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Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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UPDATE 24

राज और अभय दोनो भाग के हॉस्टल के कमरे में आके दरवाजा बंद कर दिया....

अभय – (लंबी सास लेते हुए) अबे क्या था वो साला अचनक से सामने आ गया इतना डरावना चेहरा बापरे बाप

राज –(लंबी सास लेते हुए) पता नही यार उसे देख के मेरी हवा टाइट हो गई सच में बहुत डरावना था वो

अभय – अब समझ आ गया बनवारी चाचा का बेटा बावला क्यों हो गया था

बोल के अभय अपने कपड़े बदलने लगा...

अभय – एक काम कर मेरे कपड़े पहन कर आज यही सोजा तू

राज – हा तो तुझे क्या लगा इतना सब होने के बाद मैं अकेले घर जाऊंगा अपने

तभी राज ने अभय को कपड़े बदलते हुए देख बोला...

राज – अबे ये क्या है तेरी कमर में

अभय – (साइड में देख के) ये बंदूक है यार

राज –(चौक के) अबे तू बंदूक लेके गया था वहा पर

अभय – हा यार सोचा अगर खतरा लगेगा तो इस्तमाल करूंगा

राज – अबे घोचूमल तेरे पास बंदूक रखी थी तो निकला क्यों नही भागा क्यों बे तू

अभय – अबे अचनक से वो सामने आ गया साला डर के मारे मैं भूल गया यार बंदूक के बारे में

राज – अरे वाह तू डरता भी है क्यों बे तू तो बोल रहा था की तेरे उस SEANIOUR ने तुझे ताकत का इंजेक्शन लगाया है क्यों कहा गई वो ताकत

अभय – अबे गधे प्रसाद SEANIOUR ने ताकत का इंजेक्शन दिया था मुझे न की डर दूर करने का समझा और वैसे भी मैं खुद नही समझ पाया हू इसमें और क्या खासियत है ताकत के सिवा

राज – जाने दे भाई मैं पका हुआ हू इस बंदे की बात सुन के (अपनी जेब से चाकू निकलते हुए) वैसे मैं भी भूल गया था की मेरे पास चाकू है भाई

अभय – ओह तो तू चाकू लेके चला था वहा पे बढ़िया है भाई , चल जाने दे यार सोते है कल कॉलेज भी जाना है...

बोल के दोनो बेड में लेट जाते है काफी देर हो जाती है लेकिन नीद नही आती दोनो को तब राज बोलता है...


GIF-20240701-160147-413
राज – अभय तेरे पास बंदूक कहा से आ गई

अभय – तुझे बताया तो था यार गांव आते वक्त SEANIOUR ने दिया था बैग उसी में थी बंदूक

राज – अच्छा , यार क्या सच में हमने जो देखा वो सच था

अभय – हा यार मैं वही सोच रहा हू , साला उस चक्कर में नीद नही आ रही है भाई

राज – मुझे भी यार , अब क्या करे हम

अभय – (अपना मोबाइल निकालते हुए) मुझे समझ में कुछ नही आ रहा है भाई

बोल के अपने मोबाइल को देखता रहा साथ में राज भी देख के बोला...

राज – ये क्या देख रहा है बे , तूने वीडियो बनाई है वहा की

अभय – हा यार जब अन्दर जा रहा था खंडर में तब वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू कर दी थी मैने

दोनो उसी रिकॉर्डिंग को देखते है तब राज बोलता है....

राज – ये साला देख कैसे सामने आया हमारे

लेकिन अभय उसी वीडियो को बार बार शुरू से देखे जा रहा था जिसे देख राज बोला....

राज – अबे सामने देख के तेरा जी नही भरा जो इसको वीडियो में बार बार देखे जा रहा है तू

अभय – (वीडियो देख अपनी आंखे सिकुड़ते हुए गुस्से में) इसकी मां का मारू मै

राज – क्या हो गया बे ऐसा क्यों बोल रहा है

अभय – ये वीडियो को जरा गौर से देख समझ जाएगा भाई

राज वीडियो देखता है लेकिन उसे कुछ समझ नही आता है...

राज – अबे ऐसा क्या है जो देखने को बोल रहा है मुझे कुछ नही समझ आ रहा है भाई

अभय – अबे ये कोई भूत नही है ये साला पुतला है बे , इसके उपर देख जरा गौर से

राज –(वीडियो को गौर से देखते हुए) इसकी मां की आंख मतलब ये पुतला था और हम साला सच समझ डर के भाग निकले साला इसके अचानक से सामने आने से

अभय – हा किसी ने इसे जान बूझ के इस तरह लटकाया हुआ होगा ताकि अचानक से किसी के सामने आजाएं और हमने नीचे देखा ही नहीं ये हवा में लटक हुआ था यार , जैसे तमाशा दिखाने वाले करते है ना हाथ की उंगली में डोर फसा के नीचे पुतले से हरकत करते है वैसा है ये भी

राज – (अपने सर पे हाथ रख के) और हम साला बिना बात समझे डर के भाग निकले वहा से , अच्छा चुतीया बनाया सालो ने हमे यार

अभय – हम सही जा रहे थे भाई बस इसे धोखा खा गए हम

राज – अब क्या करे भाई चलेगा क्या फिर से वहा पर

अभय – नही भाई मुझे नही लगता अब जाने का कोई फायदा होगा हम इतना चिल्ला के भागे है वहा से , वहा जो होगा सुन लिया होगा उसने

राज – हा यार ये बात तो है सावधान हो गए होगे सब के सब वहा पे , तो फिर क्या करे अब

अभय – मुझे लगता है हमे कुछ दिन के लिए भूल जाना चाहिए उस खंडर के बारे में

राज – ऐसा क्यों बोल रहा है बे

अभय – बात को समझ मेरे भाई जिस तरह से हम चिल्ला के भागे है वहा से जरूर किसी ना किसी ने सुना जरूर होगी हमारी चिल्लाने की आवाज बस दुआ कर किसी ने हमे आते जाते देखा ना हो

राज – अगर देख लिया होगा तो

अभय – तब वो सिर्फ हम पर नजर ही रख सकता है और कुछ नही कर सकता क्योंकि गांव में ऐसा कुछ करने की हिम्मत नही करेगा हमारे साथ

राज – तब तो सोना चाहिए हमे भाई अब मुझे बहुत नीद आ रही है

अभय – हा हा वो तो आएगी ही पता जो चल गया तुझे कोई भूत नही है

बोल दोनो हसने लगे जोर से फिर सो गए जबकि इस तरफ हवेली में कुछ घंटे पहले संध्या , चांदनी और शनाया हॉस्टल से वापस आए हवेली पर...

मालती – (तीनों को हवेली में आते देख) आ गए आप लोग तो कैसा लगा हमारा गांव आप दोनो को

शनाया और चांदनी एक साथ – बहुत सुंदर है आपका गांव

मालती –(टेबल पर खाना लगाते हुए) आप सब आइए खाना खा लीजिए

खाना खाने में सब व्यस्त थे लेकिन आज संध्या का ध्यान सेम बैठे अमन पे था जो मजे से खाना खाए जा रहा था और साथ में अभय पर था मन ही मन अपने आप से बाते किए जा रही थी...

संध्या –(मन में– मैं यहां आराम से ए सी में बैठी हू वहा मेरा बेटा इतनी गर्मी में सिर्फ एक पंखे के सहारे जमीन में कैसे सो जाता होगा कैसे सहा होगा इतने साल उसने ये सब आखिर किस काम की ये नाम , दौलत मेरे जिसमे मेरा बेटा तक मेरे साथ नही , एक तरफ अमन है जिसे हर सुख सुविधा मिली बिना मेहनत के दूसरे तरफ मेरा अभय है जो समझता है मेहनत और सुख किसे कहते है जिस काम के लिए मैं हर बार अभय पर हाथ उठाती थी आज जानती हूं उसका जिम्मेदार सिर्फ अमन है लेकिन उस बात की इसे सजा दे के भी अब क्या कर लूगि मैं क्या अभय वापस आएगा क्या माफ कर पाएगा मुझे क्या करू , काश मैं बीते वक्त को बदल सकती)

यही बाते सोचते सोचते अचानक संध्या कुर्सी से जमीन में गिर गई तभी सबकी नजर पड़ी संध्या पर तुरंत उसे उठा के कमरे में ले जाया गया ललिता ने तुरंत ही डॉक्टर को कॉल किया साथ रमन को भी थोड़ी देर में डॉक्टर आया चेक किया....

शनाया – (डॉक्टर से) क्या हुआ इनको डॉक्टर साहब

डॉक्टर – (संध्या को चेक करके) इनका बीपी बड़ गया था शायद इतनी गर्मी के चलते हुआ होगा , क्या ये खाना सही से नही खा रही है की कमजोरी भी है इनको काफी खेर घबराने की कोई बात नही है मैने ईनजैक्शन दे दिया है ये दवाई टाइम पे देते रहिएगा अभी इनको आराम करने दीजिए

बोल के डॉक्टर चला गया डॉक्टर के जाते ही रमन बोला...

रमन – ये हुआ कैसे सुबह तक तो ठीक थी

ललिता – दीदी तो चांदनी और शनाया को लेके गाई थी गांव दिखाने शायद बाहर घूमने से गर्मी लग गई होगी

रमन – मुझे तो लगता है जरूर आज फिर से मिली होगी उसी हरामी लौंडे से तभी ये सब हुआ है

चांदनी – (आंख सिकुड़ के) किसकी बात कर रहे हो आप

रमन – और कॉन वही लौंडा जिसको ये अपना बेटा समझती है

शनाया – (ना समझते हुए) किसकी बात कर रहे है आप कॉन लड़का है वो और क्या नाम है उसका

रमन – पता नही कॉन है वो भाभी उसे अपना बेटा अभय समझती है जाने कॉन सा काला जादू कर दिया है उस हरामी ने इनका दिमाग खर....

अभय के लिए ऐसी बात सुन चांदनी बोलने को हुई थी लेकिन तभी...

शनाया –(अभय का नाम सुन गुस्से में चिल्ला के) जबान संभाल के बोलो मिस्टर रमन ठाकुर

रमन –(हैरानी से) अरे आपको क्या हुआ मैने उस लौंडे के लिए बोला था और आप....

शनाया –(रमन की बात को बीच में काटते हुए) तुम जिस लड़के के लिए बिल रहे हो मैं उसे अच्छे तरीके से जानती हूं समझे वो उसी स्कूल में पढ़ता था जिसमे मैं टीचर थी समझे इसीलिए दोबारा इसके लिए कुछ भी बोलने से पहले बहुत सोच समझ के बोलना तुम

रमन – (गुस्से में) उस कल के लौंडे के लिए मुझे तुम कर के बात कर रही हो इतनी हिम्मत तुम्हारी , अभी के अभी निकल जाओ यहां से तुम मैं किसी और को कॉलेज प्रिंसिपल के लिए बोल दुगा लेकिन तुम्हे कभी नहीं निकल जाओ

शनाया – (गुस्से में) गौर से सुन रमन ठाकुर मैं तेरे कहने पर नही आई हू यहां पर समझा , मैं संध्या ठाकुर के बुलाने पर आई हू और इस बात का फैसला वही करेगी तू नही

रमन – (हस्ते हुए) बेवकूफ औरत वो कॉलेज मेरा है समझी तू कॉलेज में वही होगा जो मैं चाहूंगा तू कॉन होती है मेरे फैसले के बीच बोलने वाली , अब चुप चाप निकल यह से

शनाया – अच्छा ठीक है इस बात का फैसला संध्या ठाकुर के होश में आने के बाद होगा तब पता चलेगा किसका कॉलेज है और किसी चलती है वहा पे

रमन – साली मुझसे...

चांदनी –(कुछ सोच के) रुक जाइए ठाकुर साहब मैडम सही बोल रही है ठकुराइन ने बुलाया है इनको अगर आप नही चाहते है इनको कॉलेज की प्रिंसिपल के अहूदे पर तो ठकुराइन से कहलवा दीजिएगा इनको भी तसल्ली हो जाएगी और आपकी बात भी मन जाएगी इस तरह से बात बड़ाने से कुछ नही होगा हमे ठकुराइन के होश में आने का इंतजार करना होगा

रमन – (कुछ सोच के) ठीक है इंतजार करता हू भाभी के होश में आने तक उसके बाद मुझे ये एक पल के लिए नही चाहिए ये औरत यहां पर

बोल के रमन हवेली से बाहर निकल गया उसके जाते ही मालती बोली....

मालती – (शनाया और चांदनी से) सिर्फ एक बार मिली हू उस लड़के से उसकी बातो से मुझे भी लगता है जरूर वो हमारा अभय है लेकिन समझ नही आ रहा है अगर वो सच में हमारा अभय है तो जंगल में वो लाश किसकी थी इसी बात से मन में खलबली मच जाती ही दिमाग कोई फैसला नहीं कर पाता है...

बोल के मालती चली गई अपने कमरे में लेकिन चलती की बात सुन चांदनी कुछ सोच रही थी करीबन शाम को संध्या को होश आया होश में आते ही उसने देखा इसके कमरे में चांदनी , शनाया और मालती बैठे थे जिसे देख संध्या बोली...

संध्या – आप सब यहां पे...

चांदनी , शनाया और मालती –( संध्या की आवाज सुन के) होश आ गया आपको

संध्या –(सबकी बात सुन के) क्या हुआ था मुझे मैं यहां अपने कमरे में

मालती –(संध्या के बगल में बैठ के) दीदी क्या हो गया था आपको अचानक से आप बेहोश हो गई थी कितना डर गए थे हम सब

शनाया – अब कैसा लग रहा है आपको

संध्या – (मालती से) कुछ नही मालती बस सिर में दर्द होने लगा था शायद तभी ऐसा हुआ हो , (शनाया से) अब ठीक हू मैं

चांदनी – मैं कुछ खाने को ले आती हू आपके लिए आपने खाना नही खाया था

संध्या – अरे नही चांदनी तुम परेशान मत हो मैं ठीक हू

मालती – ऐसे कैसे ठीक हो आप रुकिए मैं लाती हू खाने को आपके लिए , चांदनी आप दीदी के साथ बैठो मैं अभी आती हूं

बोल के मालती चली गए संध्या के लिए खाने को लेने मालती के जाते ही शनाया बोली...

शनाया – बुरा ना माने आप मैं अब से हॉस्टल में रहूंगी

संध्या –(हैरानी से) आप ऐसा क्यों बोल रही हो

चांदनी – (सारी बात बताते हुए) अब बताइए क्या ये सही है इस तरह से एक औरत से बात करना जो आपके कॉलेज की प्रिंसिपल है जिसे आपने चुना है

संध्या – (शनाया से) आपको कही जाने की कोई जरूरत नहीं है मैने आपको बुलाया है यहां पर ये मेरा फैसला है रमन का नही

शनाया – देखिए मैं आप सब के बीच में नही आना चाहती हू इसीलिए मैंने सोच लिया है अब से मैं हॉस्टल में रहूंगी यहां रह कर रोज मुझे रमन ठाकुर को देखना पड़ेगा जो मुझे पसंद नहीं माफ करिएगा मुझे...

