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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Maine Sandhya ko chutiya nhi kaha maine to kewal prashn kiya tha ki Sandhya apne aap ko kya sabit karna chahiye hai ki wo bahut badi chutiya aur nautanki baaz hai
Aapko such me easa lagta hai ki Sandhya khud ko Chuttiya sabit karna chahti hai
.
Q ki jaha tak mai smjta ho story bhi meri or character bhi mera hai 😉😉
.
Kher koi bat nahi
Keep it up bhai 👍 👍 👍
 

wieujdhjw

New Member
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Maine Sandhya ko chutiya nhi kaha maine to kewal prashn kiya tha ki Sandhya apne aap ko kya sabit karna chahiye hai ki wo bahut badi chutiya aur nautanki baaz hai
Jo ramn se hi us raat ke baare me puchh rahi hai jaise ramn bata dega ki usne hi abhay ko dono ke bare me bataya tha aur ye bhi bata dega ki main chudai karne ke liye tere kamare me gya tha
Tere problem kya hai bhai ...story ko maje lane ke liye padh....ager logic chahyee to jaker holywood movie dekh......

Pichle story me bhi tere problem thee....jis bajah se writer ne story likhna bund ker diyaa...abb yhaa bhi aa gyaa tu....

Tu indirectly writer ko galyan de rhaa hai...plzz yar iss baar bhee story bund met kerwa denaa....
 
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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Tere problem kya hai bhai ...story ko maje lane ke liye padh....ager logic chahyee to jaker holywood movie dekh......

Pichle story me bhi tere problem thee....jis bajah se writer ne story likhna bund ker diyaa...abb yhaa bhi aa gyaa tu....

Tu indirectly writer ko galyan de rhaa hai...plzz yar iss baar bhee story bund met kerwa denaa....
Ignore kro bhai aapas me mat uljhoo aap
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Ignore kro bhai aapas me mat uljhoo aap
Tu bhi ignore karke apni story pe dhyan story per rakh bhai👍 koi kya bolta hai usko chhod ke aage ke update likh hum sath hai na fir kya dikkat hai kyu ki aaj kal sab utaavle hai aur sayari to kisi me hai hi nahi👍
 
Last edited:

Yasasvi3

😈Devil queen 👑
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Thank you sooo much ellysperry
Aapne bhi kafi baate shi boli hai
Lekin ek bat batana chahoga Sandhya or Raman ke conversation me Sandhya ne gusse me pochi hai saari baate
Or
Last me Rat ke bare me pocha uske leye yhe bologa
Aap he batao is bat ko gusse me pochi ke ky hoga ab is bat ko ho gye kafi saal ab aap khud socho
.
Baki rahe aage ky hoga to koshish kroga aapki pasand ka update mile aapko
Meri pasand nahi apni soch se mod dijiye is khani m....khani lekhak base honi chahiye.....redars according nahi....har chij ka waqt aata h or tab logo ko samjh aata h.......
 

Yasasvi3

😈Devil queen 👑
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UPDATE 12

अभय के जाते ही संध्या अपनी कार स्टार्ट करती है और हवेली की तरफ बढ़ चलती है हवेली में कार की आवाज आते ही रमिया तुरंत दरवाजा खोलती है तभी संध्या कार से उतर के चेहरे पे बिना किसी भाव के चलते चलते हवेली जाने लगती है तभी रमिया बोलती है

रमिया – मालकिन मैं जा रही हू बाबू जी को....

बोलते बोलते रमिया चुप हो जाती है क्यों की संध्या बस चले जा रही थी

रमिया – (मन में – आज मालकिन को क्या हो गया है)

इस तरह से संध्या को जाता देख मालती , ललिता , अमन तीनों संध्या को आवाज देते है लेकिन संध्या जैसा जिंदा लाश की तरह चलते चलते अपने कमरे में ना जा के अभय के कमरे में चली जाती है और दरवाजा अंदर से बंद कर देती है बाहर से तीनों आवाज लगाते है....

ललिता , मालती – (दरवाजा खट खटा के) दीदी दरवाजा खोलो दीदी (आवाज ना आने पर) दीदी क्या हुआ है बोलो...

मालती – (गुस्से में) आराम करना होता तो दीदी अपने कमरे में जाती ना की अभय के कमरे में , तू चुप चाप जा के अपना खाना ठूस समझा तेरी सलहा किसी ने नहीं पूछी है

ललिता – छोड़ उसे मालती पहले दीदी को देखो जल्दी

तभी कमरे से संध्या की आवाज आती है

संध्या – मुझे अकेला छोड़ दो प्लीज जाओ यह से

ललिता – दीदी दरवाजा खोलो खाना तो खा लो पहले

संध्या – मुझे भूख नही है ललिता अकेला छोड़ दो बस मुझे

थक हार कर मालती और ललिता को आखिर कर वापस जाना पड़ा जबकि कमरे में अभय के बेड में लेटी बस रोए जा रही थी शायद अब रोने के सिवा कुछ बचा ही नहीं था संध्या के पास

जबकि इस तरफ अभय कार से उतरते ही एक पेड़ के पीछे छुप के इंतजार करता है संध्या के जाने के , कार के जाने की आवाज सुन के अभय पेड़ के पीछे से बाहर निकल के सीधे निकल जाता है हॉस्टल की तरफ गुस्से में लाल आंख साथ में आसू लिए जैसे ही रूम में जाके बेड में बैठ गुस्से में सामने दीवार देखता रहता है थोड़ी देर के बाद किसी की आवाज आती है...

