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dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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UPDATE 13

कॉलेज खतम होने के बाद सभी अपने अपने घर की तरफ निकलने लगे कॉलेज के गेट से बाहर चाय की तपली लगी थी अभय वहा चला गया

अभय – (चाय वाले से) भाई जी एक चाय देना और बिस्कुट भी

चाय वाला – अभी लाया भईया

तभी अमन , निधि के साथ अपनी बाइक से कॉलेज गेट के बाहर निकल रहे थे तभी उसकी नज़र अभय पर पड़ी

अमन – (चाय की तपली के पास आते ही) आज तूने मेरा मजाक बनाया है पूरे क्लास के सामने देख लूगा तुझे बड़ी अकड़ है ना तुझ में सारी की सारी निकाल दुगा मैं...

अभय – (चाय की चुस्की लेते हुए) इतना ज्यादा परेशान होने की जरूरत नही है कल क्लास में मेरे सवाल का जवाब दे देना सबके सामने तो तेरी ही वाह वाही होगी , और रही देखने की बात , तो उसके लिए भी ज्यादा मत सोच हम दोनो एक ही क्लास में है रोज देखते रहना मुझे बाकी रही अकड़ की बात (मुस्कुरा के) जाने दो आज मेरा मन नहीं है कुछ करने का

अमन – (कुछ न समझते हुए) क्या बोला मन नही है तेरा रुक...

निधि – जाने दो भईया छोटे लोगो के मू लगोगे तो अपना मु गंदा होगा चलो यहां से

तभी अमन निकल गया बाइक से हवेली की तरफ जबकि ये सब जब हो रहा था तभी राज , लल्ला और राजू सारा नजारा देख और सुन रहे थे तभी तीनों अभय के पास आगये

राज – कैसे हो भाई आप

अभय – अच्छा हू मैं

राज – आपने आज क्लास में कमाल कर दिया , बोलती बंद कर दी अपने उस अमन की

अभय – (हल्का मुस्कुरा के) एसा कुछ नही है मैने तो एक मामूली सा सवाल पूछा उससे बस

राजू – अरे भाई आपके उसी मामूली सवाल की वजह से उसका मु देखने लायक था (तीनों जोर से हसने लगे)

लल्ला – भाई आप यहां पे बैठ के चाय क्यों पी रहे हो अभी तो खाना खाने का समय हो रहा है आप हमारे साथ हमारे घर चलो साथ में मिलके खाना खाएंगे सब

अभय – शुक्रिया पूछने के लिए हॉस्टल में खाना तयार रखा है मेरा , सुबह से चाय नही पी थी मैंने इसीलिए मन हो गया चाय पीने का

राज – आज रात को भूमि पूजा में आप आ रहे हो ना

अभय – हा बिल्कुल आऊंगा मैं

लल्ला – हा भाई आयेगा जरूर क्यों की आज भूमि पूजन के बाद सभी गांव वालो ने दावत भी रखी है साथ में मनोरंजन का इंतजाम भी जिसमे राज अपनी शायरी सुनाएगा सबको

अभय – (मुस्कुरा के) अच्छी बात है मै जरूर सुनूगा शायरी , अच्छा चलता हू मैं रात में मुलाकात होगी आपसे

इतना बोल के जाने लगा पीछे से राज , लाला और राजू जाते हू अभय को देखने लगे

अभय – (मुस्कुरा के हॉस्टल में जाते हुए रास्ते में मन में – आज बड़े दिनों के बाद शायरी सुनने को मिलेगी , तेरी शायरी तेरी तरह कमाल की होती है बस मैं ही टांग तोड़ देता था हर बार तेरी शायरी की)

इधर हवेली में अमन और निधि बाइक से उतरते ही अमन गुस्से में हवेली के अंडर जाने लगा पीछे पीछे निधि भी आने लगी हाल में बैठे ललिता , मालती और संध्या ने देखा अमन को बिना किसी की तरफ देखे जा रहा था अपने कमरे में तभी...

मालती – (अपनी बेटी निधि को रोक के बोली) निधि क्या बात है अमन का मूड सही नही है क्या

निधि – मां कॉलेज में वो नया लड़का आया है ना अमन की उससे कोई बात हो गई है इसीलिए गुस्से में है

नए लड़के के बारे में सुन के संध्या के कान खड़े हो गए तभी..

संध्या – निधि क्या बात हुई है अमन की उस लड़के से

निधि – (जो भी हुआ क्लास में सब बता दिया संध्या को) इसके बाद अमन गुस्से में है तभी उस लड़के को धमकी देके आया है देख लूंगा तुझे

निधि के बाते सुन संध्या के चेहरे पे हल्की सी हसी आ गई और बोली....

संध्या – (निधि से) ठीक है तू जाके हाथ मु धो के आजा खाना खाने

थोड़ी देर के बाद अमन डाइनिंग टेबल पर बैठा खाना खा रहा था साथ में निधि, ललिता, मालती और संध्या भी बैठे खाना खा रहे थे।

अमन -- (मालती चाची से बोला) क्या बात है चाची, आज कल चाचा नही दिखाई देते। कहा रहते है वो ?

अमन की बात सुनकर, मालती ने अमन को घूरते हुए बोली...

मालती -- तू खुद ही ढूंढ ले, मुझसे क्यूं पूछ रहा है ?

मालती का जवाब सुनकर, अमन चुप हो गया । और अपना खाना खाने लगता है...

इस बीच संध्या अमन की तरफ ही देख रही थी, थोड़ी देर बाद ही संध्या ने अपनी चुप्पी तोडी...

संध्या -- क्या बात है अमन जब से कॉलेज से आया है देख रही हू तू गुस्से में हो , देख अमन बात चाहे जो भी हो मैं नही चाहती की तेरा किसी से भी झगड़ा हो समझा बात को

संध्या की बात सुनकर, अमन मुस्कुराते हुए बोला...

अमन -- क्या ताई मां, आप भी ना। मैं भला क्यूं झगड़ा करने लगा किसी से, वैसे भी मैं छोटे लोगो के मुंह नही लगता।

अमन का इतना कहना था की, मलती झट से बोल पड़ी...

मलती -- दीदी के कहने का मतलब है की, तेरा ये झगड़ा कही तुझ पर मुसीबत ना बन जाए इसलिए वो तुझे झगड़े से दूर रहने के लिए बोल रही है। जो तुझसे होगा नही। तू किसी भी लड़के को पायल से बात करते हुए देखता है तो उससे झगड़ करने लगता है।

पायल का नाम सुनते ही संध्या खाना खाते खाते रुक जाती है, एक तरह से चौंक ही पड़ी थी...

संध्या -- (चौक के) पायल, पायल से क्या है इसका और निधि तूने तो अभी पायल का नाम भी नही लिया था अब अचनक से पायल कहा से आ गई बीच में.....

संध्या की बात सुन कर वहा निधि बोली...

निधी -- अरे ताई मां, आपको नही पता क्या ? ये पायल का बहुत बड़ा आशिक है।

ये सुन कर संध्या को एक अलग ही झटका लगा, उसके चेहरा फक्क् पड़ गया था। हकलाते हुए अपनी आवाज में कुछ तो बोली...

संध्या -- क्या...मतलब और कब से ??

निधि -- बचपन से, आपको नही पता क्या ? अरे ये तो अभय भैया को उसके साथ देख कर पगला जाता था। और जान बूझ कर अभय भैया से झगड़ा कर लेता था। अभय भैया इससे झगड़ा नही करना चाहते थे वो इसे नजर अंदाज भी करते थे, मगर ये तो पायल का दीवाना था। जबरदस्ती अभय भैया से लड़ पड़ता था।

अब धरती फटने की बारी थी, मगर शायद आसमान फटा जिससे संध्या के कानो के परदे एक पल के लिए सुन हो गए थे। संध्या के हाथ से चम्मच छूटने ही वाला था की मलती ने उस चम्मच को पकड़ लिया और संध्या को झिंझोड़ते हुए बोली...

मालती -- क्या हुआ दीदी ? कहा खो गई...?

संध्या होश में आते ही...

संध्या -- अमन झगड़ा करता....?

मालती – अरे दीदी जो बीत गया सो बीत गया छोड़ो...l

मालती ने संध्या की बात पूरी नही होने दी, मगर इस बार संध्या बौखलाई एक बार फिर से कुछ बोलना चाही...

संध्या -- नही...एक मिनट, झगड़ा तो अभय करता था ना अमन से...?

