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Romance ajanabi hamasafar -rishton ka gathabandhan

Naik

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Update - 34

रूम से बाहर आकर कमला नीचे बैठक में पहुंचा वहां सुकन्या और सुरभि बैठी आपस में बाते कर रहीं थीं। कमला दोनों के पास गईं दोनों का पावों छू आर्शीवाद लिया फिर खड़ी हों गई। कमला को खड़ी देख सुरभि बोली... बहू खड़ी क्यों हों आओ मेरे पास बैठो।

सुरभि के पास जा कमला बैठ गईं। न जानें सुरभि को किया सूझा कमला के माथे पर चुंबन अंकित कर दिया। दो पल को कमला स्तब्ध रह गई फिर पलके भारी हों नैना बरस पड़ी और सुरभि से लिपट सुबक सुबक कर रोने लग गई। ये देख सुरभि का मन विचलित हों उठा सिर सहलाते हुए बोली... अभी तो कितनी खुश लग रहीं थीं। अचानक क्या हुआ जो रोने लग गई? बताओं!

कमला बोली कुछ नहीं बस रोए जा रहीं थीं। सुकन्या उठ कमला के पास आ बैठ गई फिर सिर सहलाते हुऐ बोली... हमारी बहु तो अच्छी बच्ची हैं। ऐसे नहीं रोते बताओं क्या हुआ?

खुद से अलग कर कमला के अंशु पूछते हुऐ सुरभि बोली…नहीं रोते मेरे फूल सी बच्ची कितनी खिली खिली लग रहीं थीं पल भर में मुरझा गईं। बताओं बात क्या हैं जो तुम रो रहीं हों। रघु ने कुछ कहा हैं। मुझे बताओं मैं अभी उसका खबर लेता हूं।

कमला...नहीं मम्मी जी उन्होंने कुछ नहीं कहा वो तो बहुत अच्छे हैं। अपने अभी मेरे माथे को चूमा तो मां की याद आ गई मां भी ऐसे ही मेरे माथे को चूमा करती थीं।

कमला के माथे पर एक ओर चुम्बन अंकित कर सुरभि बोली... ऐसा हैं तो जाओ पहले मां से बात कर लो फ़िर कुछ रस्म हैं उसे पूरा कर लेंगे।

कमला उठकर चल दिया। सुरभि और सुकन्या दोनों मुस्करा दिया। रूम की ओर जाते हुऐ कमला मन में बोली…सासु मां कितनी अच्छी हैं। मुझे रोता देख कितना परेशान हों गईं थीं। बिलकुल मां की तरह हैं। मां भी मुझे रोते देख ऐसे ही परेशान हों जाती थीं।

मन ही मन खुद से बात करते करते कमला रूम में पहुंच गई। एक नज़र रघु को देखा फिर बेड के पास रखा टेलिफोन से कॉल लगा कुछ क्षण तक मां और पापा से बात किया फ़िर रिसीवर रख रघु को आवाज़ देते हुऐ बोली...उठिए न कितना सोयेंगे।

रघु कुनमुनते हुऐ बिना आंख खोले बोला...कमला थोडी देर ओर सो लेने दो फिर उठ जाऊंगा।

ठीक हैं बोल कमला रूम से जानें लगीं फिर न जानें क्या सोच रुक गईं ओर अलमारी के पास जा कुछ कपड़े निकाल रूम में रखा मेज पर रख दिया फ़िर बोली... आप'के कपड़े निकल कर रख दिया हैं। फ्रेश होकर पहन लेना।

इधर कीचन में रतन और धीरा सुबह की नाश्ता बनाने की तैयारी कर रहे थें। सुरभि और सुकन्या कीचन में पहुंचा दोनों को तैयारी करते देख सुरभि बोली... दादाभाई सुबह के नाश्ते में क्या बाना रहें हों?

रतन पलट कर देखा फिर बोला... रानी मां सोच रहा हूं आज बहु रानी के पसन्द का कुछ बनाकर सभी को खिलाऊ लेकिन मुझे बहुरानी के पसन्द का पाता नहीं, आप बहु रानी से पूछकर बता देते, तो अच्छा होता।

सुरभि…अभी थोडी देर में बहु कीचन में आएगी तब आप खुद ही पूछ लेना और बहु से कुछ बनवा भी लेना आज महल में बहु की पहली सुबह है। मैं सोच रहीं हूं आज ही पहली रसोई के रस्म को पूरा कर लिया जाएं।

रतन...जैसा आप ठीक समझें।

सुकन्या...मेरे बहु से पहली रसोई के नाम पर ज्यादा काम न करवाना नहीं तो आप दोनों की खैर नहीं।

रतन...नहीं नहीं छोटी मालकिन हम बहु रानी से बिल्कुल भी काम नहीं करवाएंगे।

सुकन्या...काम नहीं करवोगे तो बहु की पहली रसोई कैसे पूरा होगा ये कहो ज्यादा काम नहीं करवाएंगे।

रतन...जी मालकिन बहु रानी से ज्यादा काम नहीं करवाऊंगा।

सुकन्या और सुरभि कीचन से आकर बैठक में बैठ गईं। कमला चहरे पर खिला सा मुस्कान लिए बैठक में पहुंचा। कमला को पास बैठा सुरभि ने घर के रिवाजों के बारे मे बताया फिर घर में बना मंदिर में लेकर गया। कमला के हाथों पूजा करवाए फिर मंदिर से लाकर कीचन में ले गया। कुछ और बातें बता सुरभि और सुकन्या बैठक में आ गईं।

कमला कीचन देख मन ही मन खुश हों रहीं थीं। खाना बनाना कमला को बहुत पसन्द था लेकिन मां उसे खाना बनाने नहीं देती थीं, पर आज कमला सोच रहीं थीं मन लगाकर खाना बनाएगी और तरह तरह के व्यंजन बना सभी का मन मोह लेगी।

रतन का उम्र ज्यादा था तो उसे किस नाम से संबोधित करे इस पर विचार कर रही थीं अचानक क्या सूझा कमला बोली...दादू मैं आपको दादू बोल सकती हूं न!

रतन...जो अपका मन करे आप बोलिए मुझे कोई आपत्ति नहीं हैं।

कमला...ठीक है! दादू आप मुझे बताइए सभी को नाश्ते में क्या खाना पसंद हैं। सभी के पसंद का नाश्ता मैं खुद बनाऊंगी।

रतन…नहीं नहीं बहु रानी आप सभी के लिए नाश्ता नहीं बनाएंगे आप सिर्फ खुद के पसंद का मीठा बनाएंगे।

कमला…बस मीठा! नहीं मैं सभी का नाश्ता खुद बनाऊंगी।

रतन…बिल्कुल नहीं आप सिर्फ मीठा बनाएंगे। इसके अलावा कुछ नहीं!

भोली सूरत मासूम अदा से कमला बोली...kyuuuu?

कमला की अदा देख रतन मुस्कुराते हुऐ बोला…आप महल की बहुरानी हों। रानी मां और छोटी मालकिन ने शक्त निर्देश दिया है आप'से किचन में ज्यादा काम न करवाऊं नहीं तो दोनों मुझे बहुत डाटेंगे खासकर की छोटी मालकिन।

कमला...प्लीज दादू क्या आप मेरे लिए थोडी सी डांट नहीं खा सकते।

रतन... बहुरानी डांट खां लूंगा। लेकिन हमारे रहते आप खाना बनाओ ये हमें गवारा नहीं इसलिए आप सिर्फ मीठा ही बनाएंगे।

दोनों में हां न की जिरह शुरू हो गया। रतन माना कर रहा था। कमला तरह तरह की बाते बना हां बुलबाने की कोशिश कर रहीं थीं। जिरह कुछ लम्बा चला अंतः रतन मान गया, फिर सभी के पसंद का नाश्ता बनाने में कमला जुट गईं। एक एक डीश को कमला निपुर्णता से बना रहीं थीं। जिसे देख रतन और धीरा कमला के कायल हों गया और मन ही मन कमला के पाक कला में निपुर्णता की तारीफ करने लगा।

किचन में बन रहें खाने की खुशबू से पूरा महल महक गया। बैठक में बैठी सुरभि और सुकन्या तक भी स्वादिष्ट खाने की महक पहुंच गया। महक सूंघ सुरभि मुस्करा दिया और सुकन्या बोली...दीदी लगता हैं बहु आने की खुशी में रतन दादा भाई ज्यादा ही खुश हों गए हैं इसलिए नाश्ते में स्पेशल कुछ बना रहे हैं।

सुरभि रहस्य मई मुस्कान लिए बोली... छोटी चल तूझे दिखाती हूं इतना स्वादिष्ट महक युक्त खाना कौन बना रहा हैं।

सुकन्या का हाथ पकड़ सुरभि किचन की और ले जानें लगीं। कई बार सुकन्या ने पूछा लेकिन सुरभि कुछ न बोली बस हाथ पकड़ आगे को बढ़ती गई। किचन में कमला नाश्ता बनाने के अंतिम पड़ाव पर थी। जिसे बनाने में मगन थी। रतन और धीरा दोनों साईड में खड़े देख रहे थें। किचन की गर्मी से कमला के माथे और बाकी बदन पर पसीना आ रही थी। जिसे पूछते हुऐ। कमला काम किए जा रही थीं।

सुरभि और सुकन्या कीचन पहुचा फिर दरवाज़े पर खडा हों अंदर के नजरे को देखने लगीं। सुरभि मुस्करा रहीं थीं लेकिन सुकन्या एक नज़र कमला को देखा फिर रतन की ओर देख गुस्से से बोली... दादा भाई अपको बोला था न बहु से किचन में ज्यादा काम न करवाना फिर अपने बहु को किचन में इतनी देर तक क्यों रोके रखा। देखिए बहु को कितना गर्मी लग रहीं हैं पसीने में नहा गईं हैं।

सुकन्या के मुंह से दादा भाई सुन सुरभि, रतन और धीरा अचंभित हों, सुकन्या को एक टक देखें जा रहे थें। पसीने से तर कमला पलटी सुकन्या को नाराज़ हों रतन पर भड़कते देख नज़रे झुका चुप चप खड़ी हों गई। पसीने से तर कमला को देख सुकन्या फिर बोली... दादा भाई आप'के काम चोरी के कारण मेरी बहु पसीने से नहा गईं हैं। ये आप'ने ठीक नहीं किया।

पसीने से नहाई कमला को देख सुरभि कमला के पास गई और खुद के आंचल से पसीना पोछा फिर रतन से बोला... दादा भाई आप से कहा था फ़िर भी आप सुने नहीं बहु से इतना काम क्यों करवाया देखो पसीने में तर हों गईं।

रतन... रानी मां मना किया था। लेकिन बहु रानी सुनी ही नहीं, मैं क्या करता?

