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Fantasy ब्रह्माराक्षस

Sabhi91

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अध्याय उनत्तीस

वहा कोई कूछ कर पाता उससे पहले ही मेने दोनों तलवारों को एक दूसरे से जोड़ दिया बिल्कुल X की तरह और ऐसा करते ही आसमान से एक भयानक बिजली आकर सीधा उन पांचो पर पड़ी और फिर देखते ही देखते वो पांचों राख में बदल गये

लेकिन इस वार का इस्तेमाल करने के लिए मेरी बहुत सारी ऊर्जा खर्च हो गयी जिससे अब मेरी सास भी फूलने लगी थी और मे अभी अपनी सासे दुरस्त कर रहा था कि तभी मुझे ऐसा लगा जैसे कि किसी ने मेरे पीठ पर पुरा पहाड़ फेका हो

जिससे मे सीधा आगे जाकर मुंह के बल जमिन पर गिर गया और जब मेने पिछे मुड़ कर देखा तो मेरे सामने वो पांचों सम्राट थे जिस मे सबसे बड़े शैतान के हाथ मे एक सोने की गदा थी

शायद उसी से मुझ पर वार हुआ था और अभी मे उठा ही था की तभी उन पांचों सम्राट मेसे एक ने अपने तीर से मुझ पर वार कर दिया जिससे उसका तीर हवा को चीरते हुए सीधा मेरे सिने में घुस गया

यू कहलो की मेरे दिल से केवल दो इंच दूर रह गया और जैसे ही मे वो तीर निकलता उससे पहले ही तीसरे और चौथे शैतान ने एक साथ मुझ पर अपने तलवरों से हमला किया

जिससे बचने के लिए मैने अपनी दोनों तलवरों को आगे किया लेकिन मेरी ऊर्जा पहले से ही कम थी जिस वजह से उनका वार मे रोक नही पाया और उनकी तलवारे सीधा मेरे कंधे पे लगी

उन्होंने इतने ताकत के साथ वार किया था कि वो तलवारे मेरे कंधे की हड्डी को भी काट गयी थी अब मे खून से लथ पथ होके वही गिरा हुआ था यू समझो अपनी मौत का इंतज़ार कर रहा था


तो वही अंधेरी गुफा मे ये सब त्रिलोकेश्वर और उसका असुर मित्र देख रहे थे और मुझे ऐसे खून में सना देख कर दोनों का गुस्सा अब चरम सीमा पर पहुँच गया था

त्रिलोकेश्वर :- उन शैतानों की इतनी हिम्मत उन्हे अब मे नही छोडूंगा

असुर :- हा सही कहा सम्राट अब आप मुझे ना रोके मेरे अंश अभी शैतान लोक को उलट पलट कर देंगे

जहा दोनों उन शैतानों से लढने के लिए तैयार हो रहे थे तो वही दमयंती अपने ही विचारों में गुम थी और जब वो दोनों भी ध्यान में बैठे तो दोनों दंग रह गए क्योंकि उनके सामने चित्र ही ऐसा था

जब मे वहा जमीन पर लेटकर अपने मृत्यु का इंतजार कर रहा था तो तभी मेरी आँखे धीरे धीरे बंद होने लगी थी कि तभी मेरे दिमाग मे अजीब सी अजनबी आवाजे सुनाई देने लगी


वो आवाजे अजीब इसीलिए थी क्योंकि वो आवाज इतनी कर्कश थी कि उसे सुन कर मृत्यु भी कांप जाए तो वही उस आवाज में मुझे अत्यंत दुःख दर्द पीड़ा का अनुभव होने लगा था और धीरे धीरे वो आवाज एक स्त्री मे बदल गयी

जिसका चेहरा तो मे देख नही पा रहा था लेकिन इतना तय था कि उसका और मेरा जरूर कोई नाता था क्योंकि उसकी पीड़ा महसूस कर के मेरे दिल में अजीब सी चुभन होने लगी थी

और अभी मे उस स्त्री के तरफ बढ़ता की तभी ऐसा लगा जैसे किसी शक्ति ने मुझे जकड़ रखा है और ये देख कर वो स्त्री रोने लगी

स्त्री :- मेरे पुत्र तुम्हे ऐसी मृत्यु नही मिल सकती हैं तुम उन सबसे लाख गुना ज्यादा शक्तिशाली हो अपने अस्तित्व को पहचानो तुम्हारी माँ यहाँ हर दिन तड़प रही हैं हर पल दर्द सहन कर रही हैं क्योंकि मुझे विश्वास है कि तुम आओगे और मेरे सभी दुश्मनों के रक्त का मलहम अपनी माँ के जख्मों पर लगाओगे तुम्हारी माँ तड़प रही है पुत्र उसे ऐसे अकेले छोड़ कर मत जाओ

अभी वो स्त्री बात कर रही थी कि तभी उसके पीछे से सफेद रोशनी आने लगी जिसमे वो स्त्री धीरे धीरे समा गयी और उसे जाते हुए देख कर मुझे ऐसा लगा

जैसे कि कोई मेरा दिल मुझसे छिन रहा है और जब वो प्रकाश हटा तो मेरे सामने बिल्कुल मेरे जैसे ही दिखने वाला एक लड़का था बस उसने जो वस्त्र पहने थे वो अलग थे

मै (लड़के से) :- कौन हो तुम

लड़का :- ये सवाल तुम अपने आप से पूछो भद्रा की तुम कौन हो मे कौन हू वो स्त्री कौन है तुम सब जान जाओगे और मे उसी पल का इंतज़ार में था कि कब तुम अपने अस्तित्व तक पहुँचो लेकिन शायद मुझे हि तुम्हे उस तक लेकर जाना होगा ठीक है वो भी कर लेंगे लेकिन फ़िलहार हमे कुछ और करना है

इतना बोलकर वो लड़का बिल्कुल किसी भूत की तरह मेरे शरीर में घुस गया और उसके बाद मेरे शरीर को झटके लगने लगे तो वही शैतानी दुनिया में जब वो पांचो सम्राट मेरे मृत्यु पर खुश हो रहे थे

