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Update likh liya hai bas kuch correction karne ke bad kal ko de dunga.waiting for the next update...
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Shaandar line
Wow what a wonderful line .......
Wonderful writing ........ Superb dost amazing updated brother
ऐसा क्या राज है की सुकन्या को अपने आप को बुरा दिखाना पड़ रहा है। कौन है वो जिससे वो भाई कह कर बात कर रही थी । कहीं ये वो वकील तो नही है। क्या सुकन्या अपने राज को राजेंद्र और सुरभि को बता कर माफी ले पाएगी। बहुत ही प्यारा अपडेट।
Awesome Update bhaiii
Yeh toh alag hi dhamaka kardiya aapne. Sukanya achhi hai yaa buri yeh samaj nhi aaraha hai. Woh apne sage bhai ke jhaase mein aake sabke saath galat kar rahi hai. Aakhir kyo aisa kyaa kaaran hai.
Sukanya to bahut achi he lekin apni bhai k dawav me aake sabke sath rude behave kar rahi he.lekin uske piche bahut bada Raaz he. Sab log property k liye danav bane bathe hain. Raman ko bahut pareshan kar diya pushpa Ne
Story me naya twist agaya new villain ki entry
Amazing update
Superb update
Badhiya shaandaar
Update bhai
Lajawab
Next update post kar diya haiwaiting for the next update...
Apyasu aur sukanya cahe jitna bura bartaw karte hain lekin pushpa ko dono bahut pyar karte hain.Rajendra ne Ravan ko shaddi k baat batake sara gud gobar kar diya .Ravan Aab raghu ki shaddi todneke bharpur kosis karegaa.Update - 24
अपश्यु की आवाज सुन पुष्पा रुक गई थी फिर पलटकर अपश्यु की ओर देख रहीं थी। अपश्यु को देखकर पुष्पा रोने वाला चेहरा बना कर बोलती हैं…भईया देखो न मां मुझे सजा दे रही हैं। जबकि मैंने कुछ गलती किया ही नहीं।
अपश्यु पुष्पा के पास आकार उसे गले से लगा लिया और सुरभि की ओर देखकर बोला…. बडी मां आप कैसे हों। अपने ने ऐसा क्यों किया पुष्पा को कोई भी सजा नहीं दे सकता अगर उसने कुछ गलती किया है तो ये सजा मैं भुगतने को तैयार हूं।
ये कहकर अपश्यु कान पकड़ उठक बैठक करने लगता हैं। तब सुरभि उसे रुकते हुए कहती हैं... गलती पुष्पा करे ओर सजा तू भुक्ते ऐसा कब तक चलेगा।
अपश्यु... बड़ी मां जब तक मैं जिंदा हु तब तक ऐसा चलाता रहेगा अब आप ये बताओ उठक बैठक कितना लगाना हैं।
अपश्यु की बात सुन सुरभि भावुक हो गई थीं। अपश्यु भले ही कितना भी बिगड़ा हुआ था लेकिन पुष्पा के साथ उसका जो रिश्ता था उसमे कोई मैल नहीं था दोनों के उम्र में मात्र छः महीने का अंतर हैं। सुरभि बचपन से देखती आ रही थीं। पुष्पा कोई भी गलती करें तो अपश्यु सभी गलती अपने सर ले लेता था। आज पांच साल बाद अपश्यु का वोही प्यार देख सुरभि भावुक हों गई थीं। सुरभि उठी अपश्यु के पास गई और उसे रोकते हुए बोली…. रुक जा ओर उठक बैठक करने की जरूरत नहीं हैं। पुष्पा को सजा देने का जब भी मौका हाथ आता हैं न जानें तू कहा से बिच में टपक पड़ता हैं।
अपश्यु रुक गया और फिर दोनों भाई बहन में बाते होने लगा। बाते करते हुए दोनों एक दुसरे से मस्करी भी कर रहें थे किसी किसी बात पर दोनों खिलखिला कर हंस देते सुरभि बैठे बैठे इन दोनों को मस्करी करते हुए देख रही थीं। दोनों को रुकने के लिए भी कहा और पुष्पा को रूम में जाकर फ्रेश होने को कहा लेकिन पुष्पा ने उनकी बातों को ध्यान ही नहीं दिया। अपने ही धुन में अपश्यु के साथ मस्ती करती रहीं। कुछ देर बाद सुरभि ख़ुद ही उठकर चली गईं। दोनों ऐसे ही बाते करते रहें।
रघु और रमन दोनो रघु के रूम में गया। वहा एक एक करके फ्रेस हुआ और कपड़े बदले फिर रमन ने पूछा... बताना यार सरप्राइस किया हैं मुझसे और wait नही होता।
रघु... बता दूंगा लेकिन वादा कर नाराज नहीं होगा।
रमन... चला किया वादा अब बता सरप्राइस किया हैं।
रघु… आने वाली 26 तारीक को तेरे दोस्त की शादी हैं।
ये सुनकर रमन किया रिएक्ट करे भुल ही गया फिर अचानक उठ खडा हुआ और रघु को मुक्के ही मुक्के मरने लगा रघु खुद को बचाने की भरसक प्रयास कर रहा था। रमन को दूर हटने की भी प्रयास कर रहा था लेकिन रमन रुकने का नाम ही नही ले रहा था, न हि दूर हों रहा था। बस मारे ही जा रहा था। रघु को बचने का कोई और रास्ता नजर नहीं आ रहा था तब बोला…. रमन तूने वादा किया था नाराज नहीं होगा अब क्यों वादा तोड़ रहा हैं।
रमन रुका फिर बोला…. वादा कौन सा वादा किया था मुझे तो कुछ याद नहीं और फिर से रघु पर मुक्को की बरसात कर दिया कुछ क्षण मरने के बाद रमन रुका और बोला...मन तो कर रहा हैं तुझे और मारू और तेरी हड्डी पसली तोड़ दू लेकिन तू अस्पताल पहुंच गया तो किसकी शादी में नाचूंगा। तू भी गजब हैं कब लडकी देखा कब शादी तय हुआ कुछ बताना भी जरूरी नहीं समझा क्या मैं इतना गया गुजरा हूं।
रघु... ज्यादा उटपटांग बोला न तो तुझे मैं मरूंगा। तू जानता है मेरे जीवन में जो भी खुशी का पल आता है सबसे पहले मैं तुझे बता हु। कमला के बारे में भी तुझे बताने वाला था लेकिन न जाने क्यों पापा ने किसी को बताने से मना किया था मै ही जानता हु कैसे ख़ुद को रोका हुआ था। कल जब शादी के दिन का पाता चला तब खुद को ओर न रोक पाया। तुझे सरप्राइस हैं बोलकर यह बुला लिया।
रमन… सरप्राइस सुनने में अच्छा है kamlaaaa लेकिन देखने में कैसी है कानी भैंगी तो नहीं हैं।
रमन कहकर मुस्कुरा दिया। रमन को मुस्कुराते देख रघु चीड़ गया फिर बोला शुरू किया …. कमला को कानी भैंगी बोला तो बहुत मारूंगा। कमला बहुत खूबसूरत हैं उसके रुप सौंदर्य के मोह जल में मैं फांस गया हूं। झील जैसी गहरी आंखे उसकी आंखो में देखता हूं तो ऐसा लगता हैं मैं भावर में फसता जा रहा हूं। काले लंबे केश जब लहराती हैं तो ऐसा लगता हैं जैसे सूरज के तीव्र वेग को रोकने में प्रयास रत हों। उसका गोरा दमकता मुखड़ा जिसे देखता हु तो आत्म तृप्ति का सुखद अनुभूति होता हैं। उसके लब मानो नसीले रसायनों का मिश्रण जिसे पीने के लिए मैं लालायित हों जाता हूं। उसके स्वर मानो सातों सरगमो को मिलाकर किसी ने मधुर तरंगे छोड़ दिया हों जिसे सुनकर कान तृप्त हों जाएं। ऐसी है मेरी कमला और तू उसे कानी भैंगी बोल रहा हैं।
रमन…ओ भाई तू तो गया लेकिन रूक क्यों गया और कर तारीफ अभी तो बाकी अंग भी रहा गया उसे क्यों छोड़ दिया लगे हाथ उसकी भी तारीफ कर दे।
रघु... हट पगले वो तेरी भाभी है और भाभी की दुसरे अंगो की तारीफ सुनेगा तुझे कहने में लाज भी नहीं आया।
रमन... क्या करू यार तू तारीफ ही ऐसे कर रहा था जिसे सुनने में बहुत मजा आ रहा था। इसलिए कह दिया तू नाराज न हों। लेकिन एक बात तो है कमला भाभी में कुछ तो बात है नहीं तो मेरा दोस्त जो लड़कियों की ओर देखता ही नहीं वो ऐसे तारीफ नहीं करता।
रघु...न जाने किया बात हैं जब से उसे देख हु तब से कुछ अच्छा नहीं लगता मन करता हैं उसके पास रहूं उससे बाते करू कभी कभी तो मन करता हैं अभी जाऊ और उसे अपने पास लेकर आऊ और खुद से दूर जाने न दू।
रमन ने रघु को गले से लगा लिया और बोला... यार तू तो प्रेम रोग से ग्रस्त हो गया तू तो गया काम से अरे कोई वैध को बुलाओ मेरे दोस्त को दिखाओ इसके दिल के खाली कमरे में कोई बस गया। उसे फ्रेम में टंगवाओ।
रघु…. तू मेरा मजाक उड़ा रहा हैं लेकिन तू नहीं जानता मुझपे किया बीत रहा हैं।
रमन…. अरे मैं मजाक नहीं कर रहा हूं सच कह रहा हूं। ये प्रेम का पहला लक्षण हैं जो तुझे धीरे धीर प्रेम के घेरे में ले रहा हैं। ओ मेरे यार को प्रेम हो गया अब तो मैं फुल टल्ली होकर नाचूंगा मुझे कोई नहीं रोक पायेगा।
रघु... क्या तू सच कह रहा है ये प्रेम के लक्षण हैं।
रमन... हां यार ये प्रेम के लक्षण हैं। ऐसे ही तो प्रेम की शुरुवात होता हैं ओर तेरा भी हो चुका हैं। भाभी के बारे में कुछ ओर बता जरा सुनूं तो ऐसी ओर किया बात हैं जिसने मेरे दोस्त को प्यार का अहसास करा दिया।
रघु... सब तो बता दिया ओर क्या बताऊं बस दो ही बार तो मिला हूं पहला दिन जब उसे देखने गया था और दुसरी बार दो दिन पिछे मिला था। बाकी फोन पर ही बाते करता हूं।
