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Romance ajanabi hamasafar -rishton ka gathabandhan

Destiny

Will Change With Time
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lovely update ..sankat aur vikat apne saathiyo ke saath badla lene kolkata pahuch gaye par unko abhi bhi mauka nahi mila apasyu ko sabak sikhane ka .

ravan ki hawa tight ho gayi ye sunke ki rajendra aur mahesh ne police ko bata diya hai sab kuch .aur usne apne aadmiyo ko aage kuch na karne ko keh diya .

ye kalu aur bablu kuch jyada hi dimaag laga diye aur pushpa ko chhed diya aur yahi nahi ruke kamla ko bhi chhed diya jiska khamiyaja dono ko bhugatna pada 🤣🤣.. raghu ,apasyu ke saath raman aur ashish ne bhi achche se dho dala dono ko .

aaj ye sab hote dekh apasyu ke mann me glani ke bhaw aa gaye ,jaise wo apni behan ke liye dusro ki pitai kar raha tha ,,,kalu aur bablu ke maa ko maafi maangte dekha . aaj usko pata chala ki wo kitna galat kar raha tha .

Bahut bahut dhanyawad 🙏🙏

Mauka nehi mila lekin talash me hai aur mauka milte kaam kar chlte banege

Kalu bablu ka pushpa ko chedna kahi na kahi apashyu ko uske bure kamro par pacchshtap karne ka jriya de gaya.
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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Update - 30


विंकट जल्दी जल्दी में चला जा रहा था। जहां जहां संकट के मिलने की संभावना था वहां वहां जा रहा था। लेकिन संकट का कोई अता पता न था। संकट जैसे अदभुत प्राणी का कोई एक ठिकाना हों तो ही न मिलता संकट तो खानाबदोश था जहां रात हुआ वहा डेरा जमा लिया। विंकट ढूंढते ढूंढते जा रहा था। जिस रास्ते जा रहा था उसी रास्ते थोड़ा आगे एक मसान था।विंकट मसान तक पहुंचा मसान को देखकर बोला... अरे मैं तो शमशान घाट पहुंच गया इतनी भी किया जल्दी हैं शमशान पहुंचने की अभी तो मुझे बहुत दिन जीना हैं ये उस्ताद न जानें कहा कहा पहुंचा देंगे कहा होंगे मिल ही नहीं रहें हैं कितना ढूंढू अब तो टांगे भी जवाब देने लगें हैं।

विंकट बोलकर वही खडा हों गया। कुछ क्षण खड़े रहने के बाद चलने को हुआ तभी उसे संकट मसान के अन्दर से आते हुए दिखा संकट को देखकर आवाज देते हुए बोला... उस्ताद... उस्ताद आप को इतनी जल्दी भी किया था शमशान आने की कब से ढूंढ रहा हूं और आप यह शमशान में डेरा जमाए बैठे हों।

संकट... क्या हैं वे सुबह सुबह तू यह किया कर रहा हैं तूझे बोला था अपश्यु के पीछे रहना फिर तू इधर किया कर रहा हैं।

विंकट…उस्ताद अपश्यु यहां नहीं हैं मां बाप के साथ कोलकात्ता गए हैं।

संकट…. वो आज गांव से एक लङकी को उठने वाला था फिर कोलकात्ता कैसे जा सकता हैं तू ने मुझे गलत सूचना तो नहीं दिया था।

विंकट... आई सपत मैंने अपको बिलकुल ठीक ठीक सूचना दिया था लेकिन न जाने क्यों वो कोलकात्ता चल गया। मुझे लगता है वो रघु मलिक के शादी में गया होगा।

संकट... साला इतने दिनों बाद मौका मिला वो भी हाथ से गया तू भी कोलकात्ता जा वहा ही कोई मौका देख अपश्यू को ठोक देंगे।

विंकट... ठोक देंगे से किया मतलब आप उसे जान से मारने वाले हों ऐसा हैं तो मैं बिल्कुल भी अपका काम नहीं करूंगा।

संकट….अरे नहीं उसका जान नहीं लेना हैं। जान से मर दुंगा तो उसे तड़पते हुए कैसे देखूंगा। मुझे तो उसे तड़पते हुए देखना है जैसे मैं किसी अपने को खोने के गम में तड़प रहा हूं।

विंकट... आप किसकी बात कर रहे हों कहीं आप डिंपल की बात तो नहीं कर रहे हों लेकिन जहां तक मैं जनता हूं डिंपल से अपका कोई खाश रिलेशन नहीं हैं अपको तो बस उसके साथ मजे करना थे और उसकेे बाप के दौलत को पाना चाहते थे।

संकट... ये सच हैं मै डिंपल के साथ मजे करना चाहता हूं और उसके बाप के दौलत को पाना चाहता हूं। लेकिन मैं जो कुछ भी कर रहा हूं सिर्फ डिंपल को पाने के लिए नहीं, कोई अपना था जिसे अपश्यु ने मुझसे छीन लिया मैं उसका बदला लेने के लिए ही ये सब कर रहा हूं

विंकट... कौन है वो जहां तक मैं जनता हूं आप के आगे पीछे कोई नहीं हैं फिर आप किसका बदला लेना चाहते हों।

संकट... बता दुंगा लेकिन अभी नहीं तू अभी जा मैं भी कल कलकत्ता पहुंच रहा हूं।

विंकट ने जानने की बहुत जिद्द किया लेकिन संकट ने बताने से माना कर दिया। तो विंकट अपने रास्ते चल दिया। संकट जिन लोगों को बुलाया था उनके पास गया और उन्हें बता दिया अपश्यु कलकत्ता गया हैं। ये सुनकर उनको भी गुस्सा आ गया। संकट ने जिन लोगों को चूना था वे सभी अपश्यु और उसके बाप के सताए हुए थे। इसलिए गुस्सा जाहिर करते हुए बोला... यार और कब तक प्रतीक्षा करना पड़ेगा बहुत हों गया लुका छुपी, चल कोलकात्ता चलते हैं वोही पर ही इस दुष्ट अपश्यु का क्रिया कर्म कर देंगे।

"हां अब नहीं होता इंतजार बहुत सह लिया अब नहीं सहा जाता तू चल मुझे लगता हैं अपश्यु शादी में गया हैं तो वोही मौका देख काम कर देंगे।"

"हां यार रघु मलिक के शादी से अच्छा मौका हमे कहीं नहीं मिलेगा।"

संकट... मैं भी ऐसा ही कुछ सोच रहा था लेकिन तुम सब एक बात ध्यान रखना अपश्यु को जान से नहीं मरना हैं मुझे उसे तड़पते हुए देखना हैं।

"ये किया बात हुआ उसे जान से मारेंगे तभी तो हमारे मान को शांति मिलेगा।"

संकट…जान से मर देंगे तो उसे उसके पापो से पल भार में ही छुटकारा मिल जाएगा लेकिन मैं उसे बार बार तड़पते हुए देखना चाहता हूं।

इसके बाद सभी अपने अपने तर्क देने लगें। संकट ने सभी को अपने तरीके से समझाया तब जाकर सभी समझे फिर अगले दिन कोलकात्ता जाने की बात कह कर सभी अपने अपने रास्ते चले गए।

इधर शाम तक रावण, अपश्यु और सुकन्या कोलकात्ता पहुंच गए थे। सुकन्या जाकर सुरभि से गले मिला उसका हल चल लिया। फिर जाकर पुष्पा से मिला पुष्पा थोडी नाराजगी जताने लगीं तो सुकन्या ने उसे अपने ढंग से मनाया। रावण ऊपरी मन से राजेंद्र से शादी के सभी तैयारी के बारे में पुछ रहा था। राजेंद्र सभी बाते बताते बताते वह सब भी बता दिया जो हल ही के कुछ दिनों में हुआ था। पुलिस में मामला दर्ज करवाने की बात जब सुना तो रावण के पैरों तले जमीन खिसक गया। रावण के मन में एक भय उत्पन हों गया लेकिन बिडंबन ये था रावण जग जाहिर नहीं कर सकता था। इसलिए खुद को शान्त रखते हुए मन में बोला... सही किया जो मैं सुकन्या के साथ आ गया नहीं तो मैं जान ही नहीं पता दादाभाई ने मामला पुलिस में दर्ज करवा दिया जल्दी ही मुझे उन हरम खोरो से बात करना पड़ेगा नहीं तो वो साले मुझे ही फसा देंगे। ये महेश बाबू तो बड़े पहुंचे हुए खिलाड़ी जन पड़ता हैं जिनके एक फोन पर SSP साहब उनके घर आ गए और सभी मामला खुद ही देखने को कह गए। अब मुझे संभाल कर रहना होगा नहीं तो मेरा भांडा फुट जायेगा।

रावण को सोच में डूबा देख राजेंद्र बोला…. किस सोचे में घूम हों गया।

रावण…. दादा भाई मैं इसी बारे में सोच रहा था कौन हो सकता हैं जो बार बार रघु कि शादी तुड़वाना चाहता हैं। अपने सही किया जो पुलिस को सूचना दे दिया।

रावण की बाते सुन सुकन्या मन ही मन बोली... इनको माना किया था ऐसा न करें लेकिन ये सुने ही नहीं अच्छा हुआ जेठ जी ने रिपोर्ट लिखवा दिया नहीं तो कभी चुप ही नहीं बैठते।

अपश्यु मन में.. मुझे संभाल कर रहना होगा कही मैं भी लपेटे में न आ जाऊ ये पोलिस वाले बाल की खाल निकालने में माहिर हैं।

राजेंद्र... जो भी है देर सवेर पकड़ा ही जायेगा चलो तुम सभी सफर करके आए हों आराम कर लो कल सुबह बात करेंगे।

सुकन्या गुस्से से रावण को देखते हुए रूम में चली गई। रावण के मन में थोड़ा और डर बैठ गया। रावण सोचने लगा अब सुकन्या को किया जवाब दुंगा न जाने सुकन्या कौन कौन से सवाल मुझसे पूछेगा। इन बातों को सोचते हुए रावण भी रूम में चला गया। लेकिन रूम में तो अजूबा हों गया रावण जैसा सोच रहा था वैसा कुछ हुआ ही नहीं सुकन्या बिना सवाल जवाब के सो गई। ये देख रावण को थोड़ा सा शांति मिला लेकिन अशांत भाव रावण के मन में अभी भी बना हुआ था। रावण को डर था कहीं उसके चमचे फिर से महेश को फोन न कर दे। फोन किया तो कही कुछ गडबड न हो जाए। इन्ही बातो को सोचते हुए रावण सोफे पर बैठा था और प्रतिक्षा कर रहा था सुकन्या कब सो जाए फिर रावण अपने चमचों से बात करें। सुकन्या थकी हुई थी इसलिए कुछ ही क्षण में सो गई फिर रावण ने अपने चमचों से बात किया उन्हें आगे कुछ न करने को कहा वो भी बिना कोई सवाल जवाब के रावण की बातो को मान लिया फिर रावण निश्चित होकर सो गया।

रावण के निर्देश पाकर सभी लोग जिनको रावण ने रघु के शादी तुड़वाने के काम में लगाया था। अपना अपना बोरिया विस्तार समेट कर कलकत्ता से रवाना हों गए। कलकत्ता आने के बाद अपश्यु इधर उधर न जाकर रघु और रमन के साथ शादी की तैयारी में लग गया था। इधर विंकट कलकत्ता पहुंच चुका था। एक दिन बाद संकट भी अपने दल बल के साथ पहुंच चुके थे। सभी बस ताक में थे कब अपश्यु उन्हें अकेला मिले और काम को अंजाम देकर चलते बने, लेकिन हों कुछ ओर ही रहा था संकट और उसके साथियों को कोई मौका ही नहीं मिल रहा था। क्योंकि अपश्यु कभी अकेला जा ही नहीं रहा था कोई न कोई उसके साथ रहता था।

इसलिए संकट को नाकामी ही हाथ लग रहा था। संकट ने ठान रखा था जो कुछ भी करना हैं कलकत्ता में ही करना है। इसलिए वो सिर्फ़ दुआएं मांग रहा था। कहीं तो उसे अपश्यु अकेला मिले। बरहाल संकट मौके के तलाश में था और यह शादी के दिन नजदीक आ गया।

शादी में तीन दिन और बचे थे और आज शादी का पहला रस्म सगाई था। सगाई का महूर्त शाम को 8 बजे था। इसलिए तैयारी बड़े जोरों पर था। सगाई का रश्म राजेंद्र जी के पुश्तैनी घर में था तो सभी तैयारी की देख रेख रावण, अपश्यु, रमन और बाकि के लोग कर रहे थें।

आज मौका भी था और दस्तूर भी था ऐसे में घर की महिलाओं को भला कौन रोक सकता था। पुष्पा मां और चाची को साथ लिए पहुंच गई रूप आभा और सौंदर्य को निखारने ब्यूटी पार्लर, जाने से पहले पुष्पा एक काम और कर गईं फोन पर कमला को भी पार्लर का नाम बता गई और जल्दी से आने को कह गईं। पुष्पा मां और चाची के साथ समय से पहुंच गई लेकिन कमला अभी तक नहीं पहुंची।

इसलिए पुष्पा भिन्नई सी यह से वह घूम रहीं थीं। पुष्पा को चल कदमी करते देख सुरभि बोली.. क्या हुआ पुष्पा तू ऐसे क्यों ब्यूटी पार्लर की फर्श नाप रही है नापना ही है तो फीता से नाप ले चुटकियों में होने वाला काम करने में खामखा पैरों को तकलीफ दे रही हैं।

ये कह सुरभि और सुकन्या हंस देती हैं। मां चाची को हंसते देख पुष्पा बोली... हसो हसो बत्तीसी फाड़ कर हसो मेरी तो कोई वेल्यू ही नहीं हैं। नई बहु अभी विदा होकर घर नहीं पहुंची उससे पहले ही मनमानी करने लगीं। घोर अपमान महारानी का घोर अपमान हुआ हैं आने दो उनको मेरी बात न माने की सजा मिलकर रहेगी।

सुरभि... ओ महारानी मेरी बहु को तूने सजा दिया तो देख लेना मैं किया करूंगी। तेरे दोनों कान उखेड़कर दरवाज़े पर टांग दूंगी और सभी से कहूंगी देखो देखो महारानी के कान कैसे दरवाज़े पर लटक रही हैं।

ये कह सुरभि फिर से हस दिया। लेकिन पुष्पा हसने के जगह मुंह भितकाते हुए बोली.. ouhaa आप मेरी कान उखेड़ों या मुझे दरवाजे पर टांग दो लेकिन भाभी ने लेट आने का जुर्म किया इससे लगता है भईया ने भाभी को बताया नहीं मैं हमारे घर की महारानी हूं और मेरी कहीं बात का निरादर करना मतलब घोर अपराध करना।

"मुझे आपके भईया ने बता दिया मेरी एक नटखट ननद रानी हैं जो खुद को महारानी घोषित करने पे तुली हैं और गलती करने पर सभी को सजा भी देती हैं।"

कहते हुए कमला मनोरमा के साथ अंदर आई और पुष्पा के पास जाकर कान पकड़ खड़ी हों गई। कमला को कान पकड़ते देख पुष्पा कमला के हाथ कान से हटाते हुए बोली…. आज अपकी पहली गलती थीं इसलिए अपको माफ़ कर रहीं हूं। आगे से ध्यान रखना ऐसा न हों पाए।

पुष्पा की बाते सुन सभी मुस्कुरा दिए मुस्कुराते हुए सुरभि धीरे से बोली.. नौटंकी बाज कहीं के।

खैर समय को ध्यान में रखते हुए सभी अपने अपने काम करवाने में झूट गई। पुष्पा ने ब्यूटीशियन को बता दिया भाभी को ऐसे तैयार करना उन्हे देखकर लगना चाहिएं राज परिवार की बहु है कहीं भी कोई कमी रह गई तो तुम्हारा ये पार्लर हमेशा हमेशा के लिए बंद हों जाएगा। ब्यूटीशियन को निर्देश मिल चुका था। वे सभी कमला को लेकर एक केबिन में घुस गए। उसके बाद एक एक करके सभी वह बने अलग अलग केबिन में चले गए।

ब्यूटीशियन ने न जाने अंदर घंटो तक क्या किया जब उनका काम खत्म हुआ। एक एक कर पुष्पा, सुरभि, सुकन्या और मनोरमा बहार आए उनका निखरा हुआ रूप ओर ज्यादा निकर गया था सुरभि पुष्पा के निखरे रूप को देख आंखो से काजल ले पुष्पा के कान के पीछे लगा दिया। मां के ऐसा करते ही पुष्पा भौंहे हिलाते हुए पूछी... चांद से मुखड़े पर ये काला टीका क्यों।

सुरभि के मुंह की बात छीनते हुए सुकन्या बोली…. वो इसलिए क्योंकि कला टीका चांद की खूबसूरती को और बढ़ा देती हैं।

पुष्पा... ओ ऐसा क्या

सुकन्या... दीदी अपने बहु तो बहुत ही खुबसूरत चुना हैं। रघु के साथ जोड़ी बहुत जमेगा मैं दुआ करूंगी दोनों को किसी की नज़र न लगें दोनों हमेशा हंसते खेलते रहे।

सुरभि…. तुम्हें पसन्द आया बस और किया चाहिएं। तुम्हारी दुआ रंग लाए इसे बडकर दोनों को और क्या चाहिएं।

देवरानी जेठानी कमला के चर्चा करने में मगन थे। तभी कमला बहार निकल कर आई पुष्पा की नजर पहले कमला की ओर गई देखते ही oupsss किया बाला लग रही.. एक आवाज निकला बस फिर किया था कमला सभी के आकर्षण का केंद्र बन गई। पार्लर में काम कर रही सभी लड़किया और सुरभि, सुकन्या, मनोरमा और पुष्पा कमला के खूबसूरती को एक टक निहारने लगी। कमला का रूप सौन्दर्य गौर वर्ण चांद की खूबसूरती को भी मात दे रही थीं। यकायक एक आहट के चलते सभी का तंद्रा टूटा तंद्रा टूटते ही सुकन्या चहल कदमी करते हुए कमला के पास पहुंची आंखो के किनारे से काजल लिया फिर कमला के कान के पीछे लगाते हुए बोली... बहु किसी दुपट्टे से खुद को छुपा लो नहीं तो किसी की नजर लग जाएगी।

कमला खिला सा मुस्कान देखकर नजरे झुका लिया फिर सुकन्या कमला का हाथ पकड़ ले जाते हुए बोली... दीदी जल्दी चलो यह से नहीं तो मेरी चांद से भी खूबसूरत बहु को किसी की नजर लग जाएगी।

सुकन्या का कहा सुनकर सुरभि के चहरे पर खिला सा मुस्कान आ गया। बहार जाते हुए पुष्पा बोली... मां आज तो भईया गए काम से मुझे तो लग रहा हैं आज भाभी को देख कर कही भईया की धड़कने ही न रुक जाएं।

यह ऐसे ही हंसी मजाक करते हुए सभी चल दिया पहले कमला और मनोरमा को उनके घर छोड़ा फिर अपने घर को चल दिए। इधर आशीष मां बाप भाई और भाभी के साथ पहुंच चुका था। आते ही अपनी मसूका को ढूंढने लगा, पुष्पा वहा होती तब न उसे मिलता। विचरा असहाय था किसी से पुछ भी नहीं सकता था। बस एक झलक पाने को यह से वहा ढूंढे जा रहा था। रघु की नजर आशीष पर पडा रघु आशीष के पास आया फिर बोला... आशीष किया हुआ कुछ चाहिएं था।

आशीष हकलाते हुए बोला...vooo ..vooo bhaiaaaa…

आशीष को हकलाते देख रघु समझ गया क्या पूछना चाहता हैं इसलिए मुस्कुराते हुए बोला... तुम जिसे ढूंढ रहे हो वो अभी घर पर नहीं हैं थोड़ा वेट करो कुछ देर में आ जाएगी।