मालती – क्यूं गड़े मुर्दे उखाड़ रही हो दीदी, छोड़ो ना।

मालती ने फिर संध्या की बात पूरी नही होने दी, इस बार संध्या को मालती के उपर बहुत गुस्सा आया , संध्या की हालत और गुस्से को देख कर ललिता माहौल को भांप लेती है, उसने अपनी बेटी निधि की तरफ देखते हुए गुस्से में कुछ बुदबुदाई। अपनी मां का गुस्सा देखकर निधि भी डर गई...

संध्या -- (गुस्से में चिल्ला के मालती से) तू बार बार बीच में क्यूं टोक रही है मालती ? तुझे दिख नही रहा क्या ? की मैं कुछ पूछ रही हूं निधि से...

संध्या की तेज आवाज सुनकर मालती इस बार खामोश हो गई...मलती को खामोश देख संध्या ने अपनी नज़रे एक बार फिर निधि पर घुमाई।

संध्या -- सच सच बता निधि। झगड़ा कौन करता था ? अभय या अमन ?

संध्या की बात सुनकर निधि घबरा गई, वो कुछ बोलना तो चाहती थी मगर अपनी मां के डर से अपनी आवाज तक ना निकाल पाई।

अमन – हां मैं ही करता था झगड़ा, तो क्या बचपन की बचकानी हरकत की सजा अब दोगी मुझे ताई मां ?

अमन वहा बैठा बेबाकी से बोल पड़ा..., इस बार धरती हिली थी शायद। इस लिए तो संध्या एक झटके में चेयर पर से उठते हुए...आश्चर्य से अमन को देखती रही...

संध्या-- क्या...? पर तू...तू तो कहता था की, झगड़ा अभय करता था।

अमन -- अब बचपन में हर बच्चा शरारत करने के बाद डांट ना पड़े पिटाई ना हो इसलिए क्या करता है, झूठ बोलता है, अपना किया दूसरे पे थोपता है। मैं भी बच्चा था तो मैं भी बचने के लिए यही करता था। माना जो किया गलत किया, मगर उस समय अच्छा गलत की समझ कहा थी मुझे ताई मां ?

आज सुबह से संध्या को झटके पे झटके लग रहे थे , संध्या के आंखो के सामने आज उजाले की किरणे पड़ रही थी मगर उसे इस उजाले की रौशनी में उसकी खुद की आंखे खुली तो चुंधिया सी गई शायद उसकी आंखो को इतने उजाले में देखने की आदत नही थी, पर कहते है ना, जब सच की रौशनी चमकती है तो अक्सर अंधेरे में रहने वाले की आंखे इसी तरह चौंधिया जाति है....

संध्या की हालत और स्थिति कुछ ऐसी थी की मानो काटो तो खून नहीं। दिल मे दर्द उठते मगर वो रोने के अलावा कुछ भी नही कर सकती थी। आज जब उसे संभालने के लिए ललिता और मालती के हाथ उसकी तरफ बढ़े तो उसने उन दोनो का हाथ दिखाते हुए रोक दिया।

संध्या का दिल पहली बार इस तरह धड़क रहा था मानो बची हुई जिंदगी की धड़कन इस पल ही पूरी हो जायेगी। नम हो चुकी आंखो में दर्द का वो अश्क लिए एक नजर वो अमन की तरफ देखी....

अमन की नज़रे भी जैसे ही संध्या से मिली, वो अपनी आंखे चुराते हुए बोला.....

अमन -- सॉरी ताई मां, उस समय सही और गलत की समझ नही थी मुझमें।

अमन का ये वाक्य पूरा होते ही.....संध्या तड़प कर बोली।
संध्या – निधी.....तू भी। तुझे पता था ना सब, फिर तू मुझे क्यूं नही बताती थी ? इसलिए की अमन तेरा सगा भाई है

संध्या की बात पर निधि भी कुछ नही बोलती, और अपना सिर नीचे झुका लेती है......।

ये देख कर संध्या झल्ला पड़ी। और एक गहरी सांस लेते हुए बोली...

संध्या – मेरा बच्चा, चुपचाप हर चीज सहता रहा। मुझे सफाई तक नही देता था। मगर मेरी मत मारी गई थी जो तुझे सच्चा और अच्छा समझ कर उसपे हाथ उठा ती थी। (और तभी गुस्से में जोर से बोली) तू कहता है ना की तू छोटे लोगो के मुंह नही लगता। तो अब से तू पायल के आस पास भी नजर नहीं आना चाहीए मुझे वर्ना तूने तो सिर्फ मेरा प्यार देखा है अब नफरत देखेगा तू।

संध्या की ये बात सुनकर अमन के होश उड़ गए, वो चेयर पर से उठते हुए बोला...

अमन -- ये आप क्या बोल रही है ताई मां। मैं पायल को नही छोड़ सकता। मैं उससे बचपन से बहुत प्यार करता हूं, और मेरे प्यार के बीच में कोई आया ना तो मै.....

अभि अमन ने अपना वाक्य पूरा बोला भी नही था की, उसके चेहरे पर एक जोरदार तमाचा पड़ा।

रमन – नालायक, शर्म नही आती तुझे ? जिस इंसान ने तुझे इतना प्यार दिया उसी के सामने बत्मीजी में बोल रहा है।

अमन का गाल लाल हो चुका था। अपने एक गाल पर हाथ रखे जब अमन ने अपनी नज़रे उठाई तो पाया की उसे थप्पड़ मरने वाला कोई और नहीं बल्कि खुद उसका बाप रमन था। ये देख कर अमन बिना कुछ बोले, अपने कमरे में चला जाता है

अमन के जाते ही, निधी भी वहा से चुप चाप निकल लेती है। अब वहा पे सिर्फ मालती, ललिता, रमन और संध्या ही बचे थे।

रमन -- अब तो खुश हो न भाभी तुम ?

रमन की बात सुनकर, संध्या रुवासी ही सही मगर थोड़ा मुस्कुरा कर बोली...

संध्या -- खुश,किस बात पे ? अपने बच्चे पे बेवजह हाथ उठाया मैने , इस बात पे खुश रहूं ? जिसे सीने से लगाकर रखना चाहिए था वो दुनिया की भीड़ में भूखा प्यासा भटकता रहा, उस बात पे खुश रहूं ? ना जाने कैसे उसने अपने दिल को समझाया होगा, उस बात पे खुश रहूं ? या उस बात पे खुश रहूं ? की जब भी कभी उसे तकलीफ हुई होगी उसके मु से मां शब्द भी निकला होगा ? और तू एक थप्पड़ मार कर पूछता है की खुश हु की नही ?

(चिल्ला के) लेकिन हा आज खुश हूं मैं, की मेरा बेटा उस काबिल है की दुनिया की भीड़ में चलने के लिए उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं। क्या कहता था तू ? ना जाने कौन है वो, जो इस हवेली को बर्बाद करने आया है। तो अब कान खोल के सुन ले मेरी बात वो कोई और नहीं मेरा अभय है समझ आई बात तुझे और तूने बिल्कुल सच बोला था वो सिर्फ हवेली ही नही बल्कि अभी तो बहुत कुछ बर्बाद करेगा ? और जनता है उसने पहेली शुरुआत किस्से की है , मुझसे की है.....

ये कहते हुए संध्या वहां से जोर जोर से हस्ते हुए अपने कमरे में चली जाती है.....
.
.
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जारी रहेगा ✍️✍️
Mind blowing... super update bro...
 

dev61901

" Never let an old flame burn you twice "
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Mast dhamakedar update

Idhar collage me aman or abhay ki takrar ki shuruat ho gayi ha abhi to aman warning deke gaya ha jo shayad age chal kar usi per bhari padne wali ha or nidhi bhi jaisa bhai waisi behen

Or idhar ghar me nidhi ne maje me akar aman ki sachhai ugal di or sandhya ke ankon per jo parda laga tha wo kuchh had tak to hata ha or wo sachhai se awgat hui ha ki uska beta nirdosh tha or jise itna lad pyar kar rahi thi wo to uske layak bhi nahi tha or ye nidhi bhi apne bhai ke sath mili hui thi jane abhay to uska bhai hi nahi tha kher lekin sandhya ne koi action nahi liya bas warning deke chhod diya are apne bete ko jara si bat per kut dala tha or idhar aman to uske bete ko pitwane wala tha fir bhi use kuchh nahi kaha kher ye aman lagta ha abhi baj nahi ayega iski to lanka abhay hi lagayega wo bhi sut samet or idhar ghar me sandhya ne avesh me akar abhay ki sachhai ugal di ab dekhte han ki baki log uski baton per bharosa karte han ya nahi

Waiting for next update
 

Yasasvi3

😈Devil queen 👑
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UPDATE 13

कॉलेज खतम होने के बाद सभी अपने अपने घर की तरफ निकलने लगे कॉलेज के गेट से बाहर चाय की तपली लगी थी अभय वहा चला गया

अभय – (चाय वाले से) भाई जी एक चाय देना और बिस्कुट भी

चाय वाला – अभी लाया भईया

तभी अमन , निधि के साथ अपनी बाइक से कॉलेज गेट के बाहर निकल रहे थे तभी उसकी नज़र अभय पर पड़ी

अमन – (चाय की तपली के पास आते ही) आज तूने मेरा मजाक बनाया है पूरे क्लास के सामने देख लूगा तुझे बड़ी अकड़ है ना तुझ में सारी की सारी निकाल दुगा मैं...

