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UPDATE 15

देवेंद्र ठाकुर अपनी कार में बैठ के निकल गया रास्ते में अंगरक्षक ने देवेंद्र ठाकुर को मुस्कुराते हुए देखा तो पूछा

अंगरक्षक – क्या बात है सर आप जब यह आए गुस्सा और घबराहट थी आपकी चहरे पर लेकिन वापस जाते वक्त मुस्कुराहट है

देव – (मुस्कुराते हुए) आज देवी मां की लीला को देख कर मन खुश हो गया मेरा

अंगरक्षक – ऐसा क्या हो गया सर

देव – कुछ महीने पहले हम शहर गए थे याद है फंक्शन में जहा पर मुझपे जान लेवा हमला हुआ था

अंगरक्षक – हा सर अच्छे से याद है अगर शालिनी जी की बेटी और उनका भाई ना होता तो जाने क्या हो जाता उस दिन

देव – (मुस्कुरा के) हा बस उस लड़के की बात ही निराली थी उसे देख के मुझे मेरे बचपन के दोस्त मनन ठाकुर की याद आ गई थी और जानते हो वो लड़का कोई और नहीं मेरे बचपन के दोस्त मनन ठाकुर का बेटा है ये मुझे आज पता चला

अंगरक्षक – लेकिन सर वो तो

देव –(बीच में बात काटते हुए) हा जानते है हम लेकिन सच यही है बस यही सोच के हसी आ रही है....देवी भद्र काली की लीला अपराम पार है , अच्छा सुनो मैं चाहता हूं तुम इस साल गांव में मेला लगेगा तब वहा पे कुश्ती का आयोजन करना हम चाहते है अपने भांजे को तोहफा देना

अंगरक्षक – तोहफा देने के लिए कुश्ती का आयोजन समझ नही बात मुझे

देव – उसने जब हमारी ओर हमारे परिवार की जान बचाई तब हम उसे तोहफा में बाइक देना चाहते थे तब उसने कहा था मैंने अपना धर्म निभाया है ठाकुर साहब मुझे तोहफा देने से अच्छा आप जरूरत मंद की मदद कर दीजिएगा, उसके कही बात दिल को भा गई मेरे इसीलिए कुश्ती के बहाने अपने भांजे को तोहफा देना चाहते है

अंगरक्षक – समझ गया सर ऐसा ही होगा

देव और उनका अंगरक्षक बात करते करते निकल गए अपने गांव की ओर जबकि इस तरफ संध्या अभी भी गीता देवी के साथ बैठे बाते कर रही थी...

गीता देवी – शाम होने को आ रही है संध्या तू भी जाके तयारी कर आज गांव में भूमि पूजन है याद है ना तु वक्त पे आजाना सब साथ में पूजन करेगे

संध्या – दीदी क्या अभय आएगा वहा पे

गीता देवी – क्यों नहीं आएगा वो तो बचपन में सबसे पहले आ जाता था पूजन में इस बार भी जरूर आएगा बस तू अपने आप पर काबू रखना जानती है ना अभय की नाराजगी को

संध्या – वो सामने होता है मेरे कदम अपने आप उसके पास चले जाते है दीदी नही रोक पाती हू खुद को , नही बर्द्श होती है दूरी उससे मन करता है बस मेरे सामने रहे हर वक्त

गीता देवी – (गाल पे हाथ रख के) समझती हू तेरे दिल की भावना को , देव भईया ने कहा ना थोड़ा सब्र रख तू सब ठीक हो जाएगा

गीता देवी के समझने पर संध्या चली गई हवेली तयारी के लिए भूमि पूजन की इधर हॉस्टल में अभय खाना खा के आराम कर रहा था शाम को 6 बजे रमिया ने उठाया....

रमिया –(चाय हाथ में लिए अभय को जागते हुए) बाबू जी उठिए शाम हो गई है

अभय – अरे तू यही पे है अभी तक गई नही हवेली

रमिया – नही बाबू जी आज गांव में भूमि पूजन है ना इसीलिए रुक गई यही से पूजन में जाऊंगी सीधे

अभय – (चाय की चुस्की लेते हुए) वाह अच्छी चाय बनाती हो तुम मजा आजाता है तेरे हाथ की चाय पीने पर

रमिया –(शर्मा के) शुक्रिया बाबूंजी

अभय – अच्छा सुन एक काम है तुझसे कल शाम से रोज 3 लोगो का खाना बनाना तू

रमिया – 3 लोगो का खाना कॉन आ रहा है बाबू जी

अभय – है कोई मेरा खास कल आएंगे वो दोनो

रमिया – लेकिन बाबू जी कल तो कॉलेज के नए टीचर आ रहे है यहां पर

अभय – हा उन्हीं के साथ आ रहा है वो भी यही उनका रहने की व्यवस्था मेरे बगल वाले कमरे में करना ठीक है

रमिया – ठीक है बाबू जी

बोल के रमिया चली गई अभय चाय पी के त्यार हो गया था तभी उसके मोबाइल में कॉल आया किसी का

अभय –(मोबाइल देख के) PRIVATE NUMBER (कॉल रिसीव करके सामने से लड़की की आवाज आई)

लड़की – कैसे हो अभय बाबू

अभय – अब किस लिए फोन किया है तुमने

लड़की – इतनी भी नाराजगी अच्छी नहीं होती अभय

अभय – अच्छा तुम दोनो जो किया मेरे साथ उसके बाद भी तुम मुझसे हाल चाल पूछ रही हो। तुम्हारी वजह से में....

लड़की – (बात को काटते हुए) हमारे वजह से कुछ नही हुआ है अभय तुम शायद भूल रहे हो हमे तुम्हारे नही बल्कि तुम्हे हमारी जरूरत थी सौदा भी तुमने किया था , तुम्हे जो चाहीए था तुम्हे वो मिला और हमे जो चाहीए था वो ले लिया हमने बस और अब तुम सारा ब्लेम हम पे डाल रहे हो।

अभय – (बिना कुछ बोले गुस्से में गहरी सास ले रहा था)

लड़की – छोड़ो अभय गुस्सा से कोई हल नहीं निकलता है गलत ना तुम हो ना हम , खेर सुबह सुबह समुंदर के बीच (किनारे) का नजर देखा है जब सूरज उगता है कितना सुंदर नजारा होता है , वो देखना जरूर तुम शायद तुम्हे तुम्हारी समस्या का हल मिल जाए

अभय जब तक कुछ बोलता तब तक कॉल कट हो गया था अपने गुस्से को शांत कर गांव की तरफ निकल गया

आज की रात गांव पूरा चमक रहा था। गांव वालो की खुशियां टिमटिमाते हुए छोटे बल्ब बयां कर रही थी। सब गांव वाले आज नए नए कपड़े पहन कर एक जगह एकत्रित थे। एक जगह पर पकवान बन रहा था। तो एक जगह पर औरते अपना गीत गा रही थी। कही बुजुर्ग लोग बैठे आपस में बात कर रहे थे, तो कही बच्चे अपना बचपन शोर गुल करते हुए जी रहे थे। अल्हड़ जवानी की पहेली फुहार में भीगी वो लड़किया भी आज हसीन लग रही थी जिसे देख गांव के जवान मर्द अपनी आंखे सेंक रहे थे।
चारो तरफ शोर गुल और खुशियां ही थी, भूमि पूजन का उत्सव गांव वालो के लिए खुशियां समेत कर अपनी झोली में लाई थी इधर संध्या भी त्यार होके पूजा की थाली हाथ में लिए हाल से होते हुए बाहर को जा रहे थी तभी

मालती – दीदी आप इस वक्त पूजा की थाली लिए कहा जा रहे हो

संध्या – आज भूमि पूजन है ना वही जा रही हू मै और सुन खाने पे मेरा इंतजार मत करना बाहर ही खाना खा के आऊंगी

इतना बोल संध्या बिना मालती की बात पे ध्यान दिए निकल गई हवेली से कार लेके चलते चलते बीच रास्ते में बगीचे में संध्या की आंखो के सामने एक लैंप जलता हुआ दिखा। और उस लैंप की रौशनी में खड़ी एक लड़की दिखी कार रोक की संध्या अपने कदम लड़की की तरफ बढ़ा दी संध्या जब नजदीक पहुंची तो देखी की वो लड़की पायल थी, जो आज लाल रंग की सारी हाथो में पूजा की थाली लिए खड़ी थी।

संध्या – कैसी हो पायल

पायल – (पीछे मुड़ के) प्रणाम ठकुराइन अच्छी हू मै

संध्या – प्रणाम , पूजा में जा रही है तू

पायल – जी ठकुराइन

संध्या –आजा मेरे साथ चल मैं भी वही जा रही हू (अपने साथ पायल को कार में बैठे के कार आगे बड़ा दी चलते चलते संध्या बोली) पायल तुझे एक बात कहूं लेकिन वादा कर अपने तक रखेगी बात को

पायल – क्या बात है ठकुराइन जी ऐसी कॉन सी बात है

संध्या – जो खुशी मुझे नही मिल सकी मैं नही चाहती तू उसका गम में इस तरह डूबी रहे ही वक्त

पायल – मैं कुछ समझी नही आप क्या कहना चाहती हो ठकुराइन

संध्या – तेरा अभय जिंदा है यहीं है इसी गांव में याद वो लड़का जिसने आते ही गांव वालो को उनकी जमीन दिला दी , वो ही तेरा अभय है पायल

पायल – (मुस्कुराते हुए) जानती हू ठकुराइन

संध्या – (कार को ब्रेक लगा के) तू जानती है लेकिन कैसे

पायल – (आंख में आसू लिए) उस अलबेलें को कैसे भूल सकती हू मै जिसके इंतजार में आज तक कर रही हू उसदिन भीड़ में मैने उसे देखा था वही नैन नक्श लेकिन मुझे लगा शायद मेरा वहम है लेकिन मेरे बाबा जब उसे भूमि पूजन का न्योता देने गए थे तब वापस आके मां को बता रहे थे उसकी बातो को तब मैंने उनकी बात सुन मुझे यकीन हो गया की यही मेरा अभय है

संध्या – तो अब तक तू बोली क्यों नही कुछ भी

पायल – उस पागल ने इतने साल तरसाया है मुझे वो भी तो तरसे पता चले उसे भी इंतजार कैसा होता है

संध्या –(मुस्कुरा के पायल को गले लगा के) बड़ी हो गई है लेकिन तेरा बचपना नही गया तुझे जो अच्छा लगे वो कर , लेकिन अब तो मुस्कुरा दे सुना था मैने गांव वालो से जब से अभय गया तब से हंसना भूल गई है तू

संध्या की बात सुन के पायल हस दी दोनो मुस्कुराते हुए निकल गए गांव की तरफ जहा पर भूमि पूजन की तयारी की गई थी ठकुराइन को देख साथ में उनके पायल को देख के गांव वालो ने ठकुराइन का स्वागत किया कुछ समय के बाद अभय भी आ गया वहा पे जोर शोर से भूमि पूजन हुआ फिर सुरु हुई दावत

जहा ये सब हो रहा था वही अभय की नजर सिर्फ पायल पे टिकी हुई थी और संध्या की नजर सिर्फ अभय पर उसकी एक नजर को तरस रहे थी संध्या लेकिन अभय ने पलट के एक बार भी संध्या को नही देखा वो दोनो बात तो गांव वालो से कर रहे थे पर नजरे कही और ही थी।

संध्या – (अभय को देखते हुए खुद के मन से बोली) बेटा एक नजर अपनी मां की तरफ भी देख लो, मैं भी इसी आस में बैठी हूं। पूरा प्यार प्रेमिका पर ही , थोड़ा सा इस मां के लिए भी नही, हाय रे मेरी किस्मत!

