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दलाल टूटी फूटी हाल में बेड पर पसरा हुआ था। उसी वक्त रावण उसके घर पंहुचा दलाल की दशा देखकर रावण चौक गया फिर बोला...तुझे किसने तोड़ फोड़ के फटीचर बना दिया रे दलाल।
दलाल…मत पूछ यार गया था। अपना काम बनाने पर मेरा ही काम तमाम हों गया।
रावण...किसने तेरा काम तमाम कर दिया।
दलाल…ओर कौन कर सकता हैं? दामिनी के यारों ने कूट कूट के फटीचर बना दिया।
रावण…दामिनी भाभी! तू वहा गया ही क्यों था?
दलाल…अरे यार तू न अपने दिमाग का ईलाज करा भूल गया मैंने तुझे क्या कहा था?
रावण सर खुजाते हुऐ सोचने लग गया। रावण के दिमाग ने अटकी हुई dvd को प्ले कर दिया तब जा'कर कही रावण को याद आया। दलाल ने क्या कहा था और क्यों दामिनी के पास गया था? याद आते ही रावण ने कहा...haaaa याद आया! लेकिन इस बात का तेरे फटीचर हाल से किया लेना देना।
दलाल….उस बात का मेरे फटीचर हाल से सीधा सीधा सम्बन्ध हैं। दरअसल हुआ ये था…... दलाल ने फोन करने से लेकर बैंगलोर में उसने क्या किया फिर उसके साथ क्या क्या हुआ? बता दिया सुनने के बाद रावण बोला...गलती तो तूने खुद ही किया था। तेरे घर बेटी हुई थी इसमें न दामिनी भाभी की कोई गलती थी न ही उस बच्ची की जो तेरे घर पैदा हुआ था। अरे ये तो भगवान की देन हैं जो तूने माना नहीं और भाभी को तलाक दे दिया। तुझे तो वह जाना ही नही चाहिए था। जब भाभी ने तुझे फोन पर इतना बुरा भला कहा तब तुझे समझ जाना चाहिए था भाभी तुझ'से अब भी नाराज है।
रावण के चुप होते ही दलाल मुस्कुराकर देखा और मन ही मन बोला...अरे बुड़बक तू नहीं जानता मुझे बेटा किस लिए चाहिए था। मैं उससे क्या करवाना चाहता था। तू जान गया तो तू मुझे कब का मार देता खैर कोई नहीं बेटा नहीं हैं तो किया हुआ मैं मरने से पहले वह काम करके दिखाऊंगा।
दलाल...मेरे साथ जो हुआ उसे मैं कभी नहीं भूलूंगा। मुझे ठीक होने दे फिर देख मैं दामिनी को कैसे सबक सिखाता हूं। दामिनी को सबक सिखाए बिना मैं चैन से नहीं बैठूंगा। उसने मेरे बनाए साजिश पर पानी फेर दिया।
रावण…तुझे जो करना हैं कर लेकिन मै इतना ही कहूंगा जो हुआ हैं भूल जा उनको उनके हाल पर छोड़ दे। हम कुछ ओर सोच लेंगे।
दलाल...छोड़ यार ये बता तू किस काम से आया था।
रावण...मैं जिस काम से आया था वो तो हों नहीं सकता इसलिए मैं घर जा रहा हूं।
दलाल…तू चाहें तो अकेले अकेले थकान मिटा ले मैं आज तेरा साथ नहीं दे सकता।
रावण...कोई बात नही आज रहने देता हूं। फिर कभी देख लेंगे।
इतना कह रावण चला गया। रावण के जाने के बाद दलाल बोला…मुझे जो करना हैं वो मैं करके रहूंगा तू भी मुझे नही रोक पायेगा।
दलाल को उसके हाल पर छोड़ देते है। हम चलते हैं संकट के पास वो किया कर रहा हैं। संकट इस वक्त एक चाय के टपड़ी में बैठा था। धूम्र पान करते हुए चाय की चुस्कियां ले रहा था और बार बार रोड की ओर देख रहा था। जैसे किसी के आने का वेट कर रहा हों। संकट वेट करते हुए दो तीन चाय ओर पी गया जब कोई नहीं आया तो टपड़ी से बाहर आ'कर इधर उधर टहलने लग गया ओर मन ही मन गली बकने लग गया। तभी एक लड़का उसके पीछे से….khankhaaa कमीना तू मुझे गली दे रहा था।
संकट पलटकर पीछे देखा फ़िर लड़के को देखकर मुस्कुराते हुए बोला…आ गया भैरवा इतनी देर क्यों लगा दी कब से तेरा वेट कर रहा हु।
(ये भैरवा वहीं भैरवा हैं जो पहले अपडेट में अपश्यु के सामने हाथ जोड़े बैठा था और बाद में मुखिया से राजेंद्र को अपश्यु के बारे में बताने को कह रहा था।)
भैरवा...अरे भाई काम काजी बंदा हूं इसलिए देर हो गया। तू बता मुझे क्यों बुलाया था?
