Update - 9
अपश्यु प्रिंसिपल को जमकर धोने के बादलफानडर दोस्तों के साथ ग्राउंड में जाकर बैठ जाता और ईधार ऊधर की बाते करने लगता तभी एक लड़की फैशनेबल कपड़ो में कॉलेज गेट से एंट्री करती हैं। अपश्यु की नज़र अनजाने में उस पर पड़ जाता फिर क्या अपश्यु उसको देखने में खो जाता। कुछ वक्त देखने के बाद अपश्यु बोलता ….
अपश्यु…….. अरे ये खुबसूरत बला कौन हैं। जिसने अपश्यु के दिल दिमाग में हल चल मचा दिया। जिसकी सुंदरता की मैं दीवाना हों गया।
अनुराग……. ये वो बला हैं जिसके करण कईं मजनू बने कइयों के सर फूटे कइयों के टांग टूटे अब तू बता तू सर फुटवाएगा, टांग तुड़वाएगा या मजनू बनेगा।
अपश्यु……. तोड़ने फोड़ने में मैं माहिर हूं अब सोच रहा हूं मजनू बनने का मजा लिया जाएं।
विभान…… अरे ओ मजनू तेरे लिए मजनू गिरी नहीं हैं तू तो दादागिरी कर, मौज मस्ती कर और हमे भी करवा।
अपश्यु….. आज से दादागिरी बंद मौज मस्ती बंद और मजनू गिरी शुरू। चलो सब मेरे पिछे पिछे आओ।
अपश्यु उठकर चल देता। उसके दोस्त भी उसके पिछे पिछे चल देता। अपश्यु एक एक क्लॉस रूम में जाकर लड़की को ढूंढता हैं। लेकिन लड़की उसे कहीं पर नहीं मिलता। थक हर कर अपश्यु अपने क्लास में जाता, दरवाजे से एंट्री करते ही अपश्यु रूक जाता। सामने वह लडकी खड़ी थीं। अपश्यु लडकी को देखकर दरवाजे से टेक लगकर खड़ा हों जाता और लडक़ी को देखता रहता। अपश्यु के दोस्त बातों में मगन होकर एक के पीछे एक चलते हुए आ रहे थे। उनका ध्यान अपश्यु पर न होने के वजह से एक के बाद एक अपश्यु से टकरा जाते। अपश्यु पर इस टकराव का कोई असर नहीं पड़ता तब अपश्यु का दोस्त अनुराग बोलता…...
अनुराग…… अरे ये दरवाजे पर खंबा किसने गाड़ दिया। उसको पकड़ो और खंबा उखड़वा कर कही ओर गड़वाओ।
विभान….. अरे ये खंबा नहीं मजनू खड़ा हैं और अपनी लैला को देखने में खोया हुआ हैं। ये मजनू लैला को देखने में खोया हैं और हमारा सर फूटते फूटते बचा हैं। कोई इस मजनू को होश में लाओ।
संजय आज आकर अपश्यु के सामने खड़ा हों जाता। अपश्यु को सामने का नज़ारा दिखना बंद हों जाता। तब अपश्यु का ध्यान भंग होता। संजय को सामने खड़ा देख बोलता…….
