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Romance ajanabi hamasafar -rishton ka gathabandhan

Destiny

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अगले अपडेट की प्रतीक्षा में मान्यवर कहा हो आप

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अपडेट काल तक दे दुंगा दोस्तों समय की कामी के चलते लिख ही नहीं प रहा हूं।
 

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Update - 13


शाम को ऑफिस से घर आने पर मनोरमा एक गिलास पानी महेश को ला'कर दिया। पानी पी'कर महेश बोला…कमला कहा हैं दिख नहीं रहीं।

मनोरमा…एक पल कमला को देखे बिना चैन नहीं मिलता फिर पुरा दिन आप ऑफिस में कैसे काट लेते हों।

महेश…कैसे बताऊं मेरा दिन कैसे कटता हैं? ये समझ लो बस घड़ी देखता रहता हूं कब छुट्टी का समय हों ओर घर आ'कर अपने लाडली से मिलूं।

बेटी की विदाई की बात सोचकर ही मनोरमा की आंखे नाम हों गई ओर गला भर आया, भर्राई आवाज में मनोरमा बोली...कमला दिन रात हमारे सामने रहती हैं। तो अपका ये हल हैं जब कमला शादी करके दुसरे के घर चली जाएगी। तब आप क्या करेंगे?

बेटी की विदाई की बात सुनकर ही महेश की धडकने बढ़ गया ओर आंखो से दो बूंद नीर के टपक ही गया जिसे चाहकर भी महेश रोक नहीं पाया। आंखो से बहते नीर को पोछकर महेश बोला…कैसे रह पाऊंगा नहीं जानता, मन तो करता हैं कमला को खुद से कभी दूर जानें ही न दूं पर चाहकर भी उसे अपने पास नहीं रख सकता। मनोरमा मैं तो जैसे तैसे रह लूंगा। उसकी विदाई की बात सोचकर ही तुम्हारा गला भर आया। तुम क्या करोगी, कैसे रह पाओगी?

महेश की बात सुनकर मनोरमा रो दिया बस आवाज़ नहीं निकल रहा था पर आंखो से नीर बहे जा रहा था। महेश से मनोरमा लिपट गई फ़िर भरराई आवाज़ में बोली…उसके जानें से मेरा आंगन हमेशा हमेशा के लिए सुना हों जायेगा। एक बेटी के अलावा हमारा कोई ओर हैं भी तो नहीं, हम उसके बिना कैसे रह पाएंगे?

मनोरमा को ऐसे अधीर होते हुए देखकर महेश पहले खुद को संभाला फिर बोला...कमला अभी हमारे पास ही हैं। विदा नहीं हुई हैं। संभालो खुद को अभी ये हल हैं। जब विदा हो'कर जायेगी। तब क्या करोगी?

मनोरमा…उस दिन तो मेरा कलेजा ही फट जायेगा। जब से कमला की रिश्ते की बात करने वो लोग आए। तब से पूरा दिन कैसे काटा मैं ही जानती हू।

कमला की रिश्ते की बात सुनकर महेश अचंभित हों गया फिर मनोरमा को ख़ुद से अलग कर बोला…किसी से कमला की शादी की बात नहीं कहा फ़िर कौन रिश्ते की बात करने आए?

मनोरमा….राज परिवार से राजा जी और उनकी पत्नी आए थे। बड़े विनम्र भाव से मुझ'से कमला का हाथ मांग रहे थे।

महेश…इतने संपन्न परिवार से हो'कर भी हमारी बेटी का हाथ मांगने आए ये उनकी विनम्रता ही हैं। तुमने क्या कहा?

मनोरमा…बिना आपसे पूछे,मैं अकेले कैसे फैसला ले सकता हूं? उनसे कहा मैं अकेले कोई फैसला नहीं ले सकता हूं। तब उन्होंने कहा हम कल फिर आयेंगे आप अपने पति को कह देना वो भी घर पर रुक जाए ।

महेश…ये तुमने सही किया। उनके बेटे को देखा कैसा दिखता हैं। क्या कमला और उनके बेटे की जोड़ी जांचेगा?

मनोरमा…जी नहीं! वो दोनों ही आए थे। कह रहे थे कल उनके बेटे को भी साथ ले'कर आएंगे। हमे लड़का पसंद आया तो ही बात आगे बढ़ाएंगे।

महेश…हमारा पसंद न पसंद कोई मायने नहीं रखता। कमला को लड़का पसंद आया तो ही हम बात आगे बढ़ाएंगे।

मनोरमा…उनका भी यही कहना था।

महेश…ये तो अच्छी बात हैं इससे पता चलता हैं उनकी सोच कैसा हैं। मनोरमा मैं तो कहता हूं इससे अच्छा रिश्ता हमे कमला के लिए नहीं मिल सकता बस कमला हां कह दे।

मनोरमा…हां उनकी सोच बहुत अच्छी हैं और स्वभाव भी बहुत मिलनसार हैं। सुबह जब वो आए थे तब मैं उनके लिए चाय बनाने गई तो राजाजी की पत्नी मेरे साथ साथ किचन में चली गई। मना करने के बाद भी चाय बनाने में मेरी मदद करने लग गई।

महेश चकित हो'कर बोला…इतने बड़े घर की हो'कर भी चाय बनाने में तुम्हारी मदद करने गई ओर तुमने उन्हें करने दिया तुम्हें उन्हें रोकना चाहिएं था।

मनोरमा…मैं तो मना कर रहीं थी लेकिन उन्होंने सुना ही नहीं तब जा'कर मजबूरी में मुझे उनकी बात मानना पड़ा।

महेश…तुम'ने कमला से इस बारे में कोई बात किया ।

मनोरमा…जी नहीं।

महेश…ठीक हैं तुम जाओ खाने की तैयारी करों मैं कमला से मिलकर आता हूं। खाना खाने के बाद कमला से बात करेंगे।

मनोरमा खाने की तैयारी करने चली गई ओर महेश कमला से मिलने चल दिया। पापा को आया देख कमला बोली...पापा आप आ गए। आप'का आज का दिन कैसा रहा।

महेश…मेरा दिन तो जैसे तैसे काट गया। तुम बताओं आज दिन भार तुम'ने क्या क्या किया।

कमला... वहीं जो रोज करती हूं घर से कॉलेज, कॉलेज से घर। पापा आज न कल के मुख्य अतिथि जिन्होंने मुझे प्राइज दिया था वो घर आए थें।

महेश अनजान बनते हुए…achaaa क्यों आए थे तुम कुछ जानते हों।

कमला...वो तो आप मां से पूछ लो मैं तो बस उन्हें घर छोड़ने आई थी फिर तुरंत ही कॉलेज चली गई थी।

महेश...ठीक हैं तुम पढाई करों मैं तुम्हारी मां से पूछ लेता हूं।


कमला के रूम से आ'कर महेश कीचन में चला गया फिर खाना बनाने में मनोरमा की हेल्प करने लग गया। हेल्प कम कर रहा था मनोरम के साथ छेड़खानी ज्यादा कर रहा था। तो परेशान हो मनोरमा बोली….आप भी न बेटी बड़ी हो गईं ओर आप हो की बाज नहीं आते उसने देख लिया तो क्या ज़बाब देंगे।

मनोरमा के कमर को महेश भींच दिया। Aahaaa oohooo की आवाज कर महेश के हाथ को हटा दिया फिर बोली...क्या करते हों? कमला घर पर हैं ओर आप बेशर्मों की तरह हरकते कर रहें हों।

महेश दुबारा मनोरमा के कमर पर हाथ रख दिया फिर हाथ को आगे बडा नाभी के आस पास फिराने लग गया ओर अचानक मांस सहित नाभी को मुट्ठी में भर भींच दिया। Aahaaa unhuuuu की आवाज कर मनोरमा कसमासती रह गई ओर महेश बोला...जब बीवी इतनी खुबसूरत हों तो पति को बेशर्म बनना ही पड़ता हैं। हमारी बेटी बहुत समझदार हैं। जब भी आती हैं आवाज देते हुए आती हैं।

पति का हाथ हटा धक्का दे'कर ख़ुद से दूर किया फिर करचली हाथ में लेकर बोली….काम में हेल्प करने के जगह मेरे साथ मस्ती कर रहे हों। अभी के अभी बहर जाओ नहीं तो इसी करचली से आप'का सिर फोड़ दूंगी।

महेश...गजब की लड़ाकू बीवी मिला है जब भी प्यार करना चाहो तो कभी करचली उठा लेती है तो कभी बेलन उठा लेती हैं। विचारा पति प्यार करे तो करे किससे।

इतना बोल महेश बहार को चल दिया ओर मनोरमा एक नज़र पति को देखा फिर मंद मंद मुस्कुरा दिया ओर खाना बनाने लग गई। खाना बनाकर डायनिंग टेबल पर लगा दिया फिर बोली…कमला खाना लगा दिया है आ'कर खाना खा ले फ़िर पढाई कर लेना।

कमला...मां आ रहीं हूं।

कमला के आते ही मनोरमा सभी के लिए खाना परोस दिया। खाना से निपट कमला रूम में जा रहीं थीं तब महेश बोला... बेटी थोडी देर रुको तुम'से कुछ बात करना हैं।

कमला...जी पापा

बोला बैठ गई। मनरोमा झूठे बर्तन उठा कीचन में ले गई। कमला मां के पीछे पीछे कीचन में गई। बेटी को कीचन में देख मनोरमा बोली...तू कीचन में क्या लेना आई।

कमला...मां आप अकेले अकेले कब तक बर्तन धोओगे। मैं भी हेल्प कर देती हूं जल्दी धूल जायेगा।

मनोरमा...बडा आया बर्तन धोने वाली चुप चाप जा'कर पापा के पास बैठ।

कमला...maaaa...।

मनोरमा... बोला न बहार जा नहीं तो...।

कमला... अच्छा अच्छा जाती हूं डांट क्यों रहीं हों?

इतना बोला कमला कीचन से बहार चली गई। मनोरमा मुस्कुराते हुए बर्तन धोने लग गई। कमला बहार आ पापा के पास बैठ गई। कुछ देर में मनोरमा भी आ गईं। मां को देख कमला बोली…मां जब भी कीचन में आप'का हाथ बटाने जाती हूं आप मुझे डांट कर क्यों भागा देती हों।

मनोरमा...मेरी बेटी हमारे घर की राजकुमारी हैं। मैं अपनी राजकुमारी को झूठे बर्तन क्यों धोने दूं।

कमला...वो तो मैं हूं।

महेश…राजकुमारी जी तुम'ने कोई राजकुमार ढूंढ रखा हैं या हम ही दूर देश से कोई राजकुमार ढूंढ कर लाए।

पापा की बात सुन कमला मुंह खोले देखने लग गईं फ़िर शर्मा कर नज़रे झुका लिया ये देख महेश मुस्कुरा दिया फ़िर बोला...शर्मा गई मतलब राजकुमारी ने अपने लिए राजकुमार ढूंढ रखा हैं। बता दो कौन हैं? हम भी जाने राजकुमारी का पसंद किया राजकुमार कैसा हैं।

"मैंने नहीं ढूंढा हैं वो तो आप दोनों ही ढूंढ कर लाओगे"

बोलने को तो बोल दिया लेकिन जब ख्याल आया। क्या बोल गई? तब शर्मा कर मनोरमा से लिपट गई। कमला के लिपटते ही मनोरमा और महेश हंस दिए। मां बाप को हंसते देख मां से कमला ओर जोर से लिपट गई ओर मनोरमा बोली…नहीं ढूंढा हैं तो बता दो राजकुमारी को कैसा राजकुमार चाहिएं हम वैसा ही राजकुमार ढूंढ कर लायेंगे।

कमला कुछ नहीं बोली बस शर्मा कर मां से लिपटी रही फिर कमला को खुद से अलग कर ठोड़ी पकड़ चेहरा ऊपर को किया ओर मनोरमा बोली...कमला आज नहीं तो कल हमे तुम्हारे लिए लड़का ढूढना ही होगा। ये वक्त सभी लडक़ी के जीवन में एक न एक दिन आता ही हैं। तुम अपनी पसंद बता दो हम तुम्हारे पसंद के मुताबिक लड़का ढूंढ कर लायेंगे।

कमला नजरे उठा कर मां की ओर देखा फ़िर दो तीन बार पलके झपकाई ओर बोली…मां मेरे लिए लड़का ढूंढने की कोई जरूरत नहीं हैं। मुझे शादी नहीं करना हैं और न ही आप दोनों से दुर कहीं जाना हैं।

महेश जो कमला से थोड़ी दूर बैठा था। कमला के पास खिसककर आया ओर कमला के सिर पर हाथ रख सहलाते हुए बोला…शादी नहीं करनी वो क्यो भला आज नहीं तो कल तुम्हें शादी करना ही होगा।

कमला महेश की ओर देखते हुए बोला…मुझे शादी नहीं करना मैं शादी करके आप'से दूर चली गई तो आप दोनों का ख्याल कौन रखेगा। मेरे अलावा आप दोनों का कौन हैं?

कमला ने महेश को वास्तविकता से अवगत करा दिया। बेटी के अलावा महेश और मनोरमा के जीवन में कोई ओर नहीं था, ये सुनकर महेश और मनोरमा कुछ वक्त के लिए भावुक हो गए फिर खुद को संभाल कर महेश बोला…कमला तुम कह तो सही रहीं हों लेकिन मैं तुम्हें उम्र भर अपने पास नहीं रख सकता तुम्हें एक न एक दिन इस घर से विदा हो'कर जाना ही होगा। समाज की यही रीत हैं। सभी मां बाप को बेटी का विदा कर, इस रीत का पालन करना होता हैं।

कमला…मैं नहीं मानती इस रीत को, जिस घर के आंगन में खेली खुदी पली और बड़ी हुई उस घर को छोड़ क्यों जाऊ? अपने घर को छोड़कर मैं कहीं नहीं जानें वाली।

बेटी की बात सुनकर मनोरमा अचंभित हो'कर पति की और देखा, देखे भी क्यो न कमला कह तो सही रहीं थीं। पर बेटी को कुछ न कुछ समझना था इसलिए मनोरमा कुछ देर सोचा फिर बोला...कमला दुनिया की सभी लड़कियों को अपना घर आंगन छोड़कर जाना ही होता हैं। मैं भी तो अपना घर आंगन छोड़कर आई थीं। जब लडक़ी अपनी जन्म स्थली छोड़कर दूसरे के आंगन में जायेगी तभी तो नया सृजन होगा और जीवन चक्र सुचारू रूप से चल पाएगा। क्योंकि नारी को ही परमात्मा का वरदान हैं वो गर्भ धारण कर नए जीवन की उत्पत्ति का माध्यम बनती हैं।

मां की बात कमला ध्यान से सूना और समझ भी गया। मां की कहीं गई बातों का कमला के लिए कोई मायने नहीं था कुछ था तो वो था मां बाप का अकेला पान। उसके जाने के बाद उसके मां बाप अकेला रह जाएंगा। कमला मां बाप को अकेले नहीं छोड़ना चाह रही थी। इसलिए कमला बोली…मां आप सही कह रहीं हों। मेरे अकेले के न जानें से जीवन चक्र बाधित नहीं होगा क्योंकि दुनिया में ओर भी नारी हैं जिनसे जीवन चक्र चलता रहेगा। इसलिए मैं आप दोनों को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी इस जन्म में तो नहीं और अगले जन्म का कह नहीं सकती।

बेटी की बाते सुनकर मनोरमा और महेश एक दूसरे को देखने लग गए ओर सोचने लगे कमला को कैसे समझाया जाए। कोई साठीक कारण नहीं बता पाया तो कमला शादी करने को राजी नहीं होने वाली इसलिए कुछ वक्त विचार करने के बाद महेश बोला…कमला तुम जो कह रहीं हों वो सही हैं। लेकिन तुम जरा विचार करो जमाना मुझे और तुम्हारी मां को क्या कहेंगे वो हमे ताने देंगे हों सकता हैं मुझ पर लांछन भी लगाए । तुम क्या चहती हों दुनिया मुझ पर लांछन लगाए तो ठीक हैं मैं तुम्हें शादी करने के लिए कभी मजबुर नहीं करूंगा।

कमला…मैंने कभी ऐसा काम नहीं किया जिससे आप पर लांछन लगे न आगे कभी करूंगी। मैं शादी करने को राजी हूं लेकिन मेरी एक शर्त हैं।

बेटी के हां कहते ही दोनों ने चैन की सांस लिया लेकिन कुछ ही पल के लिए, शर्त की बात कहते ही दोनों फिर से बेचैन हों गए और बेचैनी में ही महेश बोला…शर्त क्या हैं? वो भी बता दो।

कमला…शर्त ये हैं शादी के बाद आप दोनों को मेरे साथ चलना होगा नहीं जाना चाहते तो कोई ऐसा लड़का ढूढना जो घर जमाई बनकर रह सकें।

मनोरमा…घर जमाई तो हम रखने से रहे लेकिन हम तुम्हारे साथ दहेज में जरुर जा सकते हैं।

ये कहकर दोनों हंस दिया। कमला मां बाप को हंसते देखकर बोली...मैं मजाक नहीं कर रहीं हूं।

मनोरमा…मैं भी मजाक नहीं कर रहीं हूं। हम सच में तुम्हारे साथ दहेज में जायेंगे।

कमला…सच्ची.

