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Romance ajanabi hamasafar -rishton ka gathabandhan

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Prime
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259
छत्तीसवां भाग


बहुत ही जबरदस्त।।

बहु की पहली रसोई हो तो उसे कोई न कोई तोहफा देना रिवाज है। जो बड़े देते हैं नई बहू को। खाने की प्लेट छोड़कर बिना कुछ कहे अपने कमरे में चले जाना किसी को भी सोच में डाल सकता है किशायद उसकी रसोई सही से नहीं बनी है तभी तो बिना तारीफ किए सब नाश्ता छोड़कर जा रहे हैं। कमला की हालत बहुत खराब हो गई थी ये देखकर। उसने इन कुछ मिनटों में क्या से क्या सोच डाला था।

अपसू अब सुधर गया है इस बात की खुशी सुकन्या को बहुत है। हो भी कईं न आखिर माँ जो है वो।। लेकिन रावण का कुछ समझ मे नहीं आ रहा है। उसके मन म3 जरूर कुछ न कुछ चल रहा है।।
 

Naik

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Update - 35


मस्त मौला गाने की धुन धीरे धीरे गुनगुनाते हुऐ कमला नहा रहीं थीं। बाहर बैठा रघु कल्पनाओं में उड़ान भर रहा था। रघु की कल्पना का कोई सीमा न था न जानें क्या क्या कल्पना कर मुस्कुरा रहा था। कल्पना में सेंध तब लगा जब खट से बाथरूम का दरवाज़ा खुला, दरवाज़ा खोल कमला बाहर निकली फिर श्रृंगार दान के सामने खड़ी हों बाल संवारने लग गई और चोर नज़रों से रघु को देख रहीं थीं। रघु कुछ पल बेसुद सा कमला को देखता रहा फिर उठ ही रहा था कि कमला बोली...नहीं बिलकुल नहीं, एक कदम भी हिला तो अच्छा नहीं होगा।

रघु...मैं तो बस तुम्हारा हेल्प करना चाहता हूं।

कमला...मैं जानती हुं आप किस तरह का हेल्प करना चाहते हों इसलिए बिना हिले डुले चुप चाप बैठे रहो।

रघु…नहीं ! मैं चुप चाप बैठा नहीं रहूंगा मुझे मेरी बीबी की मदद करना हैं वो मैं करके रहूंगा।

कमला...आप हिले तो मैं जैसी हू वैसे ही बाहर चली जाऊंगी फिर करते रहना हेल्प।

रघु...ठीक हैं तुम तैयार हों लो मैं चुप चाप बैठा रहूंगा।

पति को रिझाने का मौका कमला को मिल गया तरह तरह की अदाएं कर खुद को संवारने में लग गई। कमला की अदाएं देख रघु से रूका न जा रहा था। मन कर रहा था कमला को बाहों में भींच ले और प्रेम अलाप करें लेकिन कर नहीं पा रहा था। ऐसा किया तो कहीं कमला सच में रूम से बिना सजे सांवरे बाहर न चली जाएं बाहर चली गई तो सभी को जवाब देना दुभर हो जायेगा इसलिए मन मार कर बस देखता रहा और कमला साज श्रृंगार करने में लगी रहीं। श्रृंगार पूरा होते ही दोनों एक दुसरे का हाथ पकड़ चल दिया।

डायनिंग टेबल पर सभी आ चुके थे। स्वादिष्ट खाने की सुगन्ध सभी को लालायित कर रहे थें। अपश्यु हद से ज्यादा लालयित हों गया था इसलिए बोला... मां बैठे बैठे खाने की सुगन्ध ही सूंघने को मिलेगा या फ़िर चखने को भी मिलेगा। मेरा भूख स्वादिष्ट नाश्ते की महक सूंघ बढ़ता ही जा रहा हैं। मुझसे भूख और बर्दास्त नहीं हों रहा जल्दी से परोस दीजिए।

पुष्पा...अरे मेरे भुक्कड़ भईया थोड़ा तो वेट कीजिए नाश्ते की खुशबू से जान पड़ता हैं नाश्ता रतन दादू नहीं किसी ओर ने बनाया हैं फिर सुरभि से बोला मां बताओं न नाश्ता किसने बनाया।

राजेंद्र...सुरभि नाश्ते की सुगंध जाना पहचाना लग रहा हैं। ऐसा खाना कौन बना सकता haiiii हां याद आया जरूर आज बहु ने नाश्ता बनाया होगा।

सुकन्या...जेठ जी आप ठीक पहचानें आज का नाश्ता बहु ने ही बनाया हैं।

राजेंद्र...क्या जरूरत थीं? बहु से कीचन में काम करवाने की विदा होकर आए एक दिन भी नहीं हुआ और तुमने बहु को कीचन में भेज दिया।

रावण...भाभी ये आपने ठीक नहीं किया। रतन और धीरा हैं फिर आपने बहु से नाश्ता क्यों बनवाया।

रावण की बात सुन सुकन्या टेढ़ी नज़र से रावण को देखा फिर मन में बोली... पहले तो खुद शादी तुड़वाने के लिए न जानें कितने षड्यंत्र किया अब देखो कैसे बहु की तरफदारी कर रहें हैं। कितनी जल्दी रंग बदलते हैं शायद गिरगिट भी इतनी जल्दी रंग न बदल पाता होगा।

सुरभि...चुप करों आप दोनों! मुझे श्वक नहीं हैं जो मैं बहु से कीचन में काम करवाऊं वो तो आज पहली रसोई का रश्म था इसलिए बहु से नाश्ता बनवा लिया।

उसी क्षण कमला और रघु एक दूसरे का हाथ पकड़े सीढ़ी से नीचे आ रहे थें। डायनिंग टेबल जहां लगा हुआ था वहा से सीढ़ी बिल्कुल सामने था। पुष्पा की नज़र सीढ़ी की ओर गया फिर वापस घुमा लिया, अचानक लगा जैसे सीढ़ी पर कुछ हैं जो ठीक से दिखा नहीं इसलिए फ़िर नज़रे सीढ़ी की ओर घुमा लिया। भईया भाभी को एक साथ आते देख उत्साह से बोला...मां देखो देखो भईया और भाभी एक साथ आते हुऐ कितने अच्छे लग रहें हैं।

सुरभि…कहा seeee

पूरा बोलता उससे पहले ही बेटे और बहू पर सुरभि की नज़र पड़ गया। बेटे और बहु को साथ देख "नज़र न लागे किसी की" बलाई लेते हुऐ बोला

राजेंद्र...दोनों को साथ में देख लग रहा हैं जैसे दोनों एक दुसरे के लिए ही बने थे। उत्तम जोड़ी राव ने मिलाया हैं शायद इसीलिए इतने सारे रिश्ते टूटे होगे।

रावण... सही कहा दादा भाई दोनों की जोड़ी सबसे उत्तम हैं। आप ने रघु के लिए सही जोड़ीदार ढूंढा हैं फिर मन में बोला…दादा भाई रघु और बहु की जोड़ी राव के कारण नहीं मेरे कारण बना हैं मैं इतने रिश्ते न तुड़वाए होते तो इतनी सुंदर बहु आप कभी नहीं ला पाते न ही इतनी सुंदर जोड़ी बनता।

सुकन्या...दीदी दोनों की जोडी बहुत जांच रहे हैं। हमारे महल की बड़ी बहु होने का हकदार कोई था तो वो कमला ही थी जो बड़ी बहु बनकर आ गई।

सुरभि खिला सा मुस्कान बिखेर सुकन्या की ओर देखा। सुरभि की मुस्कान बता रहीं थीं कमला की तारीफ बहुत पसन्द आया। दोनों में से कोई कुछ बोलता उससे पहले अपश्यु बोला... दादा भाई आप और भाभी तो छा गए दोनों साथ में बहुत खुबसूरत लग रहें हैं। लग रहा है जैसे स्वर्ग से देव देवी चल कर धरती पर आ रहे हों।

रमन जो अपश्यु के बगल वाले कुर्सी पर बैठे ख्यालों में खोया था। अचानक हों रहें तेज आवाजे सुन ख्यालों से बाहर आया फिर आस पास का जायजा लेने लगा तो देखा सभी सीढ़ी की ओर देख रहें थें। रमन की नज़रे भी सीढ़ी की ओर हों लिया। रघु और कमला को साथ में देख रमन बोला... ओ हों क्या लग रहे हैं। इससे खुबसूरत जोड़ी दुनिया में कोई ओर हों नहीं सकता फिर धीर से बोला…यार तेरा तो हों गया मेरा जोड़ीदार, शालु कब बनेगी न जानें मुझे क्या हों गया हैं हर वक्त शालू के ख्याल में खोया रहता हूं।

सभी कमला और रघु को देख अपना अपना कॉमेंट पास कर रहें थें। सभी की बाते सुन और ध्यान खुद की ओर देख कमला शर्मा गई फिर नज़र झुका हाथ को झटका दे छुड़ाना चाहा पर रघु हाथ न छोड़ा बल्कि ओर कस के पकड़ लिया। हाथ पर हो रहे कसाव को भाप कमला कसमसाते हुऐ बोली... क्या कर रहें हों छोड़िए न सभी हमे ही देख रहें हैं।

रघु...क्यों छोड़ूं मैने किसी गैर का हाथ नहीं पकड़ा मेरी बीवी का हाथ पकड़ा हैं।

कमला...मैं जानती हूं आप अपने बीबी का ही हाथ पकड़े हैं पर मुझे शर्म आ रहीं हैं। छोड़िए न सभी हमे ही देख रहें हैं।

रघु…देखने दो मुझे फर्क नहीं पड़ता हैं। तुम्हारे साथ, सात फेरे तुम्हारा हाथ पकड़ने के लिए ही लिया हैं। परिस्थिति कैसा भी हों तुम्हारा हाथ नहीं छोड़ने वाला।

कमला नज़रे उठा रघु की ओर देखा जैसे पूछ रहीं हों क्या आप सही कह रहें हों। रघु शायद आंखो की भाषा पढ़ लिया था इसलिए मुस्करा कर हां में सिर हिला दिया पति के मुस्कान का जवाब कमला खिला सा मुस्कान बिखेर कर दिया फिर कांफिडेंटली पति का हाथ कस के थामे चलते हुऐ डायनिंग टेबल के पास आ गए। जोड़े में ही बारी बारी से सभी का आशीर्वाद लिए सभी ने मन मुताबिक आशीष दोनों को दिया फिर सभी अपने अपने जगह बैठ गए। कमला उठ सभी को नाश्ता परोशने की तैयारी करने लगीं। तब राजेंद्र बोला...बहु तुम क्यों उठा गई? तुम बैठो नाश्ता रतन और धीरा परोस देंगे।

कमला...नहीं पापाजी! नाश्ता मैंने बनाया हैं तो मैं ही परोसुंगी।

राजेंद्र... पर!