संध्या अपनी सोच में डूबी अपनी किस्मत को कोस रही थी, तब तक वह राज , लल्ला और राजू तीनों दोस्त भी पहुंच जाते है। राज , अभय के पास आकर खड़ा हो जाता है जब राज ने अभय को देखा की उसके नजरे बार बार पायल पे ही जा रही है तो, वो पायल की तरफ बढ़ा। और पायल के नजदीक पहुंच कर बोला...

राज -- क्या बात है पायल? तूने तो उस छोकरे को दीवाना बना दीया है, कॉलेज में और यहा भी उसकी नजर तुझपे ही अटकी है।

राज की बात सुनकर, पायल बोली...

पायल -- कोई पागल लगता है, आते से ही देख रही हू घूरे जा रहा है बस सब बैठे है फिर भी बेशर्म की तरह मुझे ही घूर रहा है बदतमीज है।

राज -- वैसे, कल मज़ा आएगा।

पायल -- क्यूं ऐसा क्या होगा कल?

राज-- कल कॉलेज में जब ये तुझे इसी तरह घुरेगा, तो तेरा वो सरफिरा आशिक अमन इसकी जमकर धुलाई करेगा, तो देखने में मजा आयेगा।

पायल -- मुझे तो नही लगता।

पायल की बात सुनकर राज आश्चर्य से बोला...

राज -- क्या नही लगता?

पायल -- यही, की अमन इस पागल का कुछ बिगड़ पाएगा

राज -- (चौकते हुए) क्यूं तू ऐसा कैसे बोल सकती है तुझे पता नही क्या अमन के हरामीपन के बारे में।

पायल -- पता है, पर उससे बड़ा हरामि तो मुझे ये पागल लग रहा है। देखा नही क्या तुमने इस पागल को? सांड है पूरा, हाथ है हथौड़ा, गलती से भी उस पर एक भी पड़ गया तो बेचारे का सारा बॉडी ब्लॉक हो जायेगा। उस अमन की तरह मुफ्त की रोटियां खाने वालो में से तो नही लगता ये पागल। और वैसे भी वो मुझे देख रहा है तो उस अमन का क्या जाता है?

पायल की बाते राज को कुछ समझ नहीं आ रही थी...

राज -- अरे तू कहना क्या चाहती है तू उसकी तारीफ भी कर रही है और एक तरफ उसे पागल भी बोल रही है। क्या मतलब है...?

ये सुनकर पायल जोर से हस पड़ी.......

पायल को मुस्कुराता देख सब दंग रह गए, सालो बाद पायल आज मुस्कुराई थी...पास खड़ी उसकी सहेलियां तो मानो उनके होश ही उड़ गए हो। राज का भी कुछ यही हाल था। पायल मुस्कुराते हुए अभि भी अभय को ही देख रही थी।

और इधर पायल को मुस्कुराता देख अभय भी मंगलू और गांव वालो से बात करते हुए मुस्कुरा पड़ता है।
सब के मुंह खुले के खुले पड़े थे। पायल की एक सहेली भागते हुए कुछ औरतों के पास गई, जहा पायल की मां शांति भी थी...

काकी...काकी...काकी

उस लड़की की उत्तेजित आवाज सुनकर सब औरते उसको देखते हुए बोली...

औरत – अरे का हुआ, नीलम कहे इतना चिल्ला रही है?

नीलम ने कुछ बोलने के बजाय अपना हाथ उठते हुए पायल की तरफ इशारा किया सब औरते की नजर पायल के मुस्कुराते हुए चेहरे पर पड़ी, जिसे देख कर सब के मुंह खुले के खुले रह गए। सब से ज्यादा अचंभा तो शांति को था, ना जाने कितने सालों के बाद आज उसने अपनी बेटी का खिला और मुस्कुराता हुआ चेहरा देखी थी वो।

शांति -- है भगवान, मैं कही सपना तो नहीं देख रही हूं।

कहते हुए वो भागते हुए पायल के पास पहुंची पायल जब अपनी मां को देखती है तो उसकी मां रो रही थी। ये देख कर पायल झट से बोल पड़ी...

पायल -- मां, तू रो क्यूं रही है?

शांति -- तू , मुस्कुरा रही थी मेरी लाडो। एक बार फिर से मुस्कुरा ना।
ये सुन कर पायल इस बार सिर्फ मुस्कुराई ही नहीं बल्कि खिलखिला कर हंस पड़ी। सभी औरते और लड़किया भी पायल का खूबसूरत चेहरा देख कर खुशी से झूम उठी। पायल की जवानी का ये पहेली मुस्कान थी, जो आज सबने देखा था। वाकई मुस्कान जानलेवा था। पर शायद ये मुस्कान किसी और के लिए था...

पायल -- हो गया, मुस्कुरा दी मेरी मां। अब तो तू रोना बंद कर।

ये सुनकर शांति भी मुस्कुरा पड़ी, शांति को नही पता था की उसकी बेटी किस वजह से आज खुश है?किस कारण वो मुस्कुरा रही थी? और शायद जानना भी नही चाहती थी, उसके लिए तो सबसे बड़ी बात यही थी की, बरसो बाद उसकी फूल जैसी बेटी का मुरझाया चेहरा गुलाब की तरह खिला था।

पायल – (राज को बोली) अब तुभी अपनी शायरी सुना दे जल्दी से कल कॉलेज भी तो जाना है

पायल की बात सुन के सभी गांव वाले हसने लगे फिर सब गांव वाले एक तरफ होने लगे तभी संध्या बोली...

संध्या – (राज से) इधर आजाओ राज यहां से सबको सुनाई देगी

राज चला गया संध्या के बगल में खड़े होके त्यार हो गया शायरी सुनने के लिए इस वक्त सब गांव वालो और अभय की नजर राज पे टिकी थी

राज की शायरी उसकी जुबानी

अर्ज किया है

अभी तो मैंने नापी है,
मुट्ठी भर जमीन,
अभी तो नापना,आसमान बाकि है,
अभी तो लांघा है, समंदर मैंने,
अभी तो बाज की उडान बाकी हैं।।


शायरी सुन के सभी गांव वालो ने जोर से तालिया बजानी सुरु कर दी

सभी गांव वाले – बहुत खूब राज बहुत खूब

अर्ज किया है

कभी मै रहके भी घर पर नहीं हूं ,
जहाँ मै हूँ, वहाँ अकसर नहीं हूँ ,
किसी को चोट मुझसे क्या लगेगी,
किसी की राह का पत्थर नहीं हूँ,
रहा फूलों की संगती में निरंतर,
बहारों का भले शायर नहीं हूँ,
तेरा दर खुला हैं मेरे लिए हमेशा,
ये क्या कम है कि बेघर नहीं हूँ ।।

राजू और लल्ला – सिटी बजा के जोर से जोर से तल्लिया बजाने लगे

सभी गांव वाले ये नजारा देख के मुस्कुरा के तालिया बजाने लगे साथ अभय भी खुशी के साथ तल्लियो में साथ दे रहा था सबका

राजू – भाई कोई प्यार वाली भी सुना दे शायरी

राज – (मुस्कुरा के) अर्ज किया है

इस वास्ते दामन चाक किया शायद ये जुनूँ काम आ जाए
दीवाना समझ कर ही उन के होंटों पे मेरा नाम आ जाए
मैं ख़ुश हूँ अगर गुलशन के लिए कुछ लहू काम आ जाए
लेकिन मुझ को डर है इस गुल-चीं पे न इल्ज़ाम आ जाए
ऐ काश हमारी क़िस्मत में ऐसी भी कोई शाम आ जाए
इक चाँद फलक पर निकला हो इक चाँद सर-ए-शाम आ जाए
मय-ख़ाना सलामत रह जाए इस की तो किसी को फ़िक्र नहीं
मय-ख़्वार हैं बस इस ख़्वाहिश में साक़ी पे कुछ इल्ज़ाम आ जाए
पीने का सलीका कुछ भी नहीं इस पर है ये ख़्वाहिश है रिंदों की
जिस जाम पे हक़ है साकी का हाथों में वही जाम आ जाए
इस वास्ते ख़ाक-ए-परवाना पर शमा बहाती है आँसू
मुमकिन है वफ़ा के क़िस्से में उस का भी कहीं नाम आ जाए
अफ़्साना मुकम्मल है लेकिन अफ़्साने का उनवाँ कुछ भी नहीं

ऐ मौत बस इतनी मोहलत दे उन का कोई पैग़ाम आ जाए

लल्ला – (जोर से हस्ते हुए) लो लगता है भाई की नैया पार हो गई उसे भी किसी से प्यार हो गया है कॉन है वो खुश नसीब बताओ जरा

लल्ला की बात सुन के सब गांव वाले जोर से हसने लगे साथ में तालिया बजा के खुशी जाहिर करने लगे साथ अभय भी में ले रहा था इस बात के

राज – (हस्ते हुए) अर्ज किया है की....

