षा दी जाती है लेकिन
जी बिलकुल सही समझे ये वही असुर है जिसे मेंने उस गोदाम में हराया था वहाँ उसने अपने पाँच अंश भेजे थे मेरे परीक्षा के लिए तो वही जब दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ने अपने पुत्र के शक्ति और ग्यान के बारे में सुना तो उन दोनों को उस पर गर्व हुआ और उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई तो वही जब उन्होंने उस असुर के मुह से "लेकिन" सुना तो उनके चेहरे पर फिर से चिंता के भाव आ गए थे
दमयन्ती :- लेकिन क्या जल्दी बताओ मेरा बेटा ठीक तो है ना
असुर :- हाँ साम्राज्ञी कुमार बिल्कुल ठीक है लेकिन मेरे पांचो अंशों के जीव मनी को अपने अंदर समाने के बाद भी मेरे शक्तिशाली सिंघासन पर बैठने के बाद भी उसे अपने अस्तित्व की झलक तक नहीं दिखी उसे कुछ भी याद नहीं आया
दमयन्ती :- ऐसा कैसे हो सकता है इतनी बड़ी तामसिक शक्ति को अपने अंदर समाने के बाद भी उसके अंदर का राक्षस उसका ब्रह्माराक्षस का रूप बाहर क्यूँ नहीं आया
असुर :- यही तो मुझे समझ नहीं आ रहा है
त्रिलोकेश्वर :- क्यु नहीं हो सकता बिल्कुल हो सकता है अगर उसके पास उस तामसिक शक्ति से भी ज्यादा शक्तिशाली सात्विक शक्ति हो जिसने तुम्हारे शक्तियों के असर रोक दिया हो
असुर :- ऐसी कौनसी शक्ति है किसी देवता की शक्ति तक मेरे शक्तियों को नहीं रोक सकती
त्रिलोकेश्वर :- बिल्कुल लेकिन सप्त अस्त्रों की शक्ति तो रोक सकती है ना
असुर :- मतलब तुम कहना चाहते हो कि तुम्हारा पुत्र अस्त्र धारक हैं
त्रिलोकेश्वर :- क्या पता समय के गर्भ में क्या छुपा हो
जहां त्रिलोकेश्वर की बात सुनकर वो खुद और असुर दोनों गहरी सोच मे डूब चुके थे तो वही दमयन्ती ये बात जानकर जोरों से हंसने लगी थी जिसकी हसी सुन कर वो दोनों भी हैरान हो गए
दमयन्ती (हस्ते हुए) :- अब मजा आएगा जब वो असुर अस्त्रों की खोज में अपने काल के पास पहुंचेंगे और तब मेरा पुत्र अपने माता पिता के उपर किए हुए हर एक अत्याचार का बदला लेगा
उसकी बात सुनकर दमयन्ती के साथ त्रिलोकेश्वर और वो असुर भी हसने लगे
तो वही जब फ्रेश हो कर प्रिया के रूम में आया तो वहां सभी लोग मौजूद थे वहाँ प्रिया के माता पिता के साथ ही केशव और रवि और साथ ही शांति गुरु नंदी (शैलेश सिंघानिया) और साथ ही मे गुरु सिँह (दिग्विजय सिंघ) भी मौजूद थे
में :- (शांति से) प्रिया को घर कब ले जा सकते हैं
शांति :- वो अब बिल्कुल ठीक है उसे अभी घर ले जा सकते हो
शांति की बात सुनकर सभी ख़ुश हो गए तो वही रवि को मस्ती सूझ रही थी
रवि :- (केशव से) भाई केशव हम प्रिया को घर तो ले कर जाएंगे लेकिन किसके घर उसके माता पिता के या भद्रा के
उसकी बात सुनकर प्रिया शर्माने लगी जिसे देखकर सब हंसने लगे तो वही गुरु सिँह कुछ चिंता मे थे
में :- क्या हुआ गुरु सिँह आप चिंता मे लग रहे हो
गुरु नंदी :- हाँ दिग्विजय तुमने भी जब मुझे फोन किया तो बहुत चिंता मे लग रहे थे
गुरु सिँह :- बात ही ऐसी है लेकिन यहा नहीं शांति तुम्हारे कैबिन मे चलों
