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Romance ajanabi hamasafar -rishton ka gathabandhan

Destiny

Will Change With Time
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बहुत ही बेहतरीन महोदय।।

हर जगह रिश्तों में भेड़ मारने वाले होते हैं, जो किसी का रिश्ता अच्छे घर मे बनता है नहीं देख सकते हैं, रावण ने भी ऐसा ही किया। वो तो खैर अपने भाई की दौलत हड़पना चाहता है जिसके कारण वो ऐसा कर रहा है। अगर किसी के सामने एक ही बात बार बार दोहराई जाए तो कभी न कभी उस व्यक्ति को उस बात पर भरोषा हो ही जाता है कि हो या न हो अगर एक ही बात की व्यक्ति कह रहे हैं तो वो बात सही ही है। महेश को भी रावण के आदमियों ने कई दिन रघु के बारे में गलत बात ही बताई, जिसको महेश ने सही मान लिया।

वैसे इसमें महेश बाबू को भी गलत नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि वो भी राजेन्द्र जी के बारे में व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते हैं और न ही उन्होंने किसी के माध्यम से उनके बारे में जानने की कोशिश की। उनके लिए यही काफी था कि रिश्ता राज परिवार से आया है और प्रथम दृष्टया उन्हें रघु में कोई बुराई भी नजर नहीं आई, लेकिन जब एक ही बात बार बार उनको बताई गई तो उन्होंने भी उसे सही मां लिया। राजेन्द्र जी और सुरभि जी ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी उनकी। ये भी स्वाभाविक ही है, क्योंकि हर व्यक्ति जनता है कि कोई भी माँ बाप अपने बेटे की बुराई कभी नहीं करेंगे, खासकर तब जब बात रिश्ते की हो रही है। यहां तो रावण ने बाजी मार ली है।।
Thank you 🙏🙏🙏
 

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सत्ताईसवाँ भाग।

बहुत ही बेहतरीन महोदय।

अब क्या ही कहा जाए इसपर।
जब किसी लड़के की या लड़की की शादी टूटती है तो माँ बाप को बहुत दुःख होता है खासकर तब जब उनके बेटे या बेटी के चरित्र पर लांछन लगाकर शादी के लिए न की जाए। राजेन्द्र जी का भी यही हाल है इस वक्त, सद्गुणों से भरे रघु के ऊपर महेश जी ने अनगिनत अवगुण बताते हुए शादी आए मना कर दिया, जिसके चलते राजेन्द्र जी टूट गए, क्योंकि जिस व्यक्ति की बिरादरी में नाक ऊची होती है उस व्यक्ति की बदनामी भी ज्यादा होती है। एक गलतफहमी के चक्कर मे महेश जी ने रघु और कमला का रिश्ता तोड़ दिया और राजेंद्र जी के समझाने पर भी नहीं माने। अमूमन ऐसा देखा जाता है कि लड़की वाला ही लड़के के बाप के पैरों में अपनी पगड़ी रखता है लेकिन यहां पर राजेन्द्र जी ने अपनी पगड़ी महेश बाबू क्व पैरों पर रख दी।।


कमला और मनोरमा तो अवाक रह गई ये सुनकर कि किसी की कही हुई बात को सच मानकर महेश जी ने कमला का रिश्ता तोड़ दिया। मेरा भी मानना है कि एक बार महेश जी को रिश्ता तोड़ने से पहले अपने स्तर से सच्चाई का पता लगाने की कोशिश करनी चाहिए थी, लेकिन परिस्थितियां ऐसी बन गई थी कि महेश जी को उस समय सही गलत का भान ही नहीं रह गया था। आखिर कमला और मनोरमा के समझाने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि उन्होंने गलती की है। रघु को जब पता चला इस बारे में तो वो भी आग बबूला हो गया आखिर उनके बाप की बेइज्जती हुई थी।
इस शानदार और मनमोहक रेवो के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏

अमूमन सभी कहानियों में दर्शाया जाता हैं लङकी की पिता ही पगड़ी उतरता हैं। तो मैंने सोचा क्यों न पाठकों को कुछ नया दिखाया जाइए कुछ अनूठा दिखाया जो जो संभवतः नहीं होता हैं लेकिन कल्पना के अथाह सागर में कुछ भी हों सकता हैं।
 
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बहुत ही बेहतरीन कहानी महोदय।।

चलो ये तो अच्छा हुआ कि शादी फिर से जुड़ गई और माहौल खुशनुमा हो गया, लेकिन वहां रावण का हाल ये खबर सुनकर बेहाल हो गया कि रघु की शादी नहीं टूटी जी। रावण ये सुनकर गुस्से से पागल हो गया और पागलों जैसी हरकत करने लगा, ये रावण तो सचमें रावण ही है जो अपने मन का न होने पर अपना आपा खो देता है। उसने इसी गुस्से में अपनी पत्नी पर भी हाथ उठा दिया।

इधर खरीदारी करते समय पुष्पा की हसी ठिठोली जारी रही और सभी उसका आनंद भी उठाते रहे। रावण इतनी जल्दी हार मानने वाला नहीं है इएलिए उसने फिर से कोई घिनौनी चाल चली है ये रिश्ता तुड़वाने के लिए। महेश जी का फ़ोन आया है। जरूर ये रावण की ही चाल का हिस्सा है।।

इस शानदार रेवो के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏

शादी जुड़ गया अब तो ये होकर ही रहेगा। कोई कुछ नहीं कर सकता। रावण का कुछ नहीं किया जा सकता खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे जैसी हालात रावण का हों गया हैं।
 

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बहुत ही बेहतरीन महोदय।

रावण की चाल एक बार फिर से नाकाम हो गई। आज फोन पर महेश बाबू ने वो खरी खोटी सुनाई रावण के आदमी को कि उसकी हवा टाइट हो गई और उसने डरकर फ़ोन काट दिया।।
राजेन्द्र जी को भी खबर हुई तो दोनों ने एसएसपी को बुला लिया। राजेन्द्र जी को पहले ही पुलिस की मदद ले लेनी चाहिए थी, क्योंकि कुछ अपराधी पुलिस को मामले में न देखकर ज्यादा शेर हो जाते हैं।

सुकन्या और रावण का मन मिटाव अभी भी जारी है। सुकन्या ने आज जाने अनजाने एक लड़की की इज़्ज़त लूटने से बचा ली। अपसू भले ही बिगड़ा हुआ है लेकिन अपनी मां से बहुत प्यार करता है। ये संकट और विंकट क्या करने की कोशिश कर रहे हैं। समझ नहीं आता, अभी तक बस विंकत अपसू का पीछा ही कर तह है बस।।

अगले भाग की प्रतीक्षा में।।
इस शानदार रेवो के लिए बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🙏🙏

उन्होंने मदद इसलिए नहीं लिया सोचा होगा वो खुद ही निपटा लेंगे लेकिन जब उन्हें लगा मामला उनके हाथ से निकल चुका हैं तब पुलिस का मदद लेना ही बेहतर समझा।

अगला भाग शाम 7 बजे आएगा
 

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Update - 30


संकट को ढूंढते हुए। जहां जहां संकट के मिलने की संभावना था विंकट वहां वहां गया। पर संकट का कोई अता पता न मिला। संकट जैसे अदभुत प्राणी का कोई एक ठिकाना हों तो ही न मिलता संकट तो खानाबदोश था जहां रात हुआ वहा डेरा जमा लिया। विंकट ढूंढते ढूंढते जिस रास्ते जा रहा था उसी रास्ते थोड़ा आगे एक शमशान था। विंकट शमशान तक पहुंचा शमशान को देखकर बोला...अरे मैं तो शमशान घाट पहुंच गया। शमशान पहुंचने की इतनी भी किया जल्दी हैं अभी तो मुझे बहुत दिन जीना हैं ये उस्ताद न जानें कहा कहा पहुंचा देंगे कहा होंगे मिल ही नहीं रहें हैं कितना ढूंढू अब तो टांगे भी जवाब देने लग गया।

विंकट बोलकर वही खडा हों गया। कुछ क्षण खड़े रहने के बाद चलने को हुआ तभी उसे संकट शमशान घाट के अन्दर से आते हुए दिखा संकट को देखकर आवाज देते हुए बोला... उस्ताद... उस्ताद आप'को शमशान आने की इतनी जल्दी भी क्या थी ?कब से ढूंढ रहा हूं और आप यह शमशान में डेरा जमाए बैठे हों।

संकट...क्या हैं वे सुबह सुबह तू यह किया कर रहा हैं तूझे बोला था अपश्यु के पीछे रहना फिर तू इधर किया कर रहा हैं।

विंकट…उस्ताद अपश्यु यहां नहीं हैं मां बाप के साथ कलकत्ता गया हैं।

संकट…वो आज गांव से एक लङकी को उठने वाला था फिर कलकत्ता कैसे जा सकता हैं तूने मुझे गलत सूचना तो नहीं दिया था।

विंकट...मांर दिब्बी मैंने आप'को बिल्कुल ठीक ठीक सूचना दिया था लेकिन न जाने क्यों अपश्यु कलकत्ता चला गया। मुझे लगता है वो रघु मलिक के शादी में गया होगा।

संकट... साला इतने दिनों बाद मौका मिला वो भी हाथ से गया तू भी कलकत्ता जा वहा ही कोई मौका देखकर अपश्यू को ठोक देंगे।

विंकट... ठोक देंगे से किया मतलब आप उसे जान से मारने वाले हों ऐसा हैं तो मैं बिल्कुल भी आप'का काम नहीं करूंगा।

संकट…अरे नहीं अपश्यु का जान नहीं लेना हैं। जान से मर दुंगा तो उसे तड़पते हुए कैसे देखूंगा। मुझे तो उसे तड़पते हुए देखना है जैसे मैं किसी अपने को खोने के गम में तड़प रहा हूं।

विंकट...आप किसकी बात कर रहे हों कहीं आप डिंपल की बात तो नहीं कर रहे हों लेकिन जहां तक मैं जनता हूं डिंपल से आप'का कोई खाश रिलेशन नहीं हैं आप'को तो बस उसके साथ मजे करना था। उसकेे बाप के दौलत को पाना चाहते थे।

संकट...ये सच हैं मै डिंपल के साथ मजे करना चाहता हूं। उसके बाप के दौलत को पाना चाहता हूं। लेकिन मैं जो कुछ भी कर रहा हूं सिर्फ डिंपल को पाने के लिए नहीं, कोई अपना था जिसे अपश्यु ने मुझ'से छीन लिया मैं उसका बदला लेने के लिए ही ये सब कर रहा हूं

विंकट...कौन है वो जहां तक मैं जनता हूं आप के आगे पीछे कोई नहीं हैं फिर आप किसका बदला लेना चाहते हों।