कमला...पर वार कुछ नहीं आप बिल्कुल चुप चाप बैठिए और जो मैं दे रहीं हूं चख कर बताइए कैसा बना हैं।

कमला की बाते सुन सभी मुस्कुरा दिया, सभी को मुसकुराते देख कमला बोली…क्या मैने कुछ गलत बोला? जो आप सभी मुस्करा रहे हों।

सुरभि...नहीं बहु तुमने बिल्कुल सही बोल हैं हम तो बस इसलिए मुस्कुरा रहें थें क्योंकि इनकी बातों को पुष्पा के अलावा कोई ओर नहीं कट सकता हैं।

कमला…माफ़ करना पापाजी आगे से ध्यान रखूंगी।

राजेंद्र…नहीं नहीं बेटी तुम्हें माफी मांगने की जरूरत नहीं हैं। तुम मेरी बहु नहीं दूसरी बेटी हों इसलिए पुष्पा की तरह तुम भी मेरे बातों को काट सकती हो मैं बुरा नहीं मानूंगा।

राजेंद्र की बाते सुन कमला की आंखो में नमी आ गया। सभी को नमी का पाता न चल जाए इसलिए बहने से पहले ही रोक लिए फिर राजेंद्र को परोसने जा ही रही थीं की पुष्पा बोली...भाभी सबसे पहले मुझे परोसों, पहले मुझे नहीं परोसा तो पहली रसोई के टेस्ट में आप कतई पास नहीं हों पाओगी।

राजेंद्र...हां बहु जाओ पहले पुष्पा को परोस दो पुष्पा हमारे परिवार की महारानी हैं। मैं भी उसके बातों का निरादर नहीं कर सकता तुम भी मात करना नहीं तो सभी के सामने सजा दे देगी। मैं नहीं चाहता कोई मेरे बहु को सजा दे।

पुष्पा…haaaaan आप समझें भाभी पापा ने किया कहा। चलो अब देर न करों जल्दी से परोस दो बड़ी जोरों की भूख लगीं हैं।

कमला पुष्पा को परोसने जा ही रही थी की अपश्यु बोला...भाभी रूको आज सबसे पहले आप मुझे परोसेगे।

पुष्पा...नहीं सब से पहले मुझे मैं महारानी हूं।

अपश्यु...नहीं सबसे पहले मुझे मैं भाभी का सबसे छोटा देवर हूं।

पुष्पा...मैं भाभी की इकलौती ननद हूं इसलिए सबसे पहले मुझे परोसेंगे।

अपश्यु...मैं भी भाभी का eklautaaa नहीं नहीं रमन भईया भी हैं। रमन भईया आप कुछ बोलो न!

रमन... मैं क्या बोलूं? मैं तो बस इतना ही बोलूंगा भाभी आप पहले पुष्पा को ही परोस दो।

रमन की बात सुन सभी मुस्कुरा दिए पुष्पा सेखी बघेरते हुऐ बोली... भाभी सूना न रमन भईया भी मेरे पक्ष में बोल रहें हैं इसलिए देर न करों जल्दी से परोस दो।

अपश्यु...रमन भईया आप से ये उम्मीद न था आप मेरे पक्ष में नहीं हैं तो किया हुआ मैं अकेले ही ठीक हूं। भाभी पहले मुझे पारोसो नहीं तो मैं आपसे नाराज हों जाऊंगा। क्या आप चाहते हों आपका छोटा देवर आप से नाराज रहें? अगर आप चाहती हों तो पुष्पा को ही पहले परोस दो।

कमला...मैं कभी नही चाऊंगा मेरा छोटा देवर मुझसे नाराज रहें।

पुष्पा...अच्छा ब्लैकमेल रुको अभी बताती हूं। भाभी मैं आपकी एकलौती ननद होने के साथ घर में सबसे छोटी हूं। इसलिए आप पहले मुझे परोसो नहीं परोसा तो मैं आपसे नाराज हों जाऊंगी फिर कभी आपसे बात नहीं करुंगी। सोच लो haaa।

असमंजस की स्थिति में कमला फांस गई। किसे पहले परोसे समझ नहीं पा रही थीं। कुछ भी ऐसा करना नहीं चाह रहीं थी। जिससे इकलौती ननद और देवर नाराज़ हों जाएं। इसलिए आशा की दृष्टि से रघु की और देखा पर रघु भी कंधा उचका कर बता दिया मैं इसमें कोई सहयता नहीं कर सकता मैं असमर्थ हूं।

पुष्पा और अपश्यु को जिद्द करते देख रावण मुस्करा रहा था और मन ही मन बोला...दादी भाई बहु तो विश्व सुंदरी ढूंढ कर ले आए लेकिन अब जो परिस्थिति बन रहा हैं इससे बहु कैसे निपटेगा अब पाता चलेगा बहु कितना समझदार और चतुर हैं बस दोनों में से कोई पीछे न हटे तब तो और मजा आयेगा।

बाकी बचे घर वाले अपश्यु और पुष्पा के मामले में पड़ना नहीं चाहते थे क्योंकि सभी जानते थे दोनों जब जिद्द करने पर आ जाए तो किसी की नहीं सुनते पर कमला को असहाय देख सुकन्या अपश्यु को समझते हुऐ बोली... अपश्यु मन जा न बेटा तू मेरा अच्छा बेटा हैं। देख पुष्पा घर में सबसे छोटी हैं पहली बार में उसे परसने दे दूसरी बार में तूझे परोस देंगी।

अपश्यु...मां मैं जनता हूं आप पुष्पा को मुझसे ज्यादा प्यार करते हों। आप करों पुष्पा को मुझसे ज्यादा प्यार मुझे कोई आपत्ति नहीं हैं। लेकिन आज मैं किसी की नहीं सुनने वाला। आज तो पुष्पा की भी नहीं चलने दुंगा।

बेटे के जिद्द के आगे सुकन्या सिर झुका लिया। क्योंकि सुकन्या जान गई थी आज अपश्यु किसी की नहीं सुनने वाला, अपश्यु को अड़ा देख सुरभि पुष्पा को समझते हुऐ बोली... पुष्पा बेटी क्यों जिद्द कर रहीं हैं? क्यों बहु को परेशान कर रहीं हैं? अपश्यु को पहले परोसने दे दूसरी बार में तूझे परोस देंगी। अपश्यु तूझ'से बड़ा है बोल हैं न बड़ा!

पुष्पा…हां

सुरभि….बस फिर किया हों गया फैसला बहु अपश्यु को पहले परोस दो।

अपश्यु को पहले परोसने की बात सुन पुष्पा उदास हों गई। ये देख कमला को अच्छा नहीं लग रहा था। कमला पहले ही दिन कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहतीं थी जिससे देवर और ननद उदास हों जाएं इसलिए इस मसले का हल मन ही मन ढूंढने लग गई।

पुष्पा के पीछे हटने से रावण को उसका मनसा टूटता नज़र आया और पुष्पा को उदास बैठा देख रावण को अच्छा भी नहीं लग रहा था इसलिए बोला... बहु मुझे पुष्पा की उदासी अच्छा नहीं लग रहा तुम कुछ ऐसा करों जिससे दोनों के मन की हों जाएं और कोई तुमसे नाराज हों'कर न रह पाए।

रावण की बाते सुन सुकन्या रावण को एक नज़र देखा पर कुछ बोला नहीं बाकी सभी भी रावण की और देखा जैसे पूछ रहे हों बहु इसका क्या हल निकलेगा। चाचा की बात सुन पुष्पा भी मुस्करा दिया और कमला विचार करने में मग्न हों गईं। कमला को इतना गहन विचार करते देख सुरभि बोली... बहु इतना सोच विचार करने की जरूरत नहीं हैं तुम पहले अपश्यु को परोस दो पुष्पा भी तो मान गई हैं।

पुष्पा...हां भाभी आप भईया को ही पहले परोस दो मैं तो ऐसे ही बहना कर रहीं थीं।

सुकन्या...हां हां मैं जानती हूं तुम कितना बहना कर रही थीं बहना कर रहीं होती तो अपश्यु को पहले परोसने की सुन तुम्हारा चेहरा न लटक गया होता। बहु अपश्यु को छोड़ो तुम पहले पुष्पा को ही परोस दो मैं मेरी एकलौती बेटी का लटका हुआ चेहरा नहीं देख पा रहीं हूं।

सुकन्या की बात सुन पुष्पा जो उदास हो गई थी उसके चेहरे पे मुस्कान लौट आई और अपश्यु को देख चिड़ाने लग गईं। पुष्पा को चिड़ाते देख अपश्यु का चेहरा लटक गया ये देख सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गया लेकिन कमला अभी भी सोचने में मग्न थी। अचानक कमला के चेहरे पर मुस्कान आया और बोली... सुनो मेरे प्यारे देवर और ननद रानी आप दोनों को एक साथ मैं पहले परोस सकती हूं लेकिन आप दोनों को एक ही प्लेट में खाना होगा। बोलों मंजूर हैं।

अपश्यु और पुष्पा दोनों एक दूसरे को देख मुस्कुरा दिया फिर पुष्पा बोली...भईया बहुत दिनों बाद आप के साथ फिर से एक ही प्लेट में खाने का मौका मिल रहा हैं ये हों रहा हैं तो सिर्फ भाभी के कारण मैं तो भुल ही गई थीं।

कमला...मतलब मैं कुछ समझ नहीं पाई।

सुकन्या…बहु बचपन में इन दोनों की आदत थी जब तक दोनों को एक ही प्लेट में खाना न दो तब तक दोनों खाते नहीं थे। बाद में रघु भी इनके साथ हों लिया बड़ी मुस्कील से इनकी ये आदत छुड़वाया था। क्यों दीदी मैंने सही कहा न?