अभय – (चाय की चुस्की लेते हुए) इतना ज्यादा परेशान होने की जरूरत नही है कल क्लास में मेरे सवाल का जवाब दे देना सबके सामने तो तेरी ही वाह वाही होगी , और रही देखने की बात , तो उसके लिए भी ज्यादा मत सोच हम दोनो एक ही क्लास में है रोज देखते रहना मुझे बाकी रही अकड़ की बात (मुस्कुरा के) जाने दो आज मेरा मन नहीं है कुछ करने का

अमन – (कुछ न समझते हुए) क्या बोला मन नही है तेरा रुक...

निधि – जाने दो भईया छोटे लोगो के मू लगोगे तो अपना मु गंदा होगा चलो यहां से

तभी अमन निकल गया बाइक से हवेली की तरफ जबकि ये सब जब हो रहा था तभी राज , लल्ला और राजू सारा नजारा देख और सुन रहे थे तभी तीनों अभय के पास आगये

राज – कैसे हो भाई आप

अभय – अच्छा हू मैं

राज – आपने आज क्लास में कमाल कर दिया , बोलती बंद कर दी अपने उस अमन की

अभय – (हल्का मुस्कुरा के) एसा कुछ नही है मैने तो एक मामूली सा सवाल पूछा उससे बस

राजू – अरे भाई आपके उसी मामूली सवाल की वजह से उसका मु देखने लायक था (तीनों जोर से हसने लगे)

लल्ला – भाई आप यहां पे बैठ के चाय क्यों पी रहे हो अभी तो खाना खाने का समय हो रहा है आप हमारे साथ हमारे घर चलो साथ में मिलके खाना खाएंगे सब

अभय – शुक्रिया पूछने के लिए हॉस्टल में खाना तयार रखा है मेरा , सुबह से चाय नही पी थी मैंने इसीलिए मन हो गया चाय पीने का

राज – आज रात को भूमि पूजा में आप आ रहे हो ना

अभय – हा बिल्कुल आऊंगा मैं

लल्ला – हा भाई आयेगा जरूर क्यों की आज भूमि पूजन के बाद सभी गांव वालो ने दावत भी रखी है साथ में मनोरंजन का इंतजाम भी जिसमे राज अपनी शायरी सुनाएगा सबको

अभय – (मुस्कुरा के) अच्छी बात है मै जरूर सुनूगा शायरी , अच्छा चलता हू मैं रात में मुलाकात होगी आपसे

इतना बोल के जाने लगा पीछे से राज , लाला और राजू जाते हू अभय को देखने लगे

अभय – (मुस्कुरा के हॉस्टल में जाते हुए रास्ते में मन में – आज बड़े दिनों के बाद शायरी सुनने को मिलेगी , तेरी शायरी तेरी तरह कमाल की होती है बस मैं ही टांग तोड़ देता था हर बार तेरी शायरी की)

इधर हवेली में अमन और निधि बाइक से उतरते ही अमन गुस्से में हवेली के अंडर जाने लगा पीछे पीछे निधि भी आने लगी हाल में बैठे ललिता , मालती और संध्या ने देखा अमन को बिना किसी की तरफ देखे जा रहा था अपने कमरे में तभी...

मालती – (अपनी बेटी निधि को रोक के बोली) निधि क्या बात है अमन का मूड सही नही है क्या

निधि – मां कॉलेज में वो नया लड़का आया है ना अमन की उससे कोई बात हो गई है इसीलिए गुस्से में है

नए लड़के के बारे में सुन के संध्या के कान खड़े हो गए तभी..

संध्या – निधि क्या बात हुई है अमन की उस लड़के से

निधि – (जो भी हुआ क्लास में सब बता दिया संध्या को) इसके बाद अमन गुस्से में है तभी उस लड़के को धमकी देके आया है देख लूंगा तुझे

निधि के बाते सुन संध्या के चेहरे पे हल्की सी हसी आ गई और बोली....

संध्या – (निधि से) ठीक है तू जाके हाथ मु धो के आजा खाना खाने

थोड़ी देर के बाद अमन डाइनिंग टेबल पर बैठा खाना खा रहा था साथ में निधि, ललिता, मालती और संध्या भी बैठे खाना खा रहे थे।

अमन -- (मालती चाची से बोला) क्या बात है चाची, आज कल चाचा नही दिखाई देते। कहा रहते है वो ?

अमन की बात सुनकर, मालती ने अमन को घूरते हुए बोली...

मालती -- तू खुद ही ढूंढ ले, मुझसे क्यूं पूछ रहा है ?

मालती का जवाब सुनकर, अमन चुप हो गया । और अपना खाना खाने लगता है...

इस बीच संध्या अमन की तरफ ही देख रही थी, थोड़ी देर बाद ही संध्या ने अपनी चुप्पी तोडी...

संध्या -- क्या बात है अमन जब से कॉलेज से आया है देख रही हू तू गुस्से में हो , देख अमन बात चाहे जो भी हो मैं नही चाहती की तेरा किसी से भी झगड़ा हो समझा बात को

संध्या की बात सुनकर, अमन मुस्कुराते हुए बोला...

अमन -- क्या ताई मां, आप भी ना। मैं भला क्यूं झगड़ा करने लगा किसी से, वैसे भी मैं छोटे लोगो के मुंह नही लगता।

अमन का इतना कहना था की, मलती झट से बोल पड़ी...

मलती -- दीदी के कहने का मतलब है की, तेरा ये झगड़ा कही तुझ पर मुसीबत ना बन जाए इसलिए वो तुझे झगड़े से दूर रहने के लिए बोल रही है। जो तुझसे होगा नही। तू किसी भी लड़के को पायल से बात करते हुए देखता है तो उससे झगड़ करने लगता है।

पायल का नाम सुनते ही संध्या खाना खाते खाते रुक जाती है, एक तरह से चौंक ही पड़ी थी...

संध्या -- (चौक के) पायल, पायल से क्या है इसका और निधि तूने तो अभी पायल का नाम भी नही लिया था अब अचनक से पायल कहा से आ गई बीच में.....

संध्या की बात सुन कर वहा निधि बोली...

निधी -- अरे ताई मां, आपको नही पता क्या ? ये पायल का बहुत बड़ा आशिक है।

ये सुन कर संध्या को एक अलग ही झटका लगा, उसके चेहरा फक्क् पड़ गया था। हकलाते हुए अपनी आवाज में कुछ तो बोली...

संध्या -- क्या...मतलब और कब से ??

निधि -- बचपन से, आपको नही पता क्या ? अरे ये तो अभय भैया को उसके साथ देख कर पगला जाता था। और जान बूझ कर अभय भैया से झगड़ा कर लेता था। अभय भैया इससे झगड़ा नही करना चाहते थे वो इसे नजर अंदाज भी करते थे, मगर ये तो पायल का दीवाना था। जबरदस्ती अभय भैया से लड़ पड़ता था।

अब धरती फटने की बारी थी, मगर शायद आसमान फटा जिससे संध्या के कानो के परदे एक पल के लिए सुन हो गए थे। संध्या के हाथ से चम्मच छूटने ही वाला था की मलती ने उस चम्मच को पकड़ लिया और संध्या को झिंझोड़ते हुए बोली...

मालती -- क्या हुआ दीदी ? कहा खो गई...?

संध्या होश में आते ही...

संध्या -- अमन झगड़ा करता....?