संकट... बता दुंगा लेकिन अभी नहीं तू अभी जा मैं भी कल कलकत्ता पहुंच रहा हूं।

विंकट ने जानने की बहुत जिद्द किया लेकिन संकट ने बताने से साफ माना कर दिया। तो विंकट अपने रास्ते चल दिया। संकट जिन लोगों को बुलाया था उनके पास गया और उन्हें बता दिया अपश्यु कलकत्ता गया हैं। ये सुनकर उनको भी गुस्सा आ गया। संकट ने जिन लोगों को चूना था वे सभी अपश्यु और उसके बाप के सताए हुए थे। इसलिए गुस्सा जाहिर करते हुए बोला... यार कब तक प्रतीक्षा करना पड़ेगा बहुत हों गया लुका छुपी, चल कलकत्ता चलते हैं वहीं पर ही इस दुष्ट अपश्यु का क्रिया कर्म कर देंगे।

"हां अब इंतजार नहीं होता बहुत सह लिया अब नहीं सहा जाता तू चल मुझे लगता हैं अपश्यु शादी में गया हैं तो वहीं मौका देखकर काम तमाम कर देंगे।"

"हां यार रघु मलिक के शादी से अच्छा मौका हमे कहीं नहीं मिलेगा।"

संकट... मैं भी ऐसा ही कुछ सोच रहा था लेकिन तुम सब एक बात ध्यान रखना अपश्यु को जान से नहीं मरना हैं मुझे उसे तड़पते हुए देखना हैं।

"ये किया बात हुआ उसे जान से मारेंगे तभी तो हमारे मान को शांति मिलेगा।"

संकट…जान से मर देंगे तो उसे उसके पापो से पल भार में ही छुटकारा मिल जाएगा लेकिन मैं उसे बार बार तड़पते हुए देखना चाहता हूं।

इसके बाद सभी अपने अपने तर्क देने लग गए। संकट ने सभी को अपने तरीके से समझाया तब जाकर सभी समझे फिर अगले दिन कलकत्ता जाने की बात कहकर सभी अपने अपने रास्ते चले गए।

इधर शाम तक रावण, अपश्यु और सुकन्या कलकत्ता पहुंच गए । सुकन्या जाकर सुरभि से गले मिला उसका हल चल लिया। फिर जाकर पुष्पा से मिला पुष्पा थोडी नाराजगी जताने लगीं तो सुकन्या ने उसे अपने ढंग से मना लिया। रावण ऊपरी मन से राजेंद्र से शादी के सभी तैयारी के बारे में पुछने लगा। राजेंद्र सभी बाते बताते बताते वह सब भी बता दिया जो हल ही के कुछ दिनों में हुआ था।

पुलिस में मामला दर्ज करवाने की बात सुनकर रावण के पैरों तले जमीन खिसक गया। रावण के मन में एक भय उत्पन हों गया लेकिन बिडंबन ये था रावण जग जाहिर नहीं कर सकता था। इसलिए खुद को शान्त रखते हुए मन ही मन बोला...सही किया जो सुकन्या के साथ आ गया नहीं तो मैं जान ही नहीं पता दादाभाई ने मामला पुलिस में दर्ज करवा दिया जल्दी ही मुझे उन हरमखोरो से बात करना पड़ेगा नहीं तो वो साले मुझे ही फसा देंगे। महेश बाबू तो बड़े पहुंचे हुए खिलाड़ी जन पड़ता हैं जिनके एक फोन पर SSP साहब उनके घर आ गए। सभी मामला खुद ही देखने को कह गए। अब मुझे संभाल कर रहना होगा नहीं तो मेरा भांडा फुट जायेगा।

रावण को सोच में डूबा देख राजेंद्र बोला…किस सोचे में घूम हों गया।

रावण…दादा भाई मैं इसी बारे में सोच रहा था कौन हो सकता हैं जो बार बार रघु कि शादी तुड़वाना चाहता हैं। अपने सही किया जो पुलिस को सूचना दे दिया।

रावण की बाते सुन सुकन्या मन ही मन बोली... इनको माना किया था ऐसा न करें लेकिन सुने ही नहीं अच्छा हुआ जेठ जी ने रिपोर्ट लिखवा दिया नहीं तो कभी चुप ही नहीं बैठते।

अपश्यु मन में.. मुझे संभाल कर रहना होगा कही मैं भी लपेटे में न आ जाऊ पुलिस वाले बाल की खाल निकालने में माहिर होते हैं।

राजेंद्र...जो भी है देर सवेर पकड़ा ही जायेगा चलो तुम सभी सफर करके आए हों आराम कर लो कल सुबह बात करेंगे।

सुकन्या गुस्से से रावण को देखते हुए रूम में चली गई। रावण के मन में थोड़ा और डर बैठ गया। रावण सोचने लगा अब सुकन्या को किया जवाब दुंगा न जाने सुकन्या कौन कौन से सवाल मुझसे पूछेगा। इन बातों को सोचते हुए रावण भी रूम में चला गया। लेकिन रूम में तो अजूबा हों गया रावण जैसा सोच रहा था वैसा कुछ हुआ ही नहीं सुकन्या बिना सवाल जवाब के सो गई। ये देख रावण को थोड़ा सा शांति मिला लेकिन अशांत भाव रावण के मन में अभी भी बना हुआ था। रावण को डर था कहीं उसके चमचे फिर से महेश को फोन न कर दे। फोन किया तो कही कुछ गडबड न हो जाए। इन्ही बातो को सोचते हुए रावण सोफे पर बैठकर सुकन्या के सोने का wait करने लग गया। सुकन्या थकी हुई थी इसलिए कुछ ही क्षण में सो गई फिर रावण ने अपने चमचों से बात किया उन्हें आगे कुछ न करने की हिदायत दे दिया। रावण के चमचे बिना कोई सवाल जवाब के रावण की बातो को मान लिया फिर रावण निश्चित होकर सो गया।


रावण के निर्देश पाकर सभी लोग जिनको रावण ने रघु के शादी तुड़वाने के काम में लगाया था। अपना अपना बोरिया विस्तार समेट कर कलकत्ता से रवाना हों गए। कलकत्ता आने के बाद अपश्यु इधर उधर न जाकर रघु और रमन के साथ शादी की तैयारी में लग गया। इधर विंकट कलकत्ता पहुंच चुका था। एक दिन बाद संकट भी अपने दल बल के साथ पहुंच चुके थे। सभी बस ताक में थे कब अपश्यु उन्हें अकेला मिले, मिलते ही काम को अंजाम देकर चलते बने, लेकिन हों कुछ ओर ही रहा था संकट और उसके साथियों को कोई मौका ही नहीं मिल रहा था। क्योंकि अपश्यु कभी अकेला जा ही नहीं रहा था कोई न कोई उसके साथ रहता था।

इसलिए संकट को नाकामी ही हाथ लगा। संकट ने ठान रखा था जो कुछ भी करना हैं कलकत्ता में ही करना है। इसलिए वो सिर्फ़ दुआएं मांग रहा था। कहीं तो उसे अपश्यु अकेला मिले। बरहाल संकट मौके के तलाश में था और यह शादी के दिन नजदीक आ गया।

शादी में तीन दिन और बचे थे। आज शादी का पहला रस्म सगाई था। सगाई का महूर्त शाम को 8 बजे था। इसलिए तैयारी बड़े जोरों शोरों से किया जा रहा था। सगाई का रश्म राजेंद्र जी के पुश्तैनी घर में था तो सभी तैयारी की देख रेख रावण, अपश्यु, रमन और बाकि के लोग कर रहे थें।

आज मौका भी था और दस्तूर भी, ऐसे में घर की महिलाओं को भला कौन रोक सकता था। पुष्पा मां और चाची को साथ लिए रूप आभा और सौंदर्य को निखारने ब्यूटी पार्लर पहुंच गई, जाने से पहले पुष्पा एक काम और कर गईं फोन पर कमला को भी पार्लर का नाम बता गई साथ ही जल्दी से आने को कह गईं। पुष्पा मां और चाची के साथ समय से पहुंच गई लेकिन कमला अभी तक नहीं पहुंची।

इसलिए पुष्पा भिन्नई सी यह से वह घूमने लग गईं। पुष्पा को चल कदमी करते देख सुरभि बोली...क्या हुआ पुष्पा तू ऐसे क्यों ब्यूटी पार्लर की फर्श नाप रही है नापना ही है तो फीता से नाप ले चुटकियों में होने वाला काम करने में खामखा पैरों को तकलीफ दे रही हैं।

इतना कहकर सुरभि और सुकन्या हंस दिया। मां और चाची को हंसते देख पुष्पा बोली... हंसो हंसो बत्तीसी फाड़कर हंसो मेरी तो कोई वेल्यू ही नहीं हैं। नई बहु अभी, विदा होकर घर नहीं पहुंची उससे पहले ही मनमानी करने लग गई। घोर अपमान महारानी का घोर अपमान हुआ हैं आने दो उनको मेरी बात न माने की सजा मिलकर रहेगी।

सुरभि...ओ महारानी मेरी बहु को तूने सजा दिया तो देख लेना मैं किया करूंगी। तेरे दोनों कान उखेड़कर दरवाज़े पर टांग दूंगी‌ फिर सभी से कहूंगी देखो देखो महारानी के कान कैसे दरवाज़े पर लटक रही हैं।

इतना कहकर सुरभि फिर से हंस दिया। लेकिन पुष्पा हंसने के जगह मुंह भिचकाते हुए बोली...ouhaa आप मेरी कान उखेड़ों या मुझे दरवाजे पर टांग दो लेकिन भाभी ने लेट आने का जुर्म किया इससे लगता है भईया ने भाभी को बताया नहीं मैं हमारे घर की महारानी हूं। मेरी कहीं बात का निरादर करना मतलब घोर अपराध करना।

"मुझे आप'के भईया ने बता दिया मेरी एक नटखट ननद रानी हैं जो खुद को महारानी घोषित करने पे तुली हैं। गलती करने पर सभी को सजा भी देती हैं।"

कहते हुए कमला मनोरमा के साथ अंदर आई और पुष्पा के पास जाकर कान पकड़कर खड़ी हों गई। कमला को कान पकड़ते देख पुष्पा कमला का हाथ कान से हटाते हुए बोली…आज आप'की पहली गलती थीं इसलिए माफ़ कर रहीं हूं। आगे से ध्यान रखना ऐसा न हों पाए।

पुष्पा की बाते सुन सभी मुस्कुरा दिए मुस्कुराते हुए सुरभि धीरे से बोली.. नौटंकी बाज कहीं की।

खैर समय को ध्यान में रखते हुए सभी अपने अपने काम करवाने में झूट गई। पुष्पा ने ब्यूटीशियन को बता दिया भाभी को ऐसे तैयार करना उन्हे देखकर लगना चाहिए राज परिवार की बहु है कहीं भी कोई कमी रह गई तो तुम्हारा ये पार्लर हमेशा हमेशा के लिए बंद हों जाएगा। ब्यूटीशियन को निर्देश मिल चुका था। वे सभी कमला को लेकर एक केबिन में घुस गए। उसके बाद एक एक करके सभी वह बने अलग अलग केबिन में चले गए।