मनोरमा कमला के गाल खींचते हुए बोली…मुच्ची मेरी राजकुमारी।

महेश…कमला कल तुम कॉलेज नहीं जाओगी कल कुछ लोग तुम्हें देखने आ रहे हैं।

कमला…पापा आप तो बहुत तेज निकले। इतनी जल्दी भी क्या थीं?

मनोरमा…वो लोग शादी करने नहीं, देखने आ रहें हैं। पूछोगी नहीं कौन आ रहे हैं।

कमला…कौन आ रहे हैं?


मनोरमा…तुम भी उनसे मिल चुकी हों। सुबह ही तुम उन्हें घर ले'कर आई थीं।

कमला ने दिमाग में जोर देकर याद किया फिर बोली...Oooo तो वो लोग हैं आज ही तो आए थे फिर कल क्यो आयेंगे।

मनोरमा…अपनी बात कहने आए थे। कल वो लडके को साथ ले'कर आएंगे तुम भी लडके को देख लेना लड़का भी तुम्हें देख लेगा तुम दोनों एक दूसरे को पसंद कर लिया। तब जा'कर हम बात आगे बढ़ाएंगे।

कमला…मेरे पसंद करने की जरूरत ही नहीं हैं आप दोनों मेरे लिए गलत लड़का थोड़ी न चुनेंगे इसलिए आप दोनों की पसंद ही मेरी पसंद होगी।

महेश…पसंद तो तुम्हें ही करना होगा। क्योंकि ज़िंदगी भर तुम्हें साथ रहना हैं इसलिए तुम्हें पसंद आना जरूरी हैं न की हमे।

इसके आगे कमला के पास कहने को कुछ नहीं बचा इसलिए चुप रहीं। बेटी की चुप्पी को हां समझ कर महेश बोला…कमला तुम कल कॉलेज नहीं जाओगी और अच्छे से तैयार हो'कर रहना। जिससे मेरी बेटी ओर खुबसुरत दिखे ओर वो लोग तुम्हें देखकर न नहीं कह पाए।

एक बार फिर से कमला शर्मा गई फिर उसे कुछ याद आया तो बोली…पापा कल मुझे कॉलेज जाना ही होगा बहुत जरूरी काम हैं।

महेश…जरूरी काम हैं या बहने बना रही हों।

कमला…पापा मैं बहने नहीं बना रही हूं कल मेरा जाना जरूरी हैं अगले हफ्ते से पेपर हैं इसलिए कल प्रवेश पत्र बांटा जाएगा।

महेश…ठीक हैं चली जाना और ले'कर जल्दी आ जाना।

कमला हां में सिर हिला दिया फिर तीनों अपने अपनें रूम में सोने चले गए। महेश और मनोरमा रूम पहुंच कर कपड़े बदला फ़िर इधर उधर की बाते कर सो गए।

अगले दिन सुबह नाश्ता करने के बाद कमला कॉलेज जाने लगीं तब महेश रोककर बोला…कमला रुको मैं भी तुम्हारे साथ चलता हू।

थोडी देर में महेश तैयार हो'कर आया फिर बेटी के साथ कॉलेज को चल दिया। इधर राजेंद्र सभी को जल्दी से तैयार हो'कर आने को कहा पापा की बात सुन रघु बोला…पापा हमे जाना कहा है आप कुछ बताते क्यों नहीं।

पुष्पा…पापा कल से छूप्पन छुपाई बहुत बहुत खेल लिया अब सीधे सीधे बता दो नहीं तो महारानी को गुस्सा आ गया तो आप को सजा दे देगी।

पुष्पा की बनावटी गुस्से से भरी बातें सुन राजेंद्र और सुरभि मुस्कुरा दिया फ़िर सुरभि बोली…महारानी जी हम तुम्हारे भईया के लिए लडक़ी देखने जा रहे हैं।

लडक़ी देखने की बात सुनकर रघु असहज हों गया ओर बगले झांकने लग गया। रघु की हरकतें देख तीनों मुस्कुरा दिए फिर सुरभि बोली…रघु तुझे क्या हुआ? बगले क्यों झक रहा हैं?

रघु…मां मेरा जाना जरूरी हैं आप सब देखकर आओ न।

सुरभि…हे भगवान कैसा लड़का हैं। रघु लडक़ी शब्द सुनते ही तेरे हाथ पांव क्यों सूज जाता हैं।

रघु…मां मेरा हाथ पाव नही सूज रहा हैं। आप ही देखो मेरा हाथ पांव ठीक हैं। मुझे तो बस…।

सुरभि…डर लग रहा। बेटा वो भी इंसान हैं। कोई बहसी जानवर नहीं जो तुझे खां जाएगा।

रघु...मां मैं जानता हूं वो बहसी जानवर नहीं हैं। मुझे तो बस शर्म आ रहा है।

सुरभि…रघु तू कैसा लड़का हैं? तेरे उम्र के लडके भंवरा बनकर लड़कियों के आगे पीछे मंडराते रहते हैं ओर एक तू हैं लडक़ी शब्द सुनकर ही शर्मा जाता हैं।

रघु...मां मैं ऐसा ही हूं अब मैं क्या करूं। मैं दूसरे लडको की तरह करता तो क्या आप दोनों को अच्छा लगाता। मैं ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता हूं। जिससे मेरे मां बाप का सिर लोगों के सामने शर्म से झुक जाएं।

रघु की बात सुनकर सुरभि और राजेंद्र एक पल के लिए भावुक हों गए उनका भावुक होना स्भाविक था। रघु ने आज से पहले कभी ऐसा कुछ किया न आगे ऐसा कुछ करना चाहता हैं। जिससे उसके मां बाप का सिर झुक जाएं। बेटे की बात सुनकर राजेंद्र को यकीन हों गया। वो रघु को जैसा बनाना चाहता था रघु बिल्कुल वैसा ही बना उसके लिए अपने मां बाप का मन सम्मान सबसे ऊपर है। राजेंद्र जा'कर रघु को गले से लगा लिया और पीट थपथपाते हुए बोला…रघु बेटा तुम्हारे जैसा पुत्र पाने की कामना सभी मां बाप करते हैं। मैं धन्य हूं जो तु हमारा बेटा बनकर इस धरा पर आया फिर रघु से अलग होकर बोला "बेटा तुम्हारे मां के कहने का मतलब ये नहीं था की तुम दूसरे लडको की तरह लड़कियो के पीछे मंडराते फिरो उसके कहने का मतलब ये था तुम लडक़ी शब्द से इतना शरमाया न करों।

सुरभि…रघु मैं और तेरी बहन भी तो लडक़ी हैं। तु हम'से तो शरमाते नहीं फिर क्यों दूसरे लड़कियो का जीकर आते ही शर्माने लग जाता हैं।

इस बात का रघु के पास जवाब नहीं था। इसलिए बिना कुछ कहे उठकर तैयार होने चल दिया। राजेंद्र के कहने पर पुष्पा भी अपने रूम में चली गई ओर राजेंद्र और सुरभि अपने रूम में चले गए। रूम में आ'कर सुरभि बोली...रघु ऐसे शर्माता रहेगा, तो शादी के बाद इसका क्या होगा?

राजेंद्र…शादी के बाद शर्माना भूलकर मेरी तरह बेशर्म बन जाएगा ।

इतना कहकर राजेंद्र, सुरभि के पास जा'कर पीछे से चिपक गया फिर सुरभि के कंधे और गर्दन पर चुम्बनो की झड़ी लगा दिया। सुरभि राजेंद्र को पीछे धकेल दिया फिर बोली…आप तो हों ही बेशर्म कहीं भी शुरु हों जाते हों। अब देर नहीं हों रहा हैं।

राजेंद्र…देर तो हों रहा हैं लेकिन खुबसूरत बीवी को देखकर खुद को रोक नहीं पाया। तुम्हें देखता हु तो मेरे तन बदन में आग लग जाता हैं।

सुरभि...तुम्हारे तन बदन में जलती आग के कारण दो बचे पैदा हों गए लेकिन अभी तक आप'की आग नहीं बुझा।

राजेंद्र…जिसके पास आग भड़कने वाली तुम जैसा घी हों तो आग बुझेगा नहीं ओर ज्यादा धधक उठेगा।

सुरभि आलमारी से कपडे निकाला फ़िर बाथरूम की ओर जाते हुए बोला…संभाल कर रहिएगा कही ऐसा न हो ये घी आग को इतना भड़का दे की आप ही जलकर भस्म हों जाओ।

इतना बोलकर सुरभि बॉथरूम में घूस गई। राजेंद्र बाथरूम के पास जा'कर बोला...मैं तो चाहता हु तुम आग को इतना भड़काओ कि मैं ख़ुद ही जलकर भस्म हों जाऊ लेकिन तुम भड़कती ही नहीं!

सुरभि कुछ नहीं कहा बस खिलखिला कर हंस दिया फिर राजेंद्र अलमारी से कपड़े निकलने लग गया। सुरभि तैयार होकर बॉथरूम से निकली तो सुरभि को देखकर राजेंद्र तारीफों के पुल बांध दिया। कुछ देर सुरभि पति से तारीफें सुनती रहीं फिर राजेंद्र को धकेलकर बाथरूम भेज दिया।

कुछ वक्त में दोनों तैयार होकर बाहर आए। रघु अकेले बैठे बैठें बोर हो रहा था फ़िर पुष्पा भी तैयार होकर आ गईं। एक गाड़ी में पुष्पा और रघु एक में राजेंद्र और सुरभि बैठे चल दिया।

महेश कमला के साथ उसका प्रवेश पत्र लेकर घर आया दोनों को देख मनोरमा बोली…कमला जा बेटी अच्छे से तैयार हों जा।

कमला...मां तैयार बाद में हों लूंगी पहले कीचन में आप'की मदद करुंगी।


इतना बोल कमला कीचन की ओर चल दिया। मनरोमा पीछे पीछे कीचन में गई फिर बोली... कमला तू चुप चाप जा'कर तैयार हों कीचन का काम मैं कर लूंगी।

कमला...मां आज आप कितना भी डांट लो मैं आप'की एक न सुनने वाली आज आप कुछ भी नही बनाओगी बल्कि सभी कुछ मैं खुद ही बनाऊंगी।

मनोरमा…वो क्यो भला?

कमला मुस्कुराते हुए बोली…वो इसलिए लडके वाले ये न कहें लडक़ी को खाना बनाना नहीं आता हम रिश्ता नहीं करेंगे, रिश्ता नहीं हुआ तो आप मुझे फिर से किसी ओर के सामने बिठा देंगे।

मनोरमा मुस्कुरा दिया फिर भौहें नचाते हुए बोली…कमला तू कब से इतनी बेशर्म हों गई, शादी करने की तुझे इतनी जल्दी हैं कि पहली बार में ही लडके वालो को प्रभावित कर देन चहती हैं।

कमला मुस्कुराई ओर मां को चिड़ते हुए बोली…मां लडके की मां बाप पहले से ही मुझ'से प्रभावित हैं मुझे तो बस लडके का प्रभावित करना हैं। जिस'से वो मुझे नकार न सके ओर मूझ'से शादी करने को राजी हों जाए।

मनोरमा आगे कुछ नहीं कहा बस चुप चाप खडी रही ओर कमला जो करना चाहती थी करने दिया। मन लगाकर कमला किचन में काम कर रहीं थी ये देखकर मनोरमा मन ही मन हर्षित हो गई। ऐसा नहीं की कमला को खाना बनाना नहीं आता। कमला को खाना बनाने में बहुत रुचि हैं ओर छोटी उम्र में ही कमला नाना प्रकार के व्यंजन बनाना सीख गई थी। साथ ही कमला गृह विज्ञान की पढ़ाई भी कर रहीं थीं। जिससे उसकी पका कला में ओर ज्यादा निखार आ गया।

भोजन बनने का काम पुरा होने के बाद कमला रूम में गई ओर तैयार होने लग गईं। खुद को सजाने संवारने में कोई कमी नहीं रखी। ऐसा नहीं कि कमला खुबसूरत नहीं थी। कमला के खुबसूरती के चर्चे कॉलेज और आस पास के कई इलाके में था पर कमला आज अपना जीवन साथी चुनने जा रही थीं तो कोई कमी नहीं रखना चाहती थी। वैसे तो कमला ज्यादा मेकप नहीं करती थीं लेकिन आज हल्का टच ऑफ करके दमकते चहरे को ओर दमका लिया।

महेश और मनोरमा ने आने वालों की welcome करने की सभी तैयारियां कर लिया था। बस पलके बिछाए wait कर रहें थे। महेश और मनोरमा के wait करने की घड़ी खत्म हुआ ओर राजेंद्र की कार घर के बाहर आ'कर रुका, कार की आवाज़ सुनकर दोनों बाहर गए। आदर सहित सभी को अंदर ले'कर आए फिर सभी को बैठने को कहा एक सोफे पर राजेंद्र और सुरभि बैठे गए एक पर पुष्पा और रघु बैठ गए। रघु को देखकर मनोरमा और महेश को पहली नजर में पसंद आ गया और मन ही मन विनती करने लग गए। कमला भी रघु को देखकर पसंद कर ले और हां का दे। बातो के दौरान रघु के सभ्य और शालीन व्यवहार ने महेश और मनोरमा को ओर ज्यादा प्रभावित कर दिया।

चाय नाश्ते के बाद महेश के कहने पर मनोरमा कमला को लेने गई। कमला लाइट पर्पल रंग की सलवार सूट और पर्पल रंग का दुप्पटा सिर पर रखकर मां के साथ धीरे धीरे चलकर आई। सुरभि राजेंद्र और पुष्पा कमला की खूबसूरती को देखकर मंत्रमुग्ध हों गए। तभी पुष्पा रघु को कोहनी मरकर कमला की ओर दिखाया। कमला के खुबसूरत और दमकते चहरे को देखकर रघु चकोर पक्षी जैसे चांदी रात में चांद की खूबसूरती को ताकता रहता हैं। वैसे ही रघु मोहित होकर कमला को देखने लग गया। कमला भी तिरछी निगाहों से रघु की ओर देखा रघु को टकटकी लगाए देखते देखकर कमला के लवों पर मंद मंद मुस्कान आ गईं। कमला के मुस्कुराते लव जिसमें लाइट पिंक रंग की लिपस्टिक लगा हुआ था। जिसे देखकर रघु झनझना गया। रघु की नज़र चेहरे से हट कमला को लवों पर टिक गया। रघु को टकटकी लगाए देखते देख सुरभि और राजेंद्र मुस्कुरा दिया। वैसा ही हल महेश और मनोरमा का था कमला तो पहले से मुस्कुरा रहीं थीं। कमला को ला'कर मनोरमा रघु के सामने बैठा दिया, रघु अब भी अपलक कमला को देखें जा रहा था। तब पुष्पा रघु के कान में बोली…बहुत देख लिए अब तो देखना बंद करों सभी आप पर हंस रहे हैं।

रघु होश में आ'कर इधर उधर देख जायजा लिए फिर सिर झुकाकर बैठ गया। रघु की हरकतें देख न चाहते हुए भी कमला के लवों पर आ रही मंद मंद मुस्कान ओर गहरा हों गया। एक बार फिर से पुष्पा, रघु के कान में बोली...क्या भईया बुद्धु जैसा बर्ताव क्यों कर रहे हों सिर उठाकर शान से बैठो, लड़की जैसा शरमाते रहें तो लडक़ी और उसके परिवार वालो पर गलत इंप्रेशन पड़ेगा।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बाने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏🙏
 
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Destiny

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Superb updatee


Chalo koi toh aaya Raavan ke khilaf awaaz uthane. Par kahi yeh awaaz bhi humesh ke liye dabb naa jayee.

Udher Pushpa bhi college ke rang mein rangi hui hai. Ashish naam ke ladke se pyaar karti hai. Par kismat se pyaar 2 tarfa hi hai. Par kahi Ashish koi kamina insaan toh nhi jo sirf paiso ke liye pyaar karta ho.