पायल – (बीच में टोकते हुए) अरे राज एक शायरी दोस्ती पर भी सुना दे

गांव वालो के साथ पायल को बात सुन अभय भी राज को देखने लगा शायद अब और मजा आएगा शायरी में लेकिन...

राज – दोस्ती पर शायरी (हल्का मुस्कुरा के) क्या सुनाऊं दोस्ती पे शायरी , राजू और लल्ला के इलावा एक ही दोस्त था मेरा (हल्का हस के) जब उसे अपनी शायरी सुनता था हर बार मेरी शायरी की टांग तोड़ देता था वो , पूरे स्कूल में सिर्फ हम 4 ही दोस्त ही तो थे जो साथ खेलते भी थे साथ में घूमते भी थे कभी समंदर के किनारे घंटो तक नहाते थे मस्ती करते थे तो कभी अमरूद के बाग के पेड़ो से अमरूद तोड़ के खाया करते थे तो कभी आम के बगीचे में आम तोड़ के खाया करते थे घर में देर हो जाती थी जाने में तो (हसके) डाट खाया करते थे , लेकिन फिर अगले दिन हस के एक दूसरे से मिला करते थे , बस वो आखरी दिन याद है मुझे जब उसके साथ बगीचे में खेला था मैने उसके बाद उस रात मैं बहुत सोचता रहा कल मेरे जिगरी यार का जन्मदिन है क्या दू उसे तोहफे में तो उसके लिए एक शायरी लिख डाली सोचा था अगले दिन तोहफे में अपने यार को कागज में कलम से लिखी चांद लाइन शायरी की दूंगा तो जरूर उसकी भी टांग तोड़ देगा , अगले दिन स्कूल में उसकी राह देखता रहा लेकिन वो नहीं आया हा जब मैं घर गया तो ये जरूर पता चला की अब वो कभी नही आएगा, उसदिन से दोस्ती पर शायरी कभी बना नही पाया मैं डर लगता था नए दोस्त बनाने में , बस एक आखरी शायरी बनाए थी अपने दोस्त के लिए दोस्ती पर

राज – (अपने आसू पोंछ हल्का सा हस के) अर्ज किया है

तुम्हारे जन्मदिवस पर मिले तुम्हें ढेर सारे उपहार, खुशियाँ तुम्हारी दुगनी हो मिले सुख समृद्धि अपार ! चेहरा हमेशा खिला रहे आपका गुलाब की तरह,
नाम हमेशा रोशन रहे आपका आफताब की तरह, अँधेरे में भी चमकते रहे आप महताब की तरह,
और दुःख में भी हँसते रहे आप फूलों की तरह !
अगर याद न रहे आपको अपना जन्मदिन, चेक करते रहना यूँ ही अपने मोबाइल के इनबॉक्स हर दिन,
मैं कभी न भूलूंगा अपने यार का सबसे खास दिन, चाहे वह मेरे जीवन का हो सबसे आखिरी दिन

राज – वादा तो कर दिया मैने की अपने जीवन के आखरी दिन तक मैं उसका जन्मदिन नही भूलूगा , (आखों में आसू के साथ) लेकिन ये कभी नही सोचा था वो दिन उसका आखरी दिन होगा ,(आसमान को देखते हुए) वो कहता था मुझसे की एक दिन वो आसमान में तारा बन के चमकेगा जिसकी चमक बाकी तारो से अलग ही होगी , हर रोज उसे उन तारो की नगरी में डूडता हू , एक बार मां ने मुझे कहा आसमान को देखते हुए की वो देख वो तारा तेरे दादा जी है , वो तारा तेरी दादी , वो मेरी नानी , वो मेरे नाना , लेकिन मैं सिर्फ अपने दोस्त को डूडता रहा कभी दिखा नही मुझे जाने कौन से तारे की पीछे छुपा हुआ है।

राज – राजू और लल्ला के इलावा मेरा सिर्फ एक ही सच्चा दोस्त था उसका नाम अभय है।

बोल के राज चुप हो गया तभी पीछे से किसी ने राज के कंधे पे हाथ रखा , राज ने पलट के देखा तो...

संध्या – (राज के आसू अपने हाथो से पोंछ के गले लगा लिया उसे) मुझे माफ कर देना राज मैं तेरी भी कसूरवार हू शायद मेरी वजह से तेरा दोस्त दूर हुआ तुझसे ना मैं एक अच्छी मां बन पाई और ना अच्छी ठकुराइन , कभी समझ ही ना पाई....

दूर खड़ा अभय को देखते हुए बोले जा रही थी आगे संध्या कुछ बोलती उससे पहले ही पीछे से गीता देवी ने संध्या और राज दोनो के कंधे में एक साथ हाथ रख के बोली..

गीता देवी – (राज के सर पे हाथ फेर के) चुप होजा बेटा ऐसे खुशी के मौके पर रोया नही करते वर्ना क्या सोचेगा अभय की उसका पहलवान दोस्त लड़कियों की तरह रोता है उपर वाला सब ठीक कर देगा

गांव में ज्यादा तर लोग जानते थे की ये चारो अच्छे दोस्त है लेकिन आज ये भी जान गए थे अच्छे के साथ इन चारो की दोस्ती भी सच्ची है शायद इसीलिए वो भी अपने आसू ना रोक सके इसके बाद सभी गांव वाले जाने लगे अपने घर की ओर लेकिन जाते जाते राजू , लल्ला और राज के सर पे खुशी और प्यार से हाथ फेर के जा रहे थे

जब ये सब हो रहा था वही एक तरफ अभय दूर होके एक पेड़ के पीछे छुप के आंख में आसू लिए अपने तीनों दोस्तो को देख रहा था जाने वो क्या मजबूरी थी जिसके चलते अभय अपने दोस्तो को भी नही बता सकता था की वही उनका जिगरी यार अभय है।
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जारी रहेगा✍️✍️
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Rekha rani

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Eeasi emergency me fasa hoo bhai time he nahi mil paa rha hai ke update post ker sako thoda free hoke post krta ho bhai
.
Ho ske thoda wait kro aap sb
Koi bat nahi sir ji, aaram se free hokr update dena , wait kar lenge , pahle kam jruri hai
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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UPDATE 16

NOW ACTION TIME

भूमि पूजन के साथ दावत खतम कर शायरी की बारी आई जिसमे सभी गांव वालो को खूब हसाया और एक लम्हे ने सबको भावुक भी कर दिया एसे माहोल में जब गीता देवी और संध्या आसू पोंछ के राज को दिलासा दे रहे थे वही दूर पेड़ की आड़ में छिपा अभय अपने आसू बहा रहा था तभी

सत्या बाबू – (राज और उसके दोस्तो से) बहुत ही अच्छी शायरी सुनाई मजा आगया आओ इसी बात पे मेरी तरफ से तुम तीनो के लिए कुछ लाया हू मैं, जल्दी से आसू पोछो और चलो मेरे साथ

तीनों दोस्त सत्या बाबू के साथ चले गए

संध्या – (गीता देवी से) दीदी वो अभय...

गीता देवी –(बीच में टोकते हुए) हा जानती हू वो पेड़ के छिप के आसू बहा रहा है , एसा कर संध्या अभी तू जा रात के 10 बज रहे है अंधेरा भी अच्छा खासा हो गया है मै अभय को देखती हू

अपना मन मार कर गीता देवी की बात मान के संध्या निकल गई हवेली की ओर जबकि इस तरफ अभय..

अभय –(अपने आसू पोंछ रहा था तभी उसे किसी का कॉल आया बिना नंबर देखे कॉल उठा के) कॉन है

सामने से – आज आराम थोड़ा देर से करना क्योंकि वक्त आगया है हमारा सौदा पूरा करने का उसके बाद तू आजाद है

अभय – फिर से खेल रहे हो मेरे साथ

सामने से – नही अभय इस बार कोई खेल नहीं , बाकी की बात मिल के होगी

अभय – बस इतना बताओ कहा मिलेंगे वो लोग

सामने से – डिटेल सेंड कर दी है तुम्हे त्यार हो के जाना हेवी पार्टी होगी (कॉल कट)

अभय – हेलो हेलो...

तभी पीछे से किसी ने अभय के कंधे पे हाथ रखा अभय ने पलट के देखा तो सामने गीता देवी खड़ी थी

अभय –(सामने बड़ी मां को देख के) बड़ी मां आप

गीता देवी –(अपने हाथ से अभय के आसू साफ करके) देखा ना तूने ये तीनों भी तेरी ही राह देख रहे है चला जा बेटा और बता दे इनको

अभय –हा बड़ी मां देखा मैने बस आज की रात गुजार जाय मैं वादा करता हू कल मेरे दोस्त मिलेंगे अभय से इसके बाद आप देखना राज फिर से शायरी लिखेगा दोस्ती पे

गीता देवी – (मुस्कुरा के) जैसा तुझे अच्छा लगे बेटा चल तू भी आराम कर जाके कल कॉलेज भी जाना है ना

अभय – जी बड़ी मां

इतना बोल के गीता देवी जाने लगी तभी अभय ने पीछे से गीता देवी को आवाज दी...

अभय – बड़ी मां

गीता देवी – (पलट के अभय को देखते हुए) हा अभय

अभय –(गीता देवी के पास आके पैर छुए)

गीता देवी – (अपने पैर छूते हुए अभय को देखती रही) क्या बात है अभय

अभय – (मुस्कुरा के) कुछ नही बड़ी मां बस ऐसे ही मन हुआ , अच्छा चलता हू बड़ी मां

बोल के अभय जाने लगा पीछे से गीता देवी गौर से अभय को जाते देख रहे थी

गीता देवी – (मन में – इसे क्या हुआ आज इस तरह से कभी नही किया इसने)

अभय तेजी से हॉस्टल की ओर निकल गया हॉस्टल आते ही अपने रूम में बेड के नीचे से बैग निकाल के खोला अपने कपड़े उतार के बुलेट प्रूफ जैकेट पहनी साथ एक सूट भी पहना और पॉकेट में डाल के बैग बंद करके चुप चाप हॉस्टल की दीवार फांद के निकल गया कही...