रमन... दो ही बार में तेरा ये हाल हैं मुझे तो लगता हैं ये रस्में रिवाज न होता तो तू आज ही भाभी को घर ले आता। लेकिन कोई बात ने कुछ दिन ओर रूक जा फिर धूम धाम से भाभी को घर लेकर आएंगे।
रघु…. सही कह रहा है ये रस्मों रिवाजों का बंधन नही होता तो मैं कब का कमला को घर ले आता। लेकिन कोई बात नहीं बीस दिन का ही तो प्रतीक्षा करना हैं। कर लूंगा। चल तुझे कमला से बात करवाता हूं।
रमन…. अच्छा मुझसे बात करवाएगा ये क्यों नहीं कहता। बात करने का तेरा मन कर रहा हैं ।
रघु... सही कह रहा हैं कमला से बात करने का बहुत मन कर रहा हैं।
रघु ने फोन लगाया फिर पहले खुद बात करने लगा फिर रमन से भी बात करवाए। इधर दोनों बात करने में लगे हुए थे। उधर रावण और सुकन्या घूम कर वापस आ गाए थे। सुरभि को देखकर सुकन्या ने कोई विशेष भाव नहीं दर्शाया सुरभि और सुकन्या में कुछ नोर्मल बाते हुआ। रावण से भी ऐसी ही बाते हुआ राजेंद्र वहा नहीं था कही गया हुआ था। ऐसे ही बातों बातों में रात के खाने का समय हों गया। आज रात के खाने में सभी एक साथ थे। खान खाने के बाद राजेंद्र बोला…कल सुबह सभी को एक खुश खबरी मिलने वाला हैं। जो हमारे महल को खुशियों से भरा देगा।
सुरभि, पुष्पा, रघु और रमन को पता था खुश खबरी किया था लेकिन रावण, सुकन्या, अपश्यु और बाकी लोगों को इसका पता नहीं था इसलिए सब अपने अपने दिमागी घोड़े को दौड़ने लगे। सब के विचार अलग अलग आ रहे थे कोई ठोस निस्कर्ष नहीं निकल रहा था। सब निष्कर्ष निकलते निकलते थक चुके थे लेकिन कोई नतीजा न निकल पाया तब रावण बोला…. दादा भाई बता दो खबर किया हैं मै तो सोच सोच कर थक चुका हूं।
इसके बाद तो सब एक एक कर पूछने लगें इनके उतावले पान को देखकर राजेंद्र बोला... सोचने के लिए आज का पूरा रात हैं। रात भर सोचो देखो किया निष्कर्ष निकलता हैं नहीं निकला तो मैं कल सुबह बता तो रहा हूं।
इसके बाद रावण जानने की जिद्द करने लगा उसका साथ अपश्यु भी दे रहा था लेकिन सुकन्या ने आज कोई उतावला पान नहीं दिखाया। ये देखकर सुरभि को लगा आज सुकन्या को किया हुआ कुछ बोल नहीं रही है जबकि ऐसे खबर सुनने के लिए सबसे ज्यादा उतावला पान सुकन्या ही दिखती थीं। कुछ तो हुआ है चलो कल सुबह बात करके देखती हूं।
इतना पुछने पर भी राजेंद्र ने कुछ नहीं बताया और सभी को अपने अपने रुम में जाकर आज रात भर सोचने को कहा और राजेंद्र उठकर चला गया उसके जाने के बाद एक एक कर सभी अपने अपने कमरे में चले गए। ऐसे ही रात बीत गया सुबह नाश्ते के बाद राजेंद्र ने कमान संभाला और रघु की शादी की खबर सुन दिया। सिर्फ सुनाया नहीं कब कौन सा रस्म होगा वह भी बता दिया। ये सुनकर रावण अचंभे में रहा गया। वो समझ नहीं पा रहा था खुशी मनाएं या मातम लेकिन बनावटी मुस्कान चहरे पर लाते हुई कहा...दादा भाई ये खुशी की खबर हैं लेकिन मैं आपसे नाराज हूं सब कुछ हों गया उसके बाद आप बता रहे हों पहले बताते तो क्या हों जाता।
राजेंद्र... माफ़ करना भाई सब कुछ इतना जल्दी हुआ बताने का मौका ही नहीं मिला।
रावण... चलो जो हुआ अच्छा हुआ लेकिन आप इतना तो बता सकते हैं। लडकी को आप दोनों ने कब देखा। लडकी कैसी हैं उसके घर वाले कैसे हैं। कलकत्ता में कहा रहते हैं।
राजेंद्र ने रावण को बता दिया कमला से कहा मिला कब बात हुआ किया किया बात हुआ। कमला के घर का एड्रेस भी बता दिया। राजेंद्र से सुनकर रावण मन में बोला…. जितनी खुशी खुशी आप बता रहे हों लेकिन आप ये न सोचे की यह खुशी आपको मिलने वाली हैं शादी तय हो गया तो किया हुआ टूट भी तो सकता हैं जल्दी ही आपको शादी टूटने की खबर मिलेगा।
फिर रावण ने राजेंद्र से बोला... दादा भाई हाथ में दिन कम हैं और तैयारी भी बहुत हैं तो हमें आज ही सभी तैयारी करना हैं। घर को अच्छे से सजाना हैं। बहुत सारा खरीददारी भी करना हैं। बहुत से जानें माने लोगों को दावत देना हैं। कौन से शादी घर में शादी के सभी फंक्शन होगा उसे भी तय करना हैं। महमानो को दावत कैसे देना हैं। किस तरह का निमंत्रण पत्र तैयार करवाना है उसको भी पसंद करना हैं।
राजेंद्र…रूक जा भाई सब हों जाएगा शादी किसी बारात घर में नहीं होगा। बारात लेकर हमे महेश बाबू के घर जाना है उनकी इच्छा है वो अपने इकलौती बेटी के शादी की सभी रश्म अपने घर में करेगें। मैं भी उनसे सहमत हूं। हम भी शादी की सभी रस्में अपने कलकत्ता वाले पुस्तैनी घर में ही करेगें और बारात का प्रस्थान भी वह से ही होगा। विदाई के बाद बहु को लेकर यह आ जाएंगे। बहु का गृह प्रवेश इसी घर में ही होगा। इसलिए मैंने फैसला लिया हैं। यह जिस जिसको दावत देना हैं उसकी लिस्ट तैयार कर तुझे दे दूंगा। तू यहां सब को दावत देने के बाद कलकत्ता आ जाना। इतना तो तू कर पाएगा न। तेरे साथ मुंशी भी यह रहेगा उसे मैंने सब बता दिया हैं।
रावण... हां हां क्यों नहीं में इतना क्या सभी काम मै ही करुंगा आप बस बताते जाएगा आखिर मेरे बड़े बेटे की शादी हैं।
रावण की बात सुन राजेंद्र गदगद हों गया था। उसे लग रहा था रघु की शादी की खबर सुन रावण उससे भी ज्यादा खुश है लेकिन राजेंद्र को नहीं पता रावण के मन में किया चल रहा था। वो तू सिर्फ खुश होने का दिखावा कर रहा था। इसके बाद सभी अपने अपने खास खास लोगों की लिस्ट बनाने लग गए। इसमें बहुत वक्त निकाल गया। सभी लिस्ट बनाने के बाद रावण और राजेंद्र दोनों भाई निमंत्रण पत्र छपवाने वाले के पास गए। चार पांच प्रकार के निमंत्रण पत्र पसंद किया उसे घर लाकर सभी को दिखाया। सभी ने देख कर एक निमंत्रण पत्र को पसंद किया उसे लेकर छपवाने वाले के पास गया। जितनी जल्दी हों सके छपने के लिए कहा। राज परिवार का मामला था इसलिए तीन दिन का समय मांग। ऐसे ही पूरा दिन भागा दौड़ी में लग गए। रावण को किसी ओर से बात करने का मौका ही नहीं मिला। इसी बिच रघु और रमन ने मुंशी को साथ लेकर हलवाई, घर सजने वाले और टेंट वाले से बात कर आया। घर सजने वाले को अगले दिन से घर को भव्य तरीके से सजने को कहा गया। टेंट वाले को कब किया करना है सब बता दिया गया। हलवाई को भी बता दिया गया था। सभी पुरुष घर के बाहर के कामों में व्यस्त थे तो महिलाओं के पास करने को कुछ था नहीं पुष्पा ने घर में उधम मचा रखा था। घर के सभी नौकर को पता चल गया था। उनकी नटखट छोटी मालकिन घर वापस आ गए है इसलिए उनकी सामंत आई हुई थीं। पुष्पा सभी नौकरी को परेशान कर रखा था। लेकिन कोई भी पुष्पा से नाराज नहीं हों रहा था। सुरभि सुकन्या से उसके परेशानी का करण जानना चाह लेकिन सुकन्या ने कुछ न बताकर गोल गोल घुमा दिया। लेकिन आज एक बात खास हुआ की सुकन्या ने सुरभि से अच्छे से बात किया। जिससे सुरभि बहुत खुश हों गया। ऐसे ही आज का दिन बीत गया और सभी खुशी ख़ुशी सो गाए लेकिन रावण बहुत परेशान था। उसे अपने काम को अंजाम देने के लिए किसी से मिलने का मौका ही नहीं मिला। इसी बात को लेकर रावण परेशान था सुकन्या से बात करना चाह लेकिन इसने भी मना कर दिया। अगला दिन भी ऐसे ही भागा दौड़ी में बीत गया। घर के साफ सफाई और सजावट वाले ने अपना काम शुरू कर दिया था। आज भी राजेंद्र ने दिन भर रावण को अपने साथ लगाए रखा। इन दो दिनों में अपश्यु सिर्फ दिखावे का काम करता रहा और मौका मिलते ही घर से भाग जाता था लेकिन जहां भी जाता था विकट उसके पीछे छाए की तरह लगा रहता था। तीसरे दिन रावण को मौका मिला उस दिन सुकन्या भी अच्छे मूड में थी। उसके अच्छे मूड के पीछे करण थी पुष्पा। सुकन्या भले ही सुरभि से कैसा व्यवहार करती हो लेकिन पुष्पा से बहुत प्यार करता था उसके किसी भी बात का बुरा नहीं मानता था। पुष्पा ने ही सुकन्या के मूढ़ को पूरी तरह बदल दिया था। जिस बात को लेकर सुकन्या परेशान थी बो उसे बिलकुल भुल गया था। इसलिए सूकन्या का अच्छा मुड़ देखकर रावण ने उससे बात करने की सोचा और उसे रात को सोते समय बात करना ही बेहतर समझा।
रावण किया बात करने वाला हैं कैसे रघु की शादी को तुड़बाएगा इसके बारे में अगले अपडेट से जानेंगे। यह तक साथ बने रहते के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद
majedar update ..sukanya ko dara dhamkake uska bhai kuch to bada plan karke baitha hai ,par dushmani ki wajah kya hai abhi pata nahi chal paya .Update - 23
