• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance ajanabi hamasafar -rishton ka gathabandhan

Destiny

Will Change With Time
Prime
3,965
10,660
144
Awesome update

लाजबाब प्रस्तुति कृपया अपडेट शीघ्र देने की कोशिश करें

बहुत ही बेहतरीन महोदय,

रघु की शादी के लिए जो लड़की देख कर राजेन्द्र आते हैं उसके घरवाले बाद में शादी करने से मना कर देते हैं। कारण की रघु बहुत ही चरित्रहीन लड़का है। साथ ही राजेन्द्र के गुप्तचर भी गायब हो रहे हैं जो राजेन्द्र के लिए चिंता का सबब है। सुरभि के कान खड़े हो जाते हैं ये सुनकर।।

सुकन्या छुपकर बातें सुन रही थी अपने जेठ और जेठानी की। लेकिन सुरभि की पारखी नजरों से न बच सकी और पकड़ी गई।। ये सारा षड्यंत्र गुप्त धन को लेकर जो रहा है जो रघु की पहली संतान को मिलेगा। इसलिए रावण हर रिश्ते में भेड़ मार रहा है और अपने चाल के मुताबिक किसी लड़की से रघु की शादी करने की फिराक में है।।

Superb Updateee


Bhaiii ab iss Apasyu ko bhi kisi se achhi se tarah se maar khilwao. Tab isko pata chalega dard aur darr kisse kehte hai.

Aur ab Hero ki family ko thodi akal do jisse woh samaj sake kaun achha hai aur kaun bura.

Ravan,uska beta,aur patni ko thoda jhtaka milna chahiye.agar unka plan safal raha to raghu ko dikat hoga.amazing update bhai

Superb update

Bahut hi badhiya update diya hai bhai..
Nice and awesome update..

Bahot behtareen shaandaar update bhai
Tow jaisa baap h waisa hi beta itni kameengi ki principal n shikayat kerdi ladka school nahi aata tow gher thodi dant pad gayi tow uske balde m principal ko thonk baja dia

awesome update bhai
apasyu ko koi hona chahiye pelne wala i think kamla
rajendra kalkatta ja raha hai to kamla se bhi mulaqat hogi avashya
intezaar rahega agle update ka

अगला अपडेट पोस्ट कर दिया हैं
 

Luffy

Well-Known Member
7,017
29,006
203
अजनबी हमसफ़र - रिश्तों का गठबंधन


Update - 9


अपश्यु प्रिंसिपल को जमकर धोने के बादल फानडर दोस्तों के साथ ग्राउंड में जाकर बैठ जाता और ईधार ऊधर की बाते करने लगता तभी एक लड़की फैशनेबल कपड़ो में कॉलेज गेट से एंट्री करती हैं। अपश्यु की नज़र अनजाने में उस पर पड़ जाता फिर क्या अपश्यु उसको देखने में खो जाता। कुछ वक्त देखने के बाद अपश्यु बोलता ….

अपश्यु…….. अरे ये खुबसूरत बला कौन हैं। जिसने अपश्यु के दिल दिमाग में हल चल मचा दिया। जिसकी सुंदरता की मैं दीवाना हों गया।

अनुराग……. ये वो बला हैं जिसके करण कईं मजनू बने कइयों के सर फूटे कइयों के टांग टूटे अब तू बता तू सर फुटवाएगा, टांग तुड़वाएगा या मजनू बनेगा।

अपश्यु……. तोड़ने फोड़ने में मैं माहिर हूं अब सोच रहा हूं मजनू बनने का मजा लिया जाएं।

विभान…… अरे ओ मजनू तेरे लिए मजनू गिरी नहीं हैं तू तो दादागिरी कर, मौज मस्ती कर और हमे भी करवा।

अपश्यु….. आज से दादागिरी बंद मौज मस्ती बंद और मजनू गिरी शुरू। चलो सब मेरे पिछे पिछे आओ।

अपश्यु उठकर चल देता। उसके दोस्त भी उसके पिछे पिछे चल देता। अपश्यु एक एक क्लॉस रूम में जाकर लड़की को ढूंढता हैं। लेकिन लड़की उसे कहीं पर नहीं मिलता। थक हर कर अपश्यु अपने क्लास में जाता, दरवाजे से एंट्री करते ही अपश्यु रूक जाता। सामने वह लडकी खड़ी थीं। अपश्यु लडकी को देखकर दरवाजे से टेक लगकर खड़ा हों जाता और लडक़ी को देखता रहता। अपश्यु के दोस्त बातों में मगन होकर एक के पीछे एक चलते हुए आ रहे थे। उनका ध्यान अपश्यु पर न होने के वजह से एक के बाद एक अपश्यु से टकरा जाते। अपश्यु पर इस टकराव का कोई असर नहीं पड़ता तब अपश्यु का दोस्त अनुराग बोलता…...

अनुराग…… अरे ये दरवाजे पर खंबा किसने गाड़ दिया। उसको पकड़ो और खंबा उखड़वा कर कही ओर गड़वाओ।

विभान….. अरे ये खंबा नहीं मजनू खड़ा हैं और अपनी लैला को देखने में खोया हुआ हैं। ये मजनू लैला को देखने में खोया हैं और हमारा सर फूटते फूटते बचा हैं। कोई इस मजनू को होश में लाओ।

संजय आज आकर अपश्यु के सामने खड़ा हों जाता। अपश्यु को सामने का नज़ारा दिखना बंद हों जाता। तब अपश्यु का ध्यान भंग होता। संजय को सामने खड़ा देख बोलता…….

अपश्यु…. हट न यार सामने से क्यों तड़ का पेड़ बाने खड़ा हैं। तुझे दिख नहीं रहा मजनू लैला से नैन मटका कर रहा हैं।

संजय….. अरे ओ दो टेक के मजनू तेरा दल वह नहीं गलने वाला उसके पीछे पहले से ही, कई मजनू बने फिर रहे हैं।

अपश्यु….. दल भी गलेगी और चोंच भी लडाऊंगा। साले कैसे दोस्त हों मैं घर बसाना चाहता हूं और तुम लोग उजड़ने कि बात कर रहें हों।

विभान….. साले तू कह घर बसाएगा तू तो गुल्ली डंडा खेलने के चक्कर में हैं फिर उसे भी और लड़कियों की तरह छोड़ देगा।

अपश्यु….. गुल्ली डंडा तो खेलूंगा ही और घर भी बसाऊंगा देख लेना तुम लोग।

अनुराग…. चल देख लेंगे तू कौन सा घर बसता हैं अब चल कर बैठा जाए खड़े खड़े मेरा टांग दुख रहा हैं।

सारे दोस्त एक के पिछे एक आगे बड़ जाते। लडक़ी भी बैठने के लिए सीट के पास जाकर खड़ी हों जाती। तब तक अपश्यु लडक़ी के पास पहुंच जाता। अपश्यु लडक़ी से किनारे होकर निकल रहा था कि उसका पैर अड़ जाता जिससे खुद को संभाल नहीं पता और लडक़ी पर गिर जाता। अपश्यु को गिरता देखकर सारा क्लॉस हंस देता ।अपश्यु उठाकर खड़ा होता और लडकी को ताकता रहता लड़की उठकर खड़ी होती और हाथ सामने लाकर फुक मरती फिर पुरा क्लॉस चाचाचाटाटाटाककक, चाचाचाटाटाटाककक की आवाज से गूंज उठता पुरा क्लॉस अपश्यु और लडकी को अचंभित होकर देखता रहता लेकिन अपश्यु पर कोई असर ही नहीं पड़ता। लडकी खीसिया कर दो चाटा ओर मरती हैं। लड़की जिसकी नाम डिंपल हैं वो बोलती हैं…..

डिंपल…… अरे ओ रतौंधी के मरीज दिन में भी दिखना बंद हों गया। जो मुझ पर आकर गिरा। तुम जैसे लड़कों को मैं अच्छे से जानती हूं खुबसूरत लडकी देखते हों लार टपकाते हुए आ जाते हों। मजनू कहीं के।

अपश्यु पर फिर भी कोई असर नहीं पड़ता। अपने गालों पर हाथ रखकर मुस्कुराते हुए लडकी को देखता रहता ।लडकी पहले से ही गुस्साया हुआ था अब इसे ओर अधिक गुस्सा आ जाती। अपश्यु को मरने के लिए हाथ उठती तब तक अपश्यु के दोस्त अपश्यु को पकड़कर पिछे ले जाता हैं और बोलता हैं……

विभान….. अरे ओ मजनू होश में आ पूरे क्लॉस के सामने नाक कटवा दिया। जा जाकर बता दे तू कौन हैं।

अपश्यु….. कितने कोमल कोमल हाथ हैं कितना मीठा बोलती हैं। मैं तो गया कम से कोई मुझे डॉक्टर के पास ले चलो और प्रेम रोग का इलाज करवाओ।

मनीष….. लगाता हैं थप्पड़ों ने तेरे दिमाग के तार हिला दिया, तू बावला हों गया हैं। वो लडकी कोई मीठा बिठा नहीं बोलती तीखी मिर्ची खाकर तीखा तीखा बोलती हैं। उसके हाथ कोमल हैं तो हार्ड किसे कहेगा देख अपने गालों को पांचों उंगलियां छप गया हैं और बंदर की भेल की तरह लाल हों गया हैं।

अपश्यु…. सालो तुम सब ने एक बात गौर नहीं किया आज तक किसी ने भरे क्लॉस में मुझ पर हाथ नहीं उठाया इस लङकी में कुछ तो बात हैं ये लडक़ी मेरे टक्कर की हैं अब ये तुम सब की भाभी बनेगी।

अनुराग….. जब तूने तय कर लिया तुझे आगे भी इस लङकी से पीटना हैं तो हम कर भी क्या सकते बोलना पड़ेगा भाभी।

अपश्यु और उसके दोस्त लडकी को कैसे पटना हैं। इस विषय पर बात करते एक दोस्त उसे रोज कॉलेज आने को कहता और लडक़ी के आस पास रहने के बोलता अपस्यू दोस्तों की बातों को मान लेता फिर अपश्यु बैठें बैठे लङकी के ताड़ता रहता। उसके सामने बैठा लड़का उसे डिस्टर्ब कर रहा था तो अपस्यू उसे धकेल कर निचे फेक देता विचरा अपस्यू को कुछ कह भी नहीं सकता उठाकर दूसरी जगह बैठ जाता।

लडक़ी थाप्पड़ मरने के बाद सीट पर बैठ जाती और बार बार अपस्यू की और घूमकर देखती। अपश्यु को देखता पाकर मुस्कुरा देती और आंख मार देती फिर बगल मे बैठी लड़की जो उसकी सहेली हैं। जिसका नाम चंचल हैं से बोलती…..

लडक़ी…... चंचल देख कैसे घूर रहा हैं मन कर रहा जाकर एक किस कर दू।

चंचल…... वो तो घुरेगा ही तुझ पर फिदा जो हों गया। जा कर ले किस तू तो हैं ही बेशर्म कहीं भी शुरु हों जाती हैं। डिंपल तुझे पाता हैं तूने किसको थप्पड़ मारा हैं।

डिंपल….. कौन हैं ? बहुत बड़ा तोप हैं जो मैं उसे थप्पड़ नहीं मार सकती। मैं तो किसी को भी थप्पड मार दू और जिसे मन करे उसे किस भी कर दू।

चंचल….. हमारे कॉलेज के कमीनों का सरदार महाकमीन अपश्यु हैं जिससे कॉलेज के स्टूडेंट के साथ साथ टीचर और प्रिंसिपल बहुत डरते हैं और तूने उसके ही गाल लाल कर दिया जिसने भी इस पर हाथ उठाया वो सही सलामत घर नहीं पहुंचा। अब तेरा क्या होगा?

डिंपल….. मुझे कुछ भी नहीं होगा देखा न तूने कैसे देख रहा था जैसे पहली बार लडकी देख रहा हों। ये महाकमिना हैं तो मैं भी महाकमिनी हूं।

चंचल…... वो तो तू हैं ही लेकिन देर सवेर ये महाकमिना इस महाकमिनी से अपने हुए अपमान का बदला जरूर लेगा तब किया करेगी।

डिंपल….. करना कुछ नहीं हैं ये तो मुझ पर लट्टू हों ही गया अब सोच रहीं हूं इसे भी मजनू बाना ही लेती हूं।

चंचल….. तेरा दिमाग तो ठीक हैं पहले से ही इतने सारे मजनू पाल रखी हैं अब एक और कहा जाकर रुकेगी।

डिंपल….. सारे मजनू को रिटायरमेंट देकर इस अपश्यु पर टिक जाती हूं और परमानेंट मजनू बना लेती हूं।

चंचल….. हां हां बाना ले और मजे कर तुझे तो बस मौज मस्ती करने से मतलब हैं।

डिंपल….. यार इस अपश्यु नाम के मजनू को आज पहली बार देख रहीं हूं न्यू एडमिशन हैं।

चंचल…... कोई न्यू एडमिशन नहीं हैं ये तो पुरानी दल हैं जो आज ही कॉलेज आय हैं। कॉलेज आते ही तूने उसके गाल सेंक दिया।

दोनों बात करते करते चुप हों जाते क्योंकि क्लॉस में टीचर आ जाता। टीचर क्लॉस का एटेंडेंस लेता हैं। जब अपश्यु का नाम आता हैं और कोई ज़बाब नहीं मिलता तब टीचर बोलता हैं "आज भी नहीं आया लगाता हैं फिर से प्रिंसिपल से शिकायत करना पड़ेगा" टीचर कि बात सुनकर अपश्यु का दोस्त बोलता हैं……

विभान…… सर अपश्यु आज कॉलेज आया हैं। फ़िर अपश्यु से बोलता हैं अरे लङकी तकना छोड़ और मुंह खोल नहीं तो फ़िर से शिकायत कर देगा

अपश्यु….. पार्जेंट सर।

टीचर……ओ तो आप आ गए आज क्यों आए हों सीधा रिजल्ट लेने आ जाते।

अपश्यु….. आ गया हू अब से रोज कॉलेज आऊंगा एक भी दिन बंक नहीं करूंगा।

टीचर….. कुछ फायदा नहीं होने वाला अगले हफ्ते से एग्जाम सुरू होने वाला हैं। पढ़ाई तो कुछ किया नहीं तो लिखोगे क्या? जब लिखोगे कुछ नहीं तो नंबर न मिलकर मिलेगा बड़ा बड़ा अंडा उन अंडो का आमलेट बनाकर खा लेना।

टीचर कि बात सुनकर क्लॉस में मौजूद सभी लडके ओर लङकी ठाहाके मारने लगाता। उन सब को डांटते हुए टीचर बोलता हैं…..

