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UPDATE 42


आज गांव में सुबह से ही चहल पहल मची हुई थी गांव के ज्यादा तर लोग खंडर के पास वाली जगह को घेरे बैठे थे क्योंकि खंडर के पास वाली जगह में पुलिस की घेरा बंधी लगी हुई थी जहां कई पुलिस की गाड़िया आई हुई थी और उनके साथ थी हमारी DIG शालिनी जी अपनी वर्दी में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कुछ पुलिस वाले उ के साथ खड़े थे तो बाकी के पुलिस वाले खंडर के पास वाली जगह में बनी एक सुरंग से कई तरह की पेटियां निकल रहे थे काफी देर की काफी मेहनत के बाद लगभग 150 पेटी एक जगह इक्कठा कर उसे खोला गया जिसमें कई पेटियों में ड्रग्स का कच्माचा माल मिला पुलिस वालो को गांव वालो की भीड़ ये नजारा देख रही थी उन्हीं में एक आदमी एसा भी था जो ये नजारा देख पसीने से भीग गया था और गांव के लोगों से किनारे होके उसने किसी को कॉल मिलाया....

आदमी – मालिक गजब हो गया पुलिस वालो ने सारा माल पकड़ लिया अपना....

रमन – ये क्या बकवास कर रहा है तू....

आदमी – मालिक सच बोल रहा हू शुभ से ही पुलिस ने आके घेरा बंदी कर दी इस जगह की ये तो अच्छा था अपने लोग खेत चले गए थे फ्रेश होने....

रमन – तू वही रुक मै अभी आता हु....

बोल के दोनो ने कॉल कर कर दिया तभी रमन ने तुरंत किसी को कॉल मिलाया....

रमन – राजेश कहा है तू...

राजेश – क्या बात है ठाकुर साहब आज सुबह सुबह कॉल मिलाया....

रमन – अबे जितना पूछ रहा हू वो बता....

राजेश – अपने कमरे में हू लेकिन हुआ क्या ठाकुर साहब....

रमन – मेरे गोदाम में पुलिस की रेड कैसे पड़ी....

राजेश –(चौक के) क्या पुलिस की रेड आपके गोदाम में कब....

रमन – अभी मेरे आदमी ने कॉल कर के बताया मुझे....

राजेश – मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है ठाकुर साहब....

रमन – तू पहुंच पता कर क्या मझरा है मैं भी निकल रहा हूँ....

रमन इस बात से अंजान की कोई उसकी बात सुन रहा है रमन के जाते ही....

औरत – (किसी को कॉल मिला के) हेल्लो रंजीत....

रंजीत – गांव में आज कुछ हुआ है क्या....

रंजीत –हुआ तो नहीं लेकिन होने वाला जरूर है....

औरत – जितना पूछ रही हू वो बताओ मुझे....

रंजीत –इतनी टेंशन में लग रही हो तुम....

औरत – रमन किसी से कॉल पे बात कर रहा था गोदाम में पुलिस की रेड की बात सुनी मैने....

रंजीत – क्या पुलिस की रेड यहां गांव मेवा भी रमन ठाकुर के गोदाम में....

औरत – हा काफी टेंशन में निकला है रमन यहां से अभी....

रंजीत – अगर ऐसा है तो मैं खुद जा के पता करता हू अभी करता हू केल बाद में तुझे....

बोल के दोनो ने कॉल काट दिया जबकि रमन के बात करने के थोड़ी देर में राजेश अपने हवलदारों के साथ पहुंच गया उस जगह जहां गांव वालो की भीड़ इक्कठी पड़ी थी उन्हें साइड करते हुए जैसे ही सामने गया अपने सामने DIG शालिनी को देख के हैरान हो गया....

राजेश –(पास जाके शालिनी को सेल्यूट करके) मैडम आप यहां अचानक से खबर कर दी होती....

DIG SHALINI – अगर खबर कर दी होती तो मुझे कभी ये सब जानने को नहीं मिलता राजेश तुम्हारे होते हुए ये सब यहां तुम्हे तो ये भी पता नहीं होगा ये सब कब से चल रहा है यहां पर....

राजेश – नहीं मैडम मुझे कोई जानकारी नहीं थी इस बात की लेकिन ये सब किसका है....

DIG SHALINI – अभी पता नहीं चला है बस यहां पर ड्रग्स होने की जानकारी मिली हमे इसीलिए तुरंत जांच के लिए मै खुद यहां आई हूँ....

जब ये लोग आपस में बात कर रहे थे तभी रमन ठाकुर की कार आती हुई दिखी कार से उतर के रमन ठाकुर DIG SHALINI के पास आके....

रमन – प्रणाम शालिनी जी....

DIG SHALINI – (अपने सामने रमन ठाकुर को देख) प्रणाम ठाकुर साहब कैसे है आप....

रमन – जी मैं अच्छा हूँ और आप....
DIG SHALINI – मै भी....

रमन – क्या बात है शालिनी जी आज इतनी सुबह सुबह यहां इतनी भीड़....

DIG SHALINI – जी ठाकुर साहब हमे जानकारी मिली थी यहां पर गैर कानूनी काम हो रहा है उसकी पुष्टि के लिए अधिकारियों के साथ मुझे भेजा गया यहां पर यहां आते ही (एक तरफ इशारा करते हुए) नशे का कच्चा माल मिला हमे , ठाकुर साहब आपके गांव में ये सब हो रहा है जाने कब से क्या इसकी जानकारी नहीं थी आपको....

रमन – नहीं शालिनी जी मुझे कतई इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि मेरे गांव में ये सब हो रहा है वैसे कौन है वो जो मेरे गांव में ये सब कर रहा है....

DIG SHALINI – इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं मिली ठाकुर साहब हम जब यहां आय तो यहां कोई भी नहीं था....

रमन – ओह बहुत अफसोस की बात है शालिनी जी मेरे गांव में ये सब हो रहा है और मुझे भी जानकारी नहीं इसकी (हाथ जोड़ के) माफ करिएगा शालिनी जी....

DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) अरे एकी कोई जरूरत नहीं है ठाकुर साहब वैसे संध्या जी कैसी है अब हवेली आ गई....

रमन –(चौक के) आपको कैसे पता सन.....मेरा मतलब भाभी के बारे में....

DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) पुलिस का काम ही यही होता है तौर साहेब आते ही पता चल गया था मुझे संध्या जी के बारे में बल्कि यहां का काम निपट जाने के बाद मैं संध्या जी से मिलने आने वाली थी अस्पताल में....

रमन –(मजबूरन हस के) जी भाभी आज अस्पताल से हवेली आएगी जल्द ही....

DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) चलिए ये तो बहुत अच्छी बात है मैं मिलने आऊंगी संध्या जी से जल्द ही....

रमन – जी अच्छी बात है अभी कितना वक्त लगेगा सबको....

DIG SHALINI – क्यों क्या हुआ ठाकुर साहब....

रमन – (हड़बड़ा के) अरे ऐसी कोई बात नहीं है आप सब यहां हमारे गांव में आए है पहले बार इसीलिए पूछ रहा था खेर जितनी भी देर लगे आप सब को मैं यहां सबके लिए नाश्ते पानी का प्रबंध करता हू....

DIG SHALINI – इसकी कोई जरूरत नहीं है ठाकुर साहब....

रमन – अरे कैसे नहीं है आप मेहमान है हमारी हमारा फर्ज बनता है प्लीज करने दीजिए मुझे....

DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) जैसे आपकी मर्जी ठाकुर साहब....

बोल के रमन निकल गया गांव के लोगों से बात करने के लिए जबकि रमन के जाते ही शालिनी जी मुस्कुरा रही थी तभी....

आदमी –(शालिनी जी के बगल में आके) मैडम लगता है ठाकुर साहब हमारी खातिरदारी में कोई कमी नहीं रहने देगे देखिए तो कैसे जल्दी जल्दी भाग के गए और गांव वालो को हुकुम दे रहे है....

DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) मजबूरी है उसकी ओर किस्मत भी अच्छी की यहां उसक कोई आदमी मौजूद नहीं था....

बोल के दोनो मुस्कुरा के निकल गए अपने लोगो के पास....

राजेश –(रमन के पास जाके) क्या बात हुई शालिनी जी से....

रमन – किसी ने उल्टी की है मेरे कम के बार में ये तो अच्छा था मेरा कोई आदमी नहीं था उस वक्त वहां पर....

राजेश – लेकिन तुमने मुझे क्यों नहीं बताया संध्या के बारे में ओर कब से अस्पताल में है संध्या क्यों....

रमन – कल ही आई है अस्पताल से और किसी ने ज्यादा टाचर किया है उसे....

राजेश – (चौक के) टाचर किसने किया कुछ बताया और कहा थी और कौन लाया संध्या को.....

रमन – बाकी बात के बारे में बताए नहीं संध्या ने जहां तक लाने की बात है मुझे लगता है जरूर वही लौंडा लाया है संध्या को....

राजेश –क्या वो लौंडा लाया उसे कहा मिली संध्या और मुझे कब बताने वाले थे तुम....

रमन – अरे यार मुझे भी अर्जेंट में खबर मिली तो निकल गया सबके साथ अस्पताल में काफी देर भी हो गई थी मुझे ध्यान से उतर गया यार ओर कल संध्या जिस तरह से बात कर रही थी मुझे शक है जरूर वो लौंडा लाया है क्यों कहा कैसे कुछ नहीं पता....

राजेश – यहां का कम निपट जाय फिर जाऊंगा अस्पताल मिलने संध्या से ओर तुम्हारे माल के लिए माफ करना मुझे सच में कोई जानकारी नहीं थी कि ये सब होगा यहां अचानक से....

रमन –(गुस्से में) एक बार पता चल जाए किसने उल्टी की है इन लोगों के सामने उसकी लाश भी नसीब नहीं होगी उसके खानदान को....

गांव की भीड़ में रंजीत गमछे से अपना मू छिपाए ये नजारा देख रहा था अपनी बीवी शालिनी को देख उसकी हवा टाइट हो गई थी....

रंजीत – (अपने आप से) ये यहां इस वक्त ये तो शाम को आने वाली थी (तुरंत अपने आदमी को कॉल करके) आज का काम कैंसिल कर दो अभी वक्त सही नहीं है बाकी बात बाद में आके करूंगा मैं....

बोल के रंजीत ने कॉल काट दिया यहां ये सब हो रहा था जबकि कुछ देर पहले अस्पताल में राज की आखों की पट्टी जैसे ही खुली उसे कुछ भी नहीं दिख रहा था तभी....

अभय – (राज से) ये क्या बोल रहा है तू यार देख मजाक मत कर....

राज –मै मजाक नहीं कर रहा भाई मुझे सच में कुछ नहीं दिख रहा है....

राजू – (राज के बगल में आके अभय से) देख मै बोलता था राज को ज्यादा मजाक मत किया कर किसी से देख क्या हो गया....

लल्ला – हा यार राजू तू बिल्कुल सही बोल रहा है लेकिन बहुत गलत हुआ भाई....

राज – अबे क्या बकवास कर रहे हो मैने कब किया मजाक किसी के साथ अनजाने में भी मै नहीं करता मजाक किसी से मा तुम ही कुछ बोलो न....

अभय – कोई नहीं है यहां पर बस हम तीनों है और डॉक्टर बाकी बड़ी मां और दीदी बाहर है आती होगी थोड़ी देर में.....

राज – अभय यार कुछ कर यार ये मेरे साथ क्यों हो रहा है....

अभय – क्या बात है ये सब कैसे अपने तो कहा था नॉर्मल है आंखे राज की कुछ नहीं हुआ है फिर....

डॉक्टर – मुझे भी ये समझ नहीं आ रहा है ये कैसे हो गया....

अभय – राजू सही बोल रहा था जरूर राज ने....

राज – अबे तू भी पगला गया है क्या मैने कोई मजाक नहीं किया कभी किसी के साथ....

अभय – अच्छा लेकिन मेरे से तो करता रहता है जब देखो साला साला बोलता रहता था मुझे.....

राज –(रोते हुए) भाई गलती हो गई जो तेरे साथ मजाक किया मै मा की कसम खा के बोलता हु आज के बाद कभी तुझे साला नहीं बोलूंगा....

अभय – अच्छा फिर क्या बोलेगा....