अपश्यु…. हट न यार सामने से क्यों तड़ का पेड़ बाने खड़ा हैं। तुझे दिख नहीं रहा मजनू लैला से नैन मटका कर रहा हैं।
संजय….. अरे ओ दो टेक के मजनू तेरा दल वह नहीं गलने वाला उसके पीछे पहले से ही, कई मजनू बने फिर रहे हैं।
अपश्यु….. दल भी गलेगी और चोंच भी लडाऊंगा। साले कैसे दोस्त हों मैं घर बसाना चाहता हूं और तुम लोग उजड़ने कि बात कर रहें हों।
विभान….. साले तू कह घर बसाएगा तू तो गुल्ली डंडा खेलने के चक्कर में हैं फिर उसे भी और लड़कियों की तरह छोड़ देगा।
अपश्यु….. गुल्ली डंडा तो खेलूंगा ही और घर भी बसाऊंगा देख लेना तुम लोग।
अनुराग…. चल देख लेंगे तू कौन सा घर बसता हैं अब चल कर बैठा जाए खड़े खड़े मेरा टांग दुख रहा हैं।
सारे दोस्त एक के पिछे एक आगे बड़ जाते। लडक़ी भी बैठने के लिए सीट के पास जाकर खड़ी हों जाती। तब तक अपश्यु लडक़ी के पास पहुंच जाता। अपश्यु लडक़ी से किनारे होकर निकल रहा था कि उसका पैर अड़ जाता जिससे खुद को संभाल नहीं पता और लडक़ी पर गिर जाता। अपश्यु को गिरता देखकर सारा क्लॉस हंस देता ।अपश्यु उठाकर खड़ा होता और लडकी को ताकता रहता लड़की उठकर खड़ी होती और हाथ सामने लाकर फुक मरती फिर पुरा क्लॉस चाचाचाटाटाटाककक, चाचाचाटाटाटाककक की आवाज से गूंज उठता पुरा क्लॉस अपश्यु और लडकी को अचंभित होकर देखता रहता लेकिन अपश्यु पर कोई असर ही नहीं पड़ता। लडकी खीसिया कर दो चाटा ओर मरती हैं। लड़की जिसकी नाम डिंपल हैं वो बोलती हैं…..
डिंपल…… अरे ओ रतौंधी के मरीज दिन में भी दिखना बंद हों गया। जो मुझ पर आकर गिरा। तुम जैसे लड़कों को मैं अच्छे से जानती हूं खुबसूरत लडकी देखते हों लार टपकाते हुए आ जाते हों। मजनू कहीं के।
अपश्यु पर फिर भी कोई असर नहीं पड़ता। अपने गालों पर हाथ रखकर मुस्कुराते हुए लडकी को देखता रहता ।लडकी पहले से ही गुस्साया हुआ था अब इसे ओर अधिक गुस्सा आ जाती। अपश्यु को मरने के लिए हाथ उठती तब तक अपश्यु के दोस्त अपश्यु को पकड़कर पिछे ले जाता हैं और बोलता हैं……
विभान….. अरे ओ मजनू होश में आ पूरे क्लॉस के सामने नाक कटवा दिया। जा जाकर बता दे तू कौन हैं।
अपश्यु….. कितने कोमल कोमल हाथ हैं कितना मीठा बोलती हैं। मैं तो गया कम से कोई मुझे डॉक्टर के पास ले चलो और प्रेम रोग का इलाज करवाओ।
मनीष….. लगाता हैं थप्पड़ों ने तेरे दिमाग के तार हिला दिया, तू बावला हों गया हैं। वो लडकी कोई मीठा बिठा नहीं बोलती तीखी मिर्ची खाकर तीखा तीखा बोलती हैं। उसके हाथ कोमल हैं तो हार्ड किसे कहेगा देख अपने गालों को पांचों उंगलियां छप गया हैं और बंदर की भेल की तरह लाल हों गया हैं।
अपश्यु…. सालो तुम सब ने एक बात गौर नहीं किया आज तक किसी ने भरे क्लॉस में मुझ पर हाथ नहीं उठाया इस लङकी में कुछ तो बात हैं ये लडक़ी मेरे टक्कर की हैं अब ये तुम सब की भाभी बनेगी।
अनुराग….. जब तूने तय कर लिया तुझे आगे भी इस लङकी से पीटना हैं तो हम कर भी क्या सकते बोलना पड़ेगा भाभी।
अपश्यु और उसके दोस्त लडकी को कैसे पटना हैं। इस विषय पर बात करते एक दोस्त उसे रोज कॉलेज आने को कहता और लडक़ी के आस पास रहने के बोलता अपस्यू दोस्तों की बातों को मान लेता फिर अपश्यु बैठें बैठे लङकी के ताड़ता रहता। उसके सामने बैठा लड़का उसे डिस्टर्ब कर रहा था तो अपस्यू उसे धकेल कर निचे फेक देता विचरा अपस्यू को कुछ कह भी नहीं सकता उठाकर दूसरी जगह बैठ जाता।
लडक़ी थाप्पड़ मरने के बाद सीट पर बैठ जाती और बार बार अपस्यू की और घूमकर देखती। अपश्यु को देखता पाकर मुस्कुरा देती और आंख मार देती फिर बगल मे बैठी लड़की जो उसकी सहेली हैं। जिसका नाम चंचल हैं से बोलती…..