टीचर….. मैंने कोई जॉक नहीं सुनाया जो सब ठाहाके मार रहें हों। पड़ने पर ध्यान दो नहीं तो अपश्यू की तरह आधार में लटक जाओगे।

टीचर कि बाते सुनकर अपश्यु मन में बोलता "ये तो सरासर बेइज्जती हैं लेकिन तुझे तो बाद में बताऊंगी एक ही दिन में सब को धो दिया तो पढ़ाने के लिए कोई नहीं बचेगा" टीचर पढ़ना शुरू कर देता हैं। ऐसे ही रेसेस टाईम तक पढ़ाई चलता हैं फिर सब कैंटीन में चले जाते। अपश्यु भी दोस्तों के साथ कैंटीन में जाकर बैठ जाता और चाय कॉफी पीने लगाता। तभी डिंपल और चंचल कैंटीन में आती डिंपल अपश्यु के पास जाकर……

डिंपल….. सॉरी मैंने अपको पूरे क्लॉस के सामने थाप्पड मारा

अपश्यु एक खाली कुर्सी कि और इशारा करता और डिंपल बैठ जाती फिर अपश्यु बोलता……

अपश्यु…… अपके लिए इतना बेइज्जती तो शाह ही सकता हूं।

डिंपल…… मुस्कुराकर देखता है और बोलता हैं क्या हम दोस्त बन सकते हैं।

अपश्य…… आपसे दोस्ती नहीं करनी है अपको गर्लफ्रेंड बनना हैं बननी हैं तो बोलो।

डिंपल मुस्कुराकर देखता हैं और मन में बोलती"ये तो सीधा सीधा ऑफर दे रहा हैं मैं तो ख़ुद ही इसे बॉयफ्रेंड बाना चाहता हूं चलो अच्छी बात हैं बकरा खुद हलाल होना चाहता हैं तो मैं किया कर सकती हूं लेकिन अभी हां कहूंगी तो कहीं ये मुझे गलत न सोचा ले" फिर डिंपल बोलती हैं…..

डिंपल……. हम आज ही मिले हैं और गर्लफ्रेंड बाने का ऑफर, ऑफर तो अच्छा हैं लेकिन मुझे सोचने के लिए कुछ टाइम चाहिए।

अपश्यु….. दिया टाइम लेकिन ज्यादा नहीं तीन दिन का इतना काफी हैं सोचने के लिए।

डिंपल….. हां इतना काफी हैं।

ऐसे ही सब बाते करने लगते रेसेस खत्म होने के बाद सब फिर से अपने अपने क्लॉस में जाते लेकिन इस बार अपश्यु जाकर डिंपल के बगल में बैठ जाता और डिंपल के साथ बातो में मगन हों जाता।

राजेंद्र ऑफिस से घर आता जहां सुरभि तैयार बैठी थी। सुरभि के साथ सुकन्या भी बैठी थीं। सुरभि सुकन्या के बोलकर कलकत्ता के लिए चल देता चलते हुए राजेंद्र बोलता हैं…….

राजेंद्र…. सुरभि आज रघु को ऑफिस का सारा कार्य भर सोफ दिया हैं।

सुरभि…… रघु को एक न एक दिन सब जिम्मेदारी अपने कंधो पर लेना ही था अपने सही किया लेकिन एक शुभ मूहर्त पर करते तो अच्छा होते।

राजेन्द्र…… अभी सिर्फ कार्य भर सोफ हैं उसके नाम नहीं किया हैं। रघु के शादी के बाद एक शुभ मूहर्त देखकर बहू और रघु के नाम सब कुछ कर दुंगा।

सुरभि…… पता नहीं कब बहु के शुभ कदम हमारे घर पड़ेगी। कब मुझे बहु के गृह प्रवेश करवाने का मौका मिलेगा।

राजेन्द्र…… वो शुभ घडी भी आयेगा। मैंने फैसला किए हैं अब जो भी लङकी देखने जाउंगा उसके बारे में किसी को नहीं बताऊंगा।

सुरभि…... ये आपने साही सोचा।

दोनों ऐसे ही बाते करते हुए सफर के मंजिल तक पहुंचने की प्रतिक्षा करते। इधर कलकत्ता में कमला के घर पर सब नाश्ता करते हैं फिर नाश्ता करने के बाद कमला बोलती……..

कमला….. पापा आज आप और मां टाइम से कॉलेज आ जाना नहीं आए तो फिर सोच लेना।

महेश….. ऐसा कभी हुए हैं हमारे लाडली ने किसी प्रतियोगिता मे भाग लिया हों और हम उसे प्रोत्शाहीत करने न पहुंचे हों।

मनोरमा…. हम जरूर आयेंगे लेकिन तुमने हमे बताया नहीं तू भाग किस प्रतियोगिता में ले रहीं हों कहीं इस बार भी हर बार की तरह चित्रकलां प्रतियोगिता में भाग लिया।

कमला…… हां मां इस बार भी चित्रकलां प्रतियोगिता में भाग लिया और एक अच्छा सा चित्र बनायी हैं।

महेश….. तो फिर हमे भी दिखा दो, हम भी तो देखे हमारी पेंटर बेटी ने कौन सा चित्र बनाया हैं।

कमला… वो तो आप को वार्षिक उत्सव में आने के बाद ही देखने को मिलेगा अब मैं चलती हूं आप समय से आ जाना।

कमला रूम में जाती एक फोल्ड किया हुए पेपर बंडल उठाकर निचे आती नीचे उसकी सहेली सुगंधा और शालु बैठी हुई थीं। उसको देखकर कमला बोलती….

कमला…… तम दोनों कब आए।

शालु…. हम अभी अभी आए हैं चाल अब जल्दी हमे देर हों रहीं हैं।

मनोरमा….. अरे रूको चाय बन गई हैं। तुम दोनों चाय तो पीती जाओ।

सुगंधा…… आंटी हम चाय बाद में पी लेंगे हमे देर हों जायेगी।

कहकर तीनों चल देते जाते हुए तीनों एक दूसरे से मजाक कर रहे थे। मजाक मजाक में सुगंधा बोलती हैं……

सुगंधा ….. कमला अगले हफ्ते से पेपर हैं फिर कॉलेज खत्म हों जायेगी उसके बाद का कुछ सोचा हैं क्या करेंगी।

शालु…. मुझे पाता हैं कमला किया करेंगी। कॉलेज खत्म होने के बाद कमला शादी करेंगी और पति के साथ दिन रात मेहनत करके ढेरों बच्चे पैदा करेंगी।

ये कहकर शालू दौड़ पड़ती है। कमला भी उसके पीछे पीछे दौड़ती हैं। कुछ दूर दौड़ने के बाद कमला उसे पकड़ती और दे तीन थप्पड मरती फिर बोलती……

कमला…… शालु बेशर्म कहीं कि

शालु…… मैं बेशर्म कैसे हुआ शादी के बाद पति के साथ मेहनत करके ही तो बच्चे पैदा होंगे तुझे कोई और तरीका पता हों तो बता।

कमला….. तुझे बड़ी जल्दी पड़ी हैं बच्चे पैदा करने की तो तू ही कर ले मुझे अभी न शादी करनी हैं न ही अभी बच्चे पैदा करने हैं।

तब तक सुगंधा भी इनके पास पहुंच जाती हैं और कमला की बाते सुनकर बोलती हैं…..

सुगंधा….. अभी तो न न कर रहीं हैं जब कोई हैंडसम लड़का शादी की प्रस्ताव लेकर आएगा तब तेरे मुंह से न नहीं निकलेगा।

कमला…... जब ऐसा होगा तब की तब देखेंगे अभी अपना मुंह बंद कर और चुप चाप कॉलेज चल।

शालु….. ओ हो शादी के लड्डू अभी से फूट रहीं हैं लगता हैं अंकल आंटी को बताना पड़ेगा अपकी बेटी से उसकी जवानी का बोझ और नहीं धोया जाता जल्दी से उसके हाथ पीले कर दो।

शालु कहकर भाग जाती और कमला उसके पीछे भागते हुए बोलती…..

कमला….. रूक शालू की बच्ची तुझे अभी बताती हूं किसे उसकी जवानी बोझ लग रहीं हैं।

ऐसे ही तीनों चुहल करते हुए कॉलेज पहुंच जाते कॉलेज को बहुत अच्छे से सजाया गया था। कॉलेज के मैदान में टेंट लगाया गया था। जहां एक मंच बनया गया था। मंच के सामने पहली कतार में विशिष्ट अतिथिओ के बैठने के लिए जगह बनया गया था और पीछे की कतार में स्टूडेंट और उनके पेरेंट्स के बैठने के लिए कुर्सीयां लगाई गई थीं। टेंट के एक ओर एक गैलरी बनाया गया था। कमला उस गैलरी में चली गई वह जाकर कमला एक टीचर से मिली टीचर कमला को लेकर वह से बहार की तरफ आई और एक रूम में लेकर गई कुछ वक्त बाद कमला हाथ में एक स्टेंड और एक चकोर गत्ते का बोर्ड जो कवर से ढका हुआ था। लेकर टीचर के साथ बहार आई और गैलरी में जाकर स्टेंड को खड़ा किया। गत्ते के बोर्ड को स्टेंड पर रखा दिया और पास में ही खड़ी हों गई ओर भी स्टुडेंट आते गए अपने साथ लाए स्टेंड पर गत्ते का बोर्ड रखकर खड़े हों गए। ऐसे ही वक्त निकलता गया फिर सारे बोर्ड के ऊपर से कवर हटा दिया गया कवर हटते ही पूरा गैलरी आर्ट गैलेरी में परिवर्तित हों गया जहां विभिन्न पाकर की चित्रों का मेला लगा हुआ था और निरीक्षण करने वाले कुछ लोग जिनके हाथ में पेन और नोट बुक था एक एक स्टैंड के पास जाते और बारीकी से परीक्षण करते फिर बगल में खड़े स्टुडेंट से कुछ पूछते फिर नोट बुक में नोट करते और अगले वाले के पास चले जाते। कुछ ही वक्त में सभी चित्रों का परीक्षण करने के बाद चले गए।

कुछ समय बाद स्टुडेंट के पेरेंट्स आने लगते और आर्ट गैलरी में जाकर आर्ट गैलरी में लागे चित्र का लुप्त लेते इन्हीं में कमला के मां बाप भी थे जो एक एक करके सभी चित्रों को देखते और चित्र बनाने वाले स्टूडेंट को प्रोत्शाहित करते फिर कमला के पास जाकर कमला के बनाए चित्र को देखकर मनोरमा कमला को गाले लगकर बोलती हैं……..

मनोरमा…… कमला तूने तो बहुत अच्छा चित्र बनाया हैं तेरे चित्र ने मेरे अंदर के ममता को छलका दिया हैं।

कहने के साथ ही मनोरमा की आंखे छलक जाती कुछ वक्त बाद दोनों अलग होते कमला मां के आंखो से बहते अंशुओ को पोछकार बोलती हैं…….

कमला…… मां आप रो क्यों रहीं हों मैंने कुछ गलत बना दिया जिसे अपका दिल दुखा हों अगर ऐसा हैं तो मुझे माफ कर देना।

मनोरमा कमला की बात सुनकर हल्का हल्का मुस्कुराते हुए उसे फिर से गाले लगा लेती और बोलती हैं…….