संकट…बहुत जरूरी बात करना हैं चल यह से थोडा दूर चल कर बात करते हैं।
संकट भैरवा को एक सुनसान जगह पर ले गया फिर बोला…भैरवा मैं कुछ ऐसा करने जा रहा हूं जिससे बहुत से लोगों को उनके परेशानी से छुटकारा मिल जायेगा।
भैरवा…तू कब से परेशान लोगों के बारे में सोचने लग गया। गधे के सिर पर सिंग कब से उग आया।
संकट...भैरवा मैं मजाक नहीं कर रहा हूं मै अपश्यु के साथ कुछ ऐसा करने वाला हूं जिससे बहुत से लोगों को फायदा होने वाला हैं। उनके बहु बेटियो की आबरू लूटने से बचने वाला हैं।
भैरवा...तू कब से दूसरे की बहु बेटियो के आबरू के बारे में सोचने लग गया तू भी तो अपश्यु के विरादरी का हैं।
संकट…मै kameena हूं लेकिन अपश्यु के बिरादरी का नहीं हूं वो तो दूसरे के बहु बेटी को जबरदस्ती उठवा कर ले जाता हैं फिर उनकी आबरू लूटकर छोड़ देता हैं। मैं जो कुछ भी करता हूं उनके सहमति से करता हूं।
भैरवा...चल ठीक हैं मै मदद करूंगा आखिर हमें भी उस कमीने अपश्यु के जुल्मों से छुटकारा चाहिए। लेकिन तू मुझे इतना तो बता ही सकता हैं तू क्यों और क्या करना चाहता हैं।
संकट…क्यो? तू बस इतना जान ले दुनिया में मेरा भी कोई सबसे खास था जिसे अपश्यु के कारण मैंने खो दिया। इसलिए मै अपश्यु के साथ कुछ ऐसा करना चाहता हूं। वो जिंदा तो रहे लेकिन हर पल मरने की दुआ मांगे, फिर भी उसे मौत न आए।
भैरवा...ठीक हैं मैं समझ सकता हूं। बस इतना बता दे कब अपश्यु का काम तमाम करना हैं।
संकट..जल्दी ही करना हैं मै तुझे बता दूंगा लेकिन ध्यान रखना किसी को कानो कान खबर न हो।
भैरवा...तू मेरे ओर से बेफिक्र रह। मेरे अलावा किसी को खबर नहीं होगा।
इसके बाद दोनों चले गए। इधर रघु कलकत्ता पहुंच चुका था। घर पर इस वक्त पुष्पा और सुरभि ही थे। राजेंद्र कहीं गया हुआ था। रघु को देखकर पुष्पा बोली…भईया आप कैसे हों।
रघु…. मैं ठीक हु तू बता कैसी हैं।
पुष्पा... मै मस्त हूं।
सुरभि…रघु तू बिना सूचना दिए ही आ गया। कुछ काम था।
रघु…क्या मां आप भी बेटा इतनी दूर से आया हैं। चाय पानी पूछने के जगह क्यों आय, काम क्या हैं पूछने लग गए।
सुरभि...achaaa तो बताओ बेटा जी आप चाय लेंगे या फिर पानी पियेंगे।
रघु कुछ नहीं बोला चुप चाप जा'कर मां के पास बैठ गया फिर सुरभि बोली...चंपा कुछ चाय नाश्ते की व्यवस्था कर रघु आया हैं। रघु अब तू बता किस काम से आया।
रघु...मां बहुत दिन हों गया आप सभी से मिले हुए। याद आ रहा था तो मिलने आ गया ।
पुष्पा…हमारी याद आ रही थीं या भाभी की बोलो..बोलो बोलो
रघु कुछ नहीं बोला बस बैठे बैठे मुस्कुरा दिया और नजरे चुराने लग गया। उसकी चोरी जो पकड़ी गई थी। बस फ़िर किया था पुष्पा को मौका मिल गया और शुरू हों गई…मां भईया को न आप'की याद आ रही थीं, न ही मेरी इन्हें तो भाभी की याद आ रहीं थी। मां अब तो आप भूल जाओ भईया कभी आप'को याद करेंगे अब तो इन्हें सिर्फ भाभी ही याद रहेगा।