Dekhte hai aage kyaa hota hai

:roflol: :lol:
ab jaake dil ko thandak mili hai :D

केवल कमीना कहने से ही ठंडक मिल गई दिल को।😂😁

waiting for the next update...

Update please

Waiting for update..

दोस्तों देरी के लिए क्षमा चहता हूं आज कल काम में बहुत व्यस्त चल रहा हूं। इसलिए लिखने का समय ही नहीं मिल रहा हैं। आज का अपडेट पोस्ट कर दीया हैं। जैसे जैस टाईम मिलता रहेगा अपडेट पोस्ट कराता रहूंगा। बस अपना प्यार ऐसी हो बनाए रखना। शुक्रिया प्रिय पाठकों।
 

Sauravb

Victory 💯
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Update - 14



पुष्पा उठाकर कमला के पास जाकर बैठ गई थी फ़िर कमला के कान में कहती हैं…… मेरे भइया अपको कैसी लगीं।


कमला कुछ नहीं कहती बस मुस्कुरा देती हैं। तब सुरभि कहती हैं…….. नटखट तू क्या पुछ रहीं हैं कमला बिटिया से।


पुष्पा टपक से बोल पड़ती हैं…... ये हमारे बीच की बात हैं आप जानकर क्या करोगी।


सुरभि मुस्कुरा देती हैं फिर महेश से कहती हैं……. भाई साहाब हमे तो लडक़ी पसंद हैं आप किया कहते हों।


महेश मनोरमा की ओर देखता हैं मनोरमा हां का इशारा करती हैं तब महेश कहता हैं…. जी हमे भी लड़का पसंद हैं। अब कमला हां कर दे तो समझो रिश्ता पक्का।


सब कमला और रघु की ओर आस भरी निगाहों से देखती हैं खाश कर कमला की ओर क्योंकि रघु के हाव भाव ने दर्शा दिया था। रघु को कमला पसंद आ गया हैं बस कमला की हां कहने की देर थीं। तब पुष्पा कमला से बोलती हैं…... मेरे भाई को आप पसंद आ गई हो अब आप किया कहती हों आप ने हां कह दिया तो आप ही मेरी भाभी बनकर आओगी।


तभी मनोरमा बोलती हैं….. हां बेटी बोलों क्या कहती हों तुम हां कहोगी तभी हम रिश्ता पक्का करेंगे।


तभी सुरभि बोलती हैं….. मैं क्या कहती हु दोनों को कुछ वक्त एकांत में एक दुसरे से बात करने का मौका दिया जाएं फिर कमला बिटिया से पूछे तो बेहतर होगा।


राजेंद्र भी येही कहता हैं। महेश और मनोरमा भी हां कहते हैं। तब दोनों को एक दूसरे से बाहर जाकर बात करने को कहा जाता हैं। पहले तो दोनों मना करते हैं लेकिन जोर देने पर बात करने को राजी हों जाते हैं। अब मसला ये खड़ा होता हैं दोनों को बात करने भेजा कहा जाएं। तब मनोरमा एक सुझाव देती हैं " हमारे घर के पीछे जो गार्डन बना हैं वहां जाकर दोनों बात कर लो।


दोनों उठाकर घर के बाहर चल देते हैं कमला आगे आगे चाल रहीं थीं। रघु सर झुकाए पीछे पीछे चला रहा था। पुष्पा रघु के पास जाती हैं और धीरे से बोलती हैं….. भईया बुद्धू जैसा व्यवहार न करना अच्छे से बात करना। ये ही मेरी भाभी बननी चाहिएं नहीं तो मैं आपसे कभी बात नहीं करूंगी।


पुष्पा कहकर अपनी जगह आकर बैठ जाती हैं। अब तो रघु टेंशन में आ गया था वह करे तो करे क्या पहली बार किसी अनजान लडक़ी से बात करने जा रहा था ऊपर से बहन ने अल्टीमेटम दे दिया कुछ भी करों उसकी भाभी कमला ही बननी चाहिएं। दोनों गार्डन मे पहुंच कर साथ साथ चल रहे थे। रघु कुछ दूरी बनाया हुआ था। साथ ही ध्यान भी रखा रहा था उसके शरीर का कोई भी हिस्सा कमला को छू न जाइए। दोनों की दिल की धड़कन बड़ी हुए थी। बात शुरू करे तो करे कहा से, दोनों के लिए यह पहला मौका था। कमला का तो इसे पहले छिछोरे लडकों से कही बार झड़प हुआ था लेकिन यह मजरा कुछ ओर था यह पिटना नहीं था बल्कि रिश्ता जोड़ना था और रघु के लिए यह पहला मौका था। रघु हमेशा लड़कियो से दूरी बनाकर रखता था चाहे कॉलेज हो या कही ओर इस बात से रघु को उसके दोस्त बहुत छेड़ते थे खाश कर उसका बचपन का दोस्त रमन वो तो रघु पर चढ़ ही बैठता था लेकिन रघु कभी उसका बुरा नहीं मानता था। लेकिन आज मजरा दूसरा था। रघु को अल्टीमेटम मिला हुआ था साथ ही उसे अपना जीवन साथी चुनना था रघु ने लामसम कमला को अपना जीवन साथी चुन ही लिया था बस पुष्टि करना रह गया था। बातो का सिलसिला शुरु कहा से करे समझ ही नही पा रहा था। लेकिन कही न कही से शुरु करना ही था तो रघु एक लंबी सांस भरकर छोड़ा फिर बोला….. अपका पसंदीदा विषय क्या हैं?


कमला बातों का मतलब समझ नहीं पाई या ध्यान से नहीं सुना इसलिए असमझता दर्शाते हुए रघु की और देखने लगीं तब रघु पुष्टि करते हुए बोला….. मेरे कहने का मतलब था अपको किस काम में सबसे ज्यादा रुचि है।


कमला मुस्करा कर रघु को देखती हैं। रघु पहले से ही मोहित था । अब तो वो और भी ज्यादा मोहित हो गया फिर ख़ुद को संभालते हुए बोला…... सुनिए आप ऐसे न मुस्कुराओ बड़ी मुस्कील से साहस जुटा कर आपसे बात करने आया हूं। आप ऐसे मुस्कुराते रहे तो मैं कुछ बात नहीं कर पाऊंगा फिर आप मना कर दोगी। अगर ऐसा हुआ तो मेरी बहना प्यारी मुझसे नाराज़ हों जायेगी सो अलग मुझसे कभी बात भी नहीं करेगी।


रघु को सहजता से बात करते देखकर कमला भी सहज भाव से मुस्कुराते हुए बोलती हैं…… तो आप अपने बहन से बहुत प्यार करते हों। तभी आप उनके कहने पर ही मुझसे बात करने आए हों।


रघु……. ऐसा नहीं की मैं आपसे बात नहीं करना चाहता था मेरा आपसे बात करने का मन था वो तो पुष्पा ने अल्टीमेटम दे दिया इसलिए मैंने ऐसा कहा।



कमला…. ओ तो आपके बहन ने अल्टीमेटम दे दिया क्या कहा मैं जान सकती हूं।


रघु टपक से बोल पडा….. उसने साफ लब्जो में कह दिया आप अगर उसकी भाभी नहीं बनी तो वो मुझसे कभी बात नहीं करेंगी।


कहते ही रघु को आभास हुआ जो नहीं कहना था वह ही बोल दिया बरहाल जो बोल दिया सो बोल दिया उसे वापस तो नहीं लिए जा सकता इसलिए कमला की ओर देखकर मुस्कुरा दिया। कमला भी एक लुभावनी मुस्कान देते हुए बोली…... फिर तो मुझे हां कहना ही चाहिएं आप क्या कहते हों।


रघु…... क्या कहना चाहिएं यह सिर्फ और सिर्फ अपका फैसला हैं। इसमें न मैं कोई जोर जबर्दस्ती कर सकता हूं न ही कोई ओर शादी कोई गुड्डे गुडियो का खेल नहीं जो आज किया और कल तोड़ दिया। यह जीवन भर का फैसला हैं तो सोच समझकर ही लेना चाहिएं।


रघु की समझदारी पूर्ण बाते कहने के दौरान कमला एक टक रघु को देख रही थीं और समझने की कोशिश कर रहीं थी। जब उसे समझ आया रघु ने कितनी गहरी बात सरलता से कह दिया। रघु की बातों ने कमला के दिल में घर कर लिया और शायद रघु भी कमला के दिल में बस गया। कमला को ऐसे देखते हुए देखकर रघु बोला….. आप मुझे ऐसे क्यो देख रही हों मैंने कुछ गलत बोल दिया।


कमला….. नहीं अपने कुछ गलत नही बोला मैं तो बस यह समझने की कोशिश कर रहा था अपने कितनी गहरी बात सरल भाव और शब्दो में कह दिया।


रघु ने चमकीले दांतो के दर्शन करवा दिया रघु को मुस्कुराता देखकर कमला ने भी मुस्करा दिया। कमला को मुस्कुराते देखकर रघु बोला…... मैंने आपसे कहा था आप ऐसे न मुस्कुराओ नहीं तो मैं बस आप को मुस्कुराता हुआ देखता रह जाऊंगा जो बात करने आया हूं वो कर ही नहीं पाऊंगा मेरे कुछ न कहने से हों सकता हैं आप माना कर दो।


कमला फिर से मुस्कुरा दिया और बोली….. आप ने कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया फिर भी आप कह रहें होंआप बात नहीं कर पाओगे। अगर मैंने हां कह दिया फिर तो आपको कोई परेशनी नहीं होगी।


हां सुनाकर रघु समझने की कोशिश कर रहा था कमला कहना किया चाहती हैं क्या कमला गुमा फिरा कर हां कह रहीं थी? अब इस झल्ले रघु को कौन समझाए कमला ने उसे हा कहा था लेकिन ये मंद बुद्धि के साथ साथ बैल बुद्धि होने का प्रमाण दे रहा था। जब रघु समझ नहीं पाया तब बोला….. आप के हां कहने से मेरे सभी समस्याओं का निराकरण हों जाएगा । पहली बार कोई लडक़ी मेरे दिल को इतना भाया हैं की मैं कह नहीं सकता और वह मेरा जीवन साथी बन जाए इसे अच्छा मेरे लिए ओर क्या होगा और मेरी बहन भी मुझसे नराज नहीं होगी।


कमला अच्छा कहकर मुस्कुरा देती हैं उसके इस मुस्कान के पीछे एक टोंट का आभास हो रहा था। ऐसे ही दोनो बाते करते हुए चल भी रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी कमला को कही छुने या कहूं अपनी शरीर का कोई भी हिस्सा कमला के शरीर से संपर्क ही नहीं होने दिया कमला इस बात को भी परख लिया था। जहां दूसरे लडके कमला को बहाने से छूने की कोशिश करते रहते थे। वहीं रघु एक बार भी कमला को छुने की कोशिश नहीं किया इससे कमला पुरी तरह से रघु पर मोहित हों गया। कमला रघु की बातो को सुन भी रहा था और उसके सरल स्वभाव पर विचार भी कर रहा था। ऐसे सोचा विचारी में चलते हुए कमला डगमगा गई और गिरने को हुई। तब रघु ने कमला का हाथ पकड़ कर कमला को गिरने से बचा लिया। हाथ पकड़ते ही कमला रघु को अचंभित होकर देखने लगी। कमला का अचंभित होकर देखना लाज़मी था। इतने देर से चलते हुए बात कर रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी छुने की चेष्टा तक नहीं किया और अब अचानक से उसका हाथ थाम लिया। लेकिन जब कमला को अपनी परिस्थि का भान हुआ तब कमला मन ही मन मुस्कुरा दिया। कमला संभाल गई तब रघु को भान हुआ उसने किया क्या तो कमला का हाथ छोड़कर बोला……आप ठीक तो हों न, माफ करना मेरे छुने से आप को बुरा लगा हों तो।


कमला मुस्कुराते हुए बोली… नहीं मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगा। आप मुझे नहीं पकड़ते तो मैं गिर जाती, शायद मुझे चोट भी लग जाती। आप को माफी मांगने की जरूरत नहीं हैं भविष्य में आप ही तो मुझे ऐसे ही छुएंगे।


कमला की कहीं हुई कुछ बातो पर गौर किया। कुछ बातो पर नहीं वरना रघु जान जाता कमला ने रघु को हां कह दिया। दोनों को आए हुए वक्त ज्यादा हों गया इसका भान होते ही रघु ने कह….. अब हमे चलना चाहिए बहुत देर हों गया हैं।


कमला को भी लग रहा था उन्हें आए हुए बहुत देर हो गई है लेकिन वो कह नहीं पा रही थीं इसलिए रघु के वापस जाने की बात कहते ही कमला ने भी सर हिलाकर हां कह जब दोनों घर की और जा रहे थे तब रघु जबाव जाने के तर्ज पर कहा….. आप ने अपना ज़बाब नहीं बताए।


कमला रघु की सवाल सुनकर मुस्करा दिया और बोली…… आप न बिलकुल बुद्धू हो मैंने तो कब का अपको हा कह दिया लेकिन आप हों की समझ ही नहीं पाए।


रघु के दिमाग पर जोर पडा कब हां कहा सोचने लगा जब उसे लगा कमला ने बातों के दौरान कहीं पर भी हां नहीं कह तब सर खुजते हुए बोला "कब हां कहा अपने"


कमला…… मैंने अपको पहली बार तब हा कहा था जब अपने मुझे अपनी बहन की दिए अल्टीमेटम के बारे में बताया था और दूरी बार तब हां कहा जब अपने मुझे गिरने से बचाया था। मैंने अंत में कहा था। भविष्य में आप ही तो मुझे ऐसे ही छुएंगे। अब आप ही बताइए मैंने हां कहा की नहीं।


रघु को अपनी गलती समझ आया और मन ही मन खुद को गली दिया फिर बोला….आप ऐसे घुमा फिरा कर हां कहेंगे तो मैं कैसे समझ पाऊंगा।


कमला…… मैंने जैसे भी बोला अपको समझना चाहिएं था कोई लडक़ी सीधे सीधे हां नहीं कहती समझे आप।


रघु कुछ नहीं कहा बस मुस्करा दिया। रघु मुस्कुराने के अलावा कर भी किया सकता था। इतनी खूबसूरत लड़की रघु से प्रभावित होकर हां कर देती हैं। ऐसे ही हसी मजाक करते हुए दोनों घर की ओर बड़ने लगे थे। दोनों को हंसी मजाक करते हुए देख कर ऐसा लग रहा था जैसे दोनों एक दूसरे को वर्षों से जानते हों, लग ही नहीं रहा था दोनों अजनबी हैं। आज ही एक दूसरे से मिले हैं और एक गहरा रिश्ता दोनों ने कुछ ही वक्त के मेल मिलाप से जोड़ लिया हैं। रघु भले ही सीधा साधा काम बोलने वाला लड़का हों लेकिन देने वाले ने उसे एक गुण थोक के भाव दिया था। वो हैं अपनी बातों से दूसरे को आकर्षित कर एक गहरा रिश्ता जोड़ लेना। दोनों हंसी मजाक करते हुए घर पहुंचे जहां पर बेसवरी से इनकी प्रतिक्षा किया जा रहा था। रघु जाकर पुष्पा के पास बैठ जाता हैं। बैठते ही पुष्पा रघु को याचक दृष्टि से देख रही थीं जैसे पुछ रहीं हों " क्या हुआ ?" रघु उसके याचक भाव का कोई ज़बाब नहीं दिया। कमला जाकर रघु के सामने बैठ जाती हैं। उसके लवों से मंद मंद मुस्कान के साथ फूलो की बरसा हों रहीं थीं। सुरभि, राजेंद्र, महेश और मनोरमा कमला के जबाव की प्रतिक्षा करते हुए उसकी और देख रहे थे। रघु से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर पुष्पा भी कमला की और ही देखने लगती हैं। लेकिन कमला हैं की कुछ बोल ही नहीं रहीं थीं। और अपना भाव बदल लिया था उसे देखकर सुरभि उठ कर कमला के पास गई और पूछी…... बेटी बताओ अपको मेरा बेटा पसंद आया की नहीं।"


कमला पुष्पा की और देखकर मुंह भिचका लिए जैसे वो कहना चाहती हो मुझे रघु बिल्कुल पसंद नहीं आय। कमला को मुंह भिचकता देख पुष्पा का मुंह छोटा सा हों गया। उसे लगा उसकी आस अधूरी रह गई। रघु ने उसकी कही बातो को नजरंदाज कर दिया तब रघु को उंगली दिखाकर बोला " मैं आपसे कभी बात नहीं करुंगी अपनी मेरा कहना नहीं माना।"


पुष्पा मुंह फुलाकर जानें लगीं तब कमला उसे रोकते हुए बोली "नाराज होकर कहा जा रहीं हों ननद रानी होने वाली भाभी से बात नहीं करोगी।"


ननद रानी सुनाकर पुष्पा रुक गई। पुष्पा रुकी सो रुकी लेकिन वह मौजुद सभी समझाने की कोशिश कर रहे थे कमला ने अभी किया कहा जब उन्हें समझ आया तो सब मुस्कुरा दिया और इशारों इशारों में सब को बधाई देने लगे। लेकिन पुष्पा को उनसे कोई मतलब नहीं था। उसे तो एक बार फिर से सुनकर कन्फर्म करना था इसलिए बोला "अपने अभी अभी क्या कहा?"