राज – भाई बोलूंगा बस....

अभय –(बात सुन मुस्कुरा के) ये ठीक है चल माफ किया तुझे तू भी क्या याद रखेगा....

बोल के लाइट ऑन कर दी जिसके बाद....

राज –(रोशनी देख) अरे वाह दिखने लगा मुझे भाई अरे वाह (अपने सामने अपनी मां ओर चांदनी को देख) मां मै देख सकता हूँ देखो बिल्कुल ठीक हो गई मेरी आँखें....

राज बोलता जा रहा था जबकि गीता देवी और चांदनी हंसे जा रही थी जिसे देख अचानक से राज का माथा टैंकर लाइट देखी फिर अभय को देख जो लाइट के स्विच के पास खड़ा हस रहा था....

राज –(गुस्से में) कुत्ते कमीने मेरे साथ मजाक किया तुने छोड़ूंगा नहीं तुझे....

बोल के राज अभय की तरफ भागा जिसे देख सब हस रहे थे वही अभय भाग के सीधे गीता देवी की पीछे चुप के....

अभय –(हस्ते हुए) बड़ी मां बचाओ बचाओ सैंड पागल हो गया है....

राज –(गुस्से में) क्या सांड अब देख ये सांड क्या करता है तेरे साथ सा....

अभय –(बीच में टोकते हुए) ओय नहीं बड़ी मां की कसम खाई है तूने अभी भूल गया क्या....

राज – इतना बड़ा धोखा दिया तूने बाहर निकल वहां से (अपनी मां से) मा तुम बीच से हटो....

अभय –बड़ी मां आपको मेरी कसम है आप यही रहना मेरे साथ वर्ना ये सांड देखो कैसे पगला गया है....

गीता देवी –(जोर से हस्ते हुए राज से) अरे बस बस बहुत हो गया रुक जाओ दोनो....

राज – मा देखो कैसे परेशान कर रहा था मुझे जानती हो कितना डर गया था मै....

बोल के गीता देवी ने हस्ते हुए गले लगाया राज को....

अभय –(गीता देवी के पीछे आके राज के कान में धीरे से) जरूर यही सोच रहा होगा कि कैसे मेरी दीदी को देखेगा कैसे घूमेगा दीदी के साथ क्यों यही न....

राज –(गुस्से में) तू चुप कर बे तेरे चक्कर में ये सब हो रहा था....

अभय –(राजू और लल्ला से हस्ते हुए) मस्त प्लान था न मेरा मजा आया दोनो को....

राजू और लल्ला एक साथ –(हस्ते हुए) बहुत मजा आया भाई....

राज – अच्छा तो तुम दोनो भी मिले हुए हो....

राजू –(हस्ते हुए) क्या करे भाई अभय का आइडिया इतना मस्त लगा इसीलिए हम तयार हो गए....

राज –(अपनी मां गीता देवी से) और मां तुम भी इनके साथ शामिल हो गई....

गीता देवी –(मुस्कुरा के) मै क्या करती अभय ने अपनी कसम दे के बोला कमरे में जो भी हो बस देखते रहना बोल आ कुछ नहीं इसीलिए मैं भी चुप बैठ के देख रही थी खेल....

बोल के सभी हसने लगे....

राज – सबने मिल के बेवकूफ बना दिया मुझे (अभय से) और तू देखना तुझे मै छोडूंगा नहीं अभय के बच्चे....

अभय – (मुस्कुराते हुए) देखते है पहले तो चलो यहां से बहुत हो गया ये अस्पताल में रहना निकले यहां से सब जल्दी वर्ना मैं पागल हो जाऊंगा यहां पर....

बोल के सब निकलने लगे तभी....

डॉक्टर – (राज और गीता देवी से) राज तुम कुछ दिनों के लिए काला चश्मा लगा के धूप में निकलना अभी इन्फेक्शन सही हुआ है आखों का तो कुछ वक्त के लिए धूप चुभेगी तुम्हे....

राज – ठीक है डॉक्टर साहेब....

गीता देवी – डॉक्टर साहेब संध्या को ले जा सकते है हम....

डॉक्टर – है क्यों नहीं मैने तो कल ही बोल दिया था जाने को....

बोल के राज , अभय , राजू और लल्ला एक साथ बात करने लगे जबकि गीता देवी और चांदनी निकल गई संध्या के कमरे में....

गीता देवी – संध्या चल तयार होजा चलते है हम....

संध्या – दीदी राज कैसे है अब....

गीता देवी – अब ठीक है वो पट्टी खोल दी है डॉक्टर ने....

संध्या – अच्छी बात है दीदी....

तभी गीता देवी ने अभय को आवाज दी जिसे सुन अभय कमरे में आया...

अभय – जी बड़ी मां आपने बुलाया....

गीता देवी – अभय एक कम करेगा मेरा....

अभय – हा बड़ी मां आप जो बोलो....

गीता देवी – संध्या को गोद में उठा के बाहर कार तक ले चल....

गीता देवी की बात सुन अभय ने एक नजर संध्या को देखा इससे पहले संध्या कुछ बोलती अभय ने उसे गोद में उठा लिया और ले जाने लगा अस्पताल के बाहर कार की तरफ पीछे से गीता देवी और चांदनी मुस्कुरा रही थी कार तक आते ही राजू ने कार का दरवाजा खोला तब अभय ने संध्या को आराम से बैठा दिया कार में तभी गीता देवी ने लल्ला के कान में कुछ कहा जिसे सुन....

लल्ला – (अभय से) यार अभय मुझे जरूरी काम से बजार जाना है तेरी बाइक मिलेगी....

अभय –इसमें पूछने की क्या बात है ले जा....
लल्ला – (राजू से) चल राजू मेरे साथ बजार से सामान लेके आते है...

बोल के अभय ने बाइक की चबी लल्ला को देदी उसके बाद लल्ला अपने साथ राजू लेके निकल गया उसके जाते ही चांदनी और राज जल्दी से कार में आगे बैठ गए जब तक अभय कुछ समझ पाता तब तक दोनो कार में आगे बैठ गए थे तब मजबूरन अभय को पीछे बैठना पड़ा अब आलम ये था कि एक तरफ अभय बैठा था बीच में संध्या और उसके बाद गीता देवी कार में अभय की बैठ ते ही कार निकल गई अस्पताल से कार को चलते अभी कुछ ही देर हुई थी कि तभी अभय संध्या की तरफ देख के बोला....

अभय – मां....

जिसे सुन अचानक से चांदनी ने कार को ब्रेक मारी पर संध्या ने तुरंत ही अभय की तरफ देखा अपना हाथ अभय के गाल पे ले जाती की तभी अभय कार का दरवाजा खोल निकल गया दौड़ते हुए कही जाने लगा जिसे देख सब हैरान थे....

अभय –(चिल्लाते हुए) मां....

आवाज सुन शालिनी ने पलट के देखा अभय दौड़ते हुए आ रहा था उसके पास तब शालिनी ने मुस्कुरा के अपने दोनो हाथ अभय की तरफ किए जिसके बाद अभय के आते ही उसे गले लगा लिया ये नजारा देख कहा संध्या के साथ गीता देवी हैरान थे वही....

चांदनी –(सामने देख) मां....

गीता देवी –(चांदनी के मू से मां सुन) ये शालिनी जी है....

चांदनी – जी मां....

जिसके बाद सब उसी तरफ देख रहे थे लेकिन किसी का इस बात पे ध्यान नहीं गया कि अभय के मां पुकारने से संध्या को एक पल के लिए खुशी हुई और जब अभय को मां चिल्लाते हुए दौड़ के जाके औरत के गले लगते देख उसकी आंख से आसू निकल आए इसके बाद संध्या को छोड़ तीनों कार से बाहर निकल आए बाहर आते ही....

चांदनी –(गीता देवी से) मा मै अभी आती हु....

बोल के चांदनी चली गई तब राज को ध्यान आया संध्या का तुरंत कार के अन्दर आते ही संध्या के आंख में आसू देख....

राज –क्या हुआ ठकुराइन आप रो क्यों रहे हो....

संध्या –(राज की बात सुन ना में सिर हिला के) कुछ नहीं....

जिसके बाद राज ने अभय की तरफ देख जो गले लगे हुए था शालिनी जी के जिसके बाद....

राज –(संध्या के कंधे पे हाथ रख) मैने आपसे वादा किया है ठकुराइन देखना मै जल्द ही अभय को लेके आऊंगा हवेली में आपके पास हमेशा के लिए....

संध्या –(राज की बात सुन हल्का मुस्कुरा के) हम्ममम....

जबकि अभय की तरफ....

अभय –(शालिनी की गले लगे हुए) आपको देख आज मुझे बहुत खुशी हो रही है मा....

शालिनी –(अभय की बात सुन मुस्कुरा के) अच्छा वो किस लिए भला....

अभय – पता नहीं बस ऐसे ही बहुत खुशी हो रही है मुझे....

शालिनी –(मुस्कुरा के) बहुत अच्छी बात है पर बता तू कैसा है....

अभय – पहले अच्छा था आपको देख अब बहुत अच्छा लगने लगा है....

शालिनी – (मुस्कुरा के) तुझे देख के मुझे भी आज बहुत अच्छा लग रहा है ऐसा लगता है बरसो बाद मिली हू तेरे से....

चांदनी –(दोनो के बीच में बोलते हुए) अच्छा मां और मेरा क्या....

चांदनी की आवाज सुन शालिनी हाथ आगे कर गले लगा के....

शालिनी – तुझे क्या लगा तुझे भूल गई क्या मैं....

चांदनी – (मुस्कुरा के) नहीं मा लेकिन अचानक से आपको देख सरप्राइस हो गई मैं....

अभय –अरे मां आप तो कल बोल रहे थी शाम को आओगे आप लेकिन आप कब आय यहां ओर बताया क्यों नहीं आपने....

शालिनी – (मुस्कुरा के) सब बताऊंगी पहले ये बताओ कहा से आ रहे हो तुम दोनों....
चांदनी –(शालिनी को सारी बात बता के) सीधे हवेली जा रहे थे मां इतने में आपको देख रुक गए हम....

शालिनी –(चांदनी की बात सुन) क्या संध्या भी तुम्हारे साथ है कहा है वो....

शालिनी की बात सुन चांदनी ने एक तरफ इशारा किया जिसे देख शालिनी तुरंत आगे बढ़ने लगी और चलते हुए आ गई संध्या की कार के पास....

शालिनी – (संध्या के साथ कार में बैठ के) कैसी हो आप अब....

संध्या – (मुस्कुरा के) ठीक हू आप कैसे हो....

शालिनी – मै भी अच्छी हू , अभी मुझे यहां पर थोड़ी देर का और काम है उसे करके मै मिलने आती हो हवेली में आपसे....

संध्या –(मुस्कुरा के) मै इंतजार करूंगी आपका....

बोल के शालिनी कार से बाहर निकल गई अपने सामने गीता देवी को देख....

शालिनी –(हाथ जोड़ के) प्रणाम गीता दीदी....

गीता देवी –(हैरानी से) प्रणाम , बस ये आप हाथ मत जोड़े मुझे अच्छा नहीं लगता....

शालिनी – (मुस्कुरा के) आप बड़े हो मुझ से मेरा फर्ज बनता है....

गीता देवी – बच्चों ने बताया था आपके आने के बारे में लेकिन आप तो सुबह ही आ गए बता देते बच्चे लेने आ जाते आपको....

शालिनी – कुछ अफसरों के साथ आई हू यहां उनके कम से उसके बाद बस बच्चों के साथ ही रहूंगी कुछ दिन....

गीता देवी – ये तो बहुत अच्छी बात है हमारे घर भी आईए आप....

शालिनी –(मुस्कुरा के) जी बिल्कुल आऊंगी मैं , अच्छा अभी के लिए इजाजत दीजिए कम निपटा के मिलती हू जल्द ही....

अभय – (आंख से हल्का सा इशारा करके) मां मै रुकता हु आपके साथ काम होते ही साथ में चलेंगे मेरे हॉस्टल में....

शालिनी –(मुस्कुरा के) ठीक है....

बोल के अभय और शालिनी निकल गए इस तरफ उनके जाते ही बाकी के लोग भी कार से निकल गए चांदनी पहले राज और गीता देवी को घर छोड़ हवेली की तरफ निकल गए रस्ते में....

