• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
44,598
119,174
304
Waiting for next update
 

Silent lover

Active Member
1,118
3,280
158
UPDATE 22


राज और अभय टहलते टहलते आ गए राज के घर...

राज –( घर में आते ही) मां मां कहा हो देखो तो कौन आया है

गीता देवी –(कमरे बाहर बोलके आते हुए) कौन आया है राज (अभय को देख के) अभी कैसे हो तुम।

राज – (हस्ते हुए) अभी नही मां अभय है अपना

गीता देवी –(मुस्कुराते हुए) तो बता दिया इसने तुझे

राज – (चौक के) क्या मतलब मां और आप...

अभय –(मुस्कुरा के बीच में) बड़ी मां शुरू से जानती है सब कुछ मैने ही माना किया था क्योंकि मैं खुद बताऊंगा तुझे

राज – वाह बेटा वाह मतलब मैं ही अंजान बना बैठा हू अपने घर में क्यों मां तुम भी

गीता देवी –(हस्ते हुए) मुझे बीच में नही आना तुम दोनो के ये तुम दोनो समझो

राज –(हसके) अच्छा ठीक है मां वैसे आज अभय हमारे साथ खाना खाएगा

गीता देवी – क्यों नही इसका भी घर है ये , तुम दोनो हाथ मु धो लो जब तक मैं खाना लगाती हू

अभय – बड़ी मां आज बाबा कही दिखाई नही दे रहे है

गीता देवी – हा आज वो शहर गए है खेत के लिए बीज लेने कल सुबह तक आ जाएंगे

फिर तीनों ने साथ में खाना खाया फिर अभय बोला...

अभय – (गीता देवी और राज से) अच्छा बड़ी मां चलता हूं हॉस्टल में बता के नही आया हू मै

राज – जरूरी है क्या सुबह चले जाना यार

अभय – फिर आता रहूंगा भाई यहीं हू मै अब

गीता देवी – अभय यहीं रोज खाना खाया कर साथ में हमारे

अभय – अभी नही बड़ी मां लेकिन कभी कभी आया करूंगा

गीता देवी – तू जब चाहे तब आजा तेरा घर है बेटा

इसके बाद अभय हॉस्टल की तरफ चला गया जबकि इस तरफ हवेली में चांदनी एक टीचर बन के आई हवेली में संध्या से मिलने जिसका स्वागत किया रमन ने....

रमन – (चांदनी को देख के आखों में चमक आ गई) आप कॉन है

चांदनी – जी मैं आपके कॉलेज की नई टीचर हू

रमन – (मुस्कुरा के) आइए आइए अन्दर आइए , आप पहले बता देते मैं स्टेशन में कार भिजवा देता अपनी आपको लेने के लिए

चांदनी – जी शुक्रिया वैसे मुझे जानकारी नहीं थी यहां के बारे में ज्यादा एक गांव वाले की मदद से यहां आ गई मैं

रमन – चलिए कोई बात नही अब तो आप मेरे साथ ही रहने वाली हो

चांदनी –(चौक के) जी क्या मतलब आपका

रमन – अ....अ..मेरा मतलब आप अब हवेली में ही रहने वाले हो जब तक सभी टीचर्स के लिए रूम बन नही जाते है

चांदनी – ओह अच्छा है वैसे ठकुराइन जी कहा है उनसे मिलना था कॉलेज की कुछ जानकारी मिल जाएगी

रमन – अरे इसके लिए ठकुराइन को क्यों परेशान करना मैं हू ना आपको सारी जानकारी दे सकता हू वैसे भी मैं ही देखता हूं कॉलेज का सारा मैनेजमेंट

इसे पहले चांदनी कुछ बोलती तभी संध्या आ गई चांदनी को देखते ही बोली...

संध्या – तुम आ गई चांदनी (बोल के चांदनी का हाथ पकड़ के अपने साथ सोफे पर बैठाया फिर बोली) आने में कोई दिक्कत तो नही हुई तुम्हे और तुम अकेली आई हो

चांदनी – (संध्या इसके आगे कुछ और बोलती तभी उसका हाथ दबाया फिर बोली) जी मैं अभी थोड़ी देर पहले ही आई हू रेलवे स्टेशन से सीधे यहां पर...

तभी बीच में रमन बोल पड़ा...

रमन – भाभी मैं इन्हे यही कह रहा था हमे बता देती इन्हे लेने अपनी कार भेज देते हम

संध्या – (बीच में) इसने मुझे पहले बता दिया था ये खुद आ जाएगी यहां पर

इसे पहले रमन कुछ और बोलता संध्या ने अपने नौकर को आवाज लगाई...

संध्या – भानु भानु इधर आ

भानु – जी मालकिन

संध्या – मेम साहब का सामान लेके उपर वाले कमरे में रख दो जल्दी से आज से ये यही रहेगी

भानु – जी मालकिन

भानु समान लेके चला गया चांदनी का उपर वाले कमरे में...

चांदनी – ठकुराइन इसकी क्या जरूरत थी मैं बाकी टीचर्स के साथ रह लूंगी आप क्यों परेशान हो रहे हो

संध्या – इसमें परेशानी की कोई बात नही चांदनी तुम यही रहोगी हमारे साथ , मैने पहले ही सोच लिया था आओ मै तुम्हे कमरा दिखाती हू

संध्या हाथ पकड़ के लेके जाने लगी चांदनी को जबकि पीछे रमन हैरानी से देखता रहा दोनो को जाते हुए...

रमन –(मन में– साली आइटम तो मस्त है ये लेकिन संध्या कहा से बीच में आग गई अब तो समझना पड़ेगा चांदनी को)

संध्या उपर वाले कमरे ले जाती है चांदनी को बीच में अभय का कमरा पड़ता है रुक कर चांदनी से कहती है....

संध्या – ये अभय का रूम है है चांदनी

चांदनी – (रूम को देखते हुए) काफी सुंदर है ये कमरा

संध्या – जब से वो गया है तब से इस कमरे की हर चीज जहा थी वही रखी हुई है मैने , इतने सालो में इस कमरे की चाहे साफ सफाई क्यों ना हो मेरे इलावा कोई इस रूम में नही आता था वैसे भी तुम्हारे इलावा कोई नही समझ सकता है इस बात को

चांदनी – (मुस्कुरा के) शुक्रिया

संध्या – नही शुक्रिया तो मुझे कहना चाहे तुम्हे (इसके बाद चांदनी को अभय के बगल वाले कमरे में ले जाती है) चांदनी क्या अभय तुमसे मिलने के लिए आयेगा यहां पर

चांदनी – (संध्या के मू पर हाथ रख के) इस बारे में बात मत करिए आप हम बाद में बात करेंगे अकेले में

संध्या – ठीक है तुम जब तक फ्रेश होके त्यार हो के नीचे आजाना थोड़ी देर में खाना त्यार हो जाएगा

थोड़ी देर में सभी डाइनिंग टेबल में सब बैठे थे तभी चांदनी सीडियो से नीचे आने लगी तभी टेबल में बैठे सभी की निगाहे चांदनी पर पड़ी लेकिन दो लोग थे जो चांदनी को देख के खो गए थे रमन और अमन...

संध्या –(चांदनी को देख के बोली) आओ चांदनी

बोलते हुए संध्या ने चांदनी को अपने बगल की कुर्सी में बैठने को कहा...