कमला " जो अपने सुना"


पुष्पा "मैं भी तो वहीं जानना चाहती हूं अपने ने क्या कहा।"


कमला " मैंने कहा .. मैंने कहा... मैंने कहा…"


कमला के अधूरा वाक्य बोलने से पुष्प खीज गई और बोली "क्या आप भी पॉज ले ले कर बोला रहीं हों सीधे सीधे बोलो नहीं तो मैं जा रहीं हूं।"


कमला….. किधर चाली होने वाली ननद रानी जी इधर आओ मैं आपको अपनी हाथों से मिठाई खिलाती हूं।"


कमला के कहते ही वह हंसी और ठहाके गूंज उठा पुष्पा जाकर कमला के पास बैठ गई और कमाल से गले मिलते हुए बोली "thank you thank you फिर रघु की और देख कर कान पकड़कर sorry sorry भईया।"


एक बार फिर से वह हंसी और ठहाके गूंजने लगा। कुछ वक्त तक हंसी ठहाके के बाद बात छिड़ी शादी का शुभ मुहूर्त कब की निकली जाए तब महेश ने कहा "राजा जी अगले हफ्ते से कमला की परिक्षा शुरू होने वाला हैं। इसलिए हम चाहते हैं परिक्षा की बाद की ही कोई शुभ मुहूर्त जाए।


राजेंद्र …... आप तो कम से कम राजा जी न बोले हम समधी बनने वाले हैं। रहीं बात शुभ मुहूर्त की तो परिक्षा हो जानें दीजिए फिर शुभ मुहूर्त निकलबाकर हम अपनी बहु को घर ले जायेंगे तब तक हमारी अमानत को आप के पास छोड़कर जाते हैं।


महेश जी भी राजेंद्र की बातों से सहमत हो गया। कुछ देर ओर बात चीत चला फिर खाने पीने की व्यवस्था किया गया खाना खाते हुए सब ने खाने की बहुत तारीफ किया। मनोरम ने बता दिया खाना कमला ने बनाया हैं फिर तो कमला के तरीफो के पुल बांध गईं। खाना पीना होने के बाद राजेंद्र सुरभी विदा लेकर जाने लगे तभी रघु ने पुष्पा के कान में कुछ कहा। पुष्पा भागकर कमला के पास गई और कुछ वक्त के बाद कमला ने चुपके से एक पर्चा पुष्पा को थमा दिया। जिसे लाकर रघु के जेब में डाल दिया फिर सब हंसी ख़ुशी घर को चल दिया।



आगे ओर किया किया होता हैं ये जानेंगे अगले अपडेट से, प्रिय पाठकों पिछले कुछ दिनों से समय की कमी के चलते आप सब से मुखातिब नहीं हों पाया। क्या करे ज़िंदगी में बहुत से जरूरी कम होते हैं जिसे करना भी जरूरी होता। इसलिए जब जब समय मिलेगा कहानी के आगे के अपडेट को पेश करता रहूंगा। बस इतना कहूंगा देर भले हि हों यह कहानी पूरा होकर रहेगा । शुक्रिया
Kamala aur raghu ki jodi perfect he.shaddi bhi tay ho gayi.Fantastic update bro..
 

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Update - 14



पुष्पा उठाकर कमला के पास जाकर बैठ गई थी फ़िर कमला के कान में कहती हैं…… मेरे भइया अपको कैसी लगीं।


कमला कुछ नहीं कहती बस मुस्कुरा देती हैं। तब सुरभि कहती हैं…….. नटखट तू क्या पुछ रहीं हैं कमला बिटिया से।


पुष्पा टपक से बोल पड़ती हैं…... ये हमारे बीच की बात हैं आप जानकर क्या करोगी।


सुरभि मुस्कुरा देती हैं फिर महेश से कहती हैं……. भाई साहाब हमे तो लडक़ी पसंद हैं आप किया कहते हों।


महेश मनोरमा की ओर देखता हैं मनोरमा हां का इशारा करती हैं तब महेश कहता हैं…. जी हमे भी लड़का पसंद हैं। अब कमला हां कर दे तो समझो रिश्ता पक्का।


सब कमला और रघु की ओर आस भरी निगाहों से देखती हैं खाश कर कमला की ओर क्योंकि रघु के हाव भाव ने दर्शा दिया था। रघु को कमला पसंद आ गया हैं बस कमला की हां कहने की देर थीं। तब पुष्पा कमला से बोलती हैं…... मेरे भाई को आप पसंद आ गई हो अब आप किया कहती हों आप ने हां कह दिया तो आप ही मेरी भाभी बनकर आओगी।


तभी मनोरमा बोलती हैं….. हां बेटी बोलों क्या कहती हों तुम हां कहोगी तभी हम रिश्ता पक्का करेंगे।


तभी सुरभि बोलती हैं….. मैं क्या कहती हु दोनों को कुछ वक्त एकांत में एक दुसरे से बात करने का मौका दिया जाएं फिर कमला बिटिया से पूछे तो बेहतर होगा।


राजेंद्र भी येही कहता हैं। महेश और मनोरमा भी हां कहते हैं। तब दोनों को एक दूसरे से बाहर जाकर बात करने को कहा जाता हैं। पहले तो दोनों मना करते हैं लेकिन जोर देने पर बात करने को राजी हों जाते हैं। अब मसला ये खड़ा होता हैं दोनों को बात करने भेजा कहा जाएं। तब मनोरमा एक सुझाव देती हैं " हमारे घर के पीछे जो गार्डन बना हैं वहां जाकर दोनों बात कर लो।


दोनों उठाकर घर के बाहर चल देते हैं कमला आगे आगे चाल रहीं थीं। रघु सर झुकाए पीछे पीछे चला रहा था। पुष्पा रघु के पास जाती हैं और धीरे से बोलती हैं….. भईया बुद्धू जैसा व्यवहार न करना अच्छे से बात करना। ये ही मेरी भाभी बननी चाहिएं नहीं तो मैं आपसे कभी बात नहीं करूंगी।


पुष्पा कहकर अपनी जगह आकर बैठ जाती हैं। अब तो रघु टेंशन में आ गया था वह करे तो करे क्या पहली बार किसी अनजान लडक़ी से बात करने जा रहा था ऊपर से बहन ने अल्टीमेटम दे दिया कुछ भी करों उसकी भाभी कमला ही बननी चाहिएं। दोनों गार्डन मे पहुंच कर साथ साथ चल रहे थे। रघु कुछ दूरी बनाया हुआ था। साथ ही ध्यान भी रखा रहा था उसके शरीर का कोई भी हिस्सा कमला को छू न जाइए। दोनों की दिल की धड़कन बड़ी हुए थी। बात शुरू करे तो करे कहा से, दोनों के लिए यह पहला मौका था। कमला का तो इसे पहले छिछोरे लडकों से कही बार झड़प हुआ था लेकिन यह मजरा कुछ ओर था यह पिटना नहीं था बल्कि रिश्ता जोड़ना था और रघु के लिए यह पहला मौका था। रघु हमेशा लड़कियो से दूरी बनाकर रखता था चाहे कॉलेज हो या कही ओर इस बात से रघु को उसके दोस्त बहुत छेड़ते थे खाश कर उसका बचपन का दोस्त रमन वो तो रघु पर चढ़ ही बैठता था लेकिन रघु कभी उसका बुरा नहीं मानता था। लेकिन आज मजरा दूसरा था। रघु को अल्टीमेटम मिला हुआ था साथ ही उसे अपना जीवन साथी चुनना था रघु ने लामसम कमला को अपना जीवन साथी चुन ही लिया था बस पुष्टि करना रह गया था। बातो का सिलसिला शुरु कहा से करे समझ ही नही पा रहा था। लेकिन कही न कही से शुरु करना ही था तो रघु एक लंबी सांस भरकर छोड़ा फिर बोला….. अपका पसंदीदा विषय क्या हैं?


कमला बातों का मतलब समझ नहीं पाई या ध्यान से नहीं सुना इसलिए असमझता दर्शाते हुए रघु की और देखने लगीं तब रघु पुष्टि करते हुए बोला….. मेरे कहने का मतलब था अपको किस काम में सबसे ज्यादा रुचि है।


कमला मुस्करा कर रघु को देखती हैं। रघु पहले से ही मोहित था । अब तो वो और भी ज्यादा मोहित हो गया फिर ख़ुद को संभालते हुए बोला…... सुनिए आप ऐसे न मुस्कुराओ बड़ी मुस्कील से साहस जुटा कर आपसे बात करने आया हूं। आप ऐसे मुस्कुराते रहे तो मैं कुछ बात नहीं कर पाऊंगा फिर आप मना कर दोगी। अगर ऐसा हुआ तो मेरी बहना प्यारी मुझसे नाराज़ हों जायेगी सो अलग मुझसे कभी बात भी नहीं करेगी।


रघु को सहजता से बात करते देखकर कमला भी सहज भाव से मुस्कुराते हुए बोलती हैं…… तो आप अपने बहन से बहुत प्यार करते हों। तभी आप उनके कहने पर ही मुझसे बात करने आए हों।


रघु……. ऐसा नहीं की मैं आपसे बात नहीं करना चाहता था मेरा आपसे बात करने का मन था वो तो पुष्पा ने अल्टीमेटम दे दिया इसलिए मैंने ऐसा कहा।



कमला…. ओ तो आपके बहन ने अल्टीमेटम दे दिया क्या कहा मैं जान सकती हूं।


रघु टपक से बोल पडा….. उसने साफ लब्जो में कह दिया आप अगर उसकी भाभी नहीं बनी तो वो मुझसे कभी बात नहीं करेंगी।


कहते ही रघु को आभास हुआ जो नहीं कहना था वह ही बोल दिया बरहाल जो बोल दिया सो बोल दिया उसे वापस तो नहीं लिए जा सकता इसलिए कमला की ओर देखकर मुस्कुरा दिया। कमला भी एक लुभावनी मुस्कान देते हुए बोली…... फिर तो मुझे हां कहना ही चाहिएं आप क्या कहते हों।


रघु…... क्या कहना चाहिएं यह सिर्फ और सिर्फ अपका फैसला हैं। इसमें न मैं कोई जोर जबर्दस्ती कर सकता हूं न ही कोई ओर शादी कोई गुड्डे गुडियो का खेल नहीं जो आज किया और कल तोड़ दिया। यह जीवन भर का फैसला हैं तो सोच समझकर ही लेना चाहिएं।


रघु की समझदारी पूर्ण बाते कहने के दौरान कमला एक टक रघु को देख रही थीं और समझने की कोशिश कर रहीं थी। जब उसे समझ आया रघु ने कितनी गहरी बात सरलता से कह दिया। रघु की बातों ने कमला के दिल में घर कर लिया और शायद रघु भी कमला के दिल में बस गया। कमला को ऐसे देखते हुए देखकर रघु बोला….. आप मुझे ऐसे क्यो देख रही हों मैंने कुछ गलत बोल दिया।


कमला….. नहीं अपने कुछ गलत नही बोला मैं तो बस यह समझने की कोशिश कर रहा था अपने कितनी गहरी बात सरल भाव और शब्दो में कह दिया।


रघु ने चमकीले दांतो के दर्शन करवा दिया रघु को मुस्कुराता देखकर कमला ने भी मुस्करा दिया। कमला को मुस्कुराते देखकर रघु बोला…... मैंने आपसे कहा था आप ऐसे न मुस्कुराओ नहीं तो मैं बस आप को मुस्कुराता हुआ देखता रह जाऊंगा जो बात करने आया हूं वो कर ही नहीं पाऊंगा मेरे कुछ न कहने से हों सकता हैं आप माना कर दो।


कमला फिर से मुस्कुरा दिया और बोली….. आप ने कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया फिर भी आप कह रहें होंआप बात नहीं कर पाओगे। अगर मैंने हां कह दिया फिर तो आपको कोई परेशनी नहीं होगी।


हां सुनाकर रघु समझने की कोशिश कर रहा था कमला कहना किया चाहती हैं क्या कमला गुमा फिरा कर हां कह रहीं थी? अब इस झल्ले रघु को कौन समझाए कमला ने उसे हा कहा था लेकिन ये मंद बुद्धि के साथ साथ बैल बुद्धि होने का प्रमाण दे रहा था। जब रघु समझ नहीं पाया तब बोला….. आप के हां कहने से मेरे सभी समस्याओं का निराकरण हों जाएगा । पहली बार कोई लडक़ी मेरे दिल को इतना भाया हैं की मैं कह नहीं सकता और वह मेरा जीवन साथी बन जाए इसे अच्छा मेरे लिए ओर क्या होगा और मेरी बहन भी मुझसे नराज नहीं होगी।


कमला अच्छा कहकर मुस्कुरा देती हैं उसके इस मुस्कान के पीछे एक टोंट का आभास हो रहा था। ऐसे ही दोनो बाते करते हुए चल भी रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी कमला को कही छुने या कहूं अपनी शरीर का कोई भी हिस्सा कमला के शरीर से संपर्क ही नहीं होने दिया कमला इस बात को भी परख लिया था। जहां दूसरे लडके कमला को बहाने से छूने की कोशिश करते रहते थे। वहीं रघु एक बार भी कमला को छुने की कोशिश नहीं किया इससे कमला पुरी तरह से रघु पर मोहित हों गया। कमला रघु की बातो को सुन भी रहा था और उसके सरल स्वभाव पर विचार भी कर रहा था। ऐसे सोचा विचारी में चलते हुए कमला डगमगा गई और गिरने को हुई। तब रघु ने कमला का हाथ पकड़ कर कमला को गिरने से बचा लिया। हाथ पकड़ते ही कमला रघु को अचंभित होकर देखने लगी। कमला का अचंभित होकर देखना लाज़मी था। इतने देर से चलते हुए बात कर रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी छुने की चेष्टा तक नहीं किया और अब अचानक से उसका हाथ थाम लिया। लेकिन जब कमला को अपनी परिस्थि का भान हुआ तब कमला मन ही मन मुस्कुरा दिया। कमला संभाल गई तब रघु को भान हुआ उसने किया क्या तो कमला का हाथ छोड़कर बोला……आप ठीक तो हों न, माफ करना मेरे छुने से आप को बुरा लगा हों तो।


कमला मुस्कुराते हुए बोली… नहीं मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगा। आप मुझे नहीं पकड़ते तो मैं गिर जाती, शायद मुझे चोट भी लग जाती। आप को माफी मांगने की जरूरत नहीं हैं भविष्य में आप ही तो मुझे ऐसे ही छुएंगे।


कमला की कहीं हुई कुछ बातो पर गौर किया। कुछ बातो पर नहीं वरना रघु जान जाता कमला ने रघु को हां कह दिया। दोनों को आए हुए वक्त ज्यादा हों गया इसका भान होते ही रघु ने कह….. अब हमे चलना चाहिए बहुत देर हों गया हैं।


कमला को भी लग रहा था उन्हें आए हुए बहुत देर हो गई है लेकिन वो कह नहीं पा रही थीं इसलिए रघु के वापस जाने की बात कहते ही कमला ने भी सर हिलाकर हां कह जब दोनों घर की और जा रहे थे तब रघु जबाव जाने के तर्ज पर कहा….. आप ने अपना ज़बाब नहीं बताए।


कमला रघु की सवाल सुनकर मुस्करा दिया और बोली…… आप न बिलकुल बुद्धू हो मैंने तो कब का अपको हा कह दिया लेकिन आप हों की समझ ही नहीं पाए।


रघु के दिमाग पर जोर पडा कब हां कहा सोचने लगा जब उसे लगा कमला ने बातों के दौरान कहीं पर भी हां नहीं कह तब सर खुजते हुए बोला "कब हां कहा अपने"