ब्यूटीशियन ने न जाने अंदर घंटो तक क्या किया जब उनका काम खत्म हुआ। एक एक कर पुष्पा, सुरभि, सुकन्या और मनोरमा बहार आए उनका निखरा हुआ रूप ओर ज्यादा निकर गया। सुरभि पुष्पा के निखरे रूप को देख आंखो से काजल ले पुष्पा के कान के पीछे लगा दिया। मां के ऐसा करते ही पुष्पा भौंहे हिलाते हुए पूछी... चांद से मुखड़े पर ये काला टीका क्यों।

सुरभि के मुंह की बात छीनते हुए सुकन्या बोली…वो इसलिए क्योंकि कला टीका चांद की खूबसूरती को और बढ़ा देती हैं।

पुष्पा…Oooo ऐसा क्या

सुकन्या... दीदी अपने बहु तो बहुत ही खुबसूरत चुना हैं। रघु के साथ जोड़ी बहुत जमेगा मैं दुआ करूंगी दोनों को किसी की नज़र न लगें दोनों हमेशा हंसते खेलते रहे।

सुरभि…तुम्हें पसन्द आया बस और किया चाहिएं। तुम्हारी दुआ रंग लाए इसे बढ़ाकर दोनों को और क्या चाहिएं।

देवरानी जेठानी कमला के चर्चा करने में मगन थे। तभी कमला बहार निकलकर आई पुष्पा की नजर पहले कमला की ओर गई देखते ही oupsss किया बाला लग रही.. एक आवाज निकाला बस फिर किया था कमला सभी के आकर्षण का केंद्र बन गई। पार्लर में काम कर रही सभी लड़किया, सुरभि, सुकन्या, मनोरमा और पुष्पा कमला के खूबसूरती को एक टक निहारने लग गई। कमला का रूप सौन्दर्य गौर वर्ण चांद की खूबसूरती को भी मात दे रही थीं। एकाएक एक आहट के चलते सभी का तंद्रा टूटा तंद्रा टूटते ही सुकन्या चहल कदमी करते हुए कमला के पास पहुंची आंखो के किनारे से काजल लिया फिर कमला के कान के पीछे लगाते हुए बोली... बहु किसी दुपट्टे से खुद को छुपा लो नहीं तो किसी की नजर लग जाएगी।

कमला खिला सा मुस्कान देखकर नजरे झुका लिया फिर सुकन्या कमला का हाथ पकड़कर ले जाते हुए बोली...दीदी जल्दी चलो यह से नहीं तो मेरी चांद से भी खूबसूरत बहु को किसी की नजर लग जाएगी।

सुकन्या का कहा सुनकर सुरभि के चहरे पर खिला सा मुस्कान आ गया। बहार जाते हुए पुष्पा बोली... मां आज तो भईया गए काम से मुझे तो लग रहा हैं आज भाभी को देख कर कही भईया की धड़कने ही न रुक जाएं।

ऐसे ही हंसी मजाक करते हुए सभी चल दिए पहले कमला और मनोरमा को उनके घर छोड़ा फिर अपने घर को चल दिए। इधर आशीष मां बाप भाई और भाभी के साथ पहुंच चुका था। आते ही अपनी मसूका को ढूंढने लग गया, पुष्पा वहा होती तब न उसे मिलता। विचरा असहाय था किसी से पुछ भी नहीं सकता था। बस एक झलक पाने को यह से वहा ढूंढे जा रहा था। रघु की नजर आशीष पर पढ गया। आशीष के पास आया फिर रघु बोला...आशीष किया हुआ कुछ चाहिएं था।

आशीष हकलाते हुए बोला.. वो बो भा भा भईया….।

आशीष को हकलाते देख रघु समझ गया क्या पूछना चाहता हैं इसलिए मुस्कुराते हुए बोला... तुम जिसे ढूंढ रहे हो वो अभी घर पर नहीं हैं थोड़ा वेट करो कुछ देर में आ जाएगी।

इतना बोलकर रघु आशीष को अपने साथ लेकर खुद की डेंटिन पेंटिंग करवाने चल दिया। बरहाल सभी तैयारीयां पूर्ण हों चुका था। सूरज ढलते ही कृत्रिम रोशनियों ने अलग अलग कला किर्तिओ से राजेंद्र के महल को चका चौध कर दिया। कमला मां बाप के साथ पहुंच चुका था। लेकिन कमला को किसी की नजरों में आए बिना ही महल के अंदर ले जाया गया।

पुरोहित जी आ चुके थे। मूहर्त का समय भी हों चुका था। तब रमन के साथ रघु नीचे आया। Function में पहुंचे सभी लड़कियों के लिए रघु आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। रघु का निखरा हुआ गौर वर्ण आभा बिखरते हुए बता रहा था मैं राज परिवार का राजकुमार हूं। रघु को आते देखकर एक ओर से सुकन्या एक ओर से सुरभि दौड़ कर गई आंखो से काजल निकलकर रघु के दोनों कान के साइड लगा दिया। ये देखकर रावण मन ही मन गुस्सा हों रहा था। रावण गुस्सा होने के अलावा कर भी क्या सकता था। राजेंद्र देखकर मन ही मन हर्षित हों रहा था वैसा ही हल मनोरमा और महेश का था आज वे रघु का एक अलग ही रूप देख रहे थे।

अपश्यु का मानो भाव कुछ और ही दर्शा रहा था वो रघु के पास गया और बोला...बडी मां दादाभाई को कुछ ओर टीका लगा दो नहीं तो यह की सभी लड़किया दादा भाई को नजर लगा देंगे।

सुकन्या मुस्कुराते हुए बोली…लगाने दे हमारी बहु को देख लेगी तो उनकी नजर अपने अपने उतर जाएगी।

इसके बाद सभी जाकर निर्धारित स्थान पर बैठ गए। कुछ क्षण बाद कमला पिंक कॉलर की बार्बी डॉल ड्रेस पहनकर निचे आने लगीं पिंक कॉलर थोड़ा डार्क था जो कमला पर खूब फब रही थीं। ड्रेस ने कमला की खूबसूरती को ओर ज्यादा निखर दिया। कमला के संग पुष्पा लाइट ऑरेंज रंग की साड़ी में थीं। ऑरेंज रंग पुष्पा की खूबसूरती में चार चांद लगा दिया।

दोनों को आते देखकर सभी की नजर उन पर टिक गया। एक aahannn की आवाज़ वह गुंजायमान हुआ। फिर सभी टकटकी लगाए कमला और पुष्पा को देखने लग गए। अधिकतर लोगो की नजर कमला पर ही टिका हुआ था। आशीष वहीं खडा था न चाहते हुए भी कमला पर नजर पड़ गया फिर किया था कमला की खूबसूरती को निहारने लगा, आशीष कुछ पल तक कमला को निहारने के बाद नजरों को हटा सही जगह पुष्पा पर टिकाया। पुष्पा मुंह भिचकाते हुए आशीष को थाप्पड़ दिखाया। ये देख आशीष इधर इधर नजरे फेर कान पकड़कर सॉरी बोला इससे पुष्पा के चेहरे पर खिला सा मुस्कान आ गया।

इधर रघु कमला के खूबसूरती को देखकर सूद बूद खो चुका था। दीन दुनिया क्या होता हैं भुल चुका था। बस कमला को ही देखे जा रहा था। कमला का हल भी ऐसा ही था। वो भी सूद बूद खोए सिर्फ रघु को ही देखे जा रहीं थीं। ये देख पुष्पा ने कमला का हाथ कस के पकड़ लिया और कमला को हिलाकर कर होश में लाया कमला होश मे आते ही शर्मा कर नजरे झुका लिया फ़िर धीरे धीरे चलकर आगे आने लगीं।

इधर रघु के पास रमन खडा था रमन ने रघु के हाथ को कस कर पकड़ लिया और झटका दे'कर रघु को होश में लाना चाह लेकिन रघु पर कोई फर्क ही नहीं पड़ा तब रघु ने एक चिकुटी काट दिया जिससे रघु uiii uiii कर हाथ झटकते हुए होश में आया फिर बोला…. किया करता हैं?

रमन... क्या कंरू तू भाभी को देखने में इतना खोया था कितना कुछ किया लेकिन तेरी तंद्रा टूट ही नहीं रहा था तब जाकर मुझे ऐसा करना पडा।

कमला आकर रघु के पास बैठ गई और पुष्पा जाकर आशीष के पास खडा हों गई फिर अशीष एक चपत मरा फिर बोली…मुझे देखना छोड़कर तुम भाभी को देख रहे थे तुम्हें शर्म नहीं आया दूसरे के अमानत को ऐसे ताकते हुए।

आशीष कान पकड़कर बोला...सॉरी अब माफ़ भी कर दो।

इधर अपश्यु कमला के खूबसूरती देखकर मन ही मन बोला... श्रवन कुमार बडा किस्मत वाला हैं जो उसे ऐसा धांसू माल मिला हैं। मुझे ऐसा माल मिलता तो मजा आ जाता फिर खुद को गाली देते हुए बोला bc बो तेरा भाभी हैं भाभी मां सामान होती हैं और तू उनके बारे में ही गलत बोल रहा हैं।

मुंडी हिलाकर अपने दिमाग को सही ठिकाने पर लाया फ़िर जाकर रघु के पास खडा हों गया। कमला को देखकर गलत विचार मन में आते ही खुद को गाली देता और सिर को झटक देता।

लेकिन भीड़ में दो लोग ऐसे थे। जो कमला की खूबसूरती को देख मलाल कर रहे थें इतनी खूबसूरत आइटम हाथ से निकल गया। वो थे कालू और बबलू, कमला के खूबसूरती को देखकर कालू बोला…यार देख कमला कितनी कांटाप माल लग रही हैं मन कर रहा हैं अभी जाकर उसे मसल दूं।

बबलू.. यार मन तो मेरा भी कर रहा हैं लेकिन क्या करु मजबूरी है देखने के अलावा कुछ कर नहीं सकते।

कालू... यार कुछ तो करना पड़ेगा नहीं तो ऐसा कांटप माल हमारे हाथ से निकल जायेगा बिना इसको चखे कैसे जानें दे सकते हैं।

बबलू.. देख कालू आज कुछ भी मात करना कितने लोग है सभी ने एक एक लात भी मरा तो हम मरघट में पहुंच जाएंगे।

कालू... चुप वे फट्टू इस फूल का रस चखने के बाद मर भी गए तो कोई हर्ज ही नहीं काम से काम तसल्ली तो रहेगा इस कांटप माल को चख पाया।

बबलू की नज़र कमला से हट पुष्पा पर गया उसे देखकर बोला...अब्बे कालू वो देख एक ओर कांटप माल उसको भी मसलने में बडा मजा आयेगा।

बबूलू के दिखाए दिशा की ओर देखा तो उसे पुष्पा दिखा पुष्पा को देखते कालू ने सूखे होंटों पर जीभ फिरकर गीला किया फिर बोला...यार माल तो बडा मस्त हैं कमला न सही उसके साथ थोड़ा बहुत मजे कर लेंगे।