गांव के सरहद के बाहर एक सुनसान एरिया में एक फार्म हाउस बना हुआ था उसके अन्दर एक हॉल बना हुआ था जिसमे 50 से 60 आदमी और औरते इक्कठा थे धीरे धीरे हाल में लगी कुर्सियों में लोग आ रहे थे बैठ रहे थे फार्म हाउस की भीड़ के बीच अभय भी आगया था सभी के साथ हाल में जाके बैठ गया तभी किसी के आने से वहा सन्नाटा छा गया हाल की बाकी कुर्सियों के सामने एक चेयर पे आके बैठ गया

ये लोग कोई मामूली लोग नही थे दिल्ली , मुंबई और गुजरात के नामी गैंगस्टर थे जो अपने गैंग के साथ गांव के बाहर किसी फार्म हाउस में आए थे मीटिंग के लिए इनके सामने बैठा था इन सब गैंगस्टरो का सरदार (LEADER)

लीडर – तुम सब को यहां बुलाने का सिर्फ एक कारण है अब तक हमारे ज्यादा तर धंधे बर्बाद कर दिए गए है साथ ही एनकाउंटर के नाम पर हमारे आदमियों को मारा गया है और इस काम को पुलिस और सरकार अंजामंदे रही है जबकि सच तो ये है इन सब के पीछे किंग (KING 👑 ) का हाथ है खुद सामने ना आकर पीठ पीछे वार कर रहा है हमारे ताकी हम सरकार को दोषी माने

1 गैंगस्टर – तो क्या सोचा है तुमने कैसे हम अपना कारोबार करेगे

2 गैंगस्टर – (KING 👑) किंग कोई मामूली इंसान नही है उससे डायरेक्ट उलझना मतलब अपनी मौत को दावत देना होगा

3 गैंगस्टर – पुलिस उसका कुछ नही बिगड़ सकती है क्यों की पुलिस के रिकॉर्ड में उसके किसी भी जुर्म की कोई फाइल कभी बनी ही नही है सरकार उसके हाथ में है ऐसे में कारोबार करना नामुमकिन है

लीडर – तो क्या चाहते हो हम हाथ पे हाथ धर के बैठे रहे करने दे उसे अपनी मनमानी

2 गैंगस्टर – क्यों ना उसके पावर को खतम किया जाय

3 गैंगस्टर – हां बिलकुल एक एक करके उसके नेटवर्क को मिटा देते है बिना नेटवर्क के उसकी कोई पावर नही रहेगी....

अभय इतनी देर से सुन रहा सबकी बात को बीच में बोल पड़ा...

अभय – (बीच में गैंगस्टर की बात काटते हुए) तब तो यहां पे बैठे हुए कुछ लोगो को अपनी जान गवानी पड़ेगी

लीडर – कॉन हो तुम बिना इजाजत हमारे बीच में बोलने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी , कॉन है तुम्हारा बॉस

अभय – मेरा कोई बॉस नही और ना मैं तुम्हारे किसी गैंग का बंदा हू

लीडर – तो तू यह पे आया कैसे और क्या करने आया है यहां पे

अभय – (एक खीच के चाटा मारा लीडर को)



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इसके बाद लीडर के साथ कई लोगो ने मिलके अभय के उपर गन तान दी..

अभय –(हस्ते हुए) जनता है तुम जैसे से नजरे मिला के कोई बात बात करने की हिम्मत नही करता है लेकिन आज मैने किया , दिल खुश हो गया मेरा यार (हस्ते हुए)

लीडर – (हस्ते हुए अपने आदमियों को गन नीचे करने का इशारा करता है) बहोत डेयरिंग है तुझमें किसी की हिम्मत नही मुझे टच भी कर ले तूने तो हाथ उठा दिया , लेकिन तेरी बातो से इंप्रेस हुआ मैं , अब बता क्यों आया है यहां पे तू और क्यों मेरे लोग मारे जाएंगे

अभय – जरा सोच तो इतनी बड़ी मीटिंग शहर और गांव के बाहर जंगल के बीचों बीच जिसके बारे में कोई सपने में भी न सोच सकता हो वहा पर मैं कैसे आगया सोची ये बात तूने नही ना , तो सोच जरा

लीडर – ठीक से बोल क्या कहना चाहता है तू

अभय – यही की तुम्हारे लोगो में से कोई है मिला हुआ है पुलिस से तुम्हारे हर मूवमेंट की जानकारी पुलिस को पहले हो जाती थी इसीलिए आज तुम सब यहां हो , लेकिन एक मजे की बात बताओ यह की मीटिंग के बारे में भी पुलिस को जानकारी दी गईं है और मुझे भेजा गया है इस बात को कन्फर्म करने के लिए (जोर से हसने लगा अभय)

लीडर – कॉन है वो आस्तीन का साप जो पुलिस का कुत्ता बन गया बोल बता नाम उसका

अभय – यहां पे बैठा हुआ कोई भी हो सकता है क्या पता वो तुम्हारा ही बनाया हुआ गैंगस्टर हो या औरतों के गरूप से हो देखो सबको जरा गौर से जिसके आखों में डर दिख जाय समझ लेना वही है

लीडर – (सबकी तरफ देखने लगा ध्यान से फिर अभय से बोला) अगर तू मुझे बता दे बदले में तुझे मु मांगे पैसे मिलेंगे

अभय – 2 गैंगस्टर और उसके साथी है।

अभय का इतना बोलना था तभी लीडर ने 2 गैंगस्टर पर गोली चला दी बदले में 2 गैंगस्टर के बंदे ने फायर किया उसके बाद कई लोगो ने गोली चलाना सूरी कर दी एक दूसरे पे इस बात का फायदा उठा के अभय भी शुरू हो गया सबको मारने



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बाकी के लोग एक दूसरे से आपस में लड़ने में लग गए थे मौके का फायदा उठा के अभय के सामने आता उसे बेरहमी से मरता जाता बिना रहम किए

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कुछ ही देर में सभी गैंगस्टर मारे गए और आखरी में मेन लीडर को मार दिया अभय ने , लेकिन कोई था वहा से दूर कही अपने कंप्यूटर स्क्रीन में ये सारा नजर देख रहा था गौर से

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उसके चेहरे पे एक अजीब सी मुस्कान थी ऐसा मानो जैसे वो एक विजई मुस्कान हो

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सबको मारने के बाद थका हरा अभय हाल में चारो तरफ देखने लगा जहा पे सिर्फ लाशों के सिवा कुछ भी नही बचा था वहा पे

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ऐसे में अभय वहा पे नही रुका और निकल गया वहा से बाहर आते ही अभय के मोबाइल में कॉल आया किसी का

अभय –(कॉल रिसीव करते हुए) कॉन है

सामने से – काम हो गया

अभय – एक छोटी मछली अगर शार्क से लड़े तो क्या होगा , बस वही हुआ है यह पर

सामने से – क्या मतलब...

अभय – (हस्ते हुए) आपकी भेजी हुए मछलियां आ गयी मैने उनको अच्छे से काट कर उनकी अच्छी खातिरदारी भी कर दी , ये मछलियां इस तरह यहां समंदर में रहने लायक नही इन्हे अपने एक्वेरियम में सजा लेना , ये वापस नहीं जाएगी , क्योंकि ये समुंदर मेरी जैसे शार्क मछलियों से भरा पड़ा है (चिल्ला के) I M A WALE

बोलते ही अभय ने कॉल कट कर निकल गया हॉस्टल की ओर जबकि इस तरफ अपनी कम्प्यूटर स्क्रीन में देख रहा लड़का मुस्कुरा रहा था अभय की बात सुन के उसके पीछे बैठी लड़की ने बोला

लड़की – तो तुम्हारा टेस्ट पूरा हो गया आज अब क्या बोलते हो तुम , (हस्ते हुए) आज बंद कर दी ना उसने तुम्हारी बोलती...

लड़का – पहली बार जब ये मिला था इसकी आखों में मुझे वो आग दिखी थी जो कभी मुझमें थी लेकिन

लड़की – (बीच में) रिलैक्स पुरानी बातो को याद करके अब कोई फायदा नही होगा आज को देखो बीते हुए कल को कोई नही बदल सकता है , एक बार अभय से मिल लो वर्ना उसकी नजर में हम दोनो ही हमेशा गलत बने रहेंगे

लड़का – ठीक है जल्दी मिलूगा अभय से

इस तरफ अभय हॉस्टल में आते ही तुरंत बाथरूम में चला गया शावर लेने लगा बाहर आते ही बेड में लेटने जा रहा था तभी मोबाइल में किसी का कॉल आया अंजान नंबर देख के....

अभय -- (कॉल रिसीव कर के) हेलो...!!

सामने से – ?????

अभय -- हेलो...कौन है ?

तब सामने से आवाज आई.....

संध्या -- मैं हूं...।

अभय -- मैं कौन? कुछ नाम भी तो होगा?

अभय की बात सुनकर सामने से एक बार फिर से आवाज आई...

संध्या – एक अभागी मां हूं, जो अपने बेटे के लिए बहुत तड़प रही है, प्लीज फोन मत काटना अभय।

अभय समझ गया की ये उसकी मां है, वो ये भी समझ गया की जरूर उसकी मां ने एडमिशन फॉर्म से नंबर निकला होगा।

अभय -- (गुस्से में चिल्ला के) तुझे एक बार में समझ नही आता क्या? तेरा और मेरा रास्ता अलग है,। क्यूं तू मेरे पीछे पड़ी है, बचपन तो खा गई मेरा अब क्या बची हुई जिंदगी भी जहन्नुम बनाना चाहती है।

अभय की बात सुनकर संध्या एक बार फिर से रोने लगती है.....


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संध्या -- ना बोल ऐसा अभय, मैं ऐसा कभी सपने में भी नही सोच सकती।

अभय -- (संध्या की बात सुन इस बार शांति से बोला) काश तूने ये सपने में सोचा होता , पर तूने तो...देख अब मैं संभाल गया हूं , तू समझ बात को , मुझे अब तेरी जरूरत नहीं है , और ना ही तेरी परवाह। मैं यहां पर सिर्फ पढ़ने आया हूं , कोई रिश्ता जोड़ने नही। तू अपने दिमाग में ये बात डाल ले की मैं तेरे लिए मर चुका हूं और तू मेरे लिए। तू जैसे अपनी जिंदगी जी रही थी वैसे ही जी , और मुझे भी जीने दे। देख मैं तुझसे गुस्सा नही हूं और ना ही तुझसे नाराज हूं , क्योंकि गुस्सा और नाराजगी अपनो से किया जाता है। तू मेरे लिए दुनिया के भीड़ में चल रही एक इंसान है बस , और कुछ भी नही।

कहते हुए अभय ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.....

