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Romance फ़िर से

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avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
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दोस्तों - इस अपडेट सूची को स्टिकी पोस्ट बना रहा हूँ!
लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि केवल पढ़ कर निकल लें। यह केवल आपकी सुविधा के लिए है। चर्चा बंद नहीं होनी चाहिए :)

अपडेट 1; अपडेट 2; अपडेट 3; अपडेट 4; अपडेट 5; अपडेट 6; अपडेट 7; अपडेट 8; अपडेट 9; अपडेट 10; अपडेट 11; अपडेट 12; अपडेट 13; अपडेट 14; अपडेट 15; अपडेट 16; अपडेट 17; अपडेट 18; अपडेट 19; अपडेट 20; अपडेट 21; अपडेट 22; अपडेट 23; अपडेट 24; अपडेट 25; अपडेट 26; अपडेट 27; अपडेट 28; अपडेट 29; अपडेट 30; अपडेट 31; अपडेट 32; अपडेट 33; अपडेट 34; अपडेट 35; अपडेट 36; अपडेट 37; अपडेट 38; अपडेट 39; अपडेट 40; अपडेट 41; अपडेट 42; अपडेट 43; अपडेट 44; अपडेट 45; अपडेट 46; अपडेट 47; अपडेट 48; अपडेट 49; अपडेट 50; अपडेट 51; अपडेट 52; अपडेट 53; अपडेट 54; अपडेट 55; अपडेट56; अपडेट57; अपडेट 58; अपडेट 59; अपडेट 60; अपडेट 61; अपडेट 62; अपडेट 63; अपडेट 64; अपडेट 65; अपडेट 66;
 
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रूचि और अजय , दोनो ने आखिरकार एक दूसरे के प्रति अपनी पसंद जाहिर कर दी । उन्होने न सिर्फ पसंद जाहिर करी बल्कि एक साथ कुछ अंतरंग पल भी साझा करी ।
यह सब एक तरफ से ठीक तो है लेकिन मुझे इन सब मे स्वाभाविकता की कुछ कमी लग रही है ।
पहला संशय पसंद को लेकर है । पसंद और प्रेम मे बहुत बड़ा फर्क होता है और हमारे राइटर साहब यह नही जानते होंगे , यह हो ही नही सकता ।
पसंद और प्रेम पर बहुत सारी बातें की जा सकती है । मै सिर्फ चंद बातों का ही जिक्र कर रहा हूं ।
लोगों की पसंद अक्सर बदलती रहती है । जिस तरह से फेशन हमेशा बदलते रहने का नाम है , उसी तरह पसंद भी बदलने का दूसरा रूप है । यह सतही होता है । इसमे गहराई नही होती ।
बुद्ध ने कहा था , अगर एक बगीचे मे फुल है और आप उस फुल को पसंद करते है तो उसे आप तोड़कर अपने पास रख लेंगे , लेकिन अगर आप फुल को प्यार करते है तो उसका ख्याल रखेंगे और उसको रोज पानी डालेंगे ।
बुद्ध की इस संदेश को अमिताभ बच्चन साहब ने भी सोशल साइट्स मे पोस्ट किया था ।

दूसरा संशय रूचि के अंतरंग पल स्थापित करने को लेकर हुआ । अचानक से अपनी पसंद का इजहार करना और उसी दौरान अपने चोली की बटन भी खोल देना ! यही नही इन्होने अपने पैंट के नाड़े भी ढ़िला कर दिए !
" धीरे धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय । "
ये दोनो बुलेट ट्रेन से भी तेज निकले । यह प्रेम नही हो सकता । यह फिल्मी मोहब्बत है । यह जवानी का नशा है ।
अब अजय साहब को एक बार अपने फेवरेट शिक्षिका महोदया का भी इम्तिहान लेना चाहिए , इश्क का इम्तिहान ।

खुबसूरत अपडेट अमर भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
 

kas1709

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अपडेट 39


रूचि सिहर गई!

‘बाप रे!’ रूचि ने सोचा, ‘ऐसा भी कोई करता है क्या!’

“अ...जय...” उसने प्रत्यक्षतः किसी तरह कहा।

“डरो नहीं रूचि! मैं कुछ ऐसा वैसा नहीं करूँगा...”

हाँ... इतना विश्वास तो था ही रूचि को अजय पर!

रूचि ने हथियार डाल दिए।

आप हर बात कण्ट्रोल नहीं कर सकते। अजय को अपने स्तन दिखाना... महसूस करवाना उसके स्वयं के नियंत्रण में था। लेकिन उसके बाद अजय का क्या हाल होगा, उस दृश्य का उस पर क्या प्रभाव होगा, वो उसको नग्न देख कर क्या क्या करेगा, रूचि उन बातों को कण्ट्रोल नहीं कर सकती थी। वो यह बात समझती थी। लेकिन वो चाहती थी कि यह सब ‘तनावपूर्ण’ बातें उन दोनों के सिस्टम से निकल जाए, और वो दोनों आगे सामान्य से हो कर, घनिष्ठ मित्रों... नहीं, प्रेमियों की तरह रह सकें!

ख़ैर...

अजय ने उसके योनि मुख को थोड़ा सा खोला... क्या देखा उसने, केवल वो ही बता सकता है। लेकिन फिर उसने अंत में उसकी योनि के मुख को चूमा और फिर मुस्कुराते हुए उठ बैठा।

“रूचि?” उसने कहा।

“हम्म?”

“कितनी छोटी सी है ये यार...!”

“क्या?”

“तुम्हारी...” अजय ‘चूत’ शब्द बोलना चाहता था, लेकिन वो ठहर गया।

रूचि एक संभ्रांत परिवार की लड़की थी, और शायद ऐसे शब्द सुन कर वो बुरा मान जाए! गाली गलौज वाली भाषा शायद ही कोई लड़की पसंद करती हो, ख़ास कर ऐसे अंतरंग और रोमांटिक माहौल के समय!

उसने दो तीन पल सोचा और कहा, “... तुम्हारी छोटी बहन!”

उसकी बात सुन कर रूचि बिना आवाज़ के हँसने लगी, और उसकी हँसी के साथ उसके स्तन बड़े ही क्यूट तरीके से हिलने लगे। उसके साथ ही अजय का दिल भी! लेकिन किसी तरह उसने स्वयं पर नियंत्रण किया।

“और क्या! देखो न... कितनी छोटू सी है! ‘ये’ इसके अंदर जा ही नहीं पाएगा...”

“क्या?” रूचि ने पूछा, “क्या नहीं जा पायेगा?”

“ये!” कह कर अजय घुटनों के बल हो कर बैठ गया।

उसने कब अपनी पैन्ट्स की ज़िप खोल कर अपने लिंग को बाहर निकाल लिया था, रूचि को पता नहीं चला था। लेकिन इस समय उसके सामने अजय का स्तंभित लिंग प्रदर्शित था... केवल लिंग। रूचि को उस दिन की बात याद आ गई, जब उसने अजय को हस्त-मैथुन करते देख लिया था।

रूचि ने देखा - हाँ, यह एक स्वस्थ और मज़बूत लिंग लग रहा था! उत्सुकतावश उसने अजय का लिंग पकड़ा - कठोर... लेकिन मुलायम भी! तना हुआ, लेकिन उसकी त्वचा में एक ढीलापन भी! और... गर्म! कैसा विरोधाभास लिया हुआ अंग है ये! और उसकी मोटाई उसकी अपनी कलाई से भी अधिक! एक स्वस्थ और मज़बूत अंग! उसको इस अंग का क्या और कैसे इस्तेमाल होता है, अच्छे से पता था। लेकिन,

“इसको मेरे अंदर क्यों जाना है?” उसने भोलेपन से पूछा।

“आज नहीं,” अजय ने समझाते हुए कहा, “लेकिन जब हमारी शादी होगी, तब तो जायेगा न?”

“क्यों?” रूचि ने उसको छेड़ते हुए कहा, “हम्म? हम्म?”

“अरे! हस्बैंड वाइफ करते हैं न सेक्स...”

“अच्छा जी! तो आपको मेरे साथ सेक्स भी करना है!” रूचि ने उसको छेड़ा, “उंगली क्या पकड़ाई, आपको अब तो कलाई भी पकड़नी है! क्यों? हम्म?”

“कलाई नहीं,” अजय ने शिष्टता से कहा, “तुम्हारा हाथ थामने का इरादा है! उम्र भर के लिए!”

सुन कर रूचि के दिल को संतोष हो आया।

बालपन भोला होता है। अनावश्यक बातों के लिए उसमें समय नहीं होता। सामाजिक जटिलताओं की समझ नहीं होती और न ही उनकी आवश्यकता ही होती है। इसीलिए कहते हैं, कि बचपन की मोहब्बत सरल और सच्ची होती है।

“थामोगे हाथ मेरा?”

“हाँ... हमेशा के लिए।” अजय बोला।

“तुम मुझसे शादी भी करोगे?”

“हाँ! और नहीं तो कैसे? ... तभी तो हमारे बेबीज़ होंगे!” अजय ने उम्मीद भरे अंदाज़ में कहा, “मुझसे बेबीज़ करोगी न?”

अजय ने जान-बूझ कर ऐसी बात करी कि उन दोनों के बीच उम्र का भोलापन बना रहे।

रूचि उसकी इस बात पर मुस्कुरा दी,

“अज्जू... मैंने अभी तक इस बारे में कुछ सोचा नहीं!” उसने कहा, “कुछ दिनों पहले तक तो बेबीज़ के पापा का ही पता नहीं था मुझको,”

कह कर वो हँसने लगी। अजय भी उसके साथ ही हँसने लगा।

“तो वो सर्च ख़तम हुई?”

“हाँ,” रूचि इस बात पर शर्मा गई, “... लगता तो है!”

“गुड!” अजय संतुष्ट हो कर बोला, “तुम माँ को और पापा को बहुत पसंद हो!”

“सच में?”

अजय ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“अज्जू...” रूचि ने बड़े प्यार से पूछा, “तुमको चाहिए बेबीज़?”

उसको अपने अजन्मे बच्चे की याद हो आई, जिसको रागिनी ने गिरा दिया था। दिल में एक टीस सी उठ गई।

“हाँ...” उसने सामान्य आवाज़ रखते हुए कहा, “किसका मन नहीं होता पापा बनने का?”

वो मुस्कुराई, “अच्छा! कितने?”

“तीन चार...”

“चार! बाप रे,”

“और क्या! इतना बड़ा घर है... खूब सारे बच्चे होंगे तो अच्छा लगेगा न... चहल पहल बनी रहेगी,”

अजय की इस बात पर रूचि ने अपनी उँगलियाँ अजय के बालों में उलझा दीं, और बड़े प्यार से बोली, “हो जाता है सब।”

“क्या?” अजय समझ नहीं पाया कि रूचि ने यह किस बात पर कहा।

“तुम्हारा ‘ये’...” रूचि ने जिस हाथ में अजय का लिंग पकड़ा हुआ था, उसको लिंग पर पकड़े हुए ही हिलाया, “छोटा भाई... मेरी छोटी बहन में आ जाएगा, जब ज़रुरत होगी,”

“तुमको कैसे पता?”

“मम्मी ने बताया था...”

उसके इस रहस्योद्घाटन पर अजय ने उत्सुकतापूर्वक अपनी त्यौरी चढ़ाई।

रूचि बोलती रही, “एक दिन मैंने उनको बताया कि मैंने इसमें अपनी फोरफिंगर डालने की कोशिश करी... लेकिन वो मुश्किल से अंदर जा पा रही थी! ... तो उन्होंने मुझे सेक्स के बारे में समझाया... और यह भी समझाया कि हस्बैंड वाइफ को चाहिए कि वो एक दूसरे को खूब प्यार करें... तब सब हो जाता है।”

“सच में?” अजय ने खुश होते हुए कहा।

रूचि ने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“नाइस...” कह कर अजय ने अपने लिंग को रूचि की योनि के होंठों से सटा दिया।

“क्या कर रहे हो?” रूचि ने चिहुँकते हुए कहा।

“मेरा छोटा भाई, तुम्हारी छोटी बहन को पप्पी ले रहा है,”

अंतरंग क्षणों में ऐसी हँसोड़ बातें!

