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Congratulations brother for new story. Aapki last story padhi thi maine par tab account nahi tha so comment nahi kar paya. Par definitely bahut hi umda likhte hain aap. Asha hai ki yeh kahani bhi behatreen hogi.
Waiting for Update...
Koi baat nhi bhai. Hojaati hai galtiyan. Aap story ko phir se ekdum starting se likhenge toh hosakta hai jo galtiyan usme hui thi woh bhi thik hojaaye aur kuch naya bhi dekhne ko milee.
Umeed hai nayr updates jaldi hi milenge.
Btw for new threadd
For starting new story thread..
for New thread, wish you luck.
on new start, all the best buddy
All the best
Congratulations brother for new story. Aapki last story padhi thi maine par tab account nahi tha so comment nahi kar paya. Par definitely bahut hi umda likhte hain aap. Asha hai ki yeh kahani bhi behatreen hogi.
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अजनबी हमसफ़र -रिश्तों का गठबंधन
कुछ विशेष बाते और पत्रों का परिचय:-
कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं। जिसका किसी भी जीवित या मृत्य व्यक्ति से कोई संबंध नहीं हैं। जगह का नाम वास्तविक हैं लेकिन वह की किसी भीं वास्तविक घटना का कहानी से कोई संबंध नहीं हैं। अगर किसी भी घटना से कोई समनता होता हैं तो यह एक सहयोग होगा।
कहानी की शुरुवात कलकत्ता के एक राज परिवार से होता है। जो बहुत समय पहले दार्जलिंग के हसीन वादियों और शांत वातावरण से मोहित होकर अपना डेरा दार्जलिंग में जमा लिया। जिनका शासन पश्चिम बंगाल एवम उसके आस पास के राज्यों में हुआ करता था। समय के साथ साथ परिवर्तन आया और इनके अधिपत्य राज्यों की सीमाएं छोटी होती गई। इनके राज्यों की सीमाएं तब ओर कम हों गया जब ब्रिटिश साम्राज्य ने अपना पैर पसारना शुरू किया। ब्रिटिश साम्राज्य ने अनैतिक तरीकों से देश के दूसरे राजाओं का जो हल किया वह हल इस राज परिवार का भी हुआ। इनसे इनका सारा राज पाट छीन लिया गया और इन्हें सिर्फ इनके हिस्से की जमीनों का जमींदार बाना दिया गया। धीरे धीरे समय बिता गया और इनसे इनकी जमीनें छीनता गया। अंत में इनके पास कुछ पांच छः सो एकड़ जमीनें बच्ची जो दार्जलिंग और उसके आस पास के शहरों में था। इसलिए पुरा राज परिवार कलकत्ता छोड़कर दार्जलिंग में बस गए। देश आजाद होने के बाद जनता द्वारा चयनित राजनयिक पार्टियां देश पर शासन करने लगे लेकिन दार्जलिंग की जनता अपने समस्याओं को लेकर राज परिवार के पास आने लगे। पीढ़ी दर पीढ़ी राज परिवार जनता की हितैषी रहे। वैसे ही एक पीढ़ी 80 के दसक में दार्जलिंग की जनताओ के सुख दुख का ध्यान रख रहे हैं। लेकिन कहते हैं न अच्छे लोगों के साथ ही ज्यादातर बुरा होता हैं वैसे ही इनके साथ हुआ हैं। आगे की कहानी में विस्तार से जानेंगे अब इस कहानी में आने वाले कुछ मूल पत्रों का परिचय जान लेते हैं।
1 राजेंद्र प्रताप राना:- लोग इन्हें रानाजी या राजा जी के नाम से संबोधित करते हैं। बहुत ही सुलझे हुए और व्यक्तिव के बहुत धनी हैं। हर काम को सुनियोजित और सोच समझकर करते हैं। लेकिन इनकी एक गलती की सजा इनके परिवार पर आफत की बदल लेकर आएगा।
2 सुरभि राना:- ये हैं राजेंद्र जी की धर्मपत्नी या कहूं अर्धांगिनी जैसा इनका नाम वैसा ही इनका गुण घर में इनका ही राज चलता हैं । परिवार के सदस्य हों या घर में काम करने वाले नौकर चाकर सब से प्रेम भाव का व्यव्हार करते हैं।