संध्या – (रोते हुए मोबाइल को सीने से लगाए) तुझे कैसे बताऊं अभय कितना प्यार है मेरे दिल में तेरे लिए तू नही जानता तू क्या है मेरे लिए काश मेरी गलती माफी के काबिल होती....

एक तरफ अभय कॉल कट करके बेड में लेट गया और छत को घूरता रहा दूसरी तरफ हवेली में अभय के कमरे में संध्या जमीन में बैठी बेड में सीर टीका के रोती रही....

अगले दिन सुबह..

रमिया –(अभय को जागते हुए) बाबू जी ओह बाबू जी उठाए सुबह हो गई है

अभय –(नींद से जागते हुए) अरे तू इतनी सुबह सुबह आ गई

रमिया –(हस्ते हुए) बाबू जी सुबह के 7 बज रहे है

अभय– (हैरानी से) आज सच में देर हो गई मुझे

रमिया – लगता है कल रात देर से सोए हो बाबू जी , ये लिजये चाय पी लीजिए

अभय – (चाय लेते हुए) शुक्रिया रमिया

रमिया – बाबू जी आप त्यार हो जाइए मैं आपके लिए नाश्ता बना देती हू

अभय नहा धो के त्यार हो नाश्ता करके निकल गया कॉलेज की ओर कॉलेज में आते ही अभय ने देखा कॉलेज के ग्राउंड में कई स्टूडेंट्स टहल रहे थे उसमे राज , लल्ला और राजू उनके साथ पायल ये चारो बाते कर रहे थे आपस में...

पायल –(राज से) कल के लिए सॉरी राज मेरी वजह से..

राज – (बीच में ही) अरे तू क्यों माफी मांगती है कोई गलती नही है तेरी बस कल याद आगयी उसकी....चल जाने दे ज्यादा मत सोच तू

पायल –(अभय की तरफ देखते हुए) आगया ये नमूना यहां पर

राज –(चौकते हुए) क्या

पायल –(एक तरफ इशारा करके) वो देख वो आ रहा है नमूना यहां पे

राज , लल्ला और राजू ने देखा तो पाया अभय सामने से आ रहा था उनकी तरफ अभय के आते ही....

पायल – (अभय के आते ही राज से बोली) मैं नीलम के पास जा रही हूं तुम लोग बाते कर

राज कुछ बोलता उससे पहले पायल चली गई...

अभय – (तीनों से) कैसे हो तुम सब कल रात में मजा आगया (राज से) अच्छी शायरी करते हो तुम

राज – अरे ना भाई बस कभी कभी का शौक है ये (और सिगरेट जला के पीने लगा) , खुशी हुई आपको अच्छा लगी यहां की दावत

राजू – यार राज, कितना सिगरेट पिएगा तू, तेरे बापू को पता चला ना टांगे तोड़ देंगे तेरी।

अभय – (राज को सिगरेट पीता देख के मन में – मैने गांव क्या छोड़ा, ये इतना बिगाड़ गया अब तो खबर लेनी पड़ेगी इसकी)

राज की बात सुनकर अभय मुस्कुराते हुए बोला......

अभय -- हां दावत तो खास थी लेकिन इस बार तूने सरपंच की धोती में चूहा नही छोड़ा

राज – अरे नही यार, हर बार तो मैं ही करता हु इस बार तू....

कहते हुए राज चुप हो गया और हाथ से सिगरेट गिर गई , राज के चेहरे के भाव इतनी जल्दी बदले की गिरगिट भी न बदल पाए। उसके तो होश ही उड़ गए, झट से बोला...

अजय -- तू....तुम्हे कै...कैसे पता की मैं सरपंच के धोती में चूहा छोड़ता हूं

राज की बात सुन मुस्कुरा के अभय ने आगे बढ़ते हुए राज को अपने गले से लगा लिया और प्यार से बोला...

अभय -- इतना भी नही बदला हूं, की तू अपने यार को ही नही पहचाना।

गले लगते ही राज का शरीर पूरा कांप सा गया, उसके चेहरे पर अजीब सी शांति और दिल में ठंडक वाला तूफान उठा लगा। कस कर अभय को गले लगाते हुए अजय रोने लगा....

राज इस तरह रो रह था मानो कोई बच्चा रो रहा हो। अभय और राज आज अपनी यारी में एक दूसरे के गले लगे रो रह थे।

राज -- (रोते हुए) कहा चला गया था यार, बहुत याद आती थी यार तेरी।

राज की बात सुनकर, अभय भी अपनी भीगी आखों के साथ बोला...

अभय -- जिंदगी क्या है, वो ही सीखने गया था। पर अब तो आ गया ना।

कहते हुए अभय राज से अलग हो जाता है, अभय राज का चेहरा देखते हुए बोला...

अभय -- अरे तू तो मेरा शेर है, तू कब से रोने लगा। अब ये रोना धोना बंद कर, और हा एक बात....

इससे पहले की अभय कुछ और बोलता वहा खड़े 2 लड़के अभय के गले लग जाते है...

लल्ला – मुझे पहेचान....मैं लल्ला जिसे तुमने आम के पेड़ से नीचे धकेल दिया था और हाथ में मोच आ गई थी।

लल्ला की बात सुनकर अभय बोला...

अभय -- हा तो वो आम भी तो तुझे ही चाहिए था ना।

राजू – मुझे पहचाना मैं राजू हूं

अभय –(हस्ते हुए) तुझे कैसे भूल सकता हूं यार तू तो हमारा नारद मुनि है तू ही तो गांव की हर खबर रखता है हमारा न्यूज पेपर

इस बात पे चारो दोस्त जोर से हसने लगे...

अभय -- अरे मेरे यारो, सब को पहेचान गया । लेकिन एक बात ध्यान से सुनो सब लोग ये बात की मैं ही अभय हूं, ये बात सिर्फ अपने तक रखना मैं नही चाहता हर कोई जान जाय यहां पे मेरे बारे में

अभय अभि बोल ही रहा थे की, राज एक बार फिर से अभय के गले लग जाता है....

अभय -- कुछ ज्यादा नही हो रह है राज, लोग देखेंगे तो कुछ और न समझ ले...।

अभय की बात पर सब हंसन लगे....की तभी कॉलेज के मेन गेट अमन आता है अपनी बाइक से दूसरे गांव के ठाकुर के लड़के के साथ जो अमन का दोस्त था...

अभय – (अमन को देख मुस्कुराते हुए बोला) अब देखना कैसे इसकी जलाता हू मै..

इतना बोल अभय अपने दोस्तो के साथ निकल गया पायल की तरफ जो ग्राउंड के बाहर अपनी दोस्त नीलम से बाते कर रही थी तभी अभय को देख पायल ने राज को बोला.....

पायल -- जरा संभल के, पागलों के साथ रह कर तू भी पागल मत हो जाना।

बोल कर पायल जैसे ही आगे जाने के लिए बढ़ी थी...

अभय -- अब इस कदर कयामत हम पर बरसेगी, तो पागलपन क्या कही जान ही ना निकल जाए।

अभय की बात सुनकर, पायल अभय की तरफ पलटी तो नही, मगर हल्का सा अपना चेहरा घुमाते हुए बोली...

पायल -- इस कयामत का हकदार कोई और है, उम्र बीत जायेगी तुम्हारी, यूं राह तकते तकते...।

ये कह कर पायल हल्के से मुस्कुराई और फिर आगे बढ़ी ही थी की,...

अभय -- अगर मैं कहूं, की वो हकदार मैं ही हूं तो?

पायल इस बार फिर मुस्कुराई.....

पायल -- उसे पता है, मैं उसे कहा मिल सकती हूं।

ये कह कर पायल आगे बढ़ जाती है...। अभय मुस्कुराते हुए अपने दिल पर हाथ रखा ही था की....तभी पीछे से अमन दौड़ के आया और एक किस मार दी अभय की पीठ पर..



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अभय के जमीन पर गिरते ही, पायल, राज और बाकी सभी लोग हैरत से अपनी नज़रे घुमा कर देखते है तो। सामने अमन अपने हाथो में एक मोटा डंडा लेकर खड़ा था।

जल्द ही अभय खड़े होते हुए, अपने कपड़े पर लगी मिट्टी को घाड़ते हुए बोला...

अभय -- अच्छा था, मगर बुजदिलों वाला था पीछे से नही आगे से मरता तब लगता एक मर्द ने वार किया है

अभय की बेबाकी और निडरता देखकर, वहा खड़े सब लड़के आपस में काना फूसी करने लगे। मगर एक अकेली पायल ही थी जो वहा पर खड़ी मुस्कुरा रही थी.....

लड़का – इसी लौंडे ने डिग्री कॉलेज का काम रुकवा दिया था।

अमन के साथ में खड़ा वो लड़का बोला...उस लड़के की बात सुनकर, अमन भी अपनी हरामीगिरी दिखाते हुए बोला...

अमन -- तू यहां पर नया है इसलिए तुझे छोर दिया था मैने शायद तुझे मेरे बारे में पता नही। वो जो लड़की तेरे पीछे खड़ी है, दुबारा उसके आस पास भी मत भटकना, ये अखरी चेतावनी है तेरे लिए

अमन की बात सुनकर, अभय मुस्कुराते हुए एक नजर पीछे मुड़ कर पायल की तरफ देखता है। और वापस अमन की तरफ देख कर बोला।

अभय -- डायलॉग तो ऐसे मार रहा है, जैसे तंबाकू का एडवरटाइजमेंट कर रहा है, चेतावनी...वार्निंग। इस लड़की के आस - पास की बात करता है तू।

ये कह कर अभय, अमन की तरफ ही देखते हुए उल्टे पांव पायल की तरफ चलते हुए...पायल के बराबर में आकर खड़ा हो गया..सब लोग अभय को ही देख रहे थे, राज ने भी अभय के बारे में जैसा सोचा था वैसा ही अभय के अंदर निडरता को पाया , पायल की नजरे तो अभय पर ही टिकी थी। मगर बाकी कॉलेज के स्टूडेंट ये समझ गए थे की जरूर अब कुछ बुरा होने वाला है की तभी वो हुआ....जिस चीज का किसी को अंदाजा भी ना था.....