मालती – अरे दीदी जो बीत गया सो बीत गया छोड़ो...l

मालती ने संध्या की बात पूरी नही होने दी, मगर इस बार संध्या बौखलाई एक बार फिर से कुछ बोलना चाही...

संध्या -- नही...एक मिनट, झगड़ा तो अभय करता था ना अमन से...?

मालती – क्यूं गड़े मुर्दे उखाड़ रही हो दीदी, छोड़ो ना।

मालती ने फिर संध्या की बात पूरी नही होने दी, इस बार संध्या को मालती के उपर बहुत गुस्सा आया , संध्या की हालत और गुस्से को देख कर ललिता माहौल को भांप लेती है, उसने अपनी बेटी निधि की तरफ देखते हुए गुस्से में कुछ बुदबुदाई। अपनी मां का गुस्सा देखकर निधि भी डर गई...

संध्या -- (गुस्से में चिल्ला के मालती से) तू बार बार बीच में क्यूं टोक रही है मालती ? तुझे दिख नही रहा क्या ? की मैं कुछ पूछ रही हूं निधि से...

संध्या की तेज आवाज सुनकर मालती इस बार खामोश हो गई...मलती को खामोश देख संध्या ने अपनी नज़रे एक बार फिर निधि पर घुमाई।

संध्या -- सच सच बता निधि। झगड़ा कौन करता था ? अभय या अमन ?

संध्या की बात सुनकर निधि घबरा गई, वो कुछ बोलना तो चाहती थी मगर अपनी मां के डर से अपनी आवाज तक ना निकाल पाई।

अमन – हां मैं ही करता था झगड़ा, तो क्या बचपन की बचकानी हरकत की सजा अब दोगी मुझे ताई मां ?

अमन वहा बैठा बेबाकी से बोल पड़ा..., इस बार धरती हिली थी शायद। इस लिए तो संध्या एक झटके में चेयर पर से उठते हुए...आश्चर्य से अमन को देखती रही...

संध्या-- क्या...? पर तू...तू तो कहता था की, झगड़ा अभय करता था।

अमन -- अब बचपन में हर बच्चा शरारत करने के बाद डांट ना पड़े पिटाई ना हो इसलिए क्या करता है, झूठ बोलता है, अपना किया दूसरे पे थोपता है। मैं भी बच्चा था तो मैं भी बचने के लिए यही करता था। माना जो किया गलत किया, मगर उस समय अच्छा गलत की समझ कहा थी मुझे ताई मां ?

आज सुबह से संध्या को झटके पे झटके लग रहे थे , संध्या के आंखो के सामने आज उजाले की किरणे पड़ रही थी मगर उसे इस उजाले की रौशनी में उसकी खुद की आंखे खुली तो चुंधिया सी गई शायद उसकी आंखो को इतने उजाले में देखने की आदत नही थी, पर कहते है ना, जब सच की रौशनी चमकती है तो अक्सर अंधेरे में रहने वाले की आंखे इसी तरह चौंधिया जाति है....

संध्या की हालत और स्थिति कुछ ऐसी थी की मानो काटो तो खून नहीं। दिल मे दर्द उठते मगर वो रोने के अलावा कुछ भी नही कर सकती थी। आज जब उसे संभालने के लिए ललिता और मालती के हाथ उसकी तरफ बढ़े तो उसने उन दोनो का हाथ दिखाते हुए रोक दिया।

संध्या का दिल पहली बार इस तरह धड़क रहा था मानो बची हुई जिंदगी की धड़कन इस पल ही पूरी हो जायेगी। नम हो चुकी आंखो में दर्द का वो अश्क लिए एक नजर वो अमन की तरफ देखी....

अमन की नज़रे भी जैसे ही संध्या से मिली, वो अपनी आंखे चुराते हुए बोला.....

अमन -- सॉरी ताई मां, उस समय सही और गलत की समझ नही थी मुझमें।

अमन का ये वाक्य पूरा होते ही.....संध्या तड़प कर बोली।
संध्या – निधी.....तू भी। तुझे पता था ना सब, फिर तू मुझे क्यूं नही बताती थी ? इसलिए की अमन तेरा सगा भाई है

संध्या की बात पर निधि भी कुछ नही बोलती, और अपना सिर नीचे झुका लेती है......।

ये देख कर संध्या झल्ला पड़ी। और एक गहरी सांस लेते हुए बोली...

संध्या – मेरा बच्चा, चुपचाप हर चीज सहता रहा। मुझे सफाई तक नही देता था। मगर मेरी मत मारी गई थी जो तुझे सच्चा और अच्छा समझ कर उसपे हाथ उठा ती थी। (और तभी गुस्से में जोर से बोली) तू कहता है ना की तू छोटे लोगो के मुंह नही लगता। तो अब से तू पायल के आस पास भी नजर नहीं आना चाहीए मुझे वर्ना तूने तो सिर्फ मेरा प्यार देखा है अब नफरत देखेगा तू।

संध्या की ये बात सुनकर अमन के होश उड़ गए, वो चेयर पर से उठते हुए बोला...

अमन -- ये आप क्या बोल रही है ताई मां। मैं पायल को नही छोड़ सकता। मैं उससे बचपन से बहुत प्यार करता हूं, और मेरे प्यार के बीच में कोई आया ना तो मै.....

अभि अमन ने अपना वाक्य पूरा बोला भी नही था की, उसके चेहरे पर एक जोरदार तमाचा पड़ा।

रमन – नालायक, शर्म नही आती तुझे ? जिस इंसान ने तुझे इतना प्यार दिया उसी के सामने बत्मीजी में बोल रहा है।

अमन का गाल लाल हो चुका था। अपने एक गाल पर हाथ रखे जब अमन ने अपनी नज़रे उठाई तो पाया की उसे थप्पड़ मरने वाला कोई और नहीं बल्कि खुद उसका बाप रमन था। ये देख कर अमन बिना कुछ बोले, अपने कमरे में चला जाता है

अमन के जाते ही, निधी भी वहा से चुप चाप निकल लेती है। अब वहा पे सिर्फ मालती, ललिता, रमन और संध्या ही बचे थे।

रमन -- अब तो खुश हो न भाभी तुम ?

रमन की बात सुनकर, संध्या रुवासी ही सही मगर थोड़ा मुस्कुरा कर बोली...

संध्या -- खुश,किस बात पे ? अपने बच्चे पे बेवजह हाथ उठाया मैने , इस बात पे खुश रहूं ? जिसे सीने से लगाकर रखना चाहिए था वो दुनिया की भीड़ में भूखा प्यासा भटकता रहा, उस बात पे खुश रहूं ? ना जाने कैसे उसने अपने दिल को समझाया होगा, उस बात पे खुश रहूं ? या उस बात पे खुश रहूं ? की जब भी कभी उसे तकलीफ हुई होगी उसके मु से मां शब्द भी निकला होगा ? और तू एक थप्पड़ मार कर पूछता है की खुश हु की नही ?

(चिल्ला के) लेकिन हा आज खुश हूं मैं, की मेरा बेटा उस काबिल है की दुनिया की भीड़ में चलने के लिए उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं। क्या कहता था तू ? ना जाने कौन है वो, जो इस हवेली को बर्बाद करने आया है। तो अब कान खोल के सुन ले मेरी बात वो कोई और नहीं मेरा अभय है समझ आई बात तुझे और तूने बिल्कुल सच बोला था वो सिर्फ हवेली ही नही बल्कि अभी तो बहुत कुछ बर्बाद करेगा ? और जनता है उसने पहेली शुरुआत किस्से की है , मुझसे की है.....

ये कहते हुए संध्या वहां से जोर जोर से हस्ते हुए अपने कमरे में चली जाती है.....
.
.
.
जारी रहेगा ✍️✍️
Bhot hi saandaar update ....🤭or aapne new character bhi chupa liya.... Suspance ke liye chalo koi na agle update me dekh lenege
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Realisation is always heartbreaking.