कमला…… मैंने अपको पहली बार तब हा कहा था जब अपने मुझे अपनी बहन की दिए अल्टीमेटम के बारे में बताया था और दूरी बार तब हां कहा जब अपने मुझे गिरने से बचाया था। मैंने अंत में कहा था। भविष्य में आप ही तो मुझे ऐसे ही छुएंगे। अब आप ही बताइए मैंने हां कहा की नहीं।


रघु को अपनी गलती समझ आया और मन ही मन खुद को गली दिया फिर बोला….आप ऐसे घुमा फिरा कर हां कहेंगे तो मैं कैसे समझ पाऊंगा।


कमला…… मैंने जैसे भी बोला अपको समझना चाहिएं था कोई लडक़ी सीधे सीधे हां नहीं कहती समझे आप।


रघु कुछ नहीं कहा बस मुस्करा दिया। रघु मुस्कुराने के अलावा कर भी किया सकता था। इतनी खूबसूरत लड़की रघु से प्रभावित होकर हां कर देती हैं। ऐसे ही हसी मजाक करते हुए दोनों घर की ओर बड़ने लगे थे। दोनों को हंसी मजाक करते हुए देख कर ऐसा लग रहा था जैसे दोनों एक दूसरे को वर्षों से जानते हों, लग ही नहीं रहा था दोनों अजनबी हैं। आज ही एक दूसरे से मिले हैं और एक गहरा रिश्ता दोनों ने कुछ ही वक्त के मेल मिलाप से जोड़ लिया हैं। रघु भले ही सीधा साधा काम बोलने वाला लड़का हों लेकिन देने वाले ने उसे एक गुण थोक के भाव दिया था। वो हैं अपनी बातों से दूसरे को आकर्षित कर एक गहरा रिश्ता जोड़ लेना। दोनों हंसी मजाक करते हुए घर पहुंचे जहां पर बेसवरी से इनकी प्रतिक्षा किया जा रहा था। रघु जाकर पुष्पा के पास बैठ जाता हैं। बैठते ही पुष्पा रघु को याचक दृष्टि से देख रही थीं जैसे पुछ रहीं हों " क्या हुआ ?" रघु उसके याचक भाव का कोई ज़बाब नहीं दिया। कमला जाकर रघु के सामने बैठ जाती हैं। उसके लवों से मंद मंद मुस्कान के साथ फूलो की बरसा हों रहीं थीं। सुरभि, राजेंद्र, महेश और मनोरमा कमला के जबाव की प्रतिक्षा करते हुए उसकी और देख रहे थे। रघु से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर पुष्पा भी कमला की और ही देखने लगती हैं। लेकिन कमला हैं की कुछ बोल ही नहीं रहीं थीं। और अपना भाव बदल लिया था उसे देखकर सुरभि उठ कर कमला के पास गई और पूछी…... बेटी बताओ अपको मेरा बेटा पसंद आया की नहीं।"


कमला पुष्पा की और देखकर मुंह भिचका लिए जैसे वो कहना चाहती हो मुझे रघु बिल्कुल पसंद नहीं आय। कमला को मुंह भिचकता देख पुष्पा का मुंह छोटा सा हों गया। उसे लगा उसकी आस अधूरी रह गई। रघु ने उसकी कही बातो को नजरंदाज कर दिया तब रघु को उंगली दिखाकर बोला " मैं आपसे कभी बात नहीं करुंगी अपनी मेरा कहना नहीं माना।"


पुष्पा मुंह फुलाकर जानें लगीं तब कमला उसे रोकते हुए बोली "नाराज होकर कहा जा रहीं हों ननद रानी होने वाली भाभी से बात नहीं करोगी।"


ननद रानी सुनाकर पुष्पा रुक गई। पुष्पा रुकी सो रुकी लेकिन वह मौजुद सभी समझाने की कोशिश कर रहे थे कमला ने अभी किया कहा जब उन्हें समझ आया तो सब मुस्कुरा दिया और इशारों इशारों में सब को बधाई देने लगे। लेकिन पुष्पा को उनसे कोई मतलब नहीं था। उसे तो एक बार फिर से सुनकर कन्फर्म करना था इसलिए बोला "अपने अभी अभी क्या कहा?"


कमला " जो अपने सुना"


पुष्पा "मैं भी तो वहीं जानना चाहती हूं अपने ने क्या कहा।"


कमला " मैंने कहा .. मैंने कहा... मैंने कहा…"


कमला के अधूरा वाक्य बोलने से पुष्प खीज गई और बोली "क्या आप भी पॉज ले ले कर बोला रहीं हों सीधे सीधे बोलो नहीं तो मैं जा रहीं हूं।"


कमला….. किधर चाली होने वाली ननद रानी जी इधर आओ मैं आपको अपनी हाथों से मिठाई खिलाती हूं।"


कमला के कहते ही वह हंसी और ठहाके गूंज उठा पुष्पा जाकर कमला के पास बैठ गई और कमाल से गले मिलते हुए बोली "thank you thank you फिर रघु की और देख कर कान पकड़कर sorry sorry भईया।"


एक बार फिर से वह हंसी और ठहाके गूंजने लगा। कुछ वक्त तक हंसी ठहाके के बाद बात छिड़ी शादी का शुभ मुहूर्त कब की निकली जाए तब महेश ने कहा "राजा जी अगले हफ्ते से कमला की परिक्षा शुरू होने वाला हैं। इसलिए हम चाहते हैं परिक्षा की बाद की ही कोई शुभ मुहूर्त जाए।


राजेंद्र …... आप तो कम से कम राजा जी न बोले हम समधी बनने वाले हैं। रहीं बात शुभ मुहूर्त की तो परिक्षा हो जानें दीजिए फिर शुभ मुहूर्त निकलबाकर हम अपनी बहु को घर ले जायेंगे तब तक हमारी अमानत को आप के पास छोड़कर जाते हैं।


महेश जी भी राजेंद्र की बातों से सहमत हो गया। कुछ देर ओर बात चीत चला फिर खाने पीने की व्यवस्था किया गया खाना खाते हुए सब ने खाने की बहुत तारीफ किया। मनोरम ने बता दिया खाना कमला ने बनाया हैं फिर तो कमला के तरीफो के पुल बांध गईं। खाना पीना होने के बाद राजेंद्र सुरभी विदा लेकर जाने लगे तभी रघु ने पुष्पा के कान में कुछ कहा। पुष्पा भागकर कमला के पास गई और कुछ वक्त के बाद कमला ने चुपके से एक पर्चा पुष्पा को थमा दिया। जिसे लाकर रघु के जेब में डाल दिया फिर सब हंसी ख़ुशी घर को चल दिया।



आगे ओर किया किया होता हैं ये जानेंगे अगले अपडेट से, प्रिय पाठकों पिछले कुछ दिनों से समय की कमी के चलते आप सब से मुखातिब नहीं हों पाया। क्या करे ज़िंदगी में बहुत से जरूरी कम होते हैं जिसे करना भी जरूरी होता। इसलिए जब जब समय मिलेगा कहानी के आगे के अपडेट को पेश करता रहूंगा। बस इतना कहूंगा देर भले हि हों यह कहानी पूरा होकर रहेगा । शुक्रिया
Nice and excellent update...
 

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Update - 14



पुष्पा उठाकर कमला के पास जाकर बैठ गई थी फ़िर कमला के कान में कहती हैं…… मेरे भइया अपको कैसी लगीं।


कमला कुछ नहीं कहती बस मुस्कुरा देती हैं। तब सुरभि कहती हैं…….. नटखट तू क्या पुछ रहीं हैं कमला बिटिया से।


पुष्पा टपक से बोल पड़ती हैं…... ये हमारे बीच की बात हैं आप जानकर क्या करोगी।


सुरभि मुस्कुरा देती हैं फिर महेश से कहती हैं……. भाई साहाब हमे तो लडक़ी पसंद हैं आप किया कहते हों।


महेश मनोरमा की ओर देखता हैं मनोरमा हां का इशारा करती हैं तब महेश कहता हैं…. जी हमे भी लड़का पसंद हैं। अब कमला हां कर दे तो समझो रिश्ता पक्का।


सब कमला और रघु की ओर आस भरी निगाहों से देखती हैं खाश कर कमला की ओर क्योंकि रघु के हाव भाव ने दर्शा दिया था। रघु को कमला पसंद आ गया हैं बस कमला की हां कहने की देर थीं। तब पुष्पा कमला से बोलती हैं…... मेरे भाई को आप पसंद आ गई हो अब आप किया कहती हों आप ने हां कह दिया तो आप ही मेरी भाभी बनकर आओगी।


तभी मनोरमा बोलती हैं….. हां बेटी बोलों क्या कहती हों तुम हां कहोगी तभी हम रिश्ता पक्का करेंगे।


तभी सुरभि बोलती हैं….. मैं क्या कहती हु दोनों को कुछ वक्त एकांत में एक दुसरे से बात करने का मौका दिया जाएं फिर कमला बिटिया से पूछे तो बेहतर होगा।


राजेंद्र भी येही कहता हैं। महेश और मनोरमा भी हां कहते हैं। तब दोनों को एक दूसरे से बाहर जाकर बात करने को कहा जाता हैं। पहले तो दोनों मना करते हैं लेकिन जोर देने पर बात करने को राजी हों जाते हैं। अब मसला ये खड़ा होता हैं दोनों को बात करने भेजा कहा जाएं। तब मनोरमा एक सुझाव देती हैं " हमारे घर के पीछे जो गार्डन बना हैं वहां जाकर दोनों बात कर लो।


दोनों उठाकर घर के बाहर चल देते हैं कमला आगे आगे चाल रहीं थीं। रघु सर झुकाए पीछे पीछे चला रहा था। पुष्पा रघु के पास जाती हैं और धीरे से बोलती हैं….. भईया बुद्धू जैसा व्यवहार न करना अच्छे से बात करना। ये ही मेरी भाभी बननी चाहिएं नहीं तो मैं आपसे कभी बात नहीं करूंगी।


पुष्पा कहकर अपनी जगह आकर बैठ जाती हैं। अब तो रघु टेंशन में आ गया था वह करे तो करे क्या पहली बार किसी अनजान लडक़ी से बात करने जा रहा था ऊपर से बहन ने अल्टीमेटम दे दिया कुछ भी करों उसकी भाभी कमला ही बननी चाहिएं। दोनों गार्डन मे पहुंच कर साथ साथ चल रहे थे। रघु कुछ दूरी बनाया हुआ था। साथ ही ध्यान भी रखा रहा था उसके शरीर का कोई भी हिस्सा कमला को छू न जाइए। दोनों की दिल की धड़कन बड़ी हुए थी। बात शुरू करे तो करे कहा से, दोनों के लिए यह पहला मौका था। कमला का तो इसे पहले छिछोरे लडकों से कही बार झड़प हुआ था लेकिन यह मजरा कुछ ओर था यह पिटना नहीं था बल्कि रिश्ता जोड़ना था और रघु के लिए यह पहला मौका था। रघु हमेशा लड़कियो से दूरी बनाकर रखता था चाहे कॉलेज हो या कही ओर इस बात से रघु को उसके दोस्त बहुत छेड़ते थे खाश कर उसका बचपन का दोस्त रमन वो तो रघु पर चढ़ ही बैठता था लेकिन रघु कभी उसका बुरा नहीं मानता था। लेकिन आज मजरा दूसरा था। रघु को अल्टीमेटम मिला हुआ था साथ ही उसे अपना जीवन साथी चुनना था रघु ने लामसम कमला को अपना जीवन साथी चुन ही लिया था बस पुष्टि करना रह गया था। बातो का सिलसिला शुरु कहा से करे समझ ही नही पा रहा था। लेकिन कही न कही से शुरु करना ही था तो रघु एक लंबी सांस भरकर छोड़ा फिर बोला….. अपका पसंदीदा विषय क्या हैं?


कमला बातों का मतलब समझ नहीं पाई या ध्यान से नहीं सुना इसलिए असमझता दर्शाते हुए रघु की और देखने लगीं तब रघु पुष्टि करते हुए बोला….. मेरे कहने का मतलब था अपको किस काम में सबसे ज्यादा रुचि है।


कमला मुस्करा कर रघु को देखती हैं। रघु पहले से ही मोहित था । अब तो वो और भी ज्यादा मोहित हो गया फिर ख़ुद को संभालते हुए बोला…... सुनिए आप ऐसे न मुस्कुराओ बड़ी मुस्कील से साहस जुटा कर आपसे बात करने आया हूं। आप ऐसे मुस्कुराते रहे तो मैं कुछ बात नहीं कर पाऊंगा फिर आप मना कर दोगी। अगर ऐसा हुआ तो मेरी बहना प्यारी मुझसे नाराज़ हों जायेगी सो अलग मुझसे कभी बात भी नहीं करेगी।


रघु को सहजता से बात करते देखकर कमला भी सहज भाव से मुस्कुराते हुए बोलती हैं…… तो आप अपने बहन से बहुत प्यार करते हों। तभी आप उनके कहने पर ही मुझसे बात करने आए हों।


रघु……. ऐसा नहीं की मैं आपसे बात नहीं करना चाहता था मेरा आपसे बात करने का मन था वो तो पुष्पा ने अल्टीमेटम दे दिया इसलिए मैंने ऐसा कहा।



कमला…. ओ तो आपके बहन ने अल्टीमेटम दे दिया क्या कहा मैं जान सकती हूं।


रघु टपक से बोल पडा….. उसने साफ लब्जो में कह दिया आप अगर उसकी भाभी नहीं बनी तो वो मुझसे कभी बात नहीं करेंगी।


कहते ही रघु को आभास हुआ जो नहीं कहना था वह ही बोल दिया बरहाल जो बोल दिया सो बोल दिया उसे वापस तो नहीं लिए जा सकता इसलिए कमला की ओर देखकर मुस्कुरा दिया। कमला भी एक लुभावनी मुस्कान देते हुए बोली…... फिर तो मुझे हां कहना ही चाहिएं आप क्या कहते हों।


रघु…... क्या कहना चाहिएं यह सिर्फ और सिर्फ अपका फैसला हैं। इसमें न मैं कोई जोर जबर्दस्ती कर सकता हूं न ही कोई ओर शादी कोई गुड्डे गुडियो का खेल नहीं जो आज किया और कल तोड़ दिया। यह जीवन भर का फैसला हैं तो सोच समझकर ही लेना चाहिएं।


रघु की समझदारी पूर्ण बाते कहने के दौरान कमला एक टक रघु को देख रही थीं और समझने की कोशिश कर रहीं थी। जब उसे समझ आया रघु ने कितनी गहरी बात सरलता से कह दिया। रघु की बातों ने कमला के दिल में घर कर लिया और शायद रघु भी कमला के दिल में बस गया। कमला को ऐसे देखते हुए देखकर रघु बोला….. आप मुझे ऐसे क्यो देख रही हों मैंने कुछ गलत बोल दिया।


कमला….. नहीं अपने कुछ गलत नही बोला मैं तो बस यह समझने की कोशिश कर रहा था अपने कितनी गहरी बात सरल भाव और शब्दो में कह दिया।


रघु ने चमकीले दांतो के दर्शन करवा दिया रघु को मुस्कुराता देखकर कमला ने भी मुस्करा दिया। कमला को मुस्कुराते देखकर रघु बोला…... मैंने आपसे कहा था आप ऐसे न मुस्कुराओ नहीं तो मैं बस आप को मुस्कुराता हुआ देखता रह जाऊंगा जो बात करने आया हूं वो कर ही नहीं पाऊंगा मेरे कुछ न कहने से हों सकता हैं आप माना कर दो।


कमला फिर से मुस्कुरा दिया और बोली….. आप ने कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया फिर भी आप कह रहें होंआप बात नहीं कर पाओगे। अगर मैंने हां कह दिया फिर तो आपको कोई परेशनी नहीं होगी।


हां सुनाकर रघु समझने की कोशिश कर रहा था कमला कहना किया चाहती हैं क्या कमला गुमा फिरा कर हां कह रहीं थी? अब इस झल्ले रघु को कौन समझाए कमला ने उसे हा कहा था लेकिन ये मंद बुद्धि के साथ साथ बैल बुद्धि होने का प्रमाण दे रहा था। जब रघु समझ नहीं पाया तब बोला….. आप के हां कहने से मेरे सभी समस्याओं का निराकरण हों जाएगा । पहली बार कोई लडक़ी मेरे दिल को इतना भाया हैं की मैं कह नहीं सकता और वह मेरा जीवन साथी बन जाए इसे अच्छा मेरे लिए ओर क्या होगा और मेरी बहन भी मुझसे नराज नहीं होगी।