लडक़ी…... चंचल देख कैसे घूर रहा हैं मन कर रहा जाकर एक किस कर दू।
चंचल…... वो तो घुरेगा ही तुझ पर फिदा जो हों गया। जा कर ले किस तू तो हैं ही बेशर्म कहीं भी शुरु हों जाती हैं। डिंपल तुझे पाता हैं तूने किसको थप्पड़ मारा हैं।
डिंपल….. कौन हैं ? बहुत बड़ा तोप हैं जो मैं उसे थप्पड़ नहीं मार सकती। मैं तो किसी को भी थप्पड मार दू और जिसे मन करे उसे किस भी कर दू।
चंचल….. हमारे कॉलेज के कमीनों का सरदार महाकमीन अपश्यु हैं जिससे कॉलेज के स्टूडेंट के साथ साथ टीचर और प्रिंसिपल बहुत डरते हैं और तूने उसके ही गाल लाल कर दिया जिसने भी इस पर हाथ उठाया वो सही सलामत घर नहीं पहुंचा। अब तेरा क्या होगा?
डिंपल….. मुझे कुछ भी नहीं होगा देखा न तूने कैसे देख रहा था जैसे पहली बार लडकी देख रहा हों। ये महाकमिना हैं तो मैं भी महाकमिनी हूं।
चंचल…... वो तो तू हैं ही लेकिन देर सवेर ये महाकमिना इस महाकमिनी से अपने हुए अपमान का बदला जरूर लेगा तब किया करेगी।
डिंपल….. करना कुछ नहीं हैं ये तो मुझ पर लट्टू हों ही गया अब सोच रहीं हूं इसे भी मजनू बाना ही लेती हूं।
चंचल….. तेरा दिमाग तो ठीक हैं पहले से ही इतने सारे मजनू पाल रखी हैं अब एक और कहा जाकर रुकेगी।
डिंपल….. सारे मजनू को रिटायरमेंट देकर इस अपश्यु पर टिक जाती हूं और परमानेंट मजनू बना लेती हूं।
चंचल….. हां हां बाना ले और मजे कर तुझे तो बस मौज मस्ती करने से मतलब हैं।
डिंपल….. यार इस अपश्यु नाम के मजनू को आज पहली बार देख रहीं हूं न्यू एडमिशन हैं।
चंचल…... कोई न्यू एडमिशन नहीं हैं ये तो पुरानी दल हैं जो आज ही कॉलेज आय हैं। कॉलेज आते ही तूने उसके गाल सेंक दिया।
दोनों बात करते करते चुप हों जाते क्योंकि क्लॉस में टीचर आ जाता। टीचर क्लॉस का एटेंडेंस लेता हैं। जब अपश्यु का नाम आता हैं और कोई ज़बाब नहीं मिलता तब टीचर बोलता हैं "आज भी नहीं आया लगाता हैं फिर से प्रिंसिपल से शिकायत करना पड़ेगा" टीचर कि बात सुनकर अपश्यु का दोस्त बोलता हैं……
विभान…… सर अपश्यु आज कॉलेज आया हैं। फ़िर अपश्यु से बोलता हैं अरे लङकी तकना छोड़ और मुंह खोल नहीं तो फ़िर से शिकायत कर देगा
अपश्यु….. पार्जेंट सर।
टीचर……ओ तो आप आ गए आज क्यों आए हों सीधा रिजल्ट लेने आ जाते।
अपश्यु….. आ गया हू अब से रोज कॉलेज आऊंगा एक भी दिन बंक नहीं करूंगा।
टीचर….. कुछ फायदा नहीं होने वाला अगले हफ्ते से एग्जाम सुरू होने वाला हैं। पढ़ाई तो कुछ किया नहीं तो लिखोगे क्या? जब लिखोगे कुछ नहीं तो नंबर न मिलकर मिलेगा बड़ा बड़ा अंडा उन अंडो का आमलेट बनाकर खा लेना।
टीचर कि बात सुनकर क्लॉस में मौजूद सभी लडके ओर लङकी ठाहाके मारने लगाता। उन सब को डांटते हुए टीचर बोलता हैं…..