बोल के शनाया चली गई कमरे में अपना बैग पैक करने तब चांदनी ने संध्या से बोला...

चांदनी – (संध्या से) में बात करके आती हू मैडम से (शनाया के पास जाके) किसी एक के कहने से आपको इतना बुरा लग रहा है और जब अभय के लिए बोला गया तब तो आपने बिना डरे जवाब दे दिया रमन ठाकुर को और अब आप उसी के डर से भाग रहे हो क्या होगा उससे मैडम , मैं बताऊं क्या होगा , आपकी हार और रमन की जीत भले कॉलेज से ना निकलवा पाया हो लेकिन घर से निकालने में कामयाब होजाएगा वो और यहां से जाने के बाद धीरे धीरे कॉलेज में भी आपके अगेंस्ट कुछ न कुछ करेगा , मैडम दुनिया में रमन जैसे बहुत मिलेंगे लेकिन जरूरी नहीं वहा ठकुराइन जैसे औरत भी मिले आपको जो इतना सब जाने के बाद भी आपके साथ है , जो करिए सोच समझ के करिए गा..

बोल के चांदनी चली गई संध्या के पास पीछे शनाया सोच में पड़ गई चांदनी की बात से और यहां पर मालती संध्या को जूस पिला रही थी तभी मालती बोली..

मालती – अच्छा दीदी आप आराम करो मैं रात का खाना यही पर ले आऊंगी आपका

संध्या –(मालती बात सुन के) नही मालती कोई जरूरत नहीं मैं सब के साथ ही खाऊंगी खाना

मालती – (मुस्कुरा के) जैसे आपकी मर्जी दीदी बस थोड़ी देर में तयार हो जाएगा खाना

बोल के मालती चली गई तब संध्या बोली...

संध्या – क्या कहा शनाया ने

चांदनी – समझा दिया है मैने उनको कही नहीं जाएगी वो अब

संध्या – रमन हद से ज्यादा बोलने लगा है लगता है वक्त आ गया है उसे सबक सिखाने का

बोल कर संध्या अपने मोबाइल से किसी को कॉल करने लगी काफी देर तक ट्राई करती रही लेकिन कॉल नही मिला तब फिर से किसी और को कॉल किया सामने से किसी लड़की की आवाज आई...

लड़की – हेलो

संध्या – मैं ठकुराइन बोल रही हूं आप कॉन और अनिरुद्ध जी कहा है उनका कॉल क्यों नही लग रहा है

लड़की – नमस्ते ठकुराइन जी , जी मैं अनिरुद्ध सर की सेक्रेटरी थी

संध्या – सेक्रेटरी थी मतलब

लड़की – क्या आपको पता नही चला अनिरुद्ध सर के बारे में

संध्या – क्या पता नही चला मैं समझी नही कुछ

लड़की – अनिरुद्ध सर का एक्सीडेंट हो गया अपनी फैमिली के साथ घूमने जा रहे थे तभी

संध्या – (चौक के) क्या कब और कैसे हुआ एक्सीडेंट उनका अब कहा पर है वो

लड़की – माफ करिएगा ठकुराइन अनिरुद्ध सर और उनकी फैमिली की ऑन द स्पॉट मौत हो गई उसी वक्त , और मैने खबर भेजी थी आपको अभी तक पता नही चला आपको उनकी मौत का

संध्या – (हैरानी से) नही मुझे किसी ने नहीं बताया

लड़की – माफ करिएगा शायद गलती हो गई हमारे लोगो से

संध्या – कोई बात नही
बोल के कॉल कट कर दिया संध्या ने जिसे देख चांदनी बोली...

चांदनी – अभय के जन्म दिन के ठीक दो दिन पहले ये एक्सीडेंट हुआ था आपके वकील अनिरुद्ध का

संध्या –(चांदनी की बात सुन हैरानी से) तुम्हे कैसे पता

चांदनी – अभय इस साल 18 का हो गया है इसीलिए आपके वकील मिस्टर अनिरुद्ध आ रहे थे प्रॉपर्टी के पेपर्स लेके आपके पास अभय के जन्म दिन से दो दिन पहले क्योंकि उनको फैमिली को घुमाने ले जाना था लेकिन रास्ते में ही उनका मर्डर हो गया

संध्या – मर्डर लेकिन अभी उस लड़की ने एक्सीडेंट कहा और तुम्हे कैसे पता ये सब

चांदनी – नही ठकुराइन जी मर्डर हुआ है अनिरुद्ध का जिस वक्त ये हादसा हुआ वहा कुछ लोग थे जिन्होंने बताया कैसे एक ट्रक ने टक्कर मारी अनिरुद्ध की कार को वो भी दो बार और फिर वो ट्रक ड्राइवर भाग गया ट्रक छोड़ के लेकिन उसकी किस्मत खराब थी वही पास की एक दुकान से होते हुए भागा था ड्राइवर वो उस दुकान की कैमरे में आ गया किस्मत से मेरे चीफ और मैं साथ में आपके गांव के लिए निकले हुए थे तभी रास्ते में हमने देखा जांच में मेरी नजर वकील के बैग पर पड़ी उसमे मुझे आपकी प्रॉपर्टी के पेपर मिले उसे पड़ की हमे समझ आ गया क्या मझरा है तभी से चीफ ने इस केस की तहकीकात आगे बड़ाई तभी से मैं यहां हो उसके बाद चीफ को वो ड्राइवर मिल गया लेकिन मरा हुआ

संध्या – मतलब तुम तभी से ही इस गांव में हो लेकिन मुझे बताया क्यों नही तुमने

चांदनी – कुछ जानकारी जुटा रही थी मैं इसीलिए किसी के सामने नहीं आई

संध्या – तो क्या पता चला तुम्हे बताओ प्लीज क्यों मारा वकील और उसकी फैमिली को ऐसा क्या था उन पेपर्स में चांदनी

चांदनी – ठकुराइन जो भी था उसमे उसे पड़ने के बाद मैने मां को सब बता दिया तब से हमे लगने लगा था अभय शहर में सेफ नही है इसीलिए हम दोनो अभय को मानने में लगे थे ताकी अभय गांव आ जाए शहर से ज्यादा अभय यहां अपने गांव में ज्यादा सेफ रहेगा लेकिन अभय मानने को राजी नहीं था फिर एक दिन अचनक से अभय ने खुद बोला गांव जाने के लिए तभी मैंने और मां ने प्लान बनाया और अभय को सुरक्षित यहां गांव भेज दिया

संध्या – चांदनी अगर ऐसा बात है तो प्लीज तुम कुछ भी करो लेकिन अभय को किसी तरह यहां हवेली में ले आओ कही उसे कुछ हो गया तो मैं भी जिंदा नही रहूगी उसके इलावा है ही कॉन मेरा (हाथ जोड़ के) प्लीज मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हू

चांदनी – (संध्या के हाथ पकड़ के) ये आप क्या कर रही है ठकुराइन अगर अभय आपका बेटा है तो मेरा भी भाई है वो उसके लिए ही आई हू मै यहां पर लेकिन एक और बात शायद आपको पता नही है

संध्या – कॉन सी बात

चांदनी – इस गांव में और भी गड़बड़ चल रही है जिसकी तहकीकात मैं पिछले 2 सालो से कर रही हू आपके वकील का एक्सीडेंट तो अभी हाल ही में हुआ है

संध्या – इस गांव में ऐसी कॉन सी गड़बड़ चल रही है जिसकी तहकीकात तुम पिछले 2 साल से कर रही हो क्या हुआ है यहां पर आखिर

चांदनी – बहुत कुछ एसा है जिसका पता आपको भी नही है ठकुराइन जी सही वक्त आने पर मैं बताऊगी आपको अभी के लिए फिलहाल आप निषित रहिए और चलिए नीचे चल के खाना खाते है...

इस के बाद चांदनी और संध्या साथ में नीचे आते है टेबल पर खाने के लिए पीछे से शनाया भी आ जाती है सब साथ में टेबल में बैठते है खाने के लिए तभी रमन कुछ बोलने को जोता है लेकिन संध्या बीच में बोलती है...

संध्या –(रमन को देख के) तुम्हे जो बात करनी है मुझसे करो रमन लेकिन मेरे काम के बीच में बोलने की जरूरत नहीं है तुम्हे , कॉलेज की भलाई के लिए जो भी फैसला लेना होगा वो मैं खुद लूंगी तुम्हे बीच में आने की जरूरत नहीं है

रमन – (हल्के गुस्से में) वो कॉलेज मेरे बाबू जी के नाम से है भाभी उसकी भलाई के लिए फैसला लेना मेरा भी हक है

संध्या – बहुत अच्छा हक निभा रहे हो तुम रमन अपनी ही कॉलेज की प्रिंसिपल से इस तरह से बात कर रहे हो साथ ही कॉलेज के स्टूडेंट के लिए भी इतना गलत बोल के क्या इसे बोलते हो अपना हक तुम

रमन – आप स्टूडेंट के लिए बोल रही हो या उस लौंडे के लिए जिसे आप अपना बेटा समझ रही हो

संध्या – बस रमन अब बहुत हो गया मैं...

रमन –(बीच में बात काटते हुए) आप मान क्यों नही लेती हो की अभय मर चुका है 10 साल पहले ही आखिर क्यों उस लड़के के पीछे पागल पड़ी हो आप या कही ऐसा तो नहीं आप उस हरामी को यहां हवेली में लाने की सोच रही हो

संध्या –(चिल्ला के गुस्से में) किसे हरामी बोल रहा है तू और क्या बोला तूने मर चुका है मेरा अभय तो क्या सबूत है तेरे पास बता सिर्फ जंगल में मिली उस लाश पर अभय के कपड़ो से मान लिया तूने तो , क्यों यहां आई थी पुलिस क्यों पोस्टमार्टम नही करवाया पुलिस ने लाश का क्यों पुलिस ने पता नही लगाया इस बारे में कही ऐसा तो नहीं तूने ही मु बंद कर दिया हो पुलिस वालो का...

संध्या की इस बात से जहा रमन की आखें बड़ी और मु खुला का खुला रह गया वही इस बात से ललिता और मालती भी रमन को सवालिया नजरो से देखने लगे जिसके बाद रमन बोला...

रमन –(हड़बड़ाते हुए) ये...ये... ये सब फालतू की बकवास है मैं....मैं...मैने पता लगाने को ब.... ब.... बोला था पुलिस को रिपोर्ट भी दर्ज है पुलिस स्टेशन में उस हादसे की

संध्या –(रमन की बात सुन के) अच्छा लेकिन तू तो हर वक्त यही इसी हवेली में था उस वक्त कब रिपोर्ट की तूने

रमन –(डरते हुए) मै... मै.... मेरा मतलब मैने नही मुनीम ने रिपोर्ट की थी पुलिस में

संध्या – तो कहा है मुनीम बुलाओ उसे अगर ये बात झूठ निकली तो मुनीम की जिदंगी का आखरी दिन होगा समझ लेना रमन और हा कल के कल मुझे मुनीम चाहिए यहां पर नही तो मैं खुद जाऊंगी पुलिस स्टेशन उस रिपोर्ट को देखने...

इसके बाद सब खाना खाने लगे लेकिन रमन के मू से निवाला नही जा रहा था अब रमन को डर लगने लगा था क्योंकि मुनीम का कही पता नही चल रहा था कॉलेज में जब अभय ने हाथ उठाया था अमन पर तब से मुनीम से कोई संपर्क नही हो पा रहा था रमन का और अब कल संध्या ने मुनीम को हवेली में आने के लिए बोल दिया रमन को उसे समझ नही आ रहा था आखिर अब क्या करे वो धीरे धीरे सभी खाना खा के जाने लगे कमरे में सोने के लिए पीछे अकेला रह गया सिर्फ रमन अपनी सोच में गुम जिसे ललिता ने छेड़ दिया....

ललिता – क्या हुआ आपको सब खाना खा के चले गए सोने लेकिन आपने अभी तक खाना शुरू तक नही किया

रमन – (ललिता की बात सुन) लेजा खाना मुझे नही चाहिए कुछ भी मैं जा रहा हू सोने कमरे में...

बोल के रमन चला गया कमरे में पीछे ललिता भी आ गई बोली...

ललिता – अब क्या हो गया आपको किस सोच में डूबे हो

रमन – मैं मुनीम को कहा से लाऊं समझ नही आ रहा है उस दिन से जाने कहा गायब हो गया है ये मुनीम का बच्चा मोबाइल भी बंद आ रहा है उसका

ललिता – कही डर से भाग तो नही गया आपका मुनीम अपनी दुम दबा के क्योंकि जब जहाज डूबता है तो सबसे पहले चूहे ही भागते है मुझे लागत है आपका चूहा पहले से भाग निकला है यहां से (हस्ते हुए)

रमन –(ललिता की बात सुन के उसका गला दबा के) साली तेरी भी जुबान अब बहुत ज्यादा चलने लगी है

ललिता – मेरा गला दबाने से क्या होगा अगर दबाना है तो जाके संध्या दीदी का दबा गला लेकिन तू ऐसा नही कर सकता अच्छे से जनता है ऐसा किया तो जो कुछ आज तेरे पास है वो भी नही रहेगा तेरे पास भिकारी बन के रही जाएगा तू

रमन –(ललिता का गला छोड़ के गुस्से में बोला) चुप कर कुतीया मैं इस कुछ भी नही होने दुगा बहुत जल्द ही ये सब कुछ सिर्फ मेरा होगा ले वो संध्या सिर्फ और सिर्फ रखैल बन के रहने वाली है बहुत आग हैं उसमे तभी तो पागल पड़े हुए है लोग संध्या के पीछे

ललिता – क्या मतलब है तुम्हारा क्या करने वाले हो तुम

रमन – जल्द ही पता चल जाएगा तुझे और बाकी सबको भी इंतजार कर
.
.
.
जारी रहेगा ✍️✍️✍️
 

Thorragnarok

Haseeno ka Raja
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UPDATE 24

राज और अभय दोनो भाग के हॉस्टल के कमरे में आके दरवाजा बंद कर दिया....

अभय – (लंबी सास लेते हुए) अबे क्या था वो साला अचनक से सामने आ गया इतना डरावना चेहरा बापरे बाप

राज –(लंबी सास लेते हुए) पता नही यार उसे देख के मेरी हवा टाइट हो गई सच में बहुत डरावना था वो

अभय – अब समझ आ गया बनवारी चाचा का बेटा बावला क्यों हो गया था

बोल के अभय अपने कपड़े बदलने लगा...

