बहुत ही बेहतरीन महोदय।।
हर जगह रिश्तों में भेड़ मारने वाले होते हैं, जो किसी का रिश्ता अच्छे घर मे बनता है नहीं देख सकते हैं, रावण ने भी ऐसा ही किया। वो तो खैर अपने भाई की दौलत हड़पना चाहता है जिसके कारण वो ऐसा कर रहा है। अगर किसी के सामने एक ही बात बार बार दोहराई जाए तो कभी न कभी उस व्यक्ति को उस बात पर भरोषा हो ही जाता है कि हो या न हो अगर एक ही बात की व्यक्ति कह रहे हैं तो वो बात सही ही है। महेश को भी रावण के आदमियों ने कई दिन रघु के बारे में गलत बात ही बताई, जिसको महेश ने सही मान लिया।
वैसे इसमें महेश बाबू को भी गलत नहीं ठहराया जा सकता है, क्योंकि वो भी राजेन्द्र जी के बारे में व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते हैं और न ही उन्होंने किसी के माध्यम से उनके बारे में जानने की कोशिश की। उनके लिए यही काफी था कि रिश्ता राज परिवार से आया है और प्रथम दृष्टया उन्हें रघु में कोई बुराई भी नजर नहीं आई, लेकिन जब एक ही बात बार बार उनको बताई गई तो उन्होंने भी उसे सही मां लिया। राजेन्द्र जी और सुरभि जी ने उन्हें समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन उन्होंने बात नहीं मानी उनकी। ये भी स्वाभाविक ही है, क्योंकि हर व्यक्ति जनता है कि कोई भी माँ बाप अपने बेटे की बुराई कभी नहीं करेंगे, खासकर तब जब बात रिश्ते की हो रही है। यहां तो रावण ने बाजी मार ली है।।