“अज्जू... तुम बहुत भोलू हो!” रूचि को उसकी बात पर हँसी आ गई।

एक दूसरे के सामने नग्न हो कर ऐसे हँसी मज़ाक करना... अब उसके लिए अजय के सामने नग्न होना कोई ऐसी बड़ी... तनाव वाली बात नहीं रह गई थी। अच्छा हुआ कि यह उनके सिस्टम से बाहर निकल गया। अजय अब उसके बराबर आ कर लेट गया और उसने वापस अपने होठों को उसके चूचक पर रख दिया... और धीरे-धीरे, बड़े प्यार से, उसके स्तनों के अदृश्य रस को फिर से चूसने लगा।

“अज्जू बेटे,” अचानक ही नीचे से माँ की आवाज़ आई।

वो चौंक कर रूचि के सीने से अलग हुआ।

“हाँ माँ?” उसने ऊँची आवाज़ में उत्तर दिया।

“बेटे नीचे आओ! भाई साहब और बहन जी जाने वाले हैं!”

“ठीक है माँ,” उसने अनिच्छा से कहा, “बस पाँच से दस मिनट में आते हैं माँ!”

कह कर अजय ने रूचि को अपने आलिंगन में खींचा, और उसके होंठों पर अपने होठों को रख कर उसे अपने आगोश में भर लिया। आज उनके बीच की दूरी मिट चुकी थी, और वे बस एक-दूसरे के एहसास में डूब चुके थे।

“तुम मेरे लिए कितनी खास हो रूचि… शायद मैं तुमको समझा न पाऊँ,” अजय ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा।

रूचि ने हल्की मुस्कान के साथ उसकी आँखों को अपने होठों से छुआ और धीरे से उसकी बाहों में समा गई,

“तुम भी अज्जू...” वो बोली, “तुम भी मेरे लिए सबसे ख़ास हो! सबसे स्पेशल!”

फिर कुछ पलों बाद रूचि ने उसको याद दिलाया कि उन दोनों को नीचे बुलाया जा रहा है।

बड़ी अनिच्छा से दोनों अलग हुए। अजय उठ कर रूचि के कपड़े उठा लाया। उसी दौरान उसने उसके अधोवस्त्रों से उसके शरीर की माप को समझ लिया। रूचि ने भी देखा कि वो बड़ी चालाकी से उसकी ब्रा और पैंटी के लेबल को पढ़ रहा है, लेकिन उसने कुछ कहा नहीं। बस मुस्कुरा कर रह गई। अपनी प्रेमिका के बारे में इस तरह की अंतरंग उत्सुकता रखने में कोई बुराई नहीं है... पापा भी तो माँ के बारे में सब जानते हैं! वो भी उनकी ब्रा पैंटीज़ खरीदते ही हैं। तो अगर अजय भी उसके बारे में जानता है, तो कोई बुराई नहीं।

बाहर निकलने से पहले अजय ने कहा, “रूचि, थैंक यू! आज मैं बहुत खुश हूँ!”

“मैं भी,”

“हम आगे भी प्यार करेंगे...” उसने जब ये कहा तो रूचि कुछ कहने को हुई... लेकिन उसकी बात काट कर अजय ने तेजी से कहा, “लेकिन आई प्रॉमिस, कि हमारी पढ़ाई लिखाई, और ऍप्लिकेशन्स पर कोई बुरा इफ़ेक्ट नहीं आएगा!”

वो संतोषपूर्वक मुस्कुराई, “पक्का?”

अजय ने ‘हाँ’ में सर हिलाते हुए कहा, “हमको साथ में आगे बढ़ना है न!”

रूचि मुस्कुराई, और अजय के होंठों को चूम कर बोली, “हाँ!”

थोड़ी देर में रूचि वापस तैयार हो गई और दोनों बाहर आ गए।

अजय का कमरा अब भी उसी मद्धम रौशनी में डूबा हुआ था... वहाँ की हवा में दोनों के प्यार के एहसास की महक घुल गई थी।

**
Nice update....
 
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parkas

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अपडेट 36


इस बार की नवरात्रि और दशहरा दोनों - मतलब अजय और कमल के परिवारों - में अत्यधिक उल्लास से बीते।

राणा परिवार में हवन और रात्रिभोज का आयोजन किया गया था और वहाँ समस्त ठाकुर (अजय) परिवार भी आमंत्रित था। राणा परिवार के यहाँ रात्रिभोज पर जाने से पहले अजय के घर पर भी हवन का आयोजन था और वहाँ दिन में भोजन का आयोजन था। और उस आयोजन में रूचि आमंत्रित थी... नहीं, केवल रूचि ही नहीं, उसके मम्मी पापा भी आमंत्रित थे।

रूचि के मम्मी पापा को भी अजय और उसके परिवार से मिलने की इच्छा थी।

उनकी बेटी पिछले कुछ समय में अजय में इतना इंटरेस्ट लेने लगी थी, इसलिए वो भी चाहते थे कि अजय और उसके परिवार को जाना समझा जाए। रूचि के मम्मी पापा दोनों ही सरकारी और अर्ध-सरकारी महकमे में उच्च पदों में काम करते थे। रूचि के पापा एक अर्ध-सरकारी ताप विद्युत कंपनी में डिप्टी जनरल मैनेजर थे, और उसकी मम्मी एक केंद्रीय सरकारी बैंक में! उन दोनों ने भी प्रेम विवाह किया था - और यह उस समय किया था जब मध्यम-वर्गीय परिवारों में प्रेम विवाह करना सामान्य बात नहीं होती थी। एक ही बेटी थी उनकी और उसकी परवरिश में उन्होंने कोई कमी नहीं छोड़ी थी। मध्यम-वर्गीय परिवार की ही तरह उनकी इच्छा थी कि रूचि अपने जीवन में, अपने कैरियर में कोई बड़ा मुक़ाम हासिल करे। पढ़ाई लिखाई में उसकी मेधा को देख कर उन दोनों को बहुत सुकून होता। लेकिन पिछले कुछ समय से उसके व्यवहार में बदलाव देखना महसूस किया था उन्होंने - नहीं, वो अभी भी अपने दायित्व से विमुख नहीं हुई थी... बस उसके सामाजिक व्यवहार में महती बदलाव आ गया था। जिस लड़की की गिन चुन कर दो ही सहेलियाँ थीं, उसकी अचानक से ही किसी लड़के से दोस्ती हो जाए तो माँ बाप को संशय होता ही है।

कम्बाइंड स्टडीज़ का कह कर रूचि घर से जाती थी, तो उसकी मम्मी को घबराहट होती रहती। जवान होते बच्चे... कब उनके कदम फिसल जाएँ, कह नहीं सकते। लेकिन उन्होंने उसको रोका नहीं। रोकते भी कैसे? जब से वो अजय के यहाँ आने लगी तब से रूचि का खुद का परफॉरमेंस पहले से अच्छा हो गया था। हाँ - वो कभी कभी सेकंड आती थी लेकिन उसके नंबर पहले से बेहतर रहते। और उन समयों में अजय ही फर्स्ट आता। मतलब साफ़ था - अजय भी एक मेधावी लड़का था और दोनों का साथ होना एक अच्छी घटना थी। अगर उसके कारण उनकी बेटी थोड़ा कम अंतर्मुखी हो रही है, तो अच्छी बात थी। जीवन में केवल पढ़ाई लिखाई ही सब कुछ नहीं होता। सामाजिक स्तर पर भी व्यक्ति को सक्रीय होना पड़ता है। धीरे धीरे अजय और रूचि को ले कर उनकी चिंता कम होने लगी।

फिर अभी रूचि ने बताया कि अजय की माँ ने उसको पूजा पर आमंत्रित किया था।

यह एक अलग तरह की घटना थी। रूचि की माँ ने उस बाबत रूचि से अजय और उसके परिवार के बारे में बहुत से प्रश्न किया जिससे वो अजय की माँ की ‘असली’ मंशा भाँप सकें। रूचि ने भी पूरी ईमानदारी से अपनी मम्मी के हर प्रश्न का उत्तर दिया। जहाँ रूचि की माँ के मन से अनेकों शंकाएँ दूर हो गईं, वहीं उनके मन में एक और शंका कन्फर्म भी हो गई - वो समझ गईं कि उनकी बेटी को अजय से प्यार हो गया है। इस बोध के साथ साथ एक और शंका उनके मन में आ गई - वो यह की शायद अजय के माँ बाप भी उनकी रूचि को पसंद करते हैं। यह एक अनोखा बोध था उनके लिए। जिस रूचि को वो अभी तक नन्ही बच्ची समझती रही थीं, वो बड़ी हो गई थी। माँ बाप के लिए अपने बच्चों को बड़ा हुआ मानना एक कठिन कार्य है, जो बहुत ही कम माँ बाप कर पाते हैं... स्वीकार पाते हैं।

फिर दो दिन पहले उनको अजय की माँ का फ़ोन आया।

अजय की माँ ने अपना परिचय देते हुए उन सभी को... सपरिवार... पूजा और तत्पश्चात भोजन के लिए आमंत्रित किया। इस तरह के निमंत्रण के बाद किसी शंका के शेष रहने का कोई स्थान नहीं था। वैसे यह एक अच्छी बात थी। यह एक अवसर भी था अजय और उसके परिवार से मिलने का। प्यार होना कोई गलत बात नहीं है। अगर अजय अच्छा लड़का है - जो कि लगता है वो है - और उसका परिवार भी अच्छा है, तो भविष्य में उन दोनों का ब्याह क्यों नहीं हो सकता? उन्होंने यही सब बातें अपने पति को भी बताईं, और वो भी सहमत थे। लेकिन वो चाहते थे कि उनकी बेटी गृहस्थी के झमेले में फिलहाल न पड़े। वो पढ़े, आगे बढ़े... कम से कम ग्रेजुएशन कर ले, जिससे वो अपने खुद के पैरों पर खड़ी हो सके और अपने हस्बैंड के ऊपर निर्भर न रहे। पाठकों को समझना चाहिए कि ये बातें एक मिडिल-क्लास वैल्यू सिस्टम का अभिन्न अंग हैं। हम मध्यम-वर्गीय लोग, रोज़ी रोटी के जुगाड़ के अलावा अधिक कुछ सोच नहीं पाते। जो लोग धन्ना सेठ होते हैं, वो अलग सोचते हैं। ख़ैर, उनके लिए अजय और उसके माँ बाप कैसे हैं, यह जानना ज़रूरी था।

अजय के घर को बाहर से ही देखने से पता चल रहा था कि उनकी अपेक्षा बहुत संपन्न लोग हैं ये! और घर के अंदर आ कर वो बात भी सच साबित हो गई। घर के भीतर उनके वैभव और समृद्धि का अच्छा प्रदर्शन था - अच्छा... भद्दा नहीं। सब कुछ बहुत सुरुचिपूर्ण तरीके से रखा और सजाया गया था। सागौन और शीशम के फर्नीचर, सुरुचिपूर्ण पर्दे, महँगी लाइटें, कालीनें, ताम्बे और चाँदी की प्लेटों पर उकेरे हुए भित्तिचित्र, बहुत सी पुरानी और विख्यात पेंटिंग्स... ऐसे ही अनेकों चिह्न जो इस परिवार की धनाढ्यता को प्रदर्शित करते हैं। मध्यमवर्गीय परिवार चाहे कितना भी कह ले, या कोशिश कर ले, लेकिन धन, ऐश्वर्य और वैभव को देख कर वो चकाचौंध हो ही जाता है। और हो भी क्यों न? आख़िर उसी ऐश्वर्य और वैभव को पाने की लालसा और अभिलाषा में वो अपना पूरा जीवन बिता देता है। एक बात थी लेकिन जो रूचि के माँ बाप को बहुत भली लगी - वो यह कि इतने ऐश्वर्य और वैभव के बाद भी वहाँ उसका भद्दा प्रदर्शन नहीं था। अन्यथा जिनके पास नया नया पैसा आया होता है, वो उनके सर चढ़ जाता है। लेकिन यह परिवार वैसा नहीं था... सरलता थी यहाँ।

जिस तरह से अजय की माँ रूचि से मिलीं, उससे रूचि को ले कर उनकी मंशा भी प्रदर्शित हो रही थी। रूचि के माँ बाप दोनों समझ गए कि अजय की माँ मन ही मन में रूचि को अपने बहू के रूप में चाहती हैं। अशोक जी भी बड़ी आत्मीयता से उन दोनों से मिले। दोनों ही हवन को ले कर बहुत व्यस्त थे, लेकिन फिर भी उन्होंने रूचि के माता पिता को समुचित समय दिया और उनका स्वागत किया - वो मुख्य-अतिथि जो ठहरे! दोनों को नाश्ता ऑफर किया गया, लेकिन उन्होंने कहा कि पूजा के बाद ही वो सभी साथ में भोजन करेंगे। जैसी सादगी घर की साज सज्जा में दिख रही थी, वही सादगी अशोक जी और किरण जी के व्यवहार में भी दिख रही थी। अचानक से ही उनको अपनी रूचि को इस घर की बहू के रूप में देखना एक अच्छा विचार लगने लगा। अब जो भी था, अजय से मिल कर देख समझ लेने का था।

हवन और पूजा पाठ में ऐसा कुछ उल्लेखनीय कार्य नहीं होता जिसको यहाँ कहानी में लिखा जाए। बस यह कहना उचित होगा कि बंदोबस्त बढ़िया था। हवन का बंदोबस्त हाँलाकि जल्दी में किया गया था, फिर भी सब कुछ बढ़िया से हो गया। सुरुचिपूर्ण भोजन था, जिसको घर में ही पकाया गया था। खाने की टेबल पर रूचि के माँ बाप अजय के करीब बैठे, और रूचि अजय के माँ बाप के करीब। सभी ने आत्मीय बातचीत करते हुए स्वादिष्ट भोजन का आनंद उठाया। खाने के बाद रूचि के माँ बाप और अजय के माँ बाप आपस में बातें करने में मशगूल हो गए, तो रूचि और अजय, वहाँ से उठ कर अजय के कमरे में चले गए।
Bahut hi shaandar update diya hai avsji bhai....
Nice and lovely update....
 

parkas

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अपडेट 37


कमरे में पहुँचते ही रूचि ने अजय से कहा,

“अजय,”

“हम्म?”

