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Romance ajanabi hamasafar -rishton ka gathabandhan

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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भाई जी इंडेक्स बनाना नहीं आता
 

Destiny

Will Change With Time
Prime
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Update - 14


भईया को झिड़ककर पुष्पा उठाकर कमला के पास जा'कर बैठ गई फ़िर कमला के कान में कहा…मेरे भइया आप'को कैसा लगा।

कमला कुछ नहीं कहा बस एक नज़र रघु को देखा ओर मुस्कुरा दिया। पुष्पा को कमला के कान में फूसफूसाते देखकर सुरभि बोली…नटखट कमला बिटिया से तू क्या पुछ रहीं हैं

पुष्पा…ये हमारे बीच की बातें हैं। आप जानकर क्या करोगी?

सुरभि मुस्कुरा दिया फिर महेश से बोला…भाई साहाब हमे तो लडक़ी पसंद हैं। आप क्या कहते हों?

मनोरमा की ओर देख इशारे से पूछा तुम क्या कहती हों तो मनोरमा सिर हिलाकर हां कहा बीबी के हां में सहमति देने पर महेश बोला...जी हमे भी लड़का पसंद हैं। अब कमला हां कर दे तो समझो रिश्ता पक्का।

सभी कमला और रघु की ओर आस भरी निगाहों से देखने लग गए। खासकर कमला की ओर क्योंकि रघु के हाव भाव ने दर्शा दिया था। रघु को कमला पसंद आ गया हैं बस कमला की हां कहने की देर थीं। तब पुष्पा कमला से बोली…मेरे भाई को आप पसंद आ गई हो आप ने हां कह दिया तो आप ही मेरी भाभी बनकर आओगी।

मनोरमा…हां बेटी बोलों तुम्हारा क्या कहना हैं। तुम हां कहोगी तभी हम रिश्ता पक्का करेंगे।

सुरभि…मैं क्या कहती हु दोनों को कुछ वक्त एकांत में एक दुसरे से बात करने का मौका दिया जाएं फिर कमला बिटिया से पूछे तो बेहतर होगा।

राजेंद्र...मेरा भी यही मानना हैं। महेश बाबू आप ओर भाभी जी किया कहते हों।

महेश...हम दोनों आप'की बातों से सहमत है। जाओ कमला दोनों आपस में बात कर लो फिर अपनी मनसा बता देना।

सुरभि...जा रघु दोनों आपस में बात कर लो फिर जो भी तुम्हारे मन में हों हमे बता देना।

दोनों अपने अपने मां बाप को इशारे से माना कर, बात करने जानें से आनाकानी करने लग गए। तो बड़ो के जोर देने पर दोनों एक दूसरे से बात करने को सहमत हों गए। बात करने को सहमत तो हों गए पर मसला आ अटका दोनों को बात करने भेज तो भेजे कहा। तब मनोरमा बोली…हमारे घर के पीछे जो गार्डन बना हैं वहां जा'कर दोनों बात कर लो।

दोनों उठकर घर के बाहर चल दिया। कमला आगे आगे चल रहीं थीं। रघु सिर झुकाए पीछे पीछे चल रहा था। पुष्पा रघु के पास भाग कर गई ओर धीरे से बोली…भईया बुद्धू जैसा बरताव न करना अच्छे से बात करना। ये ही मेरी भाभी बनना चाहिए नहीं तो मैं आपको सजा दूंगी ओर कभी बात नहीं करूंगी।

पुष्पा कहकर अपनी जगह आ'कर बैठ गई। रघु अब फुल टेंशन में आ गया करे तो करे क्या पहली बार किसी अनजान लडक़ी से बात करने जा रहा था ऊपर से बहन ने अल्टीमेटम दे दिया कुछ भी करों उसकी भाभी कमला ही बननी चाहिएं। दोनों गार्डन मे पहुंच कर साथ साथ चल रहे थे। रघु कुछ दूरी बनाया हुआ था। साथ ही ध्यान भी रखा रहा था बॉडी का कोई भी हिस्सा कमला को छू न जाइए।

दिल की धड़कने दोनों का बढ़ गया बात शुरू करे तो कहा से करे, दोनों के लिए यह पहला मौका था। कमला का इसे पहले छिछोरे लडकों से कही बार झड़प हों चुका था लेकिन यह मजरा कुछ ओर था यह पिटना नहीं था बल्कि रिश्ता जोड़ना था और रघु के लिए यह पहला मौका था। रघु हमेशा लड़कियो से दूरी बनाकर रखता था चाहे कॉलेज हो या कही ओर इस बात से रघु को उसके दोस्त बहुत छेडा करते थे खाश कर रघु के बचपन का दोस्त रमन तो रघु पर चढ़ ही बैठता था लेकिन रघु कभी उसका बुरा नहीं माना करता था। लेकिन आज मजरा दूसरा था।

रघु को अल्टीमेटम मिला हुआ था साथ ही उसे अपना जीवन साथी चुनना था रघु ने लामसम कमला को अपना जीवन साथी चुन ही लिया था बस पुष्टि करना रह गया था। बातो का सिलसिला शुरु कहा से करे समझ ही नही पा रहा था। लेकिन कही न कही से शुरु करना ही था तो रघु एक लंबी सांस भरकर छोड़ा फिर बोला…आप'का पसंदीदा विषय क्या हैं?

कमला बातों का मतलब समझ नहीं पाई या ध्यान से नहीं सुना इसलिए असमझी का भाव दर्शाते हुए रघु की ओर देखने लग गई। तब रघु पुष्टि करते हुए बोला…मेरे कहने का मतलब था आप'को किस काम को करने में सबसे ज्यादा रुचि है।

खिला सा मुस्कान बिखेर कमला रघु को देखने लग गई। रघु पहले से ही मोहित था । अब तो ओर भी ज्यादा मोहित हो गया फिर ख़ुद को संभालते हुए बोला…सुनिए आप ऐसे न मुस्कुराओ बड़ी मुस्कील से साहस जुटा कर आप'से बात करने आया हूं। आप ऐसे मुस्कुराते रहे तो मैं कुछ बात नहीं कर पाऊंगा फिर आप मना कर देंगे। अगर ऐसा हुआ तो मेरी बहना प्यारी मुझ'से नाराज़ होगी सो अलग मुझ'से कभी बात भी नहीं करेगी।

रघु को सहजता से बात करते देखकर कमला भी सहज भाव से मुस्कुराते हुए बोली...आप अपने बहन से बहुत प्यार करते हों। तभी आप उनके कहने पर ही मुझ'से बात करने आए हों।

रघु…ऐसा नहीं की मैं आप'से बात नहीं करना चाहता था मेरा आप'से बात करने का मन था वो तो पुष्पा ने अल्टीमेटम दे दिया इसलिए मैंने ऐसा कहा।

कमला...Oooo toooo आप'के बहन ने अल्टीमेटम दे दिया क्या कहा मैं जान सकती हूं?

रघु टपक से बोल पडा…उसने साफ साफ लब्जो में कह दिया आप अगर उसकी भाभी नहीं बनी तो वो मुझ'से कभी बात नहीं करेंगी।
कहते ही रघु को ख्याल आया ये क्या कह दिया? जो नहीं कहना था वो ही बोल दिया। बरहाल जो बोल दिया सो बोल दिया उसे वापस तो नहीं लिए जा सकता इसलिए कमला की ओर देखकर मुस्कुरा दिया। कमला भी एक लुभावनी मुस्कान दिया फिर बोली…ऐसा हैं तो मुझे हां कहना चाहिएं। आप क्या कहते हों?

रघु…क्या कहना चाहिएं? ये सिर्फ और सिर्फ आप'का फैसला हैं। इसमें न मैं न ही कोई ओर आप'के साथ जोर जबर्दस्ती कर हां बुलवा सकते है। शादी कोई गुड्डे गुडियो का खेल नहीं जो आज कर लिया और कल को तोड़ दिया। ये जीवन भर का फैसला हैं तो सोच समझकर ही लेना चाहिएं। मैं चाहूंगा आप जो भी फैसला लेना चाहो सोच समझकर ही लेना।

रघु की समझदारी पूर्ण बाते कहने के दौरान कमला एक टक रघु को देखे जा रही थीं और समझने की कोशिश कर रहीं थी। रघु कहना क्या चाह रहा था। जब उसे समझ आया रघु ने कितनी गहरी बात सरलता से कह दिया। तो रघु की बातों ने कमला के दिल में घर कर लिया और शायद रघु भी कमला के दिल में बस गया होगा। कमला को ऐसे देखते हुए देखकर रघु बोला…आप मुझे ऐसे क्यो देख रही हों? मैंने कुछ गलत बोल दिया।

कमला…अपने कुछ गलत नही बोला मैं तो बस ये समझने की कोशिश कर रहा था अपने कितनी गहरी बात सरल भाव और शब्दो में कह दिया।

रघु अपनी बत्तीसी फाड़ मुस्कुरा दिया। तो जवाब में कमला भी खिला सा मुस्कान बिखेर दिया। मुस्कानों का आदान प्रदान कुछ क्षण चला फिर रघु बोला...मैंने आप'से कहा था आप ऐसे न मुस्कुराया करों, नहीं तो मैं बस आप को मुस्कुराता हुआ देखता रह जाऊंगा फिर जो कहने आया वो कह नहीं पाऊंगा ओर अपने माना कर दिया तो मेरे लिए मुसीबत खडा हों जाएगा।

कमला फिर से मुस्कुरा दिया और बोला…आप ने कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया फिर भी आप कह रहें हों बात नहीं कर पाओगे। अगर मैंने हां कह दिया फिर तो आप'को कोई परेशनी नहीं होगा।

हां सुनकर रघु समझने की कोशिश कर रहा था कमला कहना किया चाहती हैं क्या कमला गुमा फिरा कर हां कह रहीं थी? अब इस झल्ले रघु को कौन समझाए कमला ने उसे हा कहा था लेकिन रघु मंद बुद्धि के साथ साथ बैल बुद्धि होने का प्रमाण दे दिया ये पूछकर…आप'के हां कहने से मेरे सभी समस्याओं का निराकरण हों जाएगा । पहली बार कोई लडक़ी मेरे दिल को इतना भा गया हैं। मैं कह नहीं सकता और वो मेरा जीवन साथी बन जाए इसे अच्छा मेरे लिए ओर क्या हो सकता हैं फिर मेरी बहन मुझ'से नराज हो'कर भी नहीं रहेगा।

कमला...achaaaa।

इतना कह मुस्कुरा दिया। कमला के इस मुस्कान के पीछे एक टोंट का आभास हो रहा था। ऐसे ही दोनो बाते करते हुए चल रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी कमला को कही छुने या कहूं अपनी बॉडी का कोई भी हिस्सा कमला के बॉडी से टच नहीं होने दिया कमला इस बात को भी परख लिया था। जहां दूसरे लडके कमला को बहाने से छूने की कोशिश करते रहते थे। वहीं रघु एक बार भी कमला को छुने की कोशिश नहीं किया इससे कमला पुरी तरह से रघु पर मोहित हों गया। कमला रघु की बातो को सुन भी रहा था और सरल स्वभाव पर विचार भी कर रही थीं। ऐसे सोचा विचारी में चलते हुए कमला डगमगा गई ओर गिरने को हुई। तब रघु ने कमला का हाथ पकड़ कर कमला को गिरने से बचा लिया। हाथ पकड़ते ही कमला रघु को अचंभित हो'कर देखने लग गई। कमला का अचंभित हो'कर देखना लाज़मी था। इतने देर से चलते हुए बात कर रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी अपने बॉडी को कमला के बॉडी से टच नहीं होने दिया और अब अचानक से उसका हाथ थाम लिया। लेकिन जब कमला को अपनी स्थिति का भान हुआ तब कमला मन ही मन मुस्कुरा दिया। कमला संभाल गई तब रघु को भान हुआ उसने क्या किया तो कमला का हाथ छोड़कर बोला...आप ठीक तो हों न, माफ करना मेरे छुने से आप'को बुरा लगा हों तो।

कमला मुस्कुराते हुए बोली…नहीं मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा। आप मुझे नहीं पकड़ते तो मैं गिर जाता, शायद मुझे चोट भी लग जाता। आप को माफी मांगने की जरूरत नहीं हैं। भविष्य में मुझे छुने का अधिकार आप'को ही होगा।

कमला की कहीं हुई कुछ बातो पर गौर किया। कुछ बातो पर नहीं वरना रघु समझ गया होता। कमला ने रघु को हां कह छुने का अधिकार दे दिया। दोनों को आए हुए वक्त ज्यादा हों गया था। इसका भान होते ही रघु ने कह…अब हमे चलना चाहिए बहुत देर हों गया हैं।

कमला को भी लग रहा था उन्हें आए हुए बहुत देर हो गया है लेकिन वो कह नहीं पा रही थीं इसलिए रघु के वापस जाने की बात कहते ही कमला ने भी सिर हिलाकर हां कह दिया। तो दोनों घर की ओर चल दिया। रघु को लगा कमला ने अभी तक हां या न नहीं कहा। तो कमला से पूछा...आप'ने अपना ज़बाब नहीं बताया। बता देते तो अच्छा होता।

रघु का सवाल सुनकर कमला मुस्करा दिया फिर बोली...आप न बिल्कुल बुद्धू हो मैंने तो कब का आप'को हां कह दिया लेकिन आप हों की समझ ही नहीं पाए।

रघु के दिमाग पर जोर पडा कब हां कहा सोचने लग गया जब उसे लगा कमला ने बातों के दौरान कहीं पर भी हां नहीं कह तब सिर खुजते हुए बोला...आप'ने कब हां कहा?

कमला...मैंने आप'को पहली बार तब हा कहा था जब अपने मुझे अपनी बहन की दिए अल्टीमेटम के बारे में बताया था और दूसरी बार तब हां कहा जब अपने मुझे गिरने से बचाया था। मैंने अंत में कहा था। भविष्य में मुझे छुने का अधिकार आप'को ही होगा। अब आप ही बताइए मैंने हां कहा था की न कहा था।

रघु को अपनी गलती समझ में आया ओर मन ही मन खुद को गली दिया फिर बोला….आप ऐसे घुमा फिरा कर हां कहेंगे तो मैं कैसे समझ पाऊंगा।

कमला…मैंने जैसे भी बोला आप'को समझना चाहिएं था कोई लडक़ी सीधे सीधे हां नहीं कहता समझे बुद्धु कहीं के!