पिछले दो दिन से सुकन्या कुछ ज्यादा ही विचलित रहने लगा था। गुमसुम सी एक कोने में बैठी रहती थी। उसके स्वभाव में इतना परिवर्तन सभी को खटक रहा था। नौकर चाकर सोच रहे थे सुकन्या को हुआ तो हुआ किया, ऐसे तो कभी नहीं करती थीं जो हमेशा सभी को बिना गलती के खरी खोटी सुना देती थी लेकिन पिछले दो दिनों से गलती करने पर भी कुछ नही कह रहे थे। दरसल आज सुबह नाश्ते के वक्त सुकन्या को जूस दिया जा रहा था। गिलास में जूस डालते वक्त जूस गिर गया और बह कर सुकन्या के कपड़ो पर गिर गया था। लेकिन सुकन्या ने कुछ नहीं कहा बस चुप चाप उठकर चली गईं। जिसके हाथ से जूस गिर था वो सोच रहा था आज तो समात आ गया लेकिन वैसा कुछ हुआ ही नहीं इसलिए सब अचंभित रह गए और सोचने लगे ऐसा कैसे हों सकता हैं बिना कुछ कहे सुकन्या कैसे चली गईं और सब आपस में बात चीत करने लगें।
"छोटी मालकिन के स्वभाव में इतना परिवर्तन ये तो चमत्कार हो गया"
"हां यार आज तो ये पीटने से बच गया इसका किस्मत अच्छा था जो छोटी मालकिन का मिजाज़ बदला हुआ था नहीं तो आज इसको बहुत सुना देती साथ ही हम सब को लपेटे में ले लेती"
"हां यार मिजाज़ तो बदला हुआ है पिछले दो दिन से देख रहा हु छोटी मालकिन गुमसुम सी रहने लगीं हैं चुप चाप एक कोने में बैठी रहती हैं।"
"मुझे लगता हैं छोटी मालकिन का छोटे मालिक से कुछ नोक झोंक हुआ होगा"
"शायद ऐसा ही हुआ होगा नही तो जब से मैं महल में काम करने आया हु तब से आज देख रहा हु गलती करने पर भी मालकिन ने कुछ नही कहा।"
"चलो जो भी हुआ वो छोटी मालकिन जाने लेकिन उनकी तीखी बाते सुनने की एक आदत सी हो गया हैं। कुछ अजीब सा लग रहा हैं।"
"तेरी आदत तू अपने पास ही रख मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा हैं। विधाता कुछ ऐसा करें छोटी मालकिन हमेशा हमेशा के लिए ऐसा ही रहे।"
सभी नौकर ऐसे ही तरह तरह की बाते कर रहे थे और काम भी कर रहे थे। सुकन्या के जाने के बाद रावण भी उसके पीछे पीछे चला गया था। सुकन्या सोफे नुमा कुर्सी पर बैठी थीं उसे देखकर रावण बोला... सुकन्या आज तुम्हें किया हुआ जो तुमने नौकर को कुछ नहीं कहा। बताओ बात किया हैं।
सुकन्या कुछ नहीं बोली बस चुप रहीं उसका चुप रहना रावण को खटक रहा था तब रावण को लगा जरूर कुछ बात होगा जिससे सुकन्या बहुत परेशान हैं। इसलिए रावण बोला…. सुकन्या चलो तैयार हो जाओ हम कहीं घूम कर आते हैं।
सुकन्या…. मुझे कही नहीं जाना आप जाइए आपको जहां जाना हैं।
रावण... ये किया बात हुआ चलो जाओ जल्दी से तैयार हों जाओ आज तुम्हारा मुड़ सही नहीं लग रहा हैं। कहीं घूमकर आयेंगे तो तुम्हारा मुड़ भी सही हों जाएगा।
सुकन्या... आप मानते क्यों नहीं हमेशा जिद्द करते हों इतना जिद्द करना ठीक नहीं हैं।
रावण... जिद्द तो करुंगा ही आखिर तुम मेरी बीबी हों जब तुम जिद्द करती हो तब मैं तुम्हारा जिद्द पूरा करता हूं तो तुम्हे भी मेरा जिद्द बिना सवाल जवाब के पूरा करना चहिए।
सुकन्या...आप मानेंगे नहीं अपनी बात मनवा कर ही रहेंगे।
रावण... न बिलकुल नहीं चलो जल्दी से तैयार होकर नीचे आ जाओ।
कहकर रावण चला गया था। मन ही मन सुकन्या सोचने लगीं किया करू जाऊ की न जाऊ उसका एक मन कर रहा था न जाऊ एक मन कर रहा था जाऊ बरहाल न न को हा में बदला और तैयार होने जानें लगीं फिर रुक गईं और सोचने लगीं एक बार फोन करके बात कर लेती हूं लेकिन उन्होंने कहा था मैं कभी उन्हें फोन न करूं कहीं नाराज हों गए तो, नहीं कर ही लेती हू जो होगा देखा जाएगा फिर सुकन्या ने एक नंबर डायल किया दुसरी और से receive करने पर सुकन्या ने कुछ कहा फिर कुछ क्षण चुप रहा उधर से कुछ बोला गया तब सुकन्या बोली... मै सुकन्या!
"तुझे कहा था न तू मुझे कभी फोन नहीं करेगी फिर फोन क्यों किया?"
सुकन्या... भईया अपका हालचाल जानने के लिए सुना हैं अपको…..
"जो भी सुना हैं ठीक सुन हैं लेकिन तू मुझे भाई क्यों कह रहीं हैं। तुझे कहा था न जब तक तू मेरा काम नहीं कर देता तब तक तू मुझे भाई नहीं बोलेगा"
सुकन्या...न जानें आपकी किया दुश्मनी हैं जिसका हर्जाना मुझे भरना पड़ रहा हैं। बचपन से सगे मां बाप भाई को जानते हुए भी उनका प्यार न पा सका दुसरे की बेटी बन पाली बडी हुई और उन्होंने ही मेरी शादी रावण से करवाया सगे मां बाप के होते हुए भी मुझे दुसरे की बेटी बन जीना पड़ रहा हैं।
" ये तेरी नियति हैं और तुझे ऐसे ही जीना होगा जब तक मेरा काम पूरा नहीं हों जाता।"
सुकन्या…. सही कहा ये मेरी भाग्य में लिखा हुआ हैं सगे बाप को उसके अंतिम समय देखने नहीं आ पाई बडी बहन समान जेठानी के साथ बुरा बरताव करना पड़ रहा हैं। एक रिश्ते की गांठ बांधने के लिए दुसरे रिश्तों की गांठ खोलती जा रही हूं।
"अब कर ही किया सकते है ये सब तू अपने भाग्य में लिखवा कर लाया हैं तू इसे नहीं बदल सकती।"
सुकन्या... आप ये बिलकुल न सोचे मै अपना भाग्य नहीं बदल सकती,बदल सकती हूं जितना मैं जानती हु सब सुरभि दीदी और जेठ जी को बता दूंगी और उनसे माफ़ी मांग लूंगी।
"तू ऐसा बिल्कुल नहीं करेगी ऐसा किया तो तू पति और बेटे को हमेशा हमेशा के लिए खो देगा।"
सुकन्या... नहीं ऐसा बिल्कुल न करना मैं उन्हें कुछ भी नहीं बताऊंगी।
"ठीक है जब तक तू अपना मुंह बंद रखेगी तब तक तेरा पति और बेटा सलामत रहेगा। चल मै रखता हूं और आगे से भुल कर भी फोन नहीं करना जब तक की मेरा मकसद पूरा नहीं हों जाता।"
सुकन्या फ़ोन रख कर सुबक सुबक कर रोने लगीं और बोली... अच्छा हुआ जो उनके साथ बुरा हुआ। जिनके लिए रिश्ते कोई मायने नहीं रखता। उनके साथ बुरा होना ही चाहिए। अपने फायदे के लिए अपने ही जीजा और भांजे को मरने की धमकी दे। बहन को गलत रास्ते पर चलने को मजबूर करे, गलती तो मेरी ही थी जो उनके झांसे में आ गईं और उनकी बात मानकर दलदल में फसती गई। मुझे माफ करना दीदी मैं मजबूर हु मै अपके साथ गलत व्यवहार नहीं करूंगी तो मैं अपना परिवार खो दूंगी।
बरहाल सुकन्या को बहुत गिलानी हों रहीं थीं लेकिन कर भी क्या सकती थी अब वो फांस चुकी थीं। कुछ क्षण तक रोती रहीं फिर तैयार होकर रावण के साथ घूमने चल दिया। इन दोनों के जाने के लामसम दो घंटे बाद रमन दार्जलिंग पहुंचा गया था। बस से उतरते ही बैग उठाया और चल दिया अपने यार से मिलने, महल पहुंचा वहां रमन को, न रघु मिला न सुरभि न राजेंद्र और न ही पुष्पा दिखी तब बोल.. मुझे बुला लिया और यह कोई है ही नहीं, गए तो गए कहा, रघु ओ रघु कहा हैं तू देख तेरा दोस्त आ गया।
रमन के चीख चीख कर आवाज देने से एक नौकर भागा भागा आया और बोला... मालिक तो कलकत्ता गए हैं।
रमन... खुद कलकत्ता में डेरा जमाए बैठा हैं और मुझे यहां बुला लिया अभी कलकत्ता जाता हूं और उसका खबर लेता हूं।
"आप को कहीं जाने की जरूरत नहीं वो लोग आ रहें हैं कुछ ही देर में पहुंच जाएंगे।"
रमन…आने दो उसे, अच्छे से खबर लूंगा। अच्छा सुन पानी बानी पुछने का कोई रिवाज बिबाज हैं की नहीं चल जा एक गिलास पानी लेकर आ और कुछ खाने को भी लेकर आना बहुत भूख लगा हैं।
नौकर ने पहले एक गिलास पानी लाकर दिया फिर कुछ नाश्ता लाकर दिया। नाश्ता करके रमन काफी देर तक बैठा रहा। लेकिन रघु अभी तक आया नहीं कई बार फोन किया लेकिन उधर से जवाब आया साहब लोग तो सुबह ही निकाल गए पहुंचने वाले होंगे। इंतजार करते करते रमन थक चुका था अब उसे गुस्सा भी आने लगा था। रमन महल से बाहर गया महल के पीछे बहुत सारे पेड़ लगे हुए थे वहा से एक मोटा डंडा तोड़ा और आकार मुख्य दरवाज़े पर बैठ गया फिर बोला... बहुत कर लिया इस ईद के चांद का इंतजार आने दो डंडे से वेलकम करुंगा।
रमन डंडा हाथ में लिए बैठा रहा। कुछ क्षण ही हुए था की एक कार गेट से परवेश किया जिसमे रघु और पुष्पा थे। रमन को देखकर रघु मुस्कुरा दिया और पुष्पा खुश होते हुए बोला भईया कार रोको मुझे उतरना हैं रमन भईया आए हैं।
रघु... रोक रहा हु इतनी जल्दी भी किया हैं। रुक जा कुछ देर फिर मिल लेना।
पुष्पा... नहीं आप अभी के अभी कार रोको मुझे उतरने दो फिर आप कार आगे ले जाना।
रघु ने कार रोका पुष्पा उतार गई और रघु कार लेकर आगे बड़ गया। पुष्पा उतरकर रमन के पास गया और बोला... कैसे हो भईया? कब आए? यह क्यों बैठे हों? आप के हाथ में डंडा क्यों हैं?