रमिया – माफ करिए गा बाबू जी मुझे देर हो गए आने में आप आइए खाना तयार है गरमा गर्म बैठाए मैं खाना लगाती हू

अभय – (गुस्से में चिल्ला के) जाओ यहां से नही चाहिए मुझे कुछ भी

अभय की गुस्से भरी आवाज से सहम सी जाती है रमिया

रमिया – (डर से) म... म...माफ करिए गा बाबू जी आगे से देर नही होगी आने में , मैं जाति हू आप खाना खा लेना

बोल के रमिया चुप चाप जाने लगी तभी अभय बोला

अभय – रमिया माफ करना मुझे तुझपे बिना वजह गुस्सा किया

रमिया – (अभय को गौर से देखते हुए) कोई बात नही बाबू जी मैं....

अभय – (बीच में बात को कटते हुए) खाना तू खा ले या लेजा अपने साथ मुझे भूख नही है और कल दोपहर में खाना बना देना , अब जा

रमिया बोलना चाहती थी लेकिन अभय फिर से कही गुस्सा ना हो इसीलिए बिना कुछ बोले चली गई

रमिया – (मन में – बाबू जी को क्या हो गया सुबह तो अच्छे भले थे और हवेली में मालकिन भी गुमसुम सी वापस लॉटी)

रमिया के जाते ही अभय ने पॉकेट से अपना मोबाइल निकाल के किसी को कॉल किया.....

सामने से – हेलो हेल्लो

सामने से – हेल्लो हैलो (थोड़ा रुक के) अभय क्या बात है बोल क्यों नही रहा है

अभय – (रोते हुए) क्यों आया मैं यहां पर दीदी क्यों क्यों क्यों दीदी

सामने से – (चिंता में) क्या हुआ अभय तू....तू रो क्यों रहा है

अभय – मैं अकेला अच्छा था वहा पे दीदी क्या सोच के आया था मैं लेकिन अब हिम्मत नही हो रही दीदी मेरी

सामने से – अभय तू शांत होजा पहले , तू तो मेरा प्यारा भाई है ना अपनी दीदी की बात नही मानेगा चुप होजा प्लीज , अब बता तू ठकुराइन से क्यों मिला , मना किया था ना मैने तुझे

अभय – मैं अनजाने में मेरी मुलाकात हुई उससे

सामने से – और अनजाने में तूने ठकुराइन को बता दिया की तू अभय है सही कहा न मैने

अभय – ?????

सामने से – अभय तेरे इस तरह से चुप रहने से कुछ नहीं होगा , और किस किस को पता है तेरे बारे में

अभय – मैने ठकुराइन को बताया और बड़ी मां को बस

सामने से – बड़ी मां और ठकुराइन को पता है बस बाकी हवेली में किसी को नही

अभय – शायद नही दीदी

सामने से – अभय ये शायद से काम नहीं चलेगा मुझे क्लीयर बात बता पूरी किस किस को पता है

अभय – शुरू में ठकुराइन से मिला तब उसके साथ ललिता चाची और मालती चाची थी बस

सामने से – ठीक है मैं 2 दिन बाद वही आ रही हूं और तब तक के लिए तू प्लीज कोई भी फालतू की हरकत मत करना समझ गया बात

अभय – जी दीदी , प्लीज दीदी आप जल्दी आजाओ , मेरे अपनो के खातिर आया था यहां लेकिन मजबूरी के चलते मेरे अपनो को बता भी नही सकता की मैं उनका अभय हूं

सामने से – बस 2 दिन और अभय मैं आ रही हूं वहा पे इंतजार कर मेरे भाई

बोल के कॉल कट हो गया अभय बाथरूम जाके आईने के सामने अपने आसू पोंछ के


GIF-20240510-084000-821
अभय – (गुस्से में घुसा मारा आईने को जोर से चिल्ला के बोला) आपने मेरे भरोसे का सिला धोखे से दिया
SSSSSEEEEEAAAAANNNIIIIOOOUUURRRRRR

शायद आज की रात बहोत लंबी होने वाली थी 2 लोगो के लिए एक तरफ संध्या जो दिल में बेशुमार प्यार है अभय के लिए जिसे कभी दिखा ना पाई तो दूसरे तरफ अभय के दिल में बेशुमार नफरत संध्या के लिए दोनो एक दूसरे को वो दे रहे है जो वो खुद चाहते है क्या सच में बेबस होना इसी को कहते है खेर.......

