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Thriller The cold night (वो सर्द रात) (completed)

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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# 23

फ्लैट से जो वस्तुएं बरामद हुईं, वह सील कर दी गयीं । खून से सना ओवरकोट, पैंट, जूते, हैट, मफलर, कमीज, यह सारा सामान सील किया गया। रोमेश का फ्लैट भी सील कर दिया गया था। सुबह तक सारे शहर में हलचल मच चुकी थी। यह समाचार चारों तरफ फैल चुका था कि एडवोकेट रोमेश सक्सेना ने जे.एन. का मर्डर कर दिया है।

मीडिया अभी भी इस खबर की अधिक-से-अधिक गहराई तलाश करने में लग गया था। रोमेश से जे.एन. की शत्रुता के कारण भी अब खुल गये थे।

मीडिया साफ-साफ ऐसे पेश करता था कि सावंत का मर्डर जे.एन. ने करवाया था। कातिल होते हुए भी रोमेश हीरो बन गया था। घटना स्थल पर पुलिस ने मृतक के पेट में धंसा चाकू, मेज पर रखी दोनों बियर की बोतलें बरामद कर लीं। माया ने बताया था कि उनमें से एक बोतल रोमेश ने पी थी। फिंगर प्रिंट वालों ने सभी जगह की उंगलियों के निशान उठा लिए थे।

“रोमेश ने जिन तीन गवाहों को पहले ही तैयार किया था, वह खबर पाते ही खुद भागे- भागे पुलिस स्टेशन पहुंच गये।“

"मुझे बचा लो साहब ! मैंने कुछ नहीं किया बस कपड़े दिये थे, मुझे क्या पता था कि वह सचमुच कत्ल कर देगा। नहीं तो मैं उसे काले कपड़ों के बजाय सफेद कपड़े देता। कम-से-कम रात को दूर से चमक तो जाता।"

''अब जो कुछ कहना, अदालत में कहना।" विजय ने कहा।

"वो तो मेरे को याद है, क्या बोलना है। मगर मैंने कुछ नहीं किया।"

"हाँ-हाँ ! तुमने कुछ नहीं किया।"

राजा और कासिम का भी यही हाल था। कासिम तो रो रहा था कि उसे पहले ही पुलिस को बता देना चाहिये था कि रोमेश, जे.एन. का कत्ल करने वाला है।

उधर रोमेश फरार था। दिन प्रति दिन जे.एन. मर्डर कांड के बारे में तरह-तरह के समाचार छप रहे थे। इन समाचारों ने रोमेश को हीरो बना दिया था।

"ऐसा लगता है वैशाली, वह दिल्ली से फ्लाइट द्वारा यहाँ पहुंच गया था।" विजय ने वैशाली को बताया,

"और यह केस मैं ही इन्वेस्टीगेट कर रहा हूँ। हालांकि इसमें इन्वस्टीगेट को कुछ रहा नहीं, बस रोमेश को गिरफ्तार करना भर रह गया है।"

"क्या सचमुच उन्होंने…?"

"हाँ, वैशाली ! उसने मुझ पर भी गोली चलाई थी।"

वैशाली केवल गहरी साँस लेकर रह गई। वह जानती थी कि विजय भी एक आदर्श पुलिस ऑफिसर है। वह कभी किसी निर्दोष को नहीं पकड़ता और अपराधी को पकड़ने के लिए वह अपनी नौकरी भी दांव पर लगा सकता है। रोमेश भी उसका आदर्श था। आदर्श है। परन्तु अब यह अजीब-सा टकराव दो आदर्शों में हो रहा था। रोमेश अब हत्यारा था और कानून उसका गिरेबान कसने को तैयार था।

वैशाली की स्थिति यह थी कि वह किसी के लिए साहस नहीं बटोर सकती थी। रोमेश की पत्नी के साथ होने वाले अत्याचारों का खुलासा भी अब समाचार पत्रों में हो चुका था। सबको जे.एन. से नफरत थी। परन्तु कानून जज्बात नहीं देखता, केवल अपराध और सबूत देखता है।
जे.एन ने क्या किया, यह कानून जानने की कौशिश नहीं करेगा। रोमेश अपराधी था, कानून सिर्फ उसे ही जानता था।

जे.एन. की मृत्यु के बाद मंत्री मंडल तक खलबली मच गई थी। परन्तु न जाने क्यो मायादास अण्डरग्राउण्ड हो गया था। शायद उसे अंदेशा था कि रोमेश उस पर भी वार कर सकता है या वह अखबार वालों के डर से छिप गया था।