ये बोल रघु आशीष को अपने साथ ले खुद की डेंटिन पेंटिंग करवाने चल दिया। बरहाल सभी तैयारी पूर्ण हों चुका था। सूरज ढलते ही कृत्रिम रोशनी ने अलग अलग कला किर्तिओ से राजेंद्र के महल को चका चौध कर दिया । कमला मां बाप के साथ पहुंच चुका था। लेकिन कमला को किसी की नजरों में आए बिना ही महल के अंदर ले जाया गया।

पुरोहित जी आ चुके थे। मूहर्त का समय भी हों चुका था। तब रमन के साथ रघु नीचे आया। Function में पहुंचे सभी लड़कियों के लिए रघु आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। रघु का निखरा हुआ गौर वर्ण आभा बिखरते हुए बता रहा था मैं राज परिवार का राजकुमार हूं। रघु को आते देख एक ओर से सुकन्या एक ओर से सुरभि दौड़ कर गई आंखो से काजल निकल रघु के दोनों कान के साइड लगा दिया। ये देख रावण मन ही मन गुस्सा हों रहा था। रावण गुस्सा होने के अलावा कुछ कर नहीं सकता था। राजेंद्र देख मन ही मन हर्षित हों रहा था वैसा ही हल मनोरमा और महेश का था आज वे रघु का एक अलग ही रूप देख रहे थे।

अपश्यु का मानो भाव कुछ और ही दर्शा रहा था वो रघु के पास गया और बोला... बडी मां दादा भाई को कुछ ओर टीका लगा दो नहीं तो यह की सभी लड़किया दादा भाई को नजर लगा देंगे।

सुकन्या मुस्कुराते हुए बोली…लगाने दे हमारी बहु को देख लेगी तो उनकी नजर अपने अपने उतर जायेगा।

इसके बाद सभी जाकर निर्धारित स्थान पर बैठ गए। कुछ क्षण बाद कमला पिंक कॉलर की बार्बी डॉल ड्रेस पहन निचे आने लगीं पिंक कॉलर थोड़ा डार्क था जो कमला पर खूब फब रही थीं। ड्रेस ने कमला की खूबसूरती को और निखर दिया। कमला के संग पुष्पा लाइट ऑरेंज रंग की साड़ी में थीं। ऑरेंज रंग पुष्पा की खूबसूरती में चार चांद लगा दिया।

दोनों को आते देख सभी की नजर उन पर टिक गया। एक aahannn की आवाज़ वह गुंजायमान हुआ। फिर सभी टकटकी लगाए कमला और पुष्पा को देखने लगे। अधिकतर लोगो की नजर कमला पर ही टिका था। आशीष वहीं खडा था न चाहते हुए भी कमला पर नजर पड़ गया फिर किया था निहारने लगा कमला की खूबसूरती को, आशीष कुछ पल तक कमला को निहारने के बाद नजरों को हटा सही जगह पुष्पा पर टिकाया। पुस्पा मुंह भितकाते हुए आशीष को थाप्पड़ दिखाया। ये देख आशीष इधर इधर नजरे फेर कान पकड़ सॉरी बोला इससे पुष्पा के चहरे पर खिला सा मुस्कान आ गया।

इधर रघु कमला के खूबसूरती को देखकर सूद बूद खो चुका था। दीन दुनिया क्या होता हैं भुल चुका था। बस कमला को ही देखे जा रहा था। कमला का हल भी ऐसा ही था। वो भी सूद बूद खोए सिर्फ रघु को ही देखे जा रहीं थीं। ये देख पुष्पा ने कमला का हाथ कस के पकड़ लिया और कमला को हिलाकर कर होश में लाया कमला होश मे आते ही शर्मा कर नजरे झुका लिया और धीरे धीरे चलकर आगे आने लगीं।

इधर रघु के पास रमन खडा था रमन ने रघु के हाथ को कस कर पकड़ लिया और झटका दे'कर रघु को होश में लाना चाह लेकिन रघु पर कोई फर्क ही नहीं पड़ा तब रघु ने एक चिकुटी काट दिया जिससे रघु uiii uiii कर हाथ झटकते हुए होश में आया फिर बोला…. किया करता हैं?

रमन... क्या कंरू तू भाभी को देखने में इतना खोया था कितना कुछ किया लेकिन तेरी तंद्रा टूट ही नहीं रहा था तब जाकर मुझे ऐसा करना पडा।

कमला आकर रघु के पास बैठ गई और पुष्पा जाकर आशीष के पास खडा हों गया फिर उसके हाथ में चिकूटी काटते हुए बोली…. मुझे देखना छोड़ तुम भाभी को देख रहे थे तुम्हें शर्म नहीं आया दूसरे के अमानत को ऐसे ताकते हुए।

आशीष कान पकड़ बोला... सॉरी अब माफ़ भी कर दो।

इधर अपश्यु कमला के खूबसूरती देखकर मन में बोला... बडा किस्मत वाला हैं श्रवन कुमार जो उसे ऐसा धांसू माल मिला हैं। मुझे ऐसा माल मिलता तो मजा आ जाता फिर खुद को गाली देते हुए बोला bc बो तेरा भाभी हैं भाभी मां सामान होती हैं और तू इनके बारे में ही ऐसा बोल रहा हैं।

मुंडी हिलाकर अपने दिमाग को सही ठिकाने पर लाया और जाकर रघु के पास खडा हों गया। कमला को देखकर गलत विचार मन में आते ही खुद को गाली देता और सर को झटक देता।

लेकिन भीड़ में दो लोग ऐसे थे। जो कमला की खूबसूरती को देख मलाल कर रहे थें इतनी खूबसूरत आइटम हाथ से निकल गया। वो थे कालू और बबलू दोनों कमला के खूबसूरती को देख कालू बोला…. यार देख कमला कितनी कांटाप माल लग रही हैं मन कर रहा हैं अभी जाकर उसे मसल दूं।

बबलू.. यार मन तो मेरा भी कर रहा हैं लेकिन क्या करु मजबूरी है देखने के अलावा कुछ कर नहीं सकते।

कालू... यार कुछ तो करना पड़ेगा नहीं तो ऐसा कांटप माल हमारे हाथ से निकल जायेगा बिना इसको चखे कैसे जानें दे सकते हैं।

बबलू.. देख कालू आज कुछ भी मात करना कितने लोग है सभी ने एक एक लात भी मरा तो हम मरघट में पहुंच जाएंगे।

कालू... चुप वे फट्टू इस फूल का रस चखने के बाद मर भी गए तो कोई हर्ज ही नहीं काम से काम तसल्ली तो रहेगा इस कांटप माल को चख पाया।

बबलू की नज़र कमला से हट पुष्पा पर गया उसे देख बोला... अबे कालू बो देख एक और कांटप माल इसको भी मसलने में बडा मजा आयेगा।

कालू... यार माल तो बडा मस्त हैं कमला न सही इसके साथ थोड़ा बहुत मजे कर लेंगे।

बबलू... यार उसके साथ वो लडका कौन हैं बडा चिपक रहा हैं साला हैं बडा किस्मत वाला।

कालू... यार सभी किस्मत वाले हैं बस हम दो ही बदकिस्मत वाले हैं चल न कुछ जुगाड करके किस्मत को बुलंदी पर पहुंचते हैं।

दोनों अपने अपने रोटियां सेंकने लग गए दोनों की नजर कमला से हट पुष्पा पर टिक गया। अब दोनों ताक में लग गए कब उन्हे पुष्पा अकेले मिले फिर मुनसूबे को अंजाम दे। इधर कोई और भी है जो बहर से अंदर की सभी गति विधि पर नजर बनाए हुए थे वो था संकट और उसका दल वो प्रतिक्षा में थे कब अपश्यु बहर निकले और उसे धर दबोचे लेकिन अपश्यु हैं की बाहर ही नहीं आ रहा था।

बरहाल मूहर्त का समय हों गया था। इसलिए पूरोहित जी के कहने पर रघु और कमला को स्टेज पर ले जाया गया। दोनों को एक साथ जाते देख कईयों के ahaaa निकल गया। कई तारीफो के कसीदे पढ़ने लगा।

दोनों के हाथ में अंगूठी दिया गया। पूरोहीत के कहने पर पहले कमला ने रघु के अनामिका उंगली (ring finger) में हीरा जड़ित अंगूठी पहना दिया। पहनाते ही पुरोहित जी कुछ मंत्र पड़ने लगे और माहौल hip hip hooray की हूटिंग और तालिया की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

रघु की बारी आया तब रमन ने रघु के कान में कुछ कहा रघु हां में सर हिला दिया फिर रघु थोड़ा आगे बडा और घुटनों पर बैठ गया ये देख कमला मुस्किरा दिया सिर्फ कमला ही नही स्टेज पर मौजूद सभी मुस्कुरा दिया। रघु को घुटने पर देख कमला भी घुटनों पर बैठ गई और हाथ आगे कर दिया रघु ने सावधानी से कमला के अनामिका ऊंगली (Ring Finger) में अंगूठी पहना दिया एक बार फिर पूरोहित ने मंत्र उच्चारण किया और माहौल hip hip hooray की हूटिंग और तालिओ की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

फिर शुरू हुआ फ़ोटो सेशन का दौर एक एक कर आते गए और फोटो खिंचवाते गए। यह फ़ोटो सेशन चल रहा था उधर सभी मेहमान भोजन करने में जुट गए। फ़ोटो सेशन के बाद सभी डीजे की और रुख किया। पहले रघु और कमला को डीजे पर चढ़ाया गया। उनके चढ़ते ही एक बार फिर हूटिंग और तालियो से गूंज उठा। दोनों को शर्म आने लगा साइड से सभी के बड़वा देने पर डीजे के धुन पर जो कमर हिलाया सभी मंत्र मुग्द हों गए। One's more one's more करते करते दोनों को एक के बाद एक कई गानों पर नचाया गया।

दोनों नाच रहे थें और कालू और बबलू मौका देख पुष्पा के पास पहुंच गया। और बहाने से पुष्पा को यह वहा छूने लगे। पुष्पा को गुस्सा आ रहा था लेकिन गुस्से को काबू में रख वह से हट गया। इन दोनों की करतूत अपश्यु ने देख लिया। अपश्यु पुष्पा के पास गया उसे पुछा... पुष्पा इन लड़कों ने तुम्हें जनबूझ कर छेड़ा एक बार बताओं मै अभी इनकी हड्डी पसली तोड़ दुंगा।

पुष्पा तो समझ गया था कालू और बबलू ने जो भी किया जन बुझ कर किया फिर भी छुपाते हुए बोला... नहीं भईया उन्होंने जान बुझ कर कुछ नहीं किया।

पुष्पा की बात अपश्यु को हजम नहीं हुआ वो थोड़ा दूर जाकर खडा हों गया और कालू और बबलू पर नजर रखने लगा।

रघु और कमला थक गए थे इसलिए डीजे पर से नीचे उतर आए। फिर डीजे पर बाकी बचे लोग भी चढ़ गए। डीजे पर ग्रुप में सभी नाच रहे थें। तो भीड़ में कालू और बबलू भी चढ़ गए। दोनों पर कमला की नजर पड़ गया तब कमला ने रघु का हाथ कस के पकड़ लिया। रघु के कमला की ओर देखते ही कमला ने रघु को एक ओर इशारा कर कालू और बबलू को दिखाया दोनों को देखते ही रघु का पारा चढ़ गया। लेकिन किसी तरह खुद को शान्त रखा। कालू और बबलू ताक में थे उन्हें कब मौका मिले और पुष्पा के पास पहुंच पाए।

नाचते नाचते उन्हें मौका मिला मौका मिलते ही दोनों अपने करस्तनी करने से बाज नहीं आए। इस बार दोनों हद से आगे बड़ गए और पुष्पा को गलत ढंग से चुने लगा। अपश्यु का नजर इन पर बना हुआ था। देखते ही अपश्यु अपश्यु डीजे फ्लोर पर चढ़ गया। दुसरी और रघु भी दोनों को देख रहा था तो दोनों की करस्तानी रघु को भी दिख गया। फिर किया था दोनों भाई ने एक एक का गिरेबान पकड़ा और खींचते हुए फ्लोर से नीचे ले गया।

दोनों ने अव देखा न ताव शुरू कर दिया धुलाई लीला बस ahaaa maaaa uhhhh maaa की आवाज माहौल को दहलाने लगा। अचानक मर पीट शुरू होते देख सभी अचंभित हो गया। कमला पुष्पा के पास गई और उसका हाथ पकड़ खड़ी हों गई। रघु मरते हुए बोला…. आज तुम दोनों ने अपनी जिन्दगी की सबसे बडी भुल कर दी। तुम दोनों की हिम्मत कैसे हुआ मेरे बहन को छेड़ने की इससे पहले भी तुमने मेरी कमला के साथ भी ऐसा ही किया था तब मुझे कमला को रोकना ही नही चाहिएं था उस दिन न रोकता तो आज ये नौबत ही नहीं आता।

पुष्पा को छेड़ने की बात सुन आशीष और रमन भी धुलाई लीला में सामिल हों गए। कालू और बबलू को धुलाई करते करते अपश्यु रुक गया और मन ही मन सोचने लगा... आज मेरे बहन के साथ इन दोनों ने छेड़छाड़ किया तो मुझे इतना बुरा लगा और मैं इन्हें पीटने लग गया मैं भी तो दूसरे के बहन के साथ इससे भी बुरा बरताव करता हूं उनके आबरू को लूटता हूं। मैं कितना बेगैरत हूं मेरे लिए मेरा बहन बहन हैं और दूसरे की बहन बेटी खिलौना नही नहीं इन दोनो को मारने का मुझे कोई हक नहीं हैं। माफ करना पुष्पा तेरा ये भाई अच्छा भाई नहीं हैं।आज इन दोनो ने मुझे आभास करा दिया मैं कितना गलत था।

ये सोच अपश्यु परे हट गया। कालू और बबलू दोनों वे सुध हों गए फिर भी कोई रूकने का नाम ही नहीं ले रहा था। सुरभि, राजेंद्र, रावण, सुकन्या, आशीष के मां बाप भाई तीनों को रोक रहे थें। तीनों रोके से भी नहीं रुक रहे थें। अंतः सुरभि ने खींच के एक चाटा रघु को मरा चाटा पड़ते ही रघु रुका फिर बोला... मां आप मुझे चाटा मारो या कुछ भी करो मैं इन दोनो को नहीं छोड़ने वाला इन दोनों के कारण ही मुझे आपकी और पुष्पा की नाराजगी झेलना पडा इन्ही दोनों को उस दिन कमला पीट रहीं थी आज इन दोनों की इतनी हिम्मत बड़ गया की इसने मेरी बहन के साथ भी वैसा ही हरकत करने लगा।

कह कर रघु फ़िर से पीटने लगा। इस बार कमला आगे आई और रघु को रोकते हुए बोला... आप रुक जाइए नहीं तो ये दोनों मर जाएंगे। आप मेरा कहना मन लीजिए ये दोनों मर गए तो आप को जेल हों जाएगा फिर मेरा किया होगा।

कमला के कहते ही रघु दो चार लात ओर मर परे हट गया। उसके बाद दोनों को जल्दी से हॉस्पिटल भेजा गया और पुलिस को सूचना दिया गया। पुलिस के आने पर उन्हें कालू और बबलू की करस्तानी बता दिया गया और ये भी बता दिया गया उन्हें कौन से हॉस्पिटल भेजा गया। पुलिस को यह भी बता दिया गया इससे पहले भी दोनों ने कमला के साथ भी छेड़खानी किया था। पुलिस ने कमला से कुछ पूछता किया। फिर कालू और बबलू के मां बाप को बुलाया गया। जो खाने के पंडाल में जी भार के खा रहें थे। उनके आने के बाद सुरभि... कैसे कुलंगर बेटे को जन्म दिया जिसके लिए लङकी सिर्फ और सिर्फ खेलने की चीज हैं ओर कुछ नहीं।

सुकन्या... आज आपके बेटे ने मेरी बेटी के साथ बदसलूकी किया बीते दिनों इन दोनों ने मेरी बहु के साथ बदसलूकी किया क्या अपने अपने बेटे को ये सब करना सिखाया।

मनोरमा…तुम दोनों मेरे सबसे अच्छे सहेलियां में से हों मैंने तुम्हें इससे पहले भी कई बार तुम दोनों को बताया था। तुम क्या कहती थी मेरी बेटी ही लटके झटके देकर तुम्हरे बेटो को लुभाती हैं। आज किसने लटके झटके दिए जो तुम दोनों के बेटों ने ऐसी गिरी हुई हरकत किया छी तुम जैसे मां ही अपने बेटों को बड़वा देता हैं।

मनोरमा का कहना खत्म ही हुआ था की चटक चटक चटक की ध्वनि वादी में गूंज उठा। चाटा मारने वाली सुकन्या और सुरभि थी दोनों कालू और बबलू के मां के गाल को लाल कर दिया। विचारी दोनों इतना अपमान सह नहीं पाई इसलिए घुटनों पर बैठ माफ़ी मांगने लगें। ये वृतांत देख अपश्यु मन में बोला... एक बेटे की घिनौनी हरकत से मां बाप को कितना जलील होना पड़ता हैं आज समझ आया। मैंने भी तो इससे भी घिनौनी हरकत किया है जब मेरे मां बाप को पता चलेगा तब उन्हें कितना जिल्लत महसूस होगा। मां मुझे माफ करना अपका बेटा भी बहुत बडा कुलंगार हैं जिसने न जानें कितने दाग आपके दमन पर लगा दिया।

अपश्यु खुद को कोस रहा था और उधर कालू और बबलू की मां ज़मीन पर नाक रगड़ते हुए माफ़ी मांगे जा रही थीं। राजेंद्र के कहने पर पुलिस वाले उन्हें लेकर चलें गए। पुलिस के जाते ही कुछ वक्त तक सभी बैठे चर्चा करते रहे फिर खाना पीना खाकर मनोरमा, महेश और कमला विदा लेकर चले गए। आशीष भी मां बाप भाई के साथ विदा लेकर चले गए। रघु और कमला के सगाई का रस्म शूरू तो अच्छे से हुआ था लेकिन अंत एक दुखद घटना से हुआ। आने वाले दिन मेंहदी का रस्म था। रात भी ज्यादा हों गया था। इसलिए सब विश्राम करने चले गए। महल में सभी सो गए लेकिन अपश्यु को आज की घटना ने एक सबक सीखा दिया। उसे अपने किए एक एक पाप याद आने लगा याद करते हुए खुद को ही कोसने लगा। अपश्यु के किए पापा घटनाओं ने उसके नींद को हराम कर दिया। अपश्यु देर रात तक विचार मगन रहा अंतः एक फैसला कर अपश्यु भोर के समय नींद की वादी में खो गया।

आज के लिया इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद


🙏🙏🙏🙏🙏🙏
बहुत ही बेहतरीन।

कहते हैं न कि इंसान कितना भी बड़ा कमीना हो लेकिन ज़िन्दगी में एक समय ऐसा भी आता है जब उसे एहसास होता है कि वो क्या है। उसने अभी तक क्या क्या किया है। कितने पाप किये हैं जो उसे नहीं करने चाहिए।। आज अपसू को ये एहसास हो गया अपनी बहन के साथ छेड़खानी करने वाले बबलू और कालू को पीटते हुए कि उसने कितना बड़ा पाप कर दिया है।। आज उसकी आंखें खुल गई।

संकट भी अपसू के पापों का शिकार है। अपसू के कारण ही कोई अपना संकट से हमेशा हमेशा के लिए दूर हो गया है। उसके ही नहीं गांव के और भी व्यक्ति हैं जिनकी बहन बेटियों की इज़्ज़त अपसू ने लूटी है। सभी आज कोलकाता में इकट्ठा हुए है अपसू को मारने के लिए, देखते हैं की वो अपने मकसद में कितना कामयाब होते हैं और अपसू ने कौन सा फैसला लिया है।।
 

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बहुत ही बेहतरीन अपडेट। अपश्यु को भी अपनी गलती का अहसास हो गया आज। सुकन्या और अपश्यु दोनो ही सुधार रहे है। अब देखते है की रावण और उस वकील का क्या हाल होता है।

Bahut bahut dhanyawad 🙏🙏

Suknaya aur apashyu sudhr gaya aur nek raste par chlna chahta hai rahi bat ravan aur dalal ki ye sudrega ya nehi sudrega ye to ane wale samy me pata chlega.
 

