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Awesome super interesting updateUPDATE 24
राज और अभय दोनो भाग के हॉस्टल के कमरे में आके दरवाजा बंद कर दिया....
अभय – (लंबी सास लेते हुए) अबे क्या था वो साला अचनक से सामने आ गया इतना डरावना चेहरा बापरे बाप
राज –(लंबी सास लेते हुए) पता नही यार उसे देख के मेरी हवा टाइट हो गई सच में बहुत डरावना था वो
अभय – अब समझ आ गया बनवारी चाचा का बेटा बावला क्यों हो गया था
बोल के अभय अपने कपड़े बदलने लगा...
अभय – एक काम कर मेरे कपड़े पहन कर आज यही सोजा तू
राज – हा तो तुझे क्या लगा इतना सब होने के बाद मैं अकेले घर जाऊंगा अपने
तभी राज ने अभय को कपड़े बदलते हुए देख बोला...
राज – अबे ये क्या है तेरी कमर में
अभय – (साइड में देख के) ये बंदूक है यार
राज –(चौक के) अबे तू बंदूक लेके गया था वहा पर
अभय – हा यार सोचा अगर खतरा लगेगा तो इस्तमाल करूंगा
राज – अबे घोचूमल तेरे पास बंदूक रखी थी तो निकला क्यों नही भागा क्यों बे तू
अभय – अबे अचनक से वो सामने आ गया साला डर के मारे मैं भूल गया यार बंदूक के बारे में
राज – अरे वाह तू डरता भी है क्यों बे तू तो बोल रहा था की तेरे उस SEANIOUR ने तुझे ताकत का इंजेक्शन लगाया है क्यों कहा गई वो ताकत
अभय – अबे गधे प्रसाद SEANIOUR ने ताकत का इंजेक्शन दिया था मुझे न की डर दूर करने का समझा और वैसे भी मैं खुद नही समझ पाया हू इसमें और क्या खासियत है ताकत के सिवा
राज – जाने दे भाई मैं पका हुआ हू इस बंदे की बात सुन के (अपनी जेब से चाकू निकलते हुए) वैसे मैं भी भूल गया था की मेरे पास चाकू है भाई
अभय – ओह तो तू चाकू लेके चला था वहा पे बढ़िया है भाई , चल जाने दे यार सोते है कल कॉलेज भी जाना है...
बोल के दोनो बेड में लेट जाते है काफी देर हो जाती है लेकिन नीद नही आती दोनो को तब राज बोलता है...
राज – अभय तेरे पास बंदूक कहा से आ गई
अभय – तुझे बताया तो था यार गांव आते वक्त SEANIOUR ने दिया था बैग उसी में थी बंदूक
राज – अच्छा , यार क्या सच में हमने जो देखा वो सच था
अभय – हा यार मैं वही सोच रहा हू , साला उस चक्कर में नीद नही आ रही है भाई
राज – मुझे भी यार , अब क्या करे हम
अभय – (अपना मोबाइल निकालते हुए) मुझे समझ में कुछ नही आ रहा है भाई
बोल के अपने मोबाइल को देखता रहा साथ में राज भी देख के बोला...
राज – ये क्या देख रहा है बे , तूने वीडियो बनाई है वहा की
अभय – हा यार जब अन्दर जा रहा था खंडर में तब वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू कर दी थी मैने
दोनो उसी रिकॉर्डिंग को देखते है तब राज बोलता है....
राज – ये साला देख कैसे सामने आया हमारे
लेकिन अभय उसी वीडियो को बार बार शुरू से देखे जा रहा था जिसे देख राज बोला....
राज – अबे सामने देख के तेरा जी नही भरा जो इसको वीडियो में बार बार देखे जा रहा है तू
अभय – (वीडियो देख अपनी आंखे सिकुड़ते हुए गुस्से में) इसकी मां का मारू मै
राज – क्या हो गया बे ऐसा क्यों बोल रहा है
अभय – ये वीडियो को जरा गौर से देख समझ जाएगा भाई
राज वीडियो देखता है लेकिन उसे कुछ समझ नही आता है...
राज – अबे ऐसा क्या है जो देखने को बोल रहा है मुझे कुछ नही समझ आ रहा है भाई
अभय – अबे ये कोई भूत नही है ये साला पुतला है बे , इसके उपर देख जरा गौर से
राज –(वीडियो को गौर से देखते हुए) इसकी मां की आंख मतलब ये पुतला था और हम साला सच समझ डर के भाग निकले साला इसके अचानक से सामने आने से
अभय – हा किसी ने इसे जान बूझ के इस तरह लटकाया हुआ होगा ताकि अचानक से किसी के सामने आजाएं और हमने नीचे देखा ही नहीं ये हवा में लटक हुआ था यार , जैसे तमाशा दिखाने वाले करते है ना हाथ की उंगली में डोर फसा के नीचे पुतले से हरकत करते है वैसा है ये भी
राज – (अपने सर पे हाथ रख के) और हम साला बिना बात समझे डर के भाग निकले वहा से , अच्छा चुतीया बनाया सालो ने हमे यार
अभय – हम सही जा रहे थे भाई बस इसे धोखा खा गए हम
राज – अब क्या करे भाई चलेगा क्या फिर से वहा पर
अभय – नही भाई मुझे नही लगता अब जाने का कोई फायदा होगा हम इतना चिल्ला के भागे है वहा से , वहा जो होगा सुन लिया होगा उसने
राज – हा यार ये बात तो है सावधान हो गए होगे सब के सब वहा पे , तो फिर क्या करे अब
अभय – मुझे लगता है हमे कुछ दिन के लिए भूल जाना चाहिए उस खंडर के बारे में
राज – ऐसा क्यों बोल रहा है बे
अभय – बात को समझ मेरे भाई जिस तरह से हम चिल्ला के भागे है वहा से जरूर किसी ना किसी ने सुना जरूर होगी हमारी चिल्लाने की आवाज बस दुआ कर किसी ने हमे आते जाते देखा ना हो
राज – अगर देख लिया होगा तो
अभय – तब वो सिर्फ हम पर नजर ही रख सकता है और कुछ नही कर सकता क्योंकि गांव में ऐसा कुछ करने की हिम्मत नही करेगा हमारे साथ
राज – तब तो सोना चाहिए हमे भाई अब मुझे बहुत नीद आ रही है
अभय – हा हा वो तो आएगी ही पता जो चल गया तुझे कोई भूत नही है
बोल दोनो हसने लगे जोर से फिर सो गए जबकि इस तरफ हवेली में कुछ घंटे पहले संध्या , चांदनी और शनाया हॉस्टल से वापस आए हवेली पर...
मालती – (तीनों को हवेली में आते देख) आ गए आप लोग तो कैसा लगा हमारा गांव आप दोनो को
शनाया और चांदनी एक साथ – बहुत सुंदर है आपका गांव
मालती –(टेबल पर खाना लगाते हुए) आप सब आइए खाना खा लीजिए
खाना खाने में सब व्यस्त थे लेकिन आज संध्या का ध्यान सेम बैठे अमन पे था जो मजे से खाना खाए जा रहा था और साथ में अभय पर था मन ही मन अपने आप से बाते किए जा रही थी...
संध्या –(मन में– मैं यहां आराम से ए सी में बैठी हू वहा मेरा बेटा इतनी गर्मी में सिर्फ एक पंखे के सहारे जमीन में कैसे सो जाता होगा कैसे सहा होगा इतने साल उसने ये सब आखिर किस काम की ये नाम , दौलत मेरे जिसमे मेरा बेटा तक मेरे साथ नही , एक तरफ अमन है जिसे हर सुख सुविधा मिली बिना मेहनत के दूसरे तरफ मेरा अभय है जो समझता है मेहनत और सुख किसे कहते है जिस काम के लिए मैं हर बार अभय पर हाथ उठाती थी आज जानती हूं उसका जिम्मेदार सिर्फ अमन है लेकिन उस बात की इसे सजा दे के भी अब क्या कर लूगि मैं क्या अभय वापस आएगा क्या माफ कर पाएगा मुझे क्या करू , काश मैं बीते वक्त को बदल सकती)
यही बाते सोचते सोचते अचानक संध्या कुर्सी से जमीन में गिर गई तभी सबकी नजर पड़ी संध्या पर तुरंत उसे उठा के कमरे में ले जाया गया ललिता ने तुरंत ही डॉक्टर को कॉल किया साथ रमन को भी थोड़ी देर में डॉक्टर आया चेक किया....
शनाया – (डॉक्टर से) क्या हुआ इनको डॉक्टर साहब
डॉक्टर – (संध्या को चेक करके) इनका बीपी बड़ गया था शायद इतनी गर्मी के चलते हुआ होगा , क्या ये खाना सही से नही खा रही है की कमजोरी भी है इनको काफी खेर घबराने की कोई बात नही है मैने ईनजैक्शन दे दिया है ये दवाई टाइम पे देते रहिएगा अभी इनको आराम करने दीजिए
बोल के डॉक्टर चला गया डॉक्टर के जाते ही रमन बोला...
रमन – ये हुआ कैसे सुबह तक तो ठीक थी
ललिता – दीदी तो चांदनी और शनाया को लेके गाई थी गांव दिखाने शायद बाहर घूमने से गर्मी लग गई होगी
रमन – मुझे तो लगता है जरूर आज फिर से मिली होगी उसी हरामी लौंडे से तभी ये सब हुआ है
चांदनी – (आंख सिकुड़ के) किसकी बात कर रहे हो आप
रमन – और कॉन वही लौंडा जिसको ये अपना बेटा समझती है
शनाया – (ना समझते हुए) किसकी बात कर रहे है आप कॉन लड़का है वो और क्या नाम है उसका
रमन – पता नही कॉन है वो भाभी उसे अपना बेटा अभय समझती है जाने कॉन सा काला जादू कर दिया है उस हरामी ने इनका दिमाग खर....
अभय के लिए ऐसी बात सुन चांदनी बोलने को हुई थी लेकिन तभी...
शनाया –(अभय का नाम सुन गुस्से में चिल्ला के) जबान संभाल के बोलो मिस्टर रमन ठाकुर
रमन –(हैरानी से) अरे आपको क्या हुआ मैने उस लौंडे के लिए बोला था और आप....
शनाया –(रमन की बात को बीच में काटते हुए) तुम जिस लड़के के लिए बिल रहे हो मैं उसे अच्छे तरीके से जानती हूं समझे वो उसी स्कूल में पढ़ता था जिसमे मैं टीचर थी समझे इसीलिए दोबारा इसके लिए कुछ भी बोलने से पहले बहुत सोच समझ के बोलना तुम
रमन – (गुस्से में) उस कल के लौंडे के लिए मुझे तुम कर के बात कर रही हो इतनी हिम्मत तुम्हारी , अभी के अभी निकल जाओ यहां से तुम मैं किसी और को कॉलेज प्रिंसिपल के लिए बोल दुगा लेकिन तुम्हे कभी नहीं निकल जाओ
शनाया – (गुस्से में) गौर से सुन रमन ठाकुर मैं तेरे कहने पर नही आई हू यहां पर समझा , मैं संध्या ठाकुर के बुलाने पर आई हू और इस बात का फैसला वही करेगी तू नही
रमन – (हस्ते हुए) बेवकूफ औरत वो कॉलेज मेरा है समझी तू कॉलेज में वही होगा जो मैं चाहूंगा तू कॉन होती है मेरे फैसले के बीच बोलने वाली , अब चुप चाप निकल यह से
शनाया – अच्छा ठीक है इस बात का फैसला संध्या ठाकुर के होश में आने के बाद होगा तब पता चलेगा किसका कॉलेज है और किसी चलती है वहा पे
रमन – साली मुझसे...
चांदनी –(कुछ सोच के) रुक जाइए ठाकुर साहब मैडम सही बोल रही है ठकुराइन ने बुलाया है इनको अगर आप नही चाहते है इनको कॉलेज की प्रिंसिपल के अहूदे पर तो ठकुराइन से कहलवा दीजिएगा इनको भी तसल्ली हो जाएगी और आपकी बात भी मन जाएगी इस तरह से बात बड़ाने से कुछ नही होगा हमे ठकुराइन के होश में आने का इंतजार करना होगा
रमन – (कुछ सोच के) ठीक है इंतजार करता हू भाभी के होश में आने तक उसके बाद मुझे ये एक पल के लिए नही चाहिए ये औरत यहां पर
बोल के रमन हवेली से बाहर निकल गया उसके जाते ही मालती बोली....
मालती – (शनाया और चांदनी से) सिर्फ एक बार मिली हू उस लड़के से उसकी बातो से मुझे भी लगता है जरूर वो हमारा अभय है लेकिन समझ नही आ रहा है अगर वो सच में हमारा अभय है तो जंगल में वो लाश किसकी थी इसी बात से मन में खलबली मच जाती ही दिमाग कोई फैसला नहीं कर पाता है...
बोल के मालती चली गई अपने कमरे में लेकिन चलती की बात सुन चांदनी कुछ सोच रही थी करीबन शाम को संध्या को होश आया होश में आते ही उसने देखा इसके कमरे में चांदनी , शनाया और मालती बैठे थे जिसे देख संध्या बोली...
संध्या – आप सब यहां पे...
चांदनी , शनाया और मालती –( संध्या की आवाज सुन के) होश आ गया आपको
संध्या –(सबकी बात सुन के) क्या हुआ था मुझे मैं यहां अपने कमरे में
मालती –(संध्या के बगल में बैठ के) दीदी क्या हो गया था आपको अचानक से आप बेहोश हो गई थी कितना डर गए थे हम सब
शनाया – अब कैसा लग रहा है आपको
संध्या – (मालती से) कुछ नही मालती बस सिर में दर्द होने लगा था शायद तभी ऐसा हुआ हो , (शनाया से) अब ठीक हू मैं
चांदनी – मैं कुछ खाने को ले आती हू आपके लिए आपने खाना नही खाया था
संध्या – अरे नही चांदनी तुम परेशान मत हो मैं ठीक हू
मालती – ऐसे कैसे ठीक हो आप रुकिए मैं लाती हू खाने को आपके लिए , चांदनी आप दीदी के साथ बैठो मैं अभी आती हूं
बोल के मालती चली गए संध्या के लिए खाने को लेने मालती के जाते ही शनाया बोली...
शनाया – बुरा ना माने आप मैं अब से हॉस्टल में रहूंगी
संध्या –(हैरानी से) आप ऐसा क्यों बोल रही हो
चांदनी – (सारी बात बताते हुए) अब बताइए क्या ये सही है इस तरह से एक औरत से बात करना जो आपके कॉलेज की प्रिंसिपल है जिसे आपने चुना है
संध्या – (शनाया से) आपको कही जाने की कोई जरूरत नहीं है मैने आपको बुलाया है यहां पर ये मेरा फैसला है रमन का नही
शनाया – देखिए मैं आप सब के बीच में नही आना चाहती हू इसीलिए मैंने सोच लिया है अब से मैं हॉस्टल में रहूंगी यहां रह कर रोज मुझे रमन ठाकुर को देखना पड़ेगा जो मुझे पसंद नहीं माफ करिएगा मुझे...
बोल के शनाया चली गई कमरे में अपना बैग पैक करने तब चांदनी ने संध्या से बोला...
चांदनी – (संध्या से) में बात करके आती हू मैडम से (शनाया के पास जाके) किसी एक के कहने से आपको इतना बुरा लग रहा है और जब अभय के लिए बोला गया तब तो आपने बिना डरे जवाब दे दिया रमन ठाकुर को और अब आप उसी के डर से भाग रहे हो क्या होगा उससे मैडम , मैं बताऊं क्या होगा , आपकी हार और रमन की जीत भले कॉलेज से ना निकलवा पाया हो लेकिन घर से निकालने में कामयाब होजाएगा वो और यहां से जाने के बाद धीरे धीरे कॉलेज में भी आपके अगेंस्ट कुछ न कुछ करेगा , मैडम दुनिया में रमन जैसे बहुत मिलेंगे लेकिन जरूरी नहीं वहा ठकुराइन जैसे औरत भी मिले आपको जो इतना सब जाने के बाद भी आपके साथ है , जो करिए सोच समझ के करिए गा..
बोल के चांदनी चली गई संध्या के पास पीछे शनाया सोच में पड़ गई चांदनी की बात से और यहां पर मालती संध्या को जूस पिला रही थी तभी मालती बोली..
मालती – अच्छा दीदी आप आराम करो मैं रात का खाना यही पर ले आऊंगी आपका
संध्या –(मालती बात सुन के) नही मालती कोई जरूरत नहीं मैं सब के साथ ही खाऊंगी खाना
मालती – (मुस्कुरा के) जैसे आपकी मर्जी दीदी बस थोड़ी देर में तयार हो जाएगा खाना
बोल के मालती चली गई तब संध्या बोली...
संध्या – क्या कहा शनाया ने
चांदनी – समझा दिया है मैने उनको कही नहीं जाएगी वो अब
संध्या – रमन हद से ज्यादा बोलने लगा है लगता है वक्त आ गया है उसे सबक सिखाने का
बोल कर संध्या अपने मोबाइल से किसी को कॉल करने लगी काफी देर तक ट्राई करती रही लेकिन कॉल नही मिला तब फिर से किसी और को कॉल किया सामने से किसी लड़की की आवाज आई...
लड़की – हेलो
संध्या – मैं ठकुराइन बोल रही हूं आप कॉन और अनिरुद्ध जी कहा है उनका कॉल क्यों नही लग रहा है
लड़की – नमस्ते ठकुराइन जी , जी मैं अनिरुद्ध सर की सेक्रेटरी थी
संध्या – सेक्रेटरी थी मतलब
लड़की – क्या आपको पता नही चला अनिरुद्ध सर के बारे में
संध्या – क्या पता नही चला मैं समझी नही कुछ
लड़की – अनिरुद्ध सर का एक्सीडेंट हो गया अपनी फैमिली के साथ घूमने जा रहे थे तभी
संध्या – (चौक के) क्या कब और कैसे हुआ एक्सीडेंट उनका अब कहा पर है वो
लड़की – माफ करिएगा ठकुराइन अनिरुद्ध सर और उनकी फैमिली की ऑन द स्पॉट मौत हो गई उसी वक्त , और मैने खबर भेजी थी आपको अभी तक पता नही चला आपको उनकी मौत का
संध्या – (हैरानी से) नही मुझे किसी ने नहीं बताया
लड़की – माफ करिएगा शायद गलती हो गई हमारे लोगो से
संध्या – कोई बात नही
बोल के कॉल कट कर दिया संध्या ने जिसे देख चांदनी बोली...