सुरभि...हां छोटी तुमने सही कहा जाओ बहु दोनों को एक ही प्लेट में परोस दो।

पुष्पा जाकर अपश्यु के पास बैठ गई दोनों के देखा देखी रघु भी धीरे से उठा और पुष्पा के दूसरे सईद बैठ गया। सभी देख मुस्कुरा दिए और भाई बहनों में प्यार देख गदगद हो गए फिर कमला ने एक प्लेट में रघु , अपश्यु और पुष्पा को परोस दिया। साथ ही बाकी सभी को भी परोस दिया। रमन थोडा सा खिसका फिर रघु से बोला... चल थोड़ा सा किसक मुझे भी जगह दे मैं भी पुष्पा के साथ ही खाऊंगा।

एक बार फिर से सभी के चेहरे पर खिला सा मुस्कान आ गई। रावण अभी अभी जो भी हुआ उसे देख मुसकुराते हुऐ मन में बोला...बहु ये तो एक साधारण सी उलझन था जिससे तुम पर पा लिया लेकिन जीवन बहुत बड़ा हैं। इससे भी बड़ी बड़ी उलझने जीवन में आगे तब कैसे पार पाओगी।

न जानें रावण किया सोचा रहा था। साधारण मुस्कान बदलकर कुटिल हों गया। सभी ने अपने अपने प्लेट से एक एक निवाला खाया फिर आंख बन्द कर खाने की स्वाद लेने लगे। अपश्यु फटाफट दो तीन निवाल खाकर खाने का स्वाद लिया फिर रुक गया। यकायक न जाने किया सूझा उठकर भाग गया।


आज के लिए इतना ही अगले अपडेट में जानेंगे अपश्यु क्यों उठकर भागा? यहां तक साथ बाने रहने के लिय सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏
Badhiya shaandaar update bhai
Yeh tow lucknow k nawabo wali baat ho gaya pehle aap pehle aap lekin kamla n apna dimag laga ker sab set ker dia
Ab yeh rawad kia soch ker kaneeni muskaan has raha tha or apasyu ko kia yaad aa gaya jo nashta chod ker bhaag gaya
 

Naik

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Update - 36


अपश्यु को पूरा नाश्ता किए बिना जाते देख सुकन्या बोली…अपश्यु रुक जा बेटा कहा जा रहा हैं। अभी तो कह रहा था बाड़ी जोरों की भूख लगा हैं। दो चार निवाले में ही पेट भरा गया।

सुरभि...अपश्यु बेटा ऐसा नहीं करते खाना बीच में छोड़कर नहीं जाते आ जा नाश्ता कर ले।

अपश्यु किसी का नहीं सूना चलाता चला गया। रूम में जाकर ही रुका, अपश्यु के जाते ही कमला का चेहरा उतर गया। उसे लगा शायद अपश्यु को उसका बनाया नाश्ता पसन्द नहीं आया इसलिए नाश्ता किए बिना ही चला गया।

राजेंद्र ने एक दो निवाला ओर खाया फिर सुरभि के कान में कुछ कहा तब सुरभि "मैं अभी आई" कह कर रूम की और चल दिया। कमला को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था ये हों किया रहा हैं। सुरभि के जाते ही सुकन्या भी "मैं अभी आई कहकर" रूम की ओर चली गई। जो भी हों रहा था उसे देख कमला को लगने लगा पक्का नाश्ता बनाने में कोई कमी रह गईं होगी इसलिए एक एक कर सभी उठकर जा रहे हैं। सोचा था पाक कला में निपुर्णता दिखा सभी का मन मोह लूंगा पर हों उल्टा रहा हैं। कमला को ये भी लग रहा था पहली रसोई के परीक्षा में ही फेल हों गया न जानें आगे ओर कितनी बार प्रस्त होना पड़ेगा। पहली सुबह ही सभी के मान मे उसके प्रति गलत धारणा बन गया। अपकी बेटी को खाना अच्छे से बनाना नहीं आता। बेटी को अपने ये सिखाया था। मां के पास शिकायत गया। तो मां खुद को कितना अपमानित महसूस करेंगी ये सोच कभी भी रो दे ऐसा हाल कमला का हों गया।

बाकी बचे लोग जो बड़े चाव से खा रहें थें उन पर कमला ने कोई ध्यान ही नहीं दिया उसका ध्यान सिर्फ उठकर गए तीन ही लोगों पर था। "भाभी थोडी ओर sabjiiii" बोल पुष्पा कमला की ओर देखा कमला का रुवशा चेहरा देख बोली...भाभी क्या हुआ? अपका चेहरा क्यों उतर गया।

कमला चेहरे के भाव को सुधार बनावटी मुस्कान होटों पर सजा बोली...कुछ नहीं तुम बोलो कुछ मांग रहीं थी।

पुष्पा...मैं सब्जी मांग रहीं थीं लाओ थोडी ओर सब्जी दो और बताओ आप'का चेहरा क्यों उतरा हुआ हैं।

कमला सब्जी दे ही रही थीं तभी रघु बोला...बोलों कमला क्या हुआ?

कमला...कुछ नहीं हुआ आप बताइए नाश्ता कैसा बना हैं।

रमन...भाभी इससे क्यों पूछ रहें हों मैं बताता हूं। नाश्ता बहुत लाजवाब बना हैं आप'के हाथों में तो जादू हैं।

पुष्पा...हां भाभी नाश्ता इतना बेहतरीन बना हैं क्या ही कहूं मन कर रहा हैं सिर्फ खाता ही जाऊ खाता ही जाऊ लेकिन खा नहीं सकता क्योंकि पेट छोटा सा हैं।

पुष्पा की बाते सुन कमला के चेहरे पर मुस्कान लौट आया फिर राजेंद्र बोला...हां बेटी बहुत स्वादिष्ट नाश्ता बनाया हैं रमन सही कह रहा था तुम्हारे हाथों में जादू हैं। तुम्हारे हाथ का बना, खाने का तो मैं पहले से ही कायल हूं। रावण बहु ने इतना अच्छा खाना बनाया इस पर तू कुछ नहीं कहेगा।

रावण...दादा भाई मेरे कहने के लिए कुछ बचा ही कहा हैं आप सभी ने तो पहले से ही भर भर के बहु की तारीफ कर दिया। बहु बहुत स्वादिष्ट और लाजवाब नाश्ता बनाया।

कमला...आप सभी मेरी झूठी तारीफे कर रहे हों। नाश्ता अच्छा बना होता तो क्या मम्मी जी, छोटी मां और देवर जी उठकर जाते।

अपश्यु रूम से आ चुका था और कमला की बाते सुन लिया था तो कमला के पास गया फिर बोला... भाभी सच में आपने नाश्ता बहुत स्वादिष्ट और लाजवाब बनाया हैं। मैं आप'को देने के लिए कल एक गिफ्ट लाया था। उसे लेने गया था पक्का मां और बड़ी मां भी आप'को देने के लिए कोई गिफ्ट लेने गए होंगे। मैं अपको कल से गिफ्ट देने का मौका ढूंढ रहा था। इससे अच्छा मौका आप'को गिफ्ट देने का मुझे मिल ही नहीं सकता। लीजिए आपका गिफ्ट।

अपश्यु का दिया गिफ्ट कमला पकड़ लिया फिर बोला...thank you देवर जी।

रमन, रघु और पुष्पा प्लेट को साफा चाट कर चुका था। खली प्लेट देख अपश्यु बोला... दादा भाई आप तीनों थोडी देर मेरे लिए रूक नहीं सकते थे। मेरे बिना ही प्लेट साफ कर दिया। भाभी जल्दी से परोस दीजिए बड़ी जोरों की भूख लगा हैं।

पुष्पा...हमने थोड़े न आप'को बीच नाश्ते से उठकर जानें को कहा था। आप'को गिफ्ट देना ही था तो नाश्ते के बाद दे सकते थे।

अपश्यु…चल थोड़ा परे खिसक मुझे बैठने दे। तुझे तो गिफ्ट देना नहीं है कोई गिफ्ट लाई होगी तभी न भाभी को गिफ्ट देगी।

पुष्पा के जगह देने पर अपश्यु बैठ गया फिर पुष्पा बोली... मैं भला क्यों भाभी को गिफ्ट दूंगी मैं तो उल्टा भाभी से गिफ्ट लूंगी।

सुरभि रूम से आ रही थीं आते हुऐ बोली... पुष्पा तू बहु से गिफ्ट क्यों लेगी आज तो उल्टा तुझे बहु को गिफ्ट देना चाहिए बहु ने इतना स्वादिष्ट नाश्ता जो बनाया।