सुरभि…achaaa ऐसा हैं तो सिर्फ मै ही क्यों तू भी तो तेरे भईया को याद नहीं रहेगी।
पुष्पा...ऊं हूं भईया मुझे कभी भूल ही नहीं सकते क्यों भईया सही कह न।
रघु…हां मेरे लाईफ में चाहें कोई भी आ जाए मैं तुम दोनों को कभी भूल ही नहीं सकता।
सुरभि...हां हां मैं जानती हूं मेरा बेटा मुझे कितना याद करता हैं। मुझे याद न करता होता तो मुझ'से मिलने क्यों आता।
तीनों बातो में मगन रहते हैं। राजेंद्र घर आने पर रघु को देखकर खुश हुआ फिर उससे काम और सभी का हल चल लिया। ऐसे ही हंसी खुशी रात बीत गया। अगले दिन दोपहर को रघु घर से निकला और कमला से मिलने चल दिया।
इधर कमला अखरी पेपर देकर कॉलेज से निकला कमला बहुत खुश दिख रही थीं। हो भी क्यों न रघु जो उससे मिलने आ रहा था। कमला रोज पेपर के बाद अपने सहेली के लिए रुका करती थी लेकीन आज बिना रुके ही घर को चल दिया। कमला अपनी ही धुन में चली जा रही थीं। कालू और बबलू एक दुकान में खड़ा आती जाती लड़कियों पर फफ्तीय काश जा रहा था। कोई उन्हें गाली देखकर निकल जाती तो कोई उन्हें चप्पल निकल कर दिखाते हुए जा रही थी। कमला को अकेले अकेले जाते हुए देखकर दोनों उसके पीछे पीछे चल दिया। कुछ दूर पीछे पीछे चलने के बाद कालू बोला...यार देख किया नजारा हैं जैसे सागर में बड़ी बड़ी लहरे उठ रहा हों।
बबलू...हां यार मन कर रहा हैं इन लहरों में अपना नाव उतार दूं और लहरों के सहारे किनारे तक पहुंच जाऊं।
कालू...अरे ओ कमला कहा चली ऐसे बलखाती लहराती हुई हमे भी साथ ले चल। देख तेरे दीवाने भावरा बने तेरे पीछे पीछे मंडरा रहें हैं।
बबलू... हां कमला पीछे पलटकर देख तेरी जैसी खूबसूरत फूल की खुशबू सुंगते हुए दो भावरा पहुंच चुके हैं। जरा इनकी इच्छा तो पूरी कर दे।
कमला...आ गए तुम दोनो इतनी बार पीट चुके हों फिर भी तुम्हे शर्म नहीं आया।
कालू…शर्म haaa haaa haaa वो तो कबाड़ी को बेच दिया हैं।
कमला…बेच दिया ठीक किया मैंने भी नया चप्पल खरीद लिया हैं। जिससे आज तुम दोनों की जमकर पिटाई होने वाली हैं।
बबलू…आज नहीं आज हमारा दिन हैं…।
बबलू पुरा बोल पता उससे पहले ही कमला ने चप्पल उतरा बबलू के पास गया फिर बबलू के गाल पर एक रख दिया कालू नजदीक आय उसके भी एक रख दिया तब कालू बोला…बबलू पकड़ इसे क्या कर रहा हैं? एक लड़की होकर भी हम दोनों को पीट रही हैं।
एक एक ओर कमला ने दोनों के गाल पर छप दिया दोनों के गाल लाल हों गया था पर दोनों को इसकी बिल्कुल भी फिक्र नहीं था। दोनों कमला के जिस्म में यह वहा हाथ फेरने लग गया जिससे कमला का गुस्सा इतना बड़ गया कि कमला खुद पर से काबू खो दिया फ़िर चांडी बन दोनों पर टूट पड़ी दे चप्पल दे चप्पल मारे जा रही थीं।