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बहुत ही बेहतरीन।

कहते हैं न कि इंसान कितना भी बड़ा कमीना हो लेकिन ज़िन्दगी में एक समय ऐसा भी आता है जब उसे एहसास होता है कि वो क्या है। उसने अभी तक क्या क्या किया है। कितने पाप किये हैं जो उसे नहीं करने चाहिए।। आज अपसू को ये एहसास हो गया अपनी बहन के साथ छेड़खानी करने वाले बबलू और कालू को पीटते हुए कि उसने कितना बड़ा पाप कर दिया है।। आज उसकी आंखें खुल गई।

संकट भी अपसू के पापों का शिकार है। अपसू के कारण ही कोई अपना संकट से हमेशा हमेशा के लिए दूर हो गया है। उसके ही नहीं गांव के और भी व्यक्ति हैं जिनकी बहन बेटियों की इज़्ज़त अपसू ने लूटी है। सभी आज कोलकाता में इकट्ठा हुए है अपसू को मारने के लिए, देखते हैं की वो अपने मकसद में कितना कामयाब होते हैं और अपसू ने कौन सा फैसला लिया है।।

बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏

अपश्यु को उसके गलती का आभास हो चुका है किया फैसला लेता हैं उसका पता अगले अपडेट में चलेगा साथ ही संकट कमियाब होता हैं या नहीं यह भी अगले अपडेट में चलेगा।
 
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रात आई और चली गई की तर्ज पर बीती रात घाटी घटना को भुलाकर सभी फिर से नए जोश और जुनून के साथ शादी के जश्न मानने की तैयारी में झूट गए। आज महेंदी का रश्म था। दोनों के हाथों को महेंदी के रंग से रंगा जाना हैं। ताकि महेंदी का रंग दोनों के दांपत्य जीवन को खुशियों से भर दे।

राजेंद्र के पुश्तैनी घर में सभी अपने अपने तैयारी में भगा दौड़ी करने में लगे हुए थें। इन सभी चका चौंध से दूर अपश्यु रूम में अकेला बैठा था। अपश्यु का अपराध बोध उस पर इतना हावी हों चुका था। चाह कर भी अपराध बोध से खुद को मुक्त नहीं करा पा रहा था। सिर्फ अपराध बोध ही नहीं अब तो उसे ये डर भी सता रहा था मां, बडी मां, बहन, भाई, पापा और बड़े पापा का सामना कैसे करे पाएगा। उसके नीच और गिरे हुए कुकर्मों की भनक उन्हें लग गया तो न जानें वो कैसा व्यवहार अपश्यु के साथ करेगें। अपश्यु का मन दो हिस्सों में बाटकर विभिन्न दिशाओं में भटकाकर अलग अलग तर्क दे रहा था। अपश्यु इन्हीं तर्को में उलझकर रह गया।

अपश्यु का एक मन...अरे हो गया गलती अब छोड़ इन बातों को आगे बढ़, दुनियां में बहुत से लोग हैं जो तूझसे भी गिरा हुआ नीच काम करते हैं। वो तो इतना नहीं सोचते। तू क्यों सोच के अथाह सागर में डूब रहा हैं।

दूसरा मन...इससे भी नीच काम ओर क्या हों सकता हैं तूने न जानें कितनो के बहु बेटियो को खिलौना समझकर उनके साथ खेला उनके आबरू को तार तार किया तू दुनिया का सबसे नीच इंसान हैं। तूने दुनिया का सबसे नीच काम किया हैं जारा सोच गहराई से तूने क्या किया हैं।

पहला मन...तूने कोई नीच काम नहीं किया ये तो तेरा स्वभाव हैं। तूने स्वभाव अनुसार ही व्यवहार किया था। इसमें इतना अपराध बोध क्यों करना, तू जैसा हैं बिल्कुल ठीक हैं। तू ऐसे ही रहना। थोड़ा सा भी परिवर्तन खुद में न लाना।

दुसरा मन...तू अपराधी हैं। तुझे अपराध बोध होना ही चाहिए। तूने देखा न कैसे कालू और बबलू के मां बाप नाक रगड़ रगड़ कर माफ़ी मांग रहे थें तू सोच तेरे मां पर किया बीतेगा जब उन्हें पता चलेगा तूने कितना गिरा हुआ हरकत किया था। सोच जब तेरी बहन ये जन पाएगी उसका भाई दूसरे के बहनों के इज्जत को तार तार करने का घिनौना काम किया हैं तब तू किया करेगा , तेरी बडी मां जो तुझे अपने सगे बेटे की तरह प्यार दिया जब उन्हें पाता चलेगा तूने उनके दमन में न जानें कितने दाग लगाया तब तू किया करेगा? सोच जब तेरा दोस्त जैसा भाई जो तेरे एक बार बोलने से तेरा मन चाह काम करता था तेरा किया सभी दोष अपने सिर लेकर डांट सुनता था। उसे पता चलेगा तब किया करेगा। अभी समय हैं जा उन सभी से माफी मांग ले उन्होंने अगर माफ कर दिया तो समझ लेना ऊपर वाले ने भी तुझे माफ कर दिया।

पहला मन…नहीं तू ऐसा बिल्कुल भी मत करना नहीं तो वो माफ करने के जगह तुझे धूतकर देंगे। उनके नज़र में तू एक अच्छा लडका हैं सच बोलते ही तू उनके नजरों में गिर जायेगा। तू दुनिया के नज़र में चाहें जितना भी गिरा हुआ हों उनके नजरों में तू एक अच्छा लडका हैं। इसलिए तेरा चुप रहना ही बेहतर हैं।

दुसरा मन…सोच जारा जब तेरे मां, बाप, बडी मां, बड़े पापा, भाई , बहन दूसरे से जान पाएंगे उनका बेटा भाई कितना गिरा हुआ हैं। तब उन्हें कितना कष्ट पहुंचेगा हों सकता है उन्हें तेरे कारण दूसरे के सामने नाक भी रगड़ना पड़े तब तू किया करेगा उनका अपमान सह पाएगा कल ही कि बात सोच जब उन लड़कों ने तेरे बहन को छेड़ा फिर उनके मां बाप को कितना जलील होना पडा, इतना जलील होते हुए तू अपने मां बाप को देख पाएगा। अगर देख सकता हैं तो ठीक हैं तू चल उस रास्ते पर जिस पर चलने का तेरा दिल चाहें। लेकिन एक बात ध्यान रखना आज मौका मिला हैं सुधार जा नहीं तो हों सकता हैं आगे सुधरने का मौका ही न मिले।

अपश्यु के बांटे हुए दोनों मनो के बिच जंग चल रहा था। तर्क वितर्क का एक लंबा दौर चला फिर अपश्यु का दुसरा मन पहले मन पर हावी हों गया। दूसरे मन की बात मानकर अपश्यु खुद से बोला... मैं सभी को सच बता दुंगा लेकिन आज नहीं आज अगर मैने उन्हे सच बता दिया ददाभाई के शादी के ख़ुशी का रंग जो चढ़ा हुआ है वो फीका पड़ जायेगा मैं शादी के बाद अपना करतूत उन्हे बता दुंगा और उनसे माफ़ी मांग लूंगा। माफ किया तो ठीक नहीं तो कहीं दूर चला जाऊंगा।

अपश्यु खुद में ही विचाराधीन था और उधर अपश्यु को न देख सभी उसे ढूंढ रहे थें। लेकिन उन्हें अपश्यु कहीं मिल ही नहीं रहा था। रघु अपश्यु को ढूंढते हुए सुरभि के पास पहुंचा और बोला...मां अपने अपश्यु को कही देखा हैं न जाने कहा गया कब से ढूंढ रहा हूं।

सुरभि…मैं भी उसे नहीं देखा कुछ जरूरी काम था जो उसे ढूंढ रहा हैं।

रघु…मां जरुरी काम तो कुछ नहीं सभी को देख रहा हूं बस अपश्यु सुबह से अभी तक नहीं दिखा इसलिए पुछ रहा हूं

सुरभि…ठीक है मैं देखती हूं।

सुरभि पूछताछ करते हुए। सुकन्या के पास पहुंचा सुकन्या उस वक्त कुछ महिलाओं के साथ बैठी बातों में मशगूल थीं।

सुरभि...छोटी अपश्यु कहा है उसका कुछ खबर हैं रघु कब से उसे ढूंढ रहा हैं।

सुकन्या... दीदी अपश्यु अपने रूम में हैं न जानें कितना सोता हैं कितनी बार आवाज दिया कोई जवाब नहीं दिया आप जाकर देखो न हों सकता है आप'की बात मान ले।

सुरभि... ठीक हैं मै देखती हूं।

सुरभि सीधा चल दिया अपश्यु के रुम की तरफ रूम पर पहुंचकर देखा दरवाजा बन्द हैं। हल्का सा मुस्कुराकर दरवाज़ा पीटने लग गई। लेकिन दरवाज़ा नहीं खुला फिर दरवाज़ा दुबारा पीटते हुए बोली…अपश्यु दरवाज़ा खोल, जल्दी खोल बेटा तुझे रघु बुला रहा हैं।

अपश्यु अभी अभी विचारों के जंगल से बाहर निकला था। बडी मां की आवाज़ सुनकर आंखे मलते हुए दरवाज़ा खोल दिया। दरवाज़ा खुलते ही सुरभि बोली…ये kuyaaa…।

सुरभि पूरा बोल ही नहीं पाई अपश्यु की लाल आंखे देखकर रूक गई फिर अपश्यु बोला…. हा बडी मां बोलों कुछ काम था।

सुरभि... बेटा माना की देर रात तक जागे हों फिर भी इतने देर तक सोना अच्छा नहीं हैं। घर में शादी हैं आए हुए महमानो का अवभागत करना भी जरुरी हैं।

अपश्यु जग तो बहुत पहले गया था। कल घटी घटना के करण खुद में उलझा हुआ था पर ये बात न बताकर अपश्यु बहाना बना दिया।

अपश्यु... बडी मां देर रात तक जगा था तो आंख ही नहीं खुला अब किया करता।

सुरभि…अब जाओ जल्दी से तैयार होकर नीचे आजा रघु तुझे ढूंढ रहा हैं।

अपश्यु…दादा भाई ढूंढ रहे हैं चलो पहले उनसे ही मिल लेता हूं।

इतना कहकर अपश्यु बाहर को जानें लगा तभी सुरभि रोकते हुए बोली...जा पहले नहा धोकर अच्छा बच्चा बनकर आ भूत लग रहा हैं कहीं किसी मेहमान ने देख लिया तो भूत भूत चिलाते हुए भाग न जाए।

सुरभि की बाते सुनकर अपश्यु मुस्करा दिया। सुरभि अपश्यु के बिखरे बालो पर हाथ फेरकर बाहर चली गई। बड़ी मां के जाते ही अपश्यु बाथरूम में घुस गया। कुछ क्षण में बाथरूम से निकलकर टिप टॉप तैयार होकर नीचे आ गया। पहले रघु से मिला फ़िर इधर उधर के कामों को करने में लग गया।

ऐसे ही पल पल गिनते गिनते शाम हों गया। शाम को मेंहदी रस्म के चलते महिलाओं का तांता लगा गया। एक ओर महिलाएं अपने नाच गाने में लगे रहे। एक ओर मेंहदी रचाने वाले अपने अपने काम में लग गए। कोई रघु के हाथ में मेहंदी लगा रहें थे तो कोई सुकन्या, सुरभि पुष्पा के हाथों में मेंहदी लगाने में लग गए। अपश्यु और रमन दोनों एक साईड में खड़े देख रहे थें। दोनों को देखकर सुरभि बोली…अपश्यु रमन तुम दोनों मेहंदी नहीं लगवा रहें हों। तुम दोनों भी लगवा लो भाई और दोस्त की शादी हैं तुम दोनों को तो खुद से आगे आकर लगवाना चाइए था।

रमन... रानी मां शादी रघु की है हम क्यों मेहंदी लगवाए वैसे भी मेंहदी हम लड़कों के लिए नहीं लड़कियों और औरतों के लिए हैं ।

अपश्यु…. हां बडी मां मुझे नहीं लगवाना मेंहदी, मेंहदी लड़कों के हाथ में नहीं लड़कियों के हाथ में शोभा देती हैं ।

सुरभि…मेंहदी सिर्फ श्रृंगार के लिए नहीं लगाया जाता हैं। कहा जाता हैं मेंहदी का रंग जीवन में खुशियों का रंग भर देता हैं। इसलिए शादी जैसे मौके पर सभी मेंहदी लगवा सकता हैं। तुम दोनों भी लगवा लो जिससे जल्दी ही तुम्हारे जीवन में भी रंग भरने वाली कोई आ जाए।

इतना कहकर सुरभि हंस देती हैं। पुष्पा आंखे दिखाते हुए बोली...चलो आप दोनों भी मेंहदी लगवा लो नहीं तो सोच लो मेरा कहना न मानने पर आप दोनों का किया होगा।

दोनों मन ही मन बोले इतने लोगों के बीच कान पकड़ने से अच्छा मेंहदी लगवाना लेना ही ठीक रहेगा। इसलिए दोनों चुप चाप मेंहदी लगवाने बैठ गए।

उधर महेश के घर पर भी मेंहदी का रश्म शुरू हों गया। कमला को बीच में बिठाकर चारों और से कुछ महिलाएं घेरे हुए नाच गाना करने में लगी रहीं। मेंहदी रचाने वाली लड़कियां कोई कमला के हाथों और पांव में मेंहदी लगने लग गए। कमला के साथ उसकी दोनों सहेलियां बैठी बातों में मशगूल थीं

चंचल...कमला मेहंदी तो तूने पहले भी कई बार रचाया हैं आज सैयां के नाम की मेहंदी रचते हुए कैसा लग रहा हैं ।

शालू…मन में लड्डू फुट रहा होगा। बता न कमला किसी के नाम की मेहंदी जब हाथ में रचती हैं तब कैसा लगता हैं।

कमला... मैं क्यों बताऊं जब तुम दोनों के हाथ में किसी के नाम की मेहंदी रची जाएगी तब खुद ही जान जाओगे अब तुम दोनों चुप चाप मेहंदी लगवाने दो।

चंचल….मेहंदी कौन सा तेरे मुंह पर लग रही हैं जो तू हमसे बात नहीं कर सकती।

शालू...अरे शालू तू नहीं समझ रहीं हैं हमारी सखी अब हमारी नहीं रहीं सजन की हों चुकी हैं। वो भला हमसे बात क्यों करेंगी।

कमला…तुम दोनों को चुप करना हैं कि नहीं या पीट कर ही मानोगे।

चंचल...कमला तू बहुत याद आयेगी रे शादी के बाद तू हमें भुल तो नहीं जाएगी बोल न।

कमला…नही रे मैं तुम दोनों को कैसे भुल सकती हूं तुम दोनों तो मेरे सबसे प्यारी….।

कमला अधूरा बोलकर रूक गई और आंखो से नीर बहा दिया। आंखे नम शालू और चंचल की भी हों गईं। आखिर इतनों वर्षो का साथ जो छुटने वाला था। दोनों ने बहते आंसू को पोंछकर कमला के आंसू भी पोछ दिया फिर चंचल बोली...तू भूलना भी चाहेगी तो हम तुझे बोलने नहीं देंगे।

शालू...और नहीं तो क्या हम तुझे पल पल याद दिलाते रहेंगे।

इन तीनों की हसी ठिठौली फिर शुरू हों गई । लेकिन मनोरमा बेटी को मेहंदी लगते देखकर खुद को ओर न रोक पाई इसलिए एक कोने में जाकर अंचल में मुंह छुपाए रोने लग गई। महेश के नजरों से मनोरमा खुद को न छुप पाई। मनोरमा को कोने में मुंह छुपाए रोते देखकर महेश पास गया फिर बोला…मनोरमा इस ख़ुशी के मौके पर यूं आंसू बहाकर गम में न बदलो देखो हमारी बेटी कितनी खुश दिख रही हैं।

मनोरमा...कैसे न रोऊं जिन हाथों से लालन पालन कर बेटी को बडा किया एक दिन बाद उसी हाथ से बेटी को विदा करना हैं। ये सोचकर किस मां के आंख न छलके आप ही बताओं।

मनोरमा की बात सुनकर महेश के भी आंखे नम हों गया। दोनों एक दुसरे को समझाने में लग गए। कमला की नज़रे मां बाप को ढूंढ रही थीं। कमला के हाथों और पैरों में मेहंदी रचा जा चुका था। मां को दिखाकर पूछना चाहती थी मेहंदी कैसी रची हैं। ढूंढते हुए उसे मां बाप एक कोने में खड़ा दिखा। कमला उठकर उनके पास गई। फिर बोली...मां देखो तो मेरे हाथ में रची मेहंदी कैसी दिख रही हैं।

मनोरमा एक नज़र कमला के हाथ को देखा फिर कमला से लिपटकर रोने लग गई। कमला भी खुद को ओर न रोक पाई, फुट फुट कर रो दिया। दोनों कुछ क्षण तक रोते रहे फिर महेश के कहने पर दोनों अलग हुए। कमला मां को साथ लेकर गई फिर खुद पसंद करके मां के हाथों में मेहंदी रचवाया।

कुछ देर तक और मेहंदी रचने का काम चलता रहा। महिलाओं का नाच गाना भी संग संग चलता रहा। नाच गा कर जब सभी थक गए तब मेहंदी रस्म को विराम दे दिया गया।


अगले दिन शादी था तो जहा लङकी वाले बारातियों के स्वागत सत्कार की तैयारी में जुट गए वही लडके वाले बारात ले जानें की तैयारी में जुट गए। उधर संकट इस बात से परेशान था। उसे अभी तक मौका नहीं मिला था। दल बल के साथ खड़े होकर इसी पर विचार कर रहा था।

संकट...यार क्या करूं समझ ही नहीं आ रहा। कोई मौका भी नहीं बन रहा अभी अपश्यु का कुछ नहीं किया तो न जानें फ़िर कब मौका मिलेगा।

विंकट...अरे उस्ताद कोई न कोई मौका बन ही जायेगा मुझे लगता है शादी के एक दो दिन बाद ही मौका मिल जायेगा।

"अरे शादी के बाद नहीं हमे आज ही कुछ करना होगा इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा।"

"हा मौका तो अच्छा हैं लेकिन अपश्यु अकेले मिलना भी तो चाहिए ऊपर से ये ठुल्ले मामू लोगों ने अलग ही जमघट लगा रखा हैं।"

"अरे यार बड़े घर की शादी है तो पुलिस तो आयेंगे ही। यार संकट तू कुछ बता हमारा दिमाग तो काम ही नहीं कर रहा हैं।"

संकट सोच की मुद्रा में आ गया। आगे कैसे क्या किया जाए बिना पुलिस के नज़र में आए। संकट सोचने में गुम था तभी विंकट बोला... मेरे दिमाग में एक योजना है कहो तो सुनाऊं।

सभी विंकट का मुंह ताकने लग गए कुछ क्षण तक ताका झाकी करने के बाद संकट बोला…सुनता क्यों नही अब सुनने के लिए भी मूहर्त निकलबाएगा।

विंकट...उस्ताद क्यों न आप बरती बनकर बारात में सामिल हों जाओ फिर रात में सभी शादी में मगन होंगे तब कोई जाकर बहाने से अपश्यु को बुलाकर ले आना फिर किसी सुनसान जगह ले जा'कर अपना अपना भड़ास निकाल लेना।