सुरभि...बहु तुमने ऐसा क्यों किया? मैंने कहा था न तुम सिर्फ मीठे में कुछ बनाओगी फिर सुना क्यों नहीं?

कमला...सिर्फ मीठा बनाने का मेरा मन नहीं किया इसलिए पूरा नाश्ता खुद ही बनाया।

सुरभि... दादा भाई आप मुझे किचन में काम करने नहीं देते थे फिर बहु को क्यों काम करने दिया।

कमला...सासु मां आप दादू को क्यों डांट रही हों दादू तो माना कर रहे थें। मेरे बहुत कहने पर ही माने।

सुरभि...अच्छा ठीक हैं तुम जाओ जाकर नहा लो बाकी का मैं बना देती हूं।

कमला...बस थोडी देर ओर फिर नहा लूंगी।

सुकन्या...नहीं बिलकुल नहीं जाओ जल्दी जाकर नहा लो।

सुरभि... बहु बहुत काम कर लिया अब ओर नहीं जाओ जल्दी से नहा लो।

कमला भोली सूरत बना बोली... प्लीज सासु मां थोडी देर ओर फिर नहा लूंगी।

कमला की भोली अदा देख सुरभि और सुकन्या मुस्करा दिया फिर हा बोल किचन से चली गईं। एक बार फिर से कमला अंतिम डीश बनाने में जुट गईं। तैयार होते ही रतन बोला…बहु रानी आप जाकर नहा लो तब तक मैं और धीरा सभी नाश्ता मेज पर लगा देता हूं।

कमला... ठीक हैं लेकिन किसी को परोसना नहीं सभी को मैं परोसूंगी।

कमला कीचन से बाहर निकाला फिर नहाने रूम को चल दिया। रघु उठ चूका था नहा धो, निकाल कर रखा हुआ कपड़ा पहन लिया। रघु बाहर आ ही रहा था कि कमला रूम में पहुंच गई। पसीने में नहाई कमला को देख रघु बोला... कमला ये किया हल बना रखा हैं कहा गई थीं जो पसीने में नहाकर आई हों।

कमला...जी मैं किचन मे थी सभी के लिए नाश्ता बना रहीं थीं।

रघु...रतन दादू और धीरा हैं फिर तुम क्यों नाश्ता बना रहीं थीं।

कमला...आप न सच में बुद्धू हों जानते नहीं नई बहू को खुद से बनाकर सभी को खिलाना पड़ता हैं मैं भी उसी रस्म को पूरा कर रही थीं।

रघु...ओ ऐसा किया चलो फिर जल्दी से नहा कर आओ मुझे बड़ी जोरों की भूख लगा हैं।

कमला…भूख को थोडी देर ओर बर्दास्त कर लो फिर जी भर के खां लेना।

रघु को शरारत सूझा इसलिए नजदीक आकर कमला को पकड़ने जा ही रहा था की कमला कन्नी काट सीधा बाथरूम में घुस गई और जोर जोर से हसने लगीं। तब रघु बोला…कमला कपड़े तो लिया ही नहीं नहाकर बिना कपड़े के बाहर आयेगी।

कमला की हंसी पल भार में रुक गई फिर कुछ सोच मुस्कुराते हुऐ दरवाज़ा खोल कर खड़ी हों गईं। कमला को खड़ा देख रघु कमला की ओर लपका, रघु को आता देख कमला ने फिर से दरवाज़ा बंद कर दिया फिर बोली...आप चुप चाप बाहर जाओ।

रघु…बाहर तो तुम्हारे साथ जाऊंगा तुम जल्दी से नहा कर बाहर निकलो।

कमला…नहाऊंगी तब न जब कपड़े लेकर आऊंगी आप दरवाज़े से हटो मुझे कपड़े लेने दो।

रघु...तुम दरवाज़ा खोलो कपड़े मैं निकल कर देता हूं।

कमला...नहीं नहीं आप मेरे कपड़े को हाथ भी नहीं लगाएंगे। नहीं तो मैं बाथरूम से बाहर ही नहीं आऊंगी।

रघु…ठीक हैं हाथ नहीं लगाता अब आकार कपड़े ले जाओ।

कमला...आप कोई शरारत तो नहीं करेंगे।

रघु... पसीने की बूंदे तुम्हारे जिस्म पर बहुत सेक्सी लग रहा हैं इसलिए थोड़ा सा शरारत करूंगा।

सेक्सी शब्द सुनते ही कमला शर्मा गई फिर मन ही मन बोली... पहले बात करने में कितना झिझकते थे अब देखो कैसे बेशर्मों की तरह बोल रहे हैं।

रघु... क्या हुआ कमला? कपड़े नहीं लेना या पूरा दिन बाथरूम में रहना हैं।

कमला...लेना हैं लेकिन आप कह रहे हो शरारत करोगे इसलिए सोच रहीं हूं अंदर ही रहती हूं।

रघु... शरारत नहीं करूंगा अब आकार कपड़े ले जाओ।

कमला... वादा करों, आप कोई शरारत नहीं करोगे।

रघु...वादा करता हूं शरारत नहीं करूंगा।

कमला धीरे से दरवाज़ा खोल बाहर निकला, रघु एक साईड को हों गया फिर कमला अलमारी के पास जा कपड़े निकलने लग गई। मौका देख रघु जाकर कमला के कमर में हाथ डाल खुद से चिपका लिया। छट पटाते हुए कमला बोली…आप ने कहा था कोई शरारत नहीं करूंगा फ़िर वादा क्यों थोड़ा?

रघु...वो तो तुम्हें बाहर लाने के लिए बोला था। बीबी के साथ शरारत नहीं करूंगा तो किसके साथ करूंगा।

कमला के कंधे से पल्लू हटा रघु चूम लिया। जिससे कमला के जिस्म में सिरहन दौड़ गई। रघु रुका नहीं जहां मन कर रहा था चूमते जा रहा था और कमला कसमसा कर मदहोशी के आलम में खोती जा रहीं थीं। अचानक कुछ याद आया खुद को काबू कर बोली... छी गंदे हटो मुझे नहा लेने दो।

कहने पर भी रघु नहीं रूका जैसा मन कर रहा था, जहां मन कर रहा था चूमे जा रहा था। कसमसाते हुए कमला बार बार दूर हटने को कह रहीं थीं। लेकिन रघु बिना सुने मन की करे जा रहा था। छूटने का कोई ओर रस्ता न देख कमला को एक उपाय सूझा रघु के हाथ पर जोर से चिकुटी काट दिया। रघु aahaaaaaa करते हुऐ कमला को छोड़ दिया कमला कपड़े ले फट से बाथरूम में चली गई। रघु जब तक कुछ समझ पाता तब तक देर हों चूका था। इसलिए बस मुस्कुरा कर रहा गया फ़िर बाथरूम के पास जाकर बोला…कमला अच्छा नहीं किया बाहर निकलो फिर बताता हूं।

कमला...आप को कहा था छोड़ दो, आप छोड़ ही नहीं रहें थें मजबूरन मुझे चिकुटी कटना पडा सॉरी अपको दर्द दिया।

रघु... ठीक हैं जल्दी से नहा कर बाहर आओ।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिय बहुत बहुत धन्यवाद।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Badhiya shaandaar update bhai
Lajawab
 

Destiny

Will Change With Time
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Update - 35


मस्त मौला गाने की धुन धीरे धीरे गुनगुनाते हुऐ कमला नहा रहीं थीं। बाहर बैठा रघु कल्पनाओं में उड़ान भर रहा था। रघु की कल्पना का कोई सीमा न था न जानें क्या क्या कल्पना कर मुस्कुरा रहा था। कल्पना में सेंध तब लगा जब खट से बाथरूम का दरवाज़ा खुला, दरवाज़ा खोलकर कमला बाहर निकली फिर श्रृंगार दान के सामने खड़ी होंकर बाल संवारने लग गई और चोर नज़रों से रघु को देखने लगीं। रघु कुछ पल बेसुद सा कमला को देखता रहा फिर उठ ही रहा था कि कमला बोली...नहीं बिलकुल नहीं, एक कदम भी हिला तो अच्छा नहीं होगा।

रघु...मैं तो बस तुम्हारा हेल्प करना चाहता हूं।

कमला...मैं जानती हुं आप किस तरह का हेल्प करना चाहते हों इसलिए बिना हिले डुले चुप चाप बैठे रहो।

रघु…नहीं ! मैं चुप चाप बैठा नहीं रहूंगा मुझे मेरी बीबी की मदद करना हैं वो मैं करके रहूंगा।

कमला...आप हिले तो मैं जैसी हू वैसे ही बाहर चली जाऊंगी फिर करते रहना हेल्प।

रघु...ठीक हैं तुम तैयार हों लो मैं चुप चाप बैठा रहूंगा।

पति को रिझाने का मौका कमला को मिल गया तरह तरह की अदाएं कर खुद को संवारने में लग गई। कमला की अदाएं देखकर रघु से रूका न जा रहा था। मन कर रहा था कमला को बाहों में भींच ले और प्रेम अलाप करें लेकिन कर नहीं पा रहा था। ऐसा किया तो कहीं कमला सच में रूम से बिना सजे सांवरे बाहर न चली जाएं बाहर चली गई तो सभी को जवाब देना दुभर हो जायेगा इसलिए मन मार कर बस देखता रहा और कमला साज श्रृंगार करने में लगी रहीं। श्रृंगार पूरा होते ही दोनों एक दुसरे का हाथ पकड़कर चल दिया।

डायनिंग टेबल पर सभी आ चुके थे। स्वादिष्ट खाने की सुगन्ध सभी को लालायित कर रहे थें। अपश्यु हद से ज्यादा लालयित हों गया था इसलिए बोला... मां बैठे बैठे खाने की सुगन्ध ही सूंघने को मिलेगा या फ़िर चखने को भी मिलेगा। मेरा भूख स्वादिष्ट नाश्ते की महक सूंघकर बढ़ता ही जा रहा हैं। जल्दी से परोस दीजिए मुझ'से भूख ओर बर्दास्त नहीं हों रहा है।