अभय हो या संध्या दोनो की रात जाग के निकली सुबह सूरज की पहली किरण के साथ अभय तयार हुआ बस रमिया नही आई क्यों की अभय ने कल रात उसे मना कर दिया था सुन आने के लिए अपना व्यायाम कर के अभय तयार होके निकल गया कॉलेज की तरफ

आज कॉलेज का पहला दिन था गांव के लगभग काफी लड़के और लड़कियां आरहे थे कॉलेज के अंदर अभय पहले से मौजूद एक दीवार पे टेक लगा के हाथ में किताब लिए पड़ रहा था असल में पड़ने का नाटक कर रहा था उसका ध्यान तो कॉलेज के एंट्री गेट पे था अभय की नजरे किसी के इंतजार को तरस रही थी लेकिन शायद आज वो आया ही नहीं तभी क्लास की घंटी बज गई अभय मायूस होके निकल गया क्लास में अपने

जैसे ही अभय क्लास में आया तभी किसी ने उसका रास्ता रोक दिया

राज – इतनी जल्दी कॉलेज आने के बाद भी क्लास में देर से आना अच्छी बात नहीं होती वो भी क्लास के पहले दिन में अध्यापक महोदय ने मुझे ड्यूटी दी है कोई भी देर से आए उसे क्लास में न जाने दिया जाए , तो बताए जनाब आपके साथ अब क्या किया जाए , अंडर किया जाए , या बाहर किया जाए

अभय बस मुस्कुराते हुए राज की बात सुने जा रहा था अभय कुछ बोलने जा है रहा थे की तभी किसी ने राज को आवाज दी जिससे अभय का ध्यान टूट गया

पायल – पहले ही दिन शुरू हो गए तुम

राज – अरे पायल अभी नही करेगे तो कब करेगे ये दिन भी मुश्किल से मिलते है यार

पायल – हा अगर टीचर ने देख ली तेरी हरकत तो क्लास के बाहर की सजा देगा तुझे तब बोलना अपना ये डायलॉग

इतना बोलते ही क्लास में बैठे स्टूडेंट हसने लगे और पायल अपने सहेली नूर के साथ जाके बैठ गई सीट में जबकि इधर अभय तब से सिर्फ पायल को देखे जा रहा था और ये सब राज ने देख लिया वो कुछ बोलता उससे पहले अभय को साइड से हल्का धक्का देके अमन क्लास में आया

अमन – चौकीदार की जरूरत कॉलेज के मेन गेट को है क्लास के गेट को नही वहा जाके पंचायती करो दोनो लोग

बोल के पायल के पीछे वाली सीट में बैठ गया अमन , क्लास में पहल से बैठे राजू और लल्ला को गुस्सा आया था और इस तरफ राज भी गुस्से में अमन को देख रहा था राज कुछ करता तभी क्लास टीचर आ गए राज और अभय जाके सीट में बैठ गए क्लास में पढ़ाई शुरू हो गई धीरे धीरे टीचर आए और गए चुकी पहला दिन था कॉलेज का कुछ नए टीचर भी आने वाले थे इसीलिए ज्यादा तर क्लास में टीचर नही आए थे

खाली क्लास में सभी अपनी मस्ती में लगे थे लेकिन अभय का पूरा ध्यान तो पायल।पे लगा हुआ था लेकिन सिर्फ एक बंदा था जो काफी देर से देख रहा था उससे ये बरदश ना हुआ तो...

अमन – (अभय की सीट पे जाके) ओए तूने गांव में आके जो किया सो किया लेकिन यहां पे अपनी नजरे जरा संभल के रख समझा

अभय – (मुस्कुराते हुए) अपनी नजरो का तो पता नही लेकिन हा मैने एक बात जरूर सुनी की ठाकुरों को नगरी में अमन ठाकुर से ज्यादा समझदार और चालक कोई नही , क्या ये सच है

अमन – तुझे कोई शक है क्या

अभय – शक तो नही बस एक सवाल है जिसका जवाब नही मिल रहा मुझे क्या तुम जवाब दे सकते हो

अमन – छोटे लोगो के मु लगना मेरी आदत नही

अभय – सवाल से बचने का इससे अच्छा भी कोई बहाना नही

अमन – मैं नही डरता हू किसी भी सवाल से पूंछ क्या सवाल है तेरा

अभय – (मुस्कुराते हुए) वो क्या है जो एक बार खुले तो बंद नही होता और बंद हो जाय तो कभी खुलता नही

अमन – (सवाल सुन के सोचने लगा सोचते सोचते काफी देर हो गई लेकिन जवाब नही मिला)

लेकिन सवाल पूछने के बाद कोई था जिसने जवाब दे दिया लेकिन धीरे से जो किसी ने ध्यान ना दिया उसपे सिवाय अभय के , जबकि इतनी देर से जवाब ना दे पाने के कारण अमन बौखला रहा था की तभी कॉलेज की बैल बज गई सारे लड़के और लड़कियां बाहर निकलने लगे

तभी अभय जाने लगा तो अमन ने उसका रास्ता रोक के

अमन – तूने जान बूझ के मेरा मजाक बनाया है पूरे क्लास में....