रघु कुछ नहीं कहा बस मुस्करा दिया। जबकि कमला ने सीधे सीधे रघु को बुद्धु कह दिया। रघु मुस्कुराने के अलावा कर भी किया सकता था। कमला जैसी खूबसूरत लड़की रघु से प्रभावित होकर शादी के लिए मान गई इससे ज्यादा रघु को ओर क्या चाहिए।

ऐसे ही हसी मजाक करते हुए दोनों घर की ओर चल दिया। दोनों को हंसी मजाक करते हुए देख कर ऐसा लग रहा था जैसे दोनों एक दूसरे को वर्षों से जानते हों, लग ही नहीं रहा था दोनों अजनबी हैं। आज ही एक दूसरे से मिले और कुछ ही वक्त के मेल मिलाप से एक गहरा रिश्ता एक दूसरे से जोड़ लिया।

रघु भले ही सीधा साधा काम बोलने वाला लड़का हैं पर बातों से आकर्षित कर पल भर में गहरा रिश्ता जोड़ लेने वाला गुण देने वाले ने थोक के भाव दिया था। हंसी मजाक करते हुए दोनों घर पहुंच गए। जहां बेसवरी से दोनों का वेट किया जा रहा था। रघु जा'कर पुष्पा के पास बैठ गया। रघु के बैठते ही पुष्पा धीरे से पूछा...भईया क्या कहा?

रघु कुछ न बोला बस मुस्कुरा दिया। कमला जा'कर रघु के सामने लवों पर मंद मंद मुस्कान लिए बैठ गई। सुरभि, राजेंद्र, महेश और मनोरमा कमला का जबाव जानने के लिए उसकी देख रहे थे। रघु से कोई ज़बाब न मिलने पर पुष्पा भी कमला की ओर देखने लग गई ओर उम्मीद करने लग गई शायद कमला ही कुछ बोल दे। लेकिन कमला ने कुछ न बोला बल्कि अपना हाव भाव बदला लिया जैसे कमला को रघु पसन्द न आया हों ये देख सुरभि की धडकने बढ़ गई किसी तरह बढ़ी धड़कनों को काबू कर कमला के पास गई ओर बैठकर बोली...बताओ बेटी तुम्हें मेरा बेटा पसंद आया की नहीं।

कमला बोली कुछ नहीं बस पुष्पा की ओर देखकर मुंह भिचका दिया जैसे वो कहना चाहती हो मुझे रघु बिल्कुल पसंद नहीं आया। कमला को मुंह भिचकता देख पुष्पा का मुंह छोटा सा हों गया। उसे लगा उसकी आस अधूरी रह गई। रघु ने उसकी कही बातो को नजरंदाज कर दिया तब रघु को उंगली दिखाकर बोली...मैं आप'से कभी बात नहीं करुंगी अपने मेरा कहना नहीं माना। घर चलो फिर जीवन भार मेरा दिया सजा भुगतते रहना।

इतना कह पुष्पा मुंह फुलाकर उठ गई ओर बहार को चल दिया। पुष्पा को जाते देख कमला बोली...ननद रानी नाराज हो'कर कहा जा रहीं हों होने वाली भाभी से बात करना है तो मेरे पास आ'कर बैठ सकती हूं।

ननद रानी सुनकर पुष्पा रुक गई। पुष्पा रुकी सो रुकी लेकिन वह मौजुद सभी समझाने की कोशिश कर रहे थे कमला ने अभी किया कहा जब उन्हें समझ आया तो सब मुस्कुरा दिए और इशारों इशारों में एक दूसरे को बधाई देने लग गए। लेकिन पुष्पा को उनसे कोई मतलब नहीं था। उसे तो एक बार फिर से सुनकर कन्फर्म करना था इसलिए बोली...अपने अभी अभी क्या कहा? फिर से कहिए।

कमला...जो अपने सुना मैंने वही कहा।

पुष्पा...मैं भी तो वहीं जानना चाहती हूं। अपने क्या कहा?

कमला...मैंने कहा .. मैंने कहा... मैंने कहा…।

कमला के अधूरा वाक्य बोलने से पुष्प खीज गई और बोली...क्या आप भी पॉज ले ले कर बोला रहीं हों सीधे सीधे बोलो नहीं तो मैं जा रहीं हूं।

कमला…किधर चल दिया होने वाली ननद रानी जी, इधर आओ मैं आप'को अपने हाथों से मिठाई खिलाती हूं।

कमला के कहते ही वह हंसी और ठहाके गूंज उठा पुष्पा जा'कर कमला के पास बैठ गई और कमाल से गले मिलते हुए बोली...thank you thank you भाभी फिर रघु की और देखकर कान पकड़कर बोला sorryyyy भईया।

एक बार फिर से हंसी और ठहाके गूंजने लग गया। कुछ वक्त तक हंसी ठहाके के बाद बात छिड़ी शादी का शुभ मुहूर्त कब की निकली जाए तब महेश ने कहा...राजा जी अगले हफ्ते से कमला का पेपर शुरू होने वाला हैं। इसलिए हम चाहते हैं पेपर के बाद की कोई शुभ मुहूर्त निकाला जाए।

राजेंद्र…आप तो कम से कम राजा जी न बोले हम समधी बनने वाले हैं। रहीं बात शुभ मुहूर्त की तो पेपर हो जानें दीजिए फिर शुभ मुहूर्त निकलबाकर हम अपनी बहु को घर ले जायेंगे तब तक हमारी अमानत को आप के पास रहने देते हैं।

महेश जी भी राजेंद्र की बातों से सहमत हो गया। कुछ देर ओर बातचीत चला फिर खाने पीने की व्यवस्था किया गया खाना खाते हुए सुरभि बोली...बहन जी अपने खाना बहुत ही स्वादिष्ट बनाया हैं।

राजेंद्र...हां जी खाना बहुत स्वादिष्ट और लजीज बना हैं। लगाता है अपने खाना बनाने में मसाले के जगह अपना प्यार भरा भरा के डाला है।

मनोरमा…आप'के तारीफो का हकदार मैं नही कमला हैं इसलिए जितनी भी तारीफे करना हैं कमला की करें।

पुष्पा...वाह भाभी जितनी लाजबाव आप हों उतना ही लाजबाव खाना बनाया।

राजेंद्र…सुरभि अब मुझे तुम्हारे हाथ का बाना खाना अच्छा नहीं लगने वाला मैं तो बहु के हाथ के बने खाने का दीवाना हों गया।

पुष्पा...पापा ज्यादा बाते न बनाओ ओर अपना जेब ढीली करों भाभी को नग दो।

राजेंद्र...हां हां दे दुंगा तुम्हें कहने की जरूरत नहीं हैं पहले खाना खा लूं फिर दे दुंगा।

राजेंद्र के कहते ही सभी खिलखिला दिए ओर कमला आस भरी निगाह से रघु की ओर देखने लग गई जैसे कह रही हों सभी तारीफे कर रहें हैं आप कुछ नहीं कहेंगे। ये देख पुष्पा रघु के कान में बोला...भईया सिर्फ खाए जा रहे हों भाभी की तारीफ तो करों देखो कैसे देख रही हैं जैसे आप'से तारीफें सुनना चाहती हों।

रघु... कमला आप'के बनाए खाने की जितनी भी तारीफ़ किया जाए काम हैं फिर भी मैं इतना ही कहूंगा इतना लजीज खाना मैंने अभी तक नहीं खाया।

बस कमला को इतना ही सुनना था। रघु की तारीफे करना कमला को पसन्द आया ओर कमला मंद मंद मुस्कान बिखेर दिया। खाना पीना होने के बाद राजेंद्र ने कमला को नग दिया फ़िर जानें की अनुमति मांग बहार आ गए रघु एक नज़र कमला को देखा ओर मुस्कुराकर बहार को चल दिया। पुष्पा कमला के पास गई ओर बोली...भाभी आप'के घर का नंबर मिल सकता हैं।

कमला एक पर्चे में नंबर लिखकर पुष्पा को दे दिया। पुष्पा पर्चा अपने पास संभाल कर रख लिया फ़िर बहार आ रघु के साथ कार में बैठ चल दिया।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बाने रहने के लिय सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏🙏
 
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Destiny

Will Change With Time
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Kamala aur raghu ki jodi perfect he.shaddi bhi tay ho gayi.Fantastic update bro..

Nice and excellent update...

lovely update ..

Awesome Updatee

Toh Kamla aur Raghu ne ekdusre ko pasand karliya hai aur dono ki jodi bhi ban gayi hai.

Jab Raavan ko yeh pata chalega tab uska kyaa reaction hoga yeh dekhne layak hoga

बहुत ही खूबसूरत और प्यारा अपडेट। धन्यवाद ।

Tow rishta pakka ho gaya badhiya h
Behtareen update bhai shaandaar

रघु का विहा फिक्स हो गया वैसे कमला ने जानदार फिरकी लेके ऐसा बाउंस मारके हा कहा रघु चारों खाने चित हों गया। पहली ही बार में लडक़ी पटा लिया वाह भाई वाह लेकिन कमला भी कुछ कम नहीं अच्छी फिरकी ली पुष्पा की बहुत मज़ आने वाला हैं जेब सुकन्या और कमला का आमना सामना होगा।

अप्रतिम

Bhai index bana do...

Superb update

are asli hero heroine kab entry lenge story pe....

प्रिय पाठकों आप सब से हाथ जोड़कर माफी चाहत हूं। एक गलती हों गया अपडेट 13 पोस्ट करने के जगह अपडेट 14 पोस्ट कर दिया इसलिए उन पाठकों से निवेदन हैं जिन्होंने अपडेट 14 पढ़ लिया हैं वो इंडेक्स पर अपडेट 13 टैब करे उसे पढ़े फिर वापिस आकार अपडेट 14 दुबारा पढ़े और गाली के साथ अच्छे अच्छे रेवो दे
 

Jaguaar

Prime
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Update - 14



पुष्पा उठाकर कमला के पास जाकर बैठ गई थी फ़िर कमला के कान में कहती हैं…… मेरे भइया अपको कैसी लगीं।


कमला कुछ नहीं कहती बस मुस्कुरा देती हैं। तब सुरभि कहती हैं…….. नटखट तू क्या पुछ रहीं हैं कमला बिटिया से।


पुष्पा टपक से बोल पड़ती हैं…... ये हमारे बीच की बात हैं आप जानकर क्या करोगी।


सुरभि मुस्कुरा देती हैं फिर महेश से कहती हैं……. भाई साहाब हमे तो लडक़ी पसंद हैं आप किया कहते हों।


महेश मनोरमा की ओर देखता हैं मनोरमा हां का इशारा करती हैं तब महेश कहता हैं…. जी हमे भी लड़का पसंद हैं। अब कमला हां कर दे तो समझो रिश्ता पक्का।


सब कमला और रघु की ओर आस भरी निगाहों से देखती हैं खाश कर कमला की ओर क्योंकि रघु के हाव भाव ने दर्शा दिया था। रघु को कमला पसंद आ गया हैं बस कमला की हां कहने की देर थीं। तब पुष्पा कमला से बोलती हैं…... मेरे भाई को आप पसंद आ गई हो अब आप किया कहती हों आप ने हां कह दिया तो आप ही मेरी भाभी बनकर आओगी।


तभी मनोरमा बोलती हैं….. हां बेटी बोलों क्या कहती हों तुम हां कहोगी तभी हम रिश्ता पक्का करेंगे।


तभी सुरभि बोलती हैं….. मैं क्या कहती हु दोनों को कुछ वक्त एकांत में एक दुसरे से बात करने का मौका दिया जाएं फिर कमला बिटिया से पूछे तो बेहतर होगा।


राजेंद्र भी येही कहता हैं। महेश और मनोरमा भी हां कहते हैं। तब दोनों को एक दूसरे से बाहर जाकर बात करने को कहा जाता हैं। पहले तो दोनों मना करते हैं लेकिन जोर देने पर बात करने को राजी हों जाते हैं। अब मसला ये खड़ा होता हैं दोनों को बात करने भेजा कहा जाएं। तब मनोरमा एक सुझाव देती हैं " हमारे घर के पीछे जो गार्डन बना हैं वहां जाकर दोनों बात कर लो।


दोनों उठाकर घर के बाहर चल देते हैं कमला आगे आगे चाल रहीं थीं। रघु सर झुकाए पीछे पीछे चला रहा था। पुष्पा रघु के पास जाती हैं और धीरे से बोलती हैं….. भईया बुद्धू जैसा व्यवहार न करना अच्छे से बात करना। ये ही मेरी भाभी बननी चाहिएं नहीं तो मैं आपसे कभी बात नहीं करूंगी।


पुष्पा कहकर अपनी जगह आकर बैठ जाती हैं। अब तो रघु टेंशन में आ गया था वह करे तो करे क्या पहली बार किसी अनजान लडक़ी से बात करने जा रहा था ऊपर से बहन ने अल्टीमेटम दे दिया कुछ भी करों उसकी भाभी कमला ही बननी चाहिएं। दोनों गार्डन मे पहुंच कर साथ साथ चल रहे थे। रघु कुछ दूरी बनाया हुआ था। साथ ही ध्यान भी रखा रहा था उसके शरीर का कोई भी हिस्सा कमला को छू न जाइए। दोनों की दिल की धड़कन बड़ी हुए थी। बात शुरू करे तो करे कहा से, दोनों के लिए यह पहला मौका था। कमला का तो इसे पहले छिछोरे लडकों से कही बार झड़प हुआ था लेकिन यह मजरा कुछ ओर था यह पिटना नहीं था बल्कि रिश्ता जोड़ना था और रघु के लिए यह पहला मौका था। रघु हमेशा लड़कियो से दूरी बनाकर रखता था चाहे कॉलेज हो या कही ओर इस बात से रघु को उसके दोस्त बहुत छेड़ते थे खाश कर उसका बचपन का दोस्त रमन वो तो रघु पर चढ़ ही बैठता था लेकिन रघु कभी उसका बुरा नहीं मानता था। लेकिन आज मजरा दूसरा था। रघु को अल्टीमेटम मिला हुआ था साथ ही उसे अपना जीवन साथी चुनना था रघु ने लामसम कमला को अपना जीवन साथी चुन ही लिया था बस पुष्टि करना रह गया था। बातो का सिलसिला शुरु कहा से करे समझ ही नही पा रहा था। लेकिन कही न कही से शुरु करना ही था तो रघु एक लंबी सांस भरकर छोड़ा फिर बोला….. अपका पसंदीदा विषय क्या हैं?