लेकिन संध्या के साथ जो हो रहा उसे रियलाइजेशन नही आंखे खुलना कहते हैं और वो हमेशा पश्चाताप और दुख से ही भरा होता है।

अब देखना है भूमि पूजन में क्या और धमाका होता है, और कल जब एक नए किरदार की एंट्री होगी तो वो क्या धमाका ले कर आयेगी वो भी देखने लायक होगा।

उम्दा अपडेट :applause:
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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वैसे वो पार्टी में जो नई लड़की की एंट्री होनी थी वो कहां है, कुछ उसकी भी खोज खबर दीजिए की वो कौन से गड़े मुर्दे उखाड़ने आई है
 

Nishant1

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Abhi aman ka raz jaan kar Sandhya ko itna jhatka laga
Aur jab ramn ka raz janegi ki abhay ne ramn ko pathar se nhi mara tha to aur ramn ne hi abhay ko dono ki chudai dikhaya tha tb Sandhya ka kya hoga lekin ramn ka jhoth Sandhya ko kaun batayega Sandhya pata karne se to rhi wo sirf bol hi sakti hai lekin kuchh kar nhi sakti
Na munshi ka kuchh kar pai na ramn ka aur ab amn ka bhi kuchh nhi kar pai
Ab dekhte hai ki Sandhya aage kuchh kar pati hai ya sirf bol kar ro hi sakti hai
 

Motaland2468

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UPDATE 13

कॉलेज खतम होने के बाद सभी अपने अपने घर की तरफ निकलने लगे कॉलेज के गेट से बाहर चाय की तपली लगी थी अभय वहा चला गया

अभय – (चाय वाले से) भाई जी एक चाय देना और बिस्कुट भी

चाय वाला – अभी लाया भईया

तभी अमन , निधि के साथ अपनी बाइक से कॉलेज गेट के बाहर निकल रहे थे तभी उसकी नज़र अभय पर पड़ी

अमन – (चाय की तपली के पास आते ही) आज तूने मेरा मजाक बनाया है पूरे क्लास के सामने देख लूगा तुझे बड़ी अकड़ है ना तुझ में सारी की सारी निकाल दुगा मैं...

अभय – (चाय की चुस्की लेते हुए) इतना ज्यादा परेशान होने की जरूरत नही है कल क्लास में मेरे सवाल का जवाब दे देना सबके सामने तो तेरी ही वाह वाही होगी , और रही देखने की बात , तो उसके लिए भी ज्यादा मत सोच हम दोनो एक ही क्लास में है रोज देखते रहना मुझे बाकी रही अकड़ की बात (मुस्कुरा के) जाने दो आज मेरा मन नहीं है कुछ करने का

अमन – (कुछ न समझते हुए) क्या बोला मन नही है तेरा रुक...

निधि – जाने दो भईया छोटे लोगो के मू लगोगे तो अपना मु गंदा होगा चलो यहां से

तभी अमन निकल गया बाइक से हवेली की तरफ जबकि ये सब जब हो रहा था तभी राज , लल्ला और राजू सारा नजारा देख और सुन रहे थे तभी तीनों अभय के पास आगये

राज – कैसे हो भाई आप

अभय – अच्छा हू मैं

राज – आपने आज क्लास में कमाल कर दिया , बोलती बंद कर दी अपने उस अमन की

अभय – (हल्का मुस्कुरा के) एसा कुछ नही है मैने तो एक मामूली सा सवाल पूछा उससे बस

राजू – अरे भाई आपके उसी मामूली सवाल की वजह से उसका मु देखने लायक था (तीनों जोर से हसने लगे)

लल्ला – भाई आप यहां पे बैठ के चाय क्यों पी रहे हो अभी तो खाना खाने का समय हो रहा है आप हमारे साथ हमारे घर चलो साथ में मिलके खाना खाएंगे सब

अभय – शुक्रिया पूछने के लिए हॉस्टल में खाना तयार रखा है मेरा , सुबह से चाय नही पी थी मैंने इसीलिए मन हो गया चाय पीने का

राज – आज रात को भूमि पूजा में आप आ रहे हो ना

अभय – हा बिल्कुल आऊंगा मैं

लल्ला – हा भाई आयेगा जरूर क्यों की आज भूमि पूजन के बाद सभी गांव वालो ने दावत भी रखी है साथ में मनोरंजन का इंतजाम भी जिसमे राज अपनी शायरी सुनाएगा सबको

अभय – (मुस्कुरा के) अच्छी बात है मै जरूर सुनूगा शायरी , अच्छा चलता हू मैं रात में मुलाकात होगी आपसे

इतना बोल के जाने लगा पीछे से राज , लाला और राजू जाते हू अभय को देखने लगे

अभय – (मुस्कुरा के हॉस्टल में जाते हुए रास्ते में मन में – आज बड़े दिनों के बाद शायरी सुनने को मिलेगी , तेरी शायरी तेरी तरह कमाल की होती है बस मैं ही टांग तोड़ देता था हर बार तेरी शायरी की)

इधर हवेली में अमन और निधि बाइक से उतरते ही अमन गुस्से में हवेली के अंडर जाने लगा पीछे पीछे निधि भी आने लगी हाल में बैठे ललिता , मालती और संध्या ने देखा अमन को बिना किसी की तरफ देखे जा रहा था अपने कमरे में तभी...

मालती – (अपनी बेटी निधि को रोक के बोली) निधि क्या बात है अमन का मूड सही नही है क्या

निधि – मां कॉलेज में वो नया लड़का आया है ना अमन की उससे कोई बात हो गई है इसीलिए गुस्से में है

नए लड़के के बारे में सुन के संध्या के कान खड़े हो गए तभी..

संध्या – निधि क्या बात हुई है अमन की उस लड़के से

निधि – (जो भी हुआ क्लास में सब बता दिया संध्या को) इसके बाद अमन गुस्से में है तभी उस लड़के को धमकी देके आया है देख लूंगा तुझे

निधि के बाते सुन संध्या के चेहरे पे हल्की सी हसी आ गई और बोली....

संध्या – (निधि से) ठीक है तू जाके हाथ मु धो के आजा खाना खाने

थोड़ी देर के बाद अमन डाइनिंग टेबल पर बैठा खाना खा रहा था साथ में निधि, ललिता, मालती और संध्या भी बैठे खाना खा रहे थे।

अमन -- (मालती चाची से बोला) क्या बात है चाची, आज कल चाचा नही दिखाई देते। कहा रहते है वो ?

अमन की बात सुनकर, मालती ने अमन को घूरते हुए बोली...

मालती -- तू खुद ही ढूंढ ले, मुझसे क्यूं पूछ रहा है ?

मालती का जवाब सुनकर, अमन चुप हो गया । और अपना खाना खाने लगता है...

इस बीच संध्या अमन की तरफ ही देख रही थी, थोड़ी देर बाद ही संध्या ने अपनी चुप्पी तोडी...

संध्या -- क्या बात है अमन जब से कॉलेज से आया है देख रही हू तू गुस्से में हो , देख अमन बात चाहे जो भी हो मैं नही चाहती की तेरा किसी से भी झगड़ा हो समझा बात को

संध्या की बात सुनकर, अमन मुस्कुराते हुए बोला...

अमन -- क्या ताई मां, आप भी ना। मैं भला क्यूं झगड़ा करने लगा किसी से, वैसे भी मैं छोटे लोगो के मुंह नही लगता।

अमन का इतना कहना था की, मलती झट से बोल पड़ी...

मलती -- दीदी के कहने का मतलब है की, तेरा ये झगड़ा कही तुझ पर मुसीबत ना बन जाए इसलिए वो तुझे झगड़े से दूर रहने के लिए बोल रही है। जो तुझसे होगा नही। तू किसी भी लड़के को पायल से बात करते हुए देखता है तो उससे झगड़ करने लगता है।

पायल का नाम सुनते ही संध्या खाना खाते खाते रुक जाती है, एक तरह से चौंक ही पड़ी थी...

संध्या -- (चौक के) पायल, पायल से क्या है इसका और निधि तूने तो अभी पायल का नाम भी नही लिया था अब अचनक से पायल कहा से आ गई बीच में.....

संध्या की बात सुन कर वहा निधि बोली...

निधी -- अरे ताई मां, आपको नही पता क्या ? ये पायल का बहुत बड़ा आशिक है।

ये सुन कर संध्या को एक अलग ही झटका लगा, उसके चेहरा फक्क् पड़ गया था। हकलाते हुए अपनी आवाज में कुछ तो बोली...

संध्या -- क्या...मतलब और कब से ??

निधि -- बचपन से, आपको नही पता क्या ? अरे ये तो अभय भैया को उसके साथ देख कर पगला जाता था। और जान बूझ कर अभय भैया से झगड़ा कर लेता था। अभय भैया इससे झगड़ा नही करना चाहते थे वो इसे नजर अंदाज भी करते थे, मगर ये तो पायल का दीवाना था। जबरदस्ती अभय भैया से लड़ पड़ता था।

अब धरती फटने की बारी थी, मगर शायद आसमान फटा जिससे संध्या के कानो के परदे एक पल के लिए सुन हो गए थे। संध्या के हाथ से चम्मच छूटने ही वाला था की मलती ने उस चम्मच को पकड़ लिया और संध्या को झिंझोड़ते हुए बोली...