चांदनी – अभय के जन्म दिन के ठीक दो दिन पहले ये एक्सीडेंट हुआ था आपके वकील अनिरुद्ध का
संध्या –(चांदनी की बात सुन हैरानी से) तुम्हे कैसे पता
चांदनी – अभय इस साल 18 का हो गया है इसीलिए आपके वकील मिस्टर अनिरुद्ध आ रहे थे प्रॉपर्टी के पेपर्स लेके आपके पास अभय के जन्म दिन से दो दिन पहले क्योंकि उनको फैमिली को घुमाने ले जाना था लेकिन रास्ते में ही उनका मर्डर हो गया
संध्या – मर्डर लेकिन अभी उस लड़की ने एक्सीडेंट कहा और तुम्हे कैसे पता ये सब
चांदनी – नही ठकुराइन जी मर्डर हुआ है अनिरुद्ध का जिस वक्त ये हादसा हुआ वहा कुछ लोग थे जिन्होंने बताया कैसे एक ट्रक ने टक्कर मारी अनिरुद्ध की कार को वो भी दो बार और फिर वो ट्रक ड्राइवर भाग गया ट्रक छोड़ के लेकिन उसकी किस्मत खराब थी वही पास की एक दुकान से होते हुए भागा था ड्राइवर वो उस दुकान की कैमरे में आ गया किस्मत से मेरे चीफ और मैं साथ में आपके गांव के लिए निकले हुए थे तभी रास्ते में हमने देखा जांच में मेरी नजर वकील के बैग पर पड़ी उसमे मुझे आपकी प्रॉपर्टी के पेपर मिले उसे पड़ की हमे समझ आ गया क्या मझरा है तभी से चीफ ने इस केस की तहकीकात आगे बड़ाई तभी से मैं यहां हो उसके बाद चीफ को वो ड्राइवर मिल गया लेकिन मरा हुआ
संध्या – मतलब तुम तभी से ही इस गांव में हो लेकिन मुझे बताया क्यों नही तुमने
चांदनी – कुछ जानकारी जुटा रही थी मैं इसीलिए किसी के सामने नहीं आई
संध्या – तो क्या पता चला तुम्हे बताओ प्लीज क्यों मारा वकील और उसकी फैमिली को ऐसा क्या था उन पेपर्स में चांदनी
चांदनी – ठकुराइन जो भी था उसमे उसे पड़ने के बाद मैने मां को सब बता दिया तब से हमे लगने लगा था अभय शहर में सेफ नही है इसीलिए हम दोनो अभय को मानने में लगे थे ताकी अभय गांव आ जाए शहर से ज्यादा अभय यहां अपने गांव में ज्यादा सेफ रहेगा लेकिन अभय मानने को राजी नहीं था फिर एक दिन अचनक से अभय ने खुद बोला गांव जाने के लिए तभी मैंने और मां ने प्लान बनाया और अभय को सुरक्षित यहां गांव भेज दिया
संध्या – चांदनी अगर ऐसा बात है तो प्लीज तुम कुछ भी करो लेकिन अभय को किसी तरह यहां हवेली में ले आओ कही उसे कुछ हो गया तो मैं भी जिंदा नही रहूगी उसके इलावा है ही कॉन मेरा (हाथ जोड़ के) प्लीज मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हू
चांदनी – (संध्या के हाथ पकड़ के) ये आप क्या कर रही है ठकुराइन अगर अभय आपका बेटा है तो मेरा भी भाई है वो उसके लिए ही आई हू मै यहां पर लेकिन एक और बात शायद आपको पता नही है
संध्या – कॉन सी बात
चांदनी – इस गांव में और भी गड़बड़ चल रही है जिसकी तहकीकात मैं पिछले 2 सालो से कर रही हू आपके वकील का एक्सीडेंट तो अभी हाल ही में हुआ है
संध्या – इस गांव में ऐसी कॉन सी गड़बड़ चल रही है जिसकी तहकीकात तुम पिछले 2 साल से कर रही हो क्या हुआ है यहां पर आखिर
चांदनी – बहुत कुछ एसा है जिसका पता आपको भी नही है ठकुराइन जी सही वक्त आने पर मैं बताऊगी आपको अभी के लिए फिलहाल आप निषित रहिए और चलिए नीचे चल के खाना खाते है...
इस के बाद चांदनी और संध्या साथ में नीचे आते है टेबल पर खाने के लिए पीछे से शनाया भी आ जाती है सब साथ में टेबल में बैठते है खाने के लिए तभी रमन कुछ बोलने को जोता है लेकिन संध्या बीच में बोलती है...
संध्या –(रमन को देख के) तुम्हे जो बात करनी है मुझसे करो रमन लेकिन मेरे काम के बीच में बोलने की जरूरत नहीं है तुम्हे , कॉलेज की भलाई के लिए जो भी फैसला लेना होगा वो मैं खुद लूंगी तुम्हे बीच में आने की जरूरत नहीं है
रमन – (हल्के गुस्से में) वो कॉलेज मेरे बाबू जी के नाम से है भाभी उसकी भलाई के लिए फैसला लेना मेरा भी हक है
संध्या – बहुत अच्छा हक निभा रहे हो तुम रमन अपनी ही कॉलेज की प्रिंसिपल से इस तरह से बात कर रहे हो साथ ही कॉलेज के स्टूडेंट के लिए भी इतना गलत बोल के क्या इसे बोलते हो अपना हक तुम
रमन – आप स्टूडेंट के लिए बोल रही हो या उस लौंडे के लिए जिसे आप अपना बेटा समझ रही हो
संध्या – बस रमन अब बहुत हो गया मैं...
रमन –(बीच में बात काटते हुए) आप मान क्यों नही लेती हो की अभय मर चुका है 10 साल पहले ही आखिर क्यों उस लड़के के पीछे पागल पड़ी हो आप या कही ऐसा तो नहीं आप उस हरामी को यहां हवेली में लाने की सोच रही हो
संध्या –(चिल्ला के गुस्से में) किसे हरामी बोल रहा है तू और क्या बोला तूने मर चुका है मेरा अभय तो क्या सबूत है तेरे पास बता सिर्फ जंगल में मिली उस लाश पर अभय के कपड़ो से मान लिया तूने तो , क्यों यहां आई थी पुलिस क्यों पोस्टमार्टम नही करवाया पुलिस ने लाश का क्यों पुलिस ने पता नही लगाया इस बारे में कही ऐसा तो नहीं तूने ही मु बंद कर दिया हो पुलिस वालो का...
संध्या की इस बात से जहा रमन की आखें बड़ी और मु खुला का खुला रह गया वही इस बात से ललिता और मालती भी रमन को सवालिया नजरो से देखने लगे जिसके बाद रमन बोला...
रमन –(हड़बड़ाते हुए) ये...ये... ये सब फालतू की बकवास है मैं....मैं...मैने पता लगाने को ब.... ब.... बोला था पुलिस को रिपोर्ट भी दर्ज है पुलिस स्टेशन में उस हादसे की
संध्या –(रमन की बात सुन के) अच्छा लेकिन तू तो हर वक्त यही इसी हवेली में था उस वक्त कब रिपोर्ट की तूने
रमन –(डरते हुए) मै... मै.... मेरा मतलब मैने नही मुनीम ने रिपोर्ट की थी पुलिस में
संध्या – तो कहा है मुनीम बुलाओ उसे अगर ये बात झूठ निकली तो मुनीम की जिदंगी का आखरी दिन होगा समझ लेना रमन और हा कल के कल मुझे मुनीम चाहिए यहां पर नही तो मैं खुद जाऊंगी पुलिस स्टेशन उस रिपोर्ट को देखने...
इसके बाद सब खाना खाने लगे लेकिन रमन के मू से निवाला नही जा रहा था अब रमन को डर लगने लगा था क्योंकि मुनीम का कही पता नही चल रहा था कॉलेज में जब अभय ने हाथ उठाया था अमन पर तब से मुनीम से कोई संपर्क नही हो पा रहा था रमन का और अब कल संध्या ने मुनीम को हवेली में आने के लिए बोल दिया रमन को उसे समझ नही आ रहा था आखिर अब क्या करे वो धीरे धीरे सभी खाना खा के जाने लगे कमरे में सोने के लिए पीछे अकेला रह गया सिर्फ रमन अपनी सोच में गुम जिसे ललिता ने छेड़ दिया....
ललिता – क्या हुआ आपको सब खाना खा के चले गए सोने लेकिन आपने अभी तक खाना शुरू तक नही किया
रमन – (ललिता की बात सुन) लेजा खाना मुझे नही चाहिए कुछ भी मैं जा रहा हू सोने कमरे में...
बोल के रमन चला गया कमरे में पीछे ललिता भी आ गई बोली...
ललिता – अब क्या हो गया आपको किस सोच में डूबे हो
रमन – मैं मुनीम को कहा से लाऊं समझ नही आ रहा है उस दिन से जाने कहा गायब हो गया है ये मुनीम का बच्चा मोबाइल भी बंद आ रहा है उसका
ललिता – कही डर से भाग तो नही गया आपका मुनीम अपनी दुम दबा के क्योंकि जब जहाज डूबता है तो सबसे पहले चूहे ही भागते है मुझे लागत है आपका चूहा पहले से भाग निकला है यहां से (हस्ते हुए)
रमन –(ललिता की बात सुन के उसका गला दबा के) साली तेरी भी जुबान अब बहुत ज्यादा चलने लगी है
ललिता – मेरा गला दबाने से क्या होगा अगर दबाना है तो जाके संध्या दीदी का दबा गला लेकिन तू ऐसा नही कर सकता अच्छे से जनता है ऐसा किया तो जो कुछ आज तेरे पास है वो भी नही रहेगा तेरे पास भिकारी बन के रही जाएगा तू
रमन –(ललिता का गला छोड़ के गुस्से में बोला) चुप कर कुतीया मैं इस कुछ भी नही होने दुगा बहुत जल्द ही ये सब कुछ सिर्फ मेरा होगा ले वो संध्या सिर्फ और सिर्फ रखैल बन के रहने वाली है बहुत आग हैं उसमे तभी तो पागल पड़े हुए है लोग संध्या के पीछे
ललिता – क्या मतलब है तुम्हारा क्या करने वाले हो तुम
रमन – जल्द ही पता चल जाएगा तुझे और बाकी सबको भी इंतजार कर
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जारी रहेगा![]()
Nice updateUPDATE 25
अगली सुबह अभय और राज उठ गए राज अपने घर चला गया तयार होने के लिए इधर अभय भी तयार होके निकल गया कॉलेज की तरफ राज और अभय एक साथ कॉलेज में आते ही राजू और लल्ला मिले...
राजू – (अभय और राज से) क्या बात है आज तुम दोनों कॉलेज एक साथ आ रहे हो
राज – हा यार कल हम दोनो रात में खंडर में गए थे
लल्ला – (चौक के) क्या तुम दोनो फिर क्या हुआ
अभय – (अपने मोबाइल में वीडियो प्ले कर के दिखाते हुए दोनो को) फिर ये हुआ
राजू और लल्ला दोनो ने वीडियो देख के जोर से हसने लगे दोनों को हस्त देख राज बोला..
राज – अबे पगला गए हो क्या ऐसे कहे हस रहे हो दोनो बे
राजू – (हस्ते हुए) अबे हसी नही रुक हसी और तू बोल रहा है हस क्यों रहे हो
अभय –(हैरानी से) ऐसी क्या बात है जो तुम दोनो की हसी नही रुक रही है
राजू – (राज से) अभय का समझ आता है लेकिन तू कैसे भूल गया बे
राज – मैं क्या भूल गया बे सही से बात बता पहेली मत भुजा
लल्ला – अबे ये पुतला है तमाशा दिखाने वालो का
अभय – तुझे कैसे पता ये पुतला है मैने तो बताया नहीं ये पुतला है
राजू – अभय शायद तुझे पता न हो यहां हर साल कुल देवी के मंदिर में मेला लगता है वहा पे बंजारे हर साल कुछ ना कुछ नया करते है जड़ी बूटियों की दवा , मिट्टी के खिलौने , पुतलो का तमाशा घरेलू सामान सब लाते है हर साल और ये पुतला इसका इस्तमाल करके तमाशा में कहानी बनाके से सुनाते है यार...
राजू की बात सुन अभय और राज एक दूसरे को देखने लगे...
अभय – मतलब बंजारो में से कोई उस खंडर में है लेकिन उनका वहा क्या काम हो सकता है
राज – ये भी हो सकता है किसी ने वो पुतला बंजारो से लेलिया हो
राजू – साला तुम दोनो का दिमाग लगता है खिसक गया है जरूरत क्या थी तुम दोनो को अकेले जाने की उस खंडर में हमे भी साथ ले चलते आखिर क्या पता चला ये तो बताओ
राज – (खंडर में जो हुआ सब बता दिया बोला) यार ये अभय बात सुने तब तो
लल्ला – ऐसी क्या बात थी जो अभय सुनने को तयार नही था
फिर राज ने जो बात हुई दिन में वो बताया जिसे सुनने के बाद राजू बोला...
राजू – देख अभय तू यहां नही था , 10 साल बाद वापस आया है तू तेरे पीठ पीछे यहां क्या हुआ तुझे इसका अंदाजा तक नही है और तू अपनी मां के लिए ऐसी बात कर रहा है कम से कम बोलने से पहले सोच के बोला कर तू
अभय – देख यार मुझे इस बारे में अब कोई बात नही करनी है वो अपनी जिदंगी में खुश है और मैं अपनी अब मुझे कोई मतलब नहीं वो क्या करती है क्या नही मुझे कोई लेने देना नही उससे
राज –( बीच में) चल जाने दे यार वो देख पायल आ रही है तू जाके बात कर उससे
पायल का नाम सुनते ही अभय उस तरफ चला गया अभय के जाते ही राज ने राजू और लल्ला को वो बात बताई जो अपनी मां को बताई जिसे सुनने के बाद राजू बोला...
राजू – तो तूने अभय को क्यों नही बताया बे
राज – यहीं बात मां ने बोली थी मुझे लेकिन यार मैं क्या करता अभय कुछ सुनने को राजी नही है मैं क्या करू
राजू – मैं पहले से बोलता आया हू ये साला रमन ठाकुर एक नंबर का हरामी आदमी है दादा ठाकुर के नाम को खराब कर रहा है अपनी नीच हरकत से लेकिन ये सरपंच की बीवी का समझ नही आया मुझे रमन ठाकुर के साथ इस तरह
राज – सरपंच की तरह उसकी पत्नी भी पालतू है रमन ठाकुर की
लल्ला – (कॉलेज गेट देखते हुए) ये क्या चमत्कार है यार आज अमन ठाकुर पैदल आ रहे है कॉलेज में
राजू और राज दोनो कॉलेज गेट देख के हैरान हो जाते है...
राजू – हा यार आज ये अमनवा पैदल आ रहा है
राज – कही टायर पंचर तो नही हो गया बाइक का..
बोल कर तीनों हसने लगते है जोर से जिसे अमन कॉलेज में आते हुए देखता है जबकि इस तरफ अभय जाता है पायल के पास जो अपनी सहेली नूर और नीलम के साथ बाते कर रही थी अपनी तरफ अभय को आते देख नीलम बोली...
नीलम – (पायल से) वो देख तेरा दीवाना आ रहा है इस तरफ
नूर – (अभय को देख के) बड़ा जिगरा है इसमें जिसके पीछे अमन ठाकुर दीवाना है उसी पे लाइन मार रहा है ये मानना पड़ेगा इसे
पायल – ऐसा कुछ नही है यार तुम दोनो भी ना
इससे पहले पायल आगे कुछ बोलती अभय पास आके बोला..
अभय – कैसी हो पायल मैने सुना काकी की तबियत खराब थी कल अब कैसी है काकी
पायल – मैं अच्छी हू और मां अब ठीक है ( नूर और नीलम को देख के) ये मेरी सहेली है नूर और नीलम
अभय – हेल्लो कैसे हो आप दोनो
नूर और नीलम – अच्छे है हम भी
नीलम – आपने तो गांव में आते ही कमाल कर दिया हर कोई बस आपकी तारीफ करता है जब से आपने गांव वालो को उनकी जमीन दिलवाई है
अभय – मैने ऐसा कुछ नही किया मैं तो सिर्फ पेड़ काटने की खिलाफ था (पायल) चलो क्लास का वक्त हो रहा है चलते है..
बोल के पायल के साथ चलने लगा साथ में नूर और नीलम भी चलते हुए आ गए राज , राजू और लल्ला के पास आते ही अभय बोला...
अभय –क्या बात है तुमलोग इतना हस क्यों रहे हो
राजू – आज हमारे अमन ठाकुर पैदल कॉलेज आए है बस तभी हसी आ रही है शायद टायर पंचर हो गया होगा...
बोल के सब हसने लगे साथ में जाने लगे क्लास में के तभी राज पीछे रुक गया किसी को देख के सब राज को आवाज देते रहे लेकिन राज तो कही खोया हुआ था
जब सबने राज की नजरो का पीछा किया तो देखा संध्या ठाकुर अपनी कार से आई हुई थी साथ में शनाया और चांदनी थी और राज सिर्फ चांदनी को आते हुए देख रहा था....
उसी वक्त कॉलेज का एक लड़का जिसका नाम अमित है वहा से गुजर रहा था जिसे राजू ने बुला के पूछा...
राजू – (अमित से) ओ अमित ये ठकुराइन के साथ ये दोनो लड़की कॉन है बे
अमित – पता नही यार इन दोनो को पहली बार देख रहा हू
अभय –(धीरे से बोला) दीदी
राजू और लल्ला ने सुन लिया जिसे दोनो ने अभय की तरफ देखा...
राजू –(धीरे से) दोनो तेरी दी
अभय –(धीरे से) अबे ये नही है वो है मेरी दीदी
राजू और लल्ला –(धीरे से अभय से) दीदी मतलब वो एनकाउंटर स्पेशलिस्ट
इस तरफ सामने से आती हुई साड़ी में चांदनी ने देखा एक लड़का सामने की तरफ जमीन में बैठ के उसे देखे जा रहा है जिसपे बिना ध्यान दिए चांदनी राज के बगल से निकली साथ ही उसकी साड़ी का पल्लू राज को छूते हुए निकले जिससे राज जमीन में गिरा
जबकि इस तरफ राजू और लल्ला की बात पर अभय ने सिर हिला के हा कहा जिसके बाद तीनों सिर्फआखें फाड़ के देखने लगे जबकि राज तो ऐसा खोया हुआ था जैसे कोई खजाना मिल गया हो ऐसी हालत थी उसकी और तभी राज के गाने की आवाज आई....