अभय – एक काम कर मेरे कपड़े पहन कर आज यही सोजा तू

राज – हा तो तुझे क्या लगा इतना सब होने के बाद मैं अकेले घर जाऊंगा अपने

तभी राज ने अभय को कपड़े बदलते हुए देख बोला...

राज – अबे ये क्या है तेरी कमर में

अभय – (साइड में देख के) ये बंदूक है यार

राज –(चौक के) अबे तू बंदूक लेके गया था वहा पर

अभय – हा यार सोचा अगर खतरा लगेगा तो इस्तमाल करूंगा

राज – अबे घोचूमल तेरे पास बंदूक रखी थी तो निकला क्यों नही भागा क्यों बे तू

अभय – अबे अचनक से वो सामने आ गया साला डर के मारे मैं भूल गया यार बंदूक के बारे में

राज – अरे वाह तू डरता भी है क्यों बे तू तो बोल रहा था की तेरे उस SEANIOUR ने तुझे ताकत का इंजेक्शन लगाया है क्यों कहा गई वो ताकत

अभय – अबे गधे प्रसाद SEANIOUR ने ताकत का इंजेक्शन दिया था मुझे न की डर दूर करने का समझा और वैसे भी मैं खुद नही समझ पाया हू इसमें और क्या खासियत है ताकत के सिवा

राज – जाने दे भाई मैं पका हुआ हू इस बंदे की बात सुन के (अपनी जेब से चाकू निकलते हुए) वैसे मैं भी भूल गया था की मेरे पास चाकू है भाई

अभय – ओह तो तू चाकू लेके चला था वहा पे बढ़िया है भाई , चल जाने दे यार सोते है कल कॉलेज भी जाना है...

बोल के दोनो बेड में लेट जाते है काफी देर हो जाती है लेकिन नीद नही आती दोनो को तब राज बोलता है...


GIF-20240701-160147-413
राज – अभय तेरे पास बंदूक कहा से आ गई

अभय – तुझे बताया तो था यार गांव आते वक्त SEANIOUR ने दिया था बैग उसी में थी बंदूक

राज – अच्छा , यार क्या सच में हमने जो देखा वो सच था

अभय – हा यार मैं वही सोच रहा हू , साला उस चक्कर में नीद नही आ रही है भाई

राज – मुझे भी यार , अब क्या करे हम

अभय – (अपना मोबाइल निकालते हुए) मुझे समझ में कुछ नही आ रहा है भाई

बोल के अपने मोबाइल को देखता रहा साथ में राज भी देख के बोला...

राज – ये क्या देख रहा है बे , तूने वीडियो बनाई है वहा की

अभय – हा यार जब अन्दर जा रहा था खंडर में तब वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू कर दी थी मैने

दोनो उसी रिकॉर्डिंग को देखते है तब राज बोलता है....

राज – ये साला देख कैसे सामने आया हमारे

लेकिन अभय उसी वीडियो को बार बार शुरू से देखे जा रहा था जिसे देख राज बोला....

राज – अबे सामने देख के तेरा जी नही भरा जो इसको वीडियो में बार बार देखे जा रहा है तू

अभय – (वीडियो देख अपनी आंखे सिकुड़ते हुए गुस्से में) इसकी मां का मारू मै

राज – क्या हो गया बे ऐसा क्यों बोल रहा है

अभय – ये वीडियो को जरा गौर से देख समझ जाएगा भाई

राज वीडियो देखता है लेकिन उसे कुछ समझ नही आता है...

राज – अबे ऐसा क्या है जो देखने को बोल रहा है मुझे कुछ नही समझ आ रहा है भाई

अभय – अबे ये कोई भूत नही है ये साला पुतला है बे , इसके उपर देख जरा गौर से

राज –(वीडियो को गौर से देखते हुए) इसकी मां की आंख मतलब ये पुतला था और हम साला सच समझ डर के भाग निकले साला इसके अचानक से सामने आने से

अभय – हा किसी ने इसे जान बूझ के इस तरह लटकाया हुआ होगा ताकि अचानक से किसी के सामने आजाएं और हमने नीचे देखा ही नहीं ये हवा में लटक हुआ था यार , जैसे तमाशा दिखाने वाले करते है ना हाथ की उंगली में डोर फसा के नीचे पुतले से हरकत करते है वैसा है ये भी

राज – (अपने सर पे हाथ रख के) और हम साला बिना बात समझे डर के भाग निकले वहा से , अच्छा चुतीया बनाया सालो ने हमे यार

अभय – हम सही जा रहे थे भाई बस इसे धोखा खा गए हम

राज – अब क्या करे भाई चलेगा क्या फिर से वहा पर

अभय – नही भाई मुझे नही लगता अब जाने का कोई फायदा होगा हम इतना चिल्ला के भागे है वहा से , वहा जो होगा सुन लिया होगा उसने

राज – हा यार ये बात तो है सावधान हो गए होगे सब के सब वहा पे , तो फिर क्या करे अब

अभय – मुझे लगता है हमे कुछ दिन के लिए भूल जाना चाहिए उस खंडर के बारे में

राज – ऐसा क्यों बोल रहा है बे

अभय – बात को समझ मेरे भाई जिस तरह से हम चिल्ला के भागे है वहा से जरूर किसी ना किसी ने सुना जरूर होगी हमारी चिल्लाने की आवाज बस दुआ कर किसी ने हमे आते जाते देखा ना हो

राज – अगर देख लिया होगा तो

अभय – तब वो सिर्फ हम पर नजर ही रख सकता है और कुछ नही कर सकता क्योंकि गांव में ऐसा कुछ करने की हिम्मत नही करेगा हमारे साथ

राज – तब तो सोना चाहिए हमे भाई अब मुझे बहुत नीद आ रही है

अभय – हा हा वो तो आएगी ही पता जो चल गया तुझे कोई भूत नही है

बोल दोनो हसने लगे जोर से फिर सो गए जबकि इस तरफ हवेली में कुछ घंटे पहले संध्या , चांदनी और शनाया हॉस्टल से वापस आए हवेली पर...

मालती – (तीनों को हवेली में आते देख) आ गए आप लोग तो कैसा लगा हमारा गांव आप दोनो को

शनाया और चांदनी एक साथ – बहुत सुंदर है आपका गांव

मालती –(टेबल पर खाना लगाते हुए) आप सब आइए खाना खा लीजिए

खाना खाने में सब व्यस्त थे लेकिन आज संध्या का ध्यान सेम बैठे अमन पे था जो मजे से खाना खाए जा रहा था और साथ में अभय पर था मन ही मन अपने आप से बाते किए जा रही थी...

संध्या –(मन में– मैं यहां आराम से ए सी में बैठी हू वहा मेरा बेटा इतनी गर्मी में सिर्फ एक पंखे के सहारे जमीन में कैसे सो जाता होगा कैसे सहा होगा इतने साल उसने ये सब आखिर किस काम की ये नाम , दौलत मेरे जिसमे मेरा बेटा तक मेरे साथ नही , एक तरफ अमन है जिसे हर सुख सुविधा मिली बिना मेहनत के दूसरे तरफ मेरा अभय है जो समझता है मेहनत और सुख किसे कहते है जिस काम के लिए मैं हर बार अभय पर हाथ उठाती थी आज जानती हूं उसका जिम्मेदार सिर्फ अमन है लेकिन उस बात की इसे सजा दे के भी अब क्या कर लूगि मैं क्या अभय वापस आएगा क्या माफ कर पाएगा मुझे क्या करू , काश मैं बीते वक्त को बदल सकती)

यही बाते सोचते सोचते अचानक संध्या कुर्सी से जमीन में गिर गई तभी सबकी नजर पड़ी संध्या पर तुरंत उसे उठा के कमरे में ले जाया गया ललिता ने तुरंत ही डॉक्टर को कॉल किया साथ रमन को भी थोड़ी देर में डॉक्टर आया चेक किया....

शनाया – (डॉक्टर से) क्या हुआ इनको डॉक्टर साहब

डॉक्टर – (संध्या को चेक करके) इनका बीपी बड़ गया था शायद इतनी गर्मी के चलते हुआ होगा , क्या ये खाना सही से नही खा रही है की कमजोरी भी है इनको काफी खेर घबराने की कोई बात नही है मैने ईनजैक्शन दे दिया है ये दवाई टाइम पे देते रहिएगा अभी इनको आराम करने दीजिए

बोल के डॉक्टर चला गया डॉक्टर के जाते ही रमन बोला...

रमन – ये हुआ कैसे सुबह तक तो ठीक थी

ललिता – दीदी तो चांदनी और शनाया को लेके गाई थी गांव दिखाने शायद बाहर घूमने से गर्मी लग गई होगी

रमन – मुझे तो लगता है जरूर आज फिर से मिली होगी उसी हरामी लौंडे से तभी ये सब हुआ है

चांदनी – (आंख सिकुड़ के) किसकी बात कर रहे हो आप

रमन – और कॉन वही लौंडा जिसको ये अपना बेटा समझती है

शनाया – (ना समझते हुए) किसकी बात कर रहे है आप कॉन लड़का है वो और क्या नाम है उसका

रमन – पता नही कॉन है वो भाभी उसे अपना बेटा अभय समझती है जाने कॉन सा काला जादू कर दिया है उस हरामी ने इनका दिमाग खर....

अभय के लिए ऐसी बात सुन चांदनी बोलने को हुई थी लेकिन तभी...

शनाया –(अभय का नाम सुन गुस्से में चिल्ला के) जबान संभाल के बोलो मिस्टर रमन ठाकुर

रमन –(हैरानी से) अरे आपको क्या हुआ मैने उस लौंडे के लिए बोला था और आप....

शनाया –(रमन की बात को बीच में काटते हुए) तुम जिस लड़के के लिए बिल रहे हो मैं उसे अच्छे तरीके से जानती हूं समझे वो उसी स्कूल में पढ़ता था जिसमे मैं टीचर थी समझे इसीलिए दोबारा इसके लिए कुछ भी बोलने से पहले बहुत सोच समझ के बोलना तुम

रमन – (गुस्से में) उस कल के लौंडे के लिए मुझे तुम कर के बात कर रही हो इतनी हिम्मत तुम्हारी , अभी के अभी निकल जाओ यहां से तुम मैं किसी और को कॉलेज प्रिंसिपल के लिए बोल दुगा लेकिन तुम्हे कभी नहीं निकल जाओ

शनाया – (गुस्से में) गौर से सुन रमन ठाकुर मैं तेरे कहने पर नही आई हू यहां पर समझा , मैं संध्या ठाकुर के बुलाने पर आई हू और इस बात का फैसला वही करेगी तू नही

रमन – (हस्ते हुए) बेवकूफ औरत वो कॉलेज मेरा है समझी तू कॉलेज में वही होगा जो मैं चाहूंगा तू कॉन होती है मेरे फैसले के बीच बोलने वाली , अब चुप चाप निकल यह से

शनाया – अच्छा ठीक है इस बात का फैसला संध्या ठाकुर के होश में आने के बाद होगा तब पता चलेगा किसका कॉलेज है और किसी चलती है वहा पे

रमन – साली मुझसे...

चांदनी –(कुछ सोच के) रुक जाइए ठाकुर साहब मैडम सही बोल रही है ठकुराइन ने बुलाया है इनको अगर आप नही चाहते है इनको कॉलेज की प्रिंसिपल के अहूदे पर तो ठकुराइन से कहलवा दीजिएगा इनको भी तसल्ली हो जाएगी और आपकी बात भी मन जाएगी इस तरह से बात बड़ाने से कुछ नही होगा हमे ठकुराइन के होश में आने का इंतजार करना होगा

रमन – (कुछ सोच के) ठीक है इंतजार करता हू भाभी के होश में आने तक उसके बाद मुझे ये एक पल के लिए नही चाहिए ये औरत यहां पर

बोल के रमन हवेली से बाहर निकल गया उसके जाते ही मालती बोली....

मालती – (शनाया और चांदनी से) सिर्फ एक बार मिली हू उस लड़के से उसकी बातो से मुझे भी लगता है जरूर वो हमारा अभय है लेकिन समझ नही आ रहा है अगर वो सच में हमारा अभय है तो जंगल में वो लाश किसकी थी इसी बात से मन में खलबली मच जाती ही दिमाग कोई फैसला नहीं कर पाता है...

बोल के मालती चली गई अपने कमरे में लेकिन चलती की बात सुन चांदनी कुछ सोच रही थी करीबन शाम को संध्या को होश आया होश में आते ही उसने देखा इसके कमरे में चांदनी , शनाया और मालती बैठे थे जिसे देख संध्या बोली...

संध्या – आप सब यहां पे...

चांदनी , शनाया और मालती –( संध्या की आवाज सुन के) होश आ गया आपको

संध्या –(सबकी बात सुन के) क्या हुआ था मुझे मैं यहां अपने कमरे में

मालती –(संध्या के बगल में बैठ के) दीदी क्या हो गया था आपको अचानक से आप बेहोश हो गई थी कितना डर गए थे हम सब

शनाया – अब कैसा लग रहा है आपको

संध्या – (मालती से) कुछ नही मालती बस सिर में दर्द होने लगा था शायद तभी ऐसा हुआ हो , (शनाया से) अब ठीक हू मैं

चांदनी – मैं कुछ खाने को ले आती हू आपके लिए आपने खाना नही खाया था

संध्या – अरे नही चांदनी तुम परेशान मत हो मैं ठीक हू

मालती – ऐसे कैसे ठीक हो आप रुकिए मैं लाती हू खाने को आपके लिए , चांदनी आप दीदी के साथ बैठो मैं अभी आती हूं

बोल के मालती चली गए संध्या के लिए खाने को लेने मालती के जाते ही शनाया बोली...

शनाया – बुरा ना माने आप मैं अब से हॉस्टल में रहूंगी

संध्या –(हैरानी से) आप ऐसा क्यों बोल रही हो

चांदनी – (सारी बात बताते हुए) अब बताइए क्या ये सही है इस तरह से एक औरत से बात करना जो आपके कॉलेज की प्रिंसिपल है जिसे आपने चुना है

संध्या – (शनाया से) आपको कही जाने की कोई जरूरत नहीं है मैने आपको बुलाया है यहां पर ये मेरा फैसला है रमन का नही

शनाया – देखिए मैं आप सब के बीच में नही आना चाहती हू इसीलिए मैंने सोच लिया है अब से मैं हॉस्टल में रहूंगी यहां रह कर रोज मुझे रमन ठाकुर को देखना पड़ेगा जो मुझे पसंद नहीं माफ करिएगा मुझे...

बोल के शनाया चली गई कमरे में अपना बैग पैक करने तब चांदनी ने संध्या से बोला...