मनोरमा…… कमला तूने कुछ भी गलत नहीं बनाया हैं तूने तो मां की ममता, वात्सल्य और स्नेह को इतनी सुंदरता से वर्णित किया हैं जिसे देखकर सभी मां जिसके मन में अपर ममता, वात्सल्य और स्नेह होगी इस चित्र देखने के बाद प्रत्येक मां रो देगी। मैं भी एक मां हूं तो मैं ख़ुद को रोने से कैसे रोक सकती हूं।

कमला खुश होते हुए बोलती हैं……. सच मां अपको मेरी बनाई चित्र इतनी पसंद आई

मनोरमा…… हां मेरी लाडली

कमला…… मां अपको खुशी मिली इससे बडकर मुझे ओर कुछ नहीं चाहिएं मेरा इस प्रतियोगिता में भाग लेने का फल मिल चुका हैं अब मुझे और कुछ नहीं चाहिएं।

महेश…….. तुम्हें पुरुस्कार नहीं चाहिएं जिसके लिए तूमने इतनी मेहनत किया।

कमला….. आप लोगों की खुशी से बडकर मेरे लिए और किया पुरुस्कार हों सकती हैं मुझे मेरी पुरुस्कार मिल गईं अब मुझे ये दिखबे का पुरस्कार नहीं चाहिएं।

महेश….. ठीक हैं जैसा तुम कहो हम टेंट में बैठने जा रहे हैं तुम चल रहीं हों।

कमला….. नहीं पापा अभी मुख्य अथिति आने वाले हैं उनके देखने के बाद ही मैं आ पाऊंगी।

ये लोग चाले जाते इसके बाद और भी बहुत लोग आते और कमला के चित्र को देखने वाले अधिकतर महिला जो चित्र के आशय को समझ पाते उनकी आंखे छलक जाती। कुछ वक्त बाद मंच से मुख्य अतिथि के पधारने की घोषणा होता हैं और एक एक कर कई घड़ियां कॉलेज प्रांगण में आकर रूखते। जिससे बहुत से जानें माने लोग उतरते उनमें से राजेंद्र और सुरभि भी उतरते और टेंट के अंदर जाकर अपनें निर्धारित जगह पर जाकर बैठ जाते। कुछ वक्त बैठने के बाद सब एक एक करके उठते और आर्ट गैलरी की ओर चल देते। उनके साथ कॉलेज के प्रिंसिपल और कुछ टीचर होते जो उन्हें एक एक चित्र के पास जाकर चित्र दिखते और उनके बारे में बाते। ऐसे ही जब राजेंद्र और सुरभि कमला के बनाए चित्र के पास पहुंचती हैं तो सुरभि की नजर सब से पहले कमला पर पड़ती हैं। सुरभि कमला को देखकर मन में सोचती हैं " कितनी खुबसूरत लङकी हैं ये लडक़ी अगर मेरे घर में बहु बनकर आई तो मेरे घर को स्वर्ग बना देगी" सुरभि तो मन में सोच रहीं थी लेकिन कमला की धडकने बडी हुई थीं। राजेंद्र भी कमला को देखकर मन में सोचता हैं " अरे ये लडक़ी तो मेरे देखे सभी लङकी से खुबसूरत हैं इसके घर वाले राजी हों गए तो मुझे रघु के लिए ओर लडक़ी देखना नहीं पड़ेगा " फिर राजेंद्र और सुरभि कमला के बनाए चित्र को देखते हैं चित्र को देखकर सुरभि कभी राजेंद्र को देखती कभी कमला को देखती। राजेंद्र भी कभी कमला को देखता तो कभी सुरभि को देखता। चित्र को देखते देखते सुरभि की आंखे छलक आयी। कमला भी इन दोनों को देखकर मंद मंद मुस्करा देती। सुरभि चित्र को बहुत गौर से देखती। सुरभि जीतना गौर से चित्र को देखती उतना ही उसके आंखों से अंशु छलकती जाती।


कमला के चित्र में ऐसा किया हैं जो एक मां के आंखो को छलकने पर मजबूर कर देती हैं जानेंगे अगले अपडेट में यह तक साथ बाने रहने के लिए आप सब रिडर्स को बहुत बहुत धन्यवाद।
Superb update
 

parkas

Prime
22,807
52,526
258
अजनबी हमसफ़र - रिश्तों का गठबंधन


Update - 9


अपश्यु प्रिंसिपल को जमकर धोने के बादल फानडर दोस्तों के साथ ग्राउंड में जाकर बैठ जाता और ईधार ऊधर की बाते करने लगता तभी एक लड़की फैशनेबल कपड़ो में कॉलेज गेट से एंट्री करती हैं। अपश्यु की नज़र अनजाने में उस पर पड़ जाता फिर क्या अपश्यु उसको देखने में खो जाता। कुछ वक्त देखने के बाद अपश्यु बोलता ….

अपश्यु…….. अरे ये खुबसूरत बला कौन हैं। जिसने अपश्यु के दिल दिमाग में हल चल मचा दिया। जिसकी सुंदरता की मैं दीवाना हों गया।

अनुराग……. ये वो बला हैं जिसके करण कईं मजनू बने कइयों के सर फूटे कइयों के टांग टूटे अब तू बता तू सर फुटवाएगा, टांग तुड़वाएगा या मजनू बनेगा।

अपश्यु……. तोड़ने फोड़ने में मैं माहिर हूं अब सोच रहा हूं मजनू बनने का मजा लिया जाएं।

विभान…… अरे ओ मजनू तेरे लिए मजनू गिरी नहीं हैं तू तो दादागिरी कर, मौज मस्ती कर और हमे भी करवा।

अपश्यु….. आज से दादागिरी बंद मौज मस्ती बंद और मजनू गिरी शुरू। चलो सब मेरे पिछे पिछे आओ।

अपश्यु उठकर चल देता। उसके दोस्त भी उसके पिछे पिछे चल देता। अपश्यु एक एक क्लॉस रूम में जाकर लड़की को ढूंढता हैं। लेकिन लड़की उसे कहीं पर नहीं मिलता। थक हर कर अपश्यु अपने क्लास में जाता, दरवाजे से एंट्री करते ही अपश्यु रूक जाता। सामने वह लडकी खड़ी थीं। अपश्यु लडकी को देखकर दरवाजे से टेक लगकर खड़ा हों जाता और लडक़ी को देखता रहता। अपश्यु के दोस्त बातों में मगन होकर एक के पीछे एक चलते हुए आ रहे थे। उनका ध्यान अपश्यु पर न होने के वजह से एक के बाद एक अपश्यु से टकरा जाते। अपश्यु पर इस टकराव का कोई असर नहीं पड़ता तब अपश्यु का दोस्त अनुराग बोलता…...

अनुराग…… अरे ये दरवाजे पर खंबा किसने गाड़ दिया। उसको पकड़ो और खंबा उखड़वा कर कही ओर गड़वाओ।

विभान….. अरे ये खंबा नहीं मजनू खड़ा हैं और अपनी लैला को देखने में खोया हुआ हैं। ये मजनू लैला को देखने में खोया हैं और हमारा सर फूटते फूटते बचा हैं। कोई इस मजनू को होश में लाओ।

संजय आज आकर अपश्यु के सामने खड़ा हों जाता। अपश्यु को सामने का नज़ारा दिखना बंद हों जाता। तब अपश्यु का ध्यान भंग होता। संजय को सामने खड़ा देख बोलता…….

अपश्यु…. हट न यार सामने से क्यों तड़ का पेड़ बाने खड़ा हैं। तुझे दिख नहीं रहा मजनू लैला से नैन मटका कर रहा हैं।

संजय….. अरे ओ दो टेक के मजनू तेरा दल वह नहीं गलने वाला उसके पीछे पहले से ही, कई मजनू बने फिर रहे हैं।

अपश्यु….. दल भी गलेगी और चोंच भी लडाऊंगा। साले कैसे दोस्त हों मैं घर बसाना चाहता हूं और तुम लोग उजड़ने कि बात कर रहें हों।

विभान….. साले तू कह घर बसाएगा तू तो गुल्ली डंडा खेलने के चक्कर में हैं फिर उसे भी और लड़कियों की तरह छोड़ देगा।

अपश्यु….. गुल्ली डंडा तो खेलूंगा ही और घर भी बसाऊंगा देख लेना तुम लोग।

अनुराग…. चल देख लेंगे तू कौन सा घर बसता हैं अब चल कर बैठा जाए खड़े खड़े मेरा टांग दुख रहा हैं।

सारे दोस्त एक के पिछे एक आगे बड़ जाते। लडक़ी भी बैठने के लिए सीट के पास जाकर खड़ी हों जाती। तब तक अपश्यु लडक़ी के पास पहुंच जाता। अपश्यु लडक़ी से किनारे होकर निकल रहा था कि उसका पैर अड़ जाता जिससे खुद को संभाल नहीं पता और लडक़ी पर गिर जाता। अपश्यु को गिरता देखकर सारा क्लॉस हंस देता ।अपश्यु उठाकर खड़ा होता और लडकी को ताकता रहता लड़की उठकर खड़ी होती और हाथ सामने लाकर फुक मरती फिर पुरा क्लॉस चाचाचाटाटाटाककक, चाचाचाटाटाटाककक की आवाज से गूंज उठता पुरा क्लॉस अपश्यु और लडकी को अचंभित होकर देखता रहता लेकिन अपश्यु पर कोई असर ही नहीं पड़ता। लडकी खीसिया कर दो चाटा ओर मरती हैं। लड़की जिसकी नाम डिंपल हैं वो बोलती हैं…..

डिंपल…… अरे ओ रतौंधी के मरीज दिन में भी दिखना बंद हों गया। जो मुझ पर आकर गिरा। तुम जैसे लड़कों को मैं अच्छे से जानती हूं खुबसूरत लडकी देखते हों लार टपकाते हुए आ जाते हों। मजनू कहीं के।

अपश्यु पर फिर भी कोई असर नहीं पड़ता। अपने गालों पर हाथ रखकर मुस्कुराते हुए लडकी को देखता रहता ।लडकी पहले से ही गुस्साया हुआ था अब इसे ओर अधिक गुस्सा आ जाती। अपश्यु को मरने के लिए हाथ उठती तब तक अपश्यु के दोस्त अपश्यु को पकड़कर पिछे ले जाता हैं और बोलता हैं……

विभान….. अरे ओ मजनू होश में आ पूरे क्लॉस के सामने नाक कटवा दिया। जा जाकर बता दे तू कौन हैं।

अपश्यु….. कितने कोमल कोमल हाथ हैं कितना मीठा बोलती हैं। मैं तो गया कम से कोई मुझे डॉक्टर के पास ले चलो और प्रेम रोग का इलाज करवाओ।

मनीष….. लगाता हैं थप्पड़ों ने तेरे दिमाग के तार हिला दिया, तू बावला हों गया हैं। वो लडकी कोई मीठा बिठा नहीं बोलती तीखी मिर्ची खाकर तीखा तीखा बोलती हैं। उसके हाथ कोमल हैं तो हार्ड किसे कहेगा देख अपने गालों को पांचों उंगलियां छप गया हैं और बंदर की भेल की तरह लाल हों गया हैं।

अपश्यु…. सालो तुम सब ने एक बात गौर नहीं किया आज तक किसी ने भरे क्लॉस में मुझ पर हाथ नहीं उठाया इस लङकी में कुछ तो बात हैं ये लडक़ी मेरे टक्कर की हैं अब ये तुम सब की भाभी बनेगी।

अनुराग….. जब तूने तय कर लिया तुझे आगे भी इस लङकी से पीटना हैं तो हम कर भी क्या सकते बोलना पड़ेगा भाभी।

अपश्यु और उसके दोस्त लडकी को कैसे पटना हैं। इस विषय पर बात करते एक दोस्त उसे रोज कॉलेज आने को कहता और लडक़ी के आस पास रहने के बोलता अपस्यू दोस्तों की बातों को मान लेता फिर अपश्यु बैठें बैठे लङकी के ताड़ता रहता। उसके सामने बैठा लड़का उसे डिस्टर्ब कर रहा था तो अपस्यू उसे धकेल कर निचे फेक देता विचरा अपस्यू को कुछ कह भी नहीं सकता उठाकर दूसरी जगह बैठ जाता।

लडक़ी थाप्पड़ मरने के बाद सीट पर बैठ जाती और बार बार अपस्यू की और घूमकर देखती। अपश्यु को देखता पाकर मुस्कुरा देती और आंख मार देती फिर बगल मे बैठी लड़की जो उसकी सहेली हैं। जिसका नाम चंचल हैं से बोलती…..

लडक़ी…... चंचल देख कैसे घूर रहा हैं मन कर रहा जाकर एक किस कर दू।

चंचल…... वो तो घुरेगा ही तुझ पर फिदा जो हों गया। जा कर ले किस तू तो हैं ही बेशर्म कहीं भी शुरु हों जाती हैं। डिंपल तुझे पाता हैं तूने किसको थप्पड़ मारा हैं।

डिंपल….. कौन हैं ? बहुत बड़ा तोप हैं जो मैं उसे थप्पड़ नहीं मार सकती। मैं तो किसी को भी थप्पड मार दू और जिसे मन करे उसे किस भी कर दू।

चंचल….. हमारे कॉलेज के कमीनों का सरदार महाकमीन अपश्यु हैं जिससे कॉलेज के स्टूडेंट के साथ साथ टीचर और प्रिंसिपल बहुत डरते हैं और तूने उसके ही गाल लाल कर दिया जिसने भी इस पर हाथ उठाया वो सही सलामत घर नहीं पहुंचा। अब तेरा क्या होगा?

डिंपल….. मुझे कुछ भी नहीं होगा देखा न तूने कैसे देख रहा था जैसे पहली बार लडकी देख रहा हों। ये महाकमिना हैं तो मैं भी महाकमिनी हूं।

चंचल…... वो तो तू हैं ही लेकिन देर सवेर ये महाकमिना इस महाकमिनी से अपने हुए अपमान का बदला जरूर लेगा तब किया करेगी।

डिंपल….. करना कुछ नहीं हैं ये तो मुझ पर लट्टू हों ही गया अब सोच रहीं हूं इसे भी मजनू बाना ही लेती हूं।

चंचल….. तेरा दिमाग तो ठीक हैं पहले से ही इतने सारे मजनू पाल रखी हैं अब एक और कहा जाकर रुकेगी।

डिंपल….. सारे मजनू को रिटायरमेंट देकर इस अपश्यु पर टिक जाती हूं और परमानेंट मजनू बना लेती हूं।

चंचल….. हां हां बाना ले और मजे कर तुझे तो बस मौज मस्ती करने से मतलब हैं।

डिंपल….. यार इस अपश्यु नाम के मजनू को आज पहली बार देख रहीं हूं न्यू एडमिशन हैं।

चंचल…... कोई न्यू एडमिशन नहीं हैं ये तो पुरानी दल हैं जो आज ही कॉलेज आय हैं। कॉलेज आते ही तूने उसके गाल सेंक दिया।

दोनों बात करते करते चुप हों जाते क्योंकि क्लॉस में टीचर आ जाता। टीचर क्लॉस का एटेंडेंस लेता हैं। जब अपश्यु का नाम आता हैं और कोई ज़बाब नहीं मिलता तब टीचर बोलता हैं "आज भी नहीं आया लगाता हैं फिर से प्रिंसिपल से शिकायत करना पड़ेगा" टीचर कि बात सुनकर अपश्यु का दोस्त बोलता हैं……

विभान…… सर अपश्यु आज कॉलेज आया हैं। फ़िर अपश्यु से बोलता हैं अरे लङकी तकना छोड़ और मुंह खोल नहीं तो फ़िर से शिकायत कर देगा

अपश्यु….. पार्जेंट सर।

टीचर……ओ तो आप आ गए आज क्यों आए हों सीधा रिजल्ट लेने आ जाते।

अपश्यु….. आ गया हू अब से रोज कॉलेज आऊंगा एक भी दिन बंक नहीं करूंगा।

टीचर….. कुछ फायदा नहीं होने वाला अगले हफ्ते से एग्जाम सुरू होने वाला हैं। पढ़ाई तो कुछ किया नहीं तो लिखोगे क्या? जब लिखोगे कुछ नहीं तो नंबर न मिलकर मिलेगा बड़ा बड़ा अंडा उन अंडो का आमलेट बनाकर खा लेना।

टीचर कि बात सुनकर क्लॉस में मौजूद सभी लडके ओर लङकी ठाहाके मारने लगाता। उन सब को डांटते हुए टीचर बोलता हैं…..