मालती -- क्या हुआ दीदी ? कहा खो गई...?

संध्या होश में आते ही...

संध्या -- अमन झगड़ा करता....?

मालती – अरे दीदी जो बीत गया सो बीत गया छोड़ो...l

मालती ने संध्या की बात पूरी नही होने दी, मगर इस बार संध्या बौखलाई एक बार फिर से कुछ बोलना चाही...

संध्या -- नही...एक मिनट, झगड़ा तो अभय करता था ना अमन से...?

मालती – क्यूं गड़े मुर्दे उखाड़ रही हो दीदी, छोड़ो ना।

मालती ने फिर संध्या की बात पूरी नही होने दी, इस बार संध्या को मालती के उपर बहुत गुस्सा आया , संध्या की हालत और गुस्से को देख कर ललिता माहौल को भांप लेती है, उसने अपनी बेटी निधि की तरफ देखते हुए गुस्से में कुछ बुदबुदाई। अपनी मां का गुस्सा देखकर निधि भी डर गई...

संध्या -- (गुस्से में चिल्ला के मालती से) तू बार बार बीच में क्यूं टोक रही है मालती ? तुझे दिख नही रहा क्या ? की मैं कुछ पूछ रही हूं निधि से...

संध्या की तेज आवाज सुनकर मालती इस बार खामोश हो गई...मलती को खामोश देख संध्या ने अपनी नज़रे एक बार फिर निधि पर घुमाई।

संध्या -- सच सच बता निधि। झगड़ा कौन करता था ? अभय या अमन ?

संध्या की बात सुनकर निधि घबरा गई, वो कुछ बोलना तो चाहती थी मगर अपनी मां के डर से अपनी आवाज तक ना निकाल पाई।

अमन – हां मैं ही करता था झगड़ा, तो क्या बचपन की बचकानी हरकत की सजा अब दोगी मुझे ताई मां ?

अमन वहा बैठा बेबाकी से बोल पड़ा..., इस बार धरती हिली थी शायद। इस लिए तो संध्या एक झटके में चेयर पर से उठते हुए...आश्चर्य से अमन को देखती रही...

संध्या-- क्या...? पर तू...तू तो कहता था की, झगड़ा अभय करता था।

अमन -- अब बचपन में हर बच्चा शरारत करने के बाद डांट ना पड़े पिटाई ना हो इसलिए क्या करता है, झूठ बोलता है, अपना किया दूसरे पे थोपता है। मैं भी बच्चा था तो मैं भी बचने के लिए यही करता था। माना जो किया गलत किया, मगर उस समय अच्छा गलत की समझ कहा थी मुझे ताई मां ?

आज सुबह से संध्या को झटके पे झटके लग रहे थे , संध्या के आंखो के सामने आज उजाले की किरणे पड़ रही थी मगर उसे इस उजाले की रौशनी में उसकी खुद की आंखे खुली तो चुंधिया सी गई शायद उसकी आंखो को इतने उजाले में देखने की आदत नही थी, पर कहते है ना, जब सच की रौशनी चमकती है तो अक्सर अंधेरे में रहने वाले की आंखे इसी तरह चौंधिया जाति है....

संध्या की हालत और स्थिति कुछ ऐसी थी की मानो काटो तो खून नहीं। दिल मे दर्द उठते मगर वो रोने के अलावा कुछ भी नही कर सकती थी। आज जब उसे संभालने के लिए ललिता और मालती के हाथ उसकी तरफ बढ़े तो उसने उन दोनो का हाथ दिखाते हुए रोक दिया।

संध्या का दिल पहली बार इस तरह धड़क रहा था मानो बची हुई जिंदगी की धड़कन इस पल ही पूरी हो जायेगी। नम हो चुकी आंखो में दर्द का वो अश्क लिए एक नजर वो अमन की तरफ देखी....

अमन की नज़रे भी जैसे ही संध्या से मिली, वो अपनी आंखे चुराते हुए बोला.....

अमन -- सॉरी ताई मां, उस समय सही और गलत की समझ नही थी मुझमें।

अमन का ये वाक्य पूरा होते ही.....संध्या तड़प कर बोली।
संध्या – निधी.....तू भी। तुझे पता था ना सब, फिर तू मुझे क्यूं नही बताती थी ? इसलिए की अमन तेरा सगा भाई है

संध्या की बात पर निधि भी कुछ नही बोलती, और अपना सिर नीचे झुका लेती है......।

ये देख कर संध्या झल्ला पड़ी। और एक गहरी सांस लेते हुए बोली...

संध्या – मेरा बच्चा, चुपचाप हर चीज सहता रहा। मुझे सफाई तक नही देता था। मगर मेरी मत मारी गई थी जो तुझे सच्चा और अच्छा समझ कर उसपे हाथ उठा ती थी। (और तभी गुस्से में जोर से बोली) तू कहता है ना की तू छोटे लोगो के मुंह नही लगता। तो अब से तू पायल के आस पास भी नजर नहीं आना चाहीए मुझे वर्ना तूने तो सिर्फ मेरा प्यार देखा है अब नफरत देखेगा तू।

संध्या की ये बात सुनकर अमन के होश उड़ गए, वो चेयर पर से उठते हुए बोला...

अमन -- ये आप क्या बोल रही है ताई मां। मैं पायल को नही छोड़ सकता। मैं उससे बचपन से बहुत प्यार करता हूं, और मेरे प्यार के बीच में कोई आया ना तो मै.....

अभि अमन ने अपना वाक्य पूरा बोला भी नही था की, उसके चेहरे पर एक जोरदार तमाचा पड़ा।

रमन – नालायक, शर्म नही आती तुझे ? जिस इंसान ने तुझे इतना प्यार दिया उसी के सामने बत्मीजी में बोल रहा है।

अमन का गाल लाल हो चुका था। अपने एक गाल पर हाथ रखे जब अमन ने अपनी नज़रे उठाई तो पाया की उसे थप्पड़ मरने वाला कोई और नहीं बल्कि खुद उसका बाप रमन था। ये देख कर अमन बिना कुछ बोले, अपने कमरे में चला जाता है

अमन के जाते ही, निधी भी वहा से चुप चाप निकल लेती है। अब वहा पे सिर्फ मालती, ललिता, रमन और संध्या ही बचे थे।

रमन -- अब तो खुश हो न भाभी तुम ?

रमन की बात सुनकर, संध्या रुवासी ही सही मगर थोड़ा मुस्कुरा कर बोली...

संध्या -- खुश,किस बात पे ? अपने बच्चे पे बेवजह हाथ उठाया मैने , इस बात पे खुश रहूं ? जिसे सीने से लगाकर रखना चाहिए था वो दुनिया की भीड़ में भूखा प्यासा भटकता रहा, उस बात पे खुश रहूं ? ना जाने कैसे उसने अपने दिल को समझाया होगा, उस बात पे खुश रहूं ? या उस बात पे खुश रहूं ? की जब भी कभी उसे तकलीफ हुई होगी उसके मु से मां शब्द भी निकला होगा ? और तू एक थप्पड़ मार कर पूछता है की खुश हु की नही ?

(चिल्ला के) लेकिन हा आज खुश हूं मैं, की मेरा बेटा उस काबिल है की दुनिया की भीड़ में चलने के लिए उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं। क्या कहता था तू ? ना जाने कौन है वो, जो इस हवेली को बर्बाद करने आया है। तो अब कान खोल के सुन ले मेरी बात वो कोई और नहीं मेरा अभय है समझ आई बात तुझे और तूने बिल्कुल सच बोला था वो सिर्फ हवेली ही नही बल्कि अभी तो बहुत कुछ बर्बाद करेगा ? और जनता है उसने पहेली शुरुआत किस्से की है , मुझसे की है.....