कमला बातों का मतलब समझ नहीं पाई या ध्यान से नहीं सुना इसलिए असमझता दर्शाते हुए रघु की और देखने लगीं तब रघु पुष्टि करते हुए बोला….. मेरे कहने का मतलब था अपको किस काम में सबसे ज्यादा रुचि है।


कमला मुस्करा कर रघु को देखती हैं। रघु पहले से ही मोहित था । अब तो वो और भी ज्यादा मोहित हो गया फिर ख़ुद को संभालते हुए बोला…... सुनिए आप ऐसे न मुस्कुराओ बड़ी मुस्कील से साहस जुटा कर आपसे बात करने आया हूं। आप ऐसे मुस्कुराते रहे तो मैं कुछ बात नहीं कर पाऊंगा फिर आप मना कर दोगी। अगर ऐसा हुआ तो मेरी बहना प्यारी मुझसे नाराज़ हों जायेगी सो अलग मुझसे कभी बात भी नहीं करेगी।


रघु को सहजता से बात करते देखकर कमला भी सहज भाव से मुस्कुराते हुए बोलती हैं…… तो आप अपने बहन से बहुत प्यार करते हों। तभी आप उनके कहने पर ही मुझसे बात करने आए हों।


रघु……. ऐसा नहीं की मैं आपसे बात नहीं करना चाहता था मेरा आपसे बात करने का मन था वो तो पुष्पा ने अल्टीमेटम दे दिया इसलिए मैंने ऐसा कहा।



कमला…. ओ तो आपके बहन ने अल्टीमेटम दे दिया क्या कहा मैं जान सकती हूं।


रघु टपक से बोल पडा….. उसने साफ लब्जो में कह दिया आप अगर उसकी भाभी नहीं बनी तो वो मुझसे कभी बात नहीं करेंगी।


कहते ही रघु को आभास हुआ जो नहीं कहना था वह ही बोल दिया बरहाल जो बोल दिया सो बोल दिया उसे वापस तो नहीं लिए जा सकता इसलिए कमला की ओर देखकर मुस्कुरा दिया। कमला भी एक लुभावनी मुस्कान देते हुए बोली…... फिर तो मुझे हां कहना ही चाहिएं आप क्या कहते हों।


रघु…... क्या कहना चाहिएं यह सिर्फ और सिर्फ अपका फैसला हैं। इसमें न मैं कोई जोर जबर्दस्ती कर सकता हूं न ही कोई ओर शादी कोई गुड्डे गुडियो का खेल नहीं जो आज किया और कल तोड़ दिया। यह जीवन भर का फैसला हैं तो सोच समझकर ही लेना चाहिएं।


रघु की समझदारी पूर्ण बाते कहने के दौरान कमला एक टक रघु को देख रही थीं और समझने की कोशिश कर रहीं थी। जब उसे समझ आया रघु ने कितनी गहरी बात सरलता से कह दिया। रघु की बातों ने कमला के दिल में घर कर लिया और शायद रघु भी कमला के दिल में बस गया। कमला को ऐसे देखते हुए देखकर रघु बोला….. आप मुझे ऐसे क्यो देख रही हों मैंने कुछ गलत बोल दिया।


कमला….. नहीं अपने कुछ गलत नही बोला मैं तो बस यह समझने की कोशिश कर रहा था अपने कितनी गहरी बात सरल भाव और शब्दो में कह दिया।


रघु ने चमकीले दांतो के दर्शन करवा दिया रघु को मुस्कुराता देखकर कमला ने भी मुस्करा दिया। कमला को मुस्कुराते देखकर रघु बोला…... मैंने आपसे कहा था आप ऐसे न मुस्कुराओ नहीं तो मैं बस आप को मुस्कुराता हुआ देखता रह जाऊंगा जो बात करने आया हूं वो कर ही नहीं पाऊंगा मेरे कुछ न कहने से हों सकता हैं आप माना कर दो।


कमला फिर से मुस्कुरा दिया और बोली….. आप ने कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया फिर भी आप कह रहें होंआप बात नहीं कर पाओगे। अगर मैंने हां कह दिया फिर तो आपको कोई परेशनी नहीं होगी।


हां सुनाकर रघु समझने की कोशिश कर रहा था कमला कहना किया चाहती हैं क्या कमला गुमा फिरा कर हां कह रहीं थी? अब इस झल्ले रघु को कौन समझाए कमला ने उसे हा कहा था लेकिन ये मंद बुद्धि के साथ साथ बैल बुद्धि होने का प्रमाण दे रहा था। जब रघु समझ नहीं पाया तब बोला….. आप के हां कहने से मेरे सभी समस्याओं का निराकरण हों जाएगा । पहली बार कोई लडक़ी मेरे दिल को इतना भाया हैं की मैं कह नहीं सकता और वह मेरा जीवन साथी बन जाए इसे अच्छा मेरे लिए ओर क्या होगा और मेरी बहन भी मुझसे नराज नहीं होगी।


कमला अच्छा कहकर मुस्कुरा देती हैं उसके इस मुस्कान के पीछे एक टोंट का आभास हो रहा था। ऐसे ही दोनो बाते करते हुए चल भी रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी कमला को कही छुने या कहूं अपनी शरीर का कोई भी हिस्सा कमला के शरीर से संपर्क ही नहीं होने दिया कमला इस बात को भी परख लिया था। जहां दूसरे लडके कमला को बहाने से छूने की कोशिश करते रहते थे। वहीं रघु एक बार भी कमला को छुने की कोशिश नहीं किया इससे कमला पुरी तरह से रघु पर मोहित हों गया। कमला रघु की बातो को सुन भी रहा था और उसके सरल स्वभाव पर विचार भी कर रहा था। ऐसे सोचा विचारी में चलते हुए कमला डगमगा गई और गिरने को हुई। तब रघु ने कमला का हाथ पकड़ कर कमला को गिरने से बचा लिया। हाथ पकड़ते ही कमला रघु को अचंभित होकर देखने लगी। कमला का अचंभित होकर देखना लाज़मी था। इतने देर से चलते हुए बात कर रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी छुने की चेष्टा तक नहीं किया और अब अचानक से उसका हाथ थाम लिया। लेकिन जब कमला को अपनी परिस्थि का भान हुआ तब कमला मन ही मन मुस्कुरा दिया। कमला संभाल गई तब रघु को भान हुआ उसने किया क्या तो कमला का हाथ छोड़कर बोला……आप ठीक तो हों न, माफ करना मेरे छुने से आप को बुरा लगा हों तो।


कमला मुस्कुराते हुए बोली… नहीं मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगा। आप मुझे नहीं पकड़ते तो मैं गिर जाती, शायद मुझे चोट भी लग जाती। आप को माफी मांगने की जरूरत नहीं हैं भविष्य में आप ही तो मुझे ऐसे ही छुएंगे।


कमला की कहीं हुई कुछ बातो पर गौर किया। कुछ बातो पर नहीं वरना रघु जान जाता कमला ने रघु को हां कह दिया। दोनों को आए हुए वक्त ज्यादा हों गया इसका भान होते ही रघु ने कह….. अब हमे चलना चाहिए बहुत देर हों गया हैं।


कमला को भी लग रहा था उन्हें आए हुए बहुत देर हो गई है लेकिन वो कह नहीं पा रही थीं इसलिए रघु के वापस जाने की बात कहते ही कमला ने भी सर हिलाकर हां कह जब दोनों घर की और जा रहे थे तब रघु जबाव जाने के तर्ज पर कहा….. आप ने अपना ज़बाब नहीं बताए।


कमला रघु की सवाल सुनकर मुस्करा दिया और बोली…… आप न बिलकुल बुद्धू हो मैंने तो कब का अपको हा कह दिया लेकिन आप हों की समझ ही नहीं पाए।


रघु के दिमाग पर जोर पडा कब हां कहा सोचने लगा जब उसे लगा कमला ने बातों के दौरान कहीं पर भी हां नहीं कह तब सर खुजते हुए बोला "कब हां कहा अपने"


कमला…… मैंने अपको पहली बार तब हा कहा था जब अपने मुझे अपनी बहन की दिए अल्टीमेटम के बारे में बताया था और दूरी बार तब हां कहा जब अपने मुझे गिरने से बचाया था। मैंने अंत में कहा था। भविष्य में आप ही तो मुझे ऐसे ही छुएंगे। अब आप ही बताइए मैंने हां कहा की नहीं।


रघु को अपनी गलती समझ आया और मन ही मन खुद को गली दिया फिर बोला….आप ऐसे घुमा फिरा कर हां कहेंगे तो मैं कैसे समझ पाऊंगा।


कमला…… मैंने जैसे भी बोला अपको समझना चाहिएं था कोई लडक़ी सीधे सीधे हां नहीं कहती समझे आप।


रघु कुछ नहीं कहा बस मुस्करा दिया। रघु मुस्कुराने के अलावा कर भी किया सकता था। इतनी खूबसूरत लड़की रघु से प्रभावित होकर हां कर देती हैं। ऐसे ही हसी मजाक करते हुए दोनों घर की ओर बड़ने लगे थे। दोनों को हंसी मजाक करते हुए देख कर ऐसा लग रहा था जैसे दोनों एक दूसरे को वर्षों से जानते हों, लग ही नहीं रहा था दोनों अजनबी हैं। आज ही एक दूसरे से मिले हैं और एक गहरा रिश्ता दोनों ने कुछ ही वक्त के मेल मिलाप से जोड़ लिया हैं। रघु भले ही सीधा साधा काम बोलने वाला लड़का हों लेकिन देने वाले ने उसे एक गुण थोक के भाव दिया था। वो हैं अपनी बातों से दूसरे को आकर्षित कर एक गहरा रिश्ता जोड़ लेना। दोनों हंसी मजाक करते हुए घर पहुंचे जहां पर बेसवरी से इनकी प्रतिक्षा किया जा रहा था। रघु जाकर पुष्पा के पास बैठ जाता हैं। बैठते ही पुष्पा रघु को याचक दृष्टि से देख रही थीं जैसे पुछ रहीं हों " क्या हुआ ?" रघु उसके याचक भाव का कोई ज़बाब नहीं दिया। कमला जाकर रघु के सामने बैठ जाती हैं। उसके लवों से मंद मंद मुस्कान के साथ फूलो की बरसा हों रहीं थीं। सुरभि, राजेंद्र, महेश और मनोरमा कमला के जबाव की प्रतिक्षा करते हुए उसकी और देख रहे थे। रघु से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर पुष्पा भी कमला की और ही देखने लगती हैं। लेकिन कमला हैं की कुछ बोल ही नहीं रहीं थीं। और अपना भाव बदल लिया था उसे देखकर सुरभि उठ कर कमला के पास गई और पूछी…... बेटी बताओ अपको मेरा बेटा पसंद आया की नहीं।"


कमला पुष्पा की और देखकर मुंह भिचका लिए जैसे वो कहना चाहती हो मुझे रघु बिल्कुल पसंद नहीं आय। कमला को मुंह भिचकता देख पुष्पा का मुंह छोटा सा हों गया। उसे लगा उसकी आस अधूरी रह गई। रघु ने उसकी कही बातो को नजरंदाज कर दिया तब रघु को उंगली दिखाकर बोला " मैं आपसे कभी बात नहीं करुंगी अपनी मेरा कहना नहीं माना।"


पुष्पा मुंह फुलाकर जानें लगीं तब कमला उसे रोकते हुए बोली "नाराज होकर कहा जा रहीं हों ननद रानी होने वाली भाभी से बात नहीं करोगी।"


ननद रानी सुनाकर पुष्पा रुक गई। पुष्पा रुकी सो रुकी लेकिन वह मौजुद सभी समझाने की कोशिश कर रहे थे कमला ने अभी किया कहा जब उन्हें समझ आया तो सब मुस्कुरा दिया और इशारों इशारों में सब को बधाई देने लगे। लेकिन पुष्पा को उनसे कोई मतलब नहीं था। उसे तो एक बार फिर से सुनकर कन्फर्म करना था इसलिए बोला "अपने अभी अभी क्या कहा?"