टीचर….. मैंने कोई जॉक नहीं सुनाया जो सब ठाहाके मार रहें हों। पड़ने पर ध्यान दो नहीं तो अपश्यू की तरह आधार में लटक जाओगे।

टीचर कि बाते सुनकर अपश्यु मन में बोलता "ये तो सरासर बेइज्जती हैं लेकिन तुझे तो बाद में बताऊंगी एक ही दिन में सब को धो दिया तो पढ़ाने के लिए कोई नहीं बचेगा" टीचर पढ़ना शुरू कर देता हैं। ऐसे ही रेसेस टाईम तक पढ़ाई चलता हैं फिर सब कैंटीन में चले जाते। अपश्यु भी दोस्तों के साथ कैंटीन में जाकर बैठ जाता और चाय कॉफी पीने लगाता। तभी डिंपल और चंचल कैंटीन में आती डिंपल अपश्यु के पास जाकर……

डिंपल….. सॉरी मैंने अपको पूरे क्लॉस के सामने थाप्पड मारा

अपश्यु एक खाली कुर्सी कि और इशारा करता और डिंपल बैठ जाती फिर अपश्यु बोलता……

अपश्यु…… अपके लिए इतना बेइज्जती तो शाह ही सकता हूं।

डिंपल…… मुस्कुराकर देखता है और बोलता हैं क्या हम दोस्त बन सकते हैं।

अपश्य…… आपसे दोस्ती नहीं करनी है अपको गर्लफ्रेंड बनना हैं बननी हैं तो बोलो।

डिंपल मुस्कुराकर देखता हैं और मन में बोलती"ये तो सीधा सीधा ऑफर दे रहा हैं मैं तो ख़ुद ही इसे बॉयफ्रेंड बाना चाहता हूं चलो अच्छी बात हैं बकरा खुद हलाल होना चाहता हैं तो मैं किया कर सकती हूं लेकिन अभी हां कहूंगी तो कहीं ये मुझे गलत न सोचा ले" फिर डिंपल बोलती हैं…..

डिंपल……. हम आज ही मिले हैं और गर्लफ्रेंड बाने का ऑफर, ऑफर तो अच्छा हैं लेकिन मुझे सोचने के लिए कुछ टाइम चाहिए।

अपश्यु….. दिया टाइम लेकिन ज्यादा नहीं तीन दिन का इतना काफी हैं सोचने के लिए।

डिंपल….. हां इतना काफी हैं।

ऐसे ही सब बाते करने लगते रेसेस खत्म होने के बाद सब फिर से अपने अपने क्लॉस में जाते लेकिन इस बार अपश्यु जाकर डिंपल के बगल में बैठ जाता और डिंपल के साथ बातो में मगन हों जाता।

राजेंद्र ऑफिस से घर आता जहां सुरभि तैयार बैठी थी। सुरभि के साथ सुकन्या भी बैठी थीं। सुरभि सुकन्या के बोलकर कलकत्ता के लिए चल देता चलते हुए राजेंद्र बोलता हैं…….

राजेंद्र…. सुरभि आज रघु को ऑफिस का सारा कार्य भर सोफ दिया हैं।

सुरभि…… रघु को एक न एक दिन सब जिम्मेदारी अपने कंधो पर लेना ही था अपने सही किया लेकिन एक शुभ मूहर्त पर करते तो अच्छा होते।

राजेन्द्र…… अभी सिर्फ कार्य भर सोफ हैं उसके नाम नहीं किया हैं। रघु के शादी के बाद एक शुभ मूहर्त देखकर बहू और रघु के नाम सब कुछ कर दुंगा।

सुरभि…… पता नहीं कब बहु के शुभ कदम हमारे घर पड़ेगी। कब मुझे बहु के गृह प्रवेश करवाने का मौका मिलेगा।

राजेन्द्र…… वो शुभ घडी भी आयेगा। मैंने फैसला किए हैं अब जो भी लङकी देखने जाउंगा उसके बारे में किसी को नहीं बताऊंगा।

सुरभि…... ये आपने साही सोचा।

दोनों ऐसे ही बाते करते हुए सफर के मंजिल तक पहुंचने की प्रतिक्षा करते। इधर कलकत्ता में कमला के घर पर सब नाश्ता करते हैं फिर नाश्ता करने के बाद कमला बोलती……..

कमला….. पापा आज आप और मां टाइम से कॉलेज आ जाना नहीं आए तो फिर सोच लेना।

महेश….. ऐसा कभी हुए हैं हमारे लाडली ने किसी प्रतियोगिता मे भाग लिया हों और हम उसे प्रोत्शाहीत करने न पहुंचे हों।

मनोरमा…. हम जरूर आयेंगे लेकिन तुमने हमे बताया नहीं तू भाग किस प्रतियोगिता में ले रहीं हों कहीं इस बार भी हर बार की तरह चित्रकलां प्रतियोगिता में भाग लिया।

कमला…… हां मां इस बार भी चित्रकलां प्रतियोगिता में भाग लिया और एक अच्छा सा चित्र बनायी हैं।

महेश….. तो फिर हमे भी दिखा दो, हम भी तो देखे हमारी पेंटर बेटी ने कौन सा चित्र बनाया हैं।

कमला… वो तो आप को वार्षिक उत्सव में आने के बाद ही देखने को मिलेगा अब मैं चलती हूं आप समय से आ जाना।

कमला रूम में जाती एक फोल्ड किया हुए पेपर बंडल उठाकर निचे आती नीचे उसकी सहेली सुगंधा और शालु बैठी हुई थीं। उसको देखकर कमला बोलती….

कमला…… तम दोनों कब आए।

शालु…. हम अभी अभी आए हैं चाल अब जल्दी हमे देर हों रहीं हैं।

मनोरमा….. अरे रूको चाय बन गई हैं। तुम दोनों चाय तो पीती जाओ।

सुगंधा…… आंटी हम चाय बाद में पी लेंगे हमे देर हों जायेगी।

कहकर तीनों चल देते जाते हुए तीनों एक दूसरे से मजाक कर रहे थे। मजाक मजाक में सुगंधा बोलती हैं……

सुगंधा ….. कमला अगले हफ्ते से पेपर हैं फिर कॉलेज खत्म हों जायेगी उसके बाद का कुछ सोचा हैं क्या करेंगी।

शालु…. मुझे पाता हैं कमला किया करेंगी। कॉलेज खत्म होने के बाद कमला शादी करेंगी और पति के साथ दिन रात मेहनत करके ढेरों बच्चे पैदा करेंगी।

ये कहकर शालू दौड़ पड़ती है। कमला भी उसके पीछे पीछे दौड़ती हैं। कुछ दूर दौड़ने के बाद कमला उसे पकड़ती और दे तीन थप्पड मरती फिर बोलती……

कमला…… शालु बेशर्म कहीं कि

शालु…… मैं बेशर्म कैसे हुआ शादी के बाद पति के साथ मेहनत करके ही तो बच्चे पैदा होंगे तुझे कोई और तरीका पता हों तो बता।

कमला….. तुझे बड़ी जल्दी पड़ी हैं बच्चे पैदा करने की तो तू ही कर ले मुझे अभी न शादी करनी हैं न ही अभी बच्चे पैदा करने हैं।

तब तक सुगंधा भी इनके पास पहुंच जाती हैं और कमला की बाते सुनकर बोलती हैं…..

सुगंधा….. अभी तो न न कर रहीं हैं जब कोई हैंडसम लड़का शादी की प्रस्ताव लेकर आएगा तब तेरे मुंह से न नहीं निकलेगा।

कमला…... जब ऐसा होगा तब की तब देखेंगे अभी अपना मुंह बंद कर और चुप चाप कॉलेज चल।

शालु….. ओ हो शादी के लड्डू अभी से फूट रहीं हैं लगता हैं अंकल आंटी को बताना पड़ेगा अपकी बेटी से उसकी जवानी का बोझ और नहीं धोया जाता जल्दी से उसके हाथ पीले कर दो।

शालु कहकर भाग जाती और कमला उसके पीछे भागते हुए बोलती…..

कमला….. रूक शालू की बच्ची तुझे अभी बताती हूं किसे उसकी जवानी बोझ लग रहीं हैं।

ऐसे ही तीनों चुहल करते हुए कॉलेज पहुंच जाते कॉलेज को बहुत अच्छे से सजाया गया था। कॉलेज के मैदान में टेंट लगाया गया था। जहां एक मंच बनया गया था। मंच के सामने पहली कतार में विशिष्ट अतिथिओ के बैठने के लिए जगह बनया गया था और पीछे की कतार में स्टूडेंट और उनके पेरेंट्स के बैठने के लिए कुर्सीयां लगाई गई थीं। टेंट के एक ओर एक गैलरी बनाया गया था। कमला उस गैलरी में चली गई वह जाकर कमला एक टीचर से मिली टीचर कमला को लेकर वह से बहार की तरफ आई और एक रूम में लेकर गई कुछ वक्त बाद कमला हाथ में एक स्टेंड और एक चकोर गत्ते का बोर्ड जो कवर से ढका हुआ था। लेकर टीचर के साथ बहार आई और गैलरी में जाकर स्टेंड को खड़ा किया। गत्ते के बोर्ड को स्टेंड पर रखा दिया और पास में ही खड़ी हों गई ओर भी स्टुडेंट आते गए अपने साथ लाए स्टेंड पर गत्ते का बोर्ड रखकर खड़े हों गए। ऐसे ही वक्त निकलता गया फिर सारे बोर्ड के ऊपर से कवर हटा दिया गया कवर हटते ही पूरा गैलरी आर्ट गैलेरी में परिवर्तित हों गया जहां विभिन्न पाकर की चित्रों का मेला लगा हुआ था और निरीक्षण करने वाले कुछ लोग जिनके हाथ में पेन और नोट बुक था एक एक स्टैंड के पास जाते और बारीकी से परीक्षण करते फिर बगल में खड़े स्टुडेंट से कुछ पूछते फिर नोट बुक में नोट करते और अगले वाले के पास चले जाते। कुछ ही वक्त में सभी चित्रों का परीक्षण करने के बाद चले गए।

कुछ समय बाद स्टुडेंट के पेरेंट्स आने लगते और आर्ट गैलरी में जाकर आर्ट गैलरी में लागे चित्र का लुप्त लेते इन्हीं में कमला के मां बाप भी थे जो एक एक करके सभी चित्रों को देखते और चित्र बनाने वाले स्टूडेंट को प्रोत्शाहित करते फिर कमला के पास जाकर कमला के बनाए चित्र को देखकर मनोरमा कमला को गाले लगकर बोलती हैं……..

मनोरमा…… कमला तूने तो बहुत अच्छा चित्र बनाया हैं तेरे चित्र ने मेरे अंदर के ममता को छलका दिया हैं।

कहने के साथ ही मनोरमा की आंखे छलक जाती कुछ वक्त बाद दोनों अलग होते कमला मां के आंखो से बहते अंशुओ को पोछकार बोलती हैं…….

कमला…… मां आप रो क्यों रहीं हों मैंने कुछ गलत बना दिया जिसे अपका दिल दुखा हों अगर ऐसा हैं तो मुझे माफ कर देना।

मनोरमा कमला की बात सुनकर हल्का हल्का मुस्कुराते हुए उसे फिर से गाले लगा लेती और बोलती हैं…….