अभय – (बात को काटते हुए) सवाल का जवाब तुम दे नही पाए और गुस्सा मुझ पे निकाल रहे हो , याद रखना एक बात जब एक किसान को प्यास लगती है ना तो वो जमीन में खड्डा खोद के भी पानी निकल देता है जानता है क्यों , क्योंकि कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती और तुमने अभी तक कोशिश ही नही की अगर की होती तो जवाब कब का दे चुके होते ना की मेरा रास्ता रोकते।

इतना बोल के अभय वहा से निकल गया और अमन अपना मु फाड़े देखता रहा अभय को जाते हुए जबकि क्लास में राज , लल्ला , राजू तीनो अमन को देख के अपना मु पे हाथ रख के हस्ते रहे अमन को ये अपनी बेइज्जती लगी घूर के तीनों को देखते हुए क्लास से बाहर निकल गया

कुछ घंटे पहले संध्या सुबह अभय के बेड पर उठ कर बैठ जाती है। उसका सिर भारी लग रहा था, और हल्का हल्का दुख भी रहा था। वो अपना सिर पकड़े बैठी ही थी की तभी दरवाजे पे खटखटाहट....

संध्या -- कौन है.....?

रमन – मैं हू भाभी....

संध्या बेड पर से उठते हुए.....दरवाजा खोलते हुए वापस बेड पर आकर बैठ जाती है। रमन भी संध्या के पीछे पीछे कमरे में दाखिल होता है।

रमन -- क्या हुआ भाभी...? आज अभय के कमरे में ही सो गई थी क्या?

रमन की बात सुनकर......

संध्या -- अभय को उस रात के बारे में कैसा पता चला?

संध्या थोड़ा गुस्से भरी लहजे में बोली, जिसे सुनकर रमन एक पल के लिए हैरान हो गया।

रमन -- क...क.... क्या बोल रही हो भाभी तुम? म...म...मुझे क्या मालूम अभय को.....(कुछ सोचते हुए) अच्छा, तो वो छोकरा फिर से तुम्हे मिला होगा। जिसे तुम अपना बेटा समझती हो, जरूर उसी ने फिर से कोई खेल खेला है।

संध्या -- (गुस्से में चिल्ला के) मैने पूछा, अभय को कैसे पता चला की तू मेरे कमरे में आया था उस रात बोल कैसे पता चला....।

अचनाक से संध्या की आवाज तेज हो गई, उसके चेहरे पे गुस्से के बदल उमड़ पड़े थे। संध्या की गुस्से से भरी बात सुनकर, रमन भी गुस्से में अकड़ कर बोला.....

रमन -- मुझे क्या पता उसको कैसे पता चला मैने थोड़ी ना बताया उसको , भाभी उस कल के आए छोकरे ने तुम्हारा दिमाग खराब कर दिया है जब से तुम उससे मिली हो तब से अजीब बर्ताव हो गया है तुम्हारा

संध्या – हा क्योंकि अंधेरे में जी रही थी मैं दिमाग खराब था मेरा जब जब अभय को मेरी जरूरत थी तब मैं नही थी जब प्यार करना था तब उसपे हाथ उठा दिया मैने लेकिन कभी उसने उफ्फ तक ना किया (थोड़ा रुक के बोली) रमन बस एक बात और बता दो मुझे उस रात को तुम किस लिए आए थे मेरे कमरे में

रमन – (ये सुनते ही आखें बड़ी हो गई गला सूखने लगा उसका) वो....वो....भ..भ...भाभी आ...आ.....आपने ही तो बू..बू...बुलाया था मुझे हिसाब के लिए

संध्या – क्या कही तेरा दिमाग तो नही खराब हो गया है तुझे पता था ना अगले दिन अभय का जन्मदिन है और मैने पहले कहा था सबसे आज कोई हिसाब नही देखूगी क्योंकि कल अभय का जन्मदिन है आज अभय के कमरे में सोऊगि

रमन – (कुछ भी न सूझते हुए हड़बड़ाहट में) देखो भाभी ये...ये... बात को बहुत वक्त बीत गया है मुझे बस इतना याद है तुमने बुलाया था हिसाब की बात के लिए और भा...भाभी तुम मुझ पर बिना वजह शक कर रही हो ये भी हो सकता है ये सब इत्तेफाक हो

संध्या – (हस्ते हुए) वाह रमन वाह , विश्वास का अच्छा सिला मिला है आज मुझे अब मुझे समझ आया शायद यहीं वजह है आज मेरी जिंदगी जहन्नुम बन चुकी है सब कुछ होते हुए भी कुछ भी नही रहा आज मेरे पास कुछ भी नही।

इतना बोल कर संध्या वहा से रोते हुए चली जाति है संध्या के जाते ही, रमन अपने जेब से मोबाइल फोन निकलते हुए एक नंबर मिलता है। उसके चेहरे के भाव से पता चला रहा था की वो काफी घबरा गया है

रमन -- हेलो... मु...मुनीम। कुछ पता चला उस छोकरे के बारे में?