पुष्पा...अरे मेरे भुक्कड़ भईया थोड़ा तो वेट कीजिए नाश्ते की खुशबू से जान पड़ता हैं नाश्ता रतन दादू नहीं किसी ओर ने बनाया हैं फिर सुरभि से बोला मां बताओं न नाश्ता किसने बनाया।

राजेंद्र...सुरभि नाश्ते की सुगंध जाना पहचाना लग रहा हैं। ऐसा खाना कौन बना सकता haiiii हां याद आया जरूर आज बहु ने नाश्ता बनाया होगा।

सुकन्या...जेठ जी आप ठीक पहचानें आज का नाश्ता बहु ने ही बनाया हैं।

राजेंद्र...क्या जरूरत थीं? बहु से कीचन में काम करवाने की विदा होकर आए एक दिन भी नहीं हुआ और तुमने बहु को कीचन में भेज दिया।

रावण...भाभी ये आपने ठीक नहीं किया। रतन और धीरा हैं फिर अपने बहु से नाश्ता क्यों बनवाया।

रावण की बात सुनकर सुकन्या टेढ़ी नज़र से रावण को देखा फिर मन में बोली... पहले तो खुद शादी तुड़वाने के लिए न जानें कितने षड्यंत्र किया अब देखो कैसे बहु की तरफदारी कर रहें हैं। कितनी जल्दी रंग बदलते हैं शायद गिरगिट भी इतनी जल्दी रंग न बदल पाता होगा।

सुरभि...चुप करों आप दोनों! मुझे श्वक नहीं हैं जो मैं बहु से कीचन में काम करवाऊं वो तो आज पहली रसोई का रश्म था इसलिए बहु से नाश्ता बनवा लिया।

उसी क्षण कमला और रघु एक दूसरे का हाथ थामे सीढ़ी से नीचे आने लगें। डायनिंग टेबल जहां लगा हुआ था वहा से सीढ़ी बिल्कुल सामने था। पुष्पा की नज़र सीढ़ी की ओर गया फिर वापस घुमा लिया, अचानक लगा जैसे सीढ़ी पर कुछ हैं जो ठीक से दिखा नहीं इसलिए फ़िर से नज़रे सीढ़ी की ओर घुमा लिया। भईया भाभी को एक साथ आते देखकर उत्साह से बोली...मां देखो देखो भईया और भाभी एक साथ आते हुऐ कितने अच्छे लग रहें हैं।

सुरभि…कहा seeee

पूरा बोलता उससे पहले ही बेटे और बहू पर सुरभि की नज़र पड़ गई। बेटे और बहु को साथ में देखकर "नज़र न लागे किसी की" बलाई लेते हुऐ बोली

राजेंद्र...दोनों को साथ में देखकर लग रहा हैं जैसे दोनों एक दुसरे के लिए ही बने थे। उत्तम जोड़ी राव ने मिलाया हैं शायद इसीलिए इतने सारे रिश्ते टूटे होगे।


रावण... सही कहा दादा भाई दोनों की जोड़ी सबसे उत्तम हैं। आप ने रघु के लिए सही जोड़ीदार ढूंढा हैं फिर मन में बोला…दादा भाई रघु और बहु की जोड़ी राव के कारण नहीं मेरे कारण बना हैं मैं इतने रिश्ते न तुड़वाया होता तो इतनी सुंदर बहू आप कभी नहीं ला पाते न ही इतनी सुंदर जोड़ी बनता।

सुकन्या...दीदी दोनों की जोडी बहुत जांच रहे हैं। हमारे महल की बड़ी बहु होने का हकदार कोई था तो वो कमला ही थी जो बड़ी बहु बनकर आ गई।

सुरभि खिला सा मुस्कान बिखेरकर सुकन्या की ओर देखा। सुरभि की मुस्कान बता रहीं थीं कमला की तारीफ बहुत पसन्द आया। दोनों में से कोई कुछ बोलता उससे पहले अपश्यु बोला... दादा भाई आप और भाभी तो छा गए दोनों साथ में बहुत खुबसूरत लग रहे हों। लग रहा है जैसे स्वर्ग से देव देवी चल कर धरती पर आ रहे हों।

रमन जो अपश्यु के बगल वाले कुर्सी पर बैठे ख्यालों में खोया था। अचानक हों रहें तेज आवाजे सुनकर ख्यालों से बाहर आया फिर आस पास का जायजा लेने लगा तो देखा सभी सीढ़ी की ओर देख रहें थें। रमन की नज़रे भी सीढ़ी की ओर हों लिया। रघु और कमला को साथ में देखकर रमन बोला...Oooo hooo क्या लग रहे हैं। इससे खुबसूरत जोड़ी दुनिया में कोई ओर हों नहीं सकता फिर धीर से बोला…यार तेरा तो हों गया मेरा जोड़ीदार, शालु कब बनेगी न जानें मुझे क्या हों गया हैं हर वक्त शालू के ख्याल में खोया रहता हूं।

सभी कमला और रघु को साथ में देखकर अपना अपना कॉमेंट पास कर रहें थें। सभी की बाते सुनकर और ध्यान खुद की ओर देखकर कमला शर्मा गई फिर नज़र झुकाकर हाथ को झटकर छुड़ाना चाहा पर रघु हाथ न छोड़ा बल्कि ओर कस के पकड़ लिया। हाथ पर हो रहे कसाव को भापकर कमला कसमसाते हुऐ बोली...क्या कर रहें हों छोड़िए न सभी हमे ही देख रहें हैं।

रघु...क्यों छोड़ूं मैने किसी गैर का हाथ नहीं पकड़ा मेरी बीवी का हाथ पकड़ा हैं।

कमला...मैं जानती हूं आप अपने बीबी का ही हाथ पकड़े हैं पर मुझे शर्म आ रहीं हैं। छोड़िए न सभी हमे ही देख रहें हैं।

रघु…देखने दो मुझे फर्क नहीं पड़ता हैं। तुम्हारे साथ, सात फेरे तुम्हारा हाथ पकड़ने के लिए ही लिया हैं। परिस्थिति कैसा भी हों तुम्हारा हाथ नहीं छोड़ने वाला।

कमला नज़रे उठाकर रघु की ओर देखा जैसे पूछ रहीं हों क्या आप सही कह रहें हों। रघु शायद आंखो की भाषा पढ़ लिया था इसलिए मुस्करा कर हां में सिर हिला दिया पति के मुस्कान का जवाब कमला खिला सा मुस्कान बिखेर कर दिया फिर कांफिडेंटली पति का हाथ कसकर थामे चलते हुऐ डायनिंग टेबल के पास आ गए। जोड़े में ही बारी बारी सभी से आशीर्वाद लिए सभी ने मन मुताबिक आशीष दोनों को दिया फिर सभी अपने अपने जगह बैठ गए। कमला उठकर सभी को नाश्ता परोशने की तैयारी करने लगीं। तब राजेंद्र बोला...बहु तुम क्यों उठा गई? तुम बैठो नाश्ता रतन और धीरा परोस देंगे।

कमला...नहीं पापाजी! नाश्ता मैंने बनाया हैं तो मैं ही परोसुंगी।

राजेंद्र... पर..!

राजेंद्र के बातों को काटकर कमला बोली...पर वार कुछ नहीं आप बिल्कुल चुप चाप बैठिए और जो मैं दे रहीं हूं चख कर बताइए कैसा बना हैं।

कमला की बाते सुनकर सभी मुस्कुरा दिया, सभी को मुसकुराते देखकर कमला बोली…क्या मैने कुछ गलत बोला? जो आप सभी मुस्करा रहे हों।

सुरभि...नहीं बहु तुमने बिल्कुल सही बोल हैं हम तो बस इसलिए मुस्कुरा रहें थें क्योंकि इनकी बातों को पुष्पा के अलावा कोई ओर नहीं कटते हैं।

कमला…माफ़ करना पापाजी आगे से ध्यान रखूंगी।

राजेंद्र…नहीं नहीं बेटी तुम्हें माफी मांगने की जरूरत नहीं हैं। तुम मेरी बहु नहीं दूसरी बेटी हों इसलिए पुष्पा की तरह तुम भी मेरे बातों को काट सकती हो मैं बुरा नहीं मानूंगा।

राजेंद्र की बाते सुनकर कमला की आंखो में नमी आ गई। सभी को नमी का पाता न चल जाए इसलिए बहने से पहले ही रोक लिए फिर राजेंद्र को परोसने जा ही रही थीं की पुष्पा बोली...भाभी सबसे पहले मुझे परोसों, पहले मुझे नहीं परोसा तो पहली रसोई के टेस्ट में आप कतई पास नहीं हों पाओगी।

राजेंद्र...हां बहु जाओ पहले पुष्पा को परोस दो पुष्पा हमारे परिवार की महारानी हैं। मैं भी उसके बातों का निरादर नहीं कर सकता तुम भी मात करना नहीं तो सभी के सामने सजा दे देगी। मैं नहीं चाहता कोई मेरे बहु को सजा दे।

पुष्पा…haaaaan आप समझें भाभी पापा ने किया कहा। चलो अब देर न करों जल्दी से परोस दो बड़ी जोरों की भूख लगीं हैं।

कमला पुष्पा को परोसने जा ही रही थी की अपश्यु बोला...भाभी rukooo! आज सबसे पहले आप मुझे परोसेगे।

पुष्पा...नहीं सब से पहले मुझे मैं महारानी हूं।

अपश्यु...नहीं सबसे पहले मुझे मैं भाभी का सबसे छोटा देवर हूं।

पुष्पा...मैं भाभी की इकलौती ननद हूं इसलिए सबसे पहले मुझे परोसेंगे।

अपश्यु...मैं भी भाभी का eklautaaa नहीं नहीं रमन भईया भी हैं। फिर रमन की ओर देखकर बोला... रमन भईया आप कुछ बोलो न!