चांद मेरा दिल , चांदनी हो तुम
चांद से है दूर , चांदनी कहा
तब चांदनी पलट के वापस आई और बोली...
चांदनी – रैगिंग बराबर वालो के साथ करते है टीचर के साथ नही समझे मिस्टर
बोल के पलट के जाने लगी तभी फिर से राज के गाने की आवाज आई...
लौट के आना , है यही तुमको
जा रहे हो दूर , जाओ मेरी जान
गाना की आवाज सुन राज के सभी दोस्त अपना मू खोले उसे देखे जा दे थे वही चांदनी वापस आई राज से बोली..
चांदनी – (गुस्से में) 5 मिनट में प्रिंसिपल रूम में मिलो तुम
बोल के चांदनी चली गई जबकि थोड़ा दूर से ये नजारा देख शनाया बोली संध्या से...
शनाया – (संध्या से) ये कैसे स्टूडेंट्स है अपनी टीचर के साथ..
संध्या – (चौक के) सबके लिए नही कह सकती पर ये राज ऐसा नहीं है लेकिन आज इसको क्या हो आया है समझ नही आई बात
शनाया – कॉन राज
संध्या – वही जिसने अभी गाना गया चांदनी के लिए हमारे गांव का मशहूर शायर है ये
शनाया – (मुस्कुरा के) आप मेरा परिचय कराने के लिए आई थी यह पर लेकिन लगता है मुझे ये काम खुद करना होगा
बोल के संध्या और शनाया हस्ते हुए ऑफिस की तर्क चल दिए जबकि इस तरफ चांदनी के जाते ही सभी राज के पास आए...
पायल – ओहो तो जनाब को कोई लड़की पसंद आ गई तभी गाना गाने लगे
राजू – हा बे ये तो शायर से गवईया बन गया
अभय – क्या बोल के गई तेरे को
राज – (मुस्कुरा के) 5 में मिनट में बुलाया है अपने पास
सभी एक साथ – क्या
राज – अरे प्रिंसिपल ऑफिस में बुलाया है यार तुमलोग रुको मैं अभी आता हूं और इंतजार नही करा सकता उसको...
बोल के राज तुरंत दौड़ के चला गया प्रिंसिपल ऑफिस जबकि पीछे से सभी आवाज देते रहे उसे राज को इस तरह जाते देख पायल , नूर और नीलम तीनों हस्ते हुए कॉल्स में चले गए जबकि राजू , लल्ला और अभय आपस में बोले...
अभय – अब क्या होगा
लल्ला – आज ये पंडित तो गयोरे
राजू – यार मेरी बाई आंख भड़क रही है
इतना बोल के राजू कुछ इस तरह से इमेजिन करने लगा...
जबकि इस तरफ प्रिंसिपल ऑफिस में शनाया , संध्या और चांदनी बैठे थे तभी दरवाजे को खटखटाया किसी ने...
शनाया – कम इन
राज – (ऑफिस के अन्दर आते हुए) हेलो मैडम कैसे हो आप
शनाया – क्या नाम है आपका
राज – जी मेरा नाम राज शर्मा है
शनाया – तो मिस्टर शर्मा आप कॉलेज में अपनी टीचर्स के साथ ऐसा मजाक करते है
राज – मजाक मैने कब किया मैडम
शनाया – बाहर क्या कर रहे थे आप (चांदनी की तरफ इशारा करके) इन मैडम के साथ
राज – (पलटा के चांदनी को देखते हुए) ये टीचर है कमाल है इनको देख के लगता नही है
राज की बात सुन संध्या अपने सर नीचे करके धीरे से हसने लगी संध्या को देख शनाया को भी हसी आ गई राज की बात पर अपनी हसी कंट्रोल करके बोली...
शनाया – तो आपको क्या ये स्टूडेंट लगी
राज –(चांदनी को देख के बोला)
कुछ लम्हे पुराने लिख दू , कुछ नटखट तो कुछ शैतानी लिख दू
इजाजत दे के देखिए , आप पर एक कहानी लिख दू
राज की शायरी सुन के शनाया और संध्या एक दूसरे को देख के हल्का सा हसी वही चांदनी को हल्की हसी आई इससे पहले कुछ और बात होती संध्या ने शनाया को इशारा किया जिसके बाद शनाया बोली..
शनाया – ठीक है मिस्टर अब आप जा सकते है अपनी कॉल्स में और जो हुआ वो दुबारा ना हो आज पहला दिन है मेरा कॉलेज में और मैं नही चाहती किसी के साथ गलत करू
राज –(शनाया की बात सुन के) ओके मैडम
बोल के चांदनी को देखने लगा जिसे देख शनाया बोली..
शनाया – आपको क्लास नहीं जाना है क्या अपनी
राज –(अंजान बनते हुए) क्लास कॉन से क्लास मैडम
राज की बात सुन शनाया गुस्से में देखने लगी राज को जिसे देख राज तुरंत बोला...
राज – ओह हा मैडम सॉरी मैं अभी जाता हू..
बोल के राज भाग गया क्लास की तरफ उसके जाते ही पूछे से संध्या और शनाया जोर से हसने लगे जिसे सके चांदनी बोली...
चांदनी – आप एसे क्यों हस रहे है
संध्या – लगता है कॉलेज के पहले दिन ही तुम्हे तुम्हारा फेवरेट स्टूडेंट मिल गया है
चांदनी – आप भी ना ठकुराइन जी वो मजाक कर रहा होगा मुंह स्टूडेंट समझ के..
बोल के चांदनी चली गई क्लास की तरफ पीछे संध्या और शनाया बैठे थे ऑफिस में तभी किसी ने दरवाजा नॉक किया...
शनाया – कम इन
आदमी – हेलो मैडम
शनाया – हेलो जी आप कॉन
आदमी –(अपने फाइल देते हुए) जी मेरा ट्रांसफर हुआ कॉलेज में वैसे मैं कल आने वाला था लेकिन वो ट्रेन लेट हो गई मेरी इसीलिए आज ज्वाइन किया मैने
शनाया – ओह कोई बात नही स्वागत है आपका मिस्टर
आदमी – मुंडे , M M MUNDE , मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना काम (अपना हाथ बड़ा के) बबल गम, लीजिए ना मैडम एक प्लीज
शनाया – (बबल गम लेते हुए) शुक्रिया , और इनसे मिलिए इनका नाम संध्या ठाकुर है और ये है इस गांव की ठकुराइन के साथ ये कॉलेज भी इनका है
मुरली मनोहर मुंडे – हेलो मैडम मेरा नाम M M MUNDE , मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना काम (अपना हाथ बड़ा के) बबल गम, लीजिए ना मैडम एक प्लीज
संध्या – (हल्का मुस्कुरा के बबल गम लेते हुए) शुक्रिया
शनाया – अच्छा मुरली जी आप आज से क्लासेज शुरू कर दीजिए अपनी
मुरली मनोहर मुंडे – ठीक है मैडम
बोल के मुंडे चला गया क्लासेज लेने अपनी उसके जाते ही शनाया बोली...
शनाया – एक से एक बंदे देखने को मिल रहे है पहले दिन ही मुझे
संध्या – (हस्ते हुए) जैस ये बबल गम वाले (बोल के दोनो साथ हसने लगे फिर संध्या बोली) अच्छा आप अपना ऑफिस संभालिए अगर कोई भी दिक्कत या जरूरत पड़े बताईयेगा...
बोल के संध्या चली गई इस तरफ क्लास में राज के आते ही अभय के बगल में बैठ गया साथ ही बगल वाली सीट पर राजू , लल्ला बैठे थे...
तीनों ने एक साथ – क्या हुआ प्रिंसिपल रूम में
राज – कुछ खास नही बस हाल चाल पूछने के लिए बुलाया था भाई
अभय – अबे सही से बता क्या हुआ वहा पर
राज – आज फर्स्ट टाइम है इसीलिए वार्निंग दे के छोड़ दिया है
अभय – चलो अच्छी बात हुई ये तो
राज – यार कॉन है वो क्या नाम है उसका कैसे पता करू
अभय – चांदनी नाम है उनका वो मेरी बहन है
राज – अरे वाह इसे बोलते है बगल में छोरा शहर में ढिंढोरा , अब तो बन गया काम मेरा
अभय – क्या मतलब है तेरा...
इससे पहले राज बोल्ट तभी टीचर आ गए पढ़ाने तब राज बोला...
राज – छुट्टी के बाद तुझे कॉल करूंगा भाई...
कुछ समय के बाद कॉलेज के खतम होते ही सब निकल गए अपने अपने घर की तरफ चांदनी हवेली जा रही थी तभी रास्ते में किसी ने उसे पुकारा जिसे देख चांदनी हैरानी से देख बोली...8
चांदनी – (हैरानी से) चीफ आप यहां पर इस तरह खुलेआम आप ने बोला था जरूरत पड़ने पर आप कॉल करेगे लेकिन..
चीफ – (बीच में बात काट के) लेकिन तुम्हारे भाई ने मुझे मजबूर कर दिया मुझे इसीलिए मुझे तुरंत मिलना पड़ा तुमसे
चांदनी – ऐसा क्या किया अभय ने
चीफ – अभय ने वो किया जो कोई नही कर पाया आज तक हा अगर मैने तुम्हे बताए तो शायद अभय की खैर नहीं लेकिन जो काम किया वो भी काबिले तारीफ है
चांदनी – अभय ने ऐसा क्या कर दिया तारीफ का काम बताईये तो सही
चीफ – कल रात में अभय खंडर में गया था अकेला
चांदनी –(चिल्ला के) क्या ये कैसे हो...
चीफ – (चुप रहने का इशारा करते हुए) अब समझ आया मै क्यों खुले आम मिलने आया तुमसे यही वजह है
चांदनी – I M SORRY CHIEF लेकिन अभय उस खंडर में क्यों गया था
चीफ – ये तो पता नही मुझे लेकिन एक बात और है अभय के जाने के बाद एक लड़का और भी गया था उस खंडर में
चांदनी – एक और लड़का वो कॉन है
चीफ – (हस्ते हुए) वही तुम्हारा दीवाना राज
चांदनी – (हैरानी से) वो वहा क्या कर रहा था
चीफ – शायद तुम्हे पता नही है राज और अभय बचपन के दोस्त है जब अभय खंडर में गया था उसके कुछ मिनट के बाद राज भी गया था और जानती हो अगले 2 घंटे बाद वो दोनो खंडर से तेजी से भागते हुए निकले थे भूत भूत चिल्लाते हुए
चांदनी – भूत चिल्लाते हुए भागे दोनो
चीफ – हा है ना अजीब बात ये
चांदनी –(गुस्से में) आज मैं अभय को छोड़ऊ गि नही उसकी हिम्मत कैसे हुई वहा जाने की
चीफ – अपने गुस्से में एक बात भूल रही हो तुम चांदनी
चांदनी – चीफ आपने ही कहा था आपके चार ट्रेंड ऑफिसर गए थे उस खंडर में जिनका आज तक पता नही चला जिंदा है या मर गए अब अभय वहा गया वो भी बिना मुझ से सलाह किए इसमें गुस्सा नही आएगा तो क्या करू मैं
चीफ – अब ध्यान से सुनो बात मेरी अभय वहा से सही सलामत जिंदा निकल के आया है वो भी अपने दोस्त के साथ वो भी पूरे 2 घंटे बाद तुम समझ रही हो मेरी बात का मतलब
चांदनी – (अपने सर पे हाथ रखके) ओह अब समझ आ गया चीफ इसका मतलब अभय जरूर वहा तक गया होगा जहा तक कोई नही जा पाया हो लेकिन ये भूत वाला क्या चक्कर है
चीफ – यही बात तो मुझे भी समझ नही आ रही है , तुम अभय से बात करना लेकिन जरा होशियारी से मुझे नही लगता वो तुम्हे इतनी आसानी से बात बताएगा जरूर कुछ तो ऐसा देखा होगा खंडर में उसने जो हमारे काम आ जाए बात पता करो तुम
चांदनी – चीफ मुझे कुछ सामान चाहिए साथ ही मुझे ये जानना है की दस साल पहले ऐसी क्या वजह थी जिसके चलते पुलिस में रिपोर्ट नहीं हुई , किसने और किसके कहने पर ये हुआ था और वो लाश किसकी थी जिसे अभय बताया गया था
चीफ – चांदनी ये काम रमन ठाकुर का नही हो सकता है इसमें और भी लोग शामिल है क्योंकि ठाकुर मनन सिंह की किसी से दुश्मनी नहीं रही है कभी लेकिन ठाकुर रतन सिंह की थी दुश्मनी कुछ लोगो से अब सवाल ये है की वो दुश्मन कॉन हो सकता है
चांदनी – आपने आज तक ठाकुर सुनैना सिंह का पता नही लगाया चीफ वो कहा है जिंदा है भी या नहीं आखिर वो गायब क्यों हुई थी या उन्हें गायब किया गया था
चीफ – यही पहेली सुलझ नही पाई है आज तक आखिर ऐसा क्या हुआ होगा उस वक्त , खेर तुम जाओ जरूरत पड़ी मै कॉल करूंगा तुम्हे...
इतना बोल के चीफ और चांदनी निकल गए अपने अपने रास्ते इधर संध्या हवेली में चांदनी के आने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी जैसे ही चांदनी हवेली ए आते ही अपने कमरे में जाने लगी तभी संध्या ने इशारे से अपने कमरे में बुला लिया चांदनी के कमरे में जाते ही संध्या बोली...
संध्या – चांदनी वो क्या तुम अभी खाली हो
चांदनी – क्या बात है आप कुछ जल्दी में लग रही हो सब ठीक है ना
संध्या – हा सब ठीक है चांदनी वो दरसल मैने तुमसे कल कहा था ना बाइक के लिए
चांदनी –(हस्ते हुए) अच्छा ये बात है आपने मंगवा ली क्या
संध्या – हा आने वाली है इसीलिए...
चांदनी – (मुस्कुरा के) आप बिलकुल टेंशन फ्री रहीए और डिलेवरी वाले को शाम में बोलिए आने का अभी दिन का वक्त है अभय हॉस्टल में आराम कर रहा होगा खाना खा के
संध्या – अरे हा मैं भूल गई थी ठीक है मैं अभी बोल देती हू
चांदनी – ठीक है
शनाया – तुम आ गई काफी देर लगा दी आने में
चांदनी – हा गांव के हरे भरे खेत देखते हुए आ रही थी वक्त का पता नही चला
शनाया – हा ये बात सही कही तुमने गांव के हरे भरे खेतो का नजारा बेहद खूब सूरत होता है स्वर्ग की तरह खेर तुम फ्रेश होके तयार हो जाओ खाने का वक्त हो गया है...
कुछ देर में सब खाने की टेबल में साथ में बैठे थे तब अमन बोला...
अमन –(संधा से) बड़ी मां आपने आज उस राज को कॉलेज से बाहर क्यों नही निकलवा दिया किस तरह से खुले आम कॉलेज की टीचर में छेड़ रहा था
मालती और ललिता एक साथ – क्या कॉन राज और किसे छेड़ रहा था वो
अमन – (चांदनी की तरफ इशारा करके) इनको छेड़ रहा था वो..
जहा अमन की बात सुनते ही शनाया और संध्या को हसी आने लगी दिन की बात सोच के वही चांदनी को देख के साफ पता चल रहा था कितनी गुस्से में है इस वक्त चांदनी को देख संध्या बोली...
संध्या – (मुस्कुरा के हैंडनी के हाथ में अपना हाथ रख अमन से बोली) गलतियों तो हर किसी से होती रहती है कोई पकड़ा जाता है तो कोई खुद बच के दूसरो को फसा के हस्ता है
अमन – लेकिन कॉलेज की टीचर से इस तेरह से...
संध्या – (बीच में) चुप चाप खाना खाओ अपना कॉलेज की बात कॉलेज में घर में फालतू की बाते नही करनी है मुझे...
इतना बोल संध्या ने चांदनी को आंख से इशारा करके खाना खाने के लिए बोला वही आज अमन को करारा जवाब मिलते ही उसका मू बन गया लेकिन इस बात से आज मालती मुस्कुरा उठी जाने क्या सोच के ऐसा किया उसने खाने के बाद सब कमरे में गए आराम करने तब शनाया बोली चांदनी से...
शनाया – वैसे लड़का अच्छा है वो
चांदनी – (चौक के) क्यों किसकी बात कर रहे हो आप
शनाया – उसी लड़के की जिसने तुम्हारे लिए गाना गाया
चांदनी – आप भी ना मैडम वो बस...
शनाया – उसने जो भी गया और जो भी बोला दिल से किया है चांदनी इसीलिए बोला मैने वो अच्छा लड़का है अपने बारे में भी तो सोचो तुम क्या पता शायद यही वो हो जिसकी तुम्हे तलाश हो सोच के देखो..
चांदनी हल्की स्माइल करके के बेड में लेट गई जबकि इस तरफ अभय हॉस्टल में आ राम कर रहा था तभी उसके मोबाइल में कॉल आया जिसे देख कॉल रिसीव कर के...