दूसरी तरफ से मुनीम ने कुछ बोला.....

रमन -- कुछ नही पता चला तो पता करो , नही तो जितने जल्दी हो सके उसे रास्ते से हटा दो।

बोलते हुए रमन ने फोन डिस्कनेक्ट कर दिया, और जैसे ही कमरे से बाहर जाने के लिए कदम बढ़ाया, उसे दरवाजे पर ललिता खड़ी दिखी...

मटकाती हुई ललिता कमरे में दाखिल हुई, और रमन के गले में हाथ डालते हुई बोली...

ललिता -- जिसको रास्ते से हटाना चाहिए, उसे क्यों नही हटा रहे हो मेरी जान?

रमन -- क्या मतलब...?

ललीता -- अपनी प्यारी भाभी....

ललिता बोल ही रही थी की, एक जोरदार थप्पड़ उसके गाल पर रसीद हो गए...

रमन -- साली, ज्यादा जुबान चलने लगी है तेरी , तुझे पता है ना...उसमे जान अटकी है हर किसी की। उसका बदन... आह, क्या कयामत है? और तू....!!

ये सुनकर ललिता एक जहरीली मुस्कान की चादर अपने चेहरे पर ओढ़ते हुए बोली...

ललीता -- एक बार किस्मत मेहरबान हुई थी तुम पर, पर क्या हुआ ?? तुम्हारे लंड ने तुम्हारी भाभी की गर्म और रसभरी चूत का मजा चख लिया, और उसके बाद से आज तक तुम्हे उस चूत का मूत भी नसीब हुआ।

ललिता की बात सुनकर, रमन गुस्से में बौखलाया बोला...

रमन -- तू अपनी औकात मत भूल समझी उसके लिए मैं क्या क्या कर सकता हूं, ये बात तू अच्छी तरह से जानती है। और इस बार रास्ते का कांटा वो छोरा है...और इस काटे को निकाल कर फेंकना अब और भी ज्यादा जरूरी हो गया है नही तो वो यूं ही भाभी की जुबान बन कर हमे चुभता रहेगा.....!!

कहते हुए रमन कमरे से बाहर चला जाता है

ललिता – हरामजादे तू सच में किसी का नही हो सकता है थू है तुझ जैसों पे
.
.
.
जारी रहेगा ✍️✍️
Bhot hi saandaar or visfotak update...so new character ki entry next update me and new log bhi chalo intazaar karte h agle update ka
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Meri pasand nahi apni soch se mod dijiye is khani m....khani lekhak base honi chahiye.....redars according nahi....har chij ka waqt aata h or tab logo ko samjh aata h.......
Ha bilkul sahi kaha aapne
Bhot hi saandaar or visfotak update...so new character ki entry next update me and new log bhi chalo intazaar karte h agle update ka
Koshish yhe hai jald se jald hoga easa
Thank you sooo much Yasasvi3
 

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UPDATE 13

कॉलेज खतम होने के बाद सभी अपने अपने घर की तरफ निकलने लगे कॉलेज के गेट से बाहर चाय की तपली लगी थी अभय वहा चला गया

अभय – (चाय वाले से) भाई जी एक चाय देना और बिस्कुट भी

चाय वाला – अभी लाया भईया

तभी अमन , निधि के साथ अपनी बाइक से कॉलेज गेट के बाहर निकल रहे थे तभी उसकी नज़र अभय पर पड़ी

अमन – (चाय की तपली के पास आते ही) आज तूने मेरा मजाक बनाया है पूरे क्लास के सामने देख लूगा तुझे बड़ी अकड़ है ना तुझ में सारी की सारी निकाल दुगा मैं...

अभय – (चाय की चुस्की लेते हुए) इतना ज्यादा परेशान होने की जरूरत नही है कल क्लास में मेरे सवाल का जवाब दे देना सबके सामने तो तेरी ही वाह वाही होगी , और रही देखने की बात , तो उसके लिए भी ज्यादा मत सोच हम दोनो एक ही क्लास में है रोज देखते रहना मुझे बाकी रही अकड़ की बात (मुस्कुरा के) जाने दो आज मेरा मन नहीं है कुछ करने का

अमन – (कुछ न समझते हुए) क्या बोला मन नही है तेरा रुक...