रमन... मैं क्या बोलूं? मैं तो बस इतना ही बोलूंगा भाभी आप पहले पुष्पा को ही परोस दो।

रमन की बात सुनकर सभी मुस्कुरा दिए पुष्पा सेखी बघेरते हुऐ बोली...भाभी सूना न रमन भईया भी मेरे पक्ष में बोल रहें हैं इसलिए देर न करों जल्दी से परोस दो।

अपश्यु...रमन भईया आप से ये उम्मीद न था आप मेरे पक्ष में नहीं हैं तो किया हुआ मैं अकेले ही ठीक हूं। भाभी पहले मुझे पारोसो नहीं तो मैं आप'से नाराज हों जाऊंगा। क्या आप चाहते हों आप'का छोटा देवर आप से नाराज रहें? अगर आप चाहती हों तो पुष्पा को ही पहले परोस दो।

कमला...मैं कभी नही चाऊंगा मेरा छोटा देवर मुझ'से नाराज रहें।

पुष्पा...अच्छा ब्लैकमेल रुको अभी बताती हूं। भाभी मैं आप'की एकलौती ननद होने के साथ घर में सबसे छोटी हूं। इसलिए आप पहले मुझे परोसो नहीं परोसा तो मैं आप'से नाराज हों जाऊंगी फिर कभी आप'से बात नहीं करुंगी। सोच लो haaa।

असमंजस की स्थिति में कमला फांस गई। किसे पहले परोसे समझ नहीं पा रही थीं। कुछ भी ऐसा करना नहीं चाह रहीं थी। जिससे इकलौती ननद और देवर नाराज़ हों जाएं। इसलिए आशा की दृष्टि से रघु की तरफ देखा पर रघु भी कंधा उचकाकर बता दिया मैं इसमें कोई सहयता नहीं कर सकता मैं असमर्थ हूं।

पुष्पा और अपश्यु को जिद्द करते देखकर रावण मुस्करा रहा था और मन ही मन बोला...दादी भाई बहु तो विश्व सुंदरी ढूंढ कर ले आए लेकिन अब जो परिस्थिति बन रहा हैं इससे बहु कैसे निपटेगा अब पाता चलेगा बहु कितनी समझदार और चतुर हैं बस दोनों में से कोई पीछे न हटे तब तो और मजा आयेगा।

बाकी बचे घर वाले अपश्यु और पुष्पा के मामले में पड़ना नहीं चाहते थे क्योंकि सभी जानते थे दोनों जब जिद्द करने पर आ जाए तो किसी की नहीं सुनते पर कमला को असहाय देखकर सुकन्या अपश्यु को समझते हुऐ बोली... अपश्यु मन जा न बेटा तू मेरा अच्छा बेटा हैं। देख पुष्पा घर में सबसे छोटी हैं पहली बार में उसे परसने दे दूसरी बार में तूझे परोस देंगी।

अपश्यु...मां मैं जनता हूं आप पुष्पा को मुझ'से ज्यादा प्यार करते हों। आप करों पुष्पा को मुझसे ज्यादा प्यार मुझे कोई आपत्ति नहीं हैं। लेकिन आज मैं किसी की नहीं सुनने वाला। आज तो पुष्पा की भी नहीं चलने दुंगा।

बेटे के जिद्द के आगे सुकन्या सिर झुका लिया। क्योंकि सुकन्या जान गई थी आज अपश्यु किसी की नहीं सुनने वाला, अपश्यु को अड़ा हुआ देखकर सुरभि पुष्पा को समझते हुऐ बोली...पुष्पा बेटी क्यों जिद्द कर रहीं हैं? क्यों बहु को परेशान कर रहीं हैं? अपश्यु को पहले परोसने दे दूसरी बार में तूझे परोस देंगी। अपश्यु तूझ'से बड़ा है बोल हैं न बड़ा!

पुष्पा…हां

सुरभि….बस फिर किया हों गया फैसला बहु अपश्यु को पहले परोस दो।

अपश्यु को पहले परोसने की बात सुनकर पुष्पा उदास हों गई। ये देखकर कमला को अच्छा नहीं लगा। कमला पहले ही दिन कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहतीं थी जिससे देवर और ननद उदास हों जाएं इसलिए इस मसले का हल मन ही मन ढूंढने लग गई।

पुष्पा के पीछे हटने से रावण को उसका मनसा टूटता नज़र आया और पुष्पा को उदास बैठा देखकर रावण को अच्छा भी नहीं लग रहा था इसलिए बोला... बहु मुझे पुष्पा की उदासी अच्छा नहीं लग रहा हैं तुम कुछ ऐसा करों जिससे दोनों के मन की हों जाएं और कोई तुमसे नाराज हों'कर न रह पाए।

रावण की बाते सुनकर सुकन्या रावण को एक नज़र देखा पर कुछ बोला नहीं बाकी सभी भी रावण की और देखा जैसे पूछ रहे हों बहु इसका क्या हल निकलेगी। चाचा की बात सुनकर पुष्पा भी मुस्करा दिया और कमला विचार करने में मग्न हों गईं। कमला को इतना गहन विचार करते देखकर सुरभि बोली... बहु इतना सोच विचार करने की जरूरत नहीं हैं तुम पहले अपश्यु को परोस दो पुष्पा भी तो मान गई हैं।

पुष्पा...हां भाभी आप भईया को ही पहले परोस दो मैं तो ऐसे ही बहना कर रहीं थीं।

सुकन्या...हां हां मैं जानती हूं तुम कितना बहना कर रही थीं बहना कर रहीं होती तो अपश्यु को पहले परोसने की सुनकर तुम्हारा चेहरा न लटक गया होता। बहु अपश्यु को छोड़ो तुम पहले पुष्पा को ही परोस दो मैं मेरी एकलौती बेटी का लटका हुआ चेहरा नहीं देख पा रहीं हूं।

सुकन्या की बात सुनकर पुष्पा जो उदास हो गई थी उसके चेहरे पे मुस्कान लौट आई और अपश्यु को चिड़ाने लग गईं। पुष्पा को चिड़ाते देख अपश्यु का चेहरा लटक गया ये देखकर सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गया लेकिन कमला अभी भी सोचने में मग्न थी। अचानक कमला के चेहरे पर मुस्कान आया और बोली... सुनो मेरे प्यारे देवर और ननदरानी आप दोनों को एक साथ मैं पहले परोस सकती हूं लेकिन आप दोनों को एक ही प्लेट में खाना होगा। बोलों मंजूर हैं।

अपश्यु और पुष्पा दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिया फिर पुष्पा बोली...भईया बहुत दिनों बाद आप के साथ फिर से एक ही प्लेट में खाने का मौका मिल रहा हैं ये हों रहा हैं तो सिर्फ भाभी के कारण मैं तो भुल ही गई थीं।

कमला...मतलब मैं कुछ समझ नहीं पाई।

सुकन्या…बहु बचपन में इन दोनों की आदत थी जब तक दोनों को एक ही थाली में खाना न दो तब तक दोनों खाते नहीं थे। बाद में रघु भी इनके साथ हों लिया बड़ी मुस्कील से इनकी ये आदत छुड़वाया था। क्यों दीदी मैंने सही कहा न?

सुरभि...हां छोटी तुमने सही कहा जाओ बहु दोनों को एक ही प्लेट में परोस दो।

पुष्पा जाकर अपश्यु के पास बैठ गई दोनों के देखा देखी रघु भी धीरे से उठा और पुष्पा के दूसरे सईद बैठ गया। सभी देखकर मुस्कुरा दिए और भाई बहनों में प्यार देख गदगद हो गए फिर कमला ने एक प्लेट में रघु , अपश्यु और पुष्पा को परोस दिया। साथ ही बाकी सभी को भी परोस दिया। रमन थोडा सा खिसका फिर रघु से बोला...चल थोड़ा सा किसक मुझे भी जगह दे मैं भी पुष्पा के साथ ही खाऊंगा।

एक बार फिर से सभी के चेहरे पर खिला सा मुस्कान आ गई। रावण अभी अभी जो भी हुआ उसे देखकर मुस्कुराते हुऐ मन में बोला...बहु ये तो एक साधारण सी उलझन था जिससे तुम पार पा लिया लेकिन जीवन बहुत बड़ा हैं। इससे भी बड़ी बड़ी उलझने जीवन में आगे आएंगे तब कैसे पार पाओगी।

न जानें रावण किया सोचा रहा था। साधारण मुस्कान बदलकर कुटिल हों गया। सभी ने अपने अपने प्लेट से एक एक निवाला खाया फिर आंख बन्द कर खाने की स्वाद लेने लगे। अपश्यु फटाफट दो तीन निवाल खाकर खाने का स्वाद लिया फिर रुक गया। यकायक न जाने किया सूझा उठकर भाग गया।


आज के लिए इतना ही अगले अपडेट में जानेंगे अपश्यु क्यों उठकर भागा? यहां तक साथ बाने रहने के लिय सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

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मस्त मौला गाने की धुन धीरे धीरे गुनगुनाते हुऐ कमला नहा रहीं थीं। बाहर बैठा रघु कल्पनाओं में उड़ान भर रहा था। रघु की कल्पना का कोई सीमा न था न जानें क्या क्या कल्पना कर मुस्कुरा रहा था। कल्पना में सेंध तब लगा जब खट से बाथरूम का दरवाज़ा खुला, दरवाज़ा खोल कमला बाहर निकली फिर श्रृंगार दान के सामने खड़ी हों बाल संवारने लग गई और चोर नज़रों से रघु को देख रहीं थीं। रघु कुछ पल बेसुद सा कमला को देखता रहा फिर उठ ही रहा था कि कमला बोली...नहीं बिलकुल नहीं, एक कदम भी हिला तो अच्छा नहीं होगा।

रघु...मैं तो बस तुम्हारा हेल्प करना चाहता हूं।

कमला...मैं जानती हुं आप किस तरह का हेल्प करना चाहते हों इसलिए बिना हिले डुले चुप चाप बैठे रहो।

रघु…नहीं ! मैं चुप चाप बैठा नहीं रहूंगा मुझे मेरी बीबी की मदद करना हैं वो मैं करके रहूंगा।