अभय – हा भाई बता क्या बात है
राज –
आखों की गहराई को समझ नही सकते , होठों से कुछ कह नहीं सकते , कैसे बया करे हम आपको यह दिल का हाल की , तुम्ही हो जिसके बगैर हम रह नही सकते
अभय – अबे गलत नंबर मिला दिया तूने भाई सही नंबर डायल करके वहा बोल दिल का हल
राज – अबे सुन तो सही यार नंबर सही मिलाया है मैने तू बस ये बता कैसे लगी ये शायरी मस्त है ना तेरी दीदी को पसंद आएगी ना
अभय – क्या मतलब है तेरा मेरी बहन को पटाने के लिए मेरे से.....पगला गया है क्या बे तू जानता है वो क्या है
राज –
यार न हीरो की तमन्ना है और ना पारियों पर मरता हू
वो एक भोली सी लड़की है
जिसे मैं मोहोबत करता हू
अभय – सच सच बता किस लिए कॉल किया है मुझे
राज – भाई नंबर देदे ना अपनी बहन का उसके बाद तुझे डिस्टर्ब के बजाय डायरेक्ट उसे शायरी मैसेज कर दिया करूगा प्लीज
अभय – और अगर दीदी को पता चल गया नंबर मैने दिया है तो मैं नही बचूगा
राज – यार अपने बचपन के दोस्त के लिए इतना भी नही कर सकता है क्या भाई
अभय – एक कम कर कल कॉलेज में मिलेगी दीदी से उनसे लेलेना नंबर
राज – यार उसे देखते ही दिल अपने आप गाना गाने लगता है नंबर कैसे मांगूगा उससे
अभय – देख भाई ये तेरी परेशानी है मेरी नही अब तू खुद सोच ले क्या और कैसे करना हु
राज – अच्छा अब तू मुझ से ऐसे बात करेगा ठीक हू साले
अभय – ओए क्या बोला बे
राज – सही सुना तूने साले साले साले तेरी बहन से शादी होने के बाद तू साला ही बनेगा मेरा अभी से साले सुनने की प्रैक्टिस डाल ले तू
अभय – (जोर से हस्ते हुए) देख ले भाई देख ले दिन के ख्वाब कभी सच नही होते है
राज – अबे दिन क्या अब तो सुबह शाम उसी के ख्वाब देखूगा साले (जोर से हस्ते हुए कॉल कट कर दिया)
अभय – हेलो हेलो कॉल काट दिया..
बोल के बेड में सो गया शाम को सायरा के जागने पर नीद खुली अभय की उठते ही...
अभय – कैसे हो मैडम
सायरा – में तो अच्छी हू तुम बताओ जरा अपने हाल चाल
अभय – क्या बात है आज मेरे हाल चल लिए जा रहे है बात क्या है आखिर
सायरा –(अपने हाथ में बंदूक दिखाते हुए) जरा बताओ तो ये किसकी बंदूक है
अभय –(सायरा के हाथ अपनी बंदूक देख) ये तुम्हे कहा से मिली
सायरा – यही बेड पर तुम्हारे बिस्तर के नीचे आखिर तुम्हे बंदूक की जरूरत क्यों है अभय वो भी हाई टेक्नोलॉजी की गन कहा से आए ये तुम्हारे पास
अभय – ये गन मुझे KINGने दी है
सायरा – कॉन से KINGकी बात कर रहे हो तुम
अभय – (देखता रहा सायरा को)
सायरा –(अभय के गौर से देखने को समझ के) नही तुम मजाक कर रहे हो भला KINGतुम्हे बंदूक क्यों देगा
अभय – तो सोचो जरा हाई टेक्नोलॉजी की ये गन मेरे पास कहा से आई जबकि ये INDIAN भी नही है
सायरा – इसका मतलब तुमने KINGको देखा है हैना
अभय – हा देखा है मैने
सायरा – तो तुमने चांदनी को क्यों नही बताया
अभय – देखो सायरा तुम दोस्त हो मेरी मैने अगर दीदी को नही बताया है इसका मतलब तुम समझ सकती हो बात को
सायरा – लेकिन अभय...
अभय –(बीच में बात काटते हुए) सायरा दोस्ती के नाते मैने तुमसे कुछ नही छिपाया अब तुम्हारी मर्जी है तुम मेरा विश्वास तोड़ो या बना के रखो ये तुम पर है
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जारी रहेगा![]()
Mast update bhaiUPDATE 25
अगली सुबह अभय और राज उठ गए राज अपने घर चला गया तयार होने के लिए इधर अभय भी तयार होके निकल गया कॉलेज की तरफ राज और अभय एक साथ कॉलेज में आते ही राजू और लल्ला मिले...
राजू – (अभय और राज से) क्या बात है आज तुम दोनों कॉलेज एक साथ आ रहे हो
राज – हा यार कल हम दोनो रात में खंडर में गए थे
लल्ला – (चौक के) क्या तुम दोनो फिर क्या हुआ
अभय – (अपने मोबाइल में वीडियो प्ले कर के दिखाते हुए दोनो को) फिर ये हुआ
राजू और लल्ला दोनो ने वीडियो देख के जोर से हसने लगे दोनों को हस्त देख राज बोला..
राज – अबे पगला गए हो क्या ऐसे कहे हस रहे हो दोनो बे
राजू – (हस्ते हुए) अबे हसी नही रुक हसी और तू बोल रहा है हस क्यों रहे हो
अभय –(हैरानी से) ऐसी क्या बात है जो तुम दोनो की हसी नही रुक रही है
राजू – (राज से) अभय का समझ आता है लेकिन तू कैसे भूल गया बे
राज – मैं क्या भूल गया बे सही से बात बता पहेली मत भुजा
लल्ला – अबे ये पुतला है तमाशा दिखाने वालो का
अभय – तुझे कैसे पता ये पुतला है मैने तो बताया नहीं ये पुतला है
राजू – अभय शायद तुझे पता न हो यहां हर साल कुल देवी के मंदिर में मेला लगता है वहा पे बंजारे हर साल कुछ ना कुछ नया करते है जड़ी बूटियों की दवा , मिट्टी के खिलौने , पुतलो का तमाशा घरेलू सामान सब लाते है हर साल और ये पुतला इसका इस्तमाल करके तमाशा में कहानी बनाके से सुनाते है यार...
राजू की बात सुन अभय और राज एक दूसरे को देखने लगे...
अभय – मतलब बंजारो में से कोई उस खंडर में है लेकिन उनका वहा क्या काम हो सकता है
राज – ये भी हो सकता है किसी ने वो पुतला बंजारो से लेलिया हो
राजू – साला तुम दोनो का दिमाग लगता है खिसक गया है जरूरत क्या थी तुम दोनो को अकेले जाने की उस खंडर में हमे भी साथ ले चलते आखिर क्या पता चला ये तो बताओ
राज – (खंडर में जो हुआ सब बता दिया बोला) यार ये अभय बात सुने तब तो
लल्ला – ऐसी क्या बात थी जो अभय सुनने को तयार नही था
फिर राज ने जो बात हुई दिन में वो बताया जिसे सुनने के बाद राजू बोला...
राजू – देख अभय तू यहां नही था , 10 साल बाद वापस आया है तू तेरे पीठ पीछे यहां क्या हुआ तुझे इसका अंदाजा तक नही है और तू अपनी मां के लिए ऐसी बात कर रहा है कम से कम बोलने से पहले सोच के बोला कर तू
अभय – देख यार मुझे इस बारे में अब कोई बात नही करनी है वो अपनी जिदंगी में खुश है और मैं अपनी अब मुझे कोई मतलब नहीं वो क्या करती है क्या नही मुझे कोई लेने देना नही उससे
राज –( बीच में) चल जाने दे यार वो देख पायल आ रही है तू जाके बात कर उससे
पायल का नाम सुनते ही अभय उस तरफ चला गया अभय के जाते ही राज ने राजू और लल्ला को वो बात बताई जो अपनी मां को बताई जिसे सुनने के बाद राजू बोला...
राजू – तो तूने अभय को क्यों नही बताया बे
राज – यहीं बात मां ने बोली थी मुझे लेकिन यार मैं क्या करता अभय कुछ सुनने को राजी नही है मैं क्या करू
राजू – मैं पहले से बोलता आया हू ये साला रमन ठाकुर एक नंबर का हरामी आदमी है दादा ठाकुर के नाम को खराब कर रहा है अपनी नीच हरकत से लेकिन ये सरपंच की बीवी का समझ नही आया मुझे रमन ठाकुर के साथ इस तरह
राज – सरपंच की तरह उसकी पत्नी भी पालतू है रमन ठाकुर की
लल्ला – (कॉलेज गेट देखते हुए) ये क्या चमत्कार है यार आज अमन ठाकुर पैदल आ रहे है कॉलेज में
राजू और राज दोनो कॉलेज गेट देख के हैरान हो जाते है...
राजू – हा यार आज ये अमनवा पैदल आ रहा है
राज – कही टायर पंचर तो नही हो गया बाइक का..
बोल कर तीनों हसने लगते है जोर से जिसे अमन कॉलेज में आते हुए देखता है जबकि इस तरफ अभय जाता है पायल के पास जो अपनी सहेली नूर और नीलम के साथ बाते कर रही थी अपनी तरफ अभय को आते देख नीलम बोली...
नीलम – (पायल से) वो देख तेरा दीवाना आ रहा है इस तरफ
नूर – (अभय को देख के) बड़ा जिगरा है इसमें जिसके पीछे अमन ठाकुर दीवाना है उसी पे लाइन मार रहा है ये मानना पड़ेगा इसे
पायल – ऐसा कुछ नही है यार तुम दोनो भी ना
इससे पहले पायल आगे कुछ बोलती अभय पास आके बोला..
अभय – कैसी हो पायल मैने सुना काकी की तबियत खराब थी कल अब कैसी है काकी
पायल – मैं अच्छी हू और मां अब ठीक है ( नूर और नीलम को देख के) ये मेरी सहेली है नूर और नीलम
अभय – हेल्लो कैसे हो आप दोनो
नूर और नीलम – अच्छे है हम भी
नीलम – आपने तो गांव में आते ही कमाल कर दिया हर कोई बस आपकी तारीफ करता है जब से आपने गांव वालो को उनकी जमीन दिलवाई है
अभय – मैने ऐसा कुछ नही किया मैं तो सिर्फ पेड़ काटने की खिलाफ था (पायल) चलो क्लास का वक्त हो रहा है चलते है..
बोल के पायल के साथ चलने लगा साथ में नूर और नीलम भी चलते हुए आ गए राज , राजू और लल्ला के पास आते ही अभय बोला...
अभय –क्या बात है तुमलोग इतना हस क्यों रहे हो
राजू – आज हमारे अमन ठाकुर पैदल कॉलेज आए है बस तभी हसी आ रही है शायद टायर पंचर हो गया होगा...
बोल के सब हसने लगे साथ में जाने लगे क्लास में के तभी राज पीछे रुक गया किसी को देख के सब राज को आवाज देते रहे लेकिन राज तो कही खोया हुआ था
जब सबने राज की नजरो का पीछा किया तो देखा संध्या ठाकुर अपनी कार से आई हुई थी साथ में शनाया और चांदनी थी और राज सिर्फ चांदनी को आते हुए देख रहा था....
उसी वक्त कॉलेज का एक लड़का जिसका नाम अमित है वहा से गुजर रहा था जिसे राजू ने बुला के पूछा...
राजू – (अमित से) ओ अमित ये ठकुराइन के साथ ये दोनो लड़की कॉन है बे
अमित – पता नही यार इन दोनो को पहली बार देख रहा हू
अभय –(धीरे से बोला) दीदी
राजू और लल्ला ने सुन लिया जिसे दोनो ने अभय की तरफ देखा...
राजू –(धीरे से) दोनो तेरी दी
अभय –(धीरे से) अबे ये नही है वो है मेरी दीदी
राजू और लल्ला –(धीरे से अभय से) दीदी मतलब वो एनकाउंटर स्पेशलिस्ट
इस तरफ सामने से आती हुई साड़ी में चांदनी ने देखा एक लड़का सामने की तरफ जमीन में बैठ के उसे देखे जा रहा है जिसपे बिना ध्यान दिए चांदनी राज के बगल से निकली साथ ही उसकी साड़ी का पल्लू राज को छूते हुए निकले जिससे राज जमीन में गिरा
जबकि इस तरफ राजू और लल्ला की बात पर अभय ने सिर हिला के हा कहा जिसके बाद तीनों सिर्फआखें फाड़ के देखने लगे जबकि राज तो ऐसा खोया हुआ था जैसे कोई खजाना मिल गया हो ऐसी हालत थी उसकी और तभी राज के गाने की आवाज आई....
चांद मेरा दिल , चांदनी हो तुम
चांद से है दूर , चांदनी कहा
तब चांदनी पलट के वापस आई और बोली...
चांदनी – रैगिंग बराबर वालो के साथ करते है टीचर के साथ नही समझे मिस्टर
बोल के पलट के जाने लगी तभी फिर से राज के गाने की आवाज आई...
लौट के आना , है यही तुमको
जा रहे हो दूर , जाओ मेरी जान
गाना की आवाज सुन राज के सभी दोस्त अपना मू खोले उसे देखे जा दे थे वही चांदनी वापस आई राज से बोली..
चांदनी – (गुस्से में) 5 मिनट में प्रिंसिपल रूम में मिलो तुम
बोल के चांदनी चली गई जबकि थोड़ा दूर से ये नजारा देख शनाया बोली संध्या से...
शनाया – (संध्या से) ये कैसे स्टूडेंट्स है अपनी टीचर के साथ..
संध्या – (चौक के) सबके लिए नही कह सकती पर ये राज ऐसा नहीं है लेकिन आज इसको क्या हो आया है समझ नही आई बात
शनाया – कॉन राज
संध्या – वही जिसने अभी गाना गया चांदनी के लिए हमारे गांव का मशहूर शायर है ये
शनाया – (मुस्कुरा के) आप मेरा परिचय कराने के लिए आई थी यह पर लेकिन लगता है मुझे ये काम खुद करना होगा
बोल के संध्या और शनाया हस्ते हुए ऑफिस की तर्क चल दिए जबकि इस तरफ चांदनी के जाते ही सभी राज के पास आए...
पायल – ओहो तो जनाब को कोई लड़की पसंद आ गई तभी गाना गाने लगे
राजू – हा बे ये तो शायर से गवईया बन गया
अभय – क्या बोल के गई तेरे को
राज – (मुस्कुरा के) 5 में मिनट में बुलाया है अपने पास
सभी एक साथ – क्या
राज – अरे प्रिंसिपल ऑफिस में बुलाया है यार तुमलोग रुको मैं अभी आता हूं और इंतजार नही करा सकता उसको...
बोल के राज तुरंत दौड़ के चला गया प्रिंसिपल ऑफिस जबकि पीछे से सभी आवाज देते रहे उसे राज को इस तरह जाते देख पायल , नूर और नीलम तीनों हस्ते हुए कॉल्स में चले गए जबकि राजू , लल्ला और अभय आपस में बोले...
अभय – अब क्या होगा
लल्ला – आज ये पंडित तो गयोरे
राजू – यार मेरी बाई आंख भड़क रही है
इतना बोल के राजू कुछ इस तरह से इमेजिन करने लगा...
जबकि इस तरफ प्रिंसिपल ऑफिस में शनाया , संध्या और चांदनी बैठे थे तभी दरवाजे को खटखटाया किसी ने...
शनाया – कम इन
राज – (ऑफिस के अन्दर आते हुए) हेलो मैडम कैसे हो आप
शनाया – क्या नाम है आपका
राज – जी मेरा नाम राज शर्मा है
शनाया – तो मिस्टर शर्मा आप कॉलेज में अपनी टीचर्स के साथ ऐसा मजाक करते है
राज – मजाक मैने कब किया मैडम
शनाया – बाहर क्या कर रहे थे आप (चांदनी की तरफ इशारा करके) इन मैडम के साथ
राज – (पलटा के चांदनी को देखते हुए) ये टीचर है कमाल है इनको देख के लगता नही है
राज की बात सुन संध्या अपने सर नीचे करके धीरे से हसने लगी संध्या को देख शनाया को भी हसी आ गई राज की बात पर अपनी हसी कंट्रोल करके बोली...
शनाया – तो आपको क्या ये स्टूडेंट लगी
राज –(चांदनी को देख के बोला)
कुछ लम्हे पुराने लिख दू , कुछ नटखट तो कुछ शैतानी लिख दू
इजाजत दे के देखिए , आप पर एक कहानी लिख दू
राज की शायरी सुन के शनाया और संध्या एक दूसरे को देख के हल्का सा हसी वही चांदनी को हल्की हसी आई इससे पहले कुछ और बात होती संध्या ने शनाया को इशारा किया जिसके बाद शनाया बोली..
शनाया – ठीक है मिस्टर अब आप जा सकते है अपनी कॉल्स में और जो हुआ वो दुबारा ना हो आज पहला दिन है मेरा कॉलेज में और मैं नही चाहती किसी के साथ गलत करू
राज –(शनाया की बात सुन के) ओके मैडम
बोल के चांदनी को देखने लगा जिसे देख शनाया बोली..
शनाया – आपको क्लास नहीं जाना है क्या अपनी
राज –(अंजान बनते हुए) क्लास कॉन से क्लास मैडम
राज की बात सुन शनाया गुस्से में देखने लगी राज को जिसे देख राज तुरंत बोला...
राज – ओह हा मैडम सॉरी मैं अभी जाता हू..
बोल के राज भाग गया क्लास की तरफ उसके जाते ही पूछे से संध्या और शनाया जोर से हसने लगे जिसे सके चांदनी बोली...
चांदनी – आप एसे क्यों हस रहे है
संध्या – लगता है कॉलेज के पहले दिन ही तुम्हे तुम्हारा फेवरेट स्टूडेंट मिल गया है
चांदनी – आप भी ना ठकुराइन जी वो मजाक कर रहा होगा मुंह स्टूडेंट समझ के..
बोल के चांदनी चली गई क्लास की तरफ पीछे संध्या और शनाया बैठे थे ऑफिस में तभी किसी ने दरवाजा नॉक किया...
शनाया – कम इन
आदमी – हेलो मैडम
शनाया – हेलो जी आप कॉन
आदमी –(अपने फाइल देते हुए) जी मेरा ट्रांसफर हुआ कॉलेज में वैसे मैं कल आने वाला था लेकिन वो ट्रेन लेट हो गई मेरी इसीलिए आज ज्वाइन किया मैने
शनाया – ओह कोई बात नही स्वागत है आपका मिस्टर
आदमी – मुंडे , M M MUNDE , मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना काम (अपना हाथ बड़ा के) बबल गम, लीजिए ना मैडम एक प्लीज
शनाया – (बबल गम लेते हुए) शुक्रिया , और इनसे मिलिए इनका नाम संध्या ठाकुर है और ये है इस गांव की ठकुराइन के साथ ये कॉलेज भी इनका है
मुरली मनोहर मुंडे – हेलो मैडम मेरा नाम M M MUNDE , मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना काम (अपना हाथ बड़ा के) बबल गम, लीजिए ना मैडम एक प्लीज
संध्या – (हल्का मुस्कुरा के बबल गम लेते हुए) शुक्रिया
शनाया – अच्छा मुरली जी आप आज से क्लासेज शुरू कर दीजिए अपनी
मुरली मनोहर मुंडे – ठीक है मैडम
बोल के मुंडे चला गया क्लासेज लेने अपनी उसके जाते ही शनाया बोली...