कमला अच्छा कहकर मुस्कुरा देती हैं उसके इस मुस्कान के पीछे एक टोंट का आभास हो रहा था। ऐसे ही दोनो बाते करते हुए चल भी रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी कमला को कही छुने या कहूं अपनी शरीर का कोई भी हिस्सा कमला के शरीर से संपर्क ही नहीं होने दिया कमला इस बात को भी परख लिया था। जहां दूसरे लडके कमला को बहाने से छूने की कोशिश करते रहते थे। वहीं रघु एक बार भी कमला को छुने की कोशिश नहीं किया इससे कमला पुरी तरह से रघु पर मोहित हों गया। कमला रघु की बातो को सुन भी रहा था और उसके सरल स्वभाव पर विचार भी कर रहा था। ऐसे सोचा विचारी में चलते हुए कमला डगमगा गई और गिरने को हुई। तब रघु ने कमला का हाथ पकड़ कर कमला को गिरने से बचा लिया। हाथ पकड़ते ही कमला रघु को अचंभित होकर देखने लगी। कमला का अचंभित होकर देखना लाज़मी था। इतने देर से चलते हुए बात कर रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी छुने की चेष्टा तक नहीं किया और अब अचानक से उसका हाथ थाम लिया। लेकिन जब कमला को अपनी परिस्थि का भान हुआ तब कमला मन ही मन मुस्कुरा दिया। कमला संभाल गई तब रघु को भान हुआ उसने किया क्या तो कमला का हाथ छोड़कर बोला……आप ठीक तो हों न, माफ करना मेरे छुने से आप को बुरा लगा हों तो।


कमला मुस्कुराते हुए बोली… नहीं मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगा। आप मुझे नहीं पकड़ते तो मैं गिर जाती, शायद मुझे चोट भी लग जाती। आप को माफी मांगने की जरूरत नहीं हैं भविष्य में आप ही तो मुझे ऐसे ही छुएंगे।


कमला की कहीं हुई कुछ बातो पर गौर किया। कुछ बातो पर नहीं वरना रघु जान जाता कमला ने रघु को हां कह दिया। दोनों को आए हुए वक्त ज्यादा हों गया इसका भान होते ही रघु ने कह….. अब हमे चलना चाहिए बहुत देर हों गया हैं।


कमला को भी लग रहा था उन्हें आए हुए बहुत देर हो गई है लेकिन वो कह नहीं पा रही थीं इसलिए रघु के वापस जाने की बात कहते ही कमला ने भी सर हिलाकर हां कह जब दोनों घर की और जा रहे थे तब रघु जबाव जाने के तर्ज पर कहा….. आप ने अपना ज़बाब नहीं बताए।


कमला रघु की सवाल सुनकर मुस्करा दिया और बोली…… आप न बिलकुल बुद्धू हो मैंने तो कब का अपको हा कह दिया लेकिन आप हों की समझ ही नहीं पाए।


रघु के दिमाग पर जोर पडा कब हां कहा सोचने लगा जब उसे लगा कमला ने बातों के दौरान कहीं पर भी हां नहीं कह तब सर खुजते हुए बोला "कब हां कहा अपने"


कमला…… मैंने अपको पहली बार तब हा कहा था जब अपने मुझे अपनी बहन की दिए अल्टीमेटम के बारे में बताया था और दूरी बार तब हां कहा जब अपने मुझे गिरने से बचाया था। मैंने अंत में कहा था। भविष्य में आप ही तो मुझे ऐसे ही छुएंगे। अब आप ही बताइए मैंने हां कहा की नहीं।


रघु को अपनी गलती समझ आया और मन ही मन खुद को गली दिया फिर बोला….आप ऐसे घुमा फिरा कर हां कहेंगे तो मैं कैसे समझ पाऊंगा।


कमला…… मैंने जैसे भी बोला अपको समझना चाहिएं था कोई लडक़ी सीधे सीधे हां नहीं कहती समझे आप।


रघु कुछ नहीं कहा बस मुस्करा दिया। रघु मुस्कुराने के अलावा कर भी किया सकता था। इतनी खूबसूरत लड़की रघु से प्रभावित होकर हां कर देती हैं। ऐसे ही हसी मजाक करते हुए दोनों घर की ओर बड़ने लगे थे। दोनों को हंसी मजाक करते हुए देख कर ऐसा लग रहा था जैसे दोनों एक दूसरे को वर्षों से जानते हों, लग ही नहीं रहा था दोनों अजनबी हैं। आज ही एक दूसरे से मिले हैं और एक गहरा रिश्ता दोनों ने कुछ ही वक्त के मेल मिलाप से जोड़ लिया हैं। रघु भले ही सीधा साधा काम बोलने वाला लड़का हों लेकिन देने वाले ने उसे एक गुण थोक के भाव दिया था। वो हैं अपनी बातों से दूसरे को आकर्षित कर एक गहरा रिश्ता जोड़ लेना। दोनों हंसी मजाक करते हुए घर पहुंचे जहां पर बेसवरी से इनकी प्रतिक्षा किया जा रहा था। रघु जाकर पुष्पा के पास बैठ जाता हैं। बैठते ही पुष्पा रघु को याचक दृष्टि से देख रही थीं जैसे पुछ रहीं हों " क्या हुआ ?" रघु उसके याचक भाव का कोई ज़बाब नहीं दिया। कमला जाकर रघु के सामने बैठ जाती हैं। उसके लवों से मंद मंद मुस्कान के साथ फूलो की बरसा हों रहीं थीं। सुरभि, राजेंद्र, महेश और मनोरमा कमला के जबाव की प्रतिक्षा करते हुए उसकी और देख रहे थे। रघु से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर पुष्पा भी कमला की और ही देखने लगती हैं। लेकिन कमला हैं की कुछ बोल ही नहीं रहीं थीं। और अपना भाव बदल लिया था उसे देखकर सुरभि उठ कर कमला के पास गई और पूछी…... बेटी बताओ अपको मेरा बेटा पसंद आया की नहीं।"


कमला पुष्पा की और देखकर मुंह भिचका लिए जैसे वो कहना चाहती हो मुझे रघु बिल्कुल पसंद नहीं आय। कमला को मुंह भिचकता देख पुष्पा का मुंह छोटा सा हों गया। उसे लगा उसकी आस अधूरी रह गई। रघु ने उसकी कही बातो को नजरंदाज कर दिया तब रघु को उंगली दिखाकर बोला " मैं आपसे कभी बात नहीं करुंगी अपनी मेरा कहना नहीं माना।"


पुष्पा मुंह फुलाकर जानें लगीं तब कमला उसे रोकते हुए बोली "नाराज होकर कहा जा रहीं हों ननद रानी होने वाली भाभी से बात नहीं करोगी।"


ननद रानी सुनाकर पुष्पा रुक गई। पुष्पा रुकी सो रुकी लेकिन वह मौजुद सभी समझाने की कोशिश कर रहे थे कमला ने अभी किया कहा जब उन्हें समझ आया तो सब मुस्कुरा दिया और इशारों इशारों में सब को बधाई देने लगे। लेकिन पुष्पा को उनसे कोई मतलब नहीं था। उसे तो एक बार फिर से सुनकर कन्फर्म करना था इसलिए बोला "अपने अभी अभी क्या कहा?"


कमला " जो अपने सुना"


पुष्पा "मैं भी तो वहीं जानना चाहती हूं अपने ने क्या कहा।"


कमला " मैंने कहा .. मैंने कहा... मैंने कहा…"


कमला के अधूरा वाक्य बोलने से पुष्प खीज गई और बोली "क्या आप भी पॉज ले ले कर बोला रहीं हों सीधे सीधे बोलो नहीं तो मैं जा रहीं हूं।"


कमला….. किधर चाली होने वाली ननद रानी जी इधर आओ मैं आपको अपनी हाथों से मिठाई खिलाती हूं।"


कमला के कहते ही वह हंसी और ठहाके गूंज उठा पुष्पा जाकर कमला के पास बैठ गई और कमाल से गले मिलते हुए बोली "thank you thank you फिर रघु की और देख कर कान पकड़कर sorry sorry भईया।"


एक बार फिर से वह हंसी और ठहाके गूंजने लगा। कुछ वक्त तक हंसी ठहाके के बाद बात छिड़ी शादी का शुभ मुहूर्त कब की निकली जाए तब महेश ने कहा "राजा जी अगले हफ्ते से कमला की परिक्षा शुरू होने वाला हैं। इसलिए हम चाहते हैं परिक्षा की बाद की ही कोई शुभ मुहूर्त जाए।


राजेंद्र …... आप तो कम से कम राजा जी न बोले हम समधी बनने वाले हैं। रहीं बात शुभ मुहूर्त की तो परिक्षा हो जानें दीजिए फिर शुभ मुहूर्त निकलबाकर हम अपनी बहु को घर ले जायेंगे तब तक हमारी अमानत को आप के पास छोड़कर जाते हैं।


महेश जी भी राजेंद्र की बातों से सहमत हो गया। कुछ देर ओर बात चीत चला फिर खाने पीने की व्यवस्था किया गया खाना खाते हुए सब ने खाने की बहुत तारीफ किया। मनोरम ने बता दिया खाना कमला ने बनाया हैं फिर तो कमला के तरीफो के पुल बांध गईं। खाना पीना होने के बाद राजेंद्र सुरभी विदा लेकर जाने लगे तभी रघु ने पुष्पा के कान में कुछ कहा। पुष्पा भागकर कमला के पास गई और कुछ वक्त के बाद कमला ने चुपके से एक पर्चा पुष्पा को थमा दिया। जिसे लाकर रघु के जेब में डाल दिया फिर सब हंसी ख़ुशी घर को चल दिया।



आगे ओर किया किया होता हैं ये जानेंगे अगले अपडेट से, प्रिय पाठकों पिछले कुछ दिनों से समय की कमी के चलते आप सब से मुखातिब नहीं हों पाया। क्या करे ज़िंदगी में बहुत से जरूरी कम होते हैं जिसे करना भी जरूरी होता। इसलिए जब जब समय मिलेगा कहानी के आगे के अपडेट को पेश करता रहूंगा। बस इतना कहूंगा देर भले हि हों यह कहानी पूरा होकर रहेगा । शुक्रिया
Awesome Updatee

Toh Kamla aur Raghu ne ekdusre ko pasand karliya hai aur dono ki jodi bhi ban gayi hai.

Jab Raavan ko yeh pata chalega tab uska kyaa reaction hoga yeh dekhne layak hoga
 

Lib am

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Update - 14



पुष्पा उठाकर कमला के पास जाकर बैठ गई थी फ़िर कमला के कान में कहती हैं…… मेरे भइया अपको कैसी लगीं।


कमला कुछ नहीं कहती बस मुस्कुरा देती हैं। तब सुरभि कहती हैं…….. नटखट तू क्या पुछ रहीं हैं कमला बिटिया से।


पुष्पा टपक से बोल पड़ती हैं…... ये हमारे बीच की बात हैं आप जानकर क्या करोगी।


सुरभि मुस्कुरा देती हैं फिर महेश से कहती हैं……. भाई साहाब हमे तो लडक़ी पसंद हैं आप किया कहते हों।


महेश मनोरमा की ओर देखता हैं मनोरमा हां का इशारा करती हैं तब महेश कहता हैं…. जी हमे भी लड़का पसंद हैं। अब कमला हां कर दे तो समझो रिश्ता पक्का।


सब कमला और रघु की ओर आस भरी निगाहों से देखती हैं खाश कर कमला की ओर क्योंकि रघु के हाव भाव ने दर्शा दिया था। रघु को कमला पसंद आ गया हैं बस कमला की हां कहने की देर थीं। तब पुष्पा कमला से बोलती हैं…... मेरे भाई को आप पसंद आ गई हो अब आप किया कहती हों आप ने हां कह दिया तो आप ही मेरी भाभी बनकर आओगी।


तभी मनोरमा बोलती हैं….. हां बेटी बोलों क्या कहती हों तुम हां कहोगी तभी हम रिश्ता पक्का करेंगे।


तभी सुरभि बोलती हैं….. मैं क्या कहती हु दोनों को कुछ वक्त एकांत में एक दुसरे से बात करने का मौका दिया जाएं फिर कमला बिटिया से पूछे तो बेहतर होगा।


राजेंद्र भी येही कहता हैं। महेश और मनोरमा भी हां कहते हैं। तब दोनों को एक दूसरे से बाहर जाकर बात करने को कहा जाता हैं। पहले तो दोनों मना करते हैं लेकिन जोर देने पर बात करने को राजी हों जाते हैं। अब मसला ये खड़ा होता हैं दोनों को बात करने भेजा कहा जाएं। तब मनोरमा एक सुझाव देती हैं " हमारे घर के पीछे जो गार्डन बना हैं वहां जाकर दोनों बात कर लो।


दोनों उठाकर घर के बाहर चल देते हैं कमला आगे आगे चाल रहीं थीं। रघु सर झुकाए पीछे पीछे चला रहा था। पुष्पा रघु के पास जाती हैं और धीरे से बोलती हैं….. भईया बुद्धू जैसा व्यवहार न करना अच्छे से बात करना। ये ही मेरी भाभी बननी चाहिएं नहीं तो मैं आपसे कभी बात नहीं करूंगी।


पुष्पा कहकर अपनी जगह आकर बैठ जाती हैं। अब तो रघु टेंशन में आ गया था वह करे तो करे क्या पहली बार किसी अनजान लडक़ी से बात करने जा रहा था ऊपर से बहन ने अल्टीमेटम दे दिया कुछ भी करों उसकी भाभी कमला ही बननी चाहिएं। दोनों गार्डन मे पहुंच कर साथ साथ चल रहे थे। रघु कुछ दूरी बनाया हुआ था। साथ ही ध्यान भी रखा रहा था उसके शरीर का कोई भी हिस्सा कमला को छू न जाइए। दोनों की दिल की धड़कन बड़ी हुए थी। बात शुरू करे तो करे कहा से, दोनों के लिए यह पहला मौका था। कमला का तो इसे पहले छिछोरे लडकों से कही बार झड़प हुआ था लेकिन यह मजरा कुछ ओर था यह पिटना नहीं था बल्कि रिश्ता जोड़ना था और रघु के लिए यह पहला मौका था। रघु हमेशा लड़कियो से दूरी बनाकर रखता था चाहे कॉलेज हो या कही ओर इस बात से रघु को उसके दोस्त बहुत छेड़ते थे खाश कर उसका बचपन का दोस्त रमन वो तो रघु पर चढ़ ही बैठता था लेकिन रघु कभी उसका बुरा नहीं मानता था। लेकिन आज मजरा दूसरा था। रघु को अल्टीमेटम मिला हुआ था साथ ही उसे अपना जीवन साथी चुनना था रघु ने लामसम कमला को अपना जीवन साथी चुन ही लिया था बस पुष्टि करना रह गया था। बातो का सिलसिला शुरु कहा से करे समझ ही नही पा रहा था। लेकिन कही न कही से शुरु करना ही था तो रघु एक लंबी सांस भरकर छोड़ा फिर बोला….. अपका पसंदीदा विषय क्या हैं?