उसी वक़्त मेरे शरीर को झटके लगने शुरू हुए और ये देखकर वहा मौजूद सभी हैरान रह गए और इससे पहले वो कुछ समझ पाते मेरी आँखे खुल गई मेरे जखम भरे नहीं थे लेकिन अब मुझे दर्द नही हो रहा था

और जैसे ही मे खड़ा हुआ वो पांचो मेरे सामने आ गए और उन्हे देखकर मेरे होंठों पर एक शैतानी मुस्कान छा गयी जिसे देखकर वो सभी एक दूसरे को देखने लगे और अभी वो एक दूसरे को हि देख रहे थे की तभी मेरे दोनों हाथों मे मेरी तलवारे आ गयी

जिसे देखकर तीसरे और चौथे शैतान ने भी अपनी तलवारे निकाल कर मेरे तरफ दौड़ते हुए आने लगे लेकिन वो मेरे पास आ सकते उससे पहले ही मेरी तलवरों ने उन दोनों के सर को एक ही वार मे उनके धड़ से अलग कर दिया

और मेरे ऐसा करते ही बाकी तीनों शैतानों की आँखों में मुझे डर और आश्चर्य के भाव दिखाई दे रहे थे शायद ऐसा कुछ हो सकता हैं उन्होंने सोचा नही था तो वही उन दोनों को मारने के बाद भी मेरा मन भरा नही था


इसीलिए मैने उन दोनों की लाशों को वही आग से जला दिया और फिर उन्हे वैसे ही जलते हुए छोड़ कर में बाकी तीनों की तरफ चल पड़ा और मुझे अपनी तरफ आता देख दूसरे और पांचवे शैतान ने भी अस्त्र निकाल लिए और मेरे तरफ बढ़ने लगे

लेकिन इससे पहले वो मुझे छु भी पाते उससे पहले ही मैने उन दोनों के हाथ काट दिये अभी उस जगह पर उन दोनों शैतानों के चीखने चिल्लाने की आवाजे सब सुन पा रहे थे जहाँ कुछ देर पहले सब लोग उत्सव मना रहे थे तो वही अब वहा केवल डर और मातम छा गया था

और जब उन दोनों कि चीखे बंद हुई तो मैने तुरंत ही उनके उपर आग से हमला कर दिया जिससे अब वो दोनों जिंदा जलने लगे और उनकी दर्द से तड़पते हुई चीखे सुन कर मेरे दिल को सुकून मिल रहा था

तो वही अब मेरे सामने केवल एक ही शैतान बचा हुआ था जिसके चेहरे पर मुझे क्रोध और भय के भाव दिख रहे थे जिसे देख कर मे धीरे धीरे उसके पास बढ़ने लगा

तो उसने भी अपनी वही सोने की गदा निकाल ली और जैसे ही मे उसके पास पहुँचा उसने अपनी गदा से मुझ पर वार किया लेकिन मेने बीच मे ही उसके उस गदा को पकड़ लिया

और जैसे ही मैने उसके गदा को पकड़ा वैसे ही वो गदा तुरंत ही सोने की ऊर्जा मे बदल गयी और तुरंत मेरे शरीर में समा गयी जिसे देख कर अब उस शैतान की आँखों में केवल भय दिखाई दे रहा था

लेकिन मैने बिना एक पल रुके सीधा मेरे दोनों तलवरों को उसके पेट घुसा दिया और जैसे ही मेरी तलवरों ने एक दूसरे को छुआ वैसे ही आकाश से एक भयानक बिजली आकर उस आखिरी शैतान पर गिरी

और वो वही पर जलकर खाक हो गया और ये वही दृश्य था जिसे देख कर त्रिलोकेश्वर और वो असुर जिसे हम मित्र कहेंगे उन्होंने ध्यान में बैठे हुए दे
खा था

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आज के लिए इतना ही

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superb bro....
wating for next update
 
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sunoanuj

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Bahut hi behtarin updates…. 👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻
 

VAJRADHIKARI

Hello dosto
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अध्याय तीस (भाग 1 का अंत)

अब हालत ऐसे थे की उस पूरे मैदान मे जहाँ कुछ देर पहले उत्सव मनाया जा रहा था सारे दर्शक चीखकर अपने अपने राजाओं और योध्दाओ का मनोबल बढ़ा रहे थे वही अब वो शांत हो गए थे उन्हे देख ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्होंने कोई भूत देख लिया हो तो वही वो राजगुरु अभी भी दंग होकर मैदान मै घूरे जा रहा था और उसके चेहरे पर इस वक़्त क्रोध और बैचेनी साफ दिखाई दे रही थी

राजगुरु :- मनुष्य ये तूने सही नही किया तूने शैतानों के सम्राटों को मारा है और अब तु यहाँ से जिंदा वापस लौट कर नही जा पायेगा अब देख तु मे क्या करता हूँ बच सकता हैं तो बच के दिखा

उसके इतना बोलते ही वहा पर सारे बादल काले पड़ गए जैसे कोई बड़ा तूफान आने वाला है और ऐसा होते ही उस राजगुरु ने अपने दोनों हाथों को हवा में उठाया और कुछ बोलने लगा

और जैसे ही उसने आँखे खोली वैसे ही वहा जितने भी दर्शक थे वो सभी उन्ही मायावी योध्दाओं जैसे बन गए और फिर सभी अपनी अपनी जगह छोड़ कर मुझे घेर कर खड़े हो गए

अभी उस मैदान मे मैं अकेला खड़ा था मेरी जीवन ऊर्जा लगभग खतम हो गयी थी मेरी सासे फूलने लगी थी मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई मेरी सारी ऊर्जा सोखे जा रहा है भले ही मुझे दर्द महसूस नही हो रहा था लेकिन जहाँ जहाँ मुझे जखम लगे थे वहा से मेरा रक्त लगातार बह रहा था