चांदनी – मौसी....

संध्या – हा....

चांदनी – मै जानती हूं आपको क्या लगा था आज मुझे भी यही लगा था....

संध्या – (मुस्कुरा के) मेरी बाकी की जिंदगी में अब इसके सिवा और कुछ भी नहीं रखा चांदनी....

चांदनी –मायूस मत हो आप मौसी आपको पता नहीं लेकिन आपके गायब हो जाने से अभय को एक पल का चैन नहीं मिला है....

संध्या –गीता दीदी ने बताया था मुझे....

चांदनी – क्या ये भी बताया आपको की आपके बारे में पता चलते ही अभय बिना अपनी जान की परवा किए सिर्फ आपके लिए खंडर में अकेला आया था और न जाने कितने लोगो को मारा उसने सिर्फ आपके लिए मौसी....

संध्या –(मुस्कुरा के) यही बात मैने पूछी थी कल तब बोलता है कि इंसानियत के नाते किया....

चांदनी – (हस्ते हुए) इंसानियत के नाते नहीं आपके लिए किया है लेकिन कबूल नहीं कर पा रहा है....

बात करते करते हवेली आ गए दोनो जहा पर मालती , ललिता , निधि , सायरा और हवेली के कुछ नौकर थे संध्या को व्हीलचेयर में बैठा के अन्दर हॉल में लेके आ गए....

ललिता – दीदी मैने नीचे वाले कमरा साफ कर दिया है आपके लिए ताकि कुछ दिन तक आपको सीडीओ से ऊपर नीचे आना जाना न पड़े....

संध्या – (मुस्कुरा के) क्यों परेशान होते हो तुम सब मै ठीक हू बस पैर में हल्का दर्द है जल्दी ठीक हो जाएगा ये भी....

मालती – इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं है दीदी ये फ़र्ज़ है हमारा....

संध्या – (मुस्कुरा के) ठीक है (सायरा से) तू यहां पे....

सायरा – जी वो बाबू जी ने बोला था हवेली में रह के आपका ख्याल रखने को....

सायरा की बात सुन संध्या ने चांदनी को देखा जो मुस्कुरा रही थी जबकि इस तरफ अभय अपनी मां शालिनी के साथ बैठ बाते कर रहा था....

शालिनी – तो बता कैसी चल रही है तेरी पढ़ाई....

अभय – अच्छी चल रही है मां लेकिन आप अचानक से इतनी सुबह यहां कैसे....

शालिनी –(मुस्करा के) जैसे ही तूने इनफॉर्मेशन दी मैने तुरंत जांच शुरू करवा दी जानकारी मिलते ही अपने भरोसेमंद लोगो के साथ टीम बना के यहां आ गई तुझे पता है एक बात....

अभय – क्या....

शालिनी –(एक तरफ इशारा करके) वो सामने ठाकुर रमन भी यही आया हुआ है ओर साथ में राजेश भी....

अभय – मतलब ये दोनो भी मिले हुए है आपस में....

शालिनी –हम्ममम....

फिर अभय ने शालिनी को वो बात बताई जो राजेश ने अकेले कही थी अभय से इससे पहले अभय और कुछ बोलने वाला था तभी कोई आया और शालिनी से बोला....

आदमी – मैडम काम पूरा हो गया है अब आगे क्या करना है बताए....

अभय –(आदमी को देख चौक के) मुंडे सर आप यहां....

M M MUNDE – ना ना M M MUNDE मुरली मनोहर मुंडे ना ज्यादा ना कम (हाथ आगे बढ़ा के) बबलगम लो ना प्लीज....

अभय –(बबलगम लेके शालिनी से) मां ये तो....

शालिनी – (हस के) है पता है मुझे मैने ही भेजा था इनको यहां पर....

अभय – (हैरानी से) लेकिन ये तो टीचर है कॉलेज में एक मिनिट तो दीदी भी जानती है इनको....

शालिनी –(हस के) हा जानती है चांदनी भी....

अभय – मुझे क्यों नहीं बताया फिर....

शालिनी – सही मौके का इंतजार कर रहे थे हम समझा....

अभय – (हस के) समझ गया मां....

शालिनी – मनोहर और मैं बचपन से ही एक ही स्कूल ओर एक कॉलेज में साथ पढ़ते थे ये मुझ से 2 साल जूनियर था कॉलेज के बाद मैने पुलिस ज्वाइन की ओर इसने डिटेक्टिव एजेंसी , काफी फेमस डिटेक्टिव है ये....

अभय – ओह हो मतलब डिटेक्टिव मामा हुए मेरे (मनोहर से) मनोहर मामा कैसे हो आप....

M M MUNDE – मनोहर नहीं M M MUNDE मुरली मनोहर मुंडे ना ज्यादा ना कम (हाथ आगे बढ़ा के) बबलगम....

बोल के तीनों हसने लगे वही दूसरी तरफ ये नजारा देख रमन आग बबूला हो रहा था....

राजेश –(रमन से) ये लौंडा तो सच में DIG का बेटा निकला कही इसी ने तो तुम्हारे गोदाम का पता....

रमन – दिमाग खराब है क्या तेरा इसे कैसे पता होगा इसका पता तो मुनीम और शंकर के सिवा किसी को नहीं पता है....

राजेश – होने को कुछ भी हो सकता है रमन ठाकुर....

रमन – कहना क्या चाहते है तू....

राजेश – यही की क्या पता तेरा मुनीम इस लौंडे के पास हो या इस लौंडे से हाथ मिला लिया हो उसने....

रमन – नहीं ऐसा कभी नहीं हो सकता है....

राजेश – अपने फायदे के लिए कोई भी कुछ भी कर सकता है , धोखा भी दे सकता है किसी को आखिर है तो मुनीम भी इंसान ही ना सोचो ठाकुर साहब....

राजेश की बात सुन रमन सोच में पड़ गया अपनी अब रमन को भी लगने लगा था कि जरूर मुनीम का ये सब किया धारा है शायद तभी वो अभी तक लापता है सामने नहीं आया किसी के जबकि इस तरफ....

औरत –(कॉल पर रंजीत से) तूम तो बोल रहे थे कल संध्या की जानकारी देने को लेकिन कुछ किया नहीं तुमने....

रंजीत सिन्हा – (औरत की बात सुन) तो क्या करता मै तूने तो कहा था शालिनी शाम को आएगी लेकिन वो तो सुबह सुबह आ गई यहां गांव में आते ही रमन के गोदाम में छापा मार दिया....

औरत –(हैरानी से) क्या ये कैसे हो सकता है....

रंजीत सिन्हा – हो सकता नहीं यही हुआ है इसीलिए मैने अपने लोगो मना कर दिया काम के लिए....

औरत – तो अब आगे क्या....

रंजीत सिन्हा – जब तक शालिनी यहां है मै कोई रिस्क नहीं ले सकता जिस तरह से उसने रमन का सारा माल पकड़ लिया है जरूर कोई है जिससे जरिए उसे जानकारी मिली होगी ऐसे में अगर मैं उसकी नजर में आ गया तो गजब हो जाएगा मेरे लिए तू भी अपना ध्यान रख कोई गलती मत करना कही तू भी समझ रही है ना बात मेरी....

औरत – (हस के) मुझे अपने जैसा समझा है क्या तूने जो हर काम जल्दी बाजी में करती फिरती हूँ मेरी चिंता मत कर कोई ना जान पाया है और ना कभी जान पाएगा....

बोल के दोनो कॉल कट कर दिया....
.
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
रमन ठाकुर के काले साम्राज्य के पतन की शुरुवात खंडहर में उसके अवैध सामान को पकड के शालिनी कर दी
राज के आँखो की पटृटी निकालते हुए अभय और उसके दोस्तों ने जो कारनामा किया वो बडा ही मजेदार हैं
अस्पताल से घर जाते समय अभय के माँ कहने से सब चौक गये लेकीन वो शब्द संध्या के लिये न हो के शालिनी के लिये थे ये संध्या के लिये बडा ही भावनात्मक समय था
वही रंजीत सिन्हा की शालिनी को गाँव में देखकर गांड फट गयी और उसने संध्या के लिये बनाया प्लॅन उसी वक्त रोक दिया और हवेली में रहने वाली अपने सब के लिये बेनाम औरत को फोन करके सावधान कर दिया
लगता हैं शालिनी रमन और इन्स्पेक्टर राजेश की खटीया उधेडने की ओर एक कदम आगे बढ गयी है
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

aru queen

Give respect take respect
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UPDATE 42


आज गांव में सुबह से ही चहल पहल मची हुई थी गांव के ज्यादा तर लोग खंडर के पास वाली जगह को घेरे बैठे थे क्योंकि खंडर के पास वाली जगह में पुलिस की घेरा बंधी लगी हुई थी जहां कई पुलिस की गाड़िया आई हुई थी और उनके साथ थी हमारी DIG शालिनी जी अपनी वर्दी में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कुछ पुलिस वाले उ के साथ खड़े थे तो बाकी के पुलिस वाले खंडर के पास वाली जगह में बनी एक सुरंग से कई तरह की पेटियां निकल रहे थे काफी देर की काफी मेहनत के बाद लगभग 150 पेटी एक जगह इक्कठा कर उसे खोला गया जिसमें कई पेटियों में ड्रग्स का कच्माचा माल मिला पुलिस वालो को गांव वालो की भीड़ ये नजारा देख रही थी उन्हीं में एक आदमी एसा भी था जो ये नजारा देख पसीने से भीग गया था और गांव के लोगों से किनारे होके उसने किसी को कॉल मिलाया....

आदमी – मालिक गजब हो गया पुलिस वालो ने सारा माल पकड़ लिया अपना....

रमन – ये क्या बकवास कर रहा है तू....

आदमी – मालिक सच बोल रहा हू शुभ से ही पुलिस ने आके घेरा बंदी कर दी इस जगह की ये तो अच्छा था अपने लोग खेत चले गए थे फ्रेश होने....

रमन – तू वही रुक मै अभी आता हु....

बोल के दोनो ने कॉल कर कर दिया तभी रमन ने तुरंत किसी को कॉल मिलाया....

रमन – राजेश कहा है तू...

राजेश – क्या बात है ठाकुर साहब आज सुबह सुबह कॉल मिलाया....

रमन – अबे जितना पूछ रहा हू वो बता....

राजेश – अपने कमरे में हू लेकिन हुआ क्या ठाकुर साहब....

रमन – मेरे गोदाम में पुलिस की रेड कैसे पड़ी....

राजेश –(चौक के) क्या पुलिस की रेड आपके गोदाम में कब....

रमन – अभी मेरे आदमी ने कॉल कर के बताया मुझे....

राजेश – मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है ठाकुर साहब....

रमन – तू पहुंच पता कर क्या मझरा है मैं भी निकल रहा हूँ....

रमन इस बात से अंजान की कोई उसकी बात सुन रहा है रमन के जाते ही....

औरत – (किसी को कॉल मिला के) हेल्लो रंजीत....

रंजीत – गांव में आज कुछ हुआ है क्या....

रंजीत –हुआ तो नहीं लेकिन होने वाला जरूर है....

औरत – जितना पूछ रही हू वो बताओ मुझे....

रंजीत –इतनी टेंशन में लग रही हो तुम....

औरत – रमन किसी से कॉल पे बात कर रहा था गोदाम में पुलिस की रेड की बात सुनी मैने....

रंजीत – क्या पुलिस की रेड यहां गांव मेवा भी रमन ठाकुर के गोदाम में....

औरत – हा काफी टेंशन में निकला है रमन यहां से अभी....

रंजीत – अगर ऐसा है तो मैं खुद जा के पता करता हू अभी करता हू केल बाद में तुझे....

बोल के दोनो ने कॉल काट दिया जबकि रमन के बात करने के थोड़ी देर में राजेश अपने हवलदारों के साथ पहुंच गया उस जगह जहां गांव वालो की भीड़ इक्कठी पड़ी थी उन्हें साइड करते हुए जैसे ही सामने गया अपने सामने DIG शालिनी को देख के हैरान हो गया....

राजेश –(पास जाके शालिनी को सेल्यूट करके) मैडम आप यहां अचानक से खबर कर दी होती....