संकट…हां ये ठीक रहेगा हम सभी बारात में बाराती बनकर चलते हैं। लडकी वालो के वहा पहुचकर कोई सुनसान जगह देखकर अपश्यु को बुलाकर लायेंगे फिर जमकर धोएंगे।

सभी संकट के बात से सहमत हों गए फिर सभी बारात में जानें की तैयारी करने चल दिए। इधर राजेंद्र के पुश्तैनी घर पर भी बरात लेकर जानें की तैयारी शुरू हों गया। सभी मेहमान भी आ चुके थे सहनाई की मधुर धुन बज रहा था। एक कमरे में रघु को तैयार किया जा रहा था। रघु को कुछ क्षण में तैयार कर दिया गया। रघु के ललाट से गाल तक चंदन के छोटे छोटे टिके लगाया गया था। पहनावे में धोती कुर्ता सिर पर सफेद शंकुआकार का टूपूर था (बंगाली समझ का ये एक पारंपरिक लिबाज है जो शादी के वक्त दूल्हे को पहनाया जाता है।)

दूल्हा रघु तैयार था तो कुछ रस्में थी जो निभाया जाना था उसे निभाने के लिए सुरभि सुकन्या रघु के कमरे में गई। रघु को सजा धजा देखकर सुकन्या रघु के पास गई फ़िर उसके कान के पास एक टीका लगा दिया। उसके बाद जो रस्में थी उसे निभाया गया। रश्म पूरा होते ही रघु को बहार लाया गया। कुछ वक्त नाच गाना हुआ। नाच गाना चलाता रहेगा किंतु बरात को समय से दूल्हा का पहुंचना जरुरी था इसलिए बरात प्रस्थान कर दिया गया। सभी बराती रघु के पीछे हों लिए भीड़ में संकट गैंग के साथ सामिल हों गया।

नाचते गाते सभी आ पहुंचे महेश के घर महेश के घर की रौनक ही अलग था। बेहतर तरीके से सजावट किया गया था। तरह तरह की लाइटों से पुरा घर चमक रहा था। गेट पर रघु को रोका गया जहां मनोरमा आकर रघु का टीका कर अन्दर आने की अनुमति दे गई। रघु की कोई साली नहीं था तो कमला की दोनों सहेली ने गेट पर ही साली होने का दायित्व निभाया शालू ने रघु का एक पैर धुलवाया फिर बोली…जीजा जी अब नग दीजिए तब दूसरा पैर धुलेगा।

रमन और अपश्यु, रघु के अगल बगल खड़े थे। अपश्यु शालू और चंचल के साथ तर्क वितर्क में उलझा रहा लेकिन रमन का उससे कोई मतलब नहीं था, सजी साबरी शालू अदभुत सुंदरी लग रही थीं। रमन बस शालू को देखने में खोया रहा। मन ही मन अलग ही सपने बुनता रहा। चंचल ने एक नज़र रमन को देखा फिर शालू के कान में कहा...शालू देख तूझे कैसे देख रहा हैं। लगता है तुझ पर फिदा हों गया।

शालू रमन की ओर देखा फिर नजरे झुका लिया। इनके क्रिया कलाप पर अपश्यु की नज़र पड़ गया। रमन को खोया देखकर रमन को हिलाया फिर बोला... किया देख रहे हों रमन भईया कोई खजाना दिख गया।

अपश्यु के बोलते ही रमन भूतल पर आया, नज़रे चुराने की तर्ज पर इधर उधर देखने लग गया। ये देख अपश्यू शालू और चंचल मुस्कुरा दिए। कुछ क्षण तक दोनों पक्षों में लेन देन को लेकर वाद विवाद चलता रहा। रमन वाद विवाद करने के दौरान बीच बीच में शालू की और देखकर ही बात करता रहा। जब दोनों की नज़रे आपस में टकरा जाती तो तुरत ही नजरे हटाकर इधर उधर देखने लग जाते। दोनों को पहली नज़र के चुंबकीय शक्ति ने आकर्षित कर लिया दोनों एक दूसरे को देख रहे थें लेकिन एक दूसरे से नज़रे बचाकर। बरहाल लेने देन का मशला सुलझा फिर रघु के दूसरे पैर को धुलवाया गया। मुंह मीठा करने के बाद रघु को अन्दर ले जाया गया।

संकट और उसके गैंग ने आते ही अपना काम शुरू कर दिया। उन्हे एक खाली जगह चाहिए था तो उसे ही ढूंढने लग गए। वो भी मिल गया लेकिन खाली जगह महेश के घर से थोड़ा दूर था। वहा तक अपश्यु को लाने के लिए सभी एक योजना बनाकर अन्दर आ गए। मौका मिलते ही किसी बहाने से अपश्यु को बुलाकर बहार ले जाएंगे। लेकिन उन्हें एक डर ये भी लग रहा था महेश के घर में पुलिस की संख्या ज्यादा था कहीं वो पुलिस के नज़र में न आ जाएं।

इधर मंडप में आने के बाद रघु को एक सोफे पर बैठा दिया गया रघु के अगल बगल रमन अपश्यु और पुष्पा बैठ गए। रमन इधर उधर नज़रे घुमा किसी को ढूंढने लगा, अनगिनत चेहरे दिख रहा हैं पर जिस चेहरे की उसे तलाश हैं वो नहीं दिख रहा। यूं इधर उधर रमन का मुंडी हिलाना पुष्पा को दिख गया तो पुष्पा बोली... रमन भईया इधर उधर किया देख रहे हों कुछ चाहिए था।

रमन झेपकर बोला... नही नही कुछ नहीं चाहिए।

अपश्यु…मैं जनता हूं रमन भईया को किया चाहिए बता दूं रमन भईया।

रमन...नहीं अपश्यु! कुछ न बताना, बता दिया तो देख लेना अच्छा नहीं होगा।

पुष्पा...umhuuu किया छुपा रहे हों। जल्दी बताओं।

रघु... हा रमन बता न बात किया बात हैं।

रमन टाला मटोली करने में लगा रहा। इतना पुछने पर भी जब रमन नहीं बताया तो अपश्यु ने रघु के कान में कुछ बोला, सुनकर रघु मुस्कुराया फ़िर बोला...क्या यार इतनी सी बात बोलने में शर्मा रहा हैं रूक अभी मैं किसी को बुलाता हूं।

रघु ने आस पास घूम रहे वेटर में से एक को बुलाया फिर रमन को दिखाते हुए बोला…इसे फ्रेश होने जाना हैं। क्या आप इसको ले'कर जा सकते हों।

रमन…मैंने कब कहा मुझे बाथरूम जाना हैं।

अपश्यु मुंह पर हाथ रखकर हंसते हुए वेटर को जानें को कहा फिर एक बार रघु के कान में कुछ कहा तब रघु बोला... क्यों रे रमन मेरी शादी करवाने आया या अपनी वाली ढूंढने आया बता।

रमन…अपश्यु तूझे माना कर था न फ़िर क्यों बताया।

रमन अपश्यु और रघु हल्की हल्की आवाज में बात कर रहे थें। तो पुष्पा को न कुछ सुनाई दे रहा था न ही कुछ समझ आ रहा था इसलिए पुष्पा बोली...आप तीनों में क्या खिचड़ी पक रहा हैं मुझे बातों नहीं तो सोच लो खिचड़ी खाने लायक नहीं रहेगा।

अपश्यु...पुष्पा मैं बताता हूं फिर अपश्यु ने शालू और रमन के बीच के नैन मटका वाला किस्सा सुना दिया। सुनकर पुष्पा बोली... तो ये बात हैं। वैसे रमन भईया आप'को लड़की पसन्द है तो इस मामले में भाभी ही कुछ मदद कर सकती हैं आप'को उनसे ही मदद मांगना चाहिए।

इसके बाद तो तीनों मिलकर रमन को छेड़ने लग गए। कुछ वक्त तक इनका रमन को छेड़ना चलता रहा। पुरोहित जी आए आते ही मंडप में सभी तैयारी कर लिया फिर उन्होंने रघु को मंडप में आने को कहा। रघु हाथ मुंह धोकर मंडप में बैठ गया। कुछ देर बाद पुरोहित ने कहा कन्या को बुलाया जाए। कुछ क्षण में कमला घूंघट उड़े दुल्हन के लिवास में शालू और चंचल के साथ सीढ़ी से धीरे धीर चलकर आने लगीं। दुल्हन के लिवास में कमला को देखकर कमला के चेहरे को देखने के लिए रघु तरसने लगा बस जतन कर रहा था किसी तरह कमला का चेहरा दिख जाएं पर ऐसा कुछ हुआ ही नहीं क्योंकि कमला का चेहरा अच्छे से ढका हुआ था। अब तो चेहरे पर लगा पर्दा शूभोदृष्टि की रश्म करते वक्त ही दिखाई देगा।

रमन एक टक शालू को देखने में लगा रहा आस पास किया हों रहा हैं। कौन क्या कह रहा हैं उससे कुछ लेना देना नहीं था। किसी से कुछ वास्ता हैं तो सिर्फ और सिर्फ शालू है। बीच बीच में शालू भी रमन की और देख लिया करती, जैसे ही दोनों की नज़रे आपस में मिल जाता। शालू नज़रे झुकाकर मंद मंद मुस्कुरा देती। रमन और शालू का नैन मटका करना पुष्पा के नज़र में आ गया। तो रमन को कोहनी मरकर धीरे से कान में बोली... भईया क्या कर रहे हों थोड़ा कम देखो नहीं तो लड़की आप'को छिछोरा समझ बैठेगी।

रमन झेपकर नज़रे नीचे कर लिया। दुल्हन कमला मण्डप में पहूंच गई कमला के मंडप में बैठते ही शादी की विधि शुरू हों गया। राजेंद्र ये देख खुशी के आंसु बहने लग गया। कितनी कोशिशों के बाद आज उसे ये दिन देखना नसीब हो रहा था। रावण मन ही मन खुद को गाली दिया। इतना यतन करने के बाद भी जो नहीं चाहता था वो आज उसके आंखो के सामने हों रहा था।

खैर कुछ क्षण बाद पूतोहित जी के कहने पर महेश मंडप में पधारे रघु और कमला का गठबन्धन कर कमला का हाथ रघु को सौफकर कन्या दान का रश्म भीगे नैनों से पूर्ण किया। रश्म के दौरान कमला के नैन अविरल बह चली मानो कमला के नैनों ने बहुत समय से बंधकर रखी हुई समुंदर के बांध को हमेशा हमेशा के लिए खोल दिया हों।

कन्या दान के रश्म के बाद उसे बाप का घर छोड़कर एक नए घर में जाकर वहा के रीति रिवाज के अनुसार चलना हैं। जितनी आजादी बाप के घर में मिला करती थीं शायद ससुराल में वो आजादी छीन ली जाए और चार दिवारी में कैद कर लिया जाएं। जिस तरह ससुराल पक्ष चाहेगा वैसे ही कमला को आचरण करना हैं। एक नया रिश्ता निभाना हैं। मां बाप के साथ साथ सास ससुर के मान इज्जत का ख्याल रखना हैं। नए सिरे से सभी के साथ अपनेपन का रिश्ता जोड़ना हैं। एक नवजात शिशु की तरह एक बार फ़िर से जीवन यात्रा शुरू करना हैं। इस यात्रा में उसका साथी मां बाप नहीं बल्कि पति, सास, ससुर उनका परिवार होगा।
इधर कन्या दान का रश्म चल रहा था उधर संकट के भेजे एक आदमी ने आकर अपश्यु से कहा...साहब आप'को कोई बहार बुला रहा हैं।

अपश्यु... कौन है? मैं तो यह के किसी को नहीं जनता।

"साहब वो तो मैं नहीं जनता लेकिन वो कह रहें थें आप उनके घनिष्ट मित्र हैं।"

घनिष्ट मित्र की बात सुनकर अपश्यु उठाकर उसके साथ चल दिया। अपश्यु को लगा शायद दार्जलिंग से उसका कोई दोस्त आया होगा।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए अभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏
 
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Destiny

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Superb update

Jabardastt Updateee

Apasyu chaahe jaisa bhi hai par apne parivaar se bahot pyaar karta hai. Chahe woh uski maa ho badi maa ho yaa behen ho.

Ek pal ke uski nazar Kamla pe kharab hui par baad mein usse apni galti ka bhi aihsaas huaa.

Aur last mein sabse achha yeh hua ke Kaalu aur Bablu ki wajah se Apasyu ko uski ki hui har galti ka aabash hogyaa. Woh samaj gaya hai ke usne jo bhi aaj tak kiya hai woh ek gunaah tha aisa gunaah jiske wajah se uske maa baap ko kitni jillat sehni padhegi.

Ab shayad Apasyu sudhar jaaye. Par yeh bahot late hogya hai. Kyoki Sankat aur Vinkat toh usko adhmaara karne ke liye kolkata aagaye hai.

बाबू मोसाय इ कि गोडबोड करी तुमि हा

बंगाली प्रदेशात मध्ये मराठी संवाद :?:


बबलू और कालू :slap:
दो चमन चुतिये जिन्होने अन्त तक मार ही खाई है

हर अपडेट मे एक नये सबक के साथ रावण की हार होते जा रही है, फिर भी उनकी कूटनीति मे कोई फर्क नही नजर आया ।


बहुत ही सुन्दर और मनोरंजन प्रस्तुति
:applause:

lovely update ..sankat aur vikat apne saathiyo ke saath badla lene kolkata pahuch gaye par unko abhi bhi mauka nahi mila apasyu ko sabak sikhane ka .

ravan ki hawa tight ho gayi ye sunke ki rajendra aur mahesh ne police ko bata diya hai sab kuch .aur usne apne aadmiyo ko aage kuch na karne ko keh diya .

ye kalu aur bablu kuch jyada hi dimaag laga diye aur pushpa ko chhed diya aur yahi nahi ruke kamla ko bhi chhed diya jiska khamiyaja dono ko bhugatna pada 🤣🤣.. raghu ,apasyu ke saath raman aur ashish ne bhi achche se dho dala dono ko .

aaj ye sab hote dekh apasyu ke mann me glani ke bhaw aa gaye ,jaise wo apni behan ke liye dusro ki pitai kar raha tha ,,,kalu aur bablu ke maa ko maafi maangte dekha . aaj usko pata chala ki wo kitna galat kar raha tha .

बहुत ही बेहतरीन अपडेट। अपश्यु को भी अपनी गलती का अहसास हो गया आज। सुकन्या और अपश्यु दोनो ही सुधार रहे है। अब देखते है की रावण और उस वकील का क्या हाल होता है।

बहुत ही बेहतरीन।

कहते हैं न कि इंसान कितना भी बड़ा कमीना हो लेकिन ज़िन्दगी में एक समय ऐसा भी आता है जब उसे एहसास होता है कि वो क्या है। उसने अभी तक क्या क्या किया है। कितने पाप किये हैं जो उसे नहीं करने चाहिए।। आज अपसू को ये एहसास हो गया अपनी बहन के साथ छेड़खानी करने वाले बबलू और कालू को पीटते हुए कि उसने कितना बड़ा पाप कर दिया है।। आज उसकी आंखें खुल गई।

संकट भी अपसू के पापों का शिकार है। अपसू के कारण ही कोई अपना संकट से हमेशा हमेशा के लिए दूर हो गया है। उसके ही नहीं गांव के और भी व्यक्ति हैं जिनकी बहन बेटियों की इज़्ज़त अपसू ने लूटी है। सभी आज कोलकाता में इकट्ठा हुए है अपसू को मारने के लिए, देखते हैं की वो अपने मकसद में कितना कामयाब होते हैं और अपसू ने कौन सा फैसला लिया है।।

waiting for the next update....

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रात आई और चली गई की तर्ज पर बीती रात घाटी घटना को भुला कर सभी फिर से नए जोश और जुनून के साथ रघु के शादी के जश्न मानने की तैयारी में झूट गए। आज महेंदी का रश्म था। दोनों के हाथ आज महेंदी के रंग से रंगा जाना था। ताकि महेंदी का रंग दोनों के दांपत्य जीवन को खुशियों से भर दे।

राजेंद्र के पुश्तैनी घर में सभी अपने अपने तैयारी में लगे हुए थे भगा दौड़ी और लोगों का जमघट लगा हुआ था। पर इन सभी चका चौंध से दूर अपश्यु रूम में अकेला बैठा था। अपश्यु का अपराध बोध उस पर इतना हावी हों चुका था। चाह कर भी अपराध बोध से खुद को मुक्त नहीं करा पा रहा था। सिर्फ अपराध बोध ही नहीं अब तो उसे ये डर भी सता रहा था मां, बडी मां, बहन, भाई, पापा और बड़े पापा का सामना कैसे करेगा, उसके नीच और गिरे हुए कुकर्म की भनक भी उन्हें लग गया तो न जानें वो कैसा व्यवहार अपश्यु के साथ करेगें। अपश्यु का दिमाग और मन उसे विभिन्न दिशाओं में भटका रहा था, अलग अलग तर्क दे रहा था। अपश्यु इन्हीं तर्को में उलझा हुआ था।

अपश्यु दिमाग... अरे हो गया गलती अब छोड़ इन बातों को आगे बढ़ दुनियां में बहुत से लोग हैं जो तूझसे भी गिरा हुआ नीच काम करते हैं। वो तो इतना नहीं सोचते। तू क्यों सोच के अथाह सागर में डूब रहा हैं।

अपश्यु मन…. इससे भी नीच काम ओर क्या हों सकता हैं तूने न जानें कितनो के बहु बेटियो को खिलौना समझ उनके साथ खेला उनके आबरू को तार तार किया तू दुनिया का सबसे नीच इंसान हैं। तू ने दुनिया का सबसे नीच काम किया हैं जारा सोच गहराई से तूने क्या किया हैं।

अपश्यु दिमाग... तूने कोई नीच काम नहीं किया ये तो तेरा स्वभाव हैं। तूने स्वभाव अनुसर ही व्यवहार किया था। इसमें इतना अपराध बोध क्यू करना, तू जैसा हैं बिल्कुल ठीक हैं। तू ऐसे ही रहना। थोड़ा सा भी परिवर्तन खुद में न लाना।

अपश्यु मन... तू अपराधी हैं। तुझे अपराध बोध होना ही चाहिए। तूने देखा न कैसे कालू और बबलू के मां बाप नाक रगड़ रगड़ कर माफ़ी मांग रहे थें तू सोच तेरे मां पर किया बीतेगा जब उन्हें पता चलेगा तूने कितना गिरा हुआ हरकत किया था। सोच जब तेरी बहन ये जन पाएगा उसका भाई दूसरे के बहनों के इज्जत को तार तार करने का घिनौना काम किया हैं तब तू किया करेगा , तेरी बडी मां जो तुझे अपने सगे बेटे की तरह प्यार दिया जब उन्हें पाता चलेगा तूने उनके दमन में न जानें कितने दाग लगाया तब तू किया करेगा? सोच जब तेरा दोस्त जैसा भाई जो तेरे एक बार बोलने से तेरा मन चाह काम करता था तेरा किया सभी दोष अपने सर लेकर डाट सुनता था तब किया करेगा। अभी समय हैं जा उन सभी से माफी मांग ले उन्होंने अगर माफ कर दिया तो समझ लेना ऊपर वाले ने भी तुझे माफ कर दिया।

अपश्यु दिमाग…. नहीं तू ऐसा बिल्कुल भी मत करना नहीं तो वो माफ करने के जगह तुझे धूतकर देंगे। उनके नज़र में तू एक अच्छा लडका हैं सच बोलते ही तू उनके नजरों में गिर जायेगा। तू दुनिया के नज़र में चाहें जितना भी गिरा हुआ हों उनके नजरों में तू एक अच्छा लडका हैं। इसलिए तेरा चुप रहना ही बेहतर हैं।