बबलू...यार उसके साथ वो लडका कौन हैं बडा चिपक रहा हैं साला हैं बडा किस्मत वाला।

कालू... यार सभी किस्मत वाले हैं बस हम दो ही बदकिस्मत वाले हैं चल न कुछ जुगाड करके किस्मत को बुलंदी पर पहुंचते हैं।

दोनों अपने अपने रोटियां सेंकने लग गए दोनों की नजर कमला से हट पुष्पा पर टिक गया। अब दोनों ताक में लग गए कब उन्हे पुष्पा अकेले मिले फिर मुनसूबे को अंजाम दे। इधर कोई और भी है जो बहर से अंदर की सभी गति विधि पर नजर बनाए हुए थे वो था संकट और उसका दल वो प्रतिक्षा में थे कब अपश्यु बहर निकले और उसे धर दबोचे लेकिन अपश्यु हैं की बाहर ही नहीं जा रहा था।

बरहाल मूहर्त का समय हों गया था। इसलिए पूरोहित जी के कहने पर रघु और कमला को स्टेज पर ले जाया गया। दोनों को एक साथ जाते देख कईयों के ahaaa निकल गए। कई तारीफो के कसीदे पढ़ने लग गए।

दोनों के हाथ में अंगूठी दिया गया। पूरोहीत के कहने पर पहले कमला ने रघु के अनामिका उंगली (ring finger) में हीरा जड़ित अंगूठी पहना दिया। पहनाते ही पुरोहित जी कुछ मंत्र पड़ने लगे और माहौल hip hip hooray की हूटिंग और तालिया की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

रघु की बारी आया तब रमन ने रघु के कान में कुछ कहा रघु हां में सिर हिला दिया फिर रघु थोड़ा आगे बढ़कर घुटनों पर बैठ गया ये देख कमला मुस्किरा दिया सिर्फ कमला ही नही स्टेज पर मौजूद सभी मुस्कुरा दिए। कमला ने धीरे से हाथ आगे कर दिया रघु ने सावधानी से कमला के अनामिका ऊंगली (Ring Finger) में अंगूठी पहना दिया एक बार फिर पूरोहित ने मंत्र उच्चारण किया और माहौल hip hip hooray की हूटिंग और तालिओ की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

फिर शुरू हुआ फ़ोटो सेशन का दौर एक एक कर आते गए और फोटो खिंचवाते गए। यह फ़ोटो सेशन चल रहा था उधर सभी मेहमान भोजन करने में जुट गए। फ़ोटो सेशन के बाद सभी किनारे पर चल रहे आर्केस्ट्रा की रुख किया पहले रघु और कमला को आर्केस्ट्रा के सामने बनी हुई स्टेज पर चढ़ाया गया। उनके चढ़ते ही एक बार फिर हूटिंग और तालियो से गूंज उठा। दोनों को शर्म आने लगा साइड से सभी के बड़वा देने पर म्यूजिशन के बजाए गए धुन पर जो कमर हिलाया सभी मंत्र मुग्द हों गए। One's more one's more करते करते दोनों को एक के बाद एक कई गानों पर नचाया गया।

दोनों नाच रहे थें। कालू और बबलू मौका देख पुष्पा के पास पहुंच गया फिर बहाने से पुष्पा को यह वहा छूने लग गए। पुष्पा को गुस्सा आ रहा था लेकिन गुस्से को काबू में रख वह से हट गया। इन दोनों की करतूत अपश्यु ने देख लिया। अपश्यु पुष्पा के पास गया उसे पुछा... पुष्पा इन लड़कों ने तुम्हें जनबूझ कर छेड़ा एक बार बता मै अभी इनकी हड्डी पसली तोड़ दुंगा।

पुष्पा तो समझ गया था कालू और बबलू ने जो भी किया जनबुझ कर किया फिर भी छुपाते हुए बोला... नहीं भईया उन्होंने जानबुझ कर कुछ नहीं किया।

पुष्पा की बात अपश्यु को हजम नहीं हुआ वो थोड़ा दूर जाकर खडा हों गया फिर कालू और बबलू पर नजर रखने लग गया।

रघु और कमला थक गए थे इसलिए स्टेज पर से नीचे उतर आए। फिर बाकी बचे लोग भी स्टेज पर चढ़ गए। स्टेज पर ग्रुप में सभी नाच रहे थें। तो भीड़ में कालू और बबलू भी चढ़ गए। दोनों पर कमला की नजर पड़ गया तब कमला ने रघु का हाथ कस के पकड़ लिया। हाथ पर कसाव का आभास होते ही रघु कमला की ओर देखा। तब कमला ने रघु को एक ओर इशारा कर कालू और बबलू को दिखाया दोनों को देखते ही रघु का पारा चढ़ गया। लेकिन किसी तरह खुद को शान्त रखा। कालू और बबलू ताक में थे उन्हें कब मौका मिले और पुष्पा के पास पहुंच पाए।

नाचते नाचते उन्हें मौका मिला गया। मौका मिलते ही दोनों अपने करस्तनी करने से बाज नहीं आए। इस बार दोनों हद से आगे बड़ गए। पुष्पा को गलत ढंग से छुने लग गए। अपश्यु का नजर इन पर बना हुआ था। देखते ही अपश्यु स्टेज पर चढ़ गया। रघु भी दोनों को देख रहा था तो दोनों की करस्तानी रघु को भी दिख गया। फिर किया था दोनों भाई ने एक एक का गिरेबान पकड़ा फिर खींचते हुए स्टेज से नीचे ले गए।

दोनों ने अव देखा न ताव शुरू कर दिया धुलाई लीला बस ahaaa maaaa uhhhh maaa की आवाज माहौल को दहलाने लगा। अचानक मर पीट शुरू होते देख सभी अचंभित हो गए। कमला पुष्पा के पास गई और उसका हाथ पकड़कर खड़ी हों गई। रघु मरते हुए बोला…आज तुम दोनों ने अपनी जिन्दगी की सबसे बडी भुल कर दी। तुम दोनों की हिम्मत कैसे हुआ मेरे बहन को छेड़ने की इससे पहले भी तुमने मेरी कमला के साथ भी ऐसा ही किया था तब मुझे कमला को रोकना ही नही चाहिए था उस दिन न रोकता तो आज ये नौबत ही नहीं आता।

पुष्पा को छेड़ने की बात सुनकर आशीष और रमन भी धुलाई लीला में सामिल हों गए। कालू और बबलू को धुलाई करते करते अपश्यु रुक गया फ़िर मन ही मन सोचने लगा... आज मेरे बहन के साथ इन दोनों ने छेड़छाड़ किया तो मुझे इतना बुरा लगा कि मैं इन्हें पीटने लग गया मैं भी तो दूसरे के बहन के साथ इससे भी बुरा बरताव करता हूं उनके आबरू को लूटता हूं। मैं कितना बेगैरत हूं मेरे लिए मेरी बहन बहन हैं और दूसरे की बहन बेटी खिलौना नही नहीं इन दोनो को मारने का मुझे कोई हक नहीं हैं। माफ करना पुष्पा तेरा ये भाई अच्छा भाई नहीं हैं।आज इन दोनो ने मुझे आभास करा दिया मैं कितना गलत था।

इतना सोचकर अपश्यु किनारे हट गया। कालू और बबलू दोनों वे सुध हों गए फिर भी कोई रूकने का नाम ही नहीं ले रहा था। सुरभि, राजेंद्र, रावण, सुकन्या, आशीष के मां बाप भाई तीनों को रोक रहे थें। तीनों रोके से भी नहीं रुक रहे थें। अंतः सुरभि ने खींच के एक चाटा रघु को मरा चाटा पड़ते ही रघु रुका फिर बोला...मां आप मुझे चाटा मारो या कुछ भी करो मैं इन दोनो को नहीं छोड़ने वाला इन दोनों के कारण ही मुझे आप'की और पुष्पा की नाराजगी झेलना पडा इन्ही दोनों को उस दिन कमला पीट रहीं थी आज इन दोनों की इतनी हिम्मत बढ़ गया की इसने मेरी बहन के साथ भी वैसा ही हरकत करने लग गए।

कह कर रघु फ़िर से पीटने लग गया। इस बार कमला आगे आई और रघु को रोकते हुए बोला...आप रुक जाइए नहीं तो ये दोनों मर जाएंगे। आप मेरा कहना मन लीजिए ये दोनों मर गए तो आप को जेल हों जाएगा फिर मेरा किया होगा।

कमला के कहते ही रघु दो चार लात ओर मरकर किनारे हट गया। उसके बाद दोनों को जल्दी से हॉस्पिटल भेजा गया फिर पुलिस को सूचना दिया गया। पुलिस के आने पर उन्हें कालू और बबलू की करस्तानी बता दिया गया। साथ ही ये भी बता दिया गया उन्हें कौन से हॉस्पिटल भेजा गया। पुलिस को ये भी बता दिया गया इससे पहले भी दोनों ने कमला के साथ भी छेड़खानी किया था। पुलिस ने कमला से कुछ पूछता किया फिर कालू और बबलू के मां बाप को बुलाया गया। जो खाने के पंडाल में जी भार के खा रहें थे। उनके आने के बाद सुरभि बोली...कैसे कुलंगर बेटे को जन्म दिया जिसके लिए लङकी सिर्फ और सिर्फ खेलने की चीज हैं ओर कुछ नहीं।

सुकन्या...आज आप'के बेटे ने मेरी बेटी के साथ बदसलूकी किया बीते दिनों इन दोनों ने मेरी बहु के साथ बदसलूकी किया क्या अपने अपने बेटे को ये सब करना सिखाया।

मनोरमा…तुम दोनों मेरे सबसे अच्छे सहेलियों में से हों मैंने इससे पहले भी कई बार तुम दोनों को बताया था। तुम क्या कहती थी मेरी बेटी ही लटके झटके दिखाकर तुम्हारे बेटो को लुभाती हैं। आज किसने लटके झटके दिए जो तुम दोनों के बेटों ने ऐसी गिरी हुई हरकत किया छी तुम जैसे मां ही अपने बेटों को बड़वा देता हैं।

मनोरमा का कहना खत्म ही हुआ था की चटक चटक चटक की ध्वनि वादी में गूंज उठा। चाटा मारने वाली सुकन्या और सुरभि थी दोनों कालू और बबलू के मां के गालो को लाल कर दिया। विचारी दोनों इतना अपमान सह नहीं पाई इसलिए घुटनों पर बैठ माफ़ी मांगने लग गए। ये वृतांत देख अपश्यु मन में बोला...एक बेटे की घिनौनी हरकत से मां बाप को कितना जलील होना पड़ता हैं आज समझ आया। मैंने भी तो इससे भी घिनौनी हरकत किया है जब मेरे मां बाप को पता चलेगा तब उन्हें कितना जिल्लत महसूस होगा। मां मुझे माफ करना आप'का बेटा भी बहुत बडा कुलंगार हैं जिसने न जानें कितने दाग आप'के दमन पर लगा दिया।

अपश्यु खुद को कोस रहा था और उधर कालू और बबलू की मां ज़मीन पर नाक रगड़ते हुए माफ़ी मांगे जा रही थीं। राजेंद्र के कहने पर पुलिस वाले उन्हें लेकर चलें गए। पुलिस के जाते ही कुछ वक्त तक सभी बैठे चर्चा करते रहे फिर खाना पीना खाकर मनोरमा, महेश और कमला विदा लेकर चले गए। आशीष भी मां बाप भाई के साथ विदा लेकर चला गया। रघु और कमला के सगाई का रस्म शूरू तो अच्छे से हुआ था लेकिन अंत एक दुखद घटना से हुआ। आने वाले दिन को मेंहदी का रस्म था। रात भी ज्यादा हों गया था। इसलिए सब विश्राम करने चले गए। महल में सभी सो गए लेकिन अपश्यु को आज की घटना ने एक सबक सीखा दिया। उसे अपने किए एक एक पाप याद आने लग गया याद करते हुए खुद को ही कोसने लग गया। अपश्यु के किए पाप घटनाओं ने उसके नींद को हराम कर दिया। अपश्यु देर रात तक विचार मगन रहा अंतः एक फैसला कर अपश्यु भोर के समय नींद की वादी में खो गया।


आज के लिया इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏
 
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Destiny

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Jabardast Updateee maza aagaya padh kee

Zabardast update

Nice and awesome update...