DIG SHALINI – अगर खबर कर दी होती तो मुझे कभी ये सब जानने को नहीं मिलता राजेश तुम्हारे होते हुए ये सब यहां तुम्हे तो ये भी पता नहीं होगा ये सब कब से चल रहा है यहां पर....

राजेश – नहीं मैडम मुझे कोई जानकारी नहीं थी इस बात की लेकिन ये सब किसका है....

DIG SHALINI – अभी पता नहीं चला है बस यहां पर ड्रग्स होने की जानकारी मिली हमे इसीलिए तुरंत जांच के लिए मै खुद यहां आई हूँ....

जब ये लोग आपस में बात कर रहे थे तभी रमन ठाकुर की कार आती हुई दिखी कार से उतर के रमन ठाकुर DIG SHALINI के पास आके....

रमन – प्रणाम शालिनी जी....

DIG SHALINI – (अपने सामने रमन ठाकुर को देख) प्रणाम ठाकुर साहब कैसे है आप....

रमन – जी मैं अच्छा हूँ और आप....
DIG SHALINI – मै भी....

रमन – क्या बात है शालिनी जी आज इतनी सुबह सुबह यहां इतनी भीड़....

DIG SHALINI – जी ठाकुर साहब हमे जानकारी मिली थी यहां पर गैर कानूनी काम हो रहा है उसकी पुष्टि के लिए अधिकारियों के साथ मुझे भेजा गया यहां पर यहां आते ही (एक तरफ इशारा करते हुए) नशे का कच्चा माल मिला हमे , ठाकुर साहब आपके गांव में ये सब हो रहा है जाने कब से क्या इसकी जानकारी नहीं थी आपको....

रमन – नहीं शालिनी जी मुझे कतई इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि मेरे गांव में ये सब हो रहा है वैसे कौन है वो जो मेरे गांव में ये सब कर रहा है....

DIG SHALINI – इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं मिली ठाकुर साहब हम जब यहां आय तो यहां कोई भी नहीं था....

रमन – ओह बहुत अफसोस की बात है शालिनी जी मेरे गांव में ये सब हो रहा है और मुझे भी जानकारी नहीं इसकी (हाथ जोड़ के) माफ करिएगा शालिनी जी....

DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) अरे एकी कोई जरूरत नहीं है ठाकुर साहब वैसे संध्या जी कैसी है अब हवेली आ गई....

रमन –(चौक के) आपको कैसे पता सन.....मेरा मतलब भाभी के बारे में....

DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) पुलिस का काम ही यही होता है तौर साहेब आते ही पता चल गया था मुझे संध्या जी के बारे में बल्कि यहां का काम निपट जाने के बाद मैं संध्या जी से मिलने आने वाली थी अस्पताल में....

रमन –(मजबूरन हस के) जी भाभी आज अस्पताल से हवेली आएगी जल्द ही....

DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) चलिए ये तो बहुत अच्छी बात है मैं मिलने आऊंगी संध्या जी से जल्द ही....

रमन – जी अच्छी बात है अभी कितना वक्त लगेगा सबको....

DIG SHALINI – क्यों क्या हुआ ठाकुर साहब....

रमन – (हड़बड़ा के) अरे ऐसी कोई बात नहीं है आप सब यहां हमारे गांव में आए है पहले बार इसीलिए पूछ रहा था खेर जितनी भी देर लगे आप सब को मैं यहां सबके लिए नाश्ते पानी का प्रबंध करता हू....

DIG SHALINI – इसकी कोई जरूरत नहीं है ठाकुर साहब....

रमन – अरे कैसे नहीं है आप मेहमान है हमारी हमारा फर्ज बनता है प्लीज करने दीजिए मुझे....

DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) जैसे आपकी मर्जी ठाकुर साहब....

बोल के रमन निकल गया गांव के लोगों से बात करने के लिए जबकि रमन के जाते ही शालिनी जी मुस्कुरा रही थी तभी....

आदमी –(शालिनी जी के बगल में आके) मैडम लगता है ठाकुर साहब हमारी खातिरदारी में कोई कमी नहीं रहने देगे देखिए तो कैसे जल्दी जल्दी भाग के गए और गांव वालो को हुकुम दे रहे है....

DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) मजबूरी है उसकी ओर किस्मत भी अच्छी की यहां उसक कोई आदमी मौजूद नहीं था....

बोल के दोनो मुस्कुरा के निकल गए अपने लोगो के पास....

राजेश –(रमन के पास जाके) क्या बात हुई शालिनी जी से....

रमन – किसी ने उल्टी की है मेरे कम के बार में ये तो अच्छा था मेरा कोई आदमी नहीं था उस वक्त वहां पर....

राजेश – लेकिन तुमने मुझे क्यों नहीं बताया संध्या के बारे में ओर कब से अस्पताल में है संध्या क्यों....

रमन – कल ही आई है अस्पताल से और किसी ने ज्यादा टाचर किया है उसे....

राजेश – (चौक के) टाचर किसने किया कुछ बताया और कहा थी और कौन लाया संध्या को.....

रमन – बाकी बात के बारे में बताए नहीं संध्या ने जहां तक लाने की बात है मुझे लगता है जरूर वही लौंडा लाया है संध्या को....

राजेश –क्या वो लौंडा लाया उसे कहा मिली संध्या और मुझे कब बताने वाले थे तुम....

रमन – अरे यार मुझे भी अर्जेंट में खबर मिली तो निकल गया सबके साथ अस्पताल में काफी देर भी हो गई थी मुझे ध्यान से उतर गया यार ओर कल संध्या जिस तरह से बात कर रही थी मुझे शक है जरूर वो लौंडा लाया है क्यों कहा कैसे कुछ नहीं पता....

राजेश – यहां का कम निपट जाय फिर जाऊंगा अस्पताल मिलने संध्या से ओर तुम्हारे माल के लिए माफ करना मुझे सच में कोई जानकारी नहीं थी कि ये सब होगा यहां अचानक से....

रमन –(गुस्से में) एक बार पता चल जाए किसने उल्टी की है इन लोगों के सामने उसकी लाश भी नसीब नहीं होगी उसके खानदान को....

गांव की भीड़ में रंजीत गमछे से अपना मू छिपाए ये नजारा देख रहा था अपनी बीवी शालिनी को देख उसकी हवा टाइट हो गई थी....

रंजीत – (अपने आप से) ये यहां इस वक्त ये तो शाम को आने वाली थी (तुरंत अपने आदमी को कॉल करके) आज का काम कैंसिल कर दो अभी वक्त सही नहीं है बाकी बात बाद में आके करूंगा मैं....

बोल के रंजीत ने कॉल काट दिया यहां ये सब हो रहा था जबकि कुछ देर पहले अस्पताल में राज की आखों की पट्टी जैसे ही खुली उसे कुछ भी नहीं दिख रहा था तभी....

अभय – (राज से) ये क्या बोल रहा है तू यार देख मजाक मत कर....

राज –मै मजाक नहीं कर रहा भाई मुझे सच में कुछ नहीं दिख रहा है....

राजू – (राज के बगल में आके अभय से) देख मै बोलता था राज को ज्यादा मजाक मत किया कर किसी से देख क्या हो गया....

लल्ला – हा यार राजू तू बिल्कुल सही बोल रहा है लेकिन बहुत गलत हुआ भाई....

राज – अबे क्या बकवास कर रहे हो मैने कब किया मजाक किसी के साथ अनजाने में भी मै नहीं करता मजाक किसी से मा तुम ही कुछ बोलो न....

अभय – कोई नहीं है यहां पर बस हम तीनों है और डॉक्टर बाकी बड़ी मां और दीदी बाहर है आती होगी थोड़ी देर में.....

राज – अभय यार कुछ कर यार ये मेरे साथ क्यों हो रहा है....

अभय – क्या बात है ये सब कैसे अपने तो कहा था नॉर्मल है आंखे राज की कुछ नहीं हुआ है फिर....

डॉक्टर – मुझे भी ये समझ नहीं आ रहा है ये कैसे हो गया....

अभय – राजू सही बोल रहा था जरूर राज ने....

राज – अबे तू भी पगला गया है क्या मैने कोई मजाक नहीं किया कभी किसी के साथ....

अभय – अच्छा लेकिन मेरे से तो करता रहता है जब देखो साला साला बोलता रहता था मुझे.....

राज –(रोते हुए) भाई गलती हो गई जो तेरे साथ मजाक किया मै मा की कसम खा के बोलता हु आज के बाद कभी तुझे साला नहीं बोलूंगा....

अभय – अच्छा फिर क्या बोलेगा....

राज – भाई बोलूंगा बस....

अभय –(बात सुन मुस्कुरा के) ये ठीक है चल माफ किया तुझे तू भी क्या याद रखेगा....

बोल के लाइट ऑन कर दी जिसके बाद....

राज –(रोशनी देख) अरे वाह दिखने लगा मुझे भाई अरे वाह (अपने सामने अपनी मां ओर चांदनी को देख) मां मै देख सकता हूँ देखो बिल्कुल ठीक हो गई मेरी आँखें....

राज बोलता जा रहा था जबकि गीता देवी और चांदनी हंसे जा रही थी जिसे देख अचानक से राज का माथा टैंकर लाइट देखी फिर अभय को देख जो लाइट के स्विच के पास खड़ा हस रहा था....

राज –(गुस्से में) कुत्ते कमीने मेरे साथ मजाक किया तुने छोड़ूंगा नहीं तुझे....

बोल के राज अभय की तरफ भागा जिसे देख सब हस रहे थे वही अभय भाग के सीधे गीता देवी की पीछे चुप के....

अभय –(हस्ते हुए) बड़ी मां बचाओ बचाओ सैंड पागल हो गया है....

राज –(गुस्से में) क्या सांड अब देख ये सांड क्या करता है तेरे साथ सा....

अभय –(बीच में टोकते हुए) ओय नहीं बड़ी मां की कसम खाई है तूने अभी भूल गया क्या....

राज – इतना बड़ा धोखा दिया तूने बाहर निकल वहां से (अपनी मां से) मा तुम बीच से हटो....

अभय –बड़ी मां आपको मेरी कसम है आप यही रहना मेरे साथ वर्ना ये सांड देखो कैसे पगला गया है....

गीता देवी –(जोर से हस्ते हुए राज से) अरे बस बस बहुत हो गया रुक जाओ दोनो....

राज – मा देखो कैसे परेशान कर रहा था मुझे जानती हो कितना डर गया था मै....

बोल के गीता देवी ने हस्ते हुए गले लगाया राज को....

अभय –(गीता देवी के पीछे आके राज के कान में धीरे से) जरूर यही सोच रहा होगा कि कैसे मेरी दीदी को देखेगा कैसे घूमेगा दीदी के साथ क्यों यही न....

राज –(गुस्से में) तू चुप कर बे तेरे चक्कर में ये सब हो रहा था....

अभय –(राजू और लल्ला से हस्ते हुए) मस्त प्लान था न मेरा मजा आया दोनो को....

राजू और लल्ला एक साथ –(हस्ते हुए) बहुत मजा आया भाई....

राज – अच्छा तो तुम दोनो भी मिले हुए हो....

राजू –(हस्ते हुए) क्या करे भाई अभय का आइडिया इतना मस्त लगा इसीलिए हम तयार हो गए....

राज –(अपनी मां गीता देवी से) और मां तुम भी इनके साथ शामिल हो गई....

गीता देवी –(मुस्कुरा के) मै क्या करती अभय ने अपनी कसम दे के बोला कमरे में जो भी हो बस देखते रहना बोल आ कुछ नहीं इसीलिए मैं भी चुप बैठ के देख रही थी खेल....

बोल के सभी हसने लगे....

राज – सबने मिल के बेवकूफ बना दिया मुझे (अभय से) और तू देखना तुझे मै छोडूंगा नहीं अभय के बच्चे....

अभय – (मुस्कुराते हुए) देखते है पहले तो चलो यहां से बहुत हो गया ये अस्पताल में रहना निकले यहां से सब जल्दी वर्ना मैं पागल हो जाऊंगा यहां पर....

बोल के सब निकलने लगे तभी....

डॉक्टर – (राज और गीता देवी से) राज तुम कुछ दिनों के लिए काला चश्मा लगा के धूप में निकलना अभी इन्फेक्शन सही हुआ है आखों का तो कुछ वक्त के लिए धूप चुभेगी तुम्हे....

