Lucky..
“ɪ ᴋɴᴏᴡ ᴡʜᴏ ɪ ᴀᴍ, ᴀɴᴅ ɪ ᴀᴍ ᴅᴀᴍɴ ᴘʀᴏᴜᴅ ᴏꜰ ɪᴛ.”
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first of all ye kounsi mithayi thi yaar
raghu ki achhayi aur shaadgi ne kamla ka dil jeet liya .... raghu to pehle nazar mein hi fida tha uspe... so dono ne ek Dusre ko apna jivan sathi maan hi liya...
Well to raghu aur kamla ki shaadi ka rista tay ho gaya finally....
waise ismamle mein pushpa joo dhamki de rahi thi wo kaam aa gaya... warna raghu shayad thik se baat bhi nahi kar pata kamla se....
dono pariwar bhi khush hai is ek "Haan " Karne ki wajah se...
waise story ke villians logis kahi rukawat na ban jaaye is matter mein...
Shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan aur sath hi dilkash kirdaaro ki bhumika bhi...
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills
Haan
भाई जी इंडेक्स बनाना नहीं आताBhai index bana do...
Siraj Patel bhai ko tag kar ke bolo vo bana dega...भाई जी इंडेक्स बनाना नहीं आता
रघु का विहा फिक्स हो गया वैसे कमला ने जानदार फिरकी लेके ऐसा बाउंस मारके हा कहा रघु चारों खाने चित हों गया। पहली ही बार में लडक़ी पटा लिया वाह भाई वाह लेकिन कमला भी कुछ कम नहीं अच्छी फिरकी ली पुष्पा की बहुत मज़ आने वाला हैं जेब सुकन्या और कमला का आमना सामना होगा।
अप्रतिम
Superb updateUpdate - 14
पुष्पा उठाकर कमला के पास जाकर बैठ गई थी फ़िर कमला के कान में कहती हैं…… मेरे भइया अपको कैसी लगीं।
कमला कुछ नहीं कहती बस मुस्कुरा देती हैं। तब सुरभि कहती हैं…….. नटखट तू क्या पुछ रहीं हैं कमला बिटिया से।
पुष्पा टपक से बोल पड़ती हैं…... ये हमारे बीच की बात हैं आप जानकर क्या करोगी।
सुरभि मुस्कुरा देती हैं फिर महेश से कहती हैं……. भाई साहाब हमे तो लडक़ी पसंद हैं आप किया कहते हों।
महेश मनोरमा की ओर देखता हैं मनोरमा हां का इशारा करती हैं तब महेश कहता हैं…. जी हमे भी लड़का पसंद हैं। अब कमला हां कर दे तो समझो रिश्ता पक्का।
सब कमला और रघु की ओर आस भरी निगाहों से देखती हैं खाश कर कमला की ओर क्योंकि रघु के हाव भाव ने दर्शा दिया था। रघु को कमला पसंद आ गया हैं बस कमला की हां कहने की देर थीं। तब पुष्पा कमला से बोलती हैं…... मेरे भाई को आप पसंद आ गई हो अब आप किया कहती हों आप ने हां कह दिया तो आप ही मेरी भाभी बनकर आओगी।
तभी मनोरमा बोलती हैं….. हां बेटी बोलों क्या कहती हों तुम हां कहोगी तभी हम रिश्ता पक्का करेंगे।
तभी सुरभि बोलती हैं….. मैं क्या कहती हु दोनों को कुछ वक्त एकांत में एक दुसरे से बात करने का मौका दिया जाएं फिर कमला बिटिया से पूछे तो बेहतर होगा।
राजेंद्र भी येही कहता हैं। महेश और मनोरमा भी हां कहते हैं। तब दोनों को एक दूसरे से बाहर जाकर बात करने को कहा जाता हैं। पहले तो दोनों मना करते हैं लेकिन जोर देने पर बात करने को राजी हों जाते हैं। अब मसला ये खड़ा होता हैं दोनों को बात करने भेजा कहा जाएं। तब मनोरमा एक सुझाव देती हैं " हमारे घर के पीछे जो गार्डन बना हैं वहां जाकर दोनों बात कर लो।
दोनों उठाकर घर के बाहर चल देते हैं कमला आगे आगे चाल रहीं थीं। रघु सर झुकाए पीछे पीछे चला रहा था। पुष्पा रघु के पास जाती हैं और धीरे से बोलती हैं….. भईया बुद्धू जैसा व्यवहार न करना अच्छे से बात करना। ये ही मेरी भाभी बननी चाहिएं नहीं तो मैं आपसे कभी बात नहीं करूंगी।