पुष्पा...मैं नहीं देने वाली कोई गिफ्ट विफ्ट पहले ही कह दे रही हूं।

सुरभि...हां किसी को तू क्यों गिफ्ट देगा। तू तो बस सजा देगा लेकिन मेरी बात कान खोलकर सुन ले मेरी बहु को तूने आगर सजा दिया तो अच्छा नहीं होगा।

पुष्पा…अच्छा ! तो फिर भाभी को कह दो मेरा कहना न टाले और कोई गलती न करें ऐसा हुआ तो मुझे सजा देने से कोई नहीं रोक सकता आप भी नहीं क्योंकि मैं महारानी हूं। महारानी सभी पर राज करती हैं

पुष्पा की बाते सुन सभी हंस दिया। सुरभि तब तक पास आ चुकी थी। साथ में एक बॉक्स लेकर आई थीं बॉक्स कमला को देते हुऐ बोली...बहु ये गिफ्ट मेरे जीवन का सबसे अनमोल गिफ्ट हैं। मेरे पहले रसोई पर मेरे सास ने मुझे दिया था आज मैं तुम्हें दे रहा हूं।

कमला मुस्कुराते हुऐ बॉक्स को ले लिया। तब तक सुकन्या भी आ चुकी थीं उसके हाथ में भी एक बॉक्स था। जिसे कमला को दे दिया। बॉक्स देख सुरभि बोली...छोटी ये toooo

सुकन्या...हां दीदी अपने मुझे मेरे पहले रसोई पर दिया था जबकि मैंने खाना इतना अच्छा नहीं बनाया था तब भी आप मेरी तारीफ किया था और ये गिफ्ट दिया था आज मैं इस गिफ्ट का जो सही हकदार हैं उसे दे रहीं हूं।

पुष्पा…हां तो अब भी कौन सा अच्छा खाना बनाती हों कितना सिखाया सीखती ही नहीं हों आप जैसा नालायक बच्चा मैंने नहीं देखा।

पुष्पा की बात सुन सुरभि ने आंख दिखाया और सुकन्या मुस्कुराते हुऐ अपने जगह जाकर बैठ गई। तब कमला बोली...महारानी जी तुम चिन्ता न करों मैं देखूंगी आप कितनी लायक बच्ची हों किसी दिन मैं आप'से खाना बनबाऊंगी आगर अच्छा नहीं बाना तो फिर देख लेना।

पुष्पा...हां हां देख लेना रोका किसने हैं।

सुकन्या...मेरी बेटी भी किसी से काम नहीं जब मन करे देख लेना बहु तुम'से अच्छा न सही पर तुम'से खराब भी नहीं बनाएगी।

पुष्पा...भाभी सूना अपने छोटी मां ने किया कहा

कमला... हां हां सुना हैं देखा नहीं हैं जिस दिन देख लूंगी उस दिन मन लूंगी।

इतना कहा कमला खिलखिला देती हैं कमला के देखा देखी सभी हंस देते हैं और पुष्पा hunnnn मुंह भितकाते हुए नाश्ता करने लग गईं। ये देख सभी ओर जोर जोर से खिला खिलखिला देते हैं। सभी मस्ती में थे वहीं सभी को गिफ्ट देते देख रावण मन ही मन बोला…सभी ने गिफ्ट दिया मैं कुछ नहीं दिया तो सभी कहेंगे मुझे नाश्ता पसन्द नहीं आया। सभी को छोड़ो सुकन्या तो मेरा जीना ही हराम कर देगी पहले से ही नाराज हैं उसे और नाराज नहीं कर सकतीं हूं यहीं मौक़ा हैं बहु को गिफ्ट दे सुकन्या को माना लेता हूं। वैसे भी बहु गिफ्ट पाने वाला काम ही तो किया इतना स्वादिष्ट खाना तो आज तक नहीं खाया वाह बहु जवाब नहीं हैं तुम्हारा।

ये सोच रावण उठ कमला के पास जा गले में से एक सोने की चेन उतार कमला को दे दिया। नज़र फेर सुकन्या ने देखा फिर हल्का सा मुस्कुरा नज़रे फेर लिया जैसे कुछ देखा ही नहीं सुकन्या की इस हरकत पर रावण का नज़र पड़ गया। सुकन्या को मुस्कुराते देख रावण का दिल बाग बाग हों गया फिर मन ही मन बोला...जो सोचा था हों गया अब सुकन्या को बहला फुसलाकर माना ही लूंगा। सुकन्या बहुत रूठ लिए अब और नहीं ।

गिफ्टों का लेन देन होने के बाद सभी हसीं मजाक करते हुए नाश्ता करने लगें। सुरभि के कहने पर कमला भी नाश्ता करने बैठ गई। बरहाल हसीं खुशी सभी ने नाश्ता कर लिया नाश्ता के बाद राजेंद्र बोला...रावण मेरे साथ ऑफिस चल बहु घर आने की खुशी में सभी कामगारों को कुछ गिफ्ट देकर आते हैं।

रावण...ठीक है दादा भाई

अपश्यु...बड़े पापा आप के साथ मैं भी चलूंगा।

राजेंद्र…ठीक हैं तू भी चल लेना। सुरभि मैं सोच रहा हूं बहु घर आने की खुशी में एक पार्टी रखी जाएं तुम बोलों कब रखा जाएं।

सुरभि...मैं सोच रहीं थीं पहले बहु के साथ कुल देवी के मंदिर हों आए फिर पार्टी रखी जाएं तो कैसा होगा।

राजेंद्र...हां ये भी सही होगा मैं तो ऑफिस जा रहा हूं। तुम पूरोहित जी को आज ही बुलवाकर कोई शुभ मूहर्त निकलवा लो फिर उस हिसाब से आगे की तैयारी करते हैं।

इतना कह रावण, अपश्यु और राजेंद्र ऑफिस के लिए चल दिया। पुष्पा भाभी के साथ गप्पे मरने खुद के रूम में ले गया, रह गया रमन और रघु इन दोनों को सुरभि ने पुरोहित को लिवाने भेज दिया। कुछ क्षण में दोनों पुरोहित जी को लेकर आ गए। पुरोहित जी आते ही बोला...रानी मां नई बहू आने की बहुत बहुत बधाई।

सुरभि...धन्यवाद पुरोहित जी आइए बैठिए और एक अच्छा सा शुभ दिन देखिए। बहु को लेकर कुलदेवी की पूजा करने जाना हैं।

पुरोहित जी बैठे फिर पंचांग निकल खंगालने लग गए कुछ क्षण पंचांग खंगालने के बाद बोले...रानी मां तीन दिन बाद देवी के पूजा का एक बहुत अच्छा शुभ मुहूर्त हैं आप चाहो तो उस दिन कुल देवी की पूजा करने जा सकते हों।

सुरभि... ठीक है पुरोहित जी आप उस दिन समय से पहूंच जायेगा। जो तैयारी आप'के ओर से करना हैं कर लेना हमे किया तैयारी करना हैं बता दीजिए।

पूरोहीत...पूजन में जो भी सामान चाहिएं वो मैं ले आऊंगा बाकी आप अपने ओर से जो करना चाहो उसकी तैयारी कर लेना।

इसके बाद पुरोहित जी अनुमति लेकर चल दिए। रावण को सुकन्या से बात करने का समय ही नहीं मिला उसका पूरा दिन ऑफिस में ही कट गया फिर घर आते आते देर हों गया था। तब तक सुकन्या खाना खाकर सो चुका था। मन तो कर रहा था जगाकर बात करें पर कहीं फिर से नाराज न हों जाएं इसलिए बिना बात किए ही सो गया।

अपश्यु खाना पीना कर रूम में गया फिर फोन उठा एक कॉल किया दूसरे ओर से कॉल रिसीव होते ही अपश्यु बोला... डिंपल मैं अपश्यु

डिंपल...अपश्यु नाम के किसी भी शख्स को नहीं जानती आप ने रोंग नंबर लगा दिया।

अपश्यु...ये क्या बात हुआ मेरा आवाज भी भुल गए।

डिंपल...भुला मैं नहीं तुम भूले हों माना की घर में शादी था पर तुम्हें इतना भी वक्त नहीं मिला की मुझसे बात कर लो। मैं तुमसे बात करने के लिए कितना तड़प रहीं थीं और तुम हों की मेरा कोई खोज खबर ही न लिए।

अपश्यु...सॉरी बाबा अब गुस्सा थूक भी दो हो गई भुल अब माफ कर भी दो।

डिंपल...तुम्हारा सही हैं गलती करों फिर माफ़ी मांग लो कोई माफी नही मिलेगा कल मिलने आयो तो कुछ सोच सकती हूं।

अपश्यु…कल देखता हूं टाइम मिला तो आ जाऊंगा।

डिंपल... देखती हूं कल मैं उसी पार्क में वेट करुंगी तुम टाइम से आ जाना नहीं आए तो सोच लेना। ओके बाय कोई आ रहा हैं मैं अभी रखती हूं।

अपश्यु... डिंपल सुनो तो..