मनोरमा…… कमला तूने कुछ भी गलत नहीं बनाया हैं तूने तो मां की ममता, वात्सल्य और स्नेह को इतनी सुंदरता से वर्णित किया हैं जिसे देखकर सभी मां जिसके मन में अपर ममता, वात्सल्य और स्नेह होगी इस चित्र देखने के बाद प्रत्येक मां रो देगी। मैं भी एक मां हूं तो मैं ख़ुद को रोने से कैसे रोक सकती हूं।

कमला खुश होते हुए बोलती हैं……. सच मां अपको मेरी बनाई चित्र इतनी पसंद आई

मनोरमा…… हां मेरी लाडली

कमला…… मां अपको खुशी मिली इससे बडकर मुझे ओर कुछ नहीं चाहिएं मेरा इस प्रतियोगिता में भाग लेने का फल मिल चुका हैं अब मुझे और कुछ नहीं चाहिएं।

महेश…….. तुम्हें पुरुस्कार नहीं चाहिएं जिसके लिए तूमने इतनी मेहनत किया।

कमला….. आप लोगों की खुशी से बडकर मेरे लिए और किया पुरुस्कार हों सकती हैं मुझे मेरी पुरुस्कार मिल गईं अब मुझे ये दिखबे का पुरस्कार नहीं चाहिएं।

महेश….. ठीक हैं जैसा तुम कहो हम टेंट में बैठने जा रहे हैं तुम चल रहीं हों।

कमला….. नहीं पापा अभी मुख्य अथिति आने वाले हैं उनके देखने के बाद ही मैं आ पाऊंगी।

ये लोग चाले जाते इसके बाद और भी बहुत लोग आते और कमला के चित्र को देखने वाले अधिकतर महिला जो चित्र के आशय को समझ पाते उनकी आंखे छलक जाती। कुछ वक्त बाद मंच से मुख्य अतिथि के पधारने की घोषणा होता हैं और एक एक कर कई घड़ियां कॉलेज प्रांगण में आकर रूखते। जिससे बहुत से जानें माने लोग उतरते उनमें से राजेंद्र और सुरभि भी उतरते और टेंट के अंदर जाकर अपनें निर्धारित जगह पर जाकर बैठ जाते। कुछ वक्त बैठने के बाद सब एक एक करके उठते और आर्ट गैलरी की ओर चल देते। उनके साथ कॉलेज के प्रिंसिपल और कुछ टीचर होते जो उन्हें एक एक चित्र के पास जाकर चित्र दिखते और उनके बारे में बाते। ऐसे ही जब राजेंद्र और सुरभि कमला के बनाए चित्र के पास पहुंचती हैं तो सुरभि की नजर सब से पहले कमला पर पड़ती हैं। सुरभि कमला को देखकर मन में सोचती हैं " कितनी खुबसूरत लङकी हैं ये लडक़ी अगर मेरे घर में बहु बनकर आई तो मेरे घर को स्वर्ग बना देगी" सुरभि तो मन में सोच रहीं थी लेकिन कमला की धडकने बडी हुई थीं। राजेंद्र भी कमला को देखकर मन में सोचता हैं " अरे ये लडक़ी तो मेरे देखे सभी लङकी से खुबसूरत हैं इसके घर वाले राजी हों गए तो मुझे रघु के लिए ओर लडक़ी देखना नहीं पड़ेगा " फिर राजेंद्र और सुरभि कमला के बनाए चित्र को देखते हैं चित्र को देखकर सुरभि कभी राजेंद्र को देखती कभी कमला को देखती। राजेंद्र भी कभी कमला को देखता तो कभी सुरभि को देखता। चित्र को देखते देखते सुरभि की आंखे छलक आयी। कमला भी इन दोनों को देखकर मंद मंद मुस्करा देती। सुरभि चित्र को बहुत गौर से देखती। सुरभि जीतना गौर से चित्र को देखती उतना ही उसके आंखों से अंशु छलकती जाती।


कमला के चित्र में ऐसा किया हैं जो एक मां के आंखो को छलकने पर मजबूर कर देती हैं जानेंगे अगले अपडेट में यह तक साथ बाने रहने के लिए आप सब रिडर्स को बहुत बहुत धन्यवाद।
Bahut hi badhiya update diya hai bhai...
Nice and superb update...
 

Jaguaar

Prime
17,679
60,240
244
अजनबी हमसफ़र - रिश्तों का गठबंधन


Update - 9


अपश्यु प्रिंसिपल को जमकर धोने के बादल फानडर दोस्तों के साथ ग्राउंड में जाकर बैठ जाता और ईधार ऊधर की बाते करने लगता तभी एक लड़की फैशनेबल कपड़ो में कॉलेज गेट से एंट्री करती हैं। अपश्यु की नज़र अनजाने में उस पर पड़ जाता फिर क्या अपश्यु उसको देखने में खो जाता। कुछ वक्त देखने के बाद अपश्यु बोलता ….

अपश्यु…….. अरे ये खुबसूरत बला कौन हैं। जिसने अपश्यु के दिल दिमाग में हल चल मचा दिया। जिसकी सुंदरता की मैं दीवाना हों गया।

अनुराग……. ये वो बला हैं जिसके करण कईं मजनू बने कइयों के सर फूटे कइयों के टांग टूटे अब तू बता तू सर फुटवाएगा, टांग तुड़वाएगा या मजनू बनेगा।

अपश्यु……. तोड़ने फोड़ने में मैं माहिर हूं अब सोच रहा हूं मजनू बनने का मजा लिया जाएं।

विभान…… अरे ओ मजनू तेरे लिए मजनू गिरी नहीं हैं तू तो दादागिरी कर, मौज मस्ती कर और हमे भी करवा।

अपश्यु….. आज से दादागिरी बंद मौज मस्ती बंद और मजनू गिरी शुरू। चलो सब मेरे पिछे पिछे आओ।

अपश्यु उठकर चल देता। उसके दोस्त भी उसके पिछे पिछे चल देता। अपश्यु एक एक क्लॉस रूम में जाकर लड़की को ढूंढता हैं। लेकिन लड़की उसे कहीं पर नहीं मिलता। थक हर कर अपश्यु अपने क्लास में जाता, दरवाजे से एंट्री करते ही अपश्यु रूक जाता। सामने वह लडकी खड़ी थीं। अपश्यु लडकी को देखकर दरवाजे से टेक लगकर खड़ा हों जाता और लडक़ी को देखता रहता। अपश्यु के दोस्त बातों में मगन होकर एक के पीछे एक चलते हुए आ रहे थे। उनका ध्यान अपश्यु पर न होने के वजह से एक के बाद एक अपश्यु से टकरा जाते। अपश्यु पर इस टकराव का कोई असर नहीं पड़ता तब अपश्यु का दोस्त अनुराग बोलता…...

अनुराग…… अरे ये दरवाजे पर खंबा किसने गाड़ दिया। उसको पकड़ो और खंबा उखड़वा कर कही ओर गड़वाओ।

विभान….. अरे ये खंबा नहीं मजनू खड़ा हैं और अपनी लैला को देखने में खोया हुआ हैं। ये मजनू लैला को देखने में खोया हैं और हमारा सर फूटते फूटते बचा हैं। कोई इस मजनू को होश में लाओ।

संजय आज आकर अपश्यु के सामने खड़ा हों जाता। अपश्यु को सामने का नज़ारा दिखना बंद हों जाता। तब अपश्यु का ध्यान भंग होता। संजय को सामने खड़ा देख बोलता…….

अपश्यु…. हट न यार सामने से क्यों तड़ का पेड़ बाने खड़ा हैं। तुझे दिख नहीं रहा मजनू लैला से नैन मटका कर रहा हैं।

संजय….. अरे ओ दो टेक के मजनू तेरा दल वह नहीं गलने वाला उसके पीछे पहले से ही, कई मजनू बने फिर रहे हैं।

अपश्यु….. दल भी गलेगी और चोंच भी लडाऊंगा। साले कैसे दोस्त हों मैं घर बसाना चाहता हूं और तुम लोग उजड़ने कि बात कर रहें हों।

विभान….. साले तू कह घर बसाएगा तू तो गुल्ली डंडा खेलने के चक्कर में हैं फिर उसे भी और लड़कियों की तरह छोड़ देगा।

अपश्यु….. गुल्ली डंडा तो खेलूंगा ही और घर भी बसाऊंगा देख लेना तुम लोग।

अनुराग…. चल देख लेंगे तू कौन सा घर बसता हैं अब चल कर बैठा जाए खड़े खड़े मेरा टांग दुख रहा हैं।

सारे दोस्त एक के पिछे एक आगे बड़ जाते। लडक़ी भी बैठने के लिए सीट के पास जाकर खड़ी हों जाती। तब तक अपश्यु लडक़ी के पास पहुंच जाता। अपश्यु लडक़ी से किनारे होकर निकल रहा था कि उसका पैर अड़ जाता जिससे खुद को संभाल नहीं पता और लडक़ी पर गिर जाता। अपश्यु को गिरता देखकर सारा क्लॉस हंस देता ।अपश्यु उठाकर खड़ा होता और लडकी को ताकता रहता लड़की उठकर खड़ी होती और हाथ सामने लाकर फुक मरती फिर पुरा क्लॉस चाचाचाटाटाटाककक, चाचाचाटाटाटाककक की आवाज से गूंज उठता पुरा क्लॉस अपश्यु और लडकी को अचंभित होकर देखता रहता लेकिन अपश्यु पर कोई असर ही नहीं पड़ता। लडकी खीसिया कर दो चाटा ओर मरती हैं। लड़की जिसकी नाम डिंपल हैं वो बोलती हैं…..

डिंपल…… अरे ओ रतौंधी के मरीज दिन में भी दिखना बंद हों गया। जो मुझ पर आकर गिरा। तुम जैसे लड़कों को मैं अच्छे से जानती हूं खुबसूरत लडकी देखते हों लार टपकाते हुए आ जाते हों। मजनू कहीं के।

अपश्यु पर फिर भी कोई असर नहीं पड़ता। अपने गालों पर हाथ रखकर मुस्कुराते हुए लडकी को देखता रहता ।लडकी पहले से ही गुस्साया हुआ था अब इसे ओर अधिक गुस्सा आ जाती। अपश्यु को मरने के लिए हाथ उठती तब तक अपश्यु के दोस्त अपश्यु को पकड़कर पिछे ले जाता हैं और बोलता हैं……

विभान….. अरे ओ मजनू होश में आ पूरे क्लॉस के सामने नाक कटवा दिया। जा जाकर बता दे तू कौन हैं।

अपश्यु….. कितने कोमल कोमल हाथ हैं कितना मीठा बोलती हैं। मैं तो गया कम से कोई मुझे डॉक्टर के पास ले चलो और प्रेम रोग का इलाज करवाओ।

मनीष….. लगाता हैं थप्पड़ों ने तेरे दिमाग के तार हिला दिया, तू बावला हों गया हैं। वो लडकी कोई मीठा बिठा नहीं बोलती तीखी मिर्ची खाकर तीखा तीखा बोलती हैं। उसके हाथ कोमल हैं तो हार्ड किसे कहेगा देख अपने गालों को पांचों उंगलियां छप गया हैं और बंदर की भेल की तरह लाल हों गया हैं।

अपश्यु…. सालो तुम सब ने एक बात गौर नहीं किया आज तक किसी ने भरे क्लॉस में मुझ पर हाथ नहीं उठाया इस लङकी में कुछ तो बात हैं ये लडक़ी मेरे टक्कर की हैं अब ये तुम सब की भाभी बनेगी।

अनुराग….. जब तूने तय कर लिया तुझे आगे भी इस लङकी से पीटना हैं तो हम कर भी क्या सकते बोलना पड़ेगा भाभी।

अपश्यु और उसके दोस्त लडकी को कैसे पटना हैं। इस विषय पर बात करते एक दोस्त उसे रोज कॉलेज आने को कहता और लडक़ी के आस पास रहने के बोलता अपस्यू दोस्तों की बातों को मान लेता फिर अपश्यु बैठें बैठे लङकी के ताड़ता रहता। उसके सामने बैठा लड़का उसे डिस्टर्ब कर रहा था तो अपस्यू उसे धकेल कर निचे फेक देता विचरा अपस्यू को कुछ कह भी नहीं सकता उठाकर दूसरी जगह बैठ जाता।

लडक़ी थाप्पड़ मरने के बाद सीट पर बैठ जाती और बार बार अपस्यू की और घूमकर देखती। अपश्यु को देखता पाकर मुस्कुरा देती और आंख मार देती फिर बगल मे बैठी लड़की जो उसकी सहेली हैं। जिसका नाम चंचल हैं से बोलती…..

लडक़ी…... चंचल देख कैसे घूर रहा हैं मन कर रहा जाकर एक किस कर दू।

चंचल…... वो तो घुरेगा ही तुझ पर फिदा जो हों गया। जा कर ले किस तू तो हैं ही बेशर्म कहीं भी शुरु हों जाती हैं। डिंपल तुझे पाता हैं तूने किसको थप्पड़ मारा हैं।

डिंपल….. कौन हैं ? बहुत बड़ा तोप हैं जो मैं उसे थप्पड़ नहीं मार सकती। मैं तो किसी को भी थप्पड मार दू और जिसे मन करे उसे किस भी कर दू।

चंचल….. हमारे कॉलेज के कमीनों का सरदार महाकमीन अपश्यु हैं जिससे कॉलेज के स्टूडेंट के साथ साथ टीचर और प्रिंसिपल बहुत डरते हैं और तूने उसके ही गाल लाल कर दिया जिसने भी इस पर हाथ उठाया वो सही सलामत घर नहीं पहुंचा। अब तेरा क्या होगा?

डिंपल….. मुझे कुछ भी नहीं होगा देखा न तूने कैसे देख रहा था जैसे पहली बार लडकी देख रहा हों। ये महाकमिना हैं तो मैं भी महाकमिनी हूं।

चंचल…... वो तो तू हैं ही लेकिन देर सवेर ये महाकमिना इस महाकमिनी से अपने हुए अपमान का बदला जरूर लेगा तब किया करेगी।

डिंपल….. करना कुछ नहीं हैं ये तो मुझ पर लट्टू हों ही गया अब सोच रहीं हूं इसे भी मजनू बाना ही लेती हूं।

चंचल….. तेरा दिमाग तो ठीक हैं पहले से ही इतने सारे मजनू पाल रखी हैं अब एक और कहा जाकर रुकेगी।

डिंपल….. सारे मजनू को रिटायरमेंट देकर इस अपश्यु पर टिक जाती हूं और परमानेंट मजनू बना लेती हूं।

चंचल….. हां हां बाना ले और मजे कर तुझे तो बस मौज मस्ती करने से मतलब हैं।

डिंपल….. यार इस अपश्यु नाम के मजनू को आज पहली बार देख रहीं हूं न्यू एडमिशन हैं।

चंचल…... कोई न्यू एडमिशन नहीं हैं ये तो पुरानी दल हैं जो आज ही कॉलेज आय हैं। कॉलेज आते ही तूने उसके गाल सेंक दिया।

दोनों बात करते करते चुप हों जाते क्योंकि क्लॉस में टीचर आ जाता। टीचर क्लॉस का एटेंडेंस लेता हैं। जब अपश्यु का नाम आता हैं और कोई ज़बाब नहीं मिलता तब टीचर बोलता हैं "आज भी नहीं आया लगाता हैं फिर से प्रिंसिपल से शिकायत करना पड़ेगा" टीचर कि बात सुनकर अपश्यु का दोस्त बोलता हैं……

विभान…… सर अपश्यु आज कॉलेज आया हैं। फ़िर अपश्यु से बोलता हैं अरे लङकी तकना छोड़ और मुंह खोल नहीं तो फ़िर से शिकायत कर देगा

अपश्यु….. पार्जेंट सर।

टीचर……ओ तो आप आ गए आज क्यों आए हों सीधा रिजल्ट लेने आ जाते।

अपश्यु….. आ गया हू अब से रोज कॉलेज आऊंगा एक भी दिन बंक नहीं करूंगा।

टीचर….. कुछ फायदा नहीं होने वाला अगले हफ्ते से एग्जाम सुरू होने वाला हैं। पढ़ाई तो कुछ किया नहीं तो लिखोगे क्या? जब लिखोगे कुछ नहीं तो नंबर न मिलकर मिलेगा बड़ा बड़ा अंडा उन अंडो का आमलेट बनाकर खा लेना।

टीचर कि बात सुनकर क्लॉस में मौजूद सभी लडके ओर लङकी ठाहाके मारने लगाता। उन सब को डांटते हुए टीचर बोलता हैं…..