“डू यू लाइक मी?” रूचि ने बड़ी कोमलता से पूछा।

किसी व्यक्ति की मानसिक उम्र चाहे कुछ भी हो, ऐसे प्रश्नों पर अचकचा जाना लाज़मी ही है। अजय कोई अपवाद नहीं था।

“क्या?” वो बोला, “क्या कहा तुमने?”

“डू यू लाइक मी?” रूचि ने अपना प्रश्न दोहरा दिया - लेकिन इस बार उसके चेहरे पर एक तरह का आत्मविश्वास दिख रहा था, और उसकी आँखों में एक नन्ही सी चमक!

“हाँ,” अजय ने एक क्षण रुक कर कहा, “बहोत!”

रूचि अच्छी तो लगती थी। तो उस बात को स्वीकार करने में क्या ख़राबी?

“यू श्योर?”

हाँ - अजय रूचि को पसंद तो करता ही था। अच्छी लड़की है वो... बुद्धिमति, सुन्दर, ग्रेसफुल! रूचि उसको पसंद थी। लेकिन हाल ही में माँ और पापा के उकसाने के बाद से रूचि को पसंद करने के उसके नज़रिए में थोड़ा अंतर आ गया था।

“हाँ... क्या हो गया रूचि? ऐसे क्यों पूछ रही हो?” अंततः अजय ने ठहरते हुए पूछा, “आई लाइक यू वैरी मच! तुम बहुत अच्छी लड़की हो... मुझको बहुत पसंद हो!”

“दोस्त के जैसे?”

“दोस्त के जैसे भी...” अजय ने कहा, लेकिन अपनी बात को उसने पूरा नहीं किया।

यह अच्छी बात रही। हाँ, दोस्त के जैसे भी... लेकिन दोस्त से अलग भी।

रूचि ने कुछ कहा नहीं... लेकिन वो दो तीन कदम चल कर अजय के पास आ कर खड़ी हो गई, और झिझकते हुए उसने अजय का एक हाथ थाम लिया। दोनों ही के लिए यह एक अप्रत्याशित सी बात थी। ऐसा नहीं था कि दोनों एक दूसरे को छूते नहीं थे। बहुत छूते थे... लेकिन यह अलग बात थी। छूना और हाथ थामने ने अंतर था। रूचि की छुवन में अलग ही आत्मीयता थी।

दोनों ही कुछ पल चुप रहे। अंत में अजय ने ही चुप्पी तोड़ी,

“रूचि... क्या हुआ? सब ठीक है?”

रूचि नर्वस हो कर मुस्कुराई, फिर झिझकते हुए उसने अजय का हाथ अपने कुर्ते के ऊपर ही अपने एक स्तन पर रख दिया।

रूचि की इस हरकत से दोनों को ही जैसे बिजली का एक झटका सा लगा हो। दोनों ही चौंक गए - रूचि अपने स्तन पर पहली बार किसी पुरुष का स्पर्श पा कर, और अजय इतने वर्षों बाद अपनी हथेली में एक युवा स्तन का स्पर्श पा कर! रूचि का शरीर छरहरा था और उसके अनुपात में अपनी उम्र के हिसाब के सामान्य स्तन से छोटे स्तन होने के बाद भी वो उसके शरीर पर उन्नत दिखते थे। उसके स्तन को स्पर्श कर के अजय को उसके ठोस होने का भी अनुभव हुआ।

“रू...चि...” अजय ने अविश्वास भरे स्वर में कहा।

लेकिन उसने अपना हाथ उसके स्तन से हटाया नहीं। रूचि ने किसी उम्मीद में ही यह काम किया रहा होगा - लिहाज़ा उसके स्तन से हाथ हटाना उसके लिए एक अपमानजनक कार्य होता।

“अजय,” रूचि ने फुसफुसाते हुए कहा, “तुम भी मुझे पसंद हो... केवल एक दोस्त के जैसे ही नहीं...” वो एक क्षण को झिझकी, “आई लाइक यू...”

“ओह रूचि...” कह कर अजय ने रूचि को अपने आलिंगन में भर के उसके होंठों को चूम लिया।

रूचि को आशा थी कि अजय ऐसा कुछ करेगा। आज के सभी अनुभव रूचि के लिए अनोखे साबित होने वाले थे। किसी से अपने प्रेम का इज़हार करना... किसी का स्पर्श अपने शरीर पर महसूस करना... किसी का चुम्बन अपने होंठों पर महसूस करना... सब कुछ पहली बार हो रहा था। सब कुछ अनोखा! सबसे अच्छी बात यह थी कि अजय ने उसका प्रेम स्वीकार लिया था।

एक बार चूम कर मन नहीं भरता। इसलिए दोनों फिर से, और फिर से, और फिर से एक दूसरे को चूमते रहे। पहले तो रूचि थोड़ा तनाव महसूस कर रही थी, लेकिन फिर वो संयत हो कर इस नए अनुभव का आनंद लेने लगी।

बार बार चूमने के कारण उसको हँसी आ गई। अजय को भी।

अंत में जब दोनों के बीच चुम्बनों का आदान प्रदान रुका, तो अजय बोला, “बहुत पसंद हो तुम मुझे रूचि,”

वो मुस्कुराई, “अगर मैं न कहती, तो तुम मुझसे कभी ये कहते?”

“हाँ... शायद...”

रूचि की मुस्कराहट लगभग हँसी में बदल गई, “झूठे,”

अजय ने मुस्कुराते हुए वापस अपने दोनों हथेलियों में उसके दोनों स्तनों को थाम लिया, और थोड़ा दबाया।

“ब्यूटीफुल...” उसके मुँह से निकल ही गया।

“बिना देखे?” रूचि ने उसको छेड़ते हुए कहा।

अजय मुस्कुराया, “देखने का मन तो है...”

“अच्छा जी?”

“हाँ! और आज से नहीं... कई दिनों से!” अजय ने उसके स्तनों को थोड़ा दबाते हुए अपनी तरफ़ से पासा फेंका।

“अच्छा...” रूचि ने उसको छेड़ते हुए कहा, “तो अपनी दोस्त के बारे में ऐसा ऐसा सोचते हो तुम?”

“दोस्त इतनी पसंद भी तो है,”

“हा हा हा...” वो हँसने लगी, “मौका मिल रहा है तो चौका मार रहे हो!”

अजय ने हँसते हुए रूचि को फिर से चूमा।

“तो देख लो... जल्दी से!”

“सच में रूचि? आर यू सीरियस?” अजय को यकीन ही नहीं हुआ कि रूचि कुछ ऐसा कह देगी।

“हाँ! मैं तुमको टीज़ नहीं करना चाहती अजय।” रूचि ने समझदारी से कहा, “हम दोनों साथ में पढ़ते हैं... ऐसे में हमारे बीच को अननेसेसरी टेंशन हो जाने से हमारी पढ़ाई का नुक़सान होगा।”

“टेंशन क्यों होगा? हम एक दूसरे को पसंद करते हैं न!”

“हाँ, लेकिन तुम्हारा मन होता है न... मुझे ‘वैसा’ देखने के लिए?”

उसकी बात पर अजय को हँसी आ गई, लेकिन उसने अपनी हँसी को दबा लिया।

“अजय, मैं तुम्हारे साथ किसी तरह के एंटीसिपेशन में नहीं रहना चाहती! ... तुम मुझको बहुत दिनों से पसंद हो, इसलिए मैं तुमसे अपने मन की बात साफ़ साफ़ कह देना चाहती थी।”

“वाओ रूचि! यू आर अमेज़िंग!”

“आई नो,” रूचि ने कहा और फिर अधीरता से बोली, “अच्छा... डू यू वांट टू डू इट, ऑर आई डू इट?”

“ऑफ़ कोर्स आई वांट टू डू इट,” अजय ने कहा।

लेकिन फिर उसको लगा कि शायद रूचि ने कुछ और पूछा है।

उसने आगे पूछा, “क्या?”

“रिमूव माय क्लोथ्स, यू डूफस!” रूचि ने हँसते हुए, लेकिन धीमे से कहा।

“मे आई?”

रूचि ने हल्के से मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया।

आश्चर्य की बात थी कि अजय जैसा अनुभवी ‘आदमी’ भी इस समय नर्वस था। कोई छः - साढ़े छः साल हो गए थे ऐसा कुछ किए! जब से रागिनी के साथ उसके रिलेशनशिप का सत्यानाश हुआ था, तब से उसको किसी अन्य लड़की का संग पाने की प्रेरणा ही नहीं आई थी। लेकिन अब अचानक से ही रूचि जैसी लड़की उसके जीवन में आ गई थी। क्या किस्मत थी!

अजय ने हाथ बढ़ा कर रूचि के कुर्ते के बटन खोलने शुरू कर दिए। कुछ क्षणों की बात थी, लेकिन उसको ऐसा लग रहा था कि जैसे कई मिनट बीत गए। अंततः रूचि के कुर्ते के सारे बटन खुल गए। रूचि के अपने दोनों हाथ ऊपर उठा दिए। इतना इशारा काफी था। अजय ने उसके कुर्ते का निचला सिरा पकड़ कर उसके कुर्ते को उसके शरीर से अलग कर दिया। उसने एक साधारण सी, सफ़ेद रंग की ब्रा पहनी हुई थी। उसको उस रूप में देख कर अजय का लिंग एक क्षण के दसवें हिस्से में कठोर हो कर खड़ा हो गया। लेकिन रूचि को वो बात फिलहाल पता नहीं चली।

उसने अजय की आँखों में देखा... उसकी आँखें रूचि के ब्रा में छुपे हुए स्तनों पर ही केंद्रित थीं। अनायास ही उसके होंठो पर एक सरल सी मुस्कान आ गई। वो कुछ और नहीं कर रहा था, इसलिए रूचि उसके सामने मुड़ गई - जिससे उसकी पीठ अजय के सामने आ जाए। यह इशारा भी अजय समझ गया। उसने उसकी ब्रा का क्लास्प खोल दिया। अब ब्रा उतरने के लिए तैयार थी। रूचि ने इस बार अजय के पहल करने का इंतज़ार नहीं किया और खुद ही अपनी ब्रा उतार कर उसके सामने हो गई।
Bahut hi badhiya update diya hai avsji bhai....
Nice and beautiful update....
 

avsji

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रूचि और अजय , दोनो ने आखिरकार एक दूसरे के प्रति अपनी पसंद जाहिर कर दी । उन्होने न सिर्फ पसंद जाहिर करी बल्कि एक साथ कुछ अंतरंग पल भी साझा करी ।
यह सब एक तरफ से ठीक तो है लेकिन मुझे इन सब मे स्वाभाविकता की कुछ कमी लग रही है ।
पहला संशय पसंद को लेकर है । पसंद और प्रेम मे बहुत बड़ा फर्क होता है और हमारे राइटर साहब यह नही जानते होंगे , यह हो ही नही सकता ।
पसंद और प्रेम पर बहुत सारी बातें की जा सकती है । मै सिर्फ चंद बातों का ही जिक्र कर रहा हूं ।
लोगों की पसंद अक्सर बदलती रहती है । जिस तरह से फेशन हमेशा बदलते रहने का नाम है , उसी तरह पसंद भी बदलने का दूसरा रूप है । यह सतही होता है । इसमे गहराई नही होती ।
बुद्ध ने कहा था , अगर एक बगीचे मे फुल है और आप उस फुल को पसंद करते है तो उसे आप तोड़कर अपने पास रख लेंगे , लेकिन अगर आप फुल को प्यार करते है तो उसका ख्याल रखेंगे और उसको रोज पानी डालेंगे ।
बुद्ध की इस संदेश को अमिताभ बच्चन साहब ने भी सोशल साइट्स मे पोस्ट किया था ।

दूसरा संशय रूचि के अंतरंग पल स्थापित करने को लेकर हुआ । अचानक से अपनी पसंद का इजहार करना और उसी दौरान अपने चोली की बटन भी खोल देना ! यही नही इन्होने अपने पैंट के नाड़े भी ढ़िला कर दिए !
" धीरे धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय । "
ये दोनो बुलेट ट्रेन से भी तेज निकले । यह प्रेम नही हो सकता । यह फिल्मी मोहब्बत है । यह जवानी का नशा है ।
अब अजय साहब को एक बार अपने फेवरेट शिक्षिका महोदया का भी इम्तिहान लेना चाहिए , इश्क का इम्तिहान ।

खुबसूरत अपडेट अमर भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।

संजू भाई, उस उम्र में प्रेम हो सकता है... लेकिन बहुत संभव है कि उसको जता पाना न आता हो लड़का / लड़की को!
मुझे रूचि के नहीं, बल्कि अजय के व्यवहार पर आपत्ति है। ... लेकिन वो भी तो अनेकों सालों से भरा पड़ा है न।
ऐसे में उसने मौके पर चौका मार दिया। :)
 

dhparikh

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रूचि सिहर गई!