उसके बाद हम चारों शांति के कैबिन मे चले गए
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आज के लिए इतना ही
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Nice updateअध्याय बीसवा
जब सुबह प्रिया की नींद खुली तो उसने मुझे अपने पैरों के पास सोते हुए देखा जिसे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई फिर वो धीरे से मेरे तरफ झुकी और उसने अपने हाथ से मेरा सर सहलाने लगी और अभी वो मेरा सर सहला रही थी कि तभी वहां शांति भी आ गई और ये दृश्य देखकर उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई तो वही शांति को वहाँ देख कर प्रिया थोड़ा असहज हो गई जो शांति ने भी देख और समझ लिया था जब से मेंने प्रिया को मेरे और शांति के बारे में बताया तभी से वो शांति से आंखे चुरा रही थी जो शांति भी अच्छे से महसूस कर पा रही थी इसीलिए वो धीरे-धीरे चलते हुए प्रिया के पास पहुची और
शांति :- तो भद्रा ने तुम्हें हमारे बारे में बता दिया है ना
प्रिया :- हाँ सब बता दिया मुझे लेकिन आपको अजीब नहीं लगा कि आप अपने बेटे के उम्र वाले लड़के को जिसे बचपन मे आपने अपनी गोद मे खिलाया था उसी के साथ (इतना बोलकर वो रुक गयी)
शांति :- हाँ अजीब तो लगा और मेंने खुद को रोकने की कोशिश भी की लेकिन तुम खुदको मेरे जगह पर रख कर देखो तो तुम्हें मेरे हालत के बारे में समझ आएगा
प्रिया :- मे आपकी हालत समझ सकती हूँ और शायद मे ही ज्यादा ध्यान दे रही थी मुझे आपके और भद्रा संबंधों से कोई दिक्कत नहीं है बस मुझे मेरे हिस्से का प्यार मिलना चाहिए
शांति :- तुम चिंता मत करो समाज और सबके नजर में तुम ही भद्रा की पत्नी बनोगी मे केवल भद्रा के प्यार में खुश हूँ लेकिन हम दोनों को भी इस बात का खयाल रखना है कि हमारे वजह से भद्रा को कोई परेशानी न हो हमे उसकी ताकत बनना है ना कि कमजोरी
प्रिया :- जी मे समझ गयी
अभी वो दोनों बात ही कर रहे थे कि मेरी नींद भी खुल गई और फिर मे कुछ देर शांति और प्रिया से बात करके में फ्रेश होने चला गया
तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में इस वक़्त दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर दोनों भी अपने क़ैद खाने मे चिंता मे बैठे हुए थे कि तभी उनके बगल के कमरे से अचानक एक चीख की आवाज सुनाई दी जिसे सुनकर दोनों अपने उस कैद खाने के तरफ बढ़े
त्रिलोकेश्वर :- क्या हुआ मित्र सब ठीक तो है ना
त्रिलोकेश्वर की आवाज सुनकर उस कैदखाने से भी एक बहुत ही भयानक और दर्दभरी आवाज आने लगी लेकिन उसमे कुछ अलग था उस आवाज में दर्द के साथ ही खुशी भी झलक रही थी
आवाज :- हाँ सब कुछ ठीक हैं तुम्हारे पुत्र ने मेरे पांचो अंश को हरा दिया है और उनके जीव मनी को भी नष्ट कर दिया है इसका मतलब समझ रहे हो ना तुम वो जहां भी है वहाँ उसे असुरों से निपटने और हराने की शिक्षा दी जाती है लेकिन