निधि – जाने दो भईया छोटे लोगो के मू लगोगे तो अपना मु गंदा होगा चलो यहां से

तभी अमन निकल गया बाइक से हवेली की तरफ जबकि ये सब जब हो रहा था तभी राज , लल्ला और राजू सारा नजारा देख और सुन रहे थे तभी तीनों अभय के पास आगये

राज – कैसे हो भाई आप

अभय – अच्छा हू मैं

राज – आपने आज क्लास में कमाल कर दिया , बोलती बंद कर दी अपने उस अमन की

अभय – (हल्का मुस्कुरा के) एसा कुछ नही है मैने तो एक मामूली सा सवाल पूछा उससे बस

राजू – अरे भाई आपके उसी मामूली सवाल की वजह से उसका मु देखने लायक था (तीनों जोर से हसने लगे)

लल्ला – भाई आप यहां पे बैठ के चाय क्यों पी रहे हो अभी तो खाना खाने का समय हो रहा है आप हमारे साथ हमारे घर चलो साथ में मिलके खाना खाएंगे सब

अभय – शुक्रिया पूछने के लिए हॉस्टल में खाना तयार रखा है मेरा , सुबह से चाय नही पी थी मैंने इसीलिए मन हो गया चाय पीने का

राज – आज रात को भूमि पूजा में आप आ रहे हो ना

अभय – हा बिल्कुल आऊंगा मैं

लल्ला – हा भाई आयेगा जरूर क्यों की आज भूमि पूजन के बाद सभी गांव वालो ने दावत भी रखी है साथ में मनोरंजन का इंतजाम भी जिसमे राज अपनी शायरी सुनाएगा सबको

अभय – (मुस्कुरा के) अच्छी बात है मै जरूर सुनूगा शायरी , अच्छा चलता हू मैं रात में मुलाकात होगी आपसे

इतना बोल के जाने लगा पीछे से राज , लाला और राजू जाते हू अभय को देखने लगे

अभय – (मुस्कुरा के हॉस्टल में जाते हुए रास्ते में मन में – आज बड़े दिनों के बाद शायरी सुनने को मिलेगी , तेरी शायरी तेरी तरह कमाल की होती है बस मैं ही टांग तोड़ देता था हर बार तेरी शायरी की)

इधर हवेली में अमन और निधि बाइक से उतरते ही अमन गुस्से में हवेली के अंडर जाने लगा पीछे पीछे निधि भी आने लगी हाल में बैठे ललिता , मालती और संध्या ने देखा अमन को बिना किसी की तरफ देखे जा रहा था अपने कमरे में तभी...

मालती – (अपनी बेटी निधि को रोक के बोली) निधि क्या बात है अमन का मूड सही नही है क्या

निधि – मां कॉलेज में वो नया लड़का आया है ना अमन की उससे कोई बात हो गई है इसीलिए गुस्से में है

नए लड़के के बारे में सुन के संध्या के कान खड़े हो गए तभी..

संध्या – निधि क्या बात हुई है अमन की उस लड़के से

निधि – (जो भी हुआ क्लास में सब बता दिया संध्या को) इसके बाद अमन गुस्से में है तभी उस लड़के को धमकी देके आया है देख लूंगा तुझे

निधि के बाते सुन संध्या के चेहरे पे हल्की सी हसी आ गई और बोली....

संध्या – (निधि से) ठीक है तू जाके हाथ मु धो के आजा खाना खाने

थोड़ी देर के बाद अमन डाइनिंग टेबल पर बैठा खाना खा रहा था साथ में निधि, ललिता, मालती और संध्या भी बैठे खाना खा रहे थे।

अमन -- (मालती चाची से बोला) क्या बात है चाची, आज कल चाचा नही दिखाई देते। कहा रहते है वो ?

अमन की बात सुनकर, मालती ने अमन को घूरते हुए बोली...

मालती -- तू खुद ही ढूंढ ले, मुझसे क्यूं पूछ रहा है ?

मालती का जवाब सुनकर, अमन चुप हो गया । और अपना खाना खाने लगता है...

इस बीच संध्या अमन की तरफ ही देख रही थी, थोड़ी देर बाद ही संध्या ने अपनी चुप्पी तोडी...

संध्या -- क्या बात है अमन जब से कॉलेज से आया है देख रही हू तू गुस्से में हो , देख अमन बात चाहे जो भी हो मैं नही चाहती की तेरा किसी से भी झगड़ा हो समझा बात को

संध्या की बात सुनकर, अमन मुस्कुराते हुए बोला...

अमन -- क्या ताई मां, आप भी ना। मैं भला क्यूं झगड़ा करने लगा किसी से, वैसे भी मैं छोटे लोगो के मुंह नही लगता।

अमन का इतना कहना था की, मलती झट से बोल पड़ी...

मलती -- दीदी के कहने का मतलब है की, तेरा ये झगड़ा कही तुझ पर मुसीबत ना बन जाए इसलिए वो तुझे झगड़े से दूर रहने के लिए बोल रही है। जो तुझसे होगा नही। तू किसी भी लड़के को पायल से बात करते हुए देखता है तो उससे झगड़ करने लगता है।

पायल का नाम सुनते ही संध्या खाना खाते खाते रुक जाती है, एक तरह से चौंक ही पड़ी थी...

संध्या -- (चौक के) पायल, पायल से क्या है इसका और निधि तूने तो अभी पायल का नाम भी नही लिया था अब अचनक से पायल कहा से आ गई बीच में.....

संध्या की बात सुन कर वहा निधि बोली...

निधी -- अरे ताई मां, आपको नही पता क्या ? ये पायल का बहुत बड़ा आशिक है।

ये सुन कर संध्या को एक अलग ही झटका लगा, उसके चेहरा फक्क् पड़ गया था। हकलाते हुए अपनी आवाज में कुछ तो बोली...

संध्या -- क्या...मतलब और कब से ??

निधि -- बचपन से, आपको नही पता क्या ? अरे ये तो अभय भैया को उसके साथ देख कर पगला जाता था। और जान बूझ कर अभय भैया से झगड़ा कर लेता था। अभय भैया इससे झगड़ा नही करना चाहते थे वो इसे नजर अंदाज भी करते थे, मगर ये तो पायल का दीवाना था। जबरदस्ती अभय भैया से लड़ पड़ता था।

अब धरती फटने की बारी थी, मगर शायद आसमान फटा जिससे संध्या के कानो के परदे एक पल के लिए सुन हो गए थे। संध्या के हाथ से चम्मच छूटने ही वाला था की मलती ने उस चम्मच को पकड़ लिया और संध्या को झिंझोड़ते हुए बोली...

मालती -- क्या हुआ दीदी ? कहा खो गई...?

संध्या होश में आते ही...

संध्या -- अमन झगड़ा करता....?

मालती – अरे दीदी जो बीत गया सो बीत गया छोड़ो...l

मालती ने संध्या की बात पूरी नही होने दी, मगर इस बार संध्या बौखलाई एक बार फिर से कुछ बोलना चाही...

संध्या -- नही...एक मिनट, झगड़ा तो अभय करता था ना अमन से...?

मालती – क्यूं गड़े मुर्दे उखाड़ रही हो दीदी, छोड़ो ना।

मालती ने फिर संध्या की बात पूरी नही होने दी, इस बार संध्या को मालती के उपर बहुत गुस्सा आया , संध्या की हालत और गुस्से को देख कर ललिता माहौल को भांप लेती है, उसने अपनी बेटी निधि की तरफ देखते हुए गुस्से में कुछ बुदबुदाई। अपनी मां का गुस्सा देखकर निधि भी डर गई...

संध्या -- (गुस्से में चिल्ला के मालती से) तू बार बार बीच में क्यूं टोक रही है मालती ? तुझे दिख नही रहा क्या ? की मैं कुछ पूछ रही हूं निधि से...

संध्या की तेज आवाज सुनकर मालती इस बार खामोश हो गई...मलती को खामोश देख संध्या ने अपनी नज़रे एक बार फिर निधि पर घुमाई।

संध्या -- सच सच बता निधि। झगड़ा कौन करता था ? अभय या अमन ?

संध्या की बात सुनकर निधि घबरा गई, वो कुछ बोलना तो चाहती थी मगर अपनी मां के डर से अपनी आवाज तक ना निकाल पाई।

अमन – हां मैं ही करता था झगड़ा, तो क्या बचपन की बचकानी हरकत की सजा अब दोगी मुझे ताई मां ?

अमन वहा बैठा बेबाकी से बोल पड़ा..., इस बार धरती हिली थी शायद। इस लिए तो संध्या एक झटके में चेयर पर से उठते हुए...आश्चर्य से अमन को देखती रही...

संध्या-- क्या...? पर तू...तू तो कहता था की, झगड़ा अभय करता था।

अमन -- अब बचपन में हर बच्चा शरारत करने के बाद डांट ना पड़े पिटाई ना हो इसलिए क्या करता है, झूठ बोलता है, अपना किया दूसरे पे थोपता है। मैं भी बच्चा था तो मैं भी बचने के लिए यही करता था। माना जो किया गलत किया, मगर उस समय अच्छा गलत की समझ कहा थी मुझे ताई मां ?

आज सुबह से संध्या को झटके पे झटके लग रहे थे , संध्या के आंखो के सामने आज उजाले की किरणे पड़ रही थी मगर उसे इस उजाले की रौशनी में उसकी खुद की आंखे खुली तो चुंधिया सी गई शायद उसकी आंखो को इतने उजाले में देखने की आदत नही थी, पर कहते है ना, जब सच की रौशनी चमकती है तो अक्सर अंधेरे में रहने वाले की आंखे इसी तरह चौंधिया जाति है....

संध्या की हालत और स्थिति कुछ ऐसी थी की मानो काटो तो खून नहीं। दिल मे दर्द उठते मगर वो रोने के अलावा कुछ भी नही कर सकती थी। आज जब उसे संभालने के लिए ललिता और मालती के हाथ उसकी तरफ बढ़े तो उसने उन दोनो का हाथ दिखाते हुए रोक दिया।

संध्या का दिल पहली बार इस तरह धड़क रहा था मानो बची हुई जिंदगी की धड़कन इस पल ही पूरी हो जायेगी। नम हो चुकी आंखो में दर्द का वो अश्क लिए एक नजर वो अमन की तरफ देखी....

अमन की नज़रे भी जैसे ही संध्या से मिली, वो अपनी आंखे चुराते हुए बोला.....

अमन -- सॉरी ताई मां, उस समय सही और गलत की समझ नही थी मुझमें।

अमन का ये वाक्य पूरा होते ही.....संध्या तड़प कर बोली।
संध्या – निधी.....तू भी। तुझे पता था ना सब, फिर तू मुझे क्यूं नही बताती थी ? इसलिए की अमन तेरा सगा भाई है

संध्या की बात पर निधि भी कुछ नही बोलती, और अपना सिर नीचे झुका लेती है......।

ये देख कर संध्या झल्ला पड़ी। और एक गहरी सांस लेते हुए बोली...

संध्या – मेरा बच्चा, चुपचाप हर चीज सहता रहा। मुझे सफाई तक नही देता था। मगर मेरी मत मारी गई थी जो तुझे सच्चा और अच्छा समझ कर उसपे हाथ उठा ती थी। (और तभी गुस्से में जोर से बोली) तू कहता है ना की तू छोटे लोगो के मुंह नही लगता। तो अब से तू पायल के आस पास भी नजर नहीं आना चाहीए मुझे वर्ना तूने तो सिर्फ मेरा प्यार देखा है अब नफरत देखेगा तू।

संध्या की ये बात सुनकर अमन के होश उड़ गए, वो चेयर पर से उठते हुए बोला...

अमन -- ये आप क्या बोल रही है ताई मां। मैं पायल को नही छोड़ सकता। मैं उससे बचपन से बहुत प्यार करता हूं, और मेरे प्यार के बीच में कोई आया ना तो मै.....

अभि अमन ने अपना वाक्य पूरा बोला भी नही था की, उसके चेहरे पर एक जोरदार तमाचा पड़ा।

रमन – नालायक, शर्म नही आती तुझे ? जिस इंसान ने तुझे इतना प्यार दिया उसी के सामने बत्मीजी में बोल रहा है।

अमन का गाल लाल हो चुका था। अपने एक गाल पर हाथ रखे जब अमन ने अपनी नज़रे उठाई तो पाया की उसे थप्पड़ मरने वाला कोई और नहीं बल्कि खुद उसका बाप रमन था। ये देख कर अमन बिना कुछ बोले, अपने कमरे में चला जाता है

अमन के जाते ही, निधी भी वहा से चुप चाप निकल लेती है। अब वहा पे सिर्फ मालती, ललिता, रमन और संध्या ही बचे थे।

रमन -- अब तो खुश हो न भाभी तुम ?

रमन की बात सुनकर, संध्या रुवासी ही सही मगर थोड़ा मुस्कुरा कर बोली...

संध्या -- खुश,किस बात पे ? अपने बच्चे पे बेवजह हाथ उठाया मैने , इस बात पे खुश रहूं ? जिसे सीने से लगाकर रखना चाहिए था वो दुनिया की भीड़ में भूखा प्यासा भटकता रहा, उस बात पे खुश रहूं ? ना जाने कैसे उसने अपने दिल को समझाया होगा, उस बात पे खुश रहूं ? या उस बात पे खुश रहूं ? की जब भी कभी उसे तकलीफ हुई होगी उसके मु से मां शब्द भी निकला होगा ? और तू एक थप्पड़ मार कर पूछता है की खुश हु की नही ?

(चिल्ला के) लेकिन हा आज खुश हूं मैं, की मेरा बेटा उस काबिल है की दुनिया की भीड़ में चलने के लिए उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं। क्या कहता था तू ? ना जाने कौन है वो, जो इस हवेली को बर्बाद करने आया है। तो अब कान खोल के सुन ले मेरी बात वो कोई और नहीं मेरा अभय है समझ आई बात तुझे और तूने बिल्कुल सच बोला था वो सिर्फ हवेली ही नही बल्कि अभी तो बहुत कुछ बर्बाद करेगा ? और जनता है उसने पहेली शुरुआत किस्से की है , मुझसे की है.....

ये कहते हुए संध्या वहां से जोर जोर से हस्ते हुए अपने कमरे में चली जाती है.....
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जारी रहेगा ✍️✍️
 
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