‘बाप रे!’ रूचि ने सोचा, ‘ऐसा भी कोई करता है क्या!’

“अ...जय...” उसने प्रत्यक्षतः किसी तरह कहा।

“डरो नहीं रूचि! मैं कुछ ऐसा वैसा नहीं करूँगा...”

हाँ... इतना विश्वास तो था ही रूचि को अजय पर!

रूचि ने हथियार डाल दिए।

आप हर बात कण्ट्रोल नहीं कर सकते। अजय को अपने स्तन दिखाना... महसूस करवाना उसके स्वयं के नियंत्रण में था। लेकिन उसके बाद अजय का क्या हाल होगा, उस दृश्य का उस पर क्या प्रभाव होगा, वो उसको नग्न देख कर क्या क्या करेगा, रूचि उन बातों को कण्ट्रोल नहीं कर सकती थी। वो यह बात समझती थी। लेकिन वो चाहती थी कि यह सब ‘तनावपूर्ण’ बातें उन दोनों के सिस्टम से निकल जाए, और वो दोनों आगे सामान्य से हो कर, घनिष्ठ मित्रों... नहीं, प्रेमियों की तरह रह सकें!

ख़ैर...

अजय ने उसके योनि मुख को थोड़ा सा खोला... क्या देखा उसने, केवल वो ही बता सकता है। लेकिन फिर उसने अंत में उसकी योनि के मुख को चूमा और फिर मुस्कुराते हुए उठ बैठा।

“रूचि?” उसने कहा।

“हम्म?”

“कितनी छोटी सी है ये यार...!”

“क्या?”

“तुम्हारी...” अजय ‘चूत’ शब्द बोलना चाहता था, लेकिन वो ठहर गया।

रूचि एक संभ्रांत परिवार की लड़की थी, और शायद ऐसे शब्द सुन कर वो बुरा मान जाए! गाली गलौज वाली भाषा शायद ही कोई लड़की पसंद करती हो, ख़ास कर ऐसे अंतरंग और रोमांटिक माहौल के समय!

उसने दो तीन पल सोचा और कहा, “... तुम्हारी छोटी बहन!”

उसकी बात सुन कर रूचि बिना आवाज़ के हँसने लगी, और उसकी हँसी के साथ उसके स्तन बड़े ही क्यूट तरीके से हिलने लगे। उसके साथ ही अजय का दिल भी! लेकिन किसी तरह उसने स्वयं पर नियंत्रण किया।

“और क्या! देखो न... कितनी छोटू सी है! ‘ये’ इसके अंदर जा ही नहीं पाएगा...”

“क्या?” रूचि ने पूछा, “क्या नहीं जा पायेगा?”

“ये!” कह कर अजय घुटनों के बल हो कर बैठ गया।

उसने कब अपनी पैन्ट्स की ज़िप खोल कर अपने लिंग को बाहर निकाल लिया था, रूचि को पता नहीं चला था। लेकिन इस समय उसके सामने अजय का स्तंभित लिंग प्रदर्शित था... केवल लिंग। रूचि को उस दिन की बात याद आ गई, जब उसने अजय को हस्त-मैथुन करते देख लिया था।

रूचि ने देखा - हाँ, यह एक स्वस्थ और मज़बूत लिंग लग रहा था! उत्सुकतावश उसने अजय का लिंग पकड़ा - कठोर... लेकिन मुलायम भी! तना हुआ, लेकिन उसकी त्वचा में एक ढीलापन भी! और... गर्म! कैसा विरोधाभास लिया हुआ अंग है ये! और उसकी मोटाई उसकी अपनी कलाई से भी अधिक! एक स्वस्थ और मज़बूत अंग! उसको इस अंग का क्या और कैसे इस्तेमाल होता है, अच्छे से पता था। लेकिन,

“इसको मेरे अंदर क्यों जाना है?” उसने भोलेपन से पूछा।

“आज नहीं,” अजय ने समझाते हुए कहा, “लेकिन जब हमारी शादी होगी, तब तो जायेगा न?”

“क्यों?” रूचि ने उसको छेड़ते हुए कहा, “हम्म? हम्म?”

“अरे! हस्बैंड वाइफ करते हैं न सेक्स...”

“अच्छा जी! तो आपको मेरे साथ सेक्स भी करना है!” रूचि ने उसको छेड़ा, “उंगली क्या पकड़ाई, आपको अब तो कलाई भी पकड़नी है! क्यों? हम्म?”

“कलाई नहीं,” अजय ने शिष्टता से कहा, “तुम्हारा हाथ थामने का इरादा है! उम्र भर के लिए!”

सुन कर रूचि के दिल को संतोष हो आया।

बालपन भोला होता है। अनावश्यक बातों के लिए उसमें समय नहीं होता। सामाजिक जटिलताओं की समझ नहीं होती और न ही उनकी आवश्यकता ही होती है। इसीलिए कहते हैं, कि बचपन की मोहब्बत सरल और सच्ची होती है।

“थामोगे हाथ मेरा?”

“हाँ... हमेशा के लिए।” अजय बोला।

“तुम मुझसे शादी भी करोगे?”

“हाँ! और नहीं तो कैसे? ... तभी तो हमारे बेबीज़ होंगे!” अजय ने उम्मीद भरे अंदाज़ में कहा, “मुझसे बेबीज़ करोगी न?”

अजय ने जान-बूझ कर ऐसी बात करी कि उन दोनों के बीच उम्र का भोलापन बना रहे।

रूचि उसकी इस बात पर मुस्कुरा दी,

“अज्जू... मैंने अभी तक इस बारे में कुछ सोचा नहीं!” उसने कहा, “कुछ दिनों पहले तक तो बेबीज़ के पापा का ही पता नहीं था मुझको,”

कह कर वो हँसने लगी। अजय भी उसके साथ ही हँसने लगा।

“तो वो सर्च ख़तम हुई?”

“हाँ,” रूचि इस बात पर शर्मा गई, “... लगता तो है!”

“गुड!” अजय संतुष्ट हो कर बोला, “तुम माँ को और पापा को बहुत पसंद हो!”

“सच में?”

अजय ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“अज्जू...” रूचि ने बड़े प्यार से पूछा, “तुमको चाहिए बेबीज़?”

उसको अपने अजन्मे बच्चे की याद हो आई, जिसको रागिनी ने गिरा दिया था। दिल में एक टीस सी उठ गई।

“हाँ...” उसने सामान्य आवाज़ रखते हुए कहा, “किसका मन नहीं होता पापा बनने का?”

वो मुस्कुराई, “अच्छा! कितने?”

“तीन चार...”

“चार! बाप रे,”

“और क्या! इतना बड़ा घर है... खूब सारे बच्चे होंगे तो अच्छा लगेगा न... चहल पहल बनी रहेगी,”

अजय की इस बात पर रूचि ने अपनी उँगलियाँ अजय के बालों में उलझा दीं, और बड़े प्यार से बोली, “हो जाता है सब।”

“क्या?” अजय समझ नहीं पाया कि रूचि ने यह किस बात पर कहा।

“तुम्हारा ‘ये’...” रूचि ने जिस हाथ में अजय का लिंग पकड़ा हुआ था, उसको लिंग पर पकड़े हुए ही हिलाया, “छोटा भाई... मेरी छोटी बहन में आ जाएगा, जब ज़रुरत होगी,”

“तुमको कैसे पता?”

“मम्मी ने बताया था...”

उसके इस रहस्योद्घाटन पर अजय ने उत्सुकतापूर्वक अपनी त्यौरी चढ़ाई।

रूचि बोलती रही, “एक दिन मैंने उनको बताया कि मैंने इसमें अपनी फोरफिंगर डालने की कोशिश करी... लेकिन वो मुश्किल से अंदर जा पा रही थी! ... तो उन्होंने मुझे सेक्स के बारे में समझाया... और यह भी समझाया कि हस्बैंड वाइफ को चाहिए कि वो एक दूसरे को खूब प्यार करें... तब सब हो जाता है।”

“सच में?” अजय ने खुश होते हुए कहा।

रूचि ने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“नाइस...” कह कर अजय ने अपने लिंग को रूचि की योनि के होंठों से सटा दिया।

“क्या कर रहे हो?” रूचि ने चिहुँकते हुए कहा।

“मेरा छोटा भाई, तुम्हारी छोटी बहन को पप्पी ले रहा है,”

अंतरंग क्षणों में ऐसी हँसोड़ बातें!

“अज्जू... तुम बहुत भोलू हो!” रूचि को उसकी बात पर हँसी आ गई।

एक दूसरे के सामने नग्न हो कर ऐसे हँसी मज़ाक करना... अब उसके लिए अजय के सामने नग्न होना कोई ऐसी बड़ी... तनाव वाली बात नहीं रह गई थी। अच्छा हुआ कि यह उनके सिस्टम से बाहर निकल गया। अजय अब उसके बराबर आ कर लेट गया और उसने वापस अपने होठों को उसके चूचक पर रख दिया... और धीरे-धीरे, बड़े प्यार से, उसके स्तनों के अदृश्य रस को फिर से चूसने लगा।

“अज्जू बेटे,” अचानक ही नीचे से माँ की आवाज़ आई।

वो चौंक कर रूचि के सीने से अलग हुआ।

“हाँ माँ?” उसने ऊँची आवाज़ में उत्तर दिया।

“बेटे नीचे आओ! भाई साहब और बहन जी जाने वाले हैं!”

“ठीक है माँ,” उसने अनिच्छा से कहा, “बस पाँच से दस मिनट में आते हैं माँ!”

कह कर अजय ने रूचि को अपने आलिंगन में खींचा, और उसके होंठों पर अपने होठों को रख कर उसे अपने आगोश में भर लिया। आज उनके बीच की दूरी मिट चुकी थी, और वे बस एक-दूसरे के एहसास में डूब चुके थे।

“तुम मेरे लिए कितनी खास हो रूचि… शायद मैं तुमको समझा न पाऊँ,” अजय ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा।

रूचि ने हल्की मुस्कान के साथ उसकी आँखों को अपने होठों से छुआ और धीरे से उसकी बाहों में समा गई,

“तुम भी अज्जू...” वो बोली, “तुम भी मेरे लिए सबसे ख़ास हो! सबसे स्पेशल!”