बटाला भी फरार हो गया था। पुलिस को अब बटाला की भी तलाश थी। उस पर कई मामले थे। वह सारे केस उस पर विजय ने बनाये थे।

किन्तु अभी मुम्बई पुलिस का केन्द्र बिन्दु रोमेश बना हुआ था। हर जगह रोमेश की तलाश हो रही थी। विजय ने टेलीफोन रिसीव किया। वह इस समय अपनी ड्यूटी पर था।

"मैं रोमेश बोल रहा हूँ।"
दूसरी तरफ से रोमेश की आवाज सुनाई दी। आवाज पहचानते ही विजय उछल पड़ा,

"कहाँ से ?"

"रॉयल होटल से, तुम मुझे गिरफ्तार करने के लिए बहुत बेचैन हो ना। अब आ जाओ। मैं यहाँ तुम्हारा इन्तजार कर रहा हूँ।"

विजय ने एकदम टेलीफोन कट किया और रॉयल होटल की तरफ दौड़ पड़ा। बारह मिनट के भीतर वह रॉयल होटल में था।

विजय दनदनाता हुआ होटल में दाखिल हुआ, सामने ही काउन्टर था और दूसरी तरफ डायनिंग हॉल।

"यहाँ मिस्टर रोमेश कहाँ हैं ?" विजय ने काउंटर पर बैठे व्यक्ति से पूछा।

''ठहरिये।"
काउन्टर पर बैठे व्यक्ति ने कहा,

"आपका नाम इंस्पेक्टर विजय तो नहीं ? यह लिफाफा आपके नाम मिस्टर रोमेश छोड़ गये हैं, अभी दो मिनट पहले गये हैं।"

"ओह माई गॉड !" विजय ने लिफाफा थाम लिया। वह रोमेश की हस्तलिपि से वाकिफ था। उस पर लिखा था,

"मैं कोई हलवे की प्लेट नहीं हूँ, जिसे जो चाहे खाले। जरा मेहनत करके खाना सीखो। मुझे पकड़कर तो दिखाओ, इसी शहर में हूँ। कातिल कैसे छिपता है? पुलिस कैसे पकड़ती है? जरा इसका भी तो आनन्द लो रोमेश !"

विजय झल्ला कर रह गया। रोमेश शहर से फरार नहीं हुआ था, वह पुलिस से आंख-मिचौली खेल रहा था। विजय ने गहरी सांस ली और होटल से चलता बना।

सात दिन गुजर चुके थे, रोमेश गिरफ्तार नहीं हो पा रहा था। आठवें दिन भी रोमेश का फोन चर्चगेट से आया। यहाँ भी वह धता बता गया। अब स्थिति यह थी कि रोमेश रोज ही विजय को दौड़ा रहा था, दूसरे शब्दों में पुलिस को छका रहा था।


"कब तक दौड़ोगे तुम ?" विजय ने दसवें दिन फोन पर कहा,

"एक दिन तो तुम्हें कानून के हाथ आना ही पड़ेगा। कानून के हाथ बहुत लंबे होते हैं रोमेश ! उनसे आज तक कोई बच नहीं पाया।"

ग्यारहवें दिन पुलिस कमिश्नर ने विजय को तलब किया।

"जे.एन. का हत्यारा अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं हुआ ?"

"सर, वह बहुत चालाक हत्यारा है। हम उसे हर तरफ तलाश कर रहे हैं।"

"तुम पर आरोप लगाया जा रहा है कि वह तुम्हारा मित्र है। इसलिये तुम उसे गिरफ्तार करने की बजाय बचाने की कौशिश कर रहे हो।"

"ऐसा नहीं है सर ! ऐसा बिल्कुल गलत है, बेबुनियाद है।"

"लेकिन अखबार भी छापने लगे हैं यह बात।" कमिश्नर ने एक अखबार विजय के सामने रखा। विजय ने अखबार पढ़ा।

"यह अखबार वाले भी कभी-कभी बड़ी ओछी हरकत करते हैं सर ! आप यकीन मानिए, इस अखबार का रिपोर्टर मेरे थाने में कुछ कमाई करने आता रहा है। मेरे आने पर इसकी कमाई बन्द हो गई।"

"मैं यह सब नहीं सुनना चाहता। अगर तुम उसे अरेस्ट नहीं कर सकते, तो तुम यह केस छोड़ दो।"

"केस छोड़ने से बेहतर तो मैं इस्तीफा देना समझता हूँ। यकीन मानिए, मुझे एक सप्ताह की मोहलत और दीजिये। अगर मैं उसे गिरफ्तार न कर पाया, तो मैं इस्तीफा दे दूँगा।"

"ओ.के. ! तुम्हें एक सप्ताह का वक़्त और दिया जाता है।"

विजय वापिस अपनी ड्यूटी पर लौट आया। यह बात वैशाली को भी मालूम हुई।

''इतना गम्भीर होने की क्या जरूरत है ? ऐसे कहीं इस्तीफा दिया जाता है ?"

