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Nice and superb update....अध्याय बीसवा
जब सुबह प्रिया की नींद खुली तो उसने मुझे अपने पैरों के पास सोते हुए देखा जिसे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई फिर वो धीरे से मेरे तरफ झुकी और उसने अपने हाथ से मेरा सर सहलाने लगी और अभी वो मेरा सर सहला रही थी कि तभी वहां शांति भी आ गई और ये दृश्य देखकर उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई तो वही शांति को वहाँ देख कर प्रिया थोड़ा असहज हो गई जो शांति ने भी देख और समझ लिया था जब से मेंने प्रिया को मेरे और शांति के बारे में बताया तभी से वो शांति से आंखे चुरा रही थी जो शांति भी अच्छे से महसूस कर पा रही थी इसीलिए वो धीरे-धीरे चलते हुए प्रिया के पास पहुची और
शांति :- तो भद्रा ने तुम्हें हमारे बारे में बता दिया है ना
प्रिया :- हाँ सब बता दिया मुझे लेकिन आपको अजीब नहीं लगा कि आप अपने बेटे के उम्र वाले लड़के को जिसे बचपन मे आपने अपनी गोद मे खिलाया था उसी के साथ (इतना बोलकर वो रुक गयी)
शांति :- हाँ अजीब तो लगा और मेंने खुद को रोकने की कोशिश भी की लेकिन तुम खुदको मेरे जगह पर रख कर देखो तो तुम्हें मेरे हालत के बारे में समझ आएगा
प्रिया :- मे आपकी हालत समझ सकती हूँ और शायद मे ही ज्यादा ध्यान दे रही थी मुझे आपके और भद्रा संबंधों से कोई दिक्कत नहीं है बस मुझे मेरे हिस्से का प्यार मिलना चाहिए
शांति :- तुम चिंता मत करो समाज और सबके नजर में तुम ही भद्रा की पत्नी बनोगी मे केवल भद्रा के प्यार में खुश हूँ लेकिन हम दोनों को भी इस बात का खयाल रखना है कि हमारे वजह से भद्रा को कोई परेशानी न हो हमे उसकी ताकत बनना है ना कि कमजोरी
प्रिया :- जी मे समझ गयी
अभी वो दोनों बात ही कर रहे थे कि मेरी नींद भी खुल गई और फिर मे कुछ देर शांति और प्रिया से बात करके में फ्रेश होने चला गया
तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में इस वक़्त दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर दोनों भी अपने क़ैद खाने मे चिंता मे बैठे हुए थे कि तभी उनके बगल के कमरे से अचानक एक चीख की आवाज सुनाई दी जिसे सुनकर दोनों अपने उस कैद खाने के तरफ बढ़े
त्रिलोकेश्वर :- क्या हुआ मित्र सब ठीक तो है ना
त्रिलोकेश्वर की आवाज सुनकर उस कैदखाने से भी एक बहुत ही भयानक और दर्दभरी आवाज आने लगी लेकिन उसमे कुछ अलग था उस आवाज में दर्द के साथ ही खुशी भी झलक रही थी
आवाज :- हाँ सब कुछ ठीक हैं तुम्हारे पुत्र ने मेरे पांचो अंश को हरा दिया है और उनके जीव मनी को भी नष्ट कर दिया है इसका मतलब समझ रहे हो ना तुम वो जहां भी है वहाँ उसे असुरों से निपटने और हराने की शिक्षा दी जाती है लेकिन