जिससे मेरे शरीर में कमजोरी भी आने लगी थी और वही मुझे घेर कर लाखों करोड़ो मायावी योध्दा जिनका मकसद केवल मेरी जान लेना था तो वही उपर बालकनी मै खड़ा राजगुरु जिसने अपने जादू से आसमान में पूरे बादलों का रंग काला कर दिया था

जिससे वहा घंघोर अंधेरा छा गया था और अभी मे कुछ कर पाता की तभी मेरे दिमाग में एक मंत्र चलने लगा जिसे देख कर मेरे होठों पर मुस्कान छा गयी और मैने तुरंत अपनी दोनों तलवारों को पहले की तरह X की तरह रखा और जैसे ही मैने वो मंत्र पढ़ा

वैसे ही आसमान से भयानक बिजली आकर मेरी तलवरों पर गिरी और कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही मैने वो भयानक बिजली उन सभी मायावी योध्दाओं कि तरफ मौड दिया जिससे कुछ ही देर में वहा केवल मायावी योध्दाओं की लाशे पड़ी हुई थी

इतने भयानक हमला करने से वो पुरा मैदान टूट गया था वहा हर तरफ केवल धूल मिट्टी की परत छा गयी थी जिससे अब वहा किसी को कुछ दिखाई नही दे रहा था तो वही अब मुझसे भी खड़ा नही हो पा रहा था मे इतना कमजोर महसूस करने लगा था कि मे वहा जमीन पर गिर गया

तो वही कैदखाने मे ये सब देख रहे त्रिलोकेश्वर और मित्र ने भी हैरान हो गए थे और दोनों ने भी अपनी ध्यान अवस्था से बाहर आ गए तो वही उनके ध्यान में से बाहर आते ही दमयंती त्रिलोकेश्वर से बार बार सवाल पूछ रही थी लेकिन त्रिलोकेश्वर उसे कुछ बता नही रहा था

बस वो अपनी आँखे बंद करके कुछ बोल रहा था और जैसे ही उसने अपनी आँखे खोली तो उसका रूप बदल गया था जिसे देखकर एक बार के लिए दमयंती भी सहम गयी क्योंकि वो रूप त्रिलोकेश्वर का ब्राम्हराक्षस वाला रूप था जिसे देख दमयंती को ये तो समझ गया था कि जरूर कुछ गड़बड़ है

और अभी वो त्रिलोकेश्वर से कुछ पूछ पाती उससे पहले ही त्रिलोकेश्वर कैदखाने की दीवारों पर छत पर घुसे मारकर तोड़ने का प्रयास करने लगा जिसे देख कर दमयंती का दिल बैठने लगा

क्योंकि इतने सालों तक कैद में रहकर इतनी पीड़ा सहकर भी कभी भी उसने आह भी नही की थी वो आज इतना बैचेन होकर दीवारे तोड़ने का प्रयास कर रहा है

और अभी तक वो ये सब सोच सकती की उसे मित्र के कमरे से भी वही आवाजे आने लगी जैसे दीवार पर हथौड़ा मार रहा हो और ये सब देख कर उसे इतना यकीन हो गया था कि उसके पुत्र के साथ जरूर कुछ बहुत बुरा हुआ है

तो वही शैतानी दुनिया मे इस वक़्त मै बेसुध होकर जमीन पर गिरा हुआ था तो वही वहा की धूल मिट्टी से वहा का कुछ भी दिखाई नही दे रहा था और अभी मे अपनी साँसे दुरस्त कर ही रहा था

की तभी वहा तेज हवाएं चलने लगी थी जिससे वहा की सारी धूल मिट्टी की परत हट गई और सामने के नजारा देखकर मेरा शरीर कांप गया मेरे सामने मायावी योध्दाओं की पूरी फौज थी ऐसा लग रहा था कि जितने मैने मारे थे वो सब फिर से जिंदा हो गए

अगर वहा की जमीन पर उन योध्दाओं की लाशे नही होती तो मे खुद भी नही मानता की मैने किसी को मारा है तो वही मुझे सोच मे देखकर वो राजगुरु हसने लगा जो इस वक़्त हवा में उड़ रहा था

राजगुरु:- क्या हुआ मनुष्य अपनी मौत दिख रही है क्या मै जानता हूँ कि तुम क्या सोच रहे हो ये सब कैसे ये सभी मेरे बनाये हुए मायावी योध्दा है और जब तक मे मर नही जाता तब तक ये ऐसे ही आते रहेंगे

इतना बोलकर वो जोरों से हसने लगा और वही मे बस जमीन पर पड़ा हुआ अपने अपनों के बारे में सोच रहा था प्रिया के बारे में शांति के बारे मेरे मित्रों के बारे में मेरे परिवार समान गुरुओं के बारे में मेरे पिता समान महागुरु के बारे में

मै अभी इस सब के बारे में सोच ही रहा था की तभी वहा पर एक अजीब सी रोशनी फैल गई जिसे देख कर उस राजगुरु की हँसी बंद हो गयी और अभी वो कुछ बोलता उससे पहले ही वहा एक आवाज सबको सुनाई दी जिसने इस युद्ध की तस्वीर ही बदल दी

आवाज़:- तुम्हे मारे बिना ये योध्दा नही मरेंगे लेकिन अगर तुम्हे ही मार दिया तो

मैने जब ये आवाज सुनी तो मुझे ये बहुत पहचानी हुई आवाज लगी और जब मैने उस आवाज की दिशा में देखा तो मे दंग रह गया क्योंकि मेरा अंदाजा बिल्कुल सही था वो आवाज महागुरु की थी और उनके साथ सारे अस्त्र धारक प्रिया और वो पांचो बहने भी थे

तो वही जब सबने मेरा हाल देखा तो सब दंग रह गए तो वही महागुरु के आँखों में इतना क्रोध भर गया कि राजगुरु की तो सिर्फ उनकी आँखे देखकर ही फट गयी वो जानता था कि अस्त्र क्या है और उनकी ताकत क्या है

और महागुरु ने बिना कुछ सोचे बिना एक भी पल गवाए अपनी आँखे बंद ki और अपने काल अस्त्र का आव्हान किया और इस बार उनके हाथों में काल अस्त्र एक भाले के रूप में आ गया