राज – ठीक है डॉक्टर साहेब....

गीता देवी – डॉक्टर साहेब संध्या को ले जा सकते है हम....

डॉक्टर – है क्यों नहीं मैने तो कल ही बोल दिया था जाने को....

बोल के राज , अभय , राजू और लल्ला एक साथ बात करने लगे जबकि गीता देवी और चांदनी निकल गई संध्या के कमरे में....

गीता देवी – संध्या चल तयार होजा चलते है हम....

संध्या – दीदी राज कैसे है अब....

गीता देवी – अब ठीक है वो पट्टी खोल दी है डॉक्टर ने....

संध्या – अच्छी बात है दीदी....

तभी गीता देवी ने अभय को आवाज दी जिसे सुन अभय कमरे में आया...

अभय – जी बड़ी मां आपने बुलाया....

गीता देवी – अभय एक कम करेगा मेरा....

अभय – हा बड़ी मां आप जो बोलो....

गीता देवी – संध्या को गोद में उठा के बाहर कार तक ले चल....

गीता देवी की बात सुन अभय ने एक नजर संध्या को देखा इससे पहले संध्या कुछ बोलती अभय ने उसे गोद में उठा लिया और ले जाने लगा अस्पताल के बाहर कार की तरफ पीछे से गीता देवी और चांदनी मुस्कुरा रही थी कार तक आते ही राजू ने कार का दरवाजा खोला तब अभय ने संध्या को आराम से बैठा दिया कार में तभी गीता देवी ने लल्ला के कान में कुछ कहा जिसे सुन....

लल्ला – (अभय से) यार अभय मुझे जरूरी काम से बजार जाना है तेरी बाइक मिलेगी....

अभय –इसमें पूछने की क्या बात है ले जा....
लल्ला – (राजू से) चल राजू मेरे साथ बजार से सामान लेके आते है...

बोल के अभय ने बाइक की चबी लल्ला को देदी उसके बाद लल्ला अपने साथ राजू लेके निकल गया उसके जाते ही चांदनी और राज जल्दी से कार में आगे बैठ गए जब तक अभय कुछ समझ पाता तब तक दोनो कार में आगे बैठ गए थे तब मजबूरन अभय को पीछे बैठना पड़ा अब आलम ये था कि एक तरफ अभय बैठा था बीच में संध्या और उसके बाद गीता देवी कार में अभय की बैठ ते ही कार निकल गई अस्पताल से कार को चलते अभी कुछ ही देर हुई थी कि तभी अभय संध्या की तरफ देख के बोला....

अभय – मां....

जिसे सुन अचानक से चांदनी ने कार को ब्रेक मारी पर संध्या ने तुरंत ही अभय की तरफ देखा अपना हाथ अभय के गाल पे ले जाती की तभी अभय कार का दरवाजा खोल निकल गया दौड़ते हुए कही जाने लगा जिसे देख सब हैरान थे....

अभय –(चिल्लाते हुए) मां....

आवाज सुन शालिनी ने पलट के देखा अभय दौड़ते हुए आ रहा था उसके पास तब शालिनी ने मुस्कुरा के अपने दोनो हाथ अभय की तरफ किए जिसके बाद अभय के आते ही उसे गले लगा लिया ये नजारा देख कहा संध्या के साथ गीता देवी हैरान थे वही....

चांदनी –(सामने देख) मां....

गीता देवी –(चांदनी के मू से मां सुन) ये शालिनी जी है....

चांदनी – जी मां....

जिसके बाद सब उसी तरफ देख रहे थे लेकिन किसी का इस बात पे ध्यान नहीं गया कि अभय के मां पुकारने से संध्या को एक पल के लिए खुशी हुई और जब अभय को मां चिल्लाते हुए दौड़ के जाके औरत के गले लगते देख उसकी आंख से आसू निकल आए इसके बाद संध्या को छोड़ तीनों कार से बाहर निकल आए बाहर आते ही....

चांदनी –(गीता देवी से) मा मै अभी आती हु....

बोल के चांदनी चली गई तब राज को ध्यान आया संध्या का तुरंत कार के अन्दर आते ही संध्या के आंख में आसू देख....

राज –क्या हुआ ठकुराइन आप रो क्यों रहे हो....

संध्या –(राज की बात सुन ना में सिर हिला के) कुछ नहीं....

जिसके बाद राज ने अभय की तरफ देख जो गले लगे हुए था शालिनी जी के जिसके बाद....

राज –(संध्या के कंधे पे हाथ रख) मैने आपसे वादा किया है ठकुराइन देखना मै जल्द ही अभय को लेके आऊंगा हवेली में आपके पास हमेशा के लिए....

संध्या –(राज की बात सुन हल्का मुस्कुरा के) हम्ममम....

जबकि अभय की तरफ....

अभय –(शालिनी की गले लगे हुए) आपको देख आज मुझे बहुत खुशी हो रही है मा....

शालिनी –(अभय की बात सुन मुस्कुरा के) अच्छा वो किस लिए भला....

अभय – पता नहीं बस ऐसे ही बहुत खुशी हो रही है मुझे....

शालिनी –(मुस्कुरा के) बहुत अच्छी बात है पर बता तू कैसा है....

अभय – पहले अच्छा था आपको देख अब बहुत अच्छा लगने लगा है....

शालिनी – (मुस्कुरा के) तुझे देख के मुझे भी आज बहुत अच्छा लग रहा है ऐसा लगता है बरसो बाद मिली हू तेरे से....

चांदनी –(दोनो के बीच में बोलते हुए) अच्छा मां और मेरा क्या....

चांदनी की आवाज सुन शालिनी हाथ आगे कर गले लगा के....

शालिनी – तुझे क्या लगा तुझे भूल गई क्या मैं....

चांदनी – (मुस्कुरा के) नहीं मा लेकिन अचानक से आपको देख सरप्राइस हो गई मैं....

अभय –अरे मां आप तो कल बोल रहे थी शाम को आओगे आप लेकिन आप कब आय यहां ओर बताया क्यों नहीं आपने....

शालिनी – (मुस्कुरा के) सब बताऊंगी पहले ये बताओ कहा से आ रहे हो तुम दोनों....
चांदनी –(शालिनी को सारी बात बता के) सीधे हवेली जा रहे थे मां इतने में आपको देख रुक गए हम....

शालिनी –(चांदनी की बात सुन) क्या संध्या भी तुम्हारे साथ है कहा है वो....

शालिनी की बात सुन चांदनी ने एक तरफ इशारा किया जिसे देख शालिनी तुरंत आगे बढ़ने लगी और चलते हुए आ गई संध्या की कार के पास....

शालिनी – (संध्या के साथ कार में बैठ के) कैसी हो आप अब....

संध्या – (मुस्कुरा के) ठीक हू आप कैसे हो....

शालिनी – मै भी अच्छी हू , अभी मुझे यहां पर थोड़ी देर का और काम है उसे करके मै मिलने आती हो हवेली में आपसे....

संध्या –(मुस्कुरा के) मै इंतजार करूंगी आपका....

बोल के शालिनी कार से बाहर निकल गई अपने सामने गीता देवी को देख....

शालिनी –(हाथ जोड़ के) प्रणाम गीता दीदी....

गीता देवी –(हैरानी से) प्रणाम , बस ये आप हाथ मत जोड़े मुझे अच्छा नहीं लगता....

शालिनी – (मुस्कुरा के) आप बड़े हो मुझ से मेरा फर्ज बनता है....

गीता देवी – बच्चों ने बताया था आपके आने के बारे में लेकिन आप तो सुबह ही आ गए बता देते बच्चे लेने आ जाते आपको....

शालिनी – कुछ अफसरों के साथ आई हू यहां उनके कम से उसके बाद बस बच्चों के साथ ही रहूंगी कुछ दिन....

गीता देवी – ये तो बहुत अच्छी बात है हमारे घर भी आईए आप....

शालिनी –(मुस्कुरा के) जी बिल्कुल आऊंगी मैं , अच्छा अभी के लिए इजाजत दीजिए कम निपटा के मिलती हू जल्द ही....

अभय – (आंख से हल्का सा इशारा करके) मां मै रुकता हु आपके साथ काम होते ही साथ में चलेंगे मेरे हॉस्टल में....

शालिनी –(मुस्कुरा के) ठीक है....

बोल के अभय और शालिनी निकल गए इस तरफ उनके जाते ही बाकी के लोग भी कार से निकल गए चांदनी पहले राज और गीता देवी को घर छोड़ हवेली की तरफ निकल गए रस्ते में....

चांदनी – मौसी....

संध्या – हा....

चांदनी – मै जानती हूं आपको क्या लगा था आज मुझे भी यही लगा था....

संध्या – (मुस्कुरा के) मेरी बाकी की जिंदगी में अब इसके सिवा और कुछ भी नहीं रखा चांदनी....

चांदनी –मायूस मत हो आप मौसी आपको पता नहीं लेकिन आपके गायब हो जाने से अभय को एक पल का चैन नहीं मिला है....

संध्या –गीता दीदी ने बताया था मुझे....

चांदनी – क्या ये भी बताया आपको की आपके बारे में पता चलते ही अभय बिना अपनी जान की परवा किए सिर्फ आपके लिए खंडर में अकेला आया था और न जाने कितने लोगो को मारा उसने सिर्फ आपके लिए मौसी....

संध्या –(मुस्कुरा के) यही बात मैने पूछी थी कल तब बोलता है कि इंसानियत के नाते किया....

चांदनी – (हस्ते हुए) इंसानियत के नाते नहीं आपके लिए किया है लेकिन कबूल नहीं कर पा रहा है....

बात करते करते हवेली आ गए दोनो जहा पर मालती , ललिता , निधि , सायरा और हवेली के कुछ नौकर थे संध्या को व्हीलचेयर में बैठा के अन्दर हॉल में लेके आ गए....

ललिता – दीदी मैने नीचे वाले कमरा साफ कर दिया है आपके लिए ताकि कुछ दिन तक आपको सीडीओ से ऊपर नीचे आना जाना न पड़े....

संध्या – (मुस्कुरा के) क्यों परेशान होते हो तुम सब मै ठीक हू बस पैर में हल्का दर्द है जल्दी ठीक हो जाएगा ये भी....

मालती – इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं है दीदी ये फ़र्ज़ है हमारा....

संध्या – (मुस्कुरा के) ठीक है (सायरा से) तू यहां पे....

सायरा – जी वो बाबू जी ने बोला था हवेली में रह के आपका ख्याल रखने को....

सायरा की बात सुन संध्या ने चांदनी को देखा जो मुस्कुरा रही थी जबकि इस तरफ अभय अपनी मां शालिनी के साथ बैठ बाते कर रहा था....

शालिनी – तो बता कैसी चल रही है तेरी पढ़ाई....

अभय – अच्छी चल रही है मां लेकिन आप अचानक से इतनी सुबह यहां कैसे....

शालिनी –(मुस्करा के) जैसे ही तूने इनफॉर्मेशन दी मैने तुरंत जांच शुरू करवा दी जानकारी मिलते ही अपने भरोसेमंद लोगो के साथ टीम बना के यहां आ गई तुझे पता है एक बात....

अभय – क्या....

शालिनी –(एक तरफ इशारा करके) वो सामने ठाकुर रमन भी यही आया हुआ है ओर साथ में राजेश भी....

अभय – मतलब ये दोनो भी मिले हुए है आपस में....

शालिनी –हम्ममम....

फिर अभय ने शालिनी को वो बात बताई जो राजेश ने अकेले कही थी अभय से इससे पहले अभय और कुछ बोलने वाला था तभी कोई आया और शालिनी से बोला....

आदमी – मैडम काम पूरा हो गया है अब आगे क्या करना है बताए....

अभय –(आदमी को देख चौक के) मुंडे सर आप यहां....

M M MUNDE – ना ना M M MUNDE मुरली मनोहर मुंडे ना ज्यादा ना कम (हाथ आगे बढ़ा के) बबलगम लो ना प्लीज....

अभय –(बबलगम लेके शालिनी से) मां ये तो....

शालिनी – (हस के) है पता है मुझे मैने ही भेजा था इनको यहां पर....