चांदनी – (संध्या से) में बात करके आती हू मैडम से (शनाया के पास जाके) किसी एक के कहने से आपको इतना बुरा लग रहा है और जब अभय के लिए बोला गया तब तो आपने बिना डरे जवाब दे दिया रमन ठाकुर को और अब आप उसी के डर से भाग रहे हो क्या होगा उससे मैडम , मैं बताऊं क्या होगा , आपकी हार और रमन की जीत भले कॉलेज से ना निकलवा पाया हो लेकिन घर से निकालने में कामयाब होजाएगा वो और यहां से जाने के बाद धीरे धीरे कॉलेज में भी आपके अगेंस्ट कुछ न कुछ करेगा , मैडम दुनिया में रमन जैसे बहुत मिलेंगे लेकिन जरूरी नहीं वहा ठकुराइन जैसे औरत भी मिले आपको जो इतना सब जाने के बाद भी आपके साथ है , जो करिए सोच समझ के करिए गा..

बोल के चांदनी चली गई संध्या के पास पीछे शनाया सोच में पड़ गई चांदनी की बात से और यहां पर मालती संध्या को जूस पिला रही थी तभी मालती बोली..

मालती – अच्छा दीदी आप आराम करो मैं रात का खाना यही पर ले आऊंगी आपका

संध्या –(मालती बात सुन के) नही मालती कोई जरूरत नहीं मैं सब के साथ ही खाऊंगी खाना

मालती – (मुस्कुरा के) जैसे आपकी मर्जी दीदी बस थोड़ी देर में तयार हो जाएगा खाना

बोल के मालती चली गई तब संध्या बोली...

संध्या – क्या कहा शनाया ने

चांदनी – समझा दिया है मैने उनको कही नहीं जाएगी वो अब

संध्या – रमन हद से ज्यादा बोलने लगा है लगता है वक्त आ गया है उसे सबक सिखाने का

बोल कर संध्या अपने मोबाइल से किसी को कॉल करने लगी काफी देर तक ट्राई करती रही लेकिन कॉल नही मिला तब फिर से किसी और को कॉल किया सामने से किसी लड़की की आवाज आई...

लड़की – हेलो

संध्या – मैं ठकुराइन बोल रही हूं आप कॉन और अनिरुद्ध जी कहा है उनका कॉल क्यों नही लग रहा है

लड़की – नमस्ते ठकुराइन जी , जी मैं अनिरुद्ध सर की सेक्रेटरी थी

संध्या – सेक्रेटरी थी मतलब

लड़की – क्या आपको पता नही चला अनिरुद्ध सर के बारे में

संध्या – क्या पता नही चला मैं समझी नही कुछ

लड़की – अनिरुद्ध सर का एक्सीडेंट हो गया अपनी फैमिली के साथ घूमने जा रहे थे तभी

संध्या – (चौक के) क्या कब और कैसे हुआ एक्सीडेंट उनका अब कहा पर है वो

लड़की – माफ करिएगा ठकुराइन अनिरुद्ध सर और उनकी फैमिली की ऑन द स्पॉट मौत हो गई उसी वक्त , और मैने खबर भेजी थी आपको अभी तक पता नही चला आपको उनकी मौत का

संध्या – (हैरानी से) नही मुझे किसी ने नहीं बताया

लड़की – माफ करिएगा शायद गलती हो गई हमारे लोगो से

संध्या – कोई बात नही
बोल के कॉल कट कर दिया संध्या ने जिसे देख चांदनी बोली...

चांदनी – अभय के जन्म दिन के ठीक दो दिन पहले ये एक्सीडेंट हुआ था आपके वकील अनिरुद्ध का

संध्या –(चांदनी की बात सुन हैरानी से) तुम्हे कैसे पता

चांदनी – अभय इस साल 18 का हो गया है इसीलिए आपके वकील मिस्टर अनिरुद्ध आ रहे थे प्रॉपर्टी के पेपर्स लेके आपके पास अभय के जन्म दिन से दो दिन पहले क्योंकि उनको फैमिली को घुमाने ले जाना था लेकिन रास्ते में ही उनका मर्डर हो गया

संध्या – मर्डर लेकिन अभी उस लड़की ने एक्सीडेंट कहा और तुम्हे कैसे पता ये सब

चांदनी – नही ठकुराइन जी मर्डर हुआ है अनिरुद्ध का जिस वक्त ये हादसा हुआ वहा कुछ लोग थे जिन्होंने बताया कैसे एक ट्रक ने टक्कर मारी अनिरुद्ध की कार को वो भी दो बार और फिर वो ट्रक ड्राइवर भाग गया ट्रक छोड़ के लेकिन उसकी किस्मत खराब थी वही पास की एक दुकान से होते हुए भागा था ड्राइवर वो उस दुकान की कैमरे में आ गया किस्मत से मेरे चीफ और मैं साथ में आपके गांव के लिए निकले हुए थे तभी रास्ते में हमने देखा जांच में मेरी नजर वकील के बैग पर पड़ी उसमे मुझे आपकी प्रॉपर्टी के पेपर मिले उसे पड़ की हमे समझ आ गया क्या मझरा है तभी से चीफ ने इस केस की तहकीकात आगे बड़ाई तभी से मैं यहां हो उसके बाद चीफ को वो ड्राइवर मिल गया लेकिन मरा हुआ

संध्या – मतलब तुम तभी से ही इस गांव में हो लेकिन मुझे बताया क्यों नही तुमने

चांदनी – कुछ जानकारी जुटा रही थी मैं इसीलिए किसी के सामने नहीं आई

संध्या – तो क्या पता चला तुम्हे बताओ प्लीज क्यों मारा वकील और उसकी फैमिली को ऐसा क्या था उन पेपर्स में चांदनी

चांदनी – ठकुराइन जो भी था उसमे उसे पड़ने के बाद मैने मां को सब बता दिया तब से हमे लगने लगा था अभय शहर में सेफ नही है इसीलिए हम दोनो अभय को मानने में लगे थे ताकी अभय गांव आ जाए शहर से ज्यादा अभय यहां अपने गांव में ज्यादा सेफ रहेगा लेकिन अभय मानने को राजी नहीं था फिर एक दिन अचनक से अभय ने खुद बोला गांव जाने के लिए तभी मैंने और मां ने प्लान बनाया और अभय को सुरक्षित यहां गांव भेज दिया

संध्या – चांदनी अगर ऐसा बात है तो प्लीज तुम कुछ भी करो लेकिन अभय को किसी तरह यहां हवेली में ले आओ कही उसे कुछ हो गया तो मैं भी जिंदा नही रहूगी उसके इलावा है ही कॉन मेरा (हाथ जोड़ के) प्लीज मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हू

चांदनी – (संध्या के हाथ पकड़ के) ये आप क्या कर रही है ठकुराइन अगर अभय आपका बेटा है तो मेरा भी भाई है वो उसके लिए ही आई हू मै यहां पर लेकिन एक और बात शायद आपको पता नही है

संध्या – कॉन सी बात

चांदनी – इस गांव में और भी गड़बड़ चल रही है जिसकी तहकीकात मैं पिछले 2 सालो से कर रही हू आपके वकील का एक्सीडेंट तो अभी हाल ही में हुआ है

संध्या – इस गांव में ऐसी कॉन सी गड़बड़ चल रही है जिसकी तहकीकात तुम पिछले 2 साल से कर रही हो क्या हुआ है यहां पर आखिर

चांदनी – बहुत कुछ एसा है जिसका पता आपको भी नही है ठकुराइन जी सही वक्त आने पर मैं बताऊगी आपको अभी के लिए फिलहाल आप निषित रहिए और चलिए नीचे चल के खाना खाते है...

इस के बाद चांदनी और संध्या साथ में नीचे आते है टेबल पर खाने के लिए पीछे से शनाया भी आ जाती है सब साथ में टेबल में बैठते है खाने के लिए तभी रमन कुछ बोलने को जोता है लेकिन संध्या बीच में बोलती है...

संध्या –(रमन को देख के) तुम्हे जो बात करनी है मुझसे करो रमन लेकिन मेरे काम के बीच में बोलने की जरूरत नहीं है तुम्हे , कॉलेज की भलाई के लिए जो भी फैसला लेना होगा वो मैं खुद लूंगी तुम्हे बीच में आने की जरूरत नहीं है

रमन – (हल्के गुस्से में) वो कॉलेज मेरे बाबू जी के नाम से है भाभी उसकी भलाई के लिए फैसला लेना मेरा भी हक है

संध्या – बहुत अच्छा हक निभा रहे हो तुम रमन अपनी ही कॉलेज की प्रिंसिपल से इस तरह से बात कर रहे हो साथ ही कॉलेज के स्टूडेंट के लिए भी इतना गलत बोल के क्या इसे बोलते हो अपना हक तुम

रमन – आप स्टूडेंट के लिए बोल रही हो या उस लौंडे के लिए जिसे आप अपना बेटा समझ रही हो

संध्या – बस रमन अब बहुत हो गया मैं...

रमन –(बीच में बात काटते हुए) आप मान क्यों नही लेती हो की अभय मर चुका है 10 साल पहले ही आखिर क्यों उस लड़के के पीछे पागल पड़ी हो आप या कही ऐसा तो नहीं आप उस हरामी को यहां हवेली में लाने की सोच रही हो

संध्या –(चिल्ला के गुस्से में) किसे हरामी बोल रहा है तू और क्या बोला तूने मर चुका है मेरा अभय तो क्या सबूत है तेरे पास बता सिर्फ जंगल में मिली उस लाश पर अभय के कपड़ो से मान लिया तूने तो , क्यों यहां आई थी पुलिस क्यों पोस्टमार्टम नही करवाया पुलिस ने लाश का क्यों पुलिस ने पता नही लगाया इस बारे में कही ऐसा तो नहीं तूने ही मु बंद कर दिया हो पुलिस वालो का...

संध्या की इस बात से जहा रमन की आखें बड़ी और मु खुला का खुला रह गया वही इस बात से ललिता और मालती भी रमन को सवालिया नजरो से देखने लगे जिसके बाद रमन बोला...

रमन –(हड़बड़ाते हुए) ये...ये... ये सब फालतू की बकवास है मैं....मैं...मैने पता लगाने को ब.... ब.... बोला था पुलिस को रिपोर्ट भी दर्ज है पुलिस स्टेशन में उस हादसे की

संध्या –(रमन की बात सुन के) अच्छा लेकिन तू तो हर वक्त यही इसी हवेली में था उस वक्त कब रिपोर्ट की तूने

रमन –(डरते हुए) मै... मै.... मेरा मतलब मैने नही मुनीम ने रिपोर्ट की थी पुलिस में

संध्या – तो कहा है मुनीम बुलाओ उसे अगर ये बात झूठ निकली तो मुनीम की जिदंगी का आखरी दिन होगा समझ लेना रमन और हा कल के कल मुझे मुनीम चाहिए यहां पर नही तो मैं खुद जाऊंगी पुलिस स्टेशन उस रिपोर्ट को देखने...

इसके बाद सब खाना खाने लगे लेकिन रमन के मू से निवाला नही जा रहा था अब रमन को डर लगने लगा था क्योंकि मुनीम का कही पता नही चल रहा था कॉलेज में जब अभय ने हाथ उठाया था अमन पर तब से मुनीम से कोई संपर्क नही हो पा रहा था रमन का और अब कल संध्या ने मुनीम को हवेली में आने के लिए बोल दिया रमन को उसे समझ नही आ रहा था आखिर अब क्या करे वो धीरे धीरे सभी खाना खा के जाने लगे कमरे में सोने के लिए पीछे अकेला रह गया सिर्फ रमन अपनी सोच में गुम जिसे ललिता ने छेड़ दिया....

ललिता – क्या हुआ आपको सब खाना खा के चले गए सोने लेकिन आपने अभी तक खाना शुरू तक नही किया

रमन – (ललिता की बात सुन) लेजा खाना मुझे नही चाहिए कुछ भी मैं जा रहा हू सोने कमरे में...

बोल के रमन चला गया कमरे में पीछे ललिता भी आ गई बोली...

ललिता – अब क्या हो गया आपको किस सोच में डूबे हो

रमन – मैं मुनीम को कहा से लाऊं समझ नही आ रहा है उस दिन से जाने कहा गायब हो गया है ये मुनीम का बच्चा मोबाइल भी बंद आ रहा है उसका

ललिता – कही डर से भाग तो नही गया आपका मुनीम अपनी दुम दबा के क्योंकि जब जहाज डूबता है तो सबसे पहले चूहे ही भागते है मुझे लागत है आपका चूहा पहले से भाग निकला है यहां से (हस्ते हुए)

रमन –(ललिता की बात सुन के उसका गला दबा के) साली तेरी भी जुबान अब बहुत ज्यादा चलने लगी है

ललिता – मेरा गला दबाने से क्या होगा अगर दबाना है तो जाके संध्या दीदी का दबा गला लेकिन तू ऐसा नही कर सकता अच्छे से जनता है ऐसा किया तो जो कुछ आज तेरे पास है वो भी नही रहेगा तेरे पास भिकारी बन के रही जाएगा तू

रमन –(ललिता का गला छोड़ के गुस्से में बोला) चुप कर कुतीया मैं इस कुछ भी नही होने दुगा बहुत जल्द ही ये सब कुछ सिर्फ मेरा होगा ले वो संध्या सिर्फ और सिर्फ रखैल बन के रहने वाली है बहुत आग हैं उसमे तभी तो पागल पड़े हुए है लोग संध्या के पीछे

ललिता – क्या मतलब है तुम्हारा क्या करने वाले हो तुम

रमन – जल्द ही पता चल जाएगा तुझे और बाकी सबको भी इंतजार कर
.
.
.
जारी रहेगा ✍️✍️✍️
SHandaar update bhai

Sandhya abhi bhi bilkul naadan hai aur wahi Raman sandhya ke sath rahte huye itna bada bada kaand ker de rha hai aur Sandhya ko kuch bhanak tak nahi lagne de rha hai ,ab jaldi se Raman ka such samne aao ,wo Abhay ki laash wala such ,wo body aakhir thi kiski ,jisse abhay bataya gya tha aur ye Muneem kaha hai
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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UPDATE 24

राज और अभय दोनो भाग के हॉस्टल के कमरे में आके दरवाजा बंद कर दिया....

अभय – (लंबी सास लेते हुए) अबे क्या था वो साला अचनक से सामने आ गया इतना डरावना चेहरा बापरे बाप

राज –(लंबी सास लेते हुए) पता नही यार उसे देख के मेरी हवा टाइट हो गई सच में बहुत डरावना था वो

अभय – अब समझ आ गया बनवारी चाचा का बेटा बावला क्यों हो गया था

बोल के अभय अपने कपड़े बदलने लगा...

अभय – एक काम कर मेरे कपड़े पहन कर आज यही सोजा तू

राज – हा तो तुझे क्या लगा इतना सब होने के बाद मैं अकेले घर जाऊंगा अपने

तभी राज ने अभय को कपड़े बदलते हुए देख बोला...