"मैं एक अपराधी को नहीं पकड़ पा रहा हूँ, तो फिर मेरा पुलिस में बने रहने का अधिकार ही क्या है ? अगर मैं यह केस छोड़ता हूँ, तब भी तो मेरा कैरियर चौपट होता है। यह मेरे लिए चैलेंजिंग मैटर है वैशाली।"

वैशाली के पास कोई तर्क नहीं था। वह विजय के आदर्श जीवन में कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहती थी और अभी तो वह विजय की मंगेतर ही तो थी, पत्नी तो नहीं !
पत्नी भी होती, तब भी वह पति की भावनाओं का आदर ही करती।


"नौकरी चली भी गई, तो क्या फर्क पड़ता है। मैं ग्रेजुएट हूँ। हट्टा-कट्टा हूँ। कोई भी काम कर सकता हूँ। तुम इस बात से निश्चिन्त रहो, मैं गृहस्थी चला लूँगा, पुलिस की नौकरी के बिना भी।"

"मैं यह कब कह रही हूँ विजय ! मेरे लिए आपका हर फैसला उचित है।"

"थैंक्यू वैशाली ! कम-से-कम तुम मेरी भावनाओं को तो समझ ही लेती हो।"

"काश ऐसी समझ सीमा भाभी में भी होती, तो यह सब क्यों होता ?"

"छोड़ो, इस टॉपिक को। रोमेश अब सिर्फ एक मुजरिम है। इसके अलावा हमारा उससे कोई रिश्ता नहीं। मैं उसे अरेस्ट कर ही लूँगा और कोर्ट में सजा करा कर ही दम लूँगा।"

विजय ने संभावित स्थानों पर ताबड़तोड़ छापे मारने शुरू किए, परन्तु रोमेश हाथ नहीं आया। अब रोमेश के फोन आने भी बन्द हो गये थे। विजय ने टेलीफोन एक्सचेंज से मिलकर ऐसी व्यवस्था की हुई थी कि रोमेश अगर एक भी फोन करता, तो पुलिस वहाँ तुरन्त पहुँच जाती। इस मामले को लेकर पूरा कंट्रोल रूम और प्रत्येक थाना उसे अच्छी तरह सहयोग कर रहा था।

शायद रोमेश को भी इस बात की भनक लग गई थी कि उसे पकड़ने के लिए जबरदस्त जाल बिछा दिया गया है। इसलिये वह खामोश हो गया था।




जारी रहेगा…....✍️✍️
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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बहुत ही शानदार मोड़ पर आ गई है कहानी... बहुत ही शानदार अपडेट भाई

बढ़िया! विजय द्वारा रोमेश का सीमा से मिलने जाने की ज़िद करना एक ट्विस्ट तो है।
इस बात को रोमेश ने नहीं सोचा रहेगा... लेकिन वो समझ रहा है कि विजय ने ऐसा क्यों किया। वो दिल्ली जाएगा या नहीं, वो देखने वाली बात होगी।
मायादास की सलाह अच्छी थी - बिना सोचे बूझे, किसी को मारा नहीं जा सकता। जे एन ने सही किया उसकी सलाह मान कर।
लेकिन, रोमेश का पूरा प्लान समझ में नहीं आया। अब तो जे एन का सस्पेंस भी ख़तम हो गया है - नहीं तो शायद डर के मारे मर जाता! क्या पता!
बढ़िया अपडेट्स थे दोनों :)

Nice update....