3 रघु वीर राना:- ये हैं राजेंद्र और सुरभि का एक मात्र चस्मो चिराग इनकी अभी तक शादी नहीं हुआ हैं। इनकी शादी के लिए लड़की की खोज जारी हैं। राजेंद्र जी और सुरभि जी के अच्छे संस्कारों के चलते इनके अदंर कोई दुर्गूर्ण नहीं हैं। अपनी पढ़ाई समाप्त कर चुके हैं और अपने पिता के कामों में हाथ बाटाते हैं साथ ही गरीब और अनाथ बच्चों को पढ़ाते हैं।
4 पुष्पा राना:- ये हैं राजेंद्र और सुरभि जी की एक मात्र सुपुत्री सब की लाडली हैं और स्वभाव से नटखट हैं। ये अपने कॉलेज के अंतिम वर्ष में हैं। जो इस वक्त कलकत्ता में रह कर पढ़ाई कर रहे हैं
5 रावण राना:- ये हैं राजेंद्र जी का छोटा भाई जैसा नाम वैसा ही गुण इनके मन में हमेशा छल चातुरी चलता रहता हैं। अपने बड़े भाई से बैर रखता हैं और सारी संपत्ति को अकेले कैसे हड़प ले इसी ताक में लगे रहते हैं।
6 सुकन्या राना:- ये हैं रावण की बीवी अत्यधिक सुंदर हैं जिस करण घमंड कूट कूट कर भरी हुई हैं इनकी अपने जेठानी से बिल्कुल नहीं बनती हैं। घर की पूरी भाग दौड़ जो सुरभि के हाथ में हैं इसे छिनने के ताक में लगे रहते हैं।
7 राम स्वरूप राना:- ये हैं रावण और सुकन्या जी का एक मात्र जलता हुआ चिराग। इनके नाम का इनके गुणों से दुर दुर तक कोई सरोकार नहीं हैं। कहते हैं मां बाप का गुण इनके बच्चों को उपहार में मिलता हैं। वैसे ही इनके अदंर अपने मां बाप के सारे दुर्गुणों का भंडार पर्याप्त मात्रा में हैं। बस इनके अदंर एक सदगूर्ण यह हैं ये अपने चचेरी बहन पुष्पा से बहुत अधिक स्नेह करते हैं।
8 महेश बनर्जी:- ये एक कम्पनी में ऊंचे पद पर काम करते हैं। स्वभाव से बहुत परोपकारी हैं। कभी कभी इनका यह गूण इन्हे ही परेशानी में ढाल देते हैं। इनके पूर्वज भी जमींदार हुआ करते थे लेकिन अंग्रेजी और विद्रोहीओ ने इनकी सारी जमींदारी छीन लिया हैं। इनकी किस्मत अच्छी थी जो ये जिंदा बच गए हैं।
9 मनोरमा बनर्जी:- इनका स्वभाव बहुत गुस्सैल हैं और इनका स्वभाव थोडा चिड़चिड़ा हों गया हैं जब से इनके बेटे पांच साल के उम्र में किसी बीमारी के चलते मारे गए हैं।
10 कमला बनर्जी:- ये भी अपने मां की तरह गुस्सैल हैं और गुस्सा आने पर घर का सारा सामना तोड़ देते हैं। जिसका हर्जाना महेश बनर्जी जी को भरना पड़ता हैं। बाकी इनकी खूबसूरती बे मिसाल हैं और बुद्धि और समझदारी भरपूर मात्रा में हैं। इस वक्त अपने कॉलेज की पढ़ाई में व्यस्त हैं। ये लडको को कूटने के मामले में बिल्कुल भी परहेज नहीं करते किसी लड़के ने इनके साथ बदसलूकी किया तो उसे अपने चप्पल से मर मर के अपनी चप्पल तो थोड़ ही लेते है साथ ही लड़के की तोबड़े का नक्शा ही बिगड़ देते हैं।
ये तो हैं कुछ मूल किरदारों का परिचय बाकी जैसे जैसे कहानी आगे बड़ता जाएगा वैसे वैसे ओर भी किरदार जुड़ते जायेंगे। अब कुछ पाठक पूछेंगे इसमें तो हीरो का कोई परिचय ही नहीं हैं तो महाशय अभी हीरो के मां बाप एक नहीं हुऐ हैं मतलब अभी हीरो के मां बाप कुवारे हैं तो हीरो का परिचय कैसे दे दू। आज के लिए बस इतना ही जल्दी ही पहला अपडेट पेश करूंगा।
Hahaha Ravan naam se hi villain lag raha hai. Iske papa ko aur koyi naam nahi mila.5 रावण राना:- ये हैं राजेंद्र जी का छोटा भाई जैसा नाम वैसा ही गुण इनके मन में हमेशा छल चातुरी चलता रहता हैं। अपने बड़े भाई से बैर रखता हैं और सारी संपत्ति को अकेले कैसे हड़प ले इसी ताक में लगे रहते हैं।
To Introduction se ye to pata chal gaya ki ye kaafi bhaari party hai. Raja Maharaja & all.Darjeeling aur Kolkata se connection hai inka isiliye pichhli kahani mein Deep ko wahan jaane se mana kiya gaya tha. Waise ek baat to hai ki Deep ko koyi kuchh batata hi nahi. Matlab Nidhi uss se chhoti hai for bhi usse sachayi bata di aur Deep ko nahi batayi.