अपश्यु सुनो तो, सुनो तो कहता रहा गया और डिंपल ने फ़ोन कट दिया। अपश्यु रिसीवर रखा फिर बोला…अजीब लडकी है पुरी बात सुने बिना ही कॉल काट दिया। लगता है बहुत गुस्से में हैं कल कुछ भी करके मिलने जाना पड़ेगा नहीं तो ओर नाराज हों जाएगी फिर मनाने में मेरा जेब खाली हों जायेगा। जो भी हों कल देखा जायेगा आज बहुत थक गया सो जाता हूं।

अपश्यु सोते ही नींद की वादी में खो गाय। इधर सुरभि ने पुरोहित जी से जो भी बात चीत हुआ बता दिया जिसे सुन कल सभी से बात करने को बोल सो गया।

अगले दिन सभी समय से नाश्ते के टेबल पर मिले फिर सभी नाश्ता करने लग गए। नाश्ता कर ही रहें थें की तभी "वाह जी बहु के आते ही बहु के हाथ का बना, खाने का मज़ा लिया जा रहा हैं खाओ खाओ पेट भरा के खाओ।"

सभी आवाज की दिशा में देखा उधर से मुंशी के साथ मुंशी की बीबी उर्वशी मुस्कुराते हुए आ रहे थें। दोनों को देख राजेंद्र बोल…आ जा तू भी कर ले तुझे किसने मना किया। भाभी आप कैसे हों।

उर्वशी...राजा जी मैं बिल्कुल ठीक नहीं हूं आप और रानी मां कैसे हों।

सुरभि...उर्वशी तुम्हें किया हुआ।

दोनों पास आए तब रघु ने कमला को साथ लिए दोनों का आशिर्वाद लिया फिर रमन भी आर्शीवाद लिया फिर बोला...मां पापा कैसे हों।

उर्वशी...ओ हो तुम्हें याद है की तुम्हारे मां बाप भी हैं जब से आया है एक बार भी देखने नहीं आया मां पापा कैसे हैं अब पूछ रहा हैं कैसे हों

सुरभि...उर्वशी मेरे बेटे को बिल्कुल नहीं डटना।

उर्वशी...हां हां रमन भी तुम्हारा बेटा रघु भी तुम्हारा बेटा तो मेरा कौन हैं।

पुष्पा...आंटी मैं हूं न आप की बेटी।

उर्वशी... तू भी सिर्फ नाम की बेटी हैं कब की आई हुई हैं एक बार मिलने भी नहीं आई।

पुष्पा...आंटी भईया की शादी में मिला तो था। आप तो जानते ही थे भईया की शादी था घर में सभी अलसी हैं इनसे काम करवाते करवाते मेरा पसीना छूट गई इसलिए मिलने नहीं आ पाई।

उर्वशी..हां हां मैं जानती हूं इस घर में तुम ही एक लायक बच्ची हों बाकी तो सभी निकम्मे हैं।

इतना कह उर्वशी हंस दिया उर्वशी के साथ सभी भी मुस्कुरा दिए। पुष्पा आगे कुछ कहती उससे पहले सुरभि बोली...बाते बहुत हुआ उर्वशी बैठो ओर नाश्ता करो।

मुंशी...रानी मां नाश्ता तो तभी करेगें जब बहु खुद बना कर खिलाएगी।

कमला...आप दोनों बैठे मैं अभी बना कर लाई।

इतना कह कमला उठ गई उर्वशी रोकते हुए बोली...अरे बहु रानी पहले नाश्ता कर लो हम तुम्हारे हाथ का बना खाना फिर कभी खां लेंगे।

कमला बैठा गई फिर मुंशी और उर्वशी भी बैठ गए फिर मुंशी बोला...रमन बेटा तुम हमारे साथ चलो तुम्हारे मामा जी की तबियत खराब हैं। हमें उन्हें देखने जाना हैं।

रघु…काका मामा जी को क्या हुआ? ज्यादा तबियत खराब तो नहीं हैं।

मुंशी…फ़ोन पर ही बात हुआ है जाकर देखेंगे तभी जान पायेंगे तबियत कितना खराब हैं।

राजेंद्र...दो दिन बाद कुलदेवी मंदिर जा रहे हैं तब तक आ जायेगा कि नहीं।

मुंशी...कोशिश करूंगा नहीं आ पाया तो बता दुंगा और अगर आया तो हम सीधा मंदिर ही पहुंच जाएंगे।

राजेंद्र...जो तुझे ठीक लगें करना इस मामले में मैं ज्यादा हस्तक्षेप नहीं करूंगा। तेरे साले साहब की तबियत खराब न होता तो मैं तेरा कहा नहीं सुनता।

इसके बाद सभी ने नाश्ता कर लिया फिर रमन अपना बैग लेने चला गया तब उर्वशी बोला...बहु रानी तुम्हारे हाथ का खाना खाने हम जरूर आयेंगे।

कमला…जल्दी आइएगा और आने से पहले बता दीजियेगा ताकि मैं खाना पहले से ही बना कर रख सकूं।

कमला की बाते सुन सभी मुस्करा दिए। रमन के आते ही तीनों चले गए फिर राजेंद्र बोला...अपश्यु बेटा आज भी तुम मेरे साथ चलना तुम्हें मेरे साथ चलने में कोई दिक्कत तो नहीं हैं।

अपश्यु...नहीं बड़े पापा कोई दिक्कत नहीं हैं।

अपश्यु की बात सुन सभी अबक रहें गए क्योंकि अपश्यु इससे पहले कोई भी काम करने को कहो तो दो टूक जवाब दे माना कर देता था। अपश्यु से हां सुन सुकन्या मन में बोली...अपश्यु में इतना बदलाब कैसे आ गया पहले तो कुछ भी कहो दो टूक जवाब दे माना कर देता था। लगता हैं मेरा बेटा जिम्मेदार होने लग गया। बेटा ऐसे ही बड़ो का कहा मानना हे भगवान मेरा बेटा अपने बाप जैसा न बाने जो अपनो के साथ गद्दारी करने में लगा हुआ हैं।

राजेंद्र…रावण मैं सोचा रहा हूं कुलदेवी मंदिर से आने के एक हफ्ते बाद घर पे एक बड़ी पार्टी रखा जाएं तू किया कहता हैं।

रावण…अपने सही सोचा पार्टी तो होना ही चाहिए दादाभाई पार्टी ग्रांड होना चाहिए सभी को पाता चलना चाहिए राज परिवार में बहु आने की खुशियां मनाया जा रहा हैं।

राजेंद्र... हां हां जैसा तुम चाहो करों पार्टी की जिम्मेदारी तुम्हारे सर हैं जैसा तैयारी करना हैं करों।

सभी राजेंद्र के हां हां मिलता हैं। इसके बाद राजेंद्र अपश्यु को साथ ले चला गया। रावण बीबी को मनाना चाहता था लेकिन ऑफिस से एक जरूरी काम का फोन आया तो वहा चला गया। रघु भी जाना चाहता था पर सुरभि ने माना कर दिया तो रावण अकेले ही ऑफिस चला गया।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे यहां तक साथ बाने रहने के लिय बहुत बहुत धन्यवाद।
🙏🙏🙏🙏
Bahot behtareen shaandaar update bhai
 

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पैतीसवाँ भाग

बहुत ही बेहतरीन महोदय।।

ये रघु बाबू तो बड़े ही रंगीन मिजाज निकले। बर्ताव तो ऐसे कर रहे हैं जैसे आज के बाद कमला को देख ही नहीं पाएंगे।। कमला की खूबसूरती में पूरे देवदास बने फिर रहे हैं रघु बाबू तो। अपनी ही पत्नी को लाइन मार रहे हैं।😂 कमला भी रघु के इरादे से पूर्ण रूप से परिचित थी तभी तो उसने रघु को कसम देकर रोक रखा था।।

ननद भाभी और देवर की अगर थोड़ी सी हंसी मजाक और नोंक झोंक न हो यो परिवार अधूरा से लगता है। सभी खाने की खुशबू सूंघ सूंघ कर उसके स्वाद का अंदाज़ा लगा रहे थे। अपसू और पुष्पा ने ये कहकर कमला की मुश्किल को बढ़ा दिया कि अगर उन्हें पहले खाना नहीं मिलेगा तो वो नाराज हो जाएंगे। कमला ने सूझबूझ का परिचय दिया यहां पर लेकिन रावण के दिमाग मे कुछ तो बड़ा पक रहा है ऐसा लगता है।।
Thank you 🙏🙏

रघु बाबू नया नया शादी के बन्धन में बंधा हैं। ऊपर से बीबी अदभुत सुंदरी तो मन में खुराफात तो जागना ही था तो लाइन मार देख रहा था क्या पाता बीबी रात वाला किस्सा दोहराने को राजी हों जाएं पर हुआ नहीं विचारे के उम्मीद पर बीबी ने बाल्टी भार डाल दिया 😌
 
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छत्तीसवां भाग


बहुत ही जबरदस्त।।

बहु की पहली रसोई हो तो उसे कोई न कोई तोहफा देना रिवाज है। जो बड़े देते हैं नई बहू को। खाने की प्लेट छोड़कर बिना कुछ कहे अपने कमरे में चले जाना किसी को भी सोच में डाल सकता है किशायद उसकी रसोई सही से नहीं बनी है तभी तो बिना तारीफ किए सब नाश्ता छोड़कर जा रहे हैं। कमला की हालत बहुत खराब हो गई थी ये देखकर। उसने इन कुछ मिनटों में क्या से क्या सोच डाला था।

अपसू अब सुधर गया है इस बात की खुशी सुकन्या को बहुत है। हो भी कईं न आखिर माँ जो है वो।। लेकिन रावण का कुछ समझ मे नहीं आ रहा है। उसके मन म3 जरूर कुछ न कुछ चल रहा है।।

Thank you 🙏🙏

नई बहु के मन में बहुत कुछ चल रहा होता वैसे ही कमला के मन में चल रहा था वो पहले दिन से ही ससुराल में छप छोड़ना चाह रहीं थी सभी का मान जय करना चाह रहीं थीं। इसलिए तो बिना कुछ कहे उठकर जानें से कमला तरह तरह की बाते सोच बैठी।
 