संध्या – (सभी से बोली) ये चांदनी है हमारे कॉलेज की नई टीचर (सभी से परिचय कराया फिर बोली) अब से यही पर रहेगी उपर वाले कमरे में

मालती – लेकिन दीदी उपर वाला कमरा तो अभय का है वहा तो...

संध्या –(बीच में टोकते हुए) अभय के बगल वाले कमरे में रुकी है चांदनी

मालती – ओह मुझे लगा की...

संध्या – वो कमरा सिर्फ अभय का है किसी और का नही हो सकता है कभी भी...

चांदनी – (अंजान बनते हुए) किसके बारे में बात कर रहे हो आप और कॉन है अभय

मालती – दीदी के बेटे का नाम है अभय

चांदनी – ओह कहा है वो दिखा नही मुझे

रमन – मर चुका है वो 10 साल पहले

संध्या – (चिल्ला के) रमन जबान संभाल के बोल अभय अभी...

रमन – (बीच में) भाभी तुम्हारे दिमाग की सुई क्यों हर बार उस लौंडे पर आके रुक जाती है होश में आओ भाभी 10 साल पहले जंगल में अभय की लाश मिली थी जिसे जंगली जानवरों ने नोचा हुआ था

चांदनी – (सबकी नजर बचा के संध्या के हाथ को हल्के से दबा के) जानवरो ने नोचा था लाश को फिर आपको कैसे पता चला वो लाश अभय की है

रमन – क्यों की उस लाश पर अभय के स्कूल ड्रेस थी तभी समझ पाए हम

चांदनी – ओह माफ करिएगा

इससे पहले संध्या कुछ बोलती किसी ने हवेली का दरवाजा खटखटाया और सभी का ध्यान दरवाजे पर गया जिसे सुन के संध्या बोली...

संध्या – इस समय कॉन आया होगा (अपने नौकर को आवाज देके) भानु जरा देख कॉन आया है

भानु ने जैसे दरवाजा खोल के देखा तो सामने एक खूबसूरत सी औरत खड़ी थी एक हाथ में बैग और दोसर हाथ में अटैची लेके भानु ने उस बात की ओर वापस आके संध्या से बोला...

भानु – मालकिन कॉलेज की नई प्रिंसिपल आई हुई है

संध्या – (नौकर की बात सुन कर) अरे हा मैं भूल गई थी हमारे कॉलेज की नई प्रिंसिपल आने वाली है (नौकर से) अन्दर लेकर आओ उनको

तभी संध्या के सामने एक औरत आई जिसे गौर से देख रही थी संध्या तभी वो औरत बोली...

औरत – नमस्ते मेरा नाम शनाया है

संध्या –(शनाया को देखते हुए) शनाया , जी नमस्ते आपको आने में कोई तकलीफ तो नही हुई

शनाया – (मुस्कुरा के) जी नहीं कोई दिक्कत नही हुई

संध्या – आईए हम सब खाना खाने की तयारी कर रहे है बैठिए

फिर सबने साथ में खाना खाया खाते वक्त जहा रमन हवस भरी निघाओ से चांदनी और शनाया को देखे जा रहा था वही चांदनी ने जैसे ही शनाया को देखा हल्का मुस्कुराई थी जबकि संध्या ने जब से शनाया को देखा तब से कुछ न कुछ सोच रही थी , खाने के बाद संध्या बोली...

संध्या – (शनाया से) आप आज की रात चांदनी के साथ साथ उपर वाले कमरे में आराम करीये कल आपके लिए कमरे की सफाई करवा दी जाएगी...

शनाया – (मुस्कुरा के) जी शुक्रिया

बोल के शनाया उपर वाले कमरे में चली गई चांदनी के साथ और बाकी सब अपने कमरे में चले गए आराम करने के लिए...

शनाया – (चांदनी से) क्या मैं आपको जानती हू , ऐसा लगता है जैसे आपको देखा है मैने कही

चांदनी – जी मैं जोधपुर से हू

शनाया –(शहर का नाम सुन के) ओह शायद वही देखा होगा मैने आपको , वैसे आप जोधपुर से यहां पर क्यों आ गए वहा पर भी काफी अच्छे कॉलेज है

चांदनी – अब जहा किस्मत ले जाए वही कदम चल दिए मेरे , और आप यहां पर कैसे

शनाया – पहले स्कूल में टीचर थी फिर प्रमोशन हो गया मेरा साथ ही यहां के कॉलेज में ट्रांसफर कर दिया गया

चांदनी – ये तो अच्छी बात है मेहनत का नतीजा है ये आपके

शनाया – शुक्रिया

चांदनी – अब आराम करते है आप थकी होगी काफी , कल बात करेगे शुभ रात्रि

इस तरफ हवेली में सब आराम फरमा रहे थे जबकि हॉस्टल के कमरे में बैठा अभय कमरे की खिड़की से आती हुई थड़ी हवा का आनंद ले रहा था के तभी अभय का मोबाइल बजा...

अभय –(नंबर देख के कॉल उठा के) हैलो

सामने से – ????

अभय – क्यों कॉल कर रही है देख समझा चुका हू तुझे समझ ले बात को अपने दिल दिमाग से निकल दे की मैं तेरा कुछ लगता हू कुछ नही हू मै तेरा ना तु मेरी मत कर कॉल मुझे

संध्या – तू मुझे कुछ भी बोल लेकिन बात कर तेरी आवाज सुन के दिल को कुछ तस्सली सी मिल जाती है

अभय – उसके लिए तेरा राजा बेटा है ना अरे नही तेरा यार का बेटा है ना वो , और ज्यादा तस्सली के लिए अपने यार को बुला ले

बोल के गुस्से में कॉल कट कर दिया अभय ने इस तरफ अभय की ऐसी बात सुन संध्या रोती रही , रोते रोते जाने कब सो गईं इस तरफ अभय भी बेड में सो गया अगली सुबह अभय जल्दी उठ फ्रेश होके निकल गया अपनी वॉकिंग पर चलते चलते चला गया खंडर की तरफ चारो तरफ का मौइआना करने लगा तभी कोई उसके सामने आ गया...

राज – मुझे पहले से लग रहा था तू पक्का यहां पर आएगा

अभय – अरे तू यहां कब आया अचानक से

राज – अबे अचनक से नही पहले से ही आया हुआ हू मै यहां पर राजू के साथ कुछ देखा है इसने यहां पे

अभय – क्यारे राजू क्या देखा तूने यहां पे

राजू – अरे यार राज ने बोला था पता लगाने को मैं तभी से लग गया था और तभी मैने सरपंच को इस खंडर वाले कच्चे रास्ते से जाते देखा था वही पता लगाने पिछे गया था मैं लेकिन साला जाने कहा गायब हो गया रास्ते से

राज – अबे तूने सुबह सुबह पी रखी है क्या रास्ते से कैसे कोई गायब हो जाएगा

राजू – अबे मैं कुछ नहीं पिता और जो देखा वो बोल रहा हू ये साला सरपंच शायद कुछ जनता हो एसा लगता है मुझे

अभय – क्या बोलता है राज कैसे पता किया जाय इस बारे में सरपंच से

राज – यार ये सरपंच बहुत टेडी खीर है मुझे लगता है इसके लिए हमे एक अच्छी सी योजना बनानी पड़ेगी

अभय – एक काम करते है आज दोपहर में मिलते है हमलोग दिन में ज्यादा तर लोग घर में रहते है किसी का ध्यान हम पर जाएगा नही क्या बोलता है

राज – नही अभय इस समय खेत में बुआई का काम चल रहा है और अब तो ज्यादा तर लोग अपने खेत में बने कमरे में आराम करते है

अभय – फिर क्या किया जाए

राजू – एक काम हो सकता है अगर मेरी मानो तो

अभय और राज – हा बोल क्या करना होगा

राजू – देख सब गांव वाले उस हादसे के बाद अभय को मसीहा की तरह मानते है , तो अगर अभय घूमने के बहाने खेत में चला जाय उस वक्त जब सभी अपने खेतो में बुआई कर रहे हो तो वो अभय से मिलेंगे बात करेगे बस उस वक्त अभय जानकारी ले सकता है सबके बारे में साथ ही खंडर के बारे में भी , गांव वाले तुझे नया समझ के जानकारी दे देंगे जो हमे भी पता नही आज तक...