बबलू और कालू के गाल लाल हो चुके थे नाक से खून बह रहा था पर कमला आज आर पार की मुड़ में लग रहीं थीं। दोनों भागना चाह रहें थें पर कमला गिरा गिरा के मारे जा रही थीं। कभी बबलू चीख रहा था तो कभी कालू चीख रहा था, दोनों के चीखों का कमला पर कोई असर ही नहीं हों रहा था। अपने धुन में मस्त हों दोनों को धुने जा रही थीं। धुनते धुनते कमला का चप्पल टूट गया। पर कमला रुकी नहीं दूसरे चप्पल लेकर पीटने लग गईं। बबलू किसी तरह बचकर भाग गया लेकीन कालू भाग नहीं पाया इसलिय उसका अंधाधुन पिटाई जारी था।
उसी वक्त रघु वह से गुजरा एक लड़की को इतनी बेरहमी से एक लड़के को पीटते देख रूक गया फिर कार से बाहर आ'कर उस ओर चल दिया। तभी कमल बोली...कमीनें तुम दोनों ने मुझे छेड़ने का रोज का धंधा बना रखा हैं कितनी बार कहा मारा पीटा पर तुम दोनों बाज़ नहीं आए। आज ऐसा हल करूंगा फ़िर कभी किसी लड़की को नज़र उठाकर नहीं देखेगा।
कालू...छोड़ दे मेरी मां आगे से ऐसा नहीं करूंगा। बक्श दे नहीं तो मर जाऊंगा। मर गया तो तुझे एक निरीह प्राणी को मारने का पाप लग जाएगा।
कमला...किया कहा छोड़ दे! इससे पहले भी तुम दोनों ने कहा था लेकीन हुआ किया मौका मिलते ही फिर से शुरू हों गए आज नहीं छोड़ने वाली आज तुझे जान से मर दूंगी। तू निरीह नहीं दानव है तुझे मरने पर पाप नहीं लगेगा बल्कि पुण्य मिलेगा।
रघु आवाज़ सुनकर पहचान गया ये तो कमला हैं। जल्दी से रघु पास गया ओर कमला का हाथ पकड़ लिया फिर बोला...रुक जाओ कमला और कितना मरोगी मर जायेगा।
कमला...हाथ छोड़ो मेरा तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे छूने की अब तो तुम भी पीटने वाले हों।
कालु को छोड़ कमला रघु को मरने ही जा रही थीं की रघु को देखकर रूक गई। कमला के रुकते ही कालू मौका देखकर भाग गया। कालु के भागते ही कमला बोली…अपने मुझे रोका क्यों आप के वजह से ये भाग गया अब आप ही इसे पकड़कर ले'कर आओ ।
कमला का गुस्से में तमतमाया चेहरा और सुर्ख लाल आंखों को देखकर रघु अंदर ही अंदर कांप गया। उससे कुछ बोला नहीं गया। रघु के कुछ न बोलने से कमला फ़िर बोली...आप बोलते क्यों नहीं आप'ने उसे क्यों बचाया। जाओ उसे अभी के अभी पकड़कर लाओ मुझे ओर पीटना हैं मेरा गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ।
रघु किसी तरह खुद को संभाला फिर बोला…कमला शांत हों जाओ लंबी गहरी सास लो खुद को शांत करो फ़िर बात करते हैं।
कमला...मेरा गुस्सा तब तक शांत नहीं हों सकता जब तक मैं उसे जी भार कर पीट न लूं। आप जाइए उसे पकड़ कर लाइए मुझे ओर पीटना हैं।
रघु…शांत कमला शांत मेरा कहना मन लो ओर गुस्सा थूक कर शांत हों जाओ।
आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे साथ बने रहने के लिए और बहुत सारा प्यार देने के लिए आप सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।
दलाल…मत पूछ यार गया था। अपना काम बनाने पर मेरा ही काम तमाम हों गया।
रावण...किसने तेरा काम तमाम कर दिया।
दलाल…ओर कौन कर सकता हैं? दामिनी के यारों ने कूट कूट के फटीचर बना दिया।
रावण…दामिनी भाभी! तू वहा गया ही क्यों था?