पुष्पा कहकर अपनी जगह आकर बैठ जाती हैं। अब तो रघु टेंशन में आ गया था वह करे तो करे क्या पहली बार किसी अनजान लडक़ी से बात करने जा रहा था ऊपर से बहन ने अल्टीमेटम दे दिया कुछ भी करों उसकी भाभी कमला ही बननी चाहिएं। दोनों गार्डन मे पहुंच कर साथ साथ चल रहे थे। रघु कुछ दूरी बनाया हुआ था। साथ ही ध्यान भी रखा रहा था उसके शरीर का कोई भी हिस्सा कमला को छू न जाइए। दोनों की दिल की धड़कन बड़ी हुए थी। बात शुरू करे तो करे कहा से, दोनों के लिए यह पहला मौका था। कमला का तो इसे पहले छिछोरे लडकों से कही बार झड़प हुआ था लेकिन यह मजरा कुछ ओर था यह पिटना नहीं था बल्कि रिश्ता जोड़ना था और रघु के लिए यह पहला मौका था। रघु हमेशा लड़कियो से दूरी बनाकर रखता था चाहे कॉलेज हो या कही ओर इस बात से रघु को उसके दोस्त बहुत छेड़ते थे खाश कर उसका बचपन का दोस्त रमन वो तो रघु पर चढ़ ही बैठता था लेकिन रघु कभी उसका बुरा नहीं मानता था। लेकिन आज मजरा दूसरा था। रघु को अल्टीमेटम मिला हुआ था साथ ही उसे अपना जीवन साथी चुनना था रघु ने लामसम कमला को अपना जीवन साथी चुन ही लिया था बस पुष्टि करना रह गया था। बातो का सिलसिला शुरु कहा से करे समझ ही नही पा रहा था। लेकिन कही न कही से शुरु करना ही था तो रघु एक लंबी सांस भरकर छोड़ा फिर बोला….. अपका पसंदीदा विषय क्या हैं?
कमला बातों का मतलब समझ नहीं पाई या ध्यान से नहीं सुना इसलिए असमझता दर्शाते हुए रघु की और देखने लगीं तब रघु पुष्टि करते हुए बोला….. मेरे कहने का मतलब था अपको किस काम में सबसे ज्यादा रुचि है।
कमला मुस्करा कर रघु को देखती हैं। रघु पहले से ही मोहित था । अब तो वो और भी ज्यादा मोहित हो गया फिर ख़ुद को संभालते हुए बोला…... सुनिए आप ऐसे न मुस्कुराओ बड़ी मुस्कील से साहस जुटा कर आपसे बात करने आया हूं। आप ऐसे मुस्कुराते रहे तो मैं कुछ बात नहीं कर पाऊंगा फिर आप मना कर दोगी। अगर ऐसा हुआ तो मेरी बहना प्यारी मुझसे नाराज़ हों जायेगी सो अलग मुझसे कभी बात भी नहीं करेगी।
रघु को सहजता से बात करते देखकर कमला भी सहज भाव से मुस्कुराते हुए बोलती हैं…… तो आप अपने बहन से बहुत प्यार करते हों। तभी आप उनके कहने पर ही मुझसे बात करने आए हों।
रघु……. ऐसा नहीं की मैं आपसे बात नहीं करना चाहता था मेरा आपसे बात करने का मन था वो तो पुष्पा ने अल्टीमेटम दे दिया इसलिए मैंने ऐसा कहा।
कमला…. ओ तो आपके बहन ने अल्टीमेटम दे दिया क्या कहा मैं जान सकती हूं।
रघु टपक से बोल पडा….. उसने साफ लब्जो में कह दिया आप अगर उसकी भाभी नहीं बनी तो वो मुझसे कभी बात नहीं करेंगी।
कहते ही रघु को आभास हुआ जो नहीं कहना था वह ही बोल दिया बरहाल जो बोल दिया सो बोल दिया उसे वापस तो नहीं लिए जा सकता इसलिए कमला की ओर देखकर मुस्कुरा दिया। कमला भी एक लुभावनी मुस्कान देते हुए बोली…... फिर तो मुझे हां कहना ही चाहिएं आप क्या कहते हों।
रघु…... क्या कहना चाहिएं यह सिर्फ और सिर्फ अपका फैसला हैं। इसमें न मैं कोई जोर जबर्दस्ती कर सकता हूं न ही कोई ओर शादी कोई गुड्डे गुडियो का खेल नहीं जो आज किया और कल तोड़ दिया। यह जीवन भर का फैसला हैं तो सोच समझकर ही लेना चाहिएं।
रघु की समझदारी पूर्ण बाते कहने के दौरान कमला एक टक रघु को देख रही थीं और समझने की कोशिश कर रहीं थी। जब उसे समझ आया रघु ने कितनी गहरी बात सरलता से कह दिया। रघु की बातों ने कमला के दिल में घर कर लिया और शायद रघु भी कमला के दिल में बस गया। कमला को ऐसे देखते हुए देखकर रघु बोला….. आप मुझे ऐसे क्यो देख रही हों मैंने कुछ गलत बोल दिया।