फिलहाल तो यही थ्योरी बनती दिख रही है कि रोमेश साहब ट्रेन सफर के दौरान दूसरे स्टाप वाले स्टेशन पर उतरे होंगे । वहां स्टेशन के पास शंकर साहब ने उनके लिए प्राइवेट चाॅपर का इन्तजाम रखा होगा । उस चाॅपर से वो वापस मायानगरी और फिर मायानगरी से माया तक का सफर किसी कार / बाइक से ।
इसके बाद वो जे एन साहब का कत्ल कर के वाया कार / बाइक से चाॅपर तक , और फिर चाॅपर के थ्रू ट्रेन के तीसरे पड़ाव वाले स्टेशन तक । वहां से दिल्ली तक का सफर ट्रेन से करेंगे ।
लोग यही समझेंगे कि एक सुपर फास्ट ट्रेन मे सफर कर रहा व्यक्ति कैसे चलती ट्रेन से उतर कर इतना कम समय मे वापस मुंबई आ सकता है ।

कुल मिलाकर शंकर साहब के सहयोग के बिना वह इस वारदात को अंजाम दे ही नही सकते । चाॅपर का इन्तजाम हर कोई नही कर सकता लेकिन शंकर साहब अवश्य कर सकते है ।

अगर रोमेश साहब दस जनवरी की रात को दिल्ली मे भी पाए जाते है तब रास्ता यही हो सकता है ।

खैर देखते है हमारे राइटर साहब की कलम से क्या निकल कर आता है !
खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग ।

Acha update diya Raj_sharma bhai update bada hota to jyada acha lgta
Khair suspense aur adhik badh gya h agle update ka intezar h bas (update bada hi dena pls )

Nice update....

Superb update
Akhir jn Reddy ka qatal kar hi Diya romesh ne ,
Intersting rhega ab itne sabut apne khilaf hone ke bad bhi romesh khud ko kaise bacha payega jisme sabse bada kata uska dost Vijay hi rahega

बहुत आसान है इस केस से बचना रोमेश के लिए।

अलाबाई है खुद इंस्पेक्टर विजय और सीमा, किसी ने खून करते देखा नही, मर्डर वेपन मिला ही नहीं, ना मिलने की संभावना है।

कुल मिला कर, बस आप शक के बिनाह पर गिरिफ्तार कर सकते हैं, पर सजा नही दिलवा सकते रोमेश को।

बढ़िया अपडेट भाई :applause:

Shandar jabardast update 👌 :cowboy1:

Sabse pehle to thread ke 100 pages pure hone par hardik shubhkamnaye Raj_sharma Bhai,

Aakhirkar romy ne JN ka kaam tamam kar hi diya...........usko maya ne bhi dekha..........aur uske flat par vijay se bhi muthbhed huyi

Lekin sabse bada sawal ye he ki romy ki girftari kaise hogi................aur usko khuni kaise sabit karega vijay court me.........

Keep rocking Bhai

WOW aakhir kar maar he dia Romesh ne JN ko lekin bhag ke apne flat per Q aaya jabki Romesh janta tha her kisi ko pata hai katil ke bare me fir bhi itni badi bevkoof Q bhala
.
Ek bat or samj nahi aaye agar Romesh yaha Mumbai me hai to Delhi me uski wife bhi intjaar me hai Romesh ke
Sala ab to eeasa lagta hai ho na ho jaroor Romesh ki Wife ka chkkar hai kuch to tabhi Romesh apni shadi ki salgirah me Apni bivi ke pas na hoke Mumbai me hai ya fir Bivi he kisi or ke sath hai
.
Raj_sharma bhai khatarnak update dia baai aapne agar is paheli ko sochne baitha to apni story ka update bhool jaoga waise bhi ab log kehne lge hai mai nahi koi or story likh rha hai 😂😂😂😂😂😂

बहुत ही सुंदर लाजवाब और रोमांचकारी अपडेट है भाई मजा आ गया
आखिर रोमेश ने माया के घर पर जे एन का कत्ल कर के उसे उपर का रास्ता दिखा ही दिया
अब देखते हैं रोमेश और विजय के बीच के आंख मिचौली का खेल
अगले रोमांचकारी धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Nice update....

Badhiya update

Akhirkar JN ko nipta dala romesh ne maja to ab ayega dekhte han ki itna kand karne ke bad romesh kaise bachata ha kyonki use katla ke sath jail se bhi riha hona ha tabhi to 25 lakh ki guthi suljhegi ab age ka maja court ke andar ayega

Akhir kar JN mara gaya. Par muje lgta hai Romesh ne kuch alag hi khel racha hai. Wo khud Delhi me betha hai. Kyoki pichle 2 update se clearly romesh ko bataya nahi gaya hai, sirf uske jese koy banke aaya hai. I think issi tarah Vijay Romesh se mast khayega.