रमन खड़ा हुआ पुष्पा से गले मिला फिर बोला…. एक साथ इतने सारे सवाल थोड़ी सांस ले ले नहीं तो सांस अटक जाएंगी।
पुष्पा... अटकती है तो अटक जाने दो पहले आप बताओ आप को मेरी जरा सी भी याद नहीं आती।
रमन... आता है बहुत सारा तभी तो तूझसे मिलने आ गया।
पुष्पा... सच्ची!
रमन... मुच्ची!
रघु कार गैराज में रख कर आ गया था और खड़े होकर दोनों की बाते सुन रहा था। रमन जब पुष्पा को झूठा मस्का लगाते हुए मुच्ची बोला तब रघु बोला... कहे की मुच्ची वे तुझे तो मैंने बुलाया था तब जाकर कही आया, नहीं तो आ कहा रहा था।
रघु ने कुछ बड़ा चढ़ा कर बोला जिससे पुष्पा रूठ गई और रमन से बोला... भईया आप कितने झूठे हों जाओ मैं आपसे बात नही करती।
कहकर पुष्पा मुंह फुलाकर वही सीढ़ी पर बैठ गईं। पुष्पा को रूठते देख रमन आंखे चढ़ाकर रघु की और देखा फिर बोला... बहना अभी न रूठ जितना रूठना हैं, थोड़े देर बद रूठ लेना । अभी मुझे इस चौदमी के चांद का खबर लेना हैं।
पुष्पा... जाओ आप जिसका भी खबर लेना है लो मैं आपसे बात नहीं करती।
रमन डंडा ले फुल गुस्से में रघु की ओर बढ़ा। गुस्सा आए भी कैसे न पुष्पा न रूठे इसलिए झूठ बोला लेकिन रघु ने पोल खोल दिया और पुष्पा रूठ गई। रमन के हाथ में मोटा डंडा देख रघु बोला... यार डंडा फेक दे बहुत मोटा है हड्डी बाड्डी टूट जाएगा।
रमन…टूटे तो टूट जाएं मुझे उससे किया तेरी वजह से मेरी बहन मुझसे रूठ गया।
रमन रघु के पास तक पहुंच गया था। उसी वक्त राजेंद्र की कार वह पहुंचा था। रमन के हाथ में डंडा देख सुरभि मुस्कुराने लगी थीं। राजेंद्र कार रोक बाहर निकल आया। रमन डंडा मरने ही वाला होता तभी राजेंद्र दहाड़ कर बोलता... रमन बेटा किया कर रहे हो रघु को क्यों मार रहे हों।
राजेंद्र की आवाज सुन रमन डंडा छोड़ बिलकुल चुप चाप खडा हो गया था, और नजरे झुका लिया था। ये देख पुष्पा खिलखिला रही थी और सुरभि कार से बाहर निकल आया फिर राजेंद्र से बोली… आप भी न कितना अच्छा सो चल रहा था अपने दहाड़ कर सब बंद करवा दिया। आप को मना किया था लेकिन आप हो की सुनते नहीं। फिर रमन से बोला…तू चालू कर अपना सो रघु के पापा कुछ नहीं कहेंगे।
सो शुरू कहा होता रमन तो झाड़वत खडा था। पुष्पा देख खिलखिलाए जा रही थीं। राजेंद्र वहा से निकलना ही बेहतर समझा इसलिए आगे कुछ बोले बिना अन्दर चला गया। उनके अंदर जाते ही रमन टूट पड़ा रघु को साथ लिए नीचे गिर गया। गिरते ही दोनों एक दूसरे को जकड़कर लोट पोट करने लगें। इनको मल युद्ध करते देख सुरभि और पुष्पा खिलखिला रहे थे। इधर दोनों के लोट पोट और गुथाम गुथी करने से कपड़े खराब होने लगें फर्श की धूल इनके कपड़ो की शोभा बड़ने लगे। जब रघु को छुटकारा पाने का कोई और चारा न सूझा तब रघु बोला... रमन छोड़ दे नहीं तो सरप्राइस किया है नहीं बताऊंगा।
सरप्राइस सुनते ही रमन ने रघु को छोड़ दिया दोनों उठकर खड़े हो गए। एक दुसरे के कपड़े झाड़ा फिर रमन बोला... यार बता न सरप्राइस किया है। देख मैं कितने दूर से आया हूं और कब से बैठा बैठा वेट कर रहा हूं।
रघु...हाथ में डंडा लिए
सुरभि दोनों के पास आया दोनों के कान उमटते हुए बोली...तुम दोनों का बचपना अभी तक गया नहीं देखा तुम दोनों के करतब ने कपड़े गंदा कर दिया।
रघु...ahaaaa मां कान छोड़ों बहुत दर्द हो रहा हैं।
रमन… ahaa रानी मां कान छोड़ों, कान को कुछ हो गया तो अपकी बहु शादी करने को मना कर देगी।
पुष्पा…नहीं मां रमन भईया के कान न छोड़ना ओर ज्यादा उमेठो मुझसे झूठ क्यों बोला।
सुरभि ने दोनों के कान छोड़ा फिर बोली…. चल अब अंदर सारे कपड़े गंदे हों गए पहले जाकर कपड़े बदल फिर बात करेंगे।
सुरभि के पीछे पीछे दोनों मस्करी करते हुए अन्दर की और चल दिया था। सुरभि के अन्दर घुसते ही पुष्पा दोनों हाथ फैलाए दरवाज़े पर खड़ी हों गई उसे देख रघु बोला... तू क्यों द्वारपाल बने खड़ी हो गईं चल हट अन्दर जाने दे।
पुष्पा... आप जाओ अंदर लेकिन रमन भईया नहीं जायेगे उन्होंने मुझसे झूठ क्यों बोला पहले उन्हें सजा मिलेगा। फ़िर रमन भईया को अन्दर जानें दूंगी।
पुष्पा के बोलते ही रमन समझ गया सजा के रुप में उसे करना किया होगा। इसलिए कान पकड़े उठक बैठक करते हुए sorry sorry बोलने लगा। रमन को उठक बैठक करते देख पुष्पा खिलखिला दिया और सामने खड़े होकर जोर जोर से गिनने लगा। पुष्पा के करतब देख रघु पेट पकड़ जोर जोर से हंसने लगा। तब पुष्पा बोली... भईया आप क्यों बत्तीसी फाड़ रहें हो भुल गए गलती करने पर आपको भी ऐसे ही सजा देती थीं। वो तो आज कल आप बच जाते हो मैं जो यह नहीं रहती थी लेकिन अब नहीं बचोगे मैं यह आ गई हूं।
रघु... हां हां मुझे याद है अब तू गिनती कर नहीं तो भुल जाएगी और मेरे दोस्त को डबल सजा भुगतना पड़ेगा।
पुष्पा फिर से गिनती करने लग गया था। रघु अन्दर चला गया था। पुष्पा की गिनती चल रहा था। जब गिनती पचास तक पहुचा। तब रमन रुक गया था। उसके रुकते ही पुष्पा बोली... आप रुक क्यों गए अभी आपको पचास ओर उठक बैठक लगना हैं चलो जल्दी शुरू हों जाओ नहीं तो ओर बड़ जाएगा।
रमन... नहीं अभी शुरू करता हूं।
रमन फ़िर से शुरु हो गया था। और पुष्पा उंगली ऊपर नीचे करते हुए गिनने लगी थीं। उठा बैठक करते हुए रमन के जांघो में दर्द होने लग गया था। इसलिए रमन धीरे धीर उठ रहा था और बैठ रहा था। ये देख पुष्पा रमन को रोक देती हैं और बोलती हैं…. भईया आपको इतनी तकलीफ हों रहा हैं तो आप बोले क्यों नहीं चलो अब बहुत हुआ अन्दर चलते हैं।
रमन और पुष्पा अन्दर चले गए रमन थोडा लगड़ा कर चल रहा था तो उसे देख रघु बोला…. कैसा रहा सरप्राइस मजा आया की नहीं ।
रमन... ये सरप्राइस था ऐसा हो ही नहीं सकता। सरप्राइस कुछ ओर ही हैं। जो तू बता नहीं रहा हैं बता न सरप्राइस क्या हैं।
सुरभि...सरप्राइस जो भी हैं वो बाद में जान लेना पहले जाकर कपड़े बदलकर आओ कितना गन्दा लग रहा हैं।
सुरभि के कहते ही रघु और रमन उठकर चल दिया पुष्पा भी उनके पीछे पीछे जानें लगीं तब सुरभि पुष्पा को रोकते हुए बोली…. तू कहा जा रही हैं तू इधर आ सजा देने की तुझे बहुत शौक हैं।आज तुझे सजा मैं देती हूं।
पुष्पा… देखो मां आप मेरे और मेरे भाइयों के बिच में न आएं तो ही बेहतर होगा मेरे भाई है उनके साथ मैं जो चाहें करुंगी।
सुरभि... अच्छा! वो दोनों तेरे भाई है, तो मेरे बेटे भी तो हैं और तूने मेरे बेटे को सजा दिया हैं। तेरे कारण रमन ठीक से चल भी नहीं पा रहा है। अब तू भी कान पकड़ और तीस बार उठक बैठक लगा।
पुष्पा... मां मेरे साथ अपने बेटी के साथ ऐसा बरताव करोगी।
सुरभि…. चुप चाप अपने काम पर लग जा नहीं तो…
पुष्पा... ठीक हैं करती हु।
पुष्पा कान पकड़ उठक बैठक करने लगती हैं तभी वहा अपश्यु आ जाता हैं पुष्पा को उठक बैठक करते देख रोकते हुए बोला…. पुष्पा तू ये कान पकड़कर उठक बैठक क्यों कर रही हैं ये तेरा काम नहीं हैं।
आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से, यह तक साथ बने रहने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद
Awesome updateUpdate - 24
अपश्यु की आवाज सुन पुष्पा रुक गई थी फिर पलटकर अपश्यु की ओर देख रहीं थी। अपश्यु को देखकर पुष्पा रोने वाला चेहरा बना कर बोलती हैं…भईया देखो न मां मुझे सजा दे रही हैं। जबकि मैंने कुछ गलती किया ही नहीं।