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पायल ने बिना किसी की परवाह किए अभय को चूमने लगी होठों पर...ये नजारा देख लड़के हो या लड़किया सभी हैरान रह गए क्योंकि जो लड़की किसी से बात तक नहीं करती थी हर वक्त गुमसुम सी रहती थी वो आज अचनाक गांव के कॉलेज पड़ने आए एक नए लड़के को चूम रही थी....

ये नजारा देख जहा सब हैरान थे वही अमन जल भुन रहा था आखों में गुस्से का ज्वालामुखी जैसे फटने वाला हो एसा चेहरा जैसे लाल हो गया था , तभी अमन डंडा ले के मरने आ रहा था अभय को तभी राज ने अमन के पैर पर अपना पैर मार दिया जी कारण अमन गिर गया तभी...

राज – (अभय को आवाज दी) अभय...

अभय –(पायल से किस तोड़ के राज की तरफ देखा)

राज – (डंडा अभय की तरफ उछल दिया जिसे अभय ने पकड़ लिया)

इधर अमन खड़ा हो गया पीछे से जाने कहा से मुनीम अपने 2 लट्ठहरो के साथ जीप से उतरता हुआ नजर आया जिसे देख अभय के गुस्से का पारा बड़ गया बिना किसी की परवाह किए अभय ने एक घुसा मारा अमन के पेट में जिससे अमन अपना पेट पकड़ के जमीन में बैठ गया...

तभी अभय तुरंत दौड़ के गया मुनीम के पास ये देख मुनीम अपने लट्ठहरो के साथ सामने आया अभय के....

मुनीम – ऐ छोरे तू नही जानता किस्से हाथ उठाया है तूने

अपने लट्ठहरो को इशारा किया अपने लट्ठहरो के साथ मुनीम अभय के सामने चला गया हाथ में लाठ लिए तब अभय ने दिखाया कुछ ऐसा...


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हाथ में लट्ठ लिए अपनी कला बाजी दिखाई...

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जिससे दोनो लट्ठहरो की हवा टाइट हो गई उनके हाथ से लट्ठ गिर गया तुरंत भाग गए दोनो..

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और तभी अभय ने मुनीम के पैर में लट्ठ मारी जिसे मुनीम जमीन में गिर गया तब अभय बोला...

अभय – मुनीम इसको पेड़ में बांध दो अगर ये स्कूल न जाय तो , मालकिन इसने अमन बाबू का खाना फेक दिया , क्यों याद आया तुझे हरामजादे

ये सुन मुनीम की आखें बड़ी हो गई....

मुनीम –(डरते हुए) क...क...कॉन हो तुम

अभय – अभय , ठाकुर अभय सिंह , जितनी बार तू मिलेगा मुझे उतनी बार तेरे शशिर का एक अंग तोडूगा मैं...


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इतना बोल अभय ने एक जोर लात मारी मुनीम के पैर में जिससे मुनीम का पैर की हड्डी टूट गई , दर्द में तड़पता हुआ बेहोश हो गया
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जारी रहेगा✍️✍️
 
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Yasasvi3

😈Devil queen 👑
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UPDATE 16

NOW ACTION TIME

भूमि पूजन के साथ दावत खतम कर शायरी की बारी आई जिसमे सभी गांव वालो को खूब हसाया और एक लम्हे ने सबको भावुक भी कर दिया एसे माहोल में जब गीता देवी और संध्या आसू पोंछ के राज को दिलासा दे रहे थे वही दूर पेड़ की आड़ में छिपा अभय अपने आसू बहा रहा था तभी

सत्या बाबू – (राज और उसके दोस्तो से) बहुत ही अच्छी शायरी सुनाई मजा आगया आओ इसी बात पे मेरी तरफ से तुम तीनो के लिए कुछ लाया हू मैं, जल्दी से आसू पोछो और चलो मेरे साथ

तीनों दोस्त सत्या बाबू के साथ चले गए

संध्या – (गीता देवी से) दीदी वो अभय...

गीता देवी –(बीच में टोकते हुए) हा जानती हू वो पेड़ के छिप के आसू बहा रहा है , एसा कर संध्या अभी तू जा रात के 10 बज रहे है अंधेरा भी अच्छा खासा हो गया है मै अभय को देखती हू

अपना मन मार कर गीता देवी की बात मान के संध्या निकल गई हवेली की ओर जबकि इस तरफ अभय..

अभय –(अपने आसू पोंछ रहा था तभी उसे किसी का कॉल आया बिना नंबर देखे कॉल उठा के) कॉन है

सामने से – आज आराम थोड़ा देर से करना क्योंकि वक्त आगया है हमारा सौदा पूरा करने का उसके बाद तू आजाद है

अभय – फिर से खेल रहे हो मेरे साथ

सामने से – नही अभय इस बार कोई खेल नहीं , बाकी की बात मिल के होगी

अभय – बस इतना बताओ कहा मिलेंगे वो लोग

सामने से – डिटेल सेंड कर दी है तुम्हे त्यार हो के जाना हेवी पार्टी होगी (कॉल कट)

अभय – हेलो हेलो...

तभी पीछे से किसी ने अभय के कंधे पे हाथ रखा अभय ने पलट के देखा तो सामने गीता देवी खड़ी थी

अभय –(सामने बड़ी मां को देख के) बड़ी मां आप

गीता देवी –(अपने हाथ से अभय के आसू साफ करके) देखा ना तूने ये तीनों भी तेरी ही राह देख रहे है चला जा बेटा और बता दे इनको

अभय –हा बड़ी मां देखा मैने बस आज की रात गुजार जाय मैं वादा करता हू कल मेरे दोस्त मिलेंगे अभय से इसके बाद आप देखना राज फिर से शायरी लिखेगा दोस्ती पे

गीता देवी – (मुस्कुरा के) जैसा तुझे अच्छा लगे बेटा चल तू भी आराम कर जाके कल कॉलेज भी जाना है ना

अभय – जी बड़ी मां

इतना बोल के गीता देवी जाने लगी तभी अभय ने पीछे से गीता देवी को आवाज दी...

अभय – बड़ी मां

गीता देवी – (पलट के अभय को देखते हुए) हा अभय

अभय –(गीता देवी के पास आके पैर छुए)

गीता देवी – (अपने पैर छूते हुए अभय को देखती रही) क्या बात है अभय

अभय – (मुस्कुरा के) कुछ नही बड़ी मां बस ऐसे ही मन हुआ , अच्छा चलता हू बड़ी मां

बोल के अभय जाने लगा पीछे से गीता देवी गौर से अभय को जाते देख रहे थी

गीता देवी – (मन में – इसे क्या हुआ आज इस तरह से कभी नही किया इसने)

अभय तेजी से हॉस्टल की ओर निकल गया हॉस्टल आते ही अपने रूम में बेड के नीचे से बैग निकाल के खोला अपने कपड़े उतार के बुलेट प्रूफ जैकेट पहनी साथ एक सूट भी पहना और पॉकेट में डाल के बैग बंद करके चुप चाप हॉस्टल की दीवार फांद के निकल गया कही...

गांव के सरहद के बाहर एक सुनसान एरिया में एक फार्म हाउस बना हुआ था उसके अन्दर एक हॉल बना हुआ था जिसमे 50 से 60 आदमी और औरते इक्कठा थे धीरे धीरे हाल में लगी कुर्सियों में लोग आ रहे थे बैठ रहे थे फार्म हाउस की भीड़ के बीच अभय भी आगया था सभी के साथ हाल में जाके बैठ गया तभी किसी के आने से वहा सन्नाटा छा गया हाल की बाकी कुर्सियों के सामने एक चेयर पे आके बैठ गया

ये लोग कोई मामूली लोग नही थे दिल्ली , मुंबई और गुजरात के नामी गैंगस्टर थे जो अपने गैंग के साथ गांव के बाहर किसी फार्म हाउस में आए थे मीटिंग के लिए इनके सामने बैठा था इन सब गैंगस्टरो का सरदार (LEADER)

लीडर – तुम सब को यहां बुलाने का सिर्फ एक कारण है अब तक हमारे ज्यादा तर धंधे बर्बाद कर दिए गए है साथ ही एनकाउंटर के नाम पर हमारे आदमियों को मारा गया है और इस काम को पुलिस और सरकार अंजामंदे रही है जबकि सच तो ये है इन सब के पीछे किंग (KING 👑 ) का हाथ है खुद सामने ना आकर पीठ पीछे वार कर रहा है हमारे ताकी हम सरकार को दोषी माने

1 गैंगस्टर – तो क्या सोचा है तुमने कैसे हम अपना कारोबार करेगे

2 गैंगस्टर – (KING 👑) किंग कोई मामूली इंसान नही है उससे डायरेक्ट उलझना मतलब अपनी मौत को दावत देना होगा

3 गैंगस्टर – पुलिस उसका कुछ नही बिगड़ सकती है क्यों की पुलिस के रिकॉर्ड में उसके किसी भी जुर्म की कोई फाइल कभी बनी ही नही है सरकार उसके हाथ में है ऐसे में कारोबार करना नामुमकिन है

लीडर – तो क्या चाहते हो हम हाथ पे हाथ धर के बैठे रहे करने दे उसे अपनी मनमानी

2 गैंगस्टर – क्यों ना उसके पावर को खतम किया जाय

3 गैंगस्टर – हां बिलकुल एक एक करके उसके नेटवर्क को मिटा देते है बिना नेटवर्क के उसकी कोई पावर नही रहेगी....

अभय इतनी देर से सुन रहा सबकी बात को बीच में बोल पड़ा...

अभय – (बीच में गैंगस्टर की बात काटते हुए) तब तो यहां पे बैठे हुए कुछ लोगो को अपनी जान गवानी पड़ेगी

लीडर – कॉन हो तुम बिना इजाजत हमारे बीच में बोलने की हिम्मत कैसे हुई तुम्हारी , कॉन है तुम्हारा बॉस

अभय – मेरा कोई बॉस नही और ना मैं तुम्हारे किसी गैंग का बंदा हू

लीडर – तो तू यह पे आया कैसे और क्या करने आया है यहां पे

अभय – (एक खीच के चाटा मारा लीडर को)



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इसके बाद लीडर के साथ कई लोगो ने मिलके अभय के उपर गन तान दी..