जिसे उन्होंने तुरंत ही राजगुरु और उसके सभी मायावी योध्दाओं पर छोड़ दिया और फिर क्या कोई कुछ समझे या करे उससे पहले ही राजगुरु और उसके योध्दा मारे गए

तो वही जब शांति और प्रिया ने मेरा हाल देखा तो उनकी आँखों से अश्रु बहने लगे और वो तुरंत दौड़ते हुए मेरे पास आ गए तो वही जब मैने उन सबको एक साथ देखा तो दिल को थोड़ा सुकून मिला और जब प्रिया और शांति ने मुझे अपने बाहों में भरा तो दिल में जितने भी बुरे खयाल थे वो सभी मिटने लगे

और उसी सुकून मे मेरी आँखे भारी होने लगी और मेरे आँखों के सामने ऐसा घंघोर अंधेरा छाने लगा जिसमे मुझे ना कुछ सुनाई दे रहा था और नाही कुछ समझ रहा था

बस मे इतना जानता था कि अब मेरा अंत आ गया है जिसे कोई रोक नही सकता और मैने भी खुदको उस अंत के बाहों मे सोप दिया था और अब मेरी आँखे बंद हो गयी और मेरा शरीर निर्जीव होकर मेरे परिवार और प्रेमिकाओं के बाहों में रह गया

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आज के लिए इतना ही

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Tri2010

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अध्याय तीस (भाग 1 का अंत)

अब हालत ऐसे थे की उस पूरे मैदान मे जहाँ कुछ देर पहले उत्सव मनाया जा रहा था सारे दर्शक चीखकर अपने अपने राजाओं और योध्दाओ का मनोबल बढ़ा रहे थे वही अब वो शांत हो गए थे उन्हे देख ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्होंने कोई भूत देख लिया हो तो वही वो राजगुरु अभी भी दंग होकर मैदान मै घूरे जा रहा था और उसके चेहरे पर इस वक़्त क्रोध और बैचेनी साफ दिखाई दे रही थी

राजगुरु :- मनुष्य ये तूने सही नही किया तूने शैतानों के सम्राटों को मारा है और अब तु यहाँ से जिंदा वापस लौट कर नही जा पायेगा अब देख तु मे क्या करता हूँ बच सकता हैं तो बच के दिखा

उसके इतना बोलते ही वहा पर सारे बादल काले पड़ गए जैसे कोई बड़ा तूफान आने वाला है और ऐसा होते ही उस राजगुरु ने अपने दोनों हाथों को हवा में उठाया और कुछ बोलने लगा

और जैसे ही उसने आँखे खोली वैसे ही वहा जितने भी दर्शक थे वो सभी उन्ही मायावी योध्दाओं जैसे बन गए और फिर सभी अपनी अपनी जगह छोड़ कर मुझे घेर कर खड़े हो गए

अभी उस मैदान मे मैं अकेला खड़ा था मेरी जीवन ऊर्जा लगभग खतम हो गयी थी मेरी सासे फूलने लगी थी मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई मेरी सारी ऊर्जा सोखे जा रहा है भले ही मुझे दर्द महसूस नही हो रहा था लेकिन जहाँ जहाँ मुझे जखम लगे थे वहा से मेरा रक्त लगातार बह रहा था

जिससे मेरे शरीर में कमजोरी भी आने लगी थी और वही मुझे घेर कर लाखों करोड़ो मायावी योध्दा जिनका मकसद केवल मेरी जान लेना था तो वही उपर बालकनी मै खड़ा राजगुरु जिसने अपने जादू से आसमान में पूरे बादलों का रंग काला कर दिया था

जिससे वहा घंघोर अंधेरा छा गया था और अभी मे कुछ कर पाता की तभी मेरे दिमाग में एक मंत्र चलने लगा जिसे देख कर मेरे होठों पर मुस्कान छा गयी और मैने तुरंत अपनी दोनों तलवारों को पहले की तरह X की तरह रखा और जैसे ही मैने वो मंत्र पढ़ा

वैसे ही आसमान से भयानक बिजली आकर मेरी तलवरों पर गिरी और कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही मैने वो भयानक बिजली उन सभी मायावी योध्दाओं कि तरफ मौड दिया जिससे कुछ ही देर में वहा केवल मायावी योध्दाओं की लाशे पड़ी हुई थी

इतने भयानक हमला करने से वो पुरा मैदान टूट गया था वहा हर तरफ केवल धूल मिट्टी की परत छा गयी थी जिससे अब वहा किसी को कुछ दिखाई नही दे रहा था तो वही अब मुझसे भी खड़ा नही हो पा रहा था मे इतना कमजोर महसूस करने लगा था कि मे वहा जमीन पर गिर गया

तो वही कैदखाने मे ये सब देख रहे त्रिलोकेश्वर और मित्र ने भी हैरान हो गए थे और दोनों ने भी अपनी ध्यान अवस्था से बाहर आ गए तो वही उनके ध्यान में से बाहर आते ही दमयंती त्रिलोकेश्वर से बार बार सवाल पूछ रही थी लेकिन त्रिलोकेश्वर उसे कुछ बता नही रहा था


बस वो अपनी आँखे बंद करके कुछ बोल रहा था और जैसे ही उसने अपनी आँखे खोली तो उसका रूप बदल गया था जिसे देखकर एक बार के लिए दमयंती भी सहम गयी क्योंकि वो रूप त्रिलोकेश्वर का ब्राम्हराक्षस वाला रूप था जिसे देख दमयंती को ये तो समझ गया था कि जरूर कुछ गड़बड़ है

और अभी वो त्रिलोकेश्वर से कुछ पूछ पाती उससे पहले ही त्रिलोकेश्वर कैदखाने की दीवारों पर छत पर घुसे मारकर तोड़ने का प्रयास करने लगा जिसे देख कर दमयंती का दिल बैठने लगा