ये कहते हुए संध्या वहां से जोर जोर से हस्ते हुए अपने कमरे में चली जाती है.....
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जारी रहेगा ✍️✍️
Shaandar update bro.story dhire dhire patri par aa rahi hai bas update regular dete raho aur story me Sex seen main pics or gif bhi add karna dusra maa bete ka sex jaldi se mat kara Dena
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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कॉलेज खतम होने के बाद सभी अपने अपने घर की तरफ निकलने लगे कॉलेज के गेट से बाहर चाय की तपली लगी थी अभय वहा चला गया

अभय – (चाय वाले से) भाई जी एक चाय देना और बिस्कुट भी

चाय वाला – अभी लाया भईया

तभी अमन , निधि के साथ अपनी बाइक से कॉलेज गेट के बाहर निकल रहे थे तभी उसकी नज़र अभय पर पड़ी

अमन – (चाय की तपली के पास आते ही) आज तूने मेरा मजाक बनाया है पूरे क्लास के सामने देख लूगा तुझे बड़ी अकड़ है ना तुझ में सारी की सारी निकाल दुगा मैं...

अभय – (चाय की चुस्की लेते हुए) इतना ज्यादा परेशान होने की जरूरत नही है कल क्लास में मेरे सवाल का जवाब दे देना सबके सामने तो तेरी ही वाह वाही होगी , और रही देखने की बात , तो उसके लिए भी ज्यादा मत सोच हम दोनो एक ही क्लास में है रोज देखते रहना मुझे बाकी रही अकड़ की बात (मुस्कुरा के) जाने दो आज मेरा मन नहीं है कुछ करने का

अमन – (कुछ न समझते हुए) क्या बोला मन नही है तेरा रुक...

निधि – जाने दो भईया छोटे लोगो के मू लगोगे तो अपना मु गंदा होगा चलो यहां से

तभी अमन निकल गया बाइक से हवेली की तरफ जबकि ये सब जब हो रहा था तभी राज , लल्ला और राजू सारा नजारा देख और सुन रहे थे तभी तीनों अभय के पास आगये

राज – कैसे हो भाई आप

अभय – अच्छा हू मैं

राज – आपने आज क्लास में कमाल कर दिया , बोलती बंद कर दी अपने उस अमन की

अभय – (हल्का मुस्कुरा के) एसा कुछ नही है मैने तो एक मामूली सा सवाल पूछा उससे बस

राजू – अरे भाई आपके उसी मामूली सवाल की वजह से उसका मु देखने लायक था (तीनों जोर से हसने लगे)

लल्ला – भाई आप यहां पे बैठ के चाय क्यों पी रहे हो अभी तो खाना खाने का समय हो रहा है आप हमारे साथ हमारे घर चलो साथ में मिलके खाना खाएंगे सब

अभय – शुक्रिया पूछने के लिए हॉस्टल में खाना तयार रखा है मेरा , सुबह से चाय नही पी थी मैंने इसीलिए मन हो गया चाय पीने का

राज – आज रात को भूमि पूजा में आप आ रहे हो ना

अभय – हा बिल्कुल आऊंगा मैं

लल्ला – हा भाई आयेगा जरूर क्यों की आज भूमि पूजन के बाद सभी गांव वालो ने दावत भी रखी है साथ में मनोरंजन का इंतजाम भी जिसमे राज अपनी शायरी सुनाएगा सबको

अभय – (मुस्कुरा के) अच्छी बात है मै जरूर सुनूगा शायरी , अच्छा चलता हू मैं रात में मुलाकात होगी आपसे

इतना बोल के जाने लगा पीछे से राज , लाला और राजू जाते हू अभय को देखने लगे

अभय – (मुस्कुरा के हॉस्टल में जाते हुए रास्ते में मन में – आज बड़े दिनों के बाद शायरी सुनने को मिलेगी , तेरी शायरी तेरी तरह कमाल की होती है बस मैं ही टांग तोड़ देता था हर बार तेरी शायरी की)

इधर हवेली में अमन और निधि बाइक से उतरते ही अमन गुस्से में हवेली के अंडर जाने लगा पीछे पीछे निधि भी आने लगी हाल में बैठे ललिता , मालती और संध्या ने देखा अमन को बिना किसी की तरफ देखे जा रहा था अपने कमरे में तभी...

मालती – (अपनी बेटी निधि को रोक के बोली) निधि क्या बात है अमन का मूड सही नही है क्या

निधि – मां कॉलेज में वो नया लड़का आया है ना अमन की उससे कोई बात हो गई है इसीलिए गुस्से में है

नए लड़के के बारे में सुन के संध्या के कान खड़े हो गए तभी..

संध्या – निधि क्या बात हुई है अमन की उस लड़के से

निधि – (जो भी हुआ क्लास में सब बता दिया संध्या को) इसके बाद अमन गुस्से में है तभी उस लड़के को धमकी देके आया है देख लूंगा तुझे

निधि के बाते सुन संध्या के चेहरे पे हल्की सी हसी आ गई और बोली....

संध्या – (निधि से) ठीक है तू जाके हाथ मु धो के आजा खाना खाने

थोड़ी देर के बाद अमन डाइनिंग टेबल पर बैठा खाना खा रहा था साथ में निधि, ललिता, मालती और संध्या भी बैठे खाना खा रहे थे।

अमन -- (मालती चाची से बोला) क्या बात है चाची, आज कल चाचा नही दिखाई देते। कहा रहते है वो ?

अमन की बात सुनकर, मालती ने अमन को घूरते हुए बोली...

मालती -- तू खुद ही ढूंढ ले, मुझसे क्यूं पूछ रहा है ?

मालती का जवाब सुनकर, अमन चुप हो गया । और अपना खाना खाने लगता है...

इस बीच संध्या अमन की तरफ ही देख रही थी, थोड़ी देर बाद ही संध्या ने अपनी चुप्पी तोडी...

संध्या -- क्या बात है अमन जब से कॉलेज से आया है देख रही हू तू गुस्से में हो , देख अमन बात चाहे जो भी हो मैं नही चाहती की तेरा किसी से भी झगड़ा हो समझा बात को

संध्या की बात सुनकर, अमन मुस्कुराते हुए बोला...

अमन -- क्या ताई मां, आप भी ना। मैं भला क्यूं झगड़ा करने लगा किसी से, वैसे भी मैं छोटे लोगो के मुंह नही लगता।

अमन का इतना कहना था की, मलती झट से बोल पड़ी...

मलती -- दीदी के कहने का मतलब है की, तेरा ये झगड़ा कही तुझ पर मुसीबत ना बन जाए इसलिए वो तुझे झगड़े से दूर रहने के लिए बोल रही है। जो तुझसे होगा नही। तू किसी भी लड़के को पायल से बात करते हुए देखता है तो उससे झगड़ करने लगता है।

पायल का नाम सुनते ही संध्या खाना खाते खाते रुक जाती है, एक तरह से चौंक ही पड़ी थी...

संध्या -- (चौक के) पायल, पायल से क्या है इसका और निधि तूने तो अभी पायल का नाम भी नही लिया था अब अचनक से पायल कहा से आ गई बीच में.....

संध्या की बात सुन कर वहा निधि बोली...

निधी -- अरे ताई मां, आपको नही पता क्या ? ये पायल का बहुत बड़ा आशिक है।

ये सुन कर संध्या को एक अलग ही झटका लगा, उसके चेहरा फक्क् पड़ गया था। हकलाते हुए अपनी आवाज में कुछ तो बोली...

संध्या -- क्या...मतलब और कब से ??

निधि -- बचपन से, आपको नही पता क्या ? अरे ये तो अभय भैया को उसके साथ देख कर पगला जाता था। और जान बूझ कर अभय भैया से झगड़ा कर लेता था। अभय भैया इससे झगड़ा नही करना चाहते थे वो इसे नजर अंदाज भी करते थे, मगर ये तो पायल का दीवाना था। जबरदस्ती अभय भैया से लड़ पड़ता था।

अब धरती फटने की बारी थी, मगर शायद आसमान फटा जिससे संध्या के कानो के परदे एक पल के लिए सुन हो गए थे। संध्या के हाथ से चम्मच छूटने ही वाला था की मलती ने उस चम्मच को पकड़ लिया और संध्या को झिंझोड़ते हुए बोली...

मालती -- क्या हुआ दीदी ? कहा खो गई...?

संध्या होश में आते ही...

संध्या -- अमन झगड़ा करता....?

मालती – अरे दीदी जो बीत गया सो बीत गया छोड़ो...l

मालती ने संध्या की बात पूरी नही होने दी, मगर इस बार संध्या बौखलाई एक बार फिर से कुछ बोलना चाही...

संध्या -- नही...एक मिनट, झगड़ा तो अभय करता था ना अमन से...?