जी बिलकुल सही समझे ये वही असुर है जिसे मेंने उस गोदाम में हराया था वहाँ उसने अपने पाँच अंश भेजे थे मेरे परीक्षा के लिए तो वही जब दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ने अपने पुत्र के शक्ति और ग्यान के बारे में सुना तो उन दोनों को उस पर गर्व हुआ और उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई तो वही जब उन्होंने उस असुर के मुह से "लेकिन" सुना तो उनके चेहरे पर फिर से चिंता के भाव आ गए थे
दमयन्ती :- लेकिन क्या जल्दी बताओ मेरा बेटा ठीक तो है ना
असुर :- हाँ साम्राज्ञी कुमार बिल्कुल ठीक है लेकिन मेरे पांचो अंशों के जीव मनी को अपने अंदर समाने के बाद भी मेरे शक्तिशाली सिंघासन पर बैठने के बाद भी उसे अपने अस्तित्व की झलक तक नहीं दिखी उसे कुछ भी याद नहीं आया
दमयन्ती :- ऐसा कैसे हो सकता है इतनी बड़ी तामसिक शक्ति को अपने अंदर समाने के बाद भी उसके अंदर का राक्षस उसका ब्रह्माराक्षस का रूप बाहर क्यूँ नहीं आया
असुर :- यही तो मुझे समझ नहीं आ रहा है
त्रिलोकेश्वर :- क्यु नहीं हो सकता बिल्कुल हो सकता है अगर उसके पास उस तामसिक शक्ति से भी ज्यादा शक्तिशाली सात्विक शक्ति हो जिसने तुम्हारे शक्तियों के असर रोक दिया हो
असुर :- ऐसी कौनसी शक्ति है किसी देवता की शक्ति तक मेरे शक्तियों को नहीं रोक सकती
त्रिलोकेश्वर :- बिल्कुल लेकिन सप्त अस्त्रों की शक्ति तो रोक सकती है ना
असुर :- मतलब तुम कहना चाहते हो कि तुम्हारा पुत्र अस्त्र धारक हैं
त्रिलोकेश्वर :- क्या पता समय के गर्भ में क्या छुपा हो
जहां त्रिलोकेश्वर की बात सुनकर वो खुद और असुर दोनों गहरी सोच मे डूब चुके थे तो वही दमयन्ती ये बात जानकर जोरों से हंसने लगी थी जिसकी हसी सुन कर वो दोनों भी हैरान हो गए
दमयन्ती (हस्ते हुए) :- अब मजा आएगा जब वो असुर अस्त्रों की खोज में अपने काल के पास पहुंचेंगे और तब मेरा पुत्र अपने माता पिता के उपर किए हुए हर एक अत्याचार का बदला लेगा
उसकी बात सुनकर दमयन्ती के साथ त्रिलोकेश्वर और वो असुर भी हसने लगे
तो वही जब फ्रेश हो कर प्रिया के रूम में आया तो वहां सभी लोग मौजूद थे वहाँ प्रिया के माता पिता के साथ ही केशव और रवि और साथ ही शांति गुरु नंदी (शैलेश सिंघानिया) और साथ ही मे गुरु सिँह (दिग्विजय सिंघ) भी मौजूद थे
में :- (शांति से) प्रिया को घर कब ले जा सकते हैं
शांति :- वो अब बिल्कुल ठीक है उसे अभी घर ले जा सकते हो
शांति की बात सुनकर सभी ख़ुश हो गए तो वही रवि को मस्ती सूझ रही थी
रवि :- (केशव से) भाई केशव हम प्रिया को घर तो ले कर जाएंगे लेकिन किसके घर उसके माता पिता के या भद्रा के
उसकी बात सुनकर प्रिया शर्माने लगी जिसे देखकर सब हंसने लगे तो वही गुरु सिँह कुछ चिंता मे थे
में :- क्या हुआ गुरु सिँह आप चिंता मे लग रहे हो
गुरु नंदी :- हाँ दिग्विजय तुमने भी जब मुझे फोन किया तो बहुत चिंता मे लग रहे थे
गुरु सिँह :- बात ही ऐसी है लेकिन यहा नहीं शांति तुम्हारे कैबिन मे चलों
उसके बाद हम चारों शांति के कैबिन मे चले गए
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आज के लिए इतना ही