कमला " जो अपने सुना"


पुष्पा "मैं भी तो वहीं जानना चाहती हूं अपने ने क्या कहा।"


कमला " मैंने कहा .. मैंने कहा... मैंने कहा…"


कमला के अधूरा वाक्य बोलने से पुष्प खीज गई और बोली "क्या आप भी पॉज ले ले कर बोला रहीं हों सीधे सीधे बोलो नहीं तो मैं जा रहीं हूं।"


कमला….. किधर चाली होने वाली ननद रानी जी इधर आओ मैं आपको अपनी हाथों से मिठाई खिलाती हूं।"


कमला के कहते ही वह हंसी और ठहाके गूंज उठा पुष्पा जाकर कमला के पास बैठ गई और कमाल से गले मिलते हुए बोली "thank you thank you फिर रघु की और देख कर कान पकड़कर sorry sorry भईया।"


एक बार फिर से वह हंसी और ठहाके गूंजने लगा। कुछ वक्त तक हंसी ठहाके के बाद बात छिड़ी शादी का शुभ मुहूर्त कब की निकली जाए तब महेश ने कहा "राजा जी अगले हफ्ते से कमला की परिक्षा शुरू होने वाला हैं। इसलिए हम चाहते हैं परिक्षा की बाद की ही कोई शुभ मुहूर्त जाए।


राजेंद्र …... आप तो कम से कम राजा जी न बोले हम समधी बनने वाले हैं। रहीं बात शुभ मुहूर्त की तो परिक्षा हो जानें दीजिए फिर शुभ मुहूर्त निकलबाकर हम अपनी बहु को घर ले जायेंगे तब तक हमारी अमानत को आप के पास छोड़कर जाते हैं।


महेश जी भी राजेंद्र की बातों से सहमत हो गया। कुछ देर ओर बात चीत चला फिर खाने पीने की व्यवस्था किया गया खाना खाते हुए सब ने खाने की बहुत तारीफ किया। मनोरम ने बता दिया खाना कमला ने बनाया हैं फिर तो कमला के तरीफो के पुल बांध गईं। खाना पीना होने के बाद राजेंद्र सुरभी विदा लेकर जाने लगे तभी रघु ने पुष्पा के कान में कुछ कहा। पुष्पा भागकर कमला के पास गई और कुछ वक्त के बाद कमला ने चुपके से एक पर्चा पुष्पा को थमा दिया। जिसे लाकर रघु के जेब में डाल दिया फिर सब हंसी ख़ुशी घर को चल दिया।
Iss Update ka revos toh pehle hi de diya hai. Ab kyaa likhu ispee
 

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Update - 13


शाम के समय महेश ऑफिस से घर आता हैं। मनोरमा एक गिलास पानी लाकर देती हैं। महेश पानी पीते हुए पूछता हैं…… कमला कहा हैं दिख नहीं रहा।


मनोरमा…… एक पल कमला को देखे बिना अपको चैन नहीं मिलता फिर पुरा दिन आप ऑफिस में कैसे काट लेते हों।


महेश…. कैसे बताऊं मेरा दिन कैसे कटता हैं ये समझ लो बस घड़ी देखता रहता ही कब छुट्टी का समय हों और घर आकर अपने लाडली से मिलूं।


कमला की विदाई की बात सोचकर ही मनोरमा की आंखे नाम हों गई और उसकी गला भर आई। मनोरमा भर्राई आवाज में बोली…….अभी अपका ये हल हैं जबकि कमला दिन रात हमारे सामने रहती हैं। तब क्या करेंगे जब कमला शादी करके दुसरे के घर चली जाएगी।


कमला की विदाई की बात सुनाकर ही महेश की धडकने बड़ गया और उसके आंखो से दो बूंद नीर के टपक ही गया जिसे चाहकर भी महेश रोक नहीं पाया। महेश आंखो से बहते नीर को पोछकर बोला……कह नहीं सकता मैं क्या करूंगा और कैसे रह पाऊंगा लेकिन चाहकर भी मैं उसे अपने पास नहीं रख सकता। मनोरमा मैं तो जैसे तैसे रह लूंगा लेकिन तुम क्या करोगी कैसे रह पाओगी। उसकी विदाई की बात सोचकर ही तुम्हारा गला भर आया।


मनोरमा महेश की बात सुनाकर ही रो दिया बस आवाज़ नहीं निकल रही थीं लेकिन आंखो से नीर बहे जा रही थीं। मनोरमा महेश से लिपट गई और भरराई आवाज़ में बोली…….. कुछ कह नहीं सकती कैसे रह पाऊंगी उसके जानें से मेरा ये आंगन हमेशा हमेशा के लिए सुना हों जायेगी। कैसे रह पाएंगे उसके अलावा हमारा कोई और हैं भी तो नहीं।


महेश मनोरमा को ऐसे अधीर होते हुए देखकर पहले खुद को संभाला फिर मोनारमा से बोला…… मनोरमा कमला अभी विदा नहीं हुई हैं। वो हमारे पास ही हैं। संभालो खुद को अभी विदाई की बात सोचकर ही ये हल हैं। तब क्या करोगी जब कमला विदा होकर जायेगी।


मनोरमा…….. उस दिन तो मेरा कलेजा ही फट जायेगी। आप नहीं जानते आज का पुरा दिन कैसे कटा जब से कमला की रिश्ते की बात करने वो लोग आए।


कमला की रिश्ते की बात सुनाकर महेश अचंभित हों गईं और मनोरमा को ख़ुद से अलग करते हुए बोला…… कमला की रिश्ते की बात करने कौन आया था? हमने तो इस बारे में किसी से बात भी नहीं किया।


मनोरमा….. राज परिवार से राजा जी और उनकी पत्नी आई थी और बड़े विनम्र भाव से मुझसे कमला का हाथ मांग रहे थे।


महेश…… इतने संपन्न परिवार से होकर भी हमारी बेटी का हाथ मांगने आए ये उनकी विनम्रता ही हैं। तुमने क्या कहा?


मनोरमा…… मैं क्या कहती मैं अकेले कैसे फैसला ले सकती हूं बिना आपसे पूछे, उनसे कहा मैं अकेले कोई फैसला नहीं ले सकती तब उन्होंने कहा हम कल फिर आयेंगे आप अपने पति को कह कर घर रुकने को कहना।


महेश…… ये तुमने सही किया। उनके बेटे को तुमने देखा कैसा दिखता हैं। क्या कमला और उनके बेटे की जोड़ी जचेगी।


मनोरमा….. जी नहीं वो दोनों ही आए थे और कह रहे थे कल उनके बेटे को भी साथ लेकर आएंगे। हमे लड़का पसंद आया तो बात आगे बढ़ाएंगे।


महेश….. हमारा पसंद न पसंद करना सर्वोपरि नहीं हैं। कमला को लड़का पसंद आया तो ही हम बात आगे बढ़ाएंगे।


मनोरमा….. वो भी यह ही कह रहें थे। दोनों एक दूसरे को पसंद कर ले तो ही बात आगे बढ़ाएंगे।


महेश…. यह तो अच्छी बात हैं इससे पता चलता हैं उनकी सोच कैसी हैं। मोनरोमा मैं तो कहता ही इससे अच्छा रिश्ता हमे कमला के लिए नहीं मिल सकता बस कमला हां कह दे।


मनोरमा….. हां उनकी सोच बहुत अच्छी हैं और स्वभाव भी बहुत मिलनसार हैं। सुबह जब वो आए थे तब मैं उनके लिए चाय बनाने गई तो राजाजी की पत्नी मेरे साथ साथ किचन में चली गई और मना करने के बाद भी चाय बनाने में मेरी मदद करने लगीं।


महेश चकित होकर बोला…… इतने बड़े घर की होकर भी चाय बनाने में तुम्हारी मदद करने गई और तुमने उन्हें करने दिया तुम्हें उन्हें रोकना चाहिएं था।


मनोरमा…… मैं तो मना कर रहीं थी लेकिन उन्होंने सुना ही नहीं तब जाकर मजबूरी में मुझे उनकी बात माननी पड़ी।


महेश…… तुमने कमला से इस बारे में कोई बात किया ।


मनोरमा….. जी नहीं।


महेश….. ठीक हैं तुम जाओ खाने की तैयारी करों मैं कमला से मिलकर आता हूं। खाना खाने के बाद कमला से बात करेंगे।


मनोरमा खाने की तैयारी करने जाती हैं और महेश कमला से मिलने जाता हैं। वहां जाकर महेश कमला से आज दिन में किया किया किया पूछता हैं। कमला बताते हुए राजेंद्र और सुरभि के घर आने के बारे में भी बता देती हैं फिर कमला भी महेश से उसके आज के दिन के बारे में पूछता हैं। महेश भी चाव से दिन का वर्णन सुना देता हैं। कुछ वक्त और बात करने के बाद महेश चला आता हैं और कमला पढ़ाई करने लग जाती हैं। महेश आकर किचन में जाता हैं और मनोरमा को खाना बनाने में मदद करने लगाता हैं। साथ ही मनोरमा को यह वह छूकर छेड़ने लगाता हैं। तब मनोरमा बोलती हैं……. आप भी न बेटी बड़ी हो गईं और आप हो की बांज नहीं आते उसने देख लिया तो क्या ज़बाब दोगे।


महेश मनोरमा के कमर को कसकर भींच देता हैं। कमर भींचे जानें से मनोरमा के मुंह से "अअअहाहाहा ऊंऊंऊंहूंहूंहूं" की आवाज निकलता हैं फिर महेश के हाथ को हटाते हुए मनोरमा कहती हैं…… क्या करते हों कमला घर पर हैं और आप बेशर्मों की तरह हरकते कर रहें हों।


महेश हाथ को दुबारा मनोरमा के कमर पर रख देता हैं और थोडा आगे बड़ाकर मनोरमा के नाभी पर रख देता हैं और नाभी सहित मांस को भींच देता हैं जिसे मनोरमा के मुंह से "अअअहाहाहा ऊंऊंऊंहूंहूंहूं" की आवाज फिर से निकलती हैं और महेश बोलता हैं…… जब बीवी इतनी खुबसूरत हों तो पति को बेशर्म बनना ही पड़ता हैं। हमारी बेटी बहुत समझदार हैं वो जब भी आती हैं तब आवाज देते हुए आती हैं।


मनोरमा महेश के हाथ को हटा कर महेश को धक्का देकर पिछे कर देती हैं और करचली हाथ में लेकर बोलती हैं…. काम में मदद करने के बजाय ओर बिगाड़ रही हों अभी के अभी बहर जाओ नहीं तो इसी कर्चाली से अपका सर फोड़ दूंगी।


महेश मुस्कुराकरू बाहर जाते हुए बोलता हैं…. गजब की लड़ाकू बीवी मिली है जब भी प्यार करना चाहो तो कभी कर्चली उठा लेगी तो कभी बेलन उठा लेगी। अब मैं प्यार करने किसे पास जाऊं पडोसान के पास ।


मनोरमा कुछ नहीं कहती बस मुस्कुराते हुए काम करने लगाती हैं। महेश जाकर टीवी चलाकर बैठ जाता हैं। कुछ वक्त में मनोरमा खाना तैयार कर लेती हैं फिर खाना डायनिंग टेबल पर लगा देती हैं और कमला को आवाज देकर बुलाती हैं महेश को भी बोलता हैं। कमला के आने के बाद तीनों खाना खाने लगते। उसके बाद कमला कमरे में जा रही थीं तब महेश कमला को कुछ वक्त और बैठने को बोलता हैं। कमला बैठा जाती हैं। मनोरमा और महेश के खाना खां लेने के बाद मनोरमा झूठे बर्तन उठा कर किचन में ले जाती हैं। कमला उसकी मदद करने जाती तो मनोरमा उसे डांट कर भागा देती हैं। कमला डांट खाकर महेश के पास जाकर बैठ जाती हैं। मनोरमा कुछ वक्त में बर्तन धोकर आती हैं तब कमला बोलती हैं…… मां आप बिल्कुल भी अच्छी नहीं हों मैं जब भी अपकी मदद करने जाती हूं लेकिन आप मुझे हर बार डांट कर भागा देती हों।


मनोरमा कमला के पास बैठ गई और बोली…… तू हमारे घर की राजकुमारी हैं। मैं अपनी राजकुमारी को झूठे बर्तन क्यों उठाने दू।


कमला मुस्कुरा कर शेखी बघेरते हुए बोली….. वो तो मैं हूं।


महेश मुस्कुराते हुए बोला……. राजकुमारी जी आपने कोई राजकुमार ढूंढ रखा हैं या हम ही दूर देश से कोई राजकुमार ढूंढ कर लाए।


महेश की बात सुनाकर कमला मुंह खोले देखती रहीं फिर जब उसे समझ आया तो शरमाते हुए नजरे झुका लिया। कमला को शर्माकर नजरे झुकाते देखकर महेश मुस्कुराते हुऐ बोला….. शर्मा गई मतलब राजकुमारी ने अपने लिए राजकुमार ढूंढ रखी हैं। बता दो कौन हैं? हम भी जाने राजकुमारी का पसंद किया राजकुमार कैसा हैं।


महेश की बात सुनकर कमला झट से बोल पड़ी…… मैंने नहीं ढूंढा हैं वो तो आप दोनों ही ढूंढ कर लाओगे।


कमला बोलने को तो बोल दिया लेकिन जब उसे ख्याल आया। क्या बोल गई तब शर्मा कर मनोरमा से लिपट गई। कमला के लिपटे ही मनोरमा और महेश हंस दिए। इनके हंसने से कमला और कस के लिपट गई तब मनोरमा कमला को छेड़ते हुए बोली……. नहीं ढूंढा हैं तो बता दो राजकुमारी को कैसा राजकुमार चाहिएं हम वैसा ही राजकुमार ढूंढ कर लायेंगे।


कमला नहीं बोलती वो ऐसे ही लिपटी रहती। तब मनोरमा उसे ख़ुद से अलग कर उसके ठोडी को पकड़ चहेरा ऊपर कर उसकी ओर देखते हुए बोली…… कमला आज नहीं तो कल हमे तुम्हारे लिए लड़का ढूढना ही होगा। यहां वक्त सभी लडक़ी के जीवन में एक न एक दिन आती ही हैं। तुम अपनी पसंद बता दोगी तो हम तुम्हारे पसंद के मुताबिक लड़का ढूंढ कर लायेंगे।


कमला नजरे उठा कर मनोरमा की ओर देखी, दो तीन बार पलके झपकाई फिर बोली…… मां मेरे लिए लड़का ढूंढने की कोई जरूरत नहीं हैं। मुझे शादी नहीं करनी हैं और न ही आप दोनों से दुर कहीं जाना हैं।


महेश जो कमला से थोड़ी दूर बैठा था। कमला के पास खिसक कर आया और कमला के सर पर हाथ रख सहलाते हुए बोला……... शादी नहीं करनी वो क्यो भला आज नहीं तो कल तुम्हें शादी करना ही होगा।


कमला महेश की ओर देखते हुए बोली…. मुझे न आज शादी करना हैं न कल करना हैं, न ही मुझे आप से दुर जाना हैं मैं आपसे दूर चाली गई तो आप दोनों का ख्याल कौन रखेगा। मेरे अलावा आप दोनों का है ही कौन?