क्योंकि इतने सालों तक कैद में रहकर इतनी पीड़ा सहकर भी कभी भी उसने आह भी नही की थी वो आज इतना बैचेन होकर दीवारे तोड़ने का प्रयास कर रहा है

और अभी तक वो ये सब सोच सकती की उसे मित्र के कमरे से भी वही आवाजे आने लगी जैसे दीवार पर हथौड़ा मार रहा हो और ये सब देख कर उसे इतना यकीन हो गया था कि उसके पुत्र के साथ जरूर कुछ बहुत बुरा हुआ है

तो वही शैतानी दुनिया मे इस वक़्त मै बेसुध होकर जमीन पर गिरा हुआ था तो वही वहा की धूल मिट्टी से वहा का कुछ भी दिखाई नही दे रहा था और अभी मे अपनी साँसे दुरस्त कर ही रहा था


की तभी वहा तेज हवाएं चलने लगी थी जिससे वहा की सारी धूल मिट्टी की परत हट गई और सामने के नजारा देखकर मेरा शरीर कांप गया मेरे सामने मायावी योध्दाओं की पूरी फौज थी ऐसा लग रहा था कि जितने मैने मारे थे वो सब फिर से जिंदा हो गए

अगर वहा की जमीन पर उन योध्दाओं की लाशे नही होती तो मे खुद भी नही मानता की मैने किसी को मारा है तो वही मुझे सोच मे देखकर वो राजगुरु हसने लगा जो इस वक़्त हवा में उड़ रहा था

राजगुरु:- क्या हुआ मनुष्य अपनी मौत दिख रही है क्या मै जानता हूँ कि तुम क्या सोच रहे हो ये सब कैसे ये सभी मेरे बनाये हुए मायावी योध्दा है और जब तक मे मर नही जाता तब तक ये ऐसे ही आते रहेंगे

इतना बोलकर वो जोरों से हसने लगा और वही मे बस जमीन पर पड़ा हुआ अपने अपनों के बारे में सोच रहा था प्रिया के बारे में शांति के बारे मेरे मित्रों के बारे में मेरे परिवार समान गुरुओं के बारे में मेरे पिता समान महागुरु के बारे में

मै अभी इस सब के बारे में सोच ही रहा था की तभी वहा पर एक अजीब सी रोशनी फैल गई जिसे देख कर उस राजगुरु की हँसी बंद हो गयी और अभी वो कुछ बोलता उससे पहले ही वहा एक आवाज सबको सुनाई दी जिसने इस युद्ध की तस्वीर ही बदल दी

आवाज़:- तुम्हे मारे बिना ये योध्दा नही मरेंगे लेकिन अगर तुम्हे ही मार दिया तो

मैने जब ये आवाज सुनी तो मुझे ये बहुत पहचानी हुई आवाज लगी और जब मैने उस आवाज की दिशा में देखा तो मे दंग रह गया क्योंकि मेरा अंदाजा बिल्कुल सही था वो आवाज महागुरु की थी और उनके साथ सारे अस्त्र धारक प्रिया और वो पांचो बहने भी थे

तो वही जब सबने मेरा हाल देखा तो सब दंग रह गए तो वही महागुरु के आँखों में इतना क्रोध भर गया कि राजगुरु की तो सिर्फ उनकी आँखे देखकर ही फट गयी वो जानता था कि अस्त्र क्या है और उनकी ताकत क्या है

और महागुरु ने बिना कुछ सोचे बिना एक भी पल गवाए अपनी आँखे बंद ki और अपने काल अस्त्र का आव्हान किया और इस बार उनके हाथों में काल अस्त्र एक भाले के रूप में आ गया

जिसे उन्होंने तुरंत ही राजगुरु और उसके सभी मायावी योध्दाओं पर छोड़ दिया और फिर क्या कोई कुछ समझे या करे उससे पहले ही राजगुरु और उसके योध्दा मारे गए

तो वही जब शांति और प्रिया ने मेरा हाल देखा तो उनकी आँखों से अश्रु बहने लगे और वो तुरंत दौड़ते हुए मेरे पास आ गए तो वही जब मैने उन सबको एक साथ देखा तो दिल को थोड़ा सुकून मिला और जब प्रिया और शांति ने मुझे अपने बाहों में भरा तो दिल में जितने भी बुरे खयाल थे वो सभी मिटने लगे

और उसी सुकून मे मेरी आँखे भारी होने लगी और मेरे आँखों के सामने ऐसा घंघोर अंधेरा छाने लगा जिसमे मुझे ना कुछ सुनाई दे रहा था और नाही कुछ समझ रहा था


बस मे इतना जानता था कि अब मेरा अंत आ गया है जिसे कोई रोक नही सकता और मैने भी खुदको उस अंत के बाहों मे सोप दिया था और अब मेरी आँखे बंद हो गयी और मेरा शरीर निर्जीव होकर मेरे परिवार और प्रेमिकाओं के बाहों में रह गया

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आज के लिए इतना ही

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Beautiful update
 

park

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अध्याय तीस (भाग 1 का अंत)

अब हालत ऐसे थे की उस पूरे मैदान मे जहाँ कुछ देर पहले उत्सव मनाया जा रहा था सारे दर्शक चीखकर अपने अपने राजाओं और योध्दाओ का मनोबल बढ़ा रहे थे वही अब वो शांत हो गए थे उन्हे देख ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्होंने कोई भूत देख लिया हो तो वही वो राजगुरु अभी भी दंग होकर मैदान मै घूरे जा रहा था और उसके चेहरे पर इस वक़्त क्रोध और बैचेनी साफ दिखाई दे रही थी

राजगुरु :- मनुष्य ये तूने सही नही किया तूने शैतानों के सम्राटों को मारा है और अब तु यहाँ से जिंदा वापस लौट कर नही जा पायेगा अब देख तु मे क्या करता हूँ बच सकता हैं तो बच के दिखा

उसके इतना बोलते ही वहा पर सारे बादल काले पड़ गए जैसे कोई बड़ा तूफान आने वाला है और ऐसा होते ही उस राजगुरु ने अपने दोनों हाथों को हवा में उठाया और कुछ बोलने लगा