मालती – क्यूं गड़े मुर्दे उखाड़ रही हो दीदी, छोड़ो ना।

मालती ने फिर संध्या की बात पूरी नही होने दी, इस बार संध्या को मालती के उपर बहुत गुस्सा आया , संध्या की हालत और गुस्से को देख कर ललिता माहौल को भांप लेती है, उसने अपनी बेटी निधि की तरफ देखते हुए गुस्से में कुछ बुदबुदाई। अपनी मां का गुस्सा देखकर निधि भी डर गई...

संध्या -- (गुस्से में चिल्ला के मालती से) तू बार बार बीच में क्यूं टोक रही है मालती ? तुझे दिख नही रहा क्या ? की मैं कुछ पूछ रही हूं निधि से...

संध्या की तेज आवाज सुनकर मालती इस बार खामोश हो गई...मलती को खामोश देख संध्या ने अपनी नज़रे एक बार फिर निधि पर घुमाई।

संध्या -- सच सच बता निधि। झगड़ा कौन करता था ? अभय या अमन ?

संध्या की बात सुनकर निधि घबरा गई, वो कुछ बोलना तो चाहती थी मगर अपनी मां के डर से अपनी आवाज तक ना निकाल पाई।

अमन – हां मैं ही करता था झगड़ा, तो क्या बचपन की बचकानी हरकत की सजा अब दोगी मुझे ताई मां ?

अमन वहा बैठा बेबाकी से बोल पड़ा..., इस बार धरती हिली थी शायद। इस लिए तो संध्या एक झटके में चेयर पर से उठते हुए...आश्चर्य से अमन को देखती रही...

संध्या-- क्या...? पर तू...तू तो कहता था की, झगड़ा अभय करता था।

अमन -- अब बचपन में हर बच्चा शरारत करने के बाद डांट ना पड़े पिटाई ना हो इसलिए क्या करता है, झूठ बोलता है, अपना किया दूसरे पे थोपता है। मैं भी बच्चा था तो मैं भी बचने के लिए यही करता था। माना जो किया गलत किया, मगर उस समय अच्छा गलत की समझ कहा थी मुझे ताई मां ?

आज सुबह से संध्या को झटके पे झटके लग रहे थे , संध्या के आंखो के सामने आज उजाले की किरणे पड़ रही थी मगर उसे इस उजाले की रौशनी में उसकी खुद की आंखे खुली तो चुंधिया सी गई शायद उसकी आंखो को इतने उजाले में देखने की आदत नही थी, पर कहते है ना, जब सच की रौशनी चमकती है तो अक्सर अंधेरे में रहने वाले की आंखे इसी तरह चौंधिया जाति है....

संध्या की हालत और स्थिति कुछ ऐसी थी की मानो काटो तो खून नहीं। दिल मे दर्द उठते मगर वो रोने के अलावा कुछ भी नही कर सकती थी। आज जब उसे संभालने के लिए ललिता और मालती के हाथ उसकी तरफ बढ़े तो उसने उन दोनो का हाथ दिखाते हुए रोक दिया।

संध्या का दिल पहली बार इस तरह धड़क रहा था मानो बची हुई जिंदगी की धड़कन इस पल ही पूरी हो जायेगी। नम हो चुकी आंखो में दर्द का वो अश्क लिए एक नजर वो अमन की तरफ देखी....

अमन की नज़रे भी जैसे ही संध्या से मिली, वो अपनी आंखे चुराते हुए बोला.....

अमन -- सॉरी ताई मां, उस समय सही और गलत की समझ नही थी मुझमें।

अमन का ये वाक्य पूरा होते ही.....संध्या तड़प कर बोली।
संध्या – निधी.....तू भी। तुझे पता था ना सब, फिर तू मुझे क्यूं नही बताती थी ? इसलिए की अमन तेरा सगा भाई है

संध्या की बात पर निधि भी कुछ नही बोलती, और अपना सिर नीचे झुका लेती है......।

ये देख कर संध्या झल्ला पड़ी। और एक गहरी सांस लेते हुए बोली...

संध्या – मेरा बच्चा, चुपचाप हर चीज सहता रहा। मुझे सफाई तक नही देता था। मगर मेरी मत मारी गई थी जो तुझे सच्चा और अच्छा समझ कर उसपे हाथ उठा ती थी। (और तभी गुस्से में जोर से बोली) तू कहता है ना की तू छोटे लोगो के मुंह नही लगता। तो अब से तू पायल के आस पास भी नजर नहीं आना चाहीए मुझे वर्ना तूने तो सिर्फ मेरा प्यार देखा है अब नफरत देखेगा तू।

संध्या की ये बात सुनकर अमन के होश उड़ गए, वो चेयर पर से उठते हुए बोला...

अमन -- ये आप क्या बोल रही है ताई मां। मैं पायल को नही छोड़ सकता। मैं उससे बचपन से बहुत प्यार करता हूं, और मेरे प्यार के बीच में कोई आया ना तो मै.....

अभि अमन ने अपना वाक्य पूरा बोला भी नही था की, उसके चेहरे पर एक जोरदार तमाचा पड़ा।

रमन – नालायक, शर्म नही आती तुझे ? जिस इंसान ने तुझे इतना प्यार दिया उसी के सामने बत्मीजी में बोल रहा है।

अमन का गाल लाल हो चुका था। अपने एक गाल पर हाथ रखे जब अमन ने अपनी नज़रे उठाई तो पाया की उसे थप्पड़ मरने वाला कोई और नहीं बल्कि खुद उसका बाप रमन था। ये देख कर अमन बिना कुछ बोले, अपने कमरे में चला जाता है

अमन के जाते ही, निधी भी वहा से चुप चाप निकल लेती है। अब वहा पे सिर्फ मालती, ललिता, रमन और संध्या ही बचे थे।

रमन -- अब तो खुश हो न भाभी तुम ?

रमन की बात सुनकर, संध्या रुवासी ही सही मगर थोड़ा मुस्कुरा कर बोली...

संध्या -- खुश,किस बात पे ? अपने बच्चे पे बेवजह हाथ उठाया मैने , इस बात पे खुश रहूं ? जिसे सीने से लगाकर रखना चाहिए था वो दुनिया की भीड़ में भूखा प्यासा भटकता रहा, उस बात पे खुश रहूं ? ना जाने कैसे उसने अपने दिल को समझाया होगा, उस बात पे खुश रहूं ? या उस बात पे खुश रहूं ? की जब भी कभी उसे तकलीफ हुई होगी उसके मु से मां शब्द भी निकला होगा ? और तू एक थप्पड़ मार कर पूछता है की खुश हु की नही ?

(चिल्ला के) लेकिन हा आज खुश हूं मैं, की मेरा बेटा उस काबिल है की दुनिया की भीड़ में चलने के लिए उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं। क्या कहता था तू ? ना जाने कौन है वो, जो इस हवेली को बर्बाद करने आया है। तो अब कान खोल के सुन ले मेरी बात वो कोई और नहीं मेरा अभय है समझ आई बात तुझे और तूने बिल्कुल सच बोला था वो सिर्फ हवेली ही नही बल्कि अभी तो बहुत कुछ बर्बाद करेगा ? और जनता है उसने पहेली शुरुआत किस्से की है , मुझसे की है.....

ये कहते हुए संध्या वहां से जोर जोर से हस्ते हुए अपने कमरे में चली जाती है.....
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जारी रहेगा ✍️✍️
Wah.. wahhh..... :claps::claps::claps:Kya baat hai bhai ye wala update padh kar man bohot bhavuk ho gaya👍 bohot hi update update tha, mind blowing update DEVIL MAXIMUM bhai.:hug:
 

Raj_sharma

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Abhi aman ka raz jaan kar Sandhya ko itna jhatka laga
Aur jab ramn ka raz janegi ki abhay ne ramn ko pathar se nhi mara tha to aur ramn ne hi abhay ko dono ki chudai dikhaya tha tb Sandhya ka kya hoga lekin ramn ka jhoth Sandhya ko kaun batayega Sandhya pata karne se to rhi wo sirf bol hi sakti hai lekin kuchh kar nhi sakti
Na munshi ka kuchh kar pai na ramn ka aur ab amn ka bhi kuchh nhi kar pai
Ab dekhte hai ki Sandhya aage kuchh kar pati hai ya sirf bol kar ro hi sakti hai
Ruko jara , sabar karo👍 tumne adhuri kahani padhi hai, writer ko apna kaam karne do, aage update chalu hai,
Bhai itna utavla hona theek nahi :nope:
 
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