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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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UPDATE 26


शाम 6 बजे चांदनी उठते ही तयार होके कमरे से बाहर निकलने लगी तभी शनाया ने पूछा....

शनाया – अरे चांदनी कहा जाने की तयारी हो रही है

चांदनी – टहलने का मन हो रहा है सोचा बाहर टहल आती हू आप चलेगी मैडम

शनाया – आज नही चांदनी आज से कॉलेज ज्वाइन किया है मैने काफी वर्क पेंडिन है उसे देख लू फिर कभी चलूगी

चांदनी – ठीक है मैडम मैं जल्दी आती हू...

बोल के चांदनी कमरे से निकल गई तभी संध्या भी अपने कमरे से निकल रही थी इसें चांदनी को देख बोला...

संध्या – कही जा रही हो चांदनी

चांदनी – जी आपने कहा था बाइक के लिए

संध्या – हा मेरी बात हुई है अभी वो बाहर ही मिलेगा अगर तुम कहो मैं भी साथ चलू तुम्हारे

चांदनी – अगर अभय ने आपको देखा तो आप जानते हो ना...

चांदनी बात सुन संध्या का चेहरा उदास सा हुआ जिसे देख चांदनी हल्का मुस्कुरा के बोली...

चांदनी – एक काम करिए आप चलिए मेरे साथ आपकी कार में चलते है

संध्या – लेकिन अभय

चांदनी – उसे मैं हैंडल कर लूंगी आप परेशान मत होइए बस आप कुछ बोलिएगा नही कुछ भी

संध्या – ठीक है

जैसे ही संध्या और चांदनी हवेली से बाहर निकले रमन मिल गया संध्या को देखते ही बोला...

रमन – भाभी वो मुनीम का पता नही चल रहा है 2 दिन से जाने कहा चला गया है

संध्या – कोई बात नही मैं अभी बाहर जा रही हूं कुछ काम से वही से पुलिस स्टेशन जाऊंगी बात करने..

बोल के संध्या जाने लगी या ही रमन बोला...

रमन – भाभी मैं भी साथ चलता हू आप अकेले पुलिस स्टेशन में

संध्या – (बीच में) उसकी कोई जरूरत नहीं मैं अकेले नही जा रही हू चांदनी भी साथ है मेरे

बोल के संध्या निकली चांदनी के साथ अपनी कार में पीछे से रमन ने जल्दी से मोबाइल निकाल के कॉल करने लगा किसी को...

रमन – (कॉल पे) हेलो कामरान ठकुराइन तेरे तरफ आ रही है किसी तरह कोई भी बहाना बना के निकल वहा से

कामरान – (हैरानी से) लेकिन बात क्या है ठाकुर साहब

रमन – अबे वो तेरे पास आ रही है अपने बेटे अभय के रिपोर्ट के बारे में जा करो लेने के लिए समझा

कामरान – अपने बेटे के लिए लेकिन वो दस साल पहले मर चुका है ना

रमन – अबे बेवकूफ ठकुराइन जाने के लिए आ रही है तूने एफ आई आर लिखी है की नही उस वक्त

कामरान – लेकिन एफ आई आर कहा लिखी है ठाकुर साहब वो आपने मना कर वाया था उसके लिए

रमन – हा ये बात ठकुराइन को नही पता है इसीलिए बोल रहा हू कोई बहाना बना के निकल जा वहा से अभी या एक काम कर छुट्टी लेके निकल जा कुछ दिन किए भर कही जल्दी से

कामरान – ठाकुर साहब इतनी जल्दी छुट्टी कैसे मिलेगी मुझे उसमे भी वक्त लगता है

रमन – देख मुझे ये सब नही पता अभी के लिए तू कुछ भी करके निकल जा वहा से बस

बोल के फोन काट दिया इधर कामरान अपना पसीना पोछने लगा चेहरे से...