कमला ने महेश को वास्तविकता से अवगत करा दिया। यह सच हैं कमला के अलावा महेश और मनोरमा के जीवन में कोई ओर हैं ही नहीं, सुनाकर महेश और मनोरमा कुछ वक्त के लिए भावुक हो गए फिर खुद को संभाल कर महेश बोला….. कमला तुम कह तो सही रहीं हों लेकिन मैं तुम्हें उम्र भर अपने पास नहीं रख सकता तुम्हें एक न एक दिन इस घर से विदा होकर जाना ही होगा। यह ही समझ की रीत हैं। सभी मां बाप को इस रीत का पालन करना ही होता हैं।


कमला….. मैं नहीं मानती इस रीत को, मैं क्यो जाऊ उस घर को छोड़कर जहां पैदा हुईं पली बड़ी हुई जिसके आंगन में खेली कूदी, मैं नहीं जानें वाली इस घर को छोड़कर।


कमला की बात सुनाकर मनोरमा महेश की और अचंभित होकर देखी , देखे भी क्यो न कमला कह तो सही रहीं थीं फिर मनोरमा कुछ सोचने लगी फिर बोली…... कमला दुनिया की सभी लड़कियों को अपना घर आंगन छोड़कर जाना ही होता हैं। मैं भी तो अपना घर आंगन छोड़कर आई थीं। जब लडक़ी अपनी जन्म स्थली छोड़कर दूसरे के आंगन में जायेगी तभी तो नया सृजन होगी और जीवन चक्र सुचारू रूप से चल पाएगी क्योंकि नारी को ही परमात्मा का वरदान हैं वो गर्भ धारण कर नए जीवन की उत्पत्ति का माध्यम बनती हैं।


मनोरमा की बात कमला ध्यान से सुन रहीं थी और समझ भी रहीं थीं। साथ ही कहीं हुई बातों पर मन ही मन विचार भी कर रहीं थीं। कमला के विचार में मनोरमा का दिया हुआ तर्क कोई मायने नहीं रख रहीं थीं। कुछ मायने रख रहीं थीं तो वह हैं इसके जाने के बाद उसके मां बाप का अकेला पान कैसे दूर होगा। इसलिए कमला बोली…. मां मैं मानता हूं आप जो कह रहीं हों वह सही हैं लेकिन मेरे ऐसा न करने से जीवन चक्र बाधित नहीं होगी क्योंकि दुनिया में और भी नारी हैं जिनसे जीवन चक्र चलती रहेंगी। इसलिए मैं आप दोनों को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी इस जन्म में तो नहीं और अगले जन्म का कुछ कह नहीं सकती।


कमला की बाते सुनाकर मनोरमा और महेश एक दूसरे को देखने लगे और सोचने लगे अब कमला को कैसे समझाए अगर कोई वाजिब कारण नहीं बताया तो कमला राजी ही नहीं होगी। इसलिए कुछ वक्त विचार करने के बाद महेश बोला…….. कमला तुम जो कह रहीं हों वह सही हैं। लेकिन तुम जरा विचार करो जमाना मुझे और तुम्हारी मां को क्या कहेंगी। वो हमे ताने देंगे हों सकता हैं मुझ पर लांछन भी लगाए । तुम क्या चहती दुनिया मुझ पर लांछन लगाए तो ठीक हैं मैं तुम्हें शादी करने के लिए कभी मजबुर नहीं करूंगा।


कमला…… नहीं पापा न मैंने कभी आप पर लांछन लगे ऐसा कोई काम किया हैं न ही आगे कभी करूंगी। मैं शादी करने को राजी हूं लेकिन मेरी एक शर्त हैं।


कमला के हां कहते ही दोनों ने चैन की सांस ली लेकिन कुछ ही पल के लिए, शर्त की बात कहते ही दोनों फिर से बेचैन हों गए और बेचैनी में ही महेश बोला…… शर्त क्या हैं वो भी बता दो।


कमला….. शर्त यह हैं शादी के बाद आप दोनों भी मेरे साथ चलोगी या फिर लड़का ऐसा ढूंढोगे जो घर जमाई बनने को तैयार हों।


कमला की बात सुनाकर महेश और मनोरमा मुस्करा दिए और मनोरमा बोली…… घर जमाई तो हम रखने से रहे लेकिन हम तुम्हारे साथ दहेज में जरुर जा सकते हैं।


ये कहकर दोनों हंस दिए। कमला उनको हंसते देखकर बोली……. मैं मजाक नहीं कर रहीं हूं।


मनोरमा…… मैं भी मजाक नहीं कर रहीं हम सच में तुम्हारे साथ दहेज में जायेंगे।


कमला…... सच्ची.


मनोरमा कमला के गाल खींचते हुए बोली….. मुच्ची मेरी राजकुमारी।


राजेंद्र…… कमला कल तुम कॉलेज नहीं जाओगी कल कुछ लोग आ रहे हैं तुम्हें देखने।


कमला….. कल ही इतनी जल्दी आप तो बहुत तेज निकले इतनी जल्दी भी क्या थीं।


मनोरमा….. वो लोग देखने आ रहें हैं शादी करने नहीं और पूछोगी नहीं कौन आ रहे हैं।


कमला…..कौन आ रहे हैं?



मनोरमा…… तुम भी उनसे मिल चुकी हों और सुबह ही तुम उन्हें घर लेकर आई थीं।


कमला ने दिमाग में जोर डाली याद किया फिर बोली….. ओ तो बो लोग हैं आज ही तो आए थे फिर कल क्यो आयेंगे।


मनोरमा…… वो अपनी बात कहने आए थे। कल वो लडके को लेकर आएंगे तुम भी लडके को देख लेना लड़का तुम्हें भी देख लेगा तुम दोनों एक दूसरे को पसंद करोगी तब ही हम बात को आगे बढ़ाएंगे।


कमला…… मेरे पसंद करने की जरूरत ही नहीं हैं आप दोनों मेरे लिए गलत लड़का थोड़ी न चुनोगे इसलिए आप दोनों की पसंद ही मेरी पसंद होगी।


महेश….. पसंद तो तुम्हें ही करना होगा। क्योंकि ज़िंदगी भर साथ तुम्हें ही रहना हैं इसलिए तुम्हें पसंद आना जरूरी हैं न की हमे।


यह सुनाकर कमला कुछ नहीं कहती चुप रहती। कहती भी तो क्या कहती उसके पास कुछ बचा ही नहीं था। महेश उसकी चुप्पी को हा समझकर बोलता हैं।……. कमला तुम कल कॉलेज नहीं जाओगी और अच्छे से तैयार होकर रहोगे। जिससे मेरी बेटी ओर खुबसुरत दिखे और वो लोग तुम्हें देखकर न नहीं कह पाए।


कमला एक बार फिर से शर्मा जाती हैं। फिर उसे कुछ याद आती हैं तब बोलती हैं….. पापा कल मुझे कॉलेज जाना ही होगा बहुत जरूरी हैं।


महेश…… जरूरी हैं या बहने बना रही हों।


कमला…… नहीं पापा मैं बहने नहीं बना रही कल मेरा जाना जरूरी हैं अगले हफ्ते से पेपर हैं और कल प्रवेश पत्र बांटा जाएगा।


महेश…… ठीक हैं चली जाना और लेकर जल्दी आ जाना।


कमला हां में सर हिला देती हैं। इसके बाद तीनों अपने अपनें कमरे में चले जाते हैं। महेश और मनोरमा कमरे में जाकर कपड़े बदलते हैं और कुछ वक्त दोनों बाते करते हैं और फिर अपने रस लीला में मगन हों जाते हैं।


………………………………..



अगले दिन सुबह नाश्ता करने के बाद कमला कॉलेज जाने लगी थी तब महेश रोककर कहता हैं…… कमला रुको मैं भी तुम्हरे साथ चलता हू।


कमला हां में सर हिला देती और महेश के साथ कॉलेज चल दिया था। दूसरी ओर नाश्ता करने की बाद राजेंद्र सब को जल्दी से तैयार होने को कहता हैं तब रघु पूछता हैं…. पापा हमे जाना कहा है आप कुछ बताते क्यों नहीं।


रघु की बात सुनकर राजेंद्र मुस्कुरा देता हैं साथ ही सुरभि भी मुस्कुरा देती हैं। तब पुष्पा बोलती हैं……. हां पापा बताओ न हम जा कहा रहें हैं।


सुरभि मुस्कुराते हुए बोलती हैं……. बेटी हम तुम्हारे भईया के लिए लडक़ी देखने जा रहे। हैं।


लडक़ी देखने की बात सुनकर रघु बगले झांकने लगाता हैं। उसे देखकर लग रहा था रघु लड़की शब्द सुनाकर असहज महसूस कर रहा था। उसे देखकर सुरभि, राजेंद्र और पुष्पा मुस्करा देते हैं फिर सुरभि बोलती हैं….. तुझे क्या हुआ?


रघु….. मां मेरा जाना जरूरी हैं आप सब देखकर आओ न।


सुरभि…. हे भगवान कैसा लड़का हैं। रघु लडक़ी शब्द सुनते ही तेरे हाथ पांव क्यों सूज जाता हैं।


रघु….. मां मेरा हाथ पाव नही सूजा हैं। देखो आप मेरा हाथ पांव ठीक हैं। मुझे तो बस……


सुरभि रघु की पूरी बात बिना सुने ही बोल पड़ती हैं…… तुझे डर लगाता हैं। बेटा वो भी इंसान हैं। कोई बहसी जानवर नहीं जो तुझे खां जाएगी।


रघु सुरभि की ओर देखते हुए बोलता हैं…... मां मैं जानता हूं वो बहसी जानवर नहीं हैं। मुझे बस शर्म आता हैं।


सुरभि मुस्कुराते हुऐ बोली……. रघु तू कैसा लड़का हैं तेरे उम्र के लडके भंवरा बनकर लड़कियों के आगे पीछे मंडराते रहते हैं और एक तू हैं लडक़ी शब्द सुनकर ही शर्मा जाता हैं।


सुरभि की बाते सुनकर रघू ऐसा कुछ बोल देता हैं जिसे सुनकर सुरभि और राजेंद्र को गर्व की अनुभूति होता हैं। रघु बोलता हैं……मां मैं ऐसा ही हूं अब मैं क्या करूं। मैं दूसरे लडको की तरह करता तो क्या आप दोनों को अच्छा लगाता। मां मैं ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता जिससे मेरे मां बाप का सर लोगों के सामने शर्म से झुक जाएं।


रघु की बात सुनकर सुरभि और राजेंद्र एक पल के लिए भावुक हों गए थे। उनका भावुक होना स्भाविक था। रघु ने आज से पहले कभी कुछ ऐसा किया न आगे ऐसा कुछ करना चाहता जिससे उसके मां बाप का सर झुक जाएं। रघु की बात सुनकर राजेंद्र को यकीन हों गया था। वो रघु को जैसा बना चाहता था रघु बिलकुल वैसा ही बना उसके लिए अपने मां बाप का मन सम्मान सर्वोपरि है। तब राजेंद्र जाकर रघु को गले से लगा लेता और पीट थपथपाते हुए बोलता हैं…... रघु बेटा तुम्हारे जैसे पुत्र की कामना सभी मां बाप करते हैं। मैं धन्य हूं जो तुम हमरा बेटा बनकर इस धरा पर आएं। फिर रघु से अलग होकर बोला "बेटा तुम्हारी मां के कहने का मतलब यह नहीं था की तुम दूसरे लडको की तरह लड़कियो के पीछे मंडराते फिरो उसके कहने का मतलब यह था तुम लडक़ी शब्द से इतना शरमाया न करों।


फिर सुरभि बोलती हैं….. रघु मैं और तुम्हारी बहन भी तो लडक़ी हैं। तुम हमसे तो शरमाते नहीं हों फिर क्यों दूसरे लड़कियो का जीकर आते ही शर्मा जाते हों।


इस बात का रघु के पास जवाब ही नहीं था कहता भी तो क्या कहता उसके पास कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं था। रघु तैयार होने की बात कहकर चल देता हैं। तब राजेंद्र के कहने पर पुष्पा भी तैयार होने जाती हैं और राजेंद्र और सुरभि भी तैयार होने जाते हैं। कमरे में जाकर सुरभि कहते हैं….. सुरभि रघु ऐसे शर्माता रहेगा तो शादी के बाद इसका क्या होगा।


राजेंद्र…… सुधर जाएगा शादी होने दो फिर बन जाएगा बेशर्म जैसा मैं हूं। कहकर राजेंद्र सुरभि के पास जाकर पीछे से चिपक जाता हैं और सुरभि के कंधे और गर्दन पर चुम्बनो की झड़ी लगा देता हैं। सुरभि राजेंद्र को पीछे धकेल कर बोलती हैं…… आप तो हों ही बेशर्म कहीं भी शुरु हों जाते हों। अब देर नहीं हों रहीं हैं।


राजेंद्र…… देर तो हों रहीं हैं लेकिन खुबसूरत बीवी को देखकर खुद को रोक नहीं पाया। तुम्हें देखता हु तो मेरे तन बदन में आग लग जाता हैं।


सुरभि मुस्कुराते हुए बोलती हैं…. तुम्हारे तन बदन में जलती आग के कारण दो बचे पैदा हों गए लेकिन अभी तक आपकी आग बुझी ही नहीं।


राजेंद्र….. जिसके पास आग भड़कने वाली तुम्हारी जैसी घी हों तो आग बुझेगी नहीं। ओर ज्यादा धधक उठेगी।


सुरभि अलमारी से कपड़े निकाल रहीं थी जब राजेंद्र बोल रहा था। कपड़े निकलकर सुरभी बोलती हैं….. संभाल कर रहिएगा कही ऐसा न हो ये घी आग को इतना भड़का दे की आप ही जलकर भस्म हों जाओ।


बोलकर सुरभि बॉथरूम में घूस जाती हैं। राजेंद्र बाथरूम के पास जाकर बोलता हैं……मैं तो चाहता हु तुम आग को इतना भड़काओ कि मैं ख़ुद ही जलकर भस्म हों जाऊ लेकिन तुम हों भड़कती ही नहीं ।


सुरभि कुछ नहीं कहती बस खिलखिला कर हंस देती हैं। राजेंद्र भी आगे कुछ नहीं कहता और अलमारी से कपड़े निकलने लग जाता हैं। सुरभि तैयार होकर निकलती हैं तो राजेंद्र सुरभि को देखकर उसकी तारीफों के पुल बांध देता हैं तब सुरभि राजेंद्र को धकेलकर बाथरूम भेजती हैं। कुछ वक्त में दोनों तैयार होकर बाहर आते हैं जहां रघु अकेले बैठे बैठें बोर हो रहा था। कुछ वक्त में पुष्पा भी आ जाती हैं। जाने वाले चार और ड्राइवर जग्गू को मिलकर पांच तो सुरभि रघु और पुष्पा को एक कार मे जाने को कहते हैं और राजेंद्र ओर सुरभि एक कार में जायेंगे। तब सब अपने अपने कार में बैठकर चल देते हैं।