जी बिलकुल सही समझे ये वही असुर है जिसे मेंने उस गोदाम में हराया था वहाँ उसने अपने पाँच अंश भेजे थे मेरे परीक्षा के लिए तो वही जब दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ने अपने पुत्र के शक्ति और ग्यान के बारे में सुना तो उन दोनों को उस पर गर्व हुआ और उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई तो वही जब उन्होंने उस असुर के मुह से "लेकिन" सुना तो उनके चेहरे पर फिर से चिंता के भाव आ गए थे
दमयन्ती :- लेकिन क्या जल्दी बताओ मेरा बेटा ठीक तो है ना
असुर :- हाँ साम्राज्ञी कुमार बिल्कुल ठीक है लेकिन मेरे पांचो अंशों के जीव मनी को अपने अंदर समाने के बाद भी मेरे शक्तिशाली सिंघासन पर बैठने के बाद भी उसे अपने अस्तित्व की झलक तक नहीं दिखी उसे कुछ भी याद नहीं आया
दमयन्ती :- ऐसा कैसे हो सकता है इतनी बड़ी तामसिक शक्ति को अपने अंदर समाने के बाद भी उसके अंदर का राक्षस उसका ब्रह्माराक्षस का रूप बाहर क्यूँ नहीं आया
असुर :- यही तो मुझे समझ नहीं आ रहा है
त्रिलोकेश्वर :- क्यु नहीं हो सकता बिल्कुल हो सकता है अगर उसके पास उस तामसिक शक्ति से भी ज्यादा शक्तिशाली सात्विक शक्ति हो जिसने तुम्हारे शक्तियों के असर रोक दिया हो
असुर :- ऐसी कौनसी शक्ति है किसी देवता की शक्ति तक मेरे शक्तियों को नहीं रोक सकती
त्रिलोकेश्वर :- बिल्कुल लेकिन सप्त अस्त्रों की शक्ति तो रोक सकती है ना
असुर :- मतलब तुम कहना चाहते हो कि तुम्हारा पुत्र अस्त्र धारक हैं
त्रिलोकेश्वर :- क्या पता समय के गर्भ में क्या छुपा हो
जहां त्रिलोकेश्वर की बात सुनकर वो खुद और असुर दोनों गहरी सोच मे डूब चुके थे तो वही दमयन्ती ये बात जानकर जोरों से हंसने लगी थी जिसकी हसी सुन कर वो दोनों भी हैरान हो गए
दमयन्ती (हस्ते हुए) :- अब मजा आएगा जब वो असुर अस्त्रों की खोज में अपने काल के पास पहुंचेंगे और तब मेरा पुत्र अपने माता पिता के उपर किए हुए हर एक अत्याचार का बदला लेगा
उसकी बात सुनकर दमयन्ती के साथ त्रिलोकेश्वर और वो असुर भी हसने लगे
तो वही जब फ्रेश हो कर प्रिया के रूम में आया तो वहां सभी लोग मौजूद थे वहाँ प्रिया के माता पिता के साथ ही केशव और रवि और साथ ही शांति गुरु नंदी (शैलेश सिंघानिया) और साथ ही मे गुरु सिँह (दिग्विजय सिंघ) भी मौजूद थे
में :- (शांति से) प्रिया को घर कब ले जा सकते हैं
शांति :- वो अब बिल्कुल ठीक है उसे अभी घर ले जा सकते हो
शांति की बात सुनकर सभी ख़ुश हो गए तो वही रवि को मस्ती सूझ रही थी
रवि :- (केशव से) भाई केशव हम प्रिया को घर तो ले कर जाएंगे लेकिन किसके घर उसके माता पिता के या भद्रा के
उसकी बात सुनकर प्रिया शर्माने लगी जिसे देखकर सब हंसने लगे तो वही गुरु सिँह कुछ चिंता मे थे
में :- क्या हुआ गुरु सिँह आप चिंता मे लग रहे हो
गुरु नंदी :- हाँ दिग्विजय तुमने भी जब मुझे फोन किया तो बहुत चिंता मे लग रहे थे
गुरु सिँह :- बात ही ऐसी है लेकिन यहा नहीं शांति तुम्हारे कैबिन मे चलों
उसके बाद हम चारों शांति के कैबिन मे चले गए