फिर कुछ पलों बाद रूचि ने उसको याद दिलाया कि उन दोनों को नीचे बुलाया जा रहा है।

बड़ी अनिच्छा से दोनों अलग हुए। अजय उठ कर रूचि के कपड़े उठा लाया। उसी दौरान उसने उसके अधोवस्त्रों से उसके शरीर की माप को समझ लिया। रूचि ने भी देखा कि वो बड़ी चालाकी से उसकी ब्रा और पैंटी के लेबल को पढ़ रहा है, लेकिन उसने कुछ कहा नहीं। बस मुस्कुरा कर रह गई। अपनी प्रेमिका के बारे में इस तरह की अंतरंग उत्सुकता रखने में कोई बुराई नहीं है... पापा भी तो माँ के बारे में सब जानते हैं! वो भी उनकी ब्रा पैंटीज़ खरीदते ही हैं। तो अगर अजय भी उसके बारे में जानता है, तो कोई बुराई नहीं।

बाहर निकलने से पहले अजय ने कहा, “रूचि, थैंक यू! आज मैं बहुत खुश हूँ!”

“मैं भी,”

“हम आगे भी प्यार करेंगे...” उसने जब ये कहा तो रूचि कुछ कहने को हुई... लेकिन उसकी बात काट कर अजय ने तेजी से कहा, “लेकिन आई प्रॉमिस, कि हमारी पढ़ाई लिखाई, और ऍप्लिकेशन्स पर कोई बुरा इफ़ेक्ट नहीं आएगा!”

वो संतोषपूर्वक मुस्कुराई, “पक्का?”

अजय ने ‘हाँ’ में सर हिलाते हुए कहा, “हमको साथ में आगे बढ़ना है न!”

रूचि मुस्कुराई, और अजय के होंठों को चूम कर बोली, “हाँ!”

थोड़ी देर में रूचि वापस तैयार हो गई और दोनों बाहर आ गए।

अजय का कमरा अब भी उसी मद्धम रौशनी में डूबा हुआ था... वहाँ की हवा में दोनों के प्यार के एहसास की महक घुल गई थी।

**
Nice update....
 

parkas

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रूचि के स्तन बड़े नहीं थे - बस उसके शरीर के हिसाब से बड़े थे। रूचि का शरीर छरहरा था... वो देखने में अपनी उम्र से छोटी भी लगती थी। उसके चूचक सामान्य आकार के थे... मटर के दानों जितनी। उसके एरोला उसके स्तनों के कोई एक तिहाई आकार के थे, और उनका रंग उसके चूचकों के रंग से अपेक्षाकृत हल्का था। युवा शरीर होने के कारण उसके स्तनों पर गुरुत्व का प्रभाव नगण्य था। कमरे में दिन की रौशनी परदे से छन कर अंदर आ रही थी और उस कारण से रौशनी की चमक थोड़ी मद्धम हो गई थी। वही रौशनी रूचि पूरे शरीर पर भी पड़ रही थी, जिससे उसका सौंदर्य और भी निखर उठा था। बहुत सुन्दर लग रही थी रूचि! अजय उसको अवाक् हो कर बस देखे ही जा रहा था।

“कैसे हैं?” रूचि ने पूछा - यह अच्छी तरह जानते हुए भी कि उसके स्तन अजय को कैसे लगे होंगे।

“ब्यूटी...फुलेस्ट...” अजय बस इतना ही कह पाया।

रूचि खिलखिला कर हँस दी।

अजय ने फिर से अपनी हथेलियों में रूचि के स्तनों को भर लिया।

“तुम बहुत सुन्दर हो रूचि!” अजय ने धीमे स्वर में कहा।

रूचि शरमा गई और हल्की मुस्कान के साथ उसने अपना चेहरा अजय के सीने में छुपा लिया। उसकी गर्म साँसों को अजय अपने सीने पर महसूस कर पा रहा था।

“आई वांट टू किस देम...” अजय ने कहा।

रूचि ने ‘हाँ’ में सर हिलाया और थोड़ा पीछे हट गई। अजय उसके एक स्तन के पास आ गया। उसकी साँसों की गर्माहट रूचि को अपने स्तन पर महसूस हो रही थी। जो होने वाला था, उसका सोच कर रूचि के चूचकों में कड़ापन आ गया था। फिर अजय ने प्यार से उसके स्तन को चूमा, फिर उसने उसके चूचक पर अपने होंठ रख दिए। ये इतने संवेदनशील अंग होते हैं कि स्त्री हो या पुरुष - किसी को भी इनको छुए जाने से एक सनसनी सी... या गुदगुदी सी ज़रूर महसूस होगी! रूचि तो ख़ैर एक युवा लड़की थी! उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। अजय के स्पर्श में एक अनकही चाहत थी... जिसके कारण अब वो भी एक अलग ही तरह के रोमांटिक और कामुक उन्माद का आनंद महसूस कर रही थी। और जब अजय ने उसके चूचक को चूसा, तब रूचि की साँसें अस्थिर हो गईं।

समय जैसे ठहर सा गया।

यह वो अनुभव था, जिसकी उसने केवल कल्पना ही करी थी। और जब वो मूर्त रूप से उसके सामने प्रस्तुत हुआ, तो रूचि ने समझा कि ये वैसा अनुभव नहीं था जिसकी वो कल्पना कर रही थी... बल्कि उससे बहुत ही भिन्न अनुभव था। कल्पनातीत! वो समझती थी कि जब अजय उसके चूचक को चूसेगा, तो उसको बहुत आनंद मिलेगा - लेकिन वो इस तरह का - एक्स्टैटिक आनंद होगा, उसको अंदाज़ा नहीं था!

दोनों कुछ बोल नहीं रहे थे।

अजय तो स्तनपान में मगन था और रूचि उसकी हरकतों से उठने वाली मीठी कामुक तरंगों के आनंद में मगन थी! कमरे में नीचे से चारों लोगों की बातचीत और हँसने की धीमी आवाज़ें यहाँ सुनाई दे रही थीं।

कुछ देर तक अजय बारी बारी से उसके दोनों स्तनों को पीता रहा। उसने ध्यान नहीं दिया, लेकिन इतनी देर तक कामुक रूप से उकसाने से रूचि को रति-निष्पत्ति हो गई। अजय ने महसूस किया कि एक समय रूचि का शरीर कुछ अधिक ही तड़प और ऐंठ रहा था, लेकिन उसने यह सोच कर नज़रअंदाज़ कर दिया कि शायद उसको कुछ अधिक ही गुदगुदी महसूस हो रही हो। रूचि को रति-निष्पत्ति हो गई थी... और ये तब था जब अजय ने उसको नीचे छुवा तक भी नहीं! उस बात को सोच कर रूचि के शरीर में सिहरन दौड़ गई... उसके रौंगटे खड़े हो गए!

अजय ने इस बीच उसकी शलवार का नाड़ा खोल दिया था और चूँकि शलवार का कपड़ा चिकना सा था, वो अपने आप ज़मीन पर ढेर हो गया।

अब जा कर रूचि का नियंत्रण वापस आया।

“सब आज ही कर लोगे?” उसने अनियंत्रित और फुसफुसाहट भरी आवाज़ में पूछा।

“नहीं... बस देखना है!” अजय ने उसकी पैंटी सरकाते हुए कहा, “... आगे टेंशन नहीं चाहिए!”

“गंदे हो तुम...” रूचि की आवाज़ काँप रही थी।

लेकिन उसको अजय के आश्वासन से राहत मिली। अजय उसकी उम्मीदों पर पूरी तरह खरा उतर रहा था। उसको उम्मीद थी कि जब वो उससे अपने प्यार का इज़हार करेगी, तो अजय उसको स्वीकार कर लेगा। उसको उम्मीद थी कि अजय उसके अंतरंग होने की पहल से बुरा नहीं मानेगा और उसके साथ ही खेल में शामिल हो जाएगा। उसको यह भी उम्मीद थी कि वो रूचि की दी हुई छूट का नाजायज़ फायदा नहीं उठाएगा और उसका सम्मान करेगा... लेकिन वो यह भी चाहती थी कि अजय अपनी तरफ़ से भी पहल करे और उसको वैसे अनुभव दे, जिनसे वो अभी तक अनभिज्ञ थी। फिलहाल वो सब कुछ हो रहा था।

आज सुबह जब वो उठी थी, तब उसने अपने मन में कुछ निर्णय ज़रूर लिए थे। अजय से अपने प्रेम का इज़हार, उसको अपने मन की बात बताना उस प्लान में शामिल था। लेकिन यह सब ऐसा होगा, उसको पता नहीं था। थोड़ा संशय तो था कि उसके मम्मी पापा कैसा व्यवहार करेंगे! लड़की के माँ बाप होना एक बहुत बड़ा भार होता है, जो लोग अपने सर लिए फिरते हैं। लेकिन यहाँ आ कर अपने मम्मी पापा के चेहरे पर संतोष और गर्व के भाव पढ़ कर वो भी संयत हो गई। वो जान गई कि उनको अजय और उसकी फैमिली बहुत पसंद आई है।

कुछ ही देर में अजय, पूर्ण रूप से नग्न रूचि को अपनी बाहों में उठाए अपने बिस्तर की तरफ़ ले जा रहा था, और उसके गले में अपनी बाहें डाले रूचि प्यार से उसको देख रही थी। अजय ने उसको सम्हाल कर बिस्तर पर लिटा दिया और कुछ देर यूँ ही निहारता रहा। उसको ऐसे अपनी तरफ देखते देख कर रूचि शर्म की लाली से रंग गई।

“क्या?” रूचि से रहा नहीं गया।

अजय उत्तर में केवल मुस्कुराया।

“बोलो न... नहीं तो मुझे बहुत शरम आएगी,”

“बहुत सुन्दर...” अजय इतना ही कह पाया, “बहुत सुन्दर हो तुम रूचि!”

‘बढ़िया!’ रूचि ने अजय के मुँह से अपने सौंदर्य की बढ़ाई सुन कर अपने मन में सोचा।

उधर अजय रूचि के पैरों के सामने की तरफ़ बैठा और उसकी जाँघों को खोल कर उसकी योनि का जायज़ा लेने लगा। अनायास ही उसको रागिनी की याद हो आई। अब तो उसके बारे में कुछ भी ठीक से कहा नहीं जा सकता। जिस तरह की चालू लड़की थी वो, ज़रूर ही उसके कई यार रहे होंगे! वो तो अजय ही मूर्ख था जो केवल उसकी सुंदरता को उसका गुण मान बैठा। उसने अपने मन से रागिनी को बाहर झटका! उसके मुकाबले रूचि की योनि कच्ची थी। हाँलाकि वो कानूनन बालिग़ हो गई थी, लेकिन अभी भी लड़की जैसा ही शरीर था उसका। प्रकृति मनुष्य के बनाये नियमों को नहीं मानती। वो ऐसा नहीं करती कि अट्ठारह साल से एक दिन पहले कोई बच्चा हो, और उसके ठीक एक दिन बाद वयस्क हो जाए! यह बोझ मनुष्य का है।

जब उसने रागिनी को पहली बार नग्न देखा, तो उसने अपनी योनि की वैक्सिंग कराई हुई थी... इसलिए उसकी योनि पूरी तरह से चिकनी थी। लेकिन रूचि ने वैसा कुछ नहीं किया था... लिहाज़ा उसकी योनि पर बाल थे। लेकिन रूचि की योनि पर जो बाल थे, वो कोमल थे... और विरल थे। उनको छूने पर कड़ापन नहीं, बल्कि मुलायम रोंयें सा एहसास हो रहा था। उसकी योनि के होंठ मुलायम, लेकिन भरे हुए थे। दोनों होंठ आपस में सटे हुए थे और एक सीधी, ऊर्ध्व लकीर का निर्माण कर रहे थे।

रागिनी के साथ अपने अनुभवों के अनुसार वो समझता था कि कोई भी लड़की अपनी योनि को प्यार किया जाना पसंद करती है। तो उसने रूचि की योनि को चूम लिया।
Bahut jo shaandar update diya hai @
अपडेट 38


रूचि के स्तन बड़े नहीं थे - बस उसके शरीर के हिसाब से बड़े थे। रूचि का शरीर छरहरा था... वो देखने में अपनी उम्र से छोटी भी लगती थी। उसके चूचक सामान्य आकार के थे... मटर के दानों जितनी। उसके एरोला उसके स्तनों के कोई एक तिहाई आकार के थे, और उनका रंग उसके चूचकों के रंग से अपेक्षाकृत हल्का था। युवा शरीर होने के कारण उसके स्तनों पर गुरुत्व का प्रभाव नगण्य था। कमरे में दिन की रौशनी परदे से छन कर अंदर आ रही थी और उस कारण से रौशनी की चमक थोड़ी मद्धम हो गई थी। वही रौशनी रूचि पूरे शरीर पर भी पड़ रही थी, जिससे उसका सौंदर्य और भी निखर उठा था। बहुत सुन्दर लग रही थी रूचि! अजय उसको अवाक् हो कर बस देखे ही जा रहा था।