टीचर….. मैंने कोई जॉक नहीं सुनाया जो सब ठाहाके मार रहें हों। पड़ने पर ध्यान दो नहीं तो अपश्यू की तरह आधार में लटक जाओगे।
टीचर कि बाते सुनकर अपश्यु मन में बोलता "ये तो सरासर बेइज्जती हैं लेकिन तुझे तो बाद में बताऊंगी एक ही दिन में सब को धो दिया तो पढ़ाने के लिए कोई नहीं बचेगा" टीचर पढ़ना शुरू कर देता हैं। ऐसे ही रेसेस टाईम तक पढ़ाई चलता हैं फिर सब कैंटीन में चले जाते। अपश्यु भी दोस्तों के साथ कैंटीन में जाकर बैठ जाता और चाय कॉफी पीने लगाता। तभी डिंपल और चंचल कैंटीन में आती डिंपल अपश्यु के पास जाकर……
डिंपल….. सॉरी मैंने अपको पूरे क्लॉस के सामने थाप्पड मारा
अपश्यु एक खाली कुर्सी कि और इशारा करता और डिंपल बैठ जाती फिर अपश्यु बोलता……
अपश्यु…… अपके लिए इतना बेइज्जती तो शाह ही सकता हूं।
डिंपल…… मुस्कुराकर देखता है और बोलता हैं क्या हम दोस्त बन सकते हैं।
अपश्य…… आपसे दोस्ती नहीं करनी है अपको गर्लफ्रेंड बनना हैं बननी हैं तो बोलो।
डिंपल मुस्कुराकर देखता हैं और मन में बोलती"ये तो सीधा सीधा ऑफर दे रहा हैं मैं तो ख़ुद ही इसे बॉयफ्रेंड बाना चाहता हूं चलो अच्छी बात हैं बकरा खुद हलाल होना चाहता हैं तो मैं किया कर सकती हूं लेकिन अभी हां कहूंगी तो कहीं ये मुझे गलत न सोचा ले" फिर डिंपल बोलती हैं…..
डिंपल……. हम आज ही मिले हैं और गर्लफ्रेंड बाने का ऑफर, ऑफर तो अच्छा हैं लेकिन मुझे सोचने के लिए कुछ टाइम चाहिए।
अपश्यु….. दिया टाइम लेकिन ज्यादा नहीं तीन दिन का इतना काफी हैं सोचने के लिए।
डिंपल….. हां इतना काफी हैं।
ऐसे ही सब बाते करने लगते रेसेस खत्म होने के बाद सब फिर से अपने अपने क्लॉस में जाते लेकिन इस बार अपश्यु जाकर डिंपल के बगल में बैठ जाता और डिंपल के साथ बातो में मगन हों जाता।
राजेंद्र ऑफिस से घर आता जहां सुरभि तैयार बैठी थी। सुरभि के साथ सुकन्या भी बैठी थीं। सुरभि सुकन्या के बोलकर कलकत्ता के लिए चल देता चलते हुए राजेंद्र बोलता हैं…….