…………………………………………………



महेश कमला के साथ उसका प्रवेश पत्र लेकर घर आ जाते हैं। उनके आते ही मनोरम कमला को अच्छे से तैयार होने को कहता हैं। कमला न नुकार के बाद तैयार होने चल देती हैं कमला तैयार होकर आती हैं। किचन में मां की मदद करने चाल देती हैं। कमला को देखकर मनोरमा डांटती हैं लेकिन कमला मां की डांट की परवाह न करते हुए बोलती हैं……. मां आज आप कितना भी डांट लो मैं अपकी एक भी नहीं सुनने वाली आज तो मैं अपकी मदद तो करूंगा और सब खुद ही बनूंगी।


मनोरमा…. वो क्यो भला।


कमला मुस्कुराते हुए बोली….. वो इसलिए ताकि लडके वाले ये न कहें लडक़ी को खाना बना ही नहीं आता हम यह रिश्ता नहीं करेंगे यह रिश्ता टूट गई तो आप मुझे फिर से किसी ओर के सामने बिठा दोगी।


मनोरमा पहले मुस्कुरा देती हैं फिर भौहें नचाते हुए बोलती हैं…… कमला तू कब से इतनी बेशर्म हों गई हैं और तुझे शादी करने की इतनी जल्दी हैं कि पहली बार में लडके वालो को प्रभावित करना चहती हैं।


कमला मुस्कुराई और मां को चिड़ते हुए बोली……. मां लडके की मां बाप तो पहले से ही प्रभावित हैं मुझे तो बस लडके का मन मोहोना हैं। जिससे वो मुझे नकार न सके और शादी को राजी हों जाए।


मनोरमा आगे कुछ नहीं कहती और चुप चाप कमला जो करती हैं करने देती हैं। कमला को मन लगकर किचन में काम करते हुए देखकर मनोरमा हर्षित हो जाती हैं। ऐसा नहीं की कमला को खाना बनाना नहीं आती थी। कमला को खाना बनाने में बहुत रुचि हैं और कमला छोटी उम्र में ही नाना प्रकार के व्यंजन बनाना सीख गई थी। साथ ही कमला पाक कला की पढ़ाई भी कर रहीं थीं। जिससे उसकी पका कला ओर भी निखर गई थीं। भोजन बनने का काम पुरा होने के बाद कमला कमरे में जाती हैं और एक बार फिर से तैयार होने लगती कमला खुद को सजाने संवारने में कोई कमी नहीं रखती। ऐसा नहीं कि कमला खुबसूरत नहीं थी। कमला के खुबसूरती के चर्चे कॉलेज और आस पास के कई इलाके में थी और कमला आज अपना जीवन साथी चुनना जा रही थीं तो वो कोई कमी नहीं रखना चाहती थी। वैसे तो कमला ज्यादा मेकप नहीं करती लेकिन आज हल्का टच ऑफ करके दमकते चहरे को ओर दमका लेती हैं।


महेश और मनोरमा ने उनके स्वगत में सारी तैयारी कर लिया था। वो भी उनके स्वागत में कोई कमी नहीं रखना चाहते थे और पलके बिछाए उनकी प्रतीक्षा कर रहें थे। इनके प्रतिक्षा की घड़ी समाप्त हुआ और राजेंद्र की कार इनके घर के बाहर आ कर रुका, कार की आवाज़ सुनकर दोनों बाहर गए। उन्हें सम्मान सहित अंदर लेकर आए और उन्हें बैठने को कहा एक सोफे पर राजेंद्र और सुरभि बैठे गए एक पर पुष्पा और रघु बैठ गए। रघु को देखकर मनोरमा और महेश को पहली नजर में पसंद आ गया और मन ही मन विनती करने लगे की कमला भी रघु को देखकर पसंद कर ले और हां का दे। बातो के दौरान रघु के सभ्य और शालीन व्यवहार ने महेश और मनोरमा को ओर ज्यादा मोहित कर लिया। चाय नाश्ते के बाद महेश के कहने पर मनोरमा कमला को लेने गई। कमला लाइट पर्पल रंग की सलवार सूट और पिंक रंग की दुप्पटा सर में रखकर मां के साथ धीरे धीरे चलकर आती हैं। सुरभि राजेंद्र और पुष्पा कमला की खूबसूरती को देखकर मंत्रमुग्ध हों जाते हैं। तभी पुष्पा रघु को कोहनी मरकर कमला की और दिखता हैं रघु कमला के खुबसूरत और दमकते चहरे को देखकर चकोर पक्षी जैसे चांदी रात में चांद की खूबसूरती को ताकता हैं। वैसे ही रघु मोहित होकर कमला को देखता हैं। कमला भी तिरछी निगाहों से रघु की ओर देखती हैं। रघु को टकटकी लगाए देखते देखकर कमला के लवों पर मंद मंद मुस्कान आ जाती हैं। कमला के मुस्कुराते लव जिसमें हल्की पिंक रंग की लिपस्टिक पुता हुआ था। जिसे देखकर रघु पुरा झनझना जाता हैं। रघु को ऐसे देखते देखकर सुरभि और राजेंद्र मुस्कुरा देते हैं। वैसा ही हल महेश और मनोरमा का था कमला तो पहले से मुस्कुरा रहीं थीं। कमला को लाकर मनोरमा रघु के सामने बैठा दिया और रघु अब भी अपलक कमला को देखें जा रहा था। तब पुष्पा रघु के कान में बोलती हैं……. बहुत देख लिए अब तो देखना बंद करों सब देखकर हंस रहे हैं।


रघु होश में आकर इधर उधार देखता हैं फिर सर झुकाकर बैठ जाता हैं जिसे देखकर कमला की मुस्कान न चाहते हुए ओर भी और गहरी हों जाती हैं और पुष्पा फिर से रघु के कान में कहती हैं….. क्या भईया झल्ले जैसा क्यों कर रही हों अपना सर उठाकर बैठो ऐसे शरमाओगे तो लडक़ी और लडक़ी वालो पर गलत इंप्रेशन पड़ेगा।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से, साथ बाने रहने के लिए आप सब पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।





आगे ओर किया किया होता हैं ये जानेंगे अगले अपडेट से, प्रिय पाठकों पिछले कुछ दिनों से समय की कमी के चलते आप सब से मुखातिब नहीं हों पाया। क्या करे ज़िंदगी में बहुत से जरूरी कम होते हैं जिसे करना भी जरूरी होता। इसलिए जब जब समय मिलेगा कहानी के आगे के अपडेट को पेश करता रहूंगा। बस इतना कहूंगा देर भले हि हों यह कहानी पूरा होकर रहेगा । शुक्रिया
Superbb Updateee

Toh Raghu ladki ke baare mein sunke hi sharmaane laga hai. Jab dekhega toh kyaa haal hoga bechare kaa. (Waise pata hai kyaa haal hota hai :lol: )
 

DARK WOLFKING

Supreme
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lovely update ..pushpa ne chetawani de di apne bhai ko ki kamla ki haa hi honi chahiye .
raghu ne bhi anjane me wo baat bol di aur kamla ne indirectly haa bhi keh diya par raghu uske isharo ko samajh hi nahi paaya 🤣..
pushpa to naraj ho gayi thi par kamla ne direct nanand rani bula liya aur sabko apna jawab mil gaya 😍..
ab kamla ki exam hone par hi shadi karane ka faisla kiya hai ab dekhte hai koi pareshani to nahi aayegi inki shadi me .
 

Luffy

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Update - 13


शाम के समय महेश ऑफिस से घर आता हैं। मनोरमा एक गिलास पानी लाकर देती हैं। महेश पानी पीते हुए पूछता हैं…… कमला कहा हैं दिख नहीं रहा।


मनोरमा…… एक पल कमला को देखे बिना अपको चैन नहीं मिलता फिर पुरा दिन आप ऑफिस में कैसे काट लेते हों।


महेश…. कैसे बताऊं मेरा दिन कैसे कटता हैं ये समझ लो बस घड़ी देखता रहता ही कब छुट्टी का समय हों और घर आकर अपने लाडली से मिलूं।


कमला की विदाई की बात सोचकर ही मनोरमा की आंखे नाम हों गई और उसकी गला भर आई। मनोरमा भर्राई आवाज में बोली…….अभी अपका ये हल हैं जबकि कमला दिन रात हमारे सामने रहती हैं। तब क्या करेंगे जब कमला शादी करके दुसरे के घर चली जाएगी।


कमला की विदाई की बात सुनाकर ही महेश की धडकने बड़ गया और उसके आंखो से दो बूंद नीर के टपक ही गया जिसे चाहकर भी महेश रोक नहीं पाया। महेश आंखो से बहते नीर को पोछकर बोला……कह नहीं सकता मैं क्या करूंगा और कैसे रह पाऊंगा लेकिन चाहकर भी मैं उसे अपने पास नहीं रख सकता। मनोरमा मैं तो जैसे तैसे रह लूंगा लेकिन तुम क्या करोगी कैसे रह पाओगी। उसकी विदाई की बात सोचकर ही तुम्हारा गला भर आया।


मनोरमा महेश की बात सुनाकर ही रो दिया बस आवाज़ नहीं निकल रही थीं लेकिन आंखो से नीर बहे जा रही थीं। मनोरमा महेश से लिपट गई और भरराई आवाज़ में बोली…….. कुछ कह नहीं सकती कैसे रह पाऊंगी उसके जानें से मेरा ये आंगन हमेशा हमेशा के लिए सुना हों जायेगी। कैसे रह पाएंगे उसके अलावा हमारा कोई और हैं भी तो नहीं।


महेश मनोरमा को ऐसे अधीर होते हुए देखकर पहले खुद को संभाला फिर मोनारमा से बोला…… मनोरमा कमला अभी विदा नहीं हुई हैं। वो हमारे पास ही हैं। संभालो खुद को अभी विदाई की बात सोचकर ही ये हल हैं। तब क्या करोगी जब कमला विदा होकर जायेगी।


मनोरमा…….. उस दिन तो मेरा कलेजा ही फट जायेगी। आप नहीं जानते आज का पुरा दिन कैसे कटा जब से कमला की रिश्ते की बात करने वो लोग आए।


कमला की रिश्ते की बात सुनाकर महेश अचंभित हों गईं और मनोरमा को ख़ुद से अलग करते हुए बोला…… कमला की रिश्ते की बात करने कौन आया था? हमने तो इस बारे में किसी से बात भी नहीं किया।


मनोरमा….. राज परिवार से राजा जी और उनकी पत्नी आई थी और बड़े विनम्र भाव से मुझसे कमला का हाथ मांग रहे थे।


महेश…… इतने संपन्न परिवार से होकर भी हमारी बेटी का हाथ मांगने आए थे ये उनकी विनम्रता ही हैं। तुमने क्या कहा?


मनोरमा…… मैं क्या कहती मैं अकेले कैसे फैसला ले सकती हूं बिना आपसे पूछे, उनसे कहा मैं अकेले कोई फैसला नहीं ले सकती तब उन्होंने कहा हम कल फिर आयेंगे आप अपने पति को कह कर घर रुकने को कहना।


महेश…… ये तुमने सही किया। उनके बेटे को तुमने देखा कैसा दिखता हैं। क्या कमला और उनके बेटे की जोड़ी जचेगी।


मनोरमा….. जी नहीं वो दोनों ही आए थे और कह रहे थे कल उनके बेटे को भी साथ लेकर आएंगे। हमे लड़का पसंद आया तो बात आगे बढ़ाएंगे।


महेश….. हमारा पसंद न पसंद करना सर्वोपरि नहीं हैं। कमला को लड़का पसंद आया तो ही हम बात आगे बढ़ाएंगे।


मनोरमा….. वो भी यह ही कह रहें थे। दोनों एक दूसरे को पसंद कर ले तो ही बात आगे बढ़ाएंगे।


महेश…. यह तो अच्छी बात हैं इससे पता चलता हैं उनकी सोच कैसी हैं। मनोरमा मैं तो कहता हूं इससे अच्छा रिश्ता हमे कमला के लिए नहीं मिल सकता बस कमला हां कह दे।


मनोरमा….. हां उनकी सोच बहुत अच्छी हैं और स्वभाव भी बहुत मिलनसार हैं। सुबह जब वो आए थे तब मैं उनके लिए चाय बनाने गई तो राजाजी की पत्नी मेरे साथ साथ किचन में चली गई और मना करने के बाद भी चाय बनाने में मेरी मदद करने लगीं।


महेश चकित होकर बोला…… इतने बड़े घर की होकर भी चाय बनाने में तुम्हारी मदद करने गई और तुमने उन्हें करने दिया तुम्हें उन्हें रोकना चाहिएं था।


मनोरमा…… मैं तो मना कर रहीं थी लेकिन उन्होंने सुना ही नहीं तब जाकर मजबूरी में मुझे उनकी बात माननी पड़ी।


महेश…… तुमने कमला से इस बारे में कोई बात किया ।


मनोरमा….. जी नहीं।


महेश….. ठीक हैं तुम जाओ खाने की तैयारी करों मैं कमला से मिलकर आता हूं। खाना खाने के बाद कमला से बात करेंगे।


मनोरमा खाने की तैयारी करने जाती हैं और महेश कमला से मिलने जाता हैं। वहां जाकर महेश कमला से आज दिन में क्या क्या किया पूछता हैं। कमला बताते हुए राजेंद्र और सुरभि के घर आने के बारे में भी बता देती हैं फिर कमला भी महेश से उसके आज के दिन के बारे में पूछता हैं। महेश भी चाव से दिन का वर्णन सुना देता हैं। कुछ वक्त और बात करने के बाद महेश चला आता हैं और कमला पढ़ाई करने लग जाती हैं। महेश आकर किचन में जाता हैं और मनोरमा को खाना बनाने में मदद करने लगाता हैं। साथ ही मनोरमा को यह वह छूकर छेड़ने लगाता हैं। तब मनोरमा बोलती हैं……. आप भी न बेटी बड़ी हो गईं हैं और आप हो की बांज नहीं आते उसने देख लिया तो क्या ज़बाब देंगे।