टीचर….. मैंने कोई जॉक नहीं सुनाया जो सब ठाहाके मार रहें हों। पड़ने पर ध्यान दो नहीं तो अपश्यू की तरह आधार में लटक जाओगे।

टीचर कि बाते सुनकर अपश्यु मन में बोलता "ये तो सरासर बेइज्जती हैं लेकिन तुझे तो बाद में बताऊंगी एक ही दिन में सब को धो दिया तो पढ़ाने के लिए कोई नहीं बचेगा" टीचर पढ़ना शुरू कर देता हैं। ऐसे ही रेसेस टाईम तक पढ़ाई चलता हैं फिर सब कैंटीन में चले जाते। अपश्यु भी दोस्तों के साथ कैंटीन में जाकर बैठ जाता और चाय कॉफी पीने लगाता। तभी डिंपल और चंचल कैंटीन में आती डिंपल अपश्यु के पास जाकर……

डिंपल….. सॉरी मैंने अपको पूरे क्लॉस के सामने थाप्पड मारा

अपश्यु एक खाली कुर्सी कि और इशारा करता और डिंपल बैठ जाती फिर अपश्यु बोलता……

अपश्यु…… अपके लिए इतना बेइज्जती तो शाह ही सकता हूं।

डिंपल…… मुस्कुराकर देखता है और बोलता हैं क्या हम दोस्त बन सकते हैं।

अपश्य…… आपसे दोस्ती नहीं करनी है अपको गर्लफ्रेंड बनना हैं बननी हैं तो बोलो।

डिंपल मुस्कुराकर देखता हैं और मन में बोलती"ये तो सीधा सीधा ऑफर दे रहा हैं मैं तो ख़ुद ही इसे बॉयफ्रेंड बाना चाहता हूं चलो अच्छी बात हैं बकरा खुद हलाल होना चाहता हैं तो मैं किया कर सकती हूं लेकिन अभी हां कहूंगी तो कहीं ये मुझे गलत न सोचा ले" फिर डिंपल बोलती हैं…..

डिंपल……. हम आज ही मिले हैं और गर्लफ्रेंड बाने का ऑफर, ऑफर तो अच्छा हैं लेकिन मुझे सोचने के लिए कुछ टाइम चाहिए।

अपश्यु….. दिया टाइम लेकिन ज्यादा नहीं तीन दिन का इतना काफी हैं सोचने के लिए।

डिंपल….. हां इतना काफी हैं।

ऐसे ही सब बाते करने लगते रेसेस खत्म होने के बाद सब फिर से अपने अपने क्लॉस में जाते लेकिन इस बार अपश्यु जाकर डिंपल के बगल में बैठ जाता और डिंपल के साथ बातो में मगन हों जाता।

राजेंद्र ऑफिस से घर आता जहां सुरभि तैयार बैठी थी। सुरभि के साथ सुकन्या भी बैठी थीं। सुरभि सुकन्या के बोलकर कलकत्ता के लिए चल देता चलते हुए राजेंद्र बोलता हैं…….

राजेंद्र…. सुरभि आज रघु को ऑफिस का सारा कार्य भर सोफ दिया हैं।

सुरभि…… रघु को एक न एक दिन सब जिम्मेदारी अपने कंधो पर लेना ही था अपने सही किया लेकिन एक शुभ मूहर्त पर करते तो अच्छा होते।

राजेन्द्र…… अभी सिर्फ कार्य भर सोफ हैं उसके नाम नहीं किया हैं। रघु के शादी के बाद एक शुभ मूहर्त देखकर बहू और रघु के नाम सब कुछ कर दुंगा।

सुरभि…… पता नहीं कब बहु के शुभ कदम हमारे घर पड़ेगी। कब मुझे बहु के गृह प्रवेश करवाने का मौका मिलेगा।

राजेन्द्र…… वो शुभ घडी भी आयेगा। मैंने फैसला किए हैं अब जो भी लङकी देखने जाउंगा उसके बारे में किसी को नहीं बताऊंगा।

सुरभि…... ये आपने साही सोचा।

दोनों ऐसे ही बाते करते हुए सफर के मंजिल तक पहुंचने की प्रतिक्षा करते। इधर कलकत्ता में कमला के घर पर सब नाश्ता करते हैं फिर नाश्ता करने के बाद कमला बोलती……..

कमला….. पापा आज आप और मां टाइम से कॉलेज आ जाना नहीं आए तो फिर सोच लेना।

महेश….. ऐसा कभी हुए हैं हमारे लाडली ने किसी प्रतियोगिता मे भाग लिया हों और हम उसे प्रोत्शाहीत करने न पहुंचे हों।

मनोरमा…. हम जरूर आयेंगे लेकिन तुमने हमे बताया नहीं तू भाग किस प्रतियोगिता में ले रहीं हों कहीं इस बार भी हर बार की तरह चित्रकलां प्रतियोगिता में भाग लिया।

कमला…… हां मां इस बार भी चित्रकलां प्रतियोगिता में भाग लिया और एक अच्छा सा चित्र बनायी हैं।

महेश….. तो फिर हमे भी दिखा दो, हम भी तो देखे हमारी पेंटर बेटी ने कौन सा चित्र बनाया हैं।

कमला… वो तो आप को वार्षिक उत्सव में आने के बाद ही देखने को मिलेगा अब मैं चलती हूं आप समय से आ जाना।

कमला रूम में जाती एक फोल्ड किया हुए पेपर बंडल उठाकर निचे आती नीचे उसकी सहेली सुगंधा और शालु बैठी हुई थीं। उसको देखकर कमला बोलती….

कमला…… तम दोनों कब आए।

शालु…. हम अभी अभी आए हैं चाल अब जल्दी हमे देर हों रहीं हैं।

मनोरमा….. अरे रूको चाय बन गई हैं। तुम दोनों चाय तो पीती जाओ।

सुगंधा…… आंटी हम चाय बाद में पी लेंगे हमे देर हों जायेगी।

कहकर तीनों चल देते जाते हुए तीनों एक दूसरे से मजाक कर रहे थे। मजाक मजाक में सुगंधा बोलती हैं……

सुगंधा ….. कमला अगले हफ्ते से पेपर हैं फिर कॉलेज खत्म हों जायेगी उसके बाद का कुछ सोचा हैं क्या करेंगी।

शालु…. मुझे पाता हैं कमला किया करेंगी। कॉलेज खत्म होने के बाद कमला शादी करेंगी और पति के साथ दिन रात मेहनत करके ढेरों बच्चे पैदा करेंगी।

ये कहकर शालू दौड़ पड़ती है। कमला भी उसके पीछे पीछे दौड़ती हैं। कुछ दूर दौड़ने के बाद कमला उसे पकड़ती और दे तीन थप्पड मरती फिर बोलती……

कमला…… शालु बेशर्म कहीं कि

शालु…… मैं बेशर्म कैसे हुआ शादी के बाद पति के साथ मेहनत करके ही तो बच्चे पैदा होंगे तुझे कोई और तरीका पता हों तो बता।

कमला….. तुझे बड़ी जल्दी पड़ी हैं बच्चे पैदा करने की तो तू ही कर ले मुझे अभी न शादी करनी हैं न ही अभी बच्चे पैदा करने हैं।

तब तक सुगंधा भी इनके पास पहुंच जाती हैं और कमला की बाते सुनकर बोलती हैं…..

सुगंधा….. अभी तो न न कर रहीं हैं जब कोई हैंडसम लड़का शादी की प्रस्ताव लेकर आएगा तब तेरे मुंह से न नहीं निकलेगा।

कमला…... जब ऐसा होगा तब की तब देखेंगे अभी अपना मुंह बंद कर और चुप चाप कॉलेज चल।

शालु….. ओ हो शादी के लड्डू अभी से फूट रहीं हैं लगता हैं अंकल आंटी को बताना पड़ेगा अपकी बेटी से उसकी जवानी का बोझ और नहीं धोया जाता जल्दी से उसके हाथ पीले कर दो।

शालु कहकर भाग जाती और कमला उसके पीछे भागते हुए बोलती…..

कमला….. रूक शालू की बच्ची तुझे अभी बताती हूं किसे उसकी जवानी बोझ लग रहीं हैं।

ऐसे ही तीनों चुहल करते हुए कॉलेज पहुंच जाते कॉलेज को बहुत अच्छे से सजाया गया था। कॉलेज के मैदान में टेंट लगाया गया था। जहां एक मंच बनया गया था। मंच के सामने पहली कतार में विशिष्ट अतिथिओ के बैठने के लिए जगह बनया गया था और पीछे की कतार में स्टूडेंट और उनके पेरेंट्स के बैठने के लिए कुर्सीयां लगाई गई थीं। टेंट के एक ओर एक गैलरी बनाया गया था। कमला उस गैलरी में चली गई वह जाकर कमला एक टीचर से मिली टीचर कमला को लेकर वह से बहार की तरफ आई और एक रूम में लेकर गई कुछ वक्त बाद कमला हाथ में एक स्टेंड और एक चकोर गत्ते का बोर्ड जो कवर से ढका हुआ था। लेकर टीचर के साथ बहार आई और गैलरी में जाकर स्टेंड को खड़ा किया। गत्ते के बोर्ड को स्टेंड पर रखा दिया और पास में ही खड़ी हों गई ओर भी स्टुडेंट आते गए अपने साथ लाए स्टेंड पर गत्ते का बोर्ड रखकर खड़े हों गए। ऐसे ही वक्त निकलता गया फिर सारे बोर्ड के ऊपर से कवर हटा दिया गया कवर हटते ही पूरा गैलरी आर्ट गैलेरी में परिवर्तित हों गया जहां विभिन्न पाकर की चित्रों का मेला लगा हुआ था और निरीक्षण करने वाले कुछ लोग जिनके हाथ में पेन और नोट बुक था एक एक स्टैंड के पास जाते और बारीकी से परीक्षण करते फिर बगल में खड़े स्टुडेंट से कुछ पूछते फिर नोट बुक में नोट करते और अगले वाले के पास चले जाते। कुछ ही वक्त में सभी चित्रों का परीक्षण करने के बाद चले गए।

कुछ समय बाद स्टुडेंट के पेरेंट्स आने लगते और आर्ट गैलरी में जाकर आर्ट गैलरी में लागे चित्र का लुप्त लेते इन्हीं में कमला के मां बाप भी थे जो एक एक करके सभी चित्रों को देखते और चित्र बनाने वाले स्टूडेंट को प्रोत्शाहित करते फिर कमला के पास जाकर कमला के बनाए चित्र को देखकर मनोरमा कमला को गाले लगकर बोलती हैं……..

मनोरमा…… कमला तूने तो बहुत अच्छा चित्र बनाया हैं तेरे चित्र ने मेरे अंदर के ममता को छलका दिया हैं।

कहने के साथ ही मनोरमा की आंखे छलक जाती कुछ वक्त बाद दोनों अलग होते कमला मां के आंखो से बहते अंशुओ को पोछकार बोलती हैं…….

कमला…… मां आप रो क्यों रहीं हों मैंने कुछ गलत बना दिया जिसे अपका दिल दुखा हों अगर ऐसा हैं तो मुझे माफ कर देना।

मनोरमा कमला की बात सुनकर हल्का हल्का मुस्कुराते हुए उसे फिर से गाले लगा लेती और बोलती हैं…….