अभय –(हस्ते हुए) जनता है तुम जैसे से नजरे मिला के कोई बात बात करने की हिम्मत नही करता है लेकिन आज मैने किया , दिल खुश हो गया मेरा यार (हस्ते हुए)

लीडर – (हस्ते हुए अपने आदमियों को गन नीचे करने का इशारा करता है) बहोत डेयरिंग है तुझमें किसी की हिम्मत नही मुझे टच भी कर ले तूने तो हाथ उठा दिया , लेकिन तेरी बातो से इंप्रेस हुआ मैं , अब बता क्यों आया है यहां पे तू और क्यों मेरे लोग मारे जाएंगे

अभय – जरा सोच तो इतनी बड़ी मीटिंग शहर और गांव के बाहर जंगल के बीचों बीच जिसके बारे में कोई सपने में भी न सोच सकता हो वहा पर मैं कैसे आगया सोची ये बात तूने नही ना , तो सोच जरा

लीडर – ठीक से बोल क्या कहना चाहता है तू

अभय – यही की तुम्हारे लोगो में से कोई है मिला हुआ है पुलिस से तुम्हारे हर मूवमेंट की जानकारी पुलिस को पहले हो जाती थी इसीलिए आज तुम सब यहां हो , लेकिन एक मजे की बात बताओ यह की मीटिंग के बारे में भी पुलिस को जानकारी दी गईं है और मुझे भेजा गया है इस बात को कन्फर्म करने के लिए (जोर से हसने लगा अभय)

लीडर – कॉन है वो आस्तीन का साप जो पुलिस का कुत्ता बन गया बोल बता नाम उसका

अभय – यहां पे बैठा हुआ कोई भी हो सकता है क्या पता वो तुम्हारा ही बनाया हुआ गैंगस्टर हो या औरतों के गरूप से हो देखो सबको जरा गौर से जिसके आखों में डर दिख जाय समझ लेना वही है

लीडर – (सबकी तरफ देखने लगा ध्यान से फिर अभय से बोला) अगर तू मुझे बता दे बदले में तुझे मु मांगे पैसे मिलेंगे

अभय – 2 गैंगस्टर और उसके साथी है।

अभय का इतना बोलना था तभी लीडर ने 2 गैंगस्टर पर गोली चला दी बदले में 2 गैंगस्टर के बंदे ने फायर किया उसके बाद कई लोगो ने गोली चलाना सूरी कर दी एक दूसरे पे इस बात का फायदा उठा के अभय भी शुरू हो गया सबको मारने



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बाकी के लोग एक दूसरे से आपस में लड़ने में लग गए थे मौके का फायदा उठा के अभय के सामने आता उसे बेरहमी से मरता जाता बिना रहम किए

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कुछ ही देर में सभी गैंगस्टर मारे गए और आखरी में मेन लीडर को मार दिया अभय ने , लेकिन कोई था वहा से दूर कही अपने कंप्यूटर स्क्रीन में ये सारा नजर देख रहा था गौर से

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उसके चेहरे पे एक अजीब सी मुस्कान थी ऐसा मानो जैसे वो एक विजई मुस्कान हो

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सबको मारने के बाद थका हरा अभय हाल में चारो तरफ देखने लगा जहा पे सिर्फ लाशों के सिवा कुछ भी नही बचा था वहा पे

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ऐसे में अभय वहा पे नही रुका और निकल गया वहा से बाहर आते ही अभय के मोबाइल में कॉल आया किसी का

अभय –(कॉल रिसीव करते हुए) कॉन है

सामने से – काम हो गया

अभय – एक छोटी मछली अगर शार्क से लड़े तो क्या होगा , बस वही हुआ है यह पर

सामने से – क्या मतलब...

अभय – (हस्ते हुए) आपकी भेजी हुए मछलियां आ गयी मैने उनको अच्छे से काट कर उनकी अच्छी खातिरदारी भी कर दी , ये मछलियां इस तरह यहां समंदर में रहने लायक नही इन्हे अपने एक्वेरियम में सजा लेना , ये वापस नहीं जाएगी , क्योंकि ये समुंदर मेरी जैसे शार्क मछलियों से भरा पड़ा है (चिल्ला के) I M A WALE

बोलते ही अभय ने कॉल कट कर निकल गया हॉस्टल की ओर जबकि इस तरफ अपनी कम्प्यूटर स्क्रीन में देख रहा लड़का मुस्कुरा रहा था अभय की बात सुन के उसके पीछे बैठी लड़की ने बोला

लड़की – तो तुम्हारा टेस्ट पूरा हो गया आज अब क्या बोलते हो तुम , (हस्ते हुए) आज बंद कर दी ना उसने तुम्हारी बोलती...

लड़का – पहली बार जब ये मिला था इसकी आखों में मुझे वो आग दिखी थी जो कभी मुझमें थी लेकिन

लड़की – (बीच में) रिलैक्स पुरानी बातो को याद करके अब कोई फायदा नही होगा आज को देखो बीते हुए कल को कोई नही बदल सकता है , एक बार अभय से मिल लो वर्ना उसकी नजर में हम दोनो ही हमेशा गलत बने रहेंगे

लड़का – ठीक है जल्दी मिलूगा अभय से

इस तरफ अभय हॉस्टल में आते ही तुरंत बाथरूम में चला गया शावर लेने लगा बाहर आते ही बेड में लेटने जा रहा था तभी मोबाइल में किसी का कॉल आया अंजान नंबर देख के....

अभय -- (कॉल रिसीव कर के) हेलो...!!

सामने से – ?????

अभय -- हेलो...कौन है ?

तब सामने से आवाज आई.....

संध्या -- मैं हूं...।

अभय -- मैं कौन? कुछ नाम भी तो होगा?

अभय की बात सुनकर सामने से एक बार फिर से आवाज आई...

संध्या – एक अभागी मां हूं, जो अपने बेटे के लिए बहुत तड़प रही है, प्लीज फोन मत काटना अभय।

अभय समझ गया की ये उसकी मां है, वो ये भी समझ गया की जरूर उसकी मां ने एडमिशन फॉर्म से नंबर निकला होगा।

अभय -- (गुस्से में चिल्ला के) तुझे एक बार में समझ नही आता क्या? तेरा और मेरा रास्ता अलग है,। क्यूं तू मेरे पीछे पड़ी है, बचपन तो खा गई मेरा अब क्या बची हुई जिंदगी भी जहन्नुम बनाना चाहती है।

अभय की बात सुनकर संध्या एक बार फिर से रोने लगती है.....


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संध्या -- ना बोल ऐसा अभय, मैं ऐसा कभी सपने में भी नही सोच सकती।

अभय -- (संध्या की बात सुन इस बार शांति से बोला) काश तूने ये सपने में सोचा होता , पर तूने तो...देख अब मैं संभाल गया हूं , तू समझ बात को , मुझे अब तेरी जरूरत नहीं है , और ना ही तेरी परवाह। मैं यहां पर सिर्फ पढ़ने आया हूं , कोई रिश्ता जोड़ने नही। तू अपने दिमाग में ये बात डाल ले की मैं तेरे लिए मर चुका हूं और तू मेरे लिए। तू जैसे अपनी जिंदगी जी रही थी वैसे ही जी , और मुझे भी जीने दे। देख मैं तुझसे गुस्सा नही हूं और ना ही तुझसे नाराज हूं , क्योंकि गुस्सा और नाराजगी अपनो से किया जाता है। तू मेरे लिए दुनिया के भीड़ में चल रही एक इंसान है बस , और कुछ भी नही।

कहते हुए अभय ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.....

संध्या – (रोते हुए मोबाइल को सीने से लगाए) तुझे कैसे बताऊं अभय कितना प्यार है मेरे दिल में तेरे लिए तू नही जानता तू क्या है मेरे लिए काश मेरी गलती माफी के काबिल होती....

एक तरफ अभय कॉल कट करके बेड में लेट गया और छत को घूरता रहा दूसरी तरफ हवेली में अभय के कमरे में संध्या जमीन में बैठी बेड में सीर टीका के रोती रही....

अगले दिन सुबह..

रमिया –(अभय को जागते हुए) बाबू जी ओह बाबू जी उठाए सुबह हो गई है

अभय –(नींद से जागते हुए) अरे तू इतनी सुबह सुबह आ गई

रमिया –(हस्ते हुए) बाबू जी सुबह के 7 बज रहे है

अभय– (हैरानी से) आज सच में देर हो गई मुझे

रमिया – लगता है कल रात देर से सोए हो बाबू जी , ये लिजये चाय पी लीजिए

अभय – (चाय लेते हुए) शुक्रिया रमिया

रमिया – बाबू जी आप त्यार हो जाइए मैं आपके लिए नाश्ता बना देती हू

अभय नहा धो के त्यार हो नाश्ता करके निकल गया कॉलेज की ओर कॉलेज में आते ही अभय ने देखा कॉलेज के ग्राउंड में कई स्टूडेंट्स टहल रहे थे उसमे राज , लल्ला और राजू उनके साथ पायल ये चारो बाते कर रहे थे आपस में...

पायल –(राज से) कल के लिए सॉरी राज मेरी वजह से..

राज – (बीच में ही) अरे तू क्यों माफी मांगती है कोई गलती नही है तेरी बस कल याद आगयी उसकी....चल जाने दे ज्यादा मत सोच तू

पायल –(अभय की तरफ देखते हुए) आगया ये नमूना यहां पर

राज –(चौकते हुए) क्या

पायल –(एक तरफ इशारा करके) वो देख वो आ रहा है नमूना यहां पे

राज , लल्ला और राजू ने देखा तो पाया अभय सामने से आ रहा था उनकी तरफ अभय के आते ही....

पायल – (अभय के आते ही राज से बोली) मैं नीलम के पास जा रही हूं तुम लोग बाते कर

राज कुछ बोलता उससे पहले पायल चली गई...

अभय – (तीनों से) कैसे हो तुम सब कल रात में मजा आगया (राज से) अच्छी शायरी करते हो तुम

राज – अरे ना भाई बस कभी कभी का शौक है ये (और सिगरेट जला के पीने लगा) , खुशी हुई आपको अच्छा लगी यहां की दावत

राजू – यार राज, कितना सिगरेट पिएगा तू, तेरे बापू को पता चला ना टांगे तोड़ देंगे तेरी।

अभय – (राज को सिगरेट पीता देख के मन में – मैने गांव क्या छोड़ा, ये इतना बिगाड़ गया अब तो खबर लेनी पड़ेगी इसकी)

राज की बात सुनकर अभय मुस्कुराते हुए बोला......