दलाल…अरे यार तू न अपने दिमाग का ईलाज करा भूल गया मैंने तुझे क्या कहा था?
रावण सर खुजाते हुऐ सोचने लग गया। रावण के दिमाग ने अटकी हुई dvd को प्ले कर दिया तब जा'कर कही रावण को याद आया। दलाल ने क्या कहा था और क्यों दामिनी के पास गया था? याद आते ही रावण ने कहा...haaaa याद आया! लेकिन इस बात का तेरे फटीचर हाल से किया लेना देना।
दलाल….उस बात का मेरे फटीचर हाल से सीधा सीधा सम्बन्ध हैं। दरअसल हुआ ये था…... दलाल ने फोन करने से लेकर बैंगलोर में उसने क्या किया फिर उसके साथ क्या क्या हुआ? बता दिया सुनने के बाद रावण बोला...गलती तो तूने खुद ही किया था। तेरे घर बेटी हुई थी इसमें न दामिनी भाभी की कोई गलती थी न ही उस बच्ची की जो तेरे घर पैदा हुआ था। अरे ये तो भगवान की देन हैं जो तूने माना नहीं और भाभी को तलाक दे दिया। तुझे तो वह जाना ही नही चाहिए था। जब भाभी ने तुझे फोन पर इतना बुरा भला कहा तब तुझे समझ जाना चाहिए था भाभी तुझ'से अब भी नाराज है।
रावण के चुप होते ही दलाल मुस्कुराकर देखा और मन ही मन बोला...अरे बुड़बक तू नहीं जानता मुझे बेटा किस लिए चाहिए था। मैं उससे क्या करवाना चाहता था। तू जान गया तो तू मुझे कब का मार देता खैर कोई नहीं बेटा नहीं हैं तो किया हुआ मैं मरने से पहले वह काम करके दिखाऊंगा।
दलाल...मेरे साथ जो हुआ उसे मैं कभी नहीं भूलूंगा। मुझे ठीक होने दे फिर देख मैं दामिनी को कैसे सबक सिखाता हूं। दामिनी को सबक सिखाए बिना मैं चैन से नहीं बैठूंगा। उसने मेरे बनाए साजिश पर पानी फेर दिया।
रावण…तुझे जो करना हैं कर लेकिन मै इतना ही कहूंगा जो हुआ हैं भूल जा उनको उनके हाल पर छोड़ दे। हम कुछ ओर सोच लेंगे।
दलाल...छोड़ यार ये बता तू किस काम से आया था।
रावण...मैं जिस काम से आया था वो तो हों नहीं सकता इसलिए मैं घर जा रहा हूं।
दलाल…तू चाहें तो अकेले अकेले थकान मिटा ले मैं आज तेरा साथ नहीं दे सकता।
रावण...कोई बात नही आज रहने देता हूं। फिर कभी देख लेंगे।
इतना कह रावण चला गया। रावण के जाने के बाद दलाल बोला…मुझे जो करना हैं वो मैं करके रहूंगा तू भी मुझे नही रोक पायेगा।
दलाल को उसके हाल पर छोड़ देते है। हम चलते हैं संकट के पास वो किया कर रहा हैं। संकट इस वक्त एक चाय के टपड़ी में बैठा था। धूम्र पान करते हुए चाय की चुस्कियां ले रहा था और बार बार रोड की ओर देख रहा था। जैसे किसी के आने का वेट कर रहा हों। संकट वेट करते हुए दो तीन चाय ओर पी गया जब कोई नहीं आया तो टपड़ी से बाहर आ'कर इधर उधर टहलने लग गया ओर मन ही मन गली बकने लग गया। तभी एक लड़का उसके पीछे से….khankhaaa कमीना तू मुझे गली दे रहा था।
संकट पलटकर पीछे देखा फ़िर लड़के को देखकर मुस्कुराते हुए बोला…आ गया भैरवा इतनी देर क्यों लगा दी कब से तेरा वेट कर रहा हु।
(ये भैरवा वहीं भैरवा हैं जो पहले अपडेट में अपश्यु के सामने हाथ जोड़े बैठा था और बाद में मुखिया से राजेंद्र को अपश्यु के बारे में बताने को कह रहा था।)
भैरवा...अरे भाई काम काजी बंदा हूं इसलिए देर हो गया। तू बता मुझे क्यों बुलाया था?