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Bahut hi shaandar update diya hai VAJRADHIKARI bhai.....अध्याय बीसवा
जब सुबह प्रिया की नींद खुली तो उसने मुझे अपने पैरों के पास सोते हुए देखा जिसे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई फिर वो धीरे से मेरे तरफ झुकी और उसने अपने हाथ से मेरा सर सहलाने लगी और अभी वो मेरा सर सहला रही थी कि तभी वहां शांति भी आ गई और ये दृश्य देखकर उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई तो वही शांति को वहाँ देख कर प्रिया थोड़ा असहज हो गई जो शांति ने भी देख और समझ लिया था जब से मेंने प्रिया को मेरे और शांति के बारे में बताया तभी से वो शांति से आंखे चुरा रही थी जो शांति भी अच्छे से महसूस कर पा रही थी इसीलिए वो धीरे-धीरे चलते हुए प्रिया के पास पहुची और
शांति :- तो भद्रा ने तुम्हें हमारे बारे में बता दिया है ना
प्रिया :- हाँ सब बता दिया मुझे लेकिन आपको अजीब नहीं लगा कि आप अपने बेटे के उम्र वाले लड़के को जिसे बचपन मे आपने अपनी गोद मे खिलाया था उसी के साथ (इतना बोलकर वो रुक गयी)
शांति :- हाँ अजीब तो लगा और मेंने खुद को रोकने की कोशिश भी की लेकिन तुम खुदको मेरे जगह पर रख कर देखो तो तुम्हें मेरे हालत के बारे में समझ आएगा
प्रिया :- मे आपकी हालत समझ सकती हूँ और शायद मे ही ज्यादा ध्यान दे रही थी मुझे आपके और भद्रा संबंधों से कोई दिक्कत नहीं है बस मुझे मेरे हिस्से का प्यार मिलना चाहिए
शांति :- तुम चिंता मत करो समाज और सबके नजर में तुम ही भद्रा की पत्नी बनोगी मे केवल भद्रा के प्यार में खुश हूँ लेकिन हम दोनों को भी इस बात का खयाल रखना है कि हमारे वजह से भद्रा को कोई परेशानी न हो हमे उसकी ताकत बनना है ना कि कमजोरी
प्रिया :- जी मे समझ गयी
अभी वो दोनों बात ही कर रहे थे कि मेरी नींद भी खुल गई और फिर मे कुछ देर शांति और प्रिया से बात करके में फ्रेश होने चला गया
तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में इस वक़्त दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर दोनों भी अपने क़ैद खाने मे चिंता मे बैठे हुए थे कि तभी उनके बगल के कमरे से अचानक एक चीख की आवाज सुनाई दी जिसे सुनकर दोनों अपने उस कैद खाने के तरफ बढ़े
त्रिलोकेश्वर :- क्या हुआ मित्र सब ठीक तो है ना
त्रिलोकेश्वर की आवाज सुनकर उस कैदखाने से भी एक बहुत ही भयानक और दर्दभरी आवाज आने लगी लेकिन उसमे कुछ अलग था उस आवाज में दर्द के साथ ही खुशी भी झलक रही थी
आवाज :- हाँ सब कुछ ठीक हैं तुम्हारे पुत्र ने मेरे पांचो अंश को हरा दिया है और उनके जीव मनी को भी नष्ट कर दिया है इसका मतलब समझ रहे हो ना तुम वो जहां भी है वहाँ उसे असुरों से निपटने और हराने की शिक्षा दी जाती है लेकिन