महेश और मनोरमा के माता पिता की हत्या के अलावा उनके पुत्र की भी हत्या कर दी गई थी । ये नया खुलासा हुआ स्टोरी में । ऐसी हत्याएं जमीन और जायदाद के लिए अमूमन होती है । वो लोग जमींदार थे तो इसके आसार और भी हो जाते हैं ।
शायद इसके बारे में बाद में और खुलासा हो !

इसके पहले महेश जी ने कुछ अजनबी लोगों की बातों पर विश्वास करके अपनी लड़की का रिश्ता तोड़ दिया था । एक एक्सपिरियंस और तजुर्बेकार इंसान होकर बचकानी हरकतें कर बैठे थे वो ।
यदि ऐसा आरोप अपना कोई रिश्तेदार या कोई करीबी लगाता तो शक करना वाजिब था । लेकिन यह सारे आरोप राह पर चलने वाले अजनबी मुसाफिरों ने लगाया था । कैसे कोई इनकी बातों पर विश्वास कर सकता है !

कुछेक अपडेट्स में सुकन्या और अपस्यू के आचार विचार देखने को मिला । दोनों ही अच्छे इंसान हैं । जहां सुकन्या अपने भाई और अपने पति की बुराइयों से जुझ रही हैं वहीं अपस्यू गलत संस्कार एवं गलत दोस्तों के संगति के चलते अच्छाई की राह से भटक गया है ।
हां , रावण त्रेता युग के रावण से भी कहीं ज्यादा गिरा हुआ इंसान है ।

सभी अपडेट्स बेहद ही खूबसूरत थे बिगूल भाई । बहुत ही बेहतरीन लिख रहे हैं आप ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग ।

majedar update ..mahesh ko dhamki dene par utar gaye ravan ke log par iska mahesh par koi prabhaw nahi pada balki mahesh ne saamne wale ko hi khari khoti suna di .
mahesh ke pariwar ke baare me bhi thodi jaankari mil gayi ,jameendari ke chalte uske maa baap aur bete ka khoon ho gaya tha .
mahesh ne saari baate rajendra ko bata di aur apne ssp dost se bhi madad le dhamki dene wale ko pakadne ke liye .

par pichhale update me ravan aur sukanya ka manmutav theek ho gaya tha na 🤔🤔🤔.. to ab bhi wo jaari kaise ho gaya aur kis baat ko lekar 🤔🤔🤔..

sukanya ke kehne par apasyu aur ravan bhi kalkatta aane ke liye taiyar ho gaye ..ab ravan kya chal chalega dekhte hai .

Mahesh ne iss bar kisika nehni suna ,dhamki se nehni dara ulta dhamki de dala.Mahesh ki atit bahut dhuk dayak tha.
Mahesh ne apni problem apni police dost ko batya,Rajendra ne bhi bataya,police ne badhut bada sadyantra ki anuman kiya.
Sukanya apni beta 😂,Apni pati😲 k sath kolkata nikal padi.Super update....

Bahot behtareen
Shaandaar update bhai


बहुत ही बेहतरीन महोदय।।

हर जगह रिश्तों में भेड़ मारने वाले होते हैं, जो किसी का रिश्ता अच्छे घर मे बनता है नहीं देख सकते हैं, रावण ने भी ऐसा ही किया। वो तो खैर अपने भाई की दौलत हड़पना चाहता है जिसके कारण वो ऐसा कर रहा है। अगर किसी के सामने एक ही बात बार बार दोहराई जाए तो कभी न कभी उस व्यक्ति को उस बात पर भरोषा हो ही जाता है कि हो या न हो अगर एक ही बात की व्यक्ति कह रहे हैं तो वो बात सही ही है। महेश को भी रावण के आदमियों ने कई दिन रघु के बारे में गलत बात ही बताई, जिसको महेश ने सही मान लिया।

वैसे इसमें महेश बाबू को भी गलत नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि वो भी राजेन्द्र जी के बारे में व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते हैं और न ही उन्होंने किसी के माध्यम से उनके बारे में जानने की कोशिश की। उनके लिए यही काफी था कि रिश्ता राज परिवार से आया है और प्रथम दृष्टया उन्हें रघु में कोई बुराई भी नजर नहीं आई, लेकिन जब एक ही बात बार बार उनको बताई गई तो उन्होंने भी उसे सही मां लिया। राजेन्द्र जी और सुरभि जी ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी उनकी। ये भी स्वाभाविक ही है, क्योंकि हर व्यक्ति जनता है कि कोई भी माँ बाप अपने बेटे की बुराई कभी नहीं करेंगे, खासकर तब जब बात रिश्ते की हो रही है। यहां तो रावण ने बाजी मार ली है।।
Next update post kar diya hai jisme hai mast dj wala dhulai aur ek tuist to maje lijiye is 5047 words ke lambe chaude update ka
 
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parkas

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Update - 30


विंकट जल्दी जल्दी में चला जा रहा था। जहां जहां संकट के मिलने की संभावना था वहां वहां जा रहा था। लेकिन संकट का कोई अता पता न था। संकट जैसे अदभुत प्राणी का कोई एक ठिकाना हों तो ही न मिलता संकट तो खानाबदोश था जहां रात हुआ वहा डेरा जमा लिया। विंकट ढूंढते ढूंढते जा रहा था। जिस रास्ते जा रहा था उसी रास्ते थोड़ा आगे एक मसान था।विंकट मसान तक पहुंचा मसान को देखकर बोला... अरे मैं तो शमशान घाट पहुंच गया इतनी भी किया जल्दी हैं शमशान पहुंचने की अभी तो मुझे बहुत दिन जीना हैं ये उस्ताद न जानें कहा कहा पहुंचा देंगे कहा होंगे मिल ही नहीं रहें हैं कितना ढूंढू अब तो टांगे भी जवाब देने लगें हैं।

विंकट बोलकर वही खडा हों गया। कुछ क्षण खड़े रहने के बाद चलने को हुआ तभी उसे संकट मसान के अन्दर से आते हुए दिखा संकट को देखकर आवाज देते हुए बोला... उस्ताद... उस्ताद आप को इतनी जल्दी भी किया था शमशान आने की कब से ढूंढ रहा हूं और आप यह शमशान में डेरा जमाए बैठे हों।

संकट... क्या हैं वे सुबह सुबह तू यह किया कर रहा हैं तूझे बोला था अपश्यु के पीछे रहना फिर तू इधर किया कर रहा हैं।

विंकट…उस्ताद अपश्यु यहां नहीं हैं मां बाप के साथ कोलकात्ता गए हैं।

संकट…. वो आज गांव से एक लङकी को उठने वाला था फिर कोलकात्ता कैसे जा सकता हैं तू ने मुझे गलत सूचना तो नहीं दिया था।

विंकट... आई सपत मैंने अपको बिलकुल ठीक ठीक सूचना दिया था लेकिन न जाने क्यों वो कोलकात्ता चल गया। मुझे लगता है वो रघु मलिक के शादी में गया होगा।

संकट... साला इतने दिनों बाद मौका मिला वो भी हाथ से गया तू भी कोलकात्ता जा वहा ही कोई मौका देख अपश्यू को ठोक देंगे।

विंकट... ठोक देंगे से किया मतलब आप उसे जान से मारने वाले हों ऐसा हैं तो मैं बिल्कुल भी अपका काम नहीं करूंगा।

संकट….अरे नहीं उसका जान नहीं लेना हैं। जान से मर दुंगा तो उसे तड़पते हुए कैसे देखूंगा। मुझे तो उसे तड़पते हुए देखना है जैसे मैं किसी अपने को खोने के गम में तड़प रहा हूं।

विंकट... आप किसकी बात कर रहे हों कहीं आप डिंपल की बात तो नहीं कर रहे हों लेकिन जहां तक मैं जनता हूं डिंपल से अपका कोई खाश रिलेशन नहीं हैं अपको तो बस उसके साथ मजे करना थे और उसकेे बाप के दौलत को पाना चाहते थे।

संकट... ये सच हैं मै डिंपल के साथ मजे करना चाहता हूं और उसके बाप के दौलत को पाना चाहता हूं। लेकिन मैं जो कुछ भी कर रहा हूं सिर्फ डिंपल को पाने के लिए नहीं, कोई अपना था जिसे अपश्यु ने मुझसे छीन लिया मैं उसका बदला लेने के लिए ही ये सब कर रहा हूं

विंकट... कौन है वो जहां तक मैं जनता हूं आप के आगे पीछे कोई नहीं हैं फिर आप किसका बदला लेना चाहते हों।

संकट... बता दुंगा लेकिन अभी नहीं तू अभी जा मैं भी कल कलकत्ता पहुंच रहा हूं।

विंकट ने जानने की बहुत जिद्द किया लेकिन संकट ने बताने से माना कर दिया। तो विंकट अपने रास्ते चल दिया। संकट जिन लोगों को बुलाया था उनके पास गया और उन्हें बता दिया अपश्यु कलकत्ता गया हैं। ये सुनकर उनको भी गुस्सा आ गया। संकट ने जिन लोगों को चूना था वे सभी अपश्यु और उसके बाप के सताए हुए थे। इसलिए गुस्सा जाहिर करते हुए बोला... यार और कब तक प्रतीक्षा करना पड़ेगा बहुत हों गया लुका छुपी, चल कोलकात्ता चलते हैं वोही पर ही इस दुष्ट अपश्यु का क्रिया कर्म कर देंगे।

"हां अब नहीं होता इंतजार बहुत सह लिया अब नहीं सहा जाता तू चल मुझे लगता हैं अपश्यु शादी में गया हैं तो वोही मौका देख काम कर देंगे।"