राज – अबे साला मैं सोचता था तू इस गांव का नारद मुनि है , आज पता चला ये साला चाणक्य का चेला भी है वाह मस्त प्लान है बे , क्या बोलता है अभय

अभय – मान गया भाई आज एक तीर से बहुत शिकार होने वाले है , ठीक है मैं दिन में तयार होके निकल जाऊंगा खेत की तरफ , लेकिन तुमलोग कहा पर रहोगे

राज – हम भी खेतो में रहेंगे क्योंकि आज रविवार है छुट्टी का दिन

इसके बाद अभय हॉस्टल को निकल गया और राज और राजू निकल गए अपने अपने घर की तरफ...

राज – (घर में आके अपनी मां गीता देवी से) अरे मां वो आज दिन में खेत पर जाऊंगा बाबा के साथ

गीता देवी – क्या बात है आज खेत जाने की याद कैसे आ गई तुझे , क्या खिचड़ी पका के आ रहा है तू सुबह सुबह सच बता

राज – अरे ऐसा कुछ नही है मां वो....वो...

गीता देवी – अभय ने बोला होगा यही ना

राज – (मुस्कुरा के) हा मां अभय के साथ रहूंगा आज

गीता देवी – चल ठीक है चला जाना लेकिन मेरे साथ चलना पहले खेत में तेरे बाबा ये बोरिया लाए है खेत लेजाना है उसके बाद चले जाना

राज – हा मां हो जाएगा ये काम

हॉस्टल में अभय आया तब सायरा से मुलाकात हुई उसकी...

सायरा – बड़ी जल्दी आ गए वॉक से

अभय – अच्छा मुझे पता ही नही चला वैसे आप यहां क्या कर रहे हो

सायरा – (हस्ते हुए) बोल था ठकुराइन ने तुम्हारे लिए भेजा है मुझे

अभय – (मुस्कुरा के) अरे हा मैं सच में भूल गया था की आपको भेजा है मेरे लिए (हल्की आंख मार के)

सायरा – (अपनी बात को समझ के) माफ करना मेरा मतलब था की काम के लिए भेजा है

अभय – हा काम तो है कई तरह के आप और किस काम में एक्सपर्ट हो बताओ तो सही

सायरा – (बात का मतलब समझ के बोली) अभी आप सिर्फ अपनी पढ़ाई में ध्यान दो मिस्टर बाकी के काम आपके बस का नही है

अभय – (हस्ते हुए) मौका तो दीजिए कभी पता चल जाएगा आपको किसके बस में क्या है और क्या नहीं

सायरा – मौके को तलाशने वाला सिर्फ मौका ही तलाशता रह जाता है...

बोल के सायरा हस्ते हुए चली गई रसोई में पीछे अभय हस्ते हुए बाथरूम चला गया त्यार होके दोनो ने साथ में नाश्ता कर के अभय निकल गया खेत की तरफ , इस तरफ हवेली में सुबह सब उठ के तयार होके नीचे आ गए नाश्ते के लिए...

संध्या – (चांदनी और शनाया से) अगर आज आप दोनो खाली हो तो मेरे साथ चलिए आपको गांव दिखा देती हू घूमना भी हो जाएगा आपका इसी बहाने

शनाया और चांदनी – जी बिलकुल जब आप कहे

रमन –(बीच में) अच्छा शनाया जी आप अकेली आई है आपकी फैमिली कहा पर है

शनाया – जी कोई नही है फैमिली में मेरे

रमन – ओह माफ कीजिए गा , आप अकेले रहते हो , मेरा मतलब क्या आपकी शादी नहीं हुई अभी तक

शनाया – जी नहीं

रमन – अच्छा चांदनी जी आप ...

चांदनी – (बीच में) ठाकुर साहब नाम आप जानते है मेरा शादी अभी नहीं हुई , मैं भी अकेली हू शनाया मैडम की तरह और सेम सिटी से हू मै भी और कुछ पूछना चाहेंगे आप

चांदनी की इस बात पर शनाया और संध्या के साथ सभी की हंसी निकल गई बेचारा रमन भी झूठी हसी हसने लगा मजबूरी में , नाश्ते के बाद संध्या , चांदनी और शनाया निकल गए गांव की सैर करने कार से और सैर की शुरुवात हुई कॉलेज के हास्टल से ठीक उस वक्त जब अभय निकल रहा था हॉस्टल से गांव की तरफ तभी...

कार में आगे बैठे संध्या और चांदनी की नजर पड़ी अभय पर जो पैदल जा रहा था दिन की तपती धूप में गांव की तरफ तभी संध्या को बीच में किसी ने टोका...

शनाया – क्या ये हॉस्टल है स्टूडेंट्स के लिए

संध्या – जी....जी....जी हा ये हॉस्टल है अभी फिलहाल यहां पर एक ही स्टूडेंट आया है रहने धीर धीरे बाकी आएंगे

शनाया – कॉलेज कितनी दूर है यहां से

संध्या – यही 1 से 2 किलो मीटर के फासले पर है

शनाया – काफी धूप लगती होगी स्टूडेंट्स को दिन के वक्त

शनाया की इस बात से संध्या कुछ सोचने लगी तभी चांदनी बोली..

चांदनी – ठकुराइन जी कॉलेज चलिए उसे भी दिखा दिजिए

कॉलेज में आते ही चौकीदार ने संध्या की कार को देखते ही गेट खोल दिया कार के अन्दर आते ही कार से उतर के संध्या दोनो को कॉलेज दिखाने लगी कॉलेज के गार्डन में आते ही संध्या और चांदनी धीरे धीरे चल रहे थे जबकि शनाया आगे आगे चल रही थी तभी संध्या बोली चांदनी से...

संध्या – चांदनी एक बात कहना चाहती हू प्लीज मना मत करना

चांदनी – ऐसी क्या बात है

संध्या – मैं अभय के लिए एक बाइक लेना चाहती हू वो दिन में इस तरह पैदल हॉस्टल से कॉलेज रोज....

चांदनी –(बीच में) आप जानती है ना वो कभी नही मानेगा इस बात को
संध्या – इसीलिए तुमसे बोल रही हूं तुम उसे देना बाइक कम से कम तुम्हे तो मना नही करेगा

चांदनी –(मुस्कुरा के) ठीक है मैं कर दुगी आपका काम , अब चलिए अभी पूरा गांव भी दिखाना है आपको

कॉलेज के बाद संध्या ने दोनों को पूरा गांव घुमाया फिर वापस आ गई हवेली पर इसी बीच अभय गांव घूम रहा था अकेला उसकी मुलाकात गांव के कई किसानों से हुई सभी से बात कर के अभय निकल गया बगीचे की तरफ अभय को आए कुछ मिनट हुए होगे की तभी राज आगया वहा पर आते ही बोला...