शनाया – एक से एक बंदे देखने को मिल रहे है पहले दिन ही मुझे
संध्या – (हस्ते हुए) जैस ये बबल गम वाले (बोल के दोनो साथ हसने लगे फिर संध्या बोली) अच्छा आप अपना ऑफिस संभालिए अगर कोई भी दिक्कत या जरूरत पड़े बताईयेगा...
बोल के संध्या चली गई इस तरफ क्लास में राज के आते ही अभय के बगल में बैठ गया साथ ही बगल वाली सीट पर राजू , लल्ला बैठे थे...
तीनों ने एक साथ – क्या हुआ प्रिंसिपल रूम में
राज – कुछ खास नही बस हाल चाल पूछने के लिए बुलाया था भाई
अभय – अबे सही से बता क्या हुआ वहा पर
राज – आज फर्स्ट टाइम है इसीलिए वार्निंग दे के छोड़ दिया है
अभय – चलो अच्छी बात हुई ये तो
राज – यार कॉन है वो क्या नाम है उसका कैसे पता करू
अभय – चांदनी नाम है उनका वो मेरी बहन है
राज – अरे वाह इसे बोलते है बगल में छोरा शहर में ढिंढोरा , अब तो बन गया काम मेरा
अभय – क्या मतलब है तेरा...
इससे पहले राज बोल्ट तभी टीचर आ गए पढ़ाने तब राज बोला...
राज – छुट्टी के बाद तुझे कॉल करूंगा भाई...
कुछ समय के बाद कॉलेज के खतम होते ही सब निकल गए अपने अपने घर की तरफ चांदनी हवेली जा रही थी तभी रास्ते में किसी ने उसे पुकारा जिसे देख चांदनी हैरानी से देख बोली...8
चांदनी – (हैरानी से) चीफ आप यहां पर इस तरह खुलेआम आप ने बोला था जरूरत पड़ने पर आप कॉल करेगे लेकिन..
चीफ – (बीच में बात काट के) लेकिन तुम्हारे भाई ने मुझे मजबूर कर दिया मुझे इसीलिए मुझे तुरंत मिलना पड़ा तुमसे
चांदनी – ऐसा क्या किया अभय ने
चीफ – अभय ने वो किया जो कोई नही कर पाया आज तक हा अगर मैने तुम्हे बताए तो शायद अभय की खैर नहीं लेकिन जो काम किया वो भी काबिले तारीफ है
चांदनी – अभय ने ऐसा क्या कर दिया तारीफ का काम बताईये तो सही
चीफ – कल रात में अभय खंडर में गया था अकेला
चांदनी –(चिल्ला के) क्या ये कैसे हो...
चीफ – (चुप रहने का इशारा करते हुए) अब समझ आया मै क्यों खुले आम मिलने आया तुमसे यही वजह है
चांदनी – I M SORRY CHIEF लेकिन अभय उस खंडर में क्यों गया था
चीफ – ये तो पता नही मुझे लेकिन एक बात और है अभय के जाने के बाद एक लड़का और भी गया था उस खंडर में
चांदनी – एक और लड़का वो कॉन है
चीफ – (हस्ते हुए) वही तुम्हारा दीवाना राज
चांदनी – (हैरानी से) वो वहा क्या कर रहा था
चीफ – शायद तुम्हे पता नही है राज और अभय बचपन के दोस्त है जब अभय खंडर में गया था उसके कुछ मिनट के बाद राज भी गया था और जानती हो अगले 2 घंटे बाद वो दोनो खंडर से तेजी से भागते हुए निकले थे भूत भूत चिल्लाते हुए
चांदनी – भूत चिल्लाते हुए भागे दोनो
चीफ – हा है ना अजीब बात ये
चांदनी –(गुस्से में) आज मैं अभय को छोड़ऊ गि नही उसकी हिम्मत कैसे हुई वहा जाने की
चीफ – अपने गुस्से में एक बात भूल रही हो तुम चांदनी
चांदनी – चीफ आपने ही कहा था आपके चार ट्रेंड ऑफिसर गए थे उस खंडर में जिनका आज तक पता नही चला जिंदा है या मर गए अब अभय वहा गया वो भी बिना मुझ से सलाह किए इसमें गुस्सा नही आएगा तो क्या करू मैं
चीफ – अब ध्यान से सुनो बात मेरी अभय वहा से सही सलामत जिंदा निकल के आया है वो भी अपने दोस्त के साथ वो भी पूरे 2 घंटे बाद तुम समझ रही हो मेरी बात का मतलब
चांदनी – (अपने सर पे हाथ रखके) ओह अब समझ आ गया चीफ इसका मतलब अभय जरूर वहा तक गया होगा जहा तक कोई नही जा पाया हो लेकिन ये भूत वाला क्या चक्कर है
चीफ – यही बात तो मुझे भी समझ नही आ रही है , तुम अभय से बात करना लेकिन जरा होशियारी से मुझे नही लगता वो तुम्हे इतनी आसानी से बात बताएगा जरूर कुछ तो ऐसा देखा होगा खंडर में उसने जो हमारे काम आ जाए बात पता करो तुम
चांदनी – चीफ मुझे कुछ सामान चाहिए साथ ही मुझे ये जानना है की दस साल पहले ऐसी क्या वजह थी जिसके चलते पुलिस में रिपोर्ट नहीं हुई , किसने और किसके कहने पर ये हुआ था और वो लाश किसकी थी जिसे अभय बताया गया था
चीफ – चांदनी ये काम रमन ठाकुर का नही हो सकता है इसमें और भी लोग शामिल है क्योंकि ठाकुर मनन सिंह की किसी से दुश्मनी नहीं रही है कभी लेकिन ठाकुर रतन सिंह की थी दुश्मनी कुछ लोगो से अब सवाल ये है की वो दुश्मन कॉन हो सकता है
चांदनी – आपने आज तक ठाकुर सुनैना सिंह का पता नही लगाया चीफ वो कहा है जिंदा है भी या नहीं आखिर वो गायब क्यों हुई थी या उन्हें गायब किया गया था
चीफ – यही पहेली सुलझ नही पाई है आज तक आखिर ऐसा क्या हुआ होगा उस वक्त , खेर तुम जाओ जरूरत पड़ी मै कॉल करूंगा तुम्हे...
इतना बोल के चीफ और चांदनी निकल गए अपने अपने रास्ते इधर संध्या हवेली में चांदनी के आने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी जैसे ही चांदनी हवेली ए आते ही अपने कमरे में जाने लगी तभी संध्या ने इशारे से अपने कमरे में बुला लिया चांदनी के कमरे में जाते ही संध्या बोली...
संध्या – चांदनी वो क्या तुम अभी खाली हो
चांदनी – क्या बात है आप कुछ जल्दी में लग रही हो सब ठीक है ना
संध्या – हा सब ठीक है चांदनी वो दरसल मैने तुमसे कल कहा था ना बाइक के लिए
चांदनी –(हस्ते हुए) अच्छा ये बात है आपने मंगवा ली क्या
संध्या – हा आने वाली है इसीलिए...
चांदनी – (मुस्कुरा के) आप बिलकुल टेंशन फ्री रहीए और डिलेवरी वाले को शाम में बोलिए आने का अभी दिन का वक्त है अभय हॉस्टल में आराम कर रहा होगा खाना खा के
संध्या – अरे हा मैं भूल गई थी ठीक है मैं अभी बोल देती हू
चांदनी – ठीक है
शनाया – तुम आ गई काफी देर लगा दी आने में
चांदनी – हा गांव के हरे भरे खेत देखते हुए आ रही थी वक्त का पता नही चला
शनाया – हा ये बात सही कही तुमने गांव के हरे भरे खेतो का नजारा बेहद खूब सूरत होता है स्वर्ग की तरह खेर तुम फ्रेश होके तयार हो जाओ खाने का वक्त हो गया है...
कुछ देर में सब खाने की टेबल में साथ में बैठे थे तब अमन बोला...
अमन –(संधा से) बड़ी मां आपने आज उस राज को कॉलेज से बाहर क्यों नही निकलवा दिया किस तरह से खुले आम कॉलेज की टीचर में छेड़ रहा था
मालती और ललिता एक साथ – क्या कॉन राज और किसे छेड़ रहा था वो
अमन – (चांदनी की तरफ इशारा करके) इनको छेड़ रहा था वो..
जहा अमन की बात सुनते ही शनाया और संध्या को हसी आने लगी दिन की बात सोच के वही चांदनी को देख के साफ पता चल रहा था कितनी गुस्से में है इस वक्त चांदनी को देख संध्या बोली...
संध्या – (मुस्कुरा के हैंडनी के हाथ में अपना हाथ रख अमन से बोली) गलतियों तो हर किसी से होती रहती है कोई पकड़ा जाता है तो कोई खुद बच के दूसरो को फसा के हस्ता है
अमन – लेकिन कॉलेज की टीचर से इस तेरह से...
संध्या – (बीच में) चुप चाप खाना खाओ अपना कॉलेज की बात कॉलेज में घर में फालतू की बाते नही करनी है मुझे...
इतना बोल संध्या ने चांदनी को आंख से इशारा करके खाना खाने के लिए बोला वही आज अमन को करारा जवाब मिलते ही उसका मू बन गया लेकिन इस बात से आज मालती मुस्कुरा उठी जाने क्या सोच के ऐसा किया उसने खाने के बाद सब कमरे में गए आराम करने तब शनाया बोली चांदनी से...
शनाया – वैसे लड़का अच्छा है वो
चांदनी – (चौक के) क्यों किसकी बात कर रहे हो आप
शनाया – उसी लड़के की जिसने तुम्हारे लिए गाना गाया
चांदनी – आप भी ना मैडम वो बस...
शनाया – उसने जो भी गया और जो भी बोला दिल से किया है चांदनी इसीलिए बोला मैने वो अच्छा लड़का है अपने बारे में भी तो सोचो तुम क्या पता शायद यही वो हो जिसकी तुम्हे तलाश हो सोच के देखो..
चांदनी हल्की स्माइल करके के बेड में लेट गई जबकि इस तरफ अभय हॉस्टल में आ राम कर रहा था तभी उसके मोबाइल में कॉल आया जिसे देख कॉल रिसीव कर के...
अभय – हा भाई बता क्या बात है
राज –
आखों की गहराई को समझ नही सकते , होठों से कुछ कह नहीं सकते , कैसे बया करे हम आपको यह दिल का हाल की , तुम्ही हो जिसके बगैर हम रह नही सकते
अभय – अबे गलत नंबर मिला दिया तूने भाई सही नंबर डायल करके वहा बोल दिल का हल
राज – अबे सुन तो सही यार नंबर सही मिलाया है मैने तू बस ये बता कैसे लगी ये शायरी मस्त है ना तेरी दीदी को पसंद आएगी ना
अभय – क्या मतलब है तेरा मेरी बहन को पटाने के लिए मेरे से.....पगला गया है क्या बे तू जानता है वो क्या है
राज –
यार न हीरो की तमन्ना है और ना पारियों पर मरता हू
वो एक भोली सी लड़की है
जिसे मैं मोहोबत करता हू
अभय – सच सच बता किस लिए कॉल किया है मुझे
राज – भाई नंबर देदे ना अपनी बहन का उसके बाद तुझे डिस्टर्ब के बजाय डायरेक्ट उसे शायरी मैसेज कर दिया करूगा प्लीज
अभय – और अगर दीदी को पता चल गया नंबर मैने दिया है तो मैं नही बचूगा
राज – यार अपने बचपन के दोस्त के लिए इतना भी नही कर सकता है क्या भाई
अभय – एक कम कर कल कॉलेज में मिलेगी दीदी से उनसे लेलेना नंबर
राज – यार उसे देखते ही दिल अपने आप गाना गाने लगता है नंबर कैसे मांगूगा उससे
अभय – देख भाई ये तेरी परेशानी है मेरी नही अब तू खुद सोच ले क्या और कैसे करना हु
राज – अच्छा अब तू मुझ से ऐसे बात करेगा ठीक हू साले
अभय – ओए क्या बोला बे
राज – सही सुना तूने साले साले साले तेरी बहन से शादी होने के बाद तू साला ही बनेगा मेरा अभी से साले सुनने की प्रैक्टिस डाल ले तू
अभय – (जोर से हस्ते हुए) देख ले भाई देख ले दिन के ख्वाब कभी सच नही होते है
राज – अबे दिन क्या अब तो सुबह शाम उसी के ख्वाब देखूगा साले (जोर से हस्ते हुए कॉल कट कर दिया)
अभय – हेलो हेलो कॉल काट दिया..
बोल के बेड में सो गया शाम को सायरा के जागने पर नीद खुली अभय की उठते ही...
अभय – कैसे हो मैडम
सायरा – में तो अच्छी हू तुम बताओ जरा अपने हाल चाल
अभय – क्या बात है आज मेरे हाल चल लिए जा रहे है बात क्या है आखिर
सायरा –(अपने हाथ में बंदूक दिखाते हुए) जरा बताओ तो ये किसकी बंदूक है
अभय –(सायरा के हाथ अपनी बंदूक देख) ये तुम्हे कहा से मिली
सायरा – यही बेड पर तुम्हारे बिस्तर के नीचे आखिर तुम्हे बंदूक की जरूरत क्यों है अभय वो भी हाई टेक्नोलॉजी की गन कहा से आए ये तुम्हारे पास
अभय – ये गन मुझे KINGने दी है
सायरा – कॉन से KINGकी बात कर रहे हो तुम
अभय – (देखता रहा सायरा को)
सायरा –(अभय के गौर से देखने को समझ के) नही तुम मजाक कर रहे हो भला KINGतुम्हे बंदूक क्यों देगा
अभय – तो सोचो जरा हाई टेक्नोलॉजी की ये गन मेरे पास कहा से आई जबकि ये INDIAN भी नही है
सायरा – इसका मतलब तुमने KINGको देखा है हैना
अभय – हा देखा है मैने
सायरा – तो तुमने चांदनी को क्यों नही बताया
अभय – देखो सायरा तुम दोस्त हो मेरी मैने अगर दीदी को नही बताया है इसका मतलब तुम समझ सकती हो बात को
सायरा – लेकिन अभय...
अभय –(बीच में बात काटते हुए) सायरा दोस्ती के नाते मैने तुमसे कुछ नही छिपाया अब तुम्हारी मर्जी है तुम मेरा विश्वास तोड़ो या बना के रखो ये तुम पर है
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जारी रहेगा![]()
Awesome updateUPDATE 25
अगली सुबह अभय और राज उठ गए राज अपने घर चला गया तयार होने के लिए इधर अभय भी तयार होके निकल गया कॉलेज की तरफ राज और अभय एक साथ कॉलेज में आते ही राजू और लल्ला मिले...
राजू – (अभय और राज से) क्या बात है आज तुम दोनों कॉलेज एक साथ आ रहे हो
राज – हा यार कल हम दोनो रात में खंडर में गए थे
लल्ला – (चौक के) क्या तुम दोनो फिर क्या हुआ
अभय – (अपने मोबाइल में वीडियो प्ले कर के दिखाते हुए दोनो को) फिर ये हुआ
राजू और लल्ला दोनो ने वीडियो देख के जोर से हसने लगे दोनों को हस्त देख राज बोला..
राज – अबे पगला गए हो क्या ऐसे कहे हस रहे हो दोनो बे
राजू – (हस्ते हुए) अबे हसी नही रुक हसी और तू बोल रहा है हस क्यों रहे हो
अभय –(हैरानी से) ऐसी क्या बात है जो तुम दोनो की हसी नही रुक रही है
राजू – (राज से) अभय का समझ आता है लेकिन तू कैसे भूल गया बे
राज – मैं क्या भूल गया बे सही से बात बता पहेली मत भुजा
लल्ला – अबे ये पुतला है तमाशा दिखाने वालो का
अभय – तुझे कैसे पता ये पुतला है मैने तो बताया नहीं ये पुतला है
राजू – अभय शायद तुझे पता न हो यहां हर साल कुल देवी के मंदिर में मेला लगता है वहा पे बंजारे हर साल कुछ ना कुछ नया करते है जड़ी बूटियों की दवा , मिट्टी के खिलौने , पुतलो का तमाशा घरेलू सामान सब लाते है हर साल और ये पुतला इसका इस्तमाल करके तमाशा में कहानी बनाके से सुनाते है यार...
राजू की बात सुन अभय और राज एक दूसरे को देखने लगे...
अभय – मतलब बंजारो में से कोई उस खंडर में है लेकिन उनका वहा क्या काम हो सकता है
राज – ये भी हो सकता है किसी ने वो पुतला बंजारो से लेलिया हो
राजू – साला तुम दोनो का दिमाग लगता है खिसक गया है जरूरत क्या थी तुम दोनो को अकेले जाने की उस खंडर में हमे भी साथ ले चलते आखिर क्या पता चला ये तो बताओ
राज – (खंडर में जो हुआ सब बता दिया बोला) यार ये अभय बात सुने तब तो
लल्ला – ऐसी क्या बात थी जो अभय सुनने को तयार नही था
फिर राज ने जो बात हुई दिन में वो बताया जिसे सुनने के बाद राजू बोला...
राजू – देख अभय तू यहां नही था , 10 साल बाद वापस आया है तू तेरे पीठ पीछे यहां क्या हुआ तुझे इसका अंदाजा तक नही है और तू अपनी मां के लिए ऐसी बात कर रहा है कम से कम बोलने से पहले सोच के बोला कर तू
अभय – देख यार मुझे इस बारे में अब कोई बात नही करनी है वो अपनी जिदंगी में खुश है और मैं अपनी अब मुझे कोई मतलब नहीं वो क्या करती है क्या नही मुझे कोई लेने देना नही उससे
राज –( बीच में) चल जाने दे यार वो देख पायल आ रही है तू जाके बात कर उससे
पायल का नाम सुनते ही अभय उस तरफ चला गया अभय के जाते ही राज ने राजू और लल्ला को वो बात बताई जो अपनी मां को बताई जिसे सुनने के बाद राजू बोला...
राजू – तो तूने अभय को क्यों नही बताया बे
राज – यहीं बात मां ने बोली थी मुझे लेकिन यार मैं क्या करता अभय कुछ सुनने को राजी नही है मैं क्या करू
राजू – मैं पहले से बोलता आया हू ये साला रमन ठाकुर एक नंबर का हरामी आदमी है दादा ठाकुर के नाम को खराब कर रहा है अपनी नीच हरकत से लेकिन ये सरपंच की बीवी का समझ नही आया मुझे रमन ठाकुर के साथ इस तरह
राज – सरपंच की तरह उसकी पत्नी भी पालतू है रमन ठाकुर की
लल्ला – (कॉलेज गेट देखते हुए) ये क्या चमत्कार है यार आज अमन ठाकुर पैदल आ रहे है कॉलेज में
राजू और राज दोनो कॉलेज गेट देख के हैरान हो जाते है...