कमला….. नहीं अपने कुछ गलत नही बोला मैं तो बस यह समझने की कोशिश कर रहा था अपने कितनी गहरी बात सरल भाव और शब्दो में कह दिया।
रघु ने चमकीले दांतो के दर्शन करवा दिया रघु को मुस्कुराता देखकर कमला ने भी मुस्करा दिया। कमला को मुस्कुराते देखकर रघु बोला…... मैंने आपसे कहा था आप ऐसे न मुस्कुराओ नहीं तो मैं बस आप को मुस्कुराता हुआ देखता रह जाऊंगा जो बात करने आया हूं वो कर ही नहीं पाऊंगा मेरे कुछ न कहने से हों सकता हैं आप माना कर दो।
कमला फिर से मुस्कुरा दिया और बोली….. आप ने कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया फिर भी आप कह रहें होंआप बात नहीं कर पाओगे। अगर मैंने हां कह दिया फिर तो आपको कोई परेशनी नहीं होगी।
हां सुनाकर रघु समझने की कोशिश कर रहा था कमला कहना किया चाहती हैं क्या कमला गुमा फिरा कर हां कह रहीं थी? अब इस झल्ले रघु को कौन समझाए कमला ने उसे हा कहा था लेकिन ये मंद बुद्धि के साथ साथ बैल बुद्धि होने का प्रमाण दे रहा था। जब रघु समझ नहीं पाया तब बोला….. आप के हां कहने से मेरे सभी समस्याओं का निराकरण हों जाएगा । पहली बार कोई लडक़ी मेरे दिल को इतना भाया हैं की मैं कह नहीं सकता और वह मेरा जीवन साथी बन जाए इसे अच्छा मेरे लिए ओर क्या होगा और मेरी बहन भी मुझसे नराज नहीं होगी।
कमला अच्छा कहकर मुस्कुरा देती हैं उसके इस मुस्कान के पीछे एक टोंट का आभास हो रहा था। ऐसे ही दोनो बाते करते हुए चल भी रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी कमला को कही छुने या कहूं अपनी शरीर का कोई भी हिस्सा कमला के शरीर से संपर्क ही नहीं होने दिया कमला इस बात को भी परख लिया था। जहां दूसरे लडके कमला को बहाने से छूने की कोशिश करते रहते थे। वहीं रघु एक बार भी कमला को छुने की कोशिश नहीं किया इससे कमला पुरी तरह से रघु पर मोहित हों गया। कमला रघु की बातो को सुन भी रहा था और उसके सरल स्वभाव पर विचार भी कर रहा था। ऐसे सोचा विचारी में चलते हुए कमला डगमगा गई और गिरने को हुई। तब रघु ने कमला का हाथ पकड़ कर कमला को गिरने से बचा लिया। हाथ पकड़ते ही कमला रघु को अचंभित होकर देखने लगी। कमला का अचंभित होकर देखना लाज़मी था। इतने देर से चलते हुए बात कर रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी छुने की चेष्टा तक नहीं किया और अब अचानक से उसका हाथ थाम लिया। लेकिन जब कमला को अपनी परिस्थि का भान हुआ तब कमला मन ही मन मुस्कुरा दिया। कमला संभाल गई तब रघु को भान हुआ उसने किया क्या तो कमला का हाथ छोड़कर बोला……आप ठीक तो हों न, माफ करना मेरे छुने से आप को बुरा लगा हों तो।
कमला मुस्कुराते हुए बोली… नहीं मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगा। आप मुझे नहीं पकड़ते तो मैं गिर जाती, शायद मुझे चोट भी लग जाती। आप को माफी मांगने की जरूरत नहीं हैं भविष्य में आप ही तो मुझे ऐसे ही छुएंगे।
कमला की कहीं हुई कुछ बातो पर गौर किया। कुछ बातो पर नहीं वरना रघु जान जाता कमला ने रघु को हां कह दिया। दोनों को आए हुए वक्त ज्यादा हों गया इसका भान होते ही रघु ने कह….. अब हमे चलना चाहिए बहुत देर हों गया हैं।
कमला को भी लग रहा था उन्हें आए हुए बहुत देर हो गई है लेकिन वो कह नहीं पा रही थीं इसलिए रघु के वापस जाने की बात कहते ही कमला ने भी सर हिलाकर हां कह जब दोनों घर की और जा रहे थे तब रघु जबाव जाने के तर्ज पर कहा….. आप ने अपना ज़बाब नहीं बताए।