राजेंद्र…. सुरभि आज रघु को ऑफिस का सारा कार्य भर सोफ दिया हैं।
सुरभि…… रघु को एक न एक दिन सब जिम्मेदारी अपने कंधो पर लेना ही था अपने सही किया लेकिन एक शुभ मूहर्त पर करते तो अच्छा होते।
राजेन्द्र…… अभी सिर्फ कार्य भर सोफ हैं उसके नाम नहीं किया हैं। रघु के शादी के बाद एक शुभ मूहर्त देखकर बहू और रघु के नाम सब कुछ कर दुंगा।
सुरभि…… पता नहीं कब बहु के शुभ कदम हमारे घर पड़ेगी। कब मुझे बहु के गृह प्रवेश करवाने का मौका मिलेगा।
राजेन्द्र…… वो शुभ घडी भी आयेगा। मैंने फैसला किए हैं अब जो भी लङकी देखने जाउंगा उसके बारे में किसी को नहीं बताऊंगा।
सुरभि…... ये आपने साही सोचा।
दोनों ऐसे ही बाते करते हुए सफर के मंजिल तक पहुंचने की प्रतिक्षा करते। इधर कलकत्ता में कमला के घर पर सब नाश्ता करते हैं फिर नाश्ता करने के बाद कमला बोलती……..
कमला….. पापा आज आप और मां टाइम से कॉलेज आ जाना नहीं आए तो फिर सोच लेना।
महेश….. ऐसा कभी हुए हैं हमारे लाडली ने किसी प्रतियोगिता मे भाग लिया हों और हम उसे प्रोत्शाहीत करने न पहुंचे हों।
मनोरमा…. हम जरूर आयेंगे लेकिन तुमने हमे बताया नहीं तू भाग किस प्रतियोगिता में ले रहीं हों कहीं इस बार भी हर बार की तरह चित्रकलां प्रतियोगिता में भाग लिया।
कमला…… हां मां इस बार भी चित्रकलां प्रतियोगिता में भाग लिया और एक अच्छा सा चित्र बनायी हैं।
महेश….. तो फिर हमे भी दिखा दो, हम भी तो देखे हमारी पेंटर बेटी ने कौन सा चित्र बनाया हैं।
कमला… वो तो आप को वार्षिक उत्सव में आने के बाद ही देखने को मिलेगा अब मैं चलती हूं आप समय से आ जाना।
कमला रूम में जाती एक फोल्ड किया हुए पेपर बंडल उठाकर निचे आती नीचे उसकी सहेली सुगंधा और शालु बैठी हुई थीं। उसको देखकर कमला बोलती….
कमला…… तम दोनों कब आए।
शालु…. हम अभी अभी आए हैं चाल अब जल्दी हमे देर हों रहीं हैं।
मनोरमा….. अरे रूको चाय बन गई हैं। तुम दोनों चाय तो पीती जाओ।
सुगंधा…… आंटी हम चाय बाद में पी लेंगे हमे देर हों जायेगी।
कहकर तीनों चल देते जाते हुए तीनों एक दूसरे से मजाक कर रहे थे। मजाक मजाक में सुगंधा बोलती हैं……
सुगंधा ….. कमला अगले हफ्ते से पेपर हैं फिर कॉलेज खत्म हों जायेगी उसके बाद का कुछ सोचा हैं क्या करेंगी।
शालु…. मुझे पाता हैं कमला किया करेंगी। कॉलेज खत्म होने के बाद कमला शादी करेंगी और पति के साथ दिन रात मेहनत करके ढेरों बच्चे पैदा करेंगी।
ये कहकर शालू दौड़ पड़ती है। कमला भी उसके पीछे पीछे दौड़ती हैं। कुछ दूर दौड़ने के बाद कमला उसे पकड़ती और दे तीन थप्पड मरती फिर बोलती……
कमला…… शालु बेशर्म कहीं कि
शालु…… मैं बेशर्म कैसे हुआ शादी के बाद पति के साथ मेहनत करके ही तो बच्चे पैदा होंगे तुझे कोई और तरीका पता हों तो बता।
कमला….. तुझे बड़ी जल्दी पड़ी हैं बच्चे पैदा करने की तो तू ही कर ले मुझे अभी न शादी करनी हैं न ही अभी बच्चे पैदा करने हैं।
तब तक सुगंधा भी इनके पास पहुंच जाती हैं और कमला की बाते सुनकर बोलती हैं…..