और जैसे ही उसने आँखे खोली वैसे ही वहा जितने भी दर्शक थे वो सभी उन्ही मायावी योध्दाओं जैसे बन गए और फिर सभी अपनी अपनी जगह छोड़ कर मुझे घेर कर खड़े हो गए

अभी उस मैदान मे मैं अकेला खड़ा था मेरी जीवन ऊर्जा लगभग खतम हो गयी थी मेरी सासे फूलने लगी थी मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई मेरी सारी ऊर्जा सोखे जा रहा है भले ही मुझे दर्द महसूस नही हो रहा था लेकिन जहाँ जहाँ मुझे जखम लगे थे वहा से मेरा रक्त लगातार बह रहा था

जिससे मेरे शरीर में कमजोरी भी आने लगी थी और वही मुझे घेर कर लाखों करोड़ो मायावी योध्दा जिनका मकसद केवल मेरी जान लेना था तो वही उपर बालकनी मै खड़ा राजगुरु जिसने अपने जादू से आसमान में पूरे बादलों का रंग काला कर दिया था

जिससे वहा घंघोर अंधेरा छा गया था और अभी मे कुछ कर पाता की तभी मेरे दिमाग में एक मंत्र चलने लगा जिसे देख कर मेरे होठों पर मुस्कान छा गयी और मैने तुरंत अपनी दोनों तलवारों को पहले की तरह X की तरह रखा और जैसे ही मैने वो मंत्र पढ़ा

वैसे ही आसमान से भयानक बिजली आकर मेरी तलवरों पर गिरी और कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही मैने वो भयानक बिजली उन सभी मायावी योध्दाओं कि तरफ मौड दिया जिससे कुछ ही देर में वहा केवल मायावी योध्दाओं की लाशे पड़ी हुई थी

इतने भयानक हमला करने से वो पुरा मैदान टूट गया था वहा हर तरफ केवल धूल मिट्टी की परत छा गयी थी जिससे अब वहा किसी को कुछ दिखाई नही दे रहा था तो वही अब मुझसे भी खड़ा नही हो पा रहा था मे इतना कमजोर महसूस करने लगा था कि मे वहा जमीन पर गिर गया

तो वही कैदखाने मे ये सब देख रहे त्रिलोकेश्वर और मित्र ने भी हैरान हो गए थे और दोनों ने भी अपनी ध्यान अवस्था से बाहर आ गए तो वही उनके ध्यान में से बाहर आते ही दमयंती त्रिलोकेश्वर से बार बार सवाल पूछ रही थी लेकिन त्रिलोकेश्वर उसे कुछ बता नही रहा था


बस वो अपनी आँखे बंद करके कुछ बोल रहा था और जैसे ही उसने अपनी आँखे खोली तो उसका रूप बदल गया था जिसे देखकर एक बार के लिए दमयंती भी सहम गयी क्योंकि वो रूप त्रिलोकेश्वर का ब्राम्हराक्षस वाला रूप था जिसे देख दमयंती को ये तो समझ गया था कि जरूर कुछ गड़बड़ है

और अभी वो त्रिलोकेश्वर से कुछ पूछ पाती उससे पहले ही त्रिलोकेश्वर कैदखाने की दीवारों पर छत पर घुसे मारकर तोड़ने का प्रयास करने लगा जिसे देख कर दमयंती का दिल बैठने लगा

क्योंकि इतने सालों तक कैद में रहकर इतनी पीड़ा सहकर भी कभी भी उसने आह भी नही की थी वो आज इतना बैचेन होकर दीवारे तोड़ने का प्रयास कर रहा है

और अभी तक वो ये सब सोच सकती की उसे मित्र के कमरे से भी वही आवाजे आने लगी जैसे दीवार पर हथौड़ा मार रहा हो और ये सब देख कर उसे इतना यकीन हो गया था कि उसके पुत्र के साथ जरूर कुछ बहुत बुरा हुआ है

तो वही शैतानी दुनिया मे इस वक़्त मै बेसुध होकर जमीन पर गिरा हुआ था तो वही वहा की धूल मिट्टी से वहा का कुछ भी दिखाई नही दे रहा था और अभी मे अपनी साँसे दुरस्त कर ही रहा था


की तभी वहा तेज हवाएं चलने लगी थी जिससे वहा की सारी धूल मिट्टी की परत हट गई और सामने के नजारा देखकर मेरा शरीर कांप गया मेरे सामने मायावी योध्दाओं की पूरी फौज थी ऐसा लग रहा था कि जितने मैने मारे थे वो सब फिर से जिंदा हो गए

अगर वहा की जमीन पर उन योध्दाओं की लाशे नही होती तो मे खुद भी नही मानता की मैने किसी को मारा है तो वही मुझे सोच मे देखकर वो राजगुरु हसने लगा जो इस वक़्त हवा में उड़ रहा था

राजगुरु:- क्या हुआ मनुष्य अपनी मौत दिख रही है क्या मै जानता हूँ कि तुम क्या सोच रहे हो ये सब कैसे ये सभी मेरे बनाये हुए मायावी योध्दा है और जब तक मे मर नही जाता तब तक ये ऐसे ही आते रहेंगे

इतना बोलकर वो जोरों से हसने लगा और वही मे बस जमीन पर पड़ा हुआ अपने अपनों के बारे में सोच रहा था प्रिया के बारे में शांति के बारे मेरे मित्रों के बारे में मेरे परिवार समान गुरुओं के बारे में मेरे पिता समान महागुरु के बारे में

मै अभी इस सब के बारे में सोच ही रहा था की तभी वहा पर एक अजीब सी रोशनी फैल गई जिसे देख कर उस राजगुरु की हँसी बंद हो गयी और अभी वो कुछ बोलता उससे पहले ही वहा एक आवाज सबको सुनाई दी जिसने इस युद्ध की तस्वीर ही बदल दी