राज – तो क्या पता चला तुझे

अभय – वही बात पता चली भाई जो तुमलोग ने बताई थी श्राप वाली लेकिन एक बात और पता चली है

राज – क्या

अभय – उन्होंने बताया की खंडर के आस पास किसी साए को भटकते देखा गया है कई बार

राज – अरे तो इसमें कॉन सी बड़ी बात है श्रापित है खंडर तो ये सब मामूली बात है

अभय – तू समझा नही भाई अभी तक साया देखा है कुछ लोगो ने लेकिन तब देखा जब उसके आस पास से गुजरे है लोग और यही बात कुछ गांव वालो ने भी बोली लेकिन उन्होंने दिन में देखा है , अब तू बता क्या दिन में भी ऐसा होता है क्या

राज – देख तू मुद्दे की बात पर आ क्या चाहता है तू

अभय – मैने सोच लिया है आज रात मैं जाऊंगा उस खंडर में जरा मैं भी तो देखूं कॉन सा साया रहता है वहा पर

राज – अबे तू पागल हो गया है क्या तू खंडर में जाएगा नही कोई जरूरत नहीं है तुझे वहा जाने की हम कोई और तरीका डूंड लेगे

अभय – तू ही बता कॉन सा तरीका है पता करने का तेरी नजर में

राज – एक तरीका है उसके लिए तुझे हवेली में जाना होगा रहने के लिए

अभय – भाड़ में गया ये तरीका मैं नही जाने वाला हू उस हवेली में कभी

राज – अरे यार तू कैसी बात कर रहा है तेरी हवेली है हक है तेरा

अभय –(गुस्से में) देख राज कुछ भी हो जाय मैं नही जाने वाला उस बदचलन औरत के पास कभी

राज – (चौक के) क्या बदचलन औरत कौन है और किसके लिए बोल रहा है तू

अभय – (गुस्से में) उसी के लिए जिसे तुम लोग ठकुराइन बोलते हो

राज –(गुस्से में) ये क्या बकवास कर रहा है तू दिमाग तो ठिकाने पर है तेरा

अभय – हा सच बोल रहा हू मै उस औरत की बदचलनी की वजह से घर छोड़ा था मैने

राज – कहना क्या चाहता है तू ऐसा क्या हुआ था उस दिन जिस कारण घर छोड़ना पड़ा तुझे

अभय – जिस रात मैं घर से भागा था उसी दिन की बात है ये.....


MINI FLASHBACK


जब मैं स्कूल से घर आया तब अमन और मुनीम पहले से हवेली में मौजूद थे क्योंकि उस दिन स्कूल में मैं और पायल साथ में खाना खा रहे थे तभी बीच में अमन ने आके मेरा लंच बॉक्स फेक दिया जिसके चलते पायल ने अमन के एक चाटा मारा तभी अमन ने पायल का हाथ पकड़ लिया गुस्से में मैने भी अमन का वो हाथ हल्का सा मोड़ा लेकिन कुछ सोच के छोड़ दिया तब अमन बोला...

अमन – बहुत ज्यादा उड़ने लगा है तू हवा में अब देख मैं क्या करता हू

तभी जाने कहा से मुनीम आ गया अमन को देख पूछा क्या हुआ तब अमन बोला मैने उसका हाथ मोड़ा उसे मारा ये बात बोल उस वक्त मुनीम बिना कुछ बोले चला गया वहा से लेकिन जब मैं हवेली आया तब देखा हाल में अमन अपना हाथ पकड़े बैठा है बगल में मुनीम खड़ा है और मेरी मां संध्या हाथ में डंडा लिए खड़ी थी मैं बिना कुछ बोले अपने कमरे में जाने लगा तभी एक जोर की आवाज आई संध्या की...

संध्या –(गुस्से में) तो अब तू खाना भी फेकने लगा है क्यों फेका खाना तूने अमन का बोल और क्यों मारा अमन को तूने बताओ मुनीम क्या हुआ था वहा पर

मुनीम – अब क्या बताऊं ठकुराइन अभय बाबा ने जाने क्यों अमन बाबा का टिफिन फेक दिया जब अमन बाबा ने पूछा तो उनसे लड़ने लगे और हाथ मोड़ दिया...

ये सुनने के बाद भी मैं कुछ नहीं बोला स्कूल में जो हुआ उसके बारे में सोचने लगा था तभी एक डंडा पड़ा मुझे लेकिन फिर भी मैं कुछ नहीं बोला ऐसे 2 से 3 डंडे पड़े लेकिन मैं कुछ नही बोला तब संध्या ने मुनीम को बोला...

संध्या – मुनीम इसने अन का अपमान किया है आज से इसे एक वक्त का खाना देना जब भूख लगेगी तब इसे समझ आएगा क्या कीमत होती है खाने की

इतना बोल के अमन का हाथ पकड़ के जाने लगी तभी अमन ने पलट के मुस्कुराके मुझे देखा जाने उस दिन मेरे दिमाग में क्या आया मैने भी अमन को पलट के मुस्कुरा के जवाब दिया जिसके बाद उसकी हसी अपने आप रुक गई उनके जाने के बाद रमन आया बोला...

रमन – मुझे बहुत बुरा लगता है जब तू इस तरह मार खाता है अपनी मां के हाथो से लेकिन तू कुछ बोलता भी नही है देख बेटा बात को समझ जा तू तेरी मां तुझे प्यार नही करती है देख मैं जानता हूं गलती तेरी नही थी आज की खाना अमन ने फेका था लेकिन फिर भी तेरी मां ने तुझे मारा

मैं – वो मुझे मारती है क्योंकि उसे लगता है मैं गलत कर रहा हू वर्ना मुझे कभी नही मारती

रमन – बेटा जब तेरी मां तेरे बाप को प्यार नही कर पाई तो तुझे कैसे प्यार कर सकती है

मैं – क्या मतलब , मेरी मां मेरे पिता से प्यार नहीं करती क्या मतलब है इसका

रमन – मतलब ये की तू उसका बेटा जरूर है लेकिन वो तुझे प्यार नही करती है वैसे जैसे वो तेरे बाप से प्यार नहीं करती और ये बात उसने मुझे बोली थी जनता है क्यों बोली क्योंकि तेरी मां मुझसे प्यार करती है इसीलिए मेरे बेटे अमन पर सारा प्यार लुटाती है अपना

मैं – तुम झूठ बोल रहे हो मेरी मां तुमसे प्यार नहीं कर सकती है कभी वो मुझे प्यार करती है

रमन – देख तू मेरा भतीजा है इसीलिए तुझे बता रहा हू , तेरी मां ने ही ये बात बोली थी मुझे , की वो तुझे और तेरे बाप से प्यार नहीं करती है , उसे शुरू से ही पसंद नहीं था तेरा बाप समझा , इसीलिए तेरी मां मुझसे प्यार करती है और अगर तुझे अभी भी यकीन नहीं आ रहा हो मेरी बात का तो 1 घंटे बाद आ जाना अमरूद के बगीचे में बने कमरे में अपनी आखों से देख लेना कैसे तेरी मां मुझ प्यार करती है

उसकी इस बात से मैं हैरान था कमरे में आते ही मन नही लग रहा था मेरा बस घड़ी देखे जा रहा था तभी मैं कमरे से निकल के हॉल में देखा जहा संध्या टेबल में बैठ के लिखा पड़ी कर रही थी मैं चुपके से निकल गया बगीचे की तरफ कमरे से दूर एक पेड़ के पीछे खड़े इंतजार करने लगा देखते ही देखते थोड़ी देर बाद मैने देखा संध्या की कार आई रमन उतरा और साथ में संध्या थी दोनो एक साथ बगीचे वाले कमरे में चले गए और दरवाजा बंद कर दिया मैं हिम्मत करके पास गया जहा मुझे सिसकियों की आवाज आने लगी आवाज सुन के मेरा दिल घबरा गया मैं भाग गया वहा से....