कामरान –(कुछ सोचते हुए किसी को कॉल लगता है) हेलो

सामने से – हा बोल क्यों कॉल किया आज

कामरान – बहुत बड़ी गड़बड़ हो गई है सर

सामने से – क्या हो गया

कामरान – अरे सर अभी रमन ठाकुर का कॉल आया था बोल रहा था की ठकुराइन आ रही है पुलिस स्टेशन में अपने बेटे अभय की एफ आई आर देखने के लिए

सामने से –(चौक के) क्या एफ आई आर देखने लेकिन इतने साल बाद किस लिए

कामरान – पता नही सर रमन ठाकुर का कहना है मैं छुट्टी लेके निकल जाऊं कही कुछ दिनों के लिए अब आप बताए क्या करू मैं

सामने से – कुछ तो हुआ है संध्या आज इतने साल बाद उसे एफ आई आर की याद कैसे आ गई इससे पहले संध्या तुझ तक आए तू निकल वहा से मैं बात करता हू तेरी छुट्टी के लिए....

बोल के कॉल कट कर दिया सामने वाले ने तभी उसने किसी को कॉल कर के बात की किसी आमी से...

सामने से –कैसे हो गजानन

गजानन – अच्छा हू मालिक आज कैसे याद किया आपने मुझे

सामने से – तेरे लिए एक काम है किसी का काम तमाम करना है

गजानन – (मुस्कुरा के) किसके दिन खतम हुए है मालिक

सामने से – डिटेल भेज रहा हू तुझे आज ही काम हो जाना चाहिए समझा

गजानन – (हसके के) हो जाएगा मालिक...

बोल के दोनो ने कॉल कट कर दिया , जबकि इस तरफ शाम को जैसे अभय हॉस्टल से बाहर निकला अपने सामने चांदनी दीदी को देख के बोला...

अभय – दीदी आप इस वक्त

चांदनी – क्यों नही आ सकती मै यहां पर

अभय – मैने ऐसा कब कहा , आओ अन्दर चल के बैठते है

चांदनी – में अकेली नही आई हू

अभय –(अपनी दीदी की बे सुन पलट के देखा कार में संध्या बैठी दिखी जिसे देख बोला) आप इनकी साथ

चांदनी – हा मैं इनके साथ निकली हू किसी काम से

अभय – (चौक के) काम इनके साथ ऐसा कॉन सा काम है जो आप इनके साथ...

चांदनी – (बीच में बात काट के) वो सब तू छोड़ पहले वो देख

अभय – (एक वेन को देख के) क्या है ये दीदी

चांदनी –चल मेरे साथ...

संध्या भी कार से निकल के देख रही थी चांदनी वेन के पास जाके दरवाजा खोल के दिखाती है जिसे देख अभय बोलता है...

अभय –(हैरानी से) दीदी ये तो बाइक है किसके लिए


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चांदनी –(मुस्कुरा के) तेरे लिए है बुद्धू

अभय –(मुस्कुरा के) लेकिन दीदी इसकी क्या जरूरत थी

चांदनी – क्यों जरूरत नहीं है इसकी मेरा भाई क्या पैदल घूमेगा गांव भर में

अभय –(एक दम से कुछ सोच के) दीदी क्या सच में ये आपने मेरे लिए मंगवाई है या...

चांदनी – (आंख सिकुड़ के) तुझे क्या लगता है और कॉन करेगा ये सब

अभय – पता नही दीदी मन में आया पूछ लिया

चांदनी – (गुस्से में) तुझे नही पसंद है तो मत ले लेकिन अपना ये जासूसी दिमाग मुझे मत दिखा समझा...

बोल के जाने लगी चांदनी तभी अभय ने चांदनी का हाथ पकड़ के...

अभय – सॉरी दीदी मेरा वो मतलब नहीं था

चांदनी – देख अब दिमाग मत खराब कर मेरा अपनी चिकनी चुपड़ी बात बोल के एक तो तेरे लिए मैने बाइक मंगवाई ताकी तुझे पैदल ना चलना पड़े उपर से तू मुझ पर शक कर रहा है

अभय – मैं मर जाऊंगा दीदी लेकिन आप पर शक कभी नही करूंगा

चांदनी – ज्यादा मरने की बात की एक उल्टे हाथ का लगाऊगी तुझे , बाते ऐसी कर रहा है जैसे बहुत बड़ा हो गया हो

अभय – जितना बड़ा हो जाऊं दीदी आपके लिए छोटा ही रहूंगा

चांदनी – चल जाने दे ये बता कैसी लगी बाइक तुझे

अभय – बहुत अच्छी है दीदी

चांदनी – ठीक है आज से बाइक से घूमना शुरू कर दे और पैदल चलना छोड़ दे , चल तू जाके घूम मैं कुछ काम निपटाने जा रही हूं

अभय – दीदी मैने मान ली आपकी बात लेली बाइक अब बताओ कॉन से काम के लिए जा रहे हो आप इनके साथ

चांदनी – है कुछ काम अभय इसीलिए जा रही हूं ठकुराइन के साथ तू इन सब पे मत पड़ तू अपने मस्ती में लगा रह अगर कोई बात होगी मैं बता दुगी तुझे ठीक है बाद में मिलती हू तुझे...