“कैसे हैं?” रूचि ने पूछा - यह अच्छी तरह जानते हुए भी कि उसके स्तन अजय को कैसे लगे होंगे।

“ब्यूटी...फुलेस्ट...” अजय बस इतना ही कह पाया।

रूचि खिलखिला कर हँस दी।

अजय ने फिर से अपनी हथेलियों में रूचि के स्तनों को भर लिया।

“तुम बहुत सुन्दर हो रूचि!” अजय ने धीमे स्वर में कहा।

रूचि शरमा गई और हल्की मुस्कान के साथ उसने अपना चेहरा अजय के सीने में छुपा लिया। उसकी गर्म साँसों को अजय अपने सीने पर महसूस कर पा रहा था।

“आई वांट टू किस देम...” अजय ने कहा।

रूचि ने ‘हाँ’ में सर हिलाया और थोड़ा पीछे हट गई। अजय उसके एक स्तन के पास आ गया। उसकी साँसों की गर्माहट रूचि को अपने स्तन पर महसूस हो रही थी। जो होने वाला था, उसका सोच कर रूचि के चूचकों में कड़ापन आ गया था। फिर अजय ने प्यार से उसके स्तन को चूमा, फिर उसने उसके चूचक पर अपने होंठ रख दिए। ये इतने संवेदनशील अंग होते हैं कि स्त्री हो या पुरुष - किसी को भी इनको छुए जाने से एक सनसनी सी... या गुदगुदी सी ज़रूर महसूस होगी! रूचि तो ख़ैर एक युवा लड़की थी! उसके दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं। अजय के स्पर्श में एक अनकही चाहत थी... जिसके कारण अब वो भी एक अलग ही तरह के रोमांटिक और कामुक उन्माद का आनंद महसूस कर रही थी। और जब अजय ने उसके चूचक को चूसा, तब रूचि की साँसें अस्थिर हो गईं।

समय जैसे ठहर सा गया।

यह वो अनुभव था, जिसकी उसने केवल कल्पना ही करी थी। और जब वो मूर्त रूप से उसके सामने प्रस्तुत हुआ, तो रूचि ने समझा कि ये वैसा अनुभव नहीं था जिसकी वो कल्पना कर रही थी... बल्कि उससे बहुत ही भिन्न अनुभव था। कल्पनातीत! वो समझती थी कि जब अजय उसके चूचक को चूसेगा, तो उसको बहुत आनंद मिलेगा - लेकिन वो इस तरह का - एक्स्टैटिक आनंद होगा, उसको अंदाज़ा नहीं था!

दोनों कुछ बोल नहीं रहे थे।

अजय तो स्तनपान में मगन था और रूचि उसकी हरकतों से उठने वाली मीठी कामुक तरंगों के आनंद में मगन थी! कमरे में नीचे से चारों लोगों की बातचीत और हँसने की धीमी आवाज़ें यहाँ सुनाई दे रही थीं।

कुछ देर तक अजय बारी बारी से उसके दोनों स्तनों को पीता रहा। उसने ध्यान नहीं दिया, लेकिन इतनी देर तक कामुक रूप से उकसाने से रूचि को रति-निष्पत्ति हो गई। अजय ने महसूस किया कि एक समय रूचि का शरीर कुछ अधिक ही तड़प और ऐंठ रहा था, लेकिन उसने यह सोच कर नज़रअंदाज़ कर दिया कि शायद उसको कुछ अधिक ही गुदगुदी महसूस हो रही हो। रूचि को रति-निष्पत्ति हो गई थी... और ये तब था जब अजय ने उसको नीचे छुवा तक भी नहीं! उस बात को सोच कर रूचि के शरीर में सिहरन दौड़ गई... उसके रौंगटे खड़े हो गए!

अजय ने इस बीच उसकी शलवार का नाड़ा खोल दिया था और चूँकि शलवार का कपड़ा चिकना सा था, वो अपने आप ज़मीन पर ढेर हो गया।

अब जा कर रूचि का नियंत्रण वापस आया।

“सब आज ही कर लोगे?” उसने अनियंत्रित और फुसफुसाहट भरी आवाज़ में पूछा।

“नहीं... बस देखना है!” अजय ने उसकी पैंटी सरकाते हुए कहा, “... आगे टेंशन नहीं चाहिए!”

“गंदे हो तुम...” रूचि की आवाज़ काँप रही थी।

लेकिन उसको अजय के आश्वासन से राहत मिली। अजय उसकी उम्मीदों पर पूरी तरह खरा उतर रहा था। उसको उम्मीद थी कि जब वो उससे अपने प्यार का इज़हार करेगी, तो अजय उसको स्वीकार कर लेगा। उसको उम्मीद थी कि अजय उसके अंतरंग होने की पहल से बुरा नहीं मानेगा और उसके साथ ही खेल में शामिल हो जाएगा। उसको यह भी उम्मीद थी कि वो रूचि की दी हुई छूट का नाजायज़ फायदा नहीं उठाएगा और उसका सम्मान करेगा... लेकिन वो यह भी चाहती थी कि अजय अपनी तरफ़ से भी पहल करे और उसको वैसे अनुभव दे, जिनसे वो अभी तक अनभिज्ञ थी। फिलहाल वो सब कुछ हो रहा था।

आज सुबह जब वो उठी थी, तब उसने अपने मन में कुछ निर्णय ज़रूर लिए थे। अजय से अपने प्रेम का इज़हार, उसको अपने मन की बात बताना उस प्लान में शामिल था। लेकिन यह सब ऐसा होगा, उसको पता नहीं था। थोड़ा संशय तो था कि उसके मम्मी पापा कैसा व्यवहार करेंगे! लड़की के माँ बाप होना एक बहुत बड़ा भार होता है, जो लोग अपने सर लिए फिरते हैं। लेकिन यहाँ आ कर अपने मम्मी पापा के चेहरे पर संतोष और गर्व के भाव पढ़ कर वो भी संयत हो गई। वो जान गई कि उनको अजय और उसकी फैमिली बहुत पसंद आई है।

कुछ ही देर में अजय, पूर्ण रूप से नग्न रूचि को अपनी बाहों में उठाए अपने बिस्तर की तरफ़ ले जा रहा था, और उसके गले में अपनी बाहें डाले रूचि प्यार से उसको देख रही थी। अजय ने उसको सम्हाल कर बिस्तर पर लिटा दिया और कुछ देर यूँ ही निहारता रहा। उसको ऐसे अपनी तरफ देखते देख कर रूचि शर्म की लाली से रंग गई।

“क्या?” रूचि से रहा नहीं गया।

अजय उत्तर में केवल मुस्कुराया।

“बोलो न... नहीं तो मुझे बहुत शरम आएगी,”

“बहुत सुन्दर...” अजय इतना ही कह पाया, “बहुत सुन्दर हो तुम रूचि!”

‘बढ़िया!’ रूचि ने अजय के मुँह से अपने सौंदर्य की बढ़ाई सुन कर अपने मन में सोचा।

उधर अजय रूचि के पैरों के सामने की तरफ़ बैठा और उसकी जाँघों को खोल कर उसकी योनि का जायज़ा लेने लगा। अनायास ही उसको रागिनी की याद हो आई। अब तो उसके बारे में कुछ भी ठीक से कहा नहीं जा सकता। जिस तरह की चालू लड़की थी वो, ज़रूर ही उसके कई यार रहे होंगे! वो तो अजय ही मूर्ख था जो केवल उसकी सुंदरता को उसका गुण मान बैठा। उसने अपने मन से रागिनी को बाहर झटका! उसके मुकाबले रूचि की योनि कच्ची थी। हाँलाकि वो कानूनन बालिग़ हो गई थी, लेकिन अभी भी लड़की जैसा ही शरीर था उसका। प्रकृति मनुष्य के बनाये नियमों को नहीं मानती। वो ऐसा नहीं करती कि अट्ठारह साल से एक दिन पहले कोई बच्चा हो, और उसके ठीक एक दिन बाद वयस्क हो जाए! यह बोझ मनुष्य का है।

जब उसने रागिनी को पहली बार नग्न देखा, तो उसने अपनी योनि की वैक्सिंग कराई हुई थी... इसलिए उसकी योनि पूरी तरह से चिकनी थी। लेकिन रूचि ने वैसा कुछ नहीं किया था... लिहाज़ा उसकी योनि पर बाल थे। लेकिन रूचि की योनि पर जो बाल थे, वो कोमल थे... और विरल थे। उनको छूने पर कड़ापन नहीं, बल्कि मुलायम रोंयें सा एहसास हो रहा था। उसकी योनि के होंठ मुलायम, लेकिन भरे हुए थे। दोनों होंठ आपस में सटे हुए थे और एक सीधी, ऊर्ध्व लकीर का निर्माण कर रहे थे।

रागिनी के साथ अपने अनुभवों के अनुसार वो समझता था कि कोई भी लड़की अपनी योनि को प्यार किया जाना पसंद करती है। तो उसने रूचि की योनि को चूम लिया।
Bahut hi shaandar update diya hai avsji bhai....
Nice and lovely update....
 

parkas

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रूचि सिहर गई!

‘बाप रे!’ रूचि ने सोचा, ‘ऐसा भी कोई करता है क्या!’

“अ...जय...” उसने प्रत्यक्षतः किसी तरह कहा।

“डरो नहीं रूचि! मैं कुछ ऐसा वैसा नहीं करूँगा...”

हाँ... इतना विश्वास तो था ही रूचि को अजय पर!

रूचि ने हथियार डाल दिए।

आप हर बात कण्ट्रोल नहीं कर सकते। अजय को अपने स्तन दिखाना... महसूस करवाना उसके स्वयं के नियंत्रण में था। लेकिन उसके बाद अजय का क्या हाल होगा, उस दृश्य का उस पर क्या प्रभाव होगा, वो उसको नग्न देख कर क्या क्या करेगा, रूचि उन बातों को कण्ट्रोल नहीं कर सकती थी। वो यह बात समझती थी। लेकिन वो चाहती थी कि यह सब ‘तनावपूर्ण’ बातें उन दोनों के सिस्टम से निकल जाए, और वो दोनों आगे सामान्य से हो कर, घनिष्ठ मित्रों... नहीं, प्रेमियों की तरह रह सकें!

ख़ैर...

अजय ने उसके योनि मुख को थोड़ा सा खोला... क्या देखा उसने, केवल वो ही बता सकता है। लेकिन फिर उसने अंत में उसकी योनि के मुख को चूमा और फिर मुस्कुराते हुए उठ बैठा।

“रूचि?” उसने कहा।

“हम्म?”

“कितनी छोटी सी है ये यार...!”

“क्या?”

“तुम्हारी...” अजय ‘चूत’ शब्द बोलना चाहता था, लेकिन वो ठहर गया।

रूचि एक संभ्रांत परिवार की लड़की थी, और शायद ऐसे शब्द सुन कर वो बुरा मान जाए! गाली गलौज वाली भाषा शायद ही कोई लड़की पसंद करती हो, ख़ास कर ऐसे अंतरंग और रोमांटिक माहौल के समय!

उसने दो तीन पल सोचा और कहा, “... तुम्हारी छोटी बहन!”

उसकी बात सुन कर रूचि बिना आवाज़ के हँसने लगी, और उसकी हँसी के साथ उसके स्तन बड़े ही क्यूट तरीके से हिलने लगे। उसके साथ ही अजय का दिल भी! लेकिन किसी तरह उसने स्वयं पर नियंत्रण किया।

“और क्या! देखो न... कितनी छोटू सी है! ‘ये’ इसके अंदर जा ही नहीं पाएगा...”

“क्या?” रूचि ने पूछा, “क्या नहीं जा पायेगा?”

“ये!” कह कर अजय घुटनों के बल हो कर बैठ गया।

उसने कब अपनी पैन्ट्स की ज़िप खोल कर अपने लिंग को बाहर निकाल लिया था, रूचि को पता नहीं चला था। लेकिन इस समय उसके सामने अजय का स्तंभित लिंग प्रदर्शित था... केवल लिंग। रूचि को उस दिन की बात याद आ गई, जब उसने अजय को हस्त-मैथुन करते देख लिया था।

रूचि ने देखा - हाँ, यह एक स्वस्थ और मज़बूत लिंग लग रहा था! उत्सुकतावश उसने अजय का लिंग पकड़ा - कठोर... लेकिन मुलायम भी! तना हुआ, लेकिन उसकी त्वचा में एक ढीलापन भी! और... गर्म! कैसा विरोधाभास लिया हुआ अंग है ये! और उसकी मोटाई उसकी अपनी कलाई से भी अधिक! एक स्वस्थ और मज़बूत अंग! उसको इस अंग का क्या और कैसे इस्तेमाल होता है, अच्छे से पता था। लेकिन,

“इसको मेरे अंदर क्यों जाना है?” उसने भोलेपन से पूछा।

“आज नहीं,” अजय ने समझाते हुए कहा, “लेकिन जब हमारी शादी होगी, तब तो जायेगा न?”