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आज के लिए इतना ही
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superb bro....अध्याय बीसवा
जब सुबह प्रिया की नींद खुली तो उसने मुझे अपने पैरों के पास सोते हुए देखा जिसे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई फिर वो धीरे से मेरे तरफ झुकी और उसने अपने हाथ से मेरा सर सहलाने लगी और अभी वो मेरा सर सहला रही थी कि तभी वहां शांति भी आ गई और ये दृश्य देखकर उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई तो वही शांति को वहाँ देख कर प्रिया थोड़ा असहज हो गई जो शांति ने भी देख और समझ लिया था जब से मेंने प्रिया को मेरे और शांति के बारे में बताया तभी से वो शांति से आंखे चुरा रही थी जो शांति भी अच्छे से महसूस कर पा रही थी इसीलिए वो धीरे-धीरे चलते हुए प्रिया के पास पहुची और
शांति :- तो भद्रा ने तुम्हें हमारे बारे में बता दिया है ना
प्रिया :- हाँ सब बता दिया मुझे लेकिन आपको अजीब नहीं लगा कि आप अपने बेटे के उम्र वाले लड़के को जिसे बचपन मे आपने अपनी गोद मे खिलाया था उसी के साथ (इतना बोलकर वो रुक गयी)
शांति :- हाँ अजीब तो लगा और मेंने खुद को रोकने की कोशिश भी की लेकिन तुम खुदको मेरे जगह पर रख कर देखो तो तुम्हें मेरे हालत के बारे में समझ आएगा
प्रिया :- मे आपकी हालत समझ सकती हूँ और शायद मे ही ज्यादा ध्यान दे रही थी मुझे आपके और भद्रा संबंधों से कोई दिक्कत नहीं है बस मुझे मेरे हिस्से का प्यार मिलना चाहिए
शांति :- तुम चिंता मत करो समाज और सबके नजर में तुम ही भद्रा की पत्नी बनोगी मे केवल भद्रा के प्यार में खुश हूँ लेकिन हम दोनों को भी इस बात का खयाल रखना है कि हमारे वजह से भद्रा को कोई परेशानी न हो हमे उसकी ताकत बनना है ना कि कमजोरी
प्रिया :- जी मे समझ गयी
अभी वो दोनों बात ही कर रहे थे कि मेरी नींद भी खुल गई और फिर मे कुछ देर शांति और प्रिया से बात करके में फ्रेश होने चला गया
तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में इस वक़्त दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर दोनों भी अपने क़ैद खाने मे चिंता मे बैठे हुए थे कि तभी उनके बगल के कमरे से अचानक एक चीख की आवाज सुनाई दी जिसे सुनकर दोनों अपने उस कैद खाने के तरफ बढ़े
त्रिलोकेश्वर :- क्या हुआ मित्र सब ठीक तो है ना
त्रिलोकेश्वर की आवाज सुनकर उस कैदखाने से भी एक बहुत ही भयानक और दर्दभरी आवाज आने लगी लेकिन उसमे कुछ अलग था उस आवाज में दर्द के साथ ही खुशी भी झलक रही थी
आवाज :- हाँ सब कुछ ठीक हैं तुम्हारे पुत्र ने मेरे पांचो अंश को हरा दिया है और उनके जीव मनी को भी नष्ट कर दिया है इसका मतलब समझ रहे हो ना तुम वो जहां भी है वहाँ उसे असुरों से निपटने और हराने की शिक्षा दी जाती है लेकिन