कमला...आप हिले तो मैं जैसी हू वैसे ही बाहर चली जाऊंगी फिर करते रहना हेल्प।

रघु...ठीक हैं तुम तैयार हों लो मैं चुप चाप बैठा रहूंगा।

पति को रिझाने का मौका कमला को मिल गया तरह तरह की अदाएं कर खुद को संवारने में लग गई। कमला की अदाएं देख रघु से रूका न जा रहा था। मन कर रहा था कमला को बाहों में भींच ले और प्रेम अलाप करें लेकिन कर नहीं पा रहा था। ऐसा किया तो कहीं कमला सच में रूम से बिना सजे सांवरे बाहर न चली जाएं बाहर चली गई तो सभी को जवाब देना दुभर हो जायेगा इसलिए मन मार कर बस देखता रहा और कमला साज श्रृंगार करने में लगी रहीं। श्रृंगार पूरा होते ही दोनों एक दुसरे का हाथ पकड़ चल दिया।

डायनिंग टेबल पर सभी आ चुके थे। स्वादिष्ट खाने की सुगन्ध सभी को लालायित कर रहे थें। अपश्यु हद से ज्यादा लालयित हों गया था इसलिए बोला... मां बैठे बैठे खाने की सुगन्ध ही सूंघने को मिलेगा या फ़िर चखने को भी मिलेगा। मेरा भूख स्वादिष्ट नाश्ते की महक सूंघ बढ़ता ही जा रहा हैं। मुझसे भूख और बर्दास्त नहीं हों रहा जल्दी से परोस दीजिए।

पुष्पा...अरे मेरे भुक्कड़ भईया थोड़ा तो वेट कीजिए नाश्ते की खुशबू से जान पड़ता हैं नाश्ता रतन दादू नहीं किसी ओर ने बनाया हैं फिर सुरभि से बोला मां बताओं न नाश्ता किसने बनाया।

राजेंद्र...सुरभि नाश्ते की सुगंध जाना पहचाना लग रहा हैं। ऐसा खाना कौन बना सकता haiiii हां याद आया जरूर आज बहु ने नाश्ता बनाया होगा।

सुकन्या...जेठ जी आप ठीक पहचानें आज का नाश्ता बहु ने ही बनाया हैं।

राजेंद्र...क्या जरूरत थीं? बहु से कीचन में काम करवाने की विदा होकर आए एक दिन भी नहीं हुआ और तुमने बहु को कीचन में भेज दिया।

रावण...भाभी ये आपने ठीक नहीं किया। रतन और धीरा हैं फिर आपने बहु से नाश्ता क्यों बनवाया।

रावण की बात सुन सुकन्या टेढ़ी नज़र से रावण को देखा फिर मन में बोली... पहले तो खुद शादी तुड़वाने के लिए न जानें कितने षड्यंत्र किया अब देखो कैसे बहु की तरफदारी कर रहें हैं। कितनी जल्दी रंग बदलते हैं शायद गिरगिट भी इतनी जल्दी रंग न बदल पाता होगा।

सुरभि...चुप करों आप दोनों! मुझे श्वक नहीं हैं जो मैं बहु से कीचन में काम करवाऊं वो तो आज पहली रसोई का रश्म था इसलिए बहु से नाश्ता बनवा लिया।

उसी क्षण कमला और रघु एक दूसरे का हाथ पकड़े सीढ़ी से नीचे आ रहे थें। डायनिंग टेबल जहां लगा हुआ था वहा से सीढ़ी बिल्कुल सामने था। पुष्पा की नज़र सीढ़ी की ओर गया फिर वापस घुमा लिया, अचानक लगा जैसे सीढ़ी पर कुछ हैं जो ठीक से दिखा नहीं इसलिए फ़िर नज़रे सीढ़ी की ओर घुमा लिया। भईया भाभी को एक साथ आते देख उत्साह से बोला...मां देखो देखो भईया और भाभी एक साथ आते हुऐ कितने अच्छे लग रहें हैं।

सुरभि…कहा seeee

पूरा बोलता उससे पहले ही बेटे और बहू पर सुरभि की नज़र पड़ गया। बेटे और बहु को साथ देख "नज़र न लागे किसी की" बलाई लेते हुऐ बोला

राजेंद्र...दोनों को साथ में देख लग रहा हैं जैसे दोनों एक दुसरे के लिए ही बने थे। उत्तम जोड़ी राव ने मिलाया हैं शायद इसीलिए इतने सारे रिश्ते टूटे होगे।

रावण... सही कहा दादा भाई दोनों की जोड़ी सबसे उत्तम हैं। आप ने रघु के लिए सही जोड़ीदार ढूंढा हैं फिर मन में बोला…दादा भाई रघु और बहु की जोड़ी राव के कारण नहीं मेरे कारण बना हैं मैं इतने रिश्ते न तुड़वाए होते तो इतनी सुंदर बहु आप कभी नहीं ला पाते न ही इतनी सुंदर जोड़ी बनता।

सुकन्या...दीदी दोनों की जोडी बहुत जांच रहे हैं। हमारे महल की बड़ी बहु होने का हकदार कोई था तो वो कमला ही थी जो बड़ी बहु बनकर आ गई।

सुरभि खिला सा मुस्कान बिखेर सुकन्या की ओर देखा। सुरभि की मुस्कान बता रहीं थीं कमला की तारीफ बहुत पसन्द आया। दोनों में से कोई कुछ बोलता उससे पहले अपश्यु बोला... दादा भाई आप और भाभी तो छा गए दोनों साथ में बहुत खुबसूरत लग रहें हैं। लग रहा है जैसे स्वर्ग से देव देवी चल कर धरती पर आ रहे हों।

रमन जो अपश्यु के बगल वाले कुर्सी पर बैठे ख्यालों में खोया था। अचानक हों रहें तेज आवाजे सुन ख्यालों से बाहर आया फिर आस पास का जायजा लेने लगा तो देखा सभी सीढ़ी की ओर देख रहें थें। रमन की नज़रे भी सीढ़ी की ओर हों लिया। रघु और कमला को साथ में देख रमन बोला... ओ हों क्या लग रहे हैं। इससे खुबसूरत जोड़ी दुनिया में कोई ओर हों नहीं सकता फिर धीर से बोला…यार तेरा तो हों गया मेरा जोड़ीदार, शालु कब बनेगी न जानें मुझे क्या हों गया हैं हर वक्त शालू के ख्याल में खोया रहता हूं।

सभी कमला और रघु को देख अपना अपना कॉमेंट पास कर रहें थें। सभी की बाते सुन और ध्यान खुद की ओर देख कमला शर्मा गई फिर नज़र झुका हाथ को झटका दे छुड़ाना चाहा पर रघु हाथ न छोड़ा बल्कि ओर कस के पकड़ लिया। हाथ पर हो रहे कसाव को भाप कमला कसमसाते हुऐ बोली... क्या कर रहें हों छोड़िए न सभी हमे ही देख रहें हैं।

रघु...क्यों छोड़ूं मैने किसी गैर का हाथ नहीं पकड़ा मेरी बीवी का हाथ पकड़ा हैं।

कमला...मैं जानती हूं आप अपने बीबी का ही हाथ पकड़े हैं पर मुझे शर्म आ रहीं हैं। छोड़िए न सभी हमे ही देख रहें हैं।

रघु…देखने दो मुझे फर्क नहीं पड़ता हैं। तुम्हारे साथ, सात फेरे तुम्हारा हाथ पकड़ने के लिए ही लिया हैं। परिस्थिति कैसा भी हों तुम्हारा हाथ नहीं छोड़ने वाला।

कमला नज़रे उठा रघु की ओर देखा जैसे पूछ रहीं हों क्या आप सही कह रहें हों। रघु शायद आंखो की भाषा पढ़ लिया था इसलिए मुस्करा कर हां में सिर हिला दिया पति के मुस्कान का जवाब कमला खिला सा मुस्कान बिखेर कर दिया फिर कांफिडेंटली पति का हाथ कस के थामे चलते हुऐ डायनिंग टेबल के पास आ गए। जोड़े में ही बारी बारी से सभी का आशीर्वाद लिए सभी ने मन मुताबिक आशीष दोनों को दिया फिर सभी अपने अपने जगह बैठ गए। कमला उठ सभी को नाश्ता परोशने की तैयारी करने लगीं। तब राजेंद्र बोला...बहु तुम क्यों उठा गई? तुम बैठो नाश्ता रतन और धीरा परोस देंगे।

कमला...नहीं पापाजी! नाश्ता मैंने बनाया हैं तो मैं ही परोसुंगी।

राजेंद्र... पर!

कमला...पर वार कुछ नहीं आप बिल्कुल चुप चाप बैठिए और जो मैं दे रहीं हूं चख कर बताइए कैसा बना हैं।

कमला की बाते सुन सभी मुस्कुरा दिया, सभी को मुसकुराते देख कमला बोली…क्या मैने कुछ गलत बोला? जो आप सभी मुस्करा रहे हों।

सुरभि...नहीं बहु तुमने बिल्कुल सही बोल हैं हम तो बस इसलिए मुस्कुरा रहें थें क्योंकि इनकी बातों को पुष्पा के अलावा कोई ओर नहीं कट सकता हैं।

कमला…माफ़ करना पापाजी आगे से ध्यान रखूंगी।

राजेंद्र…नहीं नहीं बेटी तुम्हें माफी मांगने की जरूरत नहीं हैं। तुम मेरी बहु नहीं दूसरी बेटी हों इसलिए पुष्पा की तरह तुम भी मेरे बातों को काट सकती हो मैं बुरा नहीं मानूंगा।

राजेंद्र की बाते सुन कमला की आंखो में नमी आ गया। सभी को नमी का पाता न चल जाए इसलिए बहने से पहले ही रोक लिए फिर राजेंद्र को परोसने जा ही रही थीं की पुष्पा बोली...भाभी सबसे पहले मुझे परोसों, पहले मुझे नहीं परोसा तो पहली रसोई के टेस्ट में आप कतई पास नहीं हों पाओगी।

राजेंद्र...हां बहु जाओ पहले पुष्पा को परोस दो पुष्पा हमारे परिवार की महारानी हैं। मैं भी उसके बातों का निरादर नहीं कर सकता तुम भी मात करना नहीं तो सभी के सामने सजा दे देगी। मैं नहीं चाहता कोई मेरे बहु को सजा दे।

पुष्पा…haaaaan आप समझें भाभी पापा ने किया कहा। चलो अब देर न करों जल्दी से परोस दो बड़ी जोरों की भूख लगीं हैं।

कमला पुष्पा को परोसने जा ही रही थी की अपश्यु बोला...भाभी रूको आज सबसे पहले आप मुझे परोसेगे।

पुष्पा...नहीं सब से पहले मुझे मैं महारानी हूं।

अपश्यु...नहीं सबसे पहले मुझे मैं भाभी का सबसे छोटा देवर हूं।

पुष्पा...मैं भाभी की इकलौती ननद हूं इसलिए सबसे पहले मुझे परोसेंगे।

अपश्यु...मैं भी भाभी का eklautaaa नहीं नहीं रमन भईया भी हैं। रमन भईया आप कुछ बोलो न!