राजू – हा यार आज ये अमनवा पैदल आ रहा है
राज – कही टायर पंचर तो नही हो गया बाइक का..
बोल कर तीनों हसने लगते है जोर से जिसे अमन कॉलेज में आते हुए देखता है जबकि इस तरफ अभय जाता है पायल के पास जो अपनी सहेली नूर और नीलम के साथ बाते कर रही थी अपनी तरफ अभय को आते देख नीलम बोली...
नीलम – (पायल से) वो देख तेरा दीवाना आ रहा है इस तरफ
नूर – (अभय को देख के) बड़ा जिगरा है इसमें जिसके पीछे अमन ठाकुर दीवाना है उसी पे लाइन मार रहा है ये मानना पड़ेगा इसे
पायल – ऐसा कुछ नही है यार तुम दोनो भी ना
इससे पहले पायल आगे कुछ बोलती अभय पास आके बोला..
अभय – कैसी हो पायल मैने सुना काकी की तबियत खराब थी कल अब कैसी है काकी
पायल – मैं अच्छी हू और मां अब ठीक है ( नूर और नीलम को देख के) ये मेरी सहेली है नूर और नीलम
अभय – हेल्लो कैसे हो आप दोनो
नूर और नीलम – अच्छे है हम भी
नीलम – आपने तो गांव में आते ही कमाल कर दिया हर कोई बस आपकी तारीफ करता है जब से आपने गांव वालो को उनकी जमीन दिलवाई है
अभय – मैने ऐसा कुछ नही किया मैं तो सिर्फ पेड़ काटने की खिलाफ था (पायल) चलो क्लास का वक्त हो रहा है चलते है..
बोल के पायल के साथ चलने लगा साथ में नूर और नीलम भी चलते हुए आ गए राज , राजू और लल्ला के पास आते ही अभय बोला...
अभय –क्या बात है तुमलोग इतना हस क्यों रहे हो
राजू – आज हमारे अमन ठाकुर पैदल कॉलेज आए है बस तभी हसी आ रही है शायद टायर पंचर हो गया होगा...
बोल के सब हसने लगे साथ में जाने लगे क्लास में के तभी राज पीछे रुक गया किसी को देख के सब राज को आवाज देते रहे लेकिन राज तो कही खोया हुआ था
जब सबने राज की नजरो का पीछा किया तो देखा संध्या ठाकुर अपनी कार से आई हुई थी साथ में शनाया और चांदनी थी और राज सिर्फ चांदनी को आते हुए देख रहा था....
उसी वक्त कॉलेज का एक लड़का जिसका नाम अमित है वहा से गुजर रहा था जिसे राजू ने बुला के पूछा...
राजू – (अमित से) ओ अमित ये ठकुराइन के साथ ये दोनो लड़की कॉन है बे
अमित – पता नही यार इन दोनो को पहली बार देख रहा हू
अभय –(धीरे से बोला) दीदी
राजू और लल्ला ने सुन लिया जिसे दोनो ने अभय की तरफ देखा...
राजू –(धीरे से) दोनो तेरी दी
अभय –(धीरे से) अबे ये नही है वो है मेरी दीदी
राजू और लल्ला –(धीरे से अभय से) दीदी मतलब वो एनकाउंटर स्पेशलिस्ट
इस तरफ सामने से आती हुई साड़ी में चांदनी ने देखा एक लड़का सामने की तरफ जमीन में बैठ के उसे देखे जा रहा है जिसपे बिना ध्यान दिए चांदनी राज के बगल से निकली साथ ही उसकी साड़ी का पल्लू राज को छूते हुए निकले जिससे राज जमीन में गिरा
जबकि इस तरफ राजू और लल्ला की बात पर अभय ने सिर हिला के हा कहा जिसके बाद तीनों सिर्फआखें फाड़ के देखने लगे जबकि राज तो ऐसा खोया हुआ था जैसे कोई खजाना मिल गया हो ऐसी हालत थी उसकी और तभी राज के गाने की आवाज आई....
चांद मेरा दिल , चांदनी हो तुम
चांद से है दूर , चांदनी कहा
तब चांदनी पलट के वापस आई और बोली...
चांदनी – रैगिंग बराबर वालो के साथ करते है टीचर के साथ नही समझे मिस्टर
बोल के पलट के जाने लगी तभी फिर से राज के गाने की आवाज आई...
लौट के आना , है यही तुमको
जा रहे हो दूर , जाओ मेरी जान
गाना की आवाज सुन राज के सभी दोस्त अपना मू खोले उसे देखे जा दे थे वही चांदनी वापस आई राज से बोली..
चांदनी – (गुस्से में) 5 मिनट में प्रिंसिपल रूम में मिलो तुम
बोल के चांदनी चली गई जबकि थोड़ा दूर से ये नजारा देख शनाया बोली संध्या से...
शनाया – (संध्या से) ये कैसे स्टूडेंट्स है अपनी टीचर के साथ..
संध्या – (चौक के) सबके लिए नही कह सकती पर ये राज ऐसा नहीं है लेकिन आज इसको क्या हो आया है समझ नही आई बात
शनाया – कॉन राज
संध्या – वही जिसने अभी गाना गया चांदनी के लिए हमारे गांव का मशहूर शायर है ये
शनाया – (मुस्कुरा के) आप मेरा परिचय कराने के लिए आई थी यह पर लेकिन लगता है मुझे ये काम खुद करना होगा
बोल के संध्या और शनाया हस्ते हुए ऑफिस की तर्क चल दिए जबकि इस तरफ चांदनी के जाते ही सभी राज के पास आए...
पायल – ओहो तो जनाब को कोई लड़की पसंद आ गई तभी गाना गाने लगे
राजू – हा बे ये तो शायर से गवईया बन गया
अभय – क्या बोल के गई तेरे को
राज – (मुस्कुरा के) 5 में मिनट में बुलाया है अपने पास
सभी एक साथ – क्या
राज – अरे प्रिंसिपल ऑफिस में बुलाया है यार तुमलोग रुको मैं अभी आता हूं और इंतजार नही करा सकता उसको...
बोल के राज तुरंत दौड़ के चला गया प्रिंसिपल ऑफिस जबकि पीछे से सभी आवाज देते रहे उसे राज को इस तरह जाते देख पायल , नूर और नीलम तीनों हस्ते हुए कॉल्स में चले गए जबकि राजू , लल्ला और अभय आपस में बोले...
अभय – अब क्या होगा
लल्ला – आज ये पंडित तो गयोरे
राजू – यार मेरी बाई आंख भड़क रही है
इतना बोल के राजू कुछ इस तरह से इमेजिन करने लगा...
जबकि इस तरफ प्रिंसिपल ऑफिस में शनाया , संध्या और चांदनी बैठे थे तभी दरवाजे को खटखटाया किसी ने...
शनाया – कम इन
राज – (ऑफिस के अन्दर आते हुए) हेलो मैडम कैसे हो आप
शनाया – क्या नाम है आपका
राज – जी मेरा नाम राज शर्मा है
शनाया – तो मिस्टर शर्मा आप कॉलेज में अपनी टीचर्स के साथ ऐसा मजाक करते है
राज – मजाक मैने कब किया मैडम
शनाया – बाहर क्या कर रहे थे आप (चांदनी की तरफ इशारा करके) इन मैडम के साथ
राज – (पलटा के चांदनी को देखते हुए) ये टीचर है कमाल है इनको देख के लगता नही है
राज की बात सुन संध्या अपने सर नीचे करके धीरे से हसने लगी संध्या को देख शनाया को भी हसी आ गई राज की बात पर अपनी हसी कंट्रोल करके बोली...
शनाया – तो आपको क्या ये स्टूडेंट लगी
राज –(चांदनी को देख के बोला)
कुछ लम्हे पुराने लिख दू , कुछ नटखट तो कुछ शैतानी लिख दू
इजाजत दे के देखिए , आप पर एक कहानी लिख दू
राज की शायरी सुन के शनाया और संध्या एक दूसरे को देख के हल्का सा हसी वही चांदनी को हल्की हसी आई इससे पहले कुछ और बात होती संध्या ने शनाया को इशारा किया जिसके बाद शनाया बोली..
शनाया – ठीक है मिस्टर अब आप जा सकते है अपनी कॉल्स में और जो हुआ वो दुबारा ना हो आज पहला दिन है मेरा कॉलेज में और मैं नही चाहती किसी के साथ गलत करू
राज –(शनाया की बात सुन के) ओके मैडम
बोल के चांदनी को देखने लगा जिसे देख शनाया बोली..
शनाया – आपको क्लास नहीं जाना है क्या अपनी
राज –(अंजान बनते हुए) क्लास कॉन से क्लास मैडम
राज की बात सुन शनाया गुस्से में देखने लगी राज को जिसे देख राज तुरंत बोला...
राज – ओह हा मैडम सॉरी मैं अभी जाता हू..
बोल के राज भाग गया क्लास की तरफ उसके जाते ही पूछे से संध्या और शनाया जोर से हसने लगे जिसे सके चांदनी बोली...
चांदनी – आप एसे क्यों हस रहे है
संध्या – लगता है कॉलेज के पहले दिन ही तुम्हे तुम्हारा फेवरेट स्टूडेंट मिल गया है
चांदनी – आप भी ना ठकुराइन जी वो मजाक कर रहा होगा मुंह स्टूडेंट समझ के..
बोल के चांदनी चली गई क्लास की तरफ पीछे संध्या और शनाया बैठे थे ऑफिस में तभी किसी ने दरवाजा नॉक किया...
शनाया – कम इन
आदमी – हेलो मैडम
शनाया – हेलो जी आप कॉन
आदमी –(अपने फाइल देते हुए) जी मेरा ट्रांसफर हुआ कॉलेज में वैसे मैं कल आने वाला था लेकिन वो ट्रेन लेट हो गई मेरी इसीलिए आज ज्वाइन किया मैने
शनाया – ओह कोई बात नही स्वागत है आपका मिस्टर
आदमी – मुंडे , M M MUNDE , मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना काम (अपना हाथ बड़ा के) बबल गम, लीजिए ना मैडम एक प्लीज
शनाया – (बबल गम लेते हुए) शुक्रिया , और इनसे मिलिए इनका नाम संध्या ठाकुर है और ये है इस गांव की ठकुराइन के साथ ये कॉलेज भी इनका है
मुरली मनोहर मुंडे – हेलो मैडम मेरा नाम M M MUNDE , मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना काम (अपना हाथ बड़ा के) बबल गम, लीजिए ना मैडम एक प्लीज
संध्या – (हल्का मुस्कुरा के बबल गम लेते हुए) शुक्रिया
शनाया – अच्छा मुरली जी आप आज से क्लासेज शुरू कर दीजिए अपनी
मुरली मनोहर मुंडे – ठीक है मैडम
बोल के मुंडे चला गया क्लासेज लेने अपनी उसके जाते ही शनाया बोली...
शनाया – एक से एक बंदे देखने को मिल रहे है पहले दिन ही मुझे
संध्या – (हस्ते हुए) जैस ये बबल गम वाले (बोल के दोनो साथ हसने लगे फिर संध्या बोली) अच्छा आप अपना ऑफिस संभालिए अगर कोई भी दिक्कत या जरूरत पड़े बताईयेगा...
बोल के संध्या चली गई इस तरफ क्लास में राज के आते ही अभय के बगल में बैठ गया साथ ही बगल वाली सीट पर राजू , लल्ला बैठे थे...
तीनों ने एक साथ – क्या हुआ प्रिंसिपल रूम में
राज – कुछ खास नही बस हाल चाल पूछने के लिए बुलाया था भाई
अभय – अबे सही से बता क्या हुआ वहा पर
राज – आज फर्स्ट टाइम है इसीलिए वार्निंग दे के छोड़ दिया है
अभय – चलो अच्छी बात हुई ये तो
राज – यार कॉन है वो क्या नाम है उसका कैसे पता करू
अभय – चांदनी नाम है उनका वो मेरी बहन है
राज – अरे वाह इसे बोलते है बगल में छोरा शहर में ढिंढोरा , अब तो बन गया काम मेरा
अभय – क्या मतलब है तेरा...
इससे पहले राज बोल्ट तभी टीचर आ गए पढ़ाने तब राज बोला...
राज – छुट्टी के बाद तुझे कॉल करूंगा भाई...
कुछ समय के बाद कॉलेज के खतम होते ही सब निकल गए अपने अपने घर की तरफ चांदनी हवेली जा रही थी तभी रास्ते में किसी ने उसे पुकारा जिसे देख चांदनी हैरानी से देख बोली...8
चांदनी – (हैरानी से) चीफ आप यहां पर इस तरह खुलेआम आप ने बोला था जरूरत पड़ने पर आप कॉल करेगे लेकिन..
चीफ – (बीच में बात काट के) लेकिन तुम्हारे भाई ने मुझे मजबूर कर दिया मुझे इसीलिए मुझे तुरंत मिलना पड़ा तुमसे
चांदनी – ऐसा क्या किया अभय ने
चीफ – अभय ने वो किया जो कोई नही कर पाया आज तक हा अगर मैने तुम्हे बताए तो शायद अभय की खैर नहीं लेकिन जो काम किया वो भी काबिले तारीफ है
चांदनी – अभय ने ऐसा क्या कर दिया तारीफ का काम बताईये तो सही
चीफ – कल रात में अभय खंडर में गया था अकेला
चांदनी –(चिल्ला के) क्या ये कैसे हो...
चीफ – (चुप रहने का इशारा करते हुए) अब समझ आया मै क्यों खुले आम मिलने आया तुमसे यही वजह है
चांदनी – I M SORRY CHIEF लेकिन अभय उस खंडर में क्यों गया था
चीफ – ये तो पता नही मुझे लेकिन एक बात और है अभय के जाने के बाद एक लड़का और भी गया था उस खंडर में
चांदनी – एक और लड़का वो कॉन है
चीफ – (हस्ते हुए) वही तुम्हारा दीवाना राज
चांदनी – (हैरानी से) वो वहा क्या कर रहा था
चीफ – शायद तुम्हे पता नही है राज और अभय बचपन के दोस्त है जब अभय खंडर में गया था उसके कुछ मिनट के बाद राज भी गया था और जानती हो अगले 2 घंटे बाद वो दोनो खंडर से तेजी से भागते हुए निकले थे भूत भूत चिल्लाते हुए
चांदनी – भूत चिल्लाते हुए भागे दोनो
चीफ – हा है ना अजीब बात ये
चांदनी –(गुस्से में) आज मैं अभय को छोड़ऊ गि नही उसकी हिम्मत कैसे हुई वहा जाने की
चीफ – अपने गुस्से में एक बात भूल रही हो तुम चांदनी
चांदनी – चीफ आपने ही कहा था आपके चार ट्रेंड ऑफिसर गए थे उस खंडर में जिनका आज तक पता नही चला जिंदा है या मर गए अब अभय वहा गया वो भी बिना मुझ से सलाह किए इसमें गुस्सा नही आएगा तो क्या करू मैं
चीफ – अब ध्यान से सुनो बात मेरी अभय वहा से सही सलामत जिंदा निकल के आया है वो भी अपने दोस्त के साथ वो भी पूरे 2 घंटे बाद तुम समझ रही हो मेरी बात का मतलब
चांदनी – (अपने सर पे हाथ रखके) ओह अब समझ आ गया चीफ इसका मतलब अभय जरूर वहा तक गया होगा जहा तक कोई नही जा पाया हो लेकिन ये भूत वाला क्या चक्कर है
चीफ – यही बात तो मुझे भी समझ नही आ रही है , तुम अभय से बात करना लेकिन जरा होशियारी से मुझे नही लगता वो तुम्हे इतनी आसानी से बात बताएगा जरूर कुछ तो ऐसा देखा होगा खंडर में उसने जो हमारे काम आ जाए बात पता करो तुम
चांदनी – चीफ मुझे कुछ सामान चाहिए साथ ही मुझे ये जानना है की दस साल पहले ऐसी क्या वजह थी जिसके चलते पुलिस में रिपोर्ट नहीं हुई , किसने और किसके कहने पर ये हुआ था और वो लाश किसकी थी जिसे अभय बताया गया था
चीफ – चांदनी ये काम रमन ठाकुर का नही हो सकता है इसमें और भी लोग शामिल है क्योंकि ठाकुर मनन सिंह की किसी से दुश्मनी नहीं रही है कभी लेकिन ठाकुर रतन सिंह की थी दुश्मनी कुछ लोगो से अब सवाल ये है की वो दुश्मन कॉन हो सकता है
चांदनी – आपने आज तक ठाकुर सुनैना सिंह का पता नही लगाया चीफ वो कहा है जिंदा है भी या नहीं आखिर वो गायब क्यों हुई थी या उन्हें गायब किया गया था
चीफ – यही पहेली सुलझ नही पाई है आज तक आखिर ऐसा क्या हुआ होगा उस वक्त , खेर तुम जाओ जरूरत पड़ी मै कॉल करूंगा तुम्हे...
इतना बोल के चीफ और चांदनी निकल गए अपने अपने रास्ते इधर संध्या हवेली में चांदनी के आने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी जैसे ही चांदनी हवेली ए आते ही अपने कमरे में जाने लगी तभी संध्या ने इशारे से अपने कमरे में बुला लिया चांदनी के कमरे में जाते ही संध्या बोली...
संध्या – चांदनी वो क्या तुम अभी खाली हो
चांदनी – क्या बात है आप कुछ जल्दी में लग रही हो सब ठीक है ना
संध्या – हा सब ठीक है चांदनी वो दरसल मैने तुमसे कल कहा था ना बाइक के लिए
चांदनी –(हस्ते हुए) अच्छा ये बात है आपने मंगवा ली क्या
संध्या – हा आने वाली है इसीलिए...
चांदनी – (मुस्कुरा के) आप बिलकुल टेंशन फ्री रहीए और डिलेवरी वाले को शाम में बोलिए आने का अभी दिन का वक्त है अभय हॉस्टल में आराम कर रहा होगा खाना खा के
संध्या – अरे हा मैं भूल गई थी ठीक है मैं अभी बोल देती हू
चांदनी – ठीक है
शनाया – तुम आ गई काफी देर लगा दी आने में
चांदनी – हा गांव के हरे भरे खेत देखते हुए आ रही थी वक्त का पता नही चला
शनाया – हा ये बात सही कही तुमने गांव के हरे भरे खेतो का नजारा बेहद खूब सूरत होता है स्वर्ग की तरह खेर तुम फ्रेश होके तयार हो जाओ खाने का वक्त हो गया है...