अभय – (हैरानी से) लेकिन ये तो टीचर है कॉलेज में एक मिनिट तो दीदी भी जानती है इनको....

शालिनी –(हस के) हा जानती है चांदनी भी....

अभय – मुझे क्यों नहीं बताया फिर....

शालिनी – सही मौके का इंतजार कर रहे थे हम समझा....

अभय – (हस के) समझ गया मां....

शालिनी – मनोहर और मैं बचपन से ही एक ही स्कूल ओर एक कॉलेज में साथ पढ़ते थे ये मुझ से 2 साल जूनियर था कॉलेज के बाद मैने पुलिस ज्वाइन की ओर इसने डिटेक्टिव एजेंसी , काफी फेमस डिटेक्टिव है ये....

अभय – ओह हो मतलब डिटेक्टिव मामा हुए मेरे (मनोहर से) मनोहर मामा कैसे हो आप....

M M MUNDE – मनोहर नहीं M M MUNDE मुरली मनोहर मुंडे ना ज्यादा ना कम (हाथ आगे बढ़ा के) बबलगम....

बोल के तीनों हसने लगे वही दूसरी तरफ ये नजारा देख रमन आग बबूला हो रहा था....

राजेश –(रमन से) ये लौंडा तो सच में DIG का बेटा निकला कही इसी ने तो तुम्हारे गोदाम का पता....

रमन – दिमाग खराब है क्या तेरा इसे कैसे पता होगा इसका पता तो मुनीम और शंकर के सिवा किसी को नहीं पता है....

राजेश – होने को कुछ भी हो सकता है रमन ठाकुर....

रमन – कहना क्या चाहते है तू....

राजेश – यही की क्या पता तेरा मुनीम इस लौंडे के पास हो या इस लौंडे से हाथ मिला लिया हो उसने....

रमन – नहीं ऐसा कभी नहीं हो सकता है....

राजेश – अपने फायदे के लिए कोई भी कुछ भी कर सकता है , धोखा भी दे सकता है किसी को आखिर है तो मुनीम भी इंसान ही ना सोचो ठाकुर साहब....

राजेश की बात सुन रमन सोच में पड़ गया अपनी अब रमन को भी लगने लगा था कि जरूर मुनीम का ये सब किया धारा है शायद तभी वो अभी तक लापता है सामने नहीं आया किसी के जबकि इस तरफ....

औरत –(कॉल पर रंजीत से) तूम तो बोल रहे थे कल संध्या की जानकारी देने को लेकिन कुछ किया नहीं तुमने....

रंजीत सिन्हा – (औरत की बात सुन) तो क्या करता मै तूने तो कहा था शालिनी शाम को आएगी लेकिन वो तो सुबह सुबह आ गई यहां गांव में आते ही रमन के गोदाम में छापा मार दिया....

औरत –(हैरानी से) क्या ये कैसे हो सकता है....

रंजीत सिन्हा – हो सकता नहीं यही हुआ है इसीलिए मैने अपने लोगो मना कर दिया काम के लिए....

औरत – तो अब आगे क्या....

रंजीत सिन्हा – जब तक शालिनी यहां है मै कोई रिस्क नहीं ले सकता जिस तरह से उसने रमन का सारा माल पकड़ लिया है जरूर कोई है जिससे जरिए उसे जानकारी मिली होगी ऐसे में अगर मैं उसकी नजर में आ गया तो गजब हो जाएगा मेरे लिए तू भी अपना ध्यान रख कोई गलती मत करना कही तू भी समझ रही है ना बात मेरी....

औरत – (हस के) मुझे अपने जैसा समझा है क्या तूने जो हर काम जल्दी बाजी में करती फिरती हूँ मेरी चिंता मत कर कोई ना जान पाया है और ना कभी जान पाएगा....

बोल के दोनो कॉल कट कर दिया....
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जारी रहेगा✍️✍️
Bahut hi badhiya update
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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UPDATE 42


आज गांव में सुबह से ही चहल पहल मची हुई थी गांव के ज्यादा तर लोग खंडर के पास वाली जगह को घेरे बैठे थे क्योंकि खंडर के पास वाली जगह में पुलिस की घेरा बंधी लगी हुई थी जहां कई पुलिस की गाड़िया आई हुई थी और उनके साथ थी हमारी DIG शालिनी जी अपनी वर्दी में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कुछ पुलिस वाले उ के साथ खड़े थे तो बाकी के पुलिस वाले खंडर के पास वाली जगह में बनी एक सुरंग से कई तरह की पेटियां निकल रहे थे काफी देर की काफी मेहनत के बाद लगभग 150 पेटी एक जगह इक्कठा कर उसे खोला गया जिसमें कई पेटियों में ड्रग्स का कच्माचा माल मिला पुलिस वालो को गांव वालो की भीड़ ये नजारा देख रही थी उन्हीं में एक आदमी एसा भी था जो ये नजारा देख पसीने से भीग गया था और गांव के लोगों से किनारे होके उसने किसी को कॉल मिलाया....

आदमी – मालिक गजब हो गया पुलिस वालो ने सारा माल पकड़ लिया अपना....

रमन – ये क्या बकवास कर रहा है तू....

आदमी – मालिक सच बोल रहा हू शुभ से ही पुलिस ने आके घेरा बंदी कर दी इस जगह की ये तो अच्छा था अपने लोग खेत चले गए थे फ्रेश होने....

रमन – तू वही रुक मै अभी आता हु....

बोल के दोनो ने कॉल कर कर दिया तभी रमन ने तुरंत किसी को कॉल मिलाया....

रमन – राजेश कहा है तू...

राजेश – क्या बात है ठाकुर साहब आज सुबह सुबह कॉल मिलाया....

रमन – अबे जितना पूछ रहा हू वो बता....

राजेश – अपने कमरे में हू लेकिन हुआ क्या ठाकुर साहब....

रमन – मेरे गोदाम में पुलिस की रेड कैसे पड़ी....

राजेश –(चौक के) क्या पुलिस की रेड आपके गोदाम में कब....

रमन – अभी मेरे आदमी ने कॉल कर के बताया मुझे....

राजेश – मुझे इसकी कोई जानकारी नहीं है ठाकुर साहब....

रमन – तू पहुंच पता कर क्या मझरा है मैं भी निकल रहा हूँ....

रमन इस बात से अंजान की कोई उसकी बात सुन रहा है रमन के जाते ही....

औरत – (किसी को कॉल मिला के) हेल्लो रंजीत....

रंजीत – गांव में आज कुछ हुआ है क्या....

रंजीत –हुआ तो नहीं लेकिन होने वाला जरूर है....

औरत – जितना पूछ रही हू वो बताओ मुझे....

रंजीत –इतनी टेंशन में लग रही हो तुम....

औरत – रमन किसी से कॉल पे बात कर रहा था गोदाम में पुलिस की रेड की बात सुनी मैने....

रंजीत – क्या पुलिस की रेड यहां गांव मेवा भी रमन ठाकुर के गोदाम में....

औरत – हा काफी टेंशन में निकला है रमन यहां से अभी....

रंजीत – अगर ऐसा है तो मैं खुद जा के पता करता हू अभी करता हू केल बाद में तुझे....

बोल के दोनो ने कॉल काट दिया जबकि रमन के बात करने के थोड़ी देर में राजेश अपने हवलदारों के साथ पहुंच गया उस जगह जहां गांव वालो की भीड़ इक्कठी पड़ी थी उन्हें साइड करते हुए जैसे ही सामने गया अपने सामने DIG शालिनी को देख के हैरान हो गया....

राजेश –(पास जाके शालिनी को सेल्यूट करके) मैडम आप यहां अचानक से खबर कर दी होती....

DIG SHALINI – अगर खबर कर दी होती तो मुझे कभी ये सब जानने को नहीं मिलता राजेश तुम्हारे होते हुए ये सब यहां तुम्हे तो ये भी पता नहीं होगा ये सब कब से चल रहा है यहां पर....

राजेश – नहीं मैडम मुझे कोई जानकारी नहीं थी इस बात की लेकिन ये सब किसका है....

DIG SHALINI – अभी पता नहीं चला है बस यहां पर ड्रग्स होने की जानकारी मिली हमे इसीलिए तुरंत जांच के लिए मै खुद यहां आई हूँ....

जब ये लोग आपस में बात कर रहे थे तभी रमन ठाकुर की कार आती हुई दिखी कार से उतर के रमन ठाकुर DIG SHALINI के पास आके....

रमन – प्रणाम शालिनी जी....

DIG SHALINI – (अपने सामने रमन ठाकुर को देख) प्रणाम ठाकुर साहब कैसे है आप....

रमन – जी मैं अच्छा हूँ और आप....
DIG SHALINI – मै भी....

रमन – क्या बात है शालिनी जी आज इतनी सुबह सुबह यहां इतनी भीड़....

DIG SHALINI – जी ठाकुर साहब हमे जानकारी मिली थी यहां पर गैर कानूनी काम हो रहा है उसकी पुष्टि के लिए अधिकारियों के साथ मुझे भेजा गया यहां पर यहां आते ही (एक तरफ इशारा करते हुए) नशे का कच्चा माल मिला हमे , ठाकुर साहब आपके गांव में ये सब हो रहा है जाने कब से क्या इसकी जानकारी नहीं थी आपको....

रमन – नहीं शालिनी जी मुझे कतई इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि मेरे गांव में ये सब हो रहा है वैसे कौन है वो जो मेरे गांव में ये सब कर रहा है....

DIG SHALINI – इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं मिली ठाकुर साहब हम जब यहां आय तो यहां कोई भी नहीं था....

रमन – ओह बहुत अफसोस की बात है शालिनी जी मेरे गांव में ये सब हो रहा है और मुझे भी जानकारी नहीं इसकी (हाथ जोड़ के) माफ करिएगा शालिनी जी....

DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) अरे एकी कोई जरूरत नहीं है ठाकुर साहब वैसे संध्या जी कैसी है अब हवेली आ गई....

रमन –(चौक के) आपको कैसे पता सन.....मेरा मतलब भाभी के बारे में....

DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) पुलिस का काम ही यही होता है तौर साहेब आते ही पता चल गया था मुझे संध्या जी के बारे में बल्कि यहां का काम निपट जाने के बाद मैं संध्या जी से मिलने आने वाली थी अस्पताल में....

रमन –(मजबूरन हस के) जी भाभी आज अस्पताल से हवेली आएगी जल्द ही....

DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) चलिए ये तो बहुत अच्छी बात है मैं मिलने आऊंगी संध्या जी से जल्द ही....

रमन – जी अच्छी बात है अभी कितना वक्त लगेगा सबको....

DIG SHALINI – क्यों क्या हुआ ठाकुर साहब....

रमन – (हड़बड़ा के) अरे ऐसी कोई बात नहीं है आप सब यहां हमारे गांव में आए है पहले बार इसीलिए पूछ रहा था खेर जितनी भी देर लगे आप सब को मैं यहां सबके लिए नाश्ते पानी का प्रबंध करता हू....

DIG SHALINI – इसकी कोई जरूरत नहीं है ठाकुर साहब....

रमन – अरे कैसे नहीं है आप मेहमान है हमारी हमारा फर्ज बनता है प्लीज करने दीजिए मुझे....

DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) जैसे आपकी मर्जी ठाकुर साहब....

बोल के रमन निकल गया गांव के लोगों से बात करने के लिए जबकि रमन के जाते ही शालिनी जी मुस्कुरा रही थी तभी....

आदमी –(शालिनी जी के बगल में आके) मैडम लगता है ठाकुर साहब हमारी खातिरदारी में कोई कमी नहीं रहने देगे देखिए तो कैसे जल्दी जल्दी भाग के गए और गांव वालो को हुकुम दे रहे है....

DIG SHALINI – (मुस्कुरा के) मजबूरी है उसकी ओर किस्मत भी अच्छी की यहां उसक कोई आदमी मौजूद नहीं था....

बोल के दोनो मुस्कुरा के निकल गए अपने लोगो के पास....

राजेश –(रमन के पास जाके) क्या बात हुई शालिनी जी से....

रमन – किसी ने उल्टी की है मेरे कम के बार में ये तो अच्छा था मेरा कोई आदमी नहीं था उस वक्त वहां पर....

राजेश – लेकिन तुमने मुझे क्यों नहीं बताया संध्या के बारे में ओर कब से अस्पताल में है संध्या क्यों....