मनोरमा…… कमला तूने कुछ भी गलत नहीं बनाया हैं तूने तो मां की ममता, वात्सल्य और स्नेह को इतनी सुंदरता से वर्णित किया हैं जिसे देखकर सभी मां जिसके मन में अपर ममता, वात्सल्य और स्नेह होगी इस चित्र देखने के बाद प्रत्येक मां रो देगी। मैं भी एक मां हूं तो मैं ख़ुद को रोने से कैसे रोक सकती हूं।

कमला खुश होते हुए बोलती हैं……. सच मां अपको मेरी बनाई चित्र इतनी पसंद आई

मनोरमा…… हां मेरी लाडली

कमला…… मां अपको खुशी मिली इससे बडकर मुझे ओर कुछ नहीं चाहिएं मेरा इस प्रतियोगिता में भाग लेने का फल मिल चुका हैं अब मुझे और कुछ नहीं चाहिएं।

महेश…….. तुम्हें पुरुस्कार नहीं चाहिएं जिसके लिए तूमने इतनी मेहनत किया।

कमला….. आप लोगों की खुशी से बडकर मेरे लिए और किया पुरुस्कार हों सकती हैं मुझे मेरी पुरुस्कार मिल गईं अब मुझे ये दिखबे का पुरस्कार नहीं चाहिएं।

महेश….. ठीक हैं जैसा तुम कहो हम टेंट में बैठने जा रहे हैं तुम चल रहीं हों।

कमला….. नहीं पापा अभी मुख्य अथिति आने वाले हैं उनके देखने के बाद ही मैं आ पाऊंगी।

ये लोग चाले जाते इसके बाद और भी बहुत लोग आते और कमला के चित्र को देखने वाले अधिकतर महिला जो चित्र के आशय को समझ पाते उनकी आंखे छलक जाती। कुछ वक्त बाद मंच से मुख्य अतिथि के पधारने की घोषणा होता हैं और एक एक कर कई घड़ियां कॉलेज प्रांगण में आकर रूखते। जिससे बहुत से जानें माने लोग उतरते उनमें से राजेंद्र और सुरभि भी उतरते और टेंट के अंदर जाकर अपनें निर्धारित जगह पर जाकर बैठ जाते। कुछ वक्त बैठने के बाद सब एक एक करके उठते और आर्ट गैलरी की ओर चल देते। उनके साथ कॉलेज के प्रिंसिपल और कुछ टीचर होते जो उन्हें एक एक चित्र के पास जाकर चित्र दिखते और उनके बारे में बाते। ऐसे ही जब राजेंद्र और सुरभि कमला के बनाए चित्र के पास पहुंचती हैं तो सुरभि की नजर सब से पहले कमला पर पड़ती हैं। सुरभि कमला को देखकर मन में सोचती हैं " कितनी खुबसूरत लङकी हैं ये लडक़ी अगर मेरे घर में बहु बनकर आई तो मेरे घर को स्वर्ग बना देगी" सुरभि तो मन में सोच रहीं थी लेकिन कमला की धडकने बडी हुई थीं। राजेंद्र भी कमला को देखकर मन में सोचता हैं " अरे ये लडक़ी तो मेरे देखे सभी लङकी से खुबसूरत हैं इसके घर वाले राजी हों गए तो मुझे रघु के लिए ओर लडक़ी देखना नहीं पड़ेगा " फिर राजेंद्र और सुरभि कमला के बनाए चित्र को देखते हैं चित्र को देखकर सुरभि कभी राजेंद्र को देखती कभी कमला को देखती। राजेंद्र भी कभी कमला को देखता तो कभी सुरभि को देखता। चित्र को देखते देखते सुरभि की आंखे छलक आयी। कमला भी इन दोनों को देखकर मंद मंद मुस्करा देती। सुरभि चित्र को बहुत गौर से देखती। सुरभि जीतना गौर से चित्र को देखती उतना ही उसके आंखों से अंशु छलकती जाती।


कमला के चित्र में ऐसा किया हैं जो एक मां के आंखो को छलकने पर मजबूर कर देती हैं जानेंगे अगले अपडेट में यह तक साथ बाने रहने के लिए आप सब रिडर्स को बहुत बहुत धन्यवाद।
Awesome Updateee


Toh Apasyu ko pyaar hogya hai. Aur isi chakar mein thappad bhi khaa chuka hai. Dekhte hai yeh 2 din ka pyaar kyaa rang dikhata hai.

Idher Rajendra aur Surbhi Kamla ko pehli nazar mein hi pasand karliya hai dekhte hai yehlog kaise shaadi ki baat karte hai aur kyaa issbaar sab sahi ho paayegaa yaa phir se Raavan kuch kaand karega
 

Destiny

Will Change With Time
Prime
3,965
10,660
144
Awesome Updateee


Toh Apasyu ko pyaar hogya hai. Aur isi chakar mein thappad bhi khaa chuka hai. Dekhte hai yeh 2 din ka pyaar kyaa rang dikhata hai.

Idher Rajendra aur Surbhi Kamla ko pehli nazar mein hi pasand karliya hai dekhte hai yehlog kaise shaadi ki baat karte hai aur kyaa issbaar sab sahi ho paayegaa yaa phir se Raavan kuch kaand karega
शुक्रिया jaguaar। जी

अपश्यु और डिंपल का मतलबी प्यार परवान चढ़ेगा या करेले की तरह उनके जीवन को खड़वाहट से भरा देगा यह तो समय ही बताएगा

जहां तक कमला और रघु के एक सूत्र में बांधने की बात हैं तो मुझे लगाता हैं अब रावण उस स्थिति में नहीं हैं कि कुछ बखेड़ा खड़ा कर पाएगा फिर भी कहा नहीं जा सकता
 

Bull Wit

सुनो ना, हमारी ख्वाइश पूरी करो ना
104
300
63
देरी के लिए खेद हैं आगे की अपडेट मेरी नई id से पोस्ट करुंगा। मेरी पुरानी id मोबइल में आई कुछ दिक्कत के चलते लॉग इन नहीं कर पा रहा हूं। इसलिए मुझे नई id बनना पडा आज एक अपडेट दे रहा हूं। दिवाली के बाद रेगुलर अपडेट देने की कोशिश करूंगा।
 

Bull Wit

सुनो ना, हमारी ख्वाइश पूरी करो ना
104
300
63
Update - 10


एक खेत जिसमे फसलों के बुवाई का काम चल रहा था। कईं मजदूर कम कर रहें थे। चिल चिलाती धूप की असहनीय तपिश जो देह को झुलसा देने की क्षमता रखती थी। धूप की तपीश इतनी ज्यादा थी कि भूमि में मौजूद पानी ऊष्मा में परिवर्तीत होकर हल्की हल्की धुंए का अक्स दिखा रही थी। इतनी चिलचिलाती धूप में खेत के मेढ़ पर लगी एक पेड़ जिसकी टहनियों में नाम के पत्ते लागे थे। जो धूप को रोकने में आशमर्थ थे। उसके नीचे एक महिला जिसकी तन पे लिपटी साड़ी काई जगह से फटी हुईं थीं। गोद में एक शिशु को लिऐ बैठी हुईं थीं। महिला शिशु को स्तन पान करा कर शिशु की भूख को शांत कर रहीं थीं। महिला अपनें फटे हुए अचल से शिशु को ढक रखा था और नजरे ऊपर की ओर कर रखा था। जैसे सूर्य देवता को आंख दिखाकर कह रहीं थीं "अपनी तपिश को कुछ वक्त के लिए काम कर ले मैं अपने शिशु को दूध पिला रहीं हूं और तेरी तपिश मेरे अबोध शिशु को विरक्त कर रहीं हैं। मेरी फटी अंचल तेरी तपिश को रोक पाने में असमर्थ हैं।"

कमला का बनया यह चित्र जो एक मां को अपनें शिशु के भूख को मिटाने की प्राथमिकता को दर्शा रही थीं। कैसे एक मां धूप की तपिश को भी सहते हुए अपनी अबोध शिशु के भूख को शांत करने के लिए काम छोड़कर शिशु को स्तन पान करा रहीं थीं। इस चित्र को देखकर समझकर सुरभि ख़ुद के अंदर की मातृत्व को रोक नहीं पाई जो उसके आंखो से नीर बनकर बाह निकली। सुरभि अंचल से बहते नीर को पोंछकर कमला के पास गई और उसके सर पर हाथ फिराते हुईं बोली…बहुत ही खुबसूरत और मां के ममता स्नेह को अपने इस चित्र मैं अच्छे से दृश्या हैं। इससे पता चलता हैं आप एक मां की मामता और स्नेह को कितने अच्छे से समझती हों।

कमला……. धन्यवाद मेम मैंने तो सिर्फ़ मेरी कल्पना को आकृति का रूप दिया हैं जो देखने वालो के हृदय को छू गई हैं।

राजेंद्र……. अपकी कल्पना शक्ति लाजवाब हैं। और अपकी बनाई चित्र अतुलनीय हैं। मैं अपका नाम जान सकता हूं।

कमला…… जी मेरा नाम कमला बनर्जी हैं।

राजेंद्र….. अपके जन्म दात्री माता पिता बहुत धन्य हैं। क्या मैं उनका नाम जान सकता हूं।

कमला…... जी मां श्रीमती मनोरमा बनर्जी और पापा श्री महेश बनर्जी, मां गृहणी हैं और पापा एक कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत हैं।

सुरभि….. आप से मिलकर और बात करके बहुत अच्छी लागी अब हम चलते हैं बाद में फिर आपसे मुलाकात होंगी।

सुरभि और राजेंद्र ओर भी चित्र को देखते और आपस में बातें करते जब सारे चित्र को देख लिया फिर जाकर अपने जगह बैठ गए । गैलरी से मुख्य अतिथियों के जानें के बाद सभी स्टुडेंट अपने अपने पैरेंट्स के पास जाकर बैठ गए। मंच में रंगारंग कार्यक्रम शुरू हों गया था। जिसमे भाग लेने वाले स्टुडेंट अपने अपने प्रस्तुति से देखने वालों का मन मोह लिया। रंगा रंग कार्यक्रम कुछ वक्त तक चला। जैसे सभी शुरुवात का अंत होता हैं वैसे ही रंगा रंग कार्यक्रम का अंत हुआ और पुरुस्कार वितरण आरंभ हुआ। मुख्य अतिथियों के हाथों सभी स्टुडेंट को उनके प्रस्तुति अनुसार पुरुस्कृत किया गया। अंत में आर्ट प्रतियोगित में भाग लेने वाले सभी स्टुडेंट में से विजेताओं को पुरुस्कृत किया गया। पहले तृतीय स्थान पाने वाले प्रतिभागी को पुरस्कार दिया गया फिर द्वितीय स्थान को और अंत में प्रथम स्थान वाले को पुरुस्कृत करने के लिए राजेंद्र और सुरभि को मंच पर बुलाया गया। राजेंद्र सुरभि के साथ मंच पर गए जहां उनका परिचय मंच संचालक देता हैं और बोलता हैं" प्रथम स्थान पाने वाले प्रतिभागी को चुनना निरीक्षण कर्ताओ के लिए संभव नहीं था फिर भी उन्होंने एक नाम को चुना हैं। जो मात्र 0.50 अंक के अंतर से प्रथम स्थान को प्राप्त किया हैं और उस प्रतिभागी का नाम कमला बनर्जी हैं कमला मंच पर आए और हमारे मुख्य अथिति राजेंद्र प्रताप राना जी के हाथों पुरस्कार प्राप्त करें।"

प्रथम पुरस्कार पाने वालो में खुद का नाम सुनकर कमला खुशी से उछल पड़ती हैं। खुशी कमला के आंखो से छलक रही थी। महेश और मनोरमा का आशीर्वाद लेकर कमला मंच की और बड़ जाती हैं। मंच पर पहुंचकर राजेंद्र और सुरभि के हाथों पुरस्कार लेकर कमला उनका आशीर्वाद लेती फिर अपनी जगह पर लौट आती। कुछ वक्त बाद वार्षिक उत्सव को खत्म करने का ऐलान किया जाता। पहले मुख्य अथिति एक एक कर गए। उनको छोड़ने प्रिंसिपल उनके गाड़ी तक गए। राजेंद्र प्रिंसिपल से कमला के बारे में कुछ जानकारी लेता है फिर चल देता।

कमला भी अपने मां बाप के साथ चल देती जाते हुए महेश पूछता…..

महेश…….. प्रथम पुरस्कार पाकर कैसा लग रहा हैं।

कमला…… पापा मैं बता नहीं सकती आज मैं कितनी खुश हूं जीवन में पहली बार मुझे पुरस्कार मिला हैं। पापा आप खुश हों न।

महेश….. आज मैं बहुत खुश हूं मेरी तोड़ू फोड़ू बेटी आज वो कर दिखाया जिसकी उम्मीद सभी मां बाप करते हैं लेकिन नसीब किसी किसी को होता हैं। उन नसीब वालो में आज मैं भी बन गया हूं।

मनोरमा…… हां कमला आज तो हमारी खुशी की कोई सीमा नहीं हैं। हमारी खुशियों ने सारी सीमाएं तोड़ दिया हैं।

ऐसे ही बाते करते हुए कमला मां बाप के साथ घर पहुंच जाते हैं। उधार राजेंद्र और सुरभि की गाडी एक आलीशान बंगलों के सामने रुकता हैं। दरवान उनको देखकर सलाम करता हैं और गेट खोल देता हैं। अदंर जाकर गाड़ी रुकता हैं। राजेंद्र और सुरभि गाड़ी से उतरकर दरवाज़े तक जाते दरवाज़े पर लागे एक धागे को खींचता दो तीन बार खींचने के बाद दरवजा खुलता है। अंदर जाकर राजेंद्र कहता…..

राजेंद्र…. पुष्पा कहा हैं दिख नहीं रहीं

नौकरानी…… मालिक छोटी मालकिन अपने कमरे में हैं आप लोग बैठिए मैं मालकिन को बुलाकर लाती हूं।

सुरभि….. रहने दो चंपा हम खुद जाकर अपनी लाडली से मिल लेते हैं।

दोनों पुष्पा के कामरे के पास जाकर दरवाज़ा पिटती हैं। तो अदंर से आवाज आती हैं " चंपा मुझे परेशान न करों मैं अभी पढ़ रहीं हूं" दोनों सुनाकर मुस्कुरा देते हैं और फिर से दरवजा पीटते हैं। अदंर से फिर से वही आवाज आती हैं। ऐसे ही दो तीन बार और दरवजा पीटने के बाद पुष्पा दरवाजा खोलती हैं " क्या हुआ कितनी…." बोलते बोलते रूक जाती हैं और सुरभि से लिपटकर बोलती हैं…..मां आप कैसे हैं और कब आएं।

सुरभि…… मैं ठीक हू मेरी बच्ची कैसी हैं कितनी दुबली हों गई हैं कुछ खाती पीती नहीं हों।

पुष्पा…….. कहा दुबली हों गई हूं मैं पहले से ओर मोटी हों गई हूं।

पुष्पा राजेंद्र के पास जाकर उनके पाओ छूकर बोलती हैं…... पापा आप कैसे हों ।

राजेंद्र ……. मैं जैसी भी ही तुम्हारे सामने हूं देख लो

कहकर राजेंद्र कमर पर हाथ रखकर खड़ा हों जाता हैं सुरभि और पुष्प देखकर मुस्करा देते हैं। पुष्पा दोनों का हाथ पकड़ कर कमरे में लेकर जाती हैं। कमरे में जहां तहां किताबे बिखरे पड़े थे। पुष्पा किताबो को समेट कर रखती सुरभि भी उसकी मदद करती और बोलती…..