BACK TO PRESENT


अभय – क्या अब भी तुझे लगता है मैं जाऊंगा उस हवेली में दोबारा

राज – एक बात तो बता अभय उस दिन तूने अपनी आखों से देखा था वो संध्या ठकुराइन थी

अभय – हा वही थी वो

राज –भाई मेरा मतलब क्या तूने चेहरा देखा था या नहीं सोच के बता तू

अभय – नही देखा लेकिन जब मैं हवेली से निकला तब कपड़े वही पहने थी उसने और उसी से पहचाना मैने उसे , देख राज मैने सोच लिया है मैं जाऊंगा आज रात को उस खंडर में अकेले पता करने सच का लेकिन उस हवेली में कभी नहीं जाऊंगा

बोल के अभय निकल गया बिना राज की बात को समझे जबकि राज अपनी सोच में डूबा था बस अभय को जाते देखता रहा राज निकल गया अपने घर की तरफ घर में आते ही राज कुर्सी मैं बैठ गया जबकि गीता देवी ने अपने बेटे राज को इस तरह गुमसुम हालत में घर आते देखा तो बोली...

गीता देवी – क्या बात है बेटा तू इस तरह गुमसुम क्यों बैठा है कुछ हुआ है क्या

राज – (अपनी मां को देख के) अभय की बात सुन के कुछ समझ नही आ रहा है मां

गीता देवी – ऐसी क्या बात हो गई बता मुझे

फिर राज ने बताया अभय ने जो बताया उसे सारी बाते सुनने के बाद गीत देवी बोली..

गीता देवी – जब अभय ने देखा है इसका मतलब हो सकता हो ये बात सच हो

राज –(चिल्ला के) नही मां ये सच नहीं हो सकता है क्योंकि उस दिन बगीचे वाले कमरे में ठकुराइन नही थी

गीता देवी – (आंख बड़ी करके हैरानी से) क्या मतलब और तू कैसे कह सकता है ये बात वो ठकुराइन नही थी

राज – क्योंकि मां उस दिन मैं घूम रहा था घूमते घूमते बगीचे की तरफ निकल गया तभी मैंने देखा अभय को जो एक पेड़ के पीछे से कही देख रहा था जैसे ही मैं आगे आने को हुआ तभी देखा ठकुराइन की कार आई बगीचे वाले कमरे के पास रुकी उसमे रमन ठाकुर निकला और साथ में उर्मिला चौधरी थी

गीता देवी –(हैरानी से) ये क्या बोले जा रहा है तू

राज – सच बोल रहा हू मां सरपंच की बीवी उर्मिला चौधरी को देखा था मैंने उस दिन रमन के साथ उस कमरे में जाते हुए.....
.
.
.
जारी रहेगा...✍️✍️


Jabrjst update waiting for next thoda jaldi dijiyena bhai update
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
Prime
10,242
33,727
244
UPDATE 23

गीता देवी – क्या तूने अभय को बताई ये बात

राज – नही मां हवेली का नाम लेते ही वो ऐसा भड़का मानो साप की पूछ पर पैर मार दिया हो मैने वो कुछ सुनने को राजी नही है मां क्या करू मैं

गीता देवी – ऐसी क्या बात थी जिसके वजह से ये बात करने लगे तुम दोनो

राज – कुछ नही मां वो...वो...

गीता देवी – अब तू बहाने बनाने लगा है मुझसे

राज – नही मां वो बात ये थी (फिर राज ने गीता देवी को खंडर वाली बात बताई जिसे सुन के)

गीता देवी – तुम दोनो लड़को का दिमाग कुछ ज्यादा ही खराब हो गया है अगर अभय को नही पता उस खंडर के बारे में लेकिन तू तो जनता है ना माना कर देता तू

राज – मैने बोला मां उसे लेकिन फिर उसने उस रात के बारे में बताया जब वो घर से भाग गया था उसकी ये बात सुन के मुझे भी शक सा हुआ अब तुम ही बताओ क्या करू मैं वो एक बात सुनने को राजी नही उपर से आज रात वो अकेले जाने वाला है खंडर में

गीता देवी – (बात सुन आंखे बड़ी करके) उसे रोक राज रोक ले उसे खंडर में जाने से वर्ना अनर्थ हो जाएगा

राज – (शौक से) क्या हुआ मां तुम्हे तुम ऐसी बाते क्यों की रही हो

गीता देवी – तुझे नही पता लेकिन जो वहा गया लौट के कभी नहीं आया वहा से पड़ोस के गांव के 2 लोग पिछले 2 साल से गायब है आखरी बार उनको खंडर के रास्ते पर जाते देखा गया था उसके बाद आज तक नही दिखे दोनो

राज – मैं बात करता हू उससे मां तुम परेशान मत हो

राज से बात करने के बाद अभय निकल गया हॉस्टल की तरफ रास्ते किसी ने अभय को आवाज दी...

पायल – कहा जा रहे हो

अभय – (पलट के देख के) कैसी हो तुम

पायल – अच्छी हू तू कहा जा रहा है

अभय – हॉस्टल जा रहा हू , और तू कहा जा रही है

पायल – अपनी दोस्त से मिल के आ रही हूं घर चल ना मेरे मां और बाबा तुझे देख के खुश हो जाएंगे

अभय – पायल इस बारे में कुछ मत बोल किसी को भी

पायल – लेकिन क्यों ऐसा क्यों बोल रहा है तू

अभय – सब समझा दुगा तुझे बस अभी के लिए बात मान मेरी

पायल – आखिर तू इतने वक्त तक था कहा पर क्यों चला गया था घर से

अभय – मैं जहा भी था लेकिन अब तेरे साथ हू और तेरे साथ रहूंगा हमेशा

पायल – बात को टाल क्यों रहा है तू बताता क्यों नही

अभय – बताऊंगा सब बताऊंगा थोड़ा सब्र कर

पायल – जैसे तेरी मर्जी , कहा से आ रहा है तू

अभय – घूम रहा था खेतो में चल चलते है साथ में वही जहा घूमते थे हम साथ में

पायल – (मुस्कुरा के) अभी नही फिर किसी दिन अभी मां बाबा इंतजार कर रहे होगे घर में मेरा वैसे अगले महीने मेला लगने वाला है याद है ना तुझे

अभय – हा याद है

पायल – इस बार कुल देवी की पूजा साथ में करेगा ना मेरे

अभय – बिल्कुल करूंगा

पायल – चल ठीक है शाम को मिलेगा बगीचे में साथ में घूमेंगे

अभय – तू बोले मैं ना आऊं ऐसा हो सकता है भला आऊंगा पक्का

पायल – ठीक है शाम को मिलते है

इतना बोल के पायल निकल गई अपने घर और अभय निकल गया हॉस्टल की तरफ जबकि एक तरफ संध्या , चांदनी और शनाया गांव घूम के वापस जा रहे थे तभी रास्ते में कार का टायर पंचर हो गया कार रोक दी संध्या ने....