राज – अबे ये क्या है तेरी कमर में

अभय – (साइड में देख के) ये बंदूक है यार

राज –(चौक के) अबे तू बंदूक लेके गया था वहा पर

अभय – हा यार सोचा अगर खतरा लगेगा तो इस्तमाल करूंगा

राज – अबे घोचूमल तेरे पास बंदूक रखी थी तो निकला क्यों नही भागा क्यों बे तू

अभय – अबे अचनक से वो सामने आ गया साला डर के मारे मैं भूल गया यार बंदूक के बारे में

राज – अरे वाह तू डरता भी है क्यों बे तू तो बोल रहा था की तेरे उस SEANIOUR ने तुझे ताकत का इंजेक्शन लगाया है क्यों कहा गई वो ताकत

अभय – अबे गधे प्रसाद SEANIOUR ने ताकत का इंजेक्शन दिया था मुझे न की डर दूर करने का समझा और वैसे भी मैं खुद नही समझ पाया हू इसमें और क्या खासियत है ताकत के सिवा

राज – जाने दे भाई मैं पका हुआ हू इस बंदे की बात सुन के (अपनी जेब से चाकू निकलते हुए) वैसे मैं भी भूल गया था की मेरे पास चाकू है भाई

अभय – ओह तो तू चाकू लेके चला था वहा पे बढ़िया है भाई , चल जाने दे यार सोते है कल कॉलेज भी जाना है...

बोल के दोनो बेड में लेट जाते है काफी देर हो जाती है लेकिन नीद नही आती दोनो को तब राज बोलता है...


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राज – अभय तेरे पास बंदूक कहा से आ गई

अभय – तुझे बताया तो था यार गांव आते वक्त SEANIOUR ने दिया था बैग उसी में थी बंदूक

राज – अच्छा , यार क्या सच में हमने जो देखा वो सच था

अभय – हा यार मैं वही सोच रहा हू , साला उस चक्कर में नीद नही आ रही है भाई

राज – मुझे भी यार , अब क्या करे हम

अभय – (अपना मोबाइल निकालते हुए) मुझे समझ में कुछ नही आ रहा है भाई

बोल के अपने मोबाइल को देखता रहा साथ में राज भी देख के बोला...

राज – ये क्या देख रहा है बे , तूने वीडियो बनाई है वहा की

अभय – हा यार जब अन्दर जा रहा था खंडर में तब वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू कर दी थी मैने

दोनो उसी रिकॉर्डिंग को देखते है तब राज बोलता है....

राज – ये साला देख कैसे सामने आया हमारे

लेकिन अभय उसी वीडियो को बार बार शुरू से देखे जा रहा था जिसे देख राज बोला....

राज – अबे सामने देख के तेरा जी नही भरा जो इसको वीडियो में बार बार देखे जा रहा है तू

अभय – (वीडियो देख अपनी आंखे सिकुड़ते हुए गुस्से में) इसकी मां का मारू मै

राज – क्या हो गया बे ऐसा क्यों बोल रहा है

अभय – ये वीडियो को जरा गौर से देख समझ जाएगा भाई

राज वीडियो देखता है लेकिन उसे कुछ समझ नही आता है...

राज – अबे ऐसा क्या है जो देखने को बोल रहा है मुझे कुछ नही समझ आ रहा है भाई

अभय – अबे ये कोई भूत नही है ये साला पुतला है बे , इसके उपर देख जरा गौर से

राज –(वीडियो को गौर से देखते हुए) इसकी मां की आंख मतलब ये पुतला था और हम साला सच समझ डर के भाग निकले साला इसके अचानक से सामने आने से

अभय – हा किसी ने इसे जान बूझ के इस तरह लटकाया हुआ होगा ताकि अचानक से किसी के सामने आजाएं और हमने नीचे देखा ही नहीं ये हवा में लटक हुआ था यार , जैसे तमाशा दिखाने वाले करते है ना हाथ की उंगली में डोर फसा के नीचे पुतले से हरकत करते है वैसा है ये भी

राज – (अपने सर पे हाथ रख के) और हम साला बिना बात समझे डर के भाग निकले वहा से , अच्छा चुतीया बनाया सालो ने हमे यार

अभय – हम सही जा रहे थे भाई बस इसे धोखा खा गए हम

राज – अब क्या करे भाई चलेगा क्या फिर से वहा पर

अभय – नही भाई मुझे नही लगता अब जाने का कोई फायदा होगा हम इतना चिल्ला के भागे है वहा से , वहा जो होगा सुन लिया होगा उसने

राज – हा यार ये बात तो है सावधान हो गए होगे सब के सब वहा पे , तो फिर क्या करे अब

अभय – मुझे लगता है हमे कुछ दिन के लिए भूल जाना चाहिए उस खंडर के बारे में

राज – ऐसा क्यों बोल रहा है बे

अभय – बात को समझ मेरे भाई जिस तरह से हम चिल्ला के भागे है वहा से जरूर किसी ना किसी ने सुना जरूर होगी हमारी चिल्लाने की आवाज बस दुआ कर किसी ने हमे आते जाते देखा ना हो

राज – अगर देख लिया होगा तो

अभय – तब वो सिर्फ हम पर नजर ही रख सकता है और कुछ नही कर सकता क्योंकि गांव में ऐसा कुछ करने की हिम्मत नही करेगा हमारे साथ

राज – तब तो सोना चाहिए हमे भाई अब मुझे बहुत नीद आ रही है

अभय – हा हा वो तो आएगी ही पता जो चल गया तुझे कोई भूत नही है

बोल दोनो हसने लगे जोर से फिर सो गए जबकि इस तरफ हवेली में कुछ घंटे पहले संध्या , चांदनी और शनाया हॉस्टल से वापस आए हवेली पर...

मालती – (तीनों को हवेली में आते देख) आ गए आप लोग तो कैसा लगा हमारा गांव आप दोनो को

शनाया और चांदनी एक साथ – बहुत सुंदर है आपका गांव

मालती –(टेबल पर खाना लगाते हुए) आप सब आइए खाना खा लीजिए

खाना खाने में सब व्यस्त थे लेकिन आज संध्या का ध्यान सेम बैठे अमन पे था जो मजे से खाना खाए जा रहा था और साथ में अभय पर था मन ही मन अपने आप से बाते किए जा रही थी...

संध्या –(मन में– मैं यहां आराम से ए सी में बैठी हू वहा मेरा बेटा इतनी गर्मी में सिर्फ एक पंखे के सहारे जमीन में कैसे सो जाता होगा कैसे सहा होगा इतने साल उसने ये सब आखिर किस काम की ये नाम , दौलत मेरे जिसमे मेरा बेटा तक मेरे साथ नही , एक तरफ अमन है जिसे हर सुख सुविधा मिली बिना मेहनत के दूसरे तरफ मेरा अभय है जो समझता है मेहनत और सुख किसे कहते है जिस काम के लिए मैं हर बार अभय पर हाथ उठाती थी आज जानती हूं उसका जिम्मेदार सिर्फ अमन है लेकिन उस बात की इसे सजा दे के भी अब क्या कर लूगि मैं क्या अभय वापस आएगा क्या माफ कर पाएगा मुझे क्या करू , काश मैं बीते वक्त को बदल सकती)

यही बाते सोचते सोचते अचानक संध्या कुर्सी से जमीन में गिर गई तभी सबकी नजर पड़ी संध्या पर तुरंत उसे उठा के कमरे में ले जाया गया ललिता ने तुरंत ही डॉक्टर को कॉल किया साथ रमन को भी थोड़ी देर में डॉक्टर आया चेक किया....

शनाया – (डॉक्टर से) क्या हुआ इनको डॉक्टर साहब

डॉक्टर – (संध्या को चेक करके) इनका बीपी बड़ गया था शायद इतनी गर्मी के चलते हुआ होगा , क्या ये खाना सही से नही खा रही है की कमजोरी भी है इनको काफी खेर घबराने की कोई बात नही है मैने ईनजैक्शन दे दिया है ये दवाई टाइम पे देते रहिएगा अभी इनको आराम करने दीजिए

बोल के डॉक्टर चला गया डॉक्टर के जाते ही रमन बोला...

रमन – ये हुआ कैसे सुबह तक तो ठीक थी

ललिता – दीदी तो चांदनी और शनाया को लेके गाई थी गांव दिखाने शायद बाहर घूमने से गर्मी लग गई होगी

रमन – मुझे तो लगता है जरूर आज फिर से मिली होगी उसी हरामी लौंडे से तभी ये सब हुआ है

चांदनी – (आंख सिकुड़ के) किसकी बात कर रहे हो आप

रमन – और कॉन वही लौंडा जिसको ये अपना बेटा समझती है

शनाया – (ना समझते हुए) किसकी बात कर रहे है आप कॉन लड़का है वो और क्या नाम है उसका

रमन – पता नही कॉन है वो भाभी उसे अपना बेटा अभय समझती है जाने कॉन सा काला जादू कर दिया है उस हरामी ने इनका दिमाग खर....

अभय के लिए ऐसी बात सुन चांदनी बोलने को हुई थी लेकिन तभी...

शनाया –(अभय का नाम सुन गुस्से में चिल्ला के) जबान संभाल के बोलो मिस्टर रमन ठाकुर

रमन –(हैरानी से) अरे आपको क्या हुआ मैने उस लौंडे के लिए बोला था और आप....

शनाया –(रमन की बात को बीच में काटते हुए) तुम जिस लड़के के लिए बिल रहे हो मैं उसे अच्छे तरीके से जानती हूं समझे वो उसी स्कूल में पढ़ता था जिसमे मैं टीचर थी समझे इसीलिए दोबारा इसके लिए कुछ भी बोलने से पहले बहुत सोच समझ के बोलना तुम

रमन – (गुस्से में) उस कल के लौंडे के लिए मुझे तुम कर के बात कर रही हो इतनी हिम्मत तुम्हारी , अभी के अभी निकल जाओ यहां से तुम मैं किसी और को कॉलेज प्रिंसिपल के लिए बोल दुगा लेकिन तुम्हे कभी नहीं निकल जाओ

शनाया – (गुस्से में) गौर से सुन रमन ठाकुर मैं तेरे कहने पर नही आई हू यहां पर समझा , मैं संध्या ठाकुर के बुलाने पर आई हू और इस बात का फैसला वही करेगी तू नही

रमन – (हस्ते हुए) बेवकूफ औरत वो कॉलेज मेरा है समझी तू कॉलेज में वही होगा जो मैं चाहूंगा तू कॉन होती है मेरे फैसले के बीच बोलने वाली , अब चुप चाप निकल यह से

शनाया – अच्छा ठीक है इस बात का फैसला संध्या ठाकुर के होश में आने के बाद होगा तब पता चलेगा किसका कॉलेज है और किसी चलती है वहा पे

रमन – साली मुझसे...

चांदनी –(कुछ सोच के) रुक जाइए ठाकुर साहब मैडम सही बोल रही है ठकुराइन ने बुलाया है इनको अगर आप नही चाहते है इनको कॉलेज की प्रिंसिपल के अहूदे पर तो ठकुराइन से कहलवा दीजिएगा इनको भी तसल्ली हो जाएगी और आपकी बात भी मन जाएगी इस तरह से बात बड़ाने से कुछ नही होगा हमे ठकुराइन के होश में आने का इंतजार करना होगा

रमन – (कुछ सोच के) ठीक है इंतजार करता हू भाभी के होश में आने तक उसके बाद मुझे ये एक पल के लिए नही चाहिए ये औरत यहां पर

बोल के रमन हवेली से बाहर निकल गया उसके जाते ही मालती बोली....

मालती – (शनाया और चांदनी से) सिर्फ एक बार मिली हू उस लड़के से उसकी बातो से मुझे भी लगता है जरूर वो हमारा अभय है लेकिन समझ नही आ रहा है अगर वो सच में हमारा अभय है तो जंगल में वो लाश किसकी थी इसी बात से मन में खलबली मच जाती ही दिमाग कोई फैसला नहीं कर पाता है...

बोल के मालती चली गई अपने कमरे में लेकिन चलती की बात सुन चांदनी कुछ सोच रही थी करीबन शाम को संध्या को होश आया होश में आते ही उसने देखा इसके कमरे में चांदनी , शनाया और मालती बैठे थे जिसे देख संध्या बोली...

संध्या – आप सब यहां पे...

चांदनी , शनाया और मालती –( संध्या की आवाज सुन के) होश आ गया आपको

संध्या –(सबकी बात सुन के) क्या हुआ था मुझे मैं यहां अपने कमरे में

मालती –(संध्या के बगल में बैठ के) दीदी क्या हो गया था आपको अचानक से आप बेहोश हो गई थी कितना डर गए थे हम सब

शनाया – अब कैसा लग रहा है आपको

संध्या – (मालती से) कुछ नही मालती बस सिर में दर्द होने लगा था शायद तभी ऐसा हुआ हो , (शनाया से) अब ठीक हू मैं

चांदनी – मैं कुछ खाने को ले आती हू आपके लिए आपने खाना नही खाया था

संध्या – अरे नही चांदनी तुम परेशान मत हो मैं ठीक हू

मालती – ऐसे कैसे ठीक हो आप रुकिए मैं लाती हू खाने को आपके लिए , चांदनी आप दीदी के साथ बैठो मैं अभी आती हूं

बोल के मालती चली गए संध्या के लिए खाने को लेने मालती के जाते ही शनाया बोली...

शनाया – बुरा ना माने आप मैं अब से हॉस्टल में रहूंगी

संध्या –(हैरानी से) आप ऐसा क्यों बोल रही हो

चांदनी – (सारी बात बताते हुए) अब बताइए क्या ये सही है इस तरह से एक औरत से बात करना जो आपके कॉलेज की प्रिंसिपल है जिसे आपने चुना है

संध्या – (शनाया से) आपको कही जाने की कोई जरूरत नहीं है मैने आपको बुलाया है यहां पर ये मेरा फैसला है रमन का नही

शनाया – देखिए मैं आप सब के बीच में नही आना चाहती हू इसीलिए मैंने सोच लिया है अब से मैं हॉस्टल में रहूंगी यहां रह कर रोज मुझे रमन ठाकुर को देखना पड़ेगा जो मुझे पसंद नहीं माफ करिएगा मुझे...

बोल के शनाया चली गई कमरे में अपना बैग पैक करने तब चांदनी ने संध्या से बोला...