कमला रघु की सवाल सुनकर मुस्करा दिया और बोली…… आप न बिलकुल बुद्धू हो मैंने तो कब का अपको हा कह दिया लेकिन आप हों की समझ ही नहीं पाए।
रघु के दिमाग पर जोर पडा कब हां कहा सोचने लगा जब उसे लगा कमला ने बातों के दौरान कहीं पर भी हां नहीं कह तब सर खुजते हुए बोला "कब हां कहा अपने"
कमला…… मैंने अपको पहली बार तब हा कहा था जब अपने मुझे अपनी बहन की दिए अल्टीमेटम के बारे में बताया था और दूरी बार तब हां कहा जब अपने मुझे गिरने से बचाया था। मैंने अंत में कहा था। भविष्य में आप ही तो मुझे ऐसे ही छुएंगे। अब आप ही बताइए मैंने हां कहा की नहीं।
रघु को अपनी गलती समझ आया और मन ही मन खुद को गली दिया फिर बोला….आप ऐसे घुमा फिरा कर हां कहेंगे तो मैं कैसे समझ पाऊंगा।
कमला…… मैंने जैसे भी बोला अपको समझना चाहिएं था कोई लडक़ी सीधे सीधे हां नहीं कहती समझे आप।
रघु कुछ नहीं कहा बस मुस्करा दिया। रघु मुस्कुराने के अलावा कर भी किया सकता था। इतनी खूबसूरत लड़की रघु से प्रभावित होकर हां कर देती हैं। ऐसे ही हसी मजाक करते हुए दोनों घर की ओर बड़ने लगे थे। दोनों को हंसी मजाक करते हुए देख कर ऐसा लग रहा था जैसे दोनों एक दूसरे को वर्षों से जानते हों, लग ही नहीं रहा था दोनों अजनबी हैं। आज ही एक दूसरे से मिले हैं और एक गहरा रिश्ता दोनों ने कुछ ही वक्त के मेल मिलाप से जोड़ लिया हैं। रघु भले ही सीधा साधा काम बोलने वाला लड़का हों लेकिन देने वाले ने उसे एक गुण थोक के भाव दिया था। वो हैं अपनी बातों से दूसरे को आकर्षित कर एक गहरा रिश्ता जोड़ लेना। दोनों हंसी मजाक करते हुए घर पहुंचे जहां पर बेसवरी से इनकी प्रतिक्षा किया जा रहा था। रघु जाकर पुष्पा के पास बैठ जाता हैं। बैठते ही पुष्पा रघु को याचक दृष्टि से देख रही थीं जैसे पुछ रहीं हों " क्या हुआ ?" रघु उसके याचक भाव का कोई ज़बाब नहीं दिया। कमला जाकर रघु के सामने बैठ जाती हैं। उसके लवों से मंद मंद मुस्कान के साथ फूलो की बरसा हों रहीं थीं। सुरभि, राजेंद्र, महेश और मनोरमा कमला के जबाव की प्रतिक्षा करते हुए उसकी और देख रहे थे। रघु से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर पुष्पा भी कमला की और ही देखने लगती हैं। लेकिन कमला हैं की कुछ बोल ही नहीं रहीं थीं। और अपना भाव बदल लिया था उसे देखकर सुरभि उठ कर कमला के पास गई और पूछी…... बेटी बताओ अपको मेरा बेटा पसंद आया की नहीं।"
कमला पुष्पा की और देखकर मुंह भिचका लिए जैसे वो कहना चाहती हो मुझे रघु बिल्कुल पसंद नहीं आय। कमला को मुंह भिचकता देख पुष्पा का मुंह छोटा सा हों गया। उसे लगा उसकी आस अधूरी रह गई। रघु ने उसकी कही बातो को नजरंदाज कर दिया तब रघु को उंगली दिखाकर बोला " मैं आपसे कभी बात नहीं करुंगी अपनी मेरा कहना नहीं माना।"
पुष्पा मुंह फुलाकर जानें लगीं तब कमला उसे रोकते हुए बोली "नाराज होकर कहा जा रहीं हों ननद रानी होने वाली भाभी से बात नहीं करोगी।"
ननद रानी सुनाकर पुष्पा रुक गई। पुष्पा रुकी सो रुकी लेकिन वह मौजुद सभी समझाने की कोशिश कर रहे थे कमला ने अभी किया कहा जब उन्हें समझ आया तो सब मुस्कुरा दिया और इशारों इशारों में सब को बधाई देने लगे। लेकिन पुष्पा को उनसे कोई मतलब नहीं था। उसे तो एक बार फिर से सुनकर कन्फर्म करना था इसलिए बोला "अपने अभी अभी क्या कहा?"