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Badhiya shaandaar update bhai
Yeh tow lucknow k nawabo wali baat ho gaya pehle aap pehle aap lekin kamla n apna dimag laga ker sab set ker dia
Ab yeh rawad kia soch ker kaneeni muskaan has raha tha or apasyu ko kia yaad aa gaya jo nashta chod ker bhaag gaya

Thank you 🙏🙏🙏

दोनों का पहले मैं पहले मैं करना स्वाभाविक था आखिर दोनों घर में सभी से छोटे हैं साथ ही रिश्ता भी ननद और देवर का हैं। तो भाभी के पहली राशोई पर पहला हक जताना चाहेंगे ही।
 

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Update - 37


रावण ऑफिस के काम में इतना उलझ गया की उसे ध्यान ही न रहा कब शाम हुआ फिर रात हों गया। इधर राजेंद्र के साथ अपश्यु परेशान हों रहा था। डिंपल का दिया मिलने का समय नजदीक आता जा रहा था और काम खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था। धीरे धीरे पल बीतता गया और डिंपल से मिलने का समय भी हों गया। अपश्यु छटपटा रहा था और सोच रहा था हों गया बेड़ा गर्ग अब तो डिंपल फुल दाना पानी लिए मुझ पर चढ़ जाएगी न जानें अब उसे मनाने के लिए कितना कुछ करना पड़ेगा। क्यों आया था? माना कर देता तो अच्छा होता फिर सोचा अरे नहीं आता तो बड़े पापा नाराज़ हों जाते पहले भी तो कहीं बार नाराज़ हों चुके हैं। मैंने भी तो फैसला लिया था अब दादा भाई जैसा बनना है सभी का कहा मानना हैं। साला जब गलत रास्ते पर चल रहा था तब सब सही चल रहा था और अब सही रास्ते पर चलने लगा तो परेशानी नज़र आने लगा। कोई नहीं जब फैसला ले ही लिया तो परेशानी कैसा भी हों सामना तो करना ही होगा।

अपश्यु को सोच में मग्न देख राजेंद्र बोला...क्या हुआ अपश्यु परेशान लग रहे हों।

अपश्यु हड़बड़कर...कु कु कुछ कहा अपने बड़े पापा।

अपश्यु को हड़बड़ाते देख राजेंद्र मुस्कुराते हुए बोला...बेटा बस थोडी देर ओर परेशान हों लो फिर घर चलते हैं।

अपश्यु...बड़े पापा मैं कहा परेशान हों रहा हूं। मुझे तो अच्छा लग रहा हैं आप आराम से सभी काम निपटा लीजिए।

मुस्कुराकर अपश्यु के सिर पर हाथ फेरा फिर काम निपटाने लग गया। इधर डिंपल मस्त तैयार हों पार्क पहुंच चुका था। अपश्यु का वेट करते हुए घड़ी देख रहा था फिर खुद को समझा रहा था। अभी आ जायेगा किसी काम में फांस गया होगा।

जैसे जैसे पल बीत रहा था डिंपल को गुस्सा आ रहा था क्योंकि अपश्यु का वेट करते करते एक घंटे से ऊपर हों चुका था। लेकिन अपश्यु आया नहीं था। तो गुस्से में बड़बड़ाते हुए डिंपल बोली...मैं यहां वेट कर रहीं हूं और ये अपश्यु अभी तक नहीं आया आने दो उसे अच्छे से सबक सिखाऊंगी डिंपल से वेट करवाया मैं सभी काम छोड़ कर आ गईं और तुम थोड़े देर के लिए नहीं आ पाया मैं ज्यादा देर थोडी न रोकता कितने दिन हों गया नहीं मिली आज मिलने का कितना मन कर रहा था पर ये अपश्यु आया ही नहीं अब करना फ़ोन बात ही नहीं करूंगा।

अपश्यु पर आया गुस्सा डिंपल पार्क में मौजूद घासों को नोचकर निकल रहीं थीं। लेकिन कोई फायदा न हुआ डिंपल का गुस्सा ओर बढ़ता जा रहा था और बडबडा रही थीं

"वैसे तो कहता हैं जब मिलने बुलाओगे तब आ जाऊंगा आज बुलाया तो आया ही नहीं अब कहना मिलने आने को, आऊंगी ही नहीं जीतना मुझे तरसाया उसे कही ज्यादा तुम्हें न तरसा दिया तो कहना अब करना फ़ोन बात भी नहीं करुंगी। तब तुम्हें पाता चलेगा किसी को वेट करवाना कितना भरी पड़ता हैं।"

डिंपल से कुछ ही दूर एक प्रेमी जोड़ा बैठे थे। शायद लडकी किसी कारण रूठ गईं थीं। इसलिए लडकी को मानने के लिए लडका कभी हाथ जोड़ रहा था तो कभी कान पकड़ रहा था। लडके का मिन्नते करना कोई काम न आ रहा था लडकी जीयूं की तियूं मुंह फुलाए बैठी थीं। डिंपल की नज़रे उन पर पड़ गईं। दोनों की हरकते देख डिंपल के चेहरे पर खिला सा मुस्कान तैर गया फिर मन ही मन बोली...अपश्यु तैयार हों जाओ मिन्नते करने के लिए जब तक उस लडके की तरह तुम मिन्नते नहीं करोगे तब तक मैं भी नहीं मानने वाली।

कुछ वक्त तक ओर डिंपल सामने चल रहीं ड्रामे को देखती रहीं फिर मुसकुराते हुए चल दिया। विभान, संजय, मनीष और अनुराग चारो एक साथ पार्क के अंदर आ रहे थें। मनीष मुस्कुराते हुए आ रही डिंपल को देख बोला...अरे देख अपश्यु की आइटम आ रही हैं।

तीनों...की की किधर हैं किधर हैं।

इतना बोल तीनों इधर उधर देखने लगे तब मनीष ने एक ओर उंगली दिखा डिंपल को दिखा दिया। डिम्पल को देख विभान बोला...किया लग रहीं हैं बिल्कुल हॉट बॉम।

संजय...साला ये अपश्यु भी न लगता हैं ताम्र पत्ती पर किस्मत लिखवा कर लाया है बिल्कुल अटल एक से एक हॉट आइटम पटाएगा फिर मजे लेकर छोड़ देगा।

अनुराग...साले जलकूक्डिओ अपश्यु के किस्मत से इतना क्यों जलते हों अपश्यु की तरह मुंह फट बनो तुम भी एक से एक हॉट आईटम से मजे ले पाओगे।

मनीष...चुप वे अपश्यु के चमचे जब देखो अपश्यु की तरफदारी करता रहेगा। तू हमारे साथ क्यों रहता हैं? अपश्यु साथ घुमा कर।

अनुराग...तुम सभी रहोगे कुत्ते के कुत्ते ही जैसे कुत्ते को घी हजम नहीं होता वैसे ही तुम्हें दोस्ती नहीं पचता अपश्यु चाहें कितना भी बुरा हों लेकिन हमारी कितनी मदद करता हैं फिर भी तुम सभी अपश्यु की बुराई करते रहते हों। आगे एक लावज भी गलत अपश्यु या डिंपल भाभी को लेकर बोला तो मैं अपश्यु को बता दुंगा तुम सभी डिम्पल भाभी के लेकर कितनी गंदी गंदी बातें करते हो।

इतना बोल अनुराग आगे बड़ गया और डिम्पल के पास जा बोला...भाभी जी आप यहां कैसे आना हुआ।

डिंपल…मैं तो यहां अपश्यु से मिलने आया था। तुम यहां क्या करने आए हों? किसी से मिलने आए हों।

अनुराग...अरे भाभी मेरी इतनी अच्छी किस्मत कहा जो कोई मिलने बुलाए चलिए आपको घर तक छोड़ देता हैं।

तीनों पास आ चुके थे अनुराग का कहा सुन मनीष बोला…इतना चमचा गिरी करेगा तो किस्मत पाताल में ही रहेंगा। बेटा किस्मत अपने हाथ में हैं और खुद ही चमकाना पड़ता हैं।

डिंपल...कौन चमचा और किसका चमचा? तुम कहना क्या चाहते हों?

अनुराग...अरे भाभी आप इसकी बातों पर ध्यान न दो ये बड़बोला हैं कुछ भी बोलता हैं आप जाओ बाद में मिलते हैं।

डिंपल...बाय मेरे प्यारे प्यारे मनचले देवरों।

डिंपल बाय बोल चहरे पर खिला सा मुस्कान लिए चल दिया। डिम्पल के जाते ही संजय बोला...हाए कितनी मस्त अदा से बाय बोल गई साली जब भी सामने आती हैं जान निकल देती हैं।

अनुराग...सुधार जा संजय कही ऐसा न हों तुम्हारे इन्हीं आदतों के कारण हमारे दोस्ती में दरार न पड़ जाएं।

संजय...ओय ज्यादा ज्ञान न पेल सुनना हैं तो सुन नहीं तो यहां से निकल।

अनुराग समझ गया तीनों बाज़ नहीं आने वाले इसलिए वहां से जाना ही बेहतर समझा फिर चल दिया। अनुराग के जाते ही तीनों एक जगह बैठ गए ओर पार्क में घूमने आए लड़कियों पर फफ्तिया कसने लग गए। कुछ वक्त बैठे बैठे फफ्तिया कसते कसते बोर हों गए तो। पार्क में बैठे जोड़ो के पास जा उन्हें तंग करने लग गए। जोड़ो को तंग करते करते पार्क के कोने में बैठे एक जोड़े के पास पहुंचा।

लडके दिखने में पहलवान जैसा डील डौल वाला था। लडके के साथ बैठी लडकी का जिस्म भी भरा हुआ और बहुत ज्यादा खुबसूरत था। तीनों पास पहुंचा फिर मनीष बोला...क्यों रे पहलवान मस्त हॉट आइटम लेकर आया कहा से लाया।