Hahaha Ravan naam se hi villain lag raha hai. Iske papa ko aur koyi naam nahi mila.
Anyways nice intro, waiting for next...
nice intro ...
ranaji ka bhai ravan aur uski biwi sukanya bahut ghatiya kism ke log hai aur unka beta bhi waisa hi hai ..
aur wahi ranaji ,uski patni aur beta raghuveer achche sanskaro se bhare hai ..
dekhte hai aisi kya galti ki ranaji ne jiske chalte pariwar ko musibat ka saamna karna pada .
अजनबी हमसफ़र -रिश्तों का गठबंधन
कुछ विशेष बाते और पत्रों का परिचय:-
कहानी के सभी पात्र और घटनाएं काल्पनिक हैं। जिसका किसी भी जीवित या मृत्य व्यक्ति से कोई संबंध नहीं हैं। जगह का नाम वास्तविक हैं लेकिन वह की किसी भीं वास्तविक घटना का कहानी से कोई संबंध नहीं हैं। अगर किसी भी घटना से कोई समनता होता हैं तो यह एक सहयोग होगा।
कहानी की शुरुवात कलकत्ता के एक राज परिवार से होता है। जो बहुत समय पहले दार्जलिंग के हसीन वादियों और शांत वातावरण से मोहित होकर अपना डेरा दार्जलिंग में जमा लिया। जिनका शासन पश्चिम बंगाल एवम उसके आस पास के राज्यों में हुआ करता था। समय के साथ साथ परिवर्तन आया और इनके अधिपत्य राज्यों की सीमाएं छोटी होती गई। इनके राज्यों की सीमाएं तब ओर कम हों गया जब ब्रिटिश साम्राज्य ने अपना पैर पसारना शुरू किया। ब्रिटिश साम्राज्य ने अनैतिक तरीकों से देश के दूसरे राजाओं का जो हल किया वह हल इस राज परिवार का भी हुआ। इनसे इनका सारा राज पाट छीन लिया गया और इन्हें सिर्फ इनके हिस्से की जमीनों का जमींदार बाना दिया गया। धीरे धीरे समय बिता गया और इनसे इनकी जमीनें छीनता गया। अंत में इनके पास कुछ पांच छः सो एकड़ जमीनें बच्ची जो दार्जलिंग और उसके आस पास के शहरों में था। इसलिए पुरा राज परिवार कलकत्ता छोड़कर दार्जलिंग में बस गए। देश आजाद होने के बाद जनता द्वारा चयनित राजनयिक पार्टियां देश पर शासन करने लगे लेकिन दार्जलिंग की जनता अपने समस्याओं को लेकर राज परिवार के पास आने लगे। पीढ़ी दर पीढ़ी राज परिवार जनता की हितैषी रहे। वैसे ही एक पीढ़ी 80 के दसक में दार्जलिंग की जनताओ के सुख दुख का ध्यान रख रहे हैं। लेकिन कहते हैं न अच्छे लोगों के साथ ही ज्यादातर बुरा होता हैं वैसे ही इनके साथ हुआ हैं। आगे की कहानी में विस्तार से जानेंगे अब इस कहानी में आने वाले कुछ मूल पत्रों का परिचय जान लेते हैं।
1 राजेंद्र प्रताप राना:- लोग इन्हें रानाजी या राजा जी के नाम से संबोधित करते हैं। बहुत ही सुलझे हुए और व्यक्तिव के बहुत धनी हैं। हर काम को सुनियोजित और सोच समझकर करते हैं। लेकिन इनकी एक गलती की सजा इनके परिवार पर आफत की बदल लेकर आएगा।
2 सुरभि राना:- ये हैं राजेंद्र जी की धर्मपत्नी या कहूं अर्धांगिनी जैसा इनका नाम वैसा ही इनका गुण घर में इनका ही राज चलता हैं । परिवार के सदस्य हों या घर में काम करने वाले नौकर चाकर सब से प्रेम भाव का व्यव्हार करते हैं।