जी बिलकुल सही समझे ये वही असुर है जिसे मेंने उस गोदाम में हराया था वहाँ उसने अपने पाँच अंश भेजे थे मेरे परीक्षा के लिए तो वही जब दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ने अपने पुत्र के शक्ति और ग्यान के बारे में सुना तो उन दोनों को उस पर गर्व हुआ और उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई तो वही जब उन्होंने उस असुर के मुह से "लेकिन" सुना तो उनके चेहरे पर फिर से चिंता के भाव आ गए थे
दमयन्ती :- लेकिन क्या जल्दी बताओ मेरा बेटा ठीक तो है ना
असुर :- हाँ साम्राज्ञी कुमार बिल्कुल ठीक है लेकिन मेरे पांचो अंशों के जीव मनी को अपने अंदर समाने के बाद भी मेरे शक्तिशाली सिंघासन पर बैठने के बाद भी उसे अपने अस्तित्व की झलक तक नहीं दिखी उसे कुछ भी याद नहीं आया
दमयन्ती :- ऐसा कैसे हो सकता है इतनी बड़ी तामसिक शक्ति को अपने अंदर समाने के बाद भी उसके अंदर का राक्षस उसका ब्रह्माराक्षस का रूप बाहर क्यूँ नहीं आया
असुर :- यही तो मुझे समझ नहीं आ रहा है
त्रिलोकेश्वर :- क्यु नहीं हो सकता बिल्कुल हो सकता है अगर उसके पास उस तामसिक शक्ति से भी ज्यादा शक्तिशाली सात्विक शक्ति हो जिसने तुम्हारे शक्तियों के असर रोक दिया हो
असुर :- ऐसी कौनसी शक्ति है किसी देवता की शक्ति तक मेरे शक्तियों को नहीं रोक सकती
त्रिलोकेश्वर :- बिल्कुल लेकिन सप्त अस्त्रों की शक्ति तो रोक सकती है ना
असुर :- मतलब तुम कहना चाहते हो कि तुम्हारा पुत्र अस्त्र धारक हैं
त्रिलोकेश्वर :- क्या पता समय के गर्भ में क्या छुपा हो
जहां त्रिलोकेश्वर की बात सुनकर वो खुद और असुर दोनों गहरी सोच मे डूब चुके थे तो वही दमयन्ती ये बात जानकर जोरों से हंसने लगी थी जिसकी हसी सुन कर वो दोनों भी हैरान हो गए
दमयन्ती (हस्ते हुए) :- अब मजा आएगा जब वो असुर अस्त्रों की खोज में अपने काल के पास पहुंचेंगे और तब मेरा पुत्र अपने माता पिता के उपर किए हुए हर एक अत्याचार का बदला लेगा
उसकी बात सुनकर दमयन्ती के साथ त्रिलोकेश्वर और वो असुर भी हसने लगे
तो वही जब फ्रेश हो कर प्रिया के रूम में आया तो वहां सभी लोग मौजूद थे वहाँ प्रिया के माता पिता के साथ ही केशव और रवि और साथ ही शांति गुरु नंदी (शैलेश सिंघानिया) और साथ ही मे गुरु सिँह (दिग्विजय सिंघ) भी मौजूद थे
में :- (शांति से) प्रिया को घर कब ले जा सकते हैं
शांति :- वो अब बिल्कुल ठीक है उसे अभी घर ले जा सकते हो
शांति की बात सुनकर सभी ख़ुश हो गए तो वही रवि को मस्ती सूझ रही थी
रवि :- (केशव से) भाई केशव हम प्रिया को घर तो ले कर जाएंगे लेकिन किसके घर उसके माता पिता के या भद्रा के
उसकी बात सुनकर प्रिया शर्माने लगी जिसे देखकर सब हंसने लगे तो वही गुरु सिँह कुछ चिंता मे थे
में :- क्या हुआ गुरु सिँह आप चिंता मे लग रहे हो
गुरु नंदी :- हाँ दिग्विजय तुमने भी जब मुझे फोन किया तो बहुत चिंता मे लग रहे थे
गुरु सिँह :- बात ही ऐसी है लेकिन यहा नहीं शांति तुम्हारे कैबिन मे चलों
उसके बाद हम चारों शांति के कैबिन मे चले गए
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आज के लिए इतना ही
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Nice update.....अध्याय बीसवा