सुगंधा….. अभी तो न न कर रहीं हैं जब कोई हैंडसम लड़का शादी की प्रस्ताव लेकर आएगा तब तेरे मुंह से न नहीं निकलेगा।
कमला…... जब ऐसा होगा तब की तब देखेंगे अभी अपना मुंह बंद कर और चुप चाप कॉलेज चल।
शालु….. ओ हो शादी के लड्डू अभी से फूट रहीं हैं लगता हैं अंकल आंटी को बताना पड़ेगा अपकी बेटी से उसकी जवानी का बोझ और नहीं धोया जाता जल्दी से उसके हाथ पीले कर दो।
शालु कहकर भाग जाती और कमला उसके पीछे भागते हुए बोलती…..
कमला….. रूक शालू की बच्ची तुझे अभी बताती हूं किसे उसकी जवानी बोझ लग रहीं हैं।
ऐसे ही तीनों चुहल करते हुए कॉलेज पहुंच जाते कॉलेज को बहुत अच्छे से सजाया गया था। कॉलेज के मैदान में टेंट लगाया गया था। जहां एक मंच बनया गया था। मंच के सामने पहली कतार में विशिष्ट अतिथिओ के बैठने के लिए जगह बनया गया था और पीछे की कतार में स्टूडेंट और उनके पेरेंट्स के बैठने के लिए कुर्सीयां लगाई गई थीं। टेंट के एक ओर एक गैलरी बनाया गया था। कमला उस गैलरी में चली गई वह जाकर कमला एक टीचर से मिली टीचर कमला को लेकर वह से बहार की तरफ आई और एक रूम में लेकर गई कुछ वक्त बाद कमला हाथ में एक स्टेंड और एक चकोर गत्ते का बोर्ड जो कवर से ढका हुआ था। लेकर टीचर के साथ बहार आई और गैलरी में जाकर स्टेंड को खड़ा किया। गत्ते के बोर्ड को स्टेंड पर रखा दिया और पास में ही खड़ी हों गई ओर भी स्टुडेंट आते गए अपने साथ लाए स्टेंड पर गत्ते का बोर्ड रखकर खड़े हों गए। ऐसे ही वक्त निकलता गया फिर सारे बोर्ड के ऊपर से कवर हटा दिया गया कवर हटते ही पूरा गैलरी आर्ट गैलेरी में परिवर्तित हों गया जहां विभिन्न पाकर की चित्रों का मेला लगा हुआ था और निरीक्षण करने वाले कुछ लोग जिनके हाथ में पेन और नोट बुक था एक एक स्टैंड के पास जाते और बारीकी से परीक्षण करते फिर बगल में खड़े स्टुडेंट से कुछ पूछते फिर नोट बुक में नोट करते और अगले वाले के पास चले जाते। कुछ ही वक्त में सभी चित्रों का परीक्षण करने के बाद चले गए।
कुछ समय बाद स्टुडेंट के पेरेंट्स आने लगते और आर्ट गैलरी में जाकर आर्ट गैलरी में लागे चित्र का लुप्त लेते इन्हीं में कमला के मां बाप भी थे जो एक एक करके सभी चित्रों को देखते और चित्र बनाने वाले स्टूडेंट को प्रोत्शाहित करते फिर कमला के पास जाकर कमला के बनाए चित्र को देखकर मनोरमा कमला को गाले लगकर बोलती हैं……..
मनोरमा…… कमला तूने तो बहुत अच्छा चित्र बनाया हैं तेरे चित्र ने मेरे अंदर के ममता को छलका दिया हैं।
कहने के साथ ही मनोरमा की आंखे छलक जाती कुछ वक्त बाद दोनों अलग होते कमला मां के आंखो से बहते अंशुओ को पोछकार बोलती हैं…….
कमला…… मां आप रो क्यों रहीं हों मैंने कुछ गलत बना दिया जिसे अपका दिल दुखा हों अगर ऐसा हैं तो मुझे माफ कर देना।
मनोरमा कमला की बात सुनकर हल्का हल्का मुस्कुराते हुए उसे फिर से गाले लगा लेती और बोलती हैं…….