3 रघु वीर राना:- ये हैं राजेंद्र और सुरभि का एक मात्र चस्मो चिराग इनकी अभी तक शादी नहीं हुआ हैं। इनकी शादी के लिए लड़की की खोज जारी हैं। राजेंद्र जी और सुरभि जी के अच्छे संस्कारों के चलते इनके अदंर कोई दुर्गूर्ण नहीं हैं। अपनी पढ़ाई समाप्त कर चुके हैं और अपने पिता के कामों में हाथ बाटाते हैं साथ ही गरीब और अनाथ बच्चों को पढ़ाते हैं।
4 पुष्पा राना:- ये हैं राजेंद्र और सुरभि जी की एक मात्र सुपुत्री सब की लाडली हैं और स्वभाव से नटखट हैं। ये अपने कॉलेज के अंतिम वर्ष में हैं। जो इस वक्त कलकत्ता में रह कर पढ़ाई कर रहे हैं
5 रावण राना:- ये हैं राजेंद्र जी का छोटा भाई जैसा नाम वैसा ही गुण इनके मन में हमेशा छल चातुरी चलता रहता हैं। अपने बड़े भाई से बैर रखता हैं और सारी संपत्ति को अकेले कैसे हड़प ले इसी ताक में लगे रहते हैं।
6 सुकन्या राना:- ये हैं रावण की बीवी अत्यधिक सुंदर हैं जिस करण घमंड कूट कूट कर भरी हुई हैं इनकी अपने जेठानी से बिल्कुल नहीं बनती हैं। घर की पूरी भाग दौड़ जो सुरभि के हाथ में हैं इसे छिनने के ताक में लगे रहते हैं।
7 राम स्वरूप राना:- ये हैं रावण और सुकन्या जी का एक मात्र जलता हुआ चिराग। इनके नाम का इनके गुणों से दुर दुर तक कोई सरोकार नहीं हैं। कहते हैं मां बाप का गुण इनके बच्चों को उपहार में मिलता हैं। वैसे ही इनके अदंर अपने मां बाप के सारे दुर्गुणों का भंडार पर्याप्त मात्रा में हैं। बस इनके अदंर एक सदगूर्ण यह हैं ये अपने चचेरी बहन पुष्पा से बहुत अधिक स्नेह करते हैं।
8 महेश बनर्जी:- ये एक कम्पनी में ऊंचे पद पर काम करते हैं। स्वभाव से बहुत परोपकारी हैं। कभी कभी इनका यह गूण इन्हे ही परेशानी में ढाल देते हैं। इनके पूर्वज भी जमींदार हुआ करते थे लेकिन अंग्रेजी और विद्रोहीओ ने इनकी सारी जमींदारी छीन लिया हैं। इनकी किस्मत अच्छी थी जो ये जिंदा बच गए हैं।
9 मनोरमा बनर्जी:- इनका स्वभाव बहुत गुस्सैल हैं और इनका स्वभाव थोडा चिड़चिड़ा हों गया हैं जब से इनके बेटे पांच साल के उम्र में किसी बीमारी के चलते मारे गए हैं।
10 कमला बनर्जी:- ये भी अपने मां की तरह गुस्सैल हैं और गुस्सा आने पर घर का सारा सामना तोड़ देते हैं। जिसका हर्जाना महेश बनर्जी जी को भरना पड़ता हैं। बाकी इनकी खूबसूरती बे मिसाल हैं और बुद्धि और समझदारी भरपूर मात्रा में हैं। इस वक्त अपने कॉलेज की पढ़ाई में व्यस्त हैं। ये लडको को कूटने के मामले में बिल्कुल भी परहेज नहीं करते किसी लड़के ने इनके साथ बदसलूकी किया तो उसे अपने चप्पल से मर मर के अपनी चप्पल तो थोड़ ही लेते है साथ ही लड़के की तोबड़े का नक्शा ही बिगड़ देते हैं।
ये तो हैं कुछ मूल किरदारों का परिचय बाकी जैसे जैसे कहानी आगे बड़ता जाएगा वैसे वैसे ओर भी किरदार जुड़ते जायेंगे। अब कुछ पाठक पूछेंगे इसमें तो हीरो का कोई परिचय ही नहीं हैं तो महाशय अभी हीरो के मां बाप एक नहीं हुऐ हैं मतलब अभी हीरो के मां बाप कुवारे हैं तो हीरो का परिचय कैसे दे दू। आज के लिए बस इतना ही जल्दी ही पहला अपडेट पेश करूंगा।