बोल के चांदनी निकल गई संध्या के साथ पीछे अभय देखता रहा कार को जाते हुए उनके जाने के बाद किसी ने पीछे से अभय की कंधे पर हाथ रखा जिसे देख अभय चौक गया जबकि इस तरफ कार में संध्या और चांदनी आपस में बात कर रहे थे..

संध्या – शुक्रिया चांदनी तुमने संभाल लिया , मुझे लगा कही अभय तुम से नाराज न हो जाए

चांदनी – नही ठकुराइन जी शुक्रिया की कोई बात नही है इसमें , जहा तक रही अभय की बात मुझे पता है उसे कैसे हैंडल करना है

संध्या – (मुस्कुरा के) तुम्हे और शालिनी जी को बहुत मानता है वो देखा मैने कैसे एक पल के लिए भी तुम्हारी नाराजगी सह नही पाया पल भर में तुम्हारी बात मान गया

चांदनी –(हल्का मुस्कुरा के) मैं अपने घर पर अपने मां और पापा के सिवा किसी के करीब नही रही फिर एक दिन मां अभय को घर में लेके आई तब मुझे नही पता था मां उसे हमेशा के लिए घर लेके आई है मां ने अभय को एक कमरा दिया कपड़े दिए रोज हमारे साथ खाना पीना होता था लेकिन तब मुझे अभय का हमारे साथ होना बिल्कुल नही भाता था मेरे पिता भी उससे नफरत करते थे और बदले में उन्होंने मेरे दिल दिमाग में अभय के खिलाफ भरना शुरू दिया था लेकिन एक दिन मां और पापा सिक्योरिटी के काम से आउट ऑफ सिटी गए हुए थे 3 दिन के लिए तब मां ने मुझे बोला था अभय और मैं साथ में सोया करे एक कमरे में मैं नही चाहती थी लेकिन मां ने अपनी कसम देदी मुझे उस 3 दिन तक अभय और मैं एक कमरे में सोते थे एक रात की बात है अभय बेड पर सो रहा था मैं पढ़ाई कर रही थी पढ़ाई करते करते थक गई तभी अभय के बगल में सो गई थी मैं बीच में मेरी नींद खुली देखा अभय ने मेरा हाथ पकड़ा हुआ था मैंने गुस्से में हाथ झटक रही थी की तभी नीद में अभय बड़बड़ाने लगा था...(बोल के चुप हो गई)

संध्या –(कार को रोक चांदनी को देख बोली) क्या हुआ चुप क्यों हो गई बताओ क्या बोल रहा था अभय नीद में

चांदनी – मत जा मां यही पर सोजा मुझे तेरे साथ सुकून की नीद आती है...

चांदनी की बात सुन संध्या की आखों से आसू निकल आए जिसे देख चांदनी ने अपने हाथ से आसू पोंछ बोली...