अपश्यु मन…सोच जारा जब तेरे मां, बाप, बडी मां, बड़े पापा, भाई , बहन दूसरे से जान पाएंगे उनका बेटा भाई कितना गिरा हुआ हैं। तब उन्हें कितना कष्ट पहुंचेगा हों सकता है उन्हें तेरे कारण दूसरे के सामने नाक भी रगड़ना पड़े तब तू किया करेगा सह पाएगा उनका अपमान कल ही कि बात सोच जब उन लड़कों ने तेरे बहन को छेड़ा फिर उनके मां बाप को कितना जलील होना पडा, इतना जलील होते हुए तू मां बाप को देख पाएगा। अगर देख सकता हैं तो ठीक हैं तू चल उस रास्ते पर जिस पर चलने का तेरा दिल चाहें। लेकिन एक बात ध्यान रखना आज मौका मिला हैं सुधार जा नहीं तो हों सकता हैं आगे सुधरने का मौका ही न मिले।

अपश्यु के दिमाग और मन के बिच जंग चल रहा था। तर्क वितर्क का एक लंबा दौर चला फिर मन दिमाग पर हावी हों गया। अपश्यु मन की बात सुनकर खुद से बोला... मैं सभी को सच बता दुंगा लेकिन आज नहीं आज अगर मैने उन्हे सच बता दिया ददाभाई के शादी के ख़ुशी का रंग जो चढ़ा हुआ है वो फीका पड़ जायेगा मैं शादी के बाद अपना करतूत उन्हे बता दुंगा और उनसे माफ़ी मांग लूंगा। माफ किया तो ठीक नहीं तो कहीं दूर चला जाऊंगा।

अपश्यु खुद में ही विचाराधीन था और उधर अपश्यु को न देख सभी उसे ढूंढ रहे थें। लेकिन उन्हें अपश्यु कहीं मिल ही नहीं रहा था। रघु अपश्यु को ढूंढते हुए सुरभि के पास पहुंचा और बोला... मां अपने अपश्यु को कही देखा हैं न जाने कहा गया कब से ढूंढ रहा हूं।

सुरभि…. मैं भी उसे नहीं देखा कुछ जरूरी काम था जो उसे ढूंढ रहा हैं।

रघु…मां जरुरी काम तो कुछ नहीं सभी को देख रहा हूं बस अपश्यु सुबह से अभी तक नहीं दिखा इसलिए पुछ रहा था

सुरभि…. ठीक है मैं देखती हूं।

सुरभि पूछताछ करते हुए। सुकन्या के पास पहुंचा सुकन्या उस वक्त कुछ महिलाओं के साथ बैठी बातों में मशगूल थीं।

सुरभि... छोटी अपश्यु कहा है उसका कुछ खबर हैं रघु कब से उसे ढूंढ रहा हैं।

सुकन्या... दीदी अपश्यु अपने रूम में हैं न जानें कितना सोता हैं कितनी बार आवाज दिया कोई जवाब न दे रहा था आप जाकर देखो न हों सकता है अपकी बात मन ले।

सुरभि... ठीक हैं मै देखती हूं।

सुरभि सीधा चल दिया अपश्यु के रुम की ओर जाकर दरवाज़ा पीटा लेकिन दरवाज़ा नहीं खुला फिर दरवाज़ा पीटते हुए बोला…. अपश्यु दरवाज़ा खोल जल्दी खोल बेटा तुझे रघु बुला रहा हैं।

अपश्यु अभी अभी विचारों के जंगल से बाहर निकाला था। बडी मां की आवाज़ सुन आंखे मलते हुए दरवाज़ा खोला दरवाज़ा खुलते ही सुरभि बोली… ये kuyaaa…

सुरभि पूरा बोल ही नहीं पाई अपश्यु की लाल आंखे देख रूक गई फिर अपश्यु बोला…. हा बडी मां बोलों कुछ काम था।

सुरभि... बेटा माना की देर रात तक जागे हों फिर इतने देर तक सोना अच्छा नहीं हैं । घर में शादी हैं आए हुए महमनो का अवभागत करना भी जरुरी हैं।

अपश्यु... बडी मां देर रात तक जगा था तो आंख ही नहीं खुला अब किया करता।

सुरभि…अब जाओ जल्दी से तैयार होकर नीचे आ रघु तुझे ढूंढ रहा था।

अपश्यु…दादा भाई ढूंढ रहे थें चलो फिर पहले उनसे हो मिल लेता हूं।

ये कह अपश्यु बाहर को जानें लगा तब सुरभि रोकते हुए बोली... जा पहले नहा धोकर अच्छा बच्चा बनकर आ भूत लग रहा हैं कहीं किसी मेहमान ने देख लिया तो भूत भूत चिलाते हुए भाग न जाए।

सुरभि की बाते सुन अपश्यु मुस्करा देता है सुरभि अपश्यु के बिखरे बालो पर हाथ फेर बाहर चाली जाती हैं फिर अपश्यु बाथरूम में घुस जाता हैं। कुछ क्षण में बाटरूम से निकल टिप टॉप तैयार होकर नीचे आता हैं। फिर इधर उधर काम करने में मगन हों गया।

ऐसे पल पल गिनते गिनते शाम हों गया। शाम को मेंहदी रस्म की तैयारी चल रहा था। महिलाओं का जमघट लगा हुआ था। मेंहदी रचाने वालों को बुलाया गया था तो वे अपने अपने काम में लग गए। कोई रघु के हाथ में मेहंदी लगा रहें थे तो कोई सुकन्या, सुरभि पुष्पा के हाथों में मेंहदी लगा रहें थें। अपश्यु और रमन दोनों एक साईड में खड़े देख रहे थें। दोनों को देख सुरभि बोली…. अपश्यु रमन तुम दोनों नहीं लगवाओ तुम भी लगवा लो भाई और दोस्त की शादी हैं तुम दोनों को तो खुद से आगे आकर लगवाना चाइए था।

रमन... रानी मां शादी रघु की है हम क्यों लगाए वैसे भी मेंहदी लड़कियों और औरतों के लिए हैं हम लड़कों के लिए नहीं।

अपश्यु…. हां बडी मां मुझे नहीं लगाना मेंहदी ये तो लड़कियों के हाथ में शोभा देती हैं लड़कों के हाथ में नहीं।

सुरभि…मेंहदी सिर्फ श्रृंगार के लिए नहीं लगाया जाता हैं। कहा जाता हैं मेंहदी का रंग जीवन में खुशियों का रंग भर देता हैं। इसलिए शादी जैसे मौका पर सभी मेंहदी लगवा सकता हैं। तुम दोनों भी लगवा लो जिससे जल्दी ही तुम्हारे जीवन में भी रंग भरने वाली कोई आ जाए।

ये कह सुरभि मुस्कुरा देती हैं। और पुष्पा आंखे दिखाते हुए बोली... चलो आप दोनों भी मेंहदी लगवा लो नहीं तो सोच लो मेरा कहना न मानने पर आप दोनों का किया होगा।

दोनों मन ही मन बोले इतनो लोगों के बीच कान पकड़ने से अच्छा मेंहदी लगाना ही ठीक रहेगा। इसलिए दोनों चुप चाप मेंहदी लगने बैठ जाते हैं।

उधर महेश के घर पर भी मेंहदी का रश्म शुरू हों गया था। कमला को बीच में बिठा चारों और से कुछ महिलाएं घेरे हुए नाच गाना कर रहे थे। मेंहदी रचाने वाली लड़कियां कोई कमला के हाथ में मेहंदी लगा रहे थें तो कोई पांव में मेंहदी लगा रहे थें। कमला के साथ उसकी दोनों सहेलियां बैठी थी और बात कर रही थीं।

चंचल... कमला मेहंदी तो तूने पहले भी कई बार रचाया हैं आज कैसा लग रहा हैं सैयां के नाम की मेहंदी रचते हुए ।

शालू…मन में लड्डू फुट रहा होगा। बता न कमला किसी के नाम की मेहंदी जब हाथ में रचती हैं तब कैसा लगता हैं।

कमला... मैं क्यों बताऊं जब तुम दोनों के हाथ में किसी के नाम की मेहंदी रची जाएगी तब खुद ही जान जाओगे अब तुम दोनों चुप चाप मेहंदी लगाने दो।

चंचल…. मेहंदी कौन सा तेरे मुंह पर लग रही हैं जो तू हमसे बात नहीं कर सकती।

शालू... अरे शालू तू नहीं समझ रहीं हैं हमारी सखी अब सजन की हों चुका भला बो हमसे बात क्यों करेंगी।

कमला…. तुम दोनों को चुप करना हैं कि नहीं या पीट कर ही मानोगे।

चंचल... कमला तू बहुत याद आयेगी रे शादी के बाद तू हमें भुल तो नहीं जाएगी बोल न।

कमला…नही रे मैं तुम दोनों को कैसे भुल सकती हूं तुम दोनों तो मेरे सबसे प्यारी सखी हों….

कमला अधूरा बोला आंखो से नीर बहा देती हैं। आंखे नम शालू और चंचल की भी हों गईं। आखिर इतनों वर्षो का साथ जो छुटने वाला था। दोनों ने बहते आंसू को पोंछा फिर कमला के आंसू भी पोछा फिर चंचल बोली... तू भूलना भी चाहेगी तो हम तुझे बोलने नहीं देंगे।

शालू... और नहीं तो क्या हम तुझे पल पल याद दिलाते रहेंगे।

इन तीनों की हसी ठिठौली फिर शुरू हों गया । लेकिन मनोरमा बेटी को मेहंदी लगते देख खुद को ओर न रोक पाई इसलिए एक कोने में जाकर अंचल में मुंह छुपाए रो रहीं थीं। महेश के नजरों से मनोरमा न छुप पाया। मनोरमा को कोने में मुंह छुपाए रोते देख महेश पास गया फिर बोला…. मनोरमा इस ख़ुशी के मौके पर यू आंसू बहा कर गम में न बदलो देखो हमारी बेटी कितनी खुश दिख रही हैं।

मनोरमा... कैसे न रोऊं जिन हाथों से लालन पालन कर बेटी को बडा किया एक दिन बाद उसी हाथ से बेटी को विदा करना हैं। ये सोच किस मां के आंख न छलके आप बताओं।

मनोरमा की बात सुन महेश के भी आंखे नम हों गया। दोनों एक दुसरे को समझने में लगे हुए थे। पर कमला की नज़रे मां बाप को ढूंढ रहा था। कमला के हाथ और पैरों में मेहंदी रचा जा चुका था। मां को दिखा कर पूछना चाहती थी मेहंदी कैसी रची हैं। ढूंढते हुए उसे मां बाप एक कोने में खड़े दिखा। कमला उठकर उनके पास गई। फिर बोली... मां देखो तो मेरे हाथ में रची मेहंदी कैसी दिख रही हैं।

मनोरमा एक नज़र कमला के हाथ को देखा फिर कमला से लिपट रोने लगा। कमला भी खुद को ओर न रोक पाई, फुट फुट कर रो दिया। दोनों कुछ क्षण तक रोते रहे फिर महेश के कहने पर दोनों अलग हुए। कमला मां को साथ लेकर गई फिर खुद पसंद करके मां के हाथ में मेहंदी रचवाया।

कुछ देर तक और मेहंदी रचने का काम चलता रहा और महिलाओं का नाच गाना चलता रहा। नाच गा कर जब सभी थक गए तब मेहंदी रस्म को विराम दे दिया गया।



अगले दिन शादी था तो जहा लङकी वाले बारातियों के स्वागत सत्कार के तैयारी में जुट गए वही लडके के घर पर बारात ले जानें की तैयारी में जुट गए।

उधर संकट इस बात से परेशान था। उसे अभी तक मौका नहीं मिला था। दल बल के साथ खड़े इसी पर विचार कर रहा था।

संकट... यार क्या करूं समझ ही नहीं आ रहा। कोई मौका भी नहीं बन रहा अभी अपश्यु का कुछ नहीं किया तो न जानें फ़िर कब मौका मिलेगा।

विंकट... अरे उस्ताद कोई न कोई मौका बन ही जायेगा मुझे लगता है शादी के एक दो दिन बाद ही मौका मिला जायेगा।

"अरे शादी के बाद नहीं हमे आज ही कुछ करना होगा इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा।"

"हा मौका तो अच्छा हैं लेकिन अपश्यु अकेले मिलना भी तो चाहिए ऊपर से ये ठुल्ले मामू लोगों ने अलग ही जमघट लगा रखा हैं।"

"अरे यार बड़े घर की शादी है तो पुलिस तो आयेंगे ही। यार संकट तू कुछ बता हमारा दिमाग तो काम ही नहीं कर रहा हैं।"

संकट सोच की मुद्रा में आ गया। आगे कैसे क्या किया जाए बिना पुलिस के नज़र में आए। संकट सोचने में गुम था तभी विंकट बोला... मेरे दिमाग में एक योजना है कहो तो सुनाऊं।

सभी विंकट का मुंह ताकने लगे कुछ क्षण तक ताका झाकी करने के बाद संकट बोला…. सुनता क्यों नही अब सुनने के लिए भी मूहर्त निकलबाएगा।

विंकट.... उस्ताद क्यों न आप बरती बन बारात में सामिल हों जाओ फिर रात में सभी शादी में मगन होंगे तब कोई जाकर बहाने से अपश्यु को बुला कर ले आना फिर किसी सुनसान जगह ले जा'कर अपना अपना भड़ास निकाल लेना।

संकट…. हां ये ठीक रहेगा हम सभी बारात में बाराती बन चलते हैं। लडकी वालो के वहा पहुचकार कोई सुनसान जगह देख कर अपश्यु को बुला कर लायेंगे फिर जमकर धोएंगे।

सभी संकट के बात से सहमत हों गए फिर सभी बारात में जानें की तैयारी करने चल दिए। इधर राजेंद्र के पुश्तैनी घर पर भी बरात लेकर जानें की तैयारी शुरू हों गया। सभी मेहमान भी आ चुके थे सहनाई की मधुर धुन बज रहा था। एक कमरे में रघु को तैयार किया जा रहा था। रघु को कुछ क्षण में तैयार कर दिया गया। रघु के ललाट से गाल तक चंदन के छोटे छोटे टिके लगाया गया था। पहनावे में धोती कुर्ता सर पर सफेद शंकुआकार का टूपूर था (बंगाली समझ का ये एक पारंपरिक लिबाज है जो शादी के वक्त दूल्हे को पहनाया जाता है।)

दूल्हा रघु तैयार था तो कुछ रस्में थी जो निभाया जाता था उसे निभाने के लिए सुरभि सुकन्या रघु के कमरे में गया। रघु को सजा धजा देख कर सुकन्या रघु के पास गया उसके कान के पास एक टीका लगा दिया। उसके बाद जो रस्में थी उसे निभाया गया फिर रघु को बहार लाया गया। फिर कुछ वक्त नाच गाना हुआ और बारात को प्रस्थान कर दिया गया। सभी बाराती रघु के पीछे हों लिए भीड़ में संकट गैंग के साथ सामिल हों गया।

नाचते गाते सभी आ पहुंचे महेश के घर महेश के घर की रौनक ही अलग था। बेहतरी तरीके से सजावट किया गया था। तरह तरह की लाइटों से पुरा घर चमक रहा था। गेट पर रघु को रोका गया जहां मनोरमा आकार रघु का टीका कर अन्दर जानें की अनुमति दे गया। रघु की कोई शाली नहीं था तो कमला की दोनों सहेली ने गेट पर ही साली होने का दायित्व निभाया शालू ने रघु का एक पैर धुलवाया फिर बोली…जीजा जी अब बक्शीस दीजिए तब ही दूसरा पैर धुलेगा।

रमन और अपश्यु, रघु के अगल बगल खड़े थे। अपश्यु शालू और चंचल के साथ तर्क वितर्क में उलझा हुआ था लेकिन रमन का उससे कोई मतलब नहीं थे। रमन तो शालू को देखने में ही खोया हुआ था। शालू सजी साबरी बाला की खूबसूरत लग रही थीं। जिसे देख रमन शालू को देखने में खोया था। मन ही मन अलग ही सपने बुन रहा था। चंचल एक नज़र रमन को देखा फिर शालू के कान में कहा... शालू देख तूझे कैसे देख रहा। लगता है तुझ पर फिदा हों गया।

शालू रमन की और देखा फिर नजरे झुका लिया। इनके क्रिया कलाप पर अपश्यु की नज़र पड़ गया। रमन को खोया देख रमन को हिलाया फिर बोला... किए देख रहे हों रमन भईया कोई खजाना दिख गया।

अपश्यु के बोलते ही रमन भूतल पर आया और नज़रे चुराने लगा। ये देख अपश्यू शालू और चंचल मुस्कुरा दिए। कुछ क्षण तक दोनों पक्षों में लेन देन को लेकर बाद विवाद चलता रहा। रमन बाद विवाद में शालू की और देखकर ही बात कर रहा था। तो जब दोनों की नज़रे मिलता तो नज़रे चुरा लेते। दोनों को पहली नज़र के चुंबकीय शक्ति ने आकर्षित कर लिया दोनों एक दूसरे को देख रहे थें लेकिन एक दूसरे से नज़रे बचाकर। बरहाल लेने देन का मशला सुलझा फिर रघु के दूसरे पैर को धुलवाया गया। रघु का मुंह मीठा करने के बाद रघु को अन्दर ले जाया गया।

संकट और उसके गैंग ने आते ही अपना काम शुरू कर दिया । उन्हे एक खाली जगह चाहिएं था तो उसे ही ढूंढने लगे। वो भी मिल गया लेकिन खाली जगह महेश के घर से थोड़ा दूर था। तो वहा तक अपश्यु को लाने के लिए सभी ने एक योजना बनाकर अन्दर गए और मौका मिलते ही किसी बहाने से अपश्यु को बुलाकर बहार ले जाएंगे। लेकिन उन्हें एक डर ये भी लग रहा था महेश के घर में पुलिस की संख्या ज्यादा था कहीं वो पुलिस के नज़र में न आ जाएं।
इधर मंडप में आने के बाद रघु को एक सोफे पर बैठा दिया गया रघु के अगल बगल रमन अपश्यु और पुष्पा बैठे थे। रमन इधर उधर नज़रे घुमा शालू को ढूंढ रहा था। पर शालू उसे नज़र नहीं आ रहा था। ये पुष्पा ने देख लिया तब पुष्पा बोली... रमन भईया कुछ परेशान हों कुछ चाहिएं था।

रमन झेप कर... नही नही कुछ नहीं चाहिएं।

अपश्यु…. मैं जनता हुं रमन भईया को किया चाहिएं बता दूं रमन भईया।

रमन... नहीं अपश्यु कुछ न बता देख फिर अच्छा नहीं होगा।

पुष्पा... बताओं न भईया बात किया हैं।

रघु... हा रमन बता न बात किया हैं।

रमन टाला मटोली कर रहा था और अपश्यु मजे ले रहा था फ़िर अपश्यु ने रघु के कान में कुछ बोला सुनकर रघु मुस्कुराया फ़िर बोला... क्या यार इतनी सी बात बोलने में शर्मा रहा हैं रुक अभी मैं किसी को बुलाता हुं।

रघु ने आस पास घूम रहे वेटर में से एक को बुलाया फिर रमन को दिखाते हुए बोला... इनको फ्रेश होने जाना हैं। क्या आप इसको ले'कर जा सकते हों।

रमन…मैंने कब कहा मुझे बाथरूम जाना हैं।

अपश्यु मुंह पर हाथ रख हंसते हुए वेटर को जानें को कहा फिर एक बार रघु के कान में कुछ कहा तब रघु बोला... क्यों रे रमन मेरी शादी करवाने आया या अपनी वाली ढूंढने आय हा बता।

रमन…. अपश्यु तूझे माना कर था न फ़िर क्यों बताया।

रमन अपश्यु और रघु हल्की हल्की आवाज में बात कर रहे थें। तो पुष्पा को न कुछ सुनाई दे रहा था न ही कुछ समझ आ रहा था इसलिए पुष्पा बोली... आप तीनों में क्या खिचड़ी पक रहा हैं मुझे बातों नहीं तो सोच लो खिचड़ी खाने लायक नहीं रहेगा।