अभय -- हां दावत तो खास थी लेकिन इस बार तूने सरपंच की धोती में चूहा नही छोड़ा

राज – अरे नही यार, हर बार तो मैं ही करता हु इस बार तू....

कहते हुए राज चुप हो गया और हाथ से सिगरेट गिर गई , राज के चेहरे के भाव इतनी जल्दी बदले की गिरगिट भी न बदल पाए। उसके तो होश ही उड़ गए, झट से बोला...

अजय -- तू....तुम्हे कै...कैसे पता की मैं सरपंच के धोती में चूहा छोड़ता हूं

राज की बात सुन मुस्कुरा के अभय ने आगे बढ़ते हुए राज को अपने गले से लगा लिया और प्यार से बोला...

अभय -- इतना भी नही बदला हूं, की तू अपने यार को ही नही पहचाना।

गले लगते ही राज का शरीर पूरा कांप सा गया, उसके चेहरे पर अजीब सी शांति और दिल में ठंडक वाला तूफान उठा लगा। कस कर अभय को गले लगाते हुए अजय रोने लगा....

राज इस तरह रो रह था मानो कोई बच्चा रो रहा हो। अभय और राज आज अपनी यारी में एक दूसरे के गले लगे रो रह थे।

राज -- (रोते हुए) कहा चला गया था यार, बहुत याद आती थी यार तेरी।

राज की बात सुनकर, अभय भी अपनी भीगी आखों के साथ बोला...

अभय -- जिंदगी क्या है, वो ही सीखने गया था। पर अब तो आ गया ना।

कहते हुए अभय राज से अलग हो जाता है, अभय राज का चेहरा देखते हुए बोला...

अभय -- अरे तू तो मेरा शेर है, तू कब से रोने लगा। अब ये रोना धोना बंद कर, और हा एक बात....

इससे पहले की अभय कुछ और बोलता वहा खड़े 2 लड़के अभय के गले लग जाते है...

लल्ला – मुझे पहेचान....मैं लल्ला जिसे तुमने आम के पेड़ से नीचे धकेल दिया था और हाथ में मोच आ गई थी।

लल्ला की बात सुनकर अभय बोला...

अभय -- हा तो वो आम भी तो तुझे ही चाहिए था ना।

राजू – मुझे पहचाना मैं राजू हूं

अभय –(हस्ते हुए) तुझे कैसे भूल सकता हूं यार तू तो हमारा नारद मुनि है तू ही तो गांव की हर खबर रखता है हमारा न्यूज पेपर

इस बात पे चारो दोस्त जोर से हसने लगे...

अभय -- अरे मेरे यारो, सब को पहेचान गया । लेकिन एक बात ध्यान से सुनो सब लोग ये बात की मैं ही अभय हूं, ये बात सिर्फ अपने तक रखना मैं नही चाहता हर कोई जान जाय यहां पे मेरे बारे में

अभय अभि बोल ही रहा थे की, राज एक बार फिर से अभय के गले लग जाता है....

अभय -- कुछ ज्यादा नही हो रह है राज, लोग देखेंगे तो कुछ और न समझ ले...।

अभय की बात पर सब हंसन लगे....की तभी कॉलेज के मेन गेट अमन आता है अपनी बाइक से दूसरे गांव के ठाकुर के लड़के के साथ जो अमन का दोस्त था...

अभय – (अमन को देख मुस्कुराते हुए बोला) अब देखना कैसे इसकी जलाता हू मै..

इतना बोल अभय अपने दोस्तो के साथ निकल गया पायल की तरफ जो ग्राउंड के बाहर अपनी दोस्त नीलम से बाते कर रही थी तभी अभय को देख पायल ने राज को बोला.....

पायल -- जरा संभल के, पागलों के साथ रह कर तू भी पागल मत हो जाना।

बोल कर पायल जैसे ही आगे जाने के लिए बढ़ी थी...

अभय -- अब इस कदर कयामत हम पर बरसेगी, तो पागलपन क्या कही जान ही ना निकल जाए।

अभय की बात सुनकर, पायल अभय की तरफ पलटी तो नही, मगर हल्का सा अपना चेहरा घुमाते हुए बोली...

पायल -- इस कयामत का हकदार कोई और है, उम्र बीत जायेगी तुम्हारी, यूं राह तकते तकते...।

ये कह कर पायल हल्के से मुस्कुराई और फिर आगे बढ़ी ही थी की,...

अभय -- अगर मैं कहूं, की वो हकदार मैं ही हूं तो?

पायल इस बार फिर मुस्कुराई.....

पायल -- उसे पता है, मैं उसे कहा मिल सकती हूं।

ये कह कर पायल आगे बढ़ जाती है...। अभय मुस्कुराते हुए अपने दिल पर हाथ रखा ही था की....तभी पीछे से अमन दौड़ के आया और एक किस मार दी अभय की पीठ पर..



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अभय के जमीन पर गिरते ही, पायल, राज और बाकी सभी लोग हैरत से अपनी नज़रे घुमा कर देखते है तो। सामने अमन अपने हाथो में एक मोटा डंडा लेकर खड़ा था।

जल्द ही अभय खड़े होते हुए, अपने कपड़े पर लगी मिट्टी को घाड़ते हुए बोला...

अभय -- अच्छा था, मगर बुजदिलों वाला था पीछे से नही आगे से मरता तब लगता एक मर्द ने वार किया है

अभय की बेबाकी और निडरता देखकर, वहा खड़े सब लड़के आपस में काना फूसी करने लगे। मगर एक अकेली पायल ही थी जो वहा पर खड़ी मुस्कुरा रही थी.....

लड़का – इसी लौंडे ने डिग्री कॉलेज का काम रुकवा दिया था।

अमन के साथ में खड़ा वो लड़का बोला...उस लड़के की बात सुनकर, अमन भी अपनी हरामीगिरी दिखाते हुए बोला...

अमन -- तू यहां पर नया है इसलिए तुझे छोर दिया था मैने शायद तुझे मेरे बारे में पता नही। वो जो लड़की तेरे पीछे खड़ी है, दुबारा उसके आस पास भी मत भटकना, ये अखरी चेतावनी है तेरे लिए

अमन की बात सुनकर, अभय मुस्कुराते हुए एक नजर पीछे मुड़ कर पायल की तरफ देखता है। और वापस अमन की तरफ देख कर बोला।

अभय -- डायलॉग तो ऐसे मार रहा है, जैसे तंबाकू का एडवरटाइजमेंट कर रहा है, चेतावनी...वार्निंग। इस लड़की के आस - पास की बात करता है तू।

ये कह कर अभय, अमन की तरफ ही देखते हुए उल्टे पांव पायल की तरफ चलते हुए...पायल के बराबर में आकर खड़ा हो गया..सब लोग अभय को ही देख रहे थे, राज ने भी अभय के बारे में जैसा सोचा था वैसा ही अभय के अंदर निडरता को पाया , पायल की नजरे तो अभय पर ही टिकी थी। मगर बाकी कॉलेज के स्टूडेंट ये समझ गए थे की जरूर अब कुछ बुरा होने वाला है की तभी वो हुआ....जिस चीज का किसी को अंदाजा भी ना था.....



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पायल ने बिना किसी की परवाह किए अभय को चूमने लगी होठों पर...ये नजारा देख लड़के हो या लड़किया सभी हैरान रह गए क्योंकि जो लड़की किसी से बात तक नहीं करती थी हर वक्त गुमसुम सी रहती थी वो आज अचनाक गांव के कॉलेज पड़ने आए एक नए लड़के को चूम रही थी....

ये नजारा देख जहा सब हैरान थे वही अमन जल भुन रहा था आखों में गुस्से का ज्वालामुखी जैसे फटने वाला हो एसा चेहरा जैसे लाल हो गया था , तभी अमन डंडा ले के मरने आ रहा था अभय को तभी राज ने अमन के पैर पर अपना पैर मार दिया जी कारण अमन गिर गया तभी...

राज – (अभय को आवाज दी) अभय...

अभय –(पायल से किस तोड़ के राज की तरफ देखा)

राज – (डंडा अभय की तरफ उछल दिया जिसे अभय ने पकड़ लिया)

इधर अमन खड़ा हो गया पीछे से जाने कहा से मुनीम अपने 2 लट्ठहरो के साथ जीप से उतरता हुआ नजर आया जिसे देख अभय के गुस्से का पारा बड़ गया बिना किसी की परवाह किए अभय ने एक घुसा मारा अमन के पेट में जिससे अमन अपना पेट पकड़ के जमीन में बैठ गया...

तभी अभय तुरंत दौड़ के गया मुनीम के पास ये देख मुनीम अपने लट्ठहरो के साथ सामने आया अभय के....

मुनीम – ऐ छोरे तू नही जानता किस्से हाथ उठाया है तूने

अपने लट्ठहरो को इशारा किया अपने लट्ठहरो के साथ मुनीम अभय के सामने चला गया हाथ में लाठ लिए तब अभय ने दिखाया कुछ ऐसा...


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हाथ में लट्ठ लिए अपनी कला बाजी दिखाई...

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जिससे दोनो लट्ठहरो की हवा टाइट हो गई उनके हाथ से लट्ठ गिर गया तुरंत भाग गए दोनो..

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और तभी अभय ने मुनीम के पैर में लट्ठ मारी जिसे मुनीम जमीन में गिर गया तब अभय बोला...

अभय – मुनीम इसको पेड़ में बांध दो अगर ये स्कूल न जाय तो , मालकिन इसने अमन बाबू का खाना फेक दिया , क्यों याद आया तुझे हरामजादे

ये सुन मुनीम की आखें बड़ी हो गई....

मुनीम –(डरते हुए) क...क...कॉन हो तुम

अभय – अभय , ठाकुर अभय सिंह , जितनी बार तू मिलेगा मुझे उतनी बार तेरे शशिर का एक अंग तोडूगा मैं...


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इतना बोल अभय ने एक जोर लात मारी मुनीम के पैर में जिससे मुनीम का पैर की हड्डी टूट गई , दर्द में तड़पता हुआ बेहोश हो गया
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जारी रहेगा✍️✍️
Bhot hi shandaar janndaar jaberdast update 😍😍
 
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