चांदनी –उसके बाद मेरी हिम्मत नही हुई अभय से अपना हाथ छुड़वाने की उसे देख के सोचती रही आखिर किस लिए मैं नफरत कर रही थी इससे जबकि ये सिर्फ मां के इलावा किसी से ज्यादा बात तक नहीं करता था ना मुझ से और ना पापा से मेरे दिमाग में वही यादे चलने लगी जब से अभय घर आया तब से आज तक उसकी एक एक बात एक एक हरकत याद आई तब समझ आया मुझे की ये जैसा दिख रहा है वैसा है नही सबके सामने भले ये नॉर्मल हो लेकिन अन्दर से एक ऐसा बच्चा है जो अपनी मां का आंचल आज भी डूंड रहा है उस दिन से मैने अभय को अपना भाई मान लिया अपने आप से वादा किया मैने चाहे कुछ भी हो जाए अभय के साथ क्या हुआ कैसे हुआ इसका पता लगा के रहूंगी मैं लेकिन उससे पहले ही मां ने पता लगा लिया था अभय के बारे में सब कुछ लेकिन एक सच ये भी है उस रात के बाद मैने अभय से बात करना शुरू किया बदले में मुझे दीदी बोलता मां और पापा के आने के बाद भी हम साथ में खाते पीते बाते करते खेलते मैं उसे रोज पढ़ाती वो मेरी हर बात मानता (हस्ते हुए) जब मैं घर में नही थी ट्रेनिंग के लिए गई थी तब हम ज्यादा तेरे रोजाना बात करते थे वो मुझे घर की हर बात बताता था उसके बाद से हम यहां है आपके पास (कुछ देर चुप रह के बोली) जानती है ठकुराइन ये बात आपको क्यों बताई मैने क्योंकि मुझे यकीन है आज भी शायद अभय के अन्दर वही बच्चा मौजूद है जो अपनी मां का आंचल डूंड रहा है....

संध्या – (चांदनी की बात सुन के) लेकिन मैं उसकी नजरों में इस काबिल भी नही रही वो मुझे अपना तक सके

चांदनी – (संध्या के कंधे पर हाथ रख के) ऐसा मत सोचिए आप अगर ऐसा होता तो क्यों अभय यहां आया है जबकि वो आना नही चाहता था और अचानक से एक दिन मान गया यहां आने के लिए शायद उस उपर वाले ने आपकी तकलीफ नही देखी गई होगी और तभी अभय को यहां वापस भेज दिया है , उदास मत होइए आप सब ठीक हो जाएगा थोड़ा सब्र रखिए

संध्या –(आख में आसू लिए) नही होता ओर सब्र चांदनी कभी कभी लगता है कही उसकी इसी नफरत के साथ दुनिया से ना चली जाऊं , (चांदनी का हाथ पकड़ के) मुझसे एक वादा कर चांदनी अगर मैं मर जाऊं तो तू अभय के हाथ से मुझे अग्नि जरूर दिलाना वर्ना मेरी आत्मा को कभी शांति नही मिलेगी

चांदनी –(संध्या की बात सुन उसके मू पे हाथ रख के) बस चुप रहिए आप ऐसा कुछ नही होगा मैने आपसे वादा किया है ना सब ठीक हो जाएगा आप अपने मन में ये बाते मत लाइए (संध्या के आसू पोछ के) चलिए अभी पुलिस वालो की खबर लेनी है आपको

इसके बाद संध्या ने कार स्टार्ट की ओर निकल गए पुलिस स्टेशन की तरफ जबकि इस तरफ अभय अपने सामने खड़े शख्स को देख बोला....

अभय – आप

शख्स – क्यों नही आ सकती मै

अभय – टहलने आए हो आप इस समय

शख्स – नही तुमसे मिलने

अभय – और वो भला क्यों

शख्स – तू इस तरह से क्यों बात कर रहा है अभय क्या मुझ से कोई गलती हुई है या तू भूल गया मैं तेरी मालती चाची हू

अभय – पहली बात तो मेरा नाम अभय नही अभी है दूसरा मैं आपको नही जानता

मालती – तो तुम्हे कैसे पता चला कि ठकुराइन नकल कर के पास हुई है ये बात तो सिर्फ घर के कुछ ही लोग जानते है

अभय – लगता है आप कभी घर के बाहर निकली नही है कमाल है ये तो जिस गांव में रहते हो उसी गांव के महान ठाकुर होने के बाद भी आपको गांव वालो की स्तिथि तक का पता नही गांव का ठाकुर ही गांव वालो की जमीन में जबरन कब्जा करने में लगा है गांव में रहकर जब आपको यही जानकारी नहीं फिर आप कैसे कह सकते हो की गांव वालो को ठकुराइन की जानकारी है की नही

मालती – इसका मतलब तुम अभय नही हो

अभय – आप क्या चाहती हो स्टांप पेपर में लिख के दू आपको ये बात

मालती – सही कहा तुमने क्योंकि मेरा अभय अपने सपने में भी ऐसा जवाब नही देता मुझे

अभय –(पलट के) हो गया आपका चलता हू...