अपश्यु... पुष्पा मैं बताता हुं फिर अपश्यु ने शालू और रमन के बिच के नैन मटका वाला किस्सा सुना दिया। सुनकर पुष्पा बोली... तो ये बात हैं। वैसे रमन भईया अपको लड़की पसन्द है तो इस मामले में भाभी ही कुछ मदद कर सकती हैं अपको उनसे ही मदद मांगना चाहिएं।

इसके बाद तो तीनों मिलकर रमन को छेड़ने लगे। कुछ वक्त तक इनका रमन को छेड़ना चलता रहा। पुरोहित जी आकार मंडप में सभी तैयारी कर लिया फिर उन्होंने रघु को मंडप में आने को कहा। रघु हाथ मुंह धोकर मंडप में बैठा। फिर पुरोहित ने कहा कन्या को बुलाया जाए। कुछ क्षण में कमला घूंघट उड़े दुल्हन के लिवास में शालू ओर चंचल के साथ सीढ़ी से धीरे धीर चलकर आ रही थीं। रघु दुल्हन के लिवास में कमला को देख उसके चेहरे को देखने के लिए तरस रहा था और रमन तो एक टक शालू को देखे जा रहा था। बीच बीच में शालू भी रमन की और देख लेती दोनों के नज़रे मिलते ही शालू नज़रे झुका मंद मंद मुस्कुरा देती। रमन और शालू का नैन मटका करना पुष्पा देख लेती हैं तो रमन को कोहनी मर बोली... भईया क्या कर रहे हों थोड़ा कम देखो नहीं तो लड़की अपको छिछोरा समझ लेगी।

रमन झेप कर नज़रे नीचे कर लेता हैं। कमला के मंडप में बैठते ही शादी की विधि शुरू हों जाता हैं। राजेंद्र ये देख खुशी के आंसु बहा रहा था। कितनी कोशिशों के बाद आज उसे ये दिन देखना नसीब हो रहा था। रावण मन ही मन खुद को गाली दे रहा था। इतना यतन करने के बाद भी जो नहीं चाहता था वो आज उसके आंखो के सामने हों रहा था। खैर कुछ क्षण बाद पूतोहित जी के कहने पर महेश जी मंडप में पधारे रघु और कमला का गठबन्धन कर कमला का हाथ रघु को सौफ कर कन्या दान का रस्म भीगे नैनों से पूर्ण किया। रस्म के दौरान कमला के नैन अविरल बहे जा रहा था। कन्या दान के रस्म के बाद उसे बाप का घर छोड़ एक नए घर में जाकर वहा के रीति रिवाज के अनुसार चलना था। जो आजादी बाप के घर में मिला था शायद कमला को ससुराल में वो आजादी न मिले। लेकिन। वहा उसे एक नया रिश्ता निभाना था। बाप के मान इज्जत का ख्याल रखना था। ससुराल में नए सिरे से सभी के साथ अपने पान का रिश्ता जोड़ना था। इधर कन्या दान का रस्म चल रहा था उधर संकट के भेजे एक आदमी ने आकार अपश्यु से कहा... साहब आपके कोई बहार बुला रहा हैं।

अपश्यु... कौन है मैं तो यह के किसी को नहीं जनता।

"साहब वो तो मैं नहीं जनता लेकिन वो कह रहें थें आप उनके घनिष्ट मित्र हैं।"

घनिष्ट मित्र की बात सुन अपश्यु उठाकर उसके साथ चल दिया।



आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए अभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद


🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Jabardast Updatee

Apasyu shayad sudhar gaya par usne bahot late kardiya.

Ab Sankat vinkat Apasyu ko dhone ke liye taiyaar hai. Aur apasyu bhi unke saath chala jaa raha hai.

Dekhte hai yehlog safal hote hai yaa nhi.
 

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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Update - 31


रात आई और चली गई की तर्ज पर बीती रात घाटी घटना को भुला कर सभी फिर से नए जोश और जुनून के साथ रघु के शादी के जश्न मानने की तैयारी में झूट गए। आज महेंदी का रश्म था। दोनों के हाथ आज महेंदी के रंग से रंगा जाना था। ताकि महेंदी का रंग दोनों के दांपत्य जीवन को खुशियों से भर दे।

राजेंद्र के पुश्तैनी घर में सभी अपने अपने तैयारी में लगे हुए थे भगा दौड़ी और लोगों का जमघट लगा हुआ था। पर इन सभी चका चौंध से दूर अपश्यु रूम में अकेला बैठा था। अपश्यु का अपराध बोध उस पर इतना हावी हों चुका था। चाह कर भी अपराध बोध से खुद को मुक्त नहीं करा पा रहा था। सिर्फ अपराध बोध ही नहीं अब तो उसे ये डर भी सता रहा था मां, बडी मां, बहन, भाई, पापा और बड़े पापा का सामना कैसे करेगा, उसके नीच और गिरे हुए कुकर्म की भनक भी उन्हें लग गया तो न जानें वो कैसा व्यवहार अपश्यु के साथ करेगें। अपश्यु का दिमाग और मन उसे विभिन्न दिशाओं में भटका रहा था, अलग अलग तर्क दे रहा था। अपश्यु इन्हीं तर्को में उलझा हुआ था।

अपश्यु दिमाग... अरे हो गया गलती अब छोड़ इन बातों को आगे बढ़ दुनियां में बहुत से लोग हैं जो तूझसे भी गिरा हुआ नीच काम करते हैं। वो तो इतना नहीं सोचते। तू क्यों सोच के अथाह सागर में डूब रहा हैं।

अपश्यु मन…. इससे भी नीच काम ओर क्या हों सकता हैं तूने न जानें कितनो के बहु बेटियो को खिलौना समझ उनके साथ खेला उनके आबरू को तार तार किया तू दुनिया का सबसे नीच इंसान हैं। तू ने दुनिया का सबसे नीच काम किया हैं जारा सोच गहराई से तूने क्या किया हैं।

अपश्यु दिमाग... तूने कोई नीच काम नहीं किया ये तो तेरा स्वभाव हैं। तूने स्वभाव अनुसर ही व्यवहार किया था। इसमें इतना अपराध बोध क्यू करना, तू जैसा हैं बिल्कुल ठीक हैं। तू ऐसे ही रहना। थोड़ा सा भी परिवर्तन खुद में न लाना।

अपश्यु मन... तू अपराधी हैं। तुझे अपराध बोध होना ही चाहिए। तूने देखा न कैसे कालू और बबलू के मां बाप नाक रगड़ रगड़ कर माफ़ी मांग रहे थें तू सोच तेरे मां पर किया बीतेगा जब उन्हें पता चलेगा तूने कितना गिरा हुआ हरकत किया था। सोच जब तेरी बहन ये जन पाएगा उसका भाई दूसरे के बहनों के इज्जत को तार तार करने का घिनौना काम किया हैं तब तू किया करेगा , तेरी बडी मां जो तुझे अपने सगे बेटे की तरह प्यार दिया जब उन्हें पाता चलेगा तूने उनके दमन में न जानें कितने दाग लगाया तब तू किया करेगा? सोच जब तेरा दोस्त जैसा भाई जो तेरे एक बार बोलने से तेरा मन चाह काम करता था तेरा किया सभी दोष अपने सर लेकर डाट सुनता था तब किया करेगा। अभी समय हैं जा उन सभी से माफी मांग ले उन्होंने अगर माफ कर दिया तो समझ लेना ऊपर वाले ने भी तुझे माफ कर दिया।

अपश्यु दिमाग…. नहीं तू ऐसा बिल्कुल भी मत करना नहीं तो वो माफ करने के जगह तुझे धूतकर देंगे। उनके नज़र में तू एक अच्छा लडका हैं सच बोलते ही तू उनके नजरों में गिर जायेगा। तू दुनिया के नज़र में चाहें जितना भी गिरा हुआ हों उनके नजरों में तू एक अच्छा लडका हैं। इसलिए तेरा चुप रहना ही बेहतर हैं।

अपश्यु मन…सोच जारा जब तेरे मां, बाप, बडी मां, बड़े पापा, भाई , बहन दूसरे से जान पाएंगे उनका बेटा भाई कितना गिरा हुआ हैं। तब उन्हें कितना कष्ट पहुंचेगा हों सकता है उन्हें तेरे कारण दूसरे के सामने नाक भी रगड़ना पड़े तब तू किया करेगा सह पाएगा उनका अपमान कल ही कि बात सोच जब उन लड़कों ने तेरे बहन को छेड़ा फिर उनके मां बाप को कितना जलील होना पडा, इतना जलील होते हुए तू मां बाप को देख पाएगा। अगर देख सकता हैं तो ठीक हैं तू चल उस रास्ते पर जिस पर चलने का तेरा दिल चाहें। लेकिन एक बात ध्यान रखना आज मौका मिला हैं सुधार जा नहीं तो हों सकता हैं आगे सुधरने का मौका ही न मिले।

अपश्यु के दिमाग और मन के बिच जंग चल रहा था। तर्क वितर्क का एक लंबा दौर चला फिर मन दिमाग पर हावी हों गया। अपश्यु मन की बात सुनकर खुद से बोला... मैं सभी को सच बता दुंगा लेकिन आज नहीं आज अगर मैने उन्हे सच बता दिया ददाभाई के शादी के ख़ुशी का रंग जो चढ़ा हुआ है वो फीका पड़ जायेगा मैं शादी के बाद अपना करतूत उन्हे बता दुंगा और उनसे माफ़ी मांग लूंगा। माफ किया तो ठीक नहीं तो कहीं दूर चला जाऊंगा।

अपश्यु खुद में ही विचाराधीन था और उधर अपश्यु को न देख सभी उसे ढूंढ रहे थें। लेकिन उन्हें अपश्यु कहीं मिल ही नहीं रहा था। रघु अपश्यु को ढूंढते हुए सुरभि के पास पहुंचा और बोला... मां अपने अपश्यु को कही देखा हैं न जाने कहा गया कब से ढूंढ रहा हूं।

सुरभि…. मैं भी उसे नहीं देखा कुछ जरूरी काम था जो उसे ढूंढ रहा हैं।

रघु…मां जरुरी काम तो कुछ नहीं सभी को देख रहा हूं बस अपश्यु सुबह से अभी तक नहीं दिखा इसलिए पुछ रहा था

सुरभि…. ठीक है मैं देखती हूं।

सुरभि पूछताछ करते हुए। सुकन्या के पास पहुंचा सुकन्या उस वक्त कुछ महिलाओं के साथ बैठी बातों में मशगूल थीं।

सुरभि... छोटी अपश्यु कहा है उसका कुछ खबर हैं रघु कब से उसे ढूंढ रहा हैं।

सुकन्या... दीदी अपश्यु अपने रूम में हैं न जानें कितना सोता हैं कितनी बार आवाज दिया कोई जवाब न दे रहा था आप जाकर देखो न हों सकता है अपकी बात मन ले।

सुरभि... ठीक हैं मै देखती हूं।

सुरभि सीधा चल दिया अपश्यु के रुम की ओर जाकर दरवाज़ा पीटा लेकिन दरवाज़ा नहीं खुला फिर दरवाज़ा पीटते हुए बोला…. अपश्यु दरवाज़ा खोल जल्दी खोल बेटा तुझे रघु बुला रहा हैं।

अपश्यु अभी अभी विचारों के जंगल से बाहर निकाला था। बडी मां की आवाज़ सुन आंखे मलते हुए दरवाज़ा खोला दरवाज़ा खुलते ही सुरभि बोली… ये kuyaaa…

सुरभि पूरा बोल ही नहीं पाई अपश्यु की लाल आंखे देख रूक गई फिर अपश्यु बोला…. हा बडी मां बोलों कुछ काम था।

सुरभि... बेटा माना की देर रात तक जागे हों फिर इतने देर तक सोना अच्छा नहीं हैं । घर में शादी हैं आए हुए महमनो का अवभागत करना भी जरुरी हैं।

अपश्यु... बडी मां देर रात तक जगा था तो आंख ही नहीं खुला अब किया करता।

सुरभि…अब जाओ जल्दी से तैयार होकर नीचे आ रघु तुझे ढूंढ रहा था।

अपश्यु…दादा भाई ढूंढ रहे थें चलो फिर पहले उनसे हो मिल लेता हूं।

ये कह अपश्यु बाहर को जानें लगा तब सुरभि रोकते हुए बोली... जा पहले नहा धोकर अच्छा बच्चा बनकर आ भूत लग रहा हैं कहीं किसी मेहमान ने देख लिया तो भूत भूत चिलाते हुए भाग न जाए।

सुरभि की बाते सुन अपश्यु मुस्करा देता है सुरभि अपश्यु के बिखरे बालो पर हाथ फेर बाहर चाली जाती हैं फिर अपश्यु बाथरूम में घुस जाता हैं। कुछ क्षण में बाटरूम से निकल टिप टॉप तैयार होकर नीचे आता हैं। फिर इधर उधर काम करने में मगन हों गया।

ऐसे पल पल गिनते गिनते शाम हों गया। शाम को मेंहदी रस्म की तैयारी चल रहा था। महिलाओं का जमघट लगा हुआ था। मेंहदी रचाने वालों को बुलाया गया था तो वे अपने अपने काम में लग गए। कोई रघु के हाथ में मेहंदी लगा रहें थे तो कोई सुकन्या, सुरभि पुष्पा के हाथों में मेंहदी लगा रहें थें। अपश्यु और रमन दोनों एक साईड में खड़े देख रहे थें। दोनों को देख सुरभि बोली…. अपश्यु रमन तुम दोनों नहीं लगवाओ तुम भी लगवा लो भाई और दोस्त की शादी हैं तुम दोनों को तो खुद से आगे आकर लगवाना चाइए था।

रमन... रानी मां शादी रघु की है हम क्यों लगाए वैसे भी मेंहदी लड़कियों और औरतों के लिए हैं हम लड़कों के लिए नहीं।

अपश्यु…. हां बडी मां मुझे नहीं लगाना मेंहदी ये तो लड़कियों के हाथ में शोभा देती हैं लड़कों के हाथ में नहीं।

सुरभि…मेंहदी सिर्फ श्रृंगार के लिए नहीं लगाया जाता हैं। कहा जाता हैं मेंहदी का रंग जीवन में खुशियों का रंग भर देता हैं। इसलिए शादी जैसे मौका पर सभी मेंहदी लगवा सकता हैं। तुम दोनों भी लगवा लो जिससे जल्दी ही तुम्हारे जीवन में भी रंग भरने वाली कोई आ जाए।

ये कह सुरभि मुस्कुरा देती हैं। और पुष्पा आंखे दिखाते हुए बोली... चलो आप दोनों भी मेंहदी लगवा लो नहीं तो सोच लो मेरा कहना न मानने पर आप दोनों का किया होगा।

दोनों मन ही मन बोले इतनो लोगों के बीच कान पकड़ने से अच्छा मेंहदी लगाना ही ठीक रहेगा। इसलिए दोनों चुप चाप मेंहदी लगने बैठ जाते हैं।

उधर महेश के घर पर भी मेंहदी का रश्म शुरू हों गया था। कमला को बीच में बिठा चारों और से कुछ महिलाएं घेरे हुए नाच गाना कर रहे थे। मेंहदी रचाने वाली लड़कियां कोई कमला के हाथ में मेहंदी लगा रहे थें तो कोई पांव में मेंहदी लगा रहे थें। कमला के साथ उसकी दोनों सहेलियां बैठी थी और बात कर रही थीं।

चंचल... कमला मेहंदी तो तूने पहले भी कई बार रचाया हैं आज कैसा लग रहा हैं सैयां के नाम की मेहंदी रचते हुए ।

शालू…मन में लड्डू फुट रहा होगा। बता न कमला किसी के नाम की मेहंदी जब हाथ में रचती हैं तब कैसा लगता हैं।

कमला... मैं क्यों बताऊं जब तुम दोनों के हाथ में किसी के नाम की मेहंदी रची जाएगी तब खुद ही जान जाओगे अब तुम दोनों चुप चाप मेहंदी लगाने दो।

चंचल…. मेहंदी कौन सा तेरे मुंह पर लग रही हैं जो तू हमसे बात नहीं कर सकती।

शालू... अरे शालू तू नहीं समझ रहीं हैं हमारी सखी अब सजन की हों चुका भला बो हमसे बात क्यों करेंगी।

कमला…. तुम दोनों को चुप करना हैं कि नहीं या पीट कर ही मानोगे।

चंचल... कमला तू बहुत याद आयेगी रे शादी के बाद तू हमें भुल तो नहीं जाएगी बोल न।

कमला…नही रे मैं तुम दोनों को कैसे भुल सकती हूं तुम दोनों तो मेरे सबसे प्यारी सखी हों….

कमला अधूरा बोला आंखो से नीर बहा देती हैं। आंखे नम शालू और चंचल की भी हों गईं। आखिर इतनों वर्षो का साथ जो छुटने वाला था। दोनों ने बहते आंसू को पोंछा फिर कमला के आंसू भी पोछा फिर चंचल बोली... तू भूलना भी चाहेगी तो हम तुझे बोलने नहीं देंगे।

शालू... और नहीं तो क्या हम तुझे पल पल याद दिलाते रहेंगे।

इन तीनों की हसी ठिठौली फिर शुरू हों गया । लेकिन मनोरमा बेटी को मेहंदी लगते देख खुद को ओर न रोक पाई इसलिए एक कोने में जाकर अंचल में मुंह छुपाए रो रहीं थीं। महेश के नजरों से मनोरमा न छुप पाया। मनोरमा को कोने में मुंह छुपाए रोते देख महेश पास गया फिर बोला…. मनोरमा इस ख़ुशी के मौके पर यू आंसू बहा कर गम में न बदलो देखो हमारी बेटी कितनी खुश दिख रही हैं।

मनोरमा... कैसे न रोऊं जिन हाथों से लालन पालन कर बेटी को बडा किया एक दिन बाद उसी हाथ से बेटी को विदा करना हैं। ये सोच किस मां के आंख न छलके आप बताओं।

मनोरमा की बात सुन महेश के भी आंखे नम हों गया। दोनों एक दुसरे को समझने में लगे हुए थे। पर कमला की नज़रे मां बाप को ढूंढ रहा था। कमला के हाथ और पैरों में मेहंदी रचा जा चुका था। मां को दिखा कर पूछना चाहती थी मेहंदी कैसी रची हैं। ढूंढते हुए उसे मां बाप एक कोने में खड़े दिखा। कमला उठकर उनके पास गई। फिर बोली... मां देखो तो मेरे हाथ में रची मेहंदी कैसी दिख रही हैं।

मनोरमा एक नज़र कमला के हाथ को देखा फिर कमला से लिपट रोने लगा। कमला भी खुद को ओर न रोक पाई, फुट फुट कर रो दिया। दोनों कुछ क्षण तक रोते रहे फिर महेश के कहने पर दोनों अलग हुए। कमला मां को साथ लेकर गई फिर खुद पसंद करके मां के हाथ में मेहंदी रचवाया।

कुछ देर तक और मेहंदी रचने का काम चलता रहा और महिलाओं का नाच गाना चलता रहा। नाच गा कर जब सभी थक गए तब मेहंदी रस्म को विराम दे दिया गया।



अगले दिन शादी था तो जहा लङकी वाले बारातियों के स्वागत सत्कार के तैयारी में जुट गए वही लडके के घर पर बारात ले जानें की तैयारी में जुट गए।

उधर संकट इस बात से परेशान था। उसे अभी तक मौका नहीं मिला था। दल बल के साथ खड़े इसी पर विचार कर रहा था।

संकट... यार क्या करूं समझ ही नहीं आ रहा। कोई मौका भी नहीं बन रहा अभी अपश्यु का कुछ नहीं किया तो न जानें फ़िर कब मौका मिलेगा।