"हां यार रघु मलिक के शादी से अच्छा मौका हमे कहीं नहीं मिलेगा।"

संकट... मैं भी ऐसा ही कुछ सोच रहा था लेकिन तुम सब एक बात ध्यान रखना अपश्यु को जान से नहीं मरना हैं मुझे उसे तड़पते हुए देखना हैं।

"ये किया बात हुआ उसे जान से मारेंगे तभी तो हमारे मान को शांति मिलेगा।"

संकट…जान से मर देंगे तो उसे उसके पापो से पल भार में ही छुटकारा मिल जाएगा लेकिन मैं उसे बार बार तड़पते हुए देखना चाहता हूं।

इसके बाद सभी अपने अपने तर्क देने लगें। संकट ने सभी को अपने तरीके से समझाया तब जाकर सभी समझे फिर अगले दिन कोलकात्ता जाने की बात कह कर सभी अपने अपने रास्ते चले गए।

इधर शाम तक रावण, अपश्यु और सुकन्या कोलकात्ता पहुंच गए थे। सुकन्या जाकर सुरभि से गले मिला उसका हल चल लिया। फिर जाकर पुष्पा से मिला पुष्पा थोडी नाराजगी जताने लगीं तो सुकन्या ने उसे अपने ढंग से मनाया। रावण ऊपरी मन से राजेंद्र से शादी के सभी तैयारी के बारे में पुछ रहा था। राजेंद्र सभी बाते बताते बताते वह सब भी बता दिया जो हल ही के कुछ दिनों में हुआ था। पुलिस में मामला दर्ज करवाने की बात जब सुना तो रावण के पैरों तले जमीन खिसक गया। रावण के मन में एक भय उत्पन हों गया लेकिन बिडंबन ये था रावण जग जाहिर नहीं कर सकता था। इसलिए खुद को शान्त रखते हुए मन में बोला... सही किया जो मैं सुकन्या के साथ आ गया नहीं तो मैं जान ही नहीं पता दादाभाई ने मामला पुलिस में दर्ज करवा दिया जल्दी ही मुझे उन हरम खोरो से बात करना पड़ेगा नहीं तो वो साले मुझे ही फसा देंगे। ये महेश बाबू तो बड़े पहुंचे हुए खिलाड़ी जन पड़ता हैं जिनके एक फोन पर SSP साहब उनके घर आ गए और सभी मामला खुद ही देखने को कह गए। अब मुझे संभाल कर रहना होगा नहीं तो मेरा भांडा फुट जायेगा।

रावण को सोच में डूबा देख राजेंद्र बोला…. किस सोचे में घूम हों गया।

रावण…. दादा भाई मैं इसी बारे में सोच रहा था कौन हो सकता हैं जो बार बार रघु कि शादी तुड़वाना चाहता हैं। अपने सही किया जो पुलिस को सूचना दे दिया।

रावण की बाते सुन सुकन्या मन ही मन बोली... इनको माना किया था ऐसा न करें लेकिन ये सुने ही नहीं अच्छा हुआ जेठ जी ने रिपोर्ट लिखवा दिया नहीं तो कभी चुप ही नहीं बैठते।

अपश्यु मन में.. मुझे संभाल कर रहना होगा कही मैं भी लपेटे में न आ जाऊ ये पोलिस वाले बाल की खाल निकालने में माहिर हैं।

राजेंद्र... जो भी है देर सवेर पकड़ा ही जायेगा चलो तुम सभी सफर करके आए हों आराम कर लो कल सुबह बात करेंगे।

सुकन्या गुस्से से रावण को देखते हुए रूम में चली गई। रावण के मन में थोड़ा और डर बैठ गया। रावण सोचने लगा अब सुकन्या को किया जवाब दुंगा न जाने सुकन्या कौन कौन से सवाल मुझसे पूछेगा। इन बातों को सोचते हुए रावण भी रूम में चला गया। लेकिन रूम में तो अजूबा हों गया रावण जैसा सोच रहा था वैसा कुछ हुआ ही नहीं सुकन्या बिना सवाल जवाब के सो गई। ये देख रावण को थोड़ा सा शांति मिला लेकिन अशांत भाव रावण के मन में अभी भी बना हुआ था। रावण को डर था कहीं उसके चमचे फिर से महेश को फोन न कर दे। फोन किया तो कही कुछ गडबड न हो जाए। इन्ही बातो को सोचते हुए रावण सोफे पर बैठा था और प्रतिक्षा कर रहा था सुकन्या कब सो जाए फिर रावण अपने चमचों से बात करें। सुकन्या थकी हुई थी इसलिए कुछ ही क्षण में सो गई फिर रावण ने अपने चमचों से बात किया उन्हें आगे कुछ न करने को कहा वो भी बिना कोई सवाल जवाब के रावण की बातो को मान लिया फिर रावण निश्चित होकर सो गया।

रावण के निर्देश पाकर सभी लोग जिनको रावण ने रघु के शादी तुड़वाने के काम में लगाया था। अपना अपना बोरिया विस्तार समेट कर कलकत्ता से रवाना हों गए। कलकत्ता आने के बाद अपश्यु इधर उधर न जाकर रघु और रमन के साथ शादी की तैयारी में लग गया था। इधर विंकट कलकत्ता पहुंच चुका था। एक दिन बाद संकट भी अपने दल बल के साथ पहुंच चुके थे। सभी बस ताक में थे कब अपश्यु उन्हें अकेला मिले और काम को अंजाम देकर चलते बने, लेकिन हों कुछ ओर ही रहा था संकट और उसके साथियों को कोई मौका ही नहीं मिल रहा था। क्योंकि अपश्यु कभी अकेला जा ही नहीं रहा था कोई न कोई उसके साथ रहता था।

इसलिए संकट को नाकामी ही हाथ लग रहा था। संकट ने ठान रखा था जो कुछ भी करना हैं कलकत्ता में ही करना है। इसलिए वो सिर्फ़ दुआएं मांग रहा था। कहीं तो उसे अपश्यु अकेला मिले। बरहाल संकट मौके के तलाश में था और यह शादी के दिन नजदीक आ गया।

शादी में तीन दिन और बचे थे और आज शादी का पहला रस्म सगाई था। सगाई का महूर्त शाम को 8 बजे था। इसलिए तैयारी बड़े जोरों पर था। सगाई का रश्म राजेंद्र जी के पुश्तैनी घर में था तो सभी तैयारी की देख रेख रावण, अपश्यु, रमन और बाकि के लोग कर रहे थें।

आज मौका भी था और दस्तूर भी था ऐसे में घर की महिलाओं को भला कौन रोक सकता था। पुष्पा मां और चाची को साथ लिए पहुंच गई रूप आभा और सौंदर्य को निखारने ब्यूटी पार्लर, जाने से पहले पुष्पा एक काम और कर गईं फोन पर कमला को भी पार्लर का नाम बता गई और जल्दी से आने को कह गईं। पुष्पा मां और चाची के साथ समय से पहुंच गई लेकिन कमला अभी तक नहीं पहुंची।

इसलिए पुष्पा भिन्नई सी यह से वह घूम रहीं थीं। पुष्पा को चल कदमी करते देख सुरभि बोली.. क्या हुआ पुष्पा तू ऐसे क्यों ब्यूटी पार्लर की फर्श नाप रही है नापना ही है तो फीता से नाप ले चुटकियों में होने वाला काम करने में खामखा पैरों को तकलीफ दे रही हैं।

ये कह सुरभि और सुकन्या हंस देती हैं। मां चाची को हंसते देख पुष्पा बोली... हसो हसो बत्तीसी फाड़ कर हसो मेरी तो कोई वेल्यू ही नहीं हैं। नई बहु अभी विदा होकर घर नहीं पहुंची उससे पहले ही मनमानी करने लगीं। घोर अपमान महारानी का घोर अपमान हुआ हैं आने दो उनको मेरी बात न माने की सजा मिलकर रहेगी।

सुरभि... ओ महारानी मेरी बहु को तूने सजा दिया तो देख लेना मैं किया करूंगी। तेरे दोनों कान उखेड़कर दरवाज़े पर टांग दूंगी और सभी से कहूंगी देखो देखो महारानी के कान कैसे दरवाज़े पर लटक रही हैं।

ये कह सुरभि फिर से हस दिया। लेकिन पुष्पा हसने के जगह मुंह भितकाते हुए बोली.. ouhaa आप मेरी कान उखेड़ों या मुझे दरवाजे पर टांग दो लेकिन भाभी ने लेट आने का जुर्म किया इससे लगता है भईया ने भाभी को बताया नहीं मैं हमारे घर की महारानी हूं और मेरी कहीं बात का निरादर करना मतलब घोर अपराध करना।

"मुझे आपके भईया ने बता दिया मेरी एक नटखट ननद रानी हैं जो खुद को महारानी घोषित करने पे तुली हैं और गलती करने पर सभी को सजा भी देती हैं।"

कहते हुए कमला मनोरमा के साथ अंदर आई और पुष्पा के पास जाकर कान पकड़ खड़ी हों गई। कमला को कान पकड़ते देख पुष्पा कमला के हाथ कान से हटाते हुए बोली…. आज अपकी पहली गलती थीं इसलिए अपको माफ़ कर रहीं हूं। आगे से ध्यान रखना ऐसा न हों पाए।

पुष्पा की बाते सुन सभी मुस्कुरा दिए मुस्कुराते हुए सुरभि धीरे से बोली.. नौटंकी बाज कहीं के।

खैर समय को ध्यान में रखते हुए सभी अपने अपने काम करवाने में झूट गई। पुष्पा ने ब्यूटीशियन को बता दिया भाभी को ऐसे तैयार करना उन्हे देखकर लगना चाहिएं राज परिवार की बहु है कहीं भी कोई कमी रह गई तो तुम्हारा ये पार्लर हमेशा हमेशा के लिए बंद हों जाएगा। ब्यूटीशियन को निर्देश मिल चुका था। वे सभी कमला को लेकर एक केबिन में घुस गए। उसके बाद एक एक करके सभी वह बने अलग अलग केबिन में चले गए।

ब्यूटीशियन ने न जाने अंदर घंटो तक क्या किया जब उनका काम खत्म हुआ। एक एक कर पुष्पा, सुरभि, सुकन्या और मनोरमा बहार आए उनका निखरा हुआ रूप ओर ज्यादा निकर गया था सुरभि पुष्पा के निखरे रूप को देख आंखो से काजल ले पुष्पा के कान के पीछे लगा दिया। मां के ऐसा करते ही पुष्पा भौंहे हिलाते हुए पूछी... चांद से मुखड़े पर ये काला टीका क्यों।

सुरभि के मुंह की बात छीनते हुए सुकन्या बोली…. वो इसलिए क्योंकि कला टीका चांद की खूबसूरती को और बढ़ा देती हैं।