चांदनी – (संध्या से) में बात करके आती हू मैडम से (शनाया के पास जाके) किसी एक के कहने से आपको इतना बुरा लग रहा है और जब अभय के लिए बोला गया तब तो आपने बिना डरे जवाब दे दिया रमन ठाकुर को और अब आप उसी के डर से भाग रहे हो क्या होगा उससे मैडम , मैं बताऊं क्या होगा , आपकी हार और रमन की जीत भले कॉलेज से ना निकलवा पाया हो लेकिन घर से निकालने में कामयाब होजाएगा वो और यहां से जाने के बाद धीरे धीरे कॉलेज में भी आपके अगेंस्ट कुछ न कुछ करेगा , मैडम दुनिया में रमन जैसे बहुत मिलेंगे लेकिन जरूरी नहीं वहा ठकुराइन जैसे औरत भी मिले आपको जो इतना सब जाने के बाद भी आपके साथ है , जो करिए सोच समझ के करिए गा..

बोल के चांदनी चली गई संध्या के पास पीछे शनाया सोच में पड़ गई चांदनी की बात से और यहां पर मालती संध्या को जूस पिला रही थी तभी मालती बोली..

मालती – अच्छा दीदी आप आराम करो मैं रात का खाना यही पर ले आऊंगी आपका

संध्या –(मालती बात सुन के) नही मालती कोई जरूरत नहीं मैं सब के साथ ही खाऊंगी खाना

मालती – (मुस्कुरा के) जैसे आपकी मर्जी दीदी बस थोड़ी देर में तयार हो जाएगा खाना

बोल के मालती चली गई तब संध्या बोली...

संध्या – क्या कहा शनाया ने

चांदनी – समझा दिया है मैने उनको कही नहीं जाएगी वो अब

संध्या – रमन हद से ज्यादा बोलने लगा है लगता है वक्त आ गया है उसे सबक सिखाने का

बोल कर संध्या अपने मोबाइल से किसी को कॉल करने लगी काफी देर तक ट्राई करती रही लेकिन कॉल नही मिला तब फिर से किसी और को कॉल किया सामने से किसी लड़की की आवाज आई...

लड़की – हेलो

संध्या – मैं ठकुराइन बोल रही हूं आप कॉन और अनिरुद्ध जी कहा है उनका कॉल क्यों नही लग रहा है

लड़की – नमस्ते ठकुराइन जी , जी मैं अनिरुद्ध सर की सेक्रेटरी थी

संध्या – सेक्रेटरी थी मतलब

लड़की – क्या आपको पता नही चला अनिरुद्ध सर के बारे में

संध्या – क्या पता नही चला मैं समझी नही कुछ

लड़की – अनिरुद्ध सर का एक्सीडेंट हो गया अपनी फैमिली के साथ घूमने जा रहे थे तभी

संध्या – (चौक के) क्या कब और कैसे हुआ एक्सीडेंट उनका अब कहा पर है वो

लड़की – माफ करिएगा ठकुराइन अनिरुद्ध सर और उनकी फैमिली की ऑन द स्पॉट मौत हो गई उसी वक्त , और मैने खबर भेजी थी आपको अभी तक पता नही चला आपको उनकी मौत का

संध्या – (हैरानी से) नही मुझे किसी ने नहीं बताया

लड़की – माफ करिएगा शायद गलती हो गई हमारे लोगो से

संध्या – कोई बात नही
बोल के कॉल कट कर दिया संध्या ने जिसे देख चांदनी बोली...

चांदनी – अभय के जन्म दिन के ठीक दो दिन पहले ये एक्सीडेंट हुआ था आपके वकील अनिरुद्ध का

संध्या –(चांदनी की बात सुन हैरानी से) तुम्हे कैसे पता

चांदनी – अभय इस साल 18 का हो गया है इसीलिए आपके वकील मिस्टर अनिरुद्ध आ रहे थे प्रॉपर्टी के पेपर्स लेके आपके पास अभय के जन्म दिन से दो दिन पहले क्योंकि उनको फैमिली को घुमाने ले जाना था लेकिन रास्ते में ही उनका मर्डर हो गया

संध्या – मर्डर लेकिन अभी उस लड़की ने एक्सीडेंट कहा और तुम्हे कैसे पता ये सब

चांदनी – नही ठकुराइन जी मर्डर हुआ है अनिरुद्ध का जिस वक्त ये हादसा हुआ वहा कुछ लोग थे जिन्होंने बताया कैसे एक ट्रक ने टक्कर मारी अनिरुद्ध की कार को वो भी दो बार और फिर वो ट्रक ड्राइवर भाग गया ट्रक छोड़ के लेकिन उसकी किस्मत खराब थी वही पास की एक दुकान से होते हुए भागा था ड्राइवर वो उस दुकान की कैमरे में आ गया किस्मत से मेरे चीफ और मैं साथ में आपके गांव के लिए निकले हुए थे तभी रास्ते में हमने देखा जांच में मेरी नजर वकील के बैग पर पड़ी उसमे मुझे आपकी प्रॉपर्टी के पेपर मिले उसे पड़ की हमे समझ आ गया क्या मझरा है तभी से चीफ ने इस केस की तहकीकात आगे बड़ाई तभी से मैं यहां हो उसके बाद चीफ को वो ड्राइवर मिल गया लेकिन मरा हुआ

संध्या – मतलब तुम तभी से ही इस गांव में हो लेकिन मुझे बताया क्यों नही तुमने

चांदनी – कुछ जानकारी जुटा रही थी मैं इसीलिए किसी के सामने नहीं आई

संध्या – तो क्या पता चला तुम्हे बताओ प्लीज क्यों मारा वकील और उसकी फैमिली को ऐसा क्या था उन पेपर्स में चांदनी

चांदनी – ठकुराइन जो भी था उसमे उसे पड़ने के बाद मैने मां को सब बता दिया तब से हमे लगने लगा था अभय शहर में सेफ नही है इसीलिए हम दोनो अभय को मानने में लगे थे ताकी अभय गांव आ जाए शहर से ज्यादा अभय यहां अपने गांव में ज्यादा सेफ रहेगा लेकिन अभय मानने को राजी नहीं था फिर एक दिन अचनक से अभय ने खुद बोला गांव जाने के लिए तभी मैंने और मां ने प्लान बनाया और अभय को सुरक्षित यहां गांव भेज दिया

संध्या – चांदनी अगर ऐसा बात है तो प्लीज तुम कुछ भी करो लेकिन अभय को किसी तरह यहां हवेली में ले आओ कही उसे कुछ हो गया तो मैं भी जिंदा नही रहूगी उसके इलावा है ही कॉन मेरा (हाथ जोड़ के) प्लीज मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हू

चांदनी – (संध्या के हाथ पकड़ के) ये आप क्या कर रही है ठकुराइन अगर अभय आपका बेटा है तो मेरा भी भाई है वो उसके लिए ही आई हू मै यहां पर लेकिन एक और बात शायद आपको पता नही है

संध्या – कॉन सी बात

चांदनी – इस गांव में और भी गड़बड़ चल रही है जिसकी तहकीकात मैं पिछले 2 सालो से कर रही हू आपके वकील का एक्सीडेंट तो अभी हाल ही में हुआ है

संध्या – इस गांव में ऐसी कॉन सी गड़बड़ चल रही है जिसकी तहकीकात तुम पिछले 2 साल से कर रही हो क्या हुआ है यहां पर आखिर

चांदनी – बहुत कुछ एसा है जिसका पता आपको भी नही है ठकुराइन जी सही वक्त आने पर मैं बताऊगी आपको अभी के लिए फिलहाल आप निषित रहिए और चलिए नीचे चल के खाना खाते है...

इस के बाद चांदनी और संध्या साथ में नीचे आते है टेबल पर खाने के लिए पीछे से शनाया भी आ जाती है सब साथ में टेबल में बैठते है खाने के लिए तभी रमन कुछ बोलने को जोता है लेकिन संध्या बीच में बोलती है...

संध्या –(रमन को देख के) तुम्हे जो बात करनी है मुझसे करो रमन लेकिन मेरे काम के बीच में बोलने की जरूरत नहीं है तुम्हे , कॉलेज की भलाई के लिए जो भी फैसला लेना होगा वो मैं खुद लूंगी तुम्हे बीच में आने की जरूरत नहीं है

रमन – (हल्के गुस्से में) वो कॉलेज मेरे बाबू जी के नाम से है भाभी उसकी भलाई के लिए फैसला लेना मेरा भी हक है

संध्या – बहुत अच्छा हक निभा रहे हो तुम रमन अपनी ही कॉलेज की प्रिंसिपल से इस तरह से बात कर रहे हो साथ ही कॉलेज के स्टूडेंट के लिए भी इतना गलत बोल के क्या इसे बोलते हो अपना हक तुम

रमन – आप स्टूडेंट के लिए बोल रही हो या उस लौंडे के लिए जिसे आप अपना बेटा समझ रही हो

संध्या – बस रमन अब बहुत हो गया मैं...

रमन –(बीच में बात काटते हुए) आप मान क्यों नही लेती हो की अभय मर चुका है 10 साल पहले ही आखिर क्यों उस लड़के के पीछे पागल पड़ी हो आप या कही ऐसा तो नहीं आप उस हरामी को यहां हवेली में लाने की सोच रही हो

संध्या –(चिल्ला के गुस्से में) किसे हरामी बोल रहा है तू और क्या बोला तूने मर चुका है मेरा अभय तो क्या सबूत है तेरे पास बता सिर्फ जंगल में मिली उस लाश पर अभय के कपड़ो से मान लिया तूने तो , क्यों यहां आई थी पुलिस क्यों पोस्टमार्टम नही करवाया पुलिस ने लाश का क्यों पुलिस ने पता नही लगाया इस बारे में कही ऐसा तो नहीं तूने ही मु बंद कर दिया हो पुलिस वालो का...

संध्या की इस बात से जहा रमन की आखें बड़ी और मु खुला का खुला रह गया वही इस बात से ललिता और मालती भी रमन को सवालिया नजरो से देखने लगे जिसके बाद रमन बोला...

रमन –(हड़बड़ाते हुए) ये...ये... ये सब फालतू की बकवास है मैं....मैं...मैने पता लगाने को ब.... ब.... बोला था पुलिस को रिपोर्ट भी दर्ज है पुलिस स्टेशन में उस हादसे की

संध्या –(रमन की बात सुन के) अच्छा लेकिन तू तो हर वक्त यही इसी हवेली में था उस वक्त कब रिपोर्ट की तूने

रमन –(डरते हुए) मै... मै.... मेरा मतलब मैने नही मुनीम ने रिपोर्ट की थी पुलिस में

संध्या – तो कहा है मुनीम बुलाओ उसे अगर ये बात झूठ निकली तो मुनीम की जिदंगी का आखरी दिन होगा समझ लेना रमन और हा कल के कल मुझे मुनीम चाहिए यहां पर नही तो मैं खुद जाऊंगी पुलिस स्टेशन उस रिपोर्ट को देखने...

इसके बाद सब खाना खाने लगे लेकिन रमन के मू से निवाला नही जा रहा था अब रमन को डर लगने लगा था क्योंकि मुनीम का कही पता नही चल रहा था कॉलेज में जब अभय ने हाथ उठाया था अमन पर तब से मुनीम से कोई संपर्क नही हो पा रहा था रमन का और अब कल संध्या ने मुनीम को हवेली में आने के लिए बोल दिया रमन को उसे समझ नही आ रहा था आखिर अब क्या करे वो धीरे धीरे सभी खाना खा के जाने लगे कमरे में सोने के लिए पीछे अकेला रह गया सिर्फ रमन अपनी सोच में गुम जिसे ललिता ने छेड़ दिया....

ललिता – क्या हुआ आपको सब खाना खा के चले गए सोने लेकिन आपने अभी तक खाना शुरू तक नही किया

रमन – (ललिता की बात सुन) लेजा खाना मुझे नही चाहिए कुछ भी मैं जा रहा हू सोने कमरे में...

बोल के रमन चला गया कमरे में पीछे ललिता भी आ गई बोली...

ललिता – अब क्या हो गया आपको किस सोच में डूबे हो

रमन – मैं मुनीम को कहा से लाऊं समझ नही आ रहा है उस दिन से जाने कहा गायब हो गया है ये मुनीम का बच्चा मोबाइल भी बंद आ रहा है उसका

ललिता – कही डर से भाग तो नही गया आपका मुनीम अपनी दुम दबा के क्योंकि जब जहाज डूबता है तो सबसे पहले चूहे ही भागते है मुझे लागत है आपका चूहा पहले से भाग निकला है यहां से (हस्ते हुए)

रमन –(ललिता की बात सुन के उसका गला दबा के) साली तेरी भी जुबान अब बहुत ज्यादा चलने लगी है

ललिता – मेरा गला दबाने से क्या होगा अगर दबाना है तो जाके संध्या दीदी का दबा गला लेकिन तू ऐसा नही कर सकता अच्छे से जनता है ऐसा किया तो जो कुछ आज तेरे पास है वो भी नही रहेगा तेरे पास भिकारी बन के रही जाएगा तू

रमन –(ललिता का गला छोड़ के गुस्से में बोला) चुप कर कुतीया मैं इस कुछ भी नही होने दुगा बहुत जल्द ही ये सब कुछ सिर्फ मेरा होगा ले वो संध्या सिर्फ और सिर्फ रखैल बन के रहने वाली है बहुत आग हैं उसमे तभी तो पागल पड़े हुए है लोग संध्या के पीछे

ललिता – क्या मतलब है तुम्हारा क्या करने वाले हो तुम

रमन – जल्द ही पताa चल जाएगा तुझे और बाकी सबको भी इंतजार कर
.
.
.
जारी रहेगा ✍️✍️✍️
Bohot badhiya update :claps: :claps: :claps: Raman ki band baja di abhay ne, lagta hai abhay bohot jald sab kuch theek kagr dega, awesome update again and great writing ✍️,
Mind blowing :claps::claps::claps::hug:
 

Raj_sharma

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UPDATE 24

राज और अभय दोनो भाग के हॉस्टल के कमरे में आके दरवाजा बंद कर दिया....

अभय – (लंबी सास लेते हुए) अबे क्या था वो साला अचनक से सामने आ गया इतना डरावना चेहरा बापरे बाप

राज –(लंबी सास लेते हुए) पता नही यार उसे देख के मेरी हवा टाइट हो गई सच में बहुत डरावना था वो

अभय – अब समझ आ गया बनवारी चाचा का बेटा बावला क्यों हो गया था

बोल के अभय अपने कपड़े बदलने लगा...

अभय – एक काम कर मेरे कपड़े पहन कर आज यही सोजा तू

राज – हा तो तुझे क्या लगा इतना सब होने के बाद मैं अकेले घर जाऊंगा अपने

तभी राज ने अभय को कपड़े बदलते हुए देख बोला...