लडके को मनीष की बात सुन गुस्सा आया फिर बोला...ओय छछुंदर भाग जा दिमाग खराब न कर।

संजय...ओय बॉडी बिल्डर ज्यादा भाव न खा इतनी हट माल के साथ बैठा हैं और मजे कर रहा हैं। हमें थोड़ा छेद दिया तो किया बुरा किया।

लड़का लडकी दोनों का पारा फुल चढ़ गया लडकी चप्पल उठा खड़ी हों गईं फिर chatakkkk चप्पल संजय के गाल पर छाप दिया। चप्पल पड़ते ही "ओ मां गो थोबडा पिचका दिया।" बोला फिर संजय का सिर भिन्न गया। जब तक संजय कुछ समझ पाता तब तक एक और चप्पल chatakkkk से एक बार फिर संजय का सिर भिन्न गया। संजय को लगा जैसे जमीन हिल गया हों खुद को संभाल न पाया और गिर गया। संजय के गिरते ही लडकी रुकी नहीं दे चप्पल दे चप्पल मरने लग गई ओर संजय ओ मां उई मां मर गया छोड़ दे बोल रहा था और चीख रहा था।

लडकी के पेलाई कार्यक्रम शुरू करते ही लड़का मनीष के पास गया एक झन्नते दर कान के नीचे रख दिया। "ओ मां गो कितना भरी हाथ हैं" बोल निचे गिर गया। लड़का कोलार पकड़ मनीष को उठाया फिर एक और रख दिया "ओ री मां दांत टूट गया क्या खाता हैं वे" बोल मनीष का सिर चकरा गया। मनीष से खडा न होया गया धाम से नीचे गिर गया।

मनीष और संजय की पिटाई होते देख विभान "भाग ले बेटा रुका तो आज एक भी हड्डी सलामत नहीं रहेगा" बोला दौड़ लगा दिया। विभान को भागते देख लड़का...कहा भाग रहा हैं। तुम तीनों की बाड़ी पक्की यारी लगता हैं दो पीट रहा हैं तू भी तो पीट ले।

लड़का भी विभान के पीछे भाग विभान को पकड़ा फ़िर दो उसके भी कान के नीचे रख दिया "ओ रे मां गो छोड़ दे छूटा सांड" बोल सिर चकराने से नीचे गिर गया फिर टांग पकड़ खींचते हुए लाकर मनीष के ऊपर डाल दिया फिर जो धुनायी शूरू किया मानो अखाड़े में कोई पहलवान विरोधी पहलवान को परास्त करने की ठान लिया हों और विरोधी पहलाव धोबी पछाड़ पे धोबी पछाड़ दिए जा रहा हों। उधर लडकी ने चप्पल मार मार कर संजय का तोबड़ा बंदर के भेल जैसा लाल कर दिया। कुछ वक्त तक ओर तीनों की धुलाई लीला चलता रहा और पार्क में मौजूद बाकी लोग सिर्फ देख कर मजे लेते रहें। तीनों की पिटाई कुछ ज्यादा ही हों गया था इसलिए दोनों रूक गए फिर लड़का बोला…साले कामिने छिछौरी हरकत करने से बाज आ जा नहीं तो फिर हत्थे चढ़ा तो जान से मर दुंगा।

लडकी...चलो जी यहां से मूड ही खराब कर दिया कहीं ओर चलते हैं।

दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ चल दिया। इधर तीनों की हालत डामाडौल हों गया था। किसी तरह एक दूसरे का सहारा ले खडा हुआ फिर विभान बोला...ओ मां सब तोड़ दिया कुछ भी साबुत न बचा कितना मरा सांड कहीं का।

संजय…अब्बे तुमे तो सांड ने मरा मेरे को तो उस छप्पन छुरी ने चप्पल मार मार के, हीरो जैसे दिखने वाले छोरे को जीरो बना दिया। बाप री क्या चप्पल बजती हैं? साल न जाने आज किसकी सूरत देखकर आया था जो एक लडकी से पीट गया।

मनीष...किसी और का नहीं ये नामुराद अनुराग के करण ही पीटे हैं जब जब अनुराग को साथ लेकर आए हैं तब तब पीटे हैं। साला हरमी दोस्त नहीं कलंक हैं अब उसे साथ लेकर नहीं आएंगे।

तीनों एक साथ हां बोल लड़खड़ाते हुए चल दिया। तीनों जहां जहां से गुजरकर जा रहे थें वहा मौजूद लोग तीनों को देख खिली उड़ा रहे थें तरह तरह की बाते कह रहे थें। किसी तरह एक दूसरे का सहारा बन अपने ठिकाने तक पहुंच ही गए।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बाने रहने के लिय सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद

🙏🙏🙏🙏🙏
 
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Destiny

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दोस्तो आज का अपडेट पिछले अपडेट के मुकाबले छोटा हैं इसके पीछे करण हैं। पूरा अपडेट एडिट करते वक्त डिलीट हों गया था इसलिए दुबारा लिखना पड़ा। आप सभी जानते हैं एक बार लिखने के बाद दुबारा उसी अपडेट को हुबहू लिखना कितना कठिन होता हैं। इसलिए बड़ी मुस्कील से इतना ही लिख पाया हूं।
 

Lib am

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Update - 37


रावण ऑफिस के काम में इतना उलझ गया की उसे ध्यान ही न रहा कब शाम हुआ फिर रात हों गया। इधर राजेंद्र के साथ अपश्यु परेशान हों रहा था। डिंपल का दिया मिलने का समय नजदीक आता जा रहा था और काम खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था। धीरे धीरे पल बीतता गया और डिंपल से मिलने का समय भी हों गया। अपश्यु छटपटा रहा था और सोच रहा था हों गया बेड़ा गर्ग अब तो डिंपल फुल दाना पानी लिए मुझ पर चढ़ जाएगी न जानें अब उसे मनाने के लिए कितना कुछ करना पड़ेगा। क्यों आया था? माना कर देता तो अच्छा होता फिर सोचा अरे नहीं आता तो बड़े पापा नाराज़ हों जाते पहले भी तो कहीं बार नाराज़ हों चुके हैं। मैंने भी तो फैसला लिया था अब दादा भाई जैसा बनना है सभी का कहा मानना हैं। साला जब गलत रास्ते पर चल रहा था तब सब सही चल रहा था और अब सही रास्ते पर चलने लगा तो परेशानी नज़र आने लगा। कोई नहीं जब फैसला ले ही लिया तो परेशानी कैसा भी हों सामना तो करना ही होगा।

अपश्यु को सोच में मग्न देख राजेंद्र बोला...क्या हुआ अपश्यु परेशान लग रहे हों।

अपश्यु हड़बड़कर...कु कु कुछ कहा अपने बड़े पापा।

अपश्यु को हड़बड़ाते देख राजेंद्र मुस्कुराते हुए बोला...बेटा बस थोडी देर ओर परेशान हों लो फिर घर चलते हैं।

अपश्यु...बड़े पापा मैं कहा परेशान हों रहा हूं। मुझे तो अच्छा लग रहा हैं आप आराम से सभी काम निपटा लीजिए।

मुस्कुराकर अपश्यु के सिर पर हाथ फेरा फिर काम निपटाने लग गया। इधर डिंपल मस्त तैयार हों पार्क पहुंच चुका था। अपश्यु का वेट करते हुए घड़ी देख रहा था फिर खुद को समझा रहा था। अभी आ जायेगा किसी काम में फांस गया होगा।

जैसे जैसे पल बीत रहा था डिंपल को गुस्सा आ रहा था क्योंकि अपश्यु का वेट करते करते एक घंटे से ऊपर हों चुका था। लेकिन अपश्यु आया नहीं था। तो गुस्से में बड़बड़ाते हुए डिंपल बोली...मैं यहां वेट कर रहीं हूं और ये अपश्यु अभी तक नहीं आया आने दो उसे अच्छे से सबक सिखाऊंगी डिंपल से वेट करवाया मैं सभी काम छोड़ कर आ गईं और तुम थोड़े देर के लिए नहीं आ पाया मैं ज्यादा देर थोडी न रोकता कितने दिन हों गया नहीं मिली आज मिलने का कितना मन कर रहा था पर ये अपश्यु आया ही नहीं अब करना फ़ोन बात ही नहीं करूंगा।

अपश्यु पर आया गुस्सा डिंपल पार्क में मौजूद घासों को नोचकर निकल रहीं थीं। लेकिन कोई फायदा न हुआ डिंपल का गुस्सा ओर बढ़ता जा रहा था और बडबडा रही थीं

"वैसे तो कहता हैं जब मिलने बुलाओगे तब आ जाऊंगा आज बुलाया तो आया ही नहीं अब कहना मिलने आने को, आऊंगी ही नहीं जीतना मुझे तरसाया उसे कही ज्यादा तुम्हें न तरसा दिया तो कहना अब करना फ़ोन बात भी नहीं करुंगी। तब तुम्हें पाता चलेगा किसी को वेट करवाना कितना भरी पड़ता हैं।"

डिंपल से कुछ ही दूर एक प्रेमी जोड़ा बैठे थे। शायद लडकी किसी कारण रूठ गईं थीं। इसलिए लडकी को मानने के लिए लडका कभी हाथ जोड़ रहा था तो कभी कान पकड़ रहा था। लडके का मिन्नते करना कोई काम न आ रहा था लडकी जीयूं की तियूं मुंह फुलाए बैठी थीं। डिंपल की नज़रे उन पर पड़ गईं। दोनों की हरकते देख डिंपल के चेहरे पर खिला सा मुस्कान तैर गया फिर मन ही मन बोली...अपश्यु तैयार हों जाओ मिन्नते करने के लिए जब तक उस लडके की तरह तुम मिन्नते नहीं करोगे तब तक मैं भी नहीं मानने वाली।