Pr writer saab kya twist laate he dekhna padega

Jesa mene padha vesa muje laga, issi liye mene kaha muje lagta hai. Aur aakhir me kaha bhi "Par writer saab kya twist late hai"

Also congratulations for 100+ pages

Thanks Ok GIF by Originals

Raj_sharma bhai next update kab tak aayega?

Bus yahi dil jeet lete ho bin mange time se update aa jate h aapke mere bhai

Awesome ,thrilling, interesting, suspenseful update
👌👌👌👌👌👌👌
✔️✔️✔️✔️✔️✔️
💯💯💯💯
 

Raj_sharma

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रोमेश ने तो छका दिया है पुलिस को पर अब आगे कुछ तो सोचा ही होगा उसने ऐसे विजय की गिरफ़्त ससे दूर है कोई तो मक़सद होगा पक्का उसका ।
वो दिल्ली गया था या नहीं अभी संदेह मे है ।
सीमा का भी अभी कुछ पता नहीं चला ना शंकर से रोमेश की मुलाक़ात का देखते है आगे क्या रंग भरे है इस कहानी मैं 👍🏻
 
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Raj_sharma

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रोमेश ने तो छका दिया है पुलिस को पर अब आगे कुछ तो सोचा ही होगा उसने ऐसे विजय की गिरफ़्त ससे दूर है कोई तो मक़सद होगा पक्का उसका ।
वो दिल्ली गया था या नहीं अभी संदेह मे है ।
सीमा का भी अभी कुछ पता नहीं चला ना शंकर से रोमेश की मुलाक़ात का देखते है आगे क्या रंग भरे है इस कहानी मैं 👍🏻
Achha laga ya bura wo to bataya hi nahi.? :?: Chalo koi baat nahi, thank you for your wonderful review and support bhaiya :thanx:
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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पुलिस से भागना कुछ समझ नही आया?

खैर उसे गिरिफतार भी होना है और वापस से बा इज्जत बरी भी होना है।

फिलहाल उसने विजय के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है।
 

Raj_sharma

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पुलिस से भागना कुछ समझ नही आया?

खैर उसे गिरिफतार भी होना है और वापस से बा इज्जत बरी भी होना है।

फिलहाल उसने विजय के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी है।
So to hai, vijay ki jaan Aafat me Aane wali hai romesh ki vajah se, wo bas aankh micholi khel raha hai aur kuch nahi :D Thanks Riky007 for your valuable review :thanx:
 

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Achha laga ya bura wo to bataya hi nahi.? :?: Chalo koi baat nahi, thank you for your wonderful review and support bhaiya :thanx:
भाई आपको डाउट क्यों हुआ मैंने तो सारी तारीफ़ लास्ट अपडेट मे ही कर दी थी 😂

अपडेट हमेशा की तरह बहुत शानदार है । घटना का ज़िक्र और घटनाक्रम को जिस तरह से आप पेश करते हो वो कबीले तारीफ़ है भाई ।
कैरेक्टर्स अपनी सोच के हिसाब से कैसे कश्मकश से गुजरते है इस अपडेट मे विजय की बातें बया कर रही है ।
बहुत बढ़िया भाई
ऐसे ही अच्छा लिखते रहे ।
 

Raj_sharma

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भाई आपको डाउट क्यों हुआ मैंने तो सारी तारीफ़ लास्ट अपडेट मे ही कर दी थी 😂

अपडेट हमेशा की तरह बहुत शानदार है । घटना का ज़िक्र और घटनाक्रम को जिस तरह से आप पेश करते हो वो कबीले तारीफ़ है भाई ।
कैरेक्टर्स अपनी सोच के हिसाब से कैसे कश्मकश से गुजरते है इस अपडेट मे विजय की बातें बया कर रही है ।
बहुत बढ़िया भाई
ऐसे ही अच्छा लिखते रहे ।
Thanks brother, aage ke update bhi aise hi honge, :approve:
:D waise 2 din me 2 update ho gaye hai, or aaj wala kal wale se bada bhi tha, to saab log ki ijajat ho to kal chhutti kar lu🙏🏼🙏🏼🙏🏼
 

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त्वयि मे'नन्या विश्वरूपा
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Thanks brother, aage ke update bhi aise hi honge, :approve:
:D waise 2 din me 2 update ho gaye hai, or aaj wala kal wale se bada bhi tha, to saab log ki ijajat ho to kal chhutti kar lu🙏🏼🙏🏼🙏🏼
अरे मेरे शायर भाई जो आपका दिल करे वो कीजिए । निज कर्म भी ज़रूरी है ।
 
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