कमला बातों का मतलब समझ नहीं पाई या ध्यान से नहीं सुना इसलिए असमझता दर्शाते हुए रघु की और देखने लगीं तब रघु पुष्टि करते हुए बोला….. मेरे कहने का मतलब था अपको किस काम में सबसे ज्यादा रुचि है।


कमला मुस्करा कर रघु को देखती हैं। रघु पहले से ही मोहित था । अब तो वो और भी ज्यादा मोहित हो गया फिर ख़ुद को संभालते हुए बोला…... सुनिए आप ऐसे न मुस्कुराओ बड़ी मुस्कील से साहस जुटा कर आपसे बात करने आया हूं। आप ऐसे मुस्कुराते रहे तो मैं कुछ बात नहीं कर पाऊंगा फिर आप मना कर दोगी। अगर ऐसा हुआ तो मेरी बहना प्यारी मुझसे नाराज़ हों जायेगी सो अलग मुझसे कभी बात भी नहीं करेगी।


रघु को सहजता से बात करते देखकर कमला भी सहज भाव से मुस्कुराते हुए बोलती हैं…… तो आप अपने बहन से बहुत प्यार करते हों। तभी आप उनके कहने पर ही मुझसे बात करने आए हों।


रघु……. ऐसा नहीं की मैं आपसे बात नहीं करना चाहता था मेरा आपसे बात करने का मन था वो तो पुष्पा ने अल्टीमेटम दे दिया इसलिए मैंने ऐसा कहा।



कमला…. ओ तो आपके बहन ने अल्टीमेटम दे दिया क्या कहा मैं जान सकती हूं।


रघु टपक से बोल पडा….. उसने साफ लब्जो में कह दिया आप अगर उसकी भाभी नहीं बनी तो वो मुझसे कभी बात नहीं करेंगी।


कहते ही रघु को आभास हुआ जो नहीं कहना था वह ही बोल दिया बरहाल जो बोल दिया सो बोल दिया उसे वापस तो नहीं लिए जा सकता इसलिए कमला की ओर देखकर मुस्कुरा दिया। कमला भी एक लुभावनी मुस्कान देते हुए बोली…... फिर तो मुझे हां कहना ही चाहिएं आप क्या कहते हों।


रघु…... क्या कहना चाहिएं यह सिर्फ और सिर्फ अपका फैसला हैं। इसमें न मैं कोई जोर जबर्दस्ती कर सकता हूं न ही कोई ओर शादी कोई गुड्डे गुडियो का खेल नहीं जो आज किया और कल तोड़ दिया। यह जीवन भर का फैसला हैं तो सोच समझकर ही लेना चाहिएं।


रघु की समझदारी पूर्ण बाते कहने के दौरान कमला एक टक रघु को देख रही थीं और समझने की कोशिश कर रहीं थी। जब उसे समझ आया रघु ने कितनी गहरी बात सरलता से कह दिया। रघु की बातों ने कमला के दिल में घर कर लिया और शायद रघु भी कमला के दिल में बस गया। कमला को ऐसे देखते हुए देखकर रघु बोला….. आप मुझे ऐसे क्यो देख रही हों मैंने कुछ गलत बोल दिया।


कमला….. नहीं अपने कुछ गलत नही बोला मैं तो बस यह समझने की कोशिश कर रहा था अपने कितनी गहरी बात सरल भाव और शब्दो में कह दिया।


रघु ने चमकीले दांतो के दर्शन करवा दिया रघु को मुस्कुराता देखकर कमला ने भी मुस्करा दिया। कमला को मुस्कुराते देखकर रघु बोला…... मैंने आपसे कहा था आप ऐसे न मुस्कुराओ नहीं तो मैं बस आप को मुस्कुराता हुआ देखता रह जाऊंगा जो बात करने आया हूं वो कर ही नहीं पाऊंगा मेरे कुछ न कहने से हों सकता हैं आप माना कर दो।


कमला फिर से मुस्कुरा दिया और बोली….. आप ने कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया फिर भी आप कह रहें होंआप बात नहीं कर पाओगे। अगर मैंने हां कह दिया फिर तो आपको कोई परेशनी नहीं होगी।


हां सुनाकर रघु समझने की कोशिश कर रहा था कमला कहना किया चाहती हैं क्या कमला गुमा फिरा कर हां कह रहीं थी? अब इस झल्ले रघु को कौन समझाए कमला ने उसे हा कहा था लेकिन ये मंद बुद्धि के साथ साथ बैल बुद्धि होने का प्रमाण दे रहा था। जब रघु समझ नहीं पाया तब बोला….. आप के हां कहने से मेरे सभी समस्याओं का निराकरण हों जाएगा । पहली बार कोई लडक़ी मेरे दिल को इतना भाया हैं की मैं कह नहीं सकता और वह मेरा जीवन साथी बन जाए इसे अच्छा मेरे लिए ओर क्या होगा और मेरी बहन भी मुझसे नराज नहीं होगी।


कमला अच्छा कहकर मुस्कुरा देती हैं उसके इस मुस्कान के पीछे एक टोंट का आभास हो रहा था। ऐसे ही दोनो बाते करते हुए चल भी रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी कमला को कही छुने या कहूं अपनी शरीर का कोई भी हिस्सा कमला के शरीर से संपर्क ही नहीं होने दिया कमला इस बात को भी परख लिया था। जहां दूसरे लडके कमला को बहाने से छूने की कोशिश करते रहते थे। वहीं रघु एक बार भी कमला को छुने की कोशिश नहीं किया इससे कमला पुरी तरह से रघु पर मोहित हों गया। कमला रघु की बातो को सुन भी रहा था और उसके सरल स्वभाव पर विचार भी कर रहा था। ऐसे सोचा विचारी में चलते हुए कमला डगमगा गई और गिरने को हुई। तब रघु ने कमला का हाथ पकड़ कर कमला को गिरने से बचा लिया। हाथ पकड़ते ही कमला रघु को अचंभित होकर देखने लगी। कमला का अचंभित होकर देखना लाज़मी था। इतने देर से चलते हुए बात कर रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी छुने की चेष्टा तक नहीं किया और अब अचानक से उसका हाथ थाम लिया। लेकिन जब कमला को अपनी परिस्थि का भान हुआ तब कमला मन ही मन मुस्कुरा दिया। कमला संभाल गई तब रघु को भान हुआ उसने किया क्या तो कमला का हाथ छोड़कर बोला……आप ठीक तो हों न, माफ करना मेरे छुने से आप को बुरा लगा हों तो।


कमला मुस्कुराते हुए बोली… नहीं मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगा। आप मुझे नहीं पकड़ते तो मैं गिर जाती, शायद मुझे चोट भी लग जाती। आप को माफी मांगने की जरूरत नहीं हैं भविष्य में आप ही तो मुझे ऐसे ही छुएंगे।


कमला की कहीं हुई कुछ बातो पर गौर किया। कुछ बातो पर नहीं वरना रघु जान जाता कमला ने रघु को हां कह दिया। दोनों को आए हुए वक्त ज्यादा हों गया इसका भान होते ही रघु ने कह….. अब हमे चलना चाहिए बहुत देर हों गया हैं।


कमला को भी लग रहा था उन्हें आए हुए बहुत देर हो गई है लेकिन वो कह नहीं पा रही थीं इसलिए रघु के वापस जाने की बात कहते ही कमला ने भी सर हिलाकर हां कह जब दोनों घर की और जा रहे थे तब रघु जबाव जाने के तर्ज पर कहा….. आप ने अपना ज़बाब नहीं बताए।


कमला रघु की सवाल सुनकर मुस्करा दिया और बोली…… आप न बिलकुल बुद्धू हो मैंने तो कब का अपको हा कह दिया लेकिन आप हों की समझ ही नहीं पाए।


रघु के दिमाग पर जोर पडा कब हां कहा सोचने लगा जब उसे लगा कमला ने बातों के दौरान कहीं पर भी हां नहीं कह तब सर खुजते हुए बोला "कब हां कहा अपने"


कमला…… मैंने अपको पहली बार तब हा कहा था जब अपने मुझे अपनी बहन की दिए अल्टीमेटम के बारे में बताया था और दूरी बार तब हां कहा जब अपने मुझे गिरने से बचाया था। मैंने अंत में कहा था। भविष्य में आप ही तो मुझे ऐसे ही छुएंगे। अब आप ही बताइए मैंने हां कहा की नहीं।


रघु को अपनी गलती समझ आया और मन ही मन खुद को गली दिया फिर बोला….आप ऐसे घुमा फिरा कर हां कहेंगे तो मैं कैसे समझ पाऊंगा।


कमला…… मैंने जैसे भी बोला अपको समझना चाहिएं था कोई लडक़ी सीधे सीधे हां नहीं कहती समझे आप।


रघु कुछ नहीं कहा बस मुस्करा दिया। रघु मुस्कुराने के अलावा कर भी किया सकता था। इतनी खूबसूरत लड़की रघु से प्रभावित होकर हां कर देती हैं। ऐसे ही हसी मजाक करते हुए दोनों घर की ओर बड़ने लगे थे। दोनों को हंसी मजाक करते हुए देख कर ऐसा लग रहा था जैसे दोनों एक दूसरे को वर्षों से जानते हों, लग ही नहीं रहा था दोनों अजनबी हैं। आज ही एक दूसरे से मिले हैं और एक गहरा रिश्ता दोनों ने कुछ ही वक्त के मेल मिलाप से जोड़ लिया हैं। रघु भले ही सीधा साधा काम बोलने वाला लड़का हों लेकिन देने वाले ने उसे एक गुण थोक के भाव दिया था। वो हैं अपनी बातों से दूसरे को आकर्षित कर एक गहरा रिश्ता जोड़ लेना। दोनों हंसी मजाक करते हुए घर पहुंचे जहां पर बेसवरी से इनकी प्रतिक्षा किया जा रहा था। रघु जाकर पुष्पा के पास बैठ जाता हैं। बैठते ही पुष्पा रघु को याचक दृष्टि से देख रही थीं जैसे पुछ रहीं हों " क्या हुआ ?" रघु उसके याचक भाव का कोई ज़बाब नहीं दिया। कमला जाकर रघु के सामने बैठ जाती हैं। उसके लवों से मंद मंद मुस्कान के साथ फूलो की बरसा हों रहीं थीं। सुरभि, राजेंद्र, महेश और मनोरमा कमला के जबाव की प्रतिक्षा करते हुए उसकी और देख रहे थे। रघु से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर पुष्पा भी कमला की और ही देखने लगती हैं। लेकिन कमला हैं की कुछ बोल ही नहीं रहीं थीं। और अपना भाव बदल लिया था उसे देखकर सुरभि उठ कर कमला के पास गई और पूछी…... बेटी बताओ अपको मेरा बेटा पसंद आया की नहीं।"


कमला पुष्पा की और देखकर मुंह भिचका लिए जैसे वो कहना चाहती हो मुझे रघु बिल्कुल पसंद नहीं आय। कमला को मुंह भिचकता देख पुष्पा का मुंह छोटा सा हों गया। उसे लगा उसकी आस अधूरी रह गई। रघु ने उसकी कही बातो को नजरंदाज कर दिया तब रघु को उंगली दिखाकर बोला " मैं आपसे कभी बात नहीं करुंगी अपनी मेरा कहना नहीं माना।"


पुष्पा मुंह फुलाकर जानें लगीं तब कमला उसे रोकते हुए बोली "नाराज होकर कहा जा रहीं हों ननद रानी होने वाली भाभी से बात नहीं करोगी।"


ननद रानी सुनाकर पुष्पा रुक गई। पुष्पा रुकी सो रुकी लेकिन वह मौजुद सभी समझाने की कोशिश कर रहे थे कमला ने अभी किया कहा जब उन्हें समझ आया तो सब मुस्कुरा दिया और इशारों इशारों में सब को बधाई देने लगे। लेकिन पुष्पा को उनसे कोई मतलब नहीं था। उसे तो एक बार फिर से सुनकर कन्फर्म करना था इसलिए बोला "अपने अभी अभी क्या कहा?"


कमला " जो अपने सुना"


पुष्पा "मैं भी तो वहीं जानना चाहती हूं अपने ने क्या कहा।"


कमला " मैंने कहा .. मैंने कहा... मैंने कहा…"


कमला के अधूरा वाक्य बोलने से पुष्प खीज गई और बोली "क्या आप भी पॉज ले ले कर बोला रहीं हों सीधे सीधे बोलो नहीं तो मैं जा रहीं हूं।"


कमला….. किधर चाली होने वाली ननद रानी जी इधर आओ मैं आपको अपनी हाथों से मिठाई खिलाती हूं।"


कमला के कहते ही वह हंसी और ठहाके गूंज उठा पुष्पा जाकर कमला के पास बैठ गई और कमाल से गले मिलते हुए बोली "thank you thank you फिर रघु की और देख कर कान पकड़कर sorry sorry भईया।"


एक बार फिर से वह हंसी और ठहाके गूंजने लगा। कुछ वक्त तक हंसी ठहाके के बाद बात छिड़ी शादी का शुभ मुहूर्त कब की निकली जाए तब महेश ने कहा "राजा जी अगले हफ्ते से कमला की परिक्षा शुरू होने वाला हैं। इसलिए हम चाहते हैं परिक्षा की बाद की ही कोई शुभ मुहूर्त जाए।


राजेंद्र …... आप तो कम से कम राजा जी न बोले हम समधी बनने वाले हैं। रहीं बात शुभ मुहूर्त की तो परिक्षा हो जानें दीजिए फिर शुभ मुहूर्त निकलबाकर हम अपनी बहु को घर ले जायेंगे तब तक हमारी अमानत को आप के पास छोड़कर जाते हैं।


महेश जी भी राजेंद्र की बातों से सहमत हो गया। कुछ देर ओर बात चीत चला फिर खाने पीने की व्यवस्था किया गया खाना खाते हुए सब ने खाने की बहुत तारीफ किया। मनोरम ने बता दिया खाना कमला ने बनाया हैं फिर तो कमला के तरीफो के पुल बांध गईं। खाना पीना होने के बाद राजेंद्र सुरभी विदा लेकर जाने लगे तभी रघु ने पुष्पा के कान में कुछ कहा। पुष्पा भागकर कमला के पास गई और कुछ वक्त के बाद कमला ने चुपके से एक पर्चा पुष्पा को थमा दिया। जिसे लाकर रघु के जेब में डाल दिया फिर सब हंसी ख़ुशी घर को चल दिया।



आगे ओर किया किया होता हैं ये जानेंगे अगले अपडेट से, प्रिय पाठकों पिछले कुछ दिनों से समय की कमी के चलते आप सब से मुखातिब नहीं हों पाया। क्या करे ज़िंदगी में बहुत से जरूरी कम होते हैं जिसे करना भी जरूरी होता। इसलिए जब जब समय मिलेगा कहानी के आगे के अपडेट को पेश करता रहूंगा। बस इतना कहूंगा देर भले हि हों यह कहानी पूरा होकर रहेगा । शुक्रिया
बहुत ही खूबसूरत और प्यारा अपडेट। धन्यवाद ।
 

Naik

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Update - 14



पुष्पा उठाकर कमला के पास जाकर बैठ गई थी फ़िर कमला के कान में कहती हैं…… मेरे भइया अपको कैसी लगीं।


कमला कुछ नहीं कहती बस मुस्कुरा देती हैं। तब सुरभि कहती हैं…….. नटखट तू क्या पुछ रहीं हैं कमला बिटिया से।


पुष्पा टपक से बोल पड़ती हैं…... ये हमारे बीच की बात हैं आप जानकर क्या करोगी।


सुरभि मुस्कुरा देती हैं फिर महेश से कहती हैं……. भाई साहाब हमे तो लडक़ी पसंद हैं आप किया कहते हों।


महेश मनोरमा की ओर देखता हैं मनोरमा हां का इशारा करती हैं तब महेश कहता हैं…. जी हमे भी लड़का पसंद हैं। अब कमला हां कर दे तो समझो रिश्ता पक्का।


सब कमला और रघु की ओर आस भरी निगाहों से देखती हैं खाश कर कमला की ओर क्योंकि रघु के हाव भाव ने दर्शा दिया था। रघु को कमला पसंद आ गया हैं बस कमला की हां कहने की देर थीं। तब पुष्पा कमला से बोलती हैं…... मेरे भाई को आप पसंद आ गई हो अब आप किया कहती हों आप ने हां कह दिया तो आप ही मेरी भाभी बनकर आओगी।


तभी मनोरमा बोलती हैं….. हां बेटी बोलों क्या कहती हों तुम हां कहोगी तभी हम रिश्ता पक्का करेंगे।


तभी सुरभि बोलती हैं….. मैं क्या कहती हु दोनों को कुछ वक्त एकांत में एक दुसरे से बात करने का मौका दिया जाएं फिर कमला बिटिया से पूछे तो बेहतर होगा।


राजेंद्र भी येही कहता हैं। महेश और मनोरमा भी हां कहते हैं। तब दोनों को एक दूसरे से बाहर जाकर बात करने को कहा जाता हैं। पहले तो दोनों मना करते हैं लेकिन जोर देने पर बात करने को राजी हों जाते हैं। अब मसला ये खड़ा होता हैं दोनों को बात करने भेजा कहा जाएं। तब मनोरमा एक सुझाव देती हैं " हमारे घर के पीछे जो गार्डन बना हैं वहां जाकर दोनों बात कर लो।


दोनों उठाकर घर के बाहर चल देते हैं कमला आगे आगे चाल रहीं थीं। रघु सर झुकाए पीछे पीछे चला रहा था। पुष्पा रघु के पास जाती हैं और धीरे से बोलती हैं….. भईया बुद्धू जैसा व्यवहार न करना अच्छे से बात करना। ये ही मेरी भाभी बननी चाहिएं नहीं तो मैं आपसे कभी बात नहीं करूंगी।


पुष्पा कहकर अपनी जगह आकर बैठ जाती हैं। अब तो रघु टेंशन में आ गया था वह करे तो करे क्या पहली बार किसी अनजान लडक़ी से बात करने जा रहा था ऊपर से बहन ने अल्टीमेटम दे दिया कुछ भी करों उसकी भाभी कमला ही बननी चाहिएं। दोनों गार्डन मे पहुंच कर साथ साथ चल रहे थे। रघु कुछ दूरी बनाया हुआ था। साथ ही ध्यान भी रखा रहा था उसके शरीर का कोई भी हिस्सा कमला को छू न जाइए। दोनों की दिल की धड़कन बड़ी हुए थी। बात शुरू करे तो करे कहा से, दोनों के लिए यह पहला मौका था। कमला का तो इसे पहले छिछोरे लडकों से कही बार झड़प हुआ था लेकिन यह मजरा कुछ ओर था यह पिटना नहीं था बल्कि रिश्ता जोड़ना था और रघु के लिए यह पहला मौका था। रघु हमेशा लड़कियो से दूरी बनाकर रखता था चाहे कॉलेज हो या कही ओर इस बात से रघु को उसके दोस्त बहुत छेड़ते थे खाश कर उसका बचपन का दोस्त रमन वो तो रघु पर चढ़ ही बैठता था लेकिन रघु कभी उसका बुरा नहीं मानता था। लेकिन आज मजरा दूसरा था। रघु को अल्टीमेटम मिला हुआ था साथ ही उसे अपना जीवन साथी चुनना था रघु ने लामसम कमला को अपना जीवन साथी चुन ही लिया था बस पुष्टि करना रह गया था। बातो का सिलसिला शुरु कहा से करे समझ ही नही पा रहा था। लेकिन कही न कही से शुरु करना ही था तो रघु एक लंबी सांस भरकर छोड़ा फिर बोला….. अपका पसंदीदा विषय क्या हैं?