जब सुबह प्रिया की नींद खुली तो उसने मुझे अपने पैरों के पास सोते हुए देखा जिसे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई फिर वो धीरे से मेरे तरफ झुकी और उसने अपने हाथ से मेरा सर सहलाने लगी और अभी वो मेरा सर सहला रही थी कि तभी वहां शांति भी आ गई और ये दृश्य देखकर उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई तो वही शांति को वहाँ देख कर प्रिया थोड़ा असहज हो गई जो शांति ने भी देख और समझ लिया था जब से मेंने प्रिया को मेरे और शांति के बारे में बताया तभी से वो शांति से आंखे चुरा रही थी जो शांति भी अच्छे से महसूस कर पा रही थी इसीलिए वो धीरे-धीरे चलते हुए प्रिया के पास पहुची और
शांति :- तो भद्रा ने तुम्हें हमारे बारे में बता दिया है ना
प्रिया :- हाँ सब बता दिया मुझे लेकिन आपको अजीब नहीं लगा कि आप अपने बेटे के उम्र वाले लड़के को जिसे बचपन मे आपने अपनी गोद मे खिलाया था उसी के साथ (इतना बोलकर वो रुक गयी)
शांति :- हाँ अजीब तो लगा और मेंने खुद को रोकने की कोशिश भी की लेकिन तुम खुदको मेरे जगह पर रख कर देखो तो तुम्हें मेरे हालत के बारे में समझ आएगा
प्रिया :- मे आपकी हालत समझ सकती हूँ और शायद मे ही ज्यादा ध्यान दे रही थी मुझे आपके और भद्रा संबंधों से कोई दिक्कत नहीं है बस मुझे मेरे हिस्से का प्यार मिलना चाहिए
शांति :- तुम चिंता मत करो समाज और सबके नजर में तुम ही भद्रा की पत्नी बनोगी मे केवल भद्रा के प्यार में खुश हूँ लेकिन हम दोनों को भी इस बात का खयाल रखना है कि हमारे वजह से भद्रा को कोई परेशानी न हो हमे उसकी ताकत बनना है ना कि कमजोरी
प्रिया :- जी मे समझ गयी
अभी वो दोनों बात ही कर रहे थे कि मेरी नींद भी खुल गई और फिर मे कुछ देर शांति और प्रिया से बात करके में फ्रेश होने चला गया
तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में इस वक़्त दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर दोनों भी अपने क़ैद खाने मे चिंता मे बैठे हुए थे कि तभी उनके बगल के कमरे से अचानक एक चीख की आवाज सुनाई दी जिसे सुनकर दोनों अपने उस कैद खाने के तरफ बढ़े
त्रिलोकेश्वर :- क्या हुआ मित्र सब ठीक तो है ना
त्रिलोकेश्वर की आवाज सुनकर उस कैदखाने से भी एक बहुत ही भयानक और दर्दभरी आवाज आने लगी लेकिन उसमे कुछ अलग था उस आवाज में दर्द के साथ ही खुशी भी झलक रही थी
आवाज :- हाँ सब कुछ ठीक हैं तुम्हारे पुत्र ने मेरे पांचो अंश को हरा दिया है और उनके जीव मनी को भी नष्ट कर दिया है इसका मतलब समझ रहे हो ना तुम वो जहां भी है वहाँ उसे असुरों से निपटने और हराने की शिक्षा दी जाती है लेकिन
जी बिलकुल सही समझे ये वही असुर है जिसे मेंने उस गोदाम में हराया था वहाँ उसने अपने पाँच अंश भेजे थे मेरे परीक्षा के लिए तो वही जब दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ने अपने पुत्र के शक्ति और ग्यान के बारे में सुना तो उन दोनों को उस पर गर्व हुआ और उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई तो वही जब उन्होंने उस असुर के मुह से "लेकिन" सुना तो उनके चेहरे पर फिर से चिंता के भाव आ गए थे