महेश मनोरमा के कमर को कसकर भींच देता हैं। कमर भींचे जानें से मनोरमा के मुंह से "अअअहाहाहा ऊंऊंऊंहूंहूंहूं" की आवाज निकलता हैं फिर महेश के हाथ को हटाते हुए मनोरमा कहती हैं…… क्या करते हों कमला घर पर हैं और आप बेशर्मों की तरह हरकते कर रहें हों।


महेश हाथ को दुबारा मनोरमा के कमर पर रख देता हैं और थोडा आगे बड़ाकर मनोरमा के नाभी पर रख देता हैं और नाभी सहित मांस को भींच देता हैं जिसे मनोरमा के मुंह से "अअअहाहाहा ऊंऊंऊंहूंहूंहूं" की आवाज फिर से निकलती हैं और महेश बोलता हैं…… जब बीवी इतनी खुबसूरत हों तो पति को बेशर्म बनना ही पड़ता हैं। हमारी बेटी बहुत समझदार हैं वो जब भी आती हैं तब आवाज देते हुए आती हैं।


मनोरमा महेश के हाथ को हटा कर महेश को धक्का देकर पिछे कर देती हैं और करचली हाथ में लेकर बोलती हैं…. काम में मदद करने के बजाय ओर बिगाड़ रहे हों अभी के अभी बहर जाओ नहीं तो इसी कर्चाली से अपका सर फोड़ दूंगी।


महेश मुस्कुरा कर बाहर जाते हुए बोलता हैं…. गजब की लड़ाकू बीवी मिली है जब भी प्यार करना चाहो तो कभी कर्चली उठा लेगी तो कभी बेलन उठा लेगी। अब मैं प्यार करने किसके पास जाऊं पडोसान के पास ।


मनोरमा कुछ नहीं कहती बस मुस्कुराते हुए काम करने लगाती हैं। महेश जाकर टीवी चलाकर बैठ जाता हैं। कुछ वक्त में मनोरमा खाना तैयार कर लेती हैं फिर खाना डायनिंग टेबल पर लगा देती हैं और कमला को आवाज देकर बुलाती हैं महेश को भी बोलता हैं। कमला के आने के बाद तीनों खाना खाने लगते हैं। उसके बाद कमला कमरे में जा रही थीं तब महेश कमला को कुछ वक्त और बैठने को बोलता हैं। कमला बैठा जाती हैं। मनोरमा और महेश के खाना खां लेने के बाद मनोरमा झूठे बर्तन उठा कर किचन में ले जाती हैं। कमला उसकी मदद करने जाती तो मनोरमा उसे डांट कर भागा देती हैं। कमला डांट खाकर महेश के पास जाकर बैठ जाती हैं। मनोरमा कुछ वक्त में बर्तन धोकर आती हैं तब कमला बोलती हैं…… मां आप बिल्कुल भी अच्छी नहीं हों मैं जब भी अपकी मदद करने जाती हूं लेकिन आप मुझे हर बार डांट कर भागा देती हों।


मनोरमा कमला के पास बैठ गई और बोली…… तू हमारे घर की राजकुमारी हैं। मैं अपनी राजकुमारी को झूठे बर्तन क्यों उठाने दू।


कमला मुस्कुरा कर शेखी बघेरते हुए बोली….. वो तो मैं हूं।


महेश मुस्कुराते हुए बोला……. राजकुमारी जी आपने कोई राजकुमार ढूंढ रखा हैं या हम ही दूर देश से कोई राजकुमार ढूंढ कर लाए।


महेश की बात सुनाकर कमला मुंह खोले देखती रहीं फिर जब उसे समझ आया तो शरमाते हुए नजरे झुका लिया। कमला को शर्माकर नजरे झुकाते देखकर महेश मुस्कुराते हुऐ बोला….. शर्मा गई मतलब राजकुमारी ने अपने लिए राजकुमार ढूंढ रखी हैं। बता दो कौन हैं? हम भी जाने राजकुमारी का पसंद किया राजकुमार कैसा हैं।


महेश की बात सुनकर कमला झट से बोल पड़ी…… मैंने नहीं ढूंढा हैं वो तो आप दोनों ही ढूंढ कर लाओगे।


कमला बोलने को तो बोल दिया लेकिन जब उसे ख्याल आया। क्या बोल गई तब शर्मा कर मनोरमा से लिपट गई। कमला के लिपटे ही मनोरमा और महेश हंस दिए। इनके हंसने से कमला और कस के लिपट गई तब मनोरमा कमला को छेड़ते हुए बोली……. नहीं ढूंढा हैं तो बता दो राजकुमारी को कैसा राजकुमार चाहिएं हम वैसा ही राजकुमार ढूंढ कर लायेंगे।


कमला नहीं बोलती वो ऐसे ही लिपटी रहती। तब मनोरमा उसे ख़ुद से अलग कर उसके ठोडी को पकड़ चहेरा ऊपर कर उसकी ओर देखते हुए बोली…… कमला आज नहीं तो कल हमे तुम्हारे लिए लड़का ढूढना ही होगा। यहां वक्त सभी लडक़ी के जीवन में एक न एक दिन आती ही हैं। तुम अपनी पसंद बता दोगी तो हम तुम्हारे पसंद के मुताबिक लड़का ढूंढ कर लायेंगे।


कमला नजरे उठा कर मनोरमा की ओर देखी, दो तीन बार पलके झपकाई फिर बोली…… मां मेरे लिए लड़का ढूंढने की कोई जरूरत नहीं हैं। मुझे शादी नहीं करनी हैं और न ही आप दोनों से दुर कहीं जाना हैं।


महेश जो कमला से थोड़ी दूर बैठा था। कमला के पास खिसक कर आया और कमला के सर पर हाथ रख सहलाते हुए बोला……... शादी नहीं करनी वो क्यो भला आज नहीं तो कल तुम्हें शादी करना ही होगा।


कमला महेश की ओर देखते हुए बोली…. मुझे न आज शादी करना हैं न कल करना हैं, न ही मुझे आप से दुर जाना हैं मैं आपसे दूर चाली गई तो आप दोनों का ख्याल कौन रखेगा। मेरे अलावा आप दोनों का है ही कौन?


कमला ने महेश को वास्तविकता से अवगत करा दिया। यह सच हैं कमला के अलावा महेश और मनोरमा के जीवन में कोई ओर हैं ही नहीं, सुनाकर महेश और मनोरमा कुछ वक्त के लिए भावुक हो गए फिर खुद को संभाल कर महेश बोला….. कमला तुम कह तो सही रहीं हों लेकिन मैं तुम्हें उम्र भर अपने पास नहीं रख सकता तुम्हें एक न एक दिन इस घर से विदा होकर जाना ही होगा। यह ही समाज की रीत हैं। सभी मां बाप को इस रीत का पालन करना ही होता हैं।


कमला….. मैं नहीं मानती इस रीत को, मैं क्यो जाऊ उस घर को छोड़कर जहां पैदा हुईं पली बड़ी हुई जिसके आंगन में खेली कूदी, मैं नहीं जानें वाली इस घर को छोड़कर।


कमला की बात सुनाकर मनोरमा महेश की और अचंभित होकर देखी , देखे भी क्यो न कमला कह तो सही रहीं थीं फिर मनोरमा कुछ सोचने लगी फिर बोली…... कमला दुनिया की सभी लड़कियों को अपना घर आंगन छोड़कर जाना ही होता हैं। मैं भी तो अपना घर आंगन छोड़कर आई थीं। जब लडक़ी अपनी जन्म स्थली छोड़कर दूसरे के आंगन में जायेगी तभी तो नया सृजन होगी और जीवन चक्र सुचारू रूप से चल पाएगी क्योंकि नारी को ही परमात्मा का वरदान हैं वो गर्भ धारण कर नए जीवन की उत्पत्ति का माध्यम बनती हैं।


मनोरमा की बात कमला ध्यान से सुन रहीं थी और समझ भी रहीं थीं। साथ ही कहीं हुई बातों पर मन ही मन विचार भी कर रहीं थीं। कमला के विचार में मनोरमा का दिया हुआ तर्क कोई मायने नहीं रख रहीं थीं। कुछ मायने रख रहीं थीं तो वह हैं इसके जाने के बाद उसके मां बाप का अकेला पान कैसे दूर होगा। इसलिए कमला बोली…. मां मैं मानता हूं आप जो कह रहीं हों वह सही हैं लेकिन मेरे ऐसा न करने से जीवन चक्र बाधित नहीं होगी क्योंकि दुनिया में और भी नारी हैं जिनसे जीवन चक्र चलती रहेंगी। इसलिए मैं आप दोनों को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी इस जन्म में तो नहीं और अगले जन्म का कुछ कह नहीं सकती।


कमला की बाते सुनाकर मनोरमा और महेश एक दूसरे को देखने लगे और सोचने लगे अब कमला को कैसे समझाए अगर कोई वाजिब कारण नहीं बताया तो कमला राजी ही नहीं होगी। इसलिए कुछ वक्त विचार करने के बाद महेश बोला…….. कमला तुम जो कह रहीं हों वह सही हैं। लेकिन तुम जरा विचार करो जमाना मुझे और तुम्हारी मां को क्या कहेंगे। वो हमे ताने देंगे हों सकता हैं मुझ पर लांछन भी लगाए । तुम क्या चहती दुनिया मुझ पर लांछन लगाए तो ठीक हैं मैं तुम्हें शादी करने के लिए कभी मजबुर नहीं करूंगा।


कमला…… नहीं पापा न मैंने कभी आप पर लांछन लगे ऐसा कोई काम किया हैं न ही आगे कभी करूंगी। मैं शादी करने को राजी हूं लेकिन मेरी एक शर्त हैं।


कमला के हां कहते ही दोनों ने चैन की सांस ली लेकिन कुछ ही पल के लिए, शर्त की बात कहते ही दोनों फिर से बेचैन हों गए और बेचैनी में ही महेश बोला…… शर्त क्या हैं वो भी बता दो।


कमला….. शर्त यह हैं शादी के बाद आप दोनों भी मेरे साथ चलोगी या फिर लड़का ऐसा ढूंढोगे जो घर जमाई बनने को तैयार हों।


कमला की बात सुनाकर महेश और मनोरमा मुस्करा दिए और मनोरमा बोली…… घर जमाई तो हम रखने से रहे लेकिन हम तुम्हारे साथ दहेज में जरुर जा सकते हैं।


ये कहकर दोनों हंस दिए। कमला उनको हंसते देखकर बोली……. मैं मजाक नहीं कर रहीं हूं।


मनोरमा…… मैं भी मजाक नहीं कर रहीं हम सच में तुम्हारे साथ दहेज में जायेंगे।


कमला…... सच्ची.


मनोरमा कमला के गाल खींचते हुए बोली….. मुच्ची मेरी राजकुमारी।


राजेंद्र…… कमला कल तुम कॉलेज नहीं जाओगी कल तुम्हें देखने कुछ लोग आ रहे हैं ।


कमला….. कल ही इतनी जल्दी आप तो बहुत तेज निकले इतनी जल्दी भी क्या थीं।


मनोरमा….. वो लोग देखने आ रहें हैं शादी करने नहीं और पूछोगी नहीं कौन आ रहे हैं।


कमला…..कौन आ रहे हैं?



मनोरमा…… तुम भी उनसे मिल चुकी हों और सुबह ही तुम उन्हें घर लेकर आई थीं।


कमला ने दिमाग में जोर डाली याद किया फिर बोली….. ओ तो बो लोग हैं आज ही तो आए थे फिर कल क्यो आयेंगे।


मनोरमा…… वो अपनी बात कहने आए थे। कल वो लडके को लेकर आएंगे तुम भी लडके को देख लेना लड़का तुम्हें भी देख लेगा तुम दोनों एक दूसरे को पसंद करोगी तब ही हम बात को आगे बढ़ाएंगे।


कमला…… मेरे पसंद करने की जरूरत ही नहीं हैं आप दोनों मेरे लिए गलत लड़का थोड़ी न चुनोगे इसलिए आप दोनों की पसंद ही मेरी पसंद होगी।


महेश….. पसंद तो तुम्हें ही करना होगा। क्योंकि ज़िंदगी भर साथ तुम्हें ही रहना हैं इसलिए तुम्हें पसंद आना जरूरी हैं न की हमे।


यह सुनाकर कमला कुछ नहीं कहती चुप रहती। कहती भी तो क्या कहती उसके पास कुछ बचा ही नहीं था। महेश उसकी चुप्पी को हा समझकर बोलता हैं।……. कमला तुम कल कॉलेज नहीं जाओगी और अच्छे से तैयार होकर रहोगे। जिससे मेरी बेटी ओर खुबसुरत दिखे और वो लोग तुम्हें देखकर न नहीं कह पाए।


कमला एक बार फिर से शर्मा जाती हैं। फिर उसे कुछ याद आती हैं तब बोलती हैं….. पापा कल मुझे कॉलेज जाना ही होगा बहुत जरूरी हैं।


महेश…… जरूरी हैं या बहने बना रही हों।


कमला…… नहीं पापा मैं बहने नहीं बना रही कल मेरा जाना जरूरी हैं अगले हफ्ते से पेपर हैं और कल प्रवेश पत्र बांटा जाएगा।


महेश…… ठीक हैं चली जाना और लेकर जल्दी आ जाना।


कमला हां में सर हिला देती हैं। इसके बाद तीनों अपने अपनें कमरे में चले जाते हैं। महेश और मनोरमा कमरे में जाकर कपड़े बदलते हैं और कुछ वक्त दोनों बाते करते हैं और फिर अपने रस लीला में मगन हों जाते हैं।


………………………………..