कुछ वक्त तक ओर डिंपल सामने चल रहीं ड्रामे को देखती रहीं फिर मुसकुराते हुए चल दिया। विभान, संजय, मनीष और अनुराग चारो एक साथ पार्क के अंदर आ रहे थें। मनीष मुस्कुराते हुए आ रही डिंपल को देख बोला...अरे देख अपश्यु की आइटम आ रही हैं।

तीनों...की की किधर हैं किधर हैं।

इतना बोल तीनों इधर उधर देखने लगे तब मनीष ने एक ओर उंगली दिखा डिंपल को दिखा दिया। डिम्पल को देख विभान बोला...किया लग रहीं हैं बिल्कुल हॉट बॉम।

संजय...साला ये अपश्यु भी न लगता हैं ताम्र पत्ती पर किस्मत लिखवा कर लाया है बिल्कुल अटल एक से एक हॉट आइटम पटाएगा फिर मजे लेकर छोड़ देगा।

अनुराग...साले जलकूक्डिओ अपश्यु के किस्मत से इतना क्यों जलते हों अपश्यु की तरह मुंह फट बनो तुम भी एक से एक हॉट आईटम से मजे ले पाओगे।

मनीष...चुप वे अपश्यु के चमचे जब देखो अपश्यु की तरफदारी करता रहेगा। तू हमारे साथ क्यों रहता हैं? अपश्यु साथ घुमा कर।

अनुराग...तुम सभी रहोगे कुत्ते के कुत्ते ही जैसे कुत्ते को घी हजम नहीं होता वैसे ही तुम्हें दोस्ती नहीं पचता अपश्यु चाहें कितना भी बुरा हों लेकिन हमारी कितनी मदद करता हैं फिर भी तुम सभी अपश्यु की बुराई करते रहते हों। आगे एक लावज भी गलत अपश्यु या डिंपल भाभी को लेकर बोला तो मैं अपश्यु को बता दुंगा तुम सभी डिम्पल भाभी के लेकर कितनी गंदी गंदी बातें करते हो।

इतना बोल अनुराग आगे बड़ गया और डिम्पल के पास जा बोला...भाभी जी आप यहां कैसे आना हुआ।

डिंपल…मैं तो यहां अपश्यु से मिलने आया था। तुम यहां क्या करने आए हों? किसी से मिलने आए हों।

अनुराग...अरे भाभी मेरी इतनी अच्छी किस्मत कहा जो कोई मिलने बुलाए चलिए आपको घर तक छोड़ देता हैं।

तीनों पास आ चुके थे अनुराग का कहा सुन मनीष बोला…इतना चमचा गिरी करेगा तो किस्मत पाताल में ही रहेंगा। बेटा किस्मत अपने हाथ में हैं और खुद ही चमकाना पड़ता हैं।

डिंपल...कौन चमचा और किसका चमचा? तुम कहना क्या चाहते हों?

अनुराग...अरे भाभी आप इसकी बातों पर ध्यान न दो ये बड़बोला हैं कुछ भी बोलता हैं आप जाओ बाद में मिलते हैं।

डिंपल...बाय मेरे प्यारे प्यारे मनचले देवरों।

डिंपल बाय बोल चहरे पर खिला सा मुस्कान लिए चल दिया। डिम्पल के जाते ही संजय बोला...हाए कितनी मस्त अदा से बाय बोल गई साली जब भी सामने आती हैं जान निकल देती हैं।

अनुराग...सुधार जा संजय कही ऐसा न हों तुम्हारे इन्हीं आदतों के कारण हमारे दोस्ती में दरार न पड़ जाएं।

संजय...ओय ज्यादा ज्ञान न पेल सुनना हैं तो सुन नहीं तो यहां से निकल।

अनुराग समझ गया तीनों बाज़ नहीं आने वाले इसलिए वहां से जाना ही बेहतर समझा फिर चल दिया। अनुराग के जाते ही तीनों एक जगह बैठ गए ओर पार्क में घूमने आए लड़कियों पर फफ्तिया कसने लग गए। कुछ वक्त बैठे बैठे फफ्तिया कसते कसते बोर हों गए तो। पार्क में बैठे जोड़ो के पास जा उन्हें तंग करने लग गए। जोड़ो को तंग करते करते पार्क के कोने में बैठे एक जोड़े के पास पहुंचा।

लडके दिखने में पहलवान जैसा डील डौल वाला था। लडके के साथ बैठी लडकी का जिस्म भी भरा हुआ और बहुत ज्यादा खुबसूरत था। तीनों पास पहुंचा फिर मनीष बोला...क्यों रे पहलवान मस्त हॉट आइटम लेकर आया कहा से लाया।

लडके को मनीष की बात सुन गुस्सा आया फिर बोला...ओय छछुंदर भाग जा दिमाग खराब न कर।

संजय...ओय बॉडी बिल्डर ज्यादा भाव न खा इतनी हट माल के साथ बैठा हैं और मजे कर रहा हैं। हमें थोड़ा छेद दिया तो किया बुरा किया।

लड़का लडकी दोनों का पारा फुल चढ़ गया लडकी चप्पल उठा खड़ी हों गईं फिर chatakkkk चप्पल संजय के गाल पर छाप दिया। चप्पल पड़ते ही "ओ मां गो थोबडा पिचका दिया।" बोला फिर संजय का सिर भिन्न गया। जब तक संजय कुछ समझ पाता तब तक एक और चप्पल chatakkkk से एक बार फिर संजय का सिर भिन्न गया। संजय को लगा जैसे जमीन हिल गया हों खुद को संभाल न पाया और गिर गया। संजय के गिरते ही लडकी रुकी नहीं दे चप्पल दे चप्पल मरने लग गई ओर संजय ओ मां उई मां मर गया छोड़ दे बोल रहा था और चीख रहा था।

लडकी के पेलाई कार्यक्रम शुरू करते ही लड़का मनीष के पास गया एक झन्नते दर कान के नीचे रख दिया। "ओ मां गो कितना भरी हाथ हैं" बोल निचे गिर गया। लड़का कोलार पकड़ मनीष को उठाया फिर एक और रख दिया "ओ री मां दांत टूट गया क्या खाता हैं वे" बोल मनीष का सिर चकरा गया। मनीष से खडा न होया गया धाम से नीचे गिर गया।

मनीष और संजय की पिटाई होते देख विभान "भाग ले बेटा रुका तो आज एक भी हड्डी सलामत नहीं रहेगा" बोला दौड़ लगा दिया। विभान को भागते देख लड़का...कहा भाग रहा हैं। तुम तीनों की बाड़ी पक्की यारी लगता हैं दो पीट रहा हैं तू भी तो पीट ले।

लड़का भी विभान के पीछे भाग विभान को पकड़ा फ़िर दो उसके भी कान के नीचे रख दिया "ओ रे मां गो छोड़ दे छूटा सांड" बोल सिर चकराने से नीचे गिर गया फिर टांग पकड़ खींचते हुए लाकर मनीष के ऊपर डाल दिया फिर जो धुनायी शूरू किया मानो अखाड़े में कोई पहलवान विरोधी पहलवान को परास्त करने की ठान लिया हों और विरोधी पहलाव धोबी पछाड़ पे धोबी पछाड़ दिए जा रहा हों। उधर लडकी ने चप्पल मार मार कर संजय का तोबड़ा बंदर के भेल जैसा लाल कर दिया। कुछ वक्त तक ओर तीनों की धुलाई लीला चलता रहा और पार्क में मौजूद बाकी लोग सिर्फ देख कर मजे लेते रहें। तीनों की पिटाई कुछ ज्यादा ही हों गया था इसलिए दोनों रूक गए फिर लड़का बोला…साले कामिने छिछौरी हरकत करने से बाज आ जा नहीं तो फिर हत्थे चढ़ा तो जान से मर दुंगा।

लडकी...चलो जी यहां से मूड ही खराब कर दिया कहीं ओर चलते हैं।

दोनों एक दूसरे का हाथ पकड़ चल दिया। इधर तीनों की हालत डामाडौल हों गया था। किसी तरह एक दूसरे का सहारा ले खडा हुआ फिर विभान बोला...ओ मां सब तोड़ दिया कुछ भी साबुत न बचा कितना मरा सांड कहीं का।

संजय…अब्बे तुमे तो सांड ने मरा मेरे को तो उस छप्पन छुरी ने चप्पल मार मार के, हीरो जैसे दिखने वाले छोरे को जीरो बना दिया। बाप री क्या चप्पल बजती हैं? साल न जाने आज किसकी सूरत देखकर आया था जो एक लडकी से पीट गया।

मनीष...किसी और का नहीं ये नामुराद अनुराग के करण ही पीटे हैं जब जब अनुराग को साथ लेकर आए हैं तब तब पीटे हैं। साला हरमी दोस्त नहीं कलंक हैं अब उसे साथ लेकर नहीं आएंगे।

तीनों एक साथ हां बोल लड़खड़ाते हुए चल दिया। तीनों जहां जहां से गुजरकर जा रहे थें वहा मौजूद लोग तीनों को देख खिली उड़ा रहे थें तरह तरह की बाते कह रहे थें। किसी तरह एक दूसरे का सहारा बन अपने ठिकाने तक पहुंच ही गए।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बाने रहने के लिय सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद

🙏🙏🙏🙏🙏
आज का अपडेट थोड़ा छोटा रह गया। बीच बीच में कुछ मेगा अपडेट भी देते रहिए तो पढ़ने का रोमांच और आनंद बढ़ जाता है।
 
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