विंकट... अरे उस्ताद कोई न कोई मौका बन ही जायेगा मुझे लगता है शादी के एक दो दिन बाद ही मौका मिला जायेगा।

"अरे शादी के बाद नहीं हमे आज ही कुछ करना होगा इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा।"

"हा मौका तो अच्छा हैं लेकिन अपश्यु अकेले मिलना भी तो चाहिए ऊपर से ये ठुल्ले मामू लोगों ने अलग ही जमघट लगा रखा हैं।"

"अरे यार बड़े घर की शादी है तो पुलिस तो आयेंगे ही। यार संकट तू कुछ बता हमारा दिमाग तो काम ही नहीं कर रहा हैं।"

संकट सोच की मुद्रा में आ गया। आगे कैसे क्या किया जाए बिना पुलिस के नज़र में आए। संकट सोचने में गुम था तभी विंकट बोला... मेरे दिमाग में एक योजना है कहो तो सुनाऊं।

सभी विंकट का मुंह ताकने लगे कुछ क्षण तक ताका झाकी करने के बाद संकट बोला…. सुनता क्यों नही अब सुनने के लिए भी मूहर्त निकलबाएगा।

विंकट.... उस्ताद क्यों न आप बरती बन बारात में सामिल हों जाओ फिर रात में सभी शादी में मगन होंगे तब कोई जाकर बहाने से अपश्यु को बुला कर ले आना फिर किसी सुनसान जगह ले जा'कर अपना अपना भड़ास निकाल लेना।

संकट…. हां ये ठीक रहेगा हम सभी बारात में बाराती बन चलते हैं। लडकी वालो के वहा पहुचकार कोई सुनसान जगह देख कर अपश्यु को बुला कर लायेंगे फिर जमकर धोएंगे।

सभी संकट के बात से सहमत हों गए फिर सभी बारात में जानें की तैयारी करने चल दिए। इधर राजेंद्र के पुश्तैनी घर पर भी बरात लेकर जानें की तैयारी शुरू हों गया। सभी मेहमान भी आ चुके थे सहनाई की मधुर धुन बज रहा था। एक कमरे में रघु को तैयार किया जा रहा था। रघु को कुछ क्षण में तैयार कर दिया गया। रघु के ललाट से गाल तक चंदन के छोटे छोटे टिके लगाया गया था। पहनावे में धोती कुर्ता सर पर सफेद शंकुआकार का टूपूर था (बंगाली समझ का ये एक पारंपरिक लिबाज है जो शादी के वक्त दूल्हे को पहनाया जाता है।)

दूल्हा रघु तैयार था तो कुछ रस्में थी जो निभाया जाता था उसे निभाने के लिए सुरभि सुकन्या रघु के कमरे में गया। रघु को सजा धजा देख कर सुकन्या रघु के पास गया उसके कान के पास एक टीका लगा दिया। उसके बाद जो रस्में थी उसे निभाया गया फिर रघु को बहार लाया गया। फिर कुछ वक्त नाच गाना हुआ और बारात को प्रस्थान कर दिया गया। सभी बाराती रघु के पीछे हों लिए भीड़ में संकट गैंग के साथ सामिल हों गया।

नाचते गाते सभी आ पहुंचे महेश के घर महेश के घर की रौनक ही अलग था। बेहतरी तरीके से सजावट किया गया था। तरह तरह की लाइटों से पुरा घर चमक रहा था। गेट पर रघु को रोका गया जहां मनोरमा आकार रघु का टीका कर अन्दर जानें की अनुमति दे गया। रघु की कोई शाली नहीं था तो कमला की दोनों सहेली ने गेट पर ही साली होने का दायित्व निभाया शालू ने रघु का एक पैर धुलवाया फिर बोली…जीजा जी अब बक्शीस दीजिए तब ही दूसरा पैर धुलेगा।

रमन और अपश्यु, रघु के अगल बगल खड़े थे। अपश्यु शालू और चंचल के साथ तर्क वितर्क में उलझा हुआ था लेकिन रमन का उससे कोई मतलब नहीं थे। रमन तो शालू को देखने में ही खोया हुआ था। शालू सजी साबरी बाला की खूबसूरत लग रही थीं8 जिसे देख रमन शालू को देखने में खोया था। मन ही मन अलग ही सपने बुन रहा था। चंचल एक नज़र रमन को देखा फिर शालू के कान में कहा... शालू देख तूझे कैसे देख रहा। लगता है तुझ पर फिदा हों गया।

शालू रमन की और देखा फिर नजरे झुका लिया। इनके क्रिया कलाप पर अपश्यु की नज़र पड़ गया। रमन को खोया देख रमन को हिलाया फिर बोला... किए देख रहे हों रमन भईया कोई खजाना दिख गया।

अपश्यु के बोलते ही रमन भूतल पर आया और नज़रे चुराने लगा। ये देख अपश्यू शालू और चंचल मुस्कुरा दिए। कुछ क्षण तक दोनों पक्षों में लेन देन को लेकर बाद विवाद चलता रहा। रमन बाद विवाद में शालू की और देखकर ही बात कर रहा था। तो जब दोनों की नज़रे मिलता तो नज़रे चुरा लेते। दोनों को पहली नज़र के चुंबकीय शक्ति ने आकर्षित कर लिया दोनों एक दूसरे को देख रहे थें लेकिन एक दूसरे से नज़रे बचाकर। बरहाल लेने देन का मशला सुलझा फिर रघु के दूसरे पैर को धुलवाया गया। रघु का मुंह मीठा करने के बाद रघु को अन्दर ले जाया गया।

संकट और उसके गैंग ने आते ही अपना काम शुरू कर दिया । उन्हे एक खाली जगह चाहिएं था तो उसे ही ढूंढने लगे। वो भी मिल गया लेकिन खाली जगह महेश के घर से थोड़ा दूर था। तो वहा तक अपश्यु को लाने के लिए सभी ने एक योजना बनाकर अन्दर गए और मौका मिलते ही किसी बहाने से अपश्यु को बुलाकर बहार ले जाएंगे। लेकिन उन्हें एक डर ये भी लग रहा था महेश के घर में पुलिस की संख्या ज्यादा था कहीं वो पुलिस के नज़र में न आ जाएं।
इधर मंडप में आने के बाद रघु को एक सोफे पर बैठा दिया गया रघु के अगल बगल रमन अपश्यु और पुष्पा बैठे थे। रमन इधर उधर नज़रे घुमा शालू को ढूंढ रहा था। पर शालू उसे नज़र नहीं आ रहा था। ये पुष्पा ने देख लिया तब पुष्पा बोली... रमन भईया कुछ परेशान हों कुछ चाहिएं था।

रमन झेप कर... नही नही कुछ नहीं चाहिएं।

अपश्यु…. मैं जनता हुं रमन भईया को किया चाहिएं बता दूं रमन भईया।

रमन... नहीं अपश्यु कुछ न बता देख फिर अच्छा नहीं होगा।

पुष्पा... बताओं न भईया बात किया हैं।

रघु... हा रमन बता न बात किया हैं।

रमन टाला मटोली कर रहा था और अपश्यु मजे ले रहा था फ़िर अपश्यु ने रघु के कान में कुछ बोला सुनकर रघु मुस्कुराया फ़िर बोला... क्या यार इतनी सी बात बोलने में शर्मा रहा हैं रुक अभी मैं किसी को बुलाता हुं।

रघु ने आस पास घूम रहे वेटर में से एक को बुलाया फिर रमन को दिखाते हुए बोला... इनको फ्रेश होने जाना हैं। क्या आप इसको ले'कर जा सकते हों।

रमन…मैंने कब कहा मुझे बाथरूम जाना हैं।

अपश्यु मुंह पर हाथ रख हंसते हुए वेटर को जानें को कहा फिर एक बार रघु के कान में कुछ कहा तब रघु बोला... क्यों रे रमन मेरी शादी करवाने आया या अपनी वाली ढूंढने आय हा बता।

रमन…. अपश्यु तूझे माना कर था न फ़िर क्यों बताया।

रमन अपश्यु और रघु हल्की हल्की आवाज में बात कर रहे थें। तो पुष्पा को न कुछ सुनाई दे रहा था न ही कुछ समझ आ रहा था इसलिए पुष्पा बोली... आप तीनों में क्या खिचड़ी पक रहा हैं मुझे बातों नहीं तो सोच लो खिचड़ी खाने लायक नहीं रहेगा।

अपश्यु... पुष्पा मैं बताता हुं फिर अपश्यु ने शालू और रमन के बिच के नैन मटका वाला किस्सा सुना दिया। सुनकर पुष्पा बोली... तो ये बात हैं। वैसे रमन भईया अपको लड़की पसन्द है तो इस मामले में भाभी ही कुछ मदद कर सकती हैं अपको उनसे ही मदद मांगना चाहिएं।

इसके बाद तो तीनों मिलकर रमन को छेड़ने लगे। कुछ वक्त तक इनका रमन को छेड़ना चलता रहा। पुरोहित जी आकार मंडप में सभी तैयारी कर लिया फिर उन्होंने रघु को मंडप में आने को कहा। रघु हाथ मुंह धोकर मंडप में बैठा। फिर पुरोहित ने कहा कन्या को बुलाया जाए। कुछ क्षण में कमला घूंघट उड़े दुल्हन के लिवास में शालू ओर चंचल के साथ सीढ़ी से धीरे धीर चलकर आ रही थीं। रघु दुल्हन के लिवास में कमला को देख उसके चेहरे को देखने के लिए तरस रहा था और रमन तो एक टक शालू को देखे जा रहा था। बीच बीच में शालू भी रमन की और देख लेती दोनों के नज़रे मिलते ही शालू नज़रे झुका मंद मंद मुस्कुरा देती। रमन और शालू का नैन मटका करना पुष्पा देख लेती हैं तो रमन को कोहनी मर बोली... भईया क्या कर रहे हों थोड़ा कम देखो नहीं तो लड़की अपको छिछोरा समझ लेगी।

रमन झेप कर नज़रे नीचे कर लेता हैं। कमला के मंडप में बैठते ही शादी की विधि शुरू हों जाता हैं। राजेंद्र ये देख खुशी के आंसु बहा रहा था। कितनी कोशिशों के बाद आज उसे ये दिन देखना नसीब हो रहा था। रावण मन ही मन खुद को गाली दे रहा था। इतना यतन करने के बाद भी जो नहीं चाहता था वो आज उसके आंखो के सामने हों रहा था। खैर कुछ क्षण बाद पूतोहित जी के कहने पर महेश जी मंडप में पधारे रघु और कमला का गठबन्धन कर कमला का हाथ रघु को सौफ कर कन्या दान का रस्म भीगे नैनों से पूर्ण किया। रस्म के दौरान कमला के नैन अविरल बहे जा रहा था। कन्या दान के रस्म के बाद उसे बाप का घर छोड़ एक नए घर में जाकर वहा के रीति रिवाज के अनुसार चलना था। जो आजादी बाप के घर में मिला था शायद कमला को ससुराल में वो आजादी न मिले। लेकिन। वहा उसे एक नया रिश्ता निभाना था। बाप के मान इज्जत का ख्याल रखना था। ससुराल में नए सिरे से सभी के साथ अपने पान का रिश्ता जोड़ना था। इधर कन्या दान का रस्म चल रहा था उधर संकट के भेजे एक आदमी ने आकार अपश्यु से कहा... साहब आपके कोई बहार बुला रहा हैं।

अपश्यु... कौन है मैं तो यह के किसी को नहीं जनता।

"साहब वो तो मैं नहीं जनता लेकिन वो कह रहें थें आप उनके घनिष्ट मित्र हैं।"

घनिष्ट मित्र की बात सुन अपश्यु उठाकर उसके साथ चल दिया।



आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए अभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद


🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जब हम सुधर रहे हो और कोई हमे पुराने कर्म की सजा दे !!!
6OiKjo

शादी की तैयारिया और उनसे जुडी मस्तिया :love3:
इनसब मे मेरा पसंदीदा किरदार रावण कही नजर नही आया :?:

बाकी अपडेट एकदम लल्लनटॉप :daru:
 

parkas

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Update - 31


रात आई और चली गई की तर्ज पर बीती रात घाटी घटना को भुला कर सभी फिर से नए जोश और जुनून के साथ रघु के शादी के जश्न मानने की तैयारी में झूट गए। आज महेंदी का रश्म था। दोनों के हाथ आज महेंदी के रंग से रंगा जाना था। ताकि महेंदी का रंग दोनों के दांपत्य जीवन को खुशियों से भर दे।

राजेंद्र के पुश्तैनी घर में सभी अपने अपने तैयारी में लगे हुए थे भगा दौड़ी और लोगों का जमघट लगा हुआ था। पर इन सभी चका चौंध से दूर अपश्यु रूम में अकेला बैठा था। अपश्यु का अपराध बोध उस पर इतना हावी हों चुका था। चाह कर भी अपराध बोध से खुद को मुक्त नहीं करा पा रहा था। सिर्फ अपराध बोध ही नहीं अब तो उसे ये डर भी सता रहा था मां, बडी मां, बहन, भाई, पापा और बड़े पापा का सामना कैसे करेगा, उसके नीच और गिरे हुए कुकर्म की भनक भी उन्हें लग गया तो न जानें वो कैसा व्यवहार अपश्यु के साथ करेगें। अपश्यु का दिमाग और मन उसे विभिन्न दिशाओं में भटका रहा था, अलग अलग तर्क दे रहा था। अपश्यु इन्हीं तर्को में उलझा हुआ था।

अपश्यु दिमाग... अरे हो गया गलती अब छोड़ इन बातों को आगे बढ़ दुनियां में बहुत से लोग हैं जो तूझसे भी गिरा हुआ नीच काम करते हैं। वो तो इतना नहीं सोचते। तू क्यों सोच के अथाह सागर में डूब रहा हैं।

अपश्यु मन…. इससे भी नीच काम ओर क्या हों सकता हैं तूने न जानें कितनो के बहु बेटियो को खिलौना समझ उनके साथ खेला उनके आबरू को तार तार किया तू दुनिया का सबसे नीच इंसान हैं। तू ने दुनिया का सबसे नीच काम किया हैं जारा सोच गहराई से तूने क्या किया हैं।

अपश्यु दिमाग... तूने कोई नीच काम नहीं किया ये तो तेरा स्वभाव हैं। तूने स्वभाव अनुसर ही व्यवहार किया था। इसमें इतना अपराध बोध क्यू करना, तू जैसा हैं बिल्कुल ठीक हैं। तू ऐसे ही रहना। थोड़ा सा भी परिवर्तन खुद में न लाना।

अपश्यु मन... तू अपराधी हैं। तुझे अपराध बोध होना ही चाहिए। तूने देखा न कैसे कालू और बबलू के मां बाप नाक रगड़ रगड़ कर माफ़ी मांग रहे थें तू सोच तेरे मां पर किया बीतेगा जब उन्हें पता चलेगा तूने कितना गिरा हुआ हरकत किया था। सोच जब तेरी बहन ये जन पाएगा उसका भाई दूसरे के बहनों के इज्जत को तार तार करने का घिनौना काम किया हैं तब तू किया करेगा , तेरी बडी मां जो तुझे अपने सगे बेटे की तरह प्यार दिया जब उन्हें पाता चलेगा तूने उनके दमन में न जानें कितने दाग लगाया तब तू किया करेगा? सोच जब तेरा दोस्त जैसा भाई जो तेरे एक बार बोलने से तेरा मन चाह काम करता था तेरा किया सभी दोष अपने सर लेकर डाट सुनता था तब किया करेगा। अभी समय हैं जा उन सभी से माफी मांग ले उन्होंने अगर माफ कर दिया तो समझ लेना ऊपर वाले ने भी तुझे माफ कर दिया।

अपश्यु दिमाग…. नहीं तू ऐसा बिल्कुल भी मत करना नहीं तो वो माफ करने के जगह तुझे धूतकर देंगे। उनके नज़र में तू एक अच्छा लडका हैं सच बोलते ही तू उनके नजरों में गिर जायेगा। तू दुनिया के नज़र में चाहें जितना भी गिरा हुआ हों उनके नजरों में तू एक अच्छा लडका हैं। इसलिए तेरा चुप रहना ही बेहतर हैं।

अपश्यु मन…सोच जारा जब तेरे मां, बाप, बडी मां, बड़े पापा, भाई , बहन दूसरे से जान पाएंगे उनका बेटा भाई कितना गिरा हुआ हैं। तब उन्हें कितना कष्ट पहुंचेगा हों सकता है उन्हें तेरे कारण दूसरे के सामने नाक भी रगड़ना पड़े तब तू किया करेगा सह पाएगा उनका अपमान कल ही कि बात सोच जब उन लड़कों ने तेरे बहन को छेड़ा फिर उनके मां बाप को कितना जलील होना पडा, इतना जलील होते हुए तू मां बाप को देख पाएगा। अगर देख सकता हैं तो ठीक हैं तू चल उस रास्ते पर जिस पर चलने का तेरा दिल चाहें। लेकिन एक बात ध्यान रखना आज मौका मिला हैं सुधार जा नहीं तो हों सकता हैं आगे सुधरने का मौका ही न मिले।

अपश्यु के दिमाग और मन के बिच जंग चल रहा था। तर्क वितर्क का एक लंबा दौर चला फिर मन दिमाग पर हावी हों गया। अपश्यु मन की बात सुनकर खुद से बोला... मैं सभी को सच बता दुंगा लेकिन आज नहीं आज अगर मैने उन्हे सच बता दिया ददाभाई के शादी के ख़ुशी का रंग जो चढ़ा हुआ है वो फीका पड़ जायेगा मैं शादी के बाद अपना करतूत उन्हे बता दुंगा और उनसे माफ़ी मांग लूंगा। माफ किया तो ठीक नहीं तो कहीं दूर चला जाऊंगा।

अपश्यु खुद में ही विचाराधीन था और उधर अपश्यु को न देख सभी उसे ढूंढ रहे थें। लेकिन उन्हें अपश्यु कहीं मिल ही नहीं रहा था। रघु अपश्यु को ढूंढते हुए सुरभि के पास पहुंचा और बोला... मां अपने अपश्यु को कही देखा हैं न जाने कहा गया कब से ढूंढ रहा हूं।

सुरभि…. मैं भी उसे नहीं देखा कुछ जरूरी काम था जो उसे ढूंढ रहा हैं।

रघु…मां जरुरी काम तो कुछ नहीं सभी को देख रहा हूं बस अपश्यु सुबह से अभी तक नहीं दिखा इसलिए पुछ रहा था

सुरभि…. ठीक है मैं देखती हूं।

सुरभि पूछताछ करते हुए। सुकन्या के पास पहुंचा सुकन्या उस वक्त कुछ महिलाओं के साथ बैठी बातों में मशगूल थीं।

सुरभि... छोटी अपश्यु कहा है उसका कुछ खबर हैं रघु कब से उसे ढूंढ रहा हैं।

सुकन्या... दीदी अपश्यु अपने रूम में हैं न जानें कितना सोता हैं कितनी बार आवाज दिया कोई जवाब न दे रहा था आप जाकर देखो न हों सकता है अपकी बात मन ले।

सुरभि... ठीक हैं मै देखती हूं।

सुरभि सीधा चल दिया अपश्यु के रुम की ओर जाकर दरवाज़ा पीटा लेकिन दरवाज़ा नहीं खुला फिर दरवाज़ा पीटते हुए बोला…. अपश्यु दरवाज़ा खोल जल्दी खोल बेटा तुझे रघु बुला रहा हैं।

अपश्यु अभी अभी विचारों के जंगल से बाहर निकाला था। बडी मां की आवाज़ सुन आंखे मलते हुए दरवाज़ा खोला दरवाज़ा खुलते ही सुरभि बोली… ये kuyaaa…

सुरभि पूरा बोल ही नहीं पाई अपश्यु की लाल आंखे देख रूक गई फिर अपश्यु बोला…. हा बडी मां बोलों कुछ काम था।