रमन... मैं क्या बोलूं? मैं तो बस इतना ही बोलूंगा भाभी आप पहले पुष्पा को ही परोस दो।

रमन की बात सुन सभी मुस्कुरा दिए पुष्पा सेखी बघेरते हुऐ बोली... भाभी सूना न रमन भईया भी मेरे पक्ष में बोल रहें हैं इसलिए देर न करों जल्दी से परोस दो।

अपश्यु...रमन भईया आप से ये उम्मीद न था आप मेरे पक्ष में नहीं हैं तो किया हुआ मैं अकेले ही ठीक हूं। भाभी पहले मुझे पारोसो नहीं तो मैं आपसे नाराज हों जाऊंगा। क्या आप चाहते हों आपका छोटा देवर आप से नाराज रहें? अगर आप चाहती हों तो पुष्पा को ही पहले परोस दो।

कमला...मैं कभी नही चाऊंगा मेरा छोटा देवर मुझसे नाराज रहें।

पुष्पा...अच्छा ब्लैकमेल रुको अभी बताती हूं। भाभी मैं आपकी एकलौती ननद होने के साथ घर में सबसे छोटी हूं। इसलिए आप पहले मुझे परोसो नहीं परोसा तो मैं आपसे नाराज हों जाऊंगी फिर कभी आपसे बात नहीं करुंगी। सोच लो haaa।

असमंजस की स्थिति में कमला फांस गई। किसे पहले परोसे समझ नहीं पा रही थीं। कुछ भी ऐसा करना नहीं चाह रहीं थी। जिससे इकलौती ननद और देवर नाराज़ हों जाएं। इसलिए आशा की दृष्टि से रघु की और देखा पर रघु भी कंधा उचका कर बता दिया मैं इसमें कोई सहयता नहीं कर सकता मैं असमर्थ हूं।

पुष्पा और अपश्यु को जिद्द करते देख रावण मुस्करा रहा था और मन ही मन बोला...दादी भाई बहु तो विश्व सुंदरी ढूंढ कर ले आए लेकिन अब जो परिस्थिति बन रहा हैं इससे बहु कैसे निपटेगा अब पाता चलेगा बहु कितना समझदार और चतुर हैं बस दोनों में से कोई पीछे न हटे तब तो और मजा आयेगा।

बाकी बचे घर वाले अपश्यु और पुष्पा के मामले में पड़ना नहीं चाहते थे क्योंकि सभी जानते थे दोनों जब जिद्द करने पर आ जाए तो किसी की नहीं सुनते पर कमला को असहाय देख सुकन्या अपश्यु को समझते हुऐ बोली... अपश्यु मन जा न बेटा तू मेरा अच्छा बेटा हैं। देख पुष्पा घर में सबसे छोटी हैं पहली बार में उसे परसने दे दूसरी बार में तूझे परोस देंगी।

अपश्यु...मां मैं जनता हूं आप पुष्पा को मुझसे ज्यादा प्यार करते हों। आप करों पुष्पा को मुझसे ज्यादा प्यार मुझे कोई आपत्ति नहीं हैं। लेकिन आज मैं किसी की नहीं सुनने वाला। आज तो पुष्पा की भी नहीं चलने दुंगा।

बेटे के जिद्द के आगे सुकन्या सिर झुका लिया। क्योंकि सुकन्या जान गई थी आज अपश्यु किसी की नहीं सुनने वाला, अपश्यु को अड़ा देख सुरभि पुष्पा को समझते हुऐ बोली... पुष्पा बेटी क्यों जिद्द कर रहीं हैं? क्यों बहु को परेशान कर रहीं हैं? अपश्यु को पहले परोसने दे दूसरी बार में तूझे परोस देंगी। अपश्यु तूझ'से बड़ा है बोल हैं न बड़ा!

पुष्पा…हां

सुरभि….बस फिर किया हों गया फैसला बहु अपश्यु को पहले परोस दो।

अपश्यु को पहले परोसने की बात सुन पुष्पा उदास हों गई। ये देख कमला को अच्छा नहीं लग रहा था। कमला पहले ही दिन कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहतीं थी जिससे देवर और ननद उदास हों जाएं इसलिए इस मसले का हल मन ही मन ढूंढने लग गई।

पुष्पा के पीछे हटने से रावण को उसका मनसा टूटता नज़र आया और पुष्पा को उदास बैठा देख रावण को अच्छा भी नहीं लग रहा था इसलिए बोला... बहु मुझे पुष्पा की उदासी अच्छा नहीं लग रहा तुम कुछ ऐसा करों जिससे दोनों के मन की हों जाएं और कोई तुमसे नाराज हों'कर न रह पाए।

रावण की बाते सुन सुकन्या रावण को एक नज़र देखा पर कुछ बोला नहीं बाकी सभी भी रावण की और देखा जैसे पूछ रहे हों बहु इसका क्या हल निकलेगा। चाचा की बात सुन पुष्पा भी मुस्करा दिया और कमला विचार करने में मग्न हों गईं। कमला को इतना गहन विचार करते देख सुरभि बोली... बहु इतना सोच विचार करने की जरूरत नहीं हैं तुम पहले अपश्यु को परोस दो पुष्पा भी तो मान गई हैं।

पुष्पा...हां भाभी आप भईया को ही पहले परोस दो मैं तो ऐसे ही बहना कर रहीं थीं।

सुकन्या...हां हां मैं जानती हूं तुम कितना बहना कर रही थीं बहना कर रहीं होती तो अपश्यु को पहले परोसने की सुन तुम्हारा चेहरा न लटक गया होता। बहु अपश्यु को छोड़ो तुम पहले पुष्पा को ही परोस दो मैं मेरी एकलौती बेटी का लटका हुआ चेहरा नहीं देख पा रहीं हूं।

सुकन्या की बात सुन पुष्पा जो उदास हो गई थी उसके चेहरे पे मुस्कान लौट आई और अपश्यु को देख चिड़ाने लग गईं। पुष्पा को चिड़ाते देख अपश्यु का चेहरा लटक गया ये देख सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गया लेकिन कमला अभी भी सोचने में मग्न थी। अचानक कमला के चेहरे पर मुस्कान आया और बोली... सुनो मेरे प्यारे देवर और ननद रानी आप दोनों को एक साथ मैं पहले परोस सकती हूं लेकिन आप दोनों को एक ही प्लेट में खाना होगा। बोलों मंजूर हैं।

अपश्यु और पुष्पा दोनों एक दूसरे को देख मुस्कुरा दिया फिर पुष्पा बोली...भईया बहुत दिनों बाद आप के साथ फिर से एक ही प्लेट में खाने का मौका मिल रहा हैं ये हों रहा हैं तो सिर्फ भाभी के कारण मैं तो भुल ही गई थीं।

कमला...मतलब मैं कुछ समझ नहीं पाई।

सुकन्या…बहु बचपन में इन दोनों की आदत थी जब तक दोनों को एक ही प्लेट में खाना न दो तब तक दोनों खाते नहीं थे। बाद में रघु भी इनके साथ हों लिया बड़ी मुस्कील से इनकी ये आदत छुड़वाया था। क्यों दीदी मैंने सही कहा न?

सुरभि...हां छोटी तुमने सही कहा जाओ बहु दोनों को एक ही प्लेट में परोस दो।

पुष्पा जाकर अपश्यु के पास बैठ गई दोनों के देखा देखी रघु भी धीरे से उठा और पुष्पा के दूसरे सईद बैठ गया। सभी देख मुस्कुरा दिए और भाई बहनों में प्यार देख गदगद हो गए फिर कमला ने एक प्लेट में रघु , अपश्यु और पुष्पा को परोस दिया। साथ ही बाकी सभी को भी परोस दिया। रमन थोडा सा खिसका फिर रघु से बोला... चल थोड़ा सा किसक मुझे भी जगह दे मैं भी पुष्पा के साथ ही खाऊंगा।

एक बार फिर से सभी के चेहरे पर खिला सा मुस्कान आ गई। रावण अभी अभी जो भी हुआ उसे देख मुसकुराते हुऐ मन में बोला...बहु ये तो एक साधारण सी उलझन था जिससे तुम पर पा लिया लेकिन जीवन बहुत बड़ा हैं। इससे भी बड़ी बड़ी उलझने जीवन में आगे तब कैसे पार पाओगी।

न जानें रावण किया सोचा रहा था। साधारण मुस्कान बदलकर कुटिल हों गया। सभी ने अपने अपने प्लेट से एक एक निवाला खाया फिर आंख बन्द कर खाने की स्वाद लेने लगे। अपश्यु फटाफट दो तीन निवाल खाकर खाने का स्वाद लिया फिर रुक गया। यकायक न जाने किया सूझा उठकर भाग गया।


आज के लिए इतना ही अगले अपडेट में जानेंगे अपश्यु क्यों उठकर भागा? यहां तक साथ बाने रहने के लिय सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

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मस्त मौला गाने की धुन धीरे धीरे गुनगुनाते हुऐ कमला नहा रहीं थीं। बाहर बैठा रघु कल्पनाओं में उड़ान भर रहा था। रघु की कल्पना का कोई सीमा न था न जानें क्या क्या कल्पना कर मुस्कुरा रहा था। कल्पना में सेंध तब लगा जब खट से बाथरूम का दरवाज़ा खुला, दरवाज़ा खोल कमला बाहर निकली फिर श्रृंगार दान के सामने खड़ी हों बाल संवारने लग गई और चोर नज़रों से रघु को देख रहीं थीं। रघु कुछ पल बेसुद सा कमला को देखता रहा फिर उठ ही रहा था कि कमला बोली...नहीं बिलकुल नहीं, एक कदम भी हिला तो अच्छा नहीं होगा।

रघु...मैं तो बस तुम्हारा हेल्प करना चाहता हूं।

कमला...मैं जानती हुं आप किस तरह का हेल्प करना चाहते हों इसलिए बिना हिले डुले चुप चाप बैठे रहो।

रघु…नहीं ! मैं चुप चाप बैठा नहीं रहूंगा मुझे मेरी बीबी की मदद करना हैं वो मैं करके रहूंगा।

कमला...आप हिले तो मैं जैसी हू वैसे ही बाहर चली जाऊंगी फिर करते रहना हेल्प।

रघु...ठीक हैं तुम तैयार हों लो मैं चुप चाप बैठा रहूंगा।

पति को रिझाने का मौका कमला को मिल गया तरह तरह की अदाएं कर खुद को संवारने में लग गई। कमला की अदाएं देख रघु से रूका न जा रहा था। मन कर रहा था कमला को बाहों में भींच ले और प्रेम अलाप करें लेकिन कर नहीं पा रहा था। ऐसा किया तो कहीं कमला सच में रूम से बिना सजे सांवरे बाहर न चली जाएं बाहर चली गई तो सभी को जवाब देना दुभर हो जायेगा इसलिए मन मार कर बस देखता रहा और कमला साज श्रृंगार करने में लगी रहीं। श्रृंगार पूरा होते ही दोनों एक दुसरे का हाथ पकड़ चल दिया।

डायनिंग टेबल पर सभी आ चुके थे। स्वादिष्ट खाने की सुगन्ध सभी को लालायित कर रहे थें। अपश्यु हद से ज्यादा लालयित हों गया था इसलिए बोला... मां बैठे बैठे खाने की सुगन्ध ही सूंघने को मिलेगा या फ़िर चखने को भी मिलेगा। मेरा भूख स्वादिष्ट नाश्ते की महक सूंघ बढ़ता ही जा रहा हैं। मुझसे भूख और बर्दास्त नहीं हों रहा जल्दी से परोस दीजिए।

पुष्पा...अरे मेरे भुक्कड़ भईया थोड़ा तो वेट कीजिए नाश्ते की खुशबू से जान पड़ता हैं नाश्ता रतन दादू नहीं किसी ओर ने बनाया हैं फिर सुरभि से बोला मां बताओं न नाश्ता किसने बनाया।

राजेंद्र...सुरभि नाश्ते की सुगंध जाना पहचाना लग रहा हैं। ऐसा खाना कौन बना सकता haiiii हां याद आया जरूर आज बहु ने नाश्ता बनाया होगा।

सुकन्या...जेठ जी आप ठीक पहचानें आज का नाश्ता बहु ने ही बनाया हैं।

राजेंद्र...क्या जरूरत थीं? बहु से कीचन में काम करवाने की विदा होकर आए एक दिन भी नहीं हुआ और तुमने बहु को कीचन में भेज दिया।

रावण...भाभी ये आपने ठीक नहीं किया। रतन और धीरा हैं फिर आपने बहु से नाश्ता क्यों बनवाया।

रावण की बात सुन सुकन्या टेढ़ी नज़र से रावण को देखा फिर मन में बोली... पहले तो खुद शादी तुड़वाने के लिए न जानें कितने षड्यंत्र किया अब देखो कैसे बहु की तरफदारी कर रहें हैं। कितनी जल्दी रंग बदलते हैं शायद गिरगिट भी इतनी जल्दी रंग न बदल पाता होगा।

सुरभि...चुप करों आप दोनों! मुझे श्वक नहीं हैं जो मैं बहु से कीचन में काम करवाऊं वो तो आज पहली रसोई का रश्म था इसलिए बहु से नाश्ता बनवा लिया।

उसी क्षण कमला और रघु एक दूसरे का हाथ पकड़े सीढ़ी से नीचे आ रहे थें। डायनिंग टेबल जहां लगा हुआ था वहा से सीढ़ी बिल्कुल सामने था। पुष्पा की नज़र सीढ़ी की ओर गया फिर वापस घुमा लिया, अचानक लगा जैसे सीढ़ी पर कुछ हैं जो ठीक से दिखा नहीं इसलिए फ़िर नज़रे सीढ़ी की ओर घुमा लिया। भईया भाभी को एक साथ आते देख उत्साह से बोला...मां देखो देखो भईया और भाभी एक साथ आते हुऐ कितने अच्छे लग रहें हैं।

सुरभि…कहा seeee

पूरा बोलता उससे पहले ही बेटे और बहू पर सुरभि की नज़र पड़ गया। बेटे और बहु को साथ देख "नज़र न लागे किसी की" बलाई लेते हुऐ बोला

राजेंद्र...दोनों को साथ में देख लग रहा हैं जैसे दोनों एक दुसरे के लिए ही बने थे। उत्तम जोड़ी राव ने मिलाया हैं शायद इसीलिए इतने सारे रिश्ते टूटे होगे।

रावण... सही कहा दादा भाई दोनों की जोड़ी सबसे उत्तम हैं। आप ने रघु के लिए सही जोड़ीदार ढूंढा हैं फिर मन में बोला…दादा भाई रघु और बहु की जोड़ी राव के कारण नहीं मेरे कारण बना हैं मैं इतने रिश्ते न तुड़वाए होते तो इतनी सुंदर बहु आप कभी नहीं ला पाते न ही इतनी सुंदर जोड़ी बनता।

सुकन्या...दीदी दोनों की जोडी बहुत जांच रहे हैं। हमारे महल की बड़ी बहु होने का हकदार कोई था तो वो कमला ही थी जो बड़ी बहु बनकर आ गई।

सुरभि खिला सा मुस्कान बिखेर सुकन्या की ओर देखा। सुरभि की मुस्कान बता रहीं थीं कमला की तारीफ बहुत पसन्द आया। दोनों में से कोई कुछ बोलता उससे पहले अपश्यु बोला... दादा भाई आप और भाभी तो छा गए दोनों साथ में बहुत खुबसूरत लग रहें हैं। लग रहा है जैसे स्वर्ग से देव देवी चल कर धरती पर आ रहे हों।

रमन जो अपश्यु के बगल वाले कुर्सी पर बैठे ख्यालों में खोया था। अचानक हों रहें तेज आवाजे सुन ख्यालों से बाहर आया फिर आस पास का जायजा लेने लगा तो देखा सभी सीढ़ी की ओर देख रहें थें। रमन की नज़रे भी सीढ़ी की ओर हों लिया। रघु और कमला को साथ में देख रमन बोला... ओ हों क्या लग रहे हैं। इससे खुबसूरत जोड़ी दुनिया में कोई ओर हों नहीं सकता फिर धीर से बोला…यार तेरा तो हों गया मेरा जोड़ीदार, शालु कब बनेगी न जानें मुझे क्या हों गया हैं हर वक्त शालू के ख्याल में खोया रहता हूं।

सभी कमला और रघु को देख अपना अपना कॉमेंट पास कर रहें थें। सभी की बाते सुन और ध्यान खुद की ओर देख कमला शर्मा गई फिर नज़र झुका हाथ को झटका दे छुड़ाना चाहा पर रघु हाथ न छोड़ा बल्कि ओर कस के पकड़ लिया। हाथ पर हो रहे कसाव को भाप कमला कसमसाते हुऐ बोली... क्या कर रहें हों छोड़िए न सभी हमे ही देख रहें हैं।

रघु...क्यों छोड़ूं मैने किसी गैर का हाथ नहीं पकड़ा मेरी बीवी का हाथ पकड़ा हैं।

कमला...मैं जानती हूं आप अपने बीबी का ही हाथ पकड़े हैं पर मुझे शर्म आ रहीं हैं। छोड़िए न सभी हमे ही देख रहें हैं।

रघु…देखने दो मुझे फर्क नहीं पड़ता हैं। तुम्हारे साथ, सात फेरे तुम्हारा हाथ पकड़ने के लिए ही लिया हैं। परिस्थिति कैसा भी हों तुम्हारा हाथ नहीं छोड़ने वाला।

कमला नज़रे उठा रघु की ओर देखा जैसे पूछ रहीं हों क्या आप सही कह रहें हों। रघु शायद आंखो की भाषा पढ़ लिया था इसलिए मुस्करा कर हां में सिर हिला दिया पति के मुस्कान का जवाब कमला खिला सा मुस्कान बिखेर कर दिया फिर कांफिडेंटली पति का हाथ कस के थामे चलते हुऐ डायनिंग टेबल के पास आ गए। जोड़े में ही बारी बारी से सभी का आशीर्वाद लिए सभी ने मन मुताबिक आशीष दोनों को दिया फिर सभी अपने अपने जगह बैठ गए। कमला उठ सभी को नाश्ता परोशने की तैयारी करने लगीं। तब राजेंद्र बोला...बहु तुम क्यों उठा गई? तुम बैठो नाश्ता रतन और धीरा परोस देंगे।

कमला...नहीं पापाजी! नाश्ता मैंने बनाया हैं तो मैं ही परोसुंगी।

राजेंद्र... पर!