कुछ देर में सब खाने की टेबल में साथ में बैठे थे तब अमन बोला...
अमन –(संधा से) बड़ी मां आपने आज उस राज को कॉलेज से बाहर क्यों नही निकलवा दिया किस तरह से खुले आम कॉलेज की टीचर में छेड़ रहा था
मालती और ललिता एक साथ – क्या कॉन राज और किसे छेड़ रहा था वो
अमन – (चांदनी की तरफ इशारा करके) इनको छेड़ रहा था वो..
जहा अमन की बात सुनते ही शनाया और संध्या को हसी आने लगी दिन की बात सोच के वही चांदनी को देख के साफ पता चल रहा था कितनी गुस्से में है इस वक्त चांदनी को देख संध्या बोली...
संध्या – (मुस्कुरा के हैंडनी के हाथ में अपना हाथ रख अमन से बोली) गलतियों तो हर किसी से होती रहती है कोई पकड़ा जाता है तो कोई खुद बच के दूसरो को फसा के हस्ता है
अमन – लेकिन कॉलेज की टीचर से इस तेरह से...
संध्या – (बीच में) चुप चाप खाना खाओ अपना कॉलेज की बात कॉलेज में घर में फालतू की बाते नही करनी है मुझे...
इतना बोल संध्या ने चांदनी को आंख से इशारा करके खाना खाने के लिए बोला वही आज अमन को करारा जवाब मिलते ही उसका मू बन गया लेकिन इस बात से आज मालती मुस्कुरा उठी जाने क्या सोच के ऐसा किया उसने खाने के बाद सब कमरे में गए आराम करने तब शनाया बोली चांदनी से...
शनाया – वैसे लड़का अच्छा है वो
चांदनी – (चौक के) क्यों किसकी बात कर रहे हो आप
शनाया – उसी लड़के की जिसने तुम्हारे लिए गाना गाया
चांदनी – आप भी ना मैडम वो बस...
शनाया – उसने जो भी गया और जो भी बोला दिल से किया है चांदनी इसीलिए बोला मैने वो अच्छा लड़का है अपने बारे में भी तो सोचो तुम क्या पता शायद यही वो हो जिसकी तुम्हे तलाश हो सोच के देखो..
चांदनी हल्की स्माइल करके के बेड में लेट गई जबकि इस तरफ अभय हॉस्टल में आ राम कर रहा था तभी उसके मोबाइल में कॉल आया जिसे देख कॉल रिसीव कर के...
अभय – हा भाई बता क्या बात है
राज –
आखों की गहराई को समझ नही सकते , होठों से कुछ कह नहीं सकते , कैसे बया करे हम आपको यह दिल का हाल की , तुम्ही हो जिसके बगैर हम रह नही सकते
अभय – अबे गलत नंबर मिला दिया तूने भाई सही नंबर डायल करके वहा बोल दिल का हल
राज – अबे सुन तो सही यार नंबर सही मिलाया है मैने तू बस ये बता कैसे लगी ये शायरी मस्त है ना तेरी दीदी को पसंद आएगी ना
अभय – क्या मतलब है तेरा मेरी बहन को पटाने के लिए मेरे से.....पगला गया है क्या बे तू जानता है वो क्या है
राज –
यार न हीरो की तमन्ना है और ना पारियों पर मरता हू
वो एक भोली सी लड़की है
जिसे मैं मोहोबत करता हू
अभय – सच सच बता किस लिए कॉल किया है मुझे
राज – भाई नंबर देदे ना अपनी बहन का उसके बाद तुझे डिस्टर्ब के बजाय डायरेक्ट उसे शायरी मैसेज कर दिया करूगा प्लीज
अभय – और अगर दीदी को पता चल गया नंबर मैने दिया है तो मैं नही बचूगा
राज – यार अपने बचपन के दोस्त के लिए इतना भी नही कर सकता है क्या भाई
अभय – एक कम कर कल कॉलेज में मिलेगी दीदी से उनसे लेलेना नंबर
राज – यार उसे देखते ही दिल अपने आप गाना गाने लगता है नंबर कैसे मांगूगा उससे
अभय – देख भाई ये तेरी परेशानी है मेरी नही अब तू खुद सोच ले क्या और कैसे करना हु
राज – अच्छा अब तू मुझ से ऐसे बात करेगा ठीक हू साले
अभय – ओए क्या बोला बे
राज – सही सुना तूने साले साले साले तेरी बहन से शादी होने के बाद तू साला ही बनेगा मेरा अभी से साले सुनने की प्रैक्टिस डाल ले तू
अभय – (जोर से हस्ते हुए) देख ले भाई देख ले दिन के ख्वाब कभी सच नही होते है
राज – अबे दिन क्या अब तो सुबह शाम उसी के ख्वाब देखूगा साले (जोर से हस्ते हुए कॉल कट कर दिया)
अभय – हेलो हेलो कॉल काट दिया..
बोल के बेड में सो गया शाम को सायरा के जागने पर नीद खुली अभय की उठते ही...
अभय – कैसे हो मैडम
सायरा – में तो अच्छी हू तुम बताओ जरा अपने हाल चाल
अभय – क्या बात है आज मेरे हाल चल लिए जा रहे है बात क्या है आखिर
सायरा –(अपने हाथ में बंदूक दिखाते हुए) जरा बताओ तो ये किसकी बंदूक है
अभय –(सायरा के हाथ अपनी बंदूक देख) ये तुम्हे कहा से मिली
सायरा – यही बेड पर तुम्हारे बिस्तर के नीचे आखिर तुम्हे बंदूक की जरूरत क्यों है अभय वो भी हाई टेक्नोलॉजी की गन कहा से आए ये तुम्हारे पास
अभय – ये गन मुझे KINGने दी है
सायरा – कॉन से KINGकी बात कर रहे हो तुम
अभय – (देखता रहा सायरा को)
सायरा –(अभय के गौर से देखने को समझ के) नही तुम मजाक कर रहे हो भला KINGतुम्हे बंदूक क्यों देगा
अभय – तो सोचो जरा हाई टेक्नोलॉजी की ये गन मेरे पास कहा से आई जबकि ये INDIAN भी नही है
सायरा – इसका मतलब तुमने KINGको देखा है हैना
अभय – हा देखा है मैने
सायरा – तो तुमने चांदनी को क्यों नही बताया
अभय – देखो सायरा तुम दोस्त हो मेरी मैने अगर दीदी को नही बताया है इसका मतलब तुम समझ सकती हो बात को
सायरा – लेकिन अभय...
अभय –(बीच में बात काटते हुए) सायरा दोस्ती के नाते मैने तुमसे कुछ नही छिपाया अब तुम्हारी मर्जी है तुम मेरा विश्वास तोड़ो या बना के रखो ये तुम पर है
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जारी रहेगा![]()
Awesome updateUPDATE 25
अगली सुबह अभय और राज उठ गए राज अपने घर चला गया तयार होने के लिए इधर अभय भी तयार होके निकल गया कॉलेज की तरफ राज और अभय एक साथ कॉलेज में आते ही राजू और लल्ला मिले...
राजू – (अभय और राज से) क्या बात है आज तुम दोनों कॉलेज एक साथ आ रहे हो
राज – हा यार कल हम दोनो रात में खंडर में गए थे
लल्ला – (चौक के) क्या तुम दोनो फिर क्या हुआ
अभय – (अपने मोबाइल में वीडियो प्ले कर के दिखाते हुए दोनो को) फिर ये हुआ
राजू और लल्ला दोनो ने वीडियो देख के जोर से हसने लगे दोनों को हस्त देख राज बोला..
राज – अबे पगला गए हो क्या ऐसे कहे हस रहे हो दोनो बे
राजू – (हस्ते हुए) अबे हसी नही रुक हसी और तू बोल रहा है हस क्यों रहे हो
अभय –(हैरानी से) ऐसी क्या बात है जो तुम दोनो की हसी नही रुक रही है
राजू – (राज से) अभय का समझ आता है लेकिन तू कैसे भूल गया बे
राज – मैं क्या भूल गया बे सही से बात बता पहेली मत भुजा
लल्ला – अबे ये पुतला है तमाशा दिखाने वालो का
अभय – तुझे कैसे पता ये पुतला है मैने तो बताया नहीं ये पुतला है
राजू – अभय शायद तुझे पता न हो यहां हर साल कुल देवी के मंदिर में मेला लगता है वहा पे बंजारे हर साल कुछ ना कुछ नया करते है जड़ी बूटियों की दवा , मिट्टी के खिलौने , पुतलो का तमाशा घरेलू सामान सब लाते है हर साल और ये पुतला इसका इस्तमाल करके तमाशा में कहानी बनाके से सुनाते है यार...
राजू की बात सुन अभय और राज एक दूसरे को देखने लगे...
अभय – मतलब बंजारो में से कोई उस खंडर में है लेकिन उनका वहा क्या काम हो सकता है
राज – ये भी हो सकता है किसी ने वो पुतला बंजारो से लेलिया हो
राजू – साला तुम दोनो का दिमाग लगता है खिसक गया है जरूरत क्या थी तुम दोनो को अकेले जाने की उस खंडर में हमे भी साथ ले चलते आखिर क्या पता चला ये तो बताओ
राज – (खंडर में जो हुआ सब बता दिया बोला) यार ये अभय बात सुने तब तो
लल्ला – ऐसी क्या बात थी जो अभय सुनने को तयार नही था
फिर राज ने जो बात हुई दिन में वो बताया जिसे सुनने के बाद राजू बोला...
राजू – देख अभय तू यहां नही था , 10 साल बाद वापस आया है तू तेरे पीठ पीछे यहां क्या हुआ तुझे इसका अंदाजा तक नही है और तू अपनी मां के लिए ऐसी बात कर रहा है कम से कम बोलने से पहले सोच के बोला कर तू
अभय – देख यार मुझे इस बारे में अब कोई बात नही करनी है वो अपनी जिदंगी में खुश है और मैं अपनी अब मुझे कोई मतलब नहीं वो क्या करती है क्या नही मुझे कोई लेने देना नही उससे
राज –( बीच में) चल जाने दे यार वो देख पायल आ रही है तू जाके बात कर उससे
पायल का नाम सुनते ही अभय उस तरफ चला गया अभय के जाते ही राज ने राजू और लल्ला को वो बात बताई जो अपनी मां को बताई जिसे सुनने के बाद राजू बोला...
राजू – तो तूने अभय को क्यों नही बताया बे
राज – यहीं बात मां ने बोली थी मुझे लेकिन यार मैं क्या करता अभय कुछ सुनने को राजी नही है मैं क्या करू
राजू – मैं पहले से बोलता आया हू ये साला रमन ठाकुर एक नंबर का हरामी आदमी है दादा ठाकुर के नाम को खराब कर रहा है अपनी नीच हरकत से लेकिन ये सरपंच की बीवी का समझ नही आया मुझे रमन ठाकुर के साथ इस तरह
राज – सरपंच की तरह उसकी पत्नी भी पालतू है रमन ठाकुर की
लल्ला – (कॉलेज गेट देखते हुए) ये क्या चमत्कार है यार आज अमन ठाकुर पैदल आ रहे है कॉलेज में
राजू और राज दोनो कॉलेज गेट देख के हैरान हो जाते है...
राजू – हा यार आज ये अमनवा पैदल आ रहा है
राज – कही टायर पंचर तो नही हो गया बाइक का..
बोल कर तीनों हसने लगते है जोर से जिसे अमन कॉलेज में आते हुए देखता है जबकि इस तरफ अभय जाता है पायल के पास जो अपनी सहेली नूर और नीलम के साथ बाते कर रही थी अपनी तरफ अभय को आते देख नीलम बोली...
नीलम – (पायल से) वो देख तेरा दीवाना आ रहा है इस तरफ
नूर – (अभय को देख के) बड़ा जिगरा है इसमें जिसके पीछे अमन ठाकुर दीवाना है उसी पे लाइन मार रहा है ये मानना पड़ेगा इसे
पायल – ऐसा कुछ नही है यार तुम दोनो भी ना
इससे पहले पायल आगे कुछ बोलती अभय पास आके बोला..
अभय – कैसी हो पायल मैने सुना काकी की तबियत खराब थी कल अब कैसी है काकी
पायल – मैं अच्छी हू और मां अब ठीक है ( नूर और नीलम को देख के) ये मेरी सहेली है नूर और नीलम
अभय – हेल्लो कैसे हो आप दोनो
नूर और नीलम – अच्छे है हम भी
नीलम – आपने तो गांव में आते ही कमाल कर दिया हर कोई बस आपकी तारीफ करता है जब से आपने गांव वालो को उनकी जमीन दिलवाई है
अभय – मैने ऐसा कुछ नही किया मैं तो सिर्फ पेड़ काटने की खिलाफ था (पायल) चलो क्लास का वक्त हो रहा है चलते है..
बोल के पायल के साथ चलने लगा साथ में नूर और नीलम भी चलते हुए आ गए राज , राजू और लल्ला के पास आते ही अभय बोला...
अभय –क्या बात है तुमलोग इतना हस क्यों रहे हो
राजू – आज हमारे अमन ठाकुर पैदल कॉलेज आए है बस तभी हसी आ रही है शायद टायर पंचर हो गया होगा...
बोल के सब हसने लगे साथ में जाने लगे क्लास में के तभी राज पीछे रुक गया किसी को देख के सब राज को आवाज देते रहे लेकिन राज तो कही खोया हुआ था
जब सबने राज की नजरो का पीछा किया तो देखा संध्या ठाकुर अपनी कार से आई हुई थी साथ में शनाया और चांदनी थी और राज सिर्फ चांदनी को आते हुए देख रहा था....
उसी वक्त कॉलेज का एक लड़का जिसका नाम अमित है वहा से गुजर रहा था जिसे राजू ने बुला के पूछा...
राजू – (अमित से) ओ अमित ये ठकुराइन के साथ ये दोनो लड़की कॉन है बे
अमित – पता नही यार इन दोनो को पहली बार देख रहा हू
अभय –(धीरे से बोला) दीदी
राजू और लल्ला ने सुन लिया जिसे दोनो ने अभय की तरफ देखा...
राजू –(धीरे से) दोनो तेरी दी
अभय –(धीरे से) अबे ये नही है वो है मेरी दीदी
राजू और लल्ला –(धीरे से अभय से) दीदी मतलब वो एनकाउंटर स्पेशलिस्ट
इस तरफ सामने से आती हुई साड़ी में चांदनी ने देखा एक लड़का सामने की तरफ जमीन में बैठ के उसे देखे जा रहा है जिसपे बिना ध्यान दिए चांदनी राज के बगल से निकली साथ ही उसकी साड़ी का पल्लू राज को छूते हुए निकले जिससे राज जमीन में गिरा
जबकि इस तरफ राजू और लल्ला की बात पर अभय ने सिर हिला के हा कहा जिसके बाद तीनों सिर्फआखें फाड़ के देखने लगे जबकि राज तो ऐसा खोया हुआ था जैसे कोई खजाना मिल गया हो ऐसी हालत थी उसकी और तभी राज के गाने की आवाज आई....
चांद मेरा दिल , चांदनी हो तुम
चांद से है दूर , चांदनी कहा
तब चांदनी पलट के वापस आई और बोली...
चांदनी – रैगिंग बराबर वालो के साथ करते है टीचर के साथ नही समझे मिस्टर
बोल के पलट के जाने लगी तभी फिर से राज के गाने की आवाज आई...
लौट के आना , है यही तुमको
जा रहे हो दूर , जाओ मेरी जान
गाना की आवाज सुन राज के सभी दोस्त अपना मू खोले उसे देखे जा दे थे वही चांदनी वापस आई राज से बोली..
चांदनी – (गुस्से में) 5 मिनट में प्रिंसिपल रूम में मिलो तुम
बोल के चांदनी चली गई जबकि थोड़ा दूर से ये नजारा देख शनाया बोली संध्या से...
शनाया – (संध्या से) ये कैसे स्टूडेंट्स है अपनी टीचर के साथ..
संध्या – (चौक के) सबके लिए नही कह सकती पर ये राज ऐसा नहीं है लेकिन आज इसको क्या हो आया है समझ नही आई बात
शनाया – कॉन राज
संध्या – वही जिसने अभी गाना गया चांदनी के लिए हमारे गांव का मशहूर शायर है ये
शनाया – (मुस्कुरा के) आप मेरा परिचय कराने के लिए आई थी यह पर लेकिन लगता है मुझे ये काम खुद करना होगा
बोल के संध्या और शनाया हस्ते हुए ऑफिस की तर्क चल दिए जबकि इस तरफ चांदनी के जाते ही सभी राज के पास आए...
पायल – ओहो तो जनाब को कोई लड़की पसंद आ गई तभी गाना गाने लगे
राजू – हा बे ये तो शायर से गवईया बन गया
अभय – क्या बोल के गई तेरे को
राज – (मुस्कुरा के) 5 में मिनट में बुलाया है अपने पास
सभी एक साथ – क्या
राज – अरे प्रिंसिपल ऑफिस में बुलाया है यार तुमलोग रुको मैं अभी आता हूं और इंतजार नही करा सकता उसको...
बोल के राज तुरंत दौड़ के चला गया प्रिंसिपल ऑफिस जबकि पीछे से सभी आवाज देते रहे उसे राज को इस तरह जाते देख पायल , नूर और नीलम तीनों हस्ते हुए कॉल्स में चले गए जबकि राजू , लल्ला और अभय आपस में बोले...
अभय – अब क्या होगा
लल्ला – आज ये पंडित तो गयोरे
राजू – यार मेरी बाई आंख भड़क रही है
इतना बोल के राजू कुछ इस तरह से इमेजिन करने लगा...
जबकि इस तरफ प्रिंसिपल ऑफिस में शनाया , संध्या और चांदनी बैठे थे तभी दरवाजे को खटखटाया किसी ने...