सुरभि... बेटा माना की देर रात तक जागे हों फिर इतने देर तक सोना अच्छा नहीं हैं । घर में शादी हैं आए हुए महमनो का अवभागत करना भी जरुरी हैं।

अपश्यु... बडी मां देर रात तक जगा था तो आंख ही नहीं खुला अब किया करता।

सुरभि…अब जाओ जल्दी से तैयार होकर नीचे आ रघु तुझे ढूंढ रहा था।

अपश्यु…दादा भाई ढूंढ रहे थें चलो फिर पहले उनसे हो मिल लेता हूं।

ये कह अपश्यु बाहर को जानें लगा तब सुरभि रोकते हुए बोली... जा पहले नहा धोकर अच्छा बच्चा बनकर आ भूत लग रहा हैं कहीं किसी मेहमान ने देख लिया तो भूत भूत चिलाते हुए भाग न जाए।

सुरभि की बाते सुन अपश्यु मुस्करा देता है सुरभि अपश्यु के बिखरे बालो पर हाथ फेर बाहर चाली जाती हैं फिर अपश्यु बाथरूम में घुस जाता हैं। कुछ क्षण में बाटरूम से निकल टिप टॉप तैयार होकर नीचे आता हैं। फिर इधर उधर काम करने में मगन हों गया।

ऐसे पल पल गिनते गिनते शाम हों गया। शाम को मेंहदी रस्म की तैयारी चल रहा था। महिलाओं का जमघट लगा हुआ था। मेंहदी रचाने वालों को बुलाया गया था तो वे अपने अपने काम में लग गए। कोई रघु के हाथ में मेहंदी लगा रहें थे तो कोई सुकन्या, सुरभि पुष्पा के हाथों में मेंहदी लगा रहें थें। अपश्यु और रमन दोनों एक साईड में खड़े देख रहे थें। दोनों को देख सुरभि बोली…. अपश्यु रमन तुम दोनों नहीं लगवाओ तुम भी लगवा लो भाई और दोस्त की शादी हैं तुम दोनों को तो खुद से आगे आकर लगवाना चाइए था।

रमन... रानी मां शादी रघु की है हम क्यों लगाए वैसे भी मेंहदी लड़कियों और औरतों के लिए हैं हम लड़कों के लिए नहीं।

अपश्यु…. हां बडी मां मुझे नहीं लगाना मेंहदी ये तो लड़कियों के हाथ में शोभा देती हैं लड़कों के हाथ में नहीं।

सुरभि…मेंहदी सिर्फ श्रृंगार के लिए नहीं लगाया जाता हैं। कहा जाता हैं मेंहदी का रंग जीवन में खुशियों का रंग भर देता हैं। इसलिए शादी जैसे मौका पर सभी मेंहदी लगवा सकता हैं। तुम दोनों भी लगवा लो जिससे जल्दी ही तुम्हारे जीवन में भी रंग भरने वाली कोई आ जाए।

ये कह सुरभि मुस्कुरा देती हैं। और पुष्पा आंखे दिखाते हुए बोली... चलो आप दोनों भी मेंहदी लगवा लो नहीं तो सोच लो मेरा कहना न मानने पर आप दोनों का किया होगा।

दोनों मन ही मन बोले इतनो लोगों के बीच कान पकड़ने से अच्छा मेंहदी लगाना ही ठीक रहेगा। इसलिए दोनों चुप चाप मेंहदी लगने बैठ जाते हैं।

उधर महेश के घर पर भी मेंहदी का रश्म शुरू हों गया था। कमला को बीच में बिठा चारों और से कुछ महिलाएं घेरे हुए नाच गाना कर रहे थे। मेंहदी रचाने वाली लड़कियां कोई कमला के हाथ में मेहंदी लगा रहे थें तो कोई पांव में मेंहदी लगा रहे थें। कमला के साथ उसकी दोनों सहेलियां बैठी थी और बात कर रही थीं।

चंचल... कमला मेहंदी तो तूने पहले भी कई बार रचाया हैं आज कैसा लग रहा हैं सैयां के नाम की मेहंदी रचते हुए ।

शालू…मन में लड्डू फुट रहा होगा। बता न कमला किसी के नाम की मेहंदी जब हाथ में रचती हैं तब कैसा लगता हैं।

कमला... मैं क्यों बताऊं जब तुम दोनों के हाथ में किसी के नाम की मेहंदी रची जाएगी तब खुद ही जान जाओगे अब तुम दोनों चुप चाप मेहंदी लगाने दो।

चंचल…. मेहंदी कौन सा तेरे मुंह पर लग रही हैं जो तू हमसे बात नहीं कर सकती।

शालू... अरे शालू तू नहीं समझ रहीं हैं हमारी सखी अब सजन की हों चुका भला बो हमसे बात क्यों करेंगी।

कमला…. तुम दोनों को चुप करना हैं कि नहीं या पीट कर ही मानोगे।

चंचल... कमला तू बहुत याद आयेगी रे शादी के बाद तू हमें भुल तो नहीं जाएगी बोल न।

कमला…नही रे मैं तुम दोनों को कैसे भुल सकती हूं तुम दोनों तो मेरे सबसे प्यारी सखी हों….

कमला अधूरा बोला आंखो से नीर बहा देती हैं। आंखे नम शालू और चंचल की भी हों गईं। आखिर इतनों वर्षो का साथ जो छुटने वाला था। दोनों ने बहते आंसू को पोंछा फिर कमला के आंसू भी पोछा फिर चंचल बोली... तू भूलना भी चाहेगी तो हम तुझे बोलने नहीं देंगे।

शालू... और नहीं तो क्या हम तुझे पल पल याद दिलाते रहेंगे।

इन तीनों की हसी ठिठौली फिर शुरू हों गया । लेकिन मनोरमा बेटी को मेहंदी लगते देख खुद को ओर न रोक पाई इसलिए एक कोने में जाकर अंचल में मुंह छुपाए रो रहीं थीं। महेश के नजरों से मनोरमा न छुप पाया। मनोरमा को कोने में मुंह छुपाए रोते देख महेश पास गया फिर बोला…. मनोरमा इस ख़ुशी के मौके पर यू आंसू बहा कर गम में न बदलो देखो हमारी बेटी कितनी खुश दिख रही हैं।

मनोरमा... कैसे न रोऊं जिन हाथों से लालन पालन कर बेटी को बडा किया एक दिन बाद उसी हाथ से बेटी को विदा करना हैं। ये सोच किस मां के आंख न छलके आप बताओं।

मनोरमा की बात सुन महेश के भी आंखे नम हों गया। दोनों एक दुसरे को समझने में लगे हुए थे। पर कमला की नज़रे मां बाप को ढूंढ रहा था। कमला के हाथ और पैरों में मेहंदी रचा जा चुका था। मां को दिखा कर पूछना चाहती थी मेहंदी कैसी रची हैं। ढूंढते हुए उसे मां बाप एक कोने में खड़े दिखा। कमला उठकर उनके पास गई। फिर बोली... मां देखो तो मेरे हाथ में रची मेहंदी कैसी दिख रही हैं।

मनोरमा एक नज़र कमला के हाथ को देखा फिर कमला से लिपट रोने लगा। कमला भी खुद को ओर न रोक पाई, फुट फुट कर रो दिया। दोनों कुछ क्षण तक रोते रहे फिर महेश के कहने पर दोनों अलग हुए। कमला मां को साथ लेकर गई फिर खुद पसंद करके मां के हाथ में मेहंदी रचवाया।

कुछ देर तक और मेहंदी रचने का काम चलता रहा और महिलाओं का नाच गाना चलता रहा। नाच गा कर जब सभी थक गए तब मेहंदी रस्म को विराम दे दिया गया।



अगले दिन शादी था तो जहा लङकी वाले बारातियों के स्वागत सत्कार के तैयारी में जुट गए वही लडके के घर पर बारात ले जानें की तैयारी में जुट गए।

उधर संकट इस बात से परेशान था। उसे अभी तक मौका नहीं मिला था। दल बल के साथ खड़े इसी पर विचार कर रहा था।

संकट... यार क्या करूं समझ ही नहीं आ रहा। कोई मौका भी नहीं बन रहा अभी अपश्यु का कुछ नहीं किया तो न जानें फ़िर कब मौका मिलेगा।

विंकट... अरे उस्ताद कोई न कोई मौका बन ही जायेगा मुझे लगता है शादी के एक दो दिन बाद ही मौका मिला जायेगा।

"अरे शादी के बाद नहीं हमे आज ही कुछ करना होगा इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा।"

"हा मौका तो अच्छा हैं लेकिन अपश्यु अकेले मिलना भी तो चाहिए ऊपर से ये ठुल्ले मामू लोगों ने अलग ही जमघट लगा रखा हैं।"

"अरे यार बड़े घर की शादी है तो पुलिस तो आयेंगे ही। यार संकट तू कुछ बता हमारा दिमाग तो काम ही नहीं कर रहा हैं।"

संकट सोच की मुद्रा में आ गया। आगे कैसे क्या किया जाए बिना पुलिस के नज़र में आए। संकट सोचने में गुम था तभी विंकट बोला... मेरे दिमाग में एक योजना है कहो तो सुनाऊं।

सभी विंकट का मुंह ताकने लगे कुछ क्षण तक ताका झाकी करने के बाद संकट बोला…. सुनता क्यों नही अब सुनने के लिए भी मूहर्त निकलबाएगा।

विंकट.... उस्ताद क्यों न आप बरती बन बारात में सामिल हों जाओ फिर रात में सभी शादी में मगन होंगे तब कोई जाकर बहाने से अपश्यु को बुला कर ले आना फिर किसी सुनसान जगह ले जा'कर अपना अपना भड़ास निकाल लेना।

संकट…. हां ये ठीक रहेगा हम सभी बारात में बाराती बन चलते हैं। लडकी वालो के वहा पहुचकार कोई सुनसान जगह देख कर अपश्यु को बुला कर लायेंगे फिर जमकर धोएंगे।

सभी संकट के बात से सहमत हों गए फिर सभी बारात में जानें की तैयारी करने चल दिए। इधर राजेंद्र के पुश्तैनी घर पर भी बरात लेकर जानें की तैयारी शुरू हों गया। सभी मेहमान भी आ चुके थे सहनाई की मधुर धुन बज रहा था। एक कमरे में रघु को तैयार किया जा रहा था। रघु को कुछ क्षण में तैयार कर दिया गया। रघु के ललाट से गाल तक चंदन के छोटे छोटे टिके लगाया गया था। पहनावे में धोती कुर्ता सर पर सफेद शंकुआकार का टूपूर था (बंगाली समझ का ये एक पारंपरिक लिबाज है जो शादी के वक्त दूल्हे को पहनाया जाता है।)

दूल्हा रघु तैयार था तो कुछ रस्में थी जो निभाया जाता था उसे निभाने के लिए सुरभि सुकन्या रघु के कमरे में गया। रघु को सजा धजा देख कर सुकन्या रघु के पास गया उसके कान के पास एक टीका लगा दिया। उसके बाद जो रस्में थी उसे निभाया गया फिर रघु को बहार लाया गया। फिर कुछ वक्त नाच गाना हुआ और बारात को प्रस्थान कर दिया गया। सभी बाराती रघु के पीछे हों लिए भीड़ में संकट गैंग के साथ सामिल हों गया।

नाचते गाते सभी आ पहुंचे महेश के घर महेश के घर की रौनक ही अलग था। बेहतरी तरीके से सजावट किया गया था। तरह तरह की लाइटों से पुरा घर चमक रहा था। गेट पर रघु को रोका गया जहां मनोरमा आकार रघु का टीका कर अन्दर जानें की अनुमति दे गया। रघु की कोई शाली नहीं था तो कमला की दोनों सहेली ने गेट पर ही साली होने का दायित्व निभाया शालू ने रघु का एक पैर धुलवाया फिर बोली…जीजा जी अब बक्शीस दीजिए तब ही दूसरा पैर धुलेगा।

रमन और अपश्यु, रघु के अगल बगल खड़े थे। अपश्यु शालू और चंचल के साथ तर्क वितर्क में उलझा हुआ था लेकिन रमन का उससे कोई मतलब नहीं थे। रमन तो शालू को देखने में ही खोया हुआ था। शालू सजी साबरी बाला की खूबसूरत लग रही थीं। जिसे देख रमन शालू को देखने में खोया था। मन ही मन अलग ही सपने बुन रहा था। चंचल एक नज़र रमन को देखा फिर शालू के कान में कहा... शालू देख तूझे कैसे देख रहा। लगता है तुझ पर फिदा हों गया।

शालू रमन की और देखा फिर नजरे झुका लिया। इनके क्रिया कलाप पर अपश्यु की नज़र पड़ गया। रमन को खोया देख रमन को हिलाया फिर बोला... किए देख रहे हों रमन भईया कोई खजाना दिख गया।

अपश्यु के बोलते ही रमन भूतल पर आया और नज़रे चुराने लगा। ये देख अपश्यू शालू और चंचल मुस्कुरा दिए। कुछ क्षण तक दोनों पक्षों में लेन देन को लेकर बाद विवाद चलता रहा। रमन बाद विवाद में शालू की और देखकर ही बात कर रहा था। तो जब दोनों की नज़रे मिलता तो नज़रे चुरा लेते। दोनों को पहली नज़र के चुंबकीय शक्ति ने आकर्षित कर लिया दोनों एक दूसरे को देख रहे थें लेकिन एक दूसरे से नज़रे बचाकर। बरहाल लेने देन का मशला सुलझा फिर रघु के दूसरे पैर को धुलवाया गया। रघु का मुंह मीठा करने के बाद रघु को अन्दर ले जाया गया।

संकट और उसके गैंग ने आते ही अपना काम शुरू कर दिया । उन्हे एक खाली जगह चाहिएं था तो उसे ही ढूंढने लगे। वो भी मिल गया लेकिन खाली जगह महेश के घर से थोड़ा दूर था। तो वहा तक अपश्यु को लाने के लिए सभी ने एक योजना बनाकर अन्दर गए और मौका मिलते ही किसी बहाने से अपश्यु को बुलाकर बहार ले जाएंगे। लेकिन उन्हें एक डर ये भी लग रहा था महेश के घर में पुलिस की संख्या ज्यादा था कहीं वो पुलिस के नज़र में न आ जाएं।
इधर मंडप में आने के बाद रघु को एक सोफे पर बैठा दिया गया रघु के अगल बगल रमन अपश्यु और पुष्पा बैठे थे। रमन इधर उधर नज़रे घुमा शालू को ढूंढ रहा था। पर शालू उसे नज़र नहीं आ रहा था। ये पुष्पा ने देख लिया तब पुष्पा बोली... रमन भईया कुछ परेशान हों कुछ चाहिएं था।

रमन झेप कर... नही नही कुछ नहीं चाहिएं।

अपश्यु…. मैं जनता हुं रमन भईया को किया चाहिएं बता दूं रमन भईया।

रमन... नहीं अपश्यु कुछ न बता देख फिर अच्छा नहीं होगा।

पुष्पा... बताओं न भईया बात किया हैं।

रघु... हा रमन बता न बात किया हैं।

रमन टाला मटोली कर रहा था और अपश्यु मजे ले रहा था फ़िर अपश्यु ने रघु के कान में कुछ बोला सुनकर रघु मुस्कुराया फ़िर बोला... क्या यार इतनी सी बात बोलने में शर्मा रहा हैं रुक अभी मैं किसी को बुलाता हुं।

रघु ने आस पास घूम रहे वेटर में से एक को बुलाया फिर रमन को दिखाते हुए बोला... इनको फ्रेश होने जाना हैं। क्या आप इसको ले'कर जा सकते हों।

रमन…मैंने कब कहा मुझे बाथरूम जाना हैं।

अपश्यु मुंह पर हाथ रख हंसते हुए वेटर को जानें को कहा फिर एक बार रघु के कान में कुछ कहा तब रघु बोला... क्यों रे रमन मेरी शादी करवाने आया या अपनी वाली ढूंढने आय हा बता।

रमन…. अपश्यु तूझे माना कर था न फ़िर क्यों बताया।

रमन अपश्यु और रघु हल्की हल्की आवाज में बात कर रहे थें। तो पुष्पा को न कुछ सुनाई दे रहा था न ही कुछ समझ आ रहा था इसलिए पुष्पा बोली... आप तीनों में क्या खिचड़ी पक रहा हैं मुझे बातों नहीं तो सोच लो खिचड़ी खाने लायक नहीं रहेगा।

अपश्यु... पुष्पा मैं बताता हुं फिर अपश्यु ने शालू और रमन के बिच के नैन मटका वाला किस्सा सुना दिया। सुनकर पुष्पा बोली... तो ये बात हैं। वैसे रमन भईया अपको लड़की पसन्द है तो इस मामले में भाभी ही कुछ मदद कर सकती हैं अपको उनसे ही मदद मांगना चाहिएं।

इसके बाद तो तीनों मिलकर रमन को छेड़ने लगे। कुछ वक्त तक इनका रमन को छेड़ना चलता रहा। पुरोहित जी आकार मंडप में सभी तैयारी कर लिया फिर उन्होंने रघु को मंडप में आने को कहा। रघु हाथ मुंह धोकर मंडप में बैठा। फिर पुरोहित ने कहा कन्या को बुलाया जाए। कुछ क्षण में कमला घूंघट उड़े दुल्हन के लिवास में शालू ओर चंचल के साथ सीढ़ी से धीरे धीर चलकर आ रही थीं। रघु दुल्हन के लिवास में कमला को देख उसके चेहरे को देखने के लिए तरस रहा था और रमन तो एक टक शालू को देखे जा रहा था। बीच बीच में शालू भी रमन की और देख लेती दोनों के नज़रे मिलते ही शालू नज़रे झुका मंद मंद मुस्कुरा देती। रमन और शालू का नैन मटका करना पुष्पा देख लेती हैं तो रमन को कोहनी मर बोली... भईया क्या कर रहे हों थोड़ा कम देखो नहीं तो लड़की अपको छिछोरा समझ लेगी।

रमन झेप कर नज़रे नीचे कर लेता हैं। कमला के मंडप में बैठते ही शादी की विधि शुरू हों जाता हैं। राजेंद्र ये देख खुशी के आंसु बहा रहा था। कितनी कोशिशों के बाद आज उसे ये दिन देखना नसीब हो रहा था। रावण मन ही मन खुद को गाली दे रहा था। इतना यतन करने के बाद भी जो नहीं चाहता था वो आज उसके आंखो के सामने हों रहा था। खैर कुछ क्षण बाद पूतोहित जी के कहने पर महेश जी मंडप में पधारे रघु और कमला का गठबन्धन कर कमला का हाथ रघु को सौफ कर कन्या दान का रस्म भीगे नैनों से पूर्ण किया। रस्म के दौरान कमला के नैन अविरल बहे जा रहा था। कन्या दान के रस्म के बाद उसे बाप का घर छोड़ एक नए घर में जाकर वहा के रीति रिवाज के अनुसार चलना था। जो आजादी बाप के घर में मिला था शायद कमला को ससुराल में वो आजादी न मिले। लेकिन। वहा उसे एक नया रिश्ता निभाना था। बाप के मान इज्जत का ख्याल रखना था। ससुराल में नए सिरे से सभी के साथ अपने पान का रिश्ता जोड़ना था। इधर कन्या दान का रस्म चल रहा था उधर संकट के भेजे एक आदमी ने आकार अपश्यु से कहा... साहब आपके कोई बहार बुला रहा हैं।

अपश्यु... कौन है मैं तो यह के किसी को नहीं जनता।

"साहब वो तो मैं नहीं जनता लेकिन वो कह रहें थें आप उनके घनिष्ट मित्र हैं।"

घनिष्ट मित्र की बात सुन अपश्यु उठाकर उसके साथ चल दिया।



आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बने रहने के लिए अभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद


🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Nice and excellent update...
 
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