कमला...पर वार कुछ नहीं आप बिल्कुल चुप चाप बैठिए और जो मैं दे रहीं हूं चख कर बताइए कैसा बना हैं।

कमला की बाते सुन सभी मुस्कुरा दिया, सभी को मुसकुराते देख कमला बोली…क्या मैने कुछ गलत बोला? जो आप सभी मुस्करा रहे हों।

सुरभि...नहीं बहु तुमने बिल्कुल सही बोल हैं हम तो बस इसलिए मुस्कुरा रहें थें क्योंकि इनकी बातों को पुष्पा के अलावा कोई ओर नहीं कट सकता हैं।

कमला…माफ़ करना पापाजी आगे से ध्यान रखूंगी।

राजेंद्र…नहीं नहीं बेटी तुम्हें माफी मांगने की जरूरत नहीं हैं। तुम मेरी बहु नहीं दूसरी बेटी हों इसलिए पुष्पा की तरह तुम भी मेरे बातों को काट सकती हो मैं बुरा नहीं मानूंगा।

राजेंद्र की बाते सुन कमला की आंखो में नमी आ गया। सभी को नमी का पाता न चल जाए इसलिए बहने से पहले ही रोक लिए फिर राजेंद्र को परोसने जा ही रही थीं की पुष्पा बोली...भाभी सबसे पहले मुझे परोसों, पहले मुझे नहीं परोसा तो पहली रसोई के टेस्ट में आप कतई पास नहीं हों पाओगी।

राजेंद्र...हां बहु जाओ पहले पुष्पा को परोस दो पुष्पा हमारे परिवार की महारानी हैं। मैं भी उसके बातों का निरादर नहीं कर सकता तुम भी मात करना नहीं तो सभी के सामने सजा दे देगी। मैं नहीं चाहता कोई मेरे बहु को सजा दे।

पुष्पा…haaaaan आप समझें भाभी पापा ने किया कहा। चलो अब देर न करों जल्दी से परोस दो बड़ी जोरों की भूख लगीं हैं।

कमला पुष्पा को परोसने जा ही रही थी की अपश्यु बोला...भाभी रूको आज सबसे पहले आप मुझे परोसेगे।

पुष्पा...नहीं सब से पहले मुझे मैं महारानी हूं।

अपश्यु...नहीं सबसे पहले मुझे मैं भाभी का सबसे छोटा देवर हूं।

पुष्पा...मैं भाभी की इकलौती ननद हूं इसलिए सबसे पहले मुझे परोसेंगे।

अपश्यु...मैं भी भाभी का eklautaaa नहीं नहीं रमन भईया भी हैं। रमन भईया आप कुछ बोलो न!

रमन... मैं क्या बोलूं? मैं तो बस इतना ही बोलूंगा भाभी आप पहले पुष्पा को ही परोस दो।

रमन की बात सुन सभी मुस्कुरा दिए पुष्पा सेखी बघेरते हुऐ बोली... भाभी सूना न रमन भईया भी मेरे पक्ष में बोल रहें हैं इसलिए देर न करों जल्दी से परोस दो।

अपश्यु...रमन भईया आप से ये उम्मीद न था आप मेरे पक्ष में नहीं हैं तो किया हुआ मैं अकेले ही ठीक हूं। भाभी पहले मुझे पारोसो नहीं तो मैं आपसे नाराज हों जाऊंगा। क्या आप चाहते हों आपका छोटा देवर आप से नाराज रहें? अगर आप चाहती हों तो पुष्पा को ही पहले परोस दो।

कमला...मैं कभी नही चाऊंगा मेरा छोटा देवर मुझसे नाराज रहें।

पुष्पा...अच्छा ब्लैकमेल रुको अभी बताती हूं। भाभी मैं आपकी एकलौती ननद होने के साथ घर में सबसे छोटी हूं। इसलिए आप पहले मुझे परोसो नहीं परोसा तो मैं आपसे नाराज हों जाऊंगी फिर कभी आपसे बात नहीं करुंगी। सोच लो haaa।

असमंजस की स्थिति में कमला फांस गई। किसे पहले परोसे समझ नहीं पा रही थीं। कुछ भी ऐसा करना नहीं चाह रहीं थी। जिससे इकलौती ननद और देवर नाराज़ हों जाएं। इसलिए आशा की दृष्टि से रघु की और देखा पर रघु भी कंधा उचका कर बता दिया मैं इसमें कोई सहयता नहीं कर सकता मैं असमर्थ हूं।

पुष्पा और अपश्यु को जिद्द करते देख रावण मुस्करा रहा था और मन ही मन बोला...दादी भाई बहु तो विश्व सुंदरी ढूंढ कर ले आए लेकिन अब जो परिस्थिति बन रहा हैं इससे बहु कैसे निपटेगा अब पाता चलेगा बहु कितना समझदार और चतुर हैं बस दोनों में से कोई पीछे न हटे तब तो और मजा आयेगा।

बाकी बचे घर वाले अपश्यु और पुष्पा के मामले में पड़ना नहीं चाहते थे क्योंकि सभी जानते थे दोनों जब जिद्द करने पर आ जाए तो किसी की नहीं सुनते पर कमला को असहाय देख सुकन्या अपश्यु को समझते हुऐ बोली... अपश्यु मन जा न बेटा तू मेरा अच्छा बेटा हैं। देख पुष्पा घर में सबसे छोटी हैं पहली बार में उसे परसने दे दूसरी बार में तूझे परोस देंगी।

अपश्यु...मां मैं जनता हूं आप पुष्पा को मुझसे ज्यादा प्यार करते हों। आप करों पुष्पा को मुझसे ज्यादा प्यार मुझे कोई आपत्ति नहीं हैं। लेकिन आज मैं किसी की नहीं सुनने वाला। आज तो पुष्पा की भी नहीं चलने दुंगा।

बेटे के जिद्द के आगे सुकन्या सिर झुका लिया। क्योंकि सुकन्या जान गई थी आज अपश्यु किसी की नहीं सुनने वाला, अपश्यु को अड़ा देख सुरभि पुष्पा को समझते हुऐ बोली... पुष्पा बेटी क्यों जिद्द कर रहीं हैं? क्यों बहु को परेशान कर रहीं हैं? अपश्यु को पहले परोसने दे दूसरी बार में तूझे परोस देंगी। अपश्यु तूझ'से बड़ा है बोल हैं न बड़ा!

पुष्पा…हां

सुरभि….बस फिर किया हों गया फैसला बहु अपश्यु को पहले परोस दो।

अपश्यु को पहले परोसने की बात सुन पुष्पा उदास हों गई। ये देख कमला को अच्छा नहीं लग रहा था। कमला पहले ही दिन कुछ भी ऐसा नहीं करना चाहतीं थी जिससे देवर और ननद उदास हों जाएं इसलिए इस मसले का हल मन ही मन ढूंढने लग गई।

पुष्पा के पीछे हटने से रावण को उसका मनसा टूटता नज़र आया और पुष्पा को उदास बैठा देख रावण को अच्छा भी नहीं लग रहा था इसलिए बोला... बहु मुझे पुष्पा की उदासी अच्छा नहीं लग रहा तुम कुछ ऐसा करों जिससे दोनों के मन की हों जाएं और कोई तुमसे नाराज हों'कर न रह पाए।

रावण की बाते सुन सुकन्या रावण को एक नज़र देखा पर कुछ बोला नहीं बाकी सभी भी रावण की और देखा जैसे पूछ रहे हों बहु इसका क्या हल निकलेगा। चाचा की बात सुन पुष्पा भी मुस्करा दिया और कमला विचार करने में मग्न हों गईं। कमला को इतना गहन विचार करते देख सुरभि बोली... बहु इतना सोच विचार करने की जरूरत नहीं हैं तुम पहले अपश्यु को परोस दो पुष्पा भी तो मान गई हैं।

पुष्पा...हां भाभी आप भईया को ही पहले परोस दो मैं तो ऐसे ही बहना कर रहीं थीं।

सुकन्या...हां हां मैं जानती हूं तुम कितना बहना कर रही थीं बहना कर रहीं होती तो अपश्यु को पहले परोसने की सुन तुम्हारा चेहरा न लटक गया होता। बहु अपश्यु को छोड़ो तुम पहले पुष्पा को ही परोस दो मैं मेरी एकलौती बेटी का लटका हुआ चेहरा नहीं देख पा रहीं हूं।

सुकन्या की बात सुन पुष्पा जो उदास हो गई थी उसके चेहरे पे मुस्कान लौट आई और अपश्यु को देख चिड़ाने लग गईं। पुष्पा को चिड़ाते देख अपश्यु का चेहरा लटक गया ये देख सभी के चेहरे पर मुस्कान आ गया लेकिन कमला अभी भी सोचने में मग्न थी। अचानक कमला के चेहरे पर मुस्कान आया और बोली... सुनो मेरे प्यारे देवर और ननद रानी आप दोनों को एक साथ मैं पहले परोस सकती हूं लेकिन आप दोनों को एक ही प्लेट में खाना होगा। बोलों मंजूर हैं।

अपश्यु और पुष्पा दोनों एक दूसरे को देख मुस्कुरा दिया फिर पुष्पा बोली...भईया बहुत दिनों बाद आप के साथ फिर से एक ही प्लेट में खाने का मौका मिल रहा हैं ये हों रहा हैं तो सिर्फ भाभी के कारण मैं तो भुल ही गई थीं।

कमला...मतलब मैं कुछ समझ नहीं पाई।

सुकन्या…बहु बचपन में इन दोनों की आदत थी जब तक दोनों को एक ही प्लेट में खाना न दो तब तक दोनों खाते नहीं थे। बाद में रघु भी इनके साथ हों लिया बड़ी मुस्कील से इनकी ये आदत छुड़वाया था। क्यों दीदी मैंने सही कहा न?

सुरभि...हां छोटी तुमने सही कहा जाओ बहु दोनों को एक ही प्लेट में परोस दो।

पुष्पा जाकर अपश्यु के पास बैठ गई दोनों के देखा देखी रघु भी धीरे से उठा और पुष्पा के दूसरे सईद बैठ गया। सभी देख मुस्कुरा दिए और भाई बहनों में प्यार देख गदगद हो गए फिर कमला ने एक प्लेट में रघु , अपश्यु और पुष्पा को परोस दिया। साथ ही बाकी सभी को भी परोस दिया। रमन थोडा सा खिसका फिर रघु से बोला... चल थोड़ा सा किसक मुझे भी जगह दे मैं भी पुष्पा के साथ ही खाऊंगा।

एक बार फिर से सभी के चेहरे पर खिला सा मुस्कान आ गई। रावण अभी अभी जो भी हुआ उसे देख मुसकुराते हुऐ मन में बोला...बहु ये तो एक साधारण सी उलझन था जिससे तुम पर पा लिया लेकिन जीवन बहुत बड़ा हैं। इससे भी बड़ी बड़ी उलझने जीवन में आगे तब कैसे पार पाओगी।

न जानें रावण किया सोचा रहा था। साधारण मुस्कान बदलकर कुटिल हों गया। सभी ने अपने अपने प्लेट से एक एक निवाला खाया फिर आंख बन्द कर खाने की स्वाद लेने लगे। अपश्यु फटाफट दो तीन निवाल खाकर खाने का स्वाद लिया फिर रुक गया। यकायक न जाने किया सूझा उठकर भाग गया।


आज के लिए इतना ही अगले अपडेट में जानेंगे अपश्यु क्यों उठकर भागा? यहां तक साथ बाने रहने के लिय सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏
Nice and awesome update....
 
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