जी बिलकुल सही समझे ये वही असुर है जिसे मेंने उस गोदाम में हराया था वहाँ उसने अपने पाँच अंश भेजे थे मेरे परीक्षा के लिए तो वही जब दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ने अपने पुत्र के शक्ति और ग्यान के बारे में सुना तो उन दोनों को उस पर गर्व हुआ और उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई तो वही जब उन्होंने उस असुर के मुह से "लेकिन" सुना तो उनके चेहरे पर फिर से चिंता के भाव आ गए थे
दमयन्ती :- लेकिन क्या जल्दी बताओ मेरा बेटा ठीक तो है ना
असुर :- हाँ साम्राज्ञी कुमार बिल्कुल ठीक है लेकिन मेरे पांचो अंशों के जीव मनी को अपने अंदर समाने के बाद भी मेरे शक्तिशाली सिंघासन पर बैठने के बाद भी उसे अपने अस्तित्व की झलक तक नहीं दिखी उसे कुछ भी याद नहीं आया
दमयन्ती :- ऐसा कैसे हो सकता है इतनी बड़ी तामसिक शक्ति को अपने अंदर समाने के बाद भी उसके अंदर का राक्षस उसका ब्रह्माराक्षस का रूप बाहर क्यूँ नहीं आया
असुर :- यही तो मुझे समझ नहीं आ रहा है
त्रिलोकेश्वर :- क्यु नहीं हो सकता बिल्कुल हो सकता है अगर उसके पास उस तामसिक शक्ति से भी ज्यादा शक्तिशाली सात्विक शक्ति हो जिसने तुम्हारे शक्तियों के असर रोक दिया हो
असुर :- ऐसी कौनसी शक्ति है किसी देवता की शक्ति तक मेरे शक्तियों को नहीं रोक सकती
त्रिलोकेश्वर :- बिल्कुल लेकिन सप्त अस्त्रों की शक्ति तो रोक सकती है ना
असुर :- मतलब तुम कहना चाहते हो कि तुम्हारा पुत्र अस्त्र धारक हैं
त्रिलोकेश्वर :- क्या पता समय के गर्भ में क्या छुपा हो
जहां त्रिलोकेश्वर की बात सुनकर वो खुद और असुर दोनों गहरी सोच मे डूब चुके थे तो वही दमयन्ती ये बात जानकर जोरों से हंसने लगी थी जिसकी हसी सुन कर वो दोनों भी हैरान हो गए
दमयन्ती (हस्ते हुए) :- अब मजा आएगा जब वो असुर अस्त्रों की खोज में अपने काल के पास पहुंचेंगे और तब मेरा पुत्र अपने माता पिता के उपर किए हुए हर एक अत्याचार का बदला लेगा
उसकी बात सुनकर दमयन्ती के साथ त्रिलोकेश्वर और वो असुर भी हसने लगे
तो वही जब फ्रेश हो कर प्रिया के रूम में आया तो वहां सभी लोग मौजूद थे वहाँ प्रिया के माता पिता के साथ ही केशव और रवि और साथ ही शांति गुरु नंदी (शैलेश सिंघानिया) और साथ ही मे गुरु सिँह (दिग्विजय सिंघ) भी मौजूद थे
में :- (शांति से) प्रिया को घर कब ले जा सकते हैं
शांति :- वो अब बिल्कुल ठीक है उसे अभी घर ले जा सकते हो
शांति की बात सुनकर सभी ख़ुश हो गए तो वही रवि को मस्ती सूझ रही थी
रवि :- (केशव से) भाई केशव हम प्रिया को घर तो ले कर जाएंगे लेकिन किसके घर उसके माता पिता के या भद्रा के
उसकी बात सुनकर प्रिया शर्माने लगी जिसे देखकर सब हंसने लगे तो वही गुरु सिँह कुछ चिंता मे थे
में :- क्या हुआ गुरु सिँह आप चिंता मे लग रहे हो
गुरु नंदी :- हाँ दिग्विजय तुमने भी जब मुझे फोन किया तो बहुत चिंता मे लग रहे थे
गुरु सिँह :- बात ही ऐसी है लेकिन यहा नहीं शांति तुम्हारे कैबिन मे चलों
उसके बाद हम चारों शांति के कैबिन मे चले गए
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आज के लिए इतना ही
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Lovely and beautiful updateअध्याय बीसवा
जब सुबह प्रिया की नींद खुली तो उसने मुझे अपने पैरों के पास सोते हुए देखा जिसे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई फिर वो धीरे से मेरे तरफ झुकी और उसने अपने हाथ से मेरा सर सहलाने लगी और अभी वो मेरा सर सहला रही थी कि तभी वहां शांति भी आ गई और ये दृश्य देखकर उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई तो वही शांति को वहाँ देख कर प्रिया थोड़ा असहज हो गई जो शांति ने भी देख और समझ लिया था जब से मेंने प्रिया को मेरे और शांति के बारे में बताया तभी से वो शांति से आंखे चुरा रही थी जो शांति भी अच्छे से महसूस कर पा रही थी इसीलिए वो धीरे-धीरे चलते हुए प्रिया के पास पहुची और
शांति :- तो भद्रा ने तुम्हें हमारे बारे में बता दिया है ना
प्रिया :- हाँ सब बता दिया मुझे लेकिन आपको अजीब नहीं लगा कि आप अपने बेटे के उम्र वाले लड़के को जिसे बचपन मे आपने अपनी गोद मे खिलाया था उसी के साथ (इतना बोलकर वो रुक गयी)
शांति :- हाँ अजीब तो लगा और मेंने खुद को रोकने की कोशिश भी की लेकिन तुम खुदको मेरे जगह पर रख कर देखो तो तुम्हें मेरे हालत के बारे में समझ आएगा
प्रिया :- मे आपकी हालत समझ सकती हूँ और शायद मे ही ज्यादा ध्यान दे रही थी मुझे आपके और भद्रा संबंधों से कोई दिक्कत नहीं है बस मुझे मेरे हिस्से का प्यार मिलना चाहिए
शांति :- तुम चिंता मत करो समाज और सबके नजर में तुम ही भद्रा की पत्नी बनोगी मे केवल भद्रा के प्यार में खुश हूँ लेकिन हम दोनों को भी इस बात का खयाल रखना है कि हमारे वजह से भद्रा को कोई परेशानी न हो हमे उसकी ताकत बनना है ना कि कमजोरी
प्रिया :- जी मे समझ गयी
अभी वो दोनों बात ही कर रहे थे कि मेरी नींद भी खुल गई और फिर मे कुछ देर शांति और प्रिया से बात करके में फ्रेश होने चला गया
तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में इस वक़्त दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर दोनों भी अपने क़ैद खाने मे चिंता मे बैठे हुए थे कि तभी उनके बगल के कमरे से अचानक एक चीख की आवाज सुनाई दी जिसे सुनकर दोनों अपने उस कैद खाने के तरफ बढ़े
त्रिलोकेश्वर :- क्या हुआ मित्र सब ठीक तो है ना
त्रिलोकेश्वर की आवाज सुनकर उस कैदखाने से भी एक बहुत ही भयानक और दर्दभरी आवाज आने लगी लेकिन उसमे कुछ अलग था उस आवाज में दर्द के साथ ही खुशी भी झलक रही थी
आवाज :- हाँ सब कुछ ठीक हैं तुम्हारे पुत्र ने मेरे पांचो अंश को हरा दिया है और उनके जीव मनी को भी नष्ट कर दिया है इसका मतलब समझ रहे हो ना तुम वो जहां भी है वहाँ उसे असुरों से निपटने और हराने की शिक्षा दी जाती है लेकिन
जी बिलकुल सही समझे ये वही असुर है जिसे मेंने उस गोदाम में हराया था वहाँ उसने अपने पाँच अंश भेजे थे मेरे परीक्षा के लिए तो वही जब दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ने अपने पुत्र के शक्ति और ग्यान के बारे में सुना तो उन दोनों को उस पर गर्व हुआ और उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई तो वही जब उन्होंने उस असुर के मुह से "लेकिन" सुना तो उनके चेहरे पर फिर से चिंता के भाव आ गए थे
दमयन्ती :- लेकिन क्या जल्दी बताओ मेरा बेटा ठीक तो है ना
असुर :- हाँ साम्राज्ञी कुमार बिल्कुल ठीक है लेकिन मेरे पांचो अंशों के जीव मनी को अपने अंदर समाने के बाद भी मेरे शक्तिशाली सिंघासन पर बैठने के बाद भी उसे अपने अस्तित्व की झलक तक नहीं दिखी उसे कुछ भी याद नहीं आया
दमयन्ती :- ऐसा कैसे हो सकता है इतनी बड़ी तामसिक शक्ति को अपने अंदर समाने के बाद भी उसके अंदर का राक्षस उसका ब्रह्माराक्षस का रूप बाहर क्यूँ नहीं आया
असुर :- यही तो मुझे समझ नहीं आ रहा है
त्रिलोकेश्वर :- क्यु नहीं हो सकता बिल्कुल हो सकता है अगर उसके पास उस तामसिक शक्ति से भी ज्यादा शक्तिशाली सात्विक शक्ति हो जिसने तुम्हारे शक्तियों के असर रोक दिया हो
असुर :- ऐसी कौनसी शक्ति है किसी देवता की शक्ति तक मेरे शक्तियों को नहीं रोक सकती
त्रिलोकेश्वर :- बिल्कुल लेकिन सप्त अस्त्रों की शक्ति तो रोक सकती है ना
असुर :- मतलब तुम कहना चाहते हो कि तुम्हारा पुत्र अस्त्र धारक हैं
त्रिलोकेश्वर :- क्या पता समय के गर्भ में क्या छुपा हो
जहां त्रिलोकेश्वर की बात सुनकर वो खुद और असुर दोनों गहरी सोच मे डूब चुके थे तो वही दमयन्ती ये बात जानकर जोरों से हंसने लगी थी जिसकी हसी सुन कर वो दोनों भी हैरान हो गए
दमयन्ती (हस्ते हुए) :- अब मजा आएगा जब वो असुर अस्त्रों की खोज में अपने काल के पास पहुंचेंगे और तब मेरा पुत्र अपने माता पिता के उपर किए हुए हर एक अत्याचार का बदला लेगा
उसकी बात सुनकर दमयन्ती के साथ त्रिलोकेश्वर और वो असुर भी हसने लगे
तो वही जब फ्रेश हो कर प्रिया के रूम में आया तो वहां सभी लोग मौजूद थे वहाँ प्रिया के माता पिता के साथ ही केशव और रवि और साथ ही शांति गुरु नंदी (शैलेश सिंघानिया) और साथ ही मे गुरु सिँह (दिग्विजय सिंघ) भी मौजूद थे
में :- (शांति से) प्रिया को घर कब ले जा सकते हैं
शांति :- वो अब बिल्कुल ठीक है उसे अभी घर ले जा सकते हो
शांति की बात सुनकर सभी ख़ुश हो गए तो वही रवि को मस्ती सूझ रही थी
रवि :- (केशव से) भाई केशव हम प्रिया को घर तो ले कर जाएंगे लेकिन किसके घर उसके माता पिता के या भद्रा के
उसकी बात सुनकर प्रिया शर्माने लगी जिसे देखकर सब हंसने लगे तो वही गुरु सिँह कुछ चिंता मे थे
में :- क्या हुआ गुरु सिँह आप चिंता मे लग रहे हो
गुरु नंदी :- हाँ दिग्विजय तुमने भी जब मुझे फोन किया तो बहुत चिंता मे लग रहे थे
गुरु सिँह :- बात ही ऐसी है लेकिन यहा नहीं शांति तुम्हारे कैबिन मे चलों
उसके बाद हम चारों शांति के कैबिन मे चले गए
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आज के लिए इतना ही
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