चांदनी – क्या हुआ ठकुराइन कार क्यों रोक दी

संध्या – शायद टायर पंचर हो गया है रुको देखती हू

बोल के संध्या कार से बाहर निकली देखा सच में टायर पंचर था तब संध्या तुरंत किसी को कॉल करने लगी लेकिन कॉल कोई रिसीव नहीं कर रहा था तब संध्या कार में वापस बैठ गई बोली...

संध्या – टायर पंचर हो गया है और ये मकैनिक कॉल नही उठा रहा है

चांदनी – आस पास कोई मकैनिक नहीं है यहां पर

संध्या – है लेकिन काफी दूर है यहां से

शनाया – कोई गांव का बंदा आस पास हो उससे मदद लेते है

तभी संध्या की कार के पीछे से कोई आ रहा होता है उनकी कार के बगल से निकल जाता है जिसे देख शनाया बोलती है...

शनाया – अरे वो देखिए कोई जा रहा है उसे बात करिए

शनाया की बात सुन संध्या तुरंत कार से निकलती है आगे जा रहे लड़के को आवाज देती है...

संध्या – अरे सुनो जरा मदद कर दो हमारी

आवाज सुन के जैसे ही लड़का पीछे देखता है तभी दोनो का सामना होता आपस में...

अभय – क्या बात है हवेली की इतनी बड़ी ठकुराइन को आज मदद की जरूरत पड़ रही है क्यों भला

संध्या –(अभय की बात चुप चाप सुन के धीरे से बोली) वो कार का टायर पंचर हो गया तो...

अभय – (बीच में) ओह इतनी बड़ी कार चलानी सीखी लेकिन एक टायर बदलना नही सीखा अरे मैं भी किसे बोल रहा हू ये बात जो खुद नकल कर के पास हुई हो , खेर मकैनिक को बुला लीजिए मैं खाली नहीं हू...

बोल के अभय जाने लगा तभी पीछे से किसी से आवाज लगाई जिसे सुन अभय हैरान हो गया...

शनाया – सुनो अभय रुक जाओ

अभय – (आवाज सुन के हैरान होके धीरे से पीछे मुड़ा सामने शनाया को देख के बोला) आप यहां पर

शनाया – तुम यहां पर

दोनो ने एक दूसरे को देख एक साथ बोला तब चांदनी भी निकल आई कार से बाहर...

चांदनी – आप जानते हो एक दूसरे के

चांदनी की बात सुन अभय ने जैसे ही चांदनी को देख कुछ बोलने जा रहा था तीन चांदनी ने डायर से सिर ना में हिला दिया जिस समझ के अभय बोला...

अभय – जी हम एक ही स्कूल में थे मैडम टीचर थी मैं स्टूडेंट , आप कॉन

चांदनी – मैं टीचर हू यहां के कॉलेज की अभी नई आई हू

अभय – जी

शनाया – अभय प्लीज मदद कर दो थोड़ी कार का टायर पंचर हो गया है

शनाया की बात मान कर अभय कार की डिक्की से स्टेपनी और जैक निकल के थोड़ी देर में टायर बदल देता है...

शनाया – कहा जा रहे हो तुम

अभय – हॉस्टल जा रहा हू

संध्या –(बीच में बोल पड़ती है) हम उसी रास्ते से जा रहे है हमारे साथ चलो छोड़ देती हू

शनाया – हा अभय इतनी धूप में पैदल जाने से अच्छा हमारे साथ चलो...

अपना मन मार कर मजबूरी में अभय हा कहना पड़ता है इससे पहले अभय कार में बैठने जाता शनाया पीछे बैठ गई और साथ में चांदनी भी बैठ गई पीछे मजबूरी में अभय को संध्या के साथ आगे बैठना पड़ता है जिस कारण संध्या हल्का मुस्कुरा देती है अभय को अपने साथ बैठा देख के कार आगे बड़ जाति है जब तक हॉस्टल आए तब तक संध्या सिर्फ अभय को देखती रहती है तिरछी नजरों से इस बात को अभय के इलावा चांदनी भी देख के मुस्कुराती है लेकिन अभय अपनी दीदी और शनाया मैडम की वजह से चुप चाप इंतजार करता है हॉस्टल के आने का...

हॉस्टल आते ही अभय कार से निकल के बोलता है...

अभय – अच्छा शुक्रिया आपका लिफ्ट के लिए मैं चलता हूं

शनाया –(बीच में बोल देती है) अभय इतनी भी जल्दी क्या है अपना हॉस्टल नही दिखाओगे हमे

अभय –(बे मन से मुस्कुरा के (मन में – क्या मुसीबत है यार ये भी) हा आइए

अभय हॉस्टल में लेके जाता है तीनों को अभय ने रूम में आते ही पंखा चालू कर दिया जिसके बाद शनाया बोली....

शनाया – अभय कितनी गर्मी है कमरे में तुम यहां पर कैसे रहते हो और कैसे सोते हो इससे अच्छा तो तुम अपनी आंटी के घर में सही थे

अभय –(मुस्कुरा के) आदत आदत की बात है मैडम (संध्या को देख के) वैसे भी आलीशान कमरे की आदत नही है मुझे मै भले जमीन में सोता हू कुछ पल की गर्माहट जरूर देता है लेकिन नीद सुकून की देती है ये जमीन , खेर मेरी तो आदत है मैडम आप बताए कब आए आप यहां पर

शनाया – मेरा प्रमोशन हो गया कॉलेज उसके बाद इंटरव्यू हुआ और मैं सिलेक्ट हो गई अब यहां तुम्हारे सामने हू यहां के कॉलेज की प्रिंसिपल बन के आई हू

अभय – ये तो बहुत खुशी की बात है मैडम , आप कहा पर रुकी है

शनाया – मैं हवेली में रुकी हू जब तक रूम तयार हो जाए टीचर्स के लिए

अभय – हा जितनी जल्दी बन जाय रूम उतना अच्छा होगा

शनाया – क्या मतलब

अभय – वो...मेरा मतलब है की रूम बन जाएगी तब तो आप पास में ही रहोगे हमारे हॉस्टल के रोज रोज इतनी दूर से आने जाने में दिक्कत नहीं होगी तब आपको

शनाया – हा बिलकुल...

संध्या –अगर आपको दिक्कत ना हो तो आप हवेली में रुक जाइए जब तक...

अभय –(बीच में) ऐशो आराम का ना तो शौक है और ना ही जरूरत है मुझे , यही सबसे ज्यादा सुखी हू मै

इस जवाब से संध्या इसके आगे बोलने की हिम्मत ना कर पाई लेकिन चांदनी ने बीच में बोल दिया...

चांदनी – (हल्के गुस्से में) शायद मैडम सिर्फ इतना कहना चाहती थी जब तक हॉस्टल में बाकी स्टूडेंट्स नही आ जाते तब तक आप हवेली में रह जाओ , रही ऐशो आराम की बात तो आदत जबरदस्ती नही बनती बल्कि बनाने से बनती है

अभय – (अपनी दीदी की बात समझ शांत मन से संध्या से बोला) मुझे पढ़ाई के लिए इससे अच्छी एकांत जगह नहीं मिल सकती आपने पूछा उसके लिए शुक्रिया...