रमन – कल ही आई है अस्पताल से और किसी ने ज्यादा टाचर किया है उसे....

राजेश – (चौक के) टाचर किसने किया कुछ बताया और कहा थी और कौन लाया संध्या को.....

रमन – बाकी बात के बारे में बताए नहीं संध्या ने जहां तक लाने की बात है मुझे लगता है जरूर वही लौंडा लाया है संध्या को....

राजेश –क्या वो लौंडा लाया उसे कहा मिली संध्या और मुझे कब बताने वाले थे तुम....

रमन – अरे यार मुझे भी अर्जेंट में खबर मिली तो निकल गया सबके साथ अस्पताल में काफी देर भी हो गई थी मुझे ध्यान से उतर गया यार ओर कल संध्या जिस तरह से बात कर रही थी मुझे शक है जरूर वो लौंडा लाया है क्यों कहा कैसे कुछ नहीं पता....

राजेश – यहां का कम निपट जाय फिर जाऊंगा अस्पताल मिलने संध्या से ओर तुम्हारे माल के लिए माफ करना मुझे सच में कोई जानकारी नहीं थी कि ये सब होगा यहां अचानक से....

रमन –(गुस्से में) एक बार पता चल जाए किसने उल्टी की है इन लोगों के सामने उसकी लाश भी नसीब नहीं होगी उसके खानदान को....

गांव की भीड़ में रंजीत गमछे से अपना मू छिपाए ये नजारा देख रहा था अपनी बीवी शालिनी को देख उसकी हवा टाइट हो गई थी....

रंजीत – (अपने आप से) ये यहां इस वक्त ये तो शाम को आने वाली थी (तुरंत अपने आदमी को कॉल करके) आज का काम कैंसिल कर दो अभी वक्त सही नहीं है बाकी बात बाद में आके करूंगा मैं....

बोल के रंजीत ने कॉल काट दिया यहां ये सब हो रहा था जबकि कुछ देर पहले अस्पताल में राज की आखों की पट्टी जैसे ही खुली उसे कुछ भी नहीं दिख रहा था तभी....

अभय – (राज से) ये क्या बोल रहा है तू यार देख मजाक मत कर....

राज –मै मजाक नहीं कर रहा भाई मुझे सच में कुछ नहीं दिख रहा है....

राजू – (राज के बगल में आके अभय से) देख मै बोलता था राज को ज्यादा मजाक मत किया कर किसी से देख क्या हो गया....

लल्ला – हा यार राजू तू बिल्कुल सही बोल रहा है लेकिन बहुत गलत हुआ भाई....

राज – अबे क्या बकवास कर रहे हो मैने कब किया मजाक किसी के साथ अनजाने में भी मै नहीं करता मजाक किसी से मा तुम ही कुछ बोलो न....

अभय – कोई नहीं है यहां पर बस हम तीनों है और डॉक्टर बाकी बड़ी मां और दीदी बाहर है आती होगी थोड़ी देर में.....

राज – अभय यार कुछ कर यार ये मेरे साथ क्यों हो रहा है....

अभय – क्या बात है ये सब कैसे अपने तो कहा था नॉर्मल है आंखे राज की कुछ नहीं हुआ है फिर....

डॉक्टर – मुझे भी ये समझ नहीं आ रहा है ये कैसे हो गया....

अभय – राजू सही बोल रहा था जरूर राज ने....

राज – अबे तू भी पगला गया है क्या मैने कोई मजाक नहीं किया कभी किसी के साथ....

अभय – अच्छा लेकिन मेरे से तो करता रहता है जब देखो साला साला बोलता रहता था मुझे.....

राज –(रोते हुए) भाई गलती हो गई जो तेरे साथ मजाक किया मै मा की कसम खा के बोलता हु आज के बाद कभी तुझे साला नहीं बोलूंगा....

अभय – अच्छा फिर क्या बोलेगा....

राज – भाई बोलूंगा बस....

अभय –(बात सुन मुस्कुरा के) ये ठीक है चल माफ किया तुझे तू भी क्या याद रखेगा....

बोल के लाइट ऑन कर दी जिसके बाद....

राज –(रोशनी देख) अरे वाह दिखने लगा मुझे भाई अरे वाह (अपने सामने अपनी मां ओर चांदनी को देख) मां मै देख सकता हूँ देखो बिल्कुल ठीक हो गई मेरी आँखें....

राज बोलता जा रहा था जबकि गीता देवी और चांदनी हंसे जा रही थी जिसे देख अचानक से राज का माथा टैंकर लाइट देखी फिर अभय को देख जो लाइट के स्विच के पास खड़ा हस रहा था....

राज –(गुस्से में) कुत्ते कमीने मेरे साथ मजाक किया तुने छोड़ूंगा नहीं तुझे....

बोल के राज अभय की तरफ भागा जिसे देख सब हस रहे थे वही अभय भाग के सीधे गीता देवी की पीछे चुप के....

अभय –(हस्ते हुए) बड़ी मां बचाओ बचाओ सैंड पागल हो गया है....

राज –(गुस्से में) क्या सांड अब देख ये सांड क्या करता है तेरे साथ सा....

अभय –(बीच में टोकते हुए) ओय नहीं बड़ी मां की कसम खाई है तूने अभी भूल गया क्या....

राज – इतना बड़ा धोखा दिया तूने बाहर निकल वहां से (अपनी मां से) मा तुम बीच से हटो....

अभय –बड़ी मां आपको मेरी कसम है आप यही रहना मेरे साथ वर्ना ये सांड देखो कैसे पगला गया है....

गीता देवी –(जोर से हस्ते हुए राज से) अरे बस बस बहुत हो गया रुक जाओ दोनो....

राज – मा देखो कैसे परेशान कर रहा था मुझे जानती हो कितना डर गया था मै....

बोल के गीता देवी ने हस्ते हुए गले लगाया राज को....

अभय –(गीता देवी के पीछे आके राज के कान में धीरे से) जरूर यही सोच रहा होगा कि कैसे मेरी दीदी को देखेगा कैसे घूमेगा दीदी के साथ क्यों यही न....

राज –(गुस्से में) तू चुप कर बे तेरे चक्कर में ये सब हो रहा था....

अभय –(राजू और लल्ला से हस्ते हुए) मस्त प्लान था न मेरा मजा आया दोनो को....

राजू और लल्ला एक साथ –(हस्ते हुए) बहुत मजा आया भाई....

राज – अच्छा तो तुम दोनो भी मिले हुए हो....

राजू –(हस्ते हुए) क्या करे भाई अभय का आइडिया इतना मस्त लगा इसीलिए हम तयार हो गए....

राज –(अपनी मां गीता देवी से) और मां तुम भी इनके साथ शामिल हो गई....

गीता देवी –(मुस्कुरा के) मै क्या करती अभय ने अपनी कसम दे के बोला कमरे में जो भी हो बस देखते रहना बोल आ कुछ नहीं इसीलिए मैं भी चुप बैठ के देख रही थी खेल....

बोल के सभी हसने लगे....

राज – सबने मिल के बेवकूफ बना दिया मुझे (अभय से) और तू देखना तुझे मै छोडूंगा नहीं अभय के बच्चे....

अभय – (मुस्कुराते हुए) देखते है पहले तो चलो यहां से बहुत हो गया ये अस्पताल में रहना निकले यहां से सब जल्दी वर्ना मैं पागल हो जाऊंगा यहां पर....

बोल के सब निकलने लगे तभी....

डॉक्टर – (राज और गीता देवी से) राज तुम कुछ दिनों के लिए काला चश्मा लगा के धूप में निकलना अभी इन्फेक्शन सही हुआ है आखों का तो कुछ वक्त के लिए धूप चुभेगी तुम्हे....

राज – ठीक है डॉक्टर साहेब....

गीता देवी – डॉक्टर साहेब संध्या को ले जा सकते है हम....

डॉक्टर – है क्यों नहीं मैने तो कल ही बोल दिया था जाने को....

बोल के राज , अभय , राजू और लल्ला एक साथ बात करने लगे जबकि गीता देवी और चांदनी निकल गई संध्या के कमरे में....

गीता देवी – संध्या चल तयार होजा चलते है हम....

संध्या – दीदी राज कैसे है अब....

गीता देवी – अब ठीक है वो पट्टी खोल दी है डॉक्टर ने....

संध्या – अच्छी बात है दीदी....

तभी गीता देवी ने अभय को आवाज दी जिसे सुन अभय कमरे में आया...

अभय – जी बड़ी मां आपने बुलाया....

गीता देवी – अभय एक कम करेगा मेरा....

अभय – हा बड़ी मां आप जो बोलो....

गीता देवी – संध्या को गोद में उठा के बाहर कार तक ले चल....

गीता देवी की बात सुन अभय ने एक नजर संध्या को देखा इससे पहले संध्या कुछ बोलती अभय ने उसे गोद में उठा लिया और ले जाने लगा अस्पताल के बाहर कार की तरफ पीछे से गीता देवी और चांदनी मुस्कुरा रही थी कार तक आते ही राजू ने कार का दरवाजा खोला तब अभय ने संध्या को आराम से बैठा दिया कार में तभी गीता देवी ने लल्ला के कान में कुछ कहा जिसे सुन....

लल्ला – (अभय से) यार अभय मुझे जरूरी काम से बजार जाना है तेरी बाइक मिलेगी....

अभय –इसमें पूछने की क्या बात है ले जा....
लल्ला – (राजू से) चल राजू मेरे साथ बजार से सामान लेके आते है...

बोल के अभय ने बाइक की चबी लल्ला को देदी उसके बाद लल्ला अपने साथ राजू लेके निकल गया उसके जाते ही चांदनी और राज जल्दी से कार में आगे बैठ गए जब तक अभय कुछ समझ पाता तब तक दोनो कार में आगे बैठ गए थे तब मजबूरन अभय को पीछे बैठना पड़ा अब आलम ये था कि एक तरफ अभय बैठा था बीच में संध्या और उसके बाद गीता देवी कार में अभय की बैठ ते ही कार निकल गई अस्पताल से कार को चलते अभी कुछ ही देर हुई थी कि तभी अभय संध्या की तरफ देख के बोला....

अभय – मां....

जिसे सुन अचानक से चांदनी ने कार को ब्रेक मारी पर संध्या ने तुरंत ही अभय की तरफ देखा अपना हाथ अभय के गाल पे ले जाती की तभी अभय कार का दरवाजा खोल निकल गया दौड़ते हुए कही जाने लगा जिसे देख सब हैरान थे....

अभय –(चिल्लाते हुए) मां....

आवाज सुन शालिनी ने पलट के देखा अभय दौड़ते हुए आ रहा था उसके पास तब शालिनी ने मुस्कुरा के अपने दोनो हाथ अभय की तरफ किए जिसके बाद अभय के आते ही उसे गले लगा लिया ये नजारा देख कहा संध्या के साथ गीता देवी हैरान थे वही....

चांदनी –(सामने देख) मां....

गीता देवी –(चांदनी के मू से मां सुन) ये शालिनी जी है....

चांदनी – जी मां....

जिसके बाद सब उसी तरफ देख रहे थे लेकिन किसी का इस बात पे ध्यान नहीं गया कि अभय के मां पुकारने से संध्या को एक पल के लिए खुशी हुई और जब अभय को मां चिल्लाते हुए दौड़ के जाके औरत के गले लगते देख उसकी आंख से आसू निकल आए इसके बाद संध्या को छोड़ तीनों कार से बाहर निकल आए बाहर आते ही....

चांदनी –(गीता देवी से) मा मै अभी आती हु....

बोल के चांदनी चली गई तब राज को ध्यान आया संध्या का तुरंत कार के अन्दर आते ही संध्या के आंख में आसू देख....

राज –क्या हुआ ठकुराइन आप रो क्यों रहे हो....

संध्या –(राज की बात सुन ना में सिर हिला के) कुछ नहीं....

जिसके बाद राज ने अभय की तरफ देख जो गले लगे हुए था शालिनी जी के जिसके बाद....

राज –(संध्या के कंधे पे हाथ रख) मैने आपसे वादा किया है ठकुराइन देखना मै जल्द ही अभय को लेके आऊंगा हवेली में आपके पास हमेशा के लिए....