शनाया – कम इन
राज – (ऑफिस के अन्दर आते हुए) हेलो मैडम कैसे हो आप
शनाया – क्या नाम है आपका
राज – जी मेरा नाम राज शर्मा है
शनाया – तो मिस्टर शर्मा आप कॉलेज में अपनी टीचर्स के साथ ऐसा मजाक करते है
राज – मजाक मैने कब किया मैडम
शनाया – बाहर क्या कर रहे थे आप (चांदनी की तरफ इशारा करके) इन मैडम के साथ
राज – (पलटा के चांदनी को देखते हुए) ये टीचर है कमाल है इनको देख के लगता नही है
राज की बात सुन संध्या अपने सर नीचे करके धीरे से हसने लगी संध्या को देख शनाया को भी हसी आ गई राज की बात पर अपनी हसी कंट्रोल करके बोली...
शनाया – तो आपको क्या ये स्टूडेंट लगी
राज –(चांदनी को देख के बोला)
कुछ लम्हे पुराने लिख दू , कुछ नटखट तो कुछ शैतानी लिख दू
इजाजत दे के देखिए , आप पर एक कहानी लिख दू
राज की शायरी सुन के शनाया और संध्या एक दूसरे को देख के हल्का सा हसी वही चांदनी को हल्की हसी आई इससे पहले कुछ और बात होती संध्या ने शनाया को इशारा किया जिसके बाद शनाया बोली..
शनाया – ठीक है मिस्टर अब आप जा सकते है अपनी कॉल्स में और जो हुआ वो दुबारा ना हो आज पहला दिन है मेरा कॉलेज में और मैं नही चाहती किसी के साथ गलत करू
राज –(शनाया की बात सुन के) ओके मैडम
बोल के चांदनी को देखने लगा जिसे देख शनाया बोली..
शनाया – आपको क्लास नहीं जाना है क्या अपनी
राज –(अंजान बनते हुए) क्लास कॉन से क्लास मैडम
राज की बात सुन शनाया गुस्से में देखने लगी राज को जिसे देख राज तुरंत बोला...
राज – ओह हा मैडम सॉरी मैं अभी जाता हू..
बोल के राज भाग गया क्लास की तरफ उसके जाते ही पूछे से संध्या और शनाया जोर से हसने लगे जिसे सके चांदनी बोली...
चांदनी – आप एसे क्यों हस रहे है
संध्या – लगता है कॉलेज के पहले दिन ही तुम्हे तुम्हारा फेवरेट स्टूडेंट मिल गया है
चांदनी – आप भी ना ठकुराइन जी वो मजाक कर रहा होगा मुंह स्टूडेंट समझ के..
बोल के चांदनी चली गई क्लास की तरफ पीछे संध्या और शनाया बैठे थे ऑफिस में तभी किसी ने दरवाजा नॉक किया...
शनाया – कम इन
आदमी – हेलो मैडम
शनाया – हेलो जी आप कॉन
आदमी –(अपने फाइल देते हुए) जी मेरा ट्रांसफर हुआ कॉलेज में वैसे मैं कल आने वाला था लेकिन वो ट्रेन लेट हो गई मेरी इसीलिए आज ज्वाइन किया मैने
शनाया – ओह कोई बात नही स्वागत है आपका मिस्टर
आदमी – मुंडे , M M MUNDE , मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना काम (अपना हाथ बड़ा के) बबल गम, लीजिए ना मैडम एक प्लीज
शनाया – (बबल गम लेते हुए) शुक्रिया , और इनसे मिलिए इनका नाम संध्या ठाकुर है और ये है इस गांव की ठकुराइन के साथ ये कॉलेज भी इनका है
मुरली मनोहर मुंडे – हेलो मैडम मेरा नाम M M MUNDE , मुरली मनोहर मुंडे न ज्यादा ना काम (अपना हाथ बड़ा के) बबल गम, लीजिए ना मैडम एक प्लीज
संध्या – (हल्का मुस्कुरा के बबल गम लेते हुए) शुक्रिया
शनाया – अच्छा मुरली जी आप आज से क्लासेज शुरू कर दीजिए अपनी
मुरली मनोहर मुंडे – ठीक है मैडम
बोल के मुंडे चला गया क्लासेज लेने अपनी उसके जाते ही शनाया बोली...
शनाया – एक से एक बंदे देखने को मिल रहे है पहले दिन ही मुझे
संध्या – (हस्ते हुए) जैस ये बबल गम वाले (बोल के दोनो साथ हसने लगे फिर संध्या बोली) अच्छा आप अपना ऑफिस संभालिए अगर कोई भी दिक्कत या जरूरत पड़े बताईयेगा...
बोल के संध्या चली गई इस तरफ क्लास में राज के आते ही अभय के बगल में बैठ गया साथ ही बगल वाली सीट पर राजू , लल्ला बैठे थे...
तीनों ने एक साथ – क्या हुआ प्रिंसिपल रूम में
राज – कुछ खास नही बस हाल चाल पूछने के लिए बुलाया था भाई
अभय – अबे सही से बता क्या हुआ वहा पर
राज – आज फर्स्ट टाइम है इसीलिए वार्निंग दे के छोड़ दिया है
अभय – चलो अच्छी बात हुई ये तो
राज – यार कॉन है वो क्या नाम है उसका कैसे पता करू
अभय – चांदनी नाम है उनका वो मेरी बहन है
राज – अरे वाह इसे बोलते है बगल में छोरा शहर में ढिंढोरा , अब तो बन गया काम मेरा
अभय – क्या मतलब है तेरा...
इससे पहले राज बोल्ट तभी टीचर आ गए पढ़ाने तब राज बोला...
राज – छुट्टी के बाद तुझे कॉल करूंगा भाई...
कुछ समय के बाद कॉलेज के खतम होते ही सब निकल गए अपने अपने घर की तरफ चांदनी हवेली जा रही थी तभी रास्ते में किसी ने उसे पुकारा जिसे देख चांदनी हैरानी से देख बोली...8
चांदनी – (हैरानी से) चीफ आप यहां पर इस तरह खुलेआम आप ने बोला था जरूरत पड़ने पर आप कॉल करेगे लेकिन..
चीफ – (बीच में बात काट के) लेकिन तुम्हारे भाई ने मुझे मजबूर कर दिया मुझे इसीलिए मुझे तुरंत मिलना पड़ा तुमसे
चांदनी – ऐसा क्या किया अभय ने
चीफ – अभय ने वो किया जो कोई नही कर पाया आज तक हा अगर मैने तुम्हे बताए तो शायद अभय की खैर नहीं लेकिन जो काम किया वो भी काबिले तारीफ है
चांदनी – अभय ने ऐसा क्या कर दिया तारीफ का काम बताईये तो सही
चीफ – कल रात में अभय खंडर में गया था अकेला
चांदनी –(चिल्ला के) क्या ये कैसे हो...
चीफ – (चुप रहने का इशारा करते हुए) अब समझ आया मै क्यों खुले आम मिलने आया तुमसे यही वजह है
चांदनी – I M SORRY CHIEF लेकिन अभय उस खंडर में क्यों गया था
चीफ – ये तो पता नही मुझे लेकिन एक बात और है अभय के जाने के बाद एक लड़का और भी गया था उस खंडर में
चांदनी – एक और लड़का वो कॉन है
चीफ – (हस्ते हुए) वही तुम्हारा दीवाना राज
चांदनी – (हैरानी से) वो वहा क्या कर रहा था
चीफ – शायद तुम्हे पता नही है राज और अभय बचपन के दोस्त है जब अभय खंडर में गया था उसके कुछ मिनट के बाद राज भी गया था और जानती हो अगले 2 घंटे बाद वो दोनो खंडर से तेजी से भागते हुए निकले थे भूत भूत चिल्लाते हुए
चांदनी – भूत चिल्लाते हुए भागे दोनो
चीफ – हा है ना अजीब बात ये
चांदनी –(गुस्से में) आज मैं अभय को छोड़ऊ गि नही उसकी हिम्मत कैसे हुई वहा जाने की
चीफ – अपने गुस्से में एक बात भूल रही हो तुम चांदनी
चांदनी – चीफ आपने ही कहा था आपके चार ट्रेंड ऑफिसर गए थे उस खंडर में जिनका आज तक पता नही चला जिंदा है या मर गए अब अभय वहा गया वो भी बिना मुझ से सलाह किए इसमें गुस्सा नही आएगा तो क्या करू मैं
चीफ – अब ध्यान से सुनो बात मेरी अभय वहा से सही सलामत जिंदा निकल के आया है वो भी अपने दोस्त के साथ वो भी पूरे 2 घंटे बाद तुम समझ रही हो मेरी बात का मतलब
चांदनी – (अपने सर पे हाथ रखके) ओह अब समझ आ गया चीफ इसका मतलब अभय जरूर वहा तक गया होगा जहा तक कोई नही जा पाया हो लेकिन ये भूत वाला क्या चक्कर है
चीफ – यही बात तो मुझे भी समझ नही आ रही है , तुम अभय से बात करना लेकिन जरा होशियारी से मुझे नही लगता वो तुम्हे इतनी आसानी से बात बताएगा जरूर कुछ तो ऐसा देखा होगा खंडर में उसने जो हमारे काम आ जाए बात पता करो तुम
चांदनी – चीफ मुझे कुछ सामान चाहिए साथ ही मुझे ये जानना है की दस साल पहले ऐसी क्या वजह थी जिसके चलते पुलिस में रिपोर्ट नहीं हुई , किसने और किसके कहने पर ये हुआ था और वो लाश किसकी थी जिसे अभय बताया गया था
चीफ – चांदनी ये काम रमन ठाकुर का नही हो सकता है इसमें और भी लोग शामिल है क्योंकि ठाकुर मनन सिंह की किसी से दुश्मनी नहीं रही है कभी लेकिन ठाकुर रतन सिंह की थी दुश्मनी कुछ लोगो से अब सवाल ये है की वो दुश्मन कॉन हो सकता है
चांदनी – आपने आज तक ठाकुर सुनैना सिंह का पता नही लगाया चीफ वो कहा है जिंदा है भी या नहीं आखिर वो गायब क्यों हुई थी या उन्हें गायब किया गया था
चीफ – यही पहेली सुलझ नही पाई है आज तक आखिर ऐसा क्या हुआ होगा उस वक्त , खेर तुम जाओ जरूरत पड़ी मै कॉल करूंगा तुम्हे...
इतना बोल के चीफ और चांदनी निकल गए अपने अपने रास्ते इधर संध्या हवेली में चांदनी के आने का बेसब्री से इंतजार कर रही थी जैसे ही चांदनी हवेली ए आते ही अपने कमरे में जाने लगी तभी संध्या ने इशारे से अपने कमरे में बुला लिया चांदनी के कमरे में जाते ही संध्या बोली...
संध्या – चांदनी वो क्या तुम अभी खाली हो
चांदनी – क्या बात है आप कुछ जल्दी में लग रही हो सब ठीक है ना
संध्या – हा सब ठीक है चांदनी वो दरसल मैने तुमसे कल कहा था ना बाइक के लिए
चांदनी –(हस्ते हुए) अच्छा ये बात है आपने मंगवा ली क्या
संध्या – हा आने वाली है इसीलिए...
चांदनी – (मुस्कुरा के) आप बिलकुल टेंशन फ्री रहीए और डिलेवरी वाले को शाम में बोलिए आने का अभी दिन का वक्त है अभय हॉस्टल में आराम कर रहा होगा खाना खा के
संध्या – अरे हा मैं भूल गई थी ठीक है मैं अभी बोल देती हू
चांदनी – ठीक है
शनाया – तुम आ गई काफी देर लगा दी आने में
चांदनी – हा गांव के हरे भरे खेत देखते हुए आ रही थी वक्त का पता नही चला
शनाया – हा ये बात सही कही तुमने गांव के हरे भरे खेतो का नजारा बेहद खूब सूरत होता है स्वर्ग की तरह खेर तुम फ्रेश होके तयार हो जाओ खाने का वक्त हो गया है...
कुछ देर में सब खाने की टेबल में साथ में बैठे थे तब अमन बोला...
अमन –(संधा से) बड़ी मां आपने आज उस राज को कॉलेज से बाहर क्यों नही निकलवा दिया किस तरह से खुले आम कॉलेज की टीचर में छेड़ रहा था
मालती और ललिता एक साथ – क्या कॉन राज और किसे छेड़ रहा था वो
अमन – (चांदनी की तरफ इशारा करके) इनको छेड़ रहा था वो..
जहा अमन की बात सुनते ही शनाया और संध्या को हसी आने लगी दिन की बात सोच के वही चांदनी को देख के साफ पता चल रहा था कितनी गुस्से में है इस वक्त चांदनी को देख संध्या बोली...
संध्या – (मुस्कुरा के हैंडनी के हाथ में अपना हाथ रख अमन से बोली) गलतियों तो हर किसी से होती रहती है कोई पकड़ा जाता है तो कोई खुद बच के दूसरो को फसा के हस्ता है
अमन – लेकिन कॉलेज की टीचर से इस तेरह से...
संध्या – (बीच में) चुप चाप खाना खाओ अपना कॉलेज की बात कॉलेज में घर में फालतू की बाते नही करनी है मुझे...
इतना बोल संध्या ने चांदनी को आंख से इशारा करके खाना खाने के लिए बोला वही आज अमन को करारा जवाब मिलते ही उसका मू बन गया लेकिन इस बात से आज मालती मुस्कुरा उठी जाने क्या सोच के ऐसा किया उसने खाने के बाद सब कमरे में गए आराम करने तब शनाया बोली चांदनी से...
शनाया – वैसे लड़का अच्छा है वो
चांदनी – (चौक के) क्यों किसकी बात कर रहे हो आप
शनाया – उसी लड़के की जिसने तुम्हारे लिए गाना गाया
चांदनी – आप भी ना मैडम वो बस...
शनाया – उसने जो भी गया और जो भी बोला दिल से किया है चांदनी इसीलिए बोला मैने वो अच्छा लड़का है अपने बारे में भी तो सोचो तुम क्या पता शायद यही वो हो जिसकी तुम्हे तलाश हो सोच के देखो..
चांदनी हल्की स्माइल करके के बेड में लेट गई जबकि इस तरफ अभय हॉस्टल में आ राम कर रहा था तभी उसके मोबाइल में कॉल आया जिसे देख कॉल रिसीव कर के...
अभय – हा भाई बता क्या बात है
राज –
आखों की गहराई को समझ नही सकते , होठों से कुछ कह नहीं सकते , कैसे बया करे हम आपको यह दिल का हाल की , तुम्ही हो जिसके बगैर हम रह नही सकते
अभय – अबे गलत नंबर मिला दिया तूने भाई सही नंबर डायल करके वहा बोल दिल का हल
राज – अबे सुन तो सही यार नंबर सही मिलाया है मैने तू बस ये बता कैसे लगी ये शायरी मस्त है ना तेरी दीदी को पसंद आएगी ना
अभय – क्या मतलब है तेरा मेरी बहन को पटाने के लिए मेरे से.....पगला गया है क्या बे तू जानता है वो क्या है
राज –
यार न हीरो की तमन्ना है और ना पारियों पर मरता हू
वो एक भोली सी लड़की है
जिसे मैं मोहोबत करता हू
अभय – सच सच बता किस लिए कॉल किया है मुझे
राज – भाई नंबर देदे ना अपनी बहन का उसके बाद तुझे डिस्टर्ब के बजाय डायरेक्ट उसे शायरी मैसेज कर दिया करूगा प्लीज
अभय – और अगर दीदी को पता चल गया नंबर मैने दिया है तो मैं नही बचूगा
राज – यार अपने बचपन के दोस्त के लिए इतना भी नही कर सकता है क्या भाई
अभय – एक कम कर कल कॉलेज में मिलेगी दीदी से उनसे लेलेना नंबर
राज – यार उसे देखते ही दिल अपने आप गाना गाने लगता है नंबर कैसे मांगूगा उससे
अभय – देख भाई ये तेरी परेशानी है मेरी नही अब तू खुद सोच ले क्या और कैसे करना हु
राज – अच्छा अब तू मुझ से ऐसे बात करेगा ठीक हू साले
अभय – ओए क्या बोला बे
राज – सही सुना तूने साले साले साले तेरी बहन से शादी होने के बाद तू साला ही बनेगा मेरा अभी से साले सुनने की प्रैक्टिस डाल ले तू
अभय – (जोर से हस्ते हुए) देख ले भाई देख ले दिन के ख्वाब कभी सच नही होते है
राज – अबे दिन क्या अब तो सुबह शाम उसी के ख्वाब देखूगा साले (जोर से हस्ते हुए कॉल कट कर दिया)
अभय – हेलो हेलो कॉल काट दिया..
बोल के बेड में सो गया शाम को सायरा के जागने पर नीद खुली अभय की उठते ही...
अभय – कैसे हो मैडम
सायरा – में तो अच्छी हू तुम बताओ जरा अपने हाल चाल
अभय – क्या बात है आज मेरे हाल चल लिए जा रहे है बात क्या है आखिर
सायरा –(अपने हाथ में बंदूक दिखाते हुए) जरा बताओ तो ये किसकी बंदूक है
अभय –(सायरा के हाथ अपनी बंदूक देख) ये तुम्हे कहा से मिली
सायरा – यही बेड पर तुम्हारे बिस्तर के नीचे आखिर तुम्हे बंदूक की जरूरत क्यों है अभय वो भी हाई टेक्नोलॉजी की गन कहा से आए ये तुम्हारे पास
अभय – ये गन मुझे KINGने दी है
सायरा – कॉन से KINGकी बात कर रहे हो तुम
अभय – (देखता रहा सायरा को)
सायरा –(अभय के गौर से देखने को समझ के) नही तुम मजाक कर रहे हो भला KINGतुम्हे बंदूक क्यों देगा
अभय – तो सोचो जरा हाई टेक्नोलॉजी की ये गन मेरे पास कहा से आई जबकि ये INDIAN भी नही है
सायरा – इसका मतलब तुमने KINGको देखा है हैना
अभय – हा देखा है मैने
सायरा – तो तुमने चांदनी को क्यों नही बताया
अभय – देखो सायरा तुम दोस्त हो मेरी मैने अगर दीदी को नही बताया है इसका मतलब तुम समझ सकती हो बात को
सायरा – लेकिन अभय...
अभय –(बीच में बात काटते हुए) सायरा दोस्ती के नाते मैने तुमसे कुछ नही छिपाया अब तुम्हारी मर्जी है तुम मेरा विश्वास तोड़ो या बना के रखो ये तुम पर है
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Bilkul bhaiAbeTeri tabiyat kharab ho jayegi, kal de dena koi baat nahi, mere wala bhi kal hi dunga update
dono sath me hi dete hai
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