दमयन्ती :- लेकिन क्या जल्दी बताओ मेरा बेटा ठीक तो है ना
असुर :- हाँ साम्राज्ञी कुमार बिल्कुल ठीक है लेकिन मेरे पांचो अंशों के जीव मनी को अपने अंदर समाने के बाद भी मेरे शक्तिशाली सिंघासन पर बैठने के बाद भी उसे अपने अस्तित्व की झलक तक नहीं दिखी उसे कुछ भी याद नहीं आया
दमयन्ती :- ऐसा कैसे हो सकता है इतनी बड़ी तामसिक शक्ति को अपने अंदर समाने के बाद भी उसके अंदर का राक्षस उसका ब्रह्माराक्षस का रूप बाहर क्यूँ नहीं आया
असुर :- यही तो मुझे समझ नहीं आ रहा है
त्रिलोकेश्वर :- क्यु नहीं हो सकता बिल्कुल हो सकता है अगर उसके पास उस तामसिक शक्ति से भी ज्यादा शक्तिशाली सात्विक शक्ति हो जिसने तुम्हारे शक्तियों के असर रोक दिया हो
असुर :- ऐसी कौनसी शक्ति है किसी देवता की शक्ति तक मेरे शक्तियों को नहीं रोक सकती
त्रिलोकेश्वर :- बिल्कुल लेकिन सप्त अस्त्रों की शक्ति तो रोक सकती है ना
असुर :- मतलब तुम कहना चाहते हो कि तुम्हारा पुत्र अस्त्र धारक हैं
त्रिलोकेश्वर :- क्या पता समय के गर्भ में क्या छुपा हो
जहां त्रिलोकेश्वर की बात सुनकर वो खुद और असुर दोनों गहरी सोच मे डूब चुके थे तो वही दमयन्ती ये बात जानकर जोरों से हंसने लगी थी जिसकी हसी सुन कर वो दोनों भी हैरान हो गए
दमयन्ती (हस्ते हुए) :- अब मजा आएगा जब वो असुर अस्त्रों की खोज में अपने काल के पास पहुंचेंगे और तब मेरा पुत्र अपने माता पिता के उपर किए हुए हर एक अत्याचार का बदला लेगा
उसकी बात सुनकर दमयन्ती के साथ त्रिलोकेश्वर और वो असुर भी हसने लगे
तो वही जब फ्रेश हो कर प्रिया के रूम में आया तो वहां सभी लोग मौजूद थे वहाँ प्रिया के माता पिता के साथ ही केशव और रवि और साथ ही शांति गुरु नंदी (शैलेश सिंघानिया) और साथ ही मे गुरु सिँह (दिग्विजय सिंघ) भी मौजूद थे
में :- (शांति से) प्रिया को घर कब ले जा सकते हैं
शांति :- वो अब बिल्कुल ठीक है उसे अभी घर ले जा सकते हो
शांति की बात सुनकर सभी ख़ुश हो गए तो वही रवि को मस्ती सूझ रही थी
रवि :- (केशव से) भाई केशव हम प्रिया को घर तो ले कर जाएंगे लेकिन किसके घर उसके माता पिता के या भद्रा के
उसकी बात सुनकर प्रिया शर्माने लगी जिसे देखकर सब हंसने लगे तो वही गुरु सिँह कुछ चिंता मे थे
में :- क्या हुआ गुरु सिँह आप चिंता मे लग रहे हो
गुरु नंदी :- हाँ दिग्विजय तुमने भी जब मुझे फोन किया तो बहुत चिंता मे लग रहे थे
गुरु सिँह :- बात ही ऐसी है लेकिन यहा नहीं शांति तुम्हारे कैबिन मे चलों
उसके बाद हम चारों शांति के कैबिन मे चले गए
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आज के लिए इतना ही
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Nice update....अध्याय बीसवा
जब सुबह प्रिया की नींद खुली तो उसने मुझे अपने पैरों के पास सोते हुए देखा जिसे देखकर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई फिर वो धीरे से मेरे तरफ झुकी और उसने अपने हाथ से मेरा सर सहलाने लगी और अभी वो मेरा सर सहला रही थी कि तभी वहां शांति भी आ गई और ये दृश्य देखकर उसके चेहरे पर भी मुस्कान आ गई तो वही शांति को वहाँ देख कर प्रिया थोड़ा असहज हो गई जो शांति ने भी देख और समझ लिया था जब से मेंने प्रिया को मेरे और शांति के बारे में बताया तभी से वो शांति से आंखे चुरा रही थी जो शांति भी अच्छे से महसूस कर पा रही थी इसीलिए वो धीरे-धीरे चलते हुए प्रिया के पास पहुची और
शांति :- तो भद्रा ने तुम्हें हमारे बारे में बता दिया है ना
प्रिया :- हाँ सब बता दिया मुझे लेकिन आपको अजीब नहीं लगा कि आप अपने बेटे के उम्र वाले लड़के को जिसे बचपन मे आपने अपनी गोद मे खिलाया था उसी के साथ (इतना बोलकर वो रुक गयी)
शांति :- हाँ अजीब तो लगा और मेंने खुद को रोकने की कोशिश भी की लेकिन तुम खुदको मेरे जगह पर रख कर देखो तो तुम्हें मेरे हालत के बारे में समझ आएगा
प्रिया :- मे आपकी हालत समझ सकती हूँ और शायद मे ही ज्यादा ध्यान दे रही थी मुझे आपके और भद्रा संबंधों से कोई दिक्कत नहीं है बस मुझे मेरे हिस्से का प्यार मिलना चाहिए
शांति :- तुम चिंता मत करो समाज और सबके नजर में तुम ही भद्रा की पत्नी बनोगी मे केवल भद्रा के प्यार में खुश हूँ लेकिन हम दोनों को भी इस बात का खयाल रखना है कि हमारे वजह से भद्रा को कोई परेशानी न हो हमे उसकी ताकत बनना है ना कि कमजोरी
प्रिया :- जी मे समझ गयी
अभी वो दोनों बात ही कर रहे थे कि मेरी नींद भी खुल गई और फिर मे कुछ देर शांति और प्रिया से बात करके में फ्रेश होने चला गया
तो वही दूसरी तरफ उसी अंधेरी गुफा में इस वक़्त दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर दोनों भी अपने क़ैद खाने मे चिंता मे बैठे हुए थे कि तभी उनके बगल के कमरे से अचानक एक चीख की आवाज सुनाई दी जिसे सुनकर दोनों अपने उस कैद खाने के तरफ बढ़े
त्रिलोकेश्वर :- क्या हुआ मित्र सब ठीक तो है ना
त्रिलोकेश्वर की आवाज सुनकर उस कैदखाने से भी एक बहुत ही भयानक और दर्दभरी आवाज आने लगी लेकिन उसमे कुछ अलग था उस आवाज में दर्द के साथ ही खुशी भी झलक रही थी
आवाज :- हाँ सब कुछ ठीक हैं तुम्हारे पुत्र ने मेरे पांचो अंश को हरा दिया है और उनके जीव मनी को भी नष्ट कर दिया है इसका मतलब समझ रहे हो ना तुम वो जहां भी है वहाँ उसे असुरों से निपटने और हराने की शिक्षा दी जाती है लेकिन
जी बिलकुल सही समझे ये वही असुर है जिसे मेंने उस गोदाम में हराया था वहाँ उसने अपने पाँच अंश भेजे थे मेरे परीक्षा के लिए तो वही जब दमयन्ती और त्रिलोकेश्वर ने अपने पुत्र के शक्ति और ग्यान के बारे में सुना तो उन दोनों को उस पर गर्व हुआ और उनके चेहरे पर मुस्कान आ गई तो वही जब उन्होंने उस असुर के मुह से "लेकिन" सुना तो उनके चेहरे पर फिर से चिंता के भाव आ गए थे
दमयन्ती :- लेकिन क्या जल्दी बताओ मेरा बेटा ठीक तो है ना
असुर :- हाँ साम्राज्ञी कुमार बिल्कुल ठीक है लेकिन मेरे पांचो अंशों के जीव मनी को अपने अंदर समाने के बाद भी मेरे शक्तिशाली सिंघासन पर बैठने के बाद भी उसे अपने अस्तित्व की झलक तक नहीं दिखी उसे कुछ भी याद नहीं आया
दमयन्ती :- ऐसा कैसे हो सकता है इतनी बड़ी तामसिक शक्ति को अपने अंदर समाने के बाद भी उसके अंदर का राक्षस उसका ब्रह्माराक्षस का रूप बाहर क्यूँ नहीं आया
असुर :- यही तो मुझे समझ नहीं आ रहा है
त्रिलोकेश्वर :- क्यु नहीं हो सकता बिल्कुल हो सकता है अगर उसके पास उस तामसिक शक्ति से भी ज्यादा शक्तिशाली सात्विक शक्ति हो जिसने तुम्हारे शक्तियों के असर रोक दिया हो
असुर :- ऐसी कौनसी शक्ति है किसी देवता की शक्ति तक मेरे शक्तियों को नहीं रोक सकती
त्रिलोकेश्वर :- बिल्कुल लेकिन सप्त अस्त्रों की शक्ति तो रोक सकती है ना
असुर :- मतलब तुम कहना चाहते हो कि तुम्हारा पुत्र अस्त्र धारक हैं
त्रिलोकेश्वर :- क्या पता समय के गर्भ में क्या छुपा हो
जहां त्रिलोकेश्वर की बात सुनकर वो खुद और असुर दोनों गहरी सोच मे डूब चुके थे तो वही दमयन्ती ये बात जानकर जोरों से हंसने लगी थी जिसकी हसी सुन कर वो दोनों भी हैरान हो गए
दमयन्ती (हस्ते हुए) :- अब मजा आएगा जब वो असुर अस्त्रों की खोज में अपने काल के पास पहुंचेंगे और तब मेरा पुत्र अपने माता पिता के उपर किए हुए हर एक अत्याचार का बदला लेगा
उसकी बात सुनकर दमयन्ती के साथ त्रिलोकेश्वर और वो असुर भी हसने लगे
तो वही जब फ्रेश हो कर प्रिया के रूम में आया तो वहां सभी लोग मौजूद थे वहाँ प्रिया के माता पिता के साथ ही केशव और रवि और साथ ही शांति गुरु नंदी (शैलेश सिंघानिया) और साथ ही मे गुरु सिँह (दिग्विजय सिंघ) भी मौजूद थे
में :- (शांति से) प्रिया को घर कब ले जा सकते हैं
शांति :- वो अब बिल्कुल ठीक है उसे अभी घर ले जा सकते हो
शांति की बात सुनकर सभी ख़ुश हो गए तो वही रवि को मस्ती सूझ रही थी
रवि :- (केशव से) भाई केशव हम प्रिया को घर तो ले कर जाएंगे लेकिन किसके घर उसके माता पिता के या भद्रा के
उसकी बात सुनकर प्रिया शर्माने लगी जिसे देखकर सब हंसने लगे तो वही गुरु सिँह कुछ चिंता मे थे
में :- क्या हुआ गुरु सिँह आप चिंता मे लग रहे हो
गुरु नंदी :- हाँ दिग्विजय तुमने भी जब मुझे फोन किया तो बहुत चिंता मे लग रहे थे
गुरु सिँह :- बात ही ऐसी है लेकिन यहा नहीं शांति तुम्हारे कैबिन मे चलों
उसके बाद हम चारों शांति के कैबिन मे चले गए
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आज के लिए इतना ही
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Wohi toh dekhne sorry padhne wali baat haisuperb bro....
behatrin update. ashtra ki sapt shakti kya bhadra k ander sama chuki hai
Sahi samjhe aap isiliye updates bhi chote aa rahe haiउम्दा
अभी तो पटल की रूप रेखा ही रखी जा रही है।