संकट…बहुत जरूरी बात करना हैं चल यह से थोडा दूर चल कर बात करते हैं।
संकट भैरवा को एक सुनसान जगह पर ले गया फिर बोला…भैरवा मैं कुछ ऐसा करने जा रहा हूं जिससे बहुत से लोगों को उनके परेशानी से छुटकारा मिल जायेगा।
भैरवा…तू कब से परेशान लोगों के बारे में सोचने लग गया। गधे के सिर पर सिंग कब से उग आया।
संकट...भैरवा मैं मजाक नहीं कर रहा हूं मै अपश्यु के साथ कुछ ऐसा करने वाला हूं जिससे बहुत से लोगों को फायदा होने वाला हैं। उनके बहु बेटियो की आबरू लूटने से बचने वाला हैं।
भैरवा...तू कब से दूसरे की बहु बेटियो के आबरू के बारे में सोचने लग गया तू भी तो अपश्यु के विरादरी का हैं।
संकट…मै kameena हूं लेकिन अपश्यु के बिरादरी का नहीं हूं वो तो दूसरे के बहु बेटी को जबरदस्ती उठवा कर ले जाता हैं फिर उनकी आबरू लूटकर छोड़ देता हैं। मैं जो कुछ भी करता हूं उनके सहमति से करता हूं।
भैरवा...चल ठीक हैं मै मदद करूंगा आखिर हमें भी उस कमीने अपश्यु के जुल्मों से छुटकारा चाहिए। लेकिन तू मुझे इतना तो बता ही सकता हैं तू क्यों और क्या करना चाहता हैं।
संकट…क्यो? तू बस इतना जान ले दुनिया में मेरा भी कोई सबसे खास था जिसे अपश्यु के कारण मैंने खो दिया। इसलिए मै अपश्यु के साथ कुछ ऐसा करना चाहता हूं। वो जिंदा तो रहे लेकिन हर पल मरने की दुआ मांगे, फिर भी उसे मौत न आए।
भैरवा...ठीक हैं मैं समझ सकता हूं। बस इतना बता दे कब अपश्यु का काम तमाम करना हैं।
संकट..जल्दी ही करना हैं मै तुझे बता दूंगा लेकिन ध्यान रखना किसी को कानो कान खबर न हो।
भैरवा...तू मेरे ओर से बेफिक्र रह। मेरे अलावा किसी को खबर नहीं होगा।
इसके बाद दोनों चले गए। इधर रघु कलकत्ता पहुंच चुका था। घर पर इस वक्त पुष्पा और सुरभि ही थे। राजेंद्र कहीं गया हुआ था। रघु को देखकर पुष्पा बोली…भईया आप कैसे हों।
रघु…. मैं ठीक हु तू बता कैसी हैं।
पुष्पा... मै मस्त हूं।
सुरभि…रघु तू बिना सूचना दिए ही आ गया। कुछ काम था।
रघु…क्या मां आप भी बेटा इतनी दूर से आया हैं। चाय पानी पूछने के जगह क्यों आय, काम क्या हैं पूछने लग गए।
सुरभि...achaaa तो बताओ बेटा जी आप चाय लेंगे या फिर पानी पियेंगे।
रघु कुछ नहीं बोला चुप चाप जा'कर मां के पास बैठ गया फिर सुरभि बोली...चंपा कुछ चाय नाश्ते की व्यवस्था कर रघु आया हैं। रघु अब तू बता किस काम से आया।
रघु...मां बहुत दिन हों गया आप सभी से मिले हुए। याद आ रहा था तो मिलने आ गया ।
पुष्पा…हमारी याद आ रही थीं या भाभी की बोलो..बोलो बोलो
रघु कुछ नहीं बोला बस बैठे बैठे मुस्कुरा दिया और नजरे चुराने लग गया। उसकी चोरी जो पकड़ी गई थी। बस फ़िर किया था पुष्पा को मौका मिल गया और शुरू हों गई…मां भईया को न आप'की याद आ रही थीं, न ही मेरी इन्हें तो भाभी की याद आ रहीं थी। मां अब तो आप भूल जाओ भईया कभी आप'को याद करेंगे अब तो इन्हें सिर्फ भाभी ही याद रहेगा।