अपश्यु पुष्पा के पास आकार उसे गले से लगा लिया और सुरभि की ओर देखकर बोला…. बडी मां आप कैसे हों। अपने ने ऐसा क्यों किया पुष्पा को कोई भी सजा नहीं दे सकता अगर उसने कुछ गलती किया है तो ये सजा मैं भुगतने को तैयार हूं।
ये कहकर अपश्यु कान पकड़ उठक बैठक करने लगता हैं। तब सुरभि उसे रुकते हुए कहती हैं... गलती पुष्पा करे ओर सजा तू भुक्ते ऐसा कब तक चलेगा।
अपश्यु... बड़ी मां जब तक मैं जिंदा हु तब तक ऐसा चलाता रहेगा अब आप ये बताओ उठक बैठक कितना लगाना हैं।
अपश्यु की बात सुन सुरभि भावुक हो गई थीं। अपश्यु भले ही कितना भी बिगड़ा हुआ था लेकिन पुष्पा के साथ उसका जो रिश्ता था उसमे कोई मैल नहीं था दोनों के उम्र में मात्र छः महीने का अंतर हैं। सुरभि बचपन से देखती आ रही थीं। पुष्पा कोई भी गलती करें तो अपश्यु सभी गलती अपने सर ले लेता था। आज पांच साल बाद अपश्यु का वोही प्यार देख सुरभि भावुक हों गई थीं। सुरभि उठी अपश्यु के पास गई और उसे रोकते हुए बोली…. रुक जा ओर उठक बैठक करने की जरूरत नहीं हैं। पुष्पा को सजा देने का जब भी मौका हाथ आता हैं न जानें तू कहा से बिच में टपक पड़ता हैं।
अपश्यु रुक गया और फिर दोनों भाई बहन में बाते होने लगा। बाते करते हुए दोनों एक दुसरे से मस्करी भी कर रहें थे किसी किसी बात पर दोनों खिलखिला कर हंस देते सुरभि बैठे बैठे इन दोनों को मस्करी करते हुए देख रही थीं। दोनों को रुकने के लिए भी कहा और पुष्पा को रूम में जाकर फ्रेश होने को कहा लेकिन पुष्पा ने उनकी बातों को ध्यान ही नहीं दिया। अपने ही धुन में अपश्यु के साथ मस्ती करती रहीं। कुछ देर बाद सुरभि ख़ुद ही उठकर चली गईं। दोनों ऐसे ही बाते करते रहें।
रघु और रमन दोनो रघु के रूम में गया। वहा एक एक करके फ्रेस हुआ और कपड़े बदले फिर रमन ने पूछा... बताना यार सरप्राइस किया हैं मुझसे और wait नही होता।
रघु... बता दूंगा लेकिन वादा कर नाराज नहीं होगा।
रमन... चला किया वादा अब बता सरप्राइस किया हैं।
रघु… आने वाली 26 तारीक को तेरे दोस्त की शादी हैं।
ये सुनकर रमन किया रिएक्ट करे भुल ही गया फिर अचानक उठ खडा हुआ और रघु को मुक्के ही मुक्के मरने लगा रघु खुद को बचाने की भरसक प्रयास कर रहा था। रमन को दूर हटने की भी प्रयास कर रहा था लेकिन रमन रुकने का नाम ही नही ले रहा था, न हि दूर हों रहा था। बस मारे ही जा रहा था। रघु को बचने का कोई और रास्ता नजर नहीं आ रहा था तब बोला…. रमन तूने वादा किया था नाराज नहीं होगा अब क्यों वादा तोड़ रहा हैं।
रमन रुका फिर बोला…. वादा कौन सा वादा किया था मुझे तो कुछ याद नहीं और फिर से रघु पर मुक्को की बरसात कर दिया कुछ क्षण मरने के बाद रमन रुका और बोला...मन तो कर रहा हैं तुझे और मारू और तेरी हड्डी पसली तोड़ दू लेकिन तू अस्पताल पहुंच गया तो किसकी शादी में नाचूंगा। तू भी गजब हैं कब लडकी देखा कब शादी तय हुआ कुछ बताना भी जरूरी नहीं समझा क्या मैं इतना गया गुजरा हूं।
रघु... ज्यादा उटपटांग बोला न तो तुझे मैं मरूंगा। तू जानता है मेरे जीवन में जो भी खुशी का पल आता है सबसे पहले मैं तुझे बता हु। कमला के बारे में भी तुझे बताने वाला था लेकिन न जाने क्यों पापा ने किसी को बताने से मना किया था मै ही जानता हु कैसे ख़ुद को रोका हुआ था। कल जब शादी के दिन का पाता चला तब खुद को ओर न रोक पाया। तुझे सरप्राइस हैं बोलकर यह बुला लिया।
रमन… सरप्राइस सुनने में अच्छा है kamlaaaa लेकिन देखने में कैसी है कानी भैंगी तो नहीं हैं।
रमन कहकर मुस्कुरा दिया। रमन को मुस्कुराते देख रघु चीड़ गया फिर बोला शुरू किया …. कमला को कानी भैंगी बोला तो बहुत मारूंगा। कमला बहुत खूबसूरत हैं उसके रुप सौंदर्य के मोह जल में मैं फांस गया हूं। झील जैसी गहरी आंखे उसकी आंखो में देखता हूं तो ऐसा लगता हैं मैं भावर में फसता जा रहा हूं। काले लंबे केश जब लहराती हैं तो ऐसा लगता हैं जैसे सूरज के तीव्र वेग को रोकने में प्रयास रत हों। उसका गोरा दमकता मुखड़ा जिसे देखता हु तो आत्म तृप्ति का सुखद अनुभूति होता हैं। उसके लब मानो नसीले रसायनों का मिश्रण जिसे पीने के लिए मैं लालायित हों जाता हूं। उसके स्वर मानो सातों सरगमो को मिलाकर किसी ने मधुर तरंगे छोड़ दिया हों जिसे सुनकर कान तृप्त हों जाएं। ऐसी है मेरी कमला और तू उसे कानी भैंगी बोल रहा हैं।
रमन…ओ भाई तू तो गया लेकिन रूक क्यों गया और कर तारीफ अभी तो बाकी अंग भी रहा गया उसे क्यों छोड़ दिया लगे हाथ उसकी भी तारीफ कर दे।
रघु... हट पगले वो तेरी भाभी है और भाभी की दुसरे अंगो की तारीफ सुनेगा तुझे कहने में लाज भी नहीं आया।
रमन... क्या करू यार तू तारीफ ही ऐसे कर रहा था जिसे सुनने में बहुत मजा आ रहा था। इसलिए कह दिया तू नाराज न हों। लेकिन एक बात तो है कमला भाभी में कुछ तो बात है नहीं तो मेरा दोस्त जो लड़कियों की ओर देखता ही नहीं वो ऐसे तारीफ नहीं करता।
रघु...न जाने किया बात हैं जब से उसे देख हु तब से कुछ अच्छा नहीं लगता मन करता हैं उसके पास रहूं उससे बाते करू कभी कभी तो मन करता हैं अभी जाऊ और उसे अपने पास लेकर आऊ और खुद से दूर जाने न दू।
रमन ने रघु को गले से लगा लिया और बोला... यार तू तो प्रेम रोग से ग्रस्त हो गया तू तो गया काम से अरे कोई वैध को बुलाओ मेरे दोस्त को दिखाओ इसके दिल के खाली कमरे में कोई बस गया। उसे फ्रेम में टंगवाओ।
रघु…. तू मेरा मजाक उड़ा रहा हैं लेकिन तू नहीं जानता मुझपे किया बीत रहा हैं।
रमन…. अरे मैं मजाक नहीं कर रहा हूं सच कह रहा हूं। ये प्रेम का पहला लक्षण हैं जो तुझे धीरे धीर प्रेम के घेरे में ले रहा हैं। ओ मेरे यार को प्रेम हो गया अब तो मैं फुल टल्ली होकर नाचूंगा मुझे कोई नहीं रोक पायेगा।
रघु... क्या तू सच कह रहा है ये प्रेम के लक्षण हैं।
रमन... हां यार ये प्रेम के लक्षण हैं। ऐसे ही तो प्रेम की शुरुवात होता हैं ओर तेरा भी हो चुका हैं। भाभी के बारे में कुछ ओर बता जरा सुनूं तो ऐसी ओर किया बात हैं जिसने मेरे दोस्त को प्यार का अहसास करा दिया।
रघु... सब तो बता दिया ओर क्या बताऊं बस दो ही बार तो मिला हूं पहला दिन जब उसे देखने गया था और दुसरी बार दो दिन पिछे मिला था। बाकी फोन पर ही बाते करता हूं।
रमन... दो ही बार में तेरा ये हाल हैं मुझे तो लगता हैं ये रस्में रिवाज न होता तो तू आज ही भाभी को घर ले आता। लेकिन कोई बात ने कुछ दिन ओर रूक जा फिर धूम धाम से भाभी को घर लेकर आएंगे।
रघु…. सही कह रहा है ये रस्मों रिवाजों का बंधन नही होता तो मैं कब का कमला को घर ले आता। लेकिन कोई बात नहीं बीस दिन का ही तो प्रतीक्षा करना हैं। कर लूंगा। चल तुझे कमला से बात करवाता हूं।
रमन…. अच्छा मुझसे बात करवाएगा ये क्यों नहीं कहता। बात करने का तेरा मन कर रहा हैं ।
रघु... सही कह रहा हैं कमला से बात करने का बहुत मन कर रहा हैं।
रघु ने फोन लगाया फिर पहले खुद बात करने लगा फिर रमन से भी बात करवाए। इधर दोनों बात करने में लगे हुए थे। उधर रावण और सुकन्या घूम कर वापस आ गाए थे। सुरभि को देखकर सुकन्या ने कोई विशेष भाव नहीं दर्शाया सुरभि और सुकन्या में कुछ नोर्मल बाते हुआ। रावण से भी ऐसी ही बाते हुआ राजेंद्र वहा नहीं था कही गया हुआ था। ऐसे ही बातों बातों में रात के खाने का समय हों गया। आज रात के खाने में सभी एक साथ थे। खान खाने के बाद राजेंद्र बोला…कल सुबह सभी को एक खुश खबरी मिलने वाला हैं। जो हमारे महल को खुशियों से भरा देगा।