मनोरमा…… कमला तूने कुछ भी गलत नहीं बनाया हैं तूने तो मां की ममता, वात्सल्य और स्नेह को इतनी सुंदरता से वर्णित किया हैं जिसे देखकर सभी मां जिसके मन में अपर ममता, वात्सल्य और स्नेह होगी इस चित्र देखने के बाद प्रत्येक मां रो देगी। मैं भी एक मां हूं तो मैं ख़ुद को रोने से कैसे रोक सकती हूं।
कमला खुश होते हुए बोलती हैं……. सच मां अपको मेरी बनाई चित्र इतनी पसंद आई
मनोरमा…… हां मेरी लाडली
कमला…… मां अपको खुशी मिली इससे बडकर मुझे ओर कुछ नहीं चाहिएं मेरा इस प्रतियोगिता में भाग लेने का फल मिल चुका हैं अब मुझे और कुछ नहीं चाहिएं।
महेश…….. तुम्हें पुरुस्कार नहीं चाहिएं जिसके लिए तूमने इतनी मेहनत किया।
कमला….. आप लोगों की खुशी से बडकर मेरे लिए और किया पुरुस्कार हों सकती हैं मुझे मेरी पुरुस्कार मिल गईं अब मुझे ये दिखबे का पुरस्कार नहीं चाहिएं।
महेश….. ठीक हैं जैसा तुम कहो हम टेंट में बैठने जा रहे हैं तुम चल रहीं हों।
कमला….. नहीं पापा अभी मुख्य अथिति आने वाले हैं उनके देखने के बाद ही मैं आ पाऊंगी।
ये लोग चाले जाते इसके बाद और भी बहुत लोग आते और कमला के चित्र को देखने वाले अधिकतर महिला जो चित्र के आशय को समझ पाते उनकी आंखे छलक जाती। कुछ वक्त बाद मंच से मुख्य अतिथि के पधारने की घोषणा होता हैं और एक एक कर कई घड़ियां कॉलेज प्रांगण में आकर रूखते। जिससे बहुत से जानें माने लोग उतरते उनमें से राजेंद्र और सुरभि भी उतरते और टेंट के अंदर जाकर अपनें निर्धारित जगह पर जाकर बैठ जाते। कुछ वक्त बैठने के बाद सब एक एक करके उठते और आर्ट गैलरी की ओर चल देते। उनके साथ कॉलेज के प्रिंसिपल और कुछ टीचर होते जो उन्हें एक एक चित्र के पास जाकर चित्र दिखते और उनके बारे में बाते। ऐसे ही जब राजेंद्र और सुरभि कमला के बनाए चित्र के पास पहुंचती हैं तो सुरभि की नजर सब से पहले कमला पर पड़ती हैं। सुरभि कमला को देखकर मन में सोचती हैं " कितनी खुबसूरत लङकी हैं ये लडक़ी अगर मेरे घर में बहु बनकर आई तो मेरे घर को स्वर्ग बना देगी" सुरभि तो मन में सोच रहीं थी लेकिन कमला की धडकने बडी हुई थीं। राजेंद्र भी कमला को देखकर मन में सोचता हैं " अरे ये लडक़ी तो मेरे देखे सभी लङकी से खुबसूरत हैं इसके घर वाले राजी हों गए तो मुझे रघु के लिए ओर लडक़ी देखना नहीं पड़ेगा " फिर राजेंद्र और सुरभि कमला के बनाए चित्र को देखते हैं चित्र को देखकर सुरभि कभी राजेंद्र को देखती कभी कमला को देखती। राजेंद्र भी कभी कमला को देखता तो कभी सुरभि को देखता। चित्र को देखते देखते सुरभि की आंखे छलक आयी। कमला भी इन दोनों को देखकर मंद मंद मुस्करा देती। सुरभि चित्र को बहुत गौर से देखती। सुरभि जीतना गौर से चित्र को देखती उतना ही उसके आंखों से अंशु छलकती जाती।
कमला के चित्र में ऐसा किया हैं जो एक मां के आंखो को छलकने पर मजबूर कर देती हैं जानेंगे अगले अपडेट में यह तक साथ बाने रहने के लिए आप सब रिडर्स को बहुत बहुत धन्यवाद।
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