कमला बातों का मतलब समझ नहीं पाई या ध्यान से नहीं सुना इसलिए असमझता दर्शाते हुए रघु की और देखने लगीं तब रघु पुष्टि करते हुए बोला….. मेरे कहने का मतलब था अपको किस काम में सबसे ज्यादा रुचि है।


कमला मुस्करा कर रघु को देखती हैं। रघु पहले से ही मोहित था । अब तो वो और भी ज्यादा मोहित हो गया फिर ख़ुद को संभालते हुए बोला…... सुनिए आप ऐसे न मुस्कुराओ बड़ी मुस्कील से साहस जुटा कर आपसे बात करने आया हूं। आप ऐसे मुस्कुराते रहे तो मैं कुछ बात नहीं कर पाऊंगा फिर आप मना कर दोगी। अगर ऐसा हुआ तो मेरी बहना प्यारी मुझसे नाराज़ हों जायेगी सो अलग मुझसे कभी बात भी नहीं करेगी।


रघु को सहजता से बात करते देखकर कमला भी सहज भाव से मुस्कुराते हुए बोलती हैं…… तो आप अपने बहन से बहुत प्यार करते हों। तभी आप उनके कहने पर ही मुझसे बात करने आए हों।


रघु……. ऐसा नहीं की मैं आपसे बात नहीं करना चाहता था मेरा आपसे बात करने का मन था वो तो पुष्पा ने अल्टीमेटम दे दिया इसलिए मैंने ऐसा कहा।



कमला…. ओ तो आपके बहन ने अल्टीमेटम दे दिया क्या कहा मैं जान सकती हूं।


रघु टपक से बोल पडा….. उसने साफ लब्जो में कह दिया आप अगर उसकी भाभी नहीं बनी तो वो मुझसे कभी बात नहीं करेंगी।


कहते ही रघु को आभास हुआ जो नहीं कहना था वह ही बोल दिया बरहाल जो बोल दिया सो बोल दिया उसे वापस तो नहीं लिए जा सकता इसलिए कमला की ओर देखकर मुस्कुरा दिया। कमला भी एक लुभावनी मुस्कान देते हुए बोली…... फिर तो मुझे हां कहना ही चाहिएं आप क्या कहते हों।


रघु…... क्या कहना चाहिएं यह सिर्फ और सिर्फ अपका फैसला हैं। इसमें न मैं कोई जोर जबर्दस्ती कर सकता हूं न ही कोई ओर शादी कोई गुड्डे गुडियो का खेल नहीं जो आज किया और कल तोड़ दिया। यह जीवन भर का फैसला हैं तो सोच समझकर ही लेना चाहिएं।


रघु की समझदारी पूर्ण बाते कहने के दौरान कमला एक टक रघु को देख रही थीं और समझने की कोशिश कर रहीं थी। जब उसे समझ आया रघु ने कितनी गहरी बात सरलता से कह दिया। रघु की बातों ने कमला के दिल में घर कर लिया और शायद रघु भी कमला के दिल में बस गया। कमला को ऐसे देखते हुए देखकर रघु बोला….. आप मुझे ऐसे क्यो देख रही हों मैंने कुछ गलत बोल दिया।


कमला….. नहीं अपने कुछ गलत नही बोला मैं तो बस यह समझने की कोशिश कर रहा था अपने कितनी गहरी बात सरल भाव और शब्दो में कह दिया।


रघु ने चमकीले दांतो के दर्शन करवा दिया रघु को मुस्कुराता देखकर कमला ने भी मुस्करा दिया। कमला को मुस्कुराते देखकर रघु बोला…... मैंने आपसे कहा था आप ऐसे न मुस्कुराओ नहीं तो मैं बस आप को मुस्कुराता हुआ देखता रह जाऊंगा जो बात करने आया हूं वो कर ही नहीं पाऊंगा मेरे कुछ न कहने से हों सकता हैं आप माना कर दो।


कमला फिर से मुस्कुरा दिया और बोली….. आप ने कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया फिर भी आप कह रहें होंआप बात नहीं कर पाओगे। अगर मैंने हां कह दिया फिर तो आपको कोई परेशनी नहीं होगी।


हां सुनाकर रघु समझने की कोशिश कर रहा था कमला कहना किया चाहती हैं क्या कमला गुमा फिरा कर हां कह रहीं थी? अब इस झल्ले रघु को कौन समझाए कमला ने उसे हा कहा था लेकिन ये मंद बुद्धि के साथ साथ बैल बुद्धि होने का प्रमाण दे रहा था। जब रघु समझ नहीं पाया तब बोला….. आप के हां कहने से मेरे सभी समस्याओं का निराकरण हों जाएगा । पहली बार कोई लडक़ी मेरे दिल को इतना भाया हैं की मैं कह नहीं सकता और वह मेरा जीवन साथी बन जाए इसे अच्छा मेरे लिए ओर क्या होगा और मेरी बहन भी मुझसे नराज नहीं होगी।


कमला अच्छा कहकर मुस्कुरा देती हैं उसके इस मुस्कान के पीछे एक टोंट का आभास हो रहा था। ऐसे ही दोनो बाते करते हुए चल भी रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी कमला को कही छुने या कहूं अपनी शरीर का कोई भी हिस्सा कमला के शरीर से संपर्क ही नहीं होने दिया कमला इस बात को भी परख लिया था। जहां दूसरे लडके कमला को बहाने से छूने की कोशिश करते रहते थे। वहीं रघु एक बार भी कमला को छुने की कोशिश नहीं किया इससे कमला पुरी तरह से रघु पर मोहित हों गया। कमला रघु की बातो को सुन भी रहा था और उसके सरल स्वभाव पर विचार भी कर रहा था। ऐसे सोचा विचारी में चलते हुए कमला डगमगा गई और गिरने को हुई। तब रघु ने कमला का हाथ पकड़ कर कमला को गिरने से बचा लिया। हाथ पकड़ते ही कमला रघु को अचंभित होकर देखने लगी। कमला का अचंभित होकर देखना लाज़मी था। इतने देर से चलते हुए बात कर रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी छुने की चेष्टा तक नहीं किया और अब अचानक से उसका हाथ थाम लिया। लेकिन जब कमला को अपनी परिस्थि का भान हुआ तब कमला मन ही मन मुस्कुरा दिया। कमला संभाल गई तब रघु को भान हुआ उसने किया क्या तो कमला का हाथ छोड़कर बोला……आप ठीक तो हों न, माफ करना मेरे छुने से आप को बुरा लगा हों तो।


कमला मुस्कुराते हुए बोली… नहीं मुझे बिलकुल भी बुरा नहीं लगा। आप मुझे नहीं पकड़ते तो मैं गिर जाती, शायद मुझे चोट भी लग जाती। आप को माफी मांगने की जरूरत नहीं हैं भविष्य में आप ही तो मुझे ऐसे ही छुएंगे।


कमला की कहीं हुई कुछ बातो पर गौर किया। कुछ बातो पर नहीं वरना रघु जान जाता कमला ने रघु को हां कह दिया। दोनों को आए हुए वक्त ज्यादा हों गया इसका भान होते ही रघु ने कह….. अब हमे चलना चाहिए बहुत देर हों गया हैं।


कमला को भी लग रहा था उन्हें आए हुए बहुत देर हो गई है लेकिन वो कह नहीं पा रही थीं इसलिए रघु के वापस जाने की बात कहते ही कमला ने भी सर हिलाकर हां कह जब दोनों घर की और जा रहे थे तब रघु जबाव जाने के तर्ज पर कहा….. आप ने अपना ज़बाब नहीं बताए।


कमला रघु की सवाल सुनकर मुस्करा दिया और बोली…… आप न बिलकुल बुद्धू हो मैंने तो कब का अपको हा कह दिया लेकिन आप हों की समझ ही नहीं पाए।


रघु के दिमाग पर जोर पडा कब हां कहा सोचने लगा जब उसे लगा कमला ने बातों के दौरान कहीं पर भी हां नहीं कह तब सर खुजते हुए बोला "कब हां कहा अपने"


कमला…… मैंने अपको पहली बार तब हा कहा था जब अपने मुझे अपनी बहन की दिए अल्टीमेटम के बारे में बताया था और दूरी बार तब हां कहा जब अपने मुझे गिरने से बचाया था। मैंने अंत में कहा था। भविष्य में आप ही तो मुझे ऐसे ही छुएंगे। अब आप ही बताइए मैंने हां कहा की नहीं।


रघु को अपनी गलती समझ आया और मन ही मन खुद को गली दिया फिर बोला….आप ऐसे घुमा फिरा कर हां कहेंगे तो मैं कैसे समझ पाऊंगा।


कमला…… मैंने जैसे भी बोला अपको समझना चाहिएं था कोई लडक़ी सीधे सीधे हां नहीं कहती समझे आप।


रघु कुछ नहीं कहा बस मुस्करा दिया। रघु मुस्कुराने के अलावा कर भी किया सकता था। इतनी खूबसूरत लड़की रघु से प्रभावित होकर हां कर देती हैं। ऐसे ही हसी मजाक करते हुए दोनों घर की ओर बड़ने लगे थे। दोनों को हंसी मजाक करते हुए देख कर ऐसा लग रहा था जैसे दोनों एक दूसरे को वर्षों से जानते हों, लग ही नहीं रहा था दोनों अजनबी हैं। आज ही एक दूसरे से मिले हैं और एक गहरा रिश्ता दोनों ने कुछ ही वक्त के मेल मिलाप से जोड़ लिया हैं। रघु भले ही सीधा साधा काम बोलने वाला लड़का हों लेकिन देने वाले ने उसे एक गुण थोक के भाव दिया था। वो हैं अपनी बातों से दूसरे को आकर्षित कर एक गहरा रिश्ता जोड़ लेना। दोनों हंसी मजाक करते हुए घर पहुंचे जहां पर बेसवरी से इनकी प्रतिक्षा किया जा रहा था। रघु जाकर पुष्पा के पास बैठ जाता हैं। बैठते ही पुष्पा रघु को याचक दृष्टि से देख रही थीं जैसे पुछ रहीं हों " क्या हुआ ?" रघु उसके याचक भाव का कोई ज़बाब नहीं दिया। कमला जाकर रघु के सामने बैठ जाती हैं। उसके लवों से मंद मंद मुस्कान के साथ फूलो की बरसा हों रहीं थीं। सुरभि, राजेंद्र, महेश और मनोरमा कमला के जबाव की प्रतिक्षा करते हुए उसकी और देख रहे थे। रघु से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर पुष्पा भी कमला की और ही देखने लगती हैं। लेकिन कमला हैं की कुछ बोल ही नहीं रहीं थीं। और अपना भाव बदल लिया था उसे देखकर सुरभि उठ कर कमला के पास गई और पूछी…... बेटी बताओ अपको मेरा बेटा पसंद आया की नहीं।"


कमला पुष्पा की और देखकर मुंह भिचका लिए जैसे वो कहना चाहती हो मुझे रघु बिल्कुल पसंद नहीं आय। कमला को मुंह भिचकता देख पुष्पा का मुंह छोटा सा हों गया। उसे लगा उसकी आस अधूरी रह गई। रघु ने उसकी कही बातो को नजरंदाज कर दिया तब रघु को उंगली दिखाकर बोला " मैं आपसे कभी बात नहीं करुंगी अपनी मेरा कहना नहीं माना।"


पुष्पा मुंह फुलाकर जानें लगीं तब कमला उसे रोकते हुए बोली "नाराज होकर कहा जा रहीं हों ननद रानी होने वाली भाभी से बात नहीं करोगी।"


ननद रानी सुनाकर पुष्पा रुक गई। पुष्पा रुकी सो रुकी लेकिन वह मौजुद सभी समझाने की कोशिश कर रहे थे कमला ने अभी किया कहा जब उन्हें समझ आया तो सब मुस्कुरा दिया और इशारों इशारों में सब को बधाई देने लगे। लेकिन पुष्पा को उनसे कोई मतलब नहीं था। उसे तो एक बार फिर से सुनकर कन्फर्म करना था इसलिए बोला "अपने अभी अभी क्या कहा?"


कमला " जो अपने सुना"


पुष्पा "मैं भी तो वहीं जानना चाहती हूं अपने ने क्या कहा।"


कमला " मैंने कहा .. मैंने कहा... मैंने कहा…"


कमला के अधूरा वाक्य बोलने से पुष्प खीज गई और बोली "क्या आप भी पॉज ले ले कर बोला रहीं हों सीधे सीधे बोलो नहीं तो मैं जा रहीं हूं।"


कमला….. किधर चाली होने वाली ननद रानी जी इधर आओ मैं आपको अपनी हाथों से मिठाई खिलाती हूं।"


कमला के कहते ही वह हंसी और ठहाके गूंज उठा पुष्पा जाकर कमला के पास बैठ गई और कमाल से गले मिलते हुए बोली "thank you thank you फिर रघु की और देख कर कान पकड़कर sorry sorry भईया।"


एक बार फिर से वह हंसी और ठहाके गूंजने लगा। कुछ वक्त तक हंसी ठहाके के बाद बात छिड़ी शादी का शुभ मुहूर्त कब की निकली जाए तब महेश ने कहा "राजा जी अगले हफ्ते से कमला की परिक्षा शुरू होने वाला हैं। इसलिए हम चाहते हैं परिक्षा की बाद की ही कोई शुभ मुहूर्त जाए।


राजेंद्र …... आप तो कम से कम राजा जी न बोले हम समधी बनने वाले हैं। रहीं बात शुभ मुहूर्त की तो परिक्षा हो जानें दीजिए फिर शुभ मुहूर्त निकलबाकर हम अपनी बहु को घर ले जायेंगे तब तक हमारी अमानत को आप के पास छोड़कर जाते हैं।


महेश जी भी राजेंद्र की बातों से सहमत हो गया। कुछ देर ओर बात चीत चला फिर खाने पीने की व्यवस्था किया गया खाना खाते हुए सब ने खाने की बहुत तारीफ किया। मनोरम ने बता दिया खाना कमला ने बनाया हैं फिर तो कमला के तरीफो के पुल बांध गईं। खाना पीना होने के बाद राजेंद्र सुरभी विदा लेकर जाने लगे तभी रघु ने पुष्पा के कान में कुछ कहा। पुष्पा भागकर कमला के पास गई और कुछ वक्त के बाद कमला ने चुपके से एक पर्चा पुष्पा को थमा दिया। जिसे लाकर रघु के जेब में डाल दिया फिर सब हंसी ख़ुशी घर को चल दिया।



आगे ओर किया किया होता हैं ये जानेंगे अगले अपडेट से, प्रिय पाठकों पिछले कुछ दिनों से समय की कमी के चलते आप सब से मुखातिब नहीं हों पाया। क्या करे ज़िंदगी में बहुत से जरूरी कम होते हैं जिसे करना भी जरूरी होता। इसलिए जब जब समय मिलेगा कहानी के आगे के अपडेट को पेश करता रहूंगा। बस इतना कहूंगा देर भले हि हों यह कहानी पूरा होकर रहेगा । शुक्रिया
Tow rishta pakka ho gaya badhiya h
Behtareen update bhai shaandaar
 
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