सुरभि, पुष्पा, रघु और रमन को पता था खुश खबरी किया था लेकिन रावण, सुकन्या, अपश्यु और बाकी लोगों को इसका पता नहीं था इसलिए सब अपने अपने दिमागी घोड़े को दौड़ने लगे। सब के विचार अलग अलग आ रहे थे कोई ठोस निस्कर्ष नहीं निकल रहा था। सब निष्कर्ष निकलते निकलते थक चुके थे लेकिन कोई नतीजा न निकल पाया तब रावण बोला…. दादा भाई बता दो खबर किया हैं मै तो सोच सोच कर थक चुका हूं।
इसके बाद तो सब एक एक कर पूछने लगें इनके उतावले पान को देखकर राजेंद्र बोला... सोचने के लिए आज का पूरा रात हैं। रात भर सोचो देखो किया निष्कर्ष निकलता हैं नहीं निकला तो मैं कल सुबह बता तो रहा हूं।
इसके बाद रावण जानने की जिद्द करने लगा उसका साथ अपश्यु भी दे रहा था लेकिन सुकन्या ने आज कोई उतावला पान नहीं दिखाया। ये देखकर सुरभि को लगा आज सुकन्या को किया हुआ कुछ बोल नहीं रही है जबकि ऐसे खबर सुनने के लिए सबसे ज्यादा उतावला पान सुकन्या ही दिखती थीं। कुछ तो हुआ है चलो कल सुबह बात करके देखती हूं।
इतना पुछने पर भी राजेंद्र ने कुछ नहीं बताया और सभी को अपने अपने रुम में जाकर आज रात भर सोचने को कहा और राजेंद्र उठकर चला गया उसके जाने के बाद एक एक कर सभी अपने अपने कमरे में चले गए। ऐसे ही रात बीत गया सुबह नाश्ते के बाद राजेंद्र ने कमान संभाला और रघु की शादी की खबर सुन दिया। सिर्फ सुनाया नहीं कब कौन सा रस्म होगा वह भी बता दिया। ये सुनकर रावण अचंभे में रहा गया। वो समझ नहीं पा रहा था खुशी मनाएं या मातम लेकिन बनावटी मुस्कान चहरे पर लाते हुई कहा...दादा भाई ये खुशी की खबर हैं लेकिन मैं आपसे नाराज हूं सब कुछ हों गया उसके बाद आप बता रहे हों पहले बताते तो क्या हों जाता।
राजेंद्र... माफ़ करना भाई सब कुछ इतना जल्दी हुआ बताने का मौका ही नहीं मिला।
रावण... चलो जो हुआ अच्छा हुआ लेकिन आप इतना तो बता सकते हैं। लडकी को आप दोनों ने कब देखा। लडकी कैसी हैं उसके घर वाले कैसे हैं। कलकत्ता में कहा रहते हैं।
राजेंद्र ने रावण को बता दिया कमला से कहा मिला कब बात हुआ किया किया बात हुआ। कमला के घर का एड्रेस भी बता दिया। राजेंद्र से सुनकर रावण मन में बोला…. जितनी खुशी खुशी आप बता रहे हों लेकिन आप ये न सोचे की यह खुशी आपको मिलने वाली हैं शादी तय हो गया तो किया हुआ टूट भी तो सकता हैं जल्दी ही आपको शादी टूटने की खबर मिलेगा।
फिर रावण ने राजेंद्र से बोला... दादा भाई हाथ में दिन कम हैं और तैयारी भी बहुत हैं तो हमें आज ही सभी तैयारी करना हैं। घर को अच्छे से सजाना हैं। बहुत सारा खरीददारी भी करना हैं। बहुत से जानें माने लोगों को दावत देना हैं। कौन से शादी घर में शादी के सभी फंक्शन होगा उसे भी तय करना हैं। महमानो को दावत कैसे देना हैं। किस तरह का निमंत्रण पत्र तैयार करवाना है उसको भी पसंद करना हैं।
राजेंद्र…रूक जा भाई सब हों जाएगा शादी किसी बारात घर में नहीं होगा। बारात लेकर हमे महेश बाबू के घर जाना है उनकी इच्छा है वो अपने इकलौती बेटी के शादी की सभी रश्म अपने घर में करेगें। मैं भी उनसे सहमत हूं। हम भी शादी की सभी रस्में अपने कलकत्ता वाले पुस्तैनी घर में ही करेगें और बारात का प्रस्थान भी वह से ही होगा। विदाई के बाद बहु को लेकर यह आ जाएंगे। बहु का गृह प्रवेश इसी घर में ही होगा। इसलिए मैंने फैसला लिया हैं। यह जिस जिसको दावत देना हैं उसकी लिस्ट तैयार कर तुझे दे दूंगा। तू यहां सब को दावत देने के बाद कलकत्ता आ जाना। इतना तो तू कर पाएगा न। तेरे साथ मुंशी भी यह रहेगा उसे मैंने सब बता दिया हैं।
रावण... हां हां क्यों नहीं में इतना क्या सभी काम मै ही करुंगा आप बस बताते जाएगा आखिर मेरे बड़े बेटे की शादी हैं।
रावण की बात सुन राजेंद्र गदगद हों गया था। उसे लग रहा था रघु की शादी की खबर सुन रावण उससे भी ज्यादा खुश है लेकिन राजेंद्र को नहीं पता रावण के मन में किया चल रहा था। वो तू सिर्फ खुश होने का दिखावा कर रहा था। इसके बाद सभी अपने अपने खास खास लोगों की लिस्ट बनाने लग गए। इसमें बहुत वक्त निकाल गया। सभी लिस्ट बनाने के बाद रावण और राजेंद्र दोनों भाई निमंत्रण पत्र छपवाने वाले के पास गए। चार पांच प्रकार के निमंत्रण पत्र पसंद किया उसे घर लाकर सभी को दिखाया। सभी ने देख कर एक निमंत्रण पत्र को पसंद किया उसे लेकर छपवाने वाले के पास गया। जितनी जल्दी हों सके छपने के लिए कहा। राज परिवार का मामला था इसलिए तीन दिन का समय मांग। ऐसे ही पूरा दिन भागा दौड़ी में लग गए। रावण को किसी ओर से बात करने का मौका ही नहीं मिला। इसी बिच रघु और रमन ने मुंशी को साथ लेकर हलवाई, घर सजने वाले और टेंट वाले से बात कर आया। घर सजने वाले को अगले दिन से घर को भव्य तरीके से सजने को कहा गया। टेंट वाले को कब किया करना है सब बता दिया गया। हलवाई को भी बता दिया गया था। सभी पुरुष घर के बाहर के कामों में व्यस्त थे तो महिलाओं के पास करने को कुछ था नहीं पुष्पा ने घर में उधम मचा रखा था। घर के सभी नौकर को पता चल गया था। उनकी नटखट छोटी मालकिन घर वापस आ गए है इसलिए उनकी सामंत आई हुई थीं। पुष्पा सभी नौकरी को परेशान कर रखा था। लेकिन कोई भी पुष्पा से नाराज नहीं हों रहा था। सुरभि सुकन्या से उसके परेशानी का करण जानना चाह लेकिन सुकन्या ने कुछ न बताकर गोल गोल घुमा दिया। लेकिन आज एक बात खास हुआ की सुकन्या ने सुरभि से अच्छे से बात किया। जिससे सुरभि बहुत खुश हों गया। ऐसे ही आज का दिन बीत गया और सभी खुशी ख़ुशी सो गाए लेकिन रावण बहुत परेशान था। उसे अपने काम को अंजाम देने के लिए किसी से मिलने का मौका ही नहीं मिला। इसी बात को लेकर रावण परेशान था सुकन्या से बात करना चाह लेकिन इसने भी मना कर दिया। अगला दिन भी ऐसे ही भागा दौड़ी में बीत गया। घर के साफ सफाई और सजावट वाले ने अपना काम शुरू कर दिया था। आज भी राजेंद्र ने दिन भर रावण को अपने साथ लगाए रखा। इन दो दिनों में अपश्यु सिर्फ दिखावे का काम करता रहा और मौका मिलते ही घर से भाग जाता था लेकिन जहां भी जाता था विकट उसके पीछे छाए की तरह लगा रहता था। तीसरे दिन रावण को मौका मिला उस दिन सुकन्या भी अच्छे मूड में थी। उसके अच्छे मूड के पीछे करण थी पुष्पा। सुकन्या भले ही सुरभि से कैसा व्यवहार करती हो लेकिन पुष्पा से बहुत प्यार करता था उसके किसी भी बात का बुरा नहीं मानता था। पुष्पा ने ही सुकन्या के मूढ़ को पूरी तरह बदल दिया था। जिस बात को लेकर सुकन्या परेशान थी बो उसे बिलकुल भुल गया था। इसलिए सूकन्या का अच्छा मुड़ देखकर रावण ने उससे बात करने की सोचा और उसे रात को सोते समय बात करना ही बेहतर समझा।
रावण किया बात करने वाला हैं कैसे रघु की शादी को तुड़बाएगा इसके बारे में अगले अपडेट से जानेंगे। यह तक साथ बने रहते के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद
Nice and awesome update...Update - 24
अपश्यु की आवाज सुन पुष्पा रुक गई थी फिर पलटकर अपश्यु की ओर देख रहीं थी। अपश्यु को देखकर पुष्पा रोने वाला चेहरा बना कर बोलती हैं…भईया देखो न मां मुझे सजा दे रही हैं। जबकि मैंने कुछ गलती किया ही नहीं।
अपश्यु पुष्पा के पास आकार उसे गले से लगा लिया और सुरभि की ओर देखकर बोला…. बडी मां आप कैसे हों। अपने ने ऐसा क्यों किया पुष्पा को कोई भी सजा नहीं दे सकता अगर उसने कुछ गलती किया है तो ये सजा मैं भुगतने को तैयार हूं।