बोल के अभय निकला गया बाइक से पीछे खड़ी मालती देखती रही अभय को जाते हुए...

मालती – (हल्का मुस्कुरा के) तू चाहे कुछ भी बोल तू ही मेरा अभय है

बोल के मालती भी निकल गई जबकि इस तरफ सा धाय और चांदनी आ गए पुलिस स्टेशन में अन्दर जाते ही...

हवलदार रिजवान –(ठकुराइन को देख के) नमस्ते ठकुराइन

संध्या – नमस्ते आपके दरोगा कहा है उनको बोलिए ठकुराइन मिलने आई है

हवलदार रघु –(संध्या की बात सुन) प्रणाम ठकुराइन जी , दरोगा साहेब चले गए कुछ दिन की छुट्टी पे कोई काम हो तो बताए हमे

संध्या – दस साल पहले मेरे बेटे अभय पर एक एफ आई आर दर्ज हुए थी वो देखने है मुझे

संध्या की बात सुन हवलदार रघु और रिजवान दोनो एक दूसरे को देखने लगे जबकि चांदनी चुप चाप संध्या के साथ खड़ी होके सिर्फ देख रही थी हवलदार का जवाब ना मिलने पर संध्या बोली...

संध्या – क्या बात है तुम दोनो एक दूसरे को क्यों देख रहे हो एफ आई आर की कॉपी दिखाओ जितनी देर लगे मैं इंतजार करती हू यही पर...

बोल के संध्या और चांदनी कुर्सी पर बैठ गए लेकिन दोनो हवलदार अपनी जगह खड़े अपने चेहरे से पसीना पोंछ रहे थे जिसे देख चांदनी बोली...

चांदनी – पंखे के नीचे खड़े होके भी आप दोनो को इतना पसीना क्यों आ रहा है जाके देखिए एफ आई आर कहा है इंतजार कर रहे है हम...

इस तरफ पुलिस स्टेशन में दोनो हवलदारों की हालत खराब थी की क्या जवाब दे ठकुराइन को उनकी बात का जबकि इस तरफ हवेली के बाहर रमन गार्डन में टहलते टहलते सिगरेट पे सिगरेट फूके जा रहा था तभी अमन सामने आके बोला....

अमन – पिता जी क्या बात है आप कुछ परेशान लग रहे है

रमन – (बिना देखे) परेशानी बन चुकी है मेरे लिए अब ये औरत जब से वो लौंडा आया है तब से सास लेने दूभर हो गया है मेरा

अमन – वो नया लौंडा जो कॉलेज में आया है उसकी बात कर रहे हो आप

रमन –(पलट के अमन को देख के) तू जानता है उसको

अमन – जनता नही लेकिन उसी ने हाथ उठाया था मुझ पे

रमन –(कुछ सोच के) एक बात बता जिस दिन इस लौंडे ने तुझे मारा था तब मुनीम भी आया था वहा पर

अमन – हा देखा था मैंने मुनीम को और वो लौंडा मुनीम के पीछे भागा था मारने उसे

रमन –(मन में – कामरान ने जो कहा था उस लौंडे के लिए कही वो सच तो नही क्या सच में उस लौंडे ने इतने लोगो को मारा होगा या कही उसी लौंडे ने तो नही मार दिया मुनीम को तभी पता नही चल रहा है उसका आखिर मुनीम को क्यों मारेगा वो लौंडा वो अभय तो नही हो सकता है क्योंकि वो डी आई जी शालिनी का बेटा है साला दिमाग की ऐसी की तैसी हो रही मेरे कहा गया ये साला मुनीम आखिर)

अमन – (रमन को देख) क्या सोच रहे हो आप पिता जी

रमन – यही की उसी दिन से मुनीम का कोई अता पता नही चल रहा है जाने कहा गायब हो गया ये मुनीम

अमन – मुनीम का पता नही पिता जी लेकिन इस लौंडे को चोडूगा नही पूरे कॉलेज में मेरी बेइजत्ति की है उस लौंडे ने