पुष्पा... ओ ऐसा क्या

सुकन्या... दीदी अपने बहु तो बहुत ही खुबसूरत चुना हैं। रघु के साथ जोड़ी बहुत जमेगा मैं दुआ करूंगी दोनों को किसी की नज़र न लगें दोनों हमेशा हंसते खेलते रहे।

सुरभि…. तुम्हें पसन्द आया बस और किया चाहिएं। तुम्हारी दुआ रंग लाए इसे बडकर दोनों को और क्या चाहिएं।

देवरानी जेठानी कमला के चर्चा करने में मगन थे। तभी कमला बहार निकल कर आई पुष्पा की नजर पहले कमला की ओर गई देखते ही oupsss किया बाला लग रही.. एक आवाज निकला बस फिर किया था कमला सभी के आकर्षण का केंद्र बन गई। पार्लर में काम कर रही सभी लड़किया और सुरभि, सुकन्या, मनोरमा और पुष्पा कमला के खूबसूरती को एक टक निहारने लगी। कमला का रूप सौन्दर्य गौर वर्ण चांद की खूबसूरती को भी मात दे रही थीं। यकायक एक आहट के चलते सभी का तंद्रा टूटा तंद्रा टूटते ही सुकन्या चहल कदमी करते हुए कमला के पास पहुंची आंखो के किनारे से काजल लिया फिर कमला के कान के पीछे लगाते हुए बोली... बहु किसी दुपट्टे से खुद को छुपा लो नहीं तो किसी की नजर लग जाएगी।

कमला खिला सा मुस्कान देखकर नजरे झुका लिया फिर सुकन्या कमला का हाथ पकड़ ले जाते हुए बोली... दीदी जल्दी चलो यह से नहीं तो मेरी चांद से भी खूबसूरत बहु को किसी की नजर लग जाएगी।

सुकन्या का कहा सुनकर सुरभि के चहरे पर खिला सा मुस्कान आ गया। बहार जाते हुए पुष्पा बोली... मां आज तो भईया गए काम से मुझे तो लग रहा हैं आज भाभी को देख कर कही भईया की धड़कने ही न रुक जाएं।

यह ऐसे ही हंसी मजाक करते हुए सभी चल दिया पहले कमला और मनोरमा को उनके घर छोड़ा फिर अपने घर को चल दिए। इधर आशीष मां बाप भाई और भाभी के साथ पहुंच चुका था। आते ही अपनी मसूका को ढूंढने लगा, पुष्पा वहा होती तब न उसे मिलता। विचरा असहाय था किसी से पुछ भी नहीं सकता था। बस एक झलक पाने को यह से वहा ढूंढे जा रहा था। रघु की नजर आशीष पर पडा रघु आशीष के पास आया फिर बोला... आशीष किया हुआ कुछ चाहिएं था।

आशीष हकलाते हुए बोला...vooo ..vooo bhaiaaaa…

आशीष को हकलाते देख रघु समझ गया क्या पूछना चाहता हैं इसलिए मुस्कुराते हुए बोला... तुम जिसे ढूंढ रहे हो वो अभी घर पर नहीं हैं थोड़ा वेट करो कुछ देर में आ जाएगी।

ये बोल रघु आशीष को अपने साथ ले खुद की डेंटिन पेंटिंग करवाने चल दिया। बरहाल सभी तैयारी पूर्ण हों चुका था। सूरज ढलते ही कृत्रिम रोशनी ने अलग अलग कला किर्तिओ से राजेंद्र के महल को चका चौध कर दिया । कमला मां बाप के साथ पहुंच चुका था। लेकिन कमला को किसी की नजरों में आए बिना ही महल के अंदर ले जाया गया।

पुरोहित जी आ चुके थे। मूहर्त का समय भी हों चुका था। तब रमन के साथ रघु नीचे आया। Function में पहुंचे सभी लड़कियों के लिए रघु आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। रघु का निखरा हुआ गौर वर्ण आभा बिखरते हुए बता रहा था मैं राज परिवार का राजकुमार हूं। रघु को आते देख एक ओर से सुकन्या एक ओर से सुरभि दौड़ कर गई आंखो से काजल निकल रघु के दोनों कान के साइड लगा दिया। ये देख रावण मन ही मन गुस्सा हों रहा था। रावण गुस्सा होने के अलावा कुछ कर नहीं सकता था। राजेंद्र देख मन ही मन हर्षित हों रहा था वैसा ही हल मनोरमा और महेश का था आज वे रघु का एक अलग ही रूप देख रहे थे।

अपश्यु का मानो भाव कुछ और ही दर्शा रहा था वो रघु के पास गया और बोला... बडी मां दादा भाई को कुछ ओर टीका लगा दो नहीं तो यह की सभी लड़किया दादा भाई को नजर लगा देंगे।

सुकन्या मुस्कुराते हुए बोली…लगाने दे हमारी बहु को देख लेगी तो उनकी नजर अपने अपने उतर जायेगा।

इसके बाद सभी जाकर निर्धारित स्थान पर बैठ गए। कुछ क्षण बाद कमला पिंक कॉलर की बार्बी डॉल ड्रेस पहन निचे आने लगीं पिंक कॉलर थोड़ा डार्क था जो कमला पर खूब फब रही थीं। ड्रेस ने कमला की खूबसूरती को और निखर दिया। कमला के संग पुष्पा लाइट ऑरेंज रंग की साड़ी में थीं। ऑरेंज रंग पुष्पा की खूबसूरती में चार चांद लगा दिया।

दोनों को आते देख सभी की नजर उन पर टिक गया। एक aahannn की आवाज़ वह गुंजायमान हुआ। फिर सभी टकटकी लगाए कमला और पुष्पा को देखने लगे। अधिकतर लोगो की नजर कमला पर ही टिका था। आशीष वहीं खडा था न चाहते हुए भी कमला पर नजर पड़ गया फिर किया था निहारने लगा कमला की खूबसूरती को, आशीष कुछ पल तक कमला को निहारने के बाद नजरों को हटा सही जगह पुष्पा पर टिकाया। पुस्पा मुंह भितकाते हुए आशीष को थाप्पड़ दिखाया। ये देख आशीष इधर इधर नजरे फेर कान पकड़ सॉरी बोला इससे पुष्पा के चहरे पर खिला सा मुस्कान आ गया।

इधर रघु कमला के खूबसूरती को देखकर सूद बूद खो चुका था। दीन दुनिया क्या होता हैं भुल चुका था। बस कमला को ही देखे जा रहा था। कमला का हल भी ऐसा ही था। वो भी सूद बूद खोए सिर्फ रघु को ही देखे जा रहीं थीं। ये देख पुष्पा ने कमला का हाथ कस के पकड़ लिया और कमला को हिलाकर कर होश में लाया कमला होश मे आते ही शर्मा कर नजरे झुका लिया और धीरे धीरे चलकर आगे आने लगीं।

इधर रघु के पास रमन खडा था रमन ने रघु के हाथ को कस कर पकड़ लिया और झटका दे'कर रघु को होश में लाना चाह लेकिन रघु पर कोई फर्क ही नहीं पड़ा तब रघु ने एक चिकुटी काट दिया जिससे रघु uiii uiii कर हाथ झटकते हुए होश में आया फिर बोला…. किया करता हैं?

रमन... क्या कंरू तू भाभी को देखने में इतना खोया था कितना कुछ किया लेकिन तेरी तंद्रा टूट ही नहीं रहा था तब जाकर मुझे ऐसा करना पडा।

कमला आकर रघु के पास बैठ गई और पुष्पा जाकर आशीष के पास खडा हों गया फिर उसके हाथ में चिकूटी काटते हुए बोली…. मुझे देखना छोड़ तुम भाभी को देख रहे थे तुम्हें शर्म नहीं आया दूसरे के अमानत को ऐसे ताकते हुए।

आशीष कान पकड़ बोला... सॉरी अब माफ़ भी कर दो।

इधर अपश्यु कमला के खूबसूरती देखकर मन में बोला... बडा किस्मत वाला हैं श्रवन कुमार जो उसे ऐसा धांसू माल मिला हैं। मुझे ऐसा माल मिलता तो मजा आ जाता फिर खुद को गाली देते हुए बोला bc बो तेरा भाभी हैं भाभी मां सामान होती हैं और तू इनके बारे में ही ऐसा बोल रहा हैं।

मुंडी हिलाकर अपने दिमाग को सही ठिकाने पर लाया और जाकर रघु के पास खडा हों गया। कमला को देखकर गलत विचार मन में आते ही खुद को गाली देता और सर को झटक देता।

लेकिन भीड़ में दो लोग ऐसे थे। जो कमला की खूबसूरती को देख मलाल कर रहे थें इतनी खूबसूरत आइटम हाथ से निकल गया। वो थे कालू और बबलू दोनों कमला के खूबसूरती को देख कालू बोला…. यार देख कमला कितनी कांटाप माल लग रही हैं मन कर रहा हैं अभी जाकर उसे मसल दूं।

बबलू.. यार मन तो मेरा भी कर रहा हैं लेकिन क्या करु मजबूरी है देखने के अलावा कुछ कर नहीं सकते।

कालू... यार कुछ तो करना पड़ेगा नहीं तो ऐसा कांटप माल हमारे हाथ से निकल जायेगा बिना इसको चखे कैसे जानें दे सकते हैं।

बबलू.. देख कालू आज कुछ भी मात करना कितने लोग है सभी ने एक एक लात भी मरा तो हम मरघट में पहुंच जाएंगे।

कालू... चुप वे फट्टू इस फूल का रस चखने के बाद मर भी गए तो कोई हर्ज ही नहीं काम से काम तसल्ली तो रहेगा इस कांटप माल को चख पाया।

बबलू की नज़र कमला से हट पुष्पा पर गया उसे देख बोला... अबे कालू बो देख एक और कांटप माल इसको भी मसलने में बडा मजा आयेगा।

कालू... यार माल तो बडा मस्त हैं कमला न सही इसके साथ थोड़ा बहुत मजे कर लेंगे।

बबलू... यार उसके साथ वो लडका कौन हैं बडा चिपक रहा हैं साला हैं बडा किस्मत वाला।

कालू... यार सभी किस्मत वाले हैं बस हम दो ही बदकिस्मत वाले हैं चल न कुछ जुगाड करके किस्मत को बुलंदी पर पहुंचते हैं।

दोनों अपने अपने रोटियां सेंकने लग गए दोनों की नजर कमला से हट पुष्पा पर टिक गया। अब दोनों ताक में लग गए कब उन्हे पुष्पा अकेले मिले फिर मुनसूबे को अंजाम दे। इधर कोई और भी है जो बहर से अंदर की सभी गति विधि पर नजर बनाए हुए थे वो था संकट और उसका दल वो प्रतिक्षा में थे कब अपश्यु बहर निकले और उसे धर दबोचे लेकिन अपश्यु हैं की बाहर ही नहीं आ रहा था।

बरहाल मूहर्त का समय हों गया था। इसलिए पूरोहित जी के कहने पर रघु और कमला को स्टेज पर ले जाया गया। दोनों को एक साथ जाते देख कईयों के ahaaa निकल गया। कई तारीफो के कसीदे पढ़ने लगा।