ये कहकर अपश्यु कान पकड़ उठक बैठक करने लगता हैं। तब सुरभि उसे रुकते हुए कहती हैं... गलती पुष्पा करे ओर सजा तू भुक्ते ऐसा कब तक चलेगा।
अपश्यु... बड़ी मां जब तक मैं जिंदा हु तब तक ऐसा चलाता रहेगा अब आप ये बताओ उठक बैठक कितना लगाना हैं।
अपश्यु की बात सुन सुरभि भावुक हो गई थीं। अपश्यु भले ही कितना भी बिगड़ा हुआ था लेकिन पुष्पा के साथ उसका जो रिश्ता था उसमे कोई मैल नहीं था दोनों के उम्र में मात्र छः महीने का अंतर हैं। सुरभि बचपन से देखती आ रही थीं। पुष्पा कोई भी गलती करें तो अपश्यु सभी गलती अपने सर ले लेता था। आज पांच साल बाद अपश्यु का वोही प्यार देख सुरभि भावुक हों गई थीं। सुरभि उठी अपश्यु के पास गई और उसे रोकते हुए बोली…. रुक जा ओर उठक बैठक करने की जरूरत नहीं हैं। पुष्पा को सजा देने का जब भी मौका हाथ आता हैं न जानें तू कहा से बिच में टपक पड़ता हैं।
अपश्यु रुक गया और फिर दोनों भाई बहन में बाते होने लगा। बाते करते हुए दोनों एक दुसरे से मस्करी भी कर रहें थे किसी किसी बात पर दोनों खिलखिला कर हंस देते सुरभि बैठे बैठे इन दोनों को मस्करी करते हुए देख रही थीं। दोनों को रुकने के लिए भी कहा और पुष्पा को रूम में जाकर फ्रेश होने को कहा लेकिन पुष्पा ने उनकी बातों को ध्यान ही नहीं दिया। अपने ही धुन में अपश्यु के साथ मस्ती करती रहीं। कुछ देर बाद सुरभि ख़ुद ही उठकर चली गईं। दोनों ऐसे ही बाते करते रहें।
रघु और रमन दोनो रघु के रूम में गया। वहा एक एक करके फ्रेस हुआ और कपड़े बदले फिर रमन ने पूछा... बताना यार सरप्राइस किया हैं मुझसे और wait नही होता।
रघु... बता दूंगा लेकिन वादा कर नाराज नहीं होगा।
रमन... चला किया वादा अब बता सरप्राइस किया हैं।
रघु… आने वाली 26 तारीक को तेरे दोस्त की शादी हैं।
ये सुनकर रमन किया रिएक्ट करे भुल ही गया फिर अचानक उठ खडा हुआ और रघु को मुक्के ही मुक्के मरने लगा रघु खुद को बचाने की भरसक प्रयास कर रहा था। रमन को दूर हटने की भी प्रयास कर रहा था लेकिन रमन रुकने का नाम ही नही ले रहा था, न हि दूर हों रहा था। बस मारे ही जा रहा था। रघु को बचने का कोई और रास्ता नजर नहीं आ रहा था तब बोला…. रमन तूने वादा किया था नाराज नहीं होगा अब क्यों वादा तोड़ रहा हैं।
रमन रुका फिर बोला…. वादा कौन सा वादा किया था मुझे तो कुछ याद नहीं और फिर से रघु पर मुक्को की बरसात कर दिया कुछ क्षण मरने के बाद रमन रुका और बोला...मन तो कर रहा हैं तुझे और मारू और तेरी हड्डी पसली तोड़ दू लेकिन तू अस्पताल पहुंच गया तो किसकी शादी में नाचूंगा। तू भी गजब हैं कब लडकी देखा कब शादी तय हुआ कुछ बताना भी जरूरी नहीं समझा क्या मैं इतना गया गुजरा हूं।
रघु... ज्यादा उटपटांग बोला न तो तुझे मैं मरूंगा। तू जानता है मेरे जीवन में जो भी खुशी का पल आता है सबसे पहले मैं तुझे बता हु। कमला के बारे में भी तुझे बताने वाला था लेकिन न जाने क्यों पापा ने किसी को बताने से मना किया था मै ही जानता हु कैसे ख़ुद को रोका हुआ था। कल जब शादी के दिन का पाता चला तब खुद को ओर न रोक पाया। तुझे सरप्राइस हैं बोलकर यह बुला लिया।
रमन… सरप्राइस सुनने में अच्छा है kamlaaaa लेकिन देखने में कैसी है कानी भैंगी तो नहीं हैं।
रमन कहकर मुस्कुरा दिया। रमन को मुस्कुराते देख रघु चीड़ गया फिर बोला शुरू किया …. कमला को कानी भैंगी बोला तो बहुत मारूंगा। कमला बहुत खूबसूरत हैं उसके रुप सौंदर्य के मोह जल में मैं फांस गया हूं। झील जैसी गहरी आंखे उसकी आंखो में देखता हूं तो ऐसा लगता हैं मैं भावर में फसता जा रहा हूं। काले लंबे केश जब लहराती हैं तो ऐसा लगता हैं जैसे सूरज के तीव्र वेग को रोकने में प्रयास रत हों। उसका गोरा दमकता मुखड़ा जिसे देखता हु तो आत्म तृप्ति का सुखद अनुभूति होता हैं। उसके लब मानो नसीले रसायनों का मिश्रण जिसे पीने के लिए मैं लालायित हों जाता हूं। उसके स्वर मानो सातों सरगमो को मिलाकर किसी ने मधुर तरंगे छोड़ दिया हों जिसे सुनकर कान तृप्त हों जाएं। ऐसी है मेरी कमला और तू उसे कानी भैंगी बोल रहा हैं।
रमन…ओ भाई तू तो गया लेकिन रूक क्यों गया और कर तारीफ अभी तो बाकी अंग भी रहा गया उसे क्यों छोड़ दिया लगे हाथ उसकी भी तारीफ कर दे।
रघु... हट पगले वो तेरी भाभी है और भाभी की दुसरे अंगो की तारीफ सुनेगा तुझे कहने में लाज भी नहीं आया।
रमन... क्या करू यार तू तारीफ ही ऐसे कर रहा था जिसे सुनने में बहुत मजा आ रहा था। इसलिए कह दिया तू नाराज न हों। लेकिन एक बात तो है कमला भाभी में कुछ तो बात है नहीं तो मेरा दोस्त जो लड़कियों की ओर देखता ही नहीं वो ऐसे तारीफ नहीं करता।
रघु...न जाने किया बात हैं जब से उसे देख हु तब से कुछ अच्छा नहीं लगता मन करता हैं उसके पास रहूं उससे बाते करू कभी कभी तो मन करता हैं अभी जाऊ और उसे अपने पास लेकर आऊ और खुद से दूर जाने न दू।
रमन ने रघु को गले से लगा लिया और बोला... यार तू तो प्रेम रोग से ग्रस्त हो गया तू तो गया काम से अरे कोई वैध को बुलाओ मेरे दोस्त को दिखाओ इसके दिल के खाली कमरे में कोई बस गया। उसे फ्रेम में टंगवाओ।
रघु…. तू मेरा मजाक उड़ा रहा हैं लेकिन तू नहीं जानता मुझपे किया बीत रहा हैं।
रमन…. अरे मैं मजाक नहीं कर रहा हूं सच कह रहा हूं। ये प्रेम का पहला लक्षण हैं जो तुझे धीरे धीर प्रेम के घेरे में ले रहा हैं। ओ मेरे यार को प्रेम हो गया अब तो मैं फुल टल्ली होकर नाचूंगा मुझे कोई नहीं रोक पायेगा।
रघु... क्या तू सच कह रहा है ये प्रेम के लक्षण हैं।
रमन... हां यार ये प्रेम के लक्षण हैं। ऐसे ही तो प्रेम की शुरुवात होता हैं ओर तेरा भी हो चुका हैं। भाभी के बारे में कुछ ओर बता जरा सुनूं तो ऐसी ओर किया बात हैं जिसने मेरे दोस्त को प्यार का अहसास करा दिया।
रघु... सब तो बता दिया ओर क्या बताऊं बस दो ही बार तो मिला हूं पहला दिन जब उसे देखने गया था और दुसरी बार दो दिन पिछे मिला था। बाकी फोन पर ही बाते करता हूं।
रमन... दो ही बार में तेरा ये हाल हैं मुझे तो लगता हैं ये रस्में रिवाज न होता तो तू आज ही भाभी को घर ले आता। लेकिन कोई बात ने कुछ दिन ओर रूक जा फिर धूम धाम से भाभी को घर लेकर आएंगे।
रघु…. सही कह रहा है ये रस्मों रिवाजों का बंधन नही होता तो मैं कब का कमला को घर ले आता। लेकिन कोई बात नहीं बीस दिन का ही तो प्रतीक्षा करना हैं। कर लूंगा। चल तुझे कमला से बात करवाता हूं।
रमन…. अच्छा मुझसे बात करवाएगा ये क्यों नहीं कहता। बात करने का तेरा मन कर रहा हैं ।
रघु... सही कह रहा हैं कमला से बात करने का बहुत मन कर रहा हैं।
रघु ने फोन लगाया फिर पहले खुद बात करने लगा फिर रमन से भी बात करवाए। इधर दोनों बात करने में लगे हुए थे। उधर रावण और सुकन्या घूम कर वापस आ गाए थे। सुरभि को देखकर सुकन्या ने कोई विशेष भाव नहीं दर्शाया सुरभि और सुकन्या में कुछ नोर्मल बाते हुआ। रावण से भी ऐसी ही बाते हुआ राजेंद्र वहा नहीं था कही गया हुआ था। ऐसे ही बातों बातों में रात के खाने का समय हों गया। आज रात के खाने में सभी एक साथ थे। खान खाने के बाद राजेंद्र बोला…कल सुबह सभी को एक खुश खबरी मिलने वाला हैं। जो हमारे महल को खुशियों से भरा देगा।