सुरभि…. तूने तो कमरे को पुस्तकालय (लाइब्रेरी ) बना रखी हैं। साफ नहीं करती जहां तह किताबे बिखेर रखी हैं।

पुष्पा…… मां आप छोड़ो न मैं अभी रख देती हूं आप बैठो।

दोनों बैठ जाते हैं पुष्पा दोनों के बिच में बैठकर उनसे बाते करते घर के बाकी सदस्य का हल चल पूछती ऐसे ही कुछ वक्त बाते करने के बाद सुरभि और राजेंद्र दूसरे कमरे में जाते हाथ मुंह धोकर बैठ जाते और दोनों बात करने लगाते……

सुरभि….. बच्चो ने कितना अच्छा प्रोग्राम किया मुझे तो बहुत अच्छा लगा अपको कैसा लगा।

राजेंद्र…. मुझे भी बहुत अच्छा लगा और सबसे अच्छा आर्ट गैलरी में लागे चित्र लगा। जिसे बच्चों ने कितनी परिश्रम से बनाया।
सुरभि….. मुझे भी बहुत अच्छा लगा। मुझे उन चित्रों में सबसे अच्छी वो चित्र लगी जिसे प्रथम पुरस्कार विजेता लडक़ी क्या नाम है हां याद आई कमला ने बनाई थीं।

राजेन्द्र…. मुझे भी वह चित्र बहुत अच्छा लगा। जितनी खुबसूरत लडक़ी हैं उतनी ही खुबसूरत और मन मोह लेने वाली उसकी कल्पना हैं।

सुरभि…. मुझे भी उस लडक़ी की सोच बहुत अच्छी लगी और बात चीत करने का तरीका भी बहुत सभ्य हैं। क्यों न हम उसके मां बाप से रिश्ते की बात करें।

राजेंद्र…. मैं भी यही सोच रहा हूं कल सुबह चलते हैं कॉलेज से उसके घर का एड्रेस लेकर उसके मां बाप से मिलकर बात करते हैं।

सुरभि…… ठीक हैं अब चलो खाना खाकर पुष्पा से भी कुछ वक्त बात करते हैं।

दोनों पुष्पा के कमरे में गये उसे साथ लेकर खाना खाने गए जहां नौकरानी ने विभिन्न प्रकार के व्यंजन मेज पर लगा रखी थीं। खाना खाते हुऐ तीनों बाते करते रहे। पुष्पा उनकी अचानक बिना खबर किए आने का कारण पूछता। राजेंद्र आने का करण बता दिया और जब कल वापस जाने को बोलता तो पुष्पा नज़र होकर बोलती….

पुष्पा….. आप दोनों को मेरी बिलकुल भी परवाह नहीं हैं मैं यह अकेले रहकर पढ़ाई करती हूं। मुझे आप सब की कितनी याद आती हैं और आप सब आते नहीं हों जब आते हो तो एक दिन से ज्यादा नहीं रुकते लेकीन इस बार ऐसा नहीं होना चाहीए आप दोनों दो तीन दिन रुककर ही जायेंगे।

सुरभि……. अरे नाराज क्यों होती हों हमे भी अच्छा नहीं लगता हम भी चाहते हैं हमारी बेटी के साथ रहे लेकिन वहां भी तो देखना होता हैं। कुछ दिनों बाद तेरी परीक्षा समाप्त हों जायेगी तब तू हमारे साथ ही रहेंगी।

पुष्पा…... तब की तब देखेंगे लेकीन आप दोनों दो तीन दिन नहीं रुके तो मैं घर वापस नहीं जाऊंगी यहीं रह जाऊंगी अकेले।

राजेंद्र…… अच्छा अच्छा हम रह लेंगे दो तीन दिन अपने लाडली के पास अब खुश न।

पुष्पा…… पुरा खुश मुझे आप दोनों से बहुत सारी बातें करनी हैं।

सुरभि…… हमे भी तो अपनी लाडली से बहुत सारी बातें करनी हैं अब जल्दी से खाना खाओ फिर बाते करेंगे।



रावण देर से ऑफिस गया था इसलिए देर तक काम किया फिर चल दिया। रावण एक आलिशान घर के सामने कार रोका घर को बाहर से देखने पर ही पाता चल रहा था यहां रहने वाले रसूकदार और शानो शौकत से लवरेज हैं। दरवान के गेट खोलने पर रावण अदंर गया कार को रोका और दरवाज़े के सामने लटकी घंटी को बजाया थोड़ी देर में दरवाजा खुला रावण को देखकर बोला "मालिक अपके दोस्त रावण जी आए हैं" फिर रावण से बोला "अंदर आइए मालिक" बोलकर दरवाज़े से किनारे हट गया रावण अदंर गया अदंर का माहौल देकर रावण बोल….

रावण…… दलाल कैसा हैं मेरे दोस्त। आज बडी जल्दी शुरू कर दिया क्या बात ?

दलाल….. मैं ठीक हूं मेरे दोस्त बैठ

रावण बैठ गया फिर दलाल एक ओर गिलास में विसकी डाला ओर रावण को देते हुए बोला…..

दलाल……… तुझे देखकर लग रहा हैं तू बहुत प्यासा हैं ले इसे पीकर प्यास मिटा ले।

रावण मुस्कुराते हुए बोला…… साले घर आए मेहमान की प्यास पानी से मिटाया जाता हैं न की शराब और कबाब से ।

दलाल पहले मुस्कुराया फिर आवाज देते हुए बोला….. सम्भू एक गिलास पानी लाना लगाता हैं आज मेरा दोस्त मेहमान बनकर आया हैं दोस्त नहीं।

रावण मुस्कुराया और गिलास उठाकर एक घुट में पी गया फिर चखना खाते हुए बोला……. अरे तू मेरा जिगरी यार हैं तेरे साथ मजाक भी नहीं कर सकता। यार भाभी जी नहीं दिख रही हैं कहीं गईं हैं और बिटिया रानी कहा हैं वो भी नहीं दिख रहीं हैं।

दलाल गिलास हाथ में लेकर एक घुट पिया फिर बोला…… यार तू इतना प्यासा हैं जो एक ही घुट में पी गया। अपनी वाले से मन भर गया जो मेरी वाली के बारे में पुछ रहा हैं कामिना मेरी वाली तो छोड़ दे।

रावण आपने गिलास में शराब लोटते हुए बोला…… रोज तो घर की दल चावल खाता हूं आज सोचा बहार के चिकन कबाब का मज़ा लिए जाए

दोनों ने अपने अपने गिलास आपस में टकराया और ठहाके लगकर हॅंसने लगा कुछ वक्त हॅंसने के बाद रावण बोला…… यार कुछ जरूरी बात करनी हैं तू सांभू को बाहर भेज दे।

दलाल….. अरे यार संभू से किया डरना संभू मेरा विश्वास पात्र बांदा हैं। इसके मुंह का ताला इतना मजबूत है कि एक बार लग जाएं तो दुनिया में ऐसी चाबी ही नहीं बनी जो उसके मूंह के ताले को खोल दे।

रावण…… मैं जानता हूं संभू किसी को नहीं बताएगा फिर भी तू उसे बहार भेज दे मैं नहीं चाहता की इस बारे में किसी को भी पाता चले।

रावण संभू को आवाज लगाता हैं और बोलता हैं…… संभू अभी तू जा मुझे कुछ चाहिएं होगा तो मैं ख़ुद ही ले लूंगा।

संभू जी मालिक कहकर चला गया फिर रावण ने बोलना शुरु किया…… कल सुकन्या ने दादाभाई और भाभी को बात करते हुए सुन लिया जो बाद में मुझे बता दिया।

दलाल…… क्या सुना और क्या बाते कर रहें थे।
रावण ने फिर वह सब बता दिया जो सुकन्या ने उसे बताया था सुनने के बाद दलाल बोला…. तू ने तो उस गुप्तचर बृजेश को और उसके परिवार को मार दिया तो अब न साबुत मिलेगा न ही हमारा राज तेरा दादाभाई जान पाएगा इसलिए डरने की जरूरत नहीं है और रहीं बात रघु की शादी की तो उसके बारे में मैं पहले से ही सोच रखा था। कभी ऐसा हुआ तो हमें करना किया चाहिए।

रावण……. बृजेश को मार दिया लेकिन बड़ी मुस्कील से उस दिन मैं थोडा सा भी लेट पहुंचता तो वो सारा राज रघु को बता देता लेकिन मैंने बृजेश के परिवार को नहीं मारा उनको डरा धमका कर यहां से भागा दिया।
दलाल…… कर दिया न मूर्खो वाला काम तुझे उसके परिवार के भी मार देना चाहिए था लेकिन अब जो हों गया सो हों गया अब मुझे मेरी बनाई हुई दूसरी योजना शक्रिय करना होगा।

रावण दोनों के गिलास में शराब लोटते हुऐ बोला……. दूसरी कौन ‌सी योजना बना राखी थीं जो तूने मुझे नहीं बताया।

दलाल…... क्यों न रघु की शादी मेरी बेटी से करवा दे इससे हमारा ही फायदा होगा। हमारा राज राज ही रहेगा और वसियत के मुताबिक इन दोनों के पहली संतान जब बालिग होगा तब मेरी बेटी उस वसियत को अपने नाम कर लेगी फिर हम आपस में बांट कर और अमीर बन जायेंगे।

रावण……. देख तू मेरे साथ कोई भी चल बाजी करने की सोचना भी मत नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।

दलाल मुस्कुराकर बोला….. मैं तेरे साथ छल क्यों करूंगा तेरे साथ छल करना होता तो मैं तुझे क्यों बताता।

रावण…. मुझे तो यही लग रहा हैं तू मेरे साथ छल करने की सोच रहा हैं क्योंकि तेरी बनाई योजना से सब तेरे और तेरी बेटी के हाथ में आ जाएगा। मुझे क्या मिलेगा घंटा।

दलाल……. घंटा नहीं माल मिलेगा माल और इतना मिलेगा की तू गिनते गिनते थक जाएगा और एक बात कान खोल कर सुन ले तू मेरा लंगोटिया यार हैं मैं तेरे साथ धोखे बाजी क्यो करूंगा तू यह बात अपने दिमाग से निकाल दे।

रावण….. कुछ कहा नहीं जा सकता जब मैं भाई होकर भाई से दागा कर सकता हूं। तू तो मेरा दोस्त हैं तू क्यों नहीं कर सकता और मैं तेरा लंगोटिया यार कैसे हुआ बचपन में तेरा मेरा बनता ही कहा था हम तो जवानी में आकर दोस्त बने।

दलाल मुस्कुराते हुऐ बोला….. तुझे लगाता हैं मैं तेरे साथ दगा करूंगा तो तू ही कोई रास्ता बता दे जिससे हमारा भेद भी न खुले और हमारा काम भी बन जाएं।

रावण…….. अभी तो मुझे न कुछ सूझ रहा हैं न कोई रास्ता नजर आ रहा हैं ।

दलाल ……. होगा तभी न नज़र आएगा अभी तो यहीं एक रास्ता हैं। मेरी बेटी की शादी रघु से करवा दू जिससे हमारा भेद छुपा रहें ।

रावण….. मन लिया तेरी बेटी की शादी रघु से करवा दिया लेकिन फिर भी एक न एक दिन हमारा भेद खुल ही जाएगा क्योंकि तू दादाभाई को जानता हैं वो जीतना शांत दिखते हैं उससे कही ज्यादा चतुर हैं दादाभाई आज नहीं तो कल कुछ भी करके हम तक पहुंच जायेंगे फिर हमारे धड़ से सर को अलग कर देंगे।

दलाल…… तू सिर्फ नाम का रावण हैं दिमाग तो तुझमें दो कोड़ी की भी नहीं हैं। मेरी बेटी की शादी इसलिए ही करवाना चाहता हु कभी अगर हमारा भेद खुल भी जाए तो मैं मेरी बेटी के जरिए उन पर दवाब बनाकर खुद को और तुझे बचा सकू।

रावण….. ओ तो ये बात हैं तेरा भी जवाब नहीं हैं कल किया होगा उसके बारे में आज ही सोच कर योजना बना लिया मस्त हैं यार।

दलाल…… मस्त कैसे हैं तुझे तो लगता हैं मैं तेरे साथ धोका करके सब अकेले ही हजम कर जाऊंगा और डकार भी नहीं लूंगा।

रावण…... हजम तो कर गया बैठे बैठें सारा चकना चाव गया। अब छोड़ उन बातों को एक दो पैग ओर पिला फिर घर भी जाना हैं।

दोनों एक दो पैग और लगाते हैं फिर रावण घर को चाल जाता हैं। रावण के जानें के वाद दलाल एक दो पैग ओर गले से निचे उतरकर लड़खड़ाते हुए जाकर सो जाता हैं। रावण घर पहुंचकर सीधा कमरे में जाता हैं और टांगे फैला कर सो जाता।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी जानेंगे अगले अपडेट से साथ बाने रहने के लिए आप सब रेडर्स को बहुत बहुत धन्यवाद।
 
Last edited:
Top