राज – अबे ये क्या है तेरी कमर में

अभय – (साइड में देख के) ये बंदूक है यार

राज –(चौक के) अबे तू बंदूक लेके गया था वहा पर

अभय – हा यार सोचा अगर खतरा लगेगा तो इस्तमाल करूंगा

राज – अबे घोचूमल तेरे पास बंदूक रखी थी तो निकला क्यों नही भागा क्यों बे तू

अभय – अबे अचनक से वो सामने आ गया साला डर के मारे मैं भूल गया यार बंदूक के बारे में

राज – अरे वाह तू डरता भी है क्यों बे तू तो बोल रहा था की तेरे उस SEANIOUR ने तुझे ताकत का इंजेक्शन लगाया है क्यों कहा गई वो ताकत

अभय – अबे गधे प्रसाद SEANIOUR ने ताकत का इंजेक्शन दिया था मुझे न की डर दूर करने का समझा और वैसे भी मैं खुद नही समझ पाया हू इसमें और क्या खासियत है ताकत के सिवा

राज – जाने दे भाई मैं पका हुआ हू इस बंदे की बात सुन के (अपनी जेब से चाकू निकलते हुए) वैसे मैं भी भूल गया था की मेरे पास चाकू है भाई

अभय – ओह तो तू चाकू लेके चला था वहा पे बढ़िया है भाई , चल जाने दे यार सोते है कल कॉलेज भी जाना है...

बोल के दोनो बेड में लेट जाते है काफी देर हो जाती है लेकिन नीद नही आती दोनो को तब राज बोलता है...


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राज – अभय तेरे पास बंदूक कहा से आ गई

अभय – तुझे बताया तो था यार गांव आते वक्त SEANIOUR ने दिया था बैग उसी में थी बंदूक

राज – अच्छा , यार क्या सच में हमने जो देखा वो सच था

अभय – हा यार मैं वही सोच रहा हू , साला उस चक्कर में नीद नही आ रही है भाई

राज – मुझे भी यार , अब क्या करे हम

अभय – (अपना मोबाइल निकालते हुए) मुझे समझ में कुछ नही आ रहा है भाई

बोल के अपने मोबाइल को देखता रहा साथ में राज भी देख के बोला...

राज – ये क्या देख रहा है बे , तूने वीडियो बनाई है वहा की

अभय – हा यार जब अन्दर जा रहा था खंडर में तब वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू कर दी थी मैने

दोनो उसी रिकॉर्डिंग को देखते है तब राज बोलता है....

राज – ये साला देख कैसे सामने आया हमारे

लेकिन अभय उसी वीडियो को बार बार शुरू से देखे जा रहा था जिसे देख राज बोला....

राज – अबे सामने देख के तेरा जी नही भरा जो इसको वीडियो में बार बार देखे जा रहा है तू

अभय – (वीडियो देख अपनी आंखे सिकुड़ते हुए गुस्से में) इसकी मां का मारू मै

राज – क्या हो गया बे ऐसा क्यों बोल रहा है

अभय – ये वीडियो को जरा गौर से देख समझ जाएगा भाई

राज वीडियो देखता है लेकिन उसे कुछ समझ नही आता है...

राज – अबे ऐसा क्या है जो देखने को बोल रहा है मुझे कुछ नही समझ आ रहा है भाई

अभय – अबे ये कोई भूत नही है ये साला पुतला है बे , इसके उपर देख जरा गौर से

राज –(वीडियो को गौर से देखते हुए) इसकी मां की आंख मतलब ये पुतला था और हम साला सच समझ डर के भाग निकले साला इसके अचानक से सामने आने से

अभय – हा किसी ने इसे जान बूझ के इस तरह लटकाया हुआ होगा ताकि अचानक से किसी के सामने आजाएं और हमने नीचे देखा ही नहीं ये हवा में लटक हुआ था यार , जैसे तमाशा दिखाने वाले करते है ना हाथ की उंगली में डोर फसा के नीचे पुतले से हरकत करते है वैसा है ये भी

राज – (अपने सर पे हाथ रख के) और हम साला बिना बात समझे डर के भाग निकले वहा से , अच्छा चुतीया बनाया सालो ने हमे यार

अभय – हम सही जा रहे थे भाई बस इसे धोखा खा गए हम

राज – अब क्या करे भाई चलेगा क्या फिर से वहा पर

अभय – नही भाई मुझे नही लगता अब जाने का कोई फायदा होगा हम इतना चिल्ला के भागे है वहा से , वहा जो होगा सुन लिया होगा उसने

राज – हा यार ये बात तो है सावधान हो गए होगे सब के सब वहा पे , तो फिर क्या करे अब

अभय – मुझे लगता है हमे कुछ दिन के लिए भूल जाना चाहिए उस खंडर के बारे में

राज – ऐसा क्यों बोल रहा है बे

अभय – बात को समझ मेरे भाई जिस तरह से हम चिल्ला के भागे है वहा से जरूर किसी ना किसी ने सुना जरूर होगी हमारी चिल्लाने की आवाज बस दुआ कर किसी ने हमे आते जाते देखा ना हो

राज – अगर देख लिया होगा तो

अभय – तब वो सिर्फ हम पर नजर ही रख सकता है और कुछ नही कर सकता क्योंकि गांव में ऐसा कुछ करने की हिम्मत नही करेगा हमारे साथ

राज – तब तो सोना चाहिए हमे भाई अब मुझे बहुत नीद आ रही है

अभय – हा हा वो तो आएगी ही पता जो चल गया तुझे कोई भूत नही है

बोल दोनो हसने लगे जोर से फिर सो गए जबकि इस तरफ हवेली में कुछ घंटे पहले संध्या , चांदनी और शनाया हॉस्टल से वापस आए हवेली पर...

मालती – (तीनों को हवेली में आते देख) आ गए आप लोग तो कैसा लगा हमारा गांव आप दोनो को

शनाया और चांदनी एक साथ – बहुत सुंदर है आपका गांव

मालती –(टेबल पर खाना लगाते हुए) आप सब आइए खाना खा लीजिए

खाना खाने में सब व्यस्त थे लेकिन आज संध्या का ध्यान सेम बैठे अमन पे था जो मजे से खाना खाए जा रहा था और साथ में अभय पर था मन ही मन अपने आप से बाते किए जा रही थी...

संध्या –(मन में– मैं यहां आराम से ए सी में बैठी हू वहा मेरा बेटा इतनी गर्मी में सिर्फ एक पंखे के सहारे जमीन में कैसे सो जाता होगा कैसे सहा होगा इतने साल उसने ये सब आखिर किस काम की ये नाम , दौलत मेरे जिसमे मेरा बेटा तक मेरे साथ नही , एक तरफ अमन है जिसे हर सुख सुविधा मिली बिना मेहनत के दूसरे तरफ मेरा अभय है जो समझता है मेहनत और सुख किसे कहते है जिस काम के लिए मैं हर बार अभय पर हाथ उठाती थी आज जानती हूं उसका जिम्मेदार सिर्फ अमन है लेकिन उस बात की इसे सजा दे के भी अब क्या कर लूगि मैं क्या अभय वापस आएगा क्या माफ कर पाएगा मुझे क्या करू , काश मैं बीते वक्त को बदल सकती)

यही बाते सोचते सोचते अचानक संध्या कुर्सी से जमीन में गिर गई तभी सबकी नजर पड़ी संध्या पर तुरंत उसे उठा के कमरे में ले जाया गया ललिता ने तुरंत ही डॉक्टर को कॉल किया साथ रमन को भी थोड़ी देर में डॉक्टर आया चेक किया....

शनाया – (डॉक्टर से) क्या हुआ इनको डॉक्टर साहब

डॉक्टर – (संध्या को चेक करके) इनका बीपी बड़ गया था शायद इतनी गर्मी के चलते हुआ होगा , क्या ये खाना सही से नही खा रही है की कमजोरी भी है इनको काफी खेर घबराने की कोई बात नही है मैने ईनजैक्शन दे दिया है ये दवाई टाइम पे देते रहिएगा अभी इनको आराम करने दीजिए

बोल के डॉक्टर चला गया डॉक्टर के जाते ही रमन बोला...

रमन – ये हुआ कैसे सुबह तक तो ठीक थी

ललिता – दीदी तो चांदनी और शनाया को लेके गाई थी गांव दिखाने शायद बाहर घूमने से गर्मी लग गई होगी

रमन – मुझे तो लगता है जरूर आज फिर से मिली होगी उसी हरामी लौंडे से तभी ये सब हुआ है

चांदनी – (आंख सिकुड़ के) किसकी बात कर रहे हो आप

रमन – और कॉन वही लौंडा जिसको ये अपना बेटा समझती है

शनाया – (ना समझते हुए) किसकी बात कर रहे है आप कॉन लड़का है वो और क्या नाम है उसका

रमन – पता नही कॉन है वो भाभी उसे अपना बेटा अभय समझती है जाने कॉन सा काला जादू कर दिया है उस हरामी ने इनका दिमाग खर....

अभय के लिए ऐसी बात सुन चांदनी बोलने को हुई थी लेकिन तभी...

शनाया –(अभय का नाम सुन गुस्से में चिल्ला के) जबान संभाल के बोलो मिस्टर रमन ठाकुर

रमन –(हैरानी से) अरे आपको क्या हुआ मैने उस लौंडे के लिए बोला था और आप....

शनाया –(रमन की बात को बीच में काटते हुए) तुम जिस लड़के के लिए बिल रहे हो मैं उसे अच्छे तरीके से जानती हूं समझे वो उसी स्कूल में पढ़ता था जिसमे मैं टीचर थी समझे इसीलिए दोबारा इसके लिए कुछ भी बोलने से पहले बहुत सोच समझ के बोलना तुम

रमन – (गुस्से में) उस कल के लौंडे के लिए मुझे तुम कर के बात कर रही हो इतनी हिम्मत तुम्हारी , अभी के अभी निकल जाओ यहां से तुम मैं किसी और को कॉलेज प्रिंसिपल के लिए बोल दुगा लेकिन तुम्हे कभी नहीं निकल जाओ

शनाया – (गुस्से में) गौर से सुन रमन ठाकुर मैं तेरे कहने पर नही आई हू यहां पर समझा , मैं संध्या ठाकुर के बुलाने पर आई हू और इस बात का फैसला वही करेगी तू नही

रमन – (हस्ते हुए) बेवकूफ औरत वो कॉलेज मेरा है समझी तू कॉलेज में वही होगा जो मैं चाहूंगा तू कॉन होती है मेरे फैसले के बीच बोलने वाली , अब चुप चाप निकल यह से

शनाया – अच्छा ठीक है इस बात का फैसला संध्या ठाकुर के होश में आने के बाद होगा तब पता चलेगा किसका कॉलेज है और किसी चलती है वहा पे

रमन – साली मुझसे...

चांदनी –(कुछ सोच के) रुक जाइए ठाकुर साहब मैडम सही बोल रही है ठकुराइन ने बुलाया है इनको अगर आप नही चाहते है इनको कॉलेज की प्रिंसिपल के अहूदे पर तो ठकुराइन से कहलवा दीजिएगा इनको भी तसल्ली हो जाएगी और आपकी बात भी मन जाएगी इस तरह से बात बड़ाने से कुछ नही होगा हमे ठकुराइन के होश में आने का इंतजार करना होगा

रमन – (कुछ सोच के) ठीक है इंतजार करता हू भाभी के होश में आने तक उसके बाद मुझे ये एक पल के लिए नही चाहिए ये औरत यहां पर

बोल के रमन हवेली से बाहर निकल गया उसके जाते ही मालती बोली....

मालती – (शनाया और चांदनी से) सिर्फ एक बार मिली हू उस लड़के से उसकी बातो से मुझे भी लगता है जरूर वो हमारा अभय है लेकिन समझ नही आ रहा है अगर वो सच में हमारा अभय है तो जंगल में वो लाश किसकी थी इसी बात से मन में खलबली मच जाती ही दिमाग कोई फैसला नहीं कर पाता है...

बोल के मालती चली गई अपने कमरे में लेकिन चलती की बात सुन चांदनी कुछ सोच रही थी करीबन शाम को संध्या को होश आया होश में आते ही उसने देखा इसके कमरे में चांदनी , शनाया और मालती बैठे थे जिसे देख संध्या बोली...

संध्या – आप सब यहां पे...

चांदनी , शनाया और मालती –( संध्या की आवाज सुन के) होश आ गया आपको

संध्या –(सबकी बात सुन के) क्या हुआ था मुझे मैं यहां अपने कमरे में

मालती –(संध्या के बगल में बैठ के) दीदी क्या हो गया था आपको अचानक से आप बेहोश हो गई थी कितना डर गए थे हम सब

शनाया – अब कैसा लग रहा है आपको

संध्या – (मालती से) कुछ नही मालती बस सिर में दर्द होने लगा था शायद तभी ऐसा हुआ हो , (शनाया से) अब ठीक हू मैं

चांदनी – मैं कुछ खाने को ले आती हू आपके लिए आपने खाना नही खाया था

संध्या – अरे नही चांदनी तुम परेशान मत हो मैं ठीक हू

मालती – ऐसे कैसे ठीक हो आप रुकिए मैं लाती हू खाने को आपके लिए , चांदनी आप दीदी के साथ बैठो मैं अभी आती हूं

बोल के मालती चली गए संध्या के लिए खाने को लेने मालती के जाते ही शनाया बोली...

शनाया – बुरा ना माने आप मैं अब से हॉस्टल में रहूंगी

संध्या –(हैरानी से) आप ऐसा क्यों बोल रही हो

चांदनी – (सारी बात बताते हुए) अब बताइए क्या ये सही है इस तरह से एक औरत से बात करना जो आपके कॉलेज की प्रिंसिपल है जिसे आपने चुना है

संध्या – (शनाया से) आपको कही जाने की कोई जरूरत नहीं है मैने आपको बुलाया है यहां पर ये मेरा फैसला है रमन का नही

शनाया – देखिए मैं आप सब के बीच में नही आना चाहती हू इसीलिए मैंने सोच लिया है अब से मैं हॉस्टल में रहूंगी यहां रह कर रोज मुझे रमन ठाकुर को देखना पड़ेगा जो मुझे पसंद नहीं माफ करिएगा मुझे...

बोल के शनाया चली गई कमरे में अपना बैग पैक करने तब चांदनी ने संध्या से बोला...

चांदनी – (संध्या से) में बात करके आती हू मैडम से (शनाया के पास जाके) किसी एक के कहने से आपको इतना बुरा लग रहा है और जब अभय के लिए बोला गया तब तो आपने बिना डरे जवाब दे दिया रमन ठाकुर को और अब आप उसी के डर से भाग रहे हो क्या होगा उससे मैडम , मैं बताऊं क्या होगा , आपकी हार और रमन की जीत भले कॉलेज से ना निकलवा पाया हो लेकिन घर से निकालने में कामयाब होजाएगा वो और यहां से जाने के बाद धीरे धीरे कॉलेज में भी आपके अगेंस्ट कुछ न कुछ करेगा , मैडम दुनिया में रमन जैसे बहुत मिलेंगे लेकिन जरूरी नहीं वहा ठकुराइन जैसे औरत भी मिले आपको जो इतना सब जाने के बाद भी आपके साथ है , जो करिए सोच समझ के करिए गा..