सुरभि, पुष्पा, रघु और रमन को पता था खुश खबरी किया था लेकिन रावण, सुकन्या, अपश्यु और बाकी लोगों को इसका पता नहीं था इसलिए सब अपने अपने दिमागी घोड़े को दौड़ने लगे। सब के विचार अलग अलग आ रहे थे कोई ठोस निस्कर्ष नहीं निकल रहा था। सब निष्कर्ष निकलते निकलते थक चुके थे लेकिन कोई नतीजा न निकल पाया तब रावण बोला…. दादा भाई बता दो खबर किया हैं मै तो सोच सोच कर थक चुका हूं।
इसके बाद तो सब एक एक कर पूछने लगें इनके उतावले पान को देखकर राजेंद्र बोला... सोचने के लिए आज का पूरा रात हैं। रात भर सोचो देखो किया निष्कर्ष निकलता हैं नहीं निकला तो मैं कल सुबह बता तो रहा हूं।
इसके बाद रावण जानने की जिद्द करने लगा उसका साथ अपश्यु भी दे रहा था लेकिन सुकन्या ने आज कोई उतावला पान नहीं दिखाया। ये देखकर सुरभि को लगा आज सुकन्या को किया हुआ कुछ बोल नहीं रही है जबकि ऐसे खबर सुनने के लिए सबसे ज्यादा उतावला पान सुकन्या ही दिखती थीं। कुछ तो हुआ है चलो कल सुबह बात करके देखती हूं।
इतना पुछने पर भी राजेंद्र ने कुछ नहीं बताया और सभी को अपने अपने रुम में जाकर आज रात भर सोचने को कहा और राजेंद्र उठकर चला गया उसके जाने के बाद एक एक कर सभी अपने अपने कमरे में चले गए। ऐसे ही रात बीत गया सुबह नाश्ते के बाद राजेंद्र ने कमान संभाला और रघु की शादी की खबर सुन दिया। सिर्फ सुनाया नहीं कब कौन सा रस्म होगा वह भी बता दिया। ये सुनकर रावण अचंभे में रहा गया। वो समझ नहीं पा रहा था खुशी मनाएं या मातम लेकिन बनावटी मुस्कान चहरे पर लाते हुई कहा...दादा भाई ये खुशी की खबर हैं लेकिन मैं आपसे नाराज हूं सब कुछ हों गया उसके बाद आप बता रहे हों पहले बताते तो क्या हों जाता।
राजेंद्र... माफ़ करना भाई सब कुछ इतना जल्दी हुआ बताने का मौका ही नहीं मिला।
रावण... चलो जो हुआ अच्छा हुआ लेकिन आप इतना तो बता सकते हैं। लडकी को आप दोनों ने कब देखा। लडकी कैसी हैं उसके घर वाले कैसे हैं। कलकत्ता में कहा रहते हैं।
राजेंद्र ने रावण को बता दिया कमला से कहा मिला कब बात हुआ किया किया बात हुआ। कमला के घर का एड्रेस भी बता दिया। राजेंद्र से सुनकर रावण मन में बोला…. जितनी खुशी खुशी आप बता रहे हों लेकिन आप ये न सोचे की यह खुशी आपको मिलने वाली हैं शादी तय हो गया तो किया हुआ टूट भी तो सकता हैं जल्दी ही आपको शादी टूटने की खबर मिलेगा।
फिर रावण ने राजेंद्र से बोला... दादा भाई हाथ में दिन कम हैं और तैयारी भी बहुत हैं तो हमें आज ही सभी तैयारी करना हैं। घर को अच्छे से सजाना हैं। बहुत सारा खरीददारी भी करना हैं। बहुत से जानें माने लोगों को दावत देना हैं। कौन से शादी घर में शादी के सभी फंक्शन होगा उसे भी तय करना हैं। महमानो को दावत कैसे देना हैं। किस तरह का निमंत्रण पत्र तैयार करवाना है उसको भी पसंद करना हैं।
राजेंद्र…रूक जा भाई सब हों जाएगा शादी किसी बारात घर में नहीं होगा। बारात लेकर हमे महेश बाबू के घर जाना है उनकी इच्छा है वो अपने इकलौती बेटी के शादी की सभी रश्म अपने घर में करेगें। मैं भी उनसे सहमत हूं। हम भी शादी की सभी रस्में अपने कलकत्ता वाले पुस्तैनी घर में ही करेगें और बारात का प्रस्थान भी वह से ही होगा। विदाई के बाद बहु को लेकर यह आ जाएंगे। बहु का गृह प्रवेश इसी घर में ही होगा। इसलिए मैंने फैसला लिया हैं। यह जिस जिसको दावत देना हैं उसकी लिस्ट तैयार कर तुझे दे दूंगा। तू यहां सब को दावत देने के बाद कलकत्ता आ जाना। इतना तो तू कर पाएगा न। तेरे साथ मुंशी भी यह रहेगा उसे मैंने सब बता दिया हैं।
रावण... हां हां क्यों नहीं में इतना क्या सभी काम मै ही करुंगा आप बस बताते जाएगा आखिर मेरे बड़े बेटे की शादी हैं।
रावण की बात सुन राजेंद्र गदगद हों गया था। उसे लग रहा था रघु की शादी की खबर सुन रावण उससे भी ज्यादा खुश है लेकिन राजेंद्र को नहीं पता रावण के मन में किया चल रहा था। वो तू सिर्फ खुश होने का दिखावा कर रहा था। इसके बाद सभी अपने अपने खास खास लोगों की लिस्ट बनाने लग गए। इसमें बहुत वक्त निकाल गया। सभी लिस्ट बनाने के बाद रावण और राजेंद्र दोनों भाई निमंत्रण पत्र छपवाने वाले के पास गए। चार पांच प्रकार के निमंत्रण पत्र पसंद किया उसे घर लाकर सभी को दिखाया। सभी ने देख कर एक निमंत्रण पत्र को पसंद किया उसे लेकर छपवाने वाले के पास गया। जितनी जल्दी हों सके छपने के लिए कहा। राज परिवार का मामला था इसलिए तीन दिन का समय मांग। ऐसे ही पूरा दिन भागा दौड़ी में लग गए। रावण को किसी ओर से बात करने का मौका ही नहीं मिला। इसी बिच रघु और रमन ने मुंशी को साथ लेकर हलवाई, घर सजने वाले और टेंट वाले से बात कर आया। घर सजने वाले को अगले दिन से घर को भव्य तरीके से सजने को कहा गया। टेंट वाले को कब किया करना है सब बता दिया गया। हलवाई को भी बता दिया गया था। सभी पुरुष घर के बाहर के कामों में व्यस्त थे तो महिलाओं के पास करने को कुछ था नहीं पुष्पा ने घर में उधम मचा रखा था। घर के सभी नौकर को पता चल गया था। उनकी नटखट छोटी मालकिन घर वापस आ गए है इसलिए उनकी सामंत आई हुई थीं। पुष्पा सभी नौकरी को परेशान कर रखा था। लेकिन कोई भी पुष्पा से नाराज नहीं हों रहा था। सुरभि सुकन्या से उसके परेशानी का करण जानना चाह लेकिन सुकन्या ने कुछ न बताकर गोल गोल घुमा दिया। लेकिन आज एक बात खास हुआ की सुकन्या ने सुरभि से अच्छे से बात किया। जिससे सुरभि बहुत खुश हों गया। ऐसे ही आज का दिन बीत गया और सभी खुशी ख़ुशी सो गाए लेकिन रावण बहुत परेशान था। उसे अपने काम को अंजाम देने के लिए किसी से मिलने का मौका ही नहीं मिला। इसी बात को लेकर रावण परेशान था सुकन्या से बात करना चाह लेकिन इसने भी मना कर दिया। अगला दिन भी ऐसे ही भागा दौड़ी में बीत गया। घर के साफ सफाई और सजावट वाले ने अपना काम शुरू कर दिया था। आज भी राजेंद्र ने दिन भर रावण को अपने साथ लगाए रखा। इन दो दिनों में अपश्यु सिर्फ दिखावे का काम करता रहा और मौका मिलते ही घर से भाग जाता था लेकिन जहां भी जाता था विकट उसके पीछे छाए की तरह लगा रहता था। तीसरे दिन रावण को मौका मिला उस दिन सुकन्या भी अच्छे मूड में थी। उसके अच्छे मूड के पीछे करण थी पुष्पा। सुकन्या भले ही सुरभि से कैसा व्यवहार करती हो लेकिन पुष्पा से बहुत प्यार करता था उसके किसी भी बात का बुरा नहीं मानता था। पुष्पा ने ही सुकन्या के मूढ़ को पूरी तरह बदल दिया था। जिस बात को लेकर सुकन्या परेशान थी बो उसे बिलकुल भुल गया था। इसलिए सूकन्या का अच्छा मुड़ देखकर रावण ने उससे बात करने की सोचा और उसे रात को सोते समय बात करना ही बेहतर समझा।
रावण किया बात करने वाला हैं कैसे रघु की शादी को तुड़बाएगा इसके बारे में अगले अपडेट से जानेंगे। यह तक साथ बने रहते के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद
Thank youApyasu aur sukanya cahe jitna bura bartaw karte hain lekin pushpa ko dono bahut pyar karte hain.Rajendra ne Ravan ko shaddi k baat batake sara gud gobar kar diya .Ravan Aab raghu ki shaddi todneke bharpur kosis karegaa.
Lekin Ravan se bhi bada villain story me he sukanya ki bhai.Amazing update Destiny bhai
Thank youmajedar update ..apasyu aur sukanya dono pushpa se pyar karte hai ,bhale baaki logo se unka koi lagaw nahi hai .
rajendra ne sabko khushkhabri kya hai bata diya aur ravan abhi tak sirf sochte reh gaya hai ,usko mauka hi nahi mila shadi rukwane ka .