आवाज़:- तुम्हे मारे बिना ये योध्दा नही मरेंगे लेकिन अगर तुम्हे ही मार दिया तो

मैने जब ये आवाज सुनी तो मुझे ये बहुत पहचानी हुई आवाज लगी और जब मैने उस आवाज की दिशा में देखा तो मे दंग रह गया क्योंकि मेरा अंदाजा बिल्कुल सही था वो आवाज महागुरु की थी और उनके साथ सारे अस्त्र धारक प्रिया और वो पांचो बहने भी थे

तो वही जब सबने मेरा हाल देखा तो सब दंग रह गए तो वही महागुरु के आँखों में इतना क्रोध भर गया कि राजगुरु की तो सिर्फ उनकी आँखे देखकर ही फट गयी वो जानता था कि अस्त्र क्या है और उनकी ताकत क्या है

और महागुरु ने बिना कुछ सोचे बिना एक भी पल गवाए अपनी आँखे बंद ki और अपने काल अस्त्र का आव्हान किया और इस बार उनके हाथों में काल अस्त्र एक भाले के रूप में आ गया

जिसे उन्होंने तुरंत ही राजगुरु और उसके सभी मायावी योध्दाओं पर छोड़ दिया और फिर क्या कोई कुछ समझे या करे उससे पहले ही राजगुरु और उसके योध्दा मारे गए

तो वही जब शांति और प्रिया ने मेरा हाल देखा तो उनकी आँखों से अश्रु बहने लगे और वो तुरंत दौड़ते हुए मेरे पास आ गए तो वही जब मैने उन सबको एक साथ देखा तो दिल को थोड़ा सुकून मिला और जब प्रिया और शांति ने मुझे अपने बाहों में भरा तो दिल में जितने भी बुरे खयाल थे वो सभी मिटने लगे

और उसी सुकून मे मेरी आँखे भारी होने लगी और मेरे आँखों के सामने ऐसा घंघोर अंधेरा छाने लगा जिसमे मुझे ना कुछ सुनाई दे रहा था और नाही कुछ समझ रहा था


बस मे इतना जानता था कि अब मेरा अंत आ गया है जिसे कोई रोक नही सकता और मैने भी खुदको उस अंत के बाहों मे सोप दिया था और अब मेरी आँखे बंद हो गयी और मेरा शरीर निर्जीव होकर मेरे परिवार और प्रेमिकाओं के बाहों में रह गया

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आज के लिए इतना ही

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Nice and superb update...
 

Rohit1988

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अध्याय तीस (भाग 1 का अंत)

अब हालत ऐसे थे की उस पूरे मैदान मे जहाँ कुछ देर पहले उत्सव मनाया जा रहा था सारे दर्शक चीखकर अपने अपने राजाओं और योध्दाओ का मनोबल बढ़ा रहे थे वही अब वो शांत हो गए थे उन्हे देख ऐसा लग रहा था कि जैसे उन्होंने कोई भूत देख लिया हो तो वही वो राजगुरु अभी भी दंग होकर मैदान मै घूरे जा रहा था और उसके चेहरे पर इस वक़्त क्रोध और बैचेनी साफ दिखाई दे रही थी

राजगुरु :- मनुष्य ये तूने सही नही किया तूने शैतानों के सम्राटों को मारा है और अब तु यहाँ से जिंदा वापस लौट कर नही जा पायेगा अब देख तु मे क्या करता हूँ बच सकता हैं तो बच के दिखा

उसके इतना बोलते ही वहा पर सारे बादल काले पड़ गए जैसे कोई बड़ा तूफान आने वाला है और ऐसा होते ही उस राजगुरु ने अपने दोनों हाथों को हवा में उठाया और कुछ बोलने लगा

और जैसे ही उसने आँखे खोली वैसे ही वहा जितने भी दर्शक थे वो सभी उन्ही मायावी योध्दाओं जैसे बन गए और फिर सभी अपनी अपनी जगह छोड़ कर मुझे घेर कर खड़े हो गए

अभी उस मैदान मे मैं अकेला खड़ा था मेरी जीवन ऊर्जा लगभग खतम हो गयी थी मेरी सासे फूलने लगी थी मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई मेरी सारी ऊर्जा सोखे जा रहा है भले ही मुझे दर्द महसूस नही हो रहा था लेकिन जहाँ जहाँ मुझे जखम लगे थे वहा से मेरा रक्त लगातार बह रहा था

जिससे मेरे शरीर में कमजोरी भी आने लगी थी और वही मुझे घेर कर लाखों करोड़ो मायावी योध्दा जिनका मकसद केवल मेरी जान लेना था तो वही उपर बालकनी मै खड़ा राजगुरु जिसने अपने जादू से आसमान में पूरे बादलों का रंग काला कर दिया था

जिससे वहा घंघोर अंधेरा छा गया था और अभी मे कुछ कर पाता की तभी मेरे दिमाग में एक मंत्र चलने लगा जिसे देख कर मेरे होठों पर मुस्कान छा गयी और मैने तुरंत अपनी दोनों तलवारों को पहले की तरह X की तरह रखा और जैसे ही मैने वो मंत्र पढ़ा

वैसे ही आसमान से भयानक बिजली आकर मेरी तलवरों पर गिरी और कोई कुछ समझ पाता उससे पहले ही मैने वो भयानक बिजली उन सभी मायावी योध्दाओं कि तरफ मौड दिया जिससे कुछ ही देर में वहा केवल मायावी योध्दाओं की लाशे पड़ी हुई थी

इतने भयानक हमला करने से वो पुरा मैदान टूट गया था वहा हर तरफ केवल धूल मिट्टी की परत छा गयी थी जिससे अब वहा किसी को कुछ दिखाई नही दे रहा था तो वही अब मुझसे भी खड़ा नही हो पा रहा था मे इतना कमजोर महसूस करने लगा था कि मे वहा जमीन पर गिर गया

तो वही कैदखाने मे ये सब देख रहे त्रिलोकेश्वर और मित्र ने भी हैरान हो गए थे और दोनों ने भी अपनी ध्यान अवस्था से बाहर आ गए तो वही उनके ध्यान में से बाहर आते ही दमयंती त्रिलोकेश्वर से बार बार सवाल पूछ रही थी लेकिन त्रिलोकेश्वर उसे कुछ बता नही रहा था