अगले दिन सुबह नाश्ता करने के बाद कमला कॉलेज जाने लगी थी तब महेश रोककर कहता हैं…… कमला रुको मैं भी तुम्हरे साथ चलता हू।


कमला हां में सर हिला देती और महेश के साथ कॉलेज चल दिया । दूसरी ओर नाश्ता करने की बाद राजेंद्र सब को जल्दी से तैयार होने को कहता हैं तब रघु पूछता हैं…. पापा हमे जाना कहा है आप कुछ बताते क्यों नहीं।


रघु की बात सुनकर राजेंद्र मुस्कुरा देता हैं साथ ही सुरभि भी मुस्कुरा देती हैं। तब पुष्पा बोलती हैं……. हां पापा बताओ न हम जा कहा रहें हैं।


सुरभि मुस्कुराते हुए बोलती हैं……. बेटी हम तुम्हारे भईया के लिए लडक़ी देखने जा रहे। हैं।


लडक़ी देखने की बात सुनकर रघु बगले झांकने लगाता हैं। उसे देखकर लग रहा था रघु लड़की शब्द सुनाकर असहज महसूस कर रहा था। उसे देखकर सुरभि, राजेंद्र और पुष्पा मुस्करा देते हैं फिर सुरभि बोलती हैं….. तुझे क्या हुआ?


रघु….. मां मेरा जाना जरूरी हैं आप सब देखकर आओ न।


सुरभि…. हे प्रभु कैसा लड़का हैं। रघु लडक़ी शब्द सुनते ही तेरे हाथ पांव क्यों सूज जाता हैं।


रघु….. मां मेरा हाथ पाव नही सूजा हैं। देखो आप मेरा हाथ पांव ठीक हैं। मुझे तो बस……


सुरभि रघु की पूरी बात बिना सुने ही बोल पड़ती हैं…… तुझे डर लगाता हैं। बेटा वो भी इंसान हैं। कोई बहसी जानवर नहीं जो तुझे खां जाएगी।


रघु सुरभि की ओर देखते हुए बोलता हैं…... मां मैं जानता हूं वो बहसी जानवर नहीं हैं। मुझे बस शर्म आता हैं।


सुरभि मुस्कुराते हुऐ बोली……. रघु तू कैसा लड़का हैं तेरे उम्र के लडके भंवरा बनकर लड़कियों के आगे पीछे मंडराते रहते हैं और एक तू हैं लडक़ी शब्द सुनकर ही शर्मा जाता हैं।


सुरभि की बाते सुनकर रघू ऐसा कुछ बोल देता हैं जिसे सुनकर सुरभि और राजेंद्र को गर्व की अनुभूति होता हैं। रघु बोलता हैं……मां मैं ऐसा ही हूं अब मैं क्या करूं। मैं दूसरे लडको की तरह करता तो क्या आप दोनों को अच्छा लगाता। मां मैं ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता जिससे मेरे मां बाप का सर लोगों के सामने शर्म से झुक जाएं।


रघु की बात सुनकर सुरभि और राजेंद्र एक पल के लिए भावुक हों गए थे। उनका भावुक होना स्भाविक था। रघु ने आज से पहले कभी कुछ ऐसा किया था न आगे ऐसा कुछ करना चाहता था जिससे उसके मां बाप का सर झुक जाएं। रघु की बात सुनकर राजेंद्र को यकीन हों गया था। वो रघु को जैसा बना चाहता था रघु बिलकुल वैसा ही बना उसके लिए अपने मां बाप का मन सम्मान सर्वोपरि है। तब राजेंद्र जाकर रघु को गले से लगा लेता और पीट थपथपाते हुए बोलता हैं…... रघु बेटा तुम्हारे जैसे पुत्र की कामना सभी मां बाप करते हैं। मैं धन्य हूं जो तुम हमरा बेटा बनकर इस धरा पर आएं। फिर रघु से अलग होकर बोला "बेटा तुम्हारी मां के कहने का मतलब यह नहीं था की तुम दूसरे लडको की तरह लड़कियो के पीछे मंडराते फिरो उसके कहने का मतलब यह था तुम लडक़ी शब्द से इतना शरमाया न करों।


फिर सुरभि बोलती हैं….. रघु मैं और तुम्हारी बहन भी तो लडक़ी हैं। तुम हमसे तो शरमाते नहीं हों फिर क्यों दूसरे लड़कियो का जीकर आते ही शर्मा जाते हों।


इस बात का रघु के पास जवाब ही नहीं था कहता भी तो क्या कहता उसके पास कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं था। रघु तैयार होने की बात कहकर चल देता हैं। तब राजेंद्र के कहने पर पुष्पा भी तैयार होने जाती हैं और राजेंद्र और सुरभि भी तैयार होने जाते हैं। कमरे में जाकर सुरभि कहते हैं….. सुरभि रघु ऐसे शर्माता रहेगा तो शादी के बाद इसका क्या होगा।


राजेंद्र…… सुधर जाएगा शादी होने दो फिर बन जाएगा बेशर्म जैसा मैं हूं। कहकर राजेंद्र सुरभि के पास जाकर पीछे से चिपक जाता हैं और सुरभि के कंधे और गर्दन पर चुम्बनो की झड़ी लगा देता हैं। सुरभि राजेंद्र को पीछे धकेल कर बोलती हैं…… आप तो हों ही बेशर्म कहीं भी शुरु हों जाते हों। अब देर नहीं हों रहीं हैं।


राजेंद्र…… देर तो हों रहीं हैं लेकिन खुबसूरत बीवी को देखकर खुद को रोक नहीं पाया। तुम्हें देखता हु तो मेरे तन बदन में आग लग जाता हैं।


सुरभि मुस्कुराते हुए बोलती हैं…. तुम्हारे तन बदन में जलती आग के कारण दो बचे पैदा हों गए लेकिन अभी तक आपकी आग बुझी ही नहीं।


राजेंद्र….. जिसके पास आग भड़कने वाली तुम्हारी जैसी घी हों तो आग बुझेगी नहीं। ओर ज्यादा धधक उठेगी।


सुरभि अलमारी से कपड़े निकाल रहीं थी जब राजेंद्र बोल रहा था। कपड़े निकलकर सुरभी बोलती हैं….. संभाल कर रहिएगा कही ऐसा न हो ये घी आग को इतना भड़का दे की आप ही जलकर भस्म हों जाओ।


बोलकर सुरभि बॉथरूम में घूस जाती हैं। राजेंद्र बाथरूम के पास जाकर बोलता हैं……मैं तो चाहता हु तुम आग को इतना भड़काओ कि मैं ख़ुद ही जलकर भस्म हों जाऊ लेकिन तुम हों की भड़कती ही नहीं ।


सुरभि कुछ नहीं कहती बस खिलखिला कर हंस देती हैं। राजेंद्र भी आगे कुछ नहीं कहता और अलमारी से कपड़े निकलने लग जाता हैं। सुरभि तैयार होकर निकलती हैं तो राजेंद्र सुरभि को देखकर उसकी तारीफों के पुल बांध देता हैं तब सुरभि राजेंद्र को धकेलकर बाथरूम भेजती हैं। कुछ वक्त में दोनों तैयार होकर बाहर आते हैं जहां रघु अकेले बैठे बैठें बोर हो रहा था। कुछ वक्त में पुष्पा भी आ जाती हैं। जाने वाले चार और ड्राइवर जग्गू को मिलकर पांच तो सुरभि रघु और पुष्पा को एक कार मे जाने को कहते हैं और राजेंद्र ओर सुरभि एक कार में जायेंगे। तब सब अपने अपने कार में बैठकर चल देते हैं।



…………………………………………………



महेश कमला के साथ उसका प्रवेश पत्र लेकर घर आ जाते हैं। उनके आते ही मनोरम कमला को अच्छे से तैयार होने को कहता हैं। कमला न नुकार के बाद तैयार होने चल देती हैं कमला तैयार होकर आती हैं। किचन में मां की मदद करने चाल देती हैं। कमला को देखकर मनोरमा डांटती हैं लेकिन कमला मां की डांट की परवाह न करते हुए बोलती हैं……. मां आज आप कितना भी डांट लो मैं अपकी एक भी नहीं सुनने वाली आज तो मैं अपकी मदद तो करूंगा और सब खुद ही बनूंगी।


मनोरमा…. वो क्यो भला।


कमला मुस्कुराते हुए बोली….. वो इसलिए ताकि लडके वाले ये न कहें लडक़ी को खाना बना ही नहीं आता हम यह रिश्ता नहीं करेंगे यह रिश्ता टूट गई तो आप मुझे फिर से किसी ओर के सामने बिठा देगें।


मनोरमा पहले मुस्कुरा देती हैं फिर भौहें नचाते हुए बोलती हैं…… कमला तू कब से इतनी बेशर्म हों गई हैं और तुझे शादी करने की इतनी जल्दी हैं कि पहली बार में लडके वालो को प्रभावित करना चहती हैं।


कमला मुस्कुराई और मां को चिड़ते हुए बोली……. मां लडके की मां बाप तो पहले से ही प्रभावित हैं मुझे तो बस लडके का मन मोहोना हैं। जिससे वो मुझे नकार न सके और शादी को राजी हों जाए।


मनोरमा आगे कुछ नहीं कहती और चुप चाप कमला जो करती हैं करने देती हैं। कमला को मन लगकर किचन में काम करते हुए देखकर मनोरमा हर्षित हो जाती हैं। ऐसा नहीं की कमला को खाना बनाना नहीं आती थी। कमला को खाना बनाने में बहुत रुचि हैं और कमला छोटी उम्र में ही नाना प्रकार के व्यंजन बनाना सीख गई थी। साथ ही कमला पाक कला की पढ़ाई भी कर रहीं थीं। जिससे उसकी पका कला ओर भी निखर गई थीं। भोजन बनने का काम पुरा होने के बाद कमला कमरे में जाती हैं और एक बार फिर से तैयार होने लगती कमला खुद को सजाने संवारने में कोई कमी नहीं रखती। ऐसा नहीं कि कमला खुबसूरत नहीं थी। कमला के खुबसूरती के चर्चे कॉलेज और आस पास के कई इलाके में थी और कमला आज अपना जीवन साथी चुनने जा रही थीं तो वो कोई कमी नहीं रखना चाहती थी। वैसे तो कमला ज्यादा मेकप नहीं करती लेकिन आज हल्का टच ऑफ करके दमकते चहरे को ओर दमका रही थीं।


महेश और मनोरमा ने उनके स्वगत में सारी तैयारी कर लिया था। वो भी उनके स्वागत में कोई कमी नहीं रखना चाहते थे और पलके बिछाए उनकी प्रतीक्षा कर रहें थे। इनके प्रतिक्षा की घड़ी समाप्त हुआ और राजेंद्र की कार इनके घर के बाहर आ कर रुका, कार की आवाज़ सुनकर दोनों बाहर गए। उन्हें सम्मान सहित अंदर लेकर आए और उन्हें बैठने को कहा एक सोफे पर राजेंद्र और सुरभि बैठे गए एक पर पुष्पा और रघु बैठ गए। रघु को देखकर मनोरमा और महेश को पहली नजर में पसंद आ गया और मन ही मन विनती करने लगे की कमला भी रघु को देखकर पसंद कर ले और हां का दे। बातो के दौरान रघु के सभ्य और शालीन व्यवहार ने महेश और मनोरमा को ओर ज्यादा मोहित कर लिया। चाय नाश्ते के बाद महेश के कहने पर मनोरमा कमला को लेने गई। कमला पर्पल रंग की सलवार सूट और दुप्पटा सर में रखकर मां के साथ धीरे धीरे चलकर आती हैं। सुरभि राजेंद्र और पुष्पा कमला की खूबसूरती को देखकर मंत्रमुग्ध हों जाते हैं। तभी पुष्पा रघु को कोहनी मरकर कमला की और दिखता हैं रघु कमला के खुबसूरत और दमकते चहरे को देखकर चकोर पक्षी जैसे चांदी रात में चांद की खूबसूरती को ताकता हैं। वैसे ही रघु मोहित होकर कमला को देखता रहता। कमला भी तिरछी निगाहों से रघु की ओर देखती हैं। रघु को टकटकी लगाए देखते देखकर कमला के लवों पर मंद मंद मुस्कान आ जाती हैं। कमला के मुस्कुराते लव जिसमें हल्की पिंक रंग की लिपस्टिक पुता हुआ था। जिसे देखकर रघु पुरा झनझना जाता हैं। रघु को ऐसे देखते देखकर सुरभि और राजेंद्र मुस्कुरा देते हैं। वैसा ही हल महेश और मनोरमा का था कमला तो पहले से मुस्कुरा रहीं थीं। कमला को लाकर मनोरमा रघु के सामने बैठा दिया और रघु अब भी अपलक कमला को देखें जा रहा था। तब पुष्पा रघु के कान में बोलती हैं……. बहुत देख लिए अब तो देखना बंद करों सब देखकर हंस रहे हैं।


रघु होश में आकर इधर उधार देखता हैं फिर सर झुकाकर बैठ जाता हैं जिसे देखकर कमला की मुस्कान न चाहते हुए ओर भी और गहरी हों जाती हैं और पुष्पा फिर से रघु के कान में कहती हैं….. क्या भईया झल्ले जैसा क्यों कर रही हों अपना सर उठाकर बैठो ऐसे शरमाओगे तो लडक़ी और लडक़ी वालो पर गलत इंप्रेशन पड़ेगा।





आगे ओर किया किया होता हैं ये जानेंगे अगले अपडेट से, प्रिय पाठकों पिछले कुछ दिनों से समय की कमी के चलते आप सब से मुखातिब नहीं हों पाया। क्या करे ज़िंदगी में बहुत से जरूरी कम होते हैं जिसे करना भी जरूरी होता। इसलिए जब जब समय मिलेगा कहानी के आगे के अपडेट को पेश करता रहूंगा। बस इतना कहूंगा देर भले हि हों यह कहानी पूरा होकर रहेगा । शुक्रिया
Awesome update
 
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Destiny

Will Change With Time
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Superbb Updateee

Toh Raghu ladki ke baare mein sunke hi sharmaane laga hai. Jab dekhega toh kyaa haal hoga bechare kaa. (Waise pata hai kyaa haal hota hai :lol: )

बहुत बहुत शुक्रिया

लगता अपको एक्सप्रियंस हों चूक हैं:mahboi:
 
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