“क्यों?” रूचि ने उसको छेड़ते हुए कहा, “हम्म? हम्म?”

“अरे! हस्बैंड वाइफ करते हैं न सेक्स...”

“अच्छा जी! तो आपको मेरे साथ सेक्स भी करना है!” रूचि ने उसको छेड़ा, “उंगली क्या पकड़ाई, आपको अब तो कलाई भी पकड़नी है! क्यों? हम्म?”

“कलाई नहीं,” अजय ने शिष्टता से कहा, “तुम्हारा हाथ थामने का इरादा है! उम्र भर के लिए!”

सुन कर रूचि के दिल को संतोष हो आया।

बालपन भोला होता है। अनावश्यक बातों के लिए उसमें समय नहीं होता। सामाजिक जटिलताओं की समझ नहीं होती और न ही उनकी आवश्यकता ही होती है। इसीलिए कहते हैं, कि बचपन की मोहब्बत सरल और सच्ची होती है।

“थामोगे हाथ मेरा?”

“हाँ... हमेशा के लिए।” अजय बोला।

“तुम मुझसे शादी भी करोगे?”

“हाँ! और नहीं तो कैसे? ... तभी तो हमारे बेबीज़ होंगे!” अजय ने उम्मीद भरे अंदाज़ में कहा, “मुझसे बेबीज़ करोगी न?”

अजय ने जान-बूझ कर ऐसी बात करी कि उन दोनों के बीच उम्र का भोलापन बना रहे।

रूचि उसकी इस बात पर मुस्कुरा दी,

“अज्जू... मैंने अभी तक इस बारे में कुछ सोचा नहीं!” उसने कहा, “कुछ दिनों पहले तक तो बेबीज़ के पापा का ही पता नहीं था मुझको,”

कह कर वो हँसने लगी। अजय भी उसके साथ ही हँसने लगा।

“तो वो सर्च ख़तम हुई?”

“हाँ,” रूचि इस बात पर शर्मा गई, “... लगता तो है!”

“गुड!” अजय संतुष्ट हो कर बोला, “तुम माँ को और पापा को बहुत पसंद हो!”

“सच में?”

अजय ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“अज्जू...” रूचि ने बड़े प्यार से पूछा, “तुमको चाहिए बेबीज़?”

उसको अपने अजन्मे बच्चे की याद हो आई, जिसको रागिनी ने गिरा दिया था। दिल में एक टीस सी उठ गई।

“हाँ...” उसने सामान्य आवाज़ रखते हुए कहा, “किसका मन नहीं होता पापा बनने का?”

वो मुस्कुराई, “अच्छा! कितने?”

“तीन चार...”

“चार! बाप रे,”

“और क्या! इतना बड़ा घर है... खूब सारे बच्चे होंगे तो अच्छा लगेगा न... चहल पहल बनी रहेगी,”

अजय की इस बात पर रूचि ने अपनी उँगलियाँ अजय के बालों में उलझा दीं, और बड़े प्यार से बोली, “हो जाता है सब।”

“क्या?” अजय समझ नहीं पाया कि रूचि ने यह किस बात पर कहा।

“तुम्हारा ‘ये’...” रूचि ने जिस हाथ में अजय का लिंग पकड़ा हुआ था, उसको लिंग पर पकड़े हुए ही हिलाया, “छोटा भाई... मेरी छोटी बहन में आ जाएगा, जब ज़रुरत होगी,”

“तुमको कैसे पता?”

“मम्मी ने बताया था...”

उसके इस रहस्योद्घाटन पर अजय ने उत्सुकतापूर्वक अपनी त्यौरी चढ़ाई।

रूचि बोलती रही, “एक दिन मैंने उनको बताया कि मैंने इसमें अपनी फोरफिंगर डालने की कोशिश करी... लेकिन वो मुश्किल से अंदर जा पा रही थी! ... तो उन्होंने मुझे सेक्स के बारे में समझाया... और यह भी समझाया कि हस्बैंड वाइफ को चाहिए कि वो एक दूसरे को खूब प्यार करें... तब सब हो जाता है।”

“सच में?” अजय ने खुश होते हुए कहा।

रूचि ने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“नाइस...” कह कर अजय ने अपने लिंग को रूचि की योनि के होंठों से सटा दिया।

“क्या कर रहे हो?” रूचि ने चिहुँकते हुए कहा।

“मेरा छोटा भाई, तुम्हारी छोटी बहन को पप्पी ले रहा है,”

अंतरंग क्षणों में ऐसी हँसोड़ बातें!

“अज्जू... तुम बहुत भोलू हो!” रूचि को उसकी बात पर हँसी आ गई।

एक दूसरे के सामने नग्न हो कर ऐसे हँसी मज़ाक करना... अब उसके लिए अजय के सामने नग्न होना कोई ऐसी बड़ी... तनाव वाली बात नहीं रह गई थी। अच्छा हुआ कि यह उनके सिस्टम से बाहर निकल गया। अजय अब उसके बराबर आ कर लेट गया और उसने वापस अपने होठों को उसके चूचक पर रख दिया... और धीरे-धीरे, बड़े प्यार से, उसके स्तनों के अदृश्य रस को फिर से चूसने लगा।

“अज्जू बेटे,” अचानक ही नीचे से माँ की आवाज़ आई।

वो चौंक कर रूचि के सीने से अलग हुआ।

“हाँ माँ?” उसने ऊँची आवाज़ में उत्तर दिया।

“बेटे नीचे आओ! भाई साहब और बहन जी जाने वाले हैं!”

“ठीक है माँ,” उसने अनिच्छा से कहा, “बस पाँच से दस मिनट में आते हैं माँ!”

कह कर अजय ने रूचि को अपने आलिंगन में खींचा, और उसके होंठों पर अपने होठों को रख कर उसे अपने आगोश में भर लिया। आज उनके बीच की दूरी मिट चुकी थी, और वे बस एक-दूसरे के एहसास में डूब चुके थे।

“तुम मेरे लिए कितनी खास हो रूचि… शायद मैं तुमको समझा न पाऊँ,” अजय ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा।

रूचि ने हल्की मुस्कान के साथ उसकी आँखों को अपने होठों से छुआ और धीरे से उसकी बाहों में समा गई,

“तुम भी अज्जू...” वो बोली, “तुम भी मेरे लिए सबसे ख़ास हो! सबसे स्पेशल!”

फिर कुछ पलों बाद रूचि ने उसको याद दिलाया कि उन दोनों को नीचे बुलाया जा रहा है।

बड़ी अनिच्छा से दोनों अलग हुए। अजय उठ कर रूचि के कपड़े उठा लाया। उसी दौरान उसने उसके अधोवस्त्रों से उसके शरीर की माप को समझ लिया। रूचि ने भी देखा कि वो बड़ी चालाकी से उसकी ब्रा और पैंटी के लेबल को पढ़ रहा है, लेकिन उसने कुछ कहा नहीं। बस मुस्कुरा कर रह गई। अपनी प्रेमिका के बारे में इस तरह की अंतरंग उत्सुकता रखने में कोई बुराई नहीं है... पापा भी तो माँ के बारे में सब जानते हैं! वो भी उनकी ब्रा पैंटीज़ खरीदते ही हैं। तो अगर अजय भी उसके बारे में जानता है, तो कोई बुराई नहीं।

बाहर निकलने से पहले अजय ने कहा, “रूचि, थैंक यू! आज मैं बहुत खुश हूँ!”

“मैं भी,”

“हम आगे भी प्यार करेंगे...” उसने जब ये कहा तो रूचि कुछ कहने को हुई... लेकिन उसकी बात काट कर अजय ने तेजी से कहा, “लेकिन आई प्रॉमिस, कि हमारी पढ़ाई लिखाई, और ऍप्लिकेशन्स पर कोई बुरा इफ़ेक्ट नहीं आएगा!”

वो संतोषपूर्वक मुस्कुराई, “पक्का?”

अजय ने ‘हाँ’ में सर हिलाते हुए कहा, “हमको साथ में आगे बढ़ना है न!”

रूचि मुस्कुराई, और अजय के होंठों को चूम कर बोली, “हाँ!”

थोड़ी देर में रूचि वापस तैयार हो गई और दोनों बाहर आ गए।

अजय का कमरा अब भी उसी मद्धम रौशनी में डूबा हुआ था... वहाँ की हवा में दोनों के प्यार के एहसास की महक घुल गई थी।

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Bahut hi badhiya update diya hai avsji bhai....
Nice and beautiful update....
 

kamdev99008

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रूचि और अजय , दोनो ने आखिरकार एक दूसरे के प्रति अपनी पसंद जाहिर कर दी । उन्होने न सिर्फ पसंद जाहिर करी बल्कि एक साथ कुछ अंतरंग पल भी साझा करी ।
यह सब एक तरफ से ठीक तो है लेकिन मुझे इन सब मे स्वाभाविकता की कुछ कमी लग रही है ।
पहला संशय पसंद को लेकर है । पसंद और प्रेम मे बहुत बड़ा फर्क होता है और हमारे राइटर साहब यह नही जानते होंगे , यह हो ही नही सकता ।
पसंद और प्रेम पर बहुत सारी बातें की जा सकती है । मै सिर्फ चंद बातों का ही जिक्र कर रहा हूं ।
लोगों की पसंद अक्सर बदलती रहती है । जिस तरह से फेशन हमेशा बदलते रहने का नाम है , उसी तरह पसंद भी बदलने का दूसरा रूप है । यह सतही होता है । इसमे गहराई नही होती ।
बुद्ध ने कहा था , अगर एक बगीचे मे फुल है और आप उस फुल को पसंद करते है तो उसे आप तोड़कर अपने पास रख लेंगे , लेकिन अगर आप फुल को प्यार करते है तो उसका ख्याल रखेंगे और उसको रोज पानी डालेंगे ।
बुद्ध की इस संदेश को अमिताभ बच्चन साहब ने भी सोशल साइट्स मे पोस्ट किया था ।

दूसरा संशय रूचि के अंतरंग पल स्थापित करने को लेकर हुआ । अचानक से अपनी पसंद का इजहार करना और उसी दौरान अपने चोली की बटन भी खोल देना ! यही नही इन्होने अपने पैंट के नाड़े भी ढ़िला कर दिए !
" धीरे धीरे रे मना , धीरे सब कुछ होय । "
ये दोनो बुलेट ट्रेन से भी तेज निकले । यह प्रेम नही हो सकता । यह फिल्मी मोहब्बत है । यह जवानी का नशा है ।
अब अजय साहब को एक बार अपने फेवरेट शिक्षिका महोदया का भी इम्तिहान लेना चाहिए , इश्क का इम्तिहान ।

खुबसूरत अपडेट अमर भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग अपडेट ।
संजू भाई आप 50-55 की उम्र में 17-18 साल की लड़की की भावनाओं का छिद्रान्वेषण कर रहे हैं....
बाज आ जाओ :D भाभी जी को रौद्र रूप धारण करने पर मजबूर मत करो
बच्चों को आनन्द लेने दो बाली उमर के प्यार का.....हमने आपने भी लिया था

संजू भाई, उस उम्र में प्रेम हो सकता है... लेकिन बहुत संभव है कि उसको जता पाना न आता हो लड़का / लड़की को!
मुझे रूचि के नहीं, बल्कि अजय के व्यवहार पर आपत्ति है। ... लेकिन वो भी तो अनेकों सालों से भरा पड़ा है न।
ऐसे में उसने मौके पर चौका मार दिया। :)
आपने सही कहा बन्धु....
बल्कि मैं तो समझता हूं कि इस उम्र ही वास्तविक प्रेम होता है नि:स्वार्थ समर्पण वाला

परिपक्व प्रेम तो लाभ-हानि के स्वार्थ को तौलने लगता है
 

Ajju Landwalia

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रूचि सिहर गई!

‘बाप रे!’ रूचि ने सोचा, ‘ऐसा भी कोई करता है क्या!’