बस वो अपनी आँखे बंद करके कुछ बोल रहा था और जैसे ही उसने अपनी आँखे खोली तो उसका रूप बदल गया था जिसे देखकर एक बार के लिए दमयंती भी सहम गयी क्योंकि वो रूप त्रिलोकेश्वर का ब्राम्हराक्षस वाला रूप था जिसे देख दमयंती को ये तो समझ गया था कि जरूर कुछ गड़बड़ है

और अभी वो त्रिलोकेश्वर से कुछ पूछ पाती उससे पहले ही त्रिलोकेश्वर कैदखाने की दीवारों पर छत पर घुसे मारकर तोड़ने का प्रयास करने लगा जिसे देख कर दमयंती का दिल बैठने लगा

क्योंकि इतने सालों तक कैद में रहकर इतनी पीड़ा सहकर भी कभी भी उसने आह भी नही की थी वो आज इतना बैचेन होकर दीवारे तोड़ने का प्रयास कर रहा है

और अभी तक वो ये सब सोच सकती की उसे मित्र के कमरे से भी वही आवाजे आने लगी जैसे दीवार पर हथौड़ा मार रहा हो और ये सब देख कर उसे इतना यकीन हो गया था कि उसके पुत्र के साथ जरूर कुछ बहुत बुरा हुआ है

तो वही शैतानी दुनिया मे इस वक़्त मै बेसुध होकर जमीन पर गिरा हुआ था तो वही वहा की धूल मिट्टी से वहा का कुछ भी दिखाई नही दे रहा था और अभी मे अपनी साँसे दुरस्त कर ही रहा था

की तभी वहा तेज हवाएं चलने लगी थी जिससे वहा की सारी धूल मिट्टी की परत हट गई और सामने के नजारा देखकर मेरा शरीर कांप गया मेरे सामने मायावी योध्दाओं की पूरी फौज थी ऐसा लग रहा था कि जितने मैने मारे थे वो सब फिर से जिंदा हो गए

अगर वहा की जमीन पर उन योध्दाओं की लाशे नही होती तो मे खुद भी नही मानता की मैने किसी को मारा है तो वही मुझे सोच मे देखकर वो राजगुरु हसने लगा जो इस वक़्त हवा में उड़ रहा था

राजगुरु:- क्या हुआ मनुष्य अपनी मौत दिख रही है क्या मै जानता हूँ कि तुम क्या सोच रहे हो ये सब कैसे ये सभी मेरे बनाये हुए मायावी योध्दा है और जब तक मे मर नही जाता तब तक ये ऐसे ही आते रहेंगे

इतना बोलकर वो जोरों से हसने लगा और वही मे बस जमीन पर पड़ा हुआ अपने अपनों के बारे में सोच रहा था प्रिया के बारे में शांति के बारे मेरे मित्रों के बारे में मेरे परिवार समान गुरुओं के बारे में मेरे पिता समान महागुरु के बारे में

मै अभी इस सब के बारे में सोच ही रहा था की तभी वहा पर एक अजीब सी रोशनी फैल गई जिसे देख कर उस राजगुरु की हँसी बंद हो गयी और अभी वो कुछ बोलता उससे पहले ही वहा एक आवाज सबको सुनाई दी जिसने इस युद्ध की तस्वीर ही बदल दी

आवाज़:- तुम्हे मारे बिना ये योध्दा नही मरेंगे लेकिन अगर तुम्हे ही मार दिया तो

मैने जब ये आवाज सुनी तो मुझे ये बहुत पहचानी हुई आवाज लगी और जब मैने उस आवाज की दिशा में देखा तो मे दंग रह गया क्योंकि मेरा अंदाजा बिल्कुल सही था वो आवाज महागुरु की थी और उनके साथ सारे अस्त्र धारक प्रिया और वो पांचो बहने भी थे

तो वही जब सबने मेरा हाल देखा तो सब दंग रह गए तो वही महागुरु के आँखों में इतना क्रोध भर गया कि राजगुरु की तो सिर्फ उनकी आँखे देखकर ही फट गयी वो जानता था कि अस्त्र क्या है और उनकी ताकत क्या है

और महागुरु ने बिना कुछ सोचे बिना एक भी पल गवाए अपनी आँखे बंद ki और अपने काल अस्त्र का आव्हान किया और इस बार उनके हाथों में काल अस्त्र एक भाले के रूप में आ गया

जिसे उन्होंने तुरंत ही राजगुरु और उसके सभी मायावी योध्दाओं पर छोड़ दिया और फिर क्या कोई कुछ समझे या करे उससे पहले ही राजगुरु और उसके योध्दा मारे गए

तो वही जब शांति और प्रिया ने मेरा हाल देखा तो उनकी आँखों से अश्रु बहने लगे और वो तुरंत दौड़ते हुए मेरे पास आ गए तो वही जब मैने उन सबको एक साथ देखा तो दिल को थोड़ा सुकून मिला और जब प्रिया और शांति ने मुझे अपने बाहों में भरा तो दिल में जितने भी बुरे खयाल थे वो सभी मिटने लगे

और उसी सुकून मे मेरी आँखे भारी होने लगी और मेरे आँखों के सामने ऐसा घंघोर अंधेरा छाने लगा जिसमे मुझे ना कुछ सुनाई दे रहा था और नाही कुछ समझ रहा था

बस मे इतना जानता था कि अब मेरा अंत आ गया है जिसे कोई रोक नही सकता और मैने भी खुदको उस अंत के बाहों मे सोप दिया था और अब मेरी आँखे बंद हो गयी और मेरा शरीर निर्जीव होकर मेरे परिवार और प्रेमिकाओं के बाहों में रह गया

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आज के लिए इतना ही

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Matlab ab dhruva ko bachane ke liye Aastro ko ise dena hoga taki vo Aastra dharak ban sake or or bach jaye Ye Aant nahi ye new Suruat hai ....
 
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