बोल के चांदनी चली गई संध्या के पास पीछे शनाया सोच में पड़ गई चांदनी की बात से और यहां पर मालती संध्या को जूस पिला रही थी तभी मालती बोली..

मालती – अच्छा दीदी आप आराम करो मैं रात का खाना यही पर ले आऊंगी आपका

संध्या –(मालती बात सुन के) नही मालती कोई जरूरत नहीं मैं सब के साथ ही खाऊंगी खाना

मालती – (मुस्कुरा के) जैसे आपकी मर्जी दीदी बस थोड़ी देर में तयार हो जाएगा खाना

बोल के मालती चली गई तब संध्या बोली...

संध्या – क्या कहा शनाया ने

चांदनी – समझा दिया है मैने उनको कही नहीं जाएगी वो अब

संध्या – रमन हद से ज्यादा बोलने लगा है लगता है वक्त आ गया है उसे सबक सिखाने का

बोल कर संध्या अपने मोबाइल से किसी को कॉल करने लगी काफी देर तक ट्राई करती रही लेकिन कॉल नही मिला तब फिर से किसी और को कॉल किया सामने से किसी लड़की की आवाज आई...

लड़की – हेलो

संध्या – मैं ठकुराइन बोल रही हूं आप कॉन और अनिरुद्ध जी कहा है उनका कॉल क्यों नही लग रहा है

लड़की – नमस्ते ठकुराइन जी , जी मैं अनिरुद्ध सर की सेक्रेटरी थी

संध्या – सेक्रेटरी थी मतलब

लड़की – क्या आपको पता नही चला अनिरुद्ध सर के बारे में

संध्या – क्या पता नही चला मैं समझी नही कुछ

लड़की – अनिरुद्ध सर का एक्सीडेंट हो गया अपनी फैमिली के साथ घूमने जा रहे थे तभी

संध्या – (चौक के) क्या कब और कैसे हुआ एक्सीडेंट उनका अब कहा पर है वो

लड़की – माफ करिएगा ठकुराइन अनिरुद्ध सर और उनकी फैमिली की ऑन द स्पॉट मौत हो गई उसी वक्त , और मैने खबर भेजी थी आपको अभी तक पता नही चला आपको उनकी मौत का

संध्या – (हैरानी से) नही मुझे किसी ने नहीं बताया

लड़की – माफ करिएगा शायद गलती हो गई हमारे लोगो से

संध्या – कोई बात नही
बोल के कॉल कट कर दिया संध्या ने जिसे देख चांदनी बोली...

चांदनी – अभय के जन्म दिन के ठीक दो दिन पहले ये एक्सीडेंट हुआ था आपके वकील अनिरुद्ध का

संध्या –(चांदनी की बात सुन हैरानी से) तुम्हे कैसे पता

चांदनी – अभय इस साल 18 का हो गया है इसीलिए आपके वकील मिस्टर अनिरुद्ध आ रहे थे प्रॉपर्टी के पेपर्स लेके आपके पास अभय के जन्म दिन से दो दिन पहले क्योंकि उनको फैमिली को घुमाने ले जाना था लेकिन रास्ते में ही उनका मर्डर हो गया

संध्या – मर्डर लेकिन अभी उस लड़की ने एक्सीडेंट कहा और तुम्हे कैसे पता ये सब

चांदनी – नही ठकुराइन जी मर्डर हुआ है अनिरुद्ध का जिस वक्त ये हादसा हुआ वहा कुछ लोग थे जिन्होंने बताया कैसे एक ट्रक ने टक्कर मारी अनिरुद्ध की कार को वो भी दो बार और फिर वो ट्रक ड्राइवर भाग गया ट्रक छोड़ के लेकिन उसकी किस्मत खराब थी वही पास की एक दुकान से होते हुए भागा था ड्राइवर वो उस दुकान की कैमरे में आ गया किस्मत से मेरे चीफ और मैं साथ में आपके गांव के लिए निकले हुए थे तभी रास्ते में हमने देखा जांच में मेरी नजर वकील के बैग पर पड़ी उसमे मुझे आपकी प्रॉपर्टी के पेपर मिले उसे पड़ की हमे समझ आ गया क्या मझरा है तभी से चीफ ने इस केस की तहकीकात आगे बड़ाई तभी से मैं यहां हो उसके बाद चीफ को वो ड्राइवर मिल गया लेकिन मरा हुआ

संध्या – मतलब तुम तभी से ही इस गांव में हो लेकिन मुझे बताया क्यों नही तुमने

चांदनी – कुछ जानकारी जुटा रही थी मैं इसीलिए किसी के सामने नहीं आई

संध्या – तो क्या पता चला तुम्हे बताओ प्लीज क्यों मारा वकील और उसकी फैमिली को ऐसा क्या था उन पेपर्स में चांदनी

चांदनी – ठकुराइन जो भी था उसमे उसे पड़ने के बाद मैने मां को सब बता दिया तब से हमे लगने लगा था अभय शहर में सेफ नही है इसीलिए हम दोनो अभय को मानने में लगे थे ताकी अभय गांव आ जाए शहर से ज्यादा अभय यहां अपने गांव में ज्यादा सेफ रहेगा लेकिन अभय मानने को राजी नहीं था फिर एक दिन अचनक से अभय ने खुद बोला गांव जाने के लिए तभी मैंने और मां ने प्लान बनाया और अभय को सुरक्षित यहां गांव भेज दिया

संध्या – चांदनी अगर ऐसा बात है तो प्लीज तुम कुछ भी करो लेकिन अभय को किसी तरह यहां हवेली में ले आओ कही उसे कुछ हो गया तो मैं भी जिंदा नही रहूगी उसके इलावा है ही कॉन मेरा (हाथ जोड़ के) प्लीज मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हू

चांदनी – (संध्या के हाथ पकड़ के) ये आप क्या कर रही है ठकुराइन अगर अभय आपका बेटा है तो मेरा भी भाई है वो उसके लिए ही आई हू मै यहां पर लेकिन एक और बात शायद आपको पता नही है

संध्या – कॉन सी बात

चांदनी – इस गांव में और भी गड़बड़ चल रही है जिसकी तहकीकात मैं पिछले 2 सालो से कर रही हू आपके वकील का एक्सीडेंट तो अभी हाल ही में हुआ है

संध्या – इस गांव में ऐसी कॉन सी गड़बड़ चल रही है जिसकी तहकीकात तुम पिछले 2 साल से कर रही हो क्या हुआ है यहां पर आखिर

चांदनी – बहुत कुछ एसा है जिसका पता आपको भी नही है ठकुराइन जी सही वक्त आने पर मैं बताऊगी आपको अभी के लिए फिलहाल आप निषित रहिए और चलिए नीचे चल के खाना खाते है...

इस के बाद चांदनी और संध्या साथ में नीचे आते है टेबल पर खाने के लिए पीछे से शनाया भी आ जाती है सब साथ में टेबल में बैठते है खाने के लिए तभी रमन कुछ बोलने को जोता है लेकिन संध्या बीच में बोलती है...

संध्या –(रमन को देख के) तुम्हे जो बात करनी है मुझसे करो रमन लेकिन मेरे काम के बीच में बोलने की जरूरत नहीं है तुम्हे , कॉलेज की भलाई के लिए जो भी फैसला लेना होगा वो मैं खुद लूंगी तुम्हे बीच में आने की जरूरत नहीं है

रमन – (हल्के गुस्से में) वो कॉलेज मेरे बाबू जी के नाम से है भाभी उसकी भलाई के लिए फैसला लेना मेरा भी हक है

संध्या – बहुत अच्छा हक निभा रहे हो तुम रमन अपनी ही कॉलेज की प्रिंसिपल से इस तरह से बात कर रहे हो साथ ही कॉलेज के स्टूडेंट के लिए भी इतना गलत बोल के क्या इसे बोलते हो अपना हक तुम

रमन – आप स्टूडेंट के लिए बोल रही हो या उस लौंडे के लिए जिसे आप अपना बेटा समझ रही हो

संध्या – बस रमन अब बहुत हो गया मैं...

रमन –(बीच में बात काटते हुए) आप मान क्यों नही लेती हो की अभय मर चुका है 10 साल पहले ही आखिर क्यों उस लड़के के पीछे पागल पड़ी हो आप या कही ऐसा तो नहीं आप उस हरामी को यहां हवेली में लाने की सोच रही हो

संध्या –(चिल्ला के गुस्से में) किसे हरामी बोल रहा है तू और क्या बोला तूने मर चुका है मेरा अभय तो क्या सबूत है तेरे पास बता सिर्फ जंगल में मिली उस लाश पर अभय के कपड़ो से मान लिया तूने तो , क्यों यहां आई थी पुलिस क्यों पोस्टमार्टम नही करवाया पुलिस ने लाश का क्यों पुलिस ने पता नही लगाया इस बारे में कही ऐसा तो नहीं तूने ही मु बंद कर दिया हो पुलिस वालो का...

संध्या की इस बात से जहा रमन की आखें बड़ी और मु खुला का खुला रह गया वही इस बात से ललिता और मालती भी रमन को सवालिया नजरो से देखने लगे जिसके बाद रमन बोला...

रमन –(हड़बड़ाते हुए) ये...ये... ये सब फालतू की बकवास है मैं....मैं...मैने पता लगाने को ब.... ब.... बोला था पुलिस को रिपोर्ट भी दर्ज है पुलिस स्टेशन में उस हादसे की

संध्या –(रमन की बात सुन के) अच्छा लेकिन तू तो हर वक्त यही इसी हवेली में था उस वक्त कब रिपोर्ट की तूने

रमन –(डरते हुए) मै... मै.... मेरा मतलब मैने नही मुनीम ने रिपोर्ट की थी पुलिस में

संध्या – तो कहा है मुनीम बुलाओ उसे अगर ये बात झूठ निकली तो मुनीम की जिदंगी का आखरी दिन होगा समझ लेना रमन और हा कल के कल मुझे मुनीम चाहिए यहां पर नही तो मैं खुद जाऊंगी पुलिस स्टेशन उस रिपोर्ट को देखने...

इसके बाद सब खाना खाने लगे लेकिन रमन के मू से निवाला नही जा रहा था अब रमन को डर लगने लगा था क्योंकि मुनीम का कही पता नही चल रहा था कॉलेज में जब अभय ने हाथ उठाया था अमन पर तब से मुनीम से कोई संपर्क नही हो पा रहा था रमन का और अब कल संध्या ने मुनीम को हवेली में आने के लिए बोल दिया रमन को उसे समझ नही आ रहा था आखिर अब क्या करे वो धीरे धीरे सभी खाना खा के जाने लगे कमरे में सोने के लिए पीछे अकेला रह गया सिर्फ रमन अपनी सोच में गुम जिसे ललिता ने छेड़ दिया....

ललिता – क्या हुआ आपको सब खाना खा के चले गए सोने लेकिन आपने अभी तक खाना शुरू तक नही किया

रमन – (ललिता की बात सुन) लेजा खाना मुझे नही चाहिए कुछ भी मैं जा रहा हू सोने कमरे में...

बोल के रमन चला गया कमरे में पीछे ललिता भी आ गई बोली...

ललिता – अब क्या हो गया आपको किस सोच में डूबे हो

रमन – मैं मुनीम को कहा से लाऊं समझ नही आ रहा है उस दिन से जाने कहा गायब हो गया है ये मुनीम का बच्चा मोबाइल भी बंद आ रहा है उसका

ललिता – कही डर से भाग तो नही गया आपका मुनीम अपनी दुम दबा के क्योंकि जब जहाज डूबता है तो सबसे पहले चूहे ही भागते है मुझे लागत है आपका चूहा पहले से भाग निकला है यहां से (हस्ते हुए)

रमन –(ललिता की बात सुन के उसका गला दबा के) साली तेरी भी जुबान अब बहुत ज्यादा चलने लगी है

ललिता – मेरा गला दबाने से क्या होगा अगर दबाना है तो जाके संध्या दीदी का दबा गला लेकिन तू ऐसा नही कर सकता अच्छे से जनता है ऐसा किया तो जो कुछ आज तेरे पास है वो भी नही रहेगा तेरे पास भिकारी बन के रही जाएगा तू

रमन –(ललिता का गला छोड़ के गुस्से में बोला) चुप कर कुतीया मैं इस कुछ भी नही होने दुगा बहुत जल्द ही ये सब कुछ सिर्फ मेरा होगा ले वो संध्या सिर्फ और सिर्फ रखैल बन के रहने वाली है बहुत आग हैं उसमे तभी तो पागल पड़े हुए है लोग संध्या के पीछे

ललिता – क्या मतलब है तुम्हारा क्या करने वाले हो तुम

रमन – जल्द ही पताa चल जाएगा तुझे और बाकी सबको भी इंतजार कर
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जारी रहेगा ✍️✍️✍️
Bohot badhiya update :claps: :claps: :claps: Raman ki band baja di abhay ne, lagta hai abhay bohot jald sab kuch theek kagr dega, awesome update again and great writing ✍️,
Mind blowing :claps::claps::claps::hug:
 

dev61901

" Never let an old flame burn you twice "
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Bahut hi badhiya update

To udhar khandhar me wo putla tha jisse dono darkar bhag gaye the kher ab bhi khandhar ka raj raj hi ha donon ke dono hatiya lekar gaye the lekin darke mare kisi ko yad nahi aya

Idhar sandhya ke vakil anirudh ka bhi murder kara diya gaya ha sandhya ke dushmanon dwara lagta ha in sabke pichhe raman hi ha or us vasiyat me lagta ha yahi likha hoga ki haweli ka malik abhay hoga jo anirudh abhay ke 18 we janmdin per dene ke liye aa rahe honge lekin raman ne bichh me hi nipta diya or vasiyat kisi ko nahi mili isliye raman itna uchhal raha ha lekin sare kagaj chandni ke pas safe ha jinhe sahi moka ane per raman ki bolti band kar degi wo

Idhar chandni or uski maa ne abhay ki safety ke liye use ganv bheja ha or chandni koi to bada raj ka pata laga rahi ha ganv me rehkar abhay je bhi pehle se lagta ha sara raj udhar khandhar me hi dafan ha

Idhar chalo sandhya ne kuchh to action liya raman ke khilaf raman ki fat kar hat me aa gayi ha is bar ab dekhte han ki wo kya karta ha jarur koi na koi bura shadiyantra bichha raha ha apne dimag me ye lalita ka alag chakkar ha ye kisi ke side nahi ha iski kichhdi kahin or pak rahi ha sabko nipta ke khud haweli ki malkin banna chhahti ha lagta ha
 
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