“अ...जय...” उसने प्रत्यक्षतः किसी तरह कहा।

“डरो नहीं रूचि! मैं कुछ ऐसा वैसा नहीं करूँगा...”

हाँ... इतना विश्वास तो था ही रूचि को अजय पर!

रूचि ने हथियार डाल दिए।

आप हर बात कण्ट्रोल नहीं कर सकते। अजय को अपने स्तन दिखाना... महसूस करवाना उसके स्वयं के नियंत्रण में था। लेकिन उसके बाद अजय का क्या हाल होगा, उस दृश्य का उस पर क्या प्रभाव होगा, वो उसको नग्न देख कर क्या क्या करेगा, रूचि उन बातों को कण्ट्रोल नहीं कर सकती थी। वो यह बात समझती थी। लेकिन वो चाहती थी कि यह सब ‘तनावपूर्ण’ बातें उन दोनों के सिस्टम से निकल जाए, और वो दोनों आगे सामान्य से हो कर, घनिष्ठ मित्रों... नहीं, प्रेमियों की तरह रह सकें!

ख़ैर...

अजय ने उसके योनि मुख को थोड़ा सा खोला... क्या देखा उसने, केवल वो ही बता सकता है। लेकिन फिर उसने अंत में उसकी योनि के मुख को चूमा और फिर मुस्कुराते हुए उठ बैठा।

“रूचि?” उसने कहा।

“हम्म?”

“कितनी छोटी सी है ये यार...!”

“क्या?”

“तुम्हारी...” अजय ‘चूत’ शब्द बोलना चाहता था, लेकिन वो ठहर गया।

रूचि एक संभ्रांत परिवार की लड़की थी, और शायद ऐसे शब्द सुन कर वो बुरा मान जाए! गाली गलौज वाली भाषा शायद ही कोई लड़की पसंद करती हो, ख़ास कर ऐसे अंतरंग और रोमांटिक माहौल के समय!

उसने दो तीन पल सोचा और कहा, “... तुम्हारी छोटी बहन!”

उसकी बात सुन कर रूचि बिना आवाज़ के हँसने लगी, और उसकी हँसी के साथ उसके स्तन बड़े ही क्यूट तरीके से हिलने लगे। उसके साथ ही अजय का दिल भी! लेकिन किसी तरह उसने स्वयं पर नियंत्रण किया।

“और क्या! देखो न... कितनी छोटू सी है! ‘ये’ इसके अंदर जा ही नहीं पाएगा...”

“क्या?” रूचि ने पूछा, “क्या नहीं जा पायेगा?”

“ये!” कह कर अजय घुटनों के बल हो कर बैठ गया।

उसने कब अपनी पैन्ट्स की ज़िप खोल कर अपने लिंग को बाहर निकाल लिया था, रूचि को पता नहीं चला था। लेकिन इस समय उसके सामने अजय का स्तंभित लिंग प्रदर्शित था... केवल लिंग। रूचि को उस दिन की बात याद आ गई, जब उसने अजय को हस्त-मैथुन करते देख लिया था।

रूचि ने देखा - हाँ, यह एक स्वस्थ और मज़बूत लिंग लग रहा था! उत्सुकतावश उसने अजय का लिंग पकड़ा - कठोर... लेकिन मुलायम भी! तना हुआ, लेकिन उसकी त्वचा में एक ढीलापन भी! और... गर्म! कैसा विरोधाभास लिया हुआ अंग है ये! और उसकी मोटाई उसकी अपनी कलाई से भी अधिक! एक स्वस्थ और मज़बूत अंग! उसको इस अंग का क्या और कैसे इस्तेमाल होता है, अच्छे से पता था। लेकिन,

“इसको मेरे अंदर क्यों जाना है?” उसने भोलेपन से पूछा।

“आज नहीं,” अजय ने समझाते हुए कहा, “लेकिन जब हमारी शादी होगी, तब तो जायेगा न?”

“क्यों?” रूचि ने उसको छेड़ते हुए कहा, “हम्म? हम्म?”

“अरे! हस्बैंड वाइफ करते हैं न सेक्स...”

“अच्छा जी! तो आपको मेरे साथ सेक्स भी करना है!” रूचि ने उसको छेड़ा, “उंगली क्या पकड़ाई, आपको अब तो कलाई भी पकड़नी है! क्यों? हम्म?”

“कलाई नहीं,” अजय ने शिष्टता से कहा, “तुम्हारा हाथ थामने का इरादा है! उम्र भर के लिए!”

सुन कर रूचि के दिल को संतोष हो आया।

बालपन भोला होता है। अनावश्यक बातों के लिए उसमें समय नहीं होता। सामाजिक जटिलताओं की समझ नहीं होती और न ही उनकी आवश्यकता ही होती है। इसीलिए कहते हैं, कि बचपन की मोहब्बत सरल और सच्ची होती है।

“थामोगे हाथ मेरा?”

“हाँ... हमेशा के लिए।” अजय बोला।

“तुम मुझसे शादी भी करोगे?”

“हाँ! और नहीं तो कैसे? ... तभी तो हमारे बेबीज़ होंगे!” अजय ने उम्मीद भरे अंदाज़ में कहा, “मुझसे बेबीज़ करोगी न?”

अजय ने जान-बूझ कर ऐसी बात करी कि उन दोनों के बीच उम्र का भोलापन बना रहे।

रूचि उसकी इस बात पर मुस्कुरा दी,

“अज्जू... मैंने अभी तक इस बारे में कुछ सोचा नहीं!” उसने कहा, “कुछ दिनों पहले तक तो बेबीज़ के पापा का ही पता नहीं था मुझको,”

कह कर वो हँसने लगी। अजय भी उसके साथ ही हँसने लगा।

“तो वो सर्च ख़तम हुई?”

“हाँ,” रूचि इस बात पर शर्मा गई, “... लगता तो है!”

“गुड!” अजय संतुष्ट हो कर बोला, “तुम माँ को और पापा को बहुत पसंद हो!”

“सच में?”

अजय ने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“अज्जू...” रूचि ने बड़े प्यार से पूछा, “तुमको चाहिए बेबीज़?”

उसको अपने अजन्मे बच्चे की याद हो आई, जिसको रागिनी ने गिरा दिया था। दिल में एक टीस सी उठ गई।

“हाँ...” उसने सामान्य आवाज़ रखते हुए कहा, “किसका मन नहीं होता पापा बनने का?”

वो मुस्कुराई, “अच्छा! कितने?”

“तीन चार...”

“चार! बाप रे,”

“और क्या! इतना बड़ा घर है... खूब सारे बच्चे होंगे तो अच्छा लगेगा न... चहल पहल बनी रहेगी,”

अजय की इस बात पर रूचि ने अपनी उँगलियाँ अजय के बालों में उलझा दीं, और बड़े प्यार से बोली, “हो जाता है सब।”

“क्या?” अजय समझ नहीं पाया कि रूचि ने यह किस बात पर कहा।

“तुम्हारा ‘ये’...” रूचि ने जिस हाथ में अजय का लिंग पकड़ा हुआ था, उसको लिंग पर पकड़े हुए ही हिलाया, “छोटा भाई... मेरी छोटी बहन में आ जाएगा, जब ज़रुरत होगी,”

“तुमको कैसे पता?”

“मम्मी ने बताया था...”

उसके इस रहस्योद्घाटन पर अजय ने उत्सुकतापूर्वक अपनी त्यौरी चढ़ाई।

रूचि बोलती रही, “एक दिन मैंने उनको बताया कि मैंने इसमें अपनी फोरफिंगर डालने की कोशिश करी... लेकिन वो मुश्किल से अंदर जा पा रही थी! ... तो उन्होंने मुझे सेक्स के बारे में समझाया... और यह भी समझाया कि हस्बैंड वाइफ को चाहिए कि वो एक दूसरे को खूब प्यार करें... तब सब हो जाता है।”

“सच में?” अजय ने खुश होते हुए कहा।

रूचि ने मुस्कुराते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया।

“नाइस...” कह कर अजय ने अपने लिंग को रूचि की योनि के होंठों से सटा दिया।

“क्या कर रहे हो?” रूचि ने चिहुँकते हुए कहा।

“मेरा छोटा भाई, तुम्हारी छोटी बहन को पप्पी ले रहा है,”

अंतरंग क्षणों में ऐसी हँसोड़ बातें!

“अज्जू... तुम बहुत भोलू हो!” रूचि को उसकी बात पर हँसी आ गई।

एक दूसरे के सामने नग्न हो कर ऐसे हँसी मज़ाक करना... अब उसके लिए अजय के सामने नग्न होना कोई ऐसी बड़ी... तनाव वाली बात नहीं रह गई थी। अच्छा हुआ कि यह उनके सिस्टम से बाहर निकल गया। अजय अब उसके बराबर आ कर लेट गया और उसने वापस अपने होठों को उसके चूचक पर रख दिया... और धीरे-धीरे, बड़े प्यार से, उसके स्तनों के अदृश्य रस को फिर से चूसने लगा।

“अज्जू बेटे,” अचानक ही नीचे से माँ की आवाज़ आई।

वो चौंक कर रूचि के सीने से अलग हुआ।

“हाँ माँ?” उसने ऊँची आवाज़ में उत्तर दिया।

“बेटे नीचे आओ! भाई साहब और बहन जी जाने वाले हैं!”

“ठीक है माँ,” उसने अनिच्छा से कहा, “बस पाँच से दस मिनट में आते हैं माँ!”

कह कर अजय ने रूचि को अपने आलिंगन में खींचा, और उसके होंठों पर अपने होठों को रख कर उसे अपने आगोश में भर लिया। आज उनके बीच की दूरी मिट चुकी थी, और वे बस एक-दूसरे के एहसास में डूब चुके थे।

“तुम मेरे लिए कितनी खास हो रूचि… शायद मैं तुमको समझा न पाऊँ,” अजय ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा।

रूचि ने हल्की मुस्कान के साथ उसकी आँखों को अपने होठों से छुआ और धीरे से उसकी बाहों में समा गई,

“तुम भी अज्जू...” वो बोली, “तुम भी मेरे लिए सबसे ख़ास हो! सबसे स्पेशल!”

फिर कुछ पलों बाद रूचि ने उसको याद दिलाया कि उन दोनों को नीचे बुलाया जा रहा है।

बड़ी अनिच्छा से दोनों अलग हुए। अजय उठ कर रूचि के कपड़े उठा लाया। उसी दौरान उसने उसके अधोवस्त्रों से उसके शरीर की माप को समझ लिया। रूचि ने भी देखा कि वो बड़ी चालाकी से उसकी ब्रा और पैंटी के लेबल को पढ़ रहा है, लेकिन उसने कुछ कहा नहीं। बस मुस्कुरा कर रह गई। अपनी प्रेमिका के बारे में इस तरह की अंतरंग उत्सुकता रखने में कोई बुराई नहीं है... पापा भी तो माँ के बारे में सब जानते हैं! वो भी उनकी ब्रा पैंटीज़ खरीदते ही हैं। तो अगर अजय भी उसके बारे में जानता है, तो कोई बुराई नहीं।

बाहर निकलने से पहले अजय ने कहा, “रूचि, थैंक यू! आज मैं बहुत खुश हूँ!”

“मैं भी,”

“हम आगे भी प्यार करेंगे...” उसने जब ये कहा तो रूचि कुछ कहने को हुई... लेकिन उसकी बात काट कर अजय ने तेजी से कहा, “लेकिन आई प्रॉमिस, कि हमारी पढ़ाई लिखाई, और ऍप्लिकेशन्स पर कोई बुरा इफ़ेक्ट नहीं आएगा!”

वो संतोषपूर्वक मुस्कुराई, “पक्का?”

अजय ने ‘हाँ’ में सर हिलाते हुए कहा, “हमको साथ में आगे बढ़ना है न!”

रूचि मुस्कुराई, और अजय के होंठों को चूम कर बोली, “हाँ!”

थोड़ी देर में रूचि वापस तैयार हो गई और दोनों बाहर आ गए।

अजय का कमरा अब भी उसी मद्धम रौशनी में डूबा हुआ था... वहाँ की हवा में दोनों के प्यार के एहसास की महक घुल गई थी।

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Kya gazab ki updates post ki he aapne avsji Bhai,

Ajay aur Ruchi ek dusre ko pasand to pehle se hi karte he..............

Ab inke pyar par inke gharwalo ki bhi muhar lag gayi...........

Erotica to itne sunder aur saral shabdo me likha he aapne..............

Simply awesome Bhai.............Nishabd kar diya aapne.............

Keep rocking Big Bro
 
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