सुरभि…achaaa ऐसा हैं तो सिर्फ मै ही क्यों तू भी तो तेरे भईया को याद नहीं रहेगी।
पुष्पा...ऊं हूं भईया मुझे कभी भूल ही नहीं सकते क्यों भईया सही कह न।
रघु…हां मेरे लाईफ में चाहें कोई भी आ जाए मैं तुम दोनों को कभी भूल ही नहीं सकता।
सुरभि...हां हां मैं जानती हूं मेरा बेटा मुझे कितना याद करता हैं। मुझे याद न करता होता तो मुझ'से मिलने क्यों आता।
तीनों बातो में मगन रहते हैं। राजेंद्र घर आने पर रघु को देखकर खुश हुआ फिर उससे काम और सभी का हल चल लिया। ऐसे ही हंसी खुशी रात बीत गया। अगले दिन दोपहर को रघु घर से निकला और कमला से मिलने चल दिया।
इधर कमला अखरी पेपर देकर कॉलेज से निकला कमला बहुत खुश दिख रही थीं। हो भी क्यों न रघु जो उससे मिलने आ रहा था। कमला रोज पेपर के बाद अपने सहेली के लिए रुका करती थी लेकीन आज बिना रुके ही घर को चल दिया। कमला अपनी ही धुन में चली जा रही थीं। कालू और बबलू एक दुकान में खड़ा आती जाती लड़कियों पर फफ्तीय काश जा रहा था। कोई उन्हें गाली देखकर निकल जाती तो कोई उन्हें चप्पल निकल कर दिखाते हुए जा रही थी। कमला को अकेले अकेले जाते हुए देखकर दोनों उसके पीछे पीछे चल दिया। कुछ दूर पीछे पीछे चलने के बाद कालू बोला...यार देख किया नजारा हैं जैसे सागर में बड़ी बड़ी लहरे उठ रहा हों।
बबलू...हां यार मन कर रहा हैं इन लहरों में अपना नाव उतार दूं और लहरों के सहारे किनारे तक पहुंच जाऊं।
कालू...अरे ओ कमला कहा चली ऐसे बलखाती लहराती हुई हमे भी साथ ले चल। देख तेरे दीवाने भावरा बने तेरे पीछे पीछे मंडरा रहें हैं।
बबलू... हां कमला पीछे पलटकर देख तेरी जैसी खूबसूरत फूल की खुशबू सुंगते हुए दो भावरा पहुंच चुके हैं। जरा इनकी इच्छा तो पूरी कर दे।
कमला...आ गए तुम दोनो इतनी बार पीट चुके हों फिर भी तुम्हे शर्म नहीं आया।
कालू…शर्म haaa haaa haaa वो तो कबाड़ी को बेच दिया हैं।
कमला…बेच दिया ठीक किया मैंने भी नया चप्पल खरीद लिया हैं। जिससे आज तुम दोनों की जमकर पिटाई होने वाली हैं।
बबलू…आज नहीं आज हमारा दिन हैं…।
बबलू पुरा बोल पता उससे पहले ही कमला ने चप्पल उतरा बबलू के पास गया फिर बबलू के गाल पर एक रख दिया कालू नजदीक आय उसके भी एक रख दिया तब कालू बोला…बबलू पकड़ इसे क्या कर रहा हैं? एक लड़की होकर भी हम दोनों को पीट रही हैं।
एक एक ओर कमला ने दोनों के गाल पर छप दिया दोनों के गाल लाल हों गया था पर दोनों को इसकी बिल्कुल भी फिक्र नहीं था। दोनों कमला के जिस्म में यह वहा हाथ फेरने लग गया जिससे कमला का गुस्सा इतना बड़ गया कि कमला खुद पर से काबू खो दिया फ़िर चांडी बन दोनों पर टूट पड़ी दे चप्पल दे चप्पल मारे जा रही थीं।