संध्या –(राज की बात सुन हल्का मुस्कुरा के) हम्ममम....

जबकि अभय की तरफ....

अभय –(शालिनी की गले लगे हुए) आपको देख आज मुझे बहुत खुशी हो रही है मा....

शालिनी –(अभय की बात सुन मुस्कुरा के) अच्छा वो किस लिए भला....

अभय – पता नहीं बस ऐसे ही बहुत खुशी हो रही है मुझे....

शालिनी –(मुस्कुरा के) बहुत अच्छी बात है पर बता तू कैसा है....

अभय – पहले अच्छा था आपको देख अब बहुत अच्छा लगने लगा है....

शालिनी – (मुस्कुरा के) तुझे देख के मुझे भी आज बहुत अच्छा लग रहा है ऐसा लगता है बरसो बाद मिली हू तेरे से....

चांदनी –(दोनो के बीच में बोलते हुए) अच्छा मां और मेरा क्या....

चांदनी की आवाज सुन शालिनी हाथ आगे कर गले लगा के....

शालिनी – तुझे क्या लगा तुझे भूल गई क्या मैं....

चांदनी – (मुस्कुरा के) नहीं मा लेकिन अचानक से आपको देख सरप्राइस हो गई मैं....

अभय –अरे मां आप तो कल बोल रहे थी शाम को आओगे आप लेकिन आप कब आय यहां ओर बताया क्यों नहीं आपने....

शालिनी – (मुस्कुरा के) सब बताऊंगी पहले ये बताओ कहा से आ रहे हो तुम दोनों....
चांदनी –(शालिनी को सारी बात बता के) सीधे हवेली जा रहे थे मां इतने में आपको देख रुक गए हम....

शालिनी –(चांदनी की बात सुन) क्या संध्या भी तुम्हारे साथ है कहा है वो....

शालिनी की बात सुन चांदनी ने एक तरफ इशारा किया जिसे देख शालिनी तुरंत आगे बढ़ने लगी और चलते हुए आ गई संध्या की कार के पास....

शालिनी – (संध्या के साथ कार में बैठ के) कैसी हो आप अब....

संध्या – (मुस्कुरा के) ठीक हू आप कैसे हो....

शालिनी – मै भी अच्छी हू , अभी मुझे यहां पर थोड़ी देर का और काम है उसे करके मै मिलने आती हो हवेली में आपसे....

संध्या –(मुस्कुरा के) मै इंतजार करूंगी आपका....

बोल के शालिनी कार से बाहर निकल गई अपने सामने गीता देवी को देख....

शालिनी –(हाथ जोड़ के) प्रणाम गीता दीदी....

गीता देवी –(हैरानी से) प्रणाम , बस ये आप हाथ मत जोड़े मुझे अच्छा नहीं लगता....

शालिनी – (मुस्कुरा के) आप बड़े हो मुझ से मेरा फर्ज बनता है....

गीता देवी – बच्चों ने बताया था आपके आने के बारे में लेकिन आप तो सुबह ही आ गए बता देते बच्चे लेने आ जाते आपको....

शालिनी – कुछ अफसरों के साथ आई हू यहां उनके कम से उसके बाद बस बच्चों के साथ ही रहूंगी कुछ दिन....

गीता देवी – ये तो बहुत अच्छी बात है हमारे घर भी आईए आप....

शालिनी –(मुस्कुरा के) जी बिल्कुल आऊंगी मैं , अच्छा अभी के लिए इजाजत दीजिए कम निपटा के मिलती हू जल्द ही....

अभय – (आंख से हल्का सा इशारा करके) मां मै रुकता हु आपके साथ काम होते ही साथ में चलेंगे मेरे हॉस्टल में....

शालिनी –(मुस्कुरा के) ठीक है....

बोल के अभय और शालिनी निकल गए इस तरफ उनके जाते ही बाकी के लोग भी कार से निकल गए चांदनी पहले राज और गीता देवी को घर छोड़ हवेली की तरफ निकल गए रस्ते में....

चांदनी – मौसी....

संध्या – हा....

चांदनी – मै जानती हूं आपको क्या लगा था आज मुझे भी यही लगा था....

संध्या – (मुस्कुरा के) मेरी बाकी की जिंदगी में अब इसके सिवा और कुछ भी नहीं रखा चांदनी....

चांदनी –मायूस मत हो आप मौसी आपको पता नहीं लेकिन आपके गायब हो जाने से अभय को एक पल का चैन नहीं मिला है....

संध्या –गीता दीदी ने बताया था मुझे....

चांदनी – क्या ये भी बताया आपको की आपके बारे में पता चलते ही अभय बिना अपनी जान की परवा किए सिर्फ आपके लिए खंडर में अकेला आया था और न जाने कितने लोगो को मारा उसने सिर्फ आपके लिए मौसी....

संध्या –(मुस्कुरा के) यही बात मैने पूछी थी कल तब बोलता है कि इंसानियत के नाते किया....

चांदनी – (हस्ते हुए) इंसानियत के नाते नहीं आपके लिए किया है लेकिन कबूल नहीं कर पा रहा है....

बात करते करते हवेली आ गए दोनो जहा पर मालती , ललिता , निधि , सायरा और हवेली के कुछ नौकर थे संध्या को व्हीलचेयर में बैठा के अन्दर हॉल में लेके आ गए....

ललिता – दीदी मैने नीचे वाले कमरा साफ कर दिया है आपके लिए ताकि कुछ दिन तक आपको सीडीओ से ऊपर नीचे आना जाना न पड़े....

संध्या – (मुस्कुरा के) क्यों परेशान होते हो तुम सब मै ठीक हू बस पैर में हल्का दर्द है जल्दी ठीक हो जाएगा ये भी....

मालती – इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं है दीदी ये फ़र्ज़ है हमारा....

संध्या – (मुस्कुरा के) ठीक है (सायरा से) तू यहां पे....

सायरा – जी वो बाबू जी ने बोला था हवेली में रह के आपका ख्याल रखने को....

सायरा की बात सुन संध्या ने चांदनी को देखा जो मुस्कुरा रही थी जबकि इस तरफ अभय अपनी मां शालिनी के साथ बैठ बाते कर रहा था....

शालिनी – तो बता कैसी चल रही है तेरी पढ़ाई....

अभय – अच्छी चल रही है मां लेकिन आप अचानक से इतनी सुबह यहां कैसे....

शालिनी –(मुस्करा के) जैसे ही तूने इनफॉर्मेशन दी मैने तुरंत जांच शुरू करवा दी जानकारी मिलते ही अपने भरोसेमंद लोगो के साथ टीम बना के यहां आ गई तुझे पता है एक बात....

अभय – क्या....

शालिनी –(एक तरफ इशारा करके) वो सामने ठाकुर रमन भी यही आया हुआ है ओर साथ में राजेश भी....

अभय – मतलब ये दोनो भी मिले हुए है आपस में....

शालिनी –हम्ममम....

फिर अभय ने शालिनी को वो बात बताई जो राजेश ने अकेले कही थी अभय से इससे पहले अभय और कुछ बोलने वाला था तभी कोई आया और शालिनी से बोला....

आदमी – मैडम काम पूरा हो गया है अब आगे क्या करना है बताए....

अभय –(आदमी को देख चौक के) मुंडे सर आप यहां....

M M MUNDE – ना ना M M MUNDE मुरली मनोहर मुंडे ना ज्यादा ना कम (हाथ आगे बढ़ा के) बबलगम लो ना प्लीज....

अभय –(बबलगम लेके शालिनी से) मां ये तो....

शालिनी – (हस के) है पता है मुझे मैने ही भेजा था इनको यहां पर....

अभय – (हैरानी से) लेकिन ये तो टीचर है कॉलेज में एक मिनिट तो दीदी भी जानती है इनको....

शालिनी –(हस के) हा जानती है चांदनी भी....

अभय – मुझे क्यों नहीं बताया फिर....

शालिनी – सही मौके का इंतजार कर रहे थे हम समझा....

अभय – (हस के) समझ गया मां....

शालिनी – मनोहर और मैं बचपन से ही एक ही स्कूल ओर एक कॉलेज में साथ पढ़ते थे ये मुझ से 2 साल जूनियर था कॉलेज के बाद मैने पुलिस ज्वाइन की ओर इसने डिटेक्टिव एजेंसी , काफी फेमस डिटेक्टिव है ये....

अभय – ओह हो मतलब डिटेक्टिव मामा हुए मेरे (मनोहर से) मनोहर मामा कैसे हो आप....

M M MUNDE – मनोहर नहीं M M MUNDE मुरली मनोहर मुंडे ना ज्यादा ना कम (हाथ आगे बढ़ा के) बबलगम....

बोल के तीनों हसने लगे वही दूसरी तरफ ये नजारा देख रमन आग बबूला हो रहा था....

राजेश –(रमन से) ये लौंडा तो सच में DIG का बेटा निकला कही इसी ने तो तुम्हारे गोदाम का पता....

रमन – दिमाग खराब है क्या तेरा इसे कैसे पता होगा इसका पता तो मुनीम और शंकर के सिवा किसी को नहीं पता है....

राजेश – होने को कुछ भी हो सकता है रमन ठाकुर....

रमन – कहना क्या चाहते है तू....

राजेश – यही की क्या पता तेरा मुनीम इस लौंडे के पास हो या इस लौंडे से हाथ मिला लिया हो उसने....

रमन – नहीं ऐसा कभी नहीं हो सकता है....

राजेश – अपने फायदे के लिए कोई भी कुछ भी कर सकता है , धोखा भी दे सकता है किसी को आखिर है तो मुनीम भी इंसान ही ना सोचो ठाकुर साहब....

राजेश की बात सुन रमन सोच में पड़ गया अपनी अब रमन को भी लगने लगा था कि जरूर मुनीम का ये सब किया धारा है शायद तभी वो अभी तक लापता है सामने नहीं आया किसी के जबकि इस तरफ....

औरत –(कॉल पर रंजीत से) तूम तो बोल रहे थे कल संध्या की जानकारी देने को लेकिन कुछ किया नहीं तुमने....

रंजीत सिन्हा – (औरत की बात सुन) तो क्या करता मै तूने तो कहा था शालिनी शाम को आएगी लेकिन वो तो सुबह सुबह आ गई यहां गांव में आते ही रमन के गोदाम में छापा मार दिया....

औरत –(हैरानी से) क्या ये कैसे हो सकता है....

रंजीत सिन्हा – हो सकता नहीं यही हुआ है इसीलिए मैने अपने लोगो मना कर दिया काम के लिए....

औरत – तो अब आगे क्या....

रंजीत सिन्हा – जब तक शालिनी यहां है मै कोई रिस्क नहीं ले सकता जिस तरह से उसने रमन का सारा माल पकड़ लिया है जरूर कोई है जिससे जरिए उसे जानकारी मिली होगी ऐसे में अगर मैं उसकी नजर में आ गया तो गजब हो जाएगा मेरे लिए तू भी अपना ध्यान रख कोई गलती मत करना कही तू भी समझ रही है ना बात मेरी....

औरत – (हस के) मुझे अपने जैसा समझा है क्या तूने जो हर काम जल्दी बाजी में करती फिरती हूँ मेरी चिंता मत कर कोई ना जान पाया है और ना कभी जान पाएगा....

बोल के दोनो कॉल कट कर दिया....
.
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
Awesome update again and mind blowing writing ✍️ DEVIL MAXIMUM shandar update tha 👌🏻👌🏻👌🏻 raman ka saaman pakda gaya, salini gaon me aagai hai, ab dekhte hai, abhay haweli me kaise or kab jata hai? Or wo aurat kon hai jo ranjeet se baat kar rahi thi? Lalita ya maalti?
 
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Raj_sharma

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तू बहते पानी सी है, हर शक्ल में ढल जाती है ,
मैं रेत सा हूं…मुझसे कच्चे घर भी नहीं बनते... :writing:
 

Mahesh007

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Kahi esa to nahi sab apne patte ek sath khole abhi to usko bhi ana he jisne abhay ko takat di thi aur bo hi iska sabjanta he uske ane par hi salni ke pati aur jo bos he uska bhada futega abhi to raman aman ko hi thikane lagaya ja rahahe bos ke bare me munim bhi kuch nahi janta he sayed
 
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