कमला " जो अपने सुना"
पुष्पा "मैं भी तो वहीं जानना चाहती हूं अपने ने क्या कहा।"
कमला " मैंने कहा .. मैंने कहा... मैंने कहा…"
कमला के अधूरा वाक्य बोलने से पुष्प खीज गई और बोली "क्या आप भी पॉज ले ले कर बोला रहीं हों सीधे सीधे बोलो नहीं तो मैं जा रहीं हूं।"
कमला….. किधर चाली होने वाली ननद रानी जी इधर आओ मैं आपको अपनी हाथों से मिठाई खिलाती हूं।"
कमला के कहते ही वह हंसी और ठहाके गूंज उठा पुष्पा जाकर कमला के पास बैठ गई और कमाल से गले मिलते हुए बोली "thank you thank you फिर रघु की और देख कर कान पकड़कर sorry sorry भईया।"
एक बार फिर से वह हंसी और ठहाके गूंजने लगा। कुछ वक्त तक हंसी ठहाके के बाद बात छिड़ी शादी का शुभ मुहूर्त कब की निकली जाए तब महेश ने कहा "राजा जी अगले हफ्ते से कमला की परिक्षा शुरू होने वाला हैं। इसलिए हम चाहते हैं परिक्षा की बाद की ही कोई शुभ मुहूर्त जाए।
राजेंद्र …... आप तो कम से कम राजा जी न बोले हम समधी बनने वाले हैं। रहीं बात शुभ मुहूर्त की तो परिक्षा हो जानें दीजिए फिर शुभ मुहूर्त निकलबाकर हम अपनी बहु को घर ले जायेंगे तब तक हमारी अमानत को आप के पास छोड़कर जाते हैं।
महेश जी भी राजेंद्र की बातों से सहमत हो गया। कुछ देर ओर बात चीत चला फिर खाने पीने की व्यवस्था किया गया खाना खाते हुए सब ने खाने की बहुत तारीफ किया। मनोरम ने बता दिया खाना कमला ने बनाया हैं फिर तो कमला के तरीफो के पुल बांध गईं। खाना पीना होने के बाद राजेंद्र सुरभी विदा लेकर जाने लगे तभी रघु ने पुष्पा के कान में कुछ कहा। पुष्पा भागकर कमला के पास गई और कुछ वक्त के बाद कमला ने चुपके से एक पर्चा पुष्पा को थमा दिया। जिसे लाकर रघु के जेब में डाल दिया फिर सब हंसी ख़ुशी घर को चल दिया।
आगे ओर किया किया होता हैं ये जानेंगे अगले अपडेट से, प्रिय पाठकों पिछले कुछ दिनों से समय की कमी के चलते आप सब से मुखातिब नहीं हों पाया। क्या करे ज़िंदगी में बहुत से जरूरी कम होते हैं जिसे करना भी जरूरी होता। इसलिए जब जब समय मिलेगा कहानी के आगे के अपडेट को पेश करता रहूंगा। बस इतना कहूंगा देर भले हि हों यह कहानी पूरा होकर रहेगा । शुक्रिया
are asli hero heroine kab entry lenge story pe....चम्मच और कांटा हाथ से नीची न रखियेगा अगले अपडेट में एक ओर बार मिठाई खाने का मौका मिलेगा। और हां अपना तीर कामन भी तैयार कर लेना अपके पसंदीदा विलन को अगले अपडेट में पेश करूंगा
Siraj Patel bhai ko tag kar ke bolo vo bana dega...