बबलू और कालू के गाल लाल हो चुके थे नाक से खून बह रहा था पर कमला आज आर पार की मुड़ में लग रहीं थीं। दोनों भागना चाह रहें थें पर कमला गिरा गिरा के मारे जा रही थीं। कभी बबलू चीख रहा था तो कभी कालू चीख रहा था, दोनों के चीखों का कमला पर कोई असर ही नहीं हों रहा था। अपने धुन में मस्त हों दोनों को धुने जा रही थीं। धुनते धुनते कमला का चप्पल टूट गया। पर कमला रुकी नहीं दूसरे चप्पल लेकर पीटने लग गईं। बबलू किसी तरह बचकर भाग गया लेकीन कालू भाग नहीं पाया इसलिय उसका अंधाधुन पिटाई जारी था।
उसी वक्त रघु वह से गुजरा एक लड़की को इतनी बेरहमी से एक लड़के को पीटते देख रूक गया फिर कार से बाहर आ'कर उस ओर चल दिया। तभी कमल बोली...कमीनें तुम दोनों ने मुझे छेड़ने का रोज का धंधा बना रखा हैं कितनी बार कहा मारा पीटा पर तुम दोनों बाज़ नहीं आए। आज ऐसा हल करूंगा फ़िर कभी किसी लड़की को नज़र उठाकर नहीं देखेगा।
कालू...छोड़ दे मेरी मां आगे से ऐसा नहीं करूंगा। बक्श दे नहीं तो मर जाऊंगा। मर गया तो तुझे एक निरीह प्राणी को मारने का पाप लग जाएगा।
कमला...किया कहा छोड़ दे! इससे पहले भी तुम दोनों ने कहा था लेकीन हुआ किया मौका मिलते ही फिर से शुरू हों गए आज नहीं छोड़ने वाली आज तुझे जान से मर दूंगी। तू निरीह नहीं दानव है तुझे मरने पर पाप नहीं लगेगा बल्कि पुण्य मिलेगा।
रघु आवाज़ सुनकर पहचान गया ये तो कमला हैं। जल्दी से रघु पास गया ओर कमला का हाथ पकड़ लिया फिर बोला...रुक जाओ कमला और कितना मरोगी मर जायेगा।
कमला...हाथ छोड़ो मेरा तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे छूने की अब तो तुम भी पीटने वाले हों।
कालु को छोड़ कमला रघु को मरने ही जा रही थीं की रघु को देखकर रूक गई। कमला के रुकते ही कालू मौका देखकर भाग गया। कालु के भागते ही कमला बोली…अपने मुझे रोका क्यों आप के वजह से ये भाग गया अब आप ही इसे पकड़कर ले'कर आओ ।
कमला का गुस्से में तमतमाया चेहरा और सुर्ख लाल आंखों को देखकर रघु अंदर ही अंदर कांप गया। उससे कुछ बोला नहीं गया। रघु के कुछ न बोलने से कमला फ़िर बोली...आप बोलते क्यों नहीं आप'ने उसे क्यों बचाया। जाओ उसे अभी के अभी पकड़कर लाओ मुझे ओर पीटना हैं मेरा गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ।
रघु किसी तरह खुद को संभाला फिर बोला…कमला शांत हों जाओ लंबी गहरी सास लो खुद को शांत करो फ़िर बात करते हैं।
कमला...मेरा गुस्सा तब तक शांत नहीं हों सकता जब तक मैं उसे जी भार कर पीट न लूं। आप जाइए उसे पकड़ कर लाइए मुझे ओर पीटना हैं।
रघु…शांत कमला शांत मेरा कहना मन लो ओर गुस्सा थूक कर शांत हों जाओ।
आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे साथ बने रहने के लिए और बहुत सारा प्यार देने के लिए आप सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।
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