रमन – नही तू ऐसा कुछ भी मत करना वर्ना तेरी ताई मां तुझे नही छोड़ेगी

अमन – ताई मां को जाने क्या हो गया है क्यों पीछे पड़ी है उसके

रमन – क्योंकि वो उसे अपना बेटा अभय समझती है

अमन – (हस्ते हुए) वो और अभय हो ही नही सकता अभय तो एक नंबर का चुटिया था जो हर वक्त मार खाता रहता था ताई मां से और आप (बोले चुप होगया जैसे कुछ सोच रहा हो तब बोला) कही सच में वो अभय तो नही

रमन – (अमन की बात सुन के) लागत है अब तेरा भी दिमाग खराब हो गया है तेरी ताई मां की तरह

अमन – नही पिता जी आपको पता नही है कॉलेज में एक लड़की है पायल वो सिर्फ अभय को पसंद करती थी उसके जाने के बाद उसने बोलना बंद कर दिया सबसे किसी से बात नही करती थी और कॉलेज में उस लड़की की वजह से मैने पहले मारा उस लौंडे को और उसके बाद लौंडे ने मुझे दिखाने के लिए पायल के पास गया तभी उस पायल ने सबके सामने उस लौंडे को किस किया इसका मतलब वो सच में वो अभय ही है

रमन – वो कोई अभय नही है समझा वो डी आई जी शालिनी सिन्हा का बेटा है

अमन – (सोचते हुए बोला) अगर वो अभय नही है तो पायल ने उसे किस क्यों किया वो तो सिर्फ अभय अभय करती रहती थी हर वक्त सभी से...

अमन की बात सुन रमन भी सोचने लगा कुछ...

रमन – (मन में– कही ये सच तो नही लेकिन अगर ये अभय है तो कामरान को झूठ बोल के क्या मिलेगा , मुझे कामरान से मिलना पड़ेगा आज ही किसी भी तरह)...

सोचते हुए रमन अपनी कार से निकल गया कामरान से मिलने जबकि इस तरफ पुलिस स्टेशन में दोनो हवलदारों के पास कोई जवाब नही था संध्या की बात का तब दोनो हवलदार रघु और रिजवान नीचे झुक के संध्या के पैर पकड़ते हुए बोला...

दोनो हवलदार – माफ कर दीजिए गा ठकुराइन इसमें हमारी कोई गलती नही है

संध्या – (चौक के) ये क्या कर रहे हो तुम दोनो छोड़ो मेरा पैर

दोनो हवलदार – ठकुराइन हमने कुछ नही किया दरोगा ने एफ आई आर नही लिखी थी

संध्या –(हैरानी से) क्यों नही लिखी थी एफ आई आर

हवलदार – हमने पूछा तब दरोगा ने बताया कि ठकुराइन के कहने पर मुनीम थाने आया और बोला की ठकुराइन नही चाहती एफ आई आर दर्ज हो इसीलिए एफ आई आर नही हुई

चांदनी –(बीच में बोली) कब की बात है ये

हवलदार – ठकुराइन के बेटे की लाश मिलने के 3 दिन बाद

चांदनी – और जब लाश मिली थी तब पुलिस आई थी हवेली में

हवलदार – जी मैडम हमलोग आए थे जिस दिन लाश मिली थी

चांदनी – तो पोस्ट मार्टम क्यों नही कराया गया

हवलदार – साहेब का कहना था लाश देख के पता चल रहा है किसी जंगली जानवर का काम है इसीलिए पोस्टमार्टम नही हुआ आनन फानन में लाश को क्रियाकर्म के लिए ले जाया गया

चांदनी – आपके दरोगा के घर का पता क्या है बताओ मुझे...

हवलदार से दरोगा कामरान का पता मिलते ही चांदनी बोली...

चांदनी – कब निकले है तुम्हारे दरोगा पुलिस स्टेशन से

हवलदार – जी आपके आने से कोई एक घंटा पहले...

इसके तुरंत बाद चांदनी जल्दी से संध्या को अपने साथ लेके निकल गई कामरान के घर की तरफ कुछ ही देर में कामरान के घर के बाहर संध्या और चांदनी खड़े थे दोनो अन्दर गए जैसे ही घर का दरवाजा खटखटाया दरवाजा अपने आप खुल गया और सामने का नजारा देख के संध्या और चांदनी दोनो की आखें बड़ी हो गई क्योंकि घर के अन्दर कामरान मारा पड़ा था लाश पंखे पर लटक रही थी....
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जारी रहेगा ✍️✍️
 
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