दोनों के हाथ में अंगूठी दिया गया। पूरोहीत के कहने पर पहले कमला ने रघु के अनामिका उंगली (ring finger) में हीरा जड़ित अंगूठी पहना दिया। पहनाते ही पुरोहित जी कुछ मंत्र पड़ने लगे और माहौल hip hip hooray की हूटिंग और तालिया की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

रघु की बारी आया तब रमन ने रघु के कान में कुछ कहा रघु हां में सर हिला दिया फिर रघु थोड़ा आगे बडा और घुटनों पर बैठ गया ये देख कमला मुस्किरा दिया सिर्फ कमला ही नही स्टेज पर मौजूद सभी मुस्कुरा दिया। रघु को घुटने पर देख कमला भी घुटनों पर बैठ गई और हाथ आगे कर दिया रघु ने सावधानी से कमला के अनामिका ऊंगली (Ring Finger) में अंगूठी पहना दिया एक बार फिर पूरोहित ने मंत्र उच्चारण किया और माहौल hip hip hooray की हूटिंग और तालिओ की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

फिर शुरू हुआ फ़ोटो सेशन का दौर एक एक कर आते गए और फोटो खिंचवाते गए। यह फ़ोटो सेशन चल रहा था उधर सभी मेहमान भोजन करने में जुट गए। फ़ोटो सेशन के बाद सभी डीजे की और रुख किया। पहले रघु और कमला को डीजे पर चढ़ाया गया। उनके चढ़ते ही एक बार फिर हूटिंग और तालियो से गूंज उठा। दोनों को शर्म आने लगा साइड से सभी के बड़वा देने पर डीजे के धुन पर जो कमर हिलाया सभी मंत्र मुग्द हों गए। One's more one's more करते करते दोनों को एक के बाद एक कई गानों पर नचाया गया।

दोनों नाच रहे थें और कालू और बबलू मौका देख पुष्पा के पास पहुंच गया। और बहाने से पुष्पा को यह वहा छूने लगे। पुष्पा को गुस्सा आ रहा था लेकिन गुस्से को काबू में रख वह से हट गया। इन दोनों की करतूत अपश्यु ने देख लिया। अपश्यु पुष्पा के पास गया उसे पुछा... पुष्पा इन लड़कों ने तुम्हें जनबूझ कर छेड़ा एक बार बताओं मै अभी इनकी हड्डी पसली तोड़ दुंगा।

पुष्पा तो समझ गया था कालू और बबलू ने जो भी किया जन बुझ कर किया फिर भी छुपाते हुए बोला... नहीं भईया उन्होंने जान बुझ कर कुछ नहीं किया।

पुष्पा की बात अपश्यु को हजम नहीं हुआ वो थोड़ा दूर जाकर खडा हों गया और कालू और बबलू पर नजर रखने लगा।

रघु और कमला थक गए थे इसलिए डीजे पर से नीचे उतर आए। फिर डीजे पर बाकी बचे लोग भी चढ़ गए। डीजे पर ग्रुप में सभी नाच रहे थें। तो भीड़ में कालू और बबलू भी चढ़ गए। दोनों पर कमला की नजर पड़ गया तब कमला ने रघु का हाथ कस के पकड़ लिया। रघु के कमला की ओर देखते ही कमला ने रघु को एक ओर इशारा कर कालू और बबलू को दिखाया दोनों को देखते ही रघु का पारा चढ़ गया। लेकिन किसी तरह खुद को शान्त रखा। कालू और बबलू ताक में थे उन्हें कब मौका मिले और पुष्पा के पास पहुंच पाए।

नाचते नाचते उन्हें मौका मिला मौका मिलते ही दोनों अपने करस्तनी करने से बाज नहीं आए। इस बार दोनों हद से आगे बड़ गए और पुष्पा को गलत ढंग से चुने लगा। अपश्यु का नजर इन पर बना हुआ था। देखते ही अपश्यु अपश्यु डीजे फ्लोर पर चढ़ गया। दुसरी और रघु भी दोनों को देख रहा था तो दोनों की करस्तानी रघु को भी दिख गया। फिर किया था दोनों भाई ने एक एक का गिरेबान पकड़ा और खींचते हुए फ्लोर से नीचे ले गया।

दोनों ने अव देखा न ताव शुरू कर दिया धुलाई लीला बस ahaaa maaaa uhhhh maaa की आवाज माहौल को दहलाने लगा। अचानक मर पीट शुरू होते देख सभी अचंभित हो गया। कमला पुष्पा के पास गई और उसका हाथ पकड़ खड़ी हों गई। रघु मरते हुए बोला…. आज तुम दोनों ने अपनी जिन्दगी की सबसे बडी भुल कर दी। तुम दोनों की हिम्मत कैसे हुआ मेरे बहन को छेड़ने की इससे पहले भी तुमने मेरी कमला के साथ भी ऐसा ही किया था तब मुझे कमला को रोकना ही नही चाहिएं था उस दिन न रोकता तो आज ये नौबत ही नहीं आता।

पुष्पा को छेड़ने की बात सुन आशीष और रमन भी धुलाई लीला में सामिल हों गए। कालू और बबलू को धुलाई करते करते अपश्यु रुक गया और मन ही मन सोचने लगा... आज मेरे बहन के साथ इन दोनों ने छेड़छाड़ किया तो मुझे इतना बुरा लगा और मैं इन्हें पीटने लग गया मैं भी तो दूसरे के बहन के साथ इससे भी बुरा बरताव करता हूं उनके आबरू को लूटता हूं। मैं कितना बेगैरत हूं मेरे लिए मेरा बहन बहन हैं और दूसरे की बहन बेटी खिलौना नही नहीं इन दोनो को मारने का मुझे कोई हक नहीं हैं। माफ करना पुष्पा तेरा ये भाई अच्छा भाई नहीं हैं।आज इन दोनो ने मुझे आभास करा दिया मैं कितना गलत था।

ये सोच अपश्यु परे हट गया। कालू और बबलू दोनों वे सुध हों गए फिर भी कोई रूकने का नाम ही नहीं ले रहा था। सुरभि, राजेंद्र, रावण, सुकन्या, आशीष के मां बाप भाई तीनों को रोक रहे थें। तीनों रोके से भी नहीं रुक रहे थें। अंतः सुरभि ने खींच के एक चाटा रघु को मरा चाटा पड़ते ही रघु रुका फिर बोला... मां आप मुझे चाटा मारो या कुछ भी करो मैं इन दोनो को नहीं छोड़ने वाला इन दोनों के कारण ही मुझे आपकी और पुष्पा की नाराजगी झेलना पडा इन्ही दोनों को उस दिन कमला पीट रहीं थी आज इन दोनों की इतनी हिम्मत बड़ गया की इसने मेरी बहन के साथ भी वैसा ही हरकत करने लगा।

कह कर रघु फ़िर से पीटने लगा। इस बार कमला आगे आई और रघु को रोकते हुए बोला... आप रुक जाइए नहीं तो ये दोनों मर जाएंगे। आप मेरा कहना मन लीजिए ये दोनों मर गए तो आप को जेल हों जाएगा फिर मेरा किया होगा।

कमला के कहते ही रघु दो चार लात ओर मर परे हट गया। उसके बाद दोनों को जल्दी से हॉस्पिटल भेजा गया और पुलिस को सूचना दिया गया। पुलिस के आने पर उन्हें कालू और बबलू की करस्तानी बता दिया गया और ये भी बता दिया गया उन्हें कौन से हॉस्पिटल भेजा गया। पुलिस को यह भी बता दिया गया इससे पहले भी दोनों ने कमला के साथ भी छेड़खानी किया था। पुलिस ने कमला से कुछ पूछता किया। फिर कालू और बबलू के मां बाप को बुलाया गया। जो खाने के पंडाल में जी भार के खा रहें थे। उनके आने के बाद सुरभि... कैसे कुलंगर बेटे को जन्म दिया जिसके लिए लङकी सिर्फ और सिर्फ खेलने की चीज हैं ओर कुछ नहीं।

सुकन्या... आज आपके बेटे ने मेरी बेटी के साथ बदसलूकी किया बीते दिनों इन दोनों ने मेरी बहु के साथ बदसलूकी किया क्या अपने अपने बेटे को ये सब करना सिखाया।

मनोरमा…तुम दोनों मेरे सबसे अच्छे सहेलियां में से हों मैंने तुम्हें इससे पहले भी कई बार तुम दोनों को बताया था। तुम क्या कहती थी मेरी बेटी ही लटके झटके देकर तुम्हरे बेटो को लुभाती हैं। आज किसने लटके झटके दिए जो तुम दोनों के बेटों ने ऐसी गिरी हुई हरकत किया छी तुम जैसे मां ही अपने बेटों को बड़वा देता हैं।

मनोरमा का कहना खत्म ही हुआ था की चटक चटक चटक की ध्वनि वादी में गूंज उठा। चाटा मारने वाली सुकन्या और सुरभि थी दोनों कालू और बबलू के मां के गाल को लाल कर दिया। विचारी दोनों इतना अपमान सह नहीं पाई इसलिए घुटनों पर बैठ माफ़ी मांगने लगें। ये वृतांत देख अपश्यु मन में बोला... एक बेटे की घिनौनी हरकत से मां बाप को कितना जलील होना पड़ता हैं आज समझ आया। मैंने भी तो इससे भी घिनौनी हरकत किया है जब मेरे मां बाप को पता चलेगा तब उन्हें कितना जिल्लत महसूस होगा। मां मुझे माफ करना अपका बेटा भी बहुत बडा कुलंगार हैं जिसने न जानें कितने दाग आपके दमन पर लगा दिया।

अपश्यु खुद को कोस रहा था और उधर कालू और बबलू की मां ज़मीन पर नाक रगड़ते हुए माफ़ी मांगे जा रही थीं। राजेंद्र के कहने पर पुलिस वाले उन्हें लेकर चलें गए। पुलिस के जाते ही कुछ वक्त तक सभी बैठे चर्चा करते रहे फिर खाना पीना खाकर मनोरमा, महेश और कमला विदा लेकर चले गए। आशीष भी मां बाप भाई के साथ विदा लेकर चले गए। रघु और कमला के सगाई का रस्म शूरू तो अच्छे से हुआ था लेकिन अंत एक दुखद घटना से हुआ। आने वाले दिन मेंहदी का रस्म था। रात भी ज्यादा हों गया था। इसलिए सब विश्राम करने चले गए। महल में सभी सो गए लेकिन अपश्यु को आज की घटना ने एक सबक सीखा दिया। उसे अपने किए एक एक पाप याद आने लगा याद करते हुए खुद को ही कोसने लगा। अपश्यु के किए पापा घटनाओं ने उसके नींद को हराम कर दिया। अपश्यु देर रात तक विचार मगन रहा अंतः एक फैसला कर अपश्यु भोर के समय नींद की वादी में खो गया।

आज के लिया इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद


🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Nice and beautiful update...
 
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