संध्या कुछ बोलती उससे पहले चांदनी ने आखों से संध्या को इशारा कर निकल गए तीनों अपनी कार की तरफ कार में बैठते ही चांदनी बोली...

चांदनी – एक मिनट ठकुराइन मैं अपना बैग कमरे में भूल गई हू अभी लेके आती हू...

बोल के चांदनी तुरंत चली गई अभय के कमरे में जैसे ही अभय ने अपनी दीदी को आते देखा बोला...

अभय – क्या हुआ दीदी आप...

चांदनी –(बीच में बात को काट के) देख अभय ठकुराइन से तेरी जो प्रोब्लम है उसे अपने तक रख इस तरह किसी के भी सामने तुझे कोई हक नही बनता किसी की बेइजती करने का समझा

अभय – लेकिन दीदी आप जानते हो...

चांदनी – (बीच में) हा जानती हू इसका मतलब ये नही मैं अपनी इंसानियत भूल जाऊ...

बोल कर चांदनी अपना बैग लेके चली गई पीछे अभय चुप चाप अपनी दीदी को जाते हुए देखता रहा और मन में बोला....

अभय –(मन में–सही तो के रही है दीदी तुझे कोई मतलब नहीं है उस औरत से तू जिस काम के लिए आया है उसमे ध्यान दे इन हरकतों के कारण कही सच में तेरी दीदी नाराज ना हो जाए क्या बोलेगा मां को क्यों नाराज हुए दीदी तेरे से इसीलिए अपनी पढ़ाई और अपने काम से मतलब रख तू)

अपने मन में सोच रहा था अभय तभी सायरा ने आवाज दी..

सायरा – किस सोच में डूबे हो आईटी आई देर से आवाज दे रही हू सब ठीक तो है ना

अभय – हा सब ठीक है आप इस वक्त

सायरा – लगता है बहुत गहरी सोच में डूबे हुए थे खाना खाना भी याद नहीं है तुम्हे

अभय –अब आप हो ही इतनी सुंदर कोई खाना तो क्या सोना तक भूल जाए

सायरा – अच्छा ऐसा है तो सोचना छोड़ दो इतना ऐसे ही हाथ लगने वाली चीज नही हू मै समझे मिस्टर

अभय – तो आप ही बता दो कैसे हाथ लगोगे आप

सायरा – (मुस्कुरा के) ये सोचना तुम्हे है मुझे नहीं

अभय – (मुस्कुरा के) चलो एक काम करते है आज से अब से मैं और आप दोस्त बन जाते है सिर्फ अच्छे दोस्त ये ठीक है ना

सायरा – सिर्फ अच्छे दोस्त तो ठीक है इससे आगे(मुस्कुरा के)

अभय – हा इससे आगे क्यों सोचे दोस्त बन के ही काम चलाते है

सायरा – मतलब मानोगे नही दोस्ती कर के ही रहोगे

अभय – अगर आपको एतराज है तो रहने दो

सायरा – मुझे कोई एतराज नही (अभय से हाथ मिला के) आज से हम दोस्त हुए अब खुश

अभय – बहुत खुश

सायरा – चलो खाना खा लो पहले मुझे जाना है चांदनी ने बुलाया है काम के लिए

अभय – ठीक है...

दोनो ने खाना खाया साथ में सायरा चली गई शाम को आने क्या बोल के जबकि अभय बेड में लेट गया शाम को सायरा के जागने से अभय की नीद खुली उठते ही...

अभय – (नीद से जागते ही) वक्त क्या हुआ है

सायरा – वैसे तो शाम के 7:30 हो रहे है लेकिन तुम्हारे लिए बहुत बुरा है

अभय – बहुत बुरा मेरे लिए वो भला क्यों

सायरा – तुमने पायल से मिलने का वादा किया था भूल गए

अभय –(अपने सिर में हाथ रख के) अरे ये क्या हो गया मैं भूल कैसे गया यार अब तो नाराज हो जाएगी पायल

सायरा –(हस्ते हुए) घबराओ मत ऐसा कुछ नही होगा मैं मिल कर आई हू पायल से उसके घर में उसकी मां की तबियत ठीक नहीं है इसीलिए पायल नही निकली घर से अपने

अभय – क्या काकी की तबियत ठीक नहीं है लेकिन तुम क्यों गई थी पायल के घर

सायरा – याद है न मैं 2 साल पहले आई हू इस गांव में तब से सबसे मिल कर रहती आई हू कभी कभी मिलती रहती हू गांव की औरतों से छोटे छोटे काम के बहाने

अभय –(सायरा की बात सुन के) आखिर किस काम के लिए आई हो तुम यहां क्यों 2 साल से हवेली में नौकर बनी हुई हो

सायरा – अभय कुछ बाते ऐसी है मैं चाह के भी बता नही सकती तुम्हे और प्लीज ये बात मत पूछना दोबारा चांदनी ने मना किया है जब चांदनी को सही लगेगा तब वो तुम्हे खुद बता देगी भरोसा रखो चांदनी पर

अभय – (हल्का हस के) अपने आप से ज्यादा भरोसा है दीदी पर खेर तुम मत सोचो ज्यादा इस बारे में मन में आया इसीलिए पूछ लिया तुमसे

सायरा – (चाय देते हुए) ठीक है अब जल्दी से ये चाय पियो मैं खाना बना देती हू रात के लिए ठीक है

अभय – ठीक है

रात का खाना बना के सायरा चली गई अभय कुछ वक्त के बाद खाना खा के तयार बैठा था खंडर जाने के लिए रात के 12 बजते ही अभय निकल गया खंडर की तरफ अंधेरी रात के सन्नाटे में अभय अकेला चलते चलते आ जाता है खंडर के सामने


images


चारो तरफ देखते हुए अभय धीरे धीरे चला जाता है खंडर में जहा सिवाय घनघोर सन्नाटे और अमावस्या की काले अंधेरे के सिवा कुछ नहीं था वहा पर चारों तरफ की दीवारें झाड़ियों से ढकी हुई थी


images-1

तो कही टूटी फूटी दीवारे थी अभय ने पॉकेट से मिनी टॉर्च निकल के जैसे ही जलाने को हुआ था की तभी किसी आहट सुनाई दी अभय को जिसे सुन अभय एक दीवार के पीछे छिप गया वो आहट धीरे धीरे अभय के करीब आते हुए महसूस हो रही थी तभी अभय फुर्ती से दीवार की पीछे से निकल के उस शक्श के सामने आके हमला करने वाला था तभी उस शख्स को देख अभय ने टार्च से उसका चेहरा देख रुक गया और बोला...

अभय – राज तू यहां पर , साले अभी मारने वाला था तुझे , जब आना था तो बता देता मुझे साथ में आते हम

राज – (गुस्से में) ज्यादा बकवास मत कर तू , एक तो बिना बात करे चला गया उपर से मुझे सुना रहा है , मुझे पहले पता था तू यहां जरूर आएगा इसीलिए मैं भी आ गया तेरे पीछे

अभय – लेकिन बड़ी मां ने तुझे आने कैसे दिया

राज – मैं बोल के आया हू आज तेरे साथ सोओंगा हॉस्टल में

अभय – और बड़ी मां मान भी गई

राज – हा मान गई चल छोड़ ये बता कुछ पता चला यहां पर तुझे

अभय – अभी आया हू मै यार यहां

राज – मैं भी यार , चल साथ में देखते है



images-2

दोनो मिल कर साथ में आगे बड़ गए सिवाय खंडर पड़ी दीवारों के कुछ दिख नहीं रहा था दोनो को तब राज बोला...

राज – यार यहां तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है और ये साला अजीब सी ठंडक जाने कहा से आने लगी है यार

अभय – हा यार मुझे भी लग रही है ठंड ऐसा लगता है जैसे मैं आ चुका हू पहले भी यहां पर

राज – किसके साथ आया था तू

अभय – याद नही आ रहा है यार अगर मैं सही हू तो आगे एक हॉल भी होना चाहिए

दोनो जैसे ही आगे बड़े सच में हाल में आ गए जिसके बाद राज बोला...

राज – तू सही कह रहा था यार यहां सच में हाल है

अभय – लल्ला ने बोला था बनवारी चाचा का बेटा आया था खंडर की तरफ जो अगले रोज बावली हालत में मिला था तो क्या वो सच में इतना अन्दर आया होगा या इससे भी आगे क्योंकि यहां तक तो ऐसा कुछ नही हुआ हमारे साथ

राज – तो चल आगे चल के देखते है ऐसा क्या देखा था बनवारी चाचा के बेटे ने

बोल के दोनो आगे बड़ने लगते है तभी ठंड पहले से ज्यादा लगने लगती है दोनो को...

राज – यार अब तो ठंड सी लगने लगी है अभय

अभय – नही राज ये ठंड नही ये ए सी की ठंडक है

राज – तुझे कैसे पता , यहां हाल में ए सी लगा हुआ है , लेकिन दिख नही रहा है कहा होगा

अभय – शालिनी आंटी के घर मैं ए सी में रहता था वही ठंडक है यहां पे भी एक काम कर राज हाल के चारो तरफ कमरे में दरवाजे लगे है तू उस तरफ़ दोनो दरवाजे देख मैं इस तरफ के दोनो दरवाजे देखता हू...

दोनो तरफ देखने के बाद...

अभय – यहां तो कुछ भी नही है यार तुझे कुछ मिला

राज –नही यार या भी कुछ नही है फिर इतनी ठंडक कहा से आ रही है यहां पर , (तभी राज ने एक तरफ देख बोला) अभय वो सामने देख कोने में एक और दरवाजे जैसा दिख रहा है...

उस तरफ देखते ही दोनो आगे बड़ गए देखने के लिए वहा पर जैसे ही वहा पहुंचे वैसे ही अभय बोला...

अभय – ठंडक यहां से आ रही है राज चले क्या अन्दर

राज – जब इतना आगे आ गए है तो चलते है देखा जाएगा जो होगा...

जैसे ही अन्दर गए दोनो अपने सामने वाले नजरे को देख कर दोनो की आखें बड़ी हो गई डर से क्योंकि जमीन पर एक आदमी का कटा हुआ सिर था राज हिम्मत कर के आगे गया जैसे ही राज ने सिर पर हाथ रखा...


GIF-20240819-162251-741

राज –(हस्ते हुए) अबे ये तो पत्थर का बना हुआ है भाई

GIF-20240819-162323-871

अभय – ओह तेरी की मुझे लगा साला किसका सिर आ गया यहां पर

राज ने इस पत्थर के सिर को उठा के एक मूर्ति पे लगा के..


GIF-20240819-162811-395

राज – भाई ये है इस मूर्ति का सिर है (हसने लगा) जिसके देख हमारी फट के चार हो गई थी😂😂

अभय – (कुछ सोच के) कही इसे देख कर ही तो बनवारी चाचा के बेटे की हालत वैसी तो नही हुई

राज – हो सकता है भाई यहां की हालत ऐसी है देख कर ही लग रहा है कोई भूत बंगला हो जैसे मुझे समझ में नहीं आ रहा है आखिर इस वीरान खंडर के अन्दर कोई कर क्या रहा होगा और अब तो ठंडक भी नही लग रही है यहां पर , भाई कसम से बोल रहा हू डर से मेरी फट रही है यहां पे

अभय –( कुछ सोचते हुए बोला) मुझे याद आ गया राज

राज – (चौक के) क्या याद आ गया तुझे

अभय – मैने कहा था ना कि ये जगह में आ चुका हू मै पहले

राज – हा कहा था लेकिन कब आया था तू यहां पर

अभय – यहां नहीं आया था मैं लेकिन ये जगह बिल्कुल हवेली की तरह है हर कमरा हर वो जगह जहा से हम आए है सब कुछ हवेली की तरह है यहां पे भी

राज – तू कहना चाहता है की दादा ठाकुर ने एक जैसे दो हवेली बनवाई थी

अभय – हा राज यहीं मुझे लग रहा है अगर मैं सही हू तो आगे इस दीवार की पीछे एक बड़ी सी गली बनी हुई है जहा बीचों बीच एक छोटा सा बगीचा बना हुआ है उसमे पानी और फूल होगे

जैसे ही दोनो आगे गए वहा का नजारा अलग था क्योंकि वहा पर तहखाना बना हुआ था...

राज – अबे यहां पर तहखाना का रास्ता बना हुआ है

अभय – (चारो तरफ देखता फिर उपर देख के बोला) वो देख राज छत खुली हुई है (बगल की सीडी से चढ़ के देख बोला) राज यह आके देख

राज – (सीडियो से उपर चढ के देख बोला) ये सामने तो रास्ता है कच्चा वाला

अभय – हा यही वो रास्ता है जिससे मैं निकला था तब यही से मुझे वो रोशनी आई थी इसका मतलब समझ रहा हैं तू

राज – हा समझ गया मेरे भाई हम बिल्कुल सही जगह पर आए है लेकिन यहां कहा से रोशनी आई होगी देख के भी समझ नही आ रहा है यार

अभय – तो चले तहखाने को देखने क्या बोलता है

राज – जैसे मैने पहले भी बोला फिर बोलता हू चल चलते है जो होगा निपट लेंगे साथ में यार....

बोल के जैसे ही आगे बढते है तभी दोनो को किसी की आवाज आती है जिसे सुन के दोनो एक साइड छुप जाते है लेकिन आवाज किसी की सही से समझ नही आती दोनो को...

राज –(धीरे से) ये आवाज कैसे थी यार

अभय –(धीरे से) पता नही भाई...

जब आवाज आना बंद हो गई तब दोनो अपनी जगह से निकल के बाहर आए कोई नही दिखा दोनो को जैसे ही आगे बड़े तभी अचानक से उनके सामने कोई आ गया जिसे देख दोनो की हवा टाइट हो गई अपने सामने उस आकृति को देख डर से आखें बड़ी हो गए जोर से चिल्ला के भागे दोनो....


GIF-20240819-145625-150

राज और अभय –(चिल्ला के भागते हुए) BBBBBBHHHHHOOOOOOOOOOOTTTTTTTT AAAABBBBBEEEEE BBBBBBAAAAAAAHHHHHHGGGGGOOOOOOOO

Media-240529-175524

चिल्लाते हुए इतने तेज भागे दोनो जैसे उनके पीछे किसी ने चीते को छोड़ दिया हो भागते भागते दोनो सीधे खंडर के बाहर निकल आए सीधे जाके अभय के हॉस्टल में रुके दोनो...
.
.
.
जारी रहेगा..✍️✍️✍️
 
Last edited:

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
Prime
10,242
33,727
244
Top