UPDATE 19
अभय की आप बीती
उस तूफानी रात में मैं घर से भाग गया था रेलवे की क्रॉसिंग के पास मुझे एक ट्रेन खड़ी दिखी तो मैं उसमे चढ़ गया मुझे कुछ नही पता था कि ये ट्रेन कहा जा रही है क्या नाम है ट्रेन का मेरा क्या होगा कुछ नही सोच रहा था मैं इन सब के बारे में चुप चाप ट्रेन के एक कोने में जाके बैठ गया जाने मुझे कब नीद आई पता नही चला...
किसी के जगाने से मेरी नीद टूटी देखा तो वो बंदा हाथ में झाड़ू पकड़े था मुझे समझते देर नहीं लगी ये सफाई वाला है उसने मुझे जगाया और बोला...
सफाई वाला – उठो लड़के चलो निकलो यहां से ये ट्रेन का लास्ट स्टॉप है
मैं – (उसकी बात सुन के उठा देखा पूरे ट्रेन खाली है) ये कॉन सी जगह है भईया
सफाई वाला – ये जोधपुर स्टेशन है अब निकलो मुझे सफाई करनी है यहां की
उस सफाई वाले की बात सुन के मैं ट्रेन से बाहर निकल के प्लेटफार्म में आया प्यास लगी थी मुझे पास में ही ठंडे पानी का फ्रीजर लगा हुआ था जिसमे से यात्री अपने लिए पानी भर रहे थे वहा जाके ठंडा पानी पी के प्यास बुझाई अपनी फिर बाहर निकल गया स्टेशन से खाना देख के भूख लगने लगी थी मुझे जेब में एक पैसा नही था मेरे और था तो सिर्फ शरीर में एक पेंट , शर्ट और गले में सोने की चैन और लॉकेट...
मैं भूखा ही भटक रहा था तभी शायद मेरी किस्मत को तरस आगया मुझ पर रास्ते में एक मंदिर मिला जहा पर भंडारा चल रहा था लोगो की भीड़ थी उसमे मैं भी शामिल हो गया पेट भर खाना खाया वहा से जाने लगा बाजार की तरफ सोचा कुछ काम मिल जाए तो गुजारा कर लूंगा अपना लेकिन कहते है ना जैसा सोचा हो जरूरी नहीं वैसा ही हो में मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ...
काम डूंडने जा रहा था तभी एक जौहरी की दुकान दिखी उसके पास गया ये सोच के सोने की चैन बेच दुगा उसकी दुकान में देखा 2 लोग बैठे थे आपस में बाते कर रहे थे जोहरी मुझे देखते ही बोला...
जोहरी – ऐ लड़के कहा घुसा आ रहा है अन्दर निकल बाहर
मैं – कुछ बेचने आया हू सेठ
जोहरी – क्या बेचने आया है और क्या है तेरे पास
मै – (अपने गले से सोने की चैन निकलते हुए) ये है सोने की चैन
जोहरी – (चैन को देखते हुए) कहा से चोरी कर के लाया है ये
मैं – ये चोरी की नही मेरी खुद की है सेठ बता कितने देगा इसके
जोहरी – पहले देख तो लूं असली है या नकली
मैं – (सेठ को चैन देते हुए) देख ले फिर बात करते है
जोहरी चैन देख के समझ गया की असली सोना है तभी उसने अपने सामने बैठे आदमी को इशारा किया तो वो आदमी बोला मुझे...
आदमी – कहा से चोरी की है तूने ये चैन लड़के
मैं – मैने पहले ही बोला ये चोरी की नही मेरी खुद की है
आदमी – झूठ ये चोरी की है
मैं – (सेठ के हाथ से अपनी चैन लेके) ये चोरी की नही मेरी चैन है और तुम इसे लेने के मूड में नहीं लगते हो इसीलिए में चला कही और इसे बेचने
बोल के मैं जाने लगा तभी पीछे से उस आदमी ने मेरी शर्ट का कॉलर पकड़ के बोला साले चोरी करके भागता है सेठ की दुकान से अभी तुझे बताता हू इतना बोल के उस आदमी ने मुझे एक झापड़ मारा
मैं – मरता क्यों है मैने बोला ना ये चोरी की नही मेरी है
आदमी – लेकिन मैने तो तुझे चोरी करते देखा अपनी आखों से सेठ की दुकान में
मैं – दिमाग तो नही खराब है तेरा मैने चोरी नही की
आदमी – अपनी हालत देखी है कॉन मानेगा की ये चैन तेरी है अब चुप चाप से ये चैन मुझे देदे और निकल जा वर्ना जिंदीगी जेल में बीतेगी तेरी तू जानता नही मैं पुलिस वाला हू
उसकी बात सुन के समझ गया था ये पुलिस वाला है और सेठ और ये मुझे फसाने में लगे है तभी मैं वहा से भागने के लिए तेजी से मुड़ा दुकान के बाहर भागते ही मैं एक औरत से टकरा गया...
औरत – देख के नही चलता है टक्कर मार दी मुझे
मैं – (औरत में माफी मांगते हुए) आंटी माफ करिएगा...
इसके आगे मैं कुछ बोलता तभी पीछे से उस पुलिस वाले ने फिर से मेरा कॉलर पकड़ लिया बोला..
पुलिस वाला – साले हरामी चोरी करके भागता है चल थाने
मैं – देख तुझे जो बोलना है बोल लेकिन गली मत देना मुझे समझा और मैं पहले भी बोला अभी भी बोलता हू मैने चोरी नही की मुझे फसा मत
पुलिस वाला कुछ बोलता उससे पहले वो औरत बोल पड़ी..
औरत – (पुलिस वाले से) इसने क्या चोरी की है
पुलिस वाला –(औरत को देख के) तुम यहां क्या कर रही हो
औरत – ये सब बाते बाद में पहले ये बताओ क्या चोरी की इसने
पुलिस वाला – इसने सेठ की दुकान से सोने की चैन चुरा के भाग रहा था मैने खुद देखा इसे चोरी करते हुए
औरत –(पुलिस वाले की बात सुन के मुझसे बोली) क्या तुमने सच में चोरी की है
मैं – नही आंटी मैने कोई चोरी नही की ये मेरी चैन है मै इसको बेचने आया था यहां पर
पुलिस वाला – झूट बोलता है ये हरामी
औरत –(बीच में पुलिस वाले से गुस्से में) मिस्टर इंस्पेक्टर पब्लिक सर्वेन्ट है आप तो बिना गली से और तमीज से बात करिए वर्ना अंजाम अच्छा नहीं होगा आपके लिए समझे आप (फिर मेरे से बोली) बेटा आप कहा से हो और आपकी फैमिली कहा है
मैं – कोई नही मेरा अकेला हू इस दुनिया में
औरत –(कुछ पल मुझे देखती रही और बोली) कोई बात नही तुम मेरे साथ चलो
मैं – कहा ले चलोगे आप जेल में
औरत – (हस के) नही अपने ऑफिस में आओ
मैं उस औरत के साथ उसकी कार में बैठ गया और आगे ड्राइवर के साथ वो पुलिस वाला भी बैठ गया कार चलने लगी तभी उस औरत ने मुझे बोली...
औरत – तुमने कहा कोई नही है इस दुनिया में तुम्हारा तो फिर ये सोने की चैन कहा से आ गई तुम्हारे पास
मैं – किसी अपने ने दी थी ये चैन मुझे अब वो नही तो क्या करता इसका मैं
औरत – तब तुम्हे उसकी आखरी निशानी संभाल के रखनी चाहिए
मैं – पेट की भूख ने मजबूर कर दिया आंटी इसीलिए उस जोहरी के पास बेचने गया था लेकिन (पुलिस की तरफ देख के) इसने मुझे चोर बना दिया
पुलिस – बहुत बोल रहा है...
औरत – (पुलिस वाले को हाथ दिखा के) बस मैं बात कर रही हू ना तुम आगे देखो (मेरे से बोली) ये चैन सच में तुम्हारी है
मैं – जी आंटी
औरत – अच्छा तुम्हारा पूरा नाम क्या है
मैं – जी मेरा नाम (कुछ सोच के) अभी सिंह है
औरत – बहुत प्यारा नाम है....
औरत कुछ बोलती तभी उसका ऑफिस आ गया कार से बाहर निकलते ही मैने देखा काफी बड़ी इमारत उसके बाहर पुलिस वाले खड़े थे हर जगह जगह बंदूकों के साथ मुझे इस तरह देखते हुए औरत बोली...
औरत – घबराओ मत तुम्हे कुछ नही करेगा कोई यहां पर आओ मेरे साथ
वो औरत मेरा हाथ पकड़ के अपने साथ ले चलने लगी अपने ऑफिस में उसका ऑफिस भी आलीशान कमरे के बराबर था मुझे अपने साथ सोफे में बैठाया और अपने कर्मचारी को खाना लाने को बोला थोड़े देर बाद खाना आया उस औरत ने मुझे अपने साथ खाना खिलाया जितने देर मैं खाना खाता रहा वो औरत बस मुझे मुस्कुराते हुए देखती रही खाना खाने के बाद बोली...
औरत – आइस क्रीम खाओगे चॉकलेट वाली मुझे तो बहुत पसंद है तुम्हारे लिए मंगवाऊ
उसकी बात सुन के बस हल्का सा मुस्कुराया मैं तभी वो औरत भी मुस्कुरा के अपने कर्मचारी से आइस क्रीम मंगवाई उसके बाद हम दोनो ने आइस क्रीम खाई तब वो औरत बोली...
औरत – अगर तुम बुरा ना मानो तो क्या मैं तुम्हारी चैन देख सकती हू
मैं मुस्कुराते हुए उसे अपनी चैन उतार के देदी उस चैन को लेके वो औरत उसे गौर से देखने लगी थोड़ी देर तक चैन को देखने के बाद औरत ने कमरे में उस पुलिस वाले को बुलाया फिर अपने कर्मचारी को बोली मेरे साइज की नए कपड़े लेके आए जल्दी से और मुझे बोली..
औरत – बेटा आप एक काम करो बाथरूम में जाके आप नहा लो मैने आपके लिए कपड़े मंगवाए है
मैं – लेकिन आंटी...
औरत – (मुस्कुराते हुए बीच में) पहले तुम अच्छे से त्यार हो जाओ फिर हम बाते करेगे ठीक है
उसके बाद मैं चला गया नहाने मेरे जाने के बाद पुलिस वाले से बात करने लगी...
पुलिस वाला – ये तुम क्या कर रही हो उस चोर को अपने साथ बैठा के खाना खिला रही हो और उसके लिए नए कपड़े भी..
औरत –(बीच में) उस लड़के ने चैन कैसे चुराई थी बताओ मुझे और तुम उस जोहरी के पास क्या कर रहे थे जबकि तुम्हारे ड्यूटी तो पुलिस स्टेशन में थी
पुलिस वाला – मैं ड्यूटी पर ही था वो..वो जोहरी का कॉल आया था मुझे तभी गया था उस लड़के को पकड़ने के लिए
औरत – अच्छा तो ये चैन ये लॉकेट किसकी है
पुलिस वाला – ये जोहरी की चेन है उसने बनवाई थी अपने बेटे के लिए
औरत – अच्छा तब तो ये लड़का ही उसका बेटा होगा (लॉकेट के अन्दर पड़ी फोटो को दिखाते हुए)
पुलिस वाला उस फोटो को देख के घबरा गया उसे समझ नही आ रहा था क्या बोले पुलिस वाले को घबराहट को देख वो औरत बोली....
औरत – शर्म आनी चाहिए तुम्हे इतने गिर गए हो तुम की अब एक बच्चे की चैन छीन रहे थे , तुम्हे तो अपना पति कहते हुए मुझे शर्म आती है छी सोचा है अगर तुम्हारी बेटी को पता चलेगा वो क्या सोचेगी तुम्हारे बारे में...
उस औरत ने अपने कर्मचारी पुलिस वालो को बुलाया..चार पुलिस कर्मचारी औरत के रूम में आते ही उसे सैल्यूट करते है...
कर्मचारी पुलिस – (औरत को सैल्यूट करके) जय हिंद मैडम
औरत – (सैल्यूट करके) जय हिंद , एक काम करो तुम लोग जाके *** एरिया से ** दुकान के जोहरी को लेके आओ उससे पूछ ताछ करनी है अगर आना कानी करे तो लगा देना डंडे उसे
पुलिस वाला – (बीच में औरत से बोला) प्लीज रुक जाओ देखो मैं मानता हूं सारी गलती मेरी है बस इनको रोक दो तुम बोलोगी तो मैं उस लड़के से माफी मांग लूंगा
औरत – (अपने पति की बात सुन उसे घूर के देखके कर्मचारी से बोलती है) रहने दो अब तुम सब जाओ
पुलिस कर्मचारी पुलिस औरत को सैल्यूट करके चले गए उनके जाते ही औरत बोली...
औरत – तुम्हारे लिए ये मेरी लास्ट वार्निंग है अगर तुमने फिर से ऐसी वैसी कोई और हरकत की तो याद रखना वर्दी जाएगी उसके साथ तुम्हारी बाकी की जिंदगी सिर्फ जेल के चार दिवारी में बीतेगी समझे अब निकल जाओ यहां से
औरत के बोलते ही उसका पति तुरंत भाग गाय उसके कमरे से जबकि मैं बाथरूम से ये सारी बाते सुन रहा था थोड़ी देर रुक के मैं बाथरूम से निकल के बाहर आया तब औरत बोली...
औरत –(सोफे की तरफ इशारा करके) अभय ये तुम्हारे लिए कुछ कपड़े है पहन लो इसे
मैं कपड़े पहन के तयार हुआ तब औरत बोली..
औरत – (मेरी चैन देते हुए) ये लो तुम्हारी चैन
मैं – (चेन लेते हुए बोला) बड़े बुजुर्गो ने कहा है की सोना खोना भी अपशकुन होता है और खोया हुआ सोना मिलना भी अपशकुन होता है आंटी क्या आप इस गोल्ड चैन के बदले मुझे इसकी कीमत दे सकते हो आप
औरत – (बात सुन के हैरानी से बोली) तुम चैन के बदले पैसे क्यों चाहते हो ये चैन तो तुम्हे किसी अपने ने दी है ना फिर क्यों इसे बेचना चाहते हो
मैं – इससे मिले पैसों से मैं स्कूल में एडमिशन लेना चाहता हू ताकी मैं अपनी आगे की पढ़ाई कर सकू
औरत – ये तो बहुत अच्छी बात है अभी लेकिन इसके लिए अपनी चैन क्यों बेचना तुम एक काम करो तुम मेरे साथ मेरे घर में चलो मैं तुम्हारा एडमिशन एक अच्छे स्कूल में करवादूगि
मैं – नही आंटी मैं किसी पर बोझ नही बनना चाहता हू इसीलिए इस चैन को बेच कर उन पैसों से अपनी आगे की पढ़ाए करूंगा
औरत – (मुस्कुरा के) अच्छी बात है चलो एक काम करते है में इस चैन के बदले तुम्हे पैसे देती हू बस तुम अपनी आगे की पढ़ाई करना और रहना तुम्हे मेरे घर होगा ठीक है
मैं – लेकिन आपके घर में कैसे मैं आपका नाम भी नही जानता
औरत – ओह माफ करना मैं भूल ही गई , मेरा नाम शालिनी सिन्हा है मै यहां पुलिस में डी आई जी हू
मैं – (हैरान होके) ओह आप पुलिस में हो , तो वो पुलिस वाला कॉन था आपसे तुम करके बात कर रहा था
शालिनी सिन्हा – बदकिस्मती से वो मेरा पति है इंस्पेक्टर रंजीत सिन्हा करप्ट पुलिस है वो
मैं – मुझे माफ करिएगा मेरी वजह से आपको इतनी बाते सुनानी पड़ी अपने पति को
शालिनी सिन्हा – तुम्हे माफी मांगने की जरूरत नही अभी , रंजीत शुरू से ही करप्ट पुलिस वाला रहा है बात अगर मेरी बेटी की नही होती तो कब का इसको छोड़ चुकी होती , खेर जाने दो इन सब बातो को चलो मेरे घर में
मैं – आपकी बेटी का क्या नाम है और क्या करती है
शालिनी – चांदनी नाम है और अभी वो कक्षा दस में गई है
में – क्या आपकी बेटी को कोई एतराज़ नहीं होगा आपके घर में मेरे होने से
शालिनी – बिल्कुल भी नही आओ चले
उसके बाद मैं शालिनी जी के साथ उनके घर में चला गया जहा पर पहली बार मैं चांदनी दीदी से मिला शुरुवात में उनको पता नही था की मैं उनके घर में रहने वाला हू लेकिन जब उनको पता चला तब अपनी मां से बोली...
चांदनी – मां क्या ये लड़का हमारे घर में रहेगा क्या
शालिनी सिन्हा – हा ये यही रहेगा लेकिन तू क्यों पूछ रही है।
चांदनी – मां आप पुलिस में हो फिर भी ये लापरवाही कैसे कर सकते हो आप , क्या पता कॉन है वो क्या मकसद है उसका और आप उसे यहां पर ले आए हो
शालिनी सिन्हा – (मुस्कुरा के) मैने अपनी आखों से दुनिया देखी है बेटा किसी को देख के बता सकती हू कॉन चोर है और कॉन साहूकार लेकिन अभी सबसे अलग है बेटा जाने क्यों वो पहली नजर में मेरे दिल में उतर गया उसकी मासूम भरी बात ने मेरा दिल जीत लिया और तू चिंता मत कर अभी गलत नही है अच्छा लड़का है वो
उस दिन शालिनी जी बात सुन के मुझे समझ आगया की वो मुझे अपने घर क्यों लाई है लेकिन दूसरे तरफ चांदनी दीदी को मैं खटक रहा था आखिर एक अंजान लड़का किसी के घर में घुसा चला आए तो ये बात हर किसी के मन में आती है....
शालिनी जी की बात मान के मैं उनके घर में रहने लगा बस एडमिशन मैने अपना एक नॉर्मल स्कूल में करवाया क्लास 6 में ताकी आगे की पढ़ाई करू धीरे धीरे मेरी पढ़ाई आगे बढ़ती रही काफी वक्त तक मैं शालिनी जी के घर में रह कर कर रहा था लेकिन वहीं चांदनी दीदी को ये सब अच्छा नही लग रहा था और तभी इस आग में घी का काम किया चांदनी दीदी के पिता ने , रंजीत ने अपनी बेटी चांदनी को मेरे लिए भड़काना शुरू किया धीरे धीरे चांदनी दीदी का गुस्सा बड़ गया मेरे लिए इसीलिए एक दिन मैंने...
मैं – (शालिनी जी से अकेले में बात करते हुए) आंटी एक बात बोलनी है आपसे प्लीज आप माना मत करना
शालिनी सिन्हा – हा बोलो ना अभी मैं मना नही करूगी तेरी बात को बोल
मैं – मेरे स्कूल में ही हॉस्टल बना हुआ है मै सोच रहा हू वही रहूगा अब से आप चिंता मत करना मैं मिलने आता रहूंगा आपसे हर संडे को
शालिनी सिन्हा – (मेरी बात गौर से सुनती रही फिर बोली) एक बात सच बताना अभी किसी ने कुछ कहा तुझे देख अगर ऐसी कोई बात है तो बता दे मुझे मैं किसी से कुछ नही बोलूगी
मैं – नही आंटी ऐसी कोई बात नही है स्कूल के बाद वही हॉस्टल में टीचर्स भी रहते है सभी स्टूडेंट्स उनसे पढ़ते है शाम में ट्यूशन मुफ्त में ये सिर्फ हॉस्टल में रहने वाले को सुविधा मिलती है
मैं अपनी बेकार की बाते बोलता जा रहा था शालिनी जी से ये सोच के शायद मेरी बात मान जाए ताकि मैं निकल जाऊं उनके घर से मैं नही चाहता था चांदनी दीदी के साथ वैसा हो जो मेरे साथ हुआ था और मेहनत मेरी रंग लाई शालिनी जी ने मुझे इजाजत दे दी हॉस्टल में रहने की उसके बाद से मैं हॉस्टल में रहने लगा बीच बीच में मैं शालिनी जी से मिलने जाता था सैटरडे की शाम को जाता सन्डे शाम को निकल आता था हॉस्टल में रहने हा अब चांदनी दीदी भले मुझ से ज्यादा बात नहीं करती थी लेकिन अब मेरा वहा आने से उनको एतराज नहीं होता था...
इस तरह से धीरे धीरे मेरी लाइफ आगे बढ़ती रही मैं क्लास में आगे बढ़ता गया फिर एक दिन की बात है उस दिन जैसे मानो चमत्कार सा हो गया था मेरी जिंदीगी में अक्सर मैं सैटरडे को जाता था शालिनी जी घर में रहने के लिए लेकिन एक दिन शालिनी जी मुझसे मिलने आई हॉस्टल में...
शालिनी सिन्हा – कैसे हो अभी
मैं – अच्छा हू और आप कैसे हो आज अचनक से यहां पर
शालिनी सिन्हा – मैं भी अच्छी हू आज तेरे से मन हो गया मिलने का और एक काम था छोटा सा तेरे से
मैं – हा बताइए ना क्या काम है आपको
शैलिनी सिन्हा – अभी मैं 1 हफ्ते के लिए सिटी से बाहर जा रही हू घर में चांदनी के सिवा कोई नही होगा क्या तू 1 हफ्ते के लिए रहेगा घर में माना मत करना अभी
मैं – (पहली बार कुछ मांगा उन्होंने मुझे कैसे मना कर देता) बस इतनी सी बात मैं त्यार हू कब से आऊ मैं
शालिनी सिन्हा – आज ही से कल जा रही हू मै
मैं – ठीक है मैं आज शाम को आऊंगा घर में
इसके बाद शाम को मैं शालिनी जी के घर चला गया फिर अगले दिन शालिनी जी चली गई आउट ऑफ सिटी अब मुझे 1 हफ्ते तक शालिनी जी के घर में रहना था चांदनी दीदी के साथ रोज सुबह दीदी और मैं निकल जाते दीदी कॉलेज और मैं अपने स्कूल घर में मैं पहले आ जाता था दीदी बाद में शालिनी जी के जाने के 2 दिन बाद की बात है रात में मैं और शालिनी दीदी एक कमरे से सोते थे दीदी बेड में और मैं सोफे कम बेड में सोता था एक रात को मैं सो रहा था अकेला लेकिन जब सुबह मेरी आंख खुली तो देखा चांदनी दीदी मेरे पीछे लेटी है अपना एक हाथ मेरे सर में रख के मैं हैरान हो गया ये देख के की चांदनी दीदी मेरे साथ सो रही है....
लेकिन उस दिन के बाद से चांदनी दीदी जैसे बदल सी गई थी जो मुझ से ज्यादा बात तक करा नही करती थी वो उस दिन से मुझ से बात करने लगी थी मैंने भी बिना कोई सवाल किए दीदी से बात करता था ऐसे ही 1 हफ्ता गुजर गया और शालिनी जी घर आ गई उसके बाद मैं अपने कपड़े पैक कर रहा था तभी दीदी आई कमरे में और बोली...
चांदनी – (मुझे देख के) ये क्या कर रहा है तू
मैं – कुछ नही दीदी कपड़े पैक कर रहा हू हॉस्टल में जाना है ना इसीलिए
चांदनी – कोई जरूरत नहीं है कही जाने की तुझे तू यही से स्कूल जाएगा और वापस यही आएगा बस
मैं – लेकिन दीदी वहा हॉस्टल में...
चांदनी दीदी – (गुस्से में) भाड़ में गया हॉस्टल तू यहीं रहेगा और यही से स्कूल जाएगा और यही वापस आएगा और ये बात फाइनल है अगर तूने मेरी बात नही मानी तो मैं कभी बात नही करूगी तेरे से
मैं – (उस दिन दीदी की बात सुन जाने क्यों मेरी आंख से आसू आ गए थे ) एसा मत बोलो दीदी आप मैं आपकी सब बात मानूगा प्लीज आप नाराज मत होना मेरे से
उसके बाद वो पहली बार था जब दीदी ने मुझे अपने गले से लगाया लेकिन मैने उनसे कभी नही पूछा और ना मैने कभी इस बात के बारे में जानने को कोशिश की उस रात ऐसा क्या हुआ था जिसके चलते दीदी अचानक से बदल गई थी इसके बाद से जैसे मैं और दीदी इस तरह से रहते घर में जैसे मैं कोई पराया नही उसका अपना हू मैने हॉस्टल छोड़ दिया रोज घर से स्कूल और स्कूल से घर आता मैं इन सब बाते के चलते शालिनी जी भी बहुत खुश थी दिन हम सबका जैसे भी बीतता लेकिन रात में हम तीनो एक साथ खाने की टेबल में खाना भी खाते बाते भी करते खूब...
एक दिन चांदनी दीदी कॉलेज जल्दी चली गई थी उनका प्रेटिकल चल रहा था , उस दिन शालिनी जी ने नाश्ते में आलू के पराठे बनाए थे हम दोनो मिल के नाश्ता कर रहे थे तभी पराठे खाते वक्त काफी वक्त के बाद अचनक से मुझे घर की याद आ गई और मैने नाश्ता बीच में खाते हुआ रुक गया , मुझे रुका देख शालिनी जी ने पूछा....
शालिनी – क्या बात है अभी तुम रुक क्यों गए क्या अच्छा नहीं बना नाश्ता तू बोल मैं कुछ और बना दू तेरे लिए
मैं – (शालिनी जी की बात सुन के बोला) ऐसी बात नही है आंटी आज इतने वक्त के बाद मुझे अपने घर की याद आ गई ऐसे ही एक दिन मैं पराठा खा रहा था पता नही चला मैं 5 पराठे खा गया जब और एक पराठा और मांगा तो मां ने बोला (इंसान की तरह खा जानवरो की तरह नही) उस दिन के बाद से आज आलू का पराठा खा रहा हू
बोलते वक्त मेरी आसू आ गए थे मेरी आंख में आसू देख शालिनी जी तुरंत मेरे आसू पोछी और बोली..
शालिनी – कोई बात नही अभी यहां तुझे कोई रोकने टोकने वाला नही है तुझे जो अच्छा लगता है तू वो कर जो बीत गया उसको याद कर के क्यों अपने आप को तकलीफ देना अभी इसीलिए आगे बड़ो तुम
बातो बातो में मैने ये भी नही सोचा कि मैं क्या बोल गया अनजाने में मैने अपने घर के होने की बात बता दी थी शालिनी जी को लेकिन मैने इन सब बात पर उस वक्त ध्यान नही दिया था लेकिन शालिनी जी को शक हो गया था की मैं कुछ छुपा रहा हू उनसे और उन्होंने भी मुझे कुछ नही कहा बाद में उन्होंने खुद मेरे बाते में पता करवाया था ये सब मुझे बाद में पता चला...
खेर ये सब बाद में हुआ उससे पहले एक दिन की बात है चांदनी दीदी ने मुझे बोली की वो पुलिस में आना चाहती है अपनी मां की तरह इसके लिए वो आगे की पढ़ाई और ट्रेनिंग के लिए आउट ऑफ सिटी जा रही है कुछ वक्त के लिए मुझसे बोली...
चांदनी दीदी – अभी देख मैं कुछ वक्त के लिए बाहर जा रही हू पढ़ाई और ट्रेनिंग के लिए बस तू अपना और मां का ध्यान रखना समझा
मैं – दीदी आप मुझे भूल तो नहीं जाओगे ना
चांदनी –(मेरे सिर में हाथ रख के) भला क्यों भूलने लगी अपने भाई को
मैं –(मुस्कुरा के) बस ऐसे ही पूछा दीदी
चांदनी दीदी – (मुस्कुरा के) क्या छुपा रहा है मेरे से तू
मैं – आपसे दूर होने का सोच के है डर लग रहा है दीदी
चांदनी दीदी – डराने की क्या जरूरत है ये ले (मुझे मोबाइल देते हुए) तेरे लिए नया मोबाइल है ये इसमें मेरा नंबर सेव है और मां का भी रोज बात करूगी तेरे से ठीक है
मैं – जी दीदी
चांदनी दीदी– और तब तक टी अपने और मां का धुन रखेगा समझा
मैं – बिल्कुल दीदी
उसके बाद चांदनी दीदी चली गई आउट ऑफ सिटी अपनी आगे की पढ़ाई के लिए
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जारी रहेगा
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अभय ने अपने अतीत में काफी परेशानीयाॅं झेली हैं पर अपना इमान और स्वाभिमान बरकरार रखा जीस कारण उसे शालिनी और चांदनी जैसी माँ और बहन मिली जो अभय को दिलो जान से चाहने लगे
वैसे लगता हैं अभय निंद में अपने अतीत के बारें में कुछ कह गया हो उस रात जब शालिनी एक हप्ते के लिये बाहर गयी थी तब चांदणी ने उसके सर को प्यार से सहलाकर